रविवार, 30 अप्रैल 2023

जेईई मेन सेशन 2 रिजल्ट जारी, बस्ती के अमन ने 99.91 फीसदी अंक लाकर बढ़ाया जनपद का मान

बस्ती- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, एनटीए ने जेईई मेन रिजल्ट 2023 को जारी कर दिया है जिसमे जेईई मेन्स परीक्षा 2023 के दूसरे सत्र में अमन चौधरी ने 99.91फीसदी अंक लाकर एक बार फिर जनपद का नाम रोशन किया है।

बता दें कि भानपुर तहसील क्षेत्र के विशुनपुरवा निवासी विमल चौधरी के पुत्र अमन चौधरी ने जेईई की मेंस परीक्षा के पहले सत्र में पहले ही प्रयास में 96.89 प्रतिशत अंक लाकर परीक्षा में शानदार सफलता हासिल करते हुए अपना परचम लहराया था। वहीं दूसरे सत्र में और अच्छा प्रदर्शन करते हुए 99.91 फीसदी अंक हासिल किया है।
1675940194907347-0
                             अमन चौधरी
अमन के इस सफलता की जानकारी मिलने पर लोगों ने अमन को सफलता की बधाई दिया , अमन ने इस सफलता का श्रेय  अपने पिता विमल चौधरी माता किरन वर्मा एवं गुरुजनों को दिया है । कमलेन्द्र पटेल , विजय वर्मा , दीपक वर्मा , विकास वर्मा , विश्वनाथन चौधरी समेत सैकड़ो लोगों ने अमन की सफलता पर मिठाई खिलाकर बधाई दिया है।

लेबल:

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023

राहुल गांधी के पास क्यों नही है अपना घर ,पढ़िए 170 साल पुराने इतिहास के पन्ने से गांधी परिवार की कहानी

सौरभ वीपी वर्मा

आज जहां एक बार सांसद विधायक बनने के बाद लोग करोड़ो अरबों की संपत्ति बना लेते हैं वहीं यह जानकर हैरानी होगा कि राहुल गांधी का अपना कोई निजी मकान नही है आप सोच रहे होंगे कि जिस नेहरू-गांधी परिवार के पास कभी कोठी नहीं बल्कि कोठियां हुआ करती थीं, उसी परिवार के वारिस राहुल गांधी के पास अपना घर क्यों नहीं है.आखिर उन घरों का या उन कोठियों का क्या हुआ, जिसे कभी उनके पुरखों ने बनाया था  ?
तो चलिए 170 वर्ष पूर्व इतिहास के पन्ने से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर राहुल गांधी जैसे नेता के पास अपना कोई मकान क्यों नहीं है.

अभी जो गांधी परिवार है उसका कश्मीर के कौल ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक था. फर्रुखसियर के आदेश पर पंडित राजनारायण कौल के इस परिवार को कश्मीर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा था. जहां चांदनी चौक में उन्हें बादशाह की ओर से जागीर मिली थी, जिसमें कुछ गांव और एक हवेली भी थी. जब लक्ष्मी नारायण नेहरू अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील बने तो पंडित राजनारायण कौल के इस परिवार का सरनेम नेहरू हो गया.

1857 में जब आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई तो इन्हीं लक्ष्मी नारायण नेहरू के बेटे गंगाधर नेहरू अंग्रेजों की पुलिस के अधिकारी थे. आजादी की इसी लड़ाई के दौरान दिल्ली के हजारों लोगों को अपना घरबार छोड़ना पड़ा था. गंगाधर नेहरू का परिवार भी उन्हीं में से एक था.

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अपनी किताब 24 अकबर रोड में लिखते हैं, "गंगाधर नेहरू, उनकी पत्नी जीओरानी, उनके दो बेटे बंशीधर और नंदलाल और उनकी दो बेटियों को तब दिल्ली छोड़ना पड़ा. उस वक्त अंग्रेजों ने उन्हें भी मार ही दिया होता, लेकिन तब गंगाधर नेहरू की एक बेटी अंग्रेजों की तरह दिखती थी और बंशीधर की अंग्रेजी अंग्रेजों की तरह थी. तो वो लोग बच गए और आगरा पहुंच गए.

उसके बाद बंशीधर आगरा ज्यूडिशियल कोर्ट में काम करने लगे और नंदलाल स्कूल मास्टर बन गए. 1861 में गंगाधर नेहरू की आगरा में ही मौत हो गई. उस वक्त जीओरानी गर्भवती थीं. कुछ ही दिनों के बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया. उसका नाम मोतीलाल नेहरू रखा गया. तब नंदलाल ने ही अपनी मां जीओरानी और अपने सबसे छोटे भाई मोतीलाल की देखभाल की.

1870 आते-आते नंदलाल वकील बन गए. उस वक्त मोतीलाल की उम्र महज 9 साल की थी. मैट्रिक पास करने के बाद मोतीलाल इलाहाबाद म्योर सेंट्रल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए चले गए. 1883 में मोतीलाल ने कैंब्रिज से वकालत की डिग्री हासिल की और साथ ही उन्हें तब का वकालत का सबसे प्रतिष्ठित लंब्सडन मेडल भी मिल गया. फिर तो मोतीलाल अपने बड़े भाई नंदलाल के पार्टनर बन गए. दोनों ने वकालत के पेशे में पूरे जज्बे के साथ काम करना शुरू किया.

25 साल की उम्र में मोतीलाल नेहरू की शादी स्वरूप रानी से हुई. ये मोतीलाल की दूसरी शादी थी, क्योंकि उनकी पहली पत्नी की बच्चे को जन्म देते वक्त ही मौत हो गई थी. ये बच्चा रतनलाल जब तीन साल का हुआ तो उसकी भी मौत हो गई. मोतीलाल ने 14 साल की स्वरूप रानी  से शादी की. 14 नवंबर 1889 को मोतीलाल और स्वरूप रानी का एक बेटा हुआ. इसका नाम जवाहर लाल रखा गया. सरनेम नेहरू के साथ पूरा नाम जवाहर लाल नेहरू पड़ा.

तब मोतीलाल नेहरू की वकालत अपने चरम पर थी. 30 साल की उम्र पहुंचने से पहले ही मोतीलाल नेहरू अपनी वकालत से महीने के करीब दो हजार रुपये कमाते थे. अब उस जमाने में दो हजार रुपये की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि तब स्कूल के एक टीचर को 10 रुपये महीने की तनख्वाह मिला करती थी. 

आमदनी खूब होने से मोतीलाल नेहरू को ठाठबाट भी पसंद आने लगा. वो इलाहाबाद के सबसे महंगे इलाके 9 एल्गिन रोड में रहने के लिए चले गए. तब तक उनके पास अपना कोई मकान नहीं था. साल 1900 में जवाहर लाल नेहरू की उम्र 11 साल की थी. उसी साल करीब 19 हजार रुपये में मोतीलाल नेहरू ने 1 चर्च रोड पर बहुत बड़ा आलीशान मकान खरीदा.

इस घर में लॉन था, फलों के बागीचे थे और स्विमिंग पूल तक था. घर के रिनोवेशन के लिए मोतीलाल नेहरू ने यूरोप और चीन के दौरे किए. वहां से फर्नीचर और घर के दूसरे साजो-सामान ला-लाकर घर में लगवाया. उस वक्त उस घर के टॉयलेट में फ्लश लगे थे, जो इलाहाबाद में ऐसा करने वाला पहला घर था. इस घर का नाम आनंद भवन रखा गया.

इस घर को खरीदने के करीब 30 साल बाद 1930 में मोतीलाल नेहरू ने एक और घर बनवाया. ये घर पुराने वाले घर का ही अगला घर था. पुराना वाला घर जिसे आनंद भवन नाम दिया गया था, उसका नाम बदलकर स्वराज भवन कर दिया गया. मोतीलाल नेहरू ने अपने पुराने घर को देश को समर्पित कर दिया. औऱ जो नया घर बनवाया, उसमें उनका परिवार रहने लगा. उस घर का नाम कर दिया गया आनंद भवन. इस घर को बनवाने के अगले ही साल 1931 में मोतीलाल नेहरू की मौत हो गई.

ये आनंद भवन भी नेहरू परिवार के घर से ज्यादा कांग्रेस का मुख्यालय हो गया. आजादी के आंदोलन के दौरान यही  कांग्रेस का मुख्यालय रहा और कांग्रेस वर्गिंक कमेटी की तमाम बैठकें इसी घर में होती रहीं. तब जवाहर लाल नेहरू पत्नी कमला के साथ इसी आनंद भवन के टॉप फ्लोर पर रहते थे. उनकी बेटी इंदिरा के लिए घर में अलग कमरा था और बाकी का पूरा घर कांग्रेस पार्टी के लिए था. भारत की आजादी यानी कि 15 अगस्त 1947 तक ये आनंद भवन नेहरू परिवार का घर और कांग्रेस का दफ्तर दोनों ही बना रहा.

आजादी के बाद कांग्रेस ने अपना दफ्तर इलाहाबाद से दिल्ली शिफ्ट किया और कांग्रेस का नया मुख्यालय 7 जंतर-मंतर रोड हो गया. नेहरू के प्रधानमंत्री होने से सरकारी आवास तीन मूर्ति भवन अब उनका घर हो गया. उनके निधन के बाद इसे भी स्मारक में तब्दील कर दिया गया.

वहीं नेहरू ने अपने पैतृक घर यानी कि इलाहाबाद वाले आनंद भवन को आधिकारिक तौर पर किसी को नहीं दिया था. जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बन गईं तो 1969 में उन्होंने इलाहाबाद वाले आनंद भवन को देश को समर्पित कर दिया. अब ये  राष्ट्रीय स्मारक है. यहां नेहरू परिवार के साथ ही कांग्रेस की समृद्ध विरासत को सहेज कर रखा गया है.

ये दोनों ही घर यानी कि स्वराज भवन और आनंद भवन मोतीलाल नेहरू के खरीदे हुए थे. उनके बाद जवाहर लाल नेहरू ने अपने या अपने परिवार के लिए कोई घर नहीं खरीदा. नेहरू के बाद इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री रहीं, लेकिन उन्होंने भी अपने लिए कोई घर नहीं खरीदा.

जब इंदिरा गांधी 1977 का लोकसभा चुनाव हार गईं तो उन्हें 1 सफदरजंग रोड छोड़कर 12 विलिंगडन क्रिसेंट में कुछ दिनों के लिए रहना पड़ा. 1980 में इंदिरा गांधी दोबारा प्रधानमंत्री बनीं तो वो फिर से 1 सफदरजंग रोड रहने चली गईं. 1984 में उनकी हत्या के बाद इस घर को भी स्मारक में बदल दिया गया.

इसके बाद प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी या फिर कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी और बाद में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी भी अपने परिवार के लिए कोई घर नहीं खरीद पाए. यही वजह है कि सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि अब वह कहां रहेंगे ।हो सकता है कि वह अपनी मां सोनिया के साथ रहें लेकिन सोनिया गांधी ने सेहत को देखते हुए पिछले दिनों इशारों में अपनी राजनीतिक पारी के बारे में बहुत कुछ बयां कर दिया.  माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सोनिया गांधी भी सक्रिय राजनीति से दूर हो जाएंगी. इसके बाद शायद उनके पास भी कोई सरकारी बंगला नहीं होगा. उनके पास कोई सरकारी बंगला नहीं होगा तो आज की तारीख में गांधी परिवार के पास अपना कोई निजी बंगला या मकान नहीं है, जिसमें वो रह सकें.

अब राहुल गांधी जिसके पास अपना कोई घर नही है उनकी कमाई के बारे में आपको बता दें कि उन्हें विदेश की आठ यूनिवर्सिटी से करीब 2 करोड़ रुपया सालाना मिलता है वहीं , पूर्व सांसद के तौर पर मिलने वाला पेंशन भी अलग से है ।

आखिर राहुल गांधी अपना पैंसा कहां खर्च करते हैं ? कांग्रेस की वेबसाइट के मुताबिक राहुल गांधी अपने कमाई का ज्यादातर हिस्सा गंभीर रोगियों से ग्रसित लोगों के इलाज ,गरीब बच्चों की शिक्षा एवं ऐसे ही सामाजिक कार्यों पर खर्च करते हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं वहीं उनकी दादी इंदिरा गांधी भी देश की प्रधान मंत्री रह चुकी हैं । उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा 1989 में दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरी की। स्नातक के पहले साल की परीक्षा देने के बाद राहुल गांधी ने हार्वड विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया और आगे की पढ़ाई विदेश में रहकर ही की। पिता के निधन के बाद सुरक्षात्मक कारणों से राहुल फ्लोरिडा के रॉलिंस कॉलेज शिफ्ट हो गए। यहां राहुल ने अपनी नाम और पहचान छुपाकर शिक्षा ली। सिर्फ काॅलेज प्रशासन और सुरक्षा एजेंसी को ही इस बारे में पता था। यहां वह राॅल विंसी के नाम से पढ़ते थे। बाद में राहुल गांधी ने 1995 में कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से एम फिल की डिग्री हासिल की ,उसके बाद देश में हुए अलग अलग चुनाव में राहुल गांधी 4 बार सांसद रहे , लेकिन आज तक उनके पास रहने के लिए अपना कोई निजी मकान नही बनवाया ।

लेबल:

गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

छत्तीसगढ़ - नक्सली हमले में 11जवान शहीद , 10 वर्षों में 200 जवानों की हुई शहादत

छत्तीसगढ़ के जंगल बुधवार को एक बार फिर से गोलियों की तड़ताहड़ से गूंज उठे। दंतेवाड़ा में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में 10 जवान शहीद हो गए, जबकि एक ड्राइवर की भी मौत हो गई। डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) फोर्स के जवान जब एक ऑपरेशन से लौट रहे थे, तभी नक्सलियों ने उनके वाहन को IED से उड़ा दिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने घटना पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि नक्‍सलियों को किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा और नक्‍सलवाद को जड़ से खत्‍म किया जाएगा। इस घटना के बाद मोदी सरकार अब बड़े एक्शन की तैयारी कर रही है। ये पहली बार नहीं है कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी जवानों के खून से लाल हुई है। ऐसी घटनाएं पहले भी कई बार हो चुकी हैं।

जानिए कब-कब नक्सलियों ने बनाया सुरक्षाबल को निशाना

6 अप्रैल, 2010 : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमला, 76 जवान शहीद हुए थे।
25 मई, 2013 : झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 30 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
11 मार्च, 2014 : सुकमा जिले के टाहकवा़डा में नक्सली हमला, 15 जवान शहीद हुए।
12 अप्रैल, 2014 : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा में नक्सली हमला, 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हुई थी।
11 मार्च, 2017 : सुकमा के दुर्गम भेज्जी इलाके में नक्सली हमले में 12 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे।
24 अप्रैल, 2017 : सुकमा में नक्सलियों ने हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 25 जवान शहीद हुए।
21 मार्च, 2020 : सुकमा जिले के मिनपा में जवानों नक्सली हमला, 17 जवान शहीद हुए थे।
23 मार्च, 2021 : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले जवानों से भरी बस पर हमला, 5 जवान शहीद हो गए थे।
4 अप्रैल 2021 : छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुई नक्सली हमला, 22 जवान शहीद हो गए थे।

ये 8 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित

सरकार के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 8 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इनमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल हैं। सुरक्षाबल या पुलिस जब भी नक्सलियों को पकड़ने जाती है, तो ये नक्सली उन पर हमला कर देते हैं। छत्तीसगढ़ से ज्यादा नक्सल प्रभावित झारखंड है। यहां 13 जिले नक्सल प्रभावित हैं। उसके बावजूद झारखंड में नक्सली हमले छत्तीसगढ़ की तुलना में कम होते हैं।



लेबल:

मंगलवार, 25 अप्रैल 2023

आज जारी होगा कक्षा 10वीं, 12वीं का रिजल्ट , इस तरह से देखें परीक्षा परिणाम

UP Board Result 2023 LIVE UPDATE: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) आज यानी मंगलवार 25 अप्रैल को कक्षा 10वीं, 12वीं का रिजल्ट (UP Board 10th, 12th Result 2023) जारी करेगा. छात्र जो भी हाई स्कूल, इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल हुए हैं, वे अपना रिजल्ट (UP Board 10th, 12th) UP Board की आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in और upresults.nic.in पर जाकर चेक कर सकते हैं. रिजल्ट (UP Board Result) की घोषणा दोपहर 1:30 बजे माध्यमिक शिक्षा परिषद मुख्यालय, प्रयागराज से की जाएगी. इसके अलावा छात्र सीधे इस लिंक HTTPS://UPRESULTS.NIC.IN/पर क्लिक करके भी UP Board 10th, 12th Result 2023 चेक कर सकते हैं. 
यूपी बोर्ड ने 16 फरवरी से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं आयोजित की थीं. कक्षा 10वीं की परीक्षाएं 16 फरवरी से 3 मार्च तक और कक्षा 12वीं की परीक्षाएं 16 फरवरी से 4 मार्च, 2023 तक आयोजित की गई थीं. परीक्षा राज्य के 75 जिलों में फैले 8,753 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी.

लेबल:

रविवार, 16 अप्रैल 2023

अतीक और अशरफ की हत्या कर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे हत्यारे , पढ़ें पूरी कहानी

उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की शनिवार देर रात हत्या करने वाले तीनों आरोपियों की पहचान कर ली गई है। मिली जानकारी के मुताबिक अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों युवकों के नाम सनी, अरुण और बांदा है। पुलिस रिकॉर्ड में भी तीनों को शातिर अपराधी है। पुलिस ने तीनों हत्यारों को कॉल्विन अस्पताल ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी है। अतीक और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों आरोपी प्रयागराज के रहने वाले नहीं है। अब तक की पूछताछ में पता चला है कि अतीक अशरफ की हत्या करने वाला लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है जबकि अरुण मौर्य हमीरपुर का निवासी है। तीसरा आरोपी सनी कासगंज जनपद से है। तीनों हमलावर शातिर अपराधी हैं। कम उम्र में ही उन्होंने क्राइम की दुनिया में कदम रख दिया था। तीनों ही हत्या, लूट सहित कई संगीन आरोपों में लिप्त रह चुके हैं।Ateeq ahmed and ashraf ahmed murder case up
मिली जानकारी के मुताबिक तीनों हत्यारों कई बार जेल भी जा चुके हैं और जेल में ही तीनों की दोस्ती हुई थी। अतीक और अशरफ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे। शुरुआती पूछताछ में पुलिस को तीनों गुमराह करते दिखे और बयानों में समानता नहीं थी। सनी ने शुरुआत में कहा कि वह प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। वहीं दूसरे हत्यारे ने भी खुद का छात्र ही बताया। कड़ी पूछताछ में तीनों युवक आपराधिक पृष्ठभूमि के निकले हैं।

अतीक अहमद की हत्या में शामिल आरोपी लवलेश बांदा में शहर कोतवाली के क्योटरा मोहल्ले का रहने वाला है। पुलिस ने लवलेश के घर का भी पता कर लिया है। लवलेश के पिता ने बताया कि 4 भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर का है। लवलेश का परिवार से कोई लेना देना नहीं है। वो परिवार के साथ बेहद कम रहता है। पिता ने बताया है कि लवलेश को नशे की लत है और कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। इधर लवलेश के छोटे भाई ने भी बताया कि लवलेश नशे का आदी था और तीन चार साल पहले एक लड़की को थप्पड़ मारने में जेल गया था। करीब 1 सप्ताह पहले वह घर से गया था। लवलेश घर पर कभी कभार ही आता था। वह गलत संगत में था। उसने बताया कि पिता एक स्कूल में बस चलाते हैं। इन लोगों को घटना की जानकारी टीवी से पता चली, जब टीवी पर भाई का चेहरा देखा तो पहले यकीन नहीं हुआ। लवलेश की मां और पिता अवसाद में हैं।

पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि तीनों का मानना है कि छोटे-छोटे अपराध में जेल जाने से उनका नाम नहीं हो रहा था, इसलिए वो कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे. तीनों को इसी बीच पता चला कि अतीक़ और अशरफ़ अहमद को पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाया जा रहा है. तीनों ने बड़ा नाम कमाने के मक़सद से हत्या की साजिश रची.

लेबल:

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

खबर वह नही है जो सरकार दिखाना चाहती है , खबर वह है जो सरकार छिपाना चाहती है -सौरभ वीपी वर्मा

खबर वह नही है जो सरकार दिखाना चाहती है , खबर वह है जो सरकार छिपाना चाहती है।

सौरभ वीपी वर्मा

 भारत में पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद भले ही बहुत दिनों तक वित्तीय संकट का सामना भारत के गांवों में रहा है लेकिन वर्ष 1995 के बाद से यदि भारत के गांवों की स्थिति पर नजर डाला जाए तब पता चलेगा कि इन वर्षों में राज्य और केंद्र की सरकारों ने मिलकर सड़क , चकरोड ,खड़ंजा , नाली ,नाला , आवास ,शौचालय , सामुदायिक भवन , सामुदायिक शौचालय , जल संरक्षण , वृक्षारोपण , स्ट्रीट लाइट ,सोलर लाइट , बोरिंग निर्माण , हैंडपंप, खेत समतलीकरण , कृषि , भूमि सुधार ,स्वच्छता अभियान आदि क्षेत्रों में बडे पैमाने पर काम किया गया है । लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी आज भारत के गांव और गांव के लोग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। 
यह बात समझ से बाहर है कि आखिर जिस योजना पर काम किया गया आखिर ऐसी कौन सी विसंगति रह गई है कि कोई भी योजन अपने उद्देश्य की पूर्ति नही कर पा रहा है। 

ग्राउंड रिपोर्ट में दिखाएंगे गांव के लोगों की वास्तविक दुनिया एवं शासन-प्रशासन के दावे की हकीकत। देखते और पढ़ते रहें तहकीकात समाचार Tahkikat samachar 


लेबल:

रविवार, 9 अप्रैल 2023

यूपी निकाय चुनाव की घोषणा , 2 चरणों में होगा चुनाव ,देखिए चुनाव कार्यक्रम की तारीख

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में निकाय चुनाव का ऐलान कर दिया है। 4 मई को निकाय चुनाव की शुरुआत हो जाएगी, जो सिर्फ दो चरणों में होगी। पहले चरण में 4 मई को वोटिंग होगी जबकि 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा। हर फेज में 9 मंडलों में चुनाव होगा। वहीं वोटों की गिनती 13 मई को होगी। चुनाव के दौरान 4.27 करोड़ वोटर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश में चुनाव आचार संहिता भी लागू कर दी गई है।
रविवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में निकाय चुनावों का ऐलान किया है। इसके तहत पहले फेज की वोटिंग 4 मई और दूसरे फेज की वोटिंग 7 मई को होगी। 11 अप्रैल से 17 अप्रैल तक पहले चरण नामांकन होगा। 17 अप्रैल से 24 अप्रैल तक दूसरे चरण का नामांकन किया जाएगा। प्रत्याशियों को सिंबल आवंटन 21 अप्रैल को होगा। 13 मई को वोटों की गिनती की जाएगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 543 नगर पंचायत चुनावों के लिए मतदान कराए जाएंगे। इसके अलावा तकरीबन 4 हजार पार्षद इस प्रक्रिया के तहत चुने जाएंगे। बीते दिनो उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाय चुनावों को लेकर आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत महिलाओं के लिए 288 सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा ओबीसी के लिए 205 सीटें, एसस के लिए 110, एसटी के लिए 2 सीटें आरक्षित की गई हैं।

ओबीसी आरक्षण को लेकर पेच फंसने के बाद ही दिसंबर 2022 में होने वाले चुनाव को अब कराया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना को खारिज कर दिया था और बिना आरक्षण ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। आरक्षण तय करने में प्रक्रिया का पालन न किए जाने का हवाला देकर अधिसूचना खारिज की गई थी। इसके बाद योगी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग गठित कर नए सिरे से आरक्षण के लिए सर्वे कराया और फिर अधिसूचना जारी की थी।

लेबल:

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

सोनहा/बस्ती -गैंगरेप के फरार 2 आरोपियों के घर का होगा कुर्की , न्यायालय ने जारी किया उद्घोषणा

सौरभ वीपी वर्मा 

बस्ती- गैंगरेप एवं पॉस्कोएक्ट की धाराओं में सोनहा थाना में  पंजीकृत मामले में फरार 2 आरोपियों के घर  न्यायालय के निर्देश पर कुर्की की कार्रवाई की नोटिस जारी हुआ है ।
जनपद के सोनहा थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिक द्वारा 5 लोगों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा दर्ज करवाया गया था जिसमें से 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया वहीं इस मामले में फरार 2 आरोपी आकाश तिवारी पुत्र पप्पू तिवारी निवासी नौवागांव एवं प्रिंस जायसवाल पुत्र गंगासागर जायसवाल निवासी असनहरा अभी तक फरार चल रहे हैं इनमें से एक अभियुक्त की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।

फरार दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने काफी छानबीन की लेकिन दोनों आरोपियों का कोई सुराग नही मिल पाया जिसके बाद  प्रभारी निरीक्षक सोनहा रविंद्र सिंह के अनुरोध पर न्यायालय ने कुर्की की उद्घोषणा करने का नोटिस जारी किया है।

न्यायालय ASJ / पाक्सो एक्ट जनपद बस्ती द्वारा मुकदमा अपराध संख्या 63 / 2023 धारा 376 , 506 आईपीसी 5 / 6 पोक्सो अधिनियम 67 आईटी एक्ट के तहत  अभियुक्तों के गांव में लाउडस्पीकर ,ढोल या डुग्गी मुनादी के माध्यम से से उद्घोषणा की जाएगी यदि एक सप्ताह के अंदर दोनों अभियुक्त हाजिर नही होते हैं तो धारा 82 सीआरपीसी के तहत घर के सभी सामानों को जप्त कर लिया जाएगा।

प्रभारी निरीक्षक रविन्द्र सिंह ने बताया कि दोनों अभियुक्तों के हाजिर न होने पर जल्द ही कुर्की की कार्रवाई की जाएगी ।

लेबल:

सोमवार, 3 अप्रैल 2023

बस्ती-ट्रक से डीजल चोरी करने वाले गिरोह को सोनहा पुलिस ने किया गिरफ्तार

कुलदीप चौधरी 

बस्ती- जनपद के सोनहा पुलिस ने ट्रक से डीजल चुराने वाले गिरोह के तीन चोरों को गिरफ्तार किया है । पुलिस का कहना है कि ये लोग ट्रकों से डीजल चुराने के बाद फरार हो जाते थे. 
प्रभारी निरीक्षक रविन्द्र सिंह ने बताया कि सड़क के किनारे खड़े ट्रक से इस गिरोह के लोग डीजल चोरी करते थे ,जिससे गाड़ी मालिक और चालक काफी परेशान थे ,डीजल चोरी की शिकायत के बाद सोनहा पुलिस ने जब गिरोह को पकड़ने के लिए अभियान चलाया तो गिरोह के दिलीप पाण्डेय पुत्र धर्मदेव पाण्डेय निवासी भरवलिया पांडे थाना मेंहदावल जिला संतकबीर नगर , अंशु उर्फ पुष्पेन्दर पुत्र दिलीप पांडे निवासी भरवलिया पांडे थाना मेंहदावल जिला संतकबीर नगर , अनमोल पाण्डेय पुत्र दिलीप पाण्डेय निवासी भरवलिया पांडे थाना मेंहदावल जिला संतकबीर नगर के रहने वाले 3 लोग सल्टौआ नहर पर पर चोरी के 80 लीटर डीजल के साथ और गाड़ियों से डीजल चुराने की फिराक में लगे थे लेकिन मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार किए गए  अभियुक्तों को मु0अ0सं0 76/23 धारा 379/504/506भा0द0वि0 दर्ज कर पुलिस ने तीनों को न्यायालय भेज दिया , गिरफ्तार करने वाली टीम ने उ0नि0 श्री शैलेन्द्र राय  ,हे0का0 अर्जुन गौड़ ,हे0का0 वीरेन्द्र यादव एवं  हे0का0 रामू चौहान शामिल थे।

लेबल:

यूपी के नए डीजीपी राजकुमार विश्वकर्मा , उन्होंने ही किया था टाटा 407 का डिजाइन

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1988 बैच के अधिकारी राजकुमार विश्वकर्मा को उत्तर प्रदेश का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाया गया है. यूपी सरकार के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि विश्वकर्मा को कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान के स्थान पर नियुक्त किया गया है. चौहान भी 1988 बैच के अधिकारी हैं.

वरिष्ठता क्रम में 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल के बाद उत्तर प्रदेश कैडर में दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी विश्वकर्मा का कार्यकाल 31 मई 2023 तक है. उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मूल निवासी विश्वकर्मा वर्तमान में पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के महानिदेशक और अध्यक्ष के पद पर तैनात हैं.

आरके विश्वकर्मा ने रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. इसी के साथ दिल्ली IIT से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री हासिल की है. दिल्ली IIT से ही उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी भी की है. वे इंजीनियरिंग कर चुके हैं. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की और आईपीएस बने.

आरके विश्वकर्मा ढाई साल तक टाटा के साथ जुड़े रहे. टाटा मोटर्स को सेवाएं देने के दौरान टाटा की मशहूर भार ढोने वाली गाड़ी टाटा 407 की डिजाइन का कार्य इन्होंने ही किया है.

लेबल: