मंगलवार, 31 मई 2022

बस्ती-पंचायत भवन का ताला तोड़कर सामान चोरी ,कुर्सी मेज और विद्युत बोर्ड को भी तोड़ा

सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती- सरकार ग्रामीणों के लिए सबसे महत्वाकांक्षी योजना पंचायत भवन को गांव में बनवाने एवं उसके सुंदरीकरण और उसमें संसाधनों की व्यवस्था करने के लिए लाखों रुपया खर्च कर रही है लेकिन अराजकतत्वों एवं चोरों ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया है ।
                           प्रतीकात्मक तस्वीर
मामला सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड के भितरी पचानू ग्राम पंचायत का है जहां पर ग्राम प्रधान कृष्ण कुमार ने  वाल्टरगंज थाने पर प्रार्थनापत्र देकर बताया कि ग्राम पंचायत के राजस्व गांव भितरी पचानू में पंचायत भवन का निर्माण हुआ है ।

पुलिस को दिए गए तहरीर में ग्राम प्रधान ने बताया कि गांव में बने पंचायत भवन में बीती रात चोरों ने अपने जरूरत के सामान टुल्लू पंप , एलईडी बल्ब ,फावड़ा आदि को चोरी कर लिया  उसके बाद वहां पर लगे बिजली के बोर्ड ,कुर्सी मेज एवं अन्य उपकरणों एवं सामानों को भी तोड़ दिया जिससे ग्राम पंचायत में बने पंचायत भवन में काफी हानि हुआ है ।



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बस्ती-एसडीएम के आदेश के बाद भी सरकारी जमीन से नही हट रहा कब्जा

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- सरकार भले ही भूमाफियाओं पर लगाम लगाने के लिए बड़े बड़े कदम उठा रही है लेकिन स्थानीय प्रशासन के रहमों करम पर आज भी गांवों में अधिकांश लोग सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए हुए हैं ।

जनपद के सदर तहसील क्षेत्र के मरवटिया निवासी मस्तराम चौधरी ने उपजिलाधिकारी सदर को शिकायत प्रार्थनापत्र देते हुए बताया कि मरवटिया गांव में गांव के कुछ लोगों द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है जिससे गांव की पानी  निकासी एवं आवागमन की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है ।
मस्तराम चौधरी ने बताया कि 13 अप्रैल को उप जिलाधिकारी को दिए गए शिकायत पत्र में उन्होंने पुलिस और सम्बंधित लेखपाल को मौके की जांच कर तत्काल प्रभाव से जमीन से कब्जा हटवाने के लिए आदेश जारी किया था लेकिन 15 दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बाद लेखपाल द्वारा मौके पर कब्जा किये गए सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए कोई कार्यवाई नही की गई । 

उन्होंने इस लापरवाही की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि यदि बरसात के पूर्व सरकारी जमीन से अवैध कब्जा नही हटाया गया तो बारिश के समय बड़ी समस्या का सामना ग्रामीणों को करना पड़ेगा । इस लिए ग्रामीणों के हित में ध्यान रखते हुए गांव के लोगों से सरकारी गड्ढे ,रास्ते एवं अन्य भूमि पर कब्जा हटवाना जरूरी है ।

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रविवार, 29 मई 2022

बस्ती जिले का नाम बदलने के लिए डीएम ने शासन को भेजा प्रस्ताव , जानिए कितना होगा खर्च

बस्ती- जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर करने का प्रस्ताव सचिव राजस्व परिषद को भेज दिया है 12वीं बार भेजे गए इस प्रस्ताव में डीएम ने बताया है कि जिले का नाम बदलने पर कोई अतिरिक्त शासकीय व्यय नहीं होगा। इस आशय की रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग ने भी दी है।

बता दें कि तीन वर्ष पूर्व क्षेत्रीय नागरिकों और विभिन्न संस्थाओं ने जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर करने के लिए ज्ञापन शासन को भेजा था। जनप्रतिनिधियों ने भी इस बाबत कई बार पत्र मुख्यमंत्री समेत राज्यपाल व अन्य उच्चाधिकारियों को भेजा था जिसके क्रम में राजस्व परिषद ने बस्ती के जिलाधिकारी से नाम बदलने का प्रस्ताव मांगते हुए यह पूछा था कि नाम बदलने के लिए कितना खर्च आएगा। पूर्व में जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में यह बताया गया था कि बस्ती का नाम वशिष्ठ नगर करने के लिए एक करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस पर राजस्व परिषद ने संपूर्ण आख्या मांगी थी कि किन मदों में रुपये खर्च किए जाएंगे। 

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शनिवार, 28 मई 2022

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी का भी नाम ,देखिये किसका होगा ताज

सौरभ वीपी वर्मा
UP BJP New President: यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के नए मनाम की घोषणा आज पार्टी द्वारा की जा सकती है. आज पार्टी राज खोलेगी कि पार्टी ने ब्राह्मण या पिछड़े का दाव खेला है. इस बाबत प्रदेश के कार्यसमिति की बैठक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित की जाएगी.सूत्रों की मानें तो कार्यसमिति में संगठन के आगामी कार्य योजोना पर मंथन होगा. ऐसे में पार्टी नेतृत्व कार्यसमिति बैठक से पहले ही नए अधयक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है. बता दें कि राज्य में पिछड़े और ब्राह्मण के कई नामों पर चर्चा तेज है.
जिन नामों की चर्चा है उसमें भूपेंद्र चौधरी, संजीव बालियान, केंद्रीय मंत्री बीएम वर्मा , बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी, सतीश गौतम का नाम शामिल है सांसद महेश शर्मा और श्रीकांत शर्मा के नाम की भी चर्चा है ।

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बस्ती- बिना काम कराए ग्राम पंचायत से 4 लाख के भुगतान का आरोप ,जिलाधिकारी से शिकायत

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- गांव में बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार करने के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायत निधि से समग्र एवं समेकित विकास के नाम पर लाखों रुपये की योजनाओं की स्वीकृति दी जाती है ताकि ग्रामीणों को गांव में बेहतर सुविधाओं का लाभ मिल सके लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता और भ्रष्टाचार की प्रथा के चलते ग्राम पंचायत के विकास के लिए आने वाला बजट बंदरबांट में खत्म हो जाता है ।
ताजा मामला जनपद के गौर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बेलवरिया जंगल की है जहां पर गांव के संतोष कुमार वर्मा ने जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को नोटरी सपथ पत्र के साथ शिकायत करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत में राज्य वित्त एवं केंद्रीय वित्त के पैसे को बिना काम कराए ही खाते से निकाल लिया गया।

शिकायतकर्ता ने बताया कि ग्राम पंचायत में टेलर की दुकान से सड़क तक नाली मरम्मत का काम दिखाया गया है जिसपर ग्राम पंचायत के निधि भुगतान किया गया वहीं ग्राम पंचायत में  एक और नाली राजाराम के घर से नहर तक मरम्मत के नाम पर पैसे का भुगतान हुआ है लेकिन नाली मरम्मत के नाम पर कोई काम नही हुआ है ।

शिकायतकर्ता ने बताया कि दोनों नाली मरम्मत के नाम पर 4 लाख से ज्यादा रुपये का भुगतान किया है जिसकी शिकायत सपथ पत्र के साथ करते हुए खर्च किये गए धन की जांच करने की मांग की गई है ।

इस सबंध में सचिव सुधीर सिंह से फोन पर बात करके मामले की जानकारी लेने की कोशिश की गई लेकिन फोन पर उनका कोई जवाब नही मिल पाया ।

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बुधवार, 25 मई 2022

भानपुर -रिहायशी झोपड़ी में लगी आग , पुलिस एवं फायर ब्रिगेड के सहयोग से आग पर काबू

बस्ती- भानपुर तहसील क्षेत्र के बस्थनवा गांव में बुद्धवार को दिन में 12 बजे अज्ञात कारणों से रिहायशी झोपड़ी में आग लग गई जिससे अनाज , कपड़ा एवं चारपाई समेत कुछ नगदी जलकर राख हो गया ।
बस्थनवा गांव निवासी रंजीत के झोपड़ी में आग उस वक्त आग लग गई जब वह उसी झोपड़ी में सो रहे थे सूचना पाकर मौके पर पहुंचे सोनहा थाने के हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश गुप्ता ने सहयोगी विश्वनाथ पांडेय एवं फायर ब्रिगेड की टीम के साथ पहुंच कर आग पर काबू पा लिया है एवं किसी प्रकार के जान माल का नुकसान नही हुआ है। 

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मंगलवार, 24 मई 2022

दवा का ठेका देने के नाम पर 1 प्रतिशत कमीशन मांगने वाले मंत्री को सीएम ने किया बर्खास्त

पंजाब -भ्रष्टाचार को लेकर सख्त तेवर दिखाते हुए पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बहुत बड़ी कार्रवाई की है. भगवंत मान ने भ्रष्टाचार के आरोप में अपने स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को मंत्रिमंडल से हटा दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय सिंगला ने ठेके देते हुए एक परसेंट कमीशन की मांग रखी थी. विजय सिंगला के खिलाफ पक्के सबूत मिलने के बाद भगवंत मान ने विजय सिंगला को मंत्री पद से हटाया है.Punjab Chief Minister Bhagwant Man Singh sacks Health Minister

मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना चारों ओर हो रही है क्योंकि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार ऊपर से होती है और वही से भ्रष्टाचार पनपते हुए नीचे की तरफ आता है जिसमें आम जनता को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार एक रुपए की बेईमानी भी बर्दाश्त नहीं करेगी. मान ने कहा कि लोगों की उम्मीद बनकर यह सरकार आई है.

भगवंत मान ने कहा, ''केजरीवाल ने हमसे कहा था कि वह एक रुपए का भी भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे. मेरे ध्यान में एक मामला आया था. सरकार का एक मंत्री हर टेंडर में एक प्रतिशत का कमिशन मांग रहा था. इस केस के बारे में केवल मुझे पता था. मैं चाहता तो इसे दबा सकता था लेकिन मैं लोगों का भरोसा नहीं तोड़ सकता था. मैंने अशोक सिंगला को बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने अपना गुनाह कबूल भी किया है.''

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बस्ती के आईएएस अधिकारी को बाँदा के लोगों ने कहा DYNAMIC डी.एम.

नीरज कुमार वर्मा नीरप्रिय
किसान सर्वोदय इंटर कालेज रायठ बस्ती उ. प्र.
8400088017

 प्रशासन का हीरा 

खुदा हमको इतनी खुदाई न दें।
कि हमें अपनों के सिवाय और कुछ दिखाई न दें।
गालिब का शेर आईएएस अधिकारी डा. हीरालाल के व्यक्तित्व पर पूरी तरह से लागू  होता है। वर्तमान पूंजीवादी युग में जब चारों तरफ धनलोलुपता, अनैतिकता तथा स्वार्थपरता का बोलबाला है तथा भौतिकता के इस अंधी दौड़ में नेता, अधिकारी तथा आमजन तक भी शामिल है। आये दिन विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों के संदर्भ में यह खबर मिलती है कि वे व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं कि पूर्ति में इस कदर लिप्त जाते है कि उन्हें अपने पद तथा समाज, जन और देश के प्रति दायित्व का बोध भी नही रह जाता है । विलासिता की असीम चाहत तथा पद का अंह उन्हें जेल की सलाखों में कैद कर देता है। उसी दौर में एक प्रशासक डा. हीरालाल है जिन्होंने अपने प्रशासनिक दायित्वबोध, नैतिकता, ईमानदारी, समाज और जन के प्रति समर्पण की भावना और कार्य को सुनियोजित ढंग से करने की प्रवृत्ति, उन्हें पद से नहीं बल्कि कर्म से प्रतिष्ठा प्रदान करती है। यह प्रतिष्ठा जनता के बीच रहकर कार्य करने, अपने पद के बनावटीपन आवरण से दूर रहकर तथा आमजन के सुझावों और बातों को तरजीह देने से दिन प्रतिदिन स्वयमेव बढ़ती चली जाती है। 

 जैसा कि कुमुद वर्मा ने डा. हीरालाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित पुस्तक में साझा करते हुए लिखा है कि जनता और जिला प्रशासन के बीच दूरी होती है। आम जनता हमारे आने से डरती और हिचकती है। सरकारी मशीनरी को जनता को जनता के बीच जाकर, रहकर कार्य करना चाहिए। मैनें अधिकांश बैठकें जमीन पर दरी बिछाकर की। फूलमाला, ताम-झाम, बनावटी-दिखावटी गतिविधियों को दूर रखा। जनता से ऐसा मिला, जैसे कि मैं उनके परिवार का सदस्य हूं। मुलाकाती से एक मिनट में पारिवारिक और आत्मीय हो जाना मेरी कला है। जनता से जुड़ना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। 
                           डॉ. हीरालाल 
  पद, पैसा तथा प्रतिष्ठा जहाँ व्यक्ति के मन में अहं के भाव सृजन करती है वहीं पर आमतौर पर देखा जाता है कि प्रशासनिक अधिकारी अपने अधिकार और पद के आधार पर आम नागरिकों में भय का माहौल पैदा करते है। इस भय से लोग उनके सामने मामूली से कार्यों के लिए करबद्ध होकर गिड़गिड़ाते है।  जहाँ व्यक्ति कि इस लाचारी भरी गिड़गिड़ाहट उन्हें अपने ओहदे के अहं को संतुष्टि मिलती है वहीं दूसरी ओर  मुँह खोलने के एवज में आर्थिक लाभ भी बहुधा मिल जाते है। आमजन को अधिकारियों द्वारा गिरी निगाह से देखने की प्रवृत्ति अक्सर मिल जाती है। पर इन्होंने अनपढ़ तथा गँवारों को भी सम्मान देने में कोई कोताही नहीं बरती है। उनका मत है कि गाँव की आम जनता, जो अनपढ़ है इसे कम नहीं आकना चाहिए। इनके अनुभव, संतोष, दिलेरी, त्याग और देशी ज्ञान हमसे कहीं ज्यादा होता है। यह इनकी ताकत है, जिसे हम नहीं समझते और न ही उसका उपयोग करते है। इन्हें कम और कमजोर आंकने और इग्नोर करने कि गलती करते है। ऐसा नहीं करना चाहिए। 
                              नीरज वर्मा
 सामान्यतया प्रशासनिक अधिकारी अपने ज्ञान और इल्म पर बहुत मगरुर रहते है। उन्हें ऐसा लगता है कि अब जीवन में सीखने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। उन्होंने देश कि सबसे प्रतिष्ठित सेवा कि परीक्षा उत्तीर्ण किया है जोकि मामूली बात नहीं है। न जाने कितने है जिनकी उम्र गुजर जाती है प्री परीक्षा में भी नहीं सफल हो पाते है। सचमुच यह इम्तहान सख्त होता है पर इसका यह नहीं है कि आप सर्वज्ञ है। पुस्तकीय ज्ञान कि अपेक्षा जो अनुभव से समझ विकसित होती है वह कहीं श्रेष्ठ है। पुस्तकीय ज्ञान हमें परीक्षा में अवश्य सफलता दिला सकता है पर अनुभवों से अर्जित इल्म हमारे व्यावहारिक कार्यों कि कुशलता में वृद्धि कर देती है। हर समस्या का समाधान पुस्तकों से नहीं मिल पाता है। कुछ समाधान हमें समाज से भी मिल जाया करते है। प्रशासन में इनके सफलता का राज ही यह है कि इन्होंने छोटे-बड़े, पढ़े-अनपढ़, कढ़े सबसे मिले। लगातार इनसे सीखा। सीखकर वहीं लागू किया। जिससे सीखा उसका प्रचार भी किया ताकि लोग आगे भी हमे सिखाते और बताते रहें। 

 सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने अपने दायित्वों का निर्वाहन एक प्रशासक कि हैसियत से नहीं बल्कि सेवक के रुप में किया। जहां पर रहे वहाँ कि स्थानीय वेशभूषा, भोजन, संस्कृति तथा भाषा को अपनाने में इन्होंने कभी हिचक तथा हीनता नहीं महसूस किया। उनके व्यक्तित्व में यह सहजता, सरलता, त्याग, ईमानदारी, समर्पण, दूसरों के प्रति कृतज्ञता तथा सभी के साथ संवेदनशीलता का व्यवहार एकाएक नहीं आ गया। व्यक्ति के व्यक्तित्व मे जहाँ पर कुछ गुण अर्जित होते है वहीं पर अधिकांश गुण उसे परिवार और बचपन के माहौल से मिलते है। जिससे उसके मूल व्यक्तित्व का निर्माण होता है। देखा जाय तो इनका बचपन गँवई माहौल में व्यतित हुआ। बस्ती जनपद जिसे भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कभी उजाड़ की संज्ञा दिया था के एक सामान्य कृषक परिवार में जन्मे हीरालाल ने अपने लगन तथा मेहनत के बल पर भले ही देश कि प्रतिष्ठित सेवा में चले गये है। पर जन्मभूमि कि वह सोंधी खुश्बू, प्रेम तथा भाईचारा इन्हें आज भी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद अपने गाँव में खींच लाती है। प्रशासनिक सेवा कि वह चकाचौंध तथा शोहरतभरी जिंदगी के बजाय इनका अपने गाँव के ठेठपन में ज्यादा मन रमता है। तभी तो अक्सर अपने गाँव में इनका आना- जाना और सभी से मिल बैठकर बतियाना लगा रहता है।

 बस्ती जनपद का इनका गाँव बागडीह सत्तर-अस्सी दशक के पूर्वांचल के  उन समस्त गाँवों का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रायः मूलभू सुविधाओं सड़क, बिजली तथा पानी से वंचित थे। और गाँवों में चारों तरफ अशिक्षा का अंधकार व्याप्त था। जैसा कि पुस्तक में उल्लिखित है कि मेरा गाँव बस्ती से मेहदावल जाने वाली रोड पर है। इसे बस्ती-मेहदावल रोड के नाम से जाना जाता है। यह रोड पतली, उबड़-खाबड़ थी। सड़क में काफी गड्ढे थे। गाड़ी धीरे-धीरे चलानी पड़ती थी। सड़क से गाँव का सम्पर्क कच्ची मिट्टी से बना था। बरसात में मिट्टी फूल जाती थी। आना-जाना बहुत मुश्किल हो जाता था। गाँव में चार पुरवा है। सभी लोग किसानी पेशे से जुड़े हैं। गाँव के लोगों की कोई सोच नहीं थी और न ही उनका कोई सपना था। गाँव में मेरे पिता जोकि पशुकंपाउडर थे सहित तीन लोग नौकरीवाले थे और पूरा गाँव किसान। अधिकांश घर छप्पर के थे। कुछ खपरैल के। पक्का मकान नहीं था ,गाँव पिछड़ा था ।

 सचमुच उस दौर में ग्रामीण समाज में पिछड़ापन विद्यमान था। चहुंओर अभावों का मंजर था। पर हां लोगों में एकदूसरे के प्रति प्रीति तथा सहयोग देखने लायक थी। लोग एकदूसरे के सुख-दुख में सहानुभूति नहीं बल्कि समानुभूति रखते थे। पुस्तक में वर्णित है कि गाँव में छप्पर के मकान बनाने में सभी सहयोग करते थे। गाँव कि शादी में सभी सहयोग करते थे। गाँव के आपस में प्यार मोहब्बत देखने लायक होती थी। गाँव के किसी के घर में आग लग गई तो पूरा गाँव आग बुझाने टूट पड़ता था। गा़ँव में किसी कि मृत्यु होने पर पूरे गाँव में दुख फैल जाता था। गाँव का माहौल आपसी सौहार्द्र और सहयोग से भरपूर था। गाँव का ऐसा चित्रण मैथिली शरण गुप्त कि कविता  अहा ग्राम्य जीवन भी क्या कि याद दिलाता है जिसमें लिखा है-
अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है, क्यों न इसे सबका मन चाहे,
थोड़े में निर्वाह यहाँ है, ऐसी सुविधा और कहाँ है?
यहां शहर की बात नहीं है, अपनी-अपनी घात नहीं है,
आडंबर का नाम नहीं है, अनाचार का नाम नहीं है।
यहां गटकटे चोर नहीं है, तरह-तरह के शोर नहीं है,
सीधे-साधे भोले-भाले, हैं ग्रामीण मनुष्य निराले।
एक-दूसरे की ममता है, सबमें प्रेममयी समता है,
अपना या ईश्वर का बल है, अंतःकरण अतीव सरल है।
छोटे से मिट्टी के घर हैं, लिपे-पुते हैं,
स्वच्छ सुघर है गोपद चिन्हित आंगन तट है, रक्खे एक और जल-घट है।
खपरैलों पर बेलें छाई,
फूली फली हरी मन भाई

अतिथी कहीं जब आ जाता है, वह आतिथ्य यहाँ पाता है।
ऐसे माहौल में जिसका बचपन व्यतीत हुआ हो फिर उसे पथभ्रष्ट होनें कि गुंजाइश कम ही रहती है।

 गाँव के जर्जर भवन, टपकते छत तथा बाढ़ से ग्रसित प्राथमिक पाठशाला में इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई। उस आधारभूत शिक्षा कि दुर्दशा के विषय में पुस्तक में वर्णित है कि बरसात में विद्यालय पानी से चारों तरफ घिर जाता था। स्कूल की छत जगह-जगह टपकती थी। सबसे पहले सभी स्कूल परिसर की सफाई करते थे। दोपहर में जब खाने का अवकाश मिलता तो हम सब पेड़ की टहनियों पर बैठकर खाना खाते। बेहया के डंडों से पिटाई होती थी। मार खाने पर कभी कभी-कभी दोनों हाथों में लाल-लाल निशान बन जाते थे। लेकिन इसी पिटाई ने आईएएस बना दिया। जिस दंड से इन्होंने अपने प्रगति का आधार बताया है आज उसे पूरी तरह निषिद्ध कर दिया गया है। तथा यदि कोई अध्यापक छात्रों को दंडित करता है तो कानून तथा अभिभावक उसके साथ अभिभावक जैसा वर्ताव करता है। इस आधारभूत शिक्षा कि जो उपेक्षा तथा दुर्दशा थी वह केवल इन्ही के गाँव कि नहीं बल्कि कमोबेश पूरे देश की थी। तभी नागार्जुन ने भी कुछ इसी अंदाज में लिखा है-

घुन खाए शहतीरों पर, बारहखड़ी विधाता बांचे।
फटी भीत है छत है चूती, आले पर बिसतुइया नाचे।
लगा-लगा बेवस बच्चों पर मिनट में पांच तमाचे,
इसी तरह से दुखहरन मास्टर गढ़ता है आदम के सांचे।।

  ऐसे पिछड़े गांव तथा अभाव के वातावरण से निकलकर इन्होंने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से बी. टेक की डिग्री हासिल किया। उसी दौरान इन्होने सिविल सर्विसेज की तैयारी भी शुरु कर दी थी। मन में धुन सवार थी सिविल सर्वेंट बनने की, पर मार्गदर्शक के अभाव में भटकाव का भी सामना करना पड़ा। लेकिन हौंसलों की जिद ने इन्हें पी. सी. एस. में उन्नीसवीं रैंक के साथ सफलता दिला ही दिया। किसी शायर ने भी इस जिद्दीपना पर लिखा है-
मंजिले भी जिद्दी है, रास्ते भी जिद्दी है। 
देखते हैं क्या होगा आगे, आखिर में हौंसले भी तो जिद्दी है।

इस क्षेत्र में कामयाबी मिलने पर खुशी तो थी ही पर IT BHU से एम. टेक बीच में छोड़ने की कशक इनके मन में अब भी विद्यमान है। शिक्षा के प्रति यह कशक ही इनके मन में पढ़ाई-लिखाई की लौ हमेशा जलाए रखी। रही कारण है कि आपने सेवा के दौरान सन 2009-10 के मध्य सेराकूज विश्वविद्यालय अमेरिका से एम. पी. ए. ( MASTER OF PUBLIC ADMINISTRATION) किया।प्रशासनिक सेवक के रुप में इन्होंने केवल खानापूर्ति नहीं किया बल्कि प्रशासन की बारीकियों को समझने के लिए उसके संदर्भ में व्यावहारिक तथा सैद्धांतिक अध्ययन जारी रखा। सन् 2015 में डा. ए. पी. जे. उ. प्र. तकनीकी विश्वविद्यालय से सुशासन (ROLE OF ICT IN ACHIEVING GOOD GOVERNMENT) विषय पर पी-एच. डी. की डिग्री हासिल किया। शोध तथा नये हुनर के प्रति आकर्षण और रुचि ही थी कि आगे चलकर इन्होंने डा. राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय से संवाद से सुशासन की प्राप्ति (ROLE OF COMMUNICATION IN ACHIEVING GOOD GOVERNANCE) पर डी. लिट् की उपाधि प्राप्त किया। 

 पढ़ाई-लिखाई तथा प्रशासनिक सेवा ये निरंतर साथ-साथ करते रहे। जहाँ तक एस. डी. एम. के रुप में प्रथम पोस्टिंग की बात है तो सुल्तानपुर में जिला प्रशिक्षण के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इन्हें नगर मजिस्ट्रेट के रुप में तैनाती 10 अक्टूबर 1994 ई. को मिली। उस दौरान वहां के जिलाधिकारी ने इन्हें अवैध टैक्सी गाड़ी के संचालन पर रोक लगाने तथा शहर को जाम से निजात दिलाने का दायित्व सौंपा। चूंकि पोस्टिंग पहली थी अतः जोश ज्यादा और अनुभव कम था अतः सख्त रुख अपनाते हुए इन्होने विधायक तक को नहीं बख्शा। इनकी शिकायत उस विधायक ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव तक भी कर दिया। किताब में इस बात का जिक्र विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी अक्सर ऐसे जटिल और जोखिम भरे काम प्रशिक्षु से कराते हैं, क्योंकि इनका अनुभव शून्य होता है और ऊर्जावान सबसे ज्यादा होते है। प्रशिक्षु ज्यादा आगे-पीछे नहीं सोचते, लग जाते हैं मिशन पर। 

  शिकायत मुख्यमंत्री से जरुर हुई पर इन्होंने अपने उत्साह तथा ऊर्जा को कम नहीं होने दिया। किताब कि टैग लाइन सहयोग से सुशासन, सुशासन से समृद्धि की परंपरा के अनुसार कार्य करते हुए अपने उत्साह को बरकरार रखा। इन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि जब मुझे नैनीताल में अपर नगर मजिस्ट्रेट के रुप में तैनाती मिली तो अवैध रुप से नगरपालिका के गोदाम पर काबिज व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई कर दिया तो तत्कालीन जिलाधिकारी को यह नागवार लगा। अतः यहीं पर इन्होंने सभी को साथ लेकर किस प्रकार कार्य को अंजाम दिया जाता है यह युक्ति सीखा। किताब में जिक्र मिलता है कि शुरुआती दौर में जो पावर का नशा होता है वह मुझे भी था। अच्छे कार्य करने की ललक को खूब मौका मिला। अधिकारी के साथ तालमेल बनाकर, हंसाकर, सभी का सहयोग लेकर काम लेना यहां खूब सिखा। प्रशासनिक कार्यों का यह सिलसिला तथा गैरकानूनी विषयों पर बेहिचक कार्यवाही इन्होंने बाराबंकी तथा बरेली में डिप्टी कलेक्टर रहते हुए जारी रखा। 

 प्रशासन में यह आमतौर पर देखा जाता है कि कार्य किसी के द्वारा किया जाता है और श्रेय कोई अन्य लेना चाहता है। ऐसी ही एक घटना सभल की है जहाँ पर ये अपर मजिस्ट्रेट के रुप में तैनात थे। उस समय दो पक्षों के लगभग दस हजार लोगों की भीड़ जमीनी विवाद को लेकर आमने-सामने आ गई। मात्र दो होमगार्डो, एक हाथ में लाठी, दूसरे हाथ में रिवाल्वर लेकर चिल्लाता रहा, भीड़ को भगाता रहा तथा दूसरी तरफ की कमान सी.ओ. को दे दिया। लगभग दो घंटे में भीड़ सड़क से हटाकर बस्ती में कर पाया। अपर पुलिस अधीक्षक सेट पर चिल्लाते रहे कि चल दिए हैं। लोकेशन देते रहे। दस मिनट का रास्ता दो घंटे में तय किया। मामला शांत होने पर मौके पर पहुंचकर नाटक करने लगे, ताकि मीडिया वाले फोटो लेकर छाप दे कि दंगा अपर पुलिस अधिक्षक ने रोका। मैनें दो घंटे इतनी जी तोड़ मेहनत, भागदौड़ की और चिल्लाया कि अगले सात दिन टाँगों के सामान्य होने में लग गए। अपर पुलिस अधीक्षक बहुत बहुरुपिया और तिल का ताड़ बनाने वाला था। उनमें दूसरे का काम अपना दिखाने की फितरत थी। अगले दिन सभी समाचारपत्रों के प्रथम पृष्ठ पर मेरा रिवाल्वरवाला फोटो छपा शीर्षक था कि ए.डीएम. ने जान जोखिम में डालकर दंगा बचाया। इससे मुझे संतुष्टि हुई तथा आत्मविश्वास बढ़ा।

दो तरह के विकास की चर्चा पुस्तक में मिलती है-एक रचनात्मक विकास तथा दूसरा विध्वंसात्मक विकास है। इन्होंने सदैव रचनात्मक विकास की ओर कदम बढ़ाया। यह सृजनात्मक विकास के प्रति समर्पण, ऊर्जा, सक्रियता और गतिशीलता ही थी कि बाँदा की जनता ने इन्हें DYNAMIC डी. एम. के नाम से विभूषित किया। अध्ययन के प्रति लगाव का ही परिणाम था कि जब इन्हें जिलाधिकारी बाँदा के रुप में तैनाती मिली तो इन्होंने इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड स्टैटिस्टिक्स एंड डेवलपमेंट स्टीडज, 2016 कि रिपोर्ट में बाँदा जनपद के समक्ष क्या-क्या चुनौतियां हैं का अध्ययन कर गहन विश्लेषण भी कर लिया। कहावत भी है कि डाक्टर की दवा तभी काम करती है जब उसे मर्ज की सटीक पहचान हो। इस प्रकार इन्होंने उस जनपद की समस्याओं को समझा तथा एक-एक करके उसके समाधान का अथक प्रयास भी किया। पर यह कार्य अकेले संभव नहीं था अतः सबसे पहले इन्होंने बाँदा जनपद की जनता का विश्वास जीता तथा उनमें सकारात्मकता भरी। पुस्तक में इस बात का उल्लेख मिलता है कि इधर हाल के वर्षों में जिलाधिकारी का पद आम जनता की नजरों में खरा नहीं उतरा। इसलिए जनता का नजरिया बदला है और सकारात्मक से नकारात्मक हुआ है। नकारात्मकता को खत्म कर पुनः खोए हुए विश्वास को प्राप्त करना पूरे देश के आई.ए. एस. के सामने एक बड़ी चुनौती है। इसी चुनौती को स्वीकार कर मैनें डी. एम. बाँदा के रुप में मात्र डेढ़ साल के प्रथम कार्यकाल में जन सहभागिता, जिले में उपलब्ध व्यवस्था से ही बीस से ज्यादा नवाचार कर प्रदेश, देश, विदेश में जिले का नाम रोशन किया।

 जनसहयोग तथा अपने प्रयास से बाँदा जनपद में जल की समस्या को कम करने के लिए इन्होंने 470 गाँवों में 2443 खंती खुदवाई। कुआं-तालाबो में पानी लाएँगे - बाँदा को खुशहाल बनाएँगे के नारे के साथ आमजन का कुआं-तालाबो से पुराना लगाव पुनः स्थापित करने का अभियान छेड़ा। पानी के प्रति लगाव के लिए जल मार्च निकाला, केन, वागे, यमुना पर जल आपूर्ति शूरु कराया, जल के स्रोतों कुआं-तालाब पर विभिन्न अवसरों पर दीपदान कराया। कविता, कहानी तथा जल संगोष्ठियो के माध्यम से जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया। उनका मत है कि मैं लोगों के दिल, दिमाग, सोच में कुआं, तालाब, नदी खोदना चाहता हूं। मौकें पर जमीन पर खुदे, न खुदे, मायने नहीं रखता, लेकिन लोगों के दिल, दिमाग और सोच में जरुर खुदना चाहिए। इनके अथक प्रयासों का ही परिणाम निकला कि करीब सवा साल के अंदर 1.34 मीटर जल स्तर ऊपर आया और फसल की उत्पादकता 18.5 प्रतिशत बढ़ गई।

इस जनपद में बेरोजगारी तथा गरीबी के समाधान के लिए इन्होंने स्टार्टअप और इनोवेशन कार्यक्रम की शुरुआत किया। इसके माध्यम से लोगों के मन में आशा का संचार तथा नये उद्यमशीलता के लिए प्रोत्साहित किया। कुपोषण जोकि एक छिपी हुई समस्या इस जनपद में थी के समाधान के लिए यूनिसेफ तथा अन्य लोगों की मदद से अभियान आरंभ किया। जन-जन की भागीदारी, सुपोषण के लिए है जरुरी नारे के साथ स्वस्थ समाज के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया। इस अभियान की सार्थकता इस बात में है कि बच्चों के वजन तथा लंबाई में सुधार हुआ। बतौर बाँद जिलाधिकारी रहते हुए इन्होने जब जेल का निरीक्षण किया तो देखा कि कैदियों के चेहरे से मुस्कान गायब थी। सभी लोग हताश और निराश लग रहे थे। सभी चेहरे दुख, दर्द और परेशानी से काले दिख रहे थे। यह सब देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा। मन व्यथित हुआ। पूरी जेल में एक मायूसी का माहौल था। इस पर इन्होंने जेल सुधार करने को ठानी। उनका मानना है कि लोगों की धारणा है कि जेल एक सजा घर है जबकि वास्तव में वह सुधार गृह है। नवीन गतिविधियां अपनाएंगे और बाँदा जेल को सर्वोत्तम बनाएंगे के स्लोगन के साथ अपने कार्य की शुरुआत किया। कैदियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए योगाभ्यास-खेल तथा जेल के वातावरण को पेड़ पौधों का रोपण करके हरा भरा किया। विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से कैदियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया तथा हर कैदी को अपना हुनर दिखाने का मौका दिया। जब उ. प्र. जेल प्रशासन ने एक समिति बनाकर सभी जेल का कार्यों का मूल्यांकन कराया तो जिला कारागार बाँदा को सर्वोत्तम कारागार का खिताब मिला।

 यह सामान्य रुप से देखने में आता है कि शासन के द्वारा वृक्षारोपण के कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किये जाते है। वृक्षारोपण करने के बाद हम उसकी देखभाल करना भूल जाते हैं जिससे हमें पर्यावरण सुधार में उस स्तर का सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाता है जिस अनुपात में वृक्षारोपण होता है। अतः इससे सबक लेते हुए इन्होंने बाँदा में पेड़ जियाओ अभियान की शुरुआत किया। उनका मत है कि वृक्ष लगाना अधूरा कार्य है। वृक्ष जिलाना वृक्षारोपण का पूरा कार्य है। इस सोच को धरा पर उतारने के लिए एक ठोस रणनीति तैयार किया। लोगों का पेड़ों के प्रति लगाव, देखभाल कर जिंदा रखने का मनोभाव पैदा करना शूरु किया। चूंकि भारत एक धर्म प्रधान देश है अतः इन्होंने पेड़ प्रसाद योजना शूरु किया। जब हम मंदिर जाते है तो फूल, पत्ती तथा लड्डू आदि देवता को अर्पित करते है तथा पुजारी द्वारा प्रसाद दिया जाता है जिसे हम सहर्ष-ससम्मान ग्रहण करते है। इन्होंने लड्डू, फूल-पत्ती के साथ एक पौधा भी चढ़ाया जाए कि शुरुआत किया। अब मंदिर के पुजारी श्रद्धालु को प्रसाद के रुप में पौधा भेंट करने लगे। ऐसे में मंदिर से प्राप्त पौधों के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा जुड़ जाती जिससे वे उसे जिंदा रखने की भरपूर कोशिश करते। इसके अतिरिक्त डा. हीरालाल को यदि कोई निमंत्रण में बुलाता तो इनकी शर्त थी कि हम तभी आऊँगा जब बारातियों को सौ पौधे गिफ्ट करेंगे। इनका यह विचार चल पड़ा तथा पेड़-पौधों के प्रति लोगों का शौक बढ़ता गया। जनहित के प्रति लगाव का ही परिणाम था कि इन्होंने बाँदा में योग रखे निरोग, छात्र विकास कार्यक्रम, प्लास्टिक मुक्त बाँदा, नेकी की दीवार, बाँदा पर्यटन, महिला विकास तथा आक्सीजन पार्क की स्थापना करके कार्यों को अंजाम दिया। छात्र-छात्राओं को एक दिन का प्रशासनिक अधिकारी बनाकर उनके व्यक्तित्व को विकसित करने के प्रयास को काफी सराहा गया। इससे आम आदमी तथा प्रशासनिक अधिकारियों के बीच दूरी कम हुई। नेकी की दीवार की प्रेरणा उन्हें अपने अधीनस्थ अधिकारी से मिली जिसे इन्होने बेहिचक व सहर्ष स्वीकार किया तथा इसे जिले के प्रत्येक विभाग में लागू कराया। यहां पर लोग अपने अतिरिक्त तथा अनुप्रयोग कपड़ो तथा समान को छोड़ सकते थे जिससे जरुरतमंद लोग इसे निःशुल्क ले जा सके।

 असामाजिक तत्वों के निगरानी हेतु यहां पर सीसीटीवी कैमरे लगवाये गए तथा दान देने वालो को समय-समय पर प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। इससे लोगों के मन में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन का अवसर मिला तथा निर्बल वर्ग के प्रति सहयोग के लिए लोग प्रेरित हुए।
      अब हम उनके उस कार्य की चर्चा करेंगे जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहते  हुए  किया कि चुनाव में चुनावी मशीनरी होती है, चुनाव में ये करो, ये न करो, ढिकाना करो, फलाना न करो, इसी में लगी रहती है। मुझे बताया गया कि यहाँ जिले के जो चुनाव अधिकारी है, वे सौ प्रतिशत वोटिंग के लिए मेहनत कर रहे है, ये बहुत अच्छी बात है। मैं उनको बधाई देता हूं और निर्वाचन आयोग को भी ऐसे मेहनत करने वाले अफसरो की तरफ देखना चाहिए। जी हां यह बात है 2019 के लोकसभा चुनाव की जब डा. हीरालाल ने सुनियोजित ढंग से मेहनत करते हुए बाँदा जिले का जो मतदान लोकसभा चुनाव - 2014 में 52.69 प्रतिशत था को लोकसभा चुनाव 2019 में 10.55 प्रतिशत इजाफे के साथ 63.24 प्रतिशत कर दिया। यही नहीं लोकसभा चुनाव - 2014 मे बाँदा का कोई भी बूथ नब्बे प्रतिशत मत नहीं हासिल कर पाया था। लोकसभा चुनाव - 2019 जब इनके देखरेख में हुआ तो नब्बे प्रतिशत के आंकड़े सात बूथ पार कर गये। जो वास्तव में प्रशंसनीय है।

     गाँवों को खुशहाल तथा समृद्धिशाली बनाने के लिए इनके माॅडल गाँव की चर्चा वर्तमान में जोरो पर है। इस माॅडल गाँव का विजन गाँवों का चौमुखी विकास करना है। इस माॅडल गाँव का पचीस सूत्रीय एजेंडा है जो भी इसमें शामिल होना चाहते है उन्हें इस एजेंडे के तहत कार्य करने होंगे। गाँव साफ सुथरे हो, कोई अनपढ़ न हो, लोगों की आय में वृद्धि हो, सभी के  हाथ में काम हो, आधुनिक इंटरनेट तथा कृषि विपणन की सुविधा हो और प्रत्येक वर्ष गाँव का स्थापना दिवस मनाया जाय आदि को लेकर जो प्रयोग उन्होंने अब तक किया वह अब परवान चढ़ रहा है। तत्कालिन बाँदा के जिलाधिकारी रहते हुए उन्होंने सोचा कि सारा कार्य अकेले सरकार नहीं कर सकती अतः ग्रामीणों को इससे जोड़ना शुरू किया तथा उनके सामने एजेंडा भी रखा। उनके इस माॅडल गाँव की सफलता को देखते हुए नीति आयोग ने इसे अपने एजेंडे में शामिल कर लिया तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. राजीव कुमार ने उनके इस माॅडल गाँव की प्रशंसा भी किया।

 बात आती है प्रधानमंत्री पुरस्कार की तो उसके जो मानक निर्धारित किये गये थे जैसे जल संरक्षण, जेल सुधार, मतदान प्रतिशत में सुधार, कुपोषण की समाप्ति, स्टार्टअप और इनोवेशन तथा प्रशासनिक सुधार आदि उसमें ये खरे उतर रहे थे। अतः प्रधानमंत्री पुरस्कार की गाइडलाइंस पढ़कर तथा मित्रों से प्रोत्साहन पाकर इन्होंने पुरस्कार के लिए आवेदन कर दिया। प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्तर पर इनका चयन पुरस्कार के लिए होता चला गया पर चतुर्थ स्तर में इन्हें बाहर कर दिया गया। जिससे इन्हें काफी पीड़ा हुई। उसको बयां करते हुए कहा कि अंततः एक जीती जंग हार गया। मन में पुरस्कार न पाने की कसक थी। जिस तरीके से नाम चतुर्थ स्तर के मुल्यांकन से हटाया गया वह पीड़ादायक था। जरुर, पुरस्कार न मिलना कष्टकारक होता है पर कार्तव्यों के प्रति जो निष्ठा तथा ईमानदारी, आमजन के प्रति जो संवेदनशीलता तथा प्रेम, जनता ने  आपके ऊपर जो भरोसा और विश्वास जताया वह एक प्रशासनिक अधिकारी को पुरस्कार मिलने से अधिक काबिले तारीफ है। सत्ता और पावर का नशा जहाँ व्यक्ति को अपने कर्तव्य से विचलित कर देता है। वहीं पर इन्होंने कैसे लोगों के साथ तालमेल बिठाकर तथा विश्वास जीतकर कार्यो को अंतिम रुप दिया आज के नौकरशाहों को इस पुस्तक के माध्यम से सिखने की जरुरत है।

 पुस्तक में यह बात उल्लिखित है कि सत्ता और पावर का नशा बहुत खराब होता है। डी.एम. के पद के साथ ये दोनों है। डी. एम. के रुप में मैने हमेशा कमजोर पाया क्योंकि हम लोग जनता कि समस्याओं और दुश्वारियों से लगातार जूझ रहे थे और खत्म नहीं कर पा रहे थे। मुझे नशा था जनता की समस्या कम करने, लोगों की खुशहाली बढ़ाने और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने का। लोग अक्सर ताना मारते है कि आई.ए.एस. काले अंग्रेज है। मैंने इस सोच को तोड़ा और देशी, देहाती, किसान की वेशभूषा और भाषा में कामकर, सरकार और समाज के बीच की दूरी को खत्म किया। शासन-प्रशासक की सोच से ऊपर उठकर आमजन को साथ लेकर खुशहाली और विकास के रास्ते पर अग्रसर हो पड़ा। ऐसे में कह सकते है कि यह पुस्तक आज के प्रशासनिक अधिकारियों को सामान्य जनजीवन के साथ घुलमिलकर कार्य करने की प्रेरणा देती है। कहावत भी है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। झूठे अहंकार तथा दर्प से दूर होकर सबसे पहले एक मनुष्य होने का संदेश इस पुस्तक में निहित है। तथा पद-पैसों के ऊपर मनुष्यता को वरीयता प्रदान किया गया है। ऐसे में उनकी सहजता-सरलता तथा कार्य करने की शैली उन्हें प्रशासन का हीरा साबित करती है।

  

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यूपी -राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान बिजली जाने पर 4 अधिकारी निलंबित एक बर्खास्त

यूपी- राजधानी लखनऊ में स्थित विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान लाइट चली गई. इसके बाद अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन (Executive Engineer Transmission) सहित 3 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया. वहीं एक अधिकारी को बर्खास्त भी किया गया है.

सस्पेंड होने वाले अधिकारियों में अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन संजय पासवान, उपखंड अधिकारी (Subdivision officer) पुष्पेश गिरी और अवर अभियंता (junior engineer) अमर राज शामिल हैं. वहीं, उपकेंद्र परिचालक (sub station operator) दीपक शर्मा की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं.

बिजली विभाग के कर्मचारियों पर ट्रांसमिशन उपखंड मार्टिनपूरवा लाइन ट्रिप होने पर कार्रवाई की गई है. लाइन ट्रिप होने पर विधानसभा समेत आसपास के इलाकों में बिजली गुल हो गई थी.

सोमवार को ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आंधी-तूफान, बारिश एवं आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं से प्रभावित जनपदों के जिलाधिकारियों को पीड़ित व्यक्तियों, परिवारों को तत्काल राहत वितरित करने के निर्देश दिए हैं.

सीएम योगी ने कहा कि दैवीय आपदा को देखते हुए जनपदों में राहत कार्य प्रभावी रूप से कराया जाए. उन्होंने घायलों की समुचित चिकित्सीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए. सीएम ने जनहानि, पशुहानि तथा फसल क्षति के संबंध में आकलन कराकर विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.

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सोमवार, 23 मई 2022

चेन्नई के एस्पाइरिंग लाइव्स' एनजीओ का सराहनीय कदम ,यूपी से 3 वर्ष से गायब व्यक्ति को परिवार से मिलाया

सौरभ वीपी वर्मा
उत्तर प्रदेश - गाजीपुर जनपद के जमानिया विकास खंड के बहादुरपुर गांव में एक परिवार में उस वक्त खुशियां लौट आईं जब  इसी गांव के रहने वाले दिनेशराम 48 वर्ष जो 3 साल से लापता थे उन्हें तमिलनाडु के रहने वाले एस्पाइरिंग लाइव्स' एनजीओ के मैनेजिंग ट्रस्टी  मनीष कुमार ने उनके परिवार का पता लगाकर परिवार से मिला दिया ।
एनजीओ के मैनेजिंग ट्रस्टी  मनीष कुमार ने मानसिक रूप से विक्षिप्त दिनेश राम अपने घर का पता, और रिश्तेदारों के बारे में बता पाने में काफी हद तक असहज थे। जबकि यह विवरण उनके परिवार का पता लगाने के लिए अनिवार्य था। दिनेश राम के द्वारा बताए गए अस्पष्ट तथ्यों को ही आधार बनाकर इनके परिवार का पता लगाया गया उसके बाद दिनेश राम को उनके परिवार से  मिलाया गया और दिनेश राम के बड़े भाई (महेश्वर नाथ भारती), और दूर के दामाद (राजेंद्र कुमार) चेन्नई जाकर दिनेश राम को वापस घर लाने के लिए चेन्नई पहुंचे जहां
एस्पाइरिंग लाइव्स ने चेन्नई के पेराम्बुर रेलवे स्टेशन पर दिनेश राम को इनके परिवार की तरफ से आए हुए इनके इन दोनों रिश्तेदारों के सुपुर्द कर दिया।
बता दें कि 'एस्पाइरिंग लाइव्स' एनजीओ 8 मई, 2018 को पंजीकृत हुई है और बिना किसी बाहरी स्रोत एवं वित्तीय सहायता से इसने अभी तक 112 मानसिक रूप से असक्षम लापता लोगों को उनके परिवार से मिलाया है। जिसमें एस्पाइरिंग लाइव्स के संस्थापक फरीहा सुमन और  ,प्रियंका प्रीतम ,और मोहम्मद असरुदीन एम का काफी  योगदान है।  
जाने के लिए आए। दिनेश राम अपने घर पहुँच चुके हैं। एस्पाइरिंग लाइव्स ने दिनेश राम के  उनको उनके परिवार से मिलाया है। 

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मौसम विभाग की चेतावनी अगले 24 घंटे में ओलावृष्टि, धूल भरी आंधी, गरज के साथ बारिश का अनुमान

23 मई को पश्चिम बंगाल, सिक्किम के कुछ हिस्सों, मिजोरम, त्रिपुरा, केरल के कुछ हिस्सों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उत्तरी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 23 मई को पश्चिमी हिमालय और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। 23 मई को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि की गतिविधियां हो सकती हैं।पूर्वोत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

उत्तर और पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है।

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के कुछ हिस्सों में अलग-अलग ओलावृष्टि गतिविधियों के साथ धूल भरी आंधी, गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं।

कोंकण और गोवा, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र, रायलसीमा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश संभव है।

साभार: skymetweather.com 

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जब देश में स्वास्थ्य सुविधाएं न मिल पाने के कारण श्मशानों में लाशें पटी हुई थीं, तब देश में 40 नए अरबपति बन गए.

दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन का प्रयास करने वाली संस्था Oxfam ने अपनी ताजा रिपोर्ट पब्लिश की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे महामारी के दो सालों में दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति जबरदस्त तेजी से दोगुनी हुई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 700 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई. यानि कि इनकी संपत्ति हर दिन औसतन 1.3 बिलियन डॉलर की रफ्तार से बढ़ी.
दावोस में हो रहे वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम में ग्लोबल Oxfam Davos report of 2022 में ये सारे अध्ययन सामने आए हैं. ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में भारत को लेकर बताया गया है कि यहां भी कोविड-19 महामारी के दौरान अमीरों की संपत्ति दोगुनी से ज्यादा हो गई, वहीं, दूसरी ओर एक बड़ी जनसंख्या महामारी और गरीबी से जूझते रहे. इस रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि सरकार को सपंत्ति वितरण की अपनी नीतियों को संशोधित करने पर ध्यान देना चाहिए.

 Bloombergने ऑक्सफैम की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पिछले साल जब देश भयंकर दूसरी लहर से जूझ रहा था, लोग स्वास्थ्य सुविधाएं वक्त न मिल पाने के कारण मर रहे थे और श्मशानों में लाशें पटी हुई थीं, तब देश में 40 नए लोग अरबपति बन गए. इन लोगों के पास कुल मिलाकर 720 बिलियन डॉलर की संपत्ति है. अगर भारत की 40 फीसदी जनसंख्या की कुल संपत्ति मिला दें तो भी ये उससे ज्यादा ही होगा.

रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने पिछले साल अपनी संपत्ति में 1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि देखी है. अकेले भारत की बात करें तो देश में अरबपतियों की संख्या इतनी हो चुकी है कि अगर फ्रांस, स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड- तीनों देश के अरबपतियों को जोड़ लें तो भी उनकी संख्या भारत से कम होगी.

रिपोर्ट की मानें तो 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा देने के लिए पर्याप्त है. भारत में पिछले साल अरबपतियों की संख्या 39 प्रतिशत बढ़कर 142 हो गई.

अगर सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा दिया जाए, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं

142 भारतीय अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर (53 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति है. देश के सबसे अमीर 98 लोगों की कुल संपत्ति, सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है.

- अगर 10 सबसे अमीर भारतीय अरबपतियों को प्रतिदिन 10 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च करने हों तो उनकी वर्तमान संपत्ति 84 साल में खत्म होगी. इन अरबपतियों पर वार्षिक संपत्ति कर लगाने से हर साल 78.3 अरब अमेरिकी डॉलर मिलेंगे, जिससे सरकारी स्वास्थ्य बजट में 271 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकता है.

- रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है. महामारी के दौरान सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि नीचे की 50 प्रतिशत आबादी के हिस्से सिर्फ छह प्रतिशत राशि आई.

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रविवार, 22 मई 2022

प्रोफेसर रतनलाल को जमानत देते हुए कोर्ट ने पुलिस को भी लगाई फटकार ,कहा ये एफआईआर रदद् होनी चाहिए

नई दिल्ली : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट से जुड़े केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को शनिवार को जमानत दे दी. कोर्ट ने रतन लाल को जमानत देते हुए कहा, " किसी व्यक्ति द्वारा महसूस की गई चोट की भावना पूरे समूह या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती है और आहत भावनाओं के बारे में ऐसी किसी भी शिकायत को तथ्यों के पूरे स्पेक्ट्रम पर विचार करते हुए इसके संदर्भ में देखा जाना चाहिए." 

सशर्त कोर्ट ने प्रोफेसर को दी जमानत

हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि रतन लाल को ऐसी पोस्ट से बचना चाहिए. अब जमानत के दौरान वो ना कोई पोस्ट करेंगे और न ही इंटरव्यू देंगे. गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किए रतन लाल को पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में पेश किया था.   

कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतनलाल की रिमांड नही मांगी थी. पुलिस ने कहा था कि आरोपी की न्यायिक हिरासत चाहिए. एक पढ़े लिखे आदमी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती. ये केवल सोशल मीडिया पोस्ट नहीं था, बल्कि इसे यूट्यूब में भी डालने के लिए कहा जा रहा था. आरोपी आगे ऐसी गलती न करे, इसके लिए पुलिस उसे बिना नोटिस दिए, सीआरपीसी 41A के तहत गिरफ्तार कर सकती है. 

जज ने पुलिस से किए सवाल

पुलिस की दलील पर जज ने पूछा कि सोशल मीडिया में पोस्ट कब किया गया? आगे अगर इसे सोशल मीडिया पर डिस्कस किया जाएगा तो क्या हर बार नया अपराध माना जायेगा? इसका जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि केवल यही पोस्ट नहीं बल्कि आरोपी ने यूट्यूब पर भी अपने पोस्ट को सही ठहराया. इस पर जज ने पूछा कि ऐसे कितने वीडियो हैं? 

अदालत को जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि दो वीडियो हैं. ऐसे में आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत पर भेजा जाए. जबकि रतन लाल के वकील ने कहा कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है. गिरफ्तारी छोड़िए, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होनी चहिए. अभी तक सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है. ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है. अगर किसी व्यक्ति की सहनशक्ति कम है, तो उसके लिए रतन कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां हर किसी को बोलने की आजादी है. ये एफआईआर रद्द होनी चाहिए. ऐसे में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए कोर्ट ने रतन को जमानत दे दी.

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शनिवार, 21 मई 2022

भारत में 25 करोड़ लोग 5000 से कम रुपये पर करते हैं जीवन यापन ,रिपोर्ट

देश में असमानता की स्थिति को लेकर पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट का मकसद सरकार को देश में सामाजिक प्रगति और साझा समृद्धि के लिए सुधार की रणनीति और रोडमैप तैयार करने में सहायता करना है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने भारत में असमानता की स्थिति पर जारी की गई रिपोर्ट सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए एक गारंटीकृत रोजगार कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और आय में अंतर को पाटने के लिए एक सार्वभौमिक बुनियादी आय योजना शुरू करनी चाहिए. 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 5-7 प्रतिशत हिस्सा है. वहीं  लगभग 15 प्रतिशत कामकाजी आबादी ₹ 5,000 (लगभग $ 64) प्रति माह से कम कमाती है. जबकि औसतन ₹ 25,000 प्रति माह कमाने वाले कुल वेतन वर्ग के शीर्ष 10 प्रतिशत में आते हैं, जो कुल आय का लगभग 30-35 फीसदी है. रिपोर्ट से साफ जाहिर हो रहा है कि भारत में शीर्ष 1 प्रतिशत की आय में वृद्धि दिखाई देती है जबकि निचले 10 प्रतिशत की आय घट रही है.एनएफएचएस 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच घरेलू संपत्ति में बहुत बड़ा अंतर है. विशेष रूप से, 50 प्रतिशत से अधिक परिवार धन संकेंद्रण (लगभग 54.9 प्रतिशत) के निचले अनुपात में आते हैं. जिससे भारत में असमानता साफ नजर आती है. 

भारत का लक्ष्य $ 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनना है, लेकिन इस असमानता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई देश अपनी सामाजिक प्रगति और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितनी दूर है. शीर्ष एक प्रतिशत लोगों के पास 22 प्रतिशत आय है, संपन्न 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत है तो वहीं दूसरी ओर, 50 प्रतिशत यानी कुल आबादी के आधे लोगों के पास 13 प्रतिशत आमदनी है. सरकार ने भले ही इस रिपोर्ट को खारिज़ कर दिया हो लेकिन कोरोना महामारी की त्रासदी और आए दिन बेरोज़गार होते लोगों की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है.

रिपोर्ट में कहा गया क 'ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में श्रम शक्ति भागीदारी दर के बीच अंतर को देखते हुए यह हमारी समझ है कि मनरेगा जैसी योजनाओं को शहरी क्षेत्र में  भी लागू किया जाना चाहिए. दरअसल मनरेगा मांग आधारित योजना है और ऐसी ही गारंटीकृत रोजगार की पेशकश शहरों में की जानी चाहिए ताकि अधिशेष श्रम को समायोजित किया जा सके.' आपको बता दें कि यह रिपोर्ट गुड़गांव स्थित इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पीटिटिवनेस द्वारा तैयार की गई है और इसको बुधवार को आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा जारी किया गया.


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शुक्रवार, 20 मई 2022

यूपी -पिता ने अपने ही बेटे और बेटी को उतारा मौत के घाट , आजीवन कारावास की सजा

उत्तर प्रदेश अपराध के मामले में भारत (India) के कई राज्यों से आगे है. यूपी के बलिया जिले (Ballia District) की एक अदालत ने अपने बेटे और बेटी की हत्या के छह साल पुराने मामले में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है

संयुक्त निदेशक (अभियोजन) सुरेश कुमार पाठक (Suresh Kumar Pathak) ने बृहस्पतिवार को बताया कि जिले के फेफना थाना क्षेत्र के रामगढ़ गांव में 30 जून 2016 को पवन कुमार यादव (Pawan Kumar Yadav) ने घरेलू विवाद को लेकर गुस्से में आकर फावड़े से प्रहार कर अपने चार साल के बेटे विशाल (Vishal) और तीन साल की बेटी खुशबू (Khushboo) की हत्या कर दी थी. 
इस घटना में उसकी पत्नी ललिता देवी (Lalita Devi) भी गंभीर रूप से घायल हो गई थी. इस मामले में ललिता देवी की शिकायत पर यादव के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था. अपर जिला जज नितिन कुमार ठाकुर (Nitin Kumar Thakur) ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बुधवार को पवन कुमार यादव को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 11 हजार रुपए के जुर्माने (Fine) की सजा सुनाई है. 



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बुधवार, 18 मई 2022

बस्ती -अंग्रेजी माध्यम माडल प्राथमिक विद्यालय ने मंडल में बनाया अलग पहचान

केसी श्रीवास्तव
बस्ती- जनपद के ग्रामीण आंचल में स्थित अंग्रेजी माध्यम माडल प्राथमिक विद्यालय मुसहा प्रथम विकास क्षेत्र गौर में उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में पहचान बना चुका है ।सोमवार को जनपद से पत्रकारों की टीम विद्यालय विजिट करने पहुंची तो विद्यालय के हरे भरे मैदान शैक्षिक गुणवत्ता , बच्चों की उपस्थिती ,शिक्षकों की शिक्षण शैली बेहतर प्रदर्शन दिखाई दिया ।

 पत्रकार टीम के साथ आई राष्टीय हैण्डबाल खिलाड़ी हिना खातून को अपने बीच पाकर बच्चे बहुत खुश हुए और उन्हें बार बार आने का बाल मनुहार भी किया , हिना खातून ने अपने संबोधन में कहा कि  शिक्षा के साथ संस्कारों की भरपूर शिक्षा देखकर मैं बहुत खुश हुई विद्यालय परिवार ने बस्ती जनपद की बेटी का स्वागत किया और दुबारा आने का निमंत्रण भी दिया । 
विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामसजन यादव  ने टीम को बताया कि हमारे विद्यालय में  वर्तमान में कुल 587 बच्चे नामांकित है । आकस्मिकता को छोड़कर  सभी बच्चे उपस्थित रहते हैं ।  उन्होने टीम को बताया मैं आखिरी सांस तक शिक्षा के क्षेत्र में काम करता रहूंगा । विद्यालय परिवार की तरफ से  सहायक अध्यापक  पाकीजा सिद्दकी ,  दशरथ नाथ पाण्डेय जगदीश कुमार  ,अखिलेश त्रिपाठी , शिक्षामित्र विमला देवी ,बिजयकुमार श्रीवास्तव , शंकरा चार्य , प्रेरणा साथी  राम रत्ती और मंजू  ने आए हुए सभी पत्रकार बंधुओं का आभार व्यक्त किया  और अपने अपने संबोधन में  समाज के चौथे स्तम्भ  की सराहना की । विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री राम सजन यादव ने आए हुए सभी पत्रकार साथियों को समृत चिन्ह और अंग बस्त्र देकर सम्मानित किया ।

 विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष अखिलेश कुमार  इसी विद्यालय पर रहे पूर्व  प्रधानाध्यापक उमापति मिश्रा  राम फेर यादव सहित तमाम क्षेत्रिय नागरिकों ने भी आए हुए सभी पत्रकार बंधुवों का स्वागत किया । पत्रकारो की टीम ने भोजन ब्यवस्था का भी जायजा लिया  पत्रकारों की टीम को अपने बीच पाकर रसोइयों ने अपने अल्प मानदेय को लेकर चिंता ब्यक्त किया   रसोइया रामबचन ,रामजीत , कुन्नू देबी, दर्शना देवी  ने भी पत्रकारों से उनके वेतन में वृद्धि के लिए आवाज उठाने की मांग की ।

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सोमवार, 16 मई 2022

जानिए धड़ल्ले से क्यों काटे जा रहे हैं राशन कार्ड और सरकार ने गेहूं निर्यात पर क्यों लगाया रोक

रूस- यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) जारी है. इस बीच कई देशों में खाद्यान्न संकट गहराया हुआ है. मसलन गेहूं के गढ़ कहे जाने वाले इन दोनों राष्ट्रों से कई देशों को होने वाली गेहूं की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित हुई है. ऐसे में भारतीय गेहूं (Indian Wheat) की मांग दुनिया भर में बढ़ी हुई है. नतीजतन देश के अंदर गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक दाम में बिक रहा है. इस बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात से गेहूं के निर्यात पर तत्काल रोक लगा दी है. कारण बताया जा रहा है कि देश में गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) कम होने की वजह से यह फैसला लिया गया है. इस फैसले के बाद से बाजार में भारी उथल-पुथल है. आईए समझने की कोशिश करते हैं कि गेहूं निर्यात पर रोक के पीछे वजह क्या है.

     पिछले साल से कम उत्पादन होने का अनुमान

गेहूं निर्यात के फैसले रोक के पीछे का मुख्य कारण पिछले साल से कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. असल में फरवरी तक पिछले साल से अधिक उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मई में सरकार ने संशोधित अनुमान जारी किए हैं, जिसमें कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है. असल में कृषि व किसान कल्याण विभाग और अर्थ व सांंख्यिकी निदेशालय ने सभी फसलों के कुल उत्पादन को लेकर फरवरी 2022 में अग्रिम अनुमान रिपोर्ट जारी की थी. जिसके तहत वर्ष 2021-22 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन 2020-21 की तुलना में तकरीबन 2 मिलियन टन अधिक होने का अनुमान लगाया था. जारी की गई अग्रिम अनुमान रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020-21 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन 109.59 मिलियन टन हुआ था, वर्ष 2021-22 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन का अग्रिम अनुमान 111.32 मिलियन टन का लगाया गया था, लेकिन मई के पहले सप्ताह में कृषि मंत्रालय ने गेहूं उत्पादन का संशोधित अनुमान जारी किया था. जिसके तहत इस रबी सीजन में 105 मिलियन टन का उत्पादन होने का अनुमान है.

MSP से अधिक भाव में बिक रहा है गेहूं, इससे बढ़ी महंगाई

गेहूं के निर्यात पर लगी रोक का एक मुख्य कारण गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक बिकना भी है. असल में रूस और यूक्रेन की युद्ध की वजह से भारतीय गेहूं की मांग विदेशों में काफी बढ़ गई है. इस वजह से बाजार के खुले बाजारों में गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं. सरकार ने गेहूं का MSP 2015 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया हुआ है, लेकिन मौजूदा समय में बाजार के अंदर गेहूं का भाव प्रतिक्विंटल 2400 रुपये प्रतिक्विंटल तक चल रहा है. नतीजतन सरकारी की तरफ से स्थापित किए गए खरीदी केंद्रों में गेहूं की आवक में रिकार्ड कमी दर्ज की गई है. वहीं बाजार में गेहूं से बने खाद्य उत्पादों के दाम नई ऊंंचाईयों पर हैं.

लक्ष्य से आधी भी नहीं हुई है अब तक खरीद, 13 साल में सबसे कम

रूस-यूक्रेन युद्ध व कम उत्पादन का असर गेहूं के भारतीय बाजार में सबसे अधिक पड़ा है. इस वजह से गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं और गेहूं खरीद की सरकारी प्रक्रिया पूरी तरह से प्रभावित हुई है. आलम यह है कि इस बार MSP पर गेहूं की खरीद अभी तक लक्ष्य से आधी भी नहीं हो पाई है. वहीं इस वर्ष 13 साल में सबसे कम गेहूं खरीद का अनुमान जताया जा रहा है. असल में इस बार सरकार ने 444 टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है. जिसमें से 5 मई तक 156 टन की खरीद ही हुई है. हालांकि इसमें बढ़ोतरी होने का अनुमान है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार 13 साल में सबसे कम गेहूं की खरीद होगी.

निर्यात का रिकार्ड लक्ष्य और फ्री राशन के वायदे से भी बिगड़ा गणित

गेहूं के निर्यात पर लगी रोक के बाद से बाजार में उथल-पुथल है. निर्यात पर रोक का यह फैसला तब लिया गया है. जब बाजार में गेहूं से जुड़े उत्पादों के दाम ऊंचाई पर पहुंचने से शुरू हो गए हैं, लेकिन बाजार के विशेषज्ञ निर्यात पर रोक का कारण निर्यात के रिकार्ड लक्ष्य और फ्री राशन के वायदे को भी मान रहे हैं. असल में सरकार ने बीते साल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, जबकि इस बार गेहूं निर्यात का लक्ष्य 100 लाख टन निर्धारित किया गया हुआ है. जो सीधी तौर पर 45 फीसदी अधिक है. वहीं कई राज्यों ने फ्री राशन बांटने की घोषणा भी की हुई है. ऐसे में गेहूं उत्पादन और सरकारी खरीद में रिकार्ड कमी से दोनों लक्ष्यों के प्रभावित होने की संभावनाएं हैं. जिससे आने वाले दिनों बाजार में गेहूं की कमी हो सकती है.

इस संबंध में कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि बेशक फ्री राशन वितरण और रिकार्ड निर्यात के लक्ष्य पूरा होने हसे देश के अंदर गेहूं की संभावित कमी हो सकती है, लेकिन अभी सरकार को गेहूं की घरेलू खपत के आंकड़े जारी करने हैं, जिसके बाद बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा.

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शनिवार, 14 मई 2022

बस्ती- पानी निकासी की व्यवस्था ने होने से गांव में गंदगी एवं जलजमाव ,ग्रामीणों ने किया नाली निर्माण की मांग

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत साफ सफाई पर काफी ध्यान दिया जा रहा है लेकिन रामनगर विकास खंड के भैसहिया खुर्द बुजुर्ग ग्राम पंचायत के कलंदर नगर पुरवे पर पानी निकासी  की व्यवस्था न होने से गांव में गंदगी एवं जलजमाव का जमावड़ा लगा हुआ है ।

एक सौ से अधिक घरों वालों के कलंदर नगर के इस पुरवे पर इस कदर समस्या व्याप्त है कि गांव के लोगों को अपने घरों के सामने गड्ढे खोदकर पानी जमा किया जाता है जिससे संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी रहती है । गांव में रहने वाली पुष्पा देवी ने बताया कि गांव में पानी निकासी के लिए नाली की व्यवस्था न होने से घर के सामने ही पानी का ढेर जमा हो जाता है जिससे काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
गांव के एक और निवासी अर्जुन कुमार ने बताया कि गांव में जलजमाव की बड़ी समस्या है उन्होंने बताया कि घर के सामने बने गड्ढे में पानी का जमाव जब ज्यादा हो जाता है तो वह बहकर सड़क पर आ जाता है जिससे आने जाने वाले लोगों को भी समस्या होती है एवं गांव के लोगों को भी शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है । गांव के दो दर्जन से ज्यादा लोगों ने पुरवे पर नाली निर्माण की मांग की है।
ग्राम प्रधान राज कुमार चौधरी से जब इस मामले की जानकारी ली गई तब उन्होंने बताया कि गांव में नाली निर्माण एवं आरसीसी सड़क के निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर विकास खंड कार्यालय पर जमा किया गया है काम की स्वीकृति होने के बाद ग्राम सभा में जल्द ही नाली निर्माण करवाकर ग्रामीणों को पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी ।

इस संबंध में खंड विकास अधिकारी सईद अहमद से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि यह मामला संज्ञान में आया है जल्द ही गांव में पानी निकास की व्यवस्था के लिए नाली निर्माण करवाकर के जलजमाव की समस्या को दूर किया जाएगा ।

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गुरुवार, 12 मई 2022

बस्ती- मनरेगा मजदूरों को काम की जगह मशीनों से हो रहा खुदाई और मरम्मत कार्य

सौरभ वीपी वर्मा

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत गांव के लोगों को उनके ही पड़ोस में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा योजना पारित किया गया है ताकि गांव से पलायन करने वाले लोगों को गांव में हो रोजगार की सुविधा मिल सके लेकिन कमीशन खोरी और बंदरबांट की प्रथा ने मनरेगा योजना की धज्जियां उड़ा दी है ।

मनरेगा योजना के लिए सरकार द्वारा जो बजट पेश किया जाता है देखने को मिल रहा है कि उसमें से 70 फीसदी से ज्यादा पैसा मशीनों से काम करवाने में खर्च हो जा रहा है जबकि यह पैसा इस उद्देश्य से दिया जाता ताकि ग्रामीण स्तर के श्रमिक एवं मजदूर वर्ग के लोगों को गांव में ही रोजगार मिले एवं ग्राम पंचायत में कच्चे कार्यों और जल ,जंगल आदि का संरक्षण हो सके लेकिन अधिकांश ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रहा है की मनरेगा की जो वास्तविक नीति है उसे दरकिनार करके मनमर्जी तरीके से पैसे को खर्च कर आ रहा है एक तरफ लोगों को रोजगार मिलने में भी समस्या हो रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार जो ग्रामीण स्तर पर धरोहरों को बचाना चाहती है उसमें भी पूरी तरह से फेल है ।

मनरेगा योजना की समीक्षा करने की जरूरत 

अगर मनरेगा योजना की बात किया जाए तो लगता है कि अब सरकार को भी इस पर समीक्षा बैठक करने की आवश्यकता है क्योंकि जब मनरेगा मजदूरी ₹202 रुपया दिया जा रहा है तब मजदूरों को जीवन यापन करने के लिए यह पैसा बिल्कुल कम है इसलिए मजदूरों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है जिसका परिणाम है कि ग्राम पंचायतों को कार्य करने के लिए मनरेगा योजना के तहत या तो मशीनों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है या फिर ठेका प्रथा से मनरेगा योजना के कार्यों को पूरा करवाया जा रहा है ।
 ग्राम पंचायत में जेसीबी मशीन से मनरेगा योजना के तहत तालाब खुदाई का कार्य ।

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बुधवार, 11 मई 2022

नजरिया- ऐसा ही रहा तो भारत का भी होगा श्रीलंका जैसा हश्र ,देश में भी स्थिति बेकाबू

सौरभ वीपी वर्मा
नेताओं के राजशी ठाठ और ऐशो इशरत का देन है कि अधिकतर देश कंगाली के मुहाने पर खड़े हैं । वेनेजुएला की स्थिति आप लोग देख ही रहे थे कि  अब श्रीलंका की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से डगमगा गई और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे को अंततः अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा ।
                            Saurbh vp verma
आपको क्या लगता है इस तरह के ताजपोशी और इस्तीफा से महिंद्रा राजपक्षे का बाल बांका होगा या श्रीलंका पीपुल्स फ्रीडम अलायंस को कोई नुकसान होगा । ऐसा कुछ नहीं होने वाला है अगर किसी का नुकसान और किसी का बाल बांका होगा तो श्रीलंका की दो करोड़ 19 लाख आबादी की होगी , वहां के युवाओं और किसानों की होगी , वहां के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार की होगी वहां के छात्रों और बेरोजगारों की होगी ।

श्रीलंका की राजपक्षे फैमिली की बात करने से क्या मतलब है जब वहां के बजट का 70 फ़ीसदी पैसा वहां कि राजपक्षे परिवार के कंट्रोल में रहता है । अगर चिंता करने की जरूरत है तो वहां के मतदाताओं की है जिन्हें अनेको लोकलुभावन वादों की तरफ आकर्षित करके सरकार ने लाकर सड़क पर खड़ा कर दिया।

अगर आप यह भी सोच रहे हैं कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था खराब होने से हमें क्या दिक्कत है तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि आपके नेताओं ने भी इस देश का वही हश्र किया है जैसा कि राजपक्षे सरकार ने किया  है ।

क्या यह विचार करने योग्य नही है कि भारत के माननीय लोगों की खातिरदारी और ख्याति के लिए देश भर में अरबो रुपये की संपत्ति फिजूलखर्ची में चला जाता है , जबकि इसी देश में 22 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे पेट सोने के लिए हर दिन मजबूर होते हैं । यह तो मात्र एक उदाहरण है , उनकी लग्जरी व्यवस्था के लिए भी करोड़ो रुपया बर्बाद कर दिया जाता है जबकि देश में लाखों लोगों की स्थिति यह है कि उन्हें घास फूस की व्यवस्था में जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है । देश में बढ़ती महंगाई ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार एवं असमानता बेकाबू है लेकिन मौजूदा सरकार के पास इससे निपटने का कोई विकल्प नहीं दिखाई दे रहा है ।

ऐसा नही है कि यह दिन आप पर कभी आएगा ,वह आपके साथ चल रहा है लेकिन सच तो यह है कि आप दबी ,कुचली ,खोखली व्यवस्था में जीने की आदत में ढल चुके हो इस लिए आपके लिए बढ़ती महंगाई ,बेरोजगारी , असमानता कोई मायने नहीं रखता है । आपकी समझ में यह बात तब आएगी जब पूरे देश को यहां के व्यापारी नेताओं द्वारा कारपोरेट घरानों को ठेके पर दे दिया जाएगा । और देश को चलाने वाले ठेकेदार अपनी मर्जी से यहां की जनता पर हुकूमत गाँठेंगे ।

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मंगलवार, 10 मई 2022

मौसम विभाग की चेतावनी 11 और 12 मई को पूर्वी उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ बारिश

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में इस हफ्ते एक बार फिर बदला हुआ मौसम देखने को मिल सकता है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, चक्रवाती तूफान असानी धीरे-धीरे पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहा है. इस कारण यहां के कई जिलों में तेज हवाएं और बारिश देखने को मिल सकती हैं.

मौसम विभाग की ओर से इसे लेकर चेतावनी भी जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि 11 और 12 मई को पूर्वी उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ तेज तूफानी हवाएं और बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, पूर्वी यूपी में 14 मई तक बूंदाबांदी की संभावना है.

मौसम विभाग के मुताबिक, चक्रवाती तूफान असानी सिंघली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब क्रोध है. बंगाल की खाड़ी में आया यह तूफान 13 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है. अगले 12 घंटों में इस चक्रवाती तूफान के और तीव्र होने की आशंका है. इस वजह से आने वाले कुछ दिनों में पूर्वी यूपी के महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, बलरामपुर, बलिया और श्रावस्ती समेत आसपास के जिलों में 14 मई तक हल्की बारिश हो सकती है.

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शनिवार, 7 मई 2022

बस्ती- कूप मरम्मत के नाम पर लाखों का गोलमाल , शिकायत के बाद कछुआ चाल चल रहे जांच अधिकारी

सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती- ग्राम पंचायत के समग्र एवं समेकित विकास के लिए सरकार द्वारा राज्य वित्त ,केंद्रीय वित्त एवं मनरेगा के जरिये लाखों रुपये का बजट दिया जाता है ताकि ग्राम पंचायत विकास के पायदान पर ऊपर जा सके लेकिन ग्राम पंचायत के धन को बंदरबांट करने के लिए स्थानीय जिम्मेदार लोगों द्वारा नाना प्रकार का षणयंत्र तैयार कर लीपापोती करके लाखों का धनराशि डकार लिया जाता है । 

इसी प्रकार  इस कूप के अंदर दिखाई दे रहा पीपल का पेड़ भी इस बात का गवाह है कि इस कूप पर न तो ज्यादा ईंटें लगाई गई हैं और न ही ज्यादा खर्च आया होगा लेकिन जनपद के रुधौली ब्लॉक के अंतर्गत छपिया ग्राम पंचायत में प्रधान ,सचिव और जेई के मिलीभगत से इसी प्रकार के दो कूप मरम्मत के नाम पर 1,74,851 रुपया सरकारी खजाने से निकाल लिया गया।
ग्राम पंचायत छपिया में परमात्मा पाण्डेय एवं रामजी पाण्डेय के घर के सामने  वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्राम पंचायत द्वारा कूप मरम्मत का कार्य दिखाया गया है । लेकिन कुआं को देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत द्वारा फर्जी बिल बाउचर तैयार कर खर्च की गई धनराशि से 10 गुना से ज्यादा रुपये का भुगतान कर लिया गया है।

इस भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी बस्ती से की गई जहां पर जांच की बात कही गई लेकिन महीनों बीत जाने के बाद अभी तक जांच अधिकारियों के रिपोर्ट का कोई पता नही चल पाया । 

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शुक्रवार, 6 मई 2022

विद्युत विभाग की ताबड़तोड़ कारवाई से बिजली चोरों में दहशत

विद्युत विभाग की ताबड़तोड़ कारवाईसे बिजली चोरों में दहशत 

 

शासन के निर्देश पर उत्तर प्रदेश, मिर्जापुर विंध्याचल में विद्युत विभाग द्वारा विगत दो पखवाड़े से बिजली चोरी के विरूद्ध व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। अष्टभुजा मंदिर के समीप, मां विंध्यवासिनी मंदिर के समीप, बरतर स्टैंड समेत कई मोहल्लों में तीन दर्जन के विरूद्ध बिजली चोरी में मुकदमा पंजीकृत कराया गया है। पूर्व सभासद, गेस्ट हाउस संचालक, दुकानदार एवम घरेलू मीटर बाईपास कर चोरी करने वालों के विरूद्ध कारवाई की गई है।मॉर्निंग रेड, औचक निरीक्षण व कांबिंग अभियान चलाया जा रहा है। लगभग 110 किलोवॉट की चोरी के विरूद्ध लगभग एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। 

संभ्रांत स्थानीय की मानें तो विगत दो दशकों में विद्युत विभाग की यह सबसे बड़ी कारवाई है। इस कारवाई के बाद कतिपय लोगों द्वारा स्थानीय उपकेंद्र के अवर अभियंता पर अनर्गल आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। दर्जनों फर्जी शिकायतें स्थानीय थाने में दी गई हैं। जिसके स्थलीय निरीक्षण में झूठी शिकायतों का पर्दाफाश हो चुका है। कुछ मनबढ़ प्रवृत्ति के लोगों द्वारा कारवाई के बाद दबाव बनाने की नीयत से न्यायालय में 156(3) के तहत मनगढ़ंत आवेदन दिया गया है। झूठी शिकायतों के अंबार के बीच विभाग की कारवाई बदस्तूर जारी है दर्जनों लोगों द्वारा स्वयं आगे आकर मीटर लगवाया जा रहा है एवम स्वयं घर का लोड बढ़वाया जा रहा है। अवर अभियन्ता ने बताया कि कारवाई से परेशान तथाकथित पत्रकारों को मानहानि का नोटिस भेजा जा रहा है। शासन की मंशानुरूप कारवाई होती रहेगी। शासन का निर्देश मिला है कि लाइन लॉस कम किया जाना है। 

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WHO ने कहा भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत, भारत ने दर्ज कराई आपत्ति

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने दावा किया है कि भारत मे कोरोना से 47 लाख मौतें हुई हैं. जबकि भारत में कोविड-19 से कुल मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 5.2 लाख के करीब है. यानी भारत के आधिकारिक आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा. डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को ये भी दावा किया है कि दुनियाभर में कोरोना से साल 2020-2021 में सभी देशों की तरफ से दिए गए आंकडों से 1 करोड़ 49 लाख ज्यादा मौतें हुईं हैं. उसका कहना है कि  84% मौतें केवल दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुई हैं. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा, इस डेटा पर हमें आपत्ति है.WHO के मॉडल, डेटा कलेक्शन, डेटा सोर्स, प्रक्रिया ( मेथोडोलॉजी) पर सवाल है. हम चुप नहीं रहेंगे, सभी ऑफिशियल चैनल का हम इस्तेमाल करेंगे और इस डेटा की आपत्ति को हम Executive बोर्ड में रखेंगे.

केंद्रीय अधिकारी ने कहा, 17 राज्यों के आधार पर डेटा जारी तो 17 राज्यों को किस आधार पर चुना गया? हमें लगातार पूछने पर 4 महीने बाद इन राज्यों के नाम बताए गए. कब तक या किस वक्त तक का डेटा WHO ने लिया, जानकारी नहीं दी. नवंबर से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने WHO को इस संबंध में 10 चिट्ठियां लिखीं पर जवाब किसी का WHO ने नहीं दिया.WHO के महानिदेशक टेड्रोस के भारत दौरे पर इस तरह के डाटा को लेकर सवाल उठाया गया उन्होंने कहा : "हमारी टेक्निकल टीम इसको देख रही है." मौत के ये आंकड़े राज्यों की वेबसाइट, अखबारों में RTI के हवाले से छपी खबरें और टेलीफोनिक सर्वे के ज़रिए लिया गया है.ऑफिशियल डेटा हमसे क्यों नहीं लिया गया?


इन राज्यों के आधार पर मौत के आंकड़े : महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़ बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और यूपी हैं. WHO की दलील इन राज्यों में भारत की 60% आबादी है. हमने 2020 का डेटा दिया. 2021 का डेटा आने वाला है तो हम देंगे. हमारा डेटा बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से आता है, जो आने वाला है औऱ आते ही हम इसे साझा करते हैं. हमें tier 2 में क्यों रखा गया? जबकि छोटे छोटे देश जहां आंकड़ा सम्मिलित करने का सही मैकेनिज्म नहीं वो tier 1 में कैसे?

सरकार ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का  ये डेटा पूरी तरह से वास्तविकता से परे है. उनका डेटा संकलन न तो किसी सांख्यिकी मॉडल और न ही किसी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है. दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच भारत में कोरोना से 47 लाख मौतें होने का दावा किया है और इसे दुनिया में मौतों के कुल आंकड़े का एक तिहाई बताया है. रिपोर्ट में कोरोना से दुनिया भर में 1.5 करोड़ मौतें होने का दावा किया गया है, जबकि आधिकारिक आंकड़ा करीब 60 लाख का है. भारत में इस दौरान आधिकारिक तौर पर करीब 5.2 लाख मौतें दर्ज हुई हैं. 

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बुधवार, 4 मई 2022

खाकी पर दाग : कमरे में बंद कर थानाध्यक्ष ने नाबालिग से किया दुष्कर्म, मामला सामने आने के बाद हड़कंप

ललितपुर जिले के एक थानाध्यक्ष ने पुलिस महकमे को शर्मशार कर दिया है। बयान दर्ज कराने पहुंची 13 साल की बालिका के साथ थानाध्यक्ष द्वारा उसे कमरे में ले जाकर रेप की घटना ने पुलिस महकमें में हड़कंप मचा दिया है। बताया गया मामले के बाद से ही थाना अध्यक्ष फरार है।
चाइल्ड लाइन को पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाई जिसके बाद थानाध्यक्ष और एक महिला सहित 6 लोगों पर रेप का मामला दर्ज किया गया है। मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं घटना के बाद से फरार हुए थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक ने आरोपितों को पकडने के लिए टीमें गठित की हैं।

सोमवार को ललितपुर चाइल्ड लाइन की टीम 13 साल की नाबालिग किशोरी व उसकी मां को लेकर पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची। पीड़िता की मां ने बताया कि 22 अप्रैल को कस्बा पाली निवासी चंदन, राजभान, हरीशंकर व महेंद्र चौरसिया द्वारा उसकी 13 वर्षीय नाबालिग पुत्री को बहला फुसलाकर भोपाल ले जाया गया। जहां पर उसकी पुत्री को तीन दिन लगातार स्टेशन के पास गलियों में छिपाकर रखे रहे और उसके साथ लगातार रेप करते रहे।

मां के अनुसार 25 अप्रैल को चारों लड़के उसकी पुत्री को थाने में दरोगा के पास छोड़कर भाग गये। दरोगा ने लड़की को उसकी मौसी को सौंप दिया। 27 अप्रैल की सुबह थाने में लड़की को फिर से बुलाया गया। थाने में लड़की का बयान लिया गया और शाम हुई तो थानाध्यक्ष तिलकधारी सरोज द्वारा लड़की के साथ कमरे में ले जाकर रेप किया गया। बाद में लड़की को उसकी मौसी को सौंप दिया गया, जिसकी कोई भी सूचना लड़की के माता पिता को नहीं मिली।

यही नहीं 30 अप्रैल को लड़की को पुनः थाने में बुलाया और थानाध्यक्ष द्वारा बच्ची को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया गया। जब चाइल्ड लाइन में बच्ची की कांउसलिंग की गई तो बच्ची द्वारा यह सारी घटना बताई गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपी थानाध्यक्ष पाली तिलकधारी सिंह सरोज, चंदन, राजभान, हरीशंकर, महेन्द्र चौरसिया व एक महिला के विरुद्ध धारा 363, 376, 376बी, 120बी व पोक्सो एक्ट एवं एससी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

इधर पुलिस अधीक्षक निखिल पाठक ने बताया कि मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं थानाध्यक्ष को निलंबित कर लाइन में अटैच किया गया था, लेकिन थानाध्यक्ष फरार हो गया है। उन्होंने बताया कि आरोपितों को पकड़ने के लिए टीमें लगी हुई हैं, वहीं नाबालिग पीड़िता का मेडीकल परीक्षण कराया गया है।

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सोमवार, 2 मई 2022

कोरोना के बढ़ते मामले के चलते यूपी के इस शहर में लगा कर्फ्यू, सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्रम पर रोक

नई दिल्ली : देश में कोरोना के मामले (Corona Cases) बढ़ रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर पाबंदियां बढ़ रही हैं. दिल्‍ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिन्‍हें प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया है. कोरोना के मामलों में इजाफे और आगामी त्‍योहारी सीजन को देखते हुए प्रशासन की ओर से पाबंदियों को बढ़ाया जा रहा है. इसके मद्देनजर गौतम बुद्ध नगर में धारा 144 लागू कर दी गई है. फिलहाल यह धारा 31 मई तक के लिए लागू की गई है. साथ ही गौतम बुद्ध नगर कमिश्‍नरेट के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है. 

                     प्रतीकात्मक तस्वीर

गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्‍नरेट ने एक बयान में कहा, "उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी को भी विरोध प्रदर्शन या भूख हड़ताल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सार्वजनिक स्थानों पर पूजा और नमाज अदा करने की अनुमति भी नहीं होगी."

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