सोमवार, 31 मई 2021

कोरोना के खौप ने एक परिवार को डराया ,पिता की मौत के बाद लाश को जेसीबी से उठाकर दफनाया

उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में कोविड-19 से पिता की मौत के बाद डरे हुए बेटों ने पिता के शव को कंधा न देकर जेसीबी से उठाकर ज़मीन में दफना दिया.मामला संतकबीर नगर के परसा शुक्ला गांव का है, यहां राम ललित नाम के एक किसान बीमार हो गए. इलाज के लिए उन्‍हें गोरखपुर ले जाया गया तो पता चला कि वे कोविड पॉजिटिव हैं. बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. हालांकि राम ललित के तीन जवान बेटे और कई पोते हैं, लेकिन उनके बेटों को लगा कि पिता के शव को कंधा देने से कहीं उनकी भी कोविड के कारण मौत न हो जाए. लिहाज वे किराए पर एक JCB मशीन लेकर आए, इसकी मदद से उन्होंने अपने खेत में एक गहरा गड्ढा खुदवाया. फिर यह मशीन अपने घर ले गए.

उनके घर का रास्ता थोड़ा संकरा है, इसलिए वहां जेसीबी मशीन जाने में मुश्किल हो रही थी, लेकिन उन्होंने ड्राइवर से कहा कि वह किसी तरह भी उनके घर तक आ जाए. तमाम मुश्किलों के बीच JCB मशीन घर पहुंची, बेटों ने JCB मशीन से ही अपने पिता के शव को चारपाई समेत उठवाया. बाद में पिता को जेसीबी से ही खेत ले जाया गया, वहां बेटों ने पहले से खुदे गड्ढे में पिता को डालकर जेसीबी से ही उस पर मिट्टी भरवा दी. इसके बाद बेटों और पोतों ने स्नान किया. तब उन्हें तसल्ली हुई कि अब वे कोविड से नहीं मरेंगे. उनके एक पोते ने बताया कि दादा का अंतिम संस्कार इस तरह इसलिए किया गया क्योंकि कोरोना में ऐसा ही हो रहा है.

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उत्तर प्रदेश में 1 जून से अनलॉक, क्या खुला, क्या बंद, किसे छूट...जानिए नई गाइडलाइंस

यूपी में कोरोना के मामलों में आ रही कमी के बाद एक जून से राहत देने का फैसला हुआ है। अभी प्रदेश के 75 में से 55 जिलों को कोरोना कर्फ्यू से छूट मिली है। इन जिलों में कोरोना के ऐक्टिव केस 600 से कम हैं। अब इन जिलों में कंटेनमेंट जोन के बाहर बाजार और दुकानें सुबह 7 से शाम 7 बजे तक खुल सकेंगी। वहीं 600 से ज्यादा केस वाले लखनऊ समेत 20 जिलों में पहले की तरह की आंशिक कोरोना कर्फ्यू जारी रहेगा। रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुआई में हुई टीम-9 की बैठक के बाद अनलॉक की गाइडलाइंस जारी कर दी गईं। आइए जानते हैं गाइडलाइंस की खास बातें...

600 से कम केस तो जिला अनलॉक
गाइडलाइंस के मुताबिक, पूरे प्रदेश में शनिवार और रविवार को कर्फ्यू यानी वीकेंड लॉकडाउन जारी रहेगा। जिन जिलों में ऐक्टिव मरीजों की संख्या 600 से कम होगी, वहां पाबंदियां अपने आप हट जाएंगी। वहीं मरीज 600 से ज्यादा होने पर कोरोना कर्फ्यू फिर से प्रभावी हो जाएगा। कोरोना कर्फ्यू में छूट के दौरान सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

इन 20 जिलों में रहेगी सख्ती
मेरठ, लखनऊ, सहारनपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, बरेली, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, झांसी, प्रयागराज, लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, जौनपुर, बागपत, मुरादाबाद, गाजीपुर, बिजनौर, देवरिया।

समारोहों में अधिकतम 25 लोग जुट सकेंगे
गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रदेश में शादी और अन्य आयोजनों में बंद या खुले स्थान पर एक समय में अधिकतम 25 लोग ही जुट सकेंगे। वहीं, शव-यात्रा में अधिकतम 20 लोगों के शामिल होने की इजाजत है। धार्मिक स्थलों पर एक बार में 5 लोगों को जाने की ही अनुमति होगी। कंटेनमेंट जोन में धार्मिक स्थल नहीं खुलेंगे। खाद, बीज, कृषि उत्पादों और संयंत्रों की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है।UP Unlock Guidelines:

इन गतिविधियों की दी गई रियायत

कार्यालय
कोरोना प्रबंधन से जुड़े फ्रंटलाइन सरकारी विभागों में पूर्ण उपस्थिति रहेगी
बाकी कार्यालय में अधिकतम 50% उपस्थिति और रोटेशन की व्यवस्था

निजी कंपनियों के कार्यालय कोविड प्रोटोकॉल के साथ खुलेंगे, वर्क फ्रॉम होम को प्रोत्साहित करना होगा
औद्योगिक संस्थान, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक कंपनियों के कार्यालय और वेयर हाउस खुलेंगे

बैंक, बीमा और अन्य वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियों की शाखाएं और कार्यालय खुलेंगे

परिवहन
ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा में चालक समेत तीन और चार पहिया वाहनों में केवल 4 लोग बैठ सकेंगे
रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और एयरपोर्ट पर कोविड प्रोटोकॉल के साथ एंटीजन जांच की सुविधा देनी होगी
दोपहिया वाहन सीट क्षमता के अनुसार चलाने की अनुमति होगी, मास्क, हेल्मेट पहनना अनिवार्य
परिवहन निगम की बसें सीट क्षमता के अनुसार प्रदेश के अंदर ही चलेंगी, स्टैंडिंग की अनुमति नहीं

खानपान
रेस्तरां से होम डिलिवरी की अनुमति, हाइवे और एक्सप्रेस-वे के किनारे ढाबे, ठेले, खोमचे खुलेंगे
अंडे, मांस, मछली की दुकानें पर्याप्त साफ-सफाई के साथ खुल सकेंगी, खुले में बिक्री नहीं होगी
सब्जी मंडिया खुल सकेंगी पर घनी आबादी की मंडियां खुले स्थान पर जिला प्रशासन खुलवाएगा
हर सब्जी मंडी में कोरोना हेल्प डेस्क खोली जाएगी
ये बंदिशें रहेंगी

कोचिंग, सिनेमा, स्विमिंग पूल, बार, शापिंग मॉल, स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई नहीं
माध्यमिक, उच्च शिक्षण संस्थाओं, कोचिंगों में ऑनलाइन पढ़ाई विभागीय आदेश के अनुरूप होगी
बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा के शिक्षक-कर्मचारी प्रशासनिक काम के लिए विद्यालय आ सकेंगे

कई और राज्यों में भी रियायतें
देश की राजधानी दिल्ली में भी सोमवार से अनलॉक का पहला चरण शुरू हो गया है। दिल्ली में फैक्ट्रियां और कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करने की अनुमति होगी। हरियाणा में 7 जून तक लॉकडाउन बढ़ाने के साथ शॉपिंग मॉल और दुकानें तय समय पर खोलने की छूट भी दी गई है। एमपी में 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। हालांकि, नाइट कर्फ्यू और संडे बंदी जारी रहेगा। हिमाचल में सुबह 9 से शाम 5 तक दुकानें खुलेंगी। ओडिशा में एक जून से ऑनलाइन क्लास शुरू होंगी। वहीं, कर्नाटक में 7 जून तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है।

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शनिवार, 29 मई 2021

यूपी- जहरीली शराब पीने से मरने वालों आकंड़ा पहुंचा 28,जिला आबकारी अधिकारी समेत 5 निलंबित

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा 28 पहुंच गई है।यही नहीं  इस जहरीली शराब से कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है।  इस मामले में अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है , डीएम ने घटना की मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। वहीं जिला आबकारी अधिकारी समेत पांच को निलंबित किया गया है।

तीन अलग-अलग इलाकों में सरकारी ठेकों से देसी शराब खरीदी गई थी। अलीगढ़ के एसएसपी ने अब तक 28 लोगों की मौत की पुष्टि की है। वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों की हालत अभी भी लगातार नाजुक बनी हुई है। करसुआ,अंडला, हैवतपुर,फतेहपुर,सुजापुर,छेरत गांव के साथ अब रायट गांव के पांच लागों की मौत हो गई है। वहीं शराब पीने से गंभीर हालत में 15 लोग जेएन मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।

इससे पहले अलीगढ़ के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विधान जयसवाल ने बताया कि थाना लोधा, खैर और जवां के कुछ गांवों में शराब के सेवन से 18 व्यक्तियों (सरकारी आंकड़ा) की मृत्यु हुई है। 12 लोगों की हालत नाजुक है और उनका इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले के निवासी मृतकों को मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत 5-5 लाख की आर्थिक सहायता राशि दिए जाने की कार्रवाई शासन-प्रशासन स्तर से की जा रही है।

अस्पताल में भर्ती कई लोगों की हालत गंभीर है। वहीं जिन लोगों का इलाज चल रहा है, उनमें से कई ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी है। जिला प्रशासन को गांव करसुआ और खैर कोतवाली क्षेत्र के गांव अंडला, नंदपुर पला, राइट, हेतपुर में जहरीली शराब के पीने से कई लोगों की मौत की सूचना पर मिली थी। प्रशासन ने बीमार लोगों को ऐंबुलेंस से जिला अस्पताल भिजवाया।

उधर, घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश पनप गया। ग्रामीणों ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के सामने विरोध जताया। इसी दौरान पता चला कि गांव के बाहर आईओसी बॉटलिंग प्लांट पर आए कंटेनरों के दो ड्राइवर लापता हैं। बाद में दोनों अपने कंटेनरों में बेहोश पड़े मिले। उन दोनों को भी तत्काल जिला अस्पताल भिजवाया गया।

जिला आबकारी अधिकारी समेत 5 निलंबित
घटना के बाद अपर मुख्य सचिव (आबकारी) संजय एस भूसरेड्डी ने अलीगढ़ के जिला आबकारी अधिकारी धीरज शर्मा, आबकारी निरीक्षक राजेश कुमार यादव, चंद्रप्रकाश यादव, प्रधान आबकारी आरक्षी अशोक कुमार और आरक्षी रामराज राना को निलंबित कर दिया है। तीनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।

डीएम चंद्रभूषण सिंह ने मामले में एडीएम प्रशासन को मैजिस्ट्रेटी जांच सौंप दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों पर एनएसए लगाने का आदेश देते हुए मामले में सख्त कार्रवाई की बात कही है।
                प्रतीकात्मक तस्वीर

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अंग्रेजी हुकूमत ने दिया था चौधरी चरण सिंह को गोली मारने का आदेश,पढ़िए किसान नेता का किस्सा

सौरभ वीपी वर्मा

देश में 183 दिनों से किसान आंदोलन चल रहा है और इस बात पर अभी तक बहस चल रही है कि कोरोना काल में भी इसके जारी रहने का क्या औचित्य है. जब भी देश में किसानों को लेकर कोई आवाज उठती है तो उसके आंदोलन का रूप लेने से पहले ही चौधरी चरण सिंह का नाम आता है । आज भारत के पांचवे प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 24 वीं पुण्यतिथि है आइए जानते हैं उनके बारे में विशेष बात ।

चौधरी चरण सिंह का जन्म  23 दिसंबर 1902 में मेरठ के  हापुड़ में नूरपुर गांव में जाट परिवार में हुआ था.चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। 

आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। 

आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी चरण सिंह गिरफतार हुए फिर अक्टूबर 1941 में मुक्त किये गये। सारे देश में इस समय असंतोष व्याप्त था। महात्मा गाँधी ने करो या मरो का आह्वान किया। अंग्रेजों भारत छोड़ों की आवाज सारे भारत में गूंजने लगी। 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति के माहौल में युवक चरण सिंह ने भूमिगत होकर गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मवाना, सरथना, बुलन्दशहर के गाँवों में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ कमिश्नरी में युवक चरण सिंह ने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रितानिया हुकूमत को बार-बार चुनौती दी इसी लिए मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था। एक तरफ पुलिस चरण सिंह की टोह लेती थी वहीं दूसरी तरफ युवक चरण सिंह जनता के बीच सभायें करके निकल जाता था। आखिरकार पुलिस ने एक दिन चरण सिंह को गिरफ्तार कर ही लिया। राजबन्दी के रूप में डेढ़ वर्ष की सजा हुई। जेल में ही चौधरी चरण सिंह की लिखित पुस्तक ‘‘शिष्टाचार‘‘, भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है।

वैसे तो चरण सिंह के राजनैतिक जीवन का जब जिक्र होता है तो आपात काल के बाद के समय का होता है, लेकिन वे बहुत पहले ही किसानों की आवाज बन चुके थे. देश की आजादी के पहले ही वे जमीदारों के किसान मजूदरों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाते रहे थे. वे किसानों कि समस्याएं सुन कर बहुत द्रवित हो जाया करते थे और कानून के ज्ञान का उपयोग वे किसानों की भलाई के करते दिखाई देते रहे थे.चौधरी चरण सिंह भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में संसद का सामना नहीं किया था. 

1951 में वे उत्तर प्रदेश कैबिनेट में न्याय एवं सूचना मंत्री बने. इसके बाद वे 1967 तक राज्य कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के तीन प्रमुख नेताओं में गिने जाते रहे. और भूमि सुधार कानूनों के लिए काम करते रहे. किसानों के लिए उन्होंने 1959 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में पंडित नेहरू तक का विरोध करने से गुरेज नहीं किया. इस समय तक ने उत्तर भारत के किसानों के आवाज बन चुके थे.

चौधरी चरण सिंह ने साल 1967 में कांग्रेस से खुद को अलग कर लिया और वे उत्तर प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. भारतीय लोकदल के नेता के तौर पर वे जनता गठबंधन से जुड़े जिसमें उनका दल सबसे बड़ा घटक था. लेकिन राजनैतिक जानकार बताते हैं कि 1974 से वे गठबंधन में अलग थलग हो गए थे और जयप्रकाश नारायण ने जब मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री चुना तो वे बहुत निराश हुए. उसके बाद चौधरी चरण सिंह का मोरारजी देसाई से मतभेद के चलते मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा  उसके बाद चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना संपूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।

कहा यह भी जाता है कि चौधरी चरण सिंह का कांग्रेस के समर्थन के साथ प्रधानमंत्री बनना उनकी छवि को धूमिल कर गया था, लेकिन ज्यादातर लोग यही मानते हैं चरणसिंह हमेशा ही अपने क्षेत्रों के लोकप्रिय नेता हमेशा ही बने रहे और उन्होंने अपनी वह जमीन कभी नहीं छोड़ी. यही वजह से कि उनके इस्तीफे के बाद भी वे 1987 तक लोकसभा में लोकदल का प्रतिनिधित्व करते रहे और किसानों के हक की आवाज बने रहे.इसी वर्ष उनका निधन हुआ था ।

ऐसे बहुत से किस्से हैं जो बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह का प्रभाव किसानों से लेकर राजनीति के ऊंचे स्तर तक रहा करता था. उनके प्रभाव की सबसे बड़ी मिसाल यही है कि उन्हें आज भी किसानों को मसीहा माना जाता है. अंग्रेजों से कर्ज माफी का बिल पास करवाना, किसानों के खेतों की नीलामी रुकवाना, गावों के विद्युतिकरण, भूमि कानून सुधारों के लिए संघर्ष जैसे कई काम किए. उन्होंने किसानों के खातिर पुरानी पार्टी छोड़ी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार तक बनाने के काम कर लिए, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कभी कमी नहीं आई.यही कारण है कि उनके निधन के 24 साल बाद भी वह किसानों के मसीहा के रूप में जाने जा रहे हैं।

चौधरी चरण सिंह की विरासत संभालने वाले उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह का इसी महीने निधन हो गया था अब उनके पौत्र यानी चौधरी अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी पार्टी को आगे ले जाएंगे ,वह राजनीति में काफी सक्रिय हैं और लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं।

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शुक्रवार, 28 मई 2021

यूपी-सरकारी दुकान से शराब खरीद कर पीने से 12 लोगों की मौत ,दोषियों पर NSA लगाने का आदेश

अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत का मामला सामने आया है. घटना अलीगढ़ जिले की है. घटना की जानकारी मिलते ही मृतकों के परिवारों में कोहराम मच गया. पुलिस ने प्राथमिक जांच में पाया कि मृतकों ने सरकार की ओर से अधिकृत दुकान से शराब खरीदी थी. पुलिस मामले की जांच कर रही है. आबकारी विभाग भी इस मामले में जांच करेगा.वहीं सरकार ने दोषियों पर NSA लगाने का आदेश दिया है।

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी ने बताया कि आज (शुक्रवार) सुबह पुलिस को सूचना मिली कि करसुवां गांव में IOCL के प्लांट के पास दो लोग मृत पाए गए. पुलिस फौरन मौके पर पहुंची तो पता चला कि शराब पीने से उनकी मौत हुई है. उसके बाद गांव में पता चला कि वहां भी तीन और लोगों की मौत हुई है. जांच में पता चला कि इन लोगों ने सरकारी ठेके से शराब खरीदी थी. वह शराब पीने से इन लोगों की मौत हो गई.

SSP के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया है, जो मामले की जांच कर रही है. शराब की दुकान के मालिक पर भी कार्रवाई की जा रही है. पुलिस पता लगा रही है कि दुकान मालिक को शराब की सप्लाई कहां से की गई. मृतकों के पास से बरामद शराब और दुकान से मिली शराब के नमूनों को ले लिया गया है और जांच के लिए लैब में भेजा है.


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गुरुवार, 27 मई 2021

बस्ती- कोरोना की जांच पॉजिटिव आने के तत्काल बाद उसे दवा की किट उपलब्ध कर दी जाए -मुख्यमंत्री

बस्ती -प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड कमाण्ड एवं कंट्रोल सेण्टर की व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए कोरोना संक्रमित लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। निरीक्षण के दौरान उन्होने डाक्टर द्वारा मरीजो को दी जाने वाली सलाह, होमआईसोलेशन में रह रहे मरीजो को दवा की उपलब्धता के बारे में अधिकारियों से जानकारी लिया। उन्होने पूछा कि आक्सीजन की कोई कमी तो नही कोविड कमाण्ड एंव कंट्रोल सेण्टर में पहुचने पर उन्होने वहा स्थापित टेलीफोन की ड्यिूटी कर रहे कर्मचारियों से आने वाली काल के संबंध में जानकारी प्राप्त किया। इसके बाद उन्होने वहाॅ तैनात डाॅक्टर से मरीजो के बारे में प्राप्त फीडबैक की जानकारी किया। उन्होने निर्देश दिया कि कोरोना की जाॅच पाजिटिव आने के तत्काल बाद उसे दवा की किट उपलब्ध कर दी जाए।

 यदि व्यक्ति होमआईसोलेशन में है, तो उसे थर्मामीटर तथा पल्सआक्सीमीटर की सुविधा उपलब्ध करायी जाय
 निरीक्षण के क्रम में उन्होने रैपिड रिस्पांस टीम द्वारा की जा रही कार्यवाही की जानकारी हासिल किया। उन्होने निर्देश दिया कि आरआरटी टीम द्वारा सैम्पलिंग एवं दवा वितरण में तेजी लायी जाए। जिन गाॅवों से अधिक बीमार व्यक्तियों की सूचना प्राप्त हो वहाॅ आरआरटी टीम प्राथमिकता पर भेजी जाए। 

उन्होने बेसिक शिक्षा अधिकारी जगदीश शुक्ल को  होमआईसोलेशन में रह रहे व्यक्तियों को दवा की उपलब्धता के बारे में जानकारी हासिल करते रहने का निर्देश दिया ताकि उन्हें समय से दवा उपलब्ध करा दी जाए। उन्होने ओपेक कैली अस्पताल के सीएमएस डाॅ0 सोमेश श्रीवास्तव से आक्सीजन की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त किया। एंबुलेन्स 108 के संचालन के संबंध में डाॅ0 रूपेश हलदार से जानकारी लिया। जिला विद्यालय निरीक्षक डीएस यादव से उन्होने कमाण्ड सेण्टर की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त किया
जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने कोविड कमाण्ड एवं कंट्रोल सेण्टर की व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिया। उन्होने बताया कि 04 लैण्डलाइन टेलीफोन के द्वारा मरीजो से जानकारी प्राप्त की जाती है। प्राप्त जानकारी के आधार पर उनकी समस्याओं का संबंधित अधिकारियों से निराकरण कराया जाता है। 24 घण्टे तैनात डाक्टर मरीजो को इलाज एवं बचाव संबंधी आवश्यक सुझाव देते है। उन्होने बताया कि कमाण्ड सेण्टर में टेलीविजन स्क्रीन पर कैली ओपेक अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की देख-भाल की मानीटरिंग की जाती है। 

मुख्यमंत्री ने इस विशेष प्रयास की सराहना किया  निरीक्षण के दौरान सांसद हरीश द्विवेदी, विधायक दयाराम चौधरी, मण्डलायुक्त अनिल कुमार सागर, पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव, सीडीओ डाॅ0 राजेश कुमार प्रजापति, सीएमओ डाॅ0 अनूप कुमार ,उपजिलाधिकारी भानपुर आनंद श्रीनेत समेत कई जिम्मेदार भी उपस्थित रहें ।

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बस्ती -कोरोना संकट में अनाथ बच्चों को शिक्षा में सहयोग करेगा सोशल क्लब ,मोबाइल नंबर जारी

सोमनाथ सोनकर

बस्ती -कोरोना संकट काल में अपने माता पिता को खो देने वाले अनाथ बच्चों को शिक्षा दिलाने हेतु  सोशल क्लब और एसआर मीडिया वर्क्स  ने पहल किया है। जनपद के ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनकी शिक्षा व्वयस्था, पाठ्य पुस्तक, फीस  आदि उपलब्ध कराने में दो वर्षो तक सहयोग किया जायेगा सोशल क्लब जिला संयोजक अनिल कुमार पाण्डेय एवं जिलाध्यक्ष ऋतुराज सिंह ने संयुक्त रूप से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि कोरोना संकट काल में अनेक परिवार बिखर गये, कुछ बच्चे तो अनाथ हो गये और उनके माता पिता को इस महामारी ने निगल लिया। सोशल क्लब और एसआर मीडिया वर्क्स ऐसे बच्चों की प्रशासन से सूची लेकर अनाथ बच्चों को दो वर्ष तक फीस, पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराया जायेगा जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित न होने पाये। बताया कि इच्छुक परिवारों के लोग या स्वंय अनाथ बच्चे मोबाइल नम्बर 8795294000, 9208798999 एवं 9984451000 पर सम्पर्क कर सकते हैं बताया कि यह निर्णय एक संयुक्त बैठक में लिया गया जिसमें क्लब संस्थापक उमेश कुमार श्रीवास्तव, संरक्षक सन्तोष सिंह, जे.पी. तिवारी, रामानन्द, अमर सोनी, दीपक गौड़, अखण्ड पाल आदि शामिल रहे।

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बुधवार, 26 मई 2021

उत्तर प्रदेश-गरीब कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर बने यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने दिया इस्तीफा

उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. हाल ही में EWS कोटे (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) के तहत सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी, जिसके बाद काफी विवाद हुआ था. 

जानकारी के मुताबिक, अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है. जिसे कुलपति सुरेंद्र दुबे ने मंजूर भी कर लिया है. अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुई थी.

सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्‍टेंट प्रोफेसर पद से इस्‍तीफा देने के बाद डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने प्रेस वार्ता कर इस बात की जानकारी मीडिया को दी। इस दौरान वह भावुक होकर बोले कि मेरे लिए मेरा परिवार सर्वोपरि है। मेरे चयन के चलते मेरे भाई पर अनर्गल आरोप लगातार लगाए जा रहे थे, इससे आहत होकर मैंने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति सुरेंद्र दुबे को असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा सौप दिया है।

         बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी

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मंगलवार, 25 मई 2021

तो क्या 26 मई को भारत में बंद हो जाएगा ,ट्वीटर फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी कंपनियां

नई दिल्ली : क्या भारत में दो दिन बाद फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम (Facebook Twitter Instagram) जैसी सोशल मीडिया कंपनियां काम करना बंद कर देंगी? ये सवाल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, इस साल 25 फरवरी को भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक्स एवं इनफारमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय (MEITY) ने सभी सोशल कंपनियों (Social Media Companies) को नए नियमों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया था. इनमें भारत में अपना ऑफिसर और कॉंटेक्स ऐड्रेस देना, कंपलायंस अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना जैसे नियम हैं. अभी तक केवल कू नाम की कंपनी को छोड़ कर किसी अन्य कंपनी ने इनमें से किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.

नई दिल्ली : क्या भारत में दो दिन बाद फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम (Facebook Twitter Instagram) जैसी सोशल मीडिया कंपनियां काम करना बंद कर देंगी? ये सवाल काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, इस साल 25 फरवरी को भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक्स एवं इनफारमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय (MEITY) ने सभी सोशल कंपनियों (Social Media Companies) को नए नियमों का पालन करने के लिए तीन महीने का समय दिया था. इनमें भारत में अपना ऑफिसर और कॉंटेक्स ऐड्रेस देना, कंपलायंस अधिकारी की नियुक्ति, शिकायत समाधान, आपत्तिजनक कंटेट की निगरानी, कंप्लायंस रिपोर्ट और आपत्तिजनक सामग्री को हटाना जैसे नियम हैं. अभी तक केवल कू नाम की कंपनी को छोड़ कर किसी अन्य कंपनी ने इनमें से किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.


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रविवार, 23 मई 2021

उत्तर प्रदेश में एक हप्ते के लिए फिर बढ़ाया गया आंशिक कोरोना कर्फ्यू

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने प्रदेश में पाबंदियों के साथ लॉकडाउन लगाने का फैसला किया था। पूर्व में कोरोना कर्फ्यू को 24 मई तक बढ़ाया गया था, जिसे अब 7 दिन और बढ़ाया गया है। इस दौरान वैक्सीनेशन, औद्योगिक गतिविधियों, मेडिकल सम्बन्धी कार्य आदि आवश्यक अनिवार्य जारी रहेंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार मे अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि 31 मई की सुबह 7 बजे तक आंशिक कोरोना कर्फ्यू बढ़ा दिया है। इस दौरान टीकाकरण, औद्योगिक गतिविधियों, चिकित्सा कार्य आदि जैसी आवश्यक सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रहेंगी।

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शनिवार, 22 मई 2021

3 शिक्षकों की मौत का आंकड़ा देने पर घिरी सरकार CM योगी का आदेश- बदली जाए गाइडलाइंस

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान शिक्षकों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. एक ओर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की ड्यूटी के दौरान अभी तक सिर्फ 3 शिक्षकों जान गंवाने की बात कही तो दूसरी तरफ शिक्षक संघ का कहना है कि हमारे 1600 से ज्यादा शिक्षकों की मौत हुई है. इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्टिव हो गए हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को निर्देश दिया है कि वो राज्य निर्वाचन आयोग से संवाद कर ऐसे हर कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहायता और नौकरी दिलाएं, जिनकी चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई. सीएम योगी ने कहा कि हर एक मौत दुखद है, राज्य सरकार की संवेदना हर नागरिक के साथ है. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनाव ड्यूटी करनेवाले जो भी व्यक्ति कोरोना के कारण दिवंगत हुए हैं, उन्हें चुनाव आयोग की गाइड लाइन में संशोधन कर मुआवजा व नौकरी दिए जाने का निर्देश दिया. सीएम योगी ने कहा कि चूंकि चुनाव आयोग की गाइडलाइन जब जारी हुई थी उस समय कोरोना नहीं था.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि इलेक्शन ड्यूटी के कारण जिन कर्मियों को संक्रमण हुआ और बाद में उनकी मौत हुई, उन सभी को नियमानुसार मुआवजा देने के संबंध में चुनाव आयोग से संवाद करें. आपको बता दें कि विपक्ष ने चुनाव ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत को मुद्दा बना दिया. इस वजह से सरकार हरकत में आ गई है ।



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शुक्रवार, 21 मई 2021

वो काली रात जिसने देश को कम से कम दो दशक पीछे ला दिया ,पढ़िए 30 साल पुरानी एक घटना

इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्ज़ेंडर ने अपनी किताब 'माई डेज़ विद इंदिरा गांधी' में लिखा है कि इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटों के भीतर उन्होंने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया और राजीव को लड़ते हुए देखा था..

21 मई, 1991 को शाम के आठ बजे थे. कांग्रेस की बुज़ुर्ग नेता मारगाथम चंद्रशेखर मद्रास के मीनाबक्कम हवाई अड्डे पर राजीव गांधी के आने का इंतज़ार कर रही थीं.
थोड़ी देर पहले जब राजीव गांधी विशाखापट्टनम से मद्रास के लिए तैयार हो रहे थे। तभी पायलट कैप्टन चंदोक ने पाया कि विमान की संचार व्यवस्था काम नहीं कर रही है.
राजीव मद्रास जाने का विचार त्याग गेस्ट हाउस के लिए रवाना हो गए. लेकिन तभी किंग्स एयरवेज़ के फ़लाइट इंजीनियर ने संचार व्यवस्था में आया नुख़्स ठीक कर दिया। विमान के क्रू ने तुरंत पुलिस वायरलेस से राजीव से संपर्क किया और राजीव मद्रास जाने के लिए वापस हवाई अड्डे पहुंच गए. दूसरे वाहन में चल रहे उनके पर्सनल सुरक्षा अधिकारी ओपी सागर अपने हथियार के साथ वहीं रह गए. मद्रास के लिए विमान ने साढ़े छह बजे उड़ान भरी।

राजीव खुद विमान चला रहे थे. जहाज ने ठीक आठ बज कर बीस मिनट पर मद्रास में लैंड किया. वो एक बुलेट प्रूफ़ कार में बैठ कर मार्गाथम, राममूर्ति और मूपानार के साथ श्रीपेरंबदूर के लिए रवाना हो गए। दस बज कर दस मिनट पर राजीव गाँधी श्रीपेरंबदूर पहुंचे. राममूर्ति सबसे पहले मंच पर पहुंचे. पुरुष समर्थकों से मिलने के बाद राजीव ने महिलाओं की तरफ़ रूख़ किया. तभी तीस साल की एक नाटी, काली और गठीली लड़की चंदन का एक हार ले कर राजीव गाँधी की तरफ बढ़ी। 

जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, कानों को बहरा कर देने वाला धमाका हुआ.
उस समय मंच पर राजीव के सम्मान में एक गीत गाया जा रहा था...राजीव का जीवन हमारा जीवन है...अगर वो जीवन इंदिरा गांधी के बेटे को समर्पित नहीं है... तो वो जीवन कहाँ का?

जब धुआँ छटा तो राजीव गाँधी की तलाश शुरू हुई. उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ था. उनका कपाल फट चुका था और उसमें से उनका मगज़ निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों पर गिरा हुआ था जो स्वयं अपनी अंतिम घड़ियाँ गिन रहे थे। 

बाद में जीके मूपनार ने एक जगह लिखा, "जैसे ही धमाका हुआ लोग दौड़ने लगे. मेरे सामने क्षत-विक्षत शव पड़े हुए थे. राजीव के सुरक्षा अधिकारी प्रदीप गुप्ता अभी ज़िंदा थे. उन्होंने मेरी तरफ़ देखा. कुछ बुदबुदाए और मेरे सामने ही दम तोड़ दिया। 

दस बज कर पच्चीस मिनट पर दिल्ली में राजीव के निवास 10, जनपथ पर सन्नाटा छाया था. राजीव के निजी सचिव विंसेंट जॉर्ज अपने चाणक्यपुरी वाले निवास की तरफ निकल चुके थे। जैसे ही वो घर में दाख़िल हुए, उन्हें फ़ोन की घंटी सुनाई दी. दूसरे छोर पर उनके एक परिचित ने बताया कि मद्रास में राजीव से जुड़ी बहुत दुखद घटना हुई है। जॉर्ज वापस 10 जनपथ भागे. तब तक सोनिया और प्रियंका भी अपने शयन कक्ष में जा चुके थे. तभी उनके पास भी ये पूछते हुए फ़ोन आया कि सब कुछ ठीक तो है. सोनिया ने इंटरकॉम पर जॉर्ज को तलब किया. जॉर्ज उस समय चेन्नई में पी. चिदंबरम की पत्नी नलिनी से बात कर रहे थे।

सोनिया ने कहा जब तक वो बात पूरी नहीं कर लेते वो लाइन को होल्ड करेंगीं.
नलिनी ने इस बात की पुष्टि की कि राजीव को निशाना बनाते हुए एक धमाका हुआ है लेकिन जॉर्ज सोनिया को ये ख़बर देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. दस बज कर पचास मिनट पर एक बार फिर टेलीफ़ोन की घंटी बजी। 'मैडम मद्रास में बम हमला हुआ है'
रशीद किदवई सोनिया की जीवनी में लिखते हैं, "फ़ोन मद्रास से था और इस बार फ़ोन करने वाला हर हालत में जॉर्ज या मैडम से बात करना चाहता था. उसने कहा कि वो ख़ुफ़िया विभाग से है. हैरान परेशान जॉर्ज ने पूछा राजीव कैसे हैं?

दूसरी तरफ से पाँच सेकंड तक शांति रही, लेकिन जॉर्ज को लगा कि ये समय कभी ख़त्म ही नहीं होगा. वो भर्राई हुई आवाज़ में चिल्लाए तुम बताते क्यों नहीं कि राजीव कैसे हैं? फ़ोन करने वाले ने कहा, सर वो अब इस दुनिया में नहीं हैं और इसके बाद लाइन डेड हो गई." जॉर्ज घर के अंदर की तरफ़ मैडम, मैडम चिल्लाते हुए भागे. सोनिया अपने नाइट गाउन में फ़ौरन बाहर आईं. उन्हें आभास हो गया कि कुछ अनहोनी हुई है.
आम तौर पर शांत रहने वाले जॉर्ज ने इस तरह की हरकत पहले कभी नहीं की थी. जॉर्ज ने काँपती हुई आवाज़ में कहा "मैडम मद्रास में एक बम हमला हुआ है." सोनिया ने उनकी आँखों में देखते हुए छूटते ही पूछा, "इज़ ही अलाइव?" जॉर्ज की चुप्पी ने सोनिया को सब कुछ बता दिया.

रशीद बताते हैं, "इसके बाद सोनिया पर बदहवासी का दौरा पड़ा और 10 जनपथ की दीवारों ने पहली बार सोनिया को चीख़ कर विलाप करते सुना। वो इतनी ज़ोर से रो रही थीं कि बाहर के गेस्ट रूम में धीरे-धीरे इकट्ठे हो रहे कांग्रेस के नेताओं को वो आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी. वहाँ सबसे पहले पहुंचने वालों में राज्यसभा सांसद मीम अफ़ज़ल थे. उन्होंने मुझे बताया कि सोनिया के रोने का स्वर बाहर सुनाई दे रहा था। उसी समय सोनिया को अस्थमा का ज़बरदस्त अटैक पड़ा और वो क़रीब-क़रीब बेहोश हो गईं. प्रियंका उनकी दवा ढ़ूँढ़ रही थीं लेकिन वो उन्हें नहीं मिली. वो सोनिया को दिलासा देने की कोशिश भी कर रही थीं लेकिन सोनिया पर उसका कोई असर नहीं पड़ रहा था."।

अचानक प्रियंका ने हालात को कंट्रोल में लिया. उन्होंने जार्ज की तरफ़ मुड़ कर पूछा, "इस समय मेरे पिता कहाँ हैं?"
जार्ज ने उन्हें जवाब दिया, "वो उन्हें मद्रास ला रहे हैं." प्रियंका ने कहा, "कृपया तुरंत मद्रास पहुंचने में हमारी मदद कीजिए."। इतने में राष्ट्रपति वैंकटरमण का फ़ोन आया. संवेदना व्यक्त करने के बाद उन्होंने पूछा, "क्या इस समय मद्रास जाना अक्लमंदी होगी?"
प्रियंका ने ज़ोर दे कर कहा कि हम इसी समय मद्रास जाना चाहेंगे।

भारत के पूर्व विदेश सचिन टीएन कौल उन्हें अपनी कार में बैठा कर हवाई अड्डे पहुंचे. मद्रास पहुंचने में उन्हें तीन घंटे लगे. पूरी उड़ान के दौरान किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा. सिर्फ़ सोनिया की सिसकियों की आवाज़े आती रहीं। जब वो मद्रास पहुंचे तो अभी वहाँ अंधेरा ही था. जैसे ही सोनिया ने वहाँ राजीव के पुराने दोस्त सुमन दुबे को वहां देखा, वो उनसे लिपट कर रोने लगीं. लेकिन वो शव को नहीं देख पाईं. वो देख भी नहीं सकती थीं। 

यहाँ पर पहली बार प्रियंका के आँसू निकल पड़े जब उन्हें एहसास हुआ कि अब वो अपने पिता को कभी नहीं देख पाएंगी.
सोनिया गाँधी की एक और जीवनीकार जेवियर मोरो अपनी किताब 'द रेड साड़ी' में लिखते हैं :- "तभी सोनिया ने एक ऐसा काम किया जिसे अगर राजीव जीवित होते तो बहुत पसंद करते. उन्होंने नोट किया कि प्रदीप गुप्ता के ताबूत पर कुछ भी नहीं रखा है. वो उठीं और उन्होंने मोगरे की एक माला उठा कर अपने हाथों से उसे उसके ऊपर रख दिया।

(एक किताब का अंश)

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गुरुवार, 20 मई 2021

चिंताजनक -10 मीटर तक हवा में फैल सकते हैं 'कोरोना एयरोसोल'- Covid-19 पर नई एडवाइजरी

नई दिल्ली : कोरोनावायरस के एयरोसोल्स हवा में 10 मीटर तक तैर सकते है. सरकार ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अपनी एक नई 'ईज़ी टू फॉलो' एडवाइजरी जारी की है, जिसमें यह बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि कोरोनावायरस के संक्रमण मुख्य तौर पर लार और नाक के जरिए होता है, जिसमें वायरस संक्रमित मरीज से ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल्स के जरिए दूसरों तक पहुंचता है. एक संक्रमित मरीज के लार या नाक से दो मीटर दूर तक ड्रॉपलेट्स गिरते हैं, लेकिन छोटे एयरोसोल के कण 10 मीटर तक हवा में फैल सकते हैं.

 केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन के कार्यालय की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया है कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए  फेस मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और जरूरी वेंटिलेशन अभी भी प्रभावी तरीके हैं. एडवाइजरी में कहा गया है, 'भारत में महामारी के मामले बढ़े हैं, ऐसे में हमें फिर से याद करना होगा कि SARS-CoV-2 के संक्रमण को रोकने के लिए आसान तरीके इन्हें कम करने में मदद कर सकते हैं.'

एडवाइजरी में और क्या कहा गया है- 

सतह से संक्रमण

एडवाइजरी में सतह से संक्रमण पर फिर जोर दिया गया है. इसमें बताया गया है कि एक संक्रमित मरीज के नाक या मुंह से निकले हुए ड्रॉपलेट्स आसपास की सतहों पर पहुंच जाते हैं. सतहों पर वायरस ज्यादा लंबे वक्त तक बचा रह सकता है. ऐसे में ज्यादा संपर्क में आने वाली सतहों, जैसे- दरवाजों के हैंडल, स्विचबोर्ड, मेज-कुर्सियां, फर्श वगैरह को डिस्इंफेक्ट करते रहना चाहिए.

मास्क पहनिए

एडवाइजरी में कहा गया है कि लोगों को अभी डबल मास्किंग करनी चाहिए या फिर N95 मास्क पहनना चाहिए. डबल मास्किंग के लिए एक सर्जिकल मास्क के साथ एक टाइट, अच्छी तरह से कवर करने वाला मास्क पहनिए. जिनके पास सर्जिकल मास्क नहीं है वो दो सूती के मास्क पहन सकते हैं.


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बुधवार, 19 मई 2021

इजराइल-फिलिस्तीन की जंग यरूशलम तक पहुंची तो तीसरे विश्वयुद्ध की दहलीज पर होगी दुनिया

शम्स ताहिर खान (आज तक)

इजराइल अगर जानबूझकर फिलिस्तीन से जंग चाहता है, तो इससे उसे क्या फायदा होगा? जानकारों की मानें तो इजराइल ने जब-जब फिलिस्तीन से जंग लड़ी तो उसे फायदा ही हुआ है. उसने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा किया और इस बार भी वो यही कोशिश कर रहा है. जानकार ये भी मानते हैं कि ये जंग गाजा या वेस्ट बैंक तक सीमित रही तो ठीक है. अगर ये मामला यरूशलम तक पहुंच गया तो ये दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की दहलीज पर खड़ी नजर आएगी.

1948 से पहले फिलिस्तीन का भूगोल कुछ और ही था. तब भी वहां कुछ यहूदी शरणार्थी रहते थे. मगर तब फिलिस्तीन पर सौ फीसदी फिलिस्तीनियों का कब्जा था और इजराइल का तब नामोनिशान नहीं था. 1948 में अंग्रेजों ने फिलिस्तीन के दो टुकड़े कर दिए. जमीन का 55 फ़ीसदी टुकड़ा फिलिस्तीन के हिस्स में आया और 45 फ़ीसदी इज़राइल के हिस्से में. इसी के बाद 14 मई 1948 को इज़राइल ने खुद को एक आज़ाद देश घोषित कर दिया. और इस तरह दुनिया में पहली बार एक यहूदी देश का जन्म हुआ.

मगर यरूशलम को लेकर लड़ाई अब भी जारी थी. क्योंकि इजराइल और फ़िलिस्तीन दोनों यरूशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे. फिर धार्मिक लिहाज़ से भी यरूशलम ना सिर्फ मुस्लिम और यहूदी बल्कि ईसायों के लिए भी बेहद ख़ास था. तब ऐसे में संयुक्त राष्ट्र बीच में आया और उसने एक तरह से फ़िलिस्तीन के एक और टुकड़ा अलग कर दिया. अब यरूशलम का आठ फ़ीसदी हिस्सा संयुक्त राष्ट्र के कंट्रोल में आ गया. जबकि 48 फ़ीसदी ज़मीन का टुकड़ा फिलिस्तीन और 44 फ़ीसदी टुकड़ा इजराल के हिस्से में रह गया. मगर ज़मीन की लड़ाई इसके बाद भी जारी रही.

1956, 1967, 1973, 1982 में इज़राइल फ़िलिस्तीन लड़ते रहे और इज़राइल लगातार फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करता रहा और फिर नौबत ये आ गई कि पहले 55 फ़ीसदी और फिर 48 फ़ीसदी से सिमटते हुए 22 फ़ीसदी और अब 12 फ़ीसदी ज़मीन के टुकड़े पर ही फ़िलिस्तीन सिमट कर रह गया है. जबकि अधिकारिक रूप से यरूशलम को छोड़ कर इज़राइल लगभग बाक़ी के 80 फ़ीसदी इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर चुका है. ले-देकर फ़िलिस्तीन के नाम पर अब दो ही इलाक़ा बचे हैं. एक गाजा और दूसरा वेस्ट बैंक. वेस्ट बैंक अमूमन शांत रहता है. जबकि गाजा गरम. क्योंकि गाजा पर एक तरह से हमास का कंट्रोल है और मौजूदा तनाव इसी गाजा और इज़राइल के बीच है. सारे रैकेट और बम इसी गाजा से इजराइल पर गिराए जा रहे हैं और इजराइल इसी गाजा पर बम बरसा रहा है.

इजराइल का समर्थन नहीं कर सकता भारत अब सवाल ये है कि इस वक्त भारत किसके साथ खड़ा है? तो जवाब ये है कि भारत ने अभी तक इस मसले पर अपना रुख ना तो रखा है और न ही साफ किया है. दरअसल, भारत के सामने दो मुश्किलें हैं. पहली इजराइल को खुश करने का मतलब अरब देशों से रिश्ते ख़राब करना जो भारत चाहता नहीं है. और दूसरा ये कि भारत फ़िलिस्तीनी ज़मीन पर इजराइल के कब्जे का समर्थन भी नहीं कर सकता. क्योंकि ऐसा करने से पाकिस्तान के कब्जे वाले पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के कब्जे वाले अक्साई चीन को वापस हासिल करने में अड़चनें आ सकती हैं. क्योंकि जब हम दूसरों के अवैध कब्जे को सही ठहराएंगे तो पाकिस्तान और चीन को पीओके और अक्साई चीन का मौक़ा मिल जाएगा. इसीलिए भारत की शुरू से ये नीति रही है कि उसने फ़िलिस्तीन पर इजराइल के कब्जे का हमेशा विरोध किया है. 

इजराइल और फिलिस्तीन पर भारत का स्टैंड हमेशा से साफ रहा है. 1948 के बाद से ही यरूशलम संयुक्त राष्ट्र के अधीन है. वहां ना तो इजराइल की सत्ता है और ना ही फिलिस्तीन की. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अचानक इजराइल ने यरूशलम को अपनी राजधानी बनाने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं उसने अमेरिकी दूतावास को तेलअवीव से यरूशलम शिफ्ट कर दिया था. इस घटना को लेकर हंगामा हुआ. संयुक्त राष्ट्र ने इस इजराइल के इस कदम की कड़ी निंदा की. इजराइल की निंदा करने वाले तमाम देशों में भारत भी शामिल था.

इसके अलाव भारत एक अकेले इजराइल को खुश करने के लिए अरब देशों की नाराज़गी भी मोल नहीं लेना चाहता. भारत का अरब देशों के साथ करीब 121 अरब डालर का व्यापार है. जो भारत के कुल विदेशी व्यापार का 19 फ़ीसदी है. तेल का सबसे ज्यादा आयात भी हम इन्हीं से करते हैं. इसके अलावा भारत के क़रीब एक करोड़ लोग अलग-अलग अरब देशों में नौकरियां करते हैं. वहीं, दूसरी तरफ इजराइल के साथ हमारा व्यापार सिर्फ पांच अरब डालर का है. इसलिए भारत फ़िलहाल इस मसले पर हर कदम फूंक कर उठा रहा है. 

यही हाल दुनिया के और भी बहुत से देशों का है. कुछ खुल कर इजराइल के साथ खड़े हैं तो कुछ फ़िलिस्तीन के. हालांकि दो गुटों में बंटे दुनिया के सभी देश चाहते हैं कि मसला शांति से सुलझ जाए और जंग की नौबत ना आए. रविवार को इस्लामिक देशों के संगठन आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन ने एक आपात बैठक कर इजराइल को चेतावनी दे डाली कि वो अल अक्साई मस्जिद पर क़ब्ज़ा की कोशिश करेगा तो नतीजे भयानक होंगे. ये मीटिंग सऊदी अरब ने बुलाई थी. हालांकि खुद सऊदी अरब ने अमेरिकी जेट फाइटर को अपनी ज़मीन दे रखी है. जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर अमेरिका इजराइल की मदद के लिए कर सकता है. इतना ही नहीं आर्गेनाइजन और इस्लामिक कोआपरेशन यानी ओआईसी के कई देशों में आपस में ही तनाव है. 

ईरान-सऊदी अरब में तनाव ईरान और सऊदी अरब मिडिल ईस्ट के दो ऐसे अहम देश हैं. जो इस पूरे रीजन की दशा और दिशा तय करते हैं और ये दोनों अहम देश एक दूसरे के दुश्मन भी हैं. दोनों पूरे मिडिल ईस्ट पर दबदबे के लिए पिछले कई सालों से कोशिशें कर रहे हैं. दोनों की दुश्मनी को एक अरसा बीत चुका है. इसी दुश्मनी का फायदा उठाते हैं अमेरिका, यूरोप और इज़राइल जैसे देश. इस रीजन में ईरान के साथ जहां इराक, सीरिया, लेबनन, यमन और तुर्की जैसे देश हैं. वहीं सऊदी के साथ बहरेन, यूएई और जार्डन जैसे देश हैं. मगर पिछले एक दशक में जिस तरह ईरान ने सीरिया की बशर अल असद सरकार को बचाया उससे साफ है कि रीजन में उसका दबदबा ज़्यादा है. 

वहीं सऊदी अभी यमन के हौथी समर्थकों से ही नहीं पार पा रहा है. और सालों से चल रही ये लड़ाई उसके लिए थकाने वाली और मंहगी साबित हुई है. इसकी एक वजह ये है कि सुरक्षा के मामले में सऊदी के हाथ खाली हैं. उसकी तमाम सुरक्षा अमेरिका के हाथों में हैं. इसीलिए ज़्यादातर मौकों पर चाहते ना चाहते हुए सऊदी को अमेरिका के ही साथ खड़ा होना पड़ता है. इज़राइल मसले पर भी अमेरिका की वजह से सऊदी अरब खुलकर नहीं बोल पा रहा है. जानकारों का तो यहां तक मानना है कि जिस फिलिस्तीन के मसले पर ईरान और सऊदी को साथ आना चाहिए, उस पर भी दोनों अलग-अलग साइड ले सकते हैं.

सीरिया का गृहयुद्ध मिडिल ईस्ट में आर्थिक तौर पर जो देश मज़बूत हैं और जिनका राजनयिक रुतबा ठीक है. वो जंग में सीधे भले ना शामिल हों मगर प्रॉक्सी वार का हिस्सा हमेशा बने रहते हैं. सीरिया के मसले में भी यही हो रहा है. अरब के दोनों मज़बूत देश पीछे से सीरिया की जंग में शामिल हैं. ईरान जहां सरकार के समर्थन में खड़ा है वहीं सऊदी अरब असद की सरकार पलटने के लिए वहां के विद्रोहियों और आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहा है. इसकी शुरुआत 10 साल पहले असद सरकार के खिलाफ हुए एक मामूली प्रदर्शन से हुई थी. मगर देखते देखते ये गृहयुद्ध में बदल गया. दुनिया के बड़े बड़े देश इस जंग में कूद पड़े. अमेरिका और रूस जैसे देश सीरिया की ज़मीन पर अपनी ताकत का मुज़ाहरा करने लगे. 


हालत ये हुई है कि 10 साल पहले सीरिया में फैली अशांति अभी तक जारी है. अब तक 3 लाख 80 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं. इनमें सबसे ज़्यादा मौत आईएसआईएस के दौर में हुई जिसे पीछे से सऊदी अरब या कहें कि अमेरिका का समर्थन हासिल था. मगर जिस सांप को अमेरिका ने खुद पाला था. जब उसने पलटकर उसे ही कांटना शुरु कर दिया तो दुनिया को दिखाने के लिए उसे मिलिट्री ऑपरेशन चलाना पड़ा. एक आंकड़े के मुताबिक अभी भी अमेरिका और यूरोपियन देश सीरिया के करीब 10 खतरनाक संगठनों की पैसों और हथियारों से मदद कर रहे हैं.

जानी दुश्मन हैं इजराइल और ईरान दुनिया की सबसे चतुर खुफिया एजेंसी. दुनिया के सबसे ताकतवर हथियारों से लैस और दुनिया की सबसे बेखौफ सेना होने का दावा करने वाले इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से भी जब पूछा जाता है कि आपके देश के लिए तीन सबसे बड़े खतरे कौन हैं? तो जानते हैं वो क्या कहते है. वो कहते हैं ईरान, ईरान और ईरान. आर्थिक, राजनैयिक और सामरिक तौर पर ईरान को पंगू बनाने की अमेरिका, यूरोपियन देशों और इज़राइल की तमाम कोशिशों के बाद भी अरब में अगर कोई मुल्क खड़ा है तो वो ईरान है. वरना इराक, लीबिया और ट्यूनिशिया की मिसालें आपके सामने हैं, जिसे इन देशों ने मिलकर तबाह कर दिया.

आज भी अगर इज़राइल और अमेरिका जैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों को मिडिल ईस्ट में कोई टक्कर दे सकता है. तो वो और कोई नहीं बल्कि ईरानी हुकूमत है. ईरान कई मौकों पर साफतौर पर कह चुका है कि जब तक वो है तब तक यरूशलम की अल-अक्सा मस्जिद को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता. मौजूदा विवाद में भी शिया बाहुल ईरान. सुन्नी बाहुल फिलिस्तीन के साथ ही खड़ा है. खुद हमास नेता इस्माइल हनीयेह ने उनके समर्थन के लिए ईरान का शुक्रिया अदा किया है. हनीयेह का कहना है कि इज़राइल के खिलाफ लड़ाई सिर्फ हमास की नहीं बल्कि पूरे इस्लामी दुनिया की है.  

इज़राइल को अपना अस्तित्व बचाने के लिए अगर सिर्फ ईरान से खतरा है तो उसकी तीन बड़ी वजह हैं. वो भी तीन तरफ से हैं. पहली वजह राजधानी तेल अवीव के पश्चिम में गाज़ा पट्टी पर मौजूद फिलिस्तीनी संगठन हमास. जिसके साथ ईरान शिया-सुन्नी का फर्क मिटाकर पूरी शिद्दत से खड़ा है. उसे ना सिर्फ पैसों से बल्कि जंग के सामान से भी लैस कर रहा है. आज हमास अगर इज़राइली सेना का मुकाबला कर पा रहा है तो उसकी बड़ी वजह ईरान है.

ईरान से इज़राइल के खौफ की दूसरी वजह है उत्तर दिशा में उसके पड़ोसी मुल्क लेबनान में मौजूद राजनीतिक संगठन हिजबुल्लाह. जिसके लीडर नसरुल्लाह के एक इशारे पर लाखों लेबनानी लोग इज़राइल पर टूटने के लिए आमादा रहते हैं. हिज़बुल्लाह अक्सर इज़ाइली सेना पर रॉकेट लॉन्चरों से हमला करता रहता है. इसे भी ईरान का समर्थन हासिल है और इसके लीडर नसरुल्लाह ईरानी सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामनेई को अपना लीडर मानते हैं.

इज़राइल के खौफ की तीसरी वजह है पूरब में मौजूद सीरिया. जहां के सरहदी इलाकों में ईरानी मिलिशिया की मौजूदगी है और जो हमेशा इज़राइल के लिए खतरा बनी रहती हैं. इज़राइल अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद सीरिया में ईरान की मौजूदगी को खत्म नहीं कर पा रहा है. मिडिल ईस्ट में अमेरिकी दबाव के बाद भी इज़राइल इस कोशिश में नाकाम रहा है.

ईरान की इस ताकत के पीछे उसकी अपनी कोशिशें तो हैं ही. साथ ही चीन और रूस जैसे देशों की दोस्ती ने भी उसे कई मौकों पर मदद की है. रूस और चीन की बात करें तो चीन खासकर मिडिल ईस्ट में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. पिछले कुछ सालों में उसने कई अरब देशों के साथ बिलियन डॉलर डील्स साइन की हैं. ईरान के साथ उसने 400 बिलियन डॉलर के समझौते किए हैं. मगर चीन अरब में ये सब कर क्यों रहा है, उसकी मंशा क्या है?

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से ही चीन मिडिल ईस्ट में एक्टिव हो गया था. मगर उस दौर में तेल और गैस की खोज होने के बाद अमेरिका यहां कूद पड़ा और तब से ही इस पूरे रीजन में अशांति का दौर शुरु होता है. जिन देशों ने अमेरिका की मनमानी को माना वो उसके दोस्त बन गए और जिन्होंने उसे नकारा दिया वहां गृहयुद्ध या किसी ना किसी और बहाने से अमेरिका ने या तो हमला कर दिया या वहां की सरकारों को सत्ता से बेदखल करवा दिया. आज भी मिडिल ईस्ट में अशांति की जो सबसे बड़ी वजह है, वो तेल ही है. जानकार मानते हैं कि एक बार जैसे जैसे इन देशों में तेल खत्म होना शुरु होगा यहां फिर से शांति की बहाली होना शुरु हो जाएगी.

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मंगलवार, 18 मई 2021

बस्ती- महिला ने लगाया छेड़खानी और मारने पीटने का आरोप ,9 लोगों पर केस दर्ज

सौरभ वीपी वर्मा-

बस्ती- जनपद के सोनहा थाना क्षेत्र के चंदोखा निवासी एक महिला ने घर में घुसकर मारने पीटने एवं अश्लीलता करने का आरोप लगाते हुए स्थानीय थाने पर तहरीर दिया है ,उसके बाद पुलिस ने 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

चँदोखा निवासी प्रीति सिंह ने तहरीर देकर आरोप लगाया कि उसी गांव निवासी अमित तिवारी, अरूण कुमार ,अरविन्द्र कुमार, परमानन्द , नीरज, आशू , सूरज ,सहदेव व मन्टू मिश्रा पुरानी रंजिस को लेकर मेरे दरवाजे पर लाठी डंडे से लैस होकर आ गए और मारने पीटने के लिए आतुर  हो गए ,महिला ने आरोप लगाया कि यह सब देखकर मैं अपनी बच्ची को लेकर घर में जा रही थी लेकिन लोगों ने घेर  गाली गलौज देते हुए हमारे परिवार जनों को मारा पीटा एवं महिलाओं और बच्चियों के साथ अश्लीलता व्यवहार किया। महिला ने आरोप लगाया कि इसकी वजह से पीड़िता प्रीति सिंह के अलावा ,गोलू सिंह ,गुड़िया, आशा , मुस्कान सुधीर ,रणधीर एवं विपिन सिंह को चोटें आई हैं।

पुलिस ने इस मामले अमित तिवारी, अरूण कुमार ,अरविन्द्र कुमार, परमानन्द , नीरज, आशू , सूरज ,सहदेव व मन्टू मिश्रा सहित 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
 

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कोरोना के दूसरे लहर में एक दिन में 50 डाक्टरों की मौत ,कुल 244 डॉक्टरों ने गंवाई जान

नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर आम आदमी ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों पर भी कहर बनकर गिरी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सोमवार को जानकारी दी है कि 24 घंटे में देश में 50 डॉक्टरों ने कोरोना के कारण जान गंवाई है. आईएमए का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 244 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है ।

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सोमवार, 17 मई 2021

यूपी: पंचायत चुनाव ड्यूटी में हुए कोविड संक्रमण से 1600 से ज़्यादा शिक्षकों-कर्मचारियों की जान गई

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के दौरान कोविड-19 संक्रमण से मरने वाले शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों और बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की संख्या 1,621 तक पहुंच गई है.

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा 16 मई की शाम जारी सूची में इसकी जानकारी दी गई है. इसके पहले संघ ने 28 अप्रैल को सूची जारी करते हुए कोरोना संक्रमण से 706 शिक्षकों कर्मचारियों की मौत होने की जानकारी दी थी.

संघ ने 16 मई को मुख्यमंत्री को यह सूची भेजते हुए चुनाव ड्यूटी में गुजरे हुए सभी शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों व कर्मचारियों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता, उनके परिजनों को नौकरी दिए जाने सहित आठ मांगें की हैं.

प्राथमिक शिक्षक संघ ने जो सूची जारी की है, उसके अनुसार प्रदेश के सभी 75 जिलों में 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है. इन सभी लोगों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी की थी.

इस सूची में जान गंवाने वाले शिक्षकों के नाम, उनके विद्यालय के नाम, पदनाम, ब्लॉक व जनपद का नाम, मृत्यु की तिथि और दिवंगत शिक्षक के परिजन का मोबाइल नंबर भी दिया गया है.

इस सूची के अनुसार सबसे अधिक आजमगढ़ जिले में 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है. गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 ,बस्ती में 21-कर्मचारियों की मौत हुई है.

प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है.

मुख्यमंत्री को भेजे गए इस पत्र में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा कि उसके द्वारा 12 अप्रैल, 22 अप्रैल, 28 अप्रैल और 29 अप्रैल को उत्तर प्रदेश शासन और राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर कोरोना महामारी को देखते हुए पंचायत चुनाव को स्थगित किए जाने की मांग की थी लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया. आखिर में संघ ने मतगणना बहिष्कार की घोषणा की लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मतगणना पर रोक लगाने से इनकार करने पर उसे मतगणना कार्य में हिस्सा लेना पड़ा. राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग ने कहा था कि मतगणना में कोविड से बचाव के गाइडलाइन का पालन किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसके कारण मतगणना में ड्यूटी करते हुए अनेक शिक्षक कोविड-19 से संक्रमित हुए और उनकी जान भी गई.

शिक्षक संघ ने कहा है कि राज्य सरकार ने वादा किया था कि मतदान व मतगणना में ड्यूटी नहीं करने वाले बीमार शिक्षकों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिला प्रशासन लगातार कार्यवाही कर रहा है.

संघ ने पत्र में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि कई जिलों में प्राथमिक शिक्षकों की ड्यूटी कोविड कंट्रोल रूम में लगा दी गई है, जिससे उनकी जान जोखिम में हैं और उनके संक्रमित होने का खतरा है.

संघ ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत पर बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा शोक संवदेना के दो शब्द तक नहीं कहे गए हैं.

संघ ने कहा कि कोरोना महामारी के पहली लहर में प्राथमिक शिक्षकों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 76 करोड़ रुपये दिए थे. राशन की दुकानों खड़े होकर गरीबों तक राशन पहुंचाया था और जब विद्यालय खुले तो अधिक संख्या में छात्र-छात्राओं का नामांकन कराया लेकिन इसके बदले सरकार ने शिक्षकों को बंद विद्यालयों में बैठने को मजबूर किया, उनसे ऑपरेशन कायाकल्प में ड्यूटी करवाई, पंचायत चुनाव में काम कराया किया और अब कोविड कंटोल रूम में ड्यूटी करा रही है.

शिक्षक संघ ने पत्र में मांग की है कि कोरोना महामारी के दौरान मृत हुए शिक्षकों के परिवार को एक करोड़ की आर्थिक सहायता देने, सभी मृत शिक्षकों के ऐसे आश्रितों को जो बीटीसी, बीएड, डीएलएड की योग्यता रखते हैं उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी से छूट देकर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति करने, जो आश्रित उक्त योग्यता नहीं रखते तथा इंटरमीडिएट अथवा स्नातक हैं, उन्हें लिपिक पद नियुक्ति दी जाए.

इसके अलावा एक अप्रैल 2005 से पूर्व लागू पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत पारिवारिक पेंशन देने, ऐसे सभी शिक्षक जो 60 वर्ष अथवा उससे कम आयु के थे, उनके परिवार को शासनादेश के अनुसार ग्रेच्युटी की धनराशि दी देने, सभी मृत शिक्षकों तथा कार्यरत शिक्षकों को कोरोना योद्धा घोषित किए जाने, कोरोना संक्रमण के कारण इलाज कराकर स्वस्थ हो चुके शिक्षकों के इलाज पर व्यय हुई धनराशि का भुगतान किए जाने की मांग की है.

साथ ही संघ ने कहा है कि मतदान व मतगणना से बीमारी के कारण अनुपस्थित रहे शिक्षकों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही न की जाए.


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रविवार, 16 मई 2021

24 घंटे के अंदर की जाए पत्रकार को पीटने वाले गुंडों की गिरफ्तारी,वेब मीडिया एसोसिएशन ने उठाई आवाज

बस्तीः यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में पत्रकार पर जानलेवा हमला होने का मामला सामने आया है। कोरोना की जमीनी हकीकत दिखाने पर पत्रकार को बेरहमी से पीटा गया है। वीडियो में पत्रकार की पिटाई के समय मौके पर कुछ पुलिसकर्मी भी चुपचाप तमाशा देखते नजर आए। पत्रकार ने एसडीएम डुमरियागंज त्रिभुवन प्रसाद पर पिटवाने का आरोप लगाया है। घटना सीएचसी बेवा पर कवरेज के दौरान हुई है।
 
सोशल मीडिया पर मारपीट का वीडियो वायरल होने से फजीहत होता देख पुलिस कप्तान ने अपना बयान जारी किया है जिसमे घटना को पत्रकारों के दो पक्षों का विवाद बताया है। कहा किसी पक्ष से तहरीर नही मिली है मिलने पर कार्यवाही की जायेगी।

 खबर है पीड़ित पत्रकार अमीन फारूकी को पुलिस ने घण्टों से बैठा रखा है। वेब मीडिया एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विश्वपति वर्मा (सौरभ वीपी वर्मा) ने मांग किया है कि मामले में 24 घण्टे के भीतर मुकदमा दर्ज कर पत्रकार को पीटने वाले गुण्डों की गिरफ्तारी की जाये, जिससे कोविड काल में प्रशासन और पत्रकारों के बीच समन्वय बना रहे और पत्रकार निर्भय होकर अपनी जिम्मेदारी निभाते रहें।

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बस्ती- घर के सामने से गायब मासूम बच्चे की मिली लाश ,बदले की भावना से महिला ने कराई हत्या

सौरभ वीपी वर्मा

 बस्ती -  जिले के सोनहा क्षेत्र के परसा खुर्द बुजुर्ग उर्फ दरियापुर जंगल के टोला उकड़हवा में शनिवार को घर के सामने से गायब ढाई साल के मासूम का शव गांव के निकट जंगल में मिला है। पुलिस ने यह बरामदगी आरोपी के निशानदेही पर रविवार की सुबह में की है।
पुलिस के अनुसार आरोपी युवक ने गांव की एक महिला के कहने पर मासूम की गला दबाकर हत्या कर दी।  एसपी, सीओ, डॉग स्क्वायड, स्वाट, एसओजी के साथ लोकल पुलिस ने घटना स्थल का दौरा करते हुए कार्रवाई में जुटी रही। 

 परसा खुर्द बुजुर्ग उर्फ दरियापुर जंगल टोला उकड़हवा निवासी जवाहिर चौहान का ढाई वर्षीय बेटा रितेश शनिवार सुबह करीब 10 बजे घर के सामने खेलते-खेलते गायब हो गया थ उसके बाद आसपास तलाश के बाद भी बच्चा नहीं मिला तो घर में कोहराम मच गया। सूचना पर सोनहा थाने के प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। साथ ही पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव, सीओ रुधौली धनंजय सिंह कुसवाहा, स्वॉट, एसओजी, सर्विलांस टीम के साथ डॉग स्क्वायड के साथ पहुंचे थे। 

हत्या में शामिल दो आरोपी गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक आशीष श्रीवास्तव ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस घटना में कुल दो लोग शामिल थे जिसमें संदीप पुत्र राजकुमार ने बच्चे को अगवा कर उसका गला दबाकर हत्या कर दी उसके बाद बच्चे के शव को खाजेपुर के जंगल मे छिपा दिया।

पार्वती ने करवाई हत्या 

इस घटना को अंजाम देने के लिए गांव की महिला पार्वती पत्नी नेबुलाल ने प्लान तैयार किया था , पार्वती का आरोपी संदीप के साथ अवैध संबंध थे और इसी का फायदा उठाकर उसने संदीप को उकसाया और बच्चे की हत्या करने की साजिश तैयार की।

बदले की भावना से की गई हत्या 

महिला आरोपी पार्वती ने इस घटना को बदले की भावना से अंजाम दिया है ,उसने पुलिस के सामने बताया कि उसका मृतक बच्चे के परिजनों से दो महीने पहले विवाद हुआ था उसी का बदला लेने के लिए उसने इस घटना को अंजाम दिया।

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सिद्धार्थनगर - भ्रष्टाचार के दलदल में डूबकर रह गया स्वच्छ भारत मिशन का अभियान

समीक्षात्मक रिपोर्ट:- 
राकेश कुमार चौधरी

सिद्धार्थनगर- जहां देश और प्रदेश की सरकारें स्वच्छ भारत मिशन को लेकर यह दावा करती हैं कि देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत संपूर्ण भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है वहीं धरातल की सच्चाई हकीकत  से कोसों दूर है।

सिद्धार्थनगर जनपद के मिठवल विकास खंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम रमवापुर तथा बनगवा में तकरीबन 225 से अधिक परिवार निवास करते हैं। जिसमे लगभग 2000 से अधिक लोगों की आबादी है। लेकिन यदि शौचालय की बात करें तो दोनों गांव में मात्र 60 परिवारों में ही शौचालय की व्यवस्था है।
जरा सोचिए कि इस ग्राम पंचायत के 70% से अधिक परिवार अभी भी स्वच्छ भारत मिशन से कोसों दूर है ,जो भी अन्य शौचालय सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया वह बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है जिसमे आज तक न तो दरवाजे लग पाए और न ही वह उपयोग लायक बन पाया।
 हमारे संवाददाता ने जमीनी स्तर पर पड़ताल किया तो पाया कि अधिकतर शौचालय जो सरकार के द्वारा बनवाया गया था वह ग्राम प्रधान और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। पड़ताल करने पर गांव के कई लोगों ने यह बताया कि कुछ शौचालय जो ग्राम प्रधान के द्वारा निर्माण कराया गया था उसमें अधिकतर जगहों पर या तो दरवाजा नहीं है या फिर सीट नहीं लगाई गई अथवा छत नहीं है या फिर बिना गड्ढे का शौचालय बना करके सिर्फ खानापूर्ति कर दिया गया। और सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए धन का बंदरबांट कर दिया गया।
इसी प्रकार जनपद के कई ग्राम पंचायतों में स्वच्छता के नाम पर भद्दा मजाक किया गया है जहां शौचालय के नाम पर लाभार्थियों को महज दस्तावेजों में खुले में शौच से मुक्त होने की बात कही गई है। हम आपको अगली कड़ी में दूसरे ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति के बारे में बताएंगे।

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मरने वालों के आंकड़े छुपा रही मोदी सरकार ,देश भर में प्रतिदिन हो रही है 50 हजार से अधिक मौतें !

सौरभ वीपी वर्मा

महामारी के इस दौर में देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जब अस्पतालों का दौरा करना चाहिए ,मेडिकल संसाधनों की व्यवस्था पर जानकारी लेना चाहिए तब ये दोनों अंडरग्राउंड हो गए हैं। अध्ययन किया जाए तो ये दोनों नेता किसी घातक कोबरा सांप से कम नही हैं जो मुसीबत की आहट सुनकर ही छुप जाते हैं और जब इंसान को डसना होता है तो फों-फों कर बाहर आ जाते हैं।

सरकारी आंकड़े में भले ही यह बताया जाए कि देश भर में महामारी के इस दौर से गुजरने वाले लोगों को मौत के मुंह में नहीं जाना पड़ रहा है लेकिन जब धरातल से जुटाई गई आंखों की सच्चाई पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि देश में 50 हजार लोगों की मौत प्रतिदिन हो रही है।

एक जानकारी के अनुसार बिहार के गया में कोरोना वायरस के चलते कफन के कारोबार में भारी उछाल आया है. इस व्यवसाय के तेजी से बढ़ने से ही इस बात की पुष्टि होती है कि देश भर में तेजी से होती मौतों के कारण ही कफन की डिमांड बढ़ गई है. अब बिहार में चादर और गमछे तैयार करने वाले बुनकर आजकल कफन बना रहे हैं. जहां फरवरी और मार्च के महीने में गया में 15-20 हजार कफन की हर दिन सप्लाई होती थी वहां अब बुनकर हर दिन लगभग 50 हजार कफन तैयार कर रहे हैं ।

अप्रैल के महीने से लेकर 10 मई तक के आंकड़े सामने आए हैं जहां गया के कफ़न कारोबारी प्रतिदिन 50 हजार कफ़न तैयार कर उसे बिकने के लिए बाजार में भेज रहे हैं। इसके अलावा हम मॉडल गुजरात की तरफ बढ़ चलें तो वहां एक रिपोर्ट में पता चला है कि अप्रैल से लेकर 10 मई तक लगभग डेढ़ लाख लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी हुआ है ।

आप जरा सोचिए और विचार कीजिए कि जो सरकार प्रतिदिन 3 से 4000 लोगों की मौत की बात कर रही है वह सरकार झूठ बोलकर आंकड़े नही छुपा रही है तो और क्या कर रही है ? इस देश में 50 हजार कफन केवल एक स्थान से बनकर  बिकने के लिए बाजार में जा रहे हैं जरा आप इस बात पर विचार कीजिए कि आखिर कफन लाशों को दफनाने के अलावा और किस काम में आता है ?  निश्चित तौर पर इस देश में प्रतिदिन 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो रही है लेकिन सरकार इन आंकड़ों को छुपा कर अपने तौर से अपने आप को बचाने में लगी है


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शनिवार, 15 मई 2021

बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस राज्य में हुआ संपूर्ण लॉकडाउन ,जरूरी सेवाओं की छूट

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ममता बनर्जी सरकार ने शनिवार को 16 से 30 मई पूरे राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया है. इस दौरान राज्य में आवागमन प्रतिबंधित रहेगा, सिर्फ जरूरी सेवाओं की अनुमति होगी. सभी दफ्तर व शैक्षणिक संस्थान भी बंद रहेंगे. राशन जैसे जरूरी सामानों की दुकाने सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक ही खुलेंगी, जबकि मिठाई की दुकानें सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक खुलेंगी. रविवार को यह दुकाने पूरी तरह से बंद रहेंगी. लॉकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल में पेट्रोल पंप खुले रहेंगे, बैंकों को सुबह 10 बजे लेकर दोपहर 2 बजे तक खोलने की अनुमति होगी. इस दौरान राज्य की सभी इंडस्ट्रीज बंद रहेंगी, चाय बागान में काम करने वाले कर्मियों को 50 फीसदी क्षमता के साथ ही काम करने की अनुमति होगी. 

पूरे राज्य में ऐसे किसी भी कार्यक्रम की मनाही रहेगी जिसमें भीड़ लगने की संभावना हो. दिशा निर्देशों के अनुसार किसी भी प्रकार के धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम करने पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा किसी भी तरह की सभा पर भी पाबंदियां रहेगी.   

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शुक्रवार, 14 मई 2021

बस्ती -बजाते रहो जिलाधिकारी के फोन की घंटी , नही आती हैलो की आवाज

सौरभ वीपी वर्मा

बस्ती- जिला अधिकारी बस्ती द्वारा सरकारी नंबर पर आने वाले फोन को ना उठाने की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गई है । नगर थाना क्षेत्र की नूरचक निवासी पवन कुमार ने शिकायत करते हुए कहा कि जिला अधिकारी के सीयूजी नंबर पर फोन लगाने पर कोई जवाब नहीं मिलता है कभी-कभी फोन लगाते रहने पर उनका चपरासी फोन उठाता है और कहता है कि डीएम साहब अभी व्यस्त हैं ।

उन्होंने कहा कि यह घोर लापरवाही है की जिम्मेदार अपने दायित्व का निर्वाहन करने की बजाय नागरिक को गुमराह करने का काम कर रहे हैं । उन्होंने आरोप लगाया एक आंख्या पर रिपोर्ट लगाने के लिए कानूनगो द्वारा ₹10000 का रिश्वत मांगा जा रहा है जिसकी शिकायत करने के लिए वह 12 दिनों से फोन लगा रहे हैं लेकिन जिलाधिकारी से उनकी बात नहीं हो पा रही है।


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गुरुवार, 13 मई 2021

गांव के जिस डॉक्टर को दी जाती है झोलाछाप की संज्ञा ,आज वही बचा रहा आम आदमी की जान

सौरभ वीपी वर्मा

कोविड-19 वैश्विक महामारी से जहां पूरा देश जूझ रहा है वही इन सब के बीच गैर डिग्रीधारी डॉक्टर मरीजों के लिए मसीहा बन रहे हैं। लेकिन  समाज का एक तथाकथित तबका इन डॉक्टरों को झोलाछाप की संज्ञा देता है जबकि  आज यह लोग असली समाजसेवी बनकर उभर रहे हैं।

अगर आज गांव के छोटे डॉक्टर ने होते तो स्थिति बद से बदतर होती ऐसा कोई गांव नहीं जहां सैकड़ों लोग बुखार तथा अन्य बीमारियों से ग्रस्त न हो।आज 21वीं सदी में शहर से लेकर गांव देहात में अधिकांश लोग गुरबत की जिंदगी जी रहे हैं। ऐसे में अगर एक गरीब आदमी शहर के डॉक्टर के पास मामूली सिर दर्द की दवाई लेने जाए तो पहले तो उसका नंबर नहीं आएगा , उसका नंबर भी आ गया तो करीब 400 से लेकर ₹600 रुपया एमडी डॉक्टर की फीस होती है वह उसे पेमेन्ट करनी होगी और उसके बाद दवाई की फीस अलग चुकानी होगी। 

सोचिए मामूली बुखार और सिर दर्द के लिए एक गरीब को हजार रुपया जुटाना होगा और आज स्थिति यह है कि एक घर में कई कई लोग बीमारियों से ग्रस्त हैं।

अगर सभी लोग गांव के डॉक्टरों को छोड़कर शहर की ओर रुख करें तो शहर में रैली जैसा माहौल होगा। सरकार को चाहिए ऐसे माहौल में जो लोग छोटे डॉक्टरों को झोलाछाप की श्रेणी देती है उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जाए ।

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बुधवार, 12 मई 2021

यूपी- सोचिए कितनी बदहाली है कि हजारों हजार की संख्या में इंसानों की लाश गंगा में तैर रही है

सौरभ वीपी वर्मा
इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने प्रदेश सरकार ने खुद ही कह दिया कि उसने कोविड-19 के टेस्ट को घटा दिया है , आप गहराई से विचार कीजिए  कि सरकार ने हाई कोर्ट के सामने यह बात क्यों कही?  इससे स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार कोविड-19 को रोकने में पूरी तरह से असफल है ,अस्पतालों में दवाओं और ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति नहीं हो पा रही है जिसकी वजह से प्रदेश भर में हजारों हजार की संख्या में लोगों की मौत हो रही है ,कोविड-19 के अलावा मामूली बीमारियों का इलाज अस्पतालों में नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण जिला अस्पताल से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बसने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी अब मौतें होने लगी हैं। और सरकार कोविड-19 टेस्ट को घटा कर यह संदेश दे रही है कि प्रदेश में संक्रमितों की संख्या घट रही है ।

जरा सोचिए नाकाम सरकार कितनी घटिया स्तर पर काम कर रही है जो नागरिकों के हित को दरकिनार कर अपनी सत्ता को बचाने के लिए नाना प्रकार के षड्यंत्र और सिस्टम तैयार कर जनता को मूर्ख बनाने का काम कर रही है ।

शायद आपको इस बात की चिंता नहीं होगी कि गंगा नदी में हजारों हजार की संख्या में लाश से बह रही हैं ,और वह इंसान की लाशें हैं और उन लाशों को चील कौवे खा रहे हैं, आप सोचिए कितनी बदहाली है कि इंसान के मरने के बाद उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी हुकूमत नही कर पा रही है।

वो लाशें किसी भी राज्य के निवासियों की हो लेकिन हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह लाशें भारत की हैं और भारत के किसी नागरिक की है जो दवाओं के अभाव में ,ऑक्सीजन के  अभाव में या फिर अस्पताल में संसाधनों की कमी की वजह से दम तोड़ चुके हैं ।

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मंगलवार, 11 मई 2021

बस्ती -गड्ढायुक्त सड़कों पर प्रसव के लिए अस्पताल जा रही महिला ने एम्बुलेंस में दिया बच्चे को जन्म

सोमनाथ सोनकर

बस्ती-  यह कोई तालाब पोखरा अथवा गड्ढा नहीं बल्कि, बोदवल बाजार से महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज रामपुर बस्ती को जाने वाला मार्ग है जहां प्रतिदिन हजारों गाड़ियों से लोग यात्रा करते हैं और इस गड्ढायुक्त सड़कों के चलते इस मार्ग पर आने जाने वाली गाड़ियों के आए दिन एक्सेल साकर और कमानी टूटते रहते है।

हालात ये है कि गूमानारी गांव से प्रसव के लिए अस्पताल जा रही गर्भवती महिला का बच्चा इसी जगह एंबुलेंस के जंपिंग में हो गया। मेढा मझारी के राम गोपाल चौधरी, राम निर्भय चौधरी, मनिकौरा खुर्द के अबरार अहमद ,जब्बार अहमद , राधा ,गुड़िया मझौआ के धर्मात्मा शुक्ला, असगर अली बांसगांव के लवकुश, हरि ओम, दुर्गा प्रसाद पांडे, सरवन कुमार पांडे , दिवाकर पाल परसा कुँह कुँह के मकरध्वज दूबे, अशोक कुमार दुबे, पवन कुमार दुबे, दिलीप कुमार, ध्रुव चंद्र द्विवेदी, संजय द्विवेदी, रूपेश कुमार सिरौती शत्रुघ्न मिश्रा, सत्यराम मिश्रा पिपरा के अवधेश चौधरी, गिरजेश चौधरी भिटहा के परमात्मा चौधरी हुसेमऊ के परमात्मा मौर्या, राम कुमार चौधरी बरडाड़ के मंगरु, राम स्वारथ बोदवल बाजार के अजय कसौधन , सन्तोष गुप्ता छपिया पाण्डेय शशिधर, सर्वेश्वर पाण्डेय, दिलीप कुमार पांडे ,रामकिशन पांडे आदि लोगों ने बताया की दो दर्जन गांव से संबंधित यह सड़क एक दशक से उपेक्षा की शिकार है। मरम्मत के नाम पर इस सड़क पर अभी तक मिट्टी भी नही पट पाई है।

 पकड़ी चन्दा के अरुण कुमार दुबे, श्याम जी प्रजापति शील सागर दूबे, शत्रुघ्न प्रसाद दुबे आदि व्यक्तियों ने इस सड़क की दुर्दशा पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब का दुर्भाग्य है ,कि सड़क तरह इस बदहाल है ।और कागजों में आरसीसी रोड बयां कर रही है।

सवाल यह भी है कि आखिर वह कौन शख्सियत है, कि जो सड़क का निर्माण भी नहीं कराया और उसका भुगतान कागजों में लगभग एक साल पहले ही हो गया।
 फिलहाल यह तो जांच का विषय है ।

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सोमवार, 10 मई 2021

चीनी लैब से निकला कोरोना वायरस ? एक दस्तावेज ने दुनिया में मचाया हड़कंप -रिपोर्ट

बीजिंग : चीन की लैब में कोरोना वायरस कोविड-19 को  विकसित किए जाने के तमाम दावों के बीच एक दस्तावेज ने दुनिया में हड़कंप मचा दिया है. कोरोना वायरस महामारी के दुनिया को हिलाकर रख देने के कई साल पहले 2015 में चीनी वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखित एक दस्तावेज सामने आया है. इसमें कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिक (Chinese Scientists) 2015 में कोरोना वायरस को हथियार की तरह इस्तेमाल करने पर चर्चा कर रहे थे.  कोविड-19 (COVID-19) महामारी सार्स कोव-2 (SARS-Co V-2) नाम के कोरोनावायरस के जरिये दिसंबर 2019 में उपजी थी

सार्स (SARS) कोरोना वायरस नए युग का जेनेटिक हथियार बन सकता है, जिसे कृत्रिम तरीके से नया रूप देकर मनुष्यों के लिए उभरते जानलेवा वायरस में तब्दील किया जा सकता है. वीकेंड ऑस्ट्रेलियन (Weekend Australian)  की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. 'अननेचुरल ओरिजन ऑफ सार्स एंड न्यू स्पेसीज ऑफ मैनमेड वायरेस' नाम की जेनेटिक बायोवेपंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों (biological weapons) के जरिये लड़ा जाएगा.  दस्तावेज में खुलासा किया है कि चीनी सेना के वैज्ञानिक सार्स कोरोना वायरस को हथियार की तरह इस्तेमाल करने पर चर्चा कर रहे थे.

यह रिपोर्ट news.com.au पर भी प्रकाशित हुई है. ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) के कार्यकारी निदेशक पीटर जेनिंग्स ने मीडिया समूह को बताया कि यह रिपोर्ट एक बड़ा सूत्र साबित हो सकती है, जिसको लेकर लंबे समय से संदेह जताया जा रहा है. जेनिंग्स ने कहा, यह बहुत महत्वपूर्ण है. यह स्पष्ट दिखाता है कि चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस ( coronavirus) के विभिन्न स्ट्रेन को सैन्य हथियार के तौर पर तब्दी करने और इसकी तैनाती को लेकर चर्चा कर रहे थे. 


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रविवार, 9 मई 2021

UP के 33 जिलों में 99 प्रधान प्रत्याशियों की हो चुकी है मौत, आज फिर से वोटिंग, 11 मई को परिणाम

कोरोना काल में पंचायत चुनाव कराया जाना कितना भारी पड़ा है, इसकी बानगी धीरे-धीरे देखने को मिल रही है. कई जिलों में मतदान कर्मियों की चुनाव के दौरान मौत की खबरें सामने तो आई थी, लेकिन अब राज्य निर्वाचन आयोग ने जो आंकड़ा जारी किया है वह चौंकाने वाला है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पंचायत चुनाव के दौरान प्रधान पद के 99 प्रत्याशियों की मौत हुई है. इन सभी 99 ग्राम पंचायतों में आज चुनाव कराया जाएगा.
मृतक प्रत्याशियों का जिलेवार विवरण

कुशीनगर - 11, एटा - 1, गोरखपुर - 1, ललितपुर - 1, भदोही - 3, बाराबंकी - 7,  फिरोजाबाद - 2, कौशांबी - 4,  मुजफ्फरनगर - 1, वाराणसी -1,  बहराइच - 7, औरैया - 3, जालौन - 2,  मिर्जापुर - 4,  बांदा - 4,  उन्नाव- 8,  बलिया - 6, सीतापुर - 1, अमेठी - 3,  हमीरपुर - 1,  संभल -2,  सिद्धार्थ नगर - 1, कानपुर देहात - 2, मऊ - 2, अंबेडकर नगर - 1, कासगंज - 2,  सोनभद्र - 5, बस्ती - 3,  बुलंदशहर - 4,  फर्रुखाबाद - 2,  मुरादाबाद - 3, अलीगढ़ - 2

बता दें कि जिन 99 ग्राम प्रधान प्रत्याशियों की मौत हुई है उनमें से कितने की मौत कोरोना के संक्रमण से हुई है ये स्पष्ट नहीं है. इन सभी 33 जिलों की 99 ग्राम पंचायतों में रविवार 9 मई को चुनाव कराया जा रहा है. 11 मई को सभी 99 सीटों के लिए वोटों की गिनती होगी.

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क्या 5 G नेटवर्क टेस्टिंग से फैल रहा कोरोना वायरस ? जानिए वायरल ऑडियो की सच्चाई

नई दिल्ली: देश में कोरोना की संक्रमण के मामले तेजी से फैल रहे हैं. लाखों करोड़ों लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं वहीं लाखों लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. ऐसे में लगातार हो रही मौतों के कारण सोशल मीडिया पर एक अफवाह को तेजी से फैलाया जा रहाहै. सोशल मीडिया पर एक ऑडिया मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारत में जितनी भी मौतें हो रही हैं वह कोरोना से नहीं बल्कि 5G नेटवर्क की टेस्टिंग से हो रही है. इस ऑडियों में बताया गया है कि 5G नेटवर्क टेस्टिंग की जानकारी सबको नहीं दी गई है. इसी कारण मौतें अचानक से हो रही हैं. 

बता दें कि इस ऑडियो की जांच करने पर पाया गया है कि यह एक फर्जी खबर है जिस कारण लोगों में अफवाह तेजी से फैल रहा है. इस ऑडियों के दावे को PIB फैक्ट चेक ने फेंक बताया है. PIB ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक ऑडियो मैसेज में दावा किया जा रहा है कि राज्यों में 5G नेटवर्क की टेस्टिंग की जा रही हैं, इस कारण लोगों की मृत्यु हो रही है और इसे कोविड 19 का नाम दिया जा रहा है. 

अपनी जांच में PIB फैक्ट चेक की टीम ने इस दावे को फेंक पाया है. साथ ही PIB ने लोगों से आग्रह किया है कि कोरोना काल में कृपया फर्जी मैसेज शेयर कर भ्रम न फैलाएं. बता दें कि इस ऑडियो में दो लोगों को बाते करते हुए सुना जा सकता है. जिसमें कोरोना से हो रही मौतों को 5G टेस्टिंग बताया जा रहा है. दरअसल यह खबर फेंक है

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शनिवार, 8 मई 2021

कुलदीप जायसवाल ने कैली अस्पताल में पहुंच कर स्वास्थ्य सुविधाओं का लिया जायजा ,लिखा पत्र

बस्ती - जनपद में कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए आम आदमी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष कुलदीप जायसवाल ने कैली के ओपेक अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया और वहां पर भर्ती मरीजों से मिलकर उनकी पीड़ा को मुख्यमंत्री पोर्टल पर जिले की व्यवस्था सुधारने को लेकर 5 बिंदुओं पर शिकायती पत्र भेजा । 

शिकायती पत्र में पूर्व जिला अध्यक्ष ने कहा कि " आम जनता मर रही है । लेकिन कैली प्राचार्य अपने अहम से बाहर नहीं आ रहे हैं मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है ऑक्सीजन, दवाओं और पर्याप्त इलाज के अभाव में मरीज तड़प - तड़प कर मर रहे हैं। मरीजों को बेहतर सुविधा के लिए भीख तक मांगनी पड़ रही है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन मरीजों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा है। जो प्राचार्य किसी मरीज के तीमारदारदार को थप्पड़ मार कर  यह कहे कि जहां ऑक्सीजन मिले वहां ले जाओ तो उसके मानसिकता का को क्या कहा जाए । ऐसे तमाम दुर्व्यवहार आम जनता के साथ कैली प्राचार्य का सामने आ चुका है अगर कैली प्राचार्य अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं तो तत्काल अपने पद से हट जाएं , जिससे मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था ठीक हो सके । निम्न बिंदुओं पर शिकायत की गई है ।

1- कैली हॉस्पिटल लगभग 500 बेड का है जिसमें 300 बेड का उपयोग अस्पताल कोरोना वार्ड के रूप में हो रहा है बाकी 200 बेड खाली हैं । खाली ओ.पी.डी .का उपयोग कर कोरोना मरीजों भर्ती लिया जाय । साथ ही साथ शहर के निजी अस्पतालों/ निजी स्कूलों को भी अस्पताल के रूप में कोरोना अस्पताल  बनाने का निर्णय लिया जाय।

2- कैली मेडिकल कॉलेज मे जो ऑक्सीजन पाइप लाइन से दिया जा रहा है उसकी स्थिति ठीक नहीं है जो मौतें हो रही हैं वहां भर्ती मरीजों के परिजनों की शिकायत है कि रात में ऑक्सीजन का फ्लो कम कर दिया जाता है जिससे आए दिन में रोज दहाई के आंकड़ों में मौतें हो रही हैं और ना ही ऑक्सीजन सिलेंडर समुचित मात्रा में मुहैया कराया गया है । शहर में तमाम जगह ब्लैक में भी सिलेंडर बेचा जा रहा है जिसका मनमाना कीमत लोगों से लिया जा रहा है।

3- जिले में कोरोना में जो दवा /इंजेक्शन रेमेडिसिवर आदि बाजार में मनमानी रेट पर दवा विक्रेताओं द्वारा बेचा जा रहा है मार्केट से कई जीवन रक्षक दवा जो कोविड- मरीजो को जरूरत पड़ती है मार्केट से गायब करके अनैतिक लाभ कमाया जा रहा है तमाम सर्जिकल उपकरण भी मनमाने रेट पर बेचा जा रहा है।

4- कैली मेडिकल कॉलेज में मरीजों का खाना एवं कोविड-19 मरीजों दैनिक प्रयोग किट प्रशासन से मुहैया कराया जाता है वह अस्पतालों में नहीं कराया जा रहा है तमाम कोविड-19 मरीज वहां की अव्यवस्था का शिकार हो होकर मर जा रहे है।

5- कैली मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की लापरवाही के कारण मेडिकल कॉलेज में जो अव्यवस्था आये दिन पनप रही है आम जन में आक्रोश व्याप्त है लापरवाही का मंजर यह है कि कोई इंजेक्शन बिना मर जा रहा तो कोई प्राचार्य साहब के आदेश - मेडिकल कॉलेज में पाइप लाइन से दी जा रही ऑक्सीजन को रोक - रोक चलाया जा रहा है और लोग इस आदेश के कारण मर रहे हैं । ऑक्सीजन की कमी प्राचार्य द्वारा बताकर घंटो - घंटो मरीजों को इंतजार करा कर बाहर ही मार दिया जा रहा है और भर्ती नहीं लिया जा रहा है । जबकि सरकार का सख्त आदेश है कि किसी मरीज को  भर्ती के लिए मना नहीं किया जाएगा ।

कुलदीप जायसवाल ने कहा कि उक्त विन्दुओं को संज्ञान में लेकर उच्चाधिकारियों को इस पर कार्यवाही शुरू करनी चाहिए अन्यथा स्थिति काफी भयावह होगी।

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शुक्रवार, 7 मई 2021

25 साल की महिला ने एक साथ नौ बच्चों को दिया जन्म

माली की 25 साल की महिला ने एक साथ नौ बच्चों को जन्म दिया है

हलिमा सिसे ने मोरक्को के एक अस्पताल में नौ बच्चों को जन्म दिया. माली की सरकार ने उन्हें ख़ास देखभाल के लिए मोरक्को भेजने का इंतज़ाम किया था।

साल 2009 में एक साथ आठ बच्चे पैदा करनी वाली अमेरिका में रहने वाली एक महिला के पास सबसे ज़्यादा बच्चे पैदा करने का गिनिज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड।

इससे पहले भी ऐसे दो मामले सामने आए थे. साल 1971 में ऑस्ट्रेलिया में एक महिला ने एक साथ नौ बच्चों को जन्म दिया था और 1999 में इंडोनेशिया में एक महिला ने भी नौ बच्चों को जन्म दिया था, लेकिन ये बच्चे कुछ दिनों तक ही ज़िंदा रह पाए थे. 

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देशभर में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के सर्वाधिक 4,14,188 नए केस 3,915 मरीजों की मौत

नई दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस के मामले हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहे है. कोरोना चलते हालात बेकाबू हैं. देशभर में पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस के अब तक के सर्वाधिक 4,14,188 नए केस आए सामने हैं. इसी के साथ पिछले 24 घंटे में कोरोना के चलते 3,915 मरीजों की मौत हो गई है.


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गुरुवार, 6 मई 2021

Fiji resident of Indian origin, Mr. Pratap Chandra sent financial support for the needy people

Basti ,up India

 Fiji resident of Indian origin, Shri Pratap Chandra has extended his hand to send necessary funds to the needy people by sending cash money to Saurabh VP Verma, resident of Basti district of Uttar Pradesh, in view of the growing Corona infection in India.

 Talking on WhatsApp, Mr. Pratap Chandra said that he has great love for India, so in such a situation when the whole country is vulnerable to Corona virus, then they are always ready to help.

 Please tell that the ancestor of Shri Pratap Chandra was a resident of Santkabiranagar (erstwhile Basti) district of the country about whom his son Shri Vinay Chandra came to India in the year 2019, but no concrete information was found, but during that time Saurabh  Since he met VP Verma, he has become like a family.

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जब कोरोना जैसी बीमारी का हवाला देकर सबको चुप कर दिया जाएगा ,और नागरिक खामोश रहेंगे

सौरभ वीपी वर्मा
जब देश में मेडिकल संसाधनों को मजबूत करने की जरूरत थी तब यहां मंदिर-मस्जिद की बहस पर करोड़ो रुपया महीना खर्च किया जा रहा था ,जब अस्पतालों की जरूरत थी तब सबसे बड़े स्टेच्यू का नाम पर महारथ हासिल किया जा रहा था ,जब डॉक्टरों और मेडकिल टीम की जरूरत थी तब यहां सांसद और विधायक खरीदे बेंचे जा रहे थे । किसी को इस भयावह स्थिति के बारे में नही पता था कि बढ़ती आबादी के बीच जब अस्पतालों और दवाओं की आवश्यकता पड़ेगी तब क्या होगा ।

आज देश के ग्रामीण इलाकों में स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मामूली बीमारी को देखने के लिए न तो डॉक्टर हैं न ही दवा जिसका परिणाम है कि कुछ छोटी हल्की बीमारियों की दवा न मिलने के कारण वह गंभीर हालत में पहुंच जा रहे हैं और चिकित्सा सेवाओं के न मिलने के चलते वह अपनी जान गंवा दे रहे हैं।

आखिर किसकी गलती है कि आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में उसके नागरिकों को बचाने के लिए मूलभूत आवश्यकताओं का नितांत अभाव हो गया है ? आखिर क्या कारण है कि देश के नेताओं ने देश की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आज तक कोई ठोस कदम उठाने का प्रयास नही किया ? निश्चित तौर पर आप जान लीजिए कि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो इस देश के 139 करोड़ की आबादी में से महज 2 -4 करोड़ लोगों को संतोषजनक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी और बचे लोगों को इसकी जरूरत पड़ने पर उन्हें न तो अस्पताल मिल पाएंगे और न ही दवा ,बस कोरोना जैसी बीमारी का हवाला देकर सबको चुप कर दिया जाएगा।

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बुधवार, 5 मई 2021

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी- 'अस्पतालों को ऑक्सीजन न देना अपराध, ये नरसंहार से कम नहीं'

लखनऊ : देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर में ऑक्सीजन (Oxygen Shortage) का संकट बरकरार है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अस्पतालों को ऑक्सीजन न देना एक अपराध है, जो नरसंहार से कम नहीं है. इसके दोषी वे हैं, जो इसकी सप्लाई के लिए जिम्मेदार हैं. हाईकोर्ट ने COVID-19 पर चल रही एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी पोर्टल पर अस्पतालों में कोविड के बेड उपलब्ध दिखाए जा रहे हैं, जबकि अस्पतालों को फोन करने पर वे कहते हैं कि बेड नहीं हैं.

हाईकोर्ट के कहने पर एक वकील ने अदालत के सामने फोन कर यह जजों को सुनाया भी. अदालत ने कहा कि उन्हें पता चला है कि पंचायत चुनाव की काउंटिंग में कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है. अदालत ने इसकी जांच करने के लिए सरकार से पंचायत चुनाव केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज मांगी है. अदालत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि पंचायत चुनाव की काउंटिंग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाया जाएगा

हाईकोर्ट ने कहा कि उसने पिछली सुनवाई पर चुनाव आयोग से चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की कोविड से हुई मौतों पर जवाब मांगा था लेकिन चुनाव आयोग का जोर इन मौतों की तस्दीक करने के बजाय खबर को गलत साबित करने पर ज्यादा है. अदालत ने जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना से हुई मौत पर जांच बिठा दी है. अदालत ने कहा कि हमें पता चला कि न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की लखनऊ के आरएमएल अस्पताल में देखभाल नहीं हुई. हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया, जहां बाद में उनका निधन हो गया.

अदालत ने सरकार से कहा कि कोविड की दवाएं और ऑक्सीजन वगैरह, जो पुलिस जब्त कर रही है, उन्हें मालखानों में रखने के बजाय फौरन लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाए. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसकी लखनऊ बेंच के वकीलों को कोरोना का टीका लगाने के लिए कोई अलग से इंतजाम किया जा सकता है.


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मंगलवार, 4 मई 2021

बस्ती -इलाज के नाम पर ओपेक चिकित्सालय कैली में तीमारदारों को मिल रही लाठियां

बस्ती। जनपद में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। जिला ओपेक चिकित्सालय कैली मेडिकल कालेज में मरीजों को भर्ती करने में लोगों का पसीना छूट रहा है। न सत्ता में पकड़ काम आ रही है और न ही मरीजों की गंभीरता कोई मायने रखती है। सब राम भरोसे है, कोई मरे या जिये, व्यवस्था में सुधार करने को जिम्मेदार कतई तैयार नही हैं।

कभी भाजपा नेता व्यवस्था के चाक चौबंद होने का दावा करते हैं, कभी अस्पताल का प्रबंध तंत्र तो कभी जिले के प्रशासनिक अधिकारी। लेकिन दावों में कितना दम है यह देखना हो तो कैली अस्पताल चले जाइये। आपको पता चल जायेगा कि आम जन के जीने मरने का इन जिम्मेदारों पर कितना फर्क पड़ता है। सोमवार रात करीब 11 बजे फोन करके वरिष्ठ पत्रकार संजय द्विवेदी ने जो हकीकत बयां किया वह सरकारी दावों की पोल खोलने के लिये काफी है। संजय शिक्षक होने के साथ साथ अच्छे समाजसेवी और कलमकार हैं। सत्ता में भी उनकी अच्छी पहचान और पकड़ है। 

हैरानी की बात ये है कि उन्हे कोविड पॉजिटिव अपनी चाची और उनके बेटे को कैली अस्पताल में एडमिट कराने के लिये लोहे का चना चबाना पड़ा। शाम 6 बजे से 11 बजे तक शासन प्रशासन, सांसद, मेडिकल कालेज के प्रिंसिपिल, जिलाधिकारी सहित अनेक रसूखदारों को फोन करते रहे लेकिन अपने मरीज को बेड और आक्सीजन नही दिला सके। हां इतना जरूर हुआ कि अस्पताल में तैनात फोर्स ने मरीजों और तीमारदारों पर दो बार पीटा और कैम्पस से बाहर खदेड़ दिया। अस्पताल में मौजूद संजय द्विवेदी के बड़े भाई ने भी उपरोक्त हालातों की पुष्टि की। सवाल ये है कि खास आदमी के साथ ऐसा हो रहा है तो आम आदमी की जगह कहां है उसे खुद समझ लेना चाहिये।

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जिला पंचायत बस्ती से सभी ब्लाकों के निर्वाचित उम्मीदवारों की अधिकृत सूची

जिला पंचायत बस्ती स्व निर्वाचित उम्मीदवार

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