आर्म्स एक्ट में संशोधन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. आर्म्स ऐक्ट 1959 के सेक्शन 3 (2) में संशोधन किया जाएगा. संशोधन में किसी भी व्यक्ति के लिए तीन फ़ायर आर्म से संख्या घटाकर केवल एक करने का प्रावधान है. इसी सत्र में संसद में यह बिल रखा जाएगा. सभी पार्टियों के राजघरानों के संसादों और राजपूत सांसदों ने इस संशोधन का विशेष तौर पर विरोध किया है.
बिल में संशोधन के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बंदूक, पिस्तौल आदि नहीं रख सकेगा. अभी यह सीमा तीन हथियारों की है. विरोध कर रहे सांसदों की दलील है कि पुश्तैनी हथियार हैं जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं. बिल में प्रावधान है कि ऐसे पुश्तैनी हथियारों की एक अलग श्रेणी होगी लेकिन उनके प्रयोग के लिए कारतूस नहीं रख सकते.
बिल में संशोधन के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बंदूक, पिस्तौल आदि नहीं रख सकेगा. अभी यह सीमा तीन हथियारों की है. विरोध कर रहे सांसदों की दलील है कि पुश्तैनी हथियार हैं जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं. बिल में प्रावधान है कि ऐसे पुश्तैनी हथियारों की एक अलग श्रेणी होगी लेकिन उनके प्रयोग के लिए कारतूस नहीं रख सकते.
सांसदों की दलील है कि दशहरे पर शस्त्र पूजन में इन हथियारों का प्रयोग होता है. राजघरानों की दलील है कि रियासतों का भारत में विलय इन हथियारों के साथ ही हुआ था, ऐसे में इन पर रोक ठीक नहीं है. यह भी दलील है कि शूटिंग में भारत को सबसे अधिक पदक मिलते हैं, ऐसे हथियारों से ही बचपन से खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं.
दलील जी जा रही है कि 95 फीसदी लोगों के पास एक ही फ़ायर आर्म है. केवल 5 प्रतिशत लोगों के पास एक से अधिक फ़ायर आर्म हैं. वे सभ्य नागरिक हैं और किसी भी तरह के अपराध में शामिल होने का संभावना नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक अधिकतर अपराध गैर लाइसेंसी हथियरों से होते हैं.