बुधवार, 29 मार्च 2023

घटते भूजल स्तर ने बढ़ाई भारत की चिंता , यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बड़े संकट का संकेत


संयुक्त राष्ट्र की संस्‍था यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में जलसंकट बहुत बढ़ जाएगा. अनुमान है कि ऐसे संकट से भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा. आशंका जताई गई है कि यहां पर ग्लेशियर पिघलने के कारण सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा. UNESCO के डायरेक्‍टर आंड्रे एजोले ने कहा कि वैश्विक जल संकट से बाहर निकलने से पहले अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर तत्काल एक व्यवस्था करने की जरुरत है.
अब सवाल इस बात का है कि जल संकट के इस तरह के डरवाने रिपोर्ट को पढ़ने और देखने के बाद भी भारतीयों को चिंता क्यों नही हो रही है ,क्या भारत के प्रत्येक नागरिक को यह विश्वास है कि देश में पानी की कमी नही होगा या फिर यह जानते हुए कि आने वाले दिनों में भारत के कई क्षेत्रों में पानी के लिए त्राहिमाम मचेगा उसके बाद भी लोग अभी से नही चेत रहे हैं।
इस समय भारत की कई छोटी-छोटी नदियां सूख गई हैं , वहीं गोदावरी ,कृष्णा एवं कावेरी जैसी बड़ी नदियों के जल संग्रहण में भारी कमी आई है एवं  बड़ी-बड़ी नदियों में पानी का प्रवाह धीमा होता जा रहा है इसके अलावा जिन कुओं से पीने एवं सिंचाई के लिए पानी मिलता था आज वह भी लुप्त हो रहे हैं जिसका परिणाम है कि आज से ही पानी के लिए देश में संकट दिखाई देने लगा है ।

पूरे देश में भूजल का स्तर प्रत्येक साल औसतन एक मीटर नीचे सरकता जा रहा है। नीचे सरकता भूजल का स्तर देश के लिए गंभीर चुनौती है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की आजादी के बाद कृषि उत्पादन बढ़ाने में भूजल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इससे हमारे अनाज उत्पादन की क्षमता 50 सालों में लगातार बढ़ती गई, लेकिन आज अनाज उत्पादन की क्षमता में लगातार कमी आती जा रही है। इसकी मुख्य वजह है बिना सोचे-समझे भूजल का अंधाधुन दोहन। कई जगहों पर भूजल का इस कदर दोहन किया गया कि वहां आर्सेनिक और नमक तक निकल आया है। पंजाब के कई इलाकों में भूजल और कुएं पूरी तरह से सूख चुके है। 80 फीसदी परंपरागत कुएं और कई लाख ट्यूबवेल सूख चुके है। गुजरात में प्रत्येक वर्ष भूजल का स्तर 5 से 10 मीटर नीचे खिसक रहा है। तमिलनाडु में यह औसत 6 मीटर है। यह समस्या आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार में भी है। 

अब जब यह सबको मालूम है कि पानी की कमी देश ही नही दुनिया के लिए बड़ा संकट बनता हुआ दिखाई दे रहा है तब जल संरक्षण के लिए अभी से कोई ठोस कदम क्यों नही उठाये जा रहे हैं । देश भर में सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना ( मनरेगा ) के जरिये तालाब , पोखरों एवं अन्य जलाशयों को बचाने एवं जल संरक्षण के प्रति गंभीरता दिखाई गई है लेकिन उदासीनता के चलते जिन गांवों में योजना के जरिये लाखों रुपया खर्च किया गया वहां पर जल संरक्षण की प्रगति न के बराबर है । 

हाल ही में मौसम विभाग द्वारा एक रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2023 के फरवरी महीने में जो गर्मी दर्ज किया गया है वह 1901 के बाद सबसे ज्यादा है ,वहीं अप्रैल एवं मई 2023 के महीने के गर्मी के बारे में पूर्वानुमान जारी कर बताया गया कि इस बार गर्मी कई वर्षों का रिकार्ड तोड़ेगी । यानी कि साफ है कि बढ़ते तापमान की वजह से भूजल संकट बढ़ना तय है ।

जल संरक्षण के प्रति गंभीरता से काम कर रहे सल्टौआ विकास खंड में तैनात खंड विकास अधिकारी सुशील कुमार पाण्डेय से घटते जलस्तर की चिंता पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के जरिये जल संरक्षण की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है ,जिसमें तालाब, पोखरों , नालों की सफाई एवं खुदाई नए अमृत सरोवर का निर्माण , कूप मरम्मत समेत पानी बचाने के सभी तरीकों पर मुहिम चलाया जा रहा है लेकिन इसके साथ ही सभी नागरिकों को भी पानी बचाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए , उन्होंने पानी बचाने के तरीकों के बारे में बताते हुए कहा कि दाढ़ी बनाते समय, ब्रश करते समय, सिंक में बर्तन धोते समय, नल तभी खोलें जब सचमुच पानी की ज़रूरत हो । गाड़ी धोते समय पाइप की बजाय बाल्टी व मग का प्रयोग करें, इससे काफी पानी बचता है। नहाते समय शॉवर की बजाय बाल्टी एवं मग का प्रयोग करें काफी पानी की बचत होगी। वाशिंग मशीन में रोज-रोज थोड़े-थोड़े कपड़े धोने की बजाय कपडे इकट्ठे होने पर ही धोएं।
जहाँ कहीं भी नल या पाइप लीक करे तो उसे तुरन्त ठीक करवायें। इसमें काफी पानी को बर्बाद होने से रोका जा सकता है। बर्तन धोते समय भी नल को लगातार खोले रहने की बजाये अगर बाल्टी में पानी भर कर काम किया जाए तो काफी पानी बच सकता है। सार्वजनिक पार्क, गली, मोहल्ले, अस्पताल, स्कूलों आदि में जहाँ कहीं भी नल की टोंटियाँ खराब हों या पाइप से पानी लीक हो रहा हो तो तुरन्त सम्बन्धित व्यक्ति को सूचना दें, इसमें हजारों लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है। इसके अलावा घर के बाहर जल संरक्षण के लिए गड्ढे तैयार करें जिससे घर में इस्तेमाल होने के बाद निकलने वाला पानी एक जगह एकत्रित हो सके एवं पानी के लिए आने वाली बड़ी चुनौतियों से बचा जा सके।

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रविवार, 26 मार्च 2023

बस्ती- अपना दल के पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं के साथ चौपाल लगाकर बूथ कमेटी के गठन पर किया चर्चा

बस्ती-अपना दल एस ने रविवार को ग्राम पंचायत सरनागी में विधानसभा अध्यक्ष राजमणि पटेल की अध्यक्षता में चौपाल लगाकर बूथ कमेटी के गठन पर चर्चा किया।
चौपाल को संबोधित करते हुए युवा मंच के राष्ट्रीय सचिव अभिमन्यु पटेल ने कहा कि देश एवं प्रदेश की सत्ता में मजबूत भागेदारी के लिए प्रत्येक बूथ को हर दशा में मजबूत करना होगा। इसके लिए एक बूथ दस यूथ का लक्ष्य भी कार्यकर्ताओं को दिया। 

शिक्षक मंच के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह पटेल ने कहा कि कार्यकर्ताओं की बदौलत ही आज अपना दल प्रदेश की तीसरी बड़ी पार्टी है। विधानसभा में संख्या के लिहाज से भाजपा एवं सपा के बाद अपना दल का ही नंबर है। 

कार्यक्रम का संचालन जिला सचिव प्रमोद कुमार पाल ने किया।इस अवसर पर राम गोपाल सिंह, हितकारी सिंह,राज कुमार वर्मा,विजय वर्मा, संतराम पटेल सईद खान,सत्यराम पटेल,राधेश्याम वर्मा,राम नयन चौधरी,अजीत वर्मा,नीरज कचेर,शिव सहाय,राम बहाल, राम जीत पटेल,संजय चौधरी आदि मौजूद रहे।

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शनिवार, 18 मार्च 2023

8 से 10 पेंशन का लाभ लेने वाले नेता बिजली कर्मियों पर एस्मा लगाने की दे रहे धमकी , जानिए उनकी काली करतूत

सौरभ वीपी वर्मा

कानून का डर दिखा कर जिसे जब चाहो तब जेल में डालने की धमकी दिया जाए ये लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके मूल्यों के खिलाफ है ,उत्तर प्रदेश में 1 लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारियों ने अगर अपने बकाए पैसे को सरकार से मांग कर लिया है तो कुछ गलत नही है , कर्मचारियों ने यदि वेतन विसंगति और पुरानी पेंशन की बात किया है तो कुछ गलत नही है । इस देश में कानून बनाकर सदन में बिल पास करने वाले नेता 2 ,3 ,4 ,5 ही नही 9 से 10 पेंशन का लाभ ले रहे हैं। UP Bijli strike news
जिस उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन जारी किया हुआ है उस उत्तर प्रदेश के सफेदपोश नेताओं की काली करतूत भी आप जान लीजिए ,भले ही बिजली कर्मियों के वेतन विसंगति को दूर करने के लिए सरकार के पास कोई नियति नही है लेकिन उत्तर प्रदेश में पूर्व विधायकों को प्रति महीने ₹25000 पेंशन मिलने की व्यवस्था है. साथ ही 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायक को प्रतिवर्ष ₹2000 रुपये अतिरिक्त पेंशन के रूप में मिलते हैं. यह ₹2000 की बढ़ोतरी 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायकों की पेंशन में जुड़ जाती है. यानी की 5 साल तक विधायक रहने वाले व्यक्ति को प्रति महीने ₹35000 की पेंशन मिलने की व्यवस्था है. 

इसी तरह अगर कोई 15 साल तक विधायक रहता है, तो उसे हर महीने ₹45000 की पेंशन मिल सकती है. वहीं, 20 साल विधायक रहने वाले व्यक्ति को हर महीने ₹55000 की पेंशन मिलती है. इसके अलावा अगर कोई विधानसभा का सदस्य 8 बार तक लगातार निर्वाचित हो रहा है तो उसे एक लाख रुपये से ज्यादा पेंशन दिया जाता है , इतना  ही नही कोई विधानसभा से निर्वाचित होने के बाद यदि लोकसभा का सदस्य चुना जाता है तब भी उसे दोनों कार्यालय का पेंशन मिलेगा । up bijli strike news 2023

अब सवाल इस बात का है कि जिन लोगों लोगों ने पद और सत्ता में रहकर मलाई काटी है उन्हें तो जीविका के लिए पेंशन पर पेंशन दिया जा रहा है वहीं जिन कर्मचारियों ने 60 साल तक नौकरी किया उनके पेंशन और बोनस के प्रति सरकार इतना निरंकुश क्यों है । सच तो यह है कि सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिए बिजली कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की धमकी दे रही है , लेकिन दूसरा सच यह भी है की लोकतांत्रिक व्यवस्था ने सबको अपनी बात कहने की आजादी दी है। जिसके जरिये बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं ।

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बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, जारी किया अवमानना नोटिस

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली विभाग कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने पहले से लंबित याचिका पर सुनवाई करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सीजेएम लखनऊ के जरिए जमानती वारंट तामील कराने का भी आदेश दिया है. कोर्ट ने 20 मार्च को सुबह 10 बजे कर्मचारी संघ के पदाधिकारी शैलेंद्र दुबे व अन्य को तलब किया है

दरअसल, अपनी मांगों को लेकर बिजली विभाग कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से कई इलाकों में ब्लैकआउट हो गया है. हड़ताल के चलते जहां बिजली व्यवस्था चरमरा गई है, वहीं कई इलाकों में पेयजल का भी संकट खड़ा हो गया है. हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभु राय ने बिजली विभाग कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर इस मामले में सुनवाई की मांग की थी. इस मामले में कल दोपहर 2 बजे सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल को सही नहीं माना है. प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. प्रार्थना पत्र में विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल से उपभोक्ताओं को हो रही परेशानियों का भी जिक्र किया गया है.

दिसंबर 2022 में बिजली विभाग कर्मियों की हड़ताल का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 6 दिसंबर 2022 के आदेश में कहा था कि विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर सख्त एक्शन लेने का भी निर्देश दिया था. अधिवक्ता विभु राय के प्रार्थना पत्र पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस विनोद दिवाकर की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. बिजली विभाग के हड़ताल को लेकर राज्य सरकार ने भी कड़ा रुख अपनाया है. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी हड़ताल पर एस्मा लगाने की बात कही है.

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गुरुवार, 16 मार्च 2023

ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भयावह ,डॉक्टरों की भारी कमी

समूचा भारत स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की मार झेल रहा है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आम जन या तो झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने को विवश हैं या फिर झाड़फूंक के जरिए अपनी बीमारियों से निजात पाने का प्रयास करते हैं। सरकारी डाक्टरों की ग्रामीण क्षेत्रों में तैनाती होने के बावजूद वे गांवों में नहीं जाते, शहरों में अपना चिकित्सा केंद्र शुरू कर देते हैं।
 इसकी बानगी ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 रिपोर्ट पेश करती है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन डाक्टरों की लगभग तिरासी प्रतिशत कमी है। बालरोग चिकित्सकों की 81.6 फीसद और फिजिशियन की 79.1 प्रतिशत कमी है। यही हाल प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की है। ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी अमूमन 72.2 प्रतिशत की कमी है। इतना ही नहीं, वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) की हालत भी ठीक नहीं। 

जनवरी 2023 में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि  कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने को बाध्य है। ग्रामीण आबादी की देखभाल के लिए योग्य डाक्टरों की नियुक्ति की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति बीआर गवई और बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। 

भारत के ग्रामीण क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी पीछे क्यों हैं? इस पर बहस की जरूरत है, न कि पांच खरब डालर की अर्थव्यवस्था का ख्वाब दिखाकर ग्रामीण और दूरदराज में रहने वाली जनता के जीवन जीने का अधिकार छीन लेने की!

एक आंकड़े के अनुसार देश में गरीब परिवारों का जीवनकाल, बीस प्रतिशत समृद्ध परिवारों के मुकाबले औसतन सात साल तक छोटा होता है। अब इसे न्याय की तराजू पर रखकर तौलिए, फिर सहज ही अंदाजा लगेगा कि लोकतंत्र में लोगों की कीमत क्या है? कहीं लोकतंत्र और संवैधानिक देश भी अर्थतंत्र की चौखट पर घुटने टेकने को मजबूर तो नहीं?

 सवाल यह भी है कि रिपोर्ट के अनुसार इस देश में गरीब की प्रतिदिन आय मात्र सत्ताईस रुपए है। ऐसे में  व्यक्ति खाएगा क्या और कोई बीमार पड़ा तो इलाज कराएगा कैसे...??

 ग्रामीण क्षेत्रों में छब्बीस हजार की आबादी पर एक चिकित्सक है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर एक हजार लोगों पर एक डाक्टर अवश्य होना चाहिए। अब गांव का गरीब व्यक्ति इलाज के लिए पैसे जोड़े या बच्चों की शिक्षा के लिए? यह उसके लिए बड़ा सवाल होता है।

स्वास्थ्य और शिक्षा लोकतांत्रिक देश में मुफ्त या सस्ती और सुलभ होनी चाहिए, लेकिन हमारे देश में हालत इसके ठीक उलट है। शिक्षा और स्वास्थ्य देश में कमाई का जरिया बन चुका है। 

सरकार की ‘आयुष्मान भारत’ योजना जिसका उद्देश्य पचास करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना बताया गया वह अपर्याप्त वित्तपोषण, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और अपर्याप्त आधारभूत संरचना की वजह से हांफती हुई दिखती है। 

 देश में आजादी के बाद से ही भ्रष्टाचार का रोग बढ़ता चला गया है, जिसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर साफ देखा जा सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में कहीं सरकारें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सभी को आत्मनिर्भर होने को न कह दें, डर अब इस बात का भी सता रहा है।

 संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत हमें जीवन जीने की स्वतन्त्रता है। किन्तु जाति, धर्म की राजनीति में फंसाकर राजनीतिक दल सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। गाँव, गरीब और ग्रामीणों की सुध लेने वाला कोई नहीं ।

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बुधवार, 15 मार्च 2023

बस्ती - लेखपालों पर मुकदमा दर्ज होने से तहसील में धरने पर बैठा लेखपाल संघ

कुलदीप चौधरी

बस्ती-  जिले के रुधौली तहसील में तैनात दो लेखपालों पर मारपीट का मुकदमा दर्ज होने के विरोध में मंगलवार को तहसील परिसर में लेखपाल अनिश्चितकालीनधरने पर बैठे गए। लेखपाल संघ के अध्यक्ष का कहना है कि उनकी तरफ से दी गई तहरीर पर रुधौली पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। ऐसे में जब तक उचित कार्रवाई नहीं होगी तब तक धरना जारी रहेगा। लेखपालों ने चार सूत्रीय ज्ञापन एसडीएम आनंद सिंह श्रीनेत को सौंपा। 
बता दें कि नगर पंचायत रुधौली के शांतिनगर वार्ड में आरसीसी रोड का निर्माण चल रहा है। इसी वार्ड के चंद्रप्रकाश शुक्ल का आरोप है कि सोमवार की देर शाम करीब सात बजे लेखपाल प्रमोद चौधरी एवं अंकित चौधरी बाइक लेकर जा रहे थे तब नई बनी सीसी रोड पर बाइक ले जाने से सड़क खराब होने का हवाला देते हुए मना किया तो दोनों लेखपाल उन्हें मारने-पीटने लगे। 

रुधौली पुलिस ने घायल चंद्रप्रकाश को सीएचसी रुधौली भेजा। यहां से चिकित्सक ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। पुलिस ने आरोपी लेखपाल प्रमोद चौधरी व अंकित चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। 

वहीं दोनों लेखपालों का आरोप है कि उन्हें मारापीटा गया और गले से सोने की चेन लूट ली गई एवं सरकारी अभिलेखों को क्षति पहुंचाई गई। इसकी सूचना पर जिलाध्यक्ष रामसुमेर चौधरी की अगुवाई में धरना शुरू कर दिया कर न्याय की मांग की गई है । इस मामले में रुधौली थाना प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि तहरीर मिली है उसकी जांच की जा रही है।

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सोमवार, 13 मार्च 2023

बस्ती-अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने शास्त्री चौराहे पर मनाया महिला दिवस

बस्ती।13 मार्च। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने शास्त्री चौराहे पर जनसभा कर महिला दिवस मनाया। 
 जनसभा को संबोधित करते हुए एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,माकपा की पोलित बयूरो सदस्य व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने केंद्र व प्रदेश सरकार को महिलाओ की सुरक्षा व महंगाई रोकने में विफल बताया। कहा कि वर्तमान सरकार अमीरों के साथ है और गरीबो की विरोधी है।
एडवा की केंद्रीय कमेटी की सदस्य व प्रदेश उपाध्यक्ष वंदना रॉय ने महिला दिवस के इतिहास पर विस्तार से बात करते हुए संगठन को मजबूत करने पर बल दिया। जाना सभा को कवल जीत कौर, खे एम यू के राम अचल निषाद ,जनौस के शिव चरण निषाद ,मिड डे मील की विशाला किसान सभा के शेष मणि , सीटू के ध्रुव चंद ,यूपीएम एस आर ए के राकेश उपाध्याय ,बिजली कर्मचारी नेता अशरफी लाल ,ट्रेड यूनियन नेता के के तिवारी ने संबोधित किया।जनसभा की अध्यक्षता  कमलेश व संचालन वंदना ने किया।

जन सभा को सफल बनाने में सोनी ,नीलू ,शीला, सुंदरी,पूनम ,फातिमा आसिया खातून,अनिता ,नरसिंह भारद्वाज ,सुशीला ,लक्ष्मी पांडेय ,इंद्रावती, रंजीत श्रीवास्तव ,सुनिलश्रीवस्तव ,गंगेश्वर पांडेय हीरा लाल ,राम करन ,सोनू कुमार , सुनील दुबे,आदित्य पांडेय,शाहिद अली , सुशीला, विजय लक्ष्मी ,राम जी,राम सुरेमन,अजोरे,राम निरख आदि ने संबोधित किया। 

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बस्ती- सफाई कर्मचारियों द्वारा गांव में नही किया जा रहा सफाई , बीडीओ से शिकायत

बस्ती - सल्टौआ विकास खंड के ग्राम पंचायत आमा द्वितीय में सफाई कर्मचारियों द्वारा गांव के सार्वजनिक स्थानों की सफाई कार्य न किये जाने की शिकायत खंड विकास अधिकारी सल्टौआ सुशील कुमार पाण्डेय से की गई ।
गांव में फैली गंदगी की समस्या पर शिकायत करते हुए अमित सिंह ने बताया कि आमा द्वितीय के राजस्व गांव आमा में काफी दिनों से नाली की सफाई नही हुई है ,इसके अलावा गांव के सार्वजनिक स्थानों एवं विद्यालय में वर्षों से सफाई नही हुई है जिससे गांव में संक्रमण आदि बीमारी फैलने के साथ गंदगियों का अंबार जमा हुआ है ।

खंड विकास अधिकारी सुशील कुमार पाण्डेय ने गांव में साफ सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करवाने के लिए एडीओ पंचायत को निर्देशित किया है 

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रविवार, 12 मार्च 2023

किसानों का दर्द और बेशर्म सरकार Pain of farmers and shameless government

सौरभ वीपी वर्मा

650 रुपये में आलू की खरीदारी करने वाली यूपी सरकार के उन तमाम नेताओं और मंत्रियों को इस बात की समीक्षा फिर से करनी चाहिए कि 650 रुपया कुंटल आलू खरीदना यूपी के किसानों के साथ धोखा और छलावा होगा ।
वैसे भी बाबा योगी आदित्यनाथ ने न कभी खेती की है और न ही खेती के मूल्यों की जानकारी हासिल करने की कभी कोशिश किया है , किसान जब एक बीघा जमीन पर आलू की बुआई करता है तब उसका निराई गुड़ाई करने पालने पोषने एवं खुदाई के वक्त तक करीब 45 हजार रुपया खर्च हो जाता है उसके बाद उस जमीन से उसे 60 से 70 कुंटल आलू मिलता है वह भी जब बाबा के आवारा पशुओं से बच जाए तब ।

चलिये मान लीजिए कि आवारा एवं जंगली पशुओं से आलू की फसल बच भी गया और 70 कुंटल की पैदावार भी हो गया तो उसे यूपी सरकार 650 रुपया प्रति कुंटल के हिसाब से खरीद कर किसानों को 45,500 रुपया देगी ,जिसमें सारे लागत मूल्य  काटने के बाद किसानों को मिलेगा मात्र 500 रुपया . 

आप जानते हैं एक बीघा आलू की फसल तैयार करने में किसानों को कितना मेहनत करना पड़ता है ? जब भीषण ठंडी में मुख्यमंत्री ,मंत्री ,विधायक ,सांसद एयरकंडीशनर कमरे में हीटर से गर्मी का आनंद लेते हैं तब उस कड़ाके की ठंड और पाले में आलू के खेत में किसान रात भर हू हू करते हुए अपनी फसलों की रखवाली करता है उसके बाद भी मुख्यमंत्री और मंत्री को शर्म नहीं आती कि वह 650 रुपया कुंटल आलू खरीदने की घोषणा कर देते हैं ।

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रविवार, 5 मार्च 2023

न्यायपालिका में ओबीसी, एससी-एसटी को मिले उचित प्रतिनिधित्व-राम सिंह पटेल

बस्ती-लोकतंत्र के सभी स्तंभों में सभी वर्गों की समान हिस्सेदारी होनी चाहिए, यही सामाजिक न्याय है। न्यायपालिका में ओबीसी, एससी-एसटी का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इस बाबत अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन अवश्य होना चाहिए ताकि पिछड़ों, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के मेधावी बच्चों की भी न्यायपालिका में उचित हिस्सेदारी हो ।
अपना दल एस शिक्षक मंच के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह पटेल ने रविवार को बभनान नगर पंचायत स्थित एक निजी विद्यालय में आयोजित पार्टी की बैठक को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किया। उन्होंने आगामी नगर पंचायत चुनाव को लेकर समीक्षा बैठक की और आवश्यक निर्देश दिए।

युवा मंच के राष्ट्रीय सचिव अभिमन्यु पटेल ने कहा कि देश की 60 फीसदी आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आती है। ऐसे में पिछड़ों की समस्याओं के निदान के लिए अलग से ओबीसी मंत्रालय का गठन जरूरी है।

 बैठक की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष राजमणि पटेल एवं संचालन लाल बहादुर मौर्य ने किया।बैठक में राम नरेश पटेल,विजय वर्मा,संतराम पटेल,ओमप्रकाश तिवारी,देव पटेल,अरविन्द चौधरी, राहुल पटेल,राम चरित्र पटेल,चन्द्रभान भारद्वाज, राम नारायन वर्मा,नीरज कचेर,राम प्रताप पटेल,राम चरित्र सोनकर, राज कुमार वर्मा,अजीत वर्मा, प्रमोद कुमार पाल आदि मौजूद रहे।

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शनिवार, 4 मार्च 2023

बस्ती-बिना काम कराए लाखों का भुगतान,बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज सुरवार खूर्द

समीक्षात्मक रिपोर्ट-ग्राम पंचायत ,सुरवार खुर्द
कुलदीप चौधरी /सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती-गांधी जी ने जिस भारत के गांवों के लिए समग्र एवं समेकित विकास का सपना देखा था उसे पूरा करने के लिए सरकार द्वारा भले ही भारी भरकम धनराशि दी जा रही है लेकिन ग्राम प्रधान एवं गांव के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उदासीनता के चलते गांव और गांव के लोग आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बदहाल जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।
तहकीकात समाचार द्वारा बस्ती जनपद के रुधौली विकास खंड के सुरवार खुर्द ग्राम पंचायत में सरकार की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई तब पता चला कि ग्राम पंचायत में लूट ,झूठ ,भ्रष्टाचार ,एवं बंदरबांट का साम्राज्य स्थापित हो चुका है । ग्राम पंचायत सुरवार खुर्द में भ्रष्टाचार का जो मामला सामने आया है वह चैंकाने वाला है , ग्राम पंचायत में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में जब सड़क ,पानी निकासी ,जल संरक्षण ,सोख्ता निर्माण एवं आदि बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत थी तब प्रधान और संबंधित लोगों ने प्लास्टिक संग्रह केंद्र , डस्टबिन की स्थापना ,सफाई कर्मी किट एवं हैंडपंप मरम्मत के नाम पर करीब 3 लाख रुपये का गोलमाल कर लिया ।
             धूल फांक रहा आरसीसी बेंच

ग्राम पंचायत में डस्टबिन स्थापना के नाम पर वित्तीय वर्ष में 1,37,200 रुपये का भुगतान किया गया लेकिन गांव वासियों ने बताया कि गांव में कहीं भी डस्टबिन की स्थापना नही किया गया है वहीं सफाई कर्मी किट के नाम पर ग्राम पंचायत में 35280 रुपये का भुगतान लिया गया लेकिन सफाई कर्मी किट की भी खरीददारी नही किया गया । इसी प्रकार प्लास्टिक संग्रह केंद्र के नाम पर 49000 रुपया खर्च किया गया लेकिन प्लास्टिक संग्रह केंद्र का भी कोई नामोनिशान नही मिला।

इसी प्रकार ग्राम पंचायत में आरसीसी बेंच की स्थापना के लिए 1,76,400 रुपये का भुगतान लिया गया लेकिन यह आरसीसी बेंच गांव में बनाये गए एक अस्थायी पंचायत भवन कार्यालय के बगल धूल फांक रहा है ,इतना ही नही जिस आरसीसी बेंच का बाजार मूल्य 3 से 4हजार रुपया है उसे ग्राम पंचायत द्वारा 19 हजार से ज्यादे मूल्य का भुगतान कर खरीदा गया है ,इसी प्रकार ग्राम पंचायत में स्ट्रीट लाइट के नाम पर वित्तीय वर्ष में 75812 रुपये का भुगतान लिया गया लेकिन इसकी खरीददारी में भी भ्रष्टाचार शामिल है ।

गांव में गंदगियों का अंबार 

जिस गांव में प्लास्टिक संग्रह केंद्र ,कूड़ेदान ,सफाई कर्मी किट आदि के नाम पर भारी भरकम धन खर्च किया गया है वहां की जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ,गांव में पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने से जलमग्न सड़को से होकर ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है।

सामुदायिक शौचालय एवं पंचायत भवन अधूरा
सरकार ने अपनी सबसे बड़ी महत्वकांक्षी योजना पंचायत भवन एवं सामुदायिक शौचालय निर्माण पर भले ही काफी जोर दिया है लेकिन ग्राम पंचायत सुरवार खुर्द में आज तक न तो पंचायत भवन बनकर तैयार हो पाया न ही सामुदायिक शौचालय ।
                   अधूरा पड़ा पंचायत भवन 

डेढ़ लाख खर्च उसके बाद भी स्वच्छ पेय जल का संकट 
ग्राम पंचायत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में हैंडपंप रिबोर एवं मरम्मत के नाम पर करीब 1 लाख 28 हजार रुपया खर्च किया गया लेकिन उसके बाद भी गांव में लगे हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं , गांव में लगे जमुना प्रसाद के घर के सामने हैंडपंप बंद पड़ा हुआ है ,उनका आरोप है कि बहुत बार शिकायत के बाद भी हैंडपंप का मरम्मत नही हुआ ,इसी प्रकार गांव में 3 और हैंडपंप बंद मिले ।
                        बंद पड़ा हैंडपंप

भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया शौचालय
केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर करीब 1.96 लाख करोड़ रुपया खर्च कर हर घर में शौचालय बनवाने का। दावा किया गया ,लेकिन ग्राउंड जीरो पर जब योजनाओं की हकीकत एवं उसके प्रगति की पड़ताल की जाती है तब पता चलता है कि देश में चलाई गई इतनी बड़ी महत्वकांक्षी योजनाओं भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ कर रह गया है , गांव में बनाये गए कई दर्जन व्यक्तिगत शौचालय दिखाई दिया है जो बेकार पड़ा हुआ है ।
               गांव में बेकार पड़ा शौचालय

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