गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

समाजवादी लोहिया वाहिनी में जर्सी यादव समेत प्रदेश में 48 लोग बनाये गए सचिव

बस्ती- समाजवादी लोहिया वाहिनी में प्रदेश में अलग अलग जिलों में 48 लोगों को जिले में सचिव बनाया गया है जिसमें बस्ती से जर्सी यादव और राकेश चौधरी को यह जिम्मेदारी मिली है । यह जानकारी लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष रामकरन निर्मल ने दी।
जर्सी यादव ने कहा पार्टी में जो जिम्मेदारी मिली है उपसपर ईमानदारी से काम करेंगे और 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूत करेंगे ।

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प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सल्टौआ में मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता एवं उपचार शिविर का आयोजन

बस्ती-   राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य  कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र  सल्टौआ में विशाल मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता एव उपचार शिविर का आयोजन हुआ  शिविर का शुभारंभ ग्राम प्रधान ₹ अवधेश कुमार मिश्रा, मनोचिकित्सक डॉक्टर ए के दुबे एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर मनीष मद्धेशिया द्वारा फीता काटकर गया । अधीक्षक  द्वारा  संबोधित करते हुए मानसिक रोग के  विभिन्न लक्षणों के बारे में चर्चा की , मनोचिकित्सक डॉक्टर ए के दुबे ने लोगों को  मानसिक रोग के लक्षणों जैसे डिप्रेशन, चिन्ता, ओ सी डी, नशा, मोबाइल एडिक्शन, दिव्यंगता आदि पर विस्तार से लोगों को जानकारी दिया। एसीएमओ डॉ अशोक कुमार चौधरी द्वारा मानसिक स्वास्थ्य मेले के समस्या स्टालों का निरीक्षण कर लोगों को कार्यक्रम एवं मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों के बारे में जानकारी दी और कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा की। 
मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता  डॉ राकेश कुमार द्वारा जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ  द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं से अवगत कराया गया साथ ही साथ टेली मानस टोल फ्री हेल्पलाइन न0-14416, 1800-891-4416 उपलब्ध सेवाओं के बारे में जनमानस को जागरूक किया गया। साइकेट्रिक नर्स नीलम शुक्ला लोगों को मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लक्षणों एवं स्वास्थ्य केंद्र पर देखेंगे मरीजों को दवा खाने के तरीके एवं परहेज के बारे में जानकारी दी ।शिविर में 153 मरीज का रजिस्ट्रेशन किया गया जिसमें मानसिक रूप से  अस्वस्थ 49 मरीजों को उचित परामर्श और दवा वितरण किया गया इस शिविर के सफल  संचालन में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की  केस रजिस्ट्री असिस्टेंट निधि,केस अटेंडेंट  संजय पटेल, डॉ अजय कुमार डॉ सन्तोष कुमार, डॉ प्रदीप शुक्ला, डॉक्टर मोनिका गुप्ता , ए आर ओ  आर के चौधरी ,सीएचओ मोनिका, प्रियंका पाल, अरुण वर्मा ,आशीष पांडे और जयंती गुप्ता  बीपीएम  विजय चौधरी बीसीपीएम सर्वजीत चौरसिया, आरबीएसके टीम एवं  प्राथमिक स्वास्थ्य सल्टौआ के समस्त स्टॉफ और लंबू का विशेष योगदान प्राप्त रहा।

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सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

बस्ती- भारतीय किसान यूनियन ने चार सूत्रीय मांगों को लेकर तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

बस्ती-भारतीय किसान यूनियन द्वारा विश्व व्यापार संगठन के विरोध में पचमोहिनी चौराहे पर सोमवार को राष्ट्रीय आह्वान पर तिरंगा ट्रैक्टर यात्रा निकाल कर अपना संदेश शासन को दिया गया । श्याम नारायण सिंह के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में यात्रा के बाद किसानों ने तहसीलदार भानपुर को ज्ञापन सौंप कर राष्ट्रपति से मांग किया कि  आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए फर्जी मुकदमे को वापस लिया जाए ,बस्ती एवं वाल्टरगंज में बंद पड़ी चीनी मिल को अधिग्रहण कर चालू किया जाए ,एवं किसानों के बकाया गन्ना भुगतान को ब्याज सहित दिलवाया जाए , किसानों ने कहा कि राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर जब सन्देश आएगा तब किसान दिल्ली जाने के लिए तैयार हैं ।
इस मौके पर चौधरी कन्हैया किसान ,संत कुमार भारती,रामनयन किसान ,पीतांबर मौर्या ,मलहू चौधरी ,रामधनी प्रजापति ,कन्हैया लाल ,श्याम लाल चौधरी ,राकेश चौधरी , लालबहादुर चौधरी ,दिनेश चौधरी ,बाबूराम हीरालाल मौर्य , रामजतन चौधरी ,हरिलाल गुप्ता सहित कई दर्जन लोग उपस्थित रहे।

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शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा रद्द , 6 महीने में दुबारा होगी परीक्षा

उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा को सीएम योगी आदित्यनाथ ने रद्द कर दिया है। प्रदेश में 17 व 18 फरवरी परीक्षा सम्पन्न हुई थी । गृह विभाग ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि  पुलिस भर्ती परीक्षा के सम्वन्ध में प्राप्त तथ्यों एवं सूचनाओं के परीक्षण के आधार पर शासन द्वारा सम्यक् विचारोपरान्त शुचिता एवं पारदर्शिता के उच्चतम मानकों के दृष्टिगत इस परीक्षा को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। शासन ने भर्ती बोर्ड को यह निर्देश दिए है कि जिस भी स्तर पर लापरवाही बरती गई है उनके विरूद्ध एफ०आई०आर० दर्ज कराकर अग्रिम वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। शासन ने प्रकरण की जांच एस०टी०एफ० से कराये जाने का निर्णय लिया है, दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही किये जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। शासन ने छः माह के अन्दर पूर्ण शुचिता के साथ पुनः परीक्षा आयोजित करने तथा उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा से अभ्यर्थियों को निःशुल्क सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं।

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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

यूपी में दिलचस्प हुआ राज्यसभा का चुनाव, सपा की बढ़ीं मुश्किलें, बीजेपी ने आठवां प्रत्याशी उतारा

Rajya Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी के एक फैसले से यूपी का राज्यसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है. बीजेपी ने राज्य की 10 राज्यसभा सीटों पर पहले ही सात उम्मीदवारों का एलान कर दिया था. अब संजय सेठ को।प्रत्याशी घोषित कर बीजेपी ने आठवें उम्मीदवार को।भी।मैदान में उतार दिया है।
इससे पहले बुधवार को राज्यसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सात उम्मीदवारों ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अपने अपने नामांकन दाखिल किये.नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवार BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, आगरा के पूर्व महापौर नवीन जैन, पूर्व विधायक साधना सिंह और पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत बिंद हैं.

राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले सात उम्मीदवारों में से आरपीएन सिंह (सैंथवार), चौधरी तेजवीर सिंह (जाट), अमरपाल मौर्य (कोइरी) और डॉक्टर संगीता बलवंत (बिंद) पिछड़ी जाति की हैं. इसके अलावा डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी (ब्राह्मण) साधना सिंह (क्षत्रिय) और नवीन जैन (जैन) बिरादरी से आते हैं.

BJP द्वारा राज्यसभा चुनाव के लिये उत्तर प्रदेश से सात में से चार सीटों पर पिछड़ी जातियों के उम्मीदवार खड़े किये गये हैं . इससे साफ है कि BJP लोकसभा चुनावों से पहले विभिन्न समुदायों तक पहुंचने की कोशिश में है.

नामांकन दाखिल करने से पहले प्रत्याशी संगीता बलवंत ने कहा कि BJP 'अंत्योदय' के लक्ष्य और देश के लिए काम करती है और वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी के साथ मिलकर काम करेंगी.

उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में BJP के 252, सपा के 108 और कांग्रेस के दो सदस्य हैं. सपा और कांग्रेस राज्य में विपक्षी दल हैं और लोकसभा चुनाव में BJP का मुकाबला करने के लिए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में भागीदार भी हैं.

सदन में BJP के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के 13 जबकि निषाद पार्टी के छह सदस्य हैं. रालोद के नौ, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो और बसपा का एक सदस्य है. चार सीटें खाली हैं.

समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवारों आलोक रंजन, जया बच्चन और रामजी लाल सुमन ने कल नामांकन दाखिल किया था . राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी है. मतदान 27 फरवरी को होगा और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे.

समाजवादी पार्टी को तीनों सीटों को जीतने के लिए कुल 111 विधायक चाहिए जिसमें वर्तमान समय में पार्टी के पास 108 विधायक हैं जिसमें से 2 विधायक जेल में हैं उधर पल्लवी पटेल ने सपा प्रत्याशी को वोट देने से मना कर दिया है यानी कि अब सपा के पास 105 विधायक बच रहे हैं जो 111 के आंकड़ों से 6 कम है। 

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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

बस्ती- बुर्जुग की हत्या मामले में पीड़ित परिजनों से मिले पूर्व विधायक दयाराम चौधरी

बुर्जुग की हत्या मामले में पीड़ित परिजनों से मिले पूर्व विधायक दयाराम चौधरी

उच्चाधिकारियों से दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई, एनएसए लगाने की मांग

बस्ती। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बस्ती सदर के पूर्व  विधायक दयाराम चौधरी ने कलवारी थानाक्षेत्र के गौसैसीपुर डड़वा पुरवा गांव पहुंचकर जमीनी विवाद में 70 वर्षीय बुजुर्ग राममिलन चौधरी की हत्या और 20 वर्षीय बेटे विशाल और 67 वर्षीय बहन माला देवी पर जान लेवा हमला मामले में पीड़ित परिवार के सदस्यों से भेंटकर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से पूर्व विधायक दयाराम चौधरी ने कहा कि राम मिलन चौधरी के परिवार पर काफी जुल्म और अत्याचार हुआ। हमले के दौरान बुर्जुग  राममिलन की मौत हो गई और पुत्र  विशाल का धारदार हथियार से बाएं पैर के पंजे को काट दिया। 67 वर्षीय बहन माला देवी और विशाल की स्थिति गंभीर बनी हुई है। उन्होने मौके पर दुःखी परिवार को न्याय दिलाने का ढाढस बधाने के साथ ही मौके पर मौजूद कलवारी थानाध्यक्ष बी.पी. सिंह और उच्चाधिकारियोें से वार्ता कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई  एवं एन.एस.ए. लगाने का आग्रह किया। कहा कि अराजकता और मनमानी को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
पीड़ित परिवार से वार्ता के दौरान पूर्व विधायक दयाराम चौधरी के साथ  छरदही के ग्राम   प्रधान रमेश चौधरी,राजकुमार शुक्ला, महेन्द्र   चौधरी, जगदम्बा चौधरी,आशीष चौधरी,अजय कुमार श्रीवास्तव,नागेन्द्र शुक्ल, लाल चंद्र चौधरी के साथ ही स्थानीय ग्रामीण शामिल रहे।

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बस्ती- कलवारी पुलिस की लापरवाही से हुई राममिलन की हत्या ,मृतक की पत्नी ने लगाये कई गंभीर आरोप

बस्ती - सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश पटेल ने आज गौसैसीपुर पहुंच कर मृतक राममिलन के परिवार से मुलाकात किया । इस मुलाकात में मृतक की पत्नी ने पुलिस के रवैये पर सवाल खड़ा किया और बताया कि  25 जनवरी को लगभग दो ढाई सौ की संख्या में मेरे घर पर दबंग किस्म के लोग चढ़कर गाली गलौज देते हुए पत्थर चलाये , इस मामले की शिकायत करने के बाद पुलिस ने गंभीरता नही दिखाई  वहीं उल्टे हमारे पति को थाने में बैठा लिया बाद में पुलिस ने 25 हजार रुपया लेने के बाद थाने से छोड़ा । उसके बाद फिर 10 फरवरी को सैकड़ो लोगों ने मिलकर राममिलन की हत्या कर दिए एवं उनके बेटे विशाल चौधरी के पैर को काट दिया .दोनों हाथ की हड्डियों को कई जगहों पर  तोड़ दिया गया , घर में मौजूद महिलाओं के साथ गाली गलौज व छेड़छाड़ कर मारा पीटा गया उसके बाद  भी पुलिस प्रशासन अभी अपराधियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है , पीड़ित ने कहा कि 25 फरवरी को पुलिस मामले की गंभीरता देखती तो आज परिवार को नही खोना पड़ता।
पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि हमको प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जाए और दोनों बेटे को नौकरी दी जाए एवं परिवार के लोगों को मुआवजा भी दिया जाए ।
बृजेश पटेल ने कहा कि वह  पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव मदद देने के लिए तैयार हैं। बता दें कि जमीन के एक मामले को लेकर कलवारी थाना क्षेत्र के गौसेसिपुर गाँव में 10 फरवरी को गांव के ही दलितों ने राममिलन चौधरी की हत्या कर दिया था वहीं मृतक राम मिलन के बेटे के पैर को भी धारदार हथियार से काटकर अलग कर दिया था उसी के साथ ही परिवार के और लोगों को भी दंबगों ने मार कर घायल कर दिया था जिसमें पुलिस के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप परिवार और क्षेत्र के लोगों ने लगाया है । 

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शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

बस्ती- सड़क के किनारे अधूरे नाली बना कर काम छोड़ने से ग्रामीणों में रोष

बस्ती- बहुप्रतीक्षित देईपार चौकवा (भिरिया) मार्ग बनकर तो तैयार हो गया लेकिन कार्यदायी संस्था द्वारा सड़क निर्माण में की गई अनियमितता की शिकायत नही खत्म हो रहा है । करीब 7 करोड़ की लागत से एफडीआर तकनीक से बनने वाली साढ़े 6 किलोमीटर सड़क को ब्लैकलीड इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया गया जिसमें आबादी वाली जगह पर सड़क के दोनों तरफ नालियों का निर्माण भी करना था लेकिन जिस जगह पर पानी जमा होने की सबसे ज्यादा मामले देखे गए हैं वहां पर नाली निर्माण का कार्य आधा अधूरा ही छोड़ दिया  गया।
बस्ती डुमरियागंज मार्ग से कटकर देईपार से होते हुए 6.60 किलोमीटर की सड़क चौकवा तक जाती है जिसमें देईपार गांव के दर्जनों लोगों ने शिकायत किया कि देईपार में जो नाली का निर्माण किया गया वह अधूरा है , लोगों की मांग है कि नाली निर्माण की लंबाई को बढ़ाई जाए अन्यथा नई तकनीक से बनने वाली सड़क जल जमाव के कारण अपने समय से पूर्व ही टूट जाएगी।

गांव के निवासी गुड्डू चौधरी ने बताया कि नाली निर्माण कार्य को आबादी के बीच लाकर छोड़ दिया गया जिसकी वजह से जल निकासी न होकर आबादी के बीच ही पानी जमा हो जाएगा और जलजमाव सड़कों पर ही जाएगा जिसकी वजह से सड़क टूटने में देर नही लगेगी , लोगों ने नाली की लंबाई बढ़ाने की मांग की है।

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गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024

एसी कमरे में बैठकर मजदूरों और किसानों की चुनौती नही समझ पाएंगे प्रधानमंत्री मोदी

समीक्षा 
सौरभ वीपी वर्मा

करीब एक दशक से इस देश में गरीबों पर खूब चर्चा हुई इस दौरान केंद्र में भारतीय जनता पार्टी 10 वर्षों से लगातर सत्ता में काबिज़ रही और  देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा बार गरीब एवं किसान शब्द का प्रयोग किया लेकिन असल जिंदगी में गरीबों ,मजदूरों एवं किसानों के जीवन में कोई ठोस बदलाव नही आया ।
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के सामने आज जो चुनौती है वह न तो प्रधानमंत्री समझ सकते हैं और न ही इस देश के लोगों की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने वाली संस्थाओं ने समझने की कोशिश किया । पिछले 10 वर्षों की बात करें तो इस देश में महंगाई दोगुनी से तीनगुनी कुछ आवश्यक वस्तुओं जैसी की स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में 10 गुना से ज्यादा महंगाई बढ़ी है । 

अमीर और गरीब सबकी दैनिक जरूरतों की सामग्री खाद्य तेल , दाल , ईंधन , रसोई गैस , दवाएं , खाद ,कीटनाशक दवा , आदि जरूरत के सामानों ने महंगाई के क्षेत्र में आसमान को छू लिया है लेकिन दूसरी तरफ इस देश में अंतिम पायदान में खड़े लोगों जैसे के मजदूरों ,बटाई किसानों , लघु किसानों के आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नही हुआ क्योंकि उसका सबसे बड़ा कारण सरकार की उदासीनता है । इस दौरान ने तो किसानों के फसलों के दाम वृद्धि हुआ और न ही मजदूरों की मजदूरी , निश्चित रूप से यह बात कहा जा सकता है कि किसानों और मजदूरों के बारे में बात करने वाली सरकार और उसके प्रधानमंत्री ने मंच और मीडिया के माध्यम से जितने दावे किए हैं वह शत प्रतिशत फेल साबित हुई है ।

 सरकार को किसानों और मजदूरों दोनों के बारे में सोचना होगा तब जाकर गरीबों के जीवन में बदलाव आएगा और यह तभी संभव है जब सरकार इस महंगाई को देखते हुए गेहूं ,गन्ना ,धान आदि फसलों को मौजूदा मूल्य से डबल कर उसकी खरीददारी करेगी क्योंकि जब किसानों के जेब में पैसे होंगे तो वह मजदूरों को भी 400 से 500 रुपया मजदूरी दे सकेंगे और जब किसी मजदूर के जेब में महीने के 12 से 15 हजार पहुंचेंगे तो वह एक सामान्य जिंदगी जीने का सपना देख सकता है अन्यथा  एसी कमरे में बैठकर प्रधानमंत्री झूठे
दावे करते रहेंगे और ऐसे ही सरकारें आती जाती रहेंगी वहीं  हमेशा गरीबों के साथ छलावा होता रहेगा।

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सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

पूनम पांडे ने किया था सवाईकल कैंसर से मौत का नाटक , एफआईआर दर्ज

पैसों के लिए शरीर का नंगा प्रदर्शन करने वाली पूनम पांडे के बारे में लगभग हर कोई जानता है , वह चाहे टूर्नामेंट में जीत के जश्न पर कपड़े उतारने की बात हो या फिर गोवा में नग्न अवस्था में होकर वीडियो शूट कराने की शिकायत ,या फिर अपने ब्वाय फ्रेंड को ब्लैकमेल करना ।

लेकिन पूनम पांडे ने अपनी मौत का जो झूठा प्रचार किया वह इन सबसे भी ज्यादा घटिया काम है । बता दें कि हाल ही में पूनम पांडे का सवाईकल कैंसर से जूझते हुए मौत की खबर आई थी ,लेकिन अगले दिन पता चला कि उन्होंने अपनी मौत का नाटक किया था जिसके बाद उनके ऊपर एफआईआर तक भी दर्ज हुआ। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह स्टंट सवाईकल कैंसर के प्रति जागरूक था या किसी बड़ी एजेंसी से करोड़ो की डीलिंग?

बता दें कि इंस्टाग्राम पर पूनम पांडे ने अपना वीडियो शेयर किया है. इसमें पूरा तरह स्वस्थ बैठी हुई वो नजर आ रही हैं. एक्ट्रेस ने कहा, 'मैं जिंदा हूं. सर्वाइकल कैंसर से मेरी मौत नहीं हुई है. दुर्भाग्य से मैं उन हजारों महिलाओं के लिए ये नहीं कह सकती जिन्होंने सर्वाइकल कैंसर से जंग लड़कर अपनी जान गंवाई है. वो इसके बारे में कुछ नहीं कर पाईं, क्योंकि उन्हें कुछ पता ही नहीं था. मैं आपको यहां बताना चाहती हूं कि किसी दूसरे कैंसर के उलट सर्वाइकल कैंसर को हराना मुमकिन है. आपको बस अपने टेस्ट करवाने हैं और एचपीवी वैक्सीन लगवानी है।

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रविवार, 4 फ़रवरी 2024

कल हड़ताल पर रहेंगे प्रदेश भर के संविदा बिजलीकर्मी , सप्लाई व्यवस्था चरमराने की आशंका

बस्ती- उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन संविदा कर्मचारी द्वारा फरवरी को राजधानी लखनऊ में बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है । बिजली विभाग के संविदाकर्मियों ने कहा कि धरना प्रदर्शन की वजह से प्रदेश भर में संविदाकर्मियों का हड़तात रहेगा इससे उत्पन्न होने वाली समस्या का जिम्मेदारी शासन का होगा यह जानकारी सिद्धार्थनगर संघ के जिला उपाध्यक्ष अगनूराम मौर्या ने दी ।
संविदा कर्मचारी संघ ने मांग किया कि कर्मचारियों को मस्टरोल व्यवस्था के तहत समायोजित कर कार्य कराया जाये तथा मस्टरोल व्यवस्था के तहत समायोजित करने तक कार्य के अनुरूप अनुबन्ध किया जाये, कर्मचारियों को 18000/- वेतन का भुगतान किया जाये या सैनिक कल्याण निगम की भांति वेतन का भुगतान किया जाये या समान कार्य का समान वेतन दिया जाये एवं मानक के अनुरूप सुरक्षा उपकरण दिया जाये, ई०पी०एफ० घोटाले की जांच करायी जाये, घायल कर्मचारियों का उपचार कराया जाये, घायल कर्मचारियों द्वारा उपचार में व्यय की गयी धनराशि को संविदाकारों के बिल से काट कर दिया जाये, मृतक कर्मचारियों के परिजनों को 10 लाख दुर्घटना हित लाभ दिया जाये, कर्मचारियों को 60 वर्ष की अवस्था तक कार्य करने की अनुमति दिया जाये, महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश दिया ।

संघ ने बताया कि पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन द्वारा उक्त मांगों का समाधान करने के स्थान पर मार्च 2023 में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उ0प्र0 द्वारा किये गये हड़ताल में हजारों संविदा कर्मचारियों को, अप्रैल 2023 में उपकेन्द्र परिचालक सहायक के नाम पर हजारों संविदा कर्मचारियों को तथा नवम्बर 2023 में शक्ति भवन मुख्यालय लखनऊ से 40 संविदा कर्मचारियों को कार्य से हटा दिया गया जिसको ध्यान में रखकर संघ द्वारा पावर कार्पोरेशन प्रबन्धन का ध्यान संविदा कर्मचारियों की समस्याओं की तरफ आकृष्ट करने हेतु 11 चरणों में ध्यानाकर्षण कार्यक्रम किया गया। किन्तु पावर कार्पोरेशन प्रवन्धन द्वारा  कार्यक्रम का संज्ञान नहीं लिया गया जिसके कारण संघ द्वारा 12वें चरण में दिनांक 5 फरवरी 2024 को शक्ति भवन लखनऊ पर धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें आपके कार्यक्षेत्र में कार्य कर रहे संविदा कर्मचारी भाग लेंगे जिससे सप्लाई ठप होने या फाल्ट की समस्या आने पर कोई जिम्मेदारी नही रहेगी ।

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शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन चार को

सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन चार को 

*बुद्धिजीवी एप, पटेल की निजी रैली और आगामी रणनीति पर होगा विचार*
*शामिल होंगे देश भर से करीब दो हजार प्रतिनिधि*
लखनऊ, 2 फरवरी। सरदार पटेल बौद्धिक विचार मंच की ओर से रविवार 4 फरवरी को राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सरदार पटेल और सामाजिक समरसता से जुड़े विभिन्न विचारधारा वाले राष्ट्रीय बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस होगे।
शेयर बाजार के संस्थापक जगदीश शरण गंगवार ने बताया कि पटेल समाज की जनसंख्या 12 प्रतिशत से अधिक है। ये ध्यान रखे गए सम्मेलन में सभी पद के प्रतिनिधि, मुख्य रूप से पूर्व-सरकारी अधिकारी, सेना के पूर्व अधिकारी, पूर्व एवं वर्तमान पितृ पक्ष, उच्च न्यायालय के गणतंत्र, अल्पसंख्यक, विधान सभा व विधान परिषद के अध्यक्ष, महापौर, जिला पंचायत, सहयोगी बैंकों के अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, जिला सदस्य पंचायत, पार्षद, उद्योगपति, नवप्रवर्तक, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, समाज सेवी, समाज के विभिन्न सामाजिक पदाधिकारियों के प्रतिनिधि और 
प्रगतिशील किसानों सहित लगभग 2,000 प्रतिनिधि शामिल होंगे।
आयोजित संवाद वार्ता में अरुण कुमार साइना रेस्टॉरेंट संस्थापक संरक्षक, डॉक्टर क्षेत्रपाल गंगवार अध्यक्ष, वी आर वर्मा वाचर सिंह गंगवार उपाध्यक्ष, सुमेश कुमार सिंह चौधरी एवं एम आर एल निरंजन व कसान सचान ने भी अपने विचार रखे। सांख्यिकी ने बताया कि उक्त सम्मलेन में मुख्य रूप से सरदार पटेल और आधुनिक समाज, सामाजिक समरसता, सामाजिक वर्ग, सांस्कृतिक और सर्वहारा समाज, रोजगार समाजी जागरुकता, शिक्षा और संस्कार अनुष्ठान एवं रीति रिवाजों की आपूर्ति जैसे विषयों के अलावा समाज के सामाजिक, राजनीतिक और सामाजिक समरसता शामिल हैं। आर्थिक आदि विभिन्न चुनावी विचार होंगे। सम्मेलन में किसी राष्ट्रीय मार्ग का नाम सरदार पटेल के नाम पर जाने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। साथ ही लखनऊ और दिल्ली में पटेल स्मारक स्मारक, हर जिले में सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित करना, समाज में अच्छा काम करने वालों को पुरस्कार, बुद्धिजीवी ऐप और पटेल निजी रैली आदि पर विचार-विमर्श करते हुए आगामी रणनीति तय की जाएगी।
वकील कि सरदार पटेल अनमोल विचार मंच का गठन जुलाई 2018 में किया गया था। मंच का मुख्य उद्देश्य समाज को अपने हितों के प्रति जागरूक करना, समाज की विभिन्न समस्याओं को लेकर सरकार को एकजुट करना, समाज के विभिन्न सामाजिक पहलुओं को एक मंच पर एकजुट करना, संख्या के आधार पर सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक भागीदारी प्रयास करना। , समाज में अधिकाधिक कट्टरपंथियों के निर्माण के लिए लोगों को संगठित करना, ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालय, वाचनालय एवं संबद्ध संबद्धता का संचालन करना है। संघ के 15 मंडलों और दिल्ली में प्रेस वार्ताओं का आयोजन किया गया। मंच द्वारा बुद्धिजीवी शिक्षा शिविर, सरदार पटेल एवं ग्राम्य विकास कार्यक्रम, पंचायत प्रतिनिधि प्रशिक्षण एवं सम्मान विचार समारोह, संप्रदाय सम्मान समारोह, सामाजिक शिक्षा शिविर, धार्मिक स्थलों से मिलिए, सरदार सम्मान समारोह और प्रतिभा सम्मान समारोह भी आयोजित किए जाते हैं। उक्त प्रोग्राम की कड़ी में ही 4 फरवरी को कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
तहकीकात समाचार अभिलेख, प्रामाणिकता, निष्पक्षता

सरकार की उदासीनता से हाशिये पर ग्राम पंचायत और ग्राम प्रधान का अस्तित्व -सौरभ वीपी वर्मा

     समीक्षा
सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती- पंचायती राज व्यवस्था भारत के ग्रामीण इलाकों का वह रूप है जो भारत की आत्मा को स्वस्थ्य एवं व्यवस्थित करने में मदद करती है , जिसका मकसद ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है लेकिन आजादी का अमृत महोत्सव मनाने वाली सरकार की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत और ग्राम प्रधान दोनों का अस्तित्व हाशिये पर है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की बात करें तो सबसे ज्यादा काम ग्राम पंचायत के माध्यम से ही संभव है । इसके पहले भी ग्राम निधि से गांवों में विकास की बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के लिए बहुत सारे काम हुए हैं जिससे ग्रामीणों के जीवन यात्रा सुगम हुई है लेकिन वर्तमान समय में ग्राम पंचायतों के लिए बजट सत्र में भी किसी प्रगतिशील कार्यों का विस्तार और घोषणा न करना सरकार की उदासीनता साफ- साफ दिखाई पड़ती है।

आज गांव के लोगों को सांसद विधायक नही बल्कि विकास की सबसे ज्यादा अपेक्षा प्रधान से रहती है क्योंकि नाली निर्माण ,खड़ंजा ,सीसी रोड़ , पेय जल ,प्रकाश , सफाई आदि की व्यवस्था सबसे ज्यादा ग्राम पंचायत से ही संभव है लेकिन देखने को मिल रहा है कि अधिकतर ग्राम पंचायतों में धन की कमी की वजह से कई सारे विकास कार्यों पर स्थिरता बनी हुई है। 

ग्राम पंचायत को मिलने वाले छोटे छोटे मदों से ग्राम पंचायत में प्रधान , पंचायत सहायक , सामुदायिक शौचालय एवं अन्य लोगों को मानदेय भी देना होता है  जिसकी वजह से प्रधान चाह कर भी अपने स्तर से ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में बुनियादी सुविधाओं का जाल नही बिछा पाता है । मानदेय देने के लिए सरकार द्वारा यदि अलग से बजट की व्यवस्था की जाए तो बचे हुए पैसे से ग्रामीण इलाकों के विकास कार्यों में तेजी आ सकती है , लेकिन दुर्भाग्य यह है कि बड़े पैमाने पर सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन का निर्माण कराने वाली सरकार ने उसके रख रखाव के लिए अतिरिक्त बजट का निर्माण नही कर पाई।

प्रशासनिक निरंकुशता और कमीशनखोरी भी एक चुनौती

ग्राम प्रधान एक तो बजट कम होने की समस्या से झेल रहे हैं दूसरी तरफ प्रशासन की निरंकुशता और हर फाइल में कमीशनखोरी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है । किसी भी ग्राम पंचायत में ग्रामनिधि से एक लाख रुपये के काम को स्वीकृति कराने के लिए कम से कम 15 हजार रुपया कमीशन देना पड़ता है वहीं मनरेगा के कार्यों में यह कमीशन 25 प्रतिशत तक हो जाता है यानी एक लाख के काम में 25 हजार रुपया विकास खण्ड कार्यालय पर बैठे लोगों की जेब में जाना है ,ऐसी स्थिति में धन के एक बड़े पैमाने पर बंदरबांट हो रहा है।

सच तो यह है कि यदि सरकार को ग्राम पंचायत की अवधारणा और गांधी जी के ग्रामीण विकास के सपने को पूरा करना है तो उसके लिए एक स्वस्थ बजट का निर्माण करना होगा जिसमें सबसे पहले धन की कमी को दूर करना है दूसरा स्वीकृति के नाम पर प्रधान का हो रहा शोषण बंद करना होगा तब जाकर ग्राम पंचायत और ग्राम प्रधान का अस्तित्व दिखाई पड़ेगा अन्यथा जिस ग्रामीण भारत की दुर्दशा वर्षों से देखी जा रही है वह बरकरार रहेगा।


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