शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

बस्ती- कूड़ेदान के नाम पर खर्च हो गया करोड़ो रुपया , नतीजा शून्य -ग्राउंड जीरो रिपोर्ट

सौरभ वीपी वर्मा

सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर इस देश में  करीब 2 लाख करोड़ रुपया खर्च किया गया है , जिसमें हर घर में शौचालय बनवाने गांव एवं शहरों को साफ सुथरा रखने के लिए कूड़ेदान इत्यादि की व्यवस्था के लिए बजट दिया गया लेकिन धरातल पर जब योजना के प्रगति का पड़ताल किया गया तब पता लगा की करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद नतीजा शून्य है ।
बस्ती जनपद की बात करें तो यहां पर 14 क्षेत्र पंचायत ,नगर पंचायत ,नगर पालिका के अलावा 1185 ग्राम पंचायतों में कूड़ेदान के नाम पर जमकर धन खर्च किया गया है लेकिन जब योजना के नाम पर खर्च किये गए धन की समीक्षा की गई तब पता चला कि कूड़ेदान स्थापित करने का मकसद केवल बंदरबांट है ।

नगर पंचायतों में जहां कूड़ेदान पर करोड़ो रुपया खर्च किया गया वहीं ग्राम पंचायतों में 60 से 80 हजार रुपया कूड़ेदान के नाम पर खर्च किया लेकिज इस कूड़ेदान को न तो गांव वालों ने कभी इस्तेमाल किया और न ही सही तरीके से इसका क्रियान्वयन हो पाया । नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के बाद यदि क्षेत्र पंचायत की बात करें तो यहां पर भी स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जमकर धन खर्च किया गया लेकिन यहां पर भी नतीजा शून्य निकला ।

क्षेत्र पंचायत सल्टौआ के निधि से करीब 18 लाख रुपया कूड़ेदान के नाम पर खर्च करके गांव में कूड़ेदान को स्थापित किया गया लेकिन जनता ने आज तक इसका मतलब नही समझा ।  उस अधिकारी ने भी इस योजना की समीक्षा करने की जरूरत नही  समझा जिसके कलम से करोड़ो करोड़ रूपये का बजट पास हो गया ।

बारीकी से जब इस विषय में जानकारी हासिल किया गया तब पता चला कि कूड़ेदान को स्थापित करने के नाम पर मोटी कमाई होता है जिसके चलते स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर नगर पंचायत , ग्राम पंचायत , क्षेत्र पंचायत एवं नगर पालिका में इस योजना के नाम पर जमकर पैसा खर्च किया गया है । इससे जुड़े दुकानदारों से जब जानकारी प्राप्त की गई तब पता चला कि 1000 से लेकर 2000 रुपये में मिलने वाले कूड़ेदान को नगर पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत में 8000 से लेकर 9000 में खरीददारी किया गया है ।  इससे यह स्पष्ट होता है कि महज सरकारी धन के बंदरबांट के उद्देश्य से जगह जगह पर कूड़ेदान को स्थापित करने का काम किया गया है , जबकि 99 फ़ीसदी जगहों पर लगाए गए कूड़ेदान का मतलब आज तक कोई समझ ही नहीं पाया है ।

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गुरुवार, 29 सितंबर 2022

यूपी : मुजफ्फरनगर में एक शख्स के पेट से निकले स्टील के 63 चम्मच, पूरा मामला बना हुआ है संशय

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने एक मरीज के पेट से एक नहीं बल्कि एक के बाद एक 63 स्टील की चम्मच निकाली है. मरीज की हालत अभी गंभीर बताई जा रही है. दरअसल जानकारी के मुताबिक, थाना मंसूरपुर क्षेत्र के गांव बोपाडा निवासी विजय नशे का आदी है. जिसके चलते विजय के परिजनों ने उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था. बताया जा रहा है कि जनपद शामली में स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में विजय को लगभग पाँच महीने पहले भर्ती कराया गया था. जहां उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे उसके परिजनों द्वारा मुजफ्फरनगर के एक निजी हॉस्पिटल में लाया गया. जहां डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन किया तो उसके पेट से 63 स्टील की चम्मच निकलने पर मेडिकल स्टाफ के भी होश उड़ गए क्योंकि ऐसा उन्होंने भी पहली बार ही देखा था.

अब सवाल ये उठता है कि इतनी चम्मच आखिरकार विजय के पेट में कैसे गई. क्योंकि सामान्य ये संभव नहीं कि कोई व्यक्ति खाने के साथ चम्मच भी खा जाए. मगर विजय के परिजनों का आरोप हैं कि उसको नशा मुक्ति केंद्र के स्टाफ द्वारा जबरन चम्मच खिलाई गई. मगर पीड़ित द्वारा अभी इस मामले की शिकायत नहीं की गई.

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बुधवार, 28 सितंबर 2022

यूपी-शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र की मौत ,गुस्साये ग्रामीणों ने पुलिस की जीप को फूंका

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के वैशोली गांव में शिक्षक अश्विनी सिंह की पिटाई से 10वीं कक्षा के दलित छात्र निखित की मौत के बाद खड़ा हुआ विवाद, थमने का नाम नहीं ले रहा है. परिवार द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर के मुताबिक बीते सात सितंबर को गांव के आदर्श इंटर कॉलेज के शिक्षक अश्विनी सिंह ने सामाजिक विज्ञान का टेस्ट लिया था. टेस्ट के दौरान दलित छात्र निखित ने सामाजिक विज्ञान की जगह सामाजक विज्ञान लिख दिया था. इससे भड़के हुए शिक्षक ने निखित को लात घुसों और डंडे से इतना पीटा कि वह मौके पर ही बेहोश हो गया. घटना के 18 दिन बाद तक निखित जिंदगी और मौत से जूझता रहा और सोमवार सुबह उसकी मौत हो गई.

सोमवार शाम को पोस्टमार्टम के बाद निखित का शव परिजनों को सौंप दिया गया. इसके बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ता और परिजन, शिक्षक अश्विनी सिंह की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग को लेकर आदर्श इंटर कॉलेज के बाहर शव रखकर प्रदर्शन करने लगे. मृतक छात्र के पिता राजू सिंह दोहरे ने मीडिया को बताया, "जब तक आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक हम अपने बच्चे का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे."

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों और परिजनों के बीच करीब डेढ़ घंटे की बातचीत हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. पुलिस जबरन प्रदर्शनकारियों को हटाने लगी जिससे प्रदर्शनकारी आक्रोशित हो गए. इसी दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया और पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी गई. इलाके में बढ़ते तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी के जवान तैनात कर दिए गए हैं. साथ ही औरैया पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया है.

दूसरी तरफ भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी की कार्रवाई का विरोध जताया है. चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट किया, "औरैया में स्कूली छात्र की टीचर द्वारा निर्मम पिटाई से मौत हो जाती है और पुलिस परिवार की इच्छा के विरुद्ध जबरन अंतिम संस्कार करवाना चाहती है. परिवार की मांगों के समर्थन में मौजूद आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज के बाद गिरफ्तारी गलत है, इस तानाशाही के खिलाफ हम डट कर खड़े हैं."

मृतक छात्र के पिता राजू सिंह दौरे ने बताया, "आरोपी शिक्षक ने कहा था कि मुझसे गलती हो गई, माफ कर दो. निखित के इलाज का जो भी खर्च होगा वह हम देंगे. पहले हमने इटावा में बच्चे का इलाज कराया, जिसका खर्च 40 हजार रुपए आया. इलाज के बावजूद निखित की हालत बिगड़ती गई. डॉक्टर ने बताया कि निखित को गंभीर अंदरुनी चोटें आई हैं और लखनऊ रेफर कर दिया. हम उसे लेकर लखनऊ पीजीआई गए और इलाज के खर्चे के लिए शिक्षक के पास गए लेकिन शिक्षक ने पैसे देने से मना कर दिया. यही नहीं हमें जातिसूचक गालियां देते हुए मारने की धमकी दी और भगा दिया. पैसे की कमी के चलते हम निखित को घर ले आए. लेकिन हालत बिगड़ती देख निखित को सैफई में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई."




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रविवार, 25 सितंबर 2022

परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 88 फीसदी बच्चे मूल्यपरक शिक्षा से वंचित - रिपोर्ट सौरभ वीपी वर्मा

सौरभ वीपी वर्मा

किसी देश का विकास शिक्षा के विकास के वगैर संभव नहीं है उसके बाद भी भारत में प्रांतीय और केंद्रीय सरकार द्वारा शिक्षा को मूल्यपरक बनाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया जा रहा है। 
आज भले ही सर्व शिक्षा अभियान के तहत अंतिम पंक्ति में खड़े बच्चों को शिक्षा देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन धरातल पर पहुंचने के बाद देखने को मिल रहा है कि परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इतिहास ,भूगोल ,विज्ञान ,गणित और अंग्रेजी के विषय में पूरी तरह से फिसड्डी हैं ।
तहकीकात समाचार के संपादक सौरभ वीपी वर्मा एवं सहयोगी कुलदीप चौधरी ,केसी श्रीवास्तव एवं सुशील रंजन द्वारा परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों एवं वहां की व्यवस्थाओं पर एक रिपोर्ट तैयार किया गया है जिसमें बस्ती मंडल के 90 फीसदी परिषदीय स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं अव्यवस्थित पाई गई वहीं 88 फीसदी बच्चे स्कूली पाठ्यक्रम की शिक्षा से वंचित पाए गए।

रिपोर्ट में बस्ती ,सिद्धार्थनगर ,एवं संतकबीरनगर के 60 से अधिक स्कूलों का डाटा एकत्रित किया गया जिसमें पाया गया कि 1 से 5 तक 70 फीसदी से अधिक बच्चों को स्कूल के सभी किताबों के बारे में जानकारी नही है ,वहीं इन बच्चों को हिंदी ,अंग्रेजी एवं गणित के बेसिक सवालों का जवाब भी नही पता है ।इन बच्चों से पूछे गए कुछ सरल सवालों का जवाब भी वह देने में असमर्थ दिखाई दिए । वहीं सामान्य ज्ञान के सवालों का जवाब 90 फीसदी बच्चे नही दे पाए ।
रिपोर्ट में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों की स्थिति भी काफी खराब दिखाई दिया , बच्चों से उनके ही किताब से पूछे गए सवाल का जवाब देने में वह सक्षम नही दिखाई दिए । इसी प्रकार से देश की राजधानी ,उत्तर प्रदेश के राज्यपाल , उत्तर प्रदेश के सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ,और कई सरल सवालों के जवाब देने में वह असमर्थ हो गए। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले 1 से 8 तक के बच्चों से पूछे गए महज 10 सवालों में  से 88 फीसदी बच्चे सही जवाब नही दे पाए वहीं 12 फीसदी बच बच्चों की बात करें तो उन्होंने अधूरे जवाब दिए हैं।

रिपोर्ट में मिला कि स्कूलों में बनने वाले मिड डे मील की गुणवत्ता भी तय मानक के अनुसार नही बनाई जाती है , इसके अलावा स्कूल में बच्चों से कई प्रकार के छोटे मोटे कार्य लेने की बात भी सामने आई है ।

इस रिपोर्ट में स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों से खराब शैक्षणिक गुणवत्ता के बारे में जानकारी लिया गया तो 80 फीसदी अध्यापकों ने सरकारी सिस्टम का दोष दिया ,अध्यापकों ने समय से स्कूल में किताब न मिलना ,एवं जरूरी बुनियादी सुविधाओं की कमी को बताया गया । 

ऐसी स्थिति को देखते हुए सवाल पैदा होता है कि आखिर प्राइमरी स्कूलों एवं वहां की शिक्षा व्यवस्था को कारगर बनाने के लिए सरकार को दिलचस्पी क्यों नही है ।


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गुरुवार, 22 सितंबर 2022

बस्ती जनपद कहानी ,1865 में ही बन गया था जिला मुख्यालय, पढ़ें इतिहास के पन्ने से

बस्ती जिले का इतिहास ,पढ़ें और पढ़ाएं,स्रोत विकिपीडिया

यह भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर और बस्ती जिला का मुख्यालय है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बस्ती जिला गोण्डा जिले के पूर्व और संत कबीर नगर के पश्चिम में स्थित है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भी यह उत्तर प्रदेश का सातवां बड़ा जिला है। प्राचीन समय में बस्ती को 'कौशल' के नाम से जाना जाता है।
प्राचीन काल में बस्ती मूलतः 'वैशिश्ठी' के नाम से जाना जाता था। वैशिश्ठी नाम वसिष्ठ ऋषि के नाम से बना हैं, जिनका ऋषि आश्रम यहां पर था।

वर्तमान जिला बहुत पहले निर्जन और वन से ढका था लेकिन धीरे-धीरे क्षेत्र बसने योग्य बन गया था। वर्तमान नाम बस्ती राजा कल्हण द्वारा चयनित किया गया था, यह घटना जो शायद 16वीं सदी में हुई थी। 1801 में बस्ती तहसील मुख्यालय बन गया था और 1865 में यह नव स्थापित जिले के मुख्यालय के रूप में चुना गया था।

बहुत प्राचीन काल में बस्ती के आसपास का जगह कौशल देश का हिस्सा था। शतपथ ब्राह्मण अपने सूत्र में कौशल का उल्लेख किया हैं, यह एक वैदिक आर्यों और वैयाकरण पाणिनि का देश था। राम चन्द्र राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे जिनकी महिमा कौशल देश में फैली हुई थी, जिन्हे एक आदर्श राज्य, लौकिक राम राज्य की स्थापना का श्रेय जाता है। परंपरा के अनुसार, राम के बड़े बेटे कुश कौशल के सिंहासन पर बैठे, जबकि छोटे बेटे लव को राज्य के उत्तरी भाग का शासक बनाया गया राजधानी श्रावस्ती था। इक्ष्वाकु से 93वां पीढ़ी और राम से 30 वीं पीढ़ी में बृहद्वल था, यह इक्ष्वाकु शासन का अंतिम प्रसिद्ध राजा था, जो महान महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में मारा गया था।

छठी शताब्दी ई. में गुप्त शासन की गिरावट के साथ बस्ती भी धीरे-धीरे उजाड़ हो गया, इस समय एक नए राजवंश मौखरी हुआ, जिसकी राजधानी कन्नौज था, जो उत्तरी भारत के राजनैतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया और इसी राज्य में मौजूद जिला बस्ती भी शामिल था।

9वीं शताब्दी ई. की शुरुआत में, गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय ने अयोध्या से कन्नौज शासन को उखाड़ फेंका और यह शहर उनके नये बनते शासन का राजधानी बना, जो राजा मिहिर भोज 1 (836 - 885 ई.) के समय में बहुत ऊँचाई पर था। राजा महिपाल के शासनकाल के दौरान, कन्नौज के सत्ता में गिरावट शुरू हो गई थी और अवध छोटा छोटे हिस्सों में विभाजित हो गया था लेकिन उन सभी को अंततः नये उभरते शक्ति कन्नौज के गढवाल राजा जय् चंद्र (1170-1194 ई.) मिले। यह वंश के अंतिम महत्वपूर्ण शासक थे जो हमलावर सेना मुहम्मद गौर के खिलाफ चँद॔वार की लड़ाई (इटावा के पास) में मारा गये थे उनकी मृत्यु के तुरंत बाद कन्नौज तुर्कों के कब्जे में चला गया।

किंवदंतियों के अनुसार, सदियों से बस्ती एक जंगल था और अवध की अधिक से अधिक भाग पर भार कब्जा था। भार के मूल और इतिहास के बारे में कोई निश्चित प्रमाण शीघ्र उपलब्ध नहीं है। जिला में एक व्यापक भर राज्य के सबूत के रूप में प्राचीन ईंट इमारतों के खंडहर लोकप्रिय है जो जिले के कई गांवों में बहुतायत संख्या में फैले हैं।

13वीं सदी की शुरुआत में, 1225 में इल्तुतमिश का बड़ा बेटा, नासिर-उद-दीन महमूद, अवध के गवर्नर बन गया और इसने भार लोगो के सभी प्रतिरोधो को पूरी तरह कुचल डाला। 1323 में, गयासुद्दीन तुगलक बंगाल जाने के लिए बेहराइच और गोंडा के रास्ते गया शायद वह जिला बस्ती के जंगल के खतरों से बचना चाहता था और वह आगे अयोध्या से नदी के रास्ते गया। 1479 में, बस्ती और आसपास के जिले, जौनपुर राज्य के शासक ख्वाजा जहान के उत्तराधिकरियो के नियंत्रण में था। बहलूल खान लोधी अपने भतीजे काला पहाड़ को इस क्षेत्र का शासन दे दिया था जिसका मुख्यालय बेहराइच को बनाया था जिसमे बस्ती सहित आसपास के क्षेत्र भी थे। इस समय के आसपास, महात्मा कबीर, प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक इस जिले में मगहर में रहते थे।

यह कहा जाता है कि प्रमुख राजपूत कुलों(जैसे -रायबरेली के बैशवाड़ा से बैस राजपूत ) के आगमन से पहले, इन जिलों में स्थानीय हिंदू और हिंदू राजा थे और कहा जाता है कि इन्ही शासकों द्वारा भार, थारू, दोमे और दोमेकातर जैसे आदिवासी जनजातियों और उनके सामान्य परम्पराओ को खत्म कर दिया गया, ये सब कम से कम प्राचीन राज्यों के पतन के बाद और बौद्ध धर्म के आने के बाद हुआ। इन हिंदुओं में भूमिहार ब्राह्मण, सर्वरिया ब्राह्मण और विसेन शामिल थे। पश्चिम से राजपूतों के आगमन से पहले इस जिले में हिंदू समाज का राज्य था। 13वीं सदी के मध्य में श्रीनेत्र पहला नवागंतुक था जो इस क्षेत्र में आ कर स्थापित हुआ। जिनका प्रमुख चंद्रसेन पूर्वी बस्ती से दोम्कातर को निष्कासित किया था।रायबरेली प्रान्त डौंडियाखेड़ा के बैशवाड़ा से आकर कुछ बैस राजपूत पूरेहेमराज गाँव में बस गए । गोंडा प्रांत के कल्हण राजपूत स्वयं परगना बस्ती में स्थापित हुए थे। कल्हण प्रांत के दक्षिण में नगर प्रांत में गौतम राजा स्थापित थे। महुली में महसुइया नाम का कबीला था जो महसो के राजपूत थे।

अन्य विशेष उल्लेख राजपूत कबीले में चौहान का था। यह कहा जाता है कि चित्तौङ से तीन प्रमुख मुकुंद भागे थे जिनका जिला बस्ती की अविभाजित हिस्से पर (अब यह जिला सिद्धार्थ नगर में है) शासन था। 14वीं सदी की अंतिम तिमाही तक बस्ती जिले का एक भाग अमोढ़ा पर कायस्थ वंश का शासन था।

अकबर और उनके उत्तराधिकारी के शासनकाल के दौरान जिला बस्ती, अवध सुबे के गोरखपुर सरकार का एक हिस्सा बना हुआ था। जौनपुर के गवर्नर के शासनकाल के शुरू के दिनों में यह जिला विद्रोही अफगानिस्तान के नेताओं जैसे अली कुली खान, खान जमान का शरणस्थली था। 1680 में मुगल काल के दौरान औरंग़ज़ेब ने एक दूत (पथ के धारक) काजी खलील-उर-रहमान को गोरखपुर भेजा था शायद स्थानीय प्रमुखों से राजस्व का नियमित भुगतान प्राप्त करने के लिए। खलील-उर-रहमान ने ही गोरखपुर से सटे जिलो के सरदारों को मजबूर किया था कि वे राजस्व का भुगतान करे। इस कदम का यह परिणाम हुआ कि अमोढ़ा और नगर के राजा, जो हाल ही में सत्ता हासिल की थी, राजस्व का भुगतान को तैयार हो गये और टकराव इस तरह टल गया। इसके बाद खलील-उर-रहमान ने मगहर के लिए रवाना हुआ जहाँ उसने अपनी चौकी बनाया तथा राप्ती के तट पर बने बांसी के राजा के किले पर कब्ज़ा कर लिया। नव निर्मित जिला संत कबीर नगर का मुख्यालय खलीलाबाद शहर का नाम खलील उर रहमान से पङा जिसका कब्र मगहर में बना है। उसी समय एक प्रमुख सङक गोरखपुर से अयोध्या का निर्माण हुआ था 1690 फ़रवरी में, हिम्मत खान (शाहजहाँ खान बहादुर जफर जंग कोकल्ताश का पुत्र, इलाहाबाद का सूबेदार) को अवध का सूबेदार और गोरखपुर फौजदार बनाया गया, जिसके अधिकार में बस्ती और उसके आसपास का क्षेत्र बहुत समय तक था।

एक महान और दूरगामी परिवर्तन तब आया जब 9 सितम्बर 1772 में सआदत खान को अवध सूबे का राज्यपाल नियुक्त किया गया जिसमे गोरखपुर का फौजदारी भी था। उसी समय बांसी और रसूलपुर पर सर्नेट राजा का, बिनायकपुर पर बुटवल के चौहान का, बस्ती पर कल्हण शासक का, अमोढ़ा पर सुर्यवंश का, नगर पर गौतम का, महुली पर सुर्यवंश का शासन था। जबकि अकेला मगहर पर नवाब का शासन था, जो मुसलमान चौकी से मजबूत बनाया गया था।

नवंबर 1801 में नवाब शुजा उद दौलाह का उत्तराधिकारी सआदत अली खान ने गोरखपुर को ईस्ट इंडिया कंपनी को आत्मसमर्पण कर दिया, जिसमे मौजूद जिला बस्ती और आसपास के क्षेत्र का भी समावेश था। रोलेजे गोरखपुर का पहला कलेक्टर बना था। इस कलेक्टर ने भूमि राजस्व की वसूली के लिए कुछ कदम उठाये थे लेकिन आदेश को लागू करने के लिए मार्च 1802 में कप्तान माल्कोम मक्लोइड ने मदद के लिए सेना बढा दिया था।

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बुधवार, 21 सितंबर 2022

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया है ,वें 58 साल के थे . राजू श्रीवास्तव Raju Srivastava को 10 अगस्त को दिल का दौरा पड़ने के बाद से एम्स में भर्ती थे.  उन्हें उस समय हार्ट अटैक आया था, जब वो दिल्ली के एक जिम में एक्सरसाइज कर रहे थे. 

राजू श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में 25 दिसंबर 1963 को हुआ था. बचपन में उनका नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था. राजू को बचपन से ही मिमिक्री और कॉमेडी का बहुत शौक था. राजू को कॉमेडी शो The Great Indian Laughter Challenge से पहचान मिली थी. इस शो से मिली सक्सेस के बाद राजू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ,राजू अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए. 


 

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सोमवार, 19 सितंबर 2022

जिस दिन देश में 8 चीतों पर करोड़ो खर्च किया गया उस दिन तक 82 हजार गाय की मौत लंपी वायरस से हो गया

किसी देश में जीव जंतुओं का संरक्षण करना कोई बुराई का कार्य नही है लेकिन जहां प्राथमिकताओं को दरकिनार कर ओछी राजनीति के धुरंधर नेता बेबुनियाद कार्यों पर बल देते हैं वहां सवाल तो खड़ा ही होता है ।ये इतिहास के निरंकुश पन्ने पर लिखा जाएगा की ज़ब भारत मे गाय सड़को पर दम तोड़ रही थीं तब उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेश से चीते लेकर आए थे और  सेल्फी लेने मे व्यस्त और मस्त थे तब उसी दिन देश में हजारों गाय चिते पर थीं। 
चीतों के लिए स्पेशल जहाज उड़वाने वालों को याद दिलाना चाहते हैं, कि "गाय" सिर्फ चुनाव जीतने का जरिया नहीं है, गाय  भयंकर रोग से ग्रस्त होकर मर रही है लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पास अभी तक इनको बचाने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया गया । 

यह ध्यान देना होगा कि जब भारत में 8 चीतों को लाने के लिए करोड़ो रुपया खर्च किया गया तब भारत में 82 हजार से ज्यादा गाय लंपी वायरस के चपेट में आकर दर्दनाक मौत का शिकार हो गईं।वहीं 9 लाख से ज्यादा गाय वायरस की चपेट में हैं।

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रविवार, 18 सितंबर 2022

यूपी के महोबा में डीएम के एक निर्णय से आनन-फानन में हेलीकॉप्टर से पहुंचे ASI डायरेक्टर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के महोबा में नौवीं शताब्दी में बने एक मंदिर को लेकर वहां के डीएम और भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर आमने सामने आ गए. महोबा के डीएम ने जर्जर पड़े ऐतिहासिक सूर्य मंदिर परिसर में लाइट डेकोरेशन और सड़क निर्माण का काम शुरू करवाया था. लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर ने वहां पहुंचकर काम को रुकवा दिया. बता दें, चंदेल शासक राजा कीर्तिवर्मन द्वारा निर्मित यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन आता है. 


डीएम ने उस मंदिर के जरिए पर्यटकों को लुभाने के लिए इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था. लेकिन दोनों के आमने-सामने आने के बाद यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया. हालांकि, दोनों अधिकारी इस मामले पर अभी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

महोबा जिलाधिकारी मनोज कुमार ने पर्यटन और विकास को बढ़ावा देने के मकसद से खंडहर होते जा रहे मंदिर के जीर्णोद्धार की कोशिश की थी. इसके लेकर नगरपालिका परिषद प्रशासन ने करीब 40,00,000 से ज्यादा की लगात से लाइट, हाइटेक डेकोरेशन और सड़क निर्माण का काम शुरू किया था. लेकिन इसके बाद भारतीय पुरातत्व विभाग के कर्मचारी ने इसको लेकर विभाग को रिपोर्ट भेजी थी. जिसके बाद डायरेक्टर तुरंत हेलीकॉप्टर से महोबा पहुंच गए. वहां पहुंचकर डायरेक्टर ने जिलाधिकारी से तत्काल प्रभाव से लाइट डेकोरेशन बंद करने को कहा. उनका कहना था कि इससे मंदिर को और ज्यादा नुकसान पहुंचेगा.

इसके बाद जहां डीएम ने मंदिर में सुरक्षाबल तैनात कर दिया. वहीं, ASI डायरेक्टर ने मंदिर में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी. वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि डीएम ने कहा है कि 4-5 दिनों में यह कार्य फिर से शुरू होगा.


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शनिवार, 17 सितंबर 2022

दलित–पिछड़े समुदाय को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए पेरियार ने किया अपना जीवन न्यौछावर-राम सिंह पटेल

बस्ती- अपना दल एस ने शनिवार को ई.बी. पेरियार रामास्वामी नायकर की 143 वीं जयंती छितहा स्थित पार्टी के जोन कार्यालय पर कप्तानगंज विधानसभा के अध्यक्ष राजमणि पटेल के अध्यक्षता में मनाया । कार्यक्रम में पेरियार जी द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा करते हुए उनकी विचारधारा को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया ।
जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष राम सिंह पटेल ने कहा कि ई वी पेरियार रामास्वामी नायकर तमिल राष्ट्रवादी नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे, उनके समर्थक आदरभाव से उनको पेरियार कहकर संबोधित करते थे, पेरियार वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अद्भुत तार्किक क्षमता वाले विचारक थे। उन्होंने दलित–पिछड़े समुदाय को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए अपना जीवन लगा दिया।

 युवा मंच के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राम कुमार पटेल ने कहा कि पेरियार जी आत्मसम्मान आंदोलन चलाकर अंधविश्वास पाखंडवाद एवं रूढिवाद का आजीवन विरोध करते रहे। तर्कवाद आत्मसम्मान एवं महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर देते हुए समाज में व्याप्त जातिवादी प्रथा का जमकर विरोध किया।कार्यक्रम का संचालन विधानसभा उपाध्यक्ष पवन कुमार ने किया ।

 इस अवसर पर हरिप्रसाद वर्मा,दीप चंद्र यादव,भानू प्रताप पटेल, आशीष पटेल,उदयभान यादव, राम विलास, कमलेश पटेल, नरसिंह पटेल, संतराम पटेल,अब्बास अली खान, ओम प्रकाश वर्मा, प्रमोद कुमार पाल,देव चौधरी, राम जीत पटेल,अकबाल, कुलदीप शर्मा ,कप्तान मोर्या, इसहाक अली ,जगराम गोंड़,राकेश पटेल ,प्रमोद शर्मा अजय पटेल आदि मौजूद रहे।

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शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

यूपी में अगले 2 दिनों तक जारी रहेगा भारी बारिश का कहर ,रेड अलर्ट जारी

UP Weather Updates:16th Sep 2022: उत्तर प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश से राहत नहीं मिलने वाली है. मौसम विभाग ने यूपी के 20 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. यूपी में पूरब से पश्चिम तक तेज बारिश की संभावना है. प्रदेश में लगातार हो रही बारिश की वजह से लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों के स्‍कूलों को  बंद रखने का आदेश जारी किया गया है. वहीं, उत्तराखंड में भारी बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने पूरे प्रदेश में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. 
पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड में भारी बारिश की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अगले तीन दिन तक बारिश के साथ आंधी तूफान की चेतावनी है. बंगाल की खाड़ी से आने वाले कम दबाव का क्षेत्र बुंदेलखंड के रास्ते यूपी में प्रवेश कर रहा है. इससे प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना है. अगले तीन दिनों तक भारी बरिश के आसार होने के बाद मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है.

यूपी के इन जिलों में भारी बारिश का एलर्ट 

मौसम विभाग के अनुसार, 35 जिलों में बांदा, चित्रकुट, कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, संत कबीर नगर, जौनपुर,गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, कनौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर मैनपुरी, इटावा, झांसी,औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा और ललीतपुर में तेज बारिश के आसार हैं.

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गुरुवार, 15 सितंबर 2022

यूपी- पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक की मौत परिजनों ने लगाया पुलिस पर हत्या का आरोप

उत्तर प्रदेश के गोंडा में पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक की मौत, हत्या के मामले में हो रही थी पूछताछ ,परिजनों ने लगाया पुलिस पर हत्या का आरोप 
गोंडा-  नवाबगंज थाने में हत्या के मामले में पूछताछ के लिए थाने पर बुलाये गए 22 वर्षीय देव नरायन यादव की हिरासत में मौत हो गई। मृतक के पिता व परिवार के अन्य लोगों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है । बीते आठ सितंबर की रात नवाबगंज के जैतपुर के चौहानपुरवा के रहने वाले झोलाछाप डॉक्टर राजेश चौहान की गला काट कर हत्या कर दी गई थी। राजेश अपने ससुराल में रहकर किराए के मकान में क्लीनिक चलाता था। इसके ससुर हरीश चंद्र चौहान की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा किया गया था। इस मामले में पुलिस माझा राठ गांव के देव नरायन को नवाबगंज थाना पर पूछताछ के लिए बुलाया था जिसके बाद दोपहर करीब तीन बजे वह अपने पिता के साथ थाना गया था । मृतक के पिता राम बचन ने बताया कि थाना पर वह अपने बड़े भाई राम बहादुर एवं प्रधान राधेयाम के साथ गए हुए थे पुलिस कर्मी उसके बेटे देव नरायन को पूछताछ करने के लिए थाने के पीछे के कमरे में ले गए गए उसके बाद करीब दो घंटा बाद प्रभारी निरीक्षक ने कहा कि उसके बेटे की तबियत खराब हो गई है। उसे एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया है।

यह जानकारी मिलने के बाद परिजन अस्पताल पहुंचे तब देव नारायण का कोई पता नही चला देवनरायन की तलाश में पिता व घर वाले भटकते रहे लेकिन पुलिस कोई सही जवाब नहीं दे रही थी। रात करीब आठ बजे एंबुलेंस से देव नरायन को पुलिस जिला अस्पताल लेकर पहुंची। वहां चिकित्सक ने देव नरायन को मृत घोषित कर दिया।

इस मामले में मृतक के पिता की तहरीर पर पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने  नवाबगंज थानाध्यक्ष तेज प्रताप सिंह एवं एसओजी प्रभारी अमित यादव को निलंबित करते कर दिया है एवं मामले की जांच के आदेश दिया है 

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डीपीआरओ ने 4 गांव का किया निरीक्षण ,अधूरे कार्यों को को पूरा करने का दिया निर्देश

बस्ती; जिला पंचायत राज अधिकारी नमिता शरण ने बुधवार को रामनगर विकासखंड के 4 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय एवं पंचायत भवन की प्रगति का जायजा लिया इस दौरान असुरैना ,जमोहना ,तुषायल एवं परसोहिया गांव में बने पंचायत भवन की स्थिति का जायजा लिया । ग्राम पंचायत जमोहना में सामुदायिक शौचालय अधूरा मिलने पर सचिव तीर्थप्रसाद एवं प्रधान महाबीर पाण्डेय से कारण बताओ नोटिस जारी किया। परसोहिया में अधूरे पंचायत भवन को शीघ्र पूर्ण कराने का आदेश दिया । ग्राम पंचायत तुषायल में सफाईकर्मी का 6 दिन का वेतन रोकने का आदेश दिया। असुरैना और तुषायल में पंचायत भवन एवं सामुदायिक शौचालय पूर्ण मिला ।
ग्राम पंचायत परसोहिया में नमिता शरण ने वृक्षारोपण भी किया । इस मौके पर सचिव अनिल कुमार ,तीर्थ प्रसाद ,श्री प्रकाश वर्मा ,प्रमोद कुमार ,प्रधान जुलेखा ,श्याम बिहारी चौधरी , अवधकिशोर यादव , प्रतिमा चौधरी , एडीओ पंचायत अर्जुन वरुण , विजय चौधरी मौजूद रहे।

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बुधवार, 14 सितंबर 2022

2017 की भुखमरी रिपोर्ट के मुकाबले भारत में 2022 में और बढ़ गई भुखमरी ,चपेट में 22 करोड़ लोग

गरीबी, भूख, भुखमरी और भिखारी भारत में चोली दामन का साथ है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुपोषित लोगों की संख्या 19.07 करोड़ थी। यह आंकड़ा दुनिया में सर्वाधिक था। देश में 15 से 49 वर्ष की 51.4 फीसदी महिलाओं में खून की कमी थी पांच वर्ष से कम उम्र के 38.4 फीसदी बच्चे अपनी आयु के मुताबिक कम लंबाई के थे। इक्कीस फीसदी का वजन अत्यधिक कम मिला था , भोजन की कमी से हुई बीमारियों से देश में सालाना तीन हजार बच्चे दम तोड़ देते थे।
आज जब भारत सरकार ने मुफ्त राशन दिया , कुपोषण दूर करने के लिए आंगनवाड़ी के जरिये कई प्रकार के खाद्य पदार्थों की व्यवस्था कर अरबों रुपया खर्च किया गया तब यह आंकड़ा कम होने की जगह देश में भूखे पेट सोने वाले लोगों की संख्या 19 करोड़ से बढ़कर 22 करोड़ हो गई । उसके बावजूद भी देश के जिम्मेदार लोग देश की जनता से झूठ बोल कर सबका साथ सबका विकास का फर्जी ढोल पीट रहे हैं ।

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शनिवार, 10 सितंबर 2022

बस्ती- बच्चो को खेलने के लिए शीघ्र ही न्याय पंचायत स्तर पर बनेगा मिनी स्टेडियम -दुष्यंत विक्रम सिंह

बस्ती- सल्टौआ विकासखंड के आमा न्याय पंचायत  मे संचालित प्राथमिक विद्यालय आमा पर शनिवार को बेसिक बाल क्रीडा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे 19 विद्यालय के छात्र छात्राओ ने हिस्सा लिया इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रमुख प्रतिनिधि दुष्यंत विक्रम सिंह ने कहा कि
खेल से मानसिक और शारीरिक विकास होता है  ,इससे बच्चों  के शारीरिक विकास के साथ स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है । उन्होंने कहा कि बच्चो को खेलने के लिए शीघ्र ही न्याय पंचायत स्तर पर मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया जायेगा।
बालको के 100 मीटर दौड मे प्राथमिक विद्यालय आमा के शनि और बालिका वर्ग मे प्राथमिक विद्यालय बेलवाडाड की शिखा  ने प्रथम स्थान हासिल,किया ,जूनियर बालक वर्ग मे 100 मीटर की दौड मे उच्च प्राथमिक विद्यालय आमा के प्रदीप , बालिका वर्ग से उच्च प्राथमिक विद्यालय आमा की रागिनी ने प्रथम स्थान हासिल किया 
वहीं बालिका वर्ग के खेले गये कब्बड्डी मे उच्च प्राथमिक विद्यालय अजगैवा जंगल ने बेतौहा उच्च प्राथमिक विद्यालय  को पराजित कर विजयी रहा । खेल में विजयी प्रतिभागीयो को पुरस्कार देकर मनोबल बढ़ाया गया ।व्यायाम शिक्षक मनीष मिश्र की देखरेख मे खेल कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
इस मौके पर खण्ड शिक्षा अधिकारी अभिमन्यु,संकुल प्रभारी डाक्टर दिवाकर मिश्र, प्रधान संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित कुमार सिंह , प्रधान श्रीराम पाण्डेय,राम सागर, शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष दुर्गेश यादव,ब्लाक व्यायाम मेराज अहमद,कविता बर्मा,प्रदीप यादव,आशाराम,राजेश चौधरी , यशोदा नंद यादव सहित काफी संख्या में ग्रामवासी एवं अभिभावक मौजूद रहे।

बस्ती - सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर मकान बनाने की हुई शिकायत

बस्ती- जनपद के रामननगर विकासखंड के बेइली गांव के निवासी शाहिना खातून ने प्रमुख सचिव वित्त एवं राजस्व उत्तर प्रदेश सहित जिले के आलाधिकारियों से शिकायत करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत के राजस्व गांव बेइली में गाटा संख्या 108 एवं 161ख सरकारी नाला की जमीन है । शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव के असगर अली ,अजहर अली एवं किस्मत अली द्वारा उक्त नाले की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके मकान बना लिया गया है जिसे पूरे गांव के लोगों के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है ।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उक्त नाले की जमीन पर मकान बन जाने से गांव की पानी निकासी की व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गया है जिससे हल्की बारिश भर से ही गांव में जलजमाव की स्थिति बन जाती है जिसके कारण आवागमन में बाधा उत्पन्न होता है । शिकायतकर्ता का कहना है कि जिस गाटा में अवैध रूप से निर्माण हुआ है उसके अगल बगल नाले की जमीन खाली है यदि अवैध तरीके से बनाए गए मकान को हटा दिया जाए तो गांव से जहां पानी निकासी की समस्या दूर हो जायेगी वहीं राजस्व विभाग का जो क्षति हुआ है वह भी मुक्त हो जाएगा ।

इस संबंध में मुख्य राजस्व अधिकारी नीता यादव से बात हुई तो उन्होंने बताया कि अभी शिकायत हमारे संज्ञान में नही आया है यदि शिकायत मिलती है तो जमीन की पैमाइश करवाकर अवैध अतिक्रमण हटाकर जमीन को मुक्त किया जाएगा ।

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ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में भारत श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों से पिछड़ा

ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स यानी मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत पिछले साल की तुलना में एक पायदान नीचे खिसक गया है। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) ने गुरुवार को साल 2021 की रिपोर्ट जारी की जिसमें 191 देशों की सूची में भारत 132वें नंबर पर रहा। 2020 में हम 189 देशों की लिस्ट में 131वें स्थान पर थें। 
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अपने पड़ोसी देश श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान से भी नीचे है। इस लिस्ट में श्रीलंका 73वें , चीन 79वें, बांग्लादेश 129वें और भूटान 127वें नंबर पर है। वहीं पाकिस्तान 161वें, नेपाल 143वें और म्यांमार 149 वें नंबर के साथ भारत से पीछे है।

इंडेक्स में स्विटजरलैंड पहले नंबर पर है। इसके बाद नार्वे दूसरे और आइसलैंड तीसरे नंबर पर हैं। इंडेक्स में सबसे नीचे अफ्रीका के साउथ सूडान, चेड और नाइजर देश है।

लाइफ एक्सपेक्टेंसी 3 साल गिरी
1990 से भारत में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स लगातार बढ़ रहा है। 2020 में इंडेक्स में 0.003 पॉइंट की गिरावट आई। इसके बाद 2021 में 0.009 की गिरावट देखी गई। 2021 में भारत का HDI 0.642 से 0.633 तक गिरा। गिरावट की मुख्य वजह लाइफ एक्सपेक्टेंसी में कमी आना है। भारत में लाइफ एक्सपेक्टेंसी औसतन 70 साल से घटकर 67 साल हो गई। 2020 के मुकाबले 2021 में भारत में जेंडर डेवलपमेंट भी बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक वीमेन राइट्स और लीगल राइट्स में भारत अच्छा हुआ है। राजनीति में हिस्सेदारी बढ़ी है। साथ ही सेक्सुअल हैरेसमेंट से जुडी सुरक्षा बेहतर हुई है।

कोरोना के कारण HDI में गिरावट
भारत में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI) गिरने की मुख्य वजह कोविड है। रिपोर्ट के मुताबिक कोविड ने ह्यूमन डेवलपमेंट को 5 साल पीछे कर दिया। HDI 2020 और 2021 में लगातार काम हुआ है। 90% देशों को इस महामारी से बुरी तरह नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक आदमी मेंटल डिस्ट्रेस के मामले में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

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बस्ती- दो करोड़ रुपया खर्च होने के बाद भी ग्रामवासियों को नही मिला स्वच्छ पेय जल

सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती- सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपया खर्च करके ओवरहेड टैंक का निर्माण करवाया गया है लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते कई बड़ी ग्राम पंचायतों में लगाए गए ओवरहेड टैंक से ग्रामीणों को कटोरी भर पानी भी पीने का नसीब नहीं हो रहा है ।
ग्रामीणों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा वर्ष 2018-19 में रामनगर ब्लाक के बेइली ग्राम पंचायत में 1 करोड़ 84 लाख रुपया खर्च करके ओवरहेड टैंक का निर्माण करवाया गया जिसके जरिए ग्राम पंचायत के 5 राजस्व गांव में लगभग 15 किलोमीटर पाइप लाइन के जरिए हर घर में स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया लेकिन जल निगम की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत के लोगों को आज तक स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पाया ।

ग्रामीणों ने बताया कि जब पानी की टंकी बनकर तैयार हुआ  तब ग्राम वासियों को स्वच्छ पेयजल मिलने का उम्मीद दिखाई पड़ा लेकिन ट्रायल के बाद से गांव में पानी जाना पूरी तरह से बंद हो गया है , ग्रामीणों ने बताया कि घटिया क्वालिटी की पाइप लाइन बिछाई जाने के कारण पानी की सप्लाई होने के बाद पाइप जगह-जगह फट जाती है जिसके कारण गांव में पानी नहीं पहुंच पा रहा है ,अब हालात ये है कि गांव में लगाई गई इतनी बड़ी महत्वाकांक्षी योजना बंद पड़ी हुई है।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा 10 वर्ष पूर्व गांव के लोगों को मिलने वाले पानी के स्रोत पर व्यापक पैमाने पर सर्वे कराया गया जिसमें पता चला कि गांव में लगाये गए हैंडपंप से भी ग्रामीणों को स्वच्छ पेय जल नही मिल पा रहा है ,पानी के जांच के नमूने में पता चला कि ग्रामीणों को अनेक स्रोतों से मिलने वाला पानी दूषित हैं जिसमें आर्सेनिक, आयरन, क्लोराइड, फ्लोराइड सहित अन्य तत्व पाए गए थे यह खुलासा होने के बाद बड़े पैमाने पर गांवों में ओवर हेड टैंक बनाकर नागरिकों को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया लेकिन ग्राम पंचायत बेइली के पांच राजस्व गांव बेइली , टेढ़ीकुइयां , रीठिया ,हथियवा एवं पिपरा गांव में 1 करोड़ 84 लाख 83 हजार रुपया खर्च करने के बाद भी आज तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का सपना पूरा नही हो पाया ।

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शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

बस्ती- जिला पंचायत अध्यक्ष ने किया सरदार पटेल एजुकेशनल एकेडमी के नए भवन का उद्घाटन

बस्ती- नारायणपुर में स्थित सरदार पटेल एजुकेशनल एकेडमी के नए भवन का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी द्वारा किया गया । उद्घाटन समारोह में समल्लित होते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने फीता काट कर नए भवन को शैक्षणिक सेवा के लिए समर्पित किया । इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी ने कहा कि शिक्षा ही मनुष्य के जीवन को बेहतर बना सकती है इस लिए सभी लोगों को अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए । इस मौके पर विद्यालय के प्रबंधक रजनीश चौधरी ने कहा कि क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए 10 से 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है जिससे बच्चों के ऊपर बेवजह मानसिक दबाव बनता है । उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विद्यालय होने से जहां बच्चों को ज्यादा दूरी की यात्रा नही करना पड़ेगा वहीं अभिभावकों का बस आदि के खर्चे से भी राहत मिलेगा उन्होंने कहा कि योग्य अध्यापकों के जरिए स्कूल में बेहतर शैक्षणिक माहौल दिया जाएगा ।
इस मौके पर पवन चौधरी, रोली सिंह, राज सिंह, अजय पाण्डेय, अरुण कुमार मिश्र, अरुण शुक्ल, कौशल चौधरी, सुनील चौधरी, रिंकू तिवारी, सोनू उपाध्याय एवं शिक्षकगण और अभिभावक मौजूद रहे  

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मंगलवार, 6 सितंबर 2022

बस्ती- पांच करोड़ की लागत से बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों का मोहभंग

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र , सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं मातृ शिशु कल्याण केंद्र का निर्माण बड़े पैमाने पर करवाया गया है लेकिन ग्रामीण इलाकों में बने अस्पतालों में डॉक्टर , संसाधन एवं मेडिकल कर्मचारियों का नितांत अभाव दिखाई दे रहा है जिसके चलते करोड़ों रुपए की लागत से बने अस्पताल महज हाथी दांत बनकर रह गए हैं ।
 बस्ती जनपद के सल्टौआ गोपालपुर ब्लाक के अमरौली शुमाली गांव में  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ है लेकिन इसके उद्घाटन के 3 साल बाद भी यहां पर डॉक्टरों की पहुंच सुनिश्चित नही हो पाई ,जबकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 5 करोड़ की लागत से अस्पताल की नींव रखी गई थी ।

50 हजार आबादी को मिलेगा फायदा
यह अस्पताल क्षेत्र के 50 हजार से ज्यादा आबादी के बेहतर सेवा दे सकता है लेकिन 30 बेड के बने इस अस्पताल में जिन नए डॉक्टरों की तैनाती हुई उन्होंने कभी भी अस्पताल पर हाजिरी नही लगाई ,अस्पताल पूर्व में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और कर्मचारियों के बदौलत चल रहा है।

अस्पताल में आयुर्वेद और होम्योपैथ के डॉक्टर नही हैं  ,अस्पताल में अभी तक महिला डॉक्टर भी नही आई हुई हैं जिसकी वजह से क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत के लिए 30 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय या फिर प्राइवेट चिकित्सालय की तरफ भागने के लिए मजबूर होना पड़ता है ।

अस्पताल में तैनात मेडिकल अफसर डॉक्टर मोहम्मद अफाक अहमद ने बताया कि अस्पताल में 3 डॉक्टर की तैनाती हुई है लेकिन उसमें से डॉक्टर संतोष ही आते हैं , अस्पताल में फार्मासिस्ट की 4 जगह है लेकिन 2 फार्मासिस्ट ही मिल पाए हैं , 3 स्वीपर की जगह 1 स्वीपर एवं 4 वार्डव्वाय की जगह एक वार्डव्वाय की तैनाती अभी तक हो पाई है ।उन्होंने बताया कि अस्पताल में 2 एक्सरे टेक्नीशियन 1 लैब टेक्नीशियन एवं एक लैब सहायक की तैनाती है लेकिन डॉक्टरों की कमी के वजह से अस्पताल में मरीज नही आना चाहते हैं ।
इस अस्पताल को बनाने के लिए करोड़ो रुपया खर्च करने के बाद भी अस्पताल से डॉक्टरों का मोहभंग क्यों हो रहा है इसकी गंभीरता कभी विभाग के उच्चाधिकारियों ने भी नही लिया जिसकी वजह से यहां पर तैनात डॉक्टर किसी भी हाल में अस्पताल पर आना नही चाह रहे हैं जिसका खामियाजा स्थानीय निवासियों को भुगतना पड़ रहा है ।

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सोमवार, 5 सितंबर 2022

समाजवादी नेता ,पूर्व मंत्री कमाल युसुफ मलिक का निधन ,शिवपाल यादव ने जताया दुख

UP News: उत्तर प्रदेश स्थित सिद्धार्थनगर (Siddharthnagar) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता रहे कमाल यूसुफ मलिक (Yusuf Malik) का निधन हो गया. यह सूचना मिलते ही उनके परिवार और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई. उनके निधन की सूचना मिलने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने शोक व्यक्त किया है. 

कमाल यूसुफ मलिक के निधन पर शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर कहा, "वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व मंत्री जनाब कमाल यूसुफ मलिक साहब के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है.  ईश्वर दिवंगत की आत्मा को शांति प्रदान करें और शोक संतप्त परिजनों को इस असीम दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें. भावपूर्ण श्रद्धांजलि

दरअसल, पूर्व मंत्री मलिक कमाल यूसुफ लंबे वक्त से बीमार थे. वे सिद्धार्थनगर नगर की डुमरियागंज सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा यूसुफ सपा सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. बीमारी के कारण पूर्व विधायक का इलाज बीते कई दिनों से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में हो रहा था. उनका निधन रविवार देर रात हुआ. जिसकी सूचना उनके परिजनों द्वारा दी गई. 

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शनिवार, 3 सितंबर 2022

गिरजेश पटेल रविवार को बस्ती में करेंगे अपना दल के सदस्यता अभियान की शुरुआत

बस्ती- अपना दल एस ने शनिवार को बभनान स्थित पार्टी कार्यालय पर विधानसभा अध्यक्ष राजमणि पटेल की अध्यक्षता में बैठक कर पार्टी द्वारा चलाए जा रहे सदस्यता अभियान को सफल बनाने को लेकर रणनीति बनाया।
 बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष राम सिंह पटेल ने बताया कि अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की उपस्थिति में विगत 2 सितंबर को प्रतापगढ़ जनपद से सदस्यता अभियान का शुभारंभ किया गया जो आगामी 2 अक्टूबर तक चलेगा, सदस्यता अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए मंडलवार सदस्यता प्रभारी नियुक्त किए गए हैं, इसी क्रम में बस्ती मंडल की सदस्यता प्रभारी गिरजेश पटेल कल रविवार को बस्ती सर्किट हाउस में बस्ती मंडल के जिलाध्यक्षों, विधानसभाध्यक्षों, जोन प्रभारियों,जोन अध्यक्षों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करते हुए मंडल में सदस्यता अभियान का शुभारंभ करेंगे।

बैठक का संचालन अनिल सिंह ने किया।  इस पर हितकारी सिंह, राम कुमार पटेल,राम बहाल चौधरी, राम प्रताप वर्मा, संतराम पटेल,सद्दाम हुसैन,श्याम लाल सोनकर,किशन कन्हैया कमलापुरी, अरविंद चौधरी,प्रमोद पाल, राम जीत पटेल, देव चौधरी,पवन वर्मा आदि मौजूद रहे।
    

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INDIA वाशरूम का इस्तेमाल पड़ा महंगा ,12 प्रतिशत जीएसटी लगाकर 112 रुपये का लगा चार्ज

Indian Railway News: आपने भी कभी ना कभी रेलवे स्टेशन या बस अड्डे के शौचालय का इस्तेमाल किया होगा और इसके लिए आपने 5 से 10 रुपये तक का शुल्क भी दिया होगा. अब इससे जुड़ी एक खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. दरअसल, आगरा कैंट स्टेशन पर एग्जीक्यूटिव लाउंज के वॉशरूम का कुछ मिनटों के इस्तेमाल करने की एवज में ब्रिटिश दूतावास नई दिल्ली से पहुंचे दो पर्यटकों को 112-112 यानी  224 रुपये का भुगतान करना पड़ा.

कितने प्रतिशत लगाई गई जीएसटी

भुगतान की गई राशि में 6 प्रतिशत जीएसटी और 6 प्रतिशत सी जीएसटी शामिल है. इसका मतलब ये हुआ कि शौचालय जाने के लिए भी 12 प्रतिशत जीएसटी ली गई है. यह अब तक का अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें किसी के लिए शौच जाना भी इतना महंगा साबित हुआ है.

आईआरसीटीसी ने क्या कहा?

पर्यटकों को एग्जीक्यूटिव ब्रांच का इस्तेमाल काफी महंगा लगा और जब मामला लाउंज प्रबंधक तक पहुंचा तो उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी की कोई गलती नहीं है. यह लाउंज एग्जीक्यूटिव है. एग्जीक्यूटिव लाउंज में रुकने के लिए मिनिमम शुल्क 50 प्रतिशत डिस्काउंट के बाद 112 रुपये देना अनिवार्य है.


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गुरुवार, 1 सितंबर 2022

उत्तर भारत के पेरियार ललई सिंह यादव ,जिनके सामने झुक गए गई थी उत्तर प्रदेश की सरकार

सौरभ वीपी वर्मा

सामाजिक आंदोलन के अग्रणी, सामाजिक क्रांतिकारी पेरियार ईवी रामासामी नायकर की किताब सच्ची रामायण को पहली बार हिंदी में लाने का श्रेय ललई सिंह यादव को जाता है. उनके द्वारा पेरियार की सच्ची रामायण का हिंदी में अनुवाद करते ही उत्तर भारत में तूफान उठ खड़ा हुआ था. 1968 में ही ललई सिंह ने ‘द रामायना: ए ट्रू रीडिंग’ का हिन्दी अनुवाद करा कर ‘सच्ची रामायण’ नाम से प्रकाशित कराया. आज यानी 1 सितंबर के दिन उनका जन्मजयंती है आइए जानते हैं सच्ची रामायण छपने के बाद क्या क्या हुआ ।
सच्ची रामायण छपते ही वह धूम मचाई कि हिन्दू धर्म के तथाकथित रक्षक उसके विरोध में सड़कों पर उतर आए. तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने दबाव में आकर 8 दिसम्बर 1969 को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में किताब को जब्त कर लिया. मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में गया.

राज्य सरकार के वक़ील ने कोर्ट में कहा यह पुस्तक राज्य की विशाल हिंदू जनसंख्या की पवित्र भावनाओं पर प्रहार करती है और इस पुस्तक के लेखक ने बहुत ही खुली भाषा में महान अवतार श्रीराम और सीता एवं जनक जैसे दैवी चरित्रों पर कलंक मढ़ा है, जिसकी हिंदू की पूजा करते हैं. इसलिए इस किताब पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है.

ललई सिंह यादव के एडवोकेट बनवारी लाल यादव ने ‘सच्ची रामायण’ के पक्ष में जबर्दस्त पैरवी की. 19 जनवरी 1971 को कोर्ट ने जब्ती का आदेश निरस्त करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी जब्तशुदा पुस्तकें वापस करे और अपीलकर्ता ललई सिंह को तीन सौ रुपए मुकदमे का खर्च दे.

इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुनवाई तीन जजों की पीठ ने की, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति वीआर कृष्ण अय्यर ने की और इसके दो अन्य जज थे पीएन भगवती और सैयद मुर्तज़ा फ़ज़ल अली. सुप्रीम कोर्ट में ‘उत्तर प्रदेश बनाम ललई सिंह यादव’ नाम से इस मामले पर फ़ैसला 16 सितम्बर 1976 को आया. फ़ैसला पुस्तक के प्रकाशक के पक्ष में रहा. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना और राज्य सरकार की अपील को ख़ारिज कर दिया.

हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध बन गए ललई सिंह
इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सच्ची रामायण के पक्ष में मुकदमा जीतने के बाद पेरियार ललई सिंह दलित-पिछड़ों के नायक बन गए. ललई सिंह यादव ने 1967 में हिंदू धर्म का त्याग करके बौद्ध धर्म अपना लिया था. बौद्ध धर्म अपनाने के बाद उन्होंने अपने नाम से यादव शब्द हटा दिया. यादव शब्द हटाने के पीछे उनकी गहरी जाति विरोधी चेतना काम कर रही थी. वे जाति विहीन समाज के लिए संघर्ष कर रहे थे.

पेरियार ललई सिंह यादव ने इतिहास के बहुजनों नायकों की खोज की. बौद्ध धर्मानुयायी बहुजन राजा अशोक उनके आदर्श व्यक्तित्वों में शामिल थे. उन्होंने ‘अशोक पुस्तकालय’ नाम से प्रकाशन संस्था कायम की और अपना प्रिन्टिंग प्रेस लगाया, जिसका नाम ‘सस्ता प्रेस’ रखा था.

उन्होंने पांच नाटक लिखे- (1) अंगुलीमाल नाटक, (2) शम्बूक वध, (3) सन्त माया बलिदान, (4) एकलव्य, और (5) नाग यज्ञ नाटक. गद्य में भी उन्होंने तीन किताबें लिखीं – (1) शोषितों पर धार्मिक डकैती, (2) शोषितों पर राजनीतिक डकैती, और (3) सामाजिक विषमता कैसे समाप्त हो?
उनके नाटकों और साहित्य में उनके योगदान के बारे में कंवल भारती लिखते हैं कि यह साहित्य हिन्दी साहित्य के समानान्तर नई वैचारिक क्रान्ति का साहित्य था, जिसने हिन्दू नायकों और हिन्दू संस्कृति पर दलित वर्गों की सोच को बदल दिया था. यह नया विमर्श था, जिसका हिन्दी साहित्य में अभाव था. ललई सिंह के इस साहित्य ने बहुजनों में ब्राह्मणवाद के विरुद्ध विद्रोही चेतना पैदा की और उनमें श्रमण संस्कृति और वैचारिकी का नवजागरण किया.

उत्तर भारत के पेरियार कहलाये ललई सिंह
उन्हें पेरियार की उपाधि पेरियार की जन्मस्थली और कर्मस्थली तमिलनाडु में मिली. बाद में वे हिंदी पट्टी में उत्तर भारत के पेरियार के रूप में प्रसिद्ध हुए. बहुजनों के नायक पेरियार ललई सिंह का जन्म 1 सितम्बर 1921 को कानपुर के झींझक रेलवे स्टेशन के पास कठारा गांव में हुआ था. अन्य बहुजन नायकों की तरह उनका जीवन भी संघर्षों से भरा हुआ है. वह 1933 में ग्वालियर की सशस्त्र पुलिस बल में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे, पर कांग्रेस के स्वराज का समर्थन करने के कारण, जो ब्रिटिश हुकूमत में जुर्म था, वह दो साल बाद बर्खास्त कर दिए गए. उन्होंने अपील की और अपील में वह बहाल कर दिए गए. 1946 में उन्होंने ग्वालियर में ही ‘नान-गजेटेड मुलाजिमान पुलिस एण्ड आर्मी संघ’ की स्थापना की, और उसके सर्वसम्मति से अध्यक्ष बने.

इस संघ के द्वारा उन्होंने पुलिसकर्मियों की समस्याएं उठाईं और उनके लिए उच्च अधिकारियों से लड़े. जब अमेरिका में भारतीयों ने लाला हरदयाल के नेतृत्व में ‘गदर पार्टी’ बनाई, तो भारतीय सेना के जवानों को स्वतंत्रता आन्दोलन से जोड़ने के लिए ‘सोल्जर ऑफ दि वार’ पुस्तक लिखी गई थी. ललई सिंह ने उसी की तर्ज पर 1946 में ‘सिपाही की तबाही’ किताब लिखी, जो छपी तो नहीं थी, पर टाइप करके उसे सिपाहियों में बांट दिया गया था. लेकिन जैसे ही सेना के इंस्पेक्टर जनरल को इस किताब के बारे में पता चला, उसने अपनी विशेष आज्ञा से उसे जब्त कर लिया. ‘सिपाही की तबाही’ वार्तालाप शैली में लिखी गई किताब थी. यदि वह प्रकाशित हुई होती, तो उसकी तुलना आज महात्मा जोतिबा फुले की ‘किसान का कोड़ा’ और ‘अछूतों की कैफियत’ किताबों से होती.

जगन्नाथ आदित्य ने अपनी पुस्तक में ‘सिपाही की तबाही’ से कुछ अंशों को कोट किया है, जिनमें सिपाही और उसकी पत्नी के बीच घर की बदहाली पर संवाद होता है. अन्त में लिखा है- ‘वास्तव में पादरियों, मुल्ला-मौलवियों-पुरोहितों की अनदेखी कल्पना स्वर्ग तथा नर्क नाम की बात बिल्कुल झूठ है. यह है आंखों देखी हुई, सब पर बीती हुई सच्ची नरक की व्यवस्था सिपाही के घर की. इस नरक की व्यवस्था का कारण है- सिंधिया गवर्नमेंट की बदइन्तजामी. अतः इसे प्रत्येक दशा में पलटना है, समाप्त करना है. ‘जनता पर जनता का शासन हो’, तब अपनी सब मांगें मंजूर होंगी.’

इसके एक साल बाद, ललई सिंह ने ग्वालियर पुलिस और आर्मी में हड़ताल करा दी, जिसके परिणामस्वरूप 29 मार्च 1947 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. मुकदमा चला, और उन्हें पांच साल के सश्रम कारावास की सजा हुई. 9 महीने जेल में रहे, और जब भारत आजाद हुआ, तब ग्वालियर स्टेट के भारत गणराज्य में विलय के बाद, वह 12 जनवरी 1948 को जेल से रिहा हुए.

1950 में सरकारी सेवा से मुक्त होने के बाद उन्होंने अपने को पूरी तरह बहुजन समाज की मुक्ति के लिए समर्पित कर दिया. उन्हें इस बात का गहराई से आभास हो चुका था कि ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खात्मे के बिना बहुनजों की मुक्ति नहीं हो सकती है. एक सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और प्रकाशक के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन ब्राह्मणवाद के खात्मे और बहुजनों की मुक्ति के लिए समर्पित कर दिया. 7 फरवरी 1993 को उन्होंने अंतिम विदा ली.

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