प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना के कहर के बीच बुधवार को 32 चिकित्सा अधिकारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा दे दिया। सुबह सवेरे डेप्युटी सीएमओ की मौत के बाद मचे हड़कंप के बीच शाम करीब 4 बजे जिले के शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी सीएमओ ऑफिस पहुंचे और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस मामले में बहुज समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार पर हमला बोला है।
मायावती ने ट्वीट किया, ' यूपी में समुचित सुविधा के अभाव में जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगे डाक्टरों पर सरकारी दबाव और धमकी से स्थिति बिगड़ रही है, जिस कारण ही वाराणसी में 32 स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारियों का इस्तीफा। सरकार बिना भेदभाव व पूरी सुविधा देकर उनसे सेवा ले तो बेहतर होगा।'
'स्वास्थ्यकर्मियों की स्थिति खराब'
बीएसपी चीफ ने इस मामले में दूसरा ट्वीट किया और लिखा, 'कोरोना केन्द्रों व निजी अस्पतालों में भी कोरोना स्वास्थ्यकर्मियों की स्थिति काफी खराब है, जिस कारण उन्हें आत्महत्या का प्रयास करने तक को मजबूर होना पड़ रहा है, जो अति दुःखद। सरकार व्यावहारिक नीति बनाकर व समुचित संसाधन देकर सही से उसपर अमल करे, बीएसपी की यह मांग है।'
त्यागपत्र में डॉक्टरों ने लगाए गंभीर आरोप
आपको बता दें कि चिकित्सा अधिकारियों के सामूहिक त्यागपत्र में लिखा है कि ‘अवगत करना है कि 9 अगस्त को सहायक नोडल ऑफिसर एवं डेप्युटी कलेक्टर द्वारा जारी समस्त प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्गत पत्र, जिसमे कोविड 19 के दौरान किये गए कार्यों को अपर्याप्त बताते हुए। समस्त प्रभारियों को दोषी ठहराया गया है और उनके द्वारा टारगेट पूरा न होने पर आपराधिक कृत करार देना और मुकदमा दायर करने की धमकी की गई है जिससे हम सभी प्रभारी मानसिक दबाव में है और इस स्थिति में कार्य करने में असमर्थ हैं।’
सामूहिक इस्तीफे से हड़कंप
चिकित्सा अधिकारियों के सामूहिक इस्तीफे के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। जिले के आला अधिकारी लगातार चिकित्सा अधिकारियों से बातचीत कर उन्हें मनाने में जुटे हैं। उधर प्रभारियों के इस कदम के बाद स्वास्थ्य महकमे में जहां हड़कंप मचा हुआ है, वहीं सीएमओ डीएम से मिलने के लिए उनके कार्य आवास पहुंच गए हैं। जिले में 24 शहरी स्वास्थ्य केंद्र और ग्रामीण इलाके में आठ स्वास्थ्य केंद्र हैं