विश्वपति वर्मा(सौरभ)
हमे कोरोना वायरस को पूरी तरह से इनकार कर ही देना चाहिए क्योंकि ऐसा नही लगता कि कोरोना वायरस ने भारत मे कोई कहर बरपाया है ।सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में 1 लाख 31 हजार लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है जबकि आंकड़े बताते हैं कि इससे ज्यादा मौतें तो हर साल टीबी, कैंसर ,लकवा आदि बीमारी की वजह से हो जाती है वहीं गौर करने वाली बात यह है कि जिन लोगों की मौत कोविड-19 के कारण होने से बताई गई है उन लोगों में पहले से कोई न कोई गंभीर बीमारी रहा है।
9 महीने का समय बीतने को है इस दौरान देश की सरकार ने कई लाख करोड़ रुपया वायरस नियंत्रण करने के लिए बहाया ,लाखों लोगों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया ,हजारों करोड़ रुपया जुर्माना वसूला गया, शादी-निकाह का कार्यक्रम स्थगित होने से टेंट ,लाइट, डेकोरेशन, भोजन ,कैमरा ,शादी कार्ड ,गाड़ी मालिक ,दर्जी ,नाऊ ,पंडित समेत इससे जुड़े दर्जनों लोगों के हिसाब से करोड़ो लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा वहीं किसानों के खेत में तैयार हरी-भरी सब्जियां सड़ कर खत्म हो गईं लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस उपाय नही तैयार किया गया।
लाखों लोगों की नौकरियां चली गई , बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई ,अरबो रूपये की दवा की वैधता खत्म हो गई ,निम्न स्तर के परिवारों को बद से बदतर जीवन यापन करना पड़ा , सामाजिक कार्यक्रमों पर पाबंदी हो गया ,धार्मिक आयोजन बंद हो गए लेकिन इन सब के बीच मे देश और राज्य की सरकारों ने अपने चुनावी प्रक्रिया में कोई प्रभाव नही पड़ने दिया ।
जब देश लॉकडाउन की स्थिति में चल रहा था तब गुजरात मे नेताओं को सदन भेजने का काम किया गया, जब देश में कोरोना वायरस का कहर बताया जा रहा था तब भाजपा का चुनावी रैली चल रहा था ,जब कोरोना से बचने का उपाय बताया जा रहा था तब बिहार चुनाव का सरगर्मी तेज हो चुका था ,जब तालाबंदी चल रहा है था तब राममंदिर निर्माण का शिलान्यास रखा जा रहा था ।
इस लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि कोरोना वायरस के नाम पर देश के लोगों को डराया गया, जिस तरह से भारत में कोरोना को भयावह बताया गया उस तरह भारत में कोरोना का कोई भी खतरा नही था यहां तो सत्ताधारियों को जनता को छलने को शानदार मौका मिल गया जहां कोरोना वायरस का कहर बता कर अच्छा खासा दौलत जमा कर लिया गया और लोगों को मरने के लिए उनके उसी हालत में छोड़ दिया गया।