प्राथमिकताओं को दरकिनार कर देश के खजाने को लुटा रही मोदी सरकार - तहक़ीकात समाचार

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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

प्राथमिकताओं को दरकिनार कर देश के खजाने को लुटा रही मोदी सरकार

विश्वपति वर्मा (सौरभ)

लगभग 1 दशक से लिख रहा हूँ कि देश में शिक्षा और चिकित्सा की बुनियादी ढांचा को मजबूत करने की जरूरत है लेकिन इस दौरान की सरकारें केवल और केवल झूठ की बुनियाद पर विकास की फर्जी दीवारें खड़ी कर रही हैं।

2014 के बाद से केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास और अच्छे दिनों का सपना बड़े ही चतुराई से जनता को दिखाया लेकिन अशिक्षा के गोद में बैठी जनता को क्या पता कि देश मे किसका विकास हो रहा है.
अमित शाह के बेटे जय शाह ने भाजपा की सरकार बनने के बाद अपनी कंपनी को 16000 गुना ज्यादा फायदे में पहुंचा दिया ,अमित शाह की पत्नी का चल संपति 1 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ हो गया ,भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय कार्यालय आलीशान बंगले में बदल गया.यह तो बस एक नजीर है ऐसे न जाने कितने लोगों का चल अचल संपत्ति हजारों गुना ज्यादा बढ़ गया और वह भी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार में!

नमामि गंगे ,डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया ,राफेल सौदा, स्वच्छ भारत मिशन ,कृषि कल्याण योजना,उज्ज्वला योजना समेत कई दर्जन योजनाओं के आड़ में बहुत बड़े धन का घोटाला कर लिया गया , साथ ही सरकारी उपक्रमों को बेचने के लिए नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने कोई कोर कसर नही छोड़ा उसके बाद बदहाली का दंश झेल रहा शिक्षा और चिकित्सा विभाग को नरेंद्र मोदी  और अमित शाह  ने कभी भी इस लायक बनाने का प्रयास नही किया जिससे आम आदमी को बेहतर सुबिधाओं के लिए मोहताज न होना पड़े।

चूंकि शिक्षा ,चिकित्सा ,भोजन, पानी ,आवास और कपड़ा किसी भी देश के नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल है इस लिए सरकार को प्राथमिकताओं को तय करते हुए देश की बहुसंख्यक आबादी तक इन सब सेवाओं की पहुंच पूरी तरह से सुनिश्चित कराने के लिए सजग होना चाहिए. लेकिन कोरोना वायरस के काल मे दिख गया कि देश मे 86 फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं जहां राशन और खाने का पैकेट के साथ 1000 रुपये का लाभ पाने के लिए होड़ लगा हुआ है ।

निश्चित तौर पर हम यह आंकड़ा कम कर सकते थे और सरकारी बोझ को भी हल्का करने में सफल हो सकते थे लेकिन इसके लिए हमे उस वर्ग को समझने और समझाने की जरूरत है जो सक्षम होने के बाद भी सरकारी योजनाओं की अपेक्षा में खड़े रहते हैं.लेकिन उसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि देश मे शिक्षा के क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से कार्यक्रम चलाकर लोगों को शैक्षणिक, सामाजिक ,और मानसिक रूप से मजबूत किया जाए ताकि लोग अपनी जिम्मेदारियों के साथ देश और समाज के लिए अपने दायित्यों और कर्त्यव्यों का निर्वहन करने के लिए समझ विकसित कर सकें.और यह समझ सकें कि हमारे अलावां और भी लोग हैं जिन्हें राशन ,पेंशन और भत्ता की जरूरत पहले है.ऐसे में तो सरकार अपने राजनीतिक फायदों के लिए देश के खजाने को लुटाती रहेगी और गरीबों की संख्या जस का तस बना रहेगा .

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