सऊदी अरब की एक मशहूर महिला अधिकार कार्यकर्ता को कथित तौर पर आतंकवाद के खिलाफ बनाए गए कानून के तहत सोमवार को करीब छह वर्ष जेल की सजा सुनाई गई। सरकारी मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई। महिला अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली लुजैन अल-हथलौल पिछले करीब ढाई साल से जेल में हैं, जिसकी आलोचना कई दक्षिणपंथी समूह ओर अमेरिकी सांसदों समेत यूरोपी संघ के सांसद भी कर चुके हैं।
अल-हथलौल उन चंद सऊदी महिलाओं में शुमार थीं, जिन्होंने महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति देने और ‘पुरुष अभिभावक कानून’ को हटाने की मांग उठाई थी जो कि महिलाओं के स्वतंत्रतापूर्वक आने-जाने के अधिकारों का अतिक्रमण था। सरकारी मीडिया के मुताबिक आतंकवाद-रोधी अदालत ने अल-हथलौल को विभिन्न आरोपों में दोषी पाया, जिनमें बदलाव के लिए आंदोलन, विदेशी एजेंडा चलाना, लोक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए इंटरनेट का उपयोग आदि शामिल हैं।
इसके अलावा अदालत ने अल-हथलौल को उन व्यक्तियों एवं प्रतिष्ठानों का सहयोग करने का भी दोषी ठहराया, जिन्होंने आतंकवाद-रोधी कानून के तहत अपराध किया। बीबीसी की एक खबर के अनुसार अल-हथलौल के परिजनों ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जेल में बेटी को यातनाएं दी गईं। परिवार ने कहा कि हिरासत में लिए जाने के तीन महीने बाद तक उससे किसी को बात नहीं करनी दी गई। इस दौरान अल-हथलौल को बिजली के झटके दिए गए और कोड़ों से पिटाई की गई। उसका यौन शोषण भी किया गया। हालांकि कोर्ट इन आरोपों से इनकार कर दिया है।
हथलौल को करीब तीन साल पहले हिरासत में लिया गया था। बता दें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट उनकी हिरासत को सजा के तौर पर माना और उनकी कुल सजा के दो साल दस महीने कम कर दिए। जेल में सजा काटने की उनकी अवधि मई, 2018 से शुरू होगी। उन्हें अब कुल तीन साल जेल में बिताने होंगे। इधर महिला अधिकार कार्यकर्ता के पास फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय है।