बुधवार, 31 मार्च 2021

भारत में पिछले 24 घंटे में दर्ज हुए 53,480 नए COVID-19 केस, 354 की मौत

देश में एक साल बाद फिर कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलना शुरू हो गया है जिससे पिछले तीन चार महीनों में जो कमियां आई थीं वह उसमें एक बार फिर तेजी से उछाल आया । देश में पिछले 24 घंटों 53480 नए मामले दर्ज हुए हैं इस दौरान 354 लोगों की मौत संक्रमण से हुई है।

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मंगलवार, 30 मार्च 2021

बस्ती-5 करोड़ खर्च होने के बाद 8 साल बाद अस्पताल में अभी तक पहुंच पाया पेरासीटामोल की टिकिया

विश्वपति वर्मा( सौरभ)

बस्ती - देश के ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए सरकार द्वारा नाना प्रकार की योजना बनाई जाती है लेकिन कार्यों में उदासीनता और धांधली के चलते योजना अपने उद्देश्य तक जाने से पहले ही दम तोड़ देती है।
इस प्रकार का एक मामला जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर सल्टौआ ब्लॉक के अमरौली शुमाली ग्राम पंचायत में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की है जिसका नींव 2012-13 में पड़ा था लेकिन आठ साल बीतने के बाद इतने बड़े अस्पताल में महज पेरासिटामोल की व्यवस्था हो पाई है यानी कि मामूली दवाओं के अलावा अस्पताल में मेडिकल संसाधनों के नाम पर कुछ नही है।


अस्पताल निर्माण में हुआ तीन साल की देरी 
जनता की असुविधा को देखते हुए समाजवादी सरकार में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राज किशोर सिंह द्वारा इसका शिलान्यास वित्तीय वर्ष 2012-13 में  किया गया था जिसका निर्माण प्रारंभ होकर मार्च 2017 में कार्य पूरा होना था इसके लिए कार्यदायी संस्था निर्माण इकाई और आवास एवं विकास परिषद को सितंबर 2016 में ही संपूर्ण धनराशि का भुगतान कर दिया गया था लेकिन तय अवधि बीत जाने के 30 महीने बाद तक भी अस्पताल का कार्य पूरा नही हो सका जिसका परिणाम रहा कि अस्पताल को अप्रैल 2020 में जनता को समर्पित किया गया।
अस्पताल के उद्घाटन के बाद वहां पर कौन -कौन सी व्यवस्था शुरू हुई है इसकी जमीनी हकीकत जानने के लिए हमारे संवाददाता ने मौके पर जाकर वहां की स्थिति का जायजा लिया तो पता चला कि 8 साल बाद भी स्वास्थ्य विभाग अस्पताल में एक्सरे ,अल्ट्रासाउंड ,आंख की मशीन ,प्लास्टर , खून और पेशाब की जांच , जैसी बुनियादी सुविधाओं की पहुंच भी सुनिश्चित नही करा पाया।

30 बेड का बना है अस्पताल
लाखों आबादी को ध्यान में  रखते हुए यहां सामुदायिक भवन का निर्माण करवाया गया है जिसमे एक साथ 30 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता इस कदर है कि अभी अस्पताल आवश्यक संसाधनों की पूर्ति नही कर पाया है। जबकि अमरौली शुमाली ,सेखुई ,तेलियाडीह ,औड़जंगल,द्वारिका चक ,रामपुर मुड़री ,शिवा ,बस्थनवा, गोरखर ,चौकवा ,बंजरिया समेत कई दर्जन गांवों के लोगों को अस्पताल से काफी उम्मीद है।

एक्सरे , अल्ट्रासाउंड और इमरजेंसी कक्ष में ताला
क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता के लिए लंबी दूरी तय कर जिला मुख्यालय जाना पड़ता था लेकिन जब से अस्पताल बनने का कार्य शुरू था तबसे लोगों के अंदर उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें इस काम के लिए मीलों दूर नही जाना पड़ेगा परंतु जिम्मेदार जनों की उदासीनता इस कदर हावी है कि अस्पताल में एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नही हो पाई वहीं अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भी स्वास्थ्य संसाधनों की पूर्ति नही हो पाई है इस लिए आज भी इन कमरों में ताला लगा हुआ है।

प्रसव कार्य शुरू 
अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए जांच आदि की कोई व्यवस्था अभी तक उपलब्ध नही हो पाया है लेकिन यहां पर प्रसव कार्य शुरू हो गया है इसके लिए 3 महिला कर्मचारियों की तैनाती की गई है। और एक एम्बुलेंस की व्यवस्था भी कराई गई है।

डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी
अस्पताल को चलाने के लिए सबसे पहले उससे संबंधित डाक्टर और कर्मचारियों की आवश्यकता पूरी की जानी चाहिए लेकिन 30 बेड के बने इस अस्पताल में अभी तक मात्र 1 लैब टेक्नीशियन की तैनाती की गई है ,अस्पताल में कार्य करने वाले छः और स्टाफ हैं जिनमे दो डॉक्टर , दो फार्मासिस्ट और दो स्वीपर हैं लेकिन इन्हें बगल में ही बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से हटा कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात कर दिया गया । इसके अलावा जनवरी 2021 में अस्पताल में 4 और डॉक्टरों को जनपद के ही अस्पतालों से हटाकर तैनात किया गया है लेकिन अभी तक तक अस्पताल में किसी भी डॉक्टर ने ज्वाइन नही किया है।



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सोमवार, 29 मार्च 2021

पंचायत चुनाव की कर रहे हैं तैयारी तो इन दस्तावेजों को रखें तैयार ,जानिए क्या-क्या नियम है लागू

अगर आपने पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं तो सबसे पहले नामांकन पत्र जमा करने के दौरान आपकी आयु 21 वर्ष या उससे अधिक होना अवाश्यक है। इससे कम आयु होने पर आपका नामांकन पत्र खारिज कर दिया जाएगा। up panchayt chunaw 2021 

पंचायत चुनाव के किसी भी पद को प्रत्याशी अधिकतम चार सेट में नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। ग्राम पंचायत सदस्य पद के नामांकन पत्र का मूल्य 150 रुपए निर्धारित है। सदस्य पद की जमानत धनराशि पांच सौ रुपए होगी। प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के नामांकन पत्र का मूल्य तीन सौ रुपए होगा। वहीं बीडीसी व प्रधान पद के लिए प्रत्याशी को दो हजार रुपए की जमानत धनराशि जमा करनी होगी। 

जिला पंचायत सदस्य पद का नामांकन पत्र पांच सौ रुपए का होगा। जिपं सदस्य पद की जमानत धनराशि चार हजार रुपए निर्धारित की गई है। अगर उम्मीदवार एससी, एससी महिला, ओबीसी, ओबीसी महिला या महिला है तो उसे नामांकन पत्र व जमानत राशि का आधा ही देना होगा। नामांकन पत्र नकद मूल्य देकर लिया जा सकेगा। वहीं जमानत धनराशि ट्रेजरी चालान से बैंक या ट्रेजरी में जमा किया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में जमानत धनराशि को नकद भी जमा किया जा सकेगा।

ग्राम पंचायत के निवासी ही होंगे प्रधान पद के प्रत्याशी

प्रधान पद के लिए संबधित ग्राम पंचायत का निवासी होना आवश्यक है। प्रस्तावक भी ग्राम पंचायत का निवासी होना चाहिए। ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए संबधित ग्राम सभा का कोई भी व्यक्ति अपने वार्ड सहित किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है। बशर्ते उसका प्रस्तावक उस वार्ड का मतदाता हो जिस वार्ड से वह चुनाव लड़ रहा है। उसी प्रकार बीडीसी का चुनाव अपने वार्ड के अलावा संबधित ब्लॉक क्षेत्र के किसी भी वार्ड से लड़ा जा सकता है। उम्मीदवार क्षेत्र पंचायत के किसी भी वार्ड का मतदाता हो पर उसका प्रस्तावक उस वार्ड का होना चाहिए जहां से वह चुनाव लड़ने जा रहा है। जिला पंचायत सदस्य पद के लिए प्रत्याशी भी अपने वार्ड सहित किसी अन्य वार्ड से भी चुनाव लड़ सकता है। प्रत्याशी के लिए जिला पंचायत के किसी भी वार्ड से मतदाता होना आवश्यक है। प्रस्तावक उस वार्ड का ही होना चाहिए जिस वार्ड से प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल कर रहा है।

अपराधिक रिकार्ड है तो देनी होगी जानकारी
नामांकन पत्र के साथ प्रत्याशी को अनुलग्नक-1 भरना होगा। ग्राम पंचायत सदस्य नामांकन पत्र के साथ केवल घोषणा पत्र भर सकता है। परंतु अन्य पदों के प्रत्याशियों को अनुलग्नक-1 के साथ शपथ पत्र भी भरना होगा। जिसे नोटरी, तहसीलदार या नायब तहसीलदार से सत्यापित होना आवश्यक होगा।

आरक्षित सीटों पर चाहिए होगा जाति प्रमाण पत्र
एससी, एससी महिला, ओबीसी व ओबीसी महिला के लिए आरक्षित पदों पर चुनाव लड़ने के लिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। महिलाओं के मामले में जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले मायके से रिपोर्ट लगवाना आवश्यक होगा। ग्राम पंचायत सदस्य पद की आरक्षित सीटों के प्रत्याशियों को प्रारूप अ पर अपनी जाति से संबधित घोषणा पत्र भरना होगा। प्रधान, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों को प्रारूप ब पर अपनी जाति संबधी घोषणा के साथ नोटरी से सत्यापित भी कराना होगा।

नामांकन पत्र के साथ लगानी होगी मतदाता सूची
नामांकन पत्र के साथ प्रत्याशी के नाम व प्रस्तावक के नाम की मतदाता सूची लगानी होगी। सहायक निर्वाचन अधिकारी ने बताया मतदाता पुनरीक्षण के उपरांत तैयार अंतिम मतदाता सूची जो सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/एसडीएम के हस्ताक्षरयुक्त है, उसकी छाया प्रति होनी चाहिए। प्रत्याशियों को जिला निर्वाचन कार्यालय अथवा ब्लॉक कार्यालयों के माध्यम से सशुल्क उपलब्ध करवा दी जाएंगी।

इन कागजात को रखें तैयार 

आधार कार्ड (Aadhar Card)
वोटर आईडी कार्ड (Voter ID Card)
पैन कार्ड (Pan Card)
पुलिस चरित्र प्रमाण पत्र (Police Character Certificate)
मूल निवास पत्र ऑनलाइन (Original Residence Letter Online)
तहसील द्वारा निर्गत संपत्ति का घोषणा पत्र जिसमें चल व अचल संपत्ति का शामिल हो (Property Declaration)
ऑनलाइन माध्यम से बना हुआ जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate)
जमानत राशि (Bail Money)
शौचालय संबंधित प्रमाण पत्र (Toilet Related Certificate)
नाम निर्देशन पत्र, प्रारूप – 4 (Nomination Letter, Format – 4)
50 रुपए के स्टाम्प पर शपथ पत्र (Affidavit on Stamp of 50 Rupees)
आयु प्रमाण पत्र (Age Certificate)
पंचायत समिति या जिला परिषद से एनओसी (NOC From Panchayat Samiti or Zilla Parishad

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रविवार, 28 मार्च 2021

यूपी-शिक्षक के वीडियो जारी करने के बाद स्कूल का मान्यता रद्द करने की तैयारी ,सरकार पर उठाए थे सवाल

गोरखपुर: कोरोना नियंत्रण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाने वाले एक स्कूल के युवा प्रबंधक पर सरकार-प्रशासन खफा हो गया है. बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्यवाही शुरू कर दी है तो पुलिस प्रबंधक को पकड़ने के लिए उसके घर पर चार बार छापा मार चुकी है.
गोरखपुर के बासगांव क्षेत्र के कोटिया मान सिंह गांव में स्थित डाॅ. भीमराव आंबेडकर पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक दीपक कुमार कन्नौजिया का 23 मार्च को एक वीडियो वायरल हुआ था.इस वीडियो में वह अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों के बीच कह रहे हैं कि कोरोना के बढ़ते केस के नाम पर स्कूलों को एक बार फिर बंद करने का निर्णय तुगलकी है. इससे छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. निजी विद्यालयों शिक्षकों-कर्मचारियों के पेट पर लात मारा जा रहा है. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल करते हैं कि कोरोना के कहर के बीच गोरखपुर महोत्सव का आयोजन हुआ, खिचड़ी मेले का आयोजन हुआ, बिहार में चुनाव हुआ और अब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा है. क्या इन आयोजनों से कोरोना नहीं फैल रहा है?दीपक वीडियो में कह रहे हैं, ‘पिछले वर्ष जब कोरोना के कारण स्कूल बंद हुए तो प्रबंधकों, शिक्षकों ने पूरा सहयोग किया और सरकार के इस निर्णय का विरोध नहीं किया. हालांकि निजी विद्यालयों का हालत इस बीच बहुत खराब हो गई. लीज पर भवन लेकर चल रहे स्कूल लगातार बंद हो रहे हैं. कोरोना को रोकने के लिए सरकार की नीयत ठीक नहीं है. जब उसे चुनाव, रैली करनी होती है तो कोरोना का कोई डर नहीं है लेकिन जब कोई विपक्ष खड़ा होता है तो कोरोना का डामा शुरू हो जाता है. सरकार यदि सही मन से कोरोना रोकना चाहती है तो वह स्कूल बंद करने के साथ-साथ कुंभ मेले का आयोजन निरस्त करे, चुनाव-रैली न करे. पहले वह खुद नियम का पालन करे तभी और लोग भी इसका पालन करेंगे.

दीपक का यह वीडियो वायरल हो गया और इसके लोगों ने सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया. इस वीडियो को अब तक तीन लाख से अधिक लोग देख चुके हैं. इस वीडियो के वायरल होने के बाद सरकार के कई महकमे सक्रिय हो गए और दीपक कुमार कन्नौजिया की खोज होेने लगी.पता चला कि दीपक बासगांव क्षेत्र के कोटिया मान सिंह में डा. भीमराव आंबेडकर पूर्व माध्यमिक विद्यालय संचालित करते हैं और वे इस स्कूल के प्रबंधक हैं.यह जानकारी मिलने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी. बेसिक शिक्षा विभाग ने उनके विद्यालय की जांच के लिए अफसर भेजे. अफसरों की रिपोर्ट आने के बाद विद्यालय की मान्यता खत्म करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बीएन सिंह ने कहा कि विद्यालय की मान्यता रद्द करने की कारवाई शुरू की गई है. तय प्रक्रिया के मुताबिक कार्रवाई चल रही है.यह पूछे जाने पर कि स्कूल की मान्यता रद करने की कार्रवाई किसी अनियमितता की वजह से हो रही है या उसके प्रबंधक दीपक कुमार कन्नौजिया द्वारा स्कूल बंद, कोरोना नियंत्रण के दोहरे मापदंड को लेकर उठाए गए सवाल पर हो रही है तो बीएसए ने स्पष्ट रूप से कहा कि मान्यता रद्द करने की कार्यवाही वायरल वीडियो के संदर्भ में ही हो रही है.इस वीडियो के बाद पुलिस भी दीपक के पीछे पड़ गई है. पुलिस अब तक चार बार उनके घर जा चुकी है. दीपक कुमार का आरोप है कि उन्हें ढूंढने के नाम पर पुलिस उनके घर में घुस गई. वह डरकर भूमिगत हो गए हैं. उनके परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है.दीपक के खिलाफ अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं है फिर भी पुलिस उनके घर लगातार दबिश दे रही है. दीपक कुमार ने अपना मोबाइल बंद कर रखा है.एक दोस्त के जरिये उनसे हुई बातचीत में दीपक कुमार ने कहा कि वीडियो में उन्होंने छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के हो रहे नुकसान को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की है. उन्होंने कोई गलत बात नहीं की है. देश का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है. इस अधिकार के तहत ही उन्होंने अपनी बात रखी है.वे कहते हैं, ‘मैंने किसी को अपशब्द नहीं कहा है न हिंसा की कोई बात की है. मैने सिर्फ सरकार के विद्यालयों के बंद करने के निर्णय पर सवाल उठाए हैं, कोरोना काल में निजी विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षकों-कर्मचारियों की पीड़ा बयां की है और कहा है कि इसके विरोध में आंदोलन भी कर सकता हूं. मेरी सभी बातें संविधान के दायरे में हैं लेकिन मीडिया के एक वर्ग द्वारा मुझे देशद्रोही के बतौर पेश किया जा रहा है और मेरे खिलाफ केस दर्ज कराने की बात की जा रही है.’उन्होंने बताया कि उनके पिता बीमार है. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. पुलिस के बार-बार घर जाने से सभी लोग दहशत में हैं.वे कहते हैं कि यदि सरकार और प्रशासन उन्हें वीडियो में कही गई बात के लिए उन्हें दोषी मानती है तो उन्हें जेल भेज दे. वह जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन परिवार के लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है, विद्यालय की मान्यता क्यों निरस्त की जा रही है?दीपक कुमार ने एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2014 में बाबा साहब आंबेडकर के विचारों से प्रेरित होकर अपने गांव में इस विद्यालय को शुरू किया था और और इसे उन्हीं का नाम दिया था. एक वर्ष बाद उनके विद्यालय को मान्यता मिली.इस स्कूल में एक से आठ तक पढ़ाई होती है, जहां 800 बच्चे पढ़ते हैं. दीपक कुमार के अनुसार उनके स्कूल में गरीब घरों के बच्चे पढ़ते हैं, जहां 150 बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च वे खुद उठाते हैं क्योंकि इन बच्चों के अभिभावक बहुत गरीब हैं और किसी तरह दो जून की रोटी जुटा पाते हैं.स्कूल में 20 ऐसे बच्चे पढ़ते हैं जिनके पिता नहीं हैं. उनकी पढ़ाई का खर्च भी स्कूल प्रबंधन द्वारा ही वहन किया जाता है. स्कूल में 16 कंप्यूटर लगाकर एक छोटी लैब भी स्थापित की गई है जिसमें निशुल्क कंप्यूटर शिक्षा दी जाती है.अगर बच्चे किसी कारण से पढ़ाई छोड़ देते हैं, उनके लिए दीपक खुद अभिभावकों से मिलते हैं और हर तरह की सहायता कर वापस स्कूल में लाते हैं. दीपक गुरुकुल पॉइंट नाम से एक यू ट्यूब चैनल भी चलते हैं जिसमें वे गणित, इतिहास सहित कई विषय पढ़ाते हैं.कोरोना काल में एक वर्ष तक स्कूलों की बंदी रही, तब दीपक कुमार के स्कूल की भी हालत खराब हो गई. स्कूल की वार्षिक परीक्षा के समय ही अभिभावक फीस जमा करते हैं. इसी पैसे से शिक्षकों को वेतन दे दिया जाता है.पिछले वर्ष वार्षिक परीक्षा के समय ही लाॅकडाउन लगा दिया गया और विद्यालय बंद हो गए. उन्होंने बताया, ‘उस समय विद्यालय के शिक्षकों को करीब तीन महीने का वेतन बकाया था. शिक्षकों ने हमारे ऊपर दबाव नहीं बनाया लेकिन जब विद्यालय बंदी लंबी खिंचने लगी और उनके आर्थिक हालात बिगड़ने लगे तो उनसे भी रहा नहीं गया.’दीपक कहते हैं कि उन्होंने अपनी सोने की दो चेन और पत्नी के कुछ गहने बेचकर शिक्षकों को ढाई लाख रुपये वेतन के मद में दिया. इस बार जब फिर स्कूलों को बंद करने का आदेश आया तो उन्हें  लगा कि पिछले वर्ष जैसे हालात फिर बनने लगे हैं.उन्होंने आगे बताया, ‘मजबूरी में दो शिक्षक स्कूल छोड़ कर चले गए. स्कूल के प्रिसिंपल के आर्थिक हालात इस कदर खराब हो गए कि वे दिल्ली चले गए और एक कारखाने में मजदूरी कर रहे हैं. कोरोना काल में 193 निजी विद्यालयों ने अपनी मान्यता निरस्त करा ली क्योंकि वे स्कूल चला पाने में असमर्थ हो गए. ये सभी प्रबंधक 40 से 50 हजार रुपये किराये पर भवन लेकर स्कूल संचालित कर रहे थे. भवन का किराया और शिक्षकों का वेतन नहीं दे पाने के कारण ये सभी स्कूल हमेशा के लिए बंद हो गए.’दीपक कहते हैं, ‘स्कूलों के बंद होने का सीधा प्रभाव गरीब परिवार के बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. मैंने यही पीड़ा वीडियो में व्यक्त की थी. भूख और रोजगार की पीड़ा ने मुझे यह सब कहलवाया. यह पीड़ा सभी के दिल में है लेकिन कह नहीं पा रहे हैं. मैने यह बात कह दी जिसकी मुझे सजा मिल रही है. विद्यालय की मान्यता निरस्त करने के लिए कमेटी बैठा दी गई है और हमारा पक्ष भी नहीं लिया जा रहा है. जबसे मैंने सुना है कि विद्यालय की मान्यता रद्द की जा रही है, मै बेहद निराशा में डूबा हूं. यह विद्यालय मेरा सपना है. सरकार मुझे जेल भेज दे, मगर विद्यालय से दुश्मनी न निकाले.’

देखें वीडियो
https://www.facebook.com/323884668162681/posts/892240131327129/

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शनिवार, 27 मार्च 2021

बस्ती- जनपद में धारा 144 लागू ,सावधानी बरतने के लिए जिलाधिकारी ने पुलिस-प्रशासन को किया निर्देशित

सोमनाथ सोनकर
बस्ती -जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने होली सहित अन्य पर्वो, त्यौहारों, पंचायत चुनाव तथा कोरोना वायरस के बढते संक्रमण के मद्देनजर अधिकारियों को विशेष सतर्कता और सावधानी बरतने हेतु निर्देशित किया है। पुलिस अधीक्षक, सीएमओ, सभी उप जिलाधिकारी, जेल, शिक्षा, नगर पालिका एंव नगर पंचायतो के अधिशासी अधिकारियों को भेजे गये पत्र में उन्होने शासन के निर्देशों का शतप्रतिशत अनुपालन कराने का निर्देश दिया है।
उन्होने बताया है कि जिले में धारा-144 लागू कर दी गयी है। इस दौरान किसी प्रकार का जुलूस निकालना, कार्यक्रम आयोजित करना पूरी तरह प्रतिबन्धित रहेगा , इसके लिए प्रशासन की अनुमति लेना अनिवार्य है। उन्होने कहा कि किसी भी आयोजन के दौरान सामाजिक दूरी बनाये रखी जाय, सभी मास्क लगाये तथा कार्यक्रम स्थल पर सेनेटाइजर की व्यवस्था भी की जाए। जिलाधिकारी ने कहा है कि जुलूस/सार्वजनिक कार्यक्रम में 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति तथा 10 साल से छोटे उम्र के बच्चों एवं गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को प्रतिभाग न करने दिया जाए।

उन्होने बताया कि रेलवे स्टेशन पर स्वास्थ्य विभाग की टीम लगाकर बाहरी प्रदेशो से आने वाले लोगो की कोविड जाॅच करायी जा रही है। इसके साथ ही बस स्टेशन पर भी स्वास्थ्य विभाग की टीम लगायी गयी है।

जिलाधिकारी ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि सार्वजनिक स्थलों पर भीड़-भाड़ न होने दी जाय और इसके लिए आवश्यक कदम उठाये जाए। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल तथा अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में यह सुनिश्चित किया जायेगा कि लोगों का बाहर आवागमन कम से कम हो।
उन्होने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पूर्व की भाॅति पब्लिक एड्रेस सिस्टम पुनः सक्रिय किया जाय तथा लोगों को कोविड संक्रमण से बचने के लिए सावधानी का संदेश प्रसारित किया जाय। साथ ही अधिक से अधिक लोगों को कोविड-19 का टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जाए।

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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

पहले चरण से शुरु होगा बस्ती मंडल में मतदान , जानिए तीनों जिलों में नामांकन और मतदान की तारीख

सौरभ वीपी वर्मा 

लंबे समय से पंचायत चुनाव की तारीखों का इंतजार कर रहे प्रत्याशियों को आज राहत मिली है क्योंकि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है।
प्रदेश के बस्ती मंडल की बात करें तो यहां पर 3 जिले हैं और यहां तीन चरण में चुनाव होंगे।पहले चरण में 15 अप्रैल को संतकबीरनगर , तीसरे चरण में 26 अप्रैल को सिदार्थनगर और चौथे चरण 29 अप्रैल को बस्ती में मतदान होगा 

पहले चरण यानी संतकबीरनगर में 3 और चार अप्रैल को नामांकन होगा 7 अप्रैल को उम्मीदवार अपना पर्चा वापस ले सकते हैं और इसी दिन चुनाव चिन्ह भी जारी कर दिया जाएगा। यहाँ 15 अप्रैल को मतदान होगा 

तीसरे चरण यानी सिदार्थनगर में 13 और 15 अप्रैल को नामांकन होगा 18 अप्रैल को उम्मीदवार अपना पर्चा वापस ले सकते हैं और  इसी दिन चुनाव चिन्ह भी जारी कर दिया जाएगा।यहां 26 अप्रैल को मतदान होगा

चौथे चरण यानी बस्ती में 17 और 18 अप्रैल को नामांकन होगा 21 अप्रैल को उम्मीदवार अपना पर्चा वापस ले सकते हैं और  इसी दिन चुनाव चिन्ह भी जारी कर दिया जाएगा। यहाँ 29 अप्रैल को मतदान होगा।

प्रदेश में कुल चार चरणों मे मतदान होंगे वहीं सभी चरणों की मतगणना 2 मई को एक साथ की जाएगी।





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चुनाव आयोग ने जारी किया अधिसूचना 15 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव ,राज्य में आचार संहिता लागू

उत्तर प्रदेश में निर्वाचन आयोग ने आज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में चार चरणों में पंचायत चुनाव होंगे। 15 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा। दूसरा 19 अप्रैल, तीसरा चरण 26 अप्रैल और चौथा चरण का चुनाव 29 अप्रैल को होगा। up panchayt chunav 2021 
सभी 18 मंडल के एक-एक जिले में पहले चरण का चुनाव होगा। 2 मई को मतगणना होगी। चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही यूपी में आचार संहिता लग गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज आरक्षण मामले पर सुनवाई भी होनी है। 

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चुनाव आयोग ने किया उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के तरीखों की घोषणा ,देखिए कब होगा मतदान

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने आज तारीखों की घोषणा कर दी है । प्रदेश में 4 चरणों में चुनाव संपन्न होंगे और 2 मई को वोटों की गिनती की जाएगी ।
चुनाव आयोग ने आज अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि प्रदेश में चार चरणों में चुनाव संपन्न होंगे ।

देखिए पंचायत चुनाव का चार्ट

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यूपी पंचायत चुनाव 2021 - आयोग की तैयारियां पूरी आज हो सकती है चुनाव के तरीखों की घोषणा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Election 2021) को लेकर  सभी तैयारियां पूरी मानी जा रही है.वहीं अपने अपने सीटों पर संभावित दावेदर प्रचार के लिए मैदान में उतर भी गए हैं. इससे गांव की राजनीति तेज हो गई है. इसी बीच खबर है कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव की अधिसूचना (Notification) शुक्रवार यानी आज जारी हो सकती है. सरकार और निर्वाचन आयोग की पूरी तैयारी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर आज ही अहम सुनवाई भी है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल के मध्य में चुनाव हो सकते हैं.
राज्‍य निर्वाचन आयोग सुबह 10:30 बजे अपने कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करेगा. ऐसे में उम्‍मीद जताई जा रही है कि आयोग पंचायत चुनावों को लेकर महत्‍वपूर्ण घोषणाएं कर सकता है. बता दें कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को ही सभी आपत्तियों को निस्‍तारित कर दिया था. ऐसे में चुनाव आयोग के प्रेस कांफ्रेंस को अहम माना जा रहा है. वहीं, पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जो नई आरक्षण सूची तैयार कराई गई है, शुक्रवार को सभी जिलों में उसका अंतिम प्रकाशन किया जाएगा. यानी विभिन्‍न पदों के लिए आरक्षण व्‍यवस्‍था की नई सूची अंतिम रूप से जारी कर दी जाएगी.

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गुरुवार, 25 मार्च 2021

बस्ती -भारतीय किसान यूनियन ने स्थानीय समस्याओं को लेकर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

केoसीo श्रीवास्तव

बस्ती - भारतीय किसान यूनियन के लोकशक्ति गुट ने आज भानपुर तहसील पर पहुंचकर उपजिलाधिकारी आनंद श्रीनेत को तीन स्थानीय बिंदुओं को लेकर के ज्ञापन सौंपा ।
किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने तहसील अध्यक्ष संतकुमार भारती की अगुवाई में उप जिलाधिकारी आनंद श्रीनेत को अपनी तीन सूत्रीय मांगों को सौंपते हुए कहा कि आधार कार्ड के बनाने और संसोधन के लिए ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर कैम्प लगाया जाए यदि ऐसा संभव ना हो तो समस्त विभागों से आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया जाए । मांग पत्र में उन्होंने कहा कि पूर्व की भांति स्टाम्प दिया जाए क्योंकि ऑनलाइ प्रक्रिया में 50 से लेकर 100 रुपया तक प्रति स्टाम्प अतिरिक्त लिया जाता है । मांग पत्र में ग्रामीण क्षेत्र की गड्ढायुक्त सड़कों को गड्ढामुक्त बनाये जाने की बात की गई है इस मौके पर मंडल अध्यक्ष अयोध्या नाथ तिवारी ,ब्लॉक अध्यक्ष हासिम अली ,ब्लॉक प्रभारी मोहम्मद उमर ,घिसियावन , कांति, राजमती, बंशराज आदि लोग उपस्थित रहे।

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बुधवार, 24 मार्च 2021

बस्ती -पिता की हत्या के आरोप में जेल जा चुका है निलंबित दारोगा दीपक सिंह , फिर खुलेगी फाइल

बस्ती। पोखरभिटवा मामले में निलंबित दरोगा दीपक सिंह के पिता की हत्या की फाइल फिर खुलेगी। एडीजी अखिल कुमार के निर्देश पर इसकी जांच एसपी देवरिया करेंगे। मामला दीपक के दरोगा बनने से पहले का है। इस मामले में दीपक जेल गया था। हालांकि सुनवाई के बाद अदालत ने उसे बरी कर दिया था।

दरोगा प्रकरण की जांच के सिलसिले में आए एडीजी ने बताया कि उन्होंने देवरिया के एसपी को दीपक सिंह के पिता की हत्या के मामले की फिर से जांच करने और रिपोर्ट देने को कहा है। दरोगा की नौकरी पाने से पहले दीपक सिंह को अपने पिता प्रभु सिंह की हत्या के मामले में आरोपित बनाया गया था। हालांकि वह इस मामले में अदालत से बरी हो गया। एडीजी ने बताया कि केस दर्ज होने तथा उसकी गिरफ्तारी होने के बाद किस तरह उसे मुकदमे से राहत मिली और वह दरोगा बन गया, इसकी विभागीय जांच कराई जाएगी।

मूल रूप से गोरखपुर के चौरीचौरा थाने के सोनबरसा बाजार निवासी अतुल उर्फ दीपक सिंह पर आरोप लगा था कि आठ जून 2013 को उसने अपने पिता प्रभु सिंह को मामा के घर ले जाने के बहाने हाईवे पर हेतिमपुर के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में रामपुर कारखाना थाने में अपराध संख्या 879/13 पर तीन अज्ञात के विरुद्घ मुकदमा दर्ज किया गया था। तफ्तीश के दौरान वादी दीपक सिंह ही पिता की हत्या का आरोपित पाया गया। उसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई और उसे जेल भेज गया। 23 सितंबर 2013 को न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी। हालांकि, इस मामले में अदालत से वह बरी हो गया। बाद में वह पुलिस में भर्ती हुआ।


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पंचायत चुनाव आरक्षण पर HC के फैसले के खिलाफ याचिका, शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 26 मार्च को सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. ऐसे में पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं के निस्तारण पर सब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं. 

बता दें कि मंगलवार को ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी भी दाखिल की है. इस अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट इस याचिका पर कोई भी निर्णय करने से पहले एक बार उनका पक्ष भी जरूर सुने. कैविएट याचिका में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया है कि जब पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा तब कोर्ट में सरकार का भी पक्ष सुना जाए. 

दरअसल, उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछले शनिवार को विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी दाखिल की गई है. इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान उसका पक्ष पूरी तरह नहीं सुना गया. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुछ दिन पहले ही पुरानी आरक्षण सूची पर रोक लगाते हुए 2015 के आधार पर चुनाव कराने को लेकर फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि साल 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए. 

इसके पूर्व राज्य सरकार ने कहा कि वह साल 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं को लेकर सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं. 


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मंगलवार, 23 मार्च 2021

पंचायत चुनाव के लिए 27 मार्च को अधिसूचना,अप्रैल में सम्पन्न होगा चुनाव ,3 मई को मतगणना की तैयारी

सौरभ वीपी वर्मा
देश और प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav UP) में कोरोना गाइडलाइन (UP Panchayat Chunav 2021 Guidelines) जारी की गई हैं। इसके तहत ही चुनाव कराने के लिए निर्देशित किया गया है। 

राज्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी जिला मजिस्ट्रेट और जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसके लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत मतदान से पूर्व मतदान केंद्रों को सैनिटाइज कराना,सभी मतदान कर्मियों को मास्क पहनना और सभी के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउडलोड अनिवार्य कर दिया गया है।

डॉक्टरों की टीम भी रहेगी तैनात
राज्य निर्वाचन अधिकारी ने जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी या उनकी ओर से नियुक्त डॉक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए। जबकि विकास खंड स्तर पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी या उनकी ओर से नियुक्त डॉक्टर को नोडल अधिकारी होंगे। नोडल अधिकारियों पर ही कोविड के नियमों के पालन की जिम्मेदारी रहेगी।

नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति को पर्चा दाखिल करना चाहता है तो वो बिना मास्क के रिटर्निंग ऑफिसर के कक्ष में नहीं जा सकता। साथ ही प्रवेश से पहले उसे साबुन या सेनिटाइजर से हाथ भी धुलने होंगे। कोविड नियमों के तहत कोई भी प्रधान प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान पांच से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकता। साथ ही प्रचार के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करना होगा।

प्रचार में सिर्फ 5 लोग ही होंगे शामिल
वहीं पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान 5 लोगों को शामिल होने की इजाजत होगी। सभी उम्मीदवारों, दलों व समूहों को जनसभा, नुक्कड़ सभा करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से जारी कोविड-19 से सम्बंधित सभी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित किये जाएंगे। नियमों को ना मानने पर एफआईआर भी दर्ज किए जाएंगे ।

पान- गुटखा पर पूरी तरह रहेगा प्रतिबंध
चुनाव कार्य में नियोजित प्रत्येक कर्मी को फेस मास्क लगाना आवश्यक होगा। मतदान केंद्र को उपयोग में लिए जाने से पूर्व सेनेटाइज करवाया जाएगा। मतदान दलों के कर्मियों के प्रस्थान के समय उनका थर्मल स्कैनर से जांच की जाए। पान, गुटखा, तंबाकू आदि मादक पदार्थ का सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा प्रतिबंध रहेगा।

बिना मास्क के नामांकन नहीं कर सकेंगे प्रत्याशी
सभी उम्मीदवारों, दलों व समूहों को जनसभा, नुक्कड़ सभा करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से जारी कोविड-19 से सम्बंधित सभी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आयोजित किये जाएं। वहीं मास्क के बिना प्रत्याशी नामांकन नहीं कर पाएंगे

बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की परीक्षाओं की तारीख भी तय है जिसे मई के पहले सप्ताह में ले जाने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार होली से ठीक पहले 27 मार्च को राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है। आयोग 30 अप्रैल तक मतदान की प्रक्रिया पूरी कर तीन-चार मई में मतगणना करा सकता है।

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सोमवार, 22 मार्च 2021

बस्ती - फिल्मी स्टोरी की तरह चर्चित हुआ पोखरभिटवा मामले में निलंबित दारोगा आज गिरफ्तार

बस्ती- फिल्मी स्टोरी की तरह चर्चित हुआ बस्ती के पोखर भिटवा मामले में  दारोग़ा दीपक सिंह को आज गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप है कि दारोग़ा की धमकी के बावजूद एक लड़की ने जब उससे मोहब्बत नहीं की तो उसने लड़की और उसके घर वालों पर 8 फ़र्ज़ी मुक़दमे ठोंक दिए. लड़की का आरोप है कि वह 31 मार्च 2020 को लॉकडाउन में घर से अपनी बहन की दवा खरीदने निकली थी तभी सोनूपार पुलिस चौकी पर तैनात दारोग़ा दीपक सिंह ने उसे रोककर गाड़ी के कागजात मांगे. इस बहाने उसने लड़की को कई घंटों तक बिठा कर रखा, इसके बाद मोबाइल नंबर लेकर छोड़ दिया.लड़की का आरोप है कि उसके बाद दारोग़ा WhatsApp कॉल कर उसके साथ अश्लील बातें करने लगा. लड़की ने उसे मना किया लेकिन दारोग़ा नहीं माना.

 लड़की ने जब दारोग़ा का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दिया तो उसने लड़की के भाई के पर जानलेवा हमला करने, बंधक बनाने और पिस्तौल छीनने के आरोप में मुकदमा कर दिया. इस तरह एक साल के अंदर दारोग़ा ने लड़की और उसके घर वालों पर आठ फ़र्ज़ी मुक़दमे कायम कर दिए. लड़की का कहना है कि उसकी शादी होनी थी, लेकिन आपराधिक मुक़दमे की वजह से उसकी शादी नहीं हो पाई. उसकी फुफेरी बहन पर भी नामजद मुक़दमे होने की वजह से उसकी पहले से तय शादी टूट गई. लड़की का कहना है कि पुलिस ने उसके परिवार के साथ जैसी ज़्यादती की है,वैसी ज़्यादती तो शायद अंग्रेजों ने भी नहीं की होगी.उसका पूरा परिवार खुदकुशी की कगार पर खड़ा है ।

इस मामले की जांच बस्ती के SP हेमराज मीना ने की और फ़र्ज़ी मुक़दमे करने के मामले में दारोग़ा को क्लीन चिट दे दी.लेकिन अनुशासनहीनता में उसे सिर्फ लाइनहाजिर किया गया. बाद में वह बहाल हो गया. मामले के सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने पर गृह विभाग ने इसकी जांच के लिए चार बड़े अफसरों की एक कमेटी बनाई जिसमें गोरखपुर जोन के एडीजी अखिल कुमार, बस्ती के कमिश्नर अनिल कुमार सागर, बस्ती रेंज के आईजी अनिल कुमार राय सुर और बस्ती ज़िले की डीएम सौम्य अग्रवाल शामिल थीं. कमेटी ने अपनी जांच में दारोग़ा दीपक सिंह को दोषी पाया जिसे आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में इलाके की कोतवाली के इंचार्ज राम पाल यादव और उस वक़्त के सीओ गिरीश सिंह को ससपेंड कर दिया गया है. एसपी हेमराज मीना और एडिशनल एसपी रविन्द्र कुमार सिंह का भी ट्रांसफर हो चुका है. वहीं कुल 14 लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है।


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भारतीय जन जागरण मंच द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित ,कई प्रदेशों के कवि रहे मौजूद

प्रयागराज - भारतीय जन जागरण मंच द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन समदरिया स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन में आयोजित किया गया  जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर गजलकार इकबाल उदयपुरी ने की सम्मेलन के मुख्य अतिथि विधायक डॉ० अजय सिंह रहे। कवि सम्मेलन का संचालन कवि संतोष शुक्ल समर्थ द्वारा किया गया एवं शुभारंभ वरिष्ठ कवि सिद्धार्थ अर्जुन की सरस्वती वंदना व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ ।
 
सम्मेलन में विभिन्न प्रदेशों से आए अन्य कवियों में संयोजक निराला के निराले सारस्वत नितिन भूषण ( मुजफ्फरनगर) मोहन मुंतज़िर( नैनीताल)  सिद्धार्थ अर्जुन( प्रयागराज) योगेंद्र सुन्दरियाल ( दिल्ली) जुनैद अख्तर (शामली) डाॅ० राकेश यदुवंशी( बरेली) गित्यम उपाध्याय (मिर्जापुर) डॉ अंजना कुमार (कानपुर ) शोभना ऋतु ( जयपुर) प्रशांत बजरंगी( बिहार) ने अपना काव्य पाठ किया एवं मोहिनी श्रीवास्तव प्रसिद्ध लोक गायिका प्रयागराज ने अपने गीत से शोभा बढ़ाई  
कवि सम्मेलन की संयोजक  डाॅ अंजना कुमार तथ
स्वागतांक्षी डाॅ मणिशंकर द्विवेदी ( प्राचार्य मोती लाल नेहरू डिग्री कॉलेज कौंधियारा एवं निदेशक समदरिया स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन ) आवेश मृदुल अध्यक्ष ( भारतीय जन जागरण मंच )एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

सम्मेलन में  राजेंद्र मिश्र  अधिवक्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय, डॉ रमा सिंह  प्राचार्य आर्य कन्या डिग्री कॉलेज , डॉ विमला मिश्रा प्राचार्य बलराम पी जी कॉलेज , डॉ सुनीता खरे प्राचार्य राम मनोहर लोहिया पी जी कॉलेज , डॉ बबली द्विवेदी प्रवक्ता , डॉ अमेरिका पांडेय  प्राचार्य पीजी कॉलेज , डॉ मधुकराचार्य त्रिपाठी प्राचार्य पीजी कॉलेज , पंडित ऋषि देव त्रिपाठी( महासचिव राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ) ,पंडित सुरेश त्रिपाठी ,दिनेश मिश्र एडवोकेट , जूही श्रीवास्तव (ब्रांड एंबेसडर मिशन शक्ति) , अवधेश निषाद सामाजिक चिंतक शैलेंद्र श्रीवास्तव (राष्ट्रीय सचिव एंटी क्राइम एंटी करप्शन), ऋषभ द्विवेदी  (छात्र नेता इलाहाबाद विश्वविद्यालय) अध्यापक राधे मोहन त्रिपाठी अध्यापक सुफियान व अन्य अतिथि गण रहे | कार्यक्रम को व्यवस्थित करने एवं व्यवस्था संभालने का मुख्य कार्य ' स्टूडेंट पोर्टल प्रमुख' श्री प्रिंस प्रियदर्शी ने व्यवस्थापक मंडल के साथ किया, जिसमें साक्षी सिहं,आरती वर्मा, आकाश मौर्य अमन कुमार साहू ,अतयंत कुमार,   अविनाश तिवारी, हरिशंकर , हर्ष  दुबे, हर्षित पांडेय, इन्द्र, कृष्ण देव  ,मौ सैफ ,आदिय, मकरध्वज यादव, आदिल,  पवन वर्मा, राज तिवारी, प्रिन्स वर्मा , सौरभ दुबे, सुधान्शु दुबे शामिल रहे ।
कवि सम्मेलन में कवियों का  सम्मान करते हुए डॉ मणिशंकर द्विवेदी द्वारासभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया, एवं भारतीय जन जागरण मंच के अध्यक्ष आवेश मृदुल ने सभी का प्रोत्साहन बढाया ,और निर्विघ्न रुप से बड़े व्यवस्थित ढंग से कवि सम्मेलन को विराम दिया गया |

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उत्तर प्रदेश - 56 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर , इंस्पेक्टर से डीएसपी बने 30 अधिकारियों को नई तैनाती

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) से पहले पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल किया गया है. शासन ने 56 डिप्टी एसपी के ट्रांसफर किए हैं. इनमें इंस्पेक्टर से डीएसपी बने 30 अधिकारियों को भी तैनाती दी गयी है. माना जा रहा है कि आगामी पंचायत चुनाव को देखते हुए सरकार की तरफ से यह फेरबदल किया गया है।

विक्रमाजीत सिंह बने डीएसपी बलिया, उमाशंकर उत्तम डीएसपी मऊ, राकेश कुमार सिंह डीएसपी मुजफ्फरनगर, ब्रजमोहन गिरी डीएसपी आगरा, अशोक कुमार सिंह डीएसपी भदोही, साधुराम डीएसपी इटावा, अनिल कुमार डीएसपी सीबीसीआईडी मेरठ सेक्टर, शिव प्रताप सिंह डीएसपी अलीगढ़, नागेंद्र यादव सहायक सेनानायक 36 वीं पीएसी वाराणसी ,राजकुमार मिश्रा डीएसपी बरेली, वीरेंद्र प्रताप सिंह डीएसपी सीबीसीआईडी वाराणसी सेक्टर, अजय कुमार सिंह डीएसपी गोरखपुर, देवेंद्र कुमार फर्स्ट सहायक सेनानायक 23वीं पीएसी मुरादाबाद, सुनील दत्त दुबे डीएसपी महाराजगंज, ब्रह्मपाल सिंह द्वितीय सहायक सेनानायक 47वीं पीएसी गाजियाबाद, अरविंद कुमार डीएसपी शाहजहांपुर, अशोक कुमार सिंह पंचम सहायक सेनानायक 36वीं पीएसी वाराणसी, राकेश सिंह डीएसपी संभल, अशोक कुमार पांडे सहायक सेनानायक 30 वीं पीएसी गोंडा। ओंकार नाथ शर्मा डीएसपी रामपुर, अजय कुमार चतुर्थ सहायक सेनानायक 15वीं पीएसी आगरा, सुनील कुमार त्यागी डीएसपी एटा और प्रभात कुमार वर्मा मंडल अधिकारी अलीगढ़ बनाया गया है.

इसके अलावा वैद्यनाथ प्रसाद डीएसपी बरेली, महेश चंद्र गौतम डीएसपी मुरादाबाद, रामशरण सिंह सहायक सेनानायक 27वीं पीएसी सीतापुर ,परशुराम सिंह डीएसपी कानपुर देहात, उम्र दराज खान सहायक सेनानायक 39वीं पीएसी मिर्जापुर, अजय कुमार डीएसपी बरेली, ओम प्रकाश आर्य सहायक सेनानायक 45वीं पीएसी अलीगढ़, नेत्रपाल सिंह डीएसपी मथुरा, सतीश कुमार सहायक सेनानायक 41वीं पीएसी गाजियाबाद, संजीव कुमार सिंह डीएसपी रामपुर, उत्तम सिंह सहायक सेनानायक 38वीं पीएसी अलीगढ़, सुनील दत्त डीएसपी पीलीभीत और विजय आनंद शाही डीएसपी गाजीपुर बने हैं.

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया यूपी पंचायत चुनाव के आरक्षण से जुड़ी याचिका ? जानें क्या है सच्चाई

लखनऊ (Uttar Pradesh) ।उत्तर प्रदेश त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव कराने को लेकर जारी सीट आरक्षण का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सीटों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश दिया गया था। up panchayt chunav 2021 

व्हाट्सएप पर फर्जी खबरों का बौछार

इस याचिका को लेकर रविवार दोपहर बाद से ही ग्रुपों में यह कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया है लेकिन सच तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस मामले को कुछ नही कहा है । इस मामले सोमवार यानी आज यह पता चल पाएगा कि क्या यह चुनौती रद्द होगा या फिर इसपर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट दायर याचिका को सुरक्षित रखते हुए तारीख की घोषण करेगा।

 जानिए क्या है मामला 

दिलीप कुमार नामक युवक ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले पर विचार किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट में उनका पक्ष नहीं सुना गया।

सभी सीटों की सूची जारी
बता दें कि पिछले दिनों हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानकर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था। साथ ही  25 मई तक पंचायत चुनाव संपन्न कराने के लिए कहा था। जिसके बाद राज्य में अरक्षण की दूसरी सूची का अनंतिम प्रकाशन हो गया है।


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रविवार, 21 मार्च 2021

हाईकोर्ट के आदेश के बाद नई आरक्षण सूची जारी, लेकिन अब नए फार्मूले पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

UP Gram Panchayat Chunav 2021: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की नई आरक्षण सूची जारी हो गई . इस बीच पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर आ रही है. पंचायत चुनाव में आरक्षण (UP Panchayat Election New Reservation List challenged in Supreme Court) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में हाईकोर्ट की नई सूची वाले आदेश को चुनौती दी है.  (UP Panchayat Election Latest news

खबर के अनुसार, पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर ये याचिका लखनऊ हाईकोर्ट के वकील अमित भदौरिया के जरिये दायर हुई है, अमित भदौरिया के मुवक्किल ने याचिका दायर की है. याचिका में आरक्षण को लेकर कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ के आदेश को चुनौती दी है. 

बता दें कि कुछ दिन पहले हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पंचायत चुनाव में 2021 के आरक्षण फॉर्मूले को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने 2015 के चक्रानुक्रम के आधार पर नए सिरे से सीटों के आवंटन व आरक्षण का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी में पंचायत चुनाव के लिए बनाई गई नई आरक्षण प्रणाली नहीं चलेगी. 2015 को आधार मानकर ही आरक्षण सूची जारी की जाए. 

कोर्ट ने यूपी की योगी सरकार से कहा था कि पंचायत चुनाव आरक्षण (UP Panchayat Chunav Arakshan List) की कार्यवाही 27 मार्च, 2021 तक पूरी हो. और चुनावी प्रक्रिया 25 मई तक पूरी की जाए. अब हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

मालूम हो कि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद शनिवार से ही दूसरी नई आरक्षण सूची जारी की गई है. लेकिन अब ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुँच गया है. सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुँचने से चुनाव लड़ने की सोच रहे दावेदार एक बार फिर असमंजस की स्थिति में फंस गए हैं.

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शनिवार, 20 मार्च 2021

यूपी-आज जारी होगा पंचायत चुनाव का आरक्षण सूची,जानिए कब होगा चुनाव के तारीखों की घोषणा

सौरभ वीपी वर्मा
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण लागू करने के आदेश पर नए सिरे से आरक्षण लागू करने के लिए पंचायती राज विभाग तेजी से काम करने में लगा है. 27 मार्च तक सभी पदों के लिए विभाग को आरक्षण की सूची जारी करनी है. इस दिशा में तेजी से काम करते हुए पंचायती राज निदेशालय ने जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर तो आरक्षण की सूची जारी कर दी है वहीं सभी जिलों में बाकी पदों के लिए आरक्षण की सूची आज यानी 20 मार्च को जारी की जाएगी. हालांकि सूची जारी करने के लिए 22 मार्च तक का समय जिला प्रशासन को दिया गया है.up panchayt chunav 2021. up reservation 2021. gram panchayat chunav 2021

नियम यह है कि आरक्षण की सूची जारी करने के बाद इसपर आम जनता से आपत्तियां भी मांगी जाएं, जिससे किसी को कोई गलती लगती हो तो उसे दुरुस्त किया जा सके. इसके लिए चार दिनों का समय दिया गया है. 20 मार्च से 23 मार्च तक लोगों की आपत्तियां ली जाएंगी. अगले दो दिनों में यानी 24 और 25 मार्च को आई आपत्तियों का परीक्षण किया जाएगा.
इन्हीं दो दिनों में उनका निस्तारण भी कर दिया जाएगा. अगले दिन यानी 26 मार्च को आरक्षण की अंतिम सूची पंचायती राज निदेशालय को भेजनी होगी. पंचायती राज जिलों से मिली आरक्षण की सूची को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपेगा. 

विश्वसनीय स्रोत से मिली जानकारी के अनुसार उम्मीद की जा रही है कि सूची जारी होने के एक हफ्ते के भीतर ही पंचायत चुनावों की घोषणा आयोग कर देगा. अब मिली जानकारी को आधार माने तो होली के तुरंत बाद पंचायत चुनावों की घोषणा हो जाएगी और प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगा।

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भारत मे कोरोना का वह रूप नही था जिसका हवाला देकर पूरे देश को डराया गया

सौरभ वीपी वर्मा

वर्ष 2020 में यही वह महीना था जब दुनिया के कई देशों ने तालाबंदी कर दिया था , भारत भी तेजी से फैल रहे कोविड-19 वायरस की चपेट में आ चुका था इसी वजह से आने वाले हप्तों में संपूर्ण लॉकडाउन का खाका तैयार किया जा रहा था और देखते ही देखते 24 मार्च 2020 से 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान हो गया थ।

उसके बाद अगली सुबह से देशभर के ट्रेनों के पहिए जाम हो गए , बड़े बड़े मॉल में ताला लग गए ,आसमान में गड़गड़ाहट की आवाज से उड़ती हुई हवाई जहाजों पर विराम लग गया , बाजार बंद हो गए , सिनेमाघर बंद हो गए दूध ,दही ,फल ,दवा जैसी दुकानों को छोड़कर संपूर्ण भारत में पूरी तरह से तालाबंदी हो गया था ।

दिल्ली , महाराष्ट्र , गुजरात जैसे राज्यों के महानगरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को हजारों किलोमीटर की यात्रा करके पैदल ही घर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था , सरकारों द्वारा प्रदान की गई रोटी पानी की व्यवस्था नाकाफी था लेकिन ग्रामीणों ने राहगीरों को भोजन पानी की व्यवस्था देने में कोई कसर नहीं बाकी रखा उसके बाद सैकड़ो लोग बेमौत मारे गए।

आज एक साल का समय पूरा होने वाला है जब इस देश के लोगों ने कोरोना के भयावहता के कारण जटिल समस्याओं का सामना किया था ,इस बीच सरकार द्वारा लंबा चौड़ा राहत पैकेज बनाया गया ,फ्री राशन और सिलेंडर दिया गया , अति गरीब लोगों को 1000 और 500 रुपये की नगदी भी दिया गया इसके अलावा कोरोना वायरस को खत्म करने वाले वायरस की दवा बनाने के लिए भी काफी धन निवेश किया गया जिसका परिणाम रहा है कि रिसर्चरों ने वैक्सिन बनाने की सफलता हासिल कर ली।

लेकिन समझ मे नही आ रहा है कि इस देश के बहुसंख्यक आम आदमी को इससे क्या मिला ? आज भी कोरोना के नाम पर जनता को डराया जा रहा है ,मास्क पहनने और दो गज दूरी बनाकर रहने के लिए सलाह दिया जा रहा है ,स्कूलों को बंद किया गया ,परीक्षाओं को निरस्त किया गया इसके उलट नेताओं का काफिला जारी है , महोत्सव हो रहा है ,रैलियां हो रही है ,चुनाव हो रहे हैं एमएलए एवं एमपी चुने जा रहे हैं तो आखिर अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को ही कोरोना से क्यों डराया जा रहा है ? 

क्या आपको नही लगता कि अमेरिका और ब्रिटेन की तरह भारत मे कोरोना का वह रूप नही था जिसका हवाला देकर पूरे देश को डराया गया ? प्रवासी मजदूरों को उनके बदतर हालात में उन्हें वैसे ही छोड़ दिया गया ? अगर लगता है तो विचार कीजिये अन्यथा आने वाले दिनों में एक बार फिर उसी तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार रहिए क्योंकि सरकार की उदासीनता और कोरोना के रिपोर्ट ने ठीक एक साल पूरा होने पर एक बार फिर सबको चौंका दिया है।

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शुक्रवार, 19 मार्च 2021

अगले साल से देश भर से खत्म हो जाएगा टोल प्लाजा ,आधुनिक तकनीक से होगी टैक्स की वसूली

टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी भीड़ और उससे जुड़े अन्य चीजों में बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है. इस बात की पुष्टि खुल केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की है. उन्होंने संसद में कहा कि अगले एक साल में टोल प्लाजाओं को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा. इसके साथ ही सभी वाहन चालकों उतना ही टैक्स देना होगा जितना वे सड़क पर चल रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आने वाले समय में सभी से GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर के टैक्स वसूला जाएगा. वाहनों के हाईवे पर चढ़ने और उतरने को GPS के जरिए ट्रैक किया जाएगा और उसी हिसाब से पैसे लिए जाएंगे.

हाईवे पर जितना चले उतना ही टैक्स

उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है कि जिसमें आप हाईवे पर जहां से चढ़ेंगे, वहां GPS की मदद से कैमरा आपकी फोटो लेगा और जहां आप हाईवे से उतरेंगे वहां की फोटो क्लिक की जाएगी और इस तरह आपको उतनी ही दूरी का टोल चुकाना होगा. इसका मतलब है कि अगर आप हाईवे पर सिर्फ 10 किलोमीटर चलते हैं तो आपको सिर्फ उसके लिए ही टैक्स देने होंगे. अभी संचालित नियम के अनुसार 60 किलोमीटर की अवधि में बनाये गए टोल प्लाजा पर टोल टैक्स लिया जाता है इस प्रकार आपने जिस टोल पर टैक्स दिया है उससे आगे 5 किलोमीटर बाद ही आपकी यात्रा भले ही खत्म हो रही हो लेकिन आपको पूरे 60 किलोमीटर का भुगतान करना होता है।

पुराने वाहनों में मुफ्त में लगेगा GPS

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि नए वाहनों में कंपनी की ओर से GPS लगाकर दिया जा रहा है. वहीं पुराने वाहनों में GPS की समस्या है, ऐसे में सरकार की ओर से टोल टैक्स कलेक्शन के नए सिस्टम के लिए इन वाहनों में मुफ्त में GPS लगवाया जाएगा.


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UP-प्रत्याशियों को नही करना पड़ेगा इंतजार,इस तरह से चल रहा अप्रैल में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी

सौरभ वीपी वर्मा-

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए नए सिरे से तैयार हो रहे आरक्षण सूची के लिए प्रत्याशियों को ज्यादा समय तक इंतजार नही करना पड़ेगा इसके लिए विभिन्न पदों के लिए आरक्षण सूची को अंतिम रूप देने का कार्य जिले में  शुरू हो गया है। हालांकि प्रत्याशियों को इस बात की चिंता है कि कहीं चुनाव की तारीखों को आगे न बढ़ाया जाए। लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि यूपी में पंचायत चुनाव कब होगा ।up panchayt chunav. up panchayt chunav new reservation 2021

निदेशालय से जारी निर्देश के अनुसार अनंतिम आरक्षण सूची का प्रकाशन 20 से 22 मार्च के बीच होगा. इसके बाद 21 से 23 मार्च तक प्रत्याशियों से आपत्तियां ली जाएंगी. 24 से 25 मार्च के बीच आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद पंचायती राज विभाग 26 मार्च की शाम तक अंतिम आरक्षण सूची सार्वजनिक कर देगा.

वहीं इस बात का कयास लगाया जा रहा है कि आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन होने के बाद राज्य में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकता है हालांकि बोर्ड परीक्षा को देखते हुए अभी इसपर मंथन चल रहा . वहीं एक और जानकारी के अनुसार  राज्य में दो चरणों का चुनाव अप्रैल में और दो चरण के चुनाव मई में कराए जा सकते हैं . फिलहाल अभी पंचायत चुनाव कराने की तारीखों का कोई स्पष्ट जानकारी नही मिल रहा है।

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फ्रांस में बढ़ते कोरोना वायरस के मामले को देखते हुए एक महीने का लॉकडाउन

फ्रांस में कोरोना वायरस की 'तीसरी लहर' की वजह से राजधानी पेरिस में एक महीने का लॉकडाउन किया जा रहा है.
पेरिस के साथ देश के 15 अन्य इलाकों में भी शुक्रवार आधी रात से लॉकडाउन किया जा रहा है.फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स ने कहा है कि ये लॉकडाउन पहले के लॉकडाउन की तरह सख़्त पाबंदियों वाला नहीं होगा.

फ्रांस में बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 35,000 नए मामले सामने आए हैं.प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स का कहना है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की 'तीसरी लहर' तेज़ी से बढ़ सकती है.

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गुरुवार, 18 मार्च 2021

यूपी- 26 मार्च को जारी होगा आरक्षण की अंतिम सूची , जानिए प्रदेश में कब होगा पंचायत चुनाव

सौरभ वीपी वर्मा-

पंचायत चुनाव के लिए जारी आरक्षण हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद प्रदेश में अब नए सिरे से पंचायत चुनावों (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर आरक्षण सूची बनाने पर मंथन शुरू कर दिया गया है। राज्य सरकार ने नई आरक्षण सूची को लेकर जिलों के डीएम को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। निर्देशों के मुताबिक, अब पंचायत चुनाव में आरक्षण का आधार वर्ष 2015 मानकर आरक्षण सूची जारी की जाएगी।
22 मार्च तक जारी होगी पहली आरक्षण सूची, 26 मार्च को अंतिम प्रकाशन 

जिस तेजी से काम किया जा रहा है उसे देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में अप्रैल के महीने में ही चुनाव कराए जा सकते हैं । हालांकि 24 अप्रैल से बोर्ड की परीक्षा होनी है इस लिए अभी चुनाव की स्थिति कुछ साफ नही हो पा रही है। 

इधर जिलाधिकारियों को 19 मार्च तक ग्राम प्रधान, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत के आरक्षण से जुड़े प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद 20 से 22 मार्च के बीच इस प्रस्तावित सूची का प्रकाशन किया जाएगा। 23 मार्च तक उम्मीदवार अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। 26 मार्च तक सभी आपत्तियों को निस्तारित कर अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी।

Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021 new reservation 4 चरणों में कराए जाएंगे चुनाव

इससे पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। राज्य में पंचायत चुनाव 4 चरणों में कराए जाएंगे। हर मंडल में एक चरण में एक ही जिले में चुनाव कराया जाएगा। आयोग के मुताबिक, अगर किसी मंडल में जिलों की संख्या 4 से ज्यादा है तो वहां पर किसी एक चरण में दो जिलों में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे।

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बुधवार, 17 मार्च 2021

up panchayt chunaw2021 आरक्षण को लेकर देरी लेकिन अंदरखाने चुनावी तैयारियों में तेजी

सौरभ वीपी वर्मा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) को लेकर भले ही हाईकोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए 2015 को आधार मानकर आरक्षण लागू करने के आदेश के साथ चुनावी तारीखों में देरी कर दिया है लेकिन सरकार और चुनाव आयोग ने चुनाव करवाने के लिए तेजी कर दिया है ।
मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए. प्रदेश में पंचायत चुनाव 4 चरणों में कराए जाएंगे. साथ ही प्रत्येक मंडल में एक चरण में एक ही जिले में चुनाव कराया जाएगा. इस संबंध में चुनाव आयोग द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया. आयोग के मुताबिक, यदि किसी मंडल में जिलों की संख्या 4 से अधिक है तो वहां पर किसी एक चरण में दो जिलों में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे ।

दिशा-निर्देश में यह भी कहा गया है कि इस बार पोलिंग पार्टी में पीठासीन अधिकारी के अतिरिक्त तीन मतदान कर्मी नियुक्त किए जाएंगे. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिले के सभी विकास खंडों में एक साथ चुनाव कराने से पोलिंग पार्टियों के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की आवश्यकता मंडल के दूसरे जिले से पूरा किया जाएगा. इसका निर्णय मंडलायुक्त करेंगे.

इस बार एक ही मतपेटी में पड़ेंगे सभी वोट
राज्य चुनाव आयोग ने इस बार सभी पदों के लिए मतपत्र एक ही मतपेटी में डालने का निर्णय लिया है. यानी एक ही मतपेटी में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के मतपत्रों को डाला जाएगा. एक मतपेटी भरने के बाद दूसरी मतपेटी का प्रयोग किया जाएगा. तीसरी मतपेटी की आवश्यकता पड़ने पर पीठासीन अधिकारी संबंधित सेक्टर मजिस्ट्रेट को सूचित करेंगे. जिसके बाद संबंधित सेक्टर मजिस्ट्रेट तीसरी मतपेटी उपलब्ध कराएंगे. इसके लिए सेक्टर मजिस्ट्रेटों को मतदान के दिन मतदान केंद्रों के निरीक्षण के दौरान अपने वाहन में अतिरिक्त मतपेटियों को रखने का निर्देश दिया गया है.

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सोमवार, 15 मार्च 2021

सरकार के निजीकरण और निरंकुशता के खिलाफ 10 लाख बैंककर्मियों का हड़ताल ,आज दूसरा दिन

सौरभ वीपी वर्मा 

वैसे आजादी के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि जिस काम को जनता ,अधिकारी ,कर्मचारी आदि इकाइयों से जुड़े लोग नही चाह रहे हैं उसी काम को सरकार कानून बनाकर सबपर थोपना चाहती है , जिस तरह से  109 दिन हो गया इस देश के किसान धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं और सरकार उनकी समस्या को खत्म करने का प्रयास नही कर रही है उसी तरह से देश के बैंकिंग सेक्टर में काम कर रहे बैंककर्मियों के साथ भी सरकार जबरदस्ती अपना कानून लागू करना चाहती है ,जो इस देश के बैंकिंग सेक्टर में काम करने वाला कोई भी बैंककर्मी नही चाहता है। इस को लेकर एक सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि जब इस देश में अन्नदाता और व्यवस्था चलाने वाले लोग सरकार द्वारा थोपी गई कानूनों को नही चाहते हैं तो सरकार आखिर किस कारण से अपनी मनमर्जी को थोप रही है ?  
जानिए क्या है मामला 
इस देश के 80 फीसदी लोगों को नही पता होगा सोमवार को बैंक क्यों बंद थे लेकिन सच ये है कि बैंक आज भी बंद रहेंगे इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में  बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का एलान किया है इसके चलते सोमवार यानी आज और मंगलवार को देश भर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित रहेंगी। 

देेेश के नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने बताया कि बैंकों के लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में भाग लेंगे। भारतीय स्टेट बैंक SBI सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है।

बैंकों ने यह भी बताया कि वे बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिये आवश्यक कदम उठा रहे हैं। पिछले महीने पेश किये गये केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी ।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ AIBEA के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि 4, 9 और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठकें बेनतीजा रही इसलिए हड़ताल होगी। यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज के
एसोसिएशन (एआईबीईए) ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), नैशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स असोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक इम्प्लॉइज कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईसीआई) आदि शामिल हैं।

इंडियन नैशनल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), इंडियन नैशनल बैंक ऑफीसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नैशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) भी हड़ताल की अपनी में शामिल हैं।

अब जरा आप सोचिए जिस देश मे किसी इकाई को चलाने वाले एक बड़े समूह को सरकार की इस व्यवस्था से दिक्कत है तो आखिर सरकार जबरदस्ती अपनी मनमर्जी क्यों थोपना चाहती है ? सच तो यह है कि कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार सिर झुकाए खड़ी हुई है ।

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अडानी-अंबानी के तुष्टिकरण में लगी है सरकार किसान महापंचायत में बोले जयंत चौधरी

यूपी -आज जयंत चौधरी अम्बेडकर नगर के टांडा में किसान महापंचायत को सम्बोधित कर रहे थे। पंचायत में संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कांशीराम की जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए किया। इसके बाद उन्होंने पिछले 109 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन पर राम मनोहर लोहिया  को स्मरण करते हुए उन्होंने उनका प्रसिद्ध वाक्य दोहराया कि अगर सड़के सुनसान हो जायेगी तो सांसद आवारा हो जायेंगी। 

भाजपा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह हमेशा उसूलों पर चलते थे। पर आज के भाजपा के नेता ग़ुलामों की तरह हो कर रह गए हैं। ये लोग महापुरुषों की प्रतिमा बनायेंगे उन पर माला डाल देंगे पर कार्य बिल्कुल उलट करेंगे। जयंत चौधरी ने अपने आज के सम्बोधन को विस्तृत करते हुए भारत की अनेकता में एकता की बात को भी लोगों के सामने रखा और कहा इस देश की ताक़त अलग-अलग पहचानों के साथ-साथ उनमे एकता की हैं। इसी एकता को धक्का तब लगता हैं जब एक ही धर्म एक ही भाषा और एक ही संस्कृति को बाक़ियों पर थोपा जाता हैं।
सरकार पर हमले बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि हो सकता हैं पहले कि सरकारों ने जितने वादे किए हो उतना नही कर पाए हो पर ये सरकार तो जो काम इन्होंने किए ही नही उनको भी अपना बताती फिरती हैं। और यह इसलिए हैं क्यूँकि अपने किए काम गिनाने के लिए कुछ हैं नही। सरकार को बेरोज़गारी के मुद्दे पर घेरते  हुए जयंत चौधरी ने कहा कि ये बार बार कहते हैं कि तिरंगे का अपमान हो रहा हैं पर मैं बताता हूँ तिरंगे का अपमान कब होता हैं। तिरंगे का अपमान तब होता हैं जब एक बीटेक किया हुआ नौजवान एक चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन देता हैं। तिरंगे का अपमान तब होता हैं जब नौकरियो के लिए आवेदन मंगाने के बाद दो-तीन साल तक प्रकिर्या को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता हैं और बेरोज़गार सिर्फ़ इंतज़ार करता रहता हैं।

योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि पहले कहा कि पाँच साल में सत्तर लाख नौकरिया देंगे, कुछ महीने पहले कहा कि कोरोना काल में 21 लाख नौजवानो को नौकरियां दी गई, अब चार दिन पहले का बयान हैं कि हमने चार साल में चार लाख नौकरिया दी हैं। क्या ऐसे झूठे इंसानो की बातों और वादों पर भरोसा किया जा सकता हैं?

पिछले दिनो मंदिर में पानी पीने को लेकर एक बच्चे की निर्मम पिटाई का वीडियो वायरल होने पर जयंत चौधरी ने खेद जताया और लोगों से अपील की कि अगर आज लोग आवाज़ उठनी बंद कर देंगे तो समाज बिखर जायेगा। इसका एक स्वरूप हमने मंदिर में एक आसिफ़ नाम के बच्चे की पानी पीने को लेकर हुई निर्मम पिटाई के रूप में देखा हैं। ये हमारी तहज़ीब नही हैं। इसलिए हमें समाज को बिखरने और टूटने से बचाने के लिए अच्छे लोगों को आगे आकर इस प्रकार के घिनोने कृत्यों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करनी होगी।

कोरोना काल की दिक़्क़तों को लेकर भी जयंत चौधरी ने बात की और कहा कि जब सबके रोज़गार जा रहे थे, सबकी आमदनी कम हो रही थी तब अड़ानी ने दुनिया में सबसे ज़्यादा पैसे कमाये। अम्बानी ने हर घंटे नब्बे हज़ार करोड़ की कमाई की। एक किसान को इतने पैसे कमाने में हज़ारों साल लग जाएँगे तब भी नही कमा पायेगा। नौकरीपेशा इंसान, मज़दूर इसी समय अपनी सारी पूँजी खो रहा था। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि सरकार ने जो नीतियां बनाई हैं उन नीतियों से सिर्फ़ अमीरों का फ़ायदा हैं और ऐसी ही नीति को ध्यान में रख कर ये तीन कृषि क़ानून हैं जो बनाए तो किसानों के नाम से हैं पर एक भी क़ानून से किसानों को कोई फ़ायदा नही है उल्टा किसान अपनी ज़मीन पर मज़दूर बन कर रह जायेगा।

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बस्ती- उपजिलाधिकारी से हुई गांव में सफाईकर्मी न आने की शिकायत

केoसीo श्रीवास्तव

भानपुर -रामनगर विकास खंड के पिरैला नरहरिया ग्राम पंचायत के निवासी अशोक चौधरी ने उपजिलाधिकारी भानपुर आनंद श्रीनेत को शिकायत पत्र देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत सफाईकर्मी के न आने से सार्वजनिक स्थानों पर गंदगियों का ढेर जमा हुआ है।
            शिकायतकर्ता अशोक चौधरी
 उन्होंने शिकायत में कहा कि ग्राम पंचायत में 3 सफाईकर्मी की तैनाती है लेकिन महीनों से वें गांव में नही आ रहे हैं जिसकी वजह से ग्राम पंचायत के तिनोहवा ,बजारवा एवं हसनगढ़ में गंदगियों का अंबार है और उससे संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है। उपजिलाधिकारी ने कहा कि गांव में अभियान चला कर  सफाई का कार्य करवाया जाएगा एवं दवा का छिड़काव होगा।

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हाईकोर्ट ने 2021 के आरक्षण आवंटन पर लगाई रोक 2015 के आधार पर आरक्षण लागू करने के दिये आदेश

यूपी में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर की गई आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने असहमति जताते हुए रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण व्यवस्था 2015 के आधार पर की जाए। कोर्ट ने सरकार ने अगले 10 दिनों में मामले पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब पंचायत चुनाव आगे खिसकाए जा सकते हैं। बता दें कि चुनाव को लेकर 25 से 27 मार्च तक अधिसूचना जारी होनी थी पर अब ऐसा संभव नहीं लगता ।
Up panchayt chunaw aracshan 2021

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गरीबी ,बेरोजगारी और कुपोषण से कैसे निपटेगी जाति और धर्म के नाम पर उलझी हुई जनता

सौरभ वीपी वर्मा-

इस देश के नेता और सत्ताधारी यहां के नागरिकों को जाति और धर्म के नाम पर उलझा देते हैं , हिन्दू मुस्लिम में दंगा करवा देते हैं ,आपसी भाईचारे में फुटमत करा देते हैं इसी से इनकी राजनीति की दुकान चल और फल फूल रही है , ये जनता भी नेताओं के लॉलीपॉप को चूसकर मस्त है और   बिना चिंता किए आराम की नींद सो जाती है ।

लेकिन इन सबके के बाद भी हम जैसे लोगों को चिंता करना पड़ता है कि आखिर इस देश के उस बड़ी आबादी का क्या होगा जो बदसे बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है , ये अन्नदाता का देश है उसके बाद भी देश में प्रतिदिन औसतन 22 करोड़ लोगों को भूखे पेट सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है , ये युवाओं का देश है उसके बाद भी देश के हर जगहों पर बुजुर्गों का कब्जा है ,क्योंकि युवाओं को गर्त में डालने के लिए सरकारों ने समय समय पर मादक पदार्थों को बढ़ावा देने का किया है।
यहां महिला सम्मान की बात गाजे बाजे के साथ होती है लेकिन भारत जैसे देश में महिलाओं की कुल आबादी में से 46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है जिसकी वजह से हर साल 1 लाख 36 हजार महिलाओं की मौत बच्चा जनने के दौरान हो जाता है और हमारे यहां दूध ,दही ,घी दलिया के नाम पर देश को कुपोषण मुक्त किया जा रहा है।

यहां गरीबी दूर करने की बात हो रही है लेकिन जहां पूर्व की कांग्रेस सरकार ने ₹22 खर्च करने वाले लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर माना था वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 16 रुपये 50 पैसे में ही लोगों को अमीर मान लिया है यानी कि एक आदमी दिन भर में 16 रुपये 50 पैसा खर्च करता है तो वह संपन्न व्यक्ति है ।

देश की एक बड़ी आबादी शिक्षा और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ,देश में प्राइमरी स्तर की जो शिक्षा है वह लगातार बद से बदतर होती जा रही है यहां से निकलने वाले बच्चे डॉक्टर , इंजीनियर ,आईएएस ,पीसीएस बनने की बात छोड़िए यहां से निकलने वाला बच्चा एक चपरासी के बच्चे से बात करने के लायक भी नहीं बन रहा है और हमारे देश के नेता भारत को विश्व गुरु बनाने की बात कर रहे हैं।

इसी तरह से देश बर्बादी की मुहाने पर खड़ा हुआ है और देश को देश के ही भूरे साहबों और सफेदपोशों द्वारा लूटा जा रहा है , सरकारी योजनाओं के नाम पर आने वाले धन को बंदरबांट करने के लिए यहां का हर जिम्मेदार जगह जगह खड़ा हुआ है ताकि इस देश के विकास के नाम पर आने वाले पैसे से अपना महल खड़ा कर सकें और गरीबों के बच्चों की भूख को खत्म करने वाले पैसे से अपने बच्चों के लिए खिलौना खरीद कर ला सकें ।

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✍️ सौरभ वीपी वर्मा
संपादक -तहकीकात समाचार

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रविवार, 14 मार्च 2021

चुनाव के आरक्षण में अंतरिम रोक के बाद शासन में चल रहा यह तैयारी ,आखिर चुनाव का क्या होगा ? up panchayt chunaw 2021

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण तय करने की प्रक्रिया पर लगी अंतरिम रोक पर शासन सोमवार को जवाब दाखिल करेगा। मिली जानकारी के अनुसार छुट्टी होने के बावजूद दिन भर शासन में जवाब तैयार किए जाने की प्रक्रिया चलती रही। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में किए गए पंचायतराज ऐक्ट में 11वें संशोधन और ऐक्ट में आरक्षण तय करने की मूल व्यवस्था को सरकार अपने जवाब का आधार बनाएगी।
बता दें कि शुक्रवार को हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चुनाव पूर्व आरक्षण तय किए जाने की प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा था। याचिका में इस बात पर आपत्ति जताई गई थी कि वर्ष 1995 को आधार वर्ष मानते हुए आरक्षण तय किए जा रहे हैं जबकि रोटेशन के मुताबिक वर्ष 2015 (पिछले चुनाव) के आधार पर आरक्षण तय किया जाना चाहिए।

वहीं, शासन में शनिवार को जवाब तैयार करवाया जा रहा था। इसमें देखा गया कि पंचायतराज ऐक्ट में आधार वर्ष की बात ही नहीं है। सूत्र बताते हैं कि शासन के जवाब की मूल भावना यह होगी कि बीते चुनावों में आरक्षण में रोटेशन की मूल भावना का पालन नहीं किया गया। बीते पांच चुनावों में जिस आरक्षण को नजरअंदाज किया गया है, उसको प्राथमिकता देने के लिए बीते चुनावों के आरक्षण को देखा जा रहा है।

इसके अलावा हाल ही में सरकार ने जो पंचायत राज ऐक्ट में 11वां संशोधन किया था, उसमें कहा गया था कि जिन जिलों में नए सिरे से परिसीमन होगा उसमें नए सिरे से आरक्षण लागू करने के बजाए रोटेशन की प्रक्रिया को चलायमान रखा जाएगा। यह बिंदु भी शासन कोर्ट में जवाब के तौर पर रखने की तैयारी में है।

फाइनल आरक्षण घोषित करने पर असर नहीं
शासन के सूत्रों की मानें तो इस अंतरिम रोक के बावजूद फाइनल आरक्षण में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। हालांकि अगर शासन के जवाब से कोर्ट असंतुष्ट होता है और नए सिरे से आरक्षण तय किए जाने का आदेश देता है तब जरूर चुनाव कुछ और समय के लिए टल जाएंगे। वैसे शासन पहले ही तैयारी में था कि 15 मार्च तक जिलों से आरक्षण तय करने के बाद फाइनल लिस्ट उसके पास आ जाएगी, जिसका परीक्षण करके 22 या 23 तक वह अंतिम सूची जारी करेगा और फिर आयोग चुनाव की तारीखें घोषित कर देगा।

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शनिवार, 13 मार्च 2021

यूपी- पत्रकारों के साथ धक्का मुक्की मामले में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। मुरादाबाद के एक होटल में पत्रकारों की पिटाई के मामले में अखिलेश के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज हुआ है। अखिलेश यादव के अलावा नामजद रिपोर्ट में 20 अज्ञात सपा कार्यकर्ताओं पर भी मुकदमा दर्ज है।
Akhilesh yadav ex cm up
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले की जांच के आदेश मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने पुलिस को दे दिए थे। शुक्रवार को मुरादाबाद के पत्रकारों ने मीटिंग कर बृहस्पतिवार को हुई घटना की निंदा करते हुए आक्रोश जाहिर किया था।

पत्रकारों ने मुरादाबाद के एसएसपी को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए एक प्रार्थना पत्र दिया था। अखिलेश यादव पर पत्रकारों को प्रेसवार्ता में बुलाकर उनपर हमला कराने और बंधक बनाने के आरोप लगे हैं। सभी के ऊपर IPC-147,342,323 में केस दर्ज हुआ है ।

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विकास की तरफ अग्रणी है रामनगर विकास खंड का ग्राम पंचायत भैसहिया खुर्द बुजुर्ग


बस्ती - रामनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत भैसहिया खुर्द बुजुर्ग में उन कामों पर जोर दिया गया है जिसपर आज तक काम नही हो पाया था ,ग्राम पंचायत में बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के लिए सरकारी धन का सही उपयोग किया गया है ,इसके अलावा स्कूल मरम्मत और सुंदरीकरण , स्वच्छ पेय जल ,पानी ,निकासी ,सड़क एवं लाइट के काम पर ध्यान दिया गया है ताकि ग्राम पंचायत  विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ सके । यह कहना है ग्राम पंचायत के निवर्तमान प्रधान विश्राम चौहान का।
 निवर्तमान प्रधान  विश्राम चौहान ने  बताया कि ग्राम पंचायत में स्थिति प्राथमिक विद्यालय में सुंदरीकरण का काम किया गया है ताकि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का उत्साह बढ़े उन्होंने बताया कि वागमन की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगभग 800 मीटर इंटरलॉकिंग का कार्य किया गया है ,ग्राम पंचायत के दिव्यांग वृद्ध एवं असहाय महिलाओं -पुरुषों को पेंशन का लाभ दिलवाया गया है जिसमे 90 लोगों को इसका लाभ मिल रहा है ,उन्होंने बताया कि पथ प्रकाश के लिए ग्राम पंचायत में 6 स्थानो पर सोलर लाइट लगवाने का काम किया गया है और जल निकासी के लिए लगभग 300 मीटर नाली निर्माण का कार्य भी किया गया है ।

विश्राम चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 65 लोगों का आवास स्वीकृति है जिससे पात्रों को लाभ दिलवाने के लिए प्रयास किया गया है।

विश्राम चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत में कई प्रकार की योजनाएं संचालित हैं जिसके तहत गांव को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है ,उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में अभी भी सड़क  ,नाली ,चकमार्ग के लिए कुछ काम करना बाकी रह गया है यदि पंचायत चुनाव में मौका मिलेगा तो ग्राम पंचायत में बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के लिए प्राथमिकता पर ध्यान देते हुए काम किया जाएगा , ताकि ग्राम पंचायत को विकास के क्षेत्र में अग्रणी दिशा में ले जाया जा सके।

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हाईकोर्ट का फैसला पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज बोले ,इसे देखकर सिर में टाइगर बाम लगाना पड़ा

नई दिल्ली : जरा सोचिए कि जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज ही ये कहें कि हाईकोर्ट (High Court) का फैसला समझ नहीं आया. जज कहें कि फैसला पढ़ने के बाद बाम लगानी पड़ी. जी हां, सुप्रीम कोर्ट में आज अजीब सी स्थिति हो गई, जब कोर्ट के दोनों जज हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को लिखने के ढंग से नाराज दिखे. यहां तक कि दोनों जज हिंदी में बात करने लगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'ये क्या जजमेंट लिखा है. मैं इसे दस बजकर दस मिनट पर पढ़ने बैठा और 10.55 तक पढ़ता रहा. हे भगवान! वो हालत बताई नहीं जा सकती, कल्पना से परे है.'
इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा, 'मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया. इसमें इतने लंबे-लंबे वाक्य हैं कि कुछ पता ही नहीं चलता कि आखिर शुरू में क्या कहा और अंत में क्या कहा. पूरे जजमेंट में कौमा ही कौमा हैं. समझ ही नहीं आ रहा कहां वाक्य खत्म है, कहां नहीं. ये फैसला पढ़ते समय कई बार तो मुझे अपने ज्ञान और अपनी समझ पर भी शक होने लगा. मुझे फैसले का आखिरी पैरा पढ़ने के बाद अपने सिर पर टाइगर बाम लगाना पड़ा.'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर कहा कि फैसला ऐसा सरल लिखा होना चाहिए, जो किसी भी आम आदमी की समझ में आ जाए. जस्टिस कृष्ण अय्यर के फैसले ऐसे ही होते थे, जैसे वो कुछ कह रहे हैं और पढ़ने वाला सब कुछ उतनी ही सरलता से समझ रहा है. शब्दों की कारीगरी थी.

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शुक्रवार, 12 मार्च 2021

यूपी -हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की आरक्षण आवंटन पर लगाई रोक , जानिए क्या है वजह

लखनऊ -इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आरक्षण और आवंटन कार्रवाई रोकने को कहा है. इस बारे में सभी जिलों के डीएम को आदेश भेज दिया गया है. अदालत ने आरक्षण प्रकिया पर उत्‍तर प्रदेश सरकार को फटकार भी लगाई. अगली सुनवाई में सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी।


यह आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने अजय कुमार की जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए।

याचिका में आगे कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया। उक्त शासनादेश में ही कहा गया कि वर्ष 2001 व 2011 के जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किय जाना उचित नहीं होगा। कहा गया कि 16 सितम्बर 2015 के उक्त शासनादेश को नजरंदाज करते हुए, 11 फरवरी 2021 का शासनादेश लागू कर दिया गया। जिसमें वर्ष 1995 को ही मूल वर्ष माना गया है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव भी 16 सितम्बर 2015 के शासनादेश के ही अनुसार सम्पन्न हुए थे।

हालांकि जानकारी मिल रही है कि चुनाव में देरी नही होगा ,जो भी फैसला होगा वह जल्द ही सामने आएगा फिलहाल अभी चुनाव के तारीखों का एलान नही हुआ है 

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नजरिया- एक जमाने में था कुएं और प्यास का चोली दामन का संबंध ,अब खत्म हो रहा अस्तित्व

सौरभ वीपी वर्मा

जब पूरी दुनिया टेक्नोलॉजी और मशीनीकरण के दौर से गुजर रहा है तो इसी दौर में कुएं और प्यास का चोली दामन का सम्बंध भी खत्म होता दिखाई दे रहा है। एक दौर था जब हमारे पूर्वजों को पानी पीने की व्यवस्था के लिए नदियों के बाद कुआं ही सबसे बड़ा स्रोत बन गया था लेकिन आज आलम यह है कि कुओं का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है।
सामाजिक संबंधो के बंधन को कायम किया था कुआं

जीवन के लिए पानी की अनिवार्यता के कारण मानव सभ्यता का विकास नदियों के किनारे हुआ। कालक्रम में नदियों से होने वाली परेशानियों के कारण लोगों को पानी के अन्य विकल्प की आवश्यकता हुई और इसी आवश्यकता ने एक आविष्कार को जन्म दिया जो कुआं कहलाया। उस जमाने में धरती का सीना चीरकर पानी निकालना आसान नहीं था। कुएं सीमित संख्या में थे। जहां कुएं थे वहीं लोग बसते गये संबंध बढ़ता गया और समाज का निर्माण होता गया।

मानव धर्म शान की बात समझी जाती थी कुएं खुदवाना

कुएं खुदवाना मानव धर्म और शान की बात समझी जाती थी। किसने कितने कुएं खुदवाये सामाजिक प्रतिष्ठा में इसे भी जोड़ा जाता था। कहा जाता है कि कुएं खोदने के लिए मजदूर मजदूरी नहीं लेते थे। उसके बाद भी लोग कहते थे फलाने बाबू ने कुआं खुदवाया है। इस प्रकार लोगों का नाम चलता था जो शान की बात समझी जाती थी।

कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों के आता था काम

कुआं सिर्फ पानी पीने के लिए ही नहीं कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों के काम भी आता था। जिसकी जरूरत आज भी होती है। पूजा-पाठ के लिए कुएं का जल ही पवित्र माना जाता है। शादी-ब्याह के मौकों पर कुएं पर कई प्रकार के विधान निबटाए जाते हैं। गृह प्रवेश और भूमि शुद्धि के लिए कई कुओं का पानी जमा किया जाता है।

कुआं का मिट रहा अस्तित्व

बदलते दौर में कुओं का अस्तित्व समाप्त सा हो गया है। अब कुएं को संरक्षित करने की बात भी कागजों में सीमित रह गया है । कुछ ग्राम पंचायतों में कुएं को बचाने का काम किया गया है लेकिन अधिकांश जगहों पर कुएं उपेक्षित पड़े हुए हैं जो देख रेख की अभाव में कूड़े और मिट्टी के ढेर से पटते चले जा रहे हैं। 

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गुरुवार, 11 मार्च 2021

उत्तर प्रदेश -अगर पंचायत चुनाव लड़ने की कर रहे हैं तैयारी तो इन दस्तावेजों को रखें तैयार panchayt chunaw up 2021

लखनऊ। अगर आप भी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल, आपको पता होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव लड़ने के लिए किन-किन कागजों की जरूरत होती है और क्या नियम होते है। तो आइए आज हम आपको बता दें कि पंचायत चुनाव लड़ने के लिए आपकों किन-किन कागजों की जरूरत पड़ेगी ।
बता दें कि पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों को प्रशासन की तरफ से जारी किए गए नियमों और गाइडलाइन्स को ध्यान में रखना अति आवश्यक होगा। नहीं तो आप चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की उम्र नॉमिनेशन फाइल करने के दौरान 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए। अगर इससे कम आयु पाई जाती है तो आपकी नामांकन पत्र रद्द कर दिया जाएगा। पंचायत चुनाव के किसी भी पद को प्रत्याशी अधिकतम चार सेट में नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। ग्राम पंचायत सदस्य पद के नॉमिनेशन फॉर्म का मूल्य 150 रुपए निर्धारित है।

 अगर आप प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के नॉमिनेशन करने जा रहे हैं तो इसके लिए आपको मात्र तीन सौ रुपए देने होंगे। वहीं बीडीसी व प्रधान पद के लिए प्रत्याशी को दो हजार रुपए की जमानत धनराशि जमा करनी होगी। जिला पंचायत सदस्य पद का नॉमिनेशन फॉर्म पांच सौ रुपए का होगा। जिपं सदस्य पद की जमानत धनराशि चार हजार रुपए निर्धारित की गई है। अगर उम्मीदवार एससी, एससी महिला, ओबीसी, ओबीसी महिला या महिला है तो उसे नॉमिनेशन फॉर्म व जमानत राशि का आधा ही देना होगा। नॉमिनेशन फॉर्म नकद मूल्य देकर लिया जा सकेगा। वहीं जमानत धनराशि ट्रेजरी चालान से बैंक या ट्रेजरी में जमा किया जाएगा।

उम्मीदवार को ग्राम पंचायत का होना आवश्यक

उम्मीदवार जिस ग्राम पंचायत, तालुक रखता है वो वहीं से चुनाव लड़ सकता है। इसी के साथ ही प्रस्तावक भी ग्राम पंचायत का निवासी होना चाहिए। ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए संबधित ग्राम सभा का कोई भी व्यक्ति अपने वार्ड सहित किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है। बशर्ते उसका प्रस्तावक उस वार्ड का मतदाता हो जिस वार्ड से वह चुनाव लड़ रहा है। उसी प्रकार बीडीसी का चुनाव अपने वार्ड के अलावा संबधित ब्लॉक क्षेत्र के किसी भी वार्ड से लड़ा जा सकता है। जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव भी उम्मीदवार किसी भी वार्ड से लड़ सकता है लेकिन उम्मीदवार जिला पंचायत के किसी भी वार्ड का वोटर होना ही चाहिए।

महिला उम्मीदवार को आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। इतना ही नहीं, जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले महिलाओं के मायके से रिपोर्ट लगवाना आवश्यक होगा। प्रधान, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों को प्रारूप ब पर अपनी जाति संबधी घोषणा के साथ नोटरी से सत्यापित भी कराना होगा।

UP Panchayat Election 2021: Candidates will need these documents to contest elections . up panchayt chunaw 2021

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