घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें नेता लोग ,ऐसे तो न जाने कितने जवान शहीद होते रहेंगे - तहक़ीकात समाचार

ब्रेकिंग न्यूज़

Post Top Ad

Responsive Ads Here

सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें नेता लोग ,ऐसे तो न जाने कितने जवान शहीद होते रहेंगे

विश्वपति वर्मा_

पुलवामा हमले के बाद अब तक 45 जवान शहीद हो गए हैं ,उधर सरकार की तरफ से गजब का लॉलीपॉप दिया गया है कि सेना को पूरी छूट दे दी गई है।

लेकिन मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि अभी और कितने जवानों को शहीद का दर्जा दिलवाने में वह लगी है ।

सच तो यह है कि पाक में बैठे आतंकियों के आका इतने कमजोर भी नही है जिन्हें हम या हमारी सेना चुटकियों में खत्म कर देगी ।

आज हम युद्ध की बात ही कर लें तो रक्षा मामले में हम पाक से दो चार हाथ ही आगे हैं ,आखिर किस दम पर हम पाक से मुकाबला करने को सक्षम मानते हैं

अभी बीबीसी को दिए गए एक बयान में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद ने कहा, "इस बात को ध्यान से समझना चाहिए कि पाकिस्तान के पास भी आर्मी है. पाकिस्तान की सेना ऐसी कमज़ोर नहीं है. हालांकि, हमने उनको 1971 में पछाड़कर 90 हज़ार बंदी भी बनाये थे. लेकिन अब पाकिस्तान के पास लड़ाकू विमानों के 25 स्क्वार्डन हैं. हमारे पास उनसे (सिर्फ़) दो चार स्क्वार्डन ज़्यादा हैं. यानी हमारे पास भरोसेमंद रक्षातंत्र नहीं है."

तो आखिर यंहा सेना को छूट देने का मायने क्या है ,जरूरी यह है कि भारत सरकार युद्ध जैसे कल्पनाओं को दरकिनार कर सबसे पहले कश्मीर में बैठे भारत विरोधी लोगों को कैद करे ,वँहा के अलगाववादी नेताओं को दी जाने वाली सुरक्षा एवं सहायता पूर्ण रूप से रद्द करे इसके अलावां सर्वदलीय बैठक में तुरंत यह तय किया जाए कि कश्मीर में  धारा 370 को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।

देश के नेता लोग द्वारा जवानों की शहादत पर घड़ियाली आंसू बहाते हुए बहुत बार देखा गया है लेकिन आज तक कश्मीर मुद्दे पर कोई ठोस रणनीति नही बनाई गई है ,आखिर क्या है नेताओं का नेतृत्व ?क्या 10 -20 गाड़ियों के साथ दर्जनों राइफल धारियों को लेकर चलने वाले हमारे देश के नेता कश्मीर में जाकर आतंकियों से मुकाबला करने को तैयार हैं ?क्या नेता लोग अपने बेटे बेटियों को देश की सुरक्षा के खातिर सीमा पर भेज रहे हैं शायद सभी सवालों के जवाब में नही का उत्तर आएगा!

आज पूरा देश दुखी है ,और यही बात सरकार और नेता लोग भी कह रहे हैं लेकिन यह कहने से काम नही चलेगा। आज जरूरी यह है कि कुत्ते की आकर के पाकिस्तान को सबक सिखाई जाए।

इसके लिए सरकार अपने वैश्विक मित्र देशों से सहयोग ले  और अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत करने के बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जाकर अपना झंडा गाड़े ।

यदि ठोस नीतियां बना कर काम न किया गया तो 45 की तरहं न जाने कितने जवान शहीद होते रहेंगे और देश के न जाने कितने नागरिक मारे जाएंगे इसका अंदाजा भी नही लगाया जा सकता है।

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages