नागरिकों को इंसाफ देने की क्षमताओं पर भारत की पहली रैंकिंग जारी की गई है. इसमें 18 बड़े और मध्यम आकार (1 करोड़ की आबादी से ज्यादा) के राज्यों को शामिल किया गया है. ओवरऑल रैंकिंग में महाराष्ट्र 10 नंबर में 5.92 अंक के साथ जंहा सबसे बेहतर है वंही 10 नम्बर में 3.32 अंक पाकर उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हुआ है।
इसके बाद कानून व्यवस्था बेहतरीन बनाए रखने में केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा हैं. 7 छोटे राज्यों में (1 करोड़ से कम की आबादी) में गोवा नंबर एक है. दूसरे नंबर पर सिक्किम और हिमाचल प्रदेश हैं.
यह रैंकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2019 में दी गई है. इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए न्याय प्रक्रिया के चार प्रमुख स्तंभों का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है. ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता. गौरतलब है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है. महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, गोवा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में इन चारों स्तभों की कार्यप्रणाली बेहतरीन है. इसके अलावा इन राज्यों में इन चारों स्तंभों के बीच उम्दा तालमेल भी है.
इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से निकलने वाले प्रमुख निष्कर्ष
देश में करीब 18200 जज हैं. लेकिन जजों के 23 फीसदी पद अब भी रिक्त हैं.
महिलाओं की संख्या काफी कम है. पुलिस विभाग में केवल 7 फीसदी महिलाएं हैं.
देश के करीब सभी जेलों में उनकी क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. औसत 114 फीसदी.
जेल में बंद कैदियों में से करीब 68 प्रतिशत कैदी तो अभी अंडरट्रायल हैं.
पुलिस, जेलों और अदालतों में कर्मियों की कमी है. पिछले 5 सालों में सिर्फ आधे राज्यों ने ही खाली पड़े पदों को भरने की कोशिश की है.
देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में रिक्त पदों की संख्या बहुत ज्यादा है. पुलिस में 22% (1 जनवरी 2017 तक), जेल में 33 से 38% (31 दिसंबर 2016) और अदालतों में 20 से 40% (2016-2017). गुजरात इकलौता राज्य है जहां पांच सालों में पुलिस, जेल और अदालतों में खाली पदों को भरने का बेहतर काम हुआ है. जबकि, झारखंड में खाली पड़े पदों की संख्या तेजी से बढ़ी है. एससी/एसटी/ओबीसी का कोटा किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में पूरा नहीं भरा गया है. हालांकि, कर्नाटक इसमें सबसे आगे है. वहां, एसटी और ओबीसी का कोटा तो भरा गया लेकिन एससी का कोटा भरने में अब भी 4 फीसदी बाकी है.
देश की कानून व्यवस्था में महिलाओं की कमी
पूरे देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है. पुलिस में मात्र 7 फीसदी महिलाएं हैं. जेल कर्माचारियों में 10 फीसदी महिलाएं हैं. उच्च न्यायालयों और अधीन न्यायालयों के सभी जजों में महिला जज करीब 26.5 फीसदी ही हैं.
2016 और 2017 में केवल 6 राज्य ही हैं जिन्होंने कोर्ट में दर्ज सभी मामलों का निपटारा किया है. ये राज्य हैं - गुजरात, दमन-दीव, दादर-नगर हवेली, त्रिपुरा, ओडिशा, लक्षद्वीप, तमिलनाडु और मणिपुर. अगस्त 2018 में बिहार, यूपी, प.बंगाल, ओडिशा, गुजरात, मेघालय और अंडमान-निकोबार में हर चार मामलों में से एक केस पांच सालों से लटका पड़ा है.