बस्तीः पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था केन्द्र से 100 रूपया चलता है तो गांव में गरीबों तक 20 रूपया ही पहुंचता है, बाकी बंदरबांट हो जाता है। जाहिर है उन्होने सिस्टम की खामियों से तंग आकर ये बात कही होगी। सत्ता बदली, व्यवस्था भी बदली, लेकिन हराम की कमाने वालों की सोच नही बदली। वर्तमान प्रधानमंत्री की सोच का नतीजा है कि सब कुछ डिजिटल हो गया। लाभार्थियों का पैसा सीधे गरीबों के बैंक खातों में आने लगा है।
लेकिन लाभार्थी का फर्जी खाता खोलवाकर बेइमान जनप्रतिनिधि और अफसर आज भी गरीबों का हक डकार रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बनकटी विकास खण्ड के खैराटी और कनेहटी गांव की। यहां जीरो ग्राउण्ड की रिपोर्टिंग में अनेक चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं। हालत ये है कि लोग मुबई और फरीदाबाद रह रहे हैं और गांव में प्रधान और सेक्रेटरी की मिलीभगत से उनके नाम मनरेगा का पैसा आ रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार सरकार की मंशा को किस तरह पलीता लगा रहे हैं।
बानगी के तौर पर राजेन्द्र प्रसाद (34), रूपाली देवी (30), मुरली यादव (60) तथा संदीप कुमार (25) के नाम काफी हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री आवासों में भी गडबड़ी की गयी है। प्रधान और सेक्रेटरी की जुंगलबंदी में ऐसे लोगों को पीएम आवास मिला है जिनके पास आलीशान मकान, ट्रैक्टर ट्राली व ऐशो आराम के तमाम संसाधन मौजूद हैं। इसी गांव में गरीब झोपड़ी में या फिर पन्नी तानकर अपना जीवनयापन करने को मजबूर है।
गरीबों तक उनका हक नही पहुंचता या वे वंचित रह जाते हैं तो लोग सरकार और सरकारी योजनाओं को कोसते हैं, वे शायद नही जानते कि गरीबों का हक और सरकारी योजनायें सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के कंधे पर बैठकर उन तक पहुंचती हैं, और इस व्यवस्था में कुछ ऐसे भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारी हैं जो अपनी तिजोरियां भरने के चक्कर सरकार को बदनाम करते हैं।
रेशमा, रामकरन, निर्मला, श्रीराम, रामआसरे, माया, जमुना, रामसुरेश, रामजियावन, सहित कई इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं जो अपात्र रहते हुये भी पीएम आवास की सुविधा भोग रहे हैं। जबकि कोदई पुत्र धड़ाम का राशनकार्ड बना है, मकान और शौचालय के लाभ से वंचित हैं। संदीप, प्रदीप पुत्र शिवप्रकाश छप्पर में रहते हैं, शौचालय भी नही मिला है। रामसागर पुत्र रामतीरथ टीन शेड में रहते हैं, शौचालय की एक किस्त आई है, जाबकार्ड नही बना है। बसन्तलाल पुत्र ठाकुर प्रसाद छप्पर में रहते हैं, शौचालय नही मिला और न ही जाबकार्ड बना है। ओमशंकर पुत्र रामयज्ञ मजदूरी करते हैं छप्पर में रहते हैं। जाबकार्ड नही है शौचालय भी नही मिला।
रामजी पुत्र रामतीरथ छप्पर में रहते हैं, शौचालय की एक किस्त आई है, जाबकार्ड नही बना है। महेन्द्र शर्मा पुत्र गोवीसरन छप्पर में रहते हैं शौचालय नही मिला। अशोक पुत्र शत्रुघ्न को आवास, शौचालय कुछ भी नही मिला। जबकि ये सभी पात्र हैं। ताज्जुब है, बताया गया कि गांव ओडीएफ घोषित हो चुका है। सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा। मीडिया में खैराटी गांव का भ्रष्टाचार प्रकाशित होने पर बुधवार को जांच टीम खैराटी पहुंची।
इसमे सेक्रेटरी और इंजीनियर थे। प्रधान के साथ गांव में भ्रमण किया। शिकायतकर्ताओं का सामना हुआ तो भरोसा दिलाया कि जो होगा वह न्यायसंगत होगा। निर्माण में लगी घटिया ईंट का न तो नमूना लिया गया और न ही शिकायतकर्ताओं का बयान कलमबद्ध किया गया। भरोसा न्याय का दिलाया गया। गांव वालों का कहना है कि ये अफसर इतने इमानदार और त्वरित कार्यवाही करने की इच्छाशक्ति रखते तो भ्रष्टाचार इस तरह पनपने ही नही पाता।