मंगलवार, 31 अगस्त 2021

अमरीका ने किया तालिबान को सत्ता हस्तांतरण ,दुनिया को करता रहा गुमराह ,इन आंकड़ों से समझिए कैसे?

सौरभ वीपी वर्मा

आप माने या ना माने लेकिन जब अफगानिस्तान की वास्तविक स्थिति पर आप समीक्षा करेंगे तो पता चलेगा कि taliban तालिबान को सत्ता देने के लिए अमेरिका का चाल था , उसके बाद उसके 13 सैनिकों की शहादत के बाद भी वह पूरी दुनिया गुमराह करता रहा।

सोचिए दुनिया के सुपर पावर देश के पास ऐसी कौन सी मुसीबत आ गई कि उसको लगभग 7 लाख करोड़ से ज्यादा का अत्याधुनिक हथियार और उपकरण को तालिबान के हाथों देकर आना पड़ा।

एक आंकड़े के मुताबिक अमेरिका ने अफगानिस्तान में या कहें तालिबान को जितना कुछ सौंप दिया है वह रक्षा उपकरणों के मामले में दुनिया के टॉप देशों में शामिल हो  हो गया है।

 अमरीका ने अफगानिस्तान में जो छोड़ा है उसमें 75,898 वाहन ,29,681 विस्फोटक निष्क्रिय करने वाले उपकरण ,16191 इंटेलिजेंस सर्विलांस और टोही उपकरण ,1,62,643 कमन्यूकेशन इक्यूपमेंट , 5,99,690 अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हथियार 208 विमान  ,358530 रायफल , 126295 पिस्टल ,64364 मशीनगन , 25327 ग्रेनेट लांचर,9877 रॉकेट ,2,606 motar एवं तोप  ,928 विस्फोट से बचने वाले वाहन ,1005 क्रेन ,8998 सैन्य वाहन ,2,21,74 हमवी वाहन ,42,604 हल्के सैन्य वाहन, 189 बख्तरबंद गाड़ियां ,16135 नाइट विजन डिवाइस , 120 रेडियो मॉनिटरिंग सिस्टम , 22 ग्राउंड सर्विलांस सिस्टम , 8 चालक रहित विमान, 6 सर्विलांस बलून ,60 ट्रांसपोर्ट एयरप्लेन ,110 हेलीकॉप्टर , 20 हमलावर विमान ,18 इंटेलिजेंस सर्विलांस विमान शामिल है।

अब आप स्वयं से विचार कीजिए कि आखिर अमेरिका और तालिबान में ऐसी कौन सी संधि हुई है जिसके चलते अमेरिका को 7 लाख करोड़ से ज्यादा का उपकरण अफगानिस्तान में छोड़कर आना पड़ा ।

निश्चित तौर पर इस बात को ध्यान में रखना होगा कि अमेरिका ने पूरी दुनिया को गुमराह करते हुए खासकर भारत जैसे देशों को गुमराह करता रहा।

  नई दिल्ली और काबुल की दूरी 1000 किलोमीटर के आसपास है वहीं काबुल और अमेरिका की दूरी 11 हजार किलोमीटर से अधिक है लेकिन अमेरिका अपने मकसद में सफल हो गया क्योंकि उसमें 20 सालों में कितना खर्च किया है अब तालिबान के माध्यम से उससे ज्यादा कमाने का उसके पास मौका मिल गया है । 

क्योंकि अफगानिस्तान में लोहे, तांबे, कोबाल्ट, सोने और लीथियम के बड़े भंडार मौजूद हैं जिसमे सबसे बड़े खनिज भंडार लोहे और तांबे के हैं और इनकी मात्रा काफी ज्‍यादा है. ये इतनी मात्रा में हैं कि अफगानिस्तान इन खनिजों में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन सकता है जिसकी कीमत 3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है। और अब अमरीका की नजर इसी पर है जो तालिबान के साथ नरम व्यवहार करके प्राप्त कर सकता है ।

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सोमवार, 30 अगस्त 2021

पत्रकार का चरित्र सिस्टम की खामियों और सामाजिक बुराइयों से लड़ने वाला होना चाहिये-राजेन्द्र नाथ तिवारी

बस्ती, 30 अगस्त। वेब मीडिया एसोसिएशन की ओर से मालवीय रोड पर रविवार को आयोजित पत्रकारों की कार्यशाला में उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा आधुनिक मीडिया को खबरें परोसने में जल्दबाजी नहीं जिम्मेदारी दिखानी होगी। जल्दबाजी में पब्लिश की गई खबरें कई बार समस्यायें खड़ी कर देती हैं। इससे पहले उन्होने फीता काटकर कार्यशाला का उद्घाटन किया।

प्रथम सत्र में समाचार लेखन, शुरूआत, मध्य और समापन विषय पर जानकारी साझा करते हुये वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप चन्द्र पाण्डेय ने कहा पत्रकार समाज का सशक्त अधिवक्ता है। समाचार लेखन की कला नही है तो पत्रकारिता के मायने नही हैं। उन्होने कहा समाचार लेखन का पूरा तरीका 6 ककहरों पर आधारित है। समाचारों में क्या, क्यों, कैसे, कब, किससे, किसके लिये आदि प्रश्नों का जवाब मौजूद रहना चाहिये। इसके बगैर समाचार पूर्ण नही होते हैं, और यदि इन सवालों के जवाब के बगैर समाचार सम्पादित हो गये तो वे खुद सवाल बन सकते हैं।

प्रदीप चन्द्र पाण्डेय ने कहा जिस तरह व्यक्ति के जीवन में अनुशासन महत्वपूर्ण है उसी तरह खबरों में भी अनुशासन होता है। एक सफल पत्रकार वही है जो मानव स्वभाव का अध्ययन करे और वह ऐसी खबरों को सामने लाये कि पाठक शुरू से लेकर अंत तक खुद को उससे जुड़ा हुआ महसूस करे। वाक्य छोटे और हर पूर्ण विराम पर पूर्ण होते हों ऐसे प्रयास होने चाहिये। तात्त्कलिक खबरों के कारण आजकल खबरों का फालोअप छूट रहा है, पत्रकारों को इसका ध्यान रखना होगा। कई बार खबरों के पीछे कड़ी महत्वपूर्ण खबरें होती हैं जो सामने नही आ पातीं। उन्होने कहा समाचारों में तथ्य, कथ्य, प्रभाव और निष्कर्ष का समावेश होना चाहिये।

पूर्व सहायक सूचना निदेशक दशरथ प्रसाद यादव ने शीर्षक चयन, वेब मीडिया के बढ़ते प्रभाव, खबरों की रीच आदि पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होने कहा पत्रकार और खबर दोनो विश्वासनीय होनी चाहिये। उन्होने कहा वेब पर दिखने वाले समाचारों में सहजता दिखनी चाहिये। आधुनिक मीडिया पूरी तरह से इंटरनेट पर है और अब हर आदमी इंटरनेट का यूजर है। ऐसे में यह मायने नही रखता कि पत्रकार का सामान्य ज्ञान कितना है। मायने इसके हैं कि खबरें कितनी सहजता से पाठक के समझ में आ जायें। दशरथ प्रसाद यादव ने कहा शीर्षक भड़काऊ नही होना चाहिये, भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली, लोगों को चकित करने वाली नही चाहिये। शीर्षक ऐसा हो कि पाठक पूरी खबर से जुड़ जाये।

पत्रकार और संस्कार विषय पर बोलते हुये वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा संस्कार पत्रकारों का आभूषण है। समाज पत्रकारों को आइकॉन मानता है और यह धारणा आज भी कायम है कि पत्रकार है तो सही होगा, मसलन न्याय का पक्ष लेता होगा। उन्होने कहा पत्रकार का चरित्र भ्रष्टाचार, सिस्टम की खामियों और सामाजिक बुराइयों से लड़ने वाला होना चाहिये। अभावग्रस्त जीवन जीने वाले पत्रकार के लिये राष्ट्र प्रथम होता है। खबरों के प्रस्तुतीकरण और चरित्र में ये आदर्श दिखने चाहिये। उन्होने कहा पत्रकार परमात्मा के सबसे करीब का सजग व्यक्ति होता है। 

वेब मीडिया एसोसियेशन के संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने वेब मीडिया पर खबरे प्रस्तुत करने के तौर तरीकों और वेबसाइट यूट्यूब के जरिये आय अर्जित करने को लेकर विस्तार से जानकारी दी। पत्रकार राजन चौधरी ने फेक समाचारों, वीडियो और फोटो की पहचान करने की जानकारी दी। कार्यशाला में मो. शहंशाह आलम, दिलीप पाण्डेय, धर्मेन्द्र कुमार, सुनील बरनवाल, कुलदीप चौधरी, अभिषेक गुप्ता, राज प्रकाश, राकेश त्रिपाठी, करमचन्द यादव, राजेश पाण्डेय, बीपी लहरी, अनूप कुमार बरनवाल, जसवंत पाण्डेय, हेमन्त पाण्डेय, राजकुमार पाण्डेय, आलोक चौधरी, नीरज कुमार वर्मा ‘नीरप्रिय’, दिलीप श्रीवास्तव, शम्भूनाथ कसौधन आदि ने हिस्सा लिया। पत्रकार हेमन्त पाण्डेय को एसोसियेशन का मंडल सचिव बनाया गया। घोषणा के बाद माल्यार्पण कर पत्रकारों ने उनका स्वागत किया। कार्यशाला के अंत में पत्रकारों को प्रमाण पत्र एवं गुरूजनों को प्रतीक चिन्ह दिया गया।

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आप एक भारतीय हैं तो इस रिपोर्ट को पढ़ लीजिये ,मोदी सरकार ने पूरे देश को विदेशियों को सौंप दिया है

सौरभ वीपी वर्मा
9415092208

आप जश्न मनाइए कि हमारी देश की सरकार घर बैठे बिठाए 5 किलो अनाज गैस सिलेंडर ,जन धन खाते में एक हजार रुपया गांव में सार्वजनिक शौचालय बनाकर फ्री में दे रही है लेकिन अपने वाली पीढ़ी को गुलामी के जंजीरों में जकड़ने के लिए भी तैयार रहिए। क्योंकि यह सब देने के लिए केंद्र सरकार पर 42 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज लद चुका है।

बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप अगर आपको लगता है कि यह देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार चला रही है तो आपकी यह सबसे बड़ी गलतफहमी होगी। आपके जेहन में दूसरा सवाल आएगा कि केंद्र सरकार देश को नही चला रही है मोदी नही चला रहे हैं तो आखिर देश कैसे चल रहा है।

आइए बड़ी मेहनत से खोजे गए आंकड़े को मेहनत से पढियेगा और समझियेगा ये देश कौन चला रहा है। दरअसल इस देश में उज्वला योजना ,प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ,स्ट्रीट वेंडर राहत पैकेज ,जन धन खाता राहत पैकेज ,80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज के साथ कई दर्जन योजनाओं पर केंद्र सरकार का नाम तो है लेकिन यह सब पैसा वर्ड बैंक और International Monetary Fund (आईएमएफ) दे रहा है जिसका कुल कर्ज बढ़कर देश में 42 लाख करोड़ हो चुका है ।

विश्वबैंक बैंक की एक पालिसी के अनुसार उसने केंद्र सरकार से कहा कि भारत में किसानों की आवश्यकता नही है भारत में मजदूरों की आवश्यकता है जो खेतों में काम करें , वर्ड बैंक ने कहा कि भारत में 85 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है और इनपर हर साल 80 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा केवल खाद पर सब्सिडी देना पड़ता है ,इसी प्रकार बीज और कृषि यंत्रों पर भी सब्सिडी देना पड़ता है इसलिए उसने कहा कि इस देश के किसानों की सारी जमीन ले लीजिए और इसके बदले हम समय समय पर इन गरीबों और किसानों को कुछ न कुछ देते रहेंगे केंद्र सरकार ने बात मान ली और दस्तावेजों पर दस्तखत हो गए इसके बाद विश्व बैंक ने एक फंड जारी किया जिससे छोटे मझले किसानों की जमीन को लीज पर लिया जा सके और इसके लिए बड़ी बड़ी कंपनियों को अधिकृत किया गया उसके बाद ही किसान आंदोलन ने जन्म लिया ।

अब हम थोड़ा पीछे चलते हैं विश्वबैंक और आईएमएफ ने केंद्र सरकार की मिलीभगत से भारत के किसानों की जमीन हड़प कर G7 देशों की दलाली करने लगा जिसमे कनाडा , फ्रांस ,जापान ,इटली ,अमेरिका,युनाइटेड किंगडम, और जर्मनी शामिल है । चूंकि विश्वबैंक और आईएमएफ को पता है कि भारत के लोग कई दशकों से ठगे गए हैं और वह अभी भी दाल ,चावल और हजार पांच सौ रुपये के लाभ पाने के लिए कुछ भी बर्दाश कर सकते हैं । इसके लिए विश्वबैंक ने 2014 में केंद्र सरकार को 320 मिलियन डॉलर भारत के उन लोगों के लिए दिया जिनके पास अपना बैंक अकाउंट नही है , सरकार ने पूछा कि हम गरीबों के लिए खाता खोलवाकर क्या करेंगे उसके बाद विश्व बैंक ने कहा उसकी चिंता आप छोड़िये आप किसानों की जमीन लीज पर लेने के लिए कानून बनाइये  उसमें पैसा हम डालेंगे उसके बाद जनधन खाते की शुरुआत हुई। और उसी वर्ष ही अडानी अंबानी को पता चल गया था कि भारत के किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों का राज चलेगा और उन्होंने गोदाम और कोल्डस्टोरेज बनवाना शुरू कर दिया था। 

विश्वबैंक और आईएमएफ की नजर भारत की जमीन पर ही नही थी उसको G7 देशों को पैसा कमवाने के लिए भारत एक बड़े बाजार के रूप में दिखाई दे रहा था ।उसके बाद 2014 में ही उसने भारत को 4 लाख 27 हजार करोड़ रुपये का लोन दिया और कहा कि आप देश को खुले में शौच से मुक्त करो यानी शौचालय बांटो ।सरकार ने वैसा ही किया । 

 आईएमएफ के लोग भारत के बाजार पर नजर दौड़ाए हुए थे इसी बीच उसने 3 लाख 66 हजार करोड़ रुपये का ऋण और दे दिया केंद्र सरकार ने पूछा कि इस पैसे को कहां खर्च करें तो उसने सुझाव दिया प्रधानमंत्री मुद्रा योजना चलाओ और निचली इकाई के लोगों को खुश करने के लिए मुफ्त में गैस सिलेंडर बांटों  सरकार ने यह भी मान लिया ।

चूंकि G7 देशों के पास अकूत संपति है और वह अपने देश के लोगों को वह पैसा आधा या 1 प्रतिशत ब्याज पर दे देते हैं लेकिन दुनिया के अन्य देशों को यह लोन वह 7 से 10 फीसदी ब्याज पर देते हैं पैसा फंसने का कोई डर नही रहता क्योंकि इसके पायलर में केंद्र सरकार होती है।

जिस प्रकार मोदी सरकार विश्वबैंक और आईएमएफ से कर्ज लेकर खर्च कर रही थी उसी प्रकार उन समूहों के लोगों द्वारा हर दिन नए- नए योजना को लागू करने के लिए लोन देने की पेशकश भी किया जा रहा था जिसपर केंद्र सरकार ने लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का लोन लिया और उसने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ,आत्मनिर्भर भारत ,80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज ,जनधन खाते में 1 हजार का राहत पैकेज जैसी तमाम योजनाओं को शुरू किया गया। 

अभी तो विश्वबैंक को अपने असली मकसद पर काम करना है जिसके लिए उसने 25 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया है क्योंकि उसे पता है कि भारत के लोग अपनी जमीन तभी देंगे जब उन्हें लगेगा कि सरकार तो हमे सब कुछ दे ही रही है हम खेती करने क्यों जाएं ये तो शुक्रगुजार है हरियाणा और पंजाब के किसानों का जो सरकार और उद्योगपतियों की मंशा को भांप चुके थे । 

हालांकि इन सबके बाद भी हिमाचल प्रदेश में अडानी समूह का काम शुरू हो गया है जिसमें वह सेब की खेती पर कब्जा जमा चुका है और अब ₹12 रुपये कम पर उसकी कंपनी सेब की खरीददारी कर वह भारत से लेकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे रेट पर बिक्री करेगा और आने वाले दिनों में इसी प्रकार की गेहूं ,चावल ,दाल , आलू ,प्याज इत्यादि को भारत से लेकर दुनिया भर के बाजारों में ऊंचे कीमतों पर बेचने का काम किया जाएगा और इसी प्रकार विश्व बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड अपने असली मकसद में कामयाब हो जाएगा।

इसी पॉलिसी के तहत अभी जो पैसा है वह बड़ी-बड़ी कंपनियों और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को दिया जा रहा है आखिर यह बात कैसे मान लिया जाए कि कोई नई सरकार आने के बाद यह कंपनियां और यह उद्योगपति सब पैसा केंद्र सरकार को वापस कर देंगे ? ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जो इस देश के लिए खतरा बना हुआ है।

और दूसरी बात यह है कि यह 25 लाख करोड़ रुपया भुगतान करने का समय भी 2022 में पूरा हो रहा है इसके साथ 42 लाख करोड़ रुपये का जो कुल विदेशी कर्ज है वह 2029 तक देना है । अगर इस बीच 2024 में केंद्र की सरकार बदल गई तो बहुत बड़े दौलत पर किसी एक पार्टी का कब्जा हो जाएगा और यह देश कंगाली और बदहाली के मोड़ पर खड़ा हो जाएगा क्योंकि जब इस देश को यहां की कोई सरकार चलाना शुरू करेगी तो उसके पास पैसा ही नही रहेगा । अभी तो यह देश विश्वबैंक और आईएमएफ चला रहा है।

हमने तो उदाहरण स्वरूप कुछ जानकारी आपको दिया है इसके अलावा बहुत सारी योजनाओं के नाम पर केंद्र सरकार ने विदेशी कर्ज लिया हुआ है इसमें आपको कई सारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है । अब आप विचार कीजिए किस देश में पेट्रोल ,डीजल ,गैस ,कोल ब्लॉक ,इनकम टैक्स आदि के जरिये जो बड़े पैमाने पर टैक्स की वसूली हो रही है तो आखिर वह पैसा कहां खर्च हो रहा है जब केंद्र सरकार की सारी योजनाएं विदेशी कर्ज से ही चल रही है।

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शनिवार, 28 अगस्त 2021

सरकार के पास ताकत है अभी तो न जाने कितनी और एफआईआर दर्ज कराई जाएंगी-नूतन ठाकुर

शुक्रवार को लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आवास से पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर  मेडिकल कराने के बाद कोर्ट ले जाया गया है। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया ,बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के बाहर रेप पीड़िता की आत्महत्या के मामले में अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार किया गया है।

बीएसपी सांसद अतुल राय पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की और गवाह की मौत के मामले में एसआईटी की रिपोर्ट पर अमिताभ ठाकुर पर एफआईआर दर्ज हुई है। वहीं, उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने एसआईटी को भी कटघरे में खड़ा किया है।

बीते तीन दिन पहले अमिताभ ठाकुर से एसआईटी की टीम ने पूछताछ की थी। इसके बाद शुक्रवार सुबह पुलिस अमिताभ ठाकुर के विरामखंड-5 स्थित आवास पर पहुंच गई। बाद ढाई बजे के करीब अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर हज़रतगंज थाने लाया गया।

हज़रतगंज थाने में ढाई घंटे से ज्यादा पूछताछ करने के बाद अमिताभ ठाकुर को पुलिस सिविल अस्पताल लेकर पहुंची। जहां उनका शाम 5:30 बजे मेडिकल कराया गया। इसके बाद करीब 6:10 बजे पुलिस अमिताभ ठाकुर को लेकर कोर्ट रवाना हुई।

'अभी तो दर्ज होंगे और भी मुकदमे'
अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने कहा कि उनको राजनीतिक कारण से फंसाया गया है। नूतन ठाकुर ने एसआईटी की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं है। अगर इस मामले की जांच कोई भी निष्पक्ष कमेटी करेगी तो पाया जाएगा इस मामले में अमिताभ ठाकुर की कोई गलत भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास ताकत है। मुझको पता है, अभी तो न जाने कितनी और एफआईआर दर्ज कराई जाएंगी।

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शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

यूपी सरकार में जबरिया रिटायर्ड होने वाले आईपीएस अधिकारी को यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार

Amitabh Thakur Arrested In Lucknow: उत्तर प्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अमिताभ ठाकुर को लखनऊ की हजरतगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह करने वाली महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी दर्ज किया गया था.

 ठाकुर की गिरफ्तारी का एक वीडियो भी सामने आया है. इस वीडियो में पुलिस के कई जवान और अधिकारी नजर आ रहे हैं. ये सभी मिलकर अमिताभ ठाकुर को जबरन गाड़ी में बिठा रहे हैं. गाड़ी में बिठाने के दौरान अमिताभ ठाकुर लगातार पुलिस का विरोध कर रहे हैं और कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि मैं नहीं जाउंगा।

पूर्व आईपीएस की गिरफ्तारी बसपा अतुल राय पर रेप को आरोप लगाने वाली पीड़िता के बयान पर हुआ है। रेप पीड़िता ने दिल्ली में आत्मदाह से पहले इस मामले में सोशल मीडिया पर जारी बयान में पूर्व आईपीएस को माफिया मुख्तार अंसारी के इशारे पर बचाने का आरोप लगाते हुए मानसिक शोषण के साथ न्याय से वंचित करने का आरोप लगाया था। बसपा सांसद अतुल राय के ऊपर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता के मामले में हुई एसआईटी जांच की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व आईपीएस की गिरफ्तारी हुई है

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बस्ती- नवनिर्वाचित प्रधान का दुर्भावनापूर्ण मामला आया सामने पूर्व प्रधान का शिलापट्ट से हटाया नाम

बस्ती - जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रुद्रपुर में प्रधान द्वार पंचायत भवन के शिलापट्ट पर अंकित पूर्व प्रधान का नाम मिटाकर अपना नाम लिखने का मामला सामने आया है।
ग्राम पंचायत रुद्रपुर के आधा दर्जन लोगों ने शिकायत करते हुए बताया कि ग्राम पंचायत में पूर्व प्रधान कमलेश चौधरी के कार्यकाल में पंचायत भवन का निर्माण हुआ था जिसपर पंचायत भवन का निर्माण पूरा होने पर लोकार्पण के बाद शिलापट्ट लगाया गया था जिसपर मुख्यमंत्री ,सांसद ,विधायक एवं मंत्री के साथ अन्य जानकारी अंकित की गई थी । ग्रामीणों ने बताया कि तत्कालीन प्रधान कमलेश चौधरी द्वारा लगाए गए शिलापट्ट से वर्तमान प्रधान सुशीला देवी ने उनका नाम मिटाकर अपना नाम लिख दिया जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी इंद्रपाल सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधान द्वारा जो काम किया गया है यह ईर्ष्या द्वेष की भावना से किया गया है जो बिल्कुल ठीक नहीं है उन्होंने कहा कि संबंधित लोगों से बात करके पंचायत भवन के शिलापट्ट पर तत्कालीन प्रधान का  नाम अंकित करने के लिए कहा जाएगा ।

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यूपी -99 फीसदी अभिभावक और शिक्षक चाहते हैं कोविड-19 के पहले की तरह संचालित हो स्कूल

सौरभ वीपी वर्मा

पूरी दुनिया के साथ भारत में आये कोविड 19 ने जहां देश भर के सभी संस्थाओं को स्थिल कर दिया है वहीं प्राइमरी से लेकर माध्यमिक और उच्च शिक्षा देने वाले स्कूल में भी शासनादेश के बाद भी ताला लटका हुआ है। हालांकि अगस्त के मध्य से स्कूल खोलने की बात सरकार कर रही है लेकिन उसपर कोई प्रभावी प्रचार प्रसार होता नही दिखाई दे रहा है ।

ऐसी स्थिति को जानने के लिए तहकीकात समाचार द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सर्वेक्षण किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से दो हजार से ज्यादा लोगों का सैंपल लिया गया  । जिसमे प्रदेश के नागरिकों ,अभिभावकों ,शिक्षकों के साथ ही बच्चों द्वारा बताया गया की पूरी तरह से स्कूल का संचालन पहले की तरह होना चाहिए ।

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर ऑनलाइन किए गए सर्वेक्षण में 99 फ़ीसदी लोगों ने माना कि स्कूल का संचालन अति आवश्यक है 1 फीसदी लोगों ने माना कि  स्कूल को पहले की तरह संचालित किया जाए साथ ही कोविड-19 के प्रति सरकारी गाइडलाइन का पालन भी होना चाहिए ।

67 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि स्कूल के बंद होने से बच्चों की शैक्षणिक और मानसिक स्थिति में काफी गिरावट आई है । अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को स्कूल में जिस तरह से सीखने समझने की क्षमता विकसित होती है उस तरह का क्षमता घर पर नहीं हो पा रहा है ना तो बच्चे पढ़ने में रुचि रख रहे हैं और ना ही उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रेरित कर मिल रहा है इसलिए नियमित तौर पर विद्यालय खुलना अति आवश्यक है ।

10 फ़ीसदी अभिभावकों का मानना है कि बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से जोड़कर पढ़ने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया गया लेकिन अभी तक देखने को मिला है कि ऑनलाइन शिक्षा खासकर स्थानीय स्तर पर कोरम पूरा करने का एक साधन बन गया है इसलिए स्कूलों , विद्यालयों और कालेज को खोलकर शैक्षिक व्यवस्था सुधारने की अति आवश्यकता है।

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गुरुवार, 26 अगस्त 2021

अपने मोबाइल पर घर बैठे देखें ग्राम पंचायत ,क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत में खर्च का पूरा ब्यौरा

सौरभ वीपी वर्मा
9415092208

तहकीकात समाचार के पाठक गण लगातार फोन और मैसेज के द्वारा पूछते रहते हैं कि ग्राम पंचायत में जो धन व्यय हो रहा है उसकी जनकरी कैसे प्राप्त करें ।

तो आज हम आपके काम की बात बता रहे हैं जो घर बैठे अपने स्मार्ट फोन के जरिये ग्राम पंचायत ,क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत द्वारा खर्च किये गए एक-एक रुपये के बारे में जान सकते हैं।
तो सबसे पहले आप अपने स्मार्टफोन में गूगल पर क्लिक करेंगे और लिखेंगे egram swaraj इसे लिखने के बाद आप उसे सर्च करेंगे तो आपके सामने इस तरह का पेज खुल कर आएगा।
इस तरह का पेज आने के बाद आप online payment status report pr क्लिक करेंगे जिसे हमने लाल घेरे में कर दिया है। उसके बाद आपके सामने इस तरह का विकल्प खुल कर आएगा

यह पेज आपके सामने आते ही आपको इस पेज पर आए विकल्प को भरना है जैसे वर्ष, राज्य और वह इकाई जिसके बारे में जनकरी चाहते हैं। मानलीजिए आपको ग्राम पंचायत से जुड़ी जानकारी चाहिए तो आप village panchayat पर क्लिक  करेंगे और नीचे का विकल्प भरेंगे जैसे हमने नीले रंग से टिक किया हुआ है। उसके बाद आप कैप्चा भरेंगे फिर आपके सामने इस प्रकार का पेज खुल कर आएगा।
जिसमे आपको जिले का चयन करना है ,उसके तुरंत बाद आपको अपना विकास खंड चुनना है जिसके बारे में जानकारी चाहते हैं। उसके बाद आपके सामने ग्राम पंचायत की लिस्ट आ जायेगी फिर आपको जिस ग्राम पंचायत की जानकारी चाहिए उसपर क्लिक करना होगा ।फिर आपको अपने ग्राम पंचायत के सामने नीले रंग के अंक पर क्लिक करना होगा उसके बाद इस तरह का पेज खुलेगा और आप देख सकते हैं किस मद में कितना रुपया खर्च हुआ है
आप इस पेज पर देख सकते हैं अनंत ट्रेडर्स के खाते में पैसा गया है और सामने जिसे हमले लाल घेरे में किया है वहां credited लिखा हुआ है। तो इस प्रकार से आप अपने ग्राम पंचायत में खर्च हुए धन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपने पांच मित्रों को आप शेयर करें ताकि इस जागरूकता को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

हम आपको अपने अगले लेख में बताएंगे मनरेगा , स्वच्छ भारत मिशन एवं आवास के बारे में स्वीकृत संबंधित जानकारी कैसे प्राप्त करें।

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बुधवार, 25 अगस्त 2021

भारी जलभराव व अव्यवस्थाओं के बीच परीक्षा देने को मजबूर हुए अभ्यर्थी,सोशल मीडिया पर निकला भड़ास

Balrampur News: UP - उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में आज मंगलवार को आयोजित प्रारंभिक अर्हता परीक्षा पीईटी में परीक्षार्थियों को बाढ़ के दौरान जान जोखिम में डालकर परीक्षा देना पड़ा।  बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की सेवाओं में समूह 'ग' के पदों पर भर्तियों के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) ने जिले में पीईटी प्रारंभिक अर्हता परीक्षा आयोजित कराई थी।

जिले में कई सेंटर भी है, जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बनाए गए हैं। इन परीक्षा केंद्रों तक परीक्षार्थियों को जान जोखिम में डाल कर पहुँचना पड़ा 
सोशल मीडिया पर कुछ फोटो वायरल हो रहे हैं जिसमे  कुबेरमती पांडेय मेमोरियल इंटर कॉलेज श्रीदत्तगंज में बनाये गए परीक्षा केंद्र पर  परीक्षार्थियों को पहुंचने के लिए गाठ भर बाढ़ के पानी का सामना करना पड़ा वहीं भारी जलजमाव के चलते कई गाड़ियां भी सड़क के किनारे फंस गई। जलजमाव का फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लोगों ने काफी नाराजगी व्यक्त किया । फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा कि यह योगी सरकार की नाकामी है जहां पानी में घुसकर बच्चों का भविष्य तय किया रहा है । इसी प्रकार एक यूजर्स ने लिखा

"जरा सोचिए , जहां आस्था के नाम पर ठगी होती हो और लोगों को अंधविश्वास पाखंड चमत्कार भाग्यवाद पुनर्जन्म का पाठ पढ़ाया जाता है वहां की इमारतें संगमरमर की बनती हैं और रास्ते में भक्तों के पैर में कीचड़ भी नहीं लगता

लेकिन जहाँ शिक्षा के मंदिर में विद्यार्थियों का भविष्य और देश की दिशा तय होती है वहां पानी में तैर करके परीक्षा देने पड़ रही है  ।देश को बचाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं हम सब की है"

नौकरी पाने के लिए परीक्षा देने आए परीक्षार्थियों ने कहा कि परीक्षा केंद्र तक पहुँचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। परीक्षा केंद्र तक पहुँचने के लिए इस डिप पर बह रहे पानी के तेज बहाव को पार करना पड़ रहा है। जोकि काफी खतरे से भरा है। जिला प्रशासन को केंद्र बनाने से पहले इस ओर ध्यान देना चाहिए था।
क्या बोले अपर जिलाधिकारी बलरामपुर

इस मामले पर जब अपर जिला अधिकारी वित्त एवं प्रशासन अरुण कुमार शुक्ल से बात किया गया तो उन्होंने कहा कि परीक्षार्थियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा पुलिस की व्यवस्था की गई है जो उन्हें उचित रास्ते से परीक्षा केंद्रों तक भेज रहे हैं। जिले में बाढ़ की समस्या है और पिछले 2 दिनों से बारिश हो रही है। इसलिए जिला प्रशासन कुछ कर नहीं पा रही है।

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मंगलवार, 24 अगस्त 2021

योगी बाबा बता ही दीजिए कि आप के मंत्री को ठोक दिया जाए या विभाग के इंजीनियर और ठेकेदार को

सौरभ वीपी वर्मा

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ बार-बार कहते हैं कि प्रदेश में भ्रष्टाचार और अपराध करने वालों की जगह जेल होती है  । बाबा बार-बार कहते हैं कि अपराध करने वालों को ठोक दिया , बाबा आज बता ही दीजिये  विभागीय मंत्री को ठोक दिया जाए , या विभाग के अधिकारी और इंजीनियर को ठोक दिया जाए या फिर उस ठेकेदार को ठोक दिया जाए जिसने  इस सड़क का निर्माण किया है।

चीन , जापान ,अमेरिका और रसिया जैसे देशों ने अंतरिक्ष पर  यान भेजकर परचम लहरा दिया लेकिन भारत में सरकारी योजनाओं को लूटने ,कमीशनखोरी ,घोटाले और भ्रष्टाचार में परचम लहराया गया जिसका परिणाम है कि भारत में आने वाली हर योजना लाखों करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद दम तोड़ देती है।

तस्वीर लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाए गए सड़क की है जो बस्ती जनपद के भानपुर तहसील के अंतर्गत बनाई गई है । एक सड़क का नाम लिखने से फायदा ही क्या होगा जब पूरे बस्ती और पूरे प्रदेश की सड़कों का यही हाल है ।

बाबा योगी आदित्यनाथ , डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और उनके अधिकारी को अपनी बदहाल सड़कों पर जवाबदेही तय करने के साथ-साथ यह तय करना होगा कि उनकी सड़कें जनता के हित में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के हित में बनेंगी जो निर्माण होने के बाद दो-चार 10 साल चल पाएगी , तस्वीर में आप देख सकते हैं यह नवनिर्मित सड़क एक तरफ बनी और दूसरी तरफ उखड़ रही है ।

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किसानों के प्रदर्शन से अवरुद्ध सड़कों से सुप्रीम कोर्ट नाराज,सरकार को दो हफ्ते में हल निकालने को कहा है.

नई दिल्‍ली : Kisan Aandolan: किसानों के धरने के चलते दिल्ली- यूपी सीमा पर सड़क बंद होने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र और राज्य सरकारों पर फिर सवाल उठाए हैं. SC ने पूछा कि अभी तक सड़कें बंद क्यों हैं? सड़क पर ट्रैफिक को इस तरह रोका नहीं जा सकता. सरकार को कोई हल निकालना होगा.  सुप्रीम कोर्ट के इस संबंध में कई फैसले हैं, सड़क के रूट इस तरह बंद नहीं हो सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र और यूपी सरकार को दो हफ्ते में हल निकालने को कहा है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें, आपस में सहयोग करें ताकि आम लोग परेशान न हों.

शीर्ष अदालत ने कहा कि आपको बहुत समय मिल चुका अब कुछ कीजिए. 20 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी. इससे पहले, यूपी सरकार ने किसानों के विरोध के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और कहा कि सरकार अदालत के आदेशों के तहत सड़कों को जाम करने के घोर अवैध काम पर किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है. प्रदर्शनकारियों में अधिकतर बड़ी उम्र के और वृद्ध किसान हैं. यूपी सरकार ने कहा है कि गाजियाबाद / यूपी और दिल्ली के बीच महाराजपुर और हिंडन सड़कों के माध्यम से यातायात की सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए डायवर्सन बनाया गया है क्योंकि एनएच 24 अभी भी अवरुद्ध है. जनवरी, मार्च और फिर अप्रैल में किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा एनएच 24 को बार-बार अवरुद्ध किया गया .कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा था कि दूसरों के जीवन में बाधा न डालें. SC ने साफ कहा कि यदि प्रदर्शनकारी नीति को स्वीकार नहीं करते तो दूसरों को नुकसान नहीं होना चाहिए. एक गांव बना लें लेकिन दूसरे लोगों के लिए बाधा न बनें. SC ने कहा कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन दूसरों को बाधित नहीं कर सकते.

इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करने का प्रयास कर कर रहा है और दो सप्ताह का समय चाहिए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को और समय दिया था .दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नोएडा और दिल्ली के बीच सड़क को सुनिश्चित करने के लिए नोएडा निवासी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल द्वारा दायर रिट याचिका पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया था जिसमें उसने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उसका सफर सड़क जाम के कारण सामान्य 20 मिनट के बजाय दो घंटे का समय ले रहा है. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए. यह एक ऐसा पहलू है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों में बार-बार जोर दिया गया है.NDTV


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रविवार, 22 अगस्त 2021

इस देश में गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के साथ बढ़ रहा थानों पर अंग्रेजी हुकूमत की तरह बर्बरता

सौरभ वीपी वर्मा 

जनता का खून चूस कर सत्ता का हनक दिखाने वाली सरकार में मोदी कार्यकाल के दौरान देश के नागरिकों का जो हस्त्र हो रहा है वह शायद ही भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कभी ऐसा हुआ रहा होगा क्योंकि यहां गरीबी, बेरोजगारी के साथ थाना , तहसील और ब्लॉक में पहले से ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ गया है।

वर्ष 2014 में जिस रसोई गैस की कीमत ₹450 थी आज उसकी कीमत सीधे दोगुना होकर ₹900 हो चुकी है 2014 से लेकर 2021 तक के महंगाई के आंकड़े को देखेंगे तो खाद्य पदार्थ से लेकर खाद्य तेल और ईंधन में दोगुने दामों की बढ़ोतरी हुई है।

इन 7 सालों के कार्यकाल के दौरान देश में ऐसा कोई भी इतिहासिक कार्य नहीं हुआ है जिससे आमजन को राहत मिला हो और जिससे ऐसा लगा हो कि भारतीय नागरिकों से लिया जा रहा टैक्स जायज है स्थिति यह है कि 23 करोड़ से ज्यादा लोग अति गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं।

निश्चित तौर पर भारत सरकार या उत्तर प्रदेश की सरकार या किसी प्रांतीय सरकार द्वारा उसके नागरिकों से जो टैक्स लिया जा रहा है वह देश के विकास कार्य के नाम पर ही लिया जा रहा है लेकिन इस दौरान भारत सरकार द्वारा इस देश के संसाधनों के बेचने के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिससे इस देश के मान-सम्मान और संसाधनों में वृद्धि हुई हो।

 सबका साथ सबका विकास के नाम पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मुट्ठी भर लोगों का विकास हुआ है ।आंकड़े उठाकर के देखेंगे तो इस दौरान विकास के नाम पर देश का ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों का भी विनाश हुआ है  । भ्रष्टाचार मुक्त की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार में यदि आंकड़े उठाकर के देखेंगे तो पहले के मुकाबले 20 गुना ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ा है । तहसील ,थाना और ब्लॉक पर पहले से ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ गया है ।

जिस तहसील पर काश्तकारों का काम दो-चार दिन में हो जाता था आज उसी तहसील पर अच्छा खासा सुविधा शुल्क लेने के बाद भी नागरिकों का काम आसानी से नहीं हो पा रहा है । ब्लाक की सुविधाएं भी आसानी से नही मिल पा रहा है।

आजकल तो उत्तर प्रदेश के थानों की बात करें तो अंग्रेजी हुकूमत से ज्यादा बर्बरता यूपी के थानों पर हो रहा है थाने पर जाने वाले फरियादियों से उनकी फरियाद सुनने के लिए हल्का सिपाही से लेकर दरोगा तक हजार ₹2000 शुल्क लिया रहा है । थाने पर पहुंचने वाली शिकायत के बाद यदि दोनों पक्षों का समझौता हो गया हो तो भी थाने पर बैठी पुलिस दोनों पक्षों से सुविधा शुल्क लेकर ही मामले का निस्तारण करती है । एक लाइन की बात यह है उत्तर प्रदेश के थानों पर बैठे पुलिस के लोगों द्वारा बस दिनभर रास्ता देखा जाता है कि कौन सा फरियादी फरियाद लेकर आ रहा है ताकि 1000 - 2000 का काम बन जाए । और मामला कहीं थोड़ा सा गंभीर लगने लगे तो 10 ,20 , 50 हजार भी पुलिस को कम लगता है तो इसी प्रकार से भ्रष्टाचार मुक्त वाली सरकार इस देश और प्रदेश में चल रही है ।

 कम शब्दों में ज्यादा बात यह है कि सरकार निरंकुश हो चुकी है जहां जनता की समस्याओं के समाधान के बजाए उसका खून चूसा जा रहा है  ।देश के नागरिकों के पास रोजगार नही है , सड़कें बदहाल हैं , स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था ध्वस्त है , शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से बंद कर दी गई है , चिकित्सा व्यवस्था की हाल भी वेंटिलेटर पर पहुंच चुकी है , पुलिस थाना ब्लॉक से लेकर सरकारी संस्थाओं में भ्रष्टाचार और असमानता बरकरार है उसके बाद भी सबका साथ और सबका विकास की बात इस देश में हो रही है ।

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उत्तर प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्गज नेता का निधन ,प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक

लखनऊ : उत्तर प्रदेश (UP) के दो बार मुख्यमंत्री रहे भाजपा (BJP) के दिग्गज नेता कल्याण सिंह का निधन (Kalyan Singh ) हो गया है. कल्याण सिंह ने लखनऊ के अस्पताल में अंतिम सांस ली है, वह 89 साल के थे. कई दिनों से लखनऊ के अस्पताल में उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी. कल्याण सिंह ने 2014 - 2019 के बीच राजस्थान के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया. कल्याण सिंह की गिनती भाजपा के शीर्ष नेताओं में होती है. 

कल्याण सिंह भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे - जून 1991 से दिसंबर 1992 और सितंबर 1997 से नवंबर 1999 तक.कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था।उनका अंतिम संस्कार 23 अगस्त को नरौरा में गंगा तट पर किया जाएगा।

 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उन्होंने प्रदेश में 23 अगस्त को एक दिन के सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा की है। अलीगढ़ जिले के मढ़ौली ग्राम में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर पांच जनवरी 1932 को जन्मे कल्याण सिंह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने।


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शनिवार, 21 अगस्त 2021

मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया वरिष्ठ महिला पत्रकार इंदू बंसल पर हुए साइबर अटैक का मामला

चंडीगढ़: सोनीपत की वरिष्ठ महिला पत्रकार इंदू बंसल पर पिछले दिनों किए गए साइबर अटैक के मामले को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने संज्ञान में लिया है। महिला पत्रकार द्वारा इस मामले में शिकायत किए जाने के बाद सोनीपत पुलिस द्वारा लंबे समय से कार्रवाई नहीं की जा रही थी लेकिन यह मामला मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचने के बाद वहां से कार्रवाई को लेकर उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर एसएमएस के माध्यम से पीड़ित महिला पत्रकार का मोबाइल नंबर मांगा गया है जिसे पत्रकार ने उपलब्ध करा दिया है। 

मुख्यमंत्री कार्यालय से भेजे गए संदेश में लिखा गया था कि कृपया अपना मोबाइल नंबर बताएं ताकि संबंधित विभाग से संपर्क किया जा सके। पीड़ित पत्रकार इंदू बंसल ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस मामले में शीघ्र कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। 

इंदू बंसल ने बताया कि पिछले दिनों कुछ साइबर अपराधियों ने मेरा फोन हैक कर डाटा उड़ाने की कोशिश की। किन्हीं कारणों से उन्होंने अपना फोन बंद कर रखा था जिसे समय-समय पर खोलकर अपडेट करती रहती थीं। पिछले 7 अप्रैल 2020 को महिला पत्रकार को जानकारी हुई कि उनके फोन पर एमआई क्लाउड ने लॉक लगा दिया और उनका फोन नहीं खुला। बाद में उन्हें पता चला कि किसी ने उनके फोन का डाटा खत्म करने की कमांड दे रखी है। साइबर अपराध करने वालों ने ऐसा 2 बार 6 और 12 फरवरी 2020 को किया, जिसके पुख्ता सबूत उन्हें एमआई क्लाउड पर मिले। 

महिला पत्रकार ने इस मामले में कार्रवाई के लिए पिछले 27 मई 2020 को ही सोनीपत पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र दिया था जिसमें उन्होंने उल्लेख भी किया था कि उन्हें पूर्व में झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास करने वाले जिन अपराधियों के खिलाफ़ जांच के बाद मुकदमा झूठा पाए जाने पर ipc की धारा 182 के तहत मुकदमा भी दर्ज है, ये ही अपराधी इस साइबर अटैक में संलिप्त हैं। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि इसका कारण यह है कि सोनीपत के नांगल खुर्द निवासी आशीष पंचाल व मुकेश पंचाल मेरे साथ धोखाधड़ी करने के अपराध में प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर गठित एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए और दोनों के खिलाफ सिटी थाना शहर सोनीपत में धारा 406, 420, 467, 468 और 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस मामले में दोनों आरोपियों ने जिला एवं सत्र न्यायालय सोनीपत से जमानत लेने का प्रयास भी किया लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज करते हुए पुलिस को उन्हें तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया जबकि अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

महिला पत्रकार ने बताया कि सोनीपत पुलिस को सब कुछ बताए जाने और न्यायालय के आदेश के बावजूद सोनीपत पुलिस अपराधियों को संरक्षण देती रही और किसी तरह की करवाई नहीं की। यहां तक कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आशिष पांचाल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए  गिरफ्तार करने का आदेश पुलिस को दिया है।  फिर भी पुलिस द्वारा कार्रवाई न करके हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना भी की जा रही है। अंततः अब मुख्यमंत्री द्वारा इस मामले में संज्ञान लिए जाने के बाद कार्रवाई होने की उम्मीद जगी है। पीड़ित पत्रकार इंदू बंसल ने कहा कि एक मीडिया कर्मी के साथ अपराधियों और पुलिस का इस तरह का दुर्व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है।  मुख्यमंत्री महोदय से विनम्र निवेदन है कि इस मामले में अति शीघ्र कार्रवाई की जाए।

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शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

यूपी के बस्ती में इश्कमिजाज दरोगा का मामला शांत भी नही हुआ एक और सिपाही पर लगा दुष्कर्म का आरोप

प्रयागराज। यूपी में अब प्रयागराज में सिपाही पंकज सिंह यादव पर महिला कांस्टेबल के साथ बलात्कार करने का मामला सामने आया है। अभी बस्ती में ग्रामीणों द्वारा पीटे गये इश्कमिजाज दरोगा अशोक चतुर्वेदी का मामला शांत नहीं हुआ था कि एक नया मामला सामने आ गया।
इस तरह के मामलों से प्रदेश में पुलिस की छवि आम जनता के बीच खराब हो रही है।

लोग यह कहने लगे है कि जब खुद पुलिसकर्मी महिलाओं की अस्मत लूटने में लगे हैं तो वह जनता की इज्जत कैसे बचा पाएंगे।प्रयागराज में महिला कॉन्स्टेबल ने सिपाही पंकज सिंह यादव पर नशीला पदार्थ पिलाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया है।

पीड़ित महिला कांस्टेबल का आरोप है कि सिपाही पंकज सिंह ने बलात्कार करते हुए अश्लील वीडियो बनाया और तस्वीर भी खींचीं। अब वह अश्लील वीडियो और तस्वीरों से उसे ब्लैकमेल कर रहा था।

पुलिस ने पीड़ित महिला कॉन्स्टेबल की शिकायत पर आरोपी सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
 यह मामला थाना कर्नलगंज में दर्ज किया गया है।

एसपी सिटी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि प्रकरण को संज्ञान में लिया गया है इसकी जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने पर आरोपी के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यूपी में लगातार दरोगा और सिपाहियों के कारनामों से विभाग की छवि धूमिल हो रही है।डीजीपी मुकुल गोयल के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी पुलिस विभाग के दरोगा और सिपाहियों में अनुशासन बिगड़ रहा है।

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बस्ती-यात्रियों की जान ले सकता है टिनिच -चौरा मार्ग का जानलेवा गड्ढा

केसी श्रीवास्तव
बस्ती- वैसे यूपी की सड़कों की जो बदहाली है वह किसी से छिपा नही है लेकिन बस्ती की सड़कों पर ऐसे भी गड्ढे हैं जो यात्रियों की जान भी नहीं ले सकता है।
सल्टौआ ब्लाक के टिनिच चौरा मार्ग पर चौरा घाट पुल के निकट जिस तरह से गड्ढे दिखाई दे रहे हैं वह किसी के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है ।

बारिश की वजह से सड़क की पटरी कटने से आधा दर्जन स्थानों पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं जिससे दोपहिया और चार पहिया वाहन चालकों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क के गड्ढे को नही भरा गया तो किसी दिन यह बड़े दुर्घटना का कारण बन सकता है।

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गुरुवार, 19 अगस्त 2021

बस्ती-जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बकरी का बाड़ा बन गया डॉक्टर अंबेडकर सामुदायिक भवन

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- : जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के पिटाउट ,परसाखाल ,कोरियाडीह एवं हसनापुर समेत दर्जनों ग्राम पंचायत में बना डॉक्टर अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते ग्रामीणों के कोई काम नहीं आ रहा है. तत्कालीन बसपा सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर ग्रामीणों के लिए इसका निर्माण कराया था, लेकिन ये आज तक किसी के भी काम नहीं आया. 
सरकारें गांवों में ग्रामीणों को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते सरकार की योजनाओं पर पानी फिर जाता है. बसपा शासन में करीब डेढ़ दशक पूर्व चयनित अम्बेडकर गावों में ग्रामीणों के लिए अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र बने थे. इनके निर्माण का मुख्य उद्देश्य गांव के ग्रामीणों को बैठक, सामाजिक कार्यक्रमों, पटवारी, लेखपाल आदि के लिए एक समुचित स्थान उपलब्ध करवाना था.

तत्कालीन बसपा सरकार ने भी नहीं दिया ध्यान

तत्कालीन बसपा सरकार ने लाखों खर्च करके भवन का निर्माण कराया था. लेकिन, सरकार ने यह नहीं देखा कि जो सामुदायिक केंद्र लाखों खर्च करके उसने बनवाया है, वह ग्रामीणों के उपयोग में आ भी रहा है या नहीं. बसपा सरकार के बाद आईं दूसरी सरकारों ने भी डॉ. अम्बेडकर सामुदायिक केंद्र की ओर ध्यान नहीं दिया.

प्रयोग में न रहने और देख-रेख के अभाव में सामुदायिक केंद्र की इमारत जर्जर होना शुरू हो गई है. वहीं, भवन में लगी लाइट की फिटिंग उखड़ गई और कमरे में लगे पंखे भी चोरी हो चुके हैं ,इसके अलावा भवन में जितने भी संसाधन लगाए गए थे वह सब गायब हो चुका है।

तुरकौलिया के सामुदायिक भवन में बकरियों का बसेरा
विकासखंड के पिटाउट ग्राम पंचायत के अंतर्गत तुरकौलिया गांव में बनाए गए सामुदायिक भवन की स्थिति दयनीय हो गई है। तुरकौलिया गांव की पश्चिम छोर पर बनाए गए भवन में टाइल्स ,दरवाजे ,खिड़की ,बिजली ,पंखा सहित बहुत कुछ लगाया गया लेकिन तत्कालीन प्रधान द्वारा भवन निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उसे ग्राम पंचायत को हैंडओवर करने से मना कर दिया गय जिसके बाद आज तक ना तो भवन ग्राम पंचायत को हैंडओवर हो पाया और ना ही वह किसी काम के रह गया स्थिति यह है कि इस भवन में अब बकरियों का बसेरा होता है।

ऐसी लापरवाही को देखने के बाद सबसे बड़ा सवाल पैदा होता है कि इस तरह का भवन विभागीय अधिकारियों और सरकार द्वारा मात्र कमीशन खोरी के उद्देश्य बनाया जाता है या फिर ग्रामीणों को इसका लाभ भी मिलेगा ? जनता का कहना है इस तरह का भवन बनाने से क्या फायदा जिसके उद्देश का आज तक पता ही नहीं चल पाया । गांव के लोगों का कहना है कि जो भवन बनाए गए हैं ना तो आज तक उस में किसी प्रकार का बैठक हुआ ना तो किसी के प्रयोग में आया कारण यह है कि आज तक किसी को बताया ही नही गया कि इसका निर्माण हुआ किस लिए है।
 दोनो तस्वीर सामुदायिक भवन तुरकौलिया की है

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बुधवार, 18 अगस्त 2021

मद्रास हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी , कहा यह आदेश पिजड़े में बंद तोते(CBI) को रिहा करने का प्रयास

नई दिल्ली : मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई (CBI)को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो केवल संसद को रिपोर्ट करने वाला स्वायत्त निकाय होना चाहिए. दरअसल, विपक्ष भी आरोप लगाता रहा है कि सीबीआई बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हाथों का पोलिटिकल टूल बन गया है. कोर्ट का कहना है कि सीबीआई को सीएजी की तरह होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है. मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की बात करते हुए 12 प्वाइंट्स के निर्देश में कोर्ट ने कहा, ''यह आदेश 'पिंजड़े में बंद तोते (सीबीआई)' को रिहा करने का प्रयास है. बता दें कि 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी और उसे  "पिंजरे के तोते" के रूप में वर्णित किया था. उस समय विपक्ष में रहने वाली भाजपा ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था.

पिछले कुछ सालों ने सीबीआई ने विपक्ष के काफी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई है, जिसे लेकर भी उस पर भाजपा के नियंत्रण का आरोप लगता रहता है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो स्पष्ट रूप कहती रही हैं कि ये पीएम द्वारा कंट्रोल की जाने वाली 'साजिश ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन' है.

कोर्ट ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को अधिक अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है, ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ अपना काम कर सके.



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मंगलवार, 17 अगस्त 2021

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी पर बरसे, बिना लड़े भाग जाने का आरोप

वाशिंगटन : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों को हटाने का फैसला सही है. मैं उस पर अडिग हूं. अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को निकालने के फैसले का बचाव करते हुए बाइडेन ने कहा कि अफ़गानिस्तान को अमेरिका ने बीच मंझधार में नहीं छोड़ा . 20 साल में तीन लाख अफगानी सैनिक तैयार किए. सालों तक वहां काम किया, लेकिन वहां के राष्ट्रपति बिना लड़े ही भाग खड़े हुए. सवाल राष्ट्रपति अशरफ गनी से किए जाने चाहिए. बाइडेन ने अफगानिस्तान में भ्रष्टाचार को बड़ी समस्या बताया. उन्होंने माना कि अफगानिस्तान में उम्मीद से पहले बड़े बदलाव हो गए.

बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक नेताओं ने हार मान ली और देश छोड़कर भाग गए. कभी-कभी लड़ने की कोशिश किए बिना, अफगान सेना तालिबान के आगे गिर गई. यदि कुछ भी हो, तो पिछले सप्ताह के घटनाक्रम इस बात को पुष्ट करते हैं कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य भागीदारी को समाप्त करना अब सही निर्णय था.अमेरिकी सैनिक युद्ध में नहीं लड़ सकते हैं और न ही ऐसे युद्ध में मरना चाहिए कि अफगान सेनाएं अपने लिए लड़ने को तैयार नहीं हैं.


काबुल के हालात पर जो बाइडेन ने कहा कि ऐसी स्थिति को लेकर उन्हें गहरा दुख है. तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भी महिलाओं के अधिकारों पर कदम उठाने का उन्होंने भरोसा दिया. बाइडेन ने दो टूक कहा कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद अमेरिका सैनिकों की वापसी के फैसले पर कायम है. अमेरिकी अगुवाई में अफगानिस्तान में सैन्य दखल के दो दशकों के अंत का कोई अफसोस नहीं है.

बता दें कि अफगानिस्तान से भागते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर पैसा भरा. जगह की कमी के चलते नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़े. रूसी मीडिया ने एक खबर में ये दावा किया है. काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही अमेरिकी समर्थित गनी सरकार गिर गई और राष्ट्रपति भी सामान्य  लोगों की तरह देश छोड़ने को मजबूर हो गए. कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गनी अफगानिस्तान से भागकर संभवत तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान गए हैं. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई.

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में अब भी 200 से ज़्यादा भारतीय फंसे हैं. इनमें 100 से ज़्यादा विदेश मंत्रालय के कर्मचारी हैं और 100 से ज़्यादा आईटीबीपी के जवान. तालिबान ने कर्फ़्यू लगा दिया है, इसलिए आवाजाही की इजाज़त नहीं है. अफगानिस्तान से भारतीयों की वापसी पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अपने नागरिकों से संपर्क में है और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए काम कर रहा है.NDTV


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रविवार, 15 अगस्त 2021

आज स्वतंत्रता दिवस है , लेकिन कुछ खास नहीं है!क्या कोविड-19 का नियंत्रण है या सरकार की साजिश?

सौरभ वीपी वर्मा
आज एक राष्ट्रीय पर्व है जो हर वर्ष 15 अगस्त को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी पाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । पिछले कई वर्षों के 15 अगस्त के पर्व पर ध्यान दें तो चहलकदमी दिखाई पड़ता था लेकिन कोविड 19 की पहली लहर के बाद स्वतंत्रता दिवस का पर्व फीका पड़ गया है ।

 यह तस्वीर सरकारी विद्यालय की है जहां पर 7 बजकर 8 मिनट तक न तो बच्चे हैं न ही किसी कार्यक्रम की तैयारी । जिस स्कूल में किसी जमाने में 400 से 500 बच्चे नजर आते थे, गांव के बूढ़े नौजवान नजर आते थे आज कोविड19 के नियंत्रण के चलते वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।
आज भले ही रविवार है लेकिन 15 अगस्त के दिन स्कूल को बंद करने या सार्वजनिक स्थानों पर जश्न मनाने के लिए कोई भी पाबंदी नहीं है । रविवार का मतलब यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रविवार को साप्ताहिक बंदी का आदेश दिया गया है जो बाजार , स्कूल के साथ हर जगह लागू है  ।  

फिलहाल 15 अगस्त के दिन ना तो स्कूल को खोलने के लिए कोई आदेश है और न ही बंद करने का।ऐसी स्थिति पर यदि विचार किया जाए तो लगता है सरकार को इन सब से कोई मतलब नहीं है सरकार में बैठे शीर्ष नेता स्वतंत्रता दिवस के नाम पर पूर्व संध्या पर संदेश देकर देश के नागरिकों को बता देंगे कि हम 15 अगस्त के पर्व को बहुत ही राष्ट्रीय भावना की तरह मनाने का काम कर रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा ना तो कोई आदेश दिया गया और ना ही कोई गाइडलाइन जारी की गई की स्वतंत्रता दिवस के पर्व को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए  पूरी तरह से जश्न के साथ मनाया जाए।

जिस 15 अगस्त के दिन स्कूल में गाना बजाना होता था ,बच्चों में हौसला होता था , बच्चों को सीखने समझने के लिए जानकारी मिलता था आज उस 15 अगस्त के दिन स्कूल में ताला दिखाई पड़ रहा है । स्कूल में 10 -20 बच्चे आ भी गए तो क्या फर्क पड़ने वाला है ना तो उससे बच्चों में ज्ञान विज्ञान का अलख जग पाएगा और ना ही व्यापक पैमाने पर जश्न का कोई कार्यक्रम तैयार हो पाएगा ।

 सच तो यह है सरकार स्कूल को पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है ताकि बच्चे और उनका भविष्य भी उसी के हिसाब से चले जैसा कि सरकार सोचती है । 

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जबरिया रिटायर' IPS अमिताभ ठाकुर सीएम योगी के खिलाफ लड़ेंगे यूपी में विधानसभा चुनाव

लखनऊ : भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शनिवार को कहा कि वह उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ खड़े होंगे. उत्तर प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी ठाकुर को समयपूर्व सेवानिवृत्त कर दिया गया था.

ठाकुर ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा,‘‘ आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में तमाम अलोकतांत्रिक, अराजक, दमनकारी, उत्पीड़नात्मक तथा विभेदकारी कार्य किये, वह इनके विरोध में मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे,फिर चाहे आदित्यनाथ जहां से भी चुनाव लड़ें.

ठाकुर ने कहा कि यह उनके लिए सिद्धांतों की लड़ाई है, जिसमें वह गलत के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करेंगे. उन्हें गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुपालन में गत 23 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गयी थी.


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शनिवार, 14 अगस्त 2021

पंचायत सहायक ऑपरेटर भर्ती को चुनौती ,हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से एक हफ्ते में मांगा जवाब

UP Panchayat Sahayak Recruitment: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पंचायत सहायक सह डाटा इंट्री ऑपरेटर भर्ती के लिए जारी सरकारी आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकारी वकील से एक हफ्ते में जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी. न्यायाधीश एम सी त्रिपाठी ने जौनपुर निवासी देवी प्रसाद शुक्ल की याचिका पर उपरोक्त आदेश दिया है. गौरतलब है कि 25 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर प्रदेश के 58,189 पंचायत सहायक सह डाटा इंट्री ऑपरेटर के पद पर भर्ती निकाली थी.

 सरकारी आदेश के खिलाफ लगाई गई याचिका में मांग की गई है कि पिछले 15 साल से एक ही पद पर कार्यरत 37 हजार ग्राम सेवकों को समायोजित किया जाए या फिर पंचायत सहायक भर्ती में उन्हें आयु सीमा में छूट और कार्य अनुभव की वरीयता देकर उनकी नियुक्ति की जाए. याचिकाकर्ता का कहना है कि उनका कार्य संतोषजनक है. लेकिन सरकार के आदेश में अनुभव को वरीयता देने का प्रावधान नहीं है. साथ ही याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस भर्ती से ग्राम सेवकों की नौकरी की अनिश्चितता बनी रहेगी. तथा नई भर्ती में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार भी होगा. ऐसे में अनुभवी उम्मीदवार बाहर कर दिए जायेंगे. कोर्ट से मांग की गई है कि वह ग्राम सेवकों के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करे.

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जिस देश में 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं ,वहां कल फिर मनाया जाएगा आजादी का जश्न

सौरभ वीपी वर्मा

जिस देश में 19 करोड लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं उस देश में एक बार फिर राजनेताओं के साथ भारतीय नागरिक 75 वें स्वतंत्रता दिवस के नाम पर खूब जश्न मनाएंगे ,क्योंकि बद से बदतर स्थिति झेलने के बाद भी हिंदुस्तानियों को आजादी की "फीलिंग" होती है।

भ्रष्टाचार के मामले में भारत मे मुट्ठी भर लोग विधायिका और कार्यपालिका में  परचम लहराये हुए हैं ,वंही न्यायपालिका और मीडिया की भूमिका पर भी समय -समय पर सवाल खड़े हुए हैं लेकिन भारतीयों को 74 वर्षों के बाद तक देश मे कोई "बू" नही आती । 

राजपुरुष सत्ता की तिजोरी पाने और उस पर कब्जा जमाने के लिये किसी भी हद तक गिर जाने के लिए नाक कटाये बैठे हैं। अंग्रेजो के  शासन काल खण्डो में भारत पाकिस्तान एक था , मंदिर हिंदुओं के लिए और मस्जिद मुस्लिमों के लिए ही जाना जाता था, अब तो मंदिर में वोट और मस्जिद में आतंकी ही नजर आते हैं । 

आईएएस अधिकारी योजनाओं को लागू कराने की बजाय नेताओं के बंदन-अभिनन्दन में लगे हुए हैं ।
 अधिकारी गरीब के बच्चों के पेट पर लात मारकर खाद्य सुरक्षा अधिनियम,यूनिफार्म, मध्यान्ह भोजन योजना के पैंसे में सेंध लगाकर  अपने बच्चों के लिए खिलौना खरीद रहे हैं। 

पुलिस विभाग की बात भी अनोखी है एक तरफ वह गुंडा मुक्त समाज की स्थापना करने की बात कहते  हुए बड़े-बड़े स्लोगन लगाती है ,दूसरी तरफ घूसखोरी और कालाबाजारी करने वाले लोगों के साथ बैठ कर वह मंच की शोभा बढ़ाती है ।वंही आम आदमी के साथ पुलिस का क्रूर व्यवहार खत्म नही हो रहा है।

 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना (मनरेगा) के पैंसों से तो अधिकारियों के घर मे एसी और प्रधानों के घर मे फ्रिज ,कूलर ही पंहुच पाई है।बाल पुष्टाहार योजना से तो केवल विभागीय लोगों के बेटी -बेटे ही कुपोषण से मुक्त हो पाये हैं।

देश की जनता के ऊपर टैक्स लगाकर सरकारों ने खूब पैंसे बटोरे ,लेकिन आपको पता होना चाहिए कि  जंहा देश के शिक्षण संस्थानों में साफ सफाई की कोई व्यवस्था नही है वंही सांसदों को कपड़े और पर्दा धुलवाने के लिए हर महीने 45 हजार रुपया  खजाने से  दिया जाता है।

परिषदीय स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था और देख- रेख करने के बहाने शिक्षा विभाग में अभी तक बच्चों को सड़ा हुआ भोजन और फटा हुआ कपड़ा ही मिल पाया है ,परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति यह है कि उनके आईएएस ,पीसीएस बनने की बात छोड़ो उनमे अधिकारियों के चपरासी से बात करने की क्षमता भी पैदा नही हो रही है।

वंही उच्च शिक्षा के नाम पर देश के युवाओं को टेक्निकल जानकारी देने की बजाय उन्हें कालेज के कैम्पस में हिन्दू, मुस्लिम, गाय ,भैंस ,लव जिहाद ,जाति-धर्म  की भाषा सिखाने के लिए जवानी की दहलीज पर ही राजनीति का पाठ पढ़ाया जा रहा है।

जिसका परिणाम है कि देश मे 3.72 लाख भिखारी हैं जिनमे से 79 हजार भिखारी ऐसे हैं जो  हाईस्कूल ,इंटरमीडियट,स्नातक, परास्नातक की पढ़ाई करने के साथ डीग्रीधारक हैं और दिल्ली,मुम्बई, कोलकाता  बंगलुरु की सड़कों पर रोजगार न मिलने की वजह से भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। 

देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के नाम पर देश के खजाने से मनुष्य के स्वास्थ्य का हवाला देकर अब तक इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला किया गया है ।आप अपनी नंगी आंखों से देख सकते हैं कि 5 हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में स्वास्थ्य केंद्र एवं उप केंद्र बनाए गए लेकि देश की जनता का दुर्भाग्य है कि 82 फीसदी  अस्पतालों के दरवाजे आज तक नही खुले हैं,और अस्पतालों में सुबिधाओं की पंहुच दिखा कर प्रति वर्ष अरबो रुपये का चपत लगाया जा रहा है।

इसके अलावां देश मे भुखमरी की जटिल समस्या है, इससे निपटने के लिए 1975 में समेकित बाल विकास परियोजना शुरू की गई।लेकिन एसीएफ की रिपोर्ट बताती है कि 43 वर्ष बीत जाने के बाद भारत मे कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है, वैसा पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिला है।रिपोर्ट में लिखा गया है, "भारत में अनुसूचित जनजाति (28%), अनुसूचित जाति (21%), पिछड़ी जाति (20%) और ग्रामीण समुदाय के (21%) पर  कुपोषण का बहुत  बड़ा बोझ है।

स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन इन द वर्ल्ड, 2017 की रिपोर्ट के अनुसार भारत मे सर्वाधिक 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं, वंही 5 साल से कम उम्र के 38 फीसदी बच्चे अति कुपोषित जिंदगी जीने के लिए विवश हैं।

खेल भी गजब का है सदन को चलाने के लिए  प्रति मिनट 2.50 लाख का खर्चा आता है वंही रिपोर्ट के अनुसार 30 रुपया प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति अमीर है। सरकारी आंकड़ों में  शहर में 28.65 रुपये और गांवों में 22.24 रुपया कमाने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आता है। क्या आपको लगता है कि यह राशि ऐसे देश में एक दिन के भी गुजारे के लिए काफी है जहा "शौच" करने के लिए 5₹ से लेकर 10₹ रुपये तक निर्धारित रेट है।बता दें कि भारत में 29.08 फीसदी लोग 22 रुपये से  कम पर गुजारा करते हैं ।

जरा सोचिए कि 74 वर्ष बीत जाने के बाद बहुसंख्यक आबादी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तो यह कैसे माना जाए कि देश के लोग आजाद हैं ।हाँ यह सही है कि गोरे हुकुमत से भारत आजाद हो गया है लेकिन भूरे साहबों से देश की जनता को आजादी नही मिली है ।फिलहाल आप जश्न मनाइये कि हम आजाद हैं लेकिन सच यह है कि आजादी के नाम पर देश में अगर किसी की व्यवस्था बदली है तो मुट्ठी भर लोगों के रहन-सहन की व्यवस्था में बदलाव आया है इसके अलावा देश की आधी से ज्यादा आबादी की स्थिति बद से बदतर है जहां शिक्षा ,स्वास्थ, सड़कें ,स्वच्छ पेयजल ,पानी निकासी ,आवास और रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था 75 वर्षों में नहीं हो पाई है उसके बाद भी हम 15 अगस्त के दिन आजादी का जश्न मना कर पल भर की खुशियां अपने और अपने देश के लोगों से साझा करेंगे ।

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गुरुवार, 12 अगस्त 2021

बस्ती- नेशनल हाइवे पर भीषण सड़क हादसा,कन्टेनर में पीछे से कार घुसने से 5 लोगों की मौत

बस्ती. बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) में भीषण सड़क हादसे में 5 लोगों की मौत हो गई है. जनपद के नगर थाना के नेशनल हाइवे 28 के पुरैना चौराहे पर ये हादसा हुआ. यहां कन्टेनर में पीछे से कार घुस गई. कार लखनऊ से बस्ती की तरफ जा रही थी. कार में 7 लोग सवार थे, जिनमें से 5 की मौके पर ही मौत हो गई. एक बच्ची सुरक्षित निकाल ली गई है, वहीं 1 की हालत गम्भीर है, जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

हादसे की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस को शवों को बाहर निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ी. कार को गैस कटर से काटा गया, जिसके बाद एक-एक करके शव निकाले गए. पुलिस ने सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. वहीं दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल एक शख्स को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके अलावा एक बच्ची को सकुशल बचा लिया गया है.

दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों की पहचान की जा रही है।

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बुधवार, 11 अगस्त 2021

तालिबान ने किया फैजाबाद पर कब्जा भारतीय दूतावास ने कहा यहाँ से निकलने की व्यवस्था कर लें भारतीय

तालिबानी लड़ाकों ने उत्तरी अफगानिस्तान के एक और शहर पर कब्ज़ा कर लिया है। तालिबान ने बदख्शां की राजधानी फैजाबाद पर कब्ज़ा कर लिया है। बदख्शां प्रदेश ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और चीन से बॉर्डर साझा करता है। बदख्शां के प्रांतीय परिषद सदस्य जवाद मुजादीदी ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि फैजाबाद में एक लंबी लड़ाई के बाद, सरकारी सुरक्षा बल पड़ोसी जिलों में पीछे हट गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ तालिबान ने पिछले एक हफ्ते में नौ प्रदेशों की राजधानियों पर कब्ज़ा कर लिया है। 

उधर काबुल में भारतीय दूतावास ने अफ़ग़ानिस्तान में सभी भारतीयों से आग्रह किया है कि बढ़ते संघर्ष के बीच व्यावसायिक उड़ानें बंद होने से पहले वे तत्काल वहाँ से निकलने की व्यवस्था कर लें. तालिबान के लड़ाके मज़ार-ए-शरीफ़ के बाहरी इलाक़ों में पहुँच गए हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगान नेताओं से अपनी मातृभूमि के लिए लड़ने की अपील की है। अफगानिस्तान से सेना की वापसी के फैसले को लेकर उन्होंने कहा है कि मुझे कोइ पछतावा नहीं है। हमने पिछले 20 सालों में हज़ारों अमेरिकी सैनिकों खोए हैं और एक ट्रिलियन से अधिक खर्च किया है। हम अफगानिस्तान सेना को हवाई सहायता के साथ ही उपकरण, खाना और पैसे दे रहे हैं।

प्रभावशाली अफगानों से मदद मांग रहे गनी
अफगानिस्तान सरकार ने पाकिस्तान पर तालिबान को सपोर्ट देने के लिए अमेरिका से दबाव बनाने की अपील की है। हालांकि पाकिस्तान तालिबान का समर्थन करने से इनकार करता रहा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी भी इस बात को समझ रहे हैं कि चीज़ें बहुत तेजी से हाथ से निकल रही हैं। यही कारण है कि वह अब पुराने प्रभावशाली अफगान लोगों से संपर्क कर मदद की अपील कर रहे हैं। गनी मजार-ए-शरीफ में भी स्थानीय नेताओं से मिलने वाले हैं। वह बुधवार सुबह ही यहां पहुंचे हैं।

बदख्शां प्रदेश का तालिबान के कब्जे में जाना अफगानिस्तान सरकार के लिए बड़ा झटका है। अफगान सरकार तालिबान के हमलों को रोकने में नाकाम हो रही है। हालिया दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान के करीब दो तिहाई से अधिक इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया है। हेरात और कंधार जैसे प्रमुख शहरों में तालिबान की लड़ाई अफगान सुरक्षा बलों से जारी है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कम से कम 12 प्रदेश की राजधानियों को सीधे तौर पर तालिबान से खतरा है।

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अश्लील डांस पर चलाये गए खबरों को लेकर पत्रकारों के ऊपर दर्ज मुकदमे के विरोध में सौंपा गया ज्ञापन

बस्ती, 11 अगस्त। अन्न महोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में आयोजकों द्वारा बार बालाओं को बुलाकर अश्लील डांस कराने से सम्बन्धित खबर प्रकाशित करने पर संतकबीरनगर के तीन पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने से नाराज पत्रकारों ने वेब मीडिया एसोसिएशन के बैनर तले मंडल अध्यक्ष महेन्द्र तिवारी के नेतृत्व में राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन डीएम के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा। 

सौंपे गये ज्ञापन में मामले की निष्पक्ष जांच कराने तथा दोषी पक्ष के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने, बगैर साक्ष्य या पड़ताल के पत्रकारों के खिलाफ मनगढ़न्त मुकदमे दर्ज कराये जाने पर रोक लगाये जाने, दोषी पुलिस अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने, संतकबीरनगर के धनघटा थाने में पत्रकारों पर दर्ज मनगढ़न्त मुकदमा वापस लिये जाने की मांग की गयी है। जिलाध्यक्ष सौरभ वी.पी. वर्मा ने कहा अन्यथा की स्थिति में पत्रकार आन्दोलन को आगे बढ़ाने को विवश होंगे। आपको बता दें संतकबीरनगर में धनघटा थाना क्षेत्र के बरगदवा गांव में भाजपा मंडल अध्यक्ष एवं कोटेदार ने भीड़ जुटाने के लिये बाल बालाओं को बुलाया था। 

कार्यक्रम के दौरान बार बालाओं ने अश्लील डांस किये, लोग फब्तियां कसते देखे गये। कुछ पत्रकारों ने पूरी निष्पक्षता और जिम्मेदारी से ये खबर प्रकाशित की जिससे भविष्य में ऐसे आयोजनों पर रोक लगे। लेकिन खबर से नाराज भाजपा नेता ने पुलिस को तहरीर देकर तीन पत्रकारों समेत 8 के खिलाफ धनघटा थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया। पुलिस ने बगैर किसी साक्ष्य या पड़ताल के आनन फानन में मुकदमा दर्ज कर लिया। तहरीर में लिखा गया कि अन्न महोत्सव का कार्यक्रम खत्म होने के बाद पत्रकारों ने कूटरचित बैनर लगाकर खुद बार बालाओं का डांस करवाया और वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। कितना हास्यास्पद है ये। 

इसी तरह सच को झूठ में बदलकर मीडिया को टारगेट किया जा रहा है। प्रदेश में नेताओं और पुलिस के गठजोड़ से ऐसे कृत्यों को अंजाम दिया जा रहा है जिससे सच्चाई जनता के सामने न आये और मनमानियां बखूबी जारी रहें। बगैर साक्ष्य के पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज किये जाने के लिये पुलिस को रोका जाना चाहिये। ज्ञापन सौंपते समय वेब मीडिया एसोसियेशन के संयोजक अशोक श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार संदीप गोयल, राजकुमार पाण्डेय, अरूणेश श्रीवास्तव, दिनेश कुमार पाण्डेय, दिलीप पाण्डेय, अनिल श्रीवास्तव, राकेश त्रिपाठी, राजेश पाण्डेय,हेमंत पाण्डेय, कपीश मिश्रा, बजरंग प्रसाद शुक्ल, राजप्रकाश आदि मौजूद रहे।

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बस्ती-तुगलकी फरमान वाले मोहल्ला पाठशाला में शिथिलता बरतने पर एक हजार शिक्षकों पर कार्यवाई

सौरभ वीपी वर्मा
बस्ती- बेसिक शिक्षा विभाग के  मोहल्ला पाठशाला में शिथिलता बरतने के आरोप में जनपद में 1 हजार से ज्यादा सहायक अध्यापकों , शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का वेतन रोक दिया गया है।

जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल के आदेश पर बीएसए जगदीश शुक्ल द्वारा मोहल्ला पाठशाला चलने वाले जगहों की  जांच की गई तो पाया गया कि मोहल्ला पाठशाला संचालित नही हो रहा था ।बीएसए की जांच में पाठशाला से गायब मिले 52 अध्यापकों पर भी कार्यवाही की गई है ।

नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने इस कार्यवाई का विरोध भी किया है ,शिक्षकों का कहना है जब हमारे पास भवन है ,बैठने की व्यवस्था है आदि सब कुछ है तो गांव गांव जाकर स्कूल चलाने का क्या मतलब है ।

शिक्षकों का कहना है कि गांव का कोई व्यक्ति मोहल्ला पाठशाला चलाने के लिए जगह देने के लिए भी तैयार नही रहता है ,लिहाजा बच्चों को बाग और खाली पड़े खुले आसमान के नीचे बैठाना पड़ता है। शिक्षकों की मांग है कि स्कूल खोल दिया जाए और बच्चों को वहीं बुलाया जाए। अन्यथा इस तरह के तुगलकी फरमान पर केवल अध्यापकों को समस्या का सामना करना पड़ेगा।

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मंगलवार, 10 अगस्त 2021

हवाई चप्पल पहनने वाले को हवाई जहाज में बैठाने का झूठा सपना दिखाने वाले दुर्लभ प्रधानमंत्री

सौरभ वीपी वर्मा
जरा विचार कीजिए कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्क्रिप्ट कौन लिखता है जिसमे झूठ के सिवा आज तक कुछ लिखा ही नहीं गया 7 दशक बाद हिंदुस्तान को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो अपने भाषणों के दम पर देश के अंतिम पंक्ति में खड़े हुए व्यक्ति की जेहन को हाईजैक कर लेता है ।

सोचिए... देश के प्रधानमंत्री चुनावी जनसभा में कहते हैं कि मैं चाहता हूं की हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई जहाज में बैठे । आप समीक्षा कीजिए , इस देश के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के पास जाइए , गांव में जाइए , किसानों के पास जाइए , गरीब लोगों के पास जाइए और देखिए की देश के लोगों के हालात क्या है ! 

यहां तो हवाई चप्पल किसानों के पैर में आ जाए तो वह अपना तरक्की मान रहा है हवाई जहाज में बैठने के सपने को तो वह गेहूं ,धान ,अरहर ,आलू प्याज पैदा करके और बेंच कर देख ही नही सकता है।

 उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रुपये का भुगतान चीनी मिलों ने दबाकर रखा है जो कड़ी मेहनत के बाद फसलों को तैयार कर बेचने के बाद भी नही पा रहे हैं।

और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास और तरक्की के नाम पर इस देश के 100 करोड़ से अधिक लोगों का खून इंजेक्शन से निकाल कर यह बता रहे हैं कि देश के किसान और बेरोजगार आर्थिक रूप से सम्पन्न हो रहे हैं।

सच तो यह है कि कारपोरेट घरानों के सहारे चल रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब भाजपा की सरकार नहीं है , यह मोदी की सरकार है , और मोदी की सरकार यानी कि उद्योगपतियों की सरकार , यानी कि पूजीपतियों की सरकार , यानी कि गरीबों , शोषित , वंचित ,किसानों बेरोजगारों के अधिकार को ठगने और लूटने वालों की सरकार है जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था के रास्ते इस देश के नागरिकों का शोषण जगह-जगह किया जा रहा है।

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सोमवार, 9 अगस्त 2021

हिरासत में यातना अब भी जारी, पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत : प्रधान न्यायाधीश

नई दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमण ने रविवार को कहा कि हिरासत में यातना और अन्य पुलिसिया अत्याचार देश में अब भी जारी हैं और यहां तक ​​कि ‘‘विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भी ‘थर्ड डिग्री' की प्रताड़ना से नहीं बख्शा जाता है.'' उन्होंने राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (नालसा) से देश में पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने को कहा. ‘न्याय तक पहुंच' कार्यक्रम को निरंतर चलने वाला मिशन बताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कानून के शासन द्वारा शासित समाज बनने के लिए ‘‘अत्यधिक विशेषाधिकार प्राप्त और सबसे कमजोर लोगों के बीच न्याय तक पहुंच के अंतर को पाटना'' जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि, एक संस्था के रूप में न्यायपालिका नागरिकों का विश्वास हासिल करना चाहती है, तो हमें सभी को आश्वस्त करना होगा कि हम उनके लिए मौजूद हैं. लंबे समय तक, कमजोर आबादी न्याय प्रणाली से बाहर रही है.''

न्यायमूर्ति रमण ने यहां विज्ञान भवन में कानूनी सेवा मोबाइल एप्लिकेशन और नालसा के दृष्टिकोण और ‘मिशन स्टेटमेंट' की शुरुआत के अवसर पर जोर दिया कि अतीत से भविष्य का निर्धारण नहीं करना चाहिए और सभी को समानता लाने के लिए काम करना चाहिए. मोबाइल ऐप गरीब और जरूरतमंद लोगों को कानूनी सहायता के लिए आवेदन करने और पीड़ितों को मुआवजे की मांग करने में मदद करेगा. नालसा का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण कानून, 1987 के तहत समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान की दिशा में लोक अदालतों का आयोजन करने के लिए किया गया था. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मानवाधिकारों और शारीरिक चोट, नुकसान का खतरा पुलिस थानों में सबसे ज्यादा है. हिरासत में यातना और अन्य पुलिस अत्याचार ऐसी समस्याएं हैं जो हमारे समाज में अब भी विद्यमान हैं. संवैधानिक घोषणाओं और गारंटियों के बावजूद, पुलिस थानों में प्रभावी कानूनी प्रतिनिधित्व का अभाव गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के लिए एक बड़ा नुकसान है.''

उन्होंने कहा, ‘‘इन शुरुआती घंटों में लिए गए फैसले बाद में आरोपी का खुद का बचाव करने की क्षमता को निर्धारित करेंगे. हाल की रिपोर्टों के अनुसार पता चला कि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भी ‘थर्ड-डिग्री' वाली प्रताड़ना से नहीं बख्शा जाता है.'' प्रधान न्यायाधीश नालसा के मुख्य संरक्षक भी हैं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी सहायता के संवैधानिक अधिकार और मुफ्त कानूनी सहायता सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी का प्रसार पुलिस की ज्यादतियों को रोकने के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक थाने, जेल में डिस्प्ले बोर्ड और होर्डिंग लगाना इस दिशा में एक कदम है.'' साथ ही कहा कि नालसा को देश में पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने वकीलों, विशेष रूप से वरिष्ठ वकीलों को कानूनी सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की मदद करने के लिए कहा और मीडिया से नालसा के ‘‘सेवा के संदेश को फैलाने की क्षमता'' का उपयोग करने का आग्रह किया.


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रविवार, 8 अगस्त 2021

बस्ती -निजी विद्यालय प्रबंधक समिति की बैठक में स्कूल को खोले जाने के लिए किया गया मांग

बस्ती -निजी विद्यालय प्रबंधक संघर्ष सेवा समिति की पूर्व निर्धारित बैठक यंग एजुकेशन पब्लिक स्कूल मुडिला में संपन्न  हुआ ।

बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह रघुवंशी ने वित्तविहीन शिक्षकों को आर्थिक सहायता देने की मांग की उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि निजी विद्यालय बंद होने के बाद से अध्यापकों एवं प्रबंधकों के जीवन यापन में काफी समस्या आ रही है उन्होंने कहा कि जितने भी विद्यालय बंद है उसमें कार्यरत सभी अध्यापकों को आर्थिक सहायता देना चाहिए ।

 इसी क्रम में प्रदेश प्रभारी दीपक कौल ने बंद पड़े स्कूलों को शीघ्र खोलने की मांग किया । प्रदेश संयोजक रामस्वरूप वर्मा ने कोरोनावायरस पैकेज शिक्षकों को देने की मांग की  । प्रदेश प्रवक्ता सुनील यादव ने सरकार से मांग किया कि शीघ्र ही स्कूल खोले जाएं  क्योंकि बच्चे मानसिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।

इसी क्रम में अनिल यादव, प्रदेश महासचिव रमेश चंद्र चौधरी , सुखदेव पाण्डेय ,ओपी सिंह आदि ने बैठक को संबोधित किया इस मौके पर

दिना नाथ वर्मा ,शीला यादव , अजीत कुमार चौधरी संजय कुमार प्रजापति ,मोहनलाल ,परमात्मा प्रसाद आदि मौजूद रहे।



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किसान बनकर खाद खरीदने दुकान पर पहुंच गए आईएएस अधिकारी ,पढ़िए फिर क्या हुआ

आपने राजाओं की कहानी में पढ़ा और सुना होगा कि राजा अपने राज्‍य में क्‍या चल रहा है इसको जानने के लिए भेष बदलकर जनता के बीच जाता है और वास्तिवक स्थिति का पता लगाता है। ये ही तरकीब आज भी ईमानदार अफसर अजमा रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक फोटो वायरल हो रही है जिसमें एक शहर के डीएम ने भेष बदलकर धोखाधड़ी कर रहे दुकानदारों को रंगे हाथों पकड़ा ।

ये फोटो तेलंगाना के विजयवाड़ा जिले के सब कलेक्‍टर जी सूर्या परवीन चंद का है। जिसमें वो दुकानदान से खाद खरीदते हुए नजर आ रहे है। उन्‍होंने किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी की जांच करने के लिए भेष बदला और दुकान पर खाद लेने के लिए पहुंच गए थे।
दुकानदार किसानों से कर रहे थे धोखाधड़ी

कईकल्‍लूर और मुनीपाली मंडल की खाद की दुकानों में वो क्‍या चल रहा है इसके लिए भेष बदलकर पहुंच गए। जहां सब कलेक्‍टर ने पाया कि दुकानदार डीएपी और यूरिया एमआरपी से ज्‍यादा बेच रहे थे। कई दुकानदार खाद का बिल भी ग्राहक को नहीं दे रहे थे। उन्‍होंने खाद की जमाखोरी करते हुए अपने गोदाम खाद से भर रखे थे

किसानों ने दर्ज करवाई थी शिकायत

सोशल मीडिया पर ये फोटो शेयर करने वाले शख्‍स ने लिखा आप देख सकते हैं कि जो शख्‍स खाद लेता दिख रहा है वो आईएएस अधिकारी परवीन चंद हैं। किसानों ने उसने दुकानदारों की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई थी जिसके बाद शुक्रवार को वो भेष बदलकर जांच करने पहुंच गए।

दाे दुकानदारों की सील की दुकान

दो दुकानदारों को धोखाधड़ी और हेराफेरी करते पकड़ा और तुरंत दुकान सील करवा दी। ये दुकानदार यूरिया जो 266 रुपये की बेचन चाहिए थी लेकिन ये उसका दाम 280 रुपये वसू रहे थे। ये दुकानदार ग्राहको का आधार डिटेल भी नहीं मांग रहे थे जबकि वो जरूरी है।

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शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

2022 विधानसभा चुनाव में आसान नहीं होगा यूपी में किसी दल के लिए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना

सौरभ वीपी वर्मा

भले ही भारतीय जनता पार्टी चुनावी सरगर्मी को देखते हुए   गरीबों के हित में योजनाओं को लाने की बात कर रही है लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में किसी दल के लिए पूर्ण बहुमत में आना आसान नही होगा ।

403 विधानसभा क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश में 2007 से नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2007 में बसपा से मायावती 2012 में सपा से अखिलेश यादव एवं 2017 में भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार में रही है । इधर भाजपा की तरफ से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन कहानी कुछ नई नही बन पाई है जिससे इन्हें पूर्ण बहुमत के सरकार में आने का मौका मिले। तीनों मुख्यमंत्री के कार्यकाल को देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ की सरकार से मायावती और अखिलेश यादव का कार्यकाल बेहतर था फिलहाल यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि कार्यों के मूल्यों के आधार पर 2022 में वोट मिलेगा या फिर ध्रुवीकरण होगा।

हालांकि जनता के नब्ज को टटोल कर देखा जाए तो जिस तरह से वोटरों ने 2012 में मायावती को पूर्ण बहुमत में मुख्यमंत्री रहने के बाद 80 एवं 2017 में अखिलेश यादव को पूर्ण बहुमत की सरकार में रहने के बाद 48 सीटों पर समेट दिया था ठीक उसी प्रकार 2022 के चुनाव में भाजपा भी पूर्ण बहुमत से काफी नीचे उतरती हुई दिखाई पड़ रही है।

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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

बस्ती- जर्जर पंचायत भवन के सहारे कैसे चलेगी ग्राम पंचायत की संसद ?

सौरभ वीपी वर्मा

गांधी जी ने जिस ग्रामीण भारत में ग्राम स्वराज के सपने को देखा था वह आजादी के 7 दशक बाद पूरा तो नहीं हो पाया लेकिन सरकार का अथक प्रयास है कि ग्राम पंचायत समग्र एवं समेकित विकास के क्षेत्र में परचम लहराए लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की निरंकुशता और जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते ग्राम पंचायत अपनी दुर्दशा पर रोने के लिए मजबूर हैं ।

 गांव के समग्र विकास के लिए ग्राम प्रधान तथा चयनित वार्ड सदस्य गांव के नागरिकों के साथ मिल बैठ कर गांव के विकास की रूपरेखा तैयार करते हैं ,कार्ययोजना बनाते हैं इसके लिए सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत भवन बनवाए हैं ताकि यहां खुली बैठकों का आयोजन हो सके और एक ही छत के नीचे ग्रामपंचायत के कई सारी सुविधाओं का लाभ गांव के नागरिकों को मिल सके लेकिन लाखों करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी आज तक मिनी सचिवालय और पंचायत भवन अपने उद्देश्य की तरफ नही बढ़ पाए।

इस वक्त में सरकार का जोर है कि ग्राम पंचायत में बने पंचायत भवन और मिनी सचिवालय को हाईटेक किया जाए , विकासखंड स्तर पर मिलने वाली सारी सुविधाओं का लाभ ग्राम पंचायत में मिले इसके लिए पंचायत भवन में नई तैनाती भी की जा रही है लेकिन सवाल इस बात का है क्या जर्जर पंचायत भवन के सहारे गांव की सरकार चल पाएगी?

सल्टौआ विकासखंड के अंतर्गत अमरौली शुमाली ,देईपार , करमहिया ,आमा , जगतापुर ,साड़ी कल्प समेत 17 से अधिक मिनी सचिवालय और ग्राम पंचायत ऐसे हैं जो एक दशक पहले बने थे ,पंचायत भवन और मिनी सचिवालय का रखरखाव ना होने की वजह से वर्तमान में स्थिति यह है कि अधिकांश भवन जर्जर हो गए हैं , उसके बाउंड्री वाल टूट गए हैं , फर्श टूट गए हैं  ,खिड़कियां उखड़ गई हैं , दरवाजे टूट गए हैं पाइपलाइन पानी व्यवस्था ध्वस्त हो गई है , बिजली व्यवस्था बाधित हो गई है इसके अलावा आवागमन की व्यवस्था भी नहीं है।

ये तस्वीर ब्लॉक के अमरौली शुमाली ग्राम पंचायत में बने मिनी सचिवालय का है जो देख रेख और रख रखाव के अभाव में जर्जर हो गया ,भवन जहां पूरी तरह से छतिग्रस्त हो गया है वहीं बाउंड्रीवाल भी टूट कर गिर गया है । अब देखना यह होगा कि इस जर्जर भवन को सुधारने पर काम होगा या फिर कागजों में गांव की संसद चलती रहेगी।


 

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मंगलवार, 3 अगस्त 2021

उत्तर प्रदेश में हुआ है साइबर क्राइम तो फौरन मिलाएं ये नंबर, तुरंत होगा समाधान

लखनऊ - उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह के फाइनेंशियल या साइबर फ्रॉड होने की स्थिति में 24 घंटे सहायता मिलेगी। ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सूबे में एनसीआरबी पोर्टल के तहत साइबर क्राइम हेल्पलाइन की स्‍थापना की गई है।राज्य के डीजीपी मुकुल गोयल ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हेल्पलाइन नंबर 155260 पर फोन कर के पीड़ित साइबर फ्रॉड, मोबाइल से जानकारी लेकर ठगी, बैंक खाते से रकम का निकलना जैसी समस्याओं की शिकायत कर तुरंत सहायता प्राप्त कर सकेंगे।

डीजीपी ने कहा कि पीड़ित को इस तरह की धोखाधड़ी हो जाने के बाद समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। ऐसा करने से उनका पैसा मिलने की संभावना ज्यादा रहती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस हेल्पलाइन नंबर पर 24 घंटे सहायता उपलब्‍ध रहेगी और पीड़ित किसी भी समय फोन कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि इस हेल्पलाइन के लिए उत्तर प्रदेश 112 के मुख्यालय में ही एक डेडिकेटेड कॉल सेंटर की स्‍थापना की गई है। यहां पर 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे और वे पीड़ितों की सहायता करेंगे। पीड़ित किसी भी तरह के फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं और मदद ले सकते हैं। 

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इन दिनों डिजिटल लेन देन संबंधी और फाइनेंशियल साइबर क्राइम काफी बढ़ गया है।इसी को देखते हुए एक डेडिकेटेड हेल्पलाइन शुरू की गई है जिससे लोग अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत तत्काल करवा सकें और ऐसे अपराधियों को पकड़ा जा सके। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि वे फोन पर किसी भी तरह की गोपनीय जानकारी किसी को न दें।अपने बैंक खाते, डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीसी नंबर, चैक बुक और पिन जैसी जानकारी किसी के भी मांगने पर न दें और सुरक्षित रहें।।

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सोमवार, 2 अगस्त 2021

बस्ती- बिजली का टूटा पोल दे रहा दुर्घटना का दावत , ग्रामीणों ने किया बदलवाने की मांग

बस्ती- जनपद के रुधौली स्थिति अठदमा पावर हाउस के मझौआ लाल सिंह गांव में डबल विद्युत पोल के टूटने की वजह से दुर्घटना की आशंका बन गई है । ग्राम पंचायत में सुनील चौधरी के डीह पर लगे बिजली के पोल में से एक पोल टूट कर अलग हो गया है जो कभी भी बड़े घटना का कारण बन सकता है ।

गांव के सुनील चौधरी, शिवसागर, राजकुमार, अवनीश, राजेश, बिजय, नन्दलाल, रामगोविन्द, भगवान प्रसाद, शिवपूजन, सतिराम, रमेश, अयोध्या, रामदास, हरिप्रसाद आदि लोगों ने बताया कि यह पोल पिछले एक साल से टूटा हुआ है जिसे बदलवाने के लिए शिकायत किया गया था लेकिन अभी तक पोल बदला नही गया है। ग्रामीणों ने मांग किया है कि गांव के टूटे पोल को बदलवाया जाए।

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योगी सरकार का फैसला, कोविड 19 के चलते लंबे समय से बंद पड़े स्कूल के खुलेंगे ताले

उत्तर प्रदेश में 50 फ़ीसदी उपस्थिति के साथ स्कूल खोलने का फैसला लिया गया है. यूपी के स्कूल भी कोविड-19 प्रोटोकोल के साथ 16 अगस्त से खुलेंगे. बता दें कि देश के कई राज्यों में दो अगस्त से स्कूल खोले जा चुके हैं. स्कूल खोलने को लेकर लोकभवन में सीएम योगी के साथ बैठक हो चुकी है. ढाई बजे से विभाग में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा बैठक लेंगे. 

उत्तर प्रदेश में सभी स्कूल कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ खोले जाएंगे. छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ साथ मास्क पहनना अन‍िवार्य किया जाएगा. यूपी में छात्रों को स्कूल आने के लिए उनके अभिभावकों की लिखित सहमति जरूर देनी होगी. बिना सहमति पत्र स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. 


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