विश्वपति वर्मा(सौरभ)
पहले देश भर के ग्रामीण इलाकों में केंद्र सरकार काम करती थी अब सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काम कर रहे हैं उसके बाद भी उनकी योजनाएं धरातल पर पूरी तरह से फेल साबित होती हुई दिखाई पड़ रही हैं।
माना कि देश को खुले में शौच से मुक्त करने की योजना सही था लेकिन यह भी मानना होगा कि इसे गलत तरीके से लागू किया गया ,ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली एक बड़ी आबादी के पास शौचालय योजना से पहले रहने, खाने ,पीने नहाने की मुकम्मल व्यवस्था की जरूरत थी लेकिन जिस तरह से सड़क पर कुत्ता पकड़ने वाली गाड़ी घूम-घूम कर आवारा कुत्तों को जालीदार गाड़ी में बंद करती है ठीक उसी प्रकार से शौचालय योजना की सफलता का तमगा लेने के लिए एसबीएम के ठेकेदारों ने जाकर गरीबों के घर के कोने में एक घटिया किस्म का शौचालय बना बनाकर पूरे गांव को ओडीएफ कर दिया उसके बाद भी देश के अधिकांश घरों में शौचालय की व्यवस्था नही है और यदि है भी तो वह प्रयोग से बाहर है ।
गांव के अंदर जाकर बताया गया कि शौचालय बनवा लो नही तो राशन ,बिजली ,पेंशन आदि सरकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ जायेगा ,गरीब आदमी मरता क्या न करता ,वह सरकारी लाभ को बचाये रखने के लिए किसी कोने में दो गज जमीन प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कुर्बान कर ही दिया ,जहां एक गुणवक्ता विहीन शौचालय का निर्माण कर दस्तावेजों में गांव को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया जबकि लाभार्थी आज भी लोटा लेकर जाता दिखाई पड़ता है ।
सफलता का श्रेय बटोरने के लिए सरकार को इसी झूठ के गठरी की आवश्यकता थी और वह जिले के अधिकारियों ने दे भी दिया उसके बाद में साबरमती आश्रम से अपने जादुई जुबान से झूठ बोलकर पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त हो जाने की घोषणा कर दी लेकिन शायद उन्हें भी नही पता है कि स्वच्छ भारत मिशन बहुत बड़े धन को बर्बाद कर बदहाल व्यवस्था की तरफ लुढ़कते चला गया ।अब इससे सरकार और प्रधानमंत्री को क्या फर्क पड़ने वाला है कि यह झूठ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के प्रधानमंत्री की गरिमा और पद के छवि को धूमिल किया है ।