विश्वपति वर्मा-
आरएसएस कार्यालय में झाड़ू पोछा लगाने वाले नरेंद्र दामोदर दास मोदी जब देश के प्रधानमंत्री हो जाते हैं तो वें इस बात को भूल जाते हैं कि अंतिम पंक्ति में जीवन यापन करने वाली देश की एक बड़ी आबादी बदसे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है।
निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी मध्यम वर्गीय परिवार से आते थे फिलहाल गरीब नही कहा जा सकता उसके बाद भी इन्होंने कभी भी गरीब ,शोषित और वंचित वर्ग के लिए ईमानदारी से काम नही किया चाहे गुजरात मे मुख्यमंत्री रहे हों या फिर देश के प्रधानमंत्री।
हाँ पीएम मोदी में एक अच्छी खाशियत यह है कि ये भाषण बहुत अच्छा देते हैं ,बड़े बड़े झूठ को सपनों में बदल देते हैं ,गरीबों ,मजदूरों को अपनी बिरादरी (यानी खुद को गरीब बता कर) अपने पाले में कर लेते हैं , लेकिन सच तो यह है कि पीएम मोदी नही चाहते कि देश का गरीब आदमी गरीबी से थोड़ा भी ऊपर उठ सके।
यदि पीएम मोदी को गरीबों की चिंता होती तो स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में ठोस कदम उठाया जाता ,आज देश की एक बड़ी आबादी उचित और न्यायसंगत शिक्षा और चिकित्सा की सेवा पाने से वंचित है इस पर काम किया जाता,देश की बड़ी आबादी ज्ञान ,विज्ञान ,राजनीति और समाज से जुड़ी हुई खबरों से बेखबर है उन्हें इन सब के करीब लाया जाता ,देश की एक बड़ी आबादी बड़े बड़े शहरों में हांड़तोड़ मेहनत करके भी वाजिब दाम नही पा रही है उन्हें उनके मेहनत के हिसाब से मूल्य दिया जाता ,46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है उससे निपटने के लिए पोषण की योजना ईमानदारी से लागू किया जाता,22 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं अन्नदाता के देश में उन्हें न्याय दिया जाता ,लोगों मे नैतिकता का अलख जागता इसके लिए नई सभ्यता का विकास किया जाता लेकिन अंधेर नगरी चौपट राजा का शासन चल रहा है जहां केवल झूठ और जुमला का प्रचार हो रहा है।