बदहाली-यूनिफॉर्म वितरण में दलाली, टेंडर के नाम पर हो रहा मनमानी - तहक़ीकात समाचार

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गुरुवार, 22 अगस्त 2019

बदहाली-यूनिफॉर्म वितरण में दलाली, टेंडर के नाम पर हो रहा मनमानी

बस्ती-

सरकार द्वारा अपने विभागों के माध्यम से जनता के समक्ष उच्चस्तरीय गुणवत्ता वाले सामान को परोसने के चाहे जितने प्रयास कर लिए जाएं लेकिन प्रशासन और स्थानीय जिम्मेदार लोगों में व्याप्त भ्रष्टाचार और परंपरा बन गई कमीशनखोरी की वजह से धरातल पर सरकार के सारे दावे फेल नजर आते हैं।

ताजा मामला जनपद बस्ती से बेशिक शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई है जंहा पर स्कूलों में ड्रेस वितरण के नाम पर जमकर मनमानी हो रही है जिसमे सरकारी धन का दुरुपयोग एवं गरीब असहाय बच्चों के साथ सीधा धोखा हो रहा है।

तहकीकात समाचार से बात करते हुए कुमार वस्त्रालय फर्म के प्रोपराइटर प्रमोद चौधरी ने बताया कि उनके पास कपड़े की सिलाई करने वाली यूनिट है जिसे जिला उद्योग से प्रोत्साहित मिला हुआ है उन्होंने बताया कि ;हमने देखा कि स्कूल में बच्चों को वितरित की जाने वाली ड्रेस के सिलाई की गुणवत्ता काफी खराब और जल्द ही कपड़ों में दरारें पड़ जाने (भसकने)  वाली होती थीं इसे देखकर हमने अपने फर्म से उच्च गुणवक्ता वाले ड्रेस की सिलाई करवाने और उसे स्कूल में वितरण करवाने के लिए कपड़े की सिलाई करवाना शुरू किया उन्होंने एक लिखित नोट देकर बताया कि जब हम कपड़ा लेकर स्कूल में गए तब हमारा कपड़ा और सिलाई हर किसी को पसंद आया लेकिन स्कूलों में बात तब बिगड़ जाती जब वें उच्च क्वालटी के ड्रेस को 160-70 में वितरण करने के लिए कहते थे ।
                      प्रतीकात्मक तस्वीर

उन्होंने बताया कि सल्टौआ ब्लॉक के कई दर्जन विद्यालय में हमने चक्कर लगाया लेकिन अधिकांश अध्यापक कम दाम पर ड्रेस बांटने की बात करते जबकि सरकार बच्चों को ड्रेस उपलब्ध करवाने के लिए 300 रुपया प्रति 1 सेट के हिसाब से धन उपलब्ध करवा रही है .उन्होंने आगे लिखा कि जब हमने स्कूलों में बताया कि हम अच्छे कपड़े की क्वालटी और गुणवक्तापरक सिलाई दे रहे हैं तब अधिकांश अध्यापकों ने कहा कि इस कपडे में ऊपर तक कमीशन देना है इसलिए सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई धनराशि में ड्रेस खरीदना संभव नही है।

उन्होंने बताया कि ब्लॉक क्षेत्र के कुछ विद्यालय के अध्यापकों द्वार सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई धनराशि पर ड्रेस  की खरीददारी की गई लेकिन उनके द्वारा कभी नही कहा गया कि इसमे कमीशन चाहिए कुछ विद्यालय के अध्यापकों द्वारा कहा गया कि ड्रेस की क्वालटी सही होनी चाहिए इसके लिए वह पैंसा दिया जाएगा जो शासन ने उपलब्ध कराया है .उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अधिकांश विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा ड्रेस के पैंसे में कमीशनखोरी करने के लिए मनमानी का कार्य किया जिसके चलते बच्चों तक कुछ हद तक ठीक-ठाक ड्रेस पंहुचना असंभव है

टेंडर के नाम पर दलाली

अपनी समस्या को साझा करते हुए प्रमोद ने बताया कि जब वें विद्यालय में ड्रेस लगवाने के लिए चक्कर लगा रहे थे तब उन्हें बताया गया कि अधिक बच्चों वाले विद्यालय में ड्रेस का वितरण टेंडर प्रक्रिया द्वारा की जाएगी ,इसको लेकर उन्होंने बताया कि जब हम टेंडर की प्रक्रिया जानने के लिए विद्यालय और विभागीय जिम्मेदार लोगों से जानकारी चाही तो हर कोई यही कहता कि पहली बार टेंडर हो रहा है इसकी जानकारी हमे नही है जबकि अंदरखाने हुई सांठ-गांठ के चलते अपने चहेतों के नाम पर टेंडर जारी कर दिया गया

इन विद्यालयों में चहेतों को टेंडर देने की एवज में कपड़े की गुणवत्ता को किया गया दरकिनार

फर्म के प्रोपराइटर ने बताया कि काफी दौड़ भाग करने के बाद जब हमे टेंडर डालने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त हुआ तब हमने सारी औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय नेवादा ,जगतापुर ,मझौआ बाबू ,बस्थनवा और अमरौली शुमाली विद्यालय में टेंडर पाने के लिए बन्द लिफाफे में कोटेशन दिया. इस सम्बंध में हमे 7 अगस्त को पूर्व माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली में टेंडर खोलने के दौरान बुलाया गया जब हम और अन्य फर्म के लोग वँहा पंहुचे तब  ग्राम प्रधान द्वारा शिक्षा समिति के अध्यक्ष के बारे में प्रधानाध्यापक से जानकारी लिया गया तब उनके द्वारा बताया गया कि समिति का अध्यक्ष दूसरे ग्राम पंचायत के हैं जिनके बच्चे इस विद्यालय में पढ़ते हैं इस बात पर कुछ मतभेदों को लेकर ग्राम प्रधान द्वारा उस दिन टेंडर न खोले जाने की बात कहकर दूसरे दिन सबको उपस्थित होने के लिए कहा गया गया लेकिन बाद में बिना कोई जानकारी दिए एक फर्म के नाम पर टेंडर खोल दिया गया ।

उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बस्थनवा विद्यालय में टेंडर खोलने के दौरान हमको बुलाया गया लेकिन प्रधानाध्यापक द्वारा पहले यह कहा गया कि आपके कपडे की गुणवक्ता सही नही है लेकिन उस दौरान मौजूद वँहा कुछ ग्रामवासी एवं शिक्षा समिति के लोगों ने कहा कि कुमार वस्त्रालय द्वारा दी गई कोटेशन में कपडे की गुणवत्ता काफी सही है इस लिए इस कपड़े को ही वितरित करवाने के लिए फर्म को आमंत्रित किया जाए इस बात पर असहज महसूस करने के बाद प्रधानाध्यापक ने यह कहते हुए कोटेशन को खारिज कर दिया गया कि इसमें नियमानुसार औपचारिकताओं को पूरा नही किया गया है,एक और जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष में इस विद्यालय पर ड्रेस लगवाने के लिए जब प्रधानाध्यापक से सम्पर्क किया था तब उन्होंने 145 रुपये में ड्रेस बांटने के लिए कहा था इतने कम रुपये में ड्रेस बांटने की बात पर विरोध करने के बाद उन्होंने हमारे ड्रेस को स्कूल में लगाने से मना कर दिया था ।

एक और विद्यालय मझौआ बाबू में टेंडर के दौरान हुए मनमानी की जानकारी देते हुए फर्म के प्रोपराइटर ने बताया कि जब टेंडर  खुलने के दौरान हम वँहा उपस्थित हुए तब वँहा शिक्षा समिति का कोई सदस्य उपस्थित नही था इस दौरान फर्म के लोग और प्रधानाध्यापक उपस्थित थे लेकिन कपड़े की गुणवत्ता जांचे परखे बगैर प्रधानाध्यापक द्वारा एक फर्म को यूनिफॉर्म वितरित करने के लिए आमंत्रित कर दिया गया जिसके चलते वँहा भी टेंडर प्रक्रिया में हमे निराशा हाथ लगी ।

फिलहाल अभी आगे यह देखना होगा कि जिन विद्यालयों की बात हुई है उसमें वितरित होने वाले ड्रेस की गुणवत्ता सरकारी मानकों पर खरा उतरता है या नही यह बात बच्चों को ड्रेस मिलने और उसके उपयोग के बाद ही पता चल सकेगा .हालांकि यह स्पष्ट है कि अधिकांश विद्यालयों द्वारा ड्रेस वितरण के नाम पर जमकर  भ्रष्टाचार पूर्व में किया जा चुका है जंहा पर ड्रेस में 25 रुपये से लेकर 60 रुपये तक का कमीशन फर्म से लिया गया है तो यह अपेक्षा रखना गलत होगा कि बच्चों को मानक के अनुसार ड्रेस मिल पायेगा।

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