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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

झंडा उठाओ गुणगान करो ,हत्यारे बलात्कारी एवं डकैत चला रहे सदन -पढ़ें रिपोर्ट

देश की सियासत में राजनेताओं और अपराध का 'चोली-दामन' का साथ रहा है. देश में ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टियां नहीं, जो पूरी तरह से अपराध मुक्त छवि की हो. यानी उनके किसी भी एक नेता पर अपराध के मामले दर्ज नहीं हों. यही वजह है कि राजनीति में अपराधीकरण के मामले पर अपने फैसले में भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों, विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया, मगर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब संसद के भीतर कानून बनाना इसकी जरूरत है. दरअसल, राजनीति में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया. इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोप तय होने से किसी को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है और बिना सज़ा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे उनके जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनकी जानकारी वेबसाइटों और इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट, दोनों मीडिया में सार्वजनिक करने के निर्देश दिए

दरअसल,  ADR ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक राज्य सभा और लोकसभा के सासंदों की संख्या को पूरा मिला कर देखें तो, तकरीबन 30 फीसदी सांसद दागी हैं. इनमें से 17 फीसदी सासंदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. देश के चुनावों और उससे संबंधित आंकड़े इकट्ठा करने वाली एडीआर की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें सासंदों और पार्टीवार नेताओं के क्रिमिनल रिकॉर्ड का ब्योरा दिया गया है.

लोकसभा में 542 सासंदों में से 179 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 33 फीसदी है. वहीं, 114 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. ठीक उसी तरह राज्यसभा के 228 सासंदों में से 51 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह से दोनों सदन के सासंदों को मिला कर देखें तो 770 सासंदों में से 230 दागी हैं, जो पूरी संख्या का 30 फीसदी है.

ADR की रिपोर्ट

अब सवाल उठता है कि आखिर जब संसद में इतने दागी सांसद हैं, देश का लोकतंत्र कैसे सही होगा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर किस पार्टी में कितने ऐसे सांसद हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी की तुलना की जाए तो दागी सांसदों के मामले में बीजेपी कांग्रेस से काफी आगे है. यानी कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी में दागी सांसदों की संख्या ज्यादा है. बीजेपी में करीब 32 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, तो वहीं कांग्रेस के सासंदों के खिलाफ 15 फीसदी आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी बीजेपी, कांग्रेस से इस मामले में दोगुनी आगे है.

सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले:

बीजेपी के 339 सांसदों में से 107 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें से 64 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 97 सांसदों में से 15 के खिलाफ आपराधिक मामले और 8 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस और बीजेपी के सासंदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की तुलना करें तो बीजेपी के जहां 32 फीसदी सांसद दागी हैं, वहीं कांग्रेस के 15 फीसदी. शिवसेना के 21 सासंदों में से 18 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. हत्या, बलात्कार जैसे संगीन मामले 10 के खिलाफ हैं. अगर फीसदी में बात की जाए तो शिवसेना के 86 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले:
अगर राजनीतिक पार्टियों के विधायकों के खिलाफ भी अगर आपराधिक मामलों की पड़ताल करते हैं तो पाएंगे कि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से अव्वल है. बीजेपी के 1451 विधायकों में 31 फीसदी विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 फीसदी विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो 773 विधायकों में 26 फीसदी विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 17 फीसदी कांग्रेस विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. 

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