कहीं नही हो रही सरकार की प्रशंसा , शहरों से गांव पैदल निकले लोग - तहक़ीकात समाचार

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शनिवार, 28 मार्च 2020

कहीं नही हो रही सरकार की प्रशंसा , शहरों से गांव पैदल निकले लोग

विश्वपति वर्मा-

 जनता के साथ गैर बराबरी और अपनी लाचारी का एहसास जुड़ जाए तो वह उससे मुक्त होने के लिए नए- नए प्रयोग करता है .सबसे पहले वह उस अव्यवस्था से बाहर निकलना चाहता है जहां उसके साथ शोषण हो रहा हो जब वहां भी कोई रास्ता नही मिलता तब वह या तो आत्महत्या कर लेता है या फिर हिंसा पर उतर जाता है क्योंकि जबरदस्ती थोपे जाने वाली व्यवस्था हिंसा को जन्म देती है।


यह तस्वीर पीटीआई द्वारा ली गई उन लोगों की है जो दिल्ली ,मुम्बई ,गुजरात और अन्य नगरों के शहरों में फंसे हुए हैं और पैदल ही अपने घरों के लिए निकल गए हैं  क्योंकि कोरोना वायरस के चलते भारत मे 21 दिन के लिए लॉकडाउन किया गया है जहां पर लोगों को अपने घरों में आइसोलेशन होने के लिए कहा गया है लेकिन सवाल यह है जब लोगों का घर ही नही है तो लोग रहेंगे कहाँ। इस वजह से सरकार की जमकर आलोचना हो रही है ।

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