गुरुवार, 7 सितंबर 2023

क्या 'इंडिया' बनेगा 'भारत'? जानें- नाम को लेकर क्या है इतिहास और ये कैसे हो सकता है संभव?

एक देश, एक चुनाव' 'एक देश, एक राशन कार्ड' और 'एक देश, एक कानून' की तर्ज पर ही एक देश तो क्या नाम भी एक ही होना चाहिए- INDIA या भारत? ये बहस पूरे उफान पर है कि अपने देश का नाम क्या होना चाहिए? वैसे ज्यादातर मुल्कों का एक ही नाम होता है. जैसे- अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी या फिर पाकिस्तान. वहीं आप सोचते होंगे कि अपने देश के दो.. या तीन.. या कई नाम क्यों हैं? जैसे - भारत, इंडिया, हिन्दुस्तान, हिंद, भारतवर्ष आदि. अगर इतिहास में और पीछे जाएंगे तो जम्बूदीप, आर्यावर्त, हिमवर्ष आदि नाम भी मिलते हैं.. यानी देश एक और नाम अनेक.
संविधान के मुताबिक देखा जाए तो हमारे देश के दो ही नाम आधिकारिक हैं- इंडिया और भारत. अब इस बात पर बहस हो रही है कि क्या एक देश, तो नाम भी एक ही होना चाहिए.

वैसे शेक्यपियर ने कहा था, What is there in the name, नाम में क्या रखा है. भारत बोलो, इंडिया बोलो या हिन्दुस्तान बोलो, भावना तो देश के प्रति एक ही है.  

वैसे संविधान के अनुच्छेद 1 में साफ लिखा है - INDIA, That is Bharat.. shall be union of states यानी इंडिया, जो कि भारत है, वो राज्यों का संघ होगा. पढ़ने में लगता है कि इंडिया पर ज्यादा जोर दिया गया है. और भारत को उसका पर्यायवाची या समानार्थी बताया गया है.

संविधान सभा में ये बहस 18 सितंबर 1949 को हुई थी. इसी दिन यानी 18 सितंबर को ही संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.

संविधान सभा में देश के नाम को लेकर हुई थी लंबी चर्चा
सेन्ट्रल प्रोविन्स के नुमाइंदे एचवी कामथ ने बहस की शुरुआत की थी और अपने तर्कों में कहा था कि अंबेडकर जी ने ड्राफ्ट में दो नाम सुझाए गए हैं- इंडिया और भारत. कामथ ने कहा कि वो इस अनुच्छेद 1 में संशोधन चाहते हैं. हमें प्रमुख नाम हिंद रखना चाहिए और जब अंग्रेजी में देश का नाम बोलना हो तो हम तभी इंडिया बोलें. कामथ ने अपने तर्कों में ये भी कहा कि हिन्दुस्तान, हिंद, भारतभूमि या भारतवर्ष जैसे नाम भी देशवासियों ने सुझाये हैं.

लेबल: