गरीबी, भूख, भुखमरी और भिखारी भारत में चोली दामन का साथ है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19.07 करोड़ थी। यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक था। देश में 15 से 49 वर्ष की 51.4 फीसदी महिलाओं में खून की कमी थी पांच वर्ष से कम उम्र के 38.4 फीसदी बच्चे अपनी आयु के मुताबिक कम लंबाई के थे। इक्कीस फीसदी का वजन अत्यधिक कम मिला था , भोजन की कमी से हुई बीमारियों से देश में सालाना तीन हजार बच्चे दम तोड़ देते थे।
आज जब भारत सरकार ने मुफ्त राशन दिया , कुपोषण दूर करने के लिए आंगनवाड़ी के जरिये कई प्रकार के खाद्य पदार्थों की व्यवस्था कर अरबों रुपया खर्च किया गया तब यह आंकड़ा कम होने की जगह देश में भूखे पेट सोने वाले लोगों की संख्या 19 करोड़ से बढ़कर 22 करोड़ हो गई । उसके बावजूद भी देश के जिम्मेदार लोग देश की जनता से झूठ बोल कर सबका साथ सबका विकास का फर्जी ढोल पीट रहे हैं ।