उद्योगपतियों के प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी ,इतिहास के पन्नों में नहीं बन पाएंगे महान - तहक़ीकात समाचार

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शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

उद्योगपतियों के प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी ,इतिहास के पन्नों में नहीं बन पाएंगे महान

सौरभ वीपी वर्मा
भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जिस तरह से निजीकरण का काम किया जा रहा है उसको लेकर के इस देश के नागरिकों में ही नहीं बल्कि उन कर्मचारियों की खुशियां छीन ली जा रहीं हैं जिनकी कमाई पहले की अपेक्षा कम हो रही है ।

 19 जुलाई 1969 को देश के 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर इंदिरा गांधी सरकार ने इस देश के लाखों लोगों की दिवाली पहली बार मनाने का काम किया था । धीरे-धीरे दिन बदलता गया देश तरक्की की तरफ बढ़ने लगा और इंदिरा गांधी की सरकार ने 27 बैंकों का राष्ट्रीयकरण का दर्जा दे दिया जिसके माध्यम से चपरासी से लेकर के बैंक के सबसे बड़े अधिकारी की खुशियों में चार चांद लग गया । साथ ही दर्जनों विभागों के साथ जुड़ी हुई लाखों कर्मचारियों को ठेके-पट्टी से बाहर करते हुए सरकार के साथ जोड़ते हुए इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें सरकारी कर्मचारी के तौर पर दर्जा प्रदान किया ।

लेकिन इसी देश के एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 बैंकों में से 15 बैंकों को हटा दिया जिससे जहां लाखों लोगों के रोजगार के अवसर खत्म हुए वहीं लोगों की आमदनी भी कम हो गई । इसके अलावा , मेडिकल , सुरक्षा , स्वास्थ्य , सफाई कर्मचारी , ड्राइवर, रोड़वेज ,बिजली ,समेत दर्जनों विभागों के कई लाख कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी बनने से रोकते हुए उन्हें देश के किसी एक बड़े कंपनी के हाथों में गुलाम बना कर रख दिया गया । 

फिलहाल ये सब तो एकमात्र उदाहरण है रेल , सड़क , खदान ,वायुयान ,एलआईसी जैसे तमाम जगहों से जहां पर देश को अच्छी आय होती थी साथ ही उससे ज्यादा देश की एक बड़ी आबादी काम करके पैसा कमाती थी आज मोदी सरकार ने उसे कारपोरेट घरानों को सौंप दिया जिससे जहां मात्र मुट्ठी भर लोगों को फायदा होगा वहीं गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार पर दोगुना खर्चे का बोझ बढ़ेगा ।

 उदाहरण स्वरूप आपको बता दें कि सड़कों के निर्माण के लिए बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) के आधार पर मोदी सरकार ने बोली लगवाने का काम किया है जिसमें 27000  किलोमीटर  सड़कों को निजी हाथों में सौंप दिया गया है जिसके माध्यम से गिने-चुने दो-तीन लोग उसे 4 सालों के लिए सरकार से गिरवी लिए हुए हैं , सरकार तो लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये का लाभ कमा लेगी लेकिन कम से कम 10 लाख करोड़ से ज्यादा इस देश के नागरिकों को उस पर सड़क पर बने टोल प्लाजा पर टैक्स देना पड़ेगा , क्योंकि आज जहां 5 टोल प्लाजा का प्रयोग करना पड़ रहा है वहीं आपको सीधा 10 टोल प्लाजा का प्रयोग करना पड़ेगा यानी कि आपकी जेब पर खर्चा सीधा दोगुना पड़ेगा ।

 अच्छा लगता है जब दोगुनी आय की बात होती है लेकिन चौगुनी खर्चे की बात कोई नहीं कर रहा है । अब आप खुद ही विचार कीजिए इस देश के किस व्यक्ति को घर से बाहर नहीं निकलना है अब वह चाहे अपनी गाड़ी से निकले या फिर किराए के बस से । महंगाई का शुल्क तो उसे अदा ही करना पड़ेगा

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