शुक्रवार, 30 जून 2023

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ,जिससे देश भर में शुरू हुई चर्चा ,पढ़िए और समझिए

समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code- UCC) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बयान के बाद UCC का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है. देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है. तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अपने-अपने तर्क देकर सवाल उठा रहे हैं. आइए आपको बेहद आसान भाषा में बताते हैं कि क्‍या है समान नागरिक संहिता, अचानक क्‍यों छिड़ गई है इस पर बहस और ये किन-किन देशों में लागू है?
समान नागरिक संहिता को लेकन मंगलवार को PM Narendra Modi ने एक बयान दिया था, जिससे इस मुद्दे पर देशभर में बहस छिड़ गई. पीएम ने UCC का विरोध करने वालों से सवाल किया था कि आखिर दोहरी व्‍यवस्‍था से देश कैसे चल सकता है. पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का जिक्र किया गया है. ऐसे में बीजेपी ने तय किया है कि वो तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए संतुष्टिकरण के रास्ते पर चलेगी. पीएम मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों में हलचल मच गई है और UCC का मुद्दा एक बार फिर से गर्म हो गया है.

क्‍या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून. जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं. फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्‍य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा.

गोवा में लागू है UCC

भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्‍य है जहां UCC लागू है. संविधान में गोवा को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया गया है. इसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है. वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है. इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है. रजिस्‍ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्‍य नहीं होगी. शादी का रजिस्‍ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है. संपत्ति पर पति-पत्‍नी का समान अधिकार है. इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं. गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है.

भारत में क्‍यों नहीं लागू हो पाया 

समान नागरिक कानून का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था. उस समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधों, सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है. संविधान के अनुच्छेद-44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है. लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका. इसका कारण भारतीय संस्‍कृति की विविधता है. यहां एक ही घर के सदस्‍य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं. आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्‍यक हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्‍यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा. सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं. ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपनेआप खत्‍म हो जाएंगे.

पहले भी मांगी जा चुकी है राय

देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर पहले भी राय मांगी जा चुकी है. साल 2016 में विधि आयोग ने UCC को लेकर लोगों से राय मांगी थी. इसके बाद आयोग ने 2018 में अपनी रिपोर्ट तैयार की और कहा भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है. बता दें कि समान नागरिक संहिता बीजेपी के मुख्‍य तीन एजेंडा शामिल रही है. इसमें पहला जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 को हटाना था. दूसरा, अयोध्‍या में राममंदिर का निर्माण कराना था. इन दोनों एजेंडा का काम खत्‍म करने के बाद अब बीजेपी UCC को लागू करने के लिए अपना जोर लगा रही है.

दुनियाभर में कहां लागू है समान ना‍गरिक संहिता

समान नागरिक संहिता को लेकर अगर दुनिया की बात करें, तो ऐसे तमाम देश हैं जहां ये लागू है. इस लिस्‍ट में इनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं. यूरोप के कई ऐसे देश हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं, वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को मानते हैं.

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रविवार, 25 जून 2023

पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने वाले वीपी सिंह न घर के रहे न घाट के

सौरभ वीपी वर्मा
पुनः प्रकाशित 

 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भारत के वित्त मंत्री बनने के बाद 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधान मंत्री बने .वीपी सिंह ने राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे कठिन लड़ाई लड़ी, रक्षा सौदों में दलाली के खिलाफ सत्ता से विद्रोह किया, जाति व्यवस्था को सबसे बड़ी चुनौती दी और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आमरण अनशन किया इसी आमरण अनशन में इनकी किडनी भी खराब हो गया जो इनके मौत का कारण बना।

आज वी.पी. सिंह न घर के रहे न घाट के उनकी जयंती पर कोई न तो कोई सरकार उन्हें याद करती है और न ही कोई नेता सोशल मीडिया पर बेशक कुछ लोग उनके नाम पर फूलमालाएं चढ़ाते हैं, लेकिन यह भी कोई आम चलन नहीं है.आइये विस्तार से उनके बारे में जानते हैं दिलीप सी मंडल के जरिये।

वी.पी. सिंह का राजनीतिक-सामाजिक जीवन मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित है.

पहला दौर एक जमींदार परिवार से निकल कर कांग्रेस की राजनीति में होना और मुख्यमंत्री तथा देश का वित्त मंत्री तथा रक्षा मंत्री बनना है. इसमें से उनका मुख्यमंत्री काल बागियों के खिलाफ अभियान के लिए जाना जाता है, जबकि वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने कॉरपोरेट करप्शन और रक्षा सौदों में दलाली के खिलाफ अभियान चलाया. इसी दौर में वे कांग्रेस से दूर हो गए.

उनके जीवन का दूसरा दौर प्रधानमंत्री के तौर पर रहा, जिस दौरान उनका सबसे प्रमुख और साथ ही सबसे विवादास्पद कदम मंडल कमीशन को लागू करने की घोषणा करना था. प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने बाबा साहेब को भारत रत्न देने से लेकर उनकी जयंती पर छुट्टी देने और ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए स्वर्ण मंदिर जाकर माफी मांगने जैसे कदम उठाए. इस दौरान वे रिलायंस कंपनी के साथ सीधे टकराव में आए और धीरूभाई अंबानी को लार्सन एंड टुब्रो पर नियंत्रण जमाने से रोक दिया. राममंदिर आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने बीजेपी के सामने झुकने से मना कर दिया और इसी वजह से उनकी सरकार गिर गई.

अपनी जीवन के तीसरे अध्याय में वी.पी. सिंह संत की भूमिका में आ गए. वे कविताएं लिखने लगे और पेटिंग्स में हाथ आजमाया. लेकिन इस दौरान भी वे सामाजिक मुद्दों से जुड़े रहे. दिल्ली में झुग्गियों को उजाड़ने की कोशिशों का उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध किया और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ खड़े रहे.

इतना सब होने के बाद सवाल उठता है कि वी.पी.सिंह इतिहास के महानायक क्यों नहीं बन पाए? उनसे कहां चूक हो गई? बल्कि इस सवाल को यूं भी पूछा जा सकता है कि उन्हें महानायक बनाने से भारतीय इतिहास और समाज कहां और कैसे चूक गया?

विश्वनाथ प्रताप सिंह के समर्थकों और विरोधियों दोनों को उनके बारे में एक बात समझ लेने की जरूरत है, कि सक्रिय राजनीति से अलग होने तक वी.पी. सिंह सबसे पहले नेता थे और हर नेता की तरह उनका लक्ष्य भी सत्ता में और सत्ता के शिखर पर होना था. इसलिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक और प्रधानमंत्री बने रहने के दौरान उनके कार्यों को अराजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता. सत्ता में बने रहने के लिए जो कुछ करना पड़ता है, चुनाव जीतने के लिए जो भी समीकरण बनाने पड़ते हैं, जो भी इंतजाम करना होता है, उनसे वी.पी. सिंह अलग रहे होंगे, ऐसा मानने का कोई आधार नहीं है.

सांप्रदायिकता को लेकर उनके निजी विचारों में शुचिता का तब कोई मतलब नहीं रह जाता, जब केंद्र में अपनी सरकार वे बीजेपी के समर्थन से चलाते हैं. केंद्र में बीजेपी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होती है, क्योंकि सरकार चलाने के लिए वामपंथी दलों का भी समर्थन जरूरी था, लेकिन राजस्थान में बीजेपी और जनता दल मिलकर सरकार चलाते हैं.

दरअसल इतिहास और परिस्थितियों ने वी.पी. सिंह से कुछ ऐतिहासिक कार्य करा लिए या वी.पी. सिंह ने कुछ ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम दिया, जिसके लिए कोई उन्हें नायक तो कोई उन्हें खलनायक के तौर पर देखता है. मुश्किल यह है कि जो लोग उन्हें नायक के तौर पर देखते हैं, वे लोग छवि निर्माण करने में समक्ष लोग नहीं है. इसलिए उनकी नायक वाली छवि दबी रह जाती है और खलनायक वाली छवि उभर कर सामने आ जाती है क्योंकि छवि निर्माण के काम में सामाजिक तौर पर वही लोग आगे हैं, जो वी.पी. सिंह से नाराज हैं.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि उन्होंने रक्षा सौदों में हमेशा से चली आ रही दलाली और भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया. लेकिन वे इस मुद्दे को किसी तार्किक अंत तक नहीं ले जा पाए. अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने रक्षा सौदों में करप्शन के मामलों की त्वरित जांच के लिए कोई ठोस काम नहीं किया. इसलिए उन पर यह आरोप है कि भ्रष्टाचार का आरोप उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए उछाला था.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि जब बीजेपी ने राममंदिर के नाम पर देश में सांप्रदायिकता भड़काने की मुहिम तेज की तो वे बीजेपी के आगे झुकने की जगह अड़कर खड़े हो गए. इस कारण बीजेपी ने उनकी अल्पमत सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि उन्होंने भारत की तीन हजार से ज्यादा पिछड़ी जातियों को एक वर्ग में समेट दिया. इन जातियों को आरक्षण के साझा हित में बांध दिया. इसी दौरान बीएसपी के नेता कांशीराम मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू करवाने के लिए जनांदोलन चला रहे थे. लेकिन राजनीति में उनकी आवाज ने दम पकड़ना शुरू ही किया था. वी.पी. सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करके संविधान के अनुच्छेद 340 को जमीन पर उतार दिया, जो 26, जनवरी 1950 से संविधान की किताब में तो था, और देश की आधी से ज्यादा आबादी के मन में महत्वाकांक्षाएं जगा रहा था, लेकिन जमीन पर लागू नहीं था. इस अनुच्छेद में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है. मंडल कमीशन का गठन इसी अनुच्छेद के तहत हुआ है.

....और वी. पी. सिंह बन गए ‘खलनायक’ 

इस प्रश्न का जवाब इतिहास ही दे सकता है कि कोई और नेता प्रधानमंत्री होता तो क्या उन्हीं स्थितियों में वह मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करता? मेरा मानना है नहीं. यह काम विश्वनाथ प्रताप सिंह ही कर पाए. फिर भी चूंकि इतिहास की जुबां नहीं होती, इसलिए ऐसे सवालों का ऐसा जवाब हम कभी नहीं जान पाएंगे, जो हर किसी को संतुष्ट कर सके. जिस सत्य तक हमारी पहुंच है, वह यही है कि मंडल कमीशन लागू करने का काम वी.पी. सिंह के हाथों हुआ.

मंडल कमीशन लागू होते ही वह बुद्धिजीवी वर्ग जो कांग्रेस विरोध और भ्रष्टाचार विरोध के कारण वी.पी. सिंह का दीवाना था, उसने पलटी मार दी. वी.पी सिंह अचानक से मीडिया के दुश्मन बन गए. उनके खिलाफ सैकड़ों लेख और समाचार छापे गए और कार्टून बनाए गए.

चूंकि मंडल कमीशन ने समाज को आरक्षण समर्थक और आरक्षण विरोधी दो खेमों में बांट दिया था इसलिए पत्रकार, लेखक और बुद्धिजीवी भी दो खेमों में बंट गए. आरक्षण समर्थक बुद्धिजीवियों का कहने को एक खेमा तो था, लेकिन खेमा या तो खाली था, या फिर उसमें दो-चार लोग थे. लेकिन आरक्षण विरोधी बुद्धिजीवियों का खेमा भरा-पूरा था. छवि निर्माण की जंग वी.पी. सिंह बुरी तरह हार गए.

आरक्षण लागू कर भी पिछड़ों के नेता नहीं बन सके वी.पी.

वी.पी. सिंह के साथ एक और समस्या थी. वी.पी. सिंह का उभार ऐसे समय में हो रहा था, जब उत्तर भारत की राजनीति में मझोली जातियां और एक हद तक दलित जातियां अपना हिस्सा तलाशने लगी थीं. वे इस स्थिति से संतुष्ट नहीं थीं कि कोई और उनके हित की बात कर दे. लोहियावाद की राजनीति के कारण पिछड़ी जातियों के कई नेता राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उभर चुके थे.

मध्यवर्ती जातियां, जो ओबीसी में भी शामिल थीं, अपने नेताओं की कीमत पर विश्वनाथ प्रताप सिंह को नेता मानने के लिए तैयार नहीं थी. इस कारण वी.पी. सिंह मंडल कमीशन लागू करने के बावजूद कभी भी पिछड़ी जातियों के नेता नहीं बन पाए. उनके प्रति पिछड़ों की अच्छी भावनाएं थीं, लेकिन अपनी जाति का नेता उन्हें हर हाल में चाहिए था. अगर वी.पी. सिंह ने पिछड़ों का समर्थन पाने के लिए मंडल कमीशन लागू किया, तो यह काम हो नहीं पाया.

इस तरह, हुआ यह कि वी.पी. सिंह अपना सवर्ण मध्यवर्गीय आधार तो गंवा बैठे, लेकिन जिन पिछड़ी जातियों के साथ आने की उम्मीद में उन्होंने यह सब किया, वे अपनी अपनी जातियों के नेताओं के पीछे लाइन में लग गईं. वी.पी. सिंह राजनीतिक तौर पर बेहद अकेले रह गए.

लेकिन, इस वजह से वी.पी. सिंह का महत्व कम नहीं हो जाता. जाने-अनजाने में वी.पी. सिंह ने भारत की राजनीति का चेहरा बदल दिया. मंडल कमीशन के जवाब मे बीजेपी ने राम रथयात्रा निकाल दी. इसके बाद भारतीय राजनीति पहले जैसी नहीं रही.

पिछड़ी जातियों का भारतीय राजनीति में उभार मंडल कमीशन के बाद ज्यादा संगठित तौर पर नजर आने लगा. इसकी वजह से समाज भी बदला. मंडल कमीशन की दूसरी सिफारिश – उच्च शिक्षा में आरक्षण- 2006 में एक और ठाकुर नेता अर्जुन सिंह ने लागू किया. इससे भारतीय कैंपस का चेहरा पहले की तुलना में लोकतांत्रिक बन गया. हर समाज और जाति के लोगों के लिए कैंपस के दरवाजे खुल गए. हालांकि इतिहास अर्जुन सिंह के साथ भी उतना ही निर्मम साबित हुआ. लेकिन वह एक और कहानी है

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शनिवार, 24 जून 2023

चीन के बाद भारत बना कृत्रिम बारिश करने वाला देश , यूपी के कानपुर में हुआ सफल परीक्षण

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने काफी लम्बे प्रयास के बाद बड़ी सफलता हासिल की है। दरअसल, क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने का IIT कानपुर ने सफल परीक्षण किया है। अब इस सफल परीक्षण से उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में तकनीक से बारिश कराई जा सकती है। परीक्षण नागर विमानन निदेशालय (DGCA ) मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि IIT कानपुर 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, लेकिन कई वर्षों से परमिशन न मिलने के कारण मामला अटका था । उन्होंने कहा कि सारी तैयारियों के बाद बीते दिनों DGCA नेटेस्ट फ्लाइट की अनुमति दे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने कई साल पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की अनुमति दे दी थी। मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि सेना के एयरक्राफ्ट ने 5 हजार फुट पर केमिकल पाउडर फायर किया था। उसके बाद क्षेत्रों में बारिश हुई।
बता दें कि कृत्रिम बारिश की तकनीक चीन ने पहले ही विकसित कर ली है। अपनी तकनीक को चीन ने भारत को देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद से  IIT कानपुर के  वैज्ञानिकों ने लगातार इस तकनीक की खोज में लगे रहे। वहीं सरकार ने इस तकनीक की अनुमति भी दी।  लगभग 6 सालों में इस पर भारत के वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तकनीक से पर्यावरण पर कोई विरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। दावा किया जा रहा है कि यूपी के सूखाग्रस्त इलाकों में इस तकनीक का इस्तेमाल करके कृत्रिम बारिश की जाएगी, जिसके लिए पहले कृत्रिम बादल तैयार किये जाएंगे। ऐसा करने से यूपी के बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में बड़ी राहत मिल सकती है।  

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आर्थिक कंगाली का दंश झेल रही है देश की 90 करोड़ आबादी ,मुट्ठी भर लोगों को आजादी

सौरभ वीपी वर्मा

सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के जितनी भी योजना चलाई गई वर्तमान में सब बेबुनियाद साबित होता दिखाई दे रहा है , एक तरफ जहां गरीब आदमी अति गरीब हुआ है वहीं मध्यम वर्गीय परिवार जो आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित नही था उसके पास भी आर्थिक कंगाली का जमावड़ा हो चुका है।
देखा जाए तो सम्पन्न वर्ग भी विपन्नता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है । इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती महंगाई और आय में वृद्धि न होना है ।  वर्ष 2014 में मोदी सरकार द्वारा किसानों के आय दोगुना करने की बात कही गई थी लेकिन आंकड़े साफ हैं कि जिस सरकार द्वारा आय दोगुना करने की बात लोगों से कही गई थी उसी सरकार में तीन गुना से ज्यादा महंगाई का बोझ लोगों पर पड़ गया है।

इस देश में ही नही दुनिया के किसी भी देश की बात कर ली जाए तो महंगाई बढ़ने का दो सबसे बड़ा कारण है , एक ईंधन और दूसरा टैक्स । ईंधन के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने से परिवहन सेवा में भार पड़ता है और उस भार का सीधा-सीधा बोझ जनता पर पड़ता है जहां उसे  एक तरफ यातायात व्यवस्था पर ज्यादा पैसा देना पड़ता है वहीं ढुलाई, खेती ,निर्माण आदि क्षेत्र में इसका असर पड़ता है । वर्ष 2010 में पेट्रोल का दाम 61 रुपया तो वहीं डीजल का दाम 43 रुपया प्रतिलीटर था वहीं वर्तमान में पेट्रोल लगभग 98 तो वहीं डीजल की कीमत 91 रुपया प्रतिलीटर है । अब आप सीधे तौर पर समझ सकते हैं कि इस महंगाई का असर किसपर पड़ेगा । इधर के 10 वर्षों के टैक्स वसूली पर ध्यान दिया जाए तो सरकार द्वारा निर्माण ,उत्पादन ,सेवा ,क्रय - विक्रय आदि सभी क्षेत्रों से जमकर टैक्स वसूले गए हैं जिसका असर सीधे तौर पर आम आदमी ,गरीब ,किसान ,छात्र एवं नौजवान के ऊपर बढ़ा है । वहीं इसके उलट जनता की आय में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कोई ठोस कदम नही उठाया गया है जिसका परिणाम है कि आज जब मुट्ठी भर लोग अरबपति बन रहे हैं तब 90 करोड़ से ज्यादा लोग आर्थिक कंगाली का दंश झेलने के लिए मजबूर हैं।

आर्थिक कंगाली की जो स्थिति दिखाई दे रही है वह गांवों से लेकर बडे बडे शहरों तक पहुंच चुका है । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेव मॉल में सजने वाली कई दुकानें इस लिए बंद हो गईं क्योंकि उनके खर्चे के अनुसार वहां ग्राहक नही आ रहे थे या फिर वहां पर जो लोग आ रहे थे उनमें से ज्यादा लोगों द्वारा कोई खरीददारी नही किया जा रहा था । ऐसी स्थिति के बारे में समीक्षा की गई तो पता चला कि बढ़ती हुई महंगाई की वजह से लोगों को अपना घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है इस लिए लोगों द्वारा सीमित संसाधनों में जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।

ऐसी ही स्थिति कई क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है जहाँ पैसे की कमी की वजह से लोग अच्छा खाने पीने के सपने को देखना बंद कर अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाने के जद्दोजहद में दिखाई दे रहे हैं । 

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शुक्रवार, 23 जून 2023

96 घंटे की अंतरराष्ट्रीय हलचल के साथ आखिर मौत के मुह में समा गए दुनिया के पांच अरबपति

लापता पनडुब्बी को लेकर एक नया अपडेट सामने आय है. ओसियन गेट कंपनी के मुताबिक टाइटैनिक को देखने के लिए पांच लोगों को लेकर जो पनडुब्बी रवाना हुई थी, उसका अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है. ऐसे में अब उसमें सवार सभी लोगों को अब मृत माना जाना चाहिए. कंपनी ने इस घटना को लेकर कहा है कि टाइटैनिक की ओर जाने वाली लापता पनडुब्बी पर सवार पांच चालक दल के सदस्यों की उनके जहाज के "विनाशकारी विस्फोट" से मृत्यु हो गई. कंपनी ने इसे लेकर एक बयान भी जारी किया है. इस बयान में कंपनी ने उन लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं जिनकी इस घटना में मौत हुई है. 
कंपनी ने इस हादसे को लेकर एक बयान जारी किया है. इस बयान में कहा गया है कि ये लोग सच्चे खोजकर्ता थे जिनमें साहस की एक विशिष्ट भावना और दुनिया के महासागरों की खोज और उन्हें बचाने का गजब का जुनून था. इस दुखद समय में हमारी संवेदनाएं इन पांच आत्माओं और उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य के साथ हैं.

लापता जहाज जिसे टाइटन के नाम से जाना जाता है, ने वैश्विक आकर्षण पैदा कर दिया है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि जहाजों और विमानों के एक अंतरराष्ट्रीय बेड़े ने कनेक्टिकट के आकार से दोगुने आकार के उत्तरी अटलांटिक के क्षेत्र को बेतहाशा छान मारा गया. टाइटन की अनुमानित 96 घंटे की ऑक्सीजन आपूर्ति शून्य हो जाने के कारण बचावकर्मी उसकी तलाश में लगातार लगे रहे. 
बता दें कि रविवार को टाइटैनिक के मलबे की ओर जाते समय एक पनडुब्बी लापता हो गई थी. अमेरिकी तटरक्षक, कनाडाई सैन्य विमान, फ्रांसीसी जहाज और टेलीगाइडेड रोबोट जैसी संस्थाएं लगातार इस पनडुब्बी को खोज रही हैं. ये एक बहुराष्ट्रीय अभियान का हिस्सा बन गई हैं.

टूर कंपनी ओशियनगेट की इस छोटी पनडुब्बी में पांच लोग सवार थे. जिसमें पायलट भी शामिल है. इस पनडुब्बी में सफर के लिए एक पर्यटक को 2 करोड़ 28 लाख से ज्यादा की रकम चुकानी होती है. ये यात्रा न्यूफाउंडलैंड के सैंट जॉन्स से शुरू होती है. टाइटैनिक के मलबे तक पहुंचने और वापस आने की संपूर्ण यात्रा में आठ घंटे तक का समय लगता है.

 इस पनडुब्बी में पाकिस्तान के अरबपति कारोबारी शहज़ादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान और ब्रिटिश कारोबारी हामिश हार्डिंग भी शामिल हैं. हार्डिंग ने यात्रा पर जाने से पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर कहा था- "मुझे ये बताते हुए गर्व हो रहा है कि मैं टाइटैनिक के मलबे तक जाने वाले अभियान का हिस्सा हूं". शहज़ादा दाऊद के बारे में बताया जा रहा है कि वे पाकिस्तान के सबसे अमीर परिवारों में से एक हैं. वो एसईटीआई इंस्टीट्यूट के ट्रस्टी भी हैं.  पनडुब्बी के पायलट का नाम पॉल हेनरी है और वे फ्रांस के रहने वाले थे ।

बता दें कि टाइटन पर ब्रिटेन के 58 वर्षीय हामिश हार्डिंग, निवेश फर्म एक्शन ग्रुप के संस्थापक और एक शौकीन साहसी व्यक्ति थे; फ्रांसीसी समुद्री विशेषज्ञ पॉल-हेनरी नार्जियोलेट, 77; स्टॉकटन रश, 61, एवरेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वाशिंगटन स्थित ओशनगेट इंक, जिसने अभियान चलाया; और 48 वर्षीय शहजादा दाऊद और 19 वर्षीय सुलेमान दाऊद सवार थे. 


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बुधवार, 21 जून 2023

बस्ती -किसानों ने उपजिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन ,कहा न्यायालय में लंबित फाइलों का करें निस्तारण

बस्ती- भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति गुट भानपुर के तहसील अध्यक्ष उमेश त्रिपाठी के नेतृत्व में आज उप जिलाधिकारी भानपुर को 4 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया ।भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने ज्ञापन के माध्यम से मांग किया कि अंत्योदय कार्ड धारकों को स्मार्ट कार्ड ना होने की एवज में राशन की दुकानदार द्वारा पात्र लाभार्थियों को राशन नहीं दिया रहा है जिससे गरीब आदमी राशन पाने से वंचित हो गया है ।
 उन्होंने कहा कि जब तक स्मार्ट कार्ड नही है तब तक लाभार्थियों को राशन दिया जाए। किसान यूनियन के नेताओं ने ज्ञापन के माध्यम से मांग किया कि तहसील न्यायालय में लंबित मुकदमों का ग्राम पंचायतों में मौका देखकर त्वरित  निस्तारण किया जाए उन्होंने कहा कि बरसों से फाइलें लंबित हैं लेकिन उस पर कोई आदेश नहीं हो रहा है ,जिससे काश्तकारों को बेवजह तहसील का चक्कर लगाना पड़ता है ।
 मांग पत्र में किसानों ने कहा कि खेतों में डाली गई नर्सरी आवारा पशुओं की वजह से खराब हो रहा है किसानों ने मांग किया कि भानपुर तहसील क्षेत्र के सभी गांव में छुट्टा पशुओं को पकड़ कर गौशाला में बंद किया जाए । ज्ञापन के चौथे बिंदु पर किसनों ने बताया कि शुभ अवसरों पर हिजड़ों द्वारा घर पर पहुंच कर मनमानी तरीके से इनाम मांगा जाता है ,उनके अनुसार पैसा न देने पर वह लोग सामाजिक तौर पर परिवार के लोगों को बेइज्जत करते हैं । किसानों ने कहा कि इस पर रोक लगाई जाए ,अपने ख़ुशी से जो लोग दें वही लेकर जाएं।
ज्ञापन मिलने के बाद उप जिलाधिकारी शैलेश कुमार दुबे ने कहा कि ज्ञापन में प्रथम एवं द्वितीय मामला हमसे संबंधित है जिसका निस्तारण अतिशीघ्र करवाया जाएगा । 
इस मौके पर उदयराज , अयोध्या नाथ तिवारी , केस राम सफात अली , मुन्नीलाल ,जुगनू चौहान ,रामहित ,अनिल उपाध्याय आदि लोग उपस्थित रहे ।

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खत्म होने वाला है बरसात का इंतजार , झमाझम बारिश के लिए रहिए तैयार- मौसम विभाग का अलर्ट

दिल्ली-एनसीआर उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के कई राज्य कुछ दिनों से भयंकर गर्मी के चपेट में है. लोग तेज गर्मी से हलकान हैं. इस बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का बारिश (IMD Rainfall Alert) को लेकर अपडेट (Weather Update) आ गया है. यह अपडेट यूपी और बिहार के लोगों के लिए राहत की खबर लेकर आया है. IMD ने 10 राज्यों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. इसमें बिहार भी शामिल है. वहीं, राजधानी लखनऊ और आसपास के जिले में मंगलवार को अलग अलग इलाक़ों में हल्की से तेज बारिश से लोगों को राहत महसूस हुआ।
IMD के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, गंगीय पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तटीय आंध्र प्रदेश भारी बारिश की संभावना है. IMD के अनुसार बुधवार यानी आज उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं असम और मेघालय में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. वहीं देश की राजधानी दिल्ली (Delhi-NCR Weather) की बात करें तो बुधवार को यहां आंशिक तौर पर बादल छाए रहेंगे. इस दौरान बूंदाबांदी या हल्की बारिश हो सकती है.

बुधवार को मध्य प्रदेश, झारखंड, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, रायलसीमा, उत्तर आंतरिक कर्नाटक, केरल में अलग-अलग स्थानों पर बिजली और तेज हवाएं (30-40 किमी प्रति घंटे की गति) चलने की संभावना है. IMD ने आगे कहा कि बुधवार को हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, तेलंगाना, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल और तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में अलग-अलग स्थानों पर बिजली गिरने की संभावना है.

मौसम विभाग ने कहा है कि विदर्भ और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में लू की स्थिति बहुत संभव है. पश्चिम मध्य और दक्षिण-पश्चिम अरब सागर, केरल-कर्नाटक तटों, लक्षद्वीप क्षेत्र, दक्षिण-पश्चिम में 45-55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है. मौसम विभाग ने यह भी भविष्यवाणी की कि 22 जून को असम, मेघालय, गंगीय पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वी मध्य प्रदेश और तटीय आंध्र प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होने की संभावना है.

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मंगलवार, 20 जून 2023

अमेरिका में राजकीय यात्रा पर हैं पीएम मोदी ,जानिए क्या होता है राजकीय यात्रा और क्या है खास

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क कहा जाने वाला अमेरिका 22 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकीय यात्रा पर आमंत्रित कर रहा है। इसी के साथ PM मोदी दुनिया के तीसरे नेता बन जाएंगे, जिन्हें मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यह सम्मान दिया है । जो बाइडेन ने इससे पहले फ्रांस के इमानुएल मैक्रॉन और दक्षिण कोरिया के यून सुक येओल को ही राजकीय यात्रा और भोज के लिए आमंत्रित किया है. अमेरिका की ओर से यह सर्वोच्च राजनयिक स्वागत आमतौर पर केवल निकटतम सहयोगियों को ही दिया जाता है.

जो बाइडेन प्रशासन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकीय यात्रा का आमंत्रण दोनों देशों के बीच गहरी और घनिष्ठ साझेदारी का संकेत है. प्रधानमंत्री के रूप में अपने नौ वर्ष के कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी की अमेरिका की यह पहली राजकीय यात्रा होगी. इससे पहले, अमेरिका की राजकीय यात्रा पर जाने वाले अंतिम भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह थे, जो नवंबर, 2009 में अमेरिका गए थे.

राजकीय दौरे बेहद दुर्लभ और सम्मानजनक होते हैं, और इन्हें दोस्ताना द्विपक्षीय संबंधों की सर्वोच्च अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है. राजकीय यात्रा किसी राज्य प्रमुख द्वारा अपने आधिकारिक आवास पर आने के लिए दिया गया निमंत्रण होता है, और ऐसा केवल करीबी सहयोगियों को ही दिया जाता है.

अमेरिका की कूटनीतिक नीतियों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति अपने चार साल के कार्यकाल में किसी भी देश के एक ही नेता की एक ही बार मेज़बानी कर सकता है. राजकीय यात्राओं में आमतौर पर बहुत धूमधाम होती है, कई समारोह होते हैं. व्हाइट हाउस राजकीय यात्राओं के लिए व्यापक तैयारियां किया करता है.

राजनयिक प्रोटोकॉल के अनुसार आधिकारिक विज़िट, आधिकारिक वर्किंग विज़िट या सरकारी अतिथि के तौर पर यात्रा के मुकाबले राजकीय यात्रा सर्वोच्च स्तर की यात्रा मानी जाती है.

वर्ष 1961 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी और प्रथम महिला जैकलीन कैनेडी ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के लिए पहले राजकीय रात्रिभोज की मेज़बानी की थी. उसके बाद वर्ष 1963 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए थे.

क्या होता है राजकीय यात्रा पर...?
राजकीय यात्रा के दौरान आमतौर पर फ्लाइट लाइन समारोह आयोजित होता है, जिसके तहत आने वाले राज्य प्रमुख का अमेरिकी धरती पर लैंड करते ही टरमैक पर ही स्वागत किया जाता है, व्हाइट हाउस पहुंचने पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है, व्हाइट हाउस में रात्रिभोज आयोजित किया जाता है, राजनयिक उपहारों का आदान-प्रदान होता है, अमेरिकी राष्ट्रपति के पेन्सिलवेनिया एवेन्यू में स्थित गेस्टहाउस में ठहरने का आमंत्रण दिया जाता है, और फ्लैग स्ट्रीटलाइनिंग की जाती है.

आमतौर पर राजकीय यात्राओं पर केवल राज्य प्रमुख को आमंत्रित किया जाता है. भारत जैसे संसदीय लोकतंत्रों के मामले में सरकार प्रमुख को आमंत्रित किया जाता है.

अतिथि राज्य प्रमुख के स्वागत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ चुनिंदा राजनेता भी होते हैं, जिनमें राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल सदस्य और संसद के प्रमुख सदस्य भी मौजूद रहते हैं.

परम्परागत रूप से राजकीय रात्रिभोज व्हाइट हाउस के स्टेट डाइनिंग रूम में आयोजित किए जाते रहे हैं, लेकिन हाल के राष्ट्रपतियों ने अधिक मेहमानों को शामिल करने और कार्यक्रम को अधिक भव्य बनाने के लिए व्हाइट हाउस के लॉन में भोज की मेज़बानी की है, जिनमें 100-120 मेहमान मौजूद हो सकते हैं.

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शनिवार, 17 जून 2023

....तो आने वाले दिनों में कंगाली एवं दरिद्रता के मुहाने पर खड़ी दिखाई देगी भारत की बड़ी आबादी

सौरभ वीपी वर्मा

मुफ्त राशन पाकर बेंचने या खाने वाले लोगों और 2000 रुपया किसान सम्मान निधि पाकर खुशहाली का ढोल पीट रहे लोगों को भविष्य और उनकी आने वाली पीढ़ियों के बारे में शायद भले ही खतरे का कोई आहट दिखाई न दे रहा हो लेकिन जो संकेत दिखाई दे रहा है अगर ऐसे ही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले दिनों में जिन 80 करोड़ लोगों को राशन देने की बात सरकार कर रही है उन्हें कटोरी लेकर सड़को पर खड़े होकर राहत कैम्पों में भोजन के लिए मारामारी करते हुए देखा जाएगा।
यह पोस्ट स्क्रीन शॉट करके रख लीजिए आने वाले 5 सालों के अंदर देखिएगा देश की बड़ी आबादी कंगाली और दरिद्रता के मुहाने पर खड़ी मिलेगी।आप सोच रहे होंगे बस ऐसे ही जो चाहते हैं वह लिख देते हैं ,तो इस सोच में बदलाव लाना होगा।

हम आपको एक आंकड़ा दिखा रहे हैं , जिसमें साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि वर्ष 2004 में भारत पर विदेशी कर्जा 17 लाख करोड़ था बढ़ते बढ़ते यह कर्ज वर्ष 2014 तक 10 सालों में कांग्रेस की सरकार में 55 लाख करोड़ हो गया। उसके बाद देश में भाजपा की सरकार आई और महज 9 सालों में 55 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया । 
और यह कर्जा उस वक्त में देश के ऊपर बढ़ा है ,जब 300 रुपये में मिलने वाले सिलेंडर को 1300 में बेचा जा रहा है ,60 रुपये के पेट्रोल को 100 रुपये में बेंचा जा रहा है ,करीब करीब हर सामानों का दाम दोगुना हो चुका है ,  देश के अधिकांश दुकानदारों और व्यवसायिक लोगों से जीएसटी वसूला जा रहा है तब भी हम देश के खर्चे को अपने दम पर नही चला पा रहे हैं , अब आप खुद विचार कीजिए कि ऐसे ही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले दिनों में आर्थिक मामलों में भारत का क्या हालात होगा ।

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गुरुवार, 15 जून 2023

ग्लोबल तापमान में बढ़ोतरी: विश्व समुदाय को आगाह करने की आवश्यकता-सौरभ वीपी वर्मा

सौरभ वीपी वर्मा

विश्व भर में तापमान में गतिशील बढ़ोतरी के मामले में एक ताजा चिन्ता का संकेत दिया गया है। सालों तक चल रही जलवायु परिवर्तन की चरम समस्याओं के बावजूद, जबकि वैज्ञानिक समुदायों ने सतर्कता की घोषणा की है, ग्रीनहाउस गैसों के निर्माण में बढ़तरी के परिणामस्वरूप वायुमंडलीय तापमान में आवृत्ति के प्रमाणिक बदलाव के बारे में नए संकेत मिल रहे हैं।
अब हाल के रिसर्च के तहत, वैज्ञानिकों ने तापमान के बढ़ते प्रमाण का जिक्र किया है जो बहुतायत मामलों में विशेष रूप से पश्चिमी देशों में पाया जा रहा है। पिछले सप्ताहों में यूरोप, उत्तर अमेरिका, और पश्चिमी देशों के कुछ हिस्सों में असामान्य रूप से ऊँचा तापमान देखा गया है, जिसने आम जनता, सरकारें और वैज्ञानिक समुदाय को चिंतित कर दिया है।

यहां तापमान के अनोखे तरीके से बढ़ने को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके संभावित कारण और परिणाम गहरी पर्यावरणिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को प्रभावित कर सकते हैं। तापमान के अनुसार बदलते मौसम पैटर्न, अन्य सामरिक बिगड़ों के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा, जल संसाधनों की उपलब्धता, और बाढ़, तूफान, और जीवाश्म के बीच बृद्धि की संभावनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।

वैज्ञानिकों ने वायुमंडलीय तापमान में बढ़ते परिवर्तन के मामले में ध्यान देने की आगाही की है और सरकारों और व्यक्तिगत स्तर पर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है। जटिल जलवायु परिवर्तन के मामलों का उल्लेख करते हुए, पर्यावरणीय न्याय और उत्पादन के क्षेत्र में नवीनतम नवाचार और संबंधित क्षेत्रों में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।

यह संकेत देता है कि दुनिया व्यापी रूप से तापमान के बढ़ते प्रमाण के साथ सामरिक और आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रही है। इस चुनौती के सामने उठने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सहयोग करना और सम्मिलित कार्रवाई करना आवश्यक है। उचित तकनीकी और सामाजिक उत्पादन के माध्यम से हम संगठित रूप से परिवर्तन को समझ सकते हैं और संरक्षित भविष्य के लिए सुगम और सुरक्षित योजनाएं बना सकते हैं।

यह अवसर भी है कि हम उर्जा एवं पारिस्थितिकीय परिवर्तन की ओर नई दृष्टि लाएं और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, जल संरक्षण, और जल्दबाज़ी के प्रोत्साहन के माध्यम से सुरक्षित एवं स्थायी भविष्य के लिए कार्रवाई करें।

इस प्रकार, विश्व भर में तापमान में बढ़ोतरी के मुद्दे ने हमें एक और बार याद दिलाया है कि हमें जल्दी संगठित कार्रवाई लेनी होगी ताकि हम सुरक्षित, स्थायी और पर्यावरणीय रूप से सहनशील भविष्य के लिए तैयार हो सकें।

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रविवार, 11 जून 2023

अंग्रेजी हुकूमत में होने वाली नील की खेती जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बना

सौरभ वीपी वर्मा
ग्राउंड जीरो रिपोर्ट

ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भारतीय सुप्रारंभिक काल में, अंग्रेजों ने विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों को शुरू किया। इसमें नील का व्यापार भी शामिल था। अंग्रेजो द्वारा नील की खेती देश के कई हिस्सों में करवाया जाता था ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल से हुई थी।
   पानी के स्रोत के लिए बनाई गई मोटी दीवाल

नील एक वनस्पति है जिसके इंदिगो वृक्ष (Indigofera tinctoria) के फूलों से प्राप्त किया जाता है। यह फूल नीली रंग को उत्पन्न करने के लिए उपयोग किए जाते थे।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और अन्य यूरोपीय कंपनियों ने भारत में नील के क्षेत्र में अत्यधिक ध्यान दिया क्योंकि नील को विदेशी बाजारों में महंगा और मुनाफावदार माना जाता था। उन्होंने भारतीय किसानों को नील की खेती करने के लिए बुलाया और उनसे नील की उत्पादन में योगदान करने के लिए अनुबंध समझौते किए। यह कारोबार अंग्रेजों को बहुत लाभदायक था, लेकिन यह भारतीय किसानों के लिए बहुत कठिन था। वे कम मजदूरी मिलती थी और उन्हें अनुबंधों के कठिन शर्तों का पालन करना पड़ता था।
       नील फैक्ट्री की मोटी चाहरदीवारी
नील का व्यापार अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारत में एक महत्वपूर्ण उद्योग था, जिसने अंग्रेजी कंपनियों को लाभ प्रदान किया और भारतीय किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, नील के व्यापार ने अंग्रेजी कंपनियों के आर्थिक और राजनीतिक मदद का एक स्रोत भी बनाया।

नील (Indigo) एक पौधा है जिसके पत्तों और फूलों से एक गहरे नीले रंग का पिगमेंट प्राप्त किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Indigofera tinctoria है। नील पश्चिमी एशिया, दक्षिण एशिया, और उत्तरी अफ्रीका में पाया जाता है।

नील के फूलों को तोड़ने के बाद उसे सुखाकर पीसे जाते थे और फिर उनके अंदर का रंग प्राप्त किया जाता था। यह रंग इंदिगो नामक छोटी कणों में होता है जिसे बाद में उपयोग के लिए अलग किया जाता है।

भारत में, नील एक प्राचीन फसल थी और पहले से ही रंग के लिए उपयोग होती थी। विशेष रूप से मुग़ल समय में, नील की खेती और उत्पादन में विशेष गति हुई।लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भारत में नील का व्यापार और उत्पादन बढ़ाया गया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और अन्य यूरोपीय कंपनियां भारत में नील की खेती को व्यवसायिक रूप से बढ़ाने के लिए भारतीय किसानों से संबंध स्थापित की। उन्होंने बड़े पैमाने पर नील की उत्पादन में निवेश किया और भारतीय किसानों को अनुबंधों के ज़रिए मजदूरी पर नियंत्रण रखा। नील की मशीनों के आगमन से, नील की खेती को और भी मशीनीकृत कर दिया गया और उत्पादन की क्षमता बढ़ाई गई।
     वह स्थान जहाँ नील के पत्ते सुखाए जाते थे
नील के व्यापार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, और यह व्यापार व्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य को लाभ प्रदान किया। हालांकि, नील के व्यापार में उत्पन्न कठिनाइयां और न्यायसंगतता के मुद्दे ने इसे एक प्रमुख आंदोलन का केंद्र बना दिया। नील की खेती और नील मशीन के विरोध में बहुत सारे किसान आंदोलनों ने भाग लिया और यह आंदोलन मुख्य रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक हिस्सा बना।

अंग्रेजी हुकूमत में भारतीय किसानों के साथ किये गए अन्याय एवं बर्बरता की तस्वीर आज भी मौजूद है जहां नील के खेती के नाम पर अंग्रेज मुनाफा कमाते थे वहीं भारतीय लोग एवं किसान अंग्रेजी हुकूमत की अत्याचार झेलने के लिए मजबूर होते थे।

सभी तस्वीर उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के अंतर्गत सल्टौआ विकास खंड के अमरौली शुमाली गांव में अंग्रेजी हुकूमत में लगाये गए नील फैक्ट्री के बचे अवशेष की है।

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शुक्रवार, 9 जून 2023

बस्ती-गुमटी में अज्ञात कारणों से लगी आग , हजारों का नुकसान

बस्ती- सोनहा थाना क्षेत्र के भिरिया बाजार में बीती रात एक गुमटी में आग लग गई जिसकी वजह से उसमें रखे कई हजार  रुपये का सामान एवं मुर्गियां जलकर राख हो गईं।
दुकान के मालिक सोनू ने बताया कि वह भिरिया बाजार में गुमटी रखकर चिकन बेंचते हैं , उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को शाम को दुकान बंद कर ववह घर चले गए रात में अज्ञात लोगों द्वारा गुमटी में आग लगा दिया गया जिससे उसमें रखा कंप्यूटर कांटा , 20 मुर्गा एवं करीब एक हजार रुपया जलकर राख हो गया। 

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UP- यूपी पुलिस ने सर्राफ व्यापारी से लूटा 50 किलो सोना, इंस्पेक्टर व दरोगा गिरफ्तार, हेड कांस्टेबल फरार

औरैया एसपी की सूचना पर देहात एसपी ने बृहस्पतिवार को इंसपेक्टर के घर छापेमारी की तो 50 किलो चांदी बरामदी हो गई। पूरे मामले में दरोगा और इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर औरैया पुलिस को सौंप दिया गया है। जबकि हेड कांस्टेबल फरार है।
मामला चार दिन पहले कानपुर देहात का है जहां भोगीपुर थाना के इंस्पेक्टर, दरोगा और हेड कांसटेबल नें औरैया कोतलाली क्षेत्र में सराफ कारोबारी से 50 किलो चांदी लूट ली थी। इसके बाद सर्राफ कारोबारी ने औरैया एसपी से शिकायत की। औरैया एसपी की सूचना पर देहात एसपी ने बृहस्पतिवार को इंसपेक्टर के घर छापेमारी की तो 50 किलो चांदी बरामदी हो गई। पूरे मामले में दरोगा और इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर औरैया पुलिस को सौंप दिया गया है। जबकि हेड कांस्टेबल फरार है। 

इंस्पेक्टर के आदेश के बाद दरोगा व कांस्टेबल नें लूटा

सर्राफ कारोबारी मनीष सोनी आगरा का रहने वाला है। मंगलवार रात को चांदी लेकर फतेहपुर से आगरा जा रहा था। भोगनीपुर थाना को इसकी खबर मिलते ही इंसपेक्टर अजयपाल सिंह ने दरोगा चिंतन कौशिक और हेड कांस्टेबल को सर्राफ कारोबारी के पीछे लगा दिया। दरोगा और कांस्टेबल ने कुछ अन्य लोगों की मदद से औरैया थाना क्षेत्र की सीमा पर कारोबरी को रोकर कर सारा चांदी लूट लिया।

 व्यापारी ने दी औरैया पुलिस को जानकारी

व्यापारी काफी डरा हुआ था। काफी हिम्मत करके दो दिन बाद पूरी घटना की जानकारी औरैया पुलिस को दी। एसपी को इस बात की जानकारी होते ही कानपुर देहात को इसकी सूचना दी। कानपुर देहात एसपी वीबीजीटीएस मूर्ति ने बृहस्पतिवार की देर रात भोगीपुर इंस्पेक्टर के घर छापा मार सारा चांदी बरामद कर ली। छापा मारने केलिए एसपी देहात खुद बाइक चलाकर इंस्पेक्टर के घर पहुंचे जिससे किसी को शक ना हो। इसके बाद इंस्पेक्टर और दरोगा को औरैया पुलिस के हवाले कर दिया गया। जबकि हेड कांस्टेबल रामशंकर फरार हो गया। एसपी ने बताया कि औरैया एसपी से मिली जानकारी के अनुसार इंस्पेक्टर के आवास से 50 किलो सोना मिला है। औरैया पुलिस टीम मौके पर आकर इंस्पेक्टर और दरोगा को लेकर गई। दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाही तेज कर दी गई है

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गुरुवार, 8 जून 2023

यूपी में 11 दिनों के लिए बढ़ गया अवकाश , बीच में 1 दिन के लिए खुलेगा स्कूल

UP Schools Summer Vacation Extended: उत्तर प्रदेश के स्कूलों के छात्रों के लिए बड़ी खबर है. उनकी गर्मी की छुट्टियां आगे बढ़ा दी गई हैं. इस संबंध में पूरे उत्तर प्रदेश के जिला बेसिक अधिकारियों को नोटिस जारी करके सूचित किया गया है. ये नियम यूपी बोर्ड के सभी स्कूलों पर समान रूप से लागू होगा. इसके तहत उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों को ये नियम मानना होगा. जानते हैं अब स्कूल कब खुलेंगे.

  इस डेट पर खुलेंगे स्कूल

पहले यूपी के ये स्कूल 20 मई से 15 जून 2023 तक के लिए बंद किए गए थे. लेकिन अब इनको आगे बढ़ा दिया गया है और नये नोटिस के मुताबिक अब स्कूल 15 जून की जगह 26 जून 2023 तक बंद रहेंगे. करीब 11 दिन का अवकाश और बढ़ाया गया है.

यूपी के स्कूलों में पहले जारी नोटिस के मुताबिक स्कूल गर्मी की छुट्टियों में 20 मई से 15 जून तक कुल 27 दिन बंद होने थे और सर्दी की छुट्टियों के लिए 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक कुल 15 दिन बंद होने हैं. इस प्रकार कुल 42 दिन की छुट्टियां छात्रों को मिलती हैं. हालांकि अब गर्मी की छुट्टियों में बदलाव किया गया है और अब समर वैकेशन 27 दिन से ज्यादा की होंगी. अब स्कूल 26 जून तक बंद रहेंगे और 27 जून 2023 से पहले की तरह पढ़ाई शुरू हो जाएगी.

इस नोटिस में ये भी दिया है कि 21 जून यानी योग दिवस के एक दिन पहले सारे स्कूल खोले जाएंगे और वहां सफाई से लेकर बाकी तैयारियां ठीक तरह से की जाएंगी. इस प्रकार 21 जून को योग दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन होगा. इस कार्यक्रम के लिए छात्रों के लिए समस्त सुविधाओं का इंतजाम और व्यवस्था की जाएगी. 


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अब यूपी में मुफ्त में नही होगा पॉवर ऑफ अटॉर्नी , रजिस्टरी की तरह लगेगा स्टांप शुल्क

उत्तर प्रदेश में अब अचल संपत्ति की पॉवर ऑफ अटॉर्नी को ब्लड रिलेशन के बाहर देने पर नियम बन गया है. पहले पॉवर ऑफ अटॉर्नी देने में महज 50 रुपये खर्च होते थे, लेकिन अब उसे रजिस्ट्री की तरह स्टांप ड्यूटी देना होगा. यानी जैसे प्रॉपर्टी होगी, वैसी ही रजिस्ट्री फीस लगेगी. ब्लड रिलेशन नहीं है तो पॉवर ऑफ अटॉर्नी देने पर पूरी स्टांप ड्यूटी देनी होगी.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में कई प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसमें ब्लड रिलेशन से बाहर अगर अचल संपत्ति को लेकर पॉवर ऑफ अटॉर्नी देना है तो उस पर अब स्टांप ड्यूटी लगेगा. सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया कि अब से पॉवर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग सेल डीड के रूप में नहीं किया जा सकेगा.

कैबिनेट बैठक में स्टांप अधिनियम प्रावधान में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है, जिसके चलते अब रक्त संबंधियों (ब्लड रिलेशन) के अतिरिक्त अगर कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति को अचल संपत्ति की पॉवर ऑफ अटॉर्नी देता है तो उसे पूरा स्टांप शुल्क देना होगा. वहीं रक्त सम्बन्धियों को भी 5000 रुपया देना होगा।

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मंगलवार, 6 जून 2023

बस्ती-अधीनस्थ सेवा के 2018 से लंबित परिणाम को जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूरा करने की मांग

बस्ती-उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की जूनियर इंजीनियर परीक्षा 2018 के लंबित परिणाम को लेकर अभ्यर्थियों ने जिलाधिकारी बस्ती के समक्ष मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा।अभ्यर्थियों ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर आज दिनांक जून को प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ ज्ञापन सौंपा गया।
अपनी मांगों को को लेकर अभ्यर्थियों ने बताया कि मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में उत्तर प्रदेश में लगातार 5 वर्षों से आयोग द्वारा जूनियर इंजीनियर भर्ती को नजर अंदाज किये जाने की शिकायत करते हुए भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने की मांग किया गया है ।

 अभ्यर्थियों  ने बताया कि आयोग द्वारा अन्य भर्ती विज्ञापन जो इस भर्ती के बाद जारी हुए हैं उन पर कार्यवाही करके जूनियर इंजीनियर भर्ती को लंबित कर दिया गया है जिसकी वजह से अभ्यर्थी ओवरएज होने के कगार पे आ गए हैं परन्तु यह भर्ती 5 वर्ष बीत जाने पर भी पूरी नही की जा सकी है। ज्ञापन देते समय पंकज चौधरी, अमित उपाध्याय, अखिलेश यादव, अजीत कुमार,दिनेश चन्द्र, रमेश शर्मा आदि सम्मिलित रहे।

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हल्की बारिश ,एवं उमस भरी गर्मी के बीच बीतेगा जून का महीना

मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नरेश कुमार ने बताया कि, ‘ईरान पर पश्चिमी विक्षोभ के कारण अगले 4-5 दिनों में पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में वर्षा की संभावना है. 6-7 जून को यूपी और दिल्ली एनसीआर में बारिश होने की उम्मीद है. इसके बाद तापमान बढ़ने की उम्मीद है.’ बीते कुछ दिनों में देखा गया है कि उत्तर प्रदेश का मौसम बदल रहा है. कुछ जिलों में बरसात हो रही है तो कुछ जिलों में भीषण गर्मी पड़ रही है. लेकिन लोगों को गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है.

वहीं मौसस में हो रहे बदलाव के बीच ये भी संभावना जताई गई कि 15 जून के बाद एक बार फिर गर्मी अपना प्रकोप दिखाएगी. 15 जून तक प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ने के आसार है. प्रदेश के कई जिलों में 3 दिन तक हीटवेव की चेतावनी जारी की गई है. इस दौरान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का रहेगा.

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शुक्रवार, 2 जून 2023

आईएएस-पीसीएस बनने का सपना होगा पूरा , कल से यूपी में शुरू हो रहा मुफ्त कोचिंग

प्रयागराज: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले जरूरतमंद छात्रों के लिए अच्छी खबर है. 3 जून से अभ्युदय कोचिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं. खास बात यह है कि अभ्युदय कोचिंग में आईएएस, पीसीएस, नीट एनडीए सीडीएस सहित अन्य परीक्षाओं की निशुल्क परीक्षा की तैयारी कराई जाती है. कक्षा में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी 3 जून से आवेदन कर सकेंगे जिसकी अंतिम 17 जून तक रखी गई है.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना की शुरुआत की गई है जिसका उद्देश्य है गरीब जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाना. इस योजना का लाभ लेने के लिए उम्मीदवारों को पहले रजिस्ट्रेशन करना होता है. जिन उम्मीदवारों द्वारा आवेदन प्रकिया पूरी की जायेगी केवल उन्ही उम्मीदवारों को योजना का लाभ लेने के लिए पात्र माना जाएगा.मेरिट के आधार पर मुफ्त कोचिंग के लिए अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा.

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गुरुवार, 1 जून 2023

बस्ती। ग्राम पंचायतों में बेहतर विकास कार्य कर मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने वाले जिले की पांच ग्राम पंचायतें में तीसरा, सल्टौआ गोपालपुर ब्लॉक के मुड़वरा ग्राम पंचायत को मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित होंगे।



बस्ती। ग्राम पंचायतों में बेहतर विकास कार्य कर मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने वाले जिले की पांच ग्राम पंचायतें मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित होंगी। शासन स्तर से चयनित इन गांवों के प्रधानों को 2 जून को लखनऊ में सम्मानित किया जाएगा। प्रदेश भर में कुल 370 ग्राम पंचायतें पुरस्कृत की जानी है। इसमें रामनगर ब्लॉक के मैलानी उर्फ हिन्दुनगर को प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है, दुबौलिया के खुशहालगंज को दूसरा, रामनगर ब्लॉक के करैली को तीसरा, सल्टौआ गोपालपुर ब्लॉक के मुड़वरा को चौथा और कप्तानगंज विकासखंड के परिवारपुर पांचवां स्थान प्राप्त हुआ है। इन गांवों को 11 से 2 लाख रुपये तक पुरस्कार मिलेगा। सीडीओ डॉ. राजेश कुमार प्रजापति ने बताया कि चयनित ग्राम पंचायतों को बतौर प्रथम पुरस्कार 11 लाख, दूसरा नौ लाख, तीसरा छह, चौथा चार व पाचवां पुरस्कार में दो लाख मिलेगा। पुरस्कार की धनराशि सीधे ग्राम पंचायतों के खाते में आएगा। संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान व सचिव इस धनराशि का उपयोग गांव के विकास में कर सकेंगे।
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बस्ती-महिला पहलवानों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही दिल्ली पुलिस -सोनी


बस्ती- अंतरराष्ट्रीय स्तर के महिला पहलवानों द्वारा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ  जंतर-मंतर पर दिये जा रहे धरने कको दिल्ली पुलिस द्वारा किये गए दमन के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा सहित अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, किसान सभा , एसएफआई , डीवाईएफआई , सीआईटीयू ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति महोदया को प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया। 
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की नेता सोनी ने कहा कि जंतर मंतर पर धरना दे रही महिला पहलवानों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन दिल्ली पुलिस ने बर्बरता पूर्वक किया है । दिल्ली पुलिस का यह कृत्य आपराधिक व निंदनीय है।

सीटू नेता कामरेड के के तिवारी  ने कहा कि संसद बृजभूषण सिंह को सत्ता पक्ष द्वारा राजनैतिक सरंक्षण दिया जा रहा है ,भजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। माकपा नेता सत्य राम व हीरालाल ने महिला पहलवानों ने जंतर मंतर पर धरना देकर कुश्ती संघ के  अध्यक्ष की गिरफ्तारी और न्याय पूर्ण जांच की मांग कर रही थी। पुलिस ने क्रूरता पूरक हटा दिया। मैडल विजेता महिला पहलवानो के साथ हुए कृत्य से देश स्तब्ध है।
 
 जनौस नेता शेष मणि , जिलाध्यक्ष शिव चरण व जिला मंत्री नवनीत यादव ने कहा कि हम संयुक्त रूप से मांग करते हैं कि तत्काल दिल्ली पुलिस के कुकृत्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो । पाक्सो एक्ट खत्म करने की मांग करने वाले यौन हिंसा के आरोपी बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी हो ।

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