बस्ती-पंचायत भवन का ताला तोड़कर सामान चोरी ,कुर्सी मेज और विद्युत बोर्ड को भी तोड़ा
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नैतिकता,प्रमाणिकता,निष्पक्षता
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बस्ती- जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर करने का प्रस्ताव सचिव राजस्व परिषद को भेज दिया है 12वीं बार भेजे गए इस प्रस्ताव में डीएम ने बताया है कि जिले का नाम बदलने पर कोई अतिरिक्त शासकीय व्यय नहीं होगा। इस आशय की रिपोर्ट लोक निर्माण विभाग ने भी दी है।
बता दें कि तीन वर्ष पूर्व क्षेत्रीय नागरिकों और विभिन्न संस्थाओं ने जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर करने के लिए ज्ञापन शासन को भेजा था। जनप्रतिनिधियों ने भी इस बाबत कई बार पत्र मुख्यमंत्री समेत राज्यपाल व अन्य उच्चाधिकारियों को भेजा था जिसके क्रम में राजस्व परिषद ने बस्ती के जिलाधिकारी से नाम बदलने का प्रस्ताव मांगते हुए यह पूछा था कि नाम बदलने के लिए कितना खर्च आएगा। पूर्व में जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में यह बताया गया था कि बस्ती का नाम वशिष्ठ नगर करने के लिए एक करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस पर राजस्व परिषद ने संपूर्ण आख्या मांगी थी कि किन मदों में रुपये खर्च किए जाएंगे।
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बस्ती- भानपुर तहसील क्षेत्र के बस्थनवा गांव में बुद्धवार को दिन में 12 बजे अज्ञात कारणों से रिहायशी झोपड़ी में आग लग गई जिससे अनाज , कपड़ा एवं चारपाई समेत कुछ नगदी जलकर राख हो गया ।
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पंजाब -भ्रष्टाचार को लेकर सख्त तेवर दिखाते हुए पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बहुत बड़ी कार्रवाई की है. भगवंत मान ने भ्रष्टाचार के आरोप में अपने स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को मंत्रिमंडल से हटा दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय सिंगला ने ठेके देते हुए एक परसेंट कमीशन की मांग रखी थी. विजय सिंगला के खिलाफ पक्के सबूत मिलने के बाद भगवंत मान ने विजय सिंगला को मंत्री पद से हटाया है.Punjab Chief Minister Bhagwant Man Singh sacks Health Minister
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार एक रुपए की बेईमानी भी बर्दाश्त नहीं करेगी. मान ने कहा कि लोगों की उम्मीद बनकर यह सरकार आई है.
भगवंत मान ने कहा, ''केजरीवाल ने हमसे कहा था कि वह एक रुपए का भी भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे. मेरे ध्यान में एक मामला आया था. सरकार का एक मंत्री हर टेंडर में एक प्रतिशत का कमिशन मांग रहा था. इस केस के बारे में केवल मुझे पता था. मैं चाहता तो इसे दबा सकता था लेकिन मैं लोगों का भरोसा नहीं तोड़ सकता था. मैंने अशोक सिंगला को बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने अपना गुनाह कबूल भी किया है.''
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यूपी- राजधानी लखनऊ में स्थित विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान लाइट चली गई. इसके बाद अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन (Executive Engineer Transmission) सहित 3 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया. वहीं एक अधिकारी को बर्खास्त भी किया गया है.
सस्पेंड होने वाले अधिकारियों में अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन संजय पासवान, उपखंड अधिकारी (Subdivision officer) पुष्पेश गिरी और अवर अभियंता (junior engineer) अमर राज शामिल हैं. वहीं, उपकेंद्र परिचालक (sub station operator) दीपक शर्मा की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं.
बिजली विभाग के कर्मचारियों पर ट्रांसमिशन उपखंड मार्टिनपूरवा लाइन ट्रिप होने पर कार्रवाई की गई है. लाइन ट्रिप होने पर विधानसभा समेत आसपास के इलाकों में बिजली गुल हो गई थी.
सोमवार को ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आंधी-तूफान, बारिश एवं आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं से प्रभावित जनपदों के जिलाधिकारियों को पीड़ित व्यक्तियों, परिवारों को तत्काल राहत वितरित करने के निर्देश दिए हैं.
सीएम योगी ने कहा कि दैवीय आपदा को देखते हुए जनपदों में राहत कार्य प्रभावी रूप से कराया जाए. उन्होंने घायलों की समुचित चिकित्सीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए. सीएम ने जनहानि, पशुहानि तथा फसल क्षति के संबंध में आकलन कराकर विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
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23 मई को पश्चिम बंगाल, सिक्किम के कुछ हिस्सों, मिजोरम, त्रिपुरा, केरल के कुछ हिस्सों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उत्तरी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 23 मई को पश्चिमी हिमालय और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। 23 मई को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि की गतिविधियां हो सकती हैं।पूर्वोत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
उत्तर और पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एक या दो स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के कुछ हिस्सों में अलग-अलग ओलावृष्टि गतिविधियों के साथ धूल भरी आंधी, गरज के साथ छींटे पड़ सकते हैं।
कोंकण और गोवा, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र, रायलसीमा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश संभव है।
साभार: skymetweather.com
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दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन का प्रयास करने वाली संस्था Oxfam ने अपनी ताजा रिपोर्ट पब्लिश की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे महामारी के दो सालों में दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति जबरदस्त तेजी से दोगुनी हुई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 700 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई. यानि कि इनकी संपत्ति हर दिन औसतन 1.3 बिलियन डॉलर की रफ्तार से बढ़ी.
Bloombergने ऑक्सफैम की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पिछले साल जब देश भयंकर दूसरी लहर से जूझ रहा था, लोग स्वास्थ्य सुविधाएं वक्त न मिल पाने के कारण मर रहे थे और श्मशानों में लाशें पटी हुई थीं, तब देश में 40 नए लोग अरबपति बन गए. इन लोगों के पास कुल मिलाकर 720 बिलियन डॉलर की संपत्ति है. अगर भारत की 40 फीसदी जनसंख्या की कुल संपत्ति मिला दें तो भी ये उससे ज्यादा ही होगा.
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने पिछले साल अपनी संपत्ति में 1 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि देखी है. अकेले भारत की बात करें तो देश में अरबपतियों की संख्या इतनी हो चुकी है कि अगर फ्रांस, स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड- तीनों देश के अरबपतियों को जोड़ लें तो भी उनकी संख्या भारत से कम होगी.
रिपोर्ट की मानें तो 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा देने के लिए पर्याप्त है. भारत में पिछले साल अरबपतियों की संख्या 39 प्रतिशत बढ़कर 142 हो गई.
अगर सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा दिया जाए, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं
142 भारतीय अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर (53 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति है. देश के सबसे अमीर 98 लोगों की कुल संपत्ति, सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है.
- अगर 10 सबसे अमीर भारतीय अरबपतियों को प्रतिदिन 10 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च करने हों तो उनकी वर्तमान संपत्ति 84 साल में खत्म होगी. इन अरबपतियों पर वार्षिक संपत्ति कर लगाने से हर साल 78.3 अरब अमेरिकी डॉलर मिलेंगे, जिससे सरकारी स्वास्थ्य बजट में 271 प्रतिशत बढ़ोतरी हो सकता है.
- रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है. महामारी के दौरान सबसे धनी 10 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्रीय संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि नीचे की 50 प्रतिशत आबादी के हिस्से सिर्फ छह प्रतिशत राशि आई.
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नई दिल्ली : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट से जुड़े केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को शनिवार को जमानत दे दी. कोर्ट ने रतन लाल को जमानत देते हुए कहा, " किसी व्यक्ति द्वारा महसूस की गई चोट की भावना पूरे समूह या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती है और आहत भावनाओं के बारे में ऐसी किसी भी शिकायत को तथ्यों के पूरे स्पेक्ट्रम पर विचार करते हुए इसके संदर्भ में देखा जाना चाहिए."
सशर्त कोर्ट ने प्रोफेसर को दी जमानत
हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि रतन लाल को ऐसी पोस्ट से बचना चाहिए. अब जमानत के दौरान वो ना कोई पोस्ट करेंगे और न ही इंटरव्यू देंगे. गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किए रतन लाल को पुलिस ने शनिवार को कोर्ट में पेश किया था.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर रतनलाल की रिमांड नही मांगी थी. पुलिस ने कहा था कि आरोपी की न्यायिक हिरासत चाहिए. एक पढ़े लिखे आदमी से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती. ये केवल सोशल मीडिया पोस्ट नहीं था, बल्कि इसे यूट्यूब में भी डालने के लिए कहा जा रहा था. आरोपी आगे ऐसी गलती न करे, इसके लिए पुलिस उसे बिना नोटिस दिए, सीआरपीसी 41A के तहत गिरफ्तार कर सकती है.
जज ने पुलिस से किए सवाल
पुलिस की दलील पर जज ने पूछा कि सोशल मीडिया में पोस्ट कब किया गया? आगे अगर इसे सोशल मीडिया पर डिस्कस किया जाएगा तो क्या हर बार नया अपराध माना जायेगा? इसका जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि केवल यही पोस्ट नहीं बल्कि आरोपी ने यूट्यूब पर भी अपने पोस्ट को सही ठहराया. इस पर जज ने पूछा कि ऐसे कितने वीडियो हैं?
अदालत को जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि दो वीडियो हैं. ऐसे में आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत पर भेजा जाए. जबकि रतन लाल के वकील ने कहा कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है. गिरफ्तारी छोड़िए, इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होनी चहिए. अभी तक सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है. ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है. अगर किसी व्यक्ति की सहनशक्ति कम है, तो उसके लिए रतन कैसे ज़िम्मेदार हो सकते हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां हर किसी को बोलने की आजादी है. ये एफआईआर रद्द होनी चाहिए. ऐसे में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए कोर्ट ने रतन को जमानत दे दी.
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देश में असमानता की स्थिति को लेकर पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद की एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट का मकसद सरकार को देश में सामाजिक प्रगति और साझा समृद्धि के लिए सुधार की रणनीति और रोडमैप तैयार करने में सहायता करना है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने भारत में असमानता की स्थिति पर जारी की गई रिपोर्ट सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए एक गारंटीकृत रोजगार कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और आय में अंतर को पाटने के लिए एक सार्वभौमिक बुनियादी आय योजना शुरू करनी चाहिए.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 5-7 प्रतिशत हिस्सा है. वहीं लगभग 15 प्रतिशत कामकाजी आबादी ₹ 5,000 (लगभग $ 64) प्रति माह से कम कमाती है. जबकि औसतन ₹ 25,000 प्रति माह कमाने वाले कुल वेतन वर्ग के शीर्ष 10 प्रतिशत में आते हैं, जो कुल आय का लगभग 30-35 फीसदी है. रिपोर्ट से साफ जाहिर हो रहा है कि भारत में शीर्ष 1 प्रतिशत की आय में वृद्धि दिखाई देती है जबकि निचले 10 प्रतिशत की आय घट रही है.एनएफएचएस 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच घरेलू संपत्ति में बहुत बड़ा अंतर है. विशेष रूप से, 50 प्रतिशत से अधिक परिवार धन संकेंद्रण (लगभग 54.9 प्रतिशत) के निचले अनुपात में आते हैं. जिससे भारत में असमानता साफ नजर आती है.
भारत का लक्ष्य $ 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनना है, लेकिन इस असमानता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई देश अपनी सामाजिक प्रगति और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में कितनी दूर है. शीर्ष एक प्रतिशत लोगों के पास 22 प्रतिशत आय है, संपन्न 10 प्रतिशत लोगों के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत है तो वहीं दूसरी ओर, 50 प्रतिशत यानी कुल आबादी के आधे लोगों के पास 13 प्रतिशत आमदनी है. सरकार ने भले ही इस रिपोर्ट को खारिज़ कर दिया हो लेकिन कोरोना महामारी की त्रासदी और आए दिन बेरोज़गार होते लोगों की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है.
रिपोर्ट में कहा गया क 'ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में श्रम शक्ति भागीदारी दर के बीच अंतर को देखते हुए यह हमारी समझ है कि मनरेगा जैसी योजनाओं को शहरी क्षेत्र में भी लागू किया जाना चाहिए. दरअसल मनरेगा मांग आधारित योजना है और ऐसी ही गारंटीकृत रोजगार की पेशकश शहरों में की जानी चाहिए ताकि अधिशेष श्रम को समायोजित किया जा सके.' आपको बता दें कि यह रिपोर्ट गुड़गांव स्थित इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पीटिटिवनेस द्वारा तैयार की गई है और इसको बुधवार को आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा जारी किया गया.
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उत्तर प्रदेश अपराध के मामले में भारत (India) के कई राज्यों से आगे है. यूपी के बलिया जिले (Ballia District) की एक अदालत ने अपने बेटे और बेटी की हत्या के छह साल पुराने मामले में एक व्यक्ति को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है
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रूस- यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) जारी है. इस बीच कई देशों में खाद्यान्न संकट गहराया हुआ है. मसलन गेहूं के गढ़ कहे जाने वाले इन दोनों राष्ट्रों से कई देशों को होने वाली गेहूं की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित हुई है. ऐसे में भारतीय गेहूं (Indian Wheat) की मांग दुनिया भर में बढ़ी हुई है. नतीजतन देश के अंदर गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक दाम में बिक रहा है. इस बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात से गेहूं के निर्यात पर तत्काल रोक लगा दी है. कारण बताया जा रहा है कि देश में गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) कम होने की वजह से यह फैसला लिया गया है. इस फैसले के बाद से बाजार में भारी उथल-पुथल है. आईए समझने की कोशिश करते हैं कि गेहूं निर्यात पर रोक के पीछे वजह क्या है.
पिछले साल से कम उत्पादन होने का अनुमानगेहूं निर्यात के फैसले रोक के पीछे का मुख्य कारण पिछले साल से कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. असल में फरवरी तक पिछले साल से अधिक उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मई में सरकार ने संशोधित अनुमान जारी किए हैं, जिसमें कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है. असल में कृषि व किसान कल्याण विभाग और अर्थ व सांंख्यिकी निदेशालय ने सभी फसलों के कुल उत्पादन को लेकर फरवरी 2022 में अग्रिम अनुमान रिपोर्ट जारी की थी. जिसके तहत वर्ष 2021-22 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन 2020-21 की तुलना में तकरीबन 2 मिलियन टन अधिक होने का अनुमान लगाया था. जारी की गई अग्रिम अनुमान रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020-21 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन 109.59 मिलियन टन हुआ था, वर्ष 2021-22 में रबी सीजन के दौरान गेहूं का उत्पादन का अग्रिम अनुमान 111.32 मिलियन टन का लगाया गया था, लेकिन मई के पहले सप्ताह में कृषि मंत्रालय ने गेहूं उत्पादन का संशोधित अनुमान जारी किया था. जिसके तहत इस रबी सीजन में 105 मिलियन टन का उत्पादन होने का अनुमान है.
गेहूं के निर्यात पर लगी रोक का एक मुख्य कारण गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक बिकना भी है. असल में रूस और यूक्रेन की युद्ध की वजह से भारतीय गेहूं की मांग विदेशों में काफी बढ़ गई है. इस वजह से बाजार के खुले बाजारों में गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं. सरकार ने गेहूं का MSP 2015 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया हुआ है, लेकिन मौजूदा समय में बाजार के अंदर गेहूं का भाव प्रतिक्विंटल 2400 रुपये प्रतिक्विंटल तक चल रहा है. नतीजतन सरकारी की तरफ से स्थापित किए गए खरीदी केंद्रों में गेहूं की आवक में रिकार्ड कमी दर्ज की गई है. वहीं बाजार में गेहूं से बने खाद्य उत्पादों के दाम नई ऊंंचाईयों पर हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध व कम उत्पादन का असर गेहूं के भारतीय बाजार में सबसे अधिक पड़ा है. इस वजह से गेहूं के दाम MSP से अधिक चल रहे हैं और गेहूं खरीद की सरकारी प्रक्रिया पूरी तरह से प्रभावित हुई है. आलम यह है कि इस बार MSP पर गेहूं की खरीद अभी तक लक्ष्य से आधी भी नहीं हो पाई है. वहीं इस वर्ष 13 साल में सबसे कम गेहूं खरीद का अनुमान जताया जा रहा है. असल में इस बार सरकार ने 444 टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है. जिसमें से 5 मई तक 156 टन की खरीद ही हुई है. हालांकि इसमें बढ़ोतरी होने का अनुमान है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार 13 साल में सबसे कम गेहूं की खरीद होगी.
गेहूं के निर्यात पर लगी रोक के बाद से बाजार में उथल-पुथल है. निर्यात पर रोक का यह फैसला तब लिया गया है. जब बाजार में गेहूं से जुड़े उत्पादों के दाम ऊंचाई पर पहुंचने से शुरू हो गए हैं, लेकिन बाजार के विशेषज्ञ निर्यात पर रोक का कारण निर्यात के रिकार्ड लक्ष्य और फ्री राशन के वायदे को भी मान रहे हैं. असल में सरकार ने बीते साल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, जबकि इस बार गेहूं निर्यात का लक्ष्य 100 लाख टन निर्धारित किया गया हुआ है. जो सीधी तौर पर 45 फीसदी अधिक है. वहीं कई राज्यों ने फ्री राशन बांटने की घोषणा भी की हुई है. ऐसे में गेहूं उत्पादन और सरकारी खरीद में रिकार्ड कमी से दोनों लक्ष्यों के प्रभावित होने की संभावनाएं हैं. जिससे आने वाले दिनों बाजार में गेहूं की कमी हो सकती है.
इस संबंध में कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल कहते हैं कि बेशक फ्री राशन वितरण और रिकार्ड निर्यात के लक्ष्य पूरा होने हसे देश के अंदर गेहूं की संभावित कमी हो सकती है, लेकिन अभी सरकार को गेहूं की घरेलू खपत के आंकड़े जारी करने हैं, जिसके बाद बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा.
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में इस हफ्ते एक बार फिर बदला हुआ मौसम देखने को मिल सकता है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक, चक्रवाती तूफान असानी धीरे-धीरे पूर्वी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ रहा है. इस कारण यहां के कई जिलों में तेज हवाएं और बारिश देखने को मिल सकती हैं.
मौसम विभाग की ओर से इसे लेकर चेतावनी भी जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि 11 और 12 मई को पूर्वी उत्तर प्रदेश में गरज-चमक के साथ तेज तूफानी हवाएं और बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, पूर्वी यूपी में 14 मई तक बूंदाबांदी की संभावना है.
मौसम विभाग के मुताबिक, चक्रवाती तूफान असानी सिंघली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब क्रोध है. बंगाल की खाड़ी में आया यह तूफान 13 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है. अगले 12 घंटों में इस चक्रवाती तूफान के और तीव्र होने की आशंका है. इस वजह से आने वाले कुछ दिनों में पूर्वी यूपी के महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, गोरखपुर, आजमगढ़, बलरामपुर, बलिया और श्रावस्ती समेत आसपास के जिलों में 14 मई तक हल्की बारिश हो सकती है.
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नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने दावा किया है कि भारत मे कोरोना से 47 लाख मौतें हुई हैं. जबकि भारत में कोविड-19 से कुल मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 5.2 लाख के करीब है. यानी भारत के आधिकारिक आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा. डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को ये भी दावा किया है कि दुनियाभर में कोरोना से साल 2020-2021 में सभी देशों की तरफ से दिए गए आंकडों से 1 करोड़ 49 लाख ज्यादा मौतें हुईं हैं. उसका कहना है कि 84% मौतें केवल दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुई हैं. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा, इस डेटा पर हमें आपत्ति है.WHO के मॉडल, डेटा कलेक्शन, डेटा सोर्स, प्रक्रिया ( मेथोडोलॉजी) पर सवाल है. हम चुप नहीं रहेंगे, सभी ऑफिशियल चैनल का हम इस्तेमाल करेंगे और इस डेटा की आपत्ति को हम Executive बोर्ड में रखेंगे.
केंद्रीय अधिकारी ने कहा, 17 राज्यों के आधार पर डेटा जारी तो 17 राज्यों को किस आधार पर चुना गया? हमें लगातार पूछने पर 4 महीने बाद इन राज्यों के नाम बताए गए. कब तक या किस वक्त तक का डेटा WHO ने लिया, जानकारी नहीं दी. नवंबर से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने WHO को इस संबंध में 10 चिट्ठियां लिखीं पर जवाब किसी का WHO ने नहीं दिया.WHO के महानिदेशक टेड्रोस के भारत दौरे पर इस तरह के डाटा को लेकर सवाल उठाया गया उन्होंने कहा : "हमारी टेक्निकल टीम इसको देख रही है." मौत के ये आंकड़े राज्यों की वेबसाइट, अखबारों में RTI के हवाले से छपी खबरें और टेलीफोनिक सर्वे के ज़रिए लिया गया है.ऑफिशियल डेटा हमसे क्यों नहीं लिया गया?
इन राज्यों के आधार पर मौत के आंकड़े : महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़ बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और यूपी हैं. WHO की दलील इन राज्यों में भारत की 60% आबादी है. हमने 2020 का डेटा दिया. 2021 का डेटा आने वाला है तो हम देंगे. हमारा डेटा बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से आता है, जो आने वाला है औऱ आते ही हम इसे साझा करते हैं. हमें tier 2 में क्यों रखा गया? जबकि छोटे छोटे देश जहां आंकड़ा सम्मिलित करने का सही मैकेनिज्म नहीं वो tier 1 में कैसे?
सरकार ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का ये डेटा पूरी तरह से वास्तविकता से परे है. उनका डेटा संकलन न तो किसी सांख्यिकी मॉडल और न ही किसी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है. दरअसल, डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच भारत में कोरोना से 47 लाख मौतें होने का दावा किया है और इसे दुनिया में मौतों के कुल आंकड़े का एक तिहाई बताया है. रिपोर्ट में कोरोना से दुनिया भर में 1.5 करोड़ मौतें होने का दावा किया गया है, जबकि आधिकारिक आंकड़ा करीब 60 लाख का है. भारत में इस दौरान आधिकारिक तौर पर करीब 5.2 लाख मौतें दर्ज हुई हैं.
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ललितपुर जिले के एक थानाध्यक्ष ने पुलिस महकमे को शर्मशार कर दिया है। बयान दर्ज कराने पहुंची 13 साल की बालिका के साथ थानाध्यक्ष द्वारा उसे कमरे में ले जाकर रेप की घटना ने पुलिस महकमें में हड़कंप मचा दिया है। बताया गया मामले के बाद से ही थाना अध्यक्ष फरार है।
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नई दिल्ली : देश में कोरोना के मामले (Corona Cases) बढ़ रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर पाबंदियां बढ़ रही हैं. दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिन्हें प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया है. कोरोना के मामलों में इजाफे और आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए प्रशासन की ओर से पाबंदियों को बढ़ाया जा रहा है. इसके मद्देनजर गौतम बुद्ध नगर में धारा 144 लागू कर दी गई है. फिलहाल यह धारा 31 मई तक के लिए लागू की गई है. साथ ही गौतम बुद्ध नगर कमिश्नरेट के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है.
प्रतीकात्मक तस्वीरगौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट ने एक बयान में कहा, "उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना किसी को भी विरोध प्रदर्शन या भूख हड़ताल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. सार्वजनिक स्थानों पर पूजा और नमाज अदा करने की अनुमति भी नहीं होगी."
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