सोमवार, 30 नवंबर 2020

अगर चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले तो हो सकता है रद्द, PIL दायर

उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में ‘नोटा’ को सबसे अधिक मत मिलते हैं तो उस क्षेत्र के परिणाम रद्द कर दिए जाएं और नए सिरे से चुनाव कराए जाएं. यह याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर की गयी है. याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि रद्द हुए चुनाव के उम्मीदवारों को नए चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाए.


वकील अश्विनी कुमार दुबे के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि न्यायालय यह घोषणा कर सकता है कि यदि ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं, तो उस निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को रद्द कर दिया जाएगा और छह महीने के भीतर नये सिरे से चुनाव कराए जाएं. इसके अलावा रद्द चुनाव के उम्मीदवारों को नए चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि कई बार राजनीतिक दल मतदाताओं से मशविरा किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से उम्मीदवारों का चयन करते हैं. इसीलिए कई बार निर्वाचन क्षेत्र के लोग पेश किए गए उम्मीदवारों से पूरी तरह असंतुष्ट होते हैं. याचिका के अनुसार, अगर सबसे अधिक मत नोटा को मिलते हैं तो इस समस्या का हल नए चुनाव से हो सकता है.

लेबल:

रविवार, 29 नवंबर 2020

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून बनने के बाद पहला मामला हुआ दर्ज, गिरफ्तारी के आदेश

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कैबिनेट द्वारा पिछले दिनों लव जिहाद के खिलाफ कानून पास किया गया. प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है. इसके तुरंत बाद ही बरेली के देवरनियां थाने में कल देर शाम विवाह के लिए जबरन धर्म परिवर्तन कराने की FIR दर्ज की गई है. पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए आरोपी के गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं.
बताया गया कि देवरनिया के एक गांव निवासी व्यक्ति ने रिपोर्ट लिखाई है कि उनकी बेटी से पढ़ाई के दौरान गांव के ही निवासी उवैस अहमद ने दोस्ती कर ली. अब वह बेटी पर धर्म परिवर्तन कर शादी करने का दबाव बना रहा है. उन्होंने कई बार उवैस को समझाने की कोशिश की पर वह नहीं माना. प्रभारी एसएसपी डॉ. संसार सिंह ने बताया कि यूपी सरकार ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम लागू किया है. कल रात देवरनिया थाने में इसी कानून के तहत उवैस के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

आपको बता दें कि कल ही जबरन धर्मांतरण को लेकर यूपी सरकार द्वारा बनाए गए कानून को राज्यपाल ने मंजूरी दी है. इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 15 से 50 हजार रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है. वहीं शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन अवैध घोषित कर दिया गया है. अगर कोई भी ग्रुप धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे 3 से 10 साल की सजा होगी.

लेबल:

आज शाम से प्रदेश के 72 जिलों में बंद हो जाएंगी देशी, अंग्रेजी शराब और बीयर की सरकारी दूकानें

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधान परिषद के शिक्षक व स्नातक खण्ड निर्वाचन क्षेत्र की 11 सीटों पर पहली दिसम्बर को होने वाले मतदान को देखते हुए प्रदेश के 72 जिलों में 29 नवंबर की शाम से 48 घंटे तक मदिरा की दुकानें बंद रहेंगी जिसमे देशी अंग्रेजी शराब, बीयर की दुकानें, माडल शाप, भांग की दुकानें शामिल है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार उन्नाव, कानपुर नगर व कानपुर देहात में यह आदेश लागू नहीं रहेगा ।


आपको बता दें कि विधान परिषद की जिन 11 सीटों पर 1 दिसंबर को वोटिंग होनी है। उसमें 6 शिक्षक और 5 स्नातक क्षेत्र की हैं। ये सीटें 6 मई को खाली हो गईं थीं लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सही समय पर चुनाव नहीं हो पाया था।

लेबल:

नजरिया- गांव वालों ने कर दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर दो गज जमीन की कुर्बानी

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

पहले देश भर के ग्रामीण इलाकों में केंद्र सरकार काम करती थी अब सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काम कर रहे हैं उसके बाद भी उनकी योजनाएं धरातल पर पूरी तरह से फेल साबित होती हुई दिखाई पड़ रही हैं।

माना कि देश को खुले में शौच से मुक्त करने की योजना सही था लेकिन यह भी मानना होगा कि इसे गलत तरीके से लागू किया गया ,ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली एक बड़ी आबादी के पास शौचालय योजना से पहले रहने, खाने ,पीने नहाने की मुकम्मल व्यवस्था की जरूरत थी लेकिन जिस तरह से सड़क पर कुत्ता पकड़ने वाली गाड़ी घूम-घूम कर आवारा कुत्तों को जालीदार गाड़ी में बंद करती है ठीक उसी प्रकार से शौचालय योजना की सफलता का तमगा लेने के लिए एसबीएम के ठेकेदारों ने जाकर गरीबों के घर के कोने में एक घटिया किस्म का  शौचालय बना बनाकर पूरे गांव को ओडीएफ कर दिया उसके बाद भी देश के अधिकांश घरों में शौचालय की व्यवस्था नही है और यदि है भी तो वह प्रयोग से बाहर है ।
          लेेेखक- विश्वपति वर्मा(सौरभ
गांव के अंदर जाकर बताया गया कि शौचालय बनवा लो नही तो राशन ,बिजली ,पेंशन आदि सरकारी योजनाओं से हाथ धोना पड़ जायेगा ,गरीब आदमी मरता क्या न करता ,वह सरकारी लाभ को बचाये रखने के लिए किसी कोने में दो गज जमीन प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कुर्बान कर ही दिया ,जहां एक गुणवक्ता विहीन शौचालय का निर्माण कर दस्तावेजों में गांव को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया जबकि लाभार्थी आज भी लोटा लेकर जाता दिखाई पड़ता है ।
 सफलता का श्रेय बटोरने के लिए सरकार को इसी झूठ के गठरी की आवश्यकता थी और वह जिले के अधिकारियों ने दे भी दिया उसके बाद में साबरमती आश्रम से अपने जादुई जुबान से झूठ बोलकर पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त हो जाने की घोषणा कर दी लेकिन शायद उन्हें भी नही पता है कि  स्वच्छ भारत मिशन बहुत बड़े धन को बर्बाद कर बदहाल व्यवस्था की तरफ लुढ़कते चला गया ।अब इससे सरकार और प्रधानमंत्री को क्या फर्क पड़ने वाला है कि यह झूठ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के प्रधानमंत्री की गरिमा और पद के छवि को धूमिल किया है ।

लेबल:

शनिवार, 28 नवंबर 2020

एक चमकदार नेता इतिहास का महानायक बनने से कैसे चूका ,आइए जानते हैं वीपी सिंह के महत्वपूर्ण तथ्य

विश्वपति वर्मा( सौरभ)

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म दिवस है ,आइये इनके बारे में जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण तथ्य को।

 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भारत के वित्त मंत्री बनने के बाद 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधान मंत्री बने .वीपी सिंह ने राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे कठिन लड़ाई लड़ी, रक्षा सौदों में दलाली के खिलाफ सत्ता से विद्रोह किया, जाति व्यवस्था को सबसे बड़ी चुनौती दी और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आमरण अनशन किया इसी आमरण अनशन में इनकी किडनी भी खराब हो गया जो इनके मौत का कारण बना।
आज वी.पी. सिंह न घर के रहे न घाट के उनकी जयंती पर कोई न तो कोई सरकार उन्हें याद करती है और न ही कोई नेता सोशल मीडिया पर बेशक कुछ लोग उनके नाम पर फूलमालाएं चढ़ाते हैं, लेकिन यह भी कोई आम चलन नहीं है.आइये विस्तार से उनके बारे में जानते हैं दिलीप सी मंडल के जरिये।

वी.पी. सिंह का राजनीतिक-सामाजिक जीवन मुख्य रूप से तीन हिस्सों में विभाजित है.

पहला दौर एक जमींदार परिवार से निकल कर कांग्रेस की राजनीति में होना और मुख्यमंत्री तथा देश का वित्त मंत्री तथा रक्षा मंत्री बनना है. इसमें से उनका मुख्यमंत्री काल बागियों के खिलाफ अभियान के लिए जाना जाता है, जबकि वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने कॉरपोरेट करप्शन और रक्षा सौदों में दलाली के खिलाफ अभियान चलाया. इसी दौर में वे कांग्रेस से दूर हो गए.
उनके जीवन का दूसरा दौर प्रधानमंत्री के तौर पर रहा, जिस दौरान उनका सबसे प्रमुख और साथ ही सबसे विवादास्पद कदम मंडल कमीशन को लागू करने की घोषणा करना था. प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने बाबा साहेब को भारत रत्न देने से लेकर उनकी जयंती पर छुट्टी देने और ऑपरेशन ब्लू स्टार के लिए स्वर्ण मंदिर जाकर माफी मांगने जैसे कदम उठाए. इस दौरान वे रिलायंस कंपनी के साथ सीधे टकराव में आए और धीरूभाई अंबानी को लार्सन एंड टुब्रो पर नियंत्रण जमाने से रोक दिया. राममंदिर आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने बीजेपी के सामने झुकने से मना कर दिया और इसी वजह से उनकी सरकार गिर गई.

अपनी जीवन के तीसरे अध्याय में वी.पी. सिंह संत की भूमिका में आ गए. वे कविताएं लिखने लगे और पेटिंग्स में हाथ आजमाया. लेकिन इस दौरान भी वे सामाजिक मुद्दों से जुड़े रहे. दिल्ली में झुग्गियों को उजाड़ने की कोशिशों का उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध किया और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ खड़े रहे.

इतना सब होने के बाद सवाल उठता है कि वी.पी.सिंह इतिहास के महानायक क्यों नहीं बन पाए? उनसे कहां चूक हो गई? बल्कि इस सवाल को यूं भी पूछा जा सकता है कि उन्हें महानायक बनाने से भारतीय इतिहास और समाज कहां और कैसे चूक गया?

विश्वनाथ प्रताप सिंह के समर्थकों और विरोधियों दोनों को उनके बारे में एक बात समझ लेने की जरूरत है, कि सक्रिय राजनीति से अलग होने तक वी.पी. सिंह सबसे पहले नेता थे और हर नेता की तरह उनका लक्ष्य भी सत्ता में और सत्ता के शिखर पर होना था. इसलिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक और प्रधानमंत्री बने रहने के दौरान उनके कार्यों को अराजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जा सकता. सत्ता में बने रहने के लिए जो कुछ करना पड़ता है, चुनाव जीतने के लिए जो भी समीकरण बनाने पड़ते हैं, जो भी इंतजाम करना होता है, उनसे वी.पी. सिंह अलग रहे होंगे, ऐसा मानने का कोई आधार नहीं है.

सांप्रदायिकता को लेकर उनके निजी विचारों में शुचिता का तब कोई मतलब नहीं रह जाता, जब केंद्र में अपनी सरकार वे बीजेपी के समर्थन से चलाते हैं. केंद्र में बीजेपी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होती है, क्योंकि सरकार चलाने के लिए वामपंथी दलों का भी समर्थन जरूरी था, लेकिन राजस्थान में बीजेपी और जनता दल मिलकर सरकार चलाते हैं.

दरअसल इतिहास और परिस्थितियों ने वी.पी. सिंह से कुछ ऐतिहासिक कार्य करा लिए या वी.पी. सिंह ने कुछ ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम दिया, जिसके लिए कोई उन्हें नायक तो कोई उन्हें खलनायक के तौर पर देखता है. मुश्किल यह है कि जो लोग उन्हें नायक के तौर पर देखते हैं, वे लोग छवि निर्माण करने में समक्ष लोग नहीं है. इसलिए उनकी नायक वाली छवि दबी रह जाती है और खलनायक वाली छवि उभर कर सामने आ जाती है क्योंकि छवि निर्माण के काम में सामाजिक तौर पर वही लोग आगे हैं, जो वी.पी. सिंह से नाराज हैं.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि उन्होंने रक्षा सौदों में हमेशा से चली आ रही दलाली और भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया. लेकिन वे इस मुद्दे को किसी तार्किक अंत तक नहीं ले जा पाए. अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने रक्षा सौदों में करप्शन के मामलों की त्वरित जांच के लिए कोई ठोस काम नहीं किया. इसलिए उन पर यह आरोप है कि भ्रष्टाचार का आरोप उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए उछाला था.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि जब बीजेपी ने राममंदिर के नाम पर देश में सांप्रदायिकता भड़काने की मुहिम तेज की तो वे बीजेपी के आगे झुकने की जगह अड़कर खड़े हो गए. इस कारण बीजेपी ने उनकी अल्पमत सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई.

वी.पी. सिंह का नायकत्व इस बात में है कि उन्होंने भारत की तीन हजार से ज्यादा पिछड़ी जातियों को एक वर्ग में समेट दिया. इन जातियों को आरक्षण के साझा हित में बांध दिया. इसी दौरान बीएसपी के नेता कांशीराम मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू करवाने के लिए जनांदोलन चला रहे थे. लेकिन राजनीति में उनकी आवाज ने दम पकड़ना शुरू ही किया था. वी.पी. सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करके संविधान के अनुच्छेद 340 को जमीन पर उतार दिया, जो 26, जनवरी 1950 से संविधान की किताब में तो था, और देश की आधी से ज्यादा आबादी के मन में महत्वाकांक्षाएं जगा रहा था, लेकिन जमीन पर लागू नहीं था. इस अनुच्छेद में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है. मंडल कमीशन का गठन इसी अनुच्छेद के तहत हुआ है.

....और वी. पी. सिंह बन गए ‘खलनायक’ 

इस प्रश्न का जवाब इतिहास ही दे सकता है कि कोई और नेता प्रधानमंत्री होता तो क्या उन्हीं स्थितियों में वह मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करता? मेरा मानना है नहीं. यह काम विश्वनाथ प्रताप सिंह ही कर पाए. फिर भी चूंकि इतिहास की जुबां नहीं होती, इसलिए ऐसे सवालों का ऐसा जवाब हम कभी नहीं जान पाएंगे, जो हर किसी को संतुष्ट कर सके. जिस सत्य तक हमारी पहुंच है, वह यही है कि मंडल कमीशन लागू करने का काम वी.पी. सिंह के हाथों हुआ.

मंडल कमीशन लागू होते ही वह बुद्धिजीवी वर्ग जो कांग्रेस विरोध और भ्रष्टाचार विरोध के कारण वी.पी. सिंह का दीवाना था, उसने पलटी मार दी. वी.पी सिंह अचानक से मीडिया के दुश्मन बन गए. उनके खिलाफ सैकड़ों लेख और समाचार छापे गए और कार्टून बनाए गए.

चूंकि मंडल कमीशन ने समाज को आरक्षण समर्थक और आरक्षण विरोधी दो खेमों में बांट दिया था इसलिए पत्रकार, लेखक और बुद्धिजीवी भी दो खेमों में बंट गए. आरक्षण समर्थक बुद्धिजीवियों का कहने को एक खेमा तो था, लेकिन खेमा या तो खाली था, या फिर उसमें दो-चार लोग थे. लेकिन आरक्षण विरोधी बुद्धिजीवियों का खेमा भरा-पूरा था. छवि निर्माण की जंग वी.पी. सिंह बुरी तरह हार गए.

आरक्षण लागू कर भी पिछड़ों के नेता नहीं बन सके वी.पी.

वी.पी. सिंह के साथ एक और समस्या थी. वी.पी. सिंह का उभार ऐसे समय में हो रहा था, जब उत्तर भारत की राजनीति में मझोली जातियां और एक हद तक दलित जातियां अपना हिस्सा तलाशने लगी थीं. वे इस स्थिति से संतुष्ट नहीं थीं कि कोई और उनके हित की बात कर दे. लोहियावाद की राजनीति के कारण पिछड़ी जातियों के कई नेता राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उभर चुके थे.

मध्यवर्ती जातियां, जो ओबीसी में भी शामिल थीं, अपने नेताओं की कीमत पर विश्वनाथ प्रताप सिंह को नेता मानने के लिए तैयार नहीं थी. इस कारण वी.पी. सिंह मंडल कमीशन लागू करने के बावजूद कभी भी पिछड़ी जातियों के नेता नहीं बन पाए. उनके प्रति पिछड़ों की अच्छी भावनाएं थीं, लेकिन अपनी जाति का नेता उन्हें हर हाल में चाहिए था. अगर वी.पी. सिंह ने पिछड़ों का समर्थन पाने के लिए मंडल कमीशन लागू किया, तो यह काम हो नहीं पाया.

इस तरह, हुआ यह कि वी.पी. सिंह अपना सवर्ण मध्यवर्गीय आधार तो गंवा बैठे, लेकिन जिन पिछड़ी जातियों के साथ आने की उम्मीद में उन्होंने यह सब किया, वे अपनी अपनी जातियों के नेताओं के पीछे लाइन में लग गईं. वी.पी. सिंह राजनीतिक तौर पर बेहद अकेले रह गए.

लेकिन, इस वजह से वी.पी. सिंह का महत्व कम नहीं हो जाता. जाने-अनजाने में वी.पी. सिंह ने भारत की राजनीति का चेहरा बदल दिया. मंडल कमीशन के जवाब मे बीजेपी ने राम रथयात्रा निकाल दी. इसके बाद भारतीय राजनीति पहले जैसी नहीं रही.

पिछड़ी जातियों का भारतीय राजनीति में उभार मंडल कमीशन के बाद ज्यादा संगठित तौर पर नजर आने लगा. इसकी वजह से समाज भी बदला. मंडल कमीशन की दूसरी सिफारिश – उच्च शिक्षा में आरक्षण- 2006 में एक और ठाकुर नेता अर्जुन सिंह ने लागू किया. इससे भारतीय कैंपस का चेहरा पहले की तुलना में लोकतांत्रिक बन गया. हर समाज और जाति के लोगों के लिए कैंपस के दरवाजे खुल गए. हालांकि इतिहास अर्जुन सिंह के साथ भी उतना ही निर्मम साबित हुआ. लेकिन वह एक और कहानी है

लेबल:

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

संविधान दिवस पर सरकार का किसानों के प्रति बर्बरता ,वाटर कैनन और आंसू गैस का हुआ इस्तेमाल

जब देश में संविधान दिवस मनाया जा रहा था तब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के लिए ट्रैक्टरों और पैदल चलकर आ रहे पंजाब के हजारों किसानों को हरियाणा पुलिस ने अंबाला के पास वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल कर उन्हें रोकने के लिए बर्बरता पूर्ण तरीके से संवैधानिक अधिकारों का दुरपयोग किया है।

किसानों को रोकने के लिए सरकार द्वारा नाना प्रकार के उपाय करवाये गए हैं मरने और मारने के निर्देश भी जारी हुए हैं लेकिन दिखावे के लिए किसानों को केवल बल प्रयोग का रोकने का पूरा प्रयास किया गया है इससे भाजपा शासित हरियाणा की पुलिस और किसानों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. 

अंबाला के पास किसानों और पुलिस के बीच झड़प की खबर है. इस दौरान ईंट-पत्थर भी चले. किसानों को रोकने के लिए सड़कों पर और पुल पर बैरिकेड्स लगाए थे जिसे किसानों तोड़कर नदी में फेंक दिया. किसानों को आगे बढ़ता देख पुलिसकर्मियों ने आज सुबह उन पर ठंडे पानी की बौछार की है और आंसू गैस के गोले भी दागे हैं.

लेबल:

बुधवार, 25 नवंबर 2020

बस्ती- आवास से वंचित हुए गरीब परिवार ने योजना के लाभ के लिए प्रशासन से लगाया गुहार

केoसीo श्रीवास्तव

स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निरंकुशता की वजह से एक बार फिर जनपद के सैकड़ो घोर गरीब परिवार आवास योजना से वंचित हो गए। 

लंबे अरसे से अपने खुद का छत होने का सपना देश रहे जनपद के सैकड़ो गरीब परिवार का सपना तब टूट गया जब पात्रता की सूची में नाम होने के बाद भी गरीबों को  प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से वंचित कर दिया गया।
ये सल्टौआ ब्लॉक के गोरखकर गांव की निवासी दुर्गावती देवी हैं जो आवास का लाभ लाने के लिए वर्षों से प्रधान और सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रही हैं लेकिन जब सरकार द्वारा आवास योजना को मंजूरी दी गई तो एक बार फिर इनके हाथ निराशा ही लगा।

दुर्गावती देवी ने कहा कि कहा कि हम कई वर्षों से झोपड़ी में परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे हैं यह अधिकारियों को देखना चाहिए और ताकि हमे आवास का लाभ मिल सके 

लेबल:

मंगलवार, 24 नवंबर 2020

बस्ती- स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को मंजूरी शौचालय योजना के लिए इस तरह से करें आवेदन

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को मंजूरी प्रदान करने के बाद एक बार फिर शौचालय निर्माण करवाने की इच्छा रखने वाले लोगों को 12 हजार रुपये के प्रोत्साहन राशि का लाभ मिलेगा।

परियोजना निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में जो लोग शौचालय की योजना से वंचित रह गए हैं और वह शौचालय निर्माण करवाना चाहते हैं तो उन्हें दूसरे चरण में 12 हजार रुपये का लाभ दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जो लोग शौचालय का निर्माण करवाएंगे उन्ही लोगों को यह लाभ दिया जाएगा ।और इस चरण में ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण के साथ ही कचरे के बेहतर निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए समस्त ग्राम पंचायत के सचिवों को छूटे हुए लोगों का सर्वे कराने की जिम्मेदारी दी गई है ,इसके अलवां लोग सचिव से स्वयं मिलकर उनके पास अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं। सर्वे पूरा होने के बाद योजना का लाभ दिया जाएगा।


लेबल:

सोमवार, 23 नवंबर 2020

दिसंबर में और बदतर हो सकते हैं हालात" : 4 राज्यों से कोविड रिपोर्ट चाहता है सुप्रीम कोर्ट 

कोविड -19 रोगियों के समुचित उपचार और अस्पतालों में कोरोना रोगियों के शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना (Coronavirus) के हालात पर चिंता जताई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दिल्ली में हालात बदतर हो गए हैं. हम चाहते ह़ै कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है, उस पर विस्तार से हलफनामा दाखिल किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम में तेजी से मौजूदा समय बढ़ रहे कोविड मामलों के प्रबंधन, मरीजों को सुविधा समेत अन्य व्यवस्थाओं पर स्टेटस रिपोर्ट दो दिन में मांगी है. 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सुन रहे हैं कि इस महीने में केसों में भारी बढोतरी हुई है. हम सभी राज्यों से एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट चाहते हैं. यदि राज्य अच्छी तरह से तैयारी नहीं करते तो दिसंबर में इससे भी बदतर चीजें हो सकती हैं. उच्चतम न्यायालय ने स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदमों, मरीज़ों के प्रबंधन और वर्तमान स्थिति पर चार राज्यों से रिपोर्ट मांगी है.

दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा कि कोरोना से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. ASG संजय जैन ने कहा कि बड़े स्तर पर निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित हैं. हमने सभी निर्देशों का पालन किया है. जवाब में कोर्ट ने कहा अच्छी बात है, लेकिन मौजूदा हालात पर आप क्या कहेंगे. वकील ने कहा कि हमने अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर बनाए हैं. कोर्ट ने कहा कि आप इस मुद्दे पर स्पष्ट स्टेटस रिपोर्ट मौजूदा हालात के हिसाब से दाखिल करें. 

गुजरात सरकार को SC की फटकार
महामारी के बढ़ते मामलों के बावजूद राज्य में बेलगाम समारोहों, शादियों और कार्यक्रमों के लिए SC ने गुजरात सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद गुजरात में हालात सबसे खराब हैं. आपकी नीति क्या है? क्या हो रहा है? यह सब क्या है? अदालत ने कहा कि चार राज्यों में हालात बहुत खराब हैं. लापरवाही के चलते कोविड महामारी बढ़ रही है. अगली सुनवाई शुक्रवार 27 नवंबर को होगी.


लेबल:

रविवार, 22 नवंबर 2020

बस्ती- अर्जक संघ का ब्लॉक इकाई सम्मेलन सम्पन्न ,ब्लाक कार्यकारणी का हुआ गठन

केoसीo श्रीवास्तव

भानपुर। अर्जक संघ ब्लॉक इकाई सल्टौआ का कार्यकर्ता सम्मेलन रविवार को सरदार पटेल बाबूराम वर्मा उ0मा0 विद्यालय अमरौली शुमाली में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला संयोजक ई० रघुनाथ पटेल ने किया एवं अध्यक्षता ब्लॉक संयोजक अवधेश मौर्य ने किया और संचालन रामसुभग मौर्य ने किया, सम्मेलन के मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त जज आद्या शरण चौधरी  रहे। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि अर्जक संघ वर्षों से चली आ रही कुप्रथाओं को खत्म कर ज्ञान -विज्ञान पर आधारित व्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम कर रही है,उन्होंने कहा अर्जक संघ  समाज मे व्याप्त जाति-धर्म और आडंबर की कुप्रथा को खत्म कर सभी को मानववादी व्यवस्था में जोड़कर उन्हें ऊंच-नीच के बंधन से मुक्त कराना है ताकि हर वर्ग के लोगों को सम्मान से जीने का मौका मिले। 

ईo रघुनाथ पटेल ने कहा कि यदि अर्जक संघ का मानववादी आचरण व परंपराएं अपनायें जायें तो देश और समाज की उन्नति होगा ,उन्होंने कहा कि जनपद के 1247 ग्राम पंचायतों में हमारा मिशन चल रहा है जिसमे हमारा उद्देश्य है कि गांव में  कम से कम 10 लोग ऐसे साथी संघ के साथ जुड़ें जो समाज निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अर्जक संघ के संस्थापक रामस्वरूप वर्मा, चौधरी महाराज सिंह भारती, ललई सिंह यादव जैसे कई लोगों ने अर्जक साहित्य की ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रचना की है जिससे लोगों को सीखने और सम्मान से जिंदगी जीने का अधिकार मिला है।

गोरखपुर फैजाबाद स्नातक खण्ड के प्रत्याशी रजनीश पटेल ने कहा कि अर्जक संघ का कारवां जबसे चला है तब से देश भर में पाखण्डवादी व्यवस्था खत्म होने लगी है, उन्होंने कहा कि अर्जक संघ का मिशन है कि इस देश के शोषित, वंचित वर्ग को समाज मे सम्मान से जीने का मौका मिले , हर हाथ को काम मिले ,सबको शिक्षा मिले और सब मिलकर समाज की बुनियाद को मजबूत करें ताकि भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना की जा सके और अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को अग्रिम पंक्ति में लाकर उन्हें सामाजिक न्याय दिलाया जा सके।

राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री उमेश चन्द्र अर्जक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अर्जक संघ का कारवां लगातार बढ़ता जा रहा है उन्होंने कहा कि सभी अर्जक साथियों के मेहनत का देन है कि आज बस्ती जनपद प्रदेश में अर्जक संघ का मिशन बढ़ाने में काफी अग्रणी हो गया है।

सम्मेलन को जग्गनाथ मौर्य,राकेश पटेल ,हरिकेश एडवोकेट, नायाब चौधरी, नीरज वर्मा,फूलचंद्र चौधरी, प्रभाकर पटेल, जगराम वर्मा, प्रभाकर वर्मा, ईo बलजीत बहादुर वर्मा, विश्वपति वर्मा, राम स्वरूप वर्मा,रामसेवक बौद्ध, विनोद चौधरी जयश्री लाल ने भी संबोधित किया । 

सम्मेलन में ब्लॉक कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया। जिसमें राम सेवक बौद्ध को अध्यक्ष, रामफेर सैनिक व राकेश पटेल को उपाध्यक्ष, नायब चौधरी को मंत्री, सौरभ बी0पी0 वर्मा व गिरीश चन्द्र चौधरी को संयुक्त मंत्री, अवधेश कुमार मौर्य कोषाध्यक्ष, प्रभाकर पटेल, रामदेव चौधरी, प्रभाकर वर्मा व सत्यनारायन पटेल को कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया। अर्जक संघ के जिला संयोजक रघुनाथ पटेल ने निर्वाचित पदाधिकारियों को माला पहनाकर स्वागत किया तथा पूर्व जज आदयासरण चौधरी ने शपथ ग्रहण कराया।

सम राम बुझारत मौर्य, राधेश्याम वर्मा ,रामकेवल निगम , राधेश्याम चौधरी, सत्यनारायण पटेल , तपानाथ यादव , महंत यादव , रामफेर सैनिक, राम प्रकश पटेल, स्वेता चौधरी, सोनी, रजनी, रामपूरण चौधरी, कैलाश नाथ, रामसिंह चौधरी , शिवदास, ज्ञानदास अर्जक, गौरीशंकर कनौजिया, प्रदीप चौधरी, बाबूलाल यादव, प्रेम चन्द्र , राजमंगल वर्मा, नारंग चौधरी, राममूरत चौधरी, सियाराम मौर्य समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।


लेबल:

अर्जक संघ का ब्लॉक इकाई सम्मेलन सम्पन्न ,समाज के वंचित वर्ग को जोड़ने के

केoसीo श्रीवास्तव

भानपुर। अर्जक संघ ब्लॉक इकाई सल्टौआ का कार्यकर्ता सम्मेलन रविवार को सरदार पटेल बाबूराम वर्मा उ0मा0 विद्यालय अमरौली शुमाली में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला संयोजक ई० रघुनाथ पटेल ने किया एवं अध्यक्षता ब्लॉक संयोजक अवधेश मौर्य ने किया और संचालन रामसुभग मौर्य ने किया, सम्मेलन के मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त जज आद्या शरण चौधरी  रहे। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि अर्जक संघ वर्षों से चली आ रही कुप्रथाओं को खत्म कर ज्ञान -विज्ञान पर आधारित व्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम कर रही है,उन्होंने कहा अर्जक संघ  समाज मे व्याप्त जाति-धर्म और आडंबर की कुप्रथा को खत्म कर सभी को मानववादी व्यवस्था में जोड़कर उन्हें ऊंच-नीच के बंधन से मुक्त कराना है ताकि हर वर्ग के लोगों को सम्मान से जीने का मौका मिले। 

ईo रघुनाथ पटेल ने कहा कि यदि अर्जक संघ का मानववादी आचरण व परंपराएं अपनायें जायें तो देश और समाज की उन्नति होगा ,उन्होंने कहा कि जनपद के 1247 ग्राम पंचायतों में हमारा मिशन चल रहा है जिसमे हमारा उद्देश्य है कि गांव में  कम से कम 10 लोग ऐसे साथी संघ के साथ जुड़ें जो समाज निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं उन्होंने कहा कि आजादी के बाद अर्जक संघ के संस्थापक रामस्वरूप वर्मा, चौधरी महाराज सिंह भारती, ललई सिंह यादव जैसे कई लोगों ने अर्जक साहित्य की ऐतिहासिक और प्रेरणादायक रचना की है जिससे लोगों को सीखने और सम्मान से जिंदगी जीने का अधिकार मिला है।

गोरखपुर फैजाबाद स्नातक खण्ड के प्रत्याशी रजनीश पटेल ने कहा कि अर्जक संघ का कारवां जबसे चला है तब से देश भर में पाखण्डवादी व्यवस्था खत्म होने लगी है, उन्होंने कहा कि अर्जक संघ का मिशन है कि इस देश के शोषित, वंचित वर्ग को समाज मे सम्मान से जीने का मौका मिले , हर हाथ को काम मिले ,सबको शिक्षा मिले और सब मिलकर समाज की बुनियाद को मजबूत करें ताकि भेदभाव मुक्त समाज की स्थापना की जा सके। 

राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री उमेश चन्द्र अर्जक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अर्जक संघ का कारवां लगातार बढ़ता जा रहा है उन्होंने कहा कि सभी अर्जक साथियों के मेहनत का देन है कि आज बस्ती जनपद प्रदेश में अर्जक संघ का मिशन बढ़ाने में काफी अग्रणी हो गया है।

सम्मेलन को जग्गनाथ मौर्य,राकेश पटेल ,हरिकेश एडवोकेट, नायाब चौधरी, नीरज वर्मा,फूलचंद्र चौधरी, प्रभाकर पटेल, जगराम वर्मा, प्रभाकर वर्मा, ईo बलजीत बहादुर वर्मा, विश्वपति वर्मा, रामसेवक बौद्ध, विनोद चौधरी जयश्री लाल ने भी संबोधित किया । सम्मेलन में ब्लॉक कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया। जिसमें राम सेवक बौद्ध को अध्यक्ष, रामफेर सैनिक व राकेश पटेल को उपाध्यक्ष, नायब चौधरी को मंत्री, सौरभ बी0पी0 वर्मा व गिरीश चन्द्र चौधरी को संयुक्त मंत्री, अवधेश कुमार मौर्य कोषाध्यक्ष, प्रभाकर पटेल, रामदेव चौधरी, प्रभाकर वर्मा व सत्यनारायन पटेल को कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया। अर्जक संघ के जिला संयोजक रघुनाथ पटेल ने निर्वाचित पदाधिकारियों को माला पहनाकर स्वागत किया तथा पूर्व जज आदयासरण चौधरी ने शपथ ग्रहण कराया।

सम राम बुझारत मौर्य, राधेश्याम वर्मा ,रामकेवल निगम , राधेश्याम चौधरी, सत्यनारायण पटेल , तपानाथ यादव , महंत यादव , रामफेर सैनिक, राम प्रकश पटेल, स्वेता चौधरी, सोनी, रजनी, रामपूरण चौधरी, कैलाश नाथ, रामसिंह चौधरी , शिवदास, ज्ञानदास अर्जक, गौरीशंकर कनौजिया, प्रदीप चौधरी, बाबूलाल यादव, प्रेम चन्द्र , राजमंगल वर्मा, नारंग चौधरी, राममूरत चौधरी, सियाराम मौर्य समेत काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।


लेबल:

शनिवार, 21 नवंबर 2020

यूपी-मामूली विवाद में ट्रिपल मर्डर, सिपाही के साथ मां और बहन की पीट-पीटकर हत्या

उत्तर प्रदेश के बांदा में एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी गई. शहर के चमरौड़ी चौराहे में शुक्रवार देर रात धारदार हथियार से सिपाही, उसकी बहन और मां की हत्या कर दी गई. हत्या के पीछे पारिवारिक विवाद बताया जा रहा है. मृतक सिपाही अभिषेक वर्मा प्रयागराज में तैनात था. 

बताया जाता है कि उसका चचेरे भाइयों से किसी बात को लेकर विवाद हुआ था. पुलिस ने मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया है. अन्य की तलाश जारी है.


सिपाही अभिषेक वर्मा प्रयागराज पीएसी में तैनात थे. उनका घर बांदा शहर के चमरौड़ी से अलीगंज जाने वाले मार्ग में पड़ता है. हमलावरों ने धारदार हथियारों से हमला कर तीनों की हत्या कर दी. पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचकर जांच में जुटे हैं. 

आईजी के सत्यनारायण ने बताया कि कोतवाली क्षेत्र के अलीगंज में शुक्रवार रात तीन लोगों की हत्या कर दी गई. प्रयागराज पीएसी में तैनात अभिषेक उर्फ गोल्डी, उनकी बहन और मां की हत्या की गई. आरोप है कि इनके ताऊ के लड़कों ने वारदात को अंजाम दिया. 

लेबल:

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

भारत में COVID-19 के कुल केस 90 लाख पार, पिछले 24 घंटे में दर्ज हुए 45,882 केस, 584 की मौत

India Coronavirus Updates : 
भारत में शुक्रवार यानी 20 नवंबर तक कोरोनावायरस संक्रमण के कुल मामले 90 लाख के पार हो चुके हैं. शुक्रवार की सुबह आठ बजे तक पिछले 24 घंटों में Covid-19 के 45,882 नए केस (Covid-19 new cases) दर्ज किए गए गए हैं. इसके साथ ही देश में कोरोना के अब तक कुल 90,04,365 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. पिछले 24 घंटों में 584 मरीजों की मौत हुई है, जिससे कि कोरोनावायरस से देश में अब तक हुई कुल मौतों का आंकड़ा 1,32,162 पर पहुंच गया है.

लेबल:

UP के प्रतापगढ़ में कार और ट्रक की भीषण टक्कर, 6 बच्चों समेत 14 की मौत ,लौट रहे थे गोंडा

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले में एक दर्दनाक सड़क हादसे (Road Accident) में कई लोगों की मौत हो गई है. प्रतापगढ़ में शादी समारोह में वापस लौट रही एक एसयूवी और ट्रक के बीच टक्कर में 14 लोगों की जान चली गई है. मृतकों में 6 बच्चे भी शामिल हैं. यह हादसा गुरुवार को करीब 11 बजकर 45 मिनट पर प्रयागराज-लखनऊ हाईवे पर देशराज इनारा गांव के पास हुआ. इसमें एसयूवी में सवार सभी लोगों की मौत की खबर है. साथ ही कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. 
सड़क दुर्घटना की तस्वीरों को देखकर पता चलता है कि महिंद्र बोलेरो कार ने सड़क पर खड़े ट्रक में पीछे से टक्कर मारी. देखा जा सकता है कि गाड़ी का आगे का हिस्सा ट्रक के पिछले हिस्से में बुरी तरह फंसा हुआ है. 
प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने कहा कि पंचर होने की वजह से ट्रक सड़क के एक ओर खड़ा था तभी एसयूवी ने पीछे से टक्कर मारी.पुलिस अधिकारियों ने ट्रक में फंसे कार के आधे हिस्से को बाद में बाहर निकाला. 

पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी पीड़ित एक शादी समारोह में शामिल होकर अपने गांव गोंडा वापस जा रहे थे. पीड़ितों के परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिया गया है. 

अधिकारी ने कहा कि सड़क हादसे के तुरंत बाद पांच शवों को गाड़ी से बाहर निकाल लिया गया बाकी के शवों को ट्रक में फंसी कार को बाहर निकालने के बाद निकाला गया. दुर्घटना में मृत बच्चों की उम्र 7 से 15 वर्ष के बीच है जबकि अन्य आठ लोगों की उम्र की 20 से 60 वर्ष के बीच है. 

पुलिस अधीक्षक ने कहा, "हमने पीड़ितों के परिवार और उनके गांवों के प्रधान से बात की है और हर संभव मदद का आश्वसान दिया है. सभी शवों को शुक्रवार को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा. एसयूवी और ट्रक दोनों के मालिकों से संपर्क साधने का प्रयास किया जा रहा है."

लेबल:

गुरुवार, 19 नवंबर 2020

भारत में नही दिखता कोरोना का कहर,भयावह स्थिति बताकर शासन-प्रशासन ने अर्जित किया बेसुमार दौलत

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

हमे कोरोना वायरस को पूरी तरह से इनकार कर ही देना चाहिए क्योंकि ऐसा नही लगता कि कोरोना वायरस ने भारत मे कोई कहर बरपाया है ।सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में 1 लाख 31 हजार लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है जबकि आंकड़े बताते हैं कि इससे ज्यादा मौतें तो हर साल  टीबी, कैंसर ,लकवा आदि बीमारी की वजह से हो जाती है वहीं गौर करने वाली बात यह है कि जिन लोगों की मौत कोविड-19 के कारण होने से बताई गई है उन लोगों में पहले से कोई न कोई गंभीर बीमारी रहा है।
9 महीने का समय बीतने को है इस दौरान देश की सरकार ने कई लाख करोड़ रुपया वायरस नियंत्रण करने के लिए बहाया ,लाखों लोगों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया ,हजारों करोड़ रुपया जुर्माना वसूला गया, शादी-निकाह का कार्यक्रम स्थगित होने से टेंट ,लाइट, डेकोरेशन, भोजन ,कैमरा ,शादी कार्ड ,गाड़ी मालिक ,दर्जी ,नाऊ ,पंडित समेत इससे जुड़े दर्जनों लोगों के हिसाब से करोड़ो लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा वहीं किसानों के खेत में तैयार हरी-भरी सब्जियां सड़ कर खत्म हो गईं लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस उपाय नही तैयार किया गया।

लाखों लोगों की नौकरियां चली गई , बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई ,अरबो रूपये की दवा की वैधता खत्म हो गई  ,निम्न स्तर के परिवारों को बद से बदतर जीवन यापन करना पड़ा , सामाजिक कार्यक्रमों पर पाबंदी हो गया ,धार्मिक आयोजन बंद हो गए लेकिन इन सब के बीच मे देश और राज्य की सरकारों ने अपने चुनावी प्रक्रिया में कोई प्रभाव नही पड़ने दिया ।

जब देश लॉकडाउन की स्थिति में चल रहा था तब गुजरात मे नेताओं को सदन भेजने का काम किया गया, जब देश में कोरोना वायरस का कहर बताया जा रहा था तब भाजपा का चुनावी रैली चल रहा था ,जब कोरोना से बचने का उपाय बताया जा रहा था तब बिहार चुनाव का सरगर्मी तेज हो चुका था ,जब तालाबंदी चल रहा है था तब राममंदिर निर्माण का शिलान्यास रखा जा रहा था ।

इस लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि कोरोना वायरस के नाम पर देश के लोगों को डराया गया, जिस तरह से भारत में कोरोना को भयावह बताया गया उस तरह  भारत में कोरोना का कोई भी खतरा नही था यहां तो सत्ताधारियों को जनता को छलने को शानदार मौका मिल गया जहां कोरोना वायरस का कहर बता कर अच्छा खासा दौलत जमा कर लिया गया और लोगों को मरने के लिए उनके उसी हालत में छोड़ दिया गया।

लेबल:

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी शुरू , जिलों में पहुंचने लगे मतपत्र

विश्वपति वर्मा (सौरभ)

लखनऊ- देश के सबसे बड़े और सियासी महत्व वाले प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 2015 चुनाव के अनुसार दिसंबर में ये चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण अब तक मतदान की तारीख तय नहीं हो सकी है लेकिन चुनाव आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है।
    up panchayat chunaw यूूपी पंचायत चुुुुनाव

 उत्तर प्रदेश में 58,758 ग्राम पंचायतें, 821 क्षेत्र पंचायतें और 75 जिला पंचायतें हैं, जहां चुनाव होना है। मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 25 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इससे पहले पांच साल पहले यानी 2015 में चुनाव हुए थे। तब चुनाव मतदान के पहला चरण 9 अक्टूबर को था और 9 दिसंबर को परिणाम घोषित हो गया था।

यूपी चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों की जांच का काम शुरू कर दिया है। 1 अक्टूबर से जारी इस अभियान में गैर जरूरी नाम हटाए जा रहे हैं, साथ ही नए नाम जोड़ने का काम भी जारी है। इस संबंध में अधिसूचना जारी की जा चुकी है। यह काम युद्ध स्तर पर चल रहा है, क्योंकि चुनाव आयोग को दिसंबर के आखिरी में फाइनल वोटर्स लिस्ट जारी करना है। 

यूपी में त्रिस्तरीय चुनाव कराने में 2 माह का समय लगेगा इस लिए अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव मई जून में कराये जाएंगे क्योंकि उससे पहले यूपी बोर्ड की परीक्षा भी सम्पन्न कराना है।

लेकिन जिस तरह से  कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का काम शुरू हो चुका है और चुनाव आयोग द्वारा जिलों में मत्रपत्र भेजने का काम शुरू किया गया है इससे जनवरी महीने में चुनाव कराने के लिए इनकार नहीं किया जा सकता है।


लेबल:

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

केरल के पत्रकार की हिरासत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को भेजा नोटिस ,5 अक्टूबर से जेल में हैं बंद

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया.हाथरस में एक दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी.दरअसल, पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पांच अक्टूबर को हाथरस जाते समय रास्ते में गिरफ्तार किया गया था. वह हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई दलित युवती के घर जा रहे थे. इस युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से जानना चाहा कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की बजाय सीधे यहां क्यों आए.

कपिल सिब्बल ने पत्रकार को जमानत देने का अनुरोध किया और कहा कि उसके खिलाफ कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘प्राथमिकी में उसका नाम नहीं है. किसी तरह के अपराध का आरोप नहीं है. वह पांच अक्टूबर से जेल में हैं.’पीठ ने कहा, ‘हम नोटिस जारी करेंगे. इस मामले को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं.’इस मामले में हाईकोर्ट नहीं जाने के बारे में सवाल करते हुए पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले के मेरिट पर नहीं है. आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?’इस पर सिब्बल ने कहा कि कप्पन को उनके वकील और परिवार के सदस्यों  से नहीं मिलने दिया जा रहा है. याचिका में इस बात की ओर भी इशारा किया गया कि हाईकोर्ट में मामले में प्रगति नहीं हो पाई.मामले में 12 अक्टूबर की पिछली सुनवाई को याद करते हुए बोबड़े ने पूछा कि क्या पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देश के अनुसार उन्होंने संशोधित याचिका दाखिल की है. उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हैबियस कॉर्पस याचिका स्वीकार करने में अनिच्छा जताई थी और हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.बार एंड बेंच के अनुसार, इस पर सिब्बल ने कहा, ‘हम पत्रकार से मिल नहीं पा रहे हैं. हम कैसे संशोधित करें?

 इस संबंध में हमने एक हलफनामा दाखिल किया है.’इस पर अदालत ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर रही है और उसे शुक्रवार को अगली सुनवाई पर पेश होने के लिए कहा.हम अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं को हतोत्साहित कर रहे हैं: सीजेआईसिद्दीक कप्पन मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबड़े ने कहा कि अदालत अनुच्छेद 32 के साथ आने वाली याचिकाओं को ऐसा करने से हतोत्साहित कर रही है.

सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत के समक्ष अनुच्छेद 32 वाली याचिकाओं बाढ़-सी आ गई है.बता दें कि अनुच्छेद 32 वाली याचिकाएं किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के हनन के लिए उपाय किए जाने से संबंधित है.इस पर सिब्बल ने कहा कि ये असाधारण परिस्थितियां हैं और एक पत्रकार जेल में रखा है. उन्होंने अदालत से विचार करने का अनुरोध किया.

बता दें कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस ने कप्पन की हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है. कप्पन यूनियन की दिल्ली इकाई के सचिव हैं.वहीं, इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा की एक अदालत ने बीते शुक्रवार को हाथरस जाने के दौरान कप्पन के साथ आरोपी बनाए गए तीन अन्य लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी.अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मयूर जैन ने अतीकुर रहमान, आलम और मसूद की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चूंकि आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, इसलिए जब मामले की जांच जारी है, तो उन्हें वर्तमान समय में जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता.

लेबल:

सोमवार, 16 नवंबर 2020

बस्ती- पुवाल में दलित युवती की लाश मिलने के बाद एक्शन में आई पुलिस ,आरोपी मुठभेड़ में गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश में 'मिशन शक्ति अभियान' के बीच भी बेटियां महफूज नहीं दिख रही हैं। आएदिन यहां छेड़खानी, रेप और हत्या के मामले सामने आ रहे हैं। रविवार को बस्‍ती में 4 दिन पहले लापता हुई दलित युवती की खेत में अर्धनग्न हालत में लाश मिलने से सनसनी फैल गई। घरवालों का आरोप है कि उनकी बेटी के साथ दुष्‍कर्म कर हत्‍या की गई है।

उधर पुलिस कप्तान हेमराज मीणा एक्शन मोड में है उन्होंने मामले को गंभीरता लेते हुए कई टीमों का गठन किया था वहीं तत्काल थाना प्रभारी व हलका दरोगा को निलंबित कर दिया था। 

घटना के दूसरे दिन कलवारी थाना क्षेत्र के गायघाट सिकंदरपुर मार्ग पर एसओजी और और सर्विलांस टीम के साथ भालचंद यादव नाम के शख्स से मुठभेड़ की खबर है, जिसमे उसे गोली लगी है और एसओजी सिपाही दिलीप कुमार भी घायल हुए हैं । 

बदमाश का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। वह लालगंज थाना क्षेत्र के तिघरा गांव का रहने वाला बताया गया है। मिली जानकारी के अनुसार युवती का उसके साथ प्रेम संबध था, भालचंद का मामा युवती के ही गांव में रहता है यहीं पर वह उससे मिलने के लिए आया था। और उससे शारीरिक संबध बनाना चाह रहा था।

युवती ने ऐसा करने से मना किया तो दोनो में झगड़ा भी हुआ। बताया जा रहा है इस दौरान युवती ने भालचंद की उंगली में दांत से काट लिया। सम्बंध बनाने में नाकाम भालचंद ने युवती के सलवार से ही उसका गला घोटकर हत्या कर दी और लाश को गांव के सिवान में पुवाल से ढककर छिपा दिया था। 

युवती के परिजनों का आरोप है कि उनकी लड़की के साथ रेप हुआ है लेकिन अभी पुलिस के तरफ से पुष्टि नहीं की गई है।

लेबल:

जब 180 यात्रियों से भरे भारतीय विमान को आतंकियों ने बंदूक की नोक पर कर लिया था अपहरण

पाक समर्थित खूंखार आतंकवादियों ने 24 दिसंबर1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रहे इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर लिया। आतंकियों ने अपहृत यात्रियों के बदले में भारतीय जेल में करीब 3 दर्जन खूंखार आतंकियों की रिहाई और मोटी रकम की मांग की। करीब हफ्तेभर चली तनातनी के बाद आखिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा तीन आतंकियों को छोड़ने पर बात बनी और तत्कालीन विदेश मंत्री यशवंत सिंह खुद आतंकियों को छोड़ने कंधार गए।

कंधार की कहानी, क्या हुआ 21 साल पहले

21 साल पहले,  24 को दिसंबर को शुक्रवार का दिन था और घड़ी में साढ़े चार बजने वाले थे। काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी 814 नई दिल्ली के लिए रवाना होती है। शाम पांच बचे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिला होता है, अपहरणकर्ता हरकत में आते हैं और फ्लाइट को पाकिस्तान ले जाने की मांग करते हैं। दुनिया को पता लगता है कि ये भारतीय विमान अगवा कर लिया गया है। शाम 6 बजे विमान अमृतसर में थोड़ी देर के लिए रुकता है। और वहां से लाहौर के लिए रवाना हो जाता है।

पाकिस्तान की सरकार के इजाजत के बिना ये विमान रात 8 बजकर 7 मिनट पर लाहौर में लैंड करता है। लाहौर से दुबई के रास्ते होते हुए इंडियन एयरलाइंस का यह हाइजैक विमान अगले दिन सुबह तकरीबन साढ़े 8 बजे अफगानिस्तान में कंधार की जमीन पर लैंड करता है। उस दौरान कंधार पर तालिबान की हुकूमत थी।

180 लोग थे विमान में सवार
विमान पर कुल 180 लोग सवार थे। विमान अपहरण के कुछ घंटों के भीतर आतंकवादियों ने एक यात्री रूपन कात्याल को चाकू मार दिया। 25 साल के रूपन कात्याल पर आतंकवादियों ने चाकू से कई वार किए थे 
जिससे उनकी मौत हो गई थी उसके बाद ये विमान दुबई पहुंचा। वहां ईंधन भरे जाने के एवज में कुछ यात्रियों की रिहाई पर समझौता हुआ।

दुबई में 27 यात्री रिहा किए गए, इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। इसके एक दिन बाद डायबिटीज से पीड़ित एक व्यक्ति को रिहा कर दिया गया। कंधार में पेट के कैंसर से पीड़ित सिमोन बरार नाम की एक महिला को कंधार में इलाज के लिए विमान से बाहर जाने की इजाजत दी गई और वो भी सिर्फ 90 मिनट के लिए।

उधर, विमान हाइजैक के दौरान भारत सरकार की मुश्किल भी बढ़ती जा रही थी। मीडिया का दबाव था, बंधक यात्रियों के परिजन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और इन सबके बीच अपहरणकर्ताओं ने अपने 36 आतंकवादी साथियों को रिहाई के साथ-साथ 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की फिरौती की मांग रखी थी।

तालिबान का रोल
अपहरणकर्ता एक कश्मीरी अलगाववादी के शव को सौंपे जाने की मांग पर भी अड़े थे, लेकिन तालिबान की गुजारिश के बाद उन्होंने पैसे और शव की मांग छोड़ दी। लेकिन भारतीय जेलों में बंद आतंकवादियों की रिहाई की मांग मनवाने के लिए वे लोग अड़े हुए थे।

कैंसर की मरीज समोन बरार की तबियत विमान में ज्यादा बिगड़ने लगी और तालिबान ने उनके इलाज के लिए अपहरणकर्ताओं तो दूसरी तरफ भारत सरकार पर भी जल्द से समझौता करने के लिए दबाव बनाए रखा।

एक वक्त तो ऐसा लगने लगा कि तालिबान कोई सख्त कदम उठा सकता है। लेकिन बाद में गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, “तालिबान ने यह कहकर सकारात्मक रवैया दिखाया है कि कंधार में कोई रक्तपात नहीं होना चाहिए नहीं तो वे अपहृत विमान पर धावा बोल देंगे। इससे अपहरणकर्ता अपनी मांग से पीछे हटने को मजबूर हुए।“

वाजपेयी सरकार का रोल
हालांकि विमान में ज्यादातर यात्री भारतीय ही थे, लेकिन इनके अलावा ऑस्ट्रलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, स्पेन और अमेरिका के नागरिक भी इस फ्लाइट में सफर कर रहे थे। तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन आतंकवादियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा था।

31 दिसंबर को सरकार और अपरहणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया। ये ड्रामा उस वक्त खत्म हुआ, जब वाजपेयी सरकार भारतीय जेलों में बंद कुछ चरमपंथियों को रिहा करने के लिए तैयार हो गई।

तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद तीन आतंकवादियों को अपने साथ कंधार ले गए थे। छोड़े गए आतंकवादियों में जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद जरगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल था।

सरकार ने दी सुरक्षा की गारंटी
इससे पहले भारत सरकार और आतंकवादियों के बीच समझौता होते ही तालिबान ने उन्हें दस घंटों के भीतर अफगानिस्तान छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया था। शर्तें मान लिए जाने के बाद चरमपंथी हथियारों के साथ विमान से उतरे और एयरपोर्ट पर इंतजार कर रही गाड़ियों पर बैठ वहां से फौरन रवाना हो गए।

कहा जाता है कि इंडियन एयरलाइंस के विमान को अगवा करने वाले चरमपंथियों ने अपनी सुरक्षा की गारंटी के तौर पर तालिबान के एक अधिकारी को भी अपनी हिरासत में रखा था। कुछ यात्रियों ने बताया कि बंधक संकट के दौरान अपहरणकर्ताओं ने अपने ही गुट के एक व्यक्ति को मार दिया था। हालांकि किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की।

ठीक आठ दिन के बाद साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को सरकार ने समझौते की घोषणा की। प्रधानमंत्री वाजपेयी ने नए साल की पूर्व संध्या पर देश को ये बताया कि उनकी सरकार अपहरणकर्ताओं की मांगों को काफी हद तक कम करने में कामयाब रही है।

लेबल:

रविवार, 15 नवंबर 2020

एमपी -जब कचड़े में खाना ढूंढ रहे व्यक्ति ने डीएसपी को नाम से पुकारा, फिर क्या हुआ पढ़िए दिलचस्प कहानी

शार्प शूटर, शानदार एथलीट ... 1999 में पुलिसफोर्स में बतौर सब इंस्पेक्टर भर्ती शख्स ... आज ग्वालियर की सड़कों पर कचरे से खाना ढूंढकर खाने को मजबूर है, दिमागी हालत ठीक नहीं है... यह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लग रहा है. हालांकि, कुछ ऐसा ही हुआ ग्वालियर में.10 नवंबर चुनाव की मतगणना की रात लगभग 1:30 बजे, सुरक्षा व्यवस्था में तैनात दो डीएसपी सड़क किनारे ठंड से ठिठुर रहे भिखारी को देखते हैं तो एक अधिकारी जूते और दूसरा अपनी जैकेट दे देता है और वहां से जाने लगते हैं लेकिन बेहद बुरे हाल में भिखारी जैसे ही डीएसपी को नाम से पुकाराता है तो दोनों सकते में आ गए और पलट कर जब गौर से भिखारी को पहचाना तो वो शख्स था उनके साथ के बैच का सब इंस्पेक्टर मनीष मिश्रा.
दरअसल मतगणना की रात सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय भदौरिया के ऊपर था. मतगणना पूरी होने के बाद दोनों विजयी जुलूस के रूट पर तैनात थे, इस दौरान बंधन वाटिका के फुटपाथ पर एक अधेड़ भिखारी ठंड से ठिठुर रहा था. उसे संदिग्ध हालत में देखकर अफसरों ने गाड़ी रोकी और उससे बात की. दयनीय हालत देख डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर ने उन्हें अपने जूते और विजय भदौरिया ने अपनी जैकेट दे दी. 

दोनों अधिकारी जब जाने लगे तो भिखारी ने विजय भदौरिया को उनके नाम से पुकारा. दोनों अफसर भी सोच में पड़ गए और एक-दूसरे को देखते रहे और जब दोनों ने उससे पूछा तो उसने अपना नाम मनीष मिश्रा बताया. 

मनीष मिश्रा दोनों अफसरों के साथ 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर में भर्ती हुए थे. इसके बाद दोनों ने काफी देर तक मनीष मिश्रा से पुराने दिनों की बात की और अपने साथ ले जाने की जिद की जबकि वह साथ जाने को राजी नहीं हुआ आखिर में समाज सेवी संस्था से उसे आश्रम भिजवा दिया गया जहां उनकी अब बेहतर देखरेख हो रही है. 

मनीष मिश्रा के परिजन भी पुलिस में हैं, उनके भाई इंस्पेक्टर हैं, पिता और चाचा एडिशनल एसपी से रिटायर हुए हैं. चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ हैं. 2005 के आसपास वो दतिया जिले में पदस्थ रहे इसके बाद मानसिक संतुलन खो बैठे शुरुआत में 5 साल तक घर पर रहे इसके बाद घर में नहीं रुके यहां तक कि इलाज के लिए जिन सेंटर व आश्रम में भर्ती कराया वहां से भी भाग गए. परिवार को भी नहीं पता था कि वे कहां हैं. पत्नी से उनका तलाक हो चुका है जो न्यायिक सेवा में पदस्थ हैं. 

लेबल:

शनिवार, 14 नवंबर 2020

बस्ती- डीएम साहब ....सरकारी दफ्तरों में चल रहा कमीशन खोरी ,बंदरबांट और घोटाला,बस और कुछ नही

विश्वपति वर्मा(सौरभ)
बस्ती-  स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को साफ सुथरा रखने के लिए ग्राम पंचायत को सफाई कर्मी किट समेत उससे जुड़ी हुई वस्तुओं को खरीदने और उसके उपयोग से योजना को उद्देश्य की तरफ ले जाने के लिए बजट की व्यवस्था कराई गई है लेकिन स्थानीय जिम्मेदारों की उदासीनता और बंदरबांट के चलते जनपद के रामनगर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली कई दर्जन ग्राम पंचायत में कूड़ेदान स्थापना के नाम पर गोलमाल कर सस्ते और घटिया किस्म के सामग्री पर भारी भरकम भुगतान कर लिया गया।
ग्राम पंचायत में लगाये गए कूड़ेदान की स्थलीय पड़ताल करने और उस पर लिए गए भुगतान की समीक्षा करने के बाद पता चला कि 1500 रुपये में उपलब्ध होने वाले प्लास्टिक के कूड़ेदान पर 6500 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक का भुगतान लिया गया है .

इस लिए जिले के जिलाधिकारी को भी यह बात जानना चाहिए कि सरकारी दफ्तरों में किस तरह से कमीशनखोरी ,बंदरबांट और घोटाला चल रहा है ताकि महत्वाकांक्षी योजना को बर्बाद करने वाले लोग को भी समझाया जा सके कि बिना किसी उद्देश्य के सरकारी धन को क्यों बर्बाद किया जा रहा है।

लेबल:

गुरुवार, 12 नवंबर 2020

सरकार एक ड्रग है जो पहले नशेड़ी बनाती है फिर नशा मुक्ति केंद्र के बहाने क्रिमिनल और तस्कर

विश्वपति वर्मा (सौरभ)

वैसे तो सरकार सबका साथ सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उत्तर प्रदेश के 59163 ग्राम पंचायतों के प्रधानों को आवास ,सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन के नाम पर मोहरा बना चुकी है ।

इस चुनावी वर्ष में जब प्रधानों को 20 -20 लाख रुपये का अतिरिक्त बजट देकर ग्राम पंचायत में बुनियादी सुविधाओं के ढांचा को मजबूत करने पर जोर देना था तब वह आवास योजना को लांच कर प्रधानों को मुसीबत में खड़ा कर चुकी है ,प्रधान भी उहापोह की स्थिति में हैं पात्र-अपात्र के दस्तावेजों की क्रमांक नंबरी को लेकर वह भी गरीबों को आवास दिलवाने के लिए जोर देने लगे हैं लेकिन इसका नफा मुनाफा क्या होगा और किसको होगा यह तो केवल ग्रामीण विकास मंत्रालय ही बता पायेगा।

सरकार तो जनता के टैक्स और विश्वबैंक के लोन से गरीबों के नाम पर योजना बना कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोर लेगी लेकिन धरातल पर अंतिम व्यक्ति को कितना फायदा मिलेगा यह तो स्थलीय निरीक्षण के बाद ही पता चलेगा।

आज 40 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों में स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था नही है, 57 फीसदी आबादी के पास पानी निकासी एवं जल जमाव की समस्या है ,22 फीसदी लोग पात्र होने के बाद सरकारी योजनाओं से वंचित हैं ,80 फीसदी गांव कूड़े के ढेर पर टिके हैं लेकिन सरकार प्राथमिकता को दरकिनार कर ऊल -जलूल योजनाओं पर पैसा बर्बाद कर रही है।

फिलहाल सरकार को जनता की वास्तविक समस्याओं से कोई लेना देना नही है यह सरकार तो बस वही काम कर रही है जैसे पहले नशा का कारोबार बढ़ाएगी और उसके बाद नशामुक्ति केंद्र खोलकर वाहवाही लूटने का काम करेगी उदाहरण तो काशीपुर वाले बाबा ने दे दिया जहां ड्रग का कारोबार फैला कर युवाओं को आकर्षित किया जा रहा है उसके बाद नशा मुक्ति केंद्र के बहाने मानसिक गुलाम ,क्रिमिनल और तस्कर बनाने का काम किया जा रहा है।

लेबल:

बुधवार, 11 नवंबर 2020

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने की अधिसूचना जारी

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलों ,ऑनलाइन कॉन्टेंट प्रोवाइडरों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) के तहत लाने की अधिसूचना जारी की है. बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन (Regulation of Digital Media) टीवी से ज्यादा जरूरी है. और अब सरकार ने ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ या कॉन्टेंट देने वाले माध्यमों को मंत्रालय के तहत लाने का कदम उठाया है.

कैबिनेट सचिवालय की ओर से मंगलवार रात जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन सामग्री प्रादाताओं को भी मंत्रालय के दायरे में लाया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाली इस अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड तीन में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आवंटन) नियमावली, 1961 को संशोधित करते हुए यह फैसला किया है. अधिसूचना के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध फिल्म, ऑडियो-वीडियो, न्यूज और करंट अफेयर्स से संबंधित सामग्रियों की नीतियों के विनियमन का अधिकार मिल गया है. अधिसूचना के मुताबिक, ‘इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आबंटन) 357वां संशोधन नियमावली, 2020 कहा जाएगा. ये एक ही बार में लागू होंगे.'

बता दें कि वर्तमान में डिजिटल कंटेंट के नियमन के लिए कोई कानून या फिर स्वायत्त संस्था नहीं है. प्रेस आयोग प्रिंट मीडिया के नियमन, न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन और एडवर्टाइज़िंग के नियमन के लिए एडवर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है. वहीं, फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है.

लेबल:

मंगलवार, 10 नवंबर 2020

बस्ती के इस थाने पर चल रहा भारी-भरकम दलाली ,जिम्मेदार मस्त ,जनता पस्त

बस्ती -रेलवे स्टेशन पर आर.पी.एफ .बस्ती द्वारा टेंम्पो चालकों का लगातार किये जा रहे उत्पीड़न के विरोध में अखिल उद्योग एकता व्यापार मंडल के प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप जायसवाल के नेतृत्व में टेंम्पो चालकों ने एकत्रित होकर रेल मंत्री पीयूष गोयल को संबोधित शिकायती पत्र स्टेशन मास्टर बस्ती को सौंप कर दोषी आरपीएफ के सिपाहियों को हटाने की मांग की गई।

इस अवसर पर कुलदीप जायसवाल ने कहा कि रेलवे स्टेशन पर कोविड-19 के दौरान आर.पी.एफ .ने कुछ दलालों को सेट कर रखे हैं जिनका स्थानीय आरपीएफ थाना का संरक्षण प्राप्त है। जिससे वहां पर लाखों रुपए से ऊपर की वसूली की जा रही है।
 रेलवे के मेन प्रवेश द्वार एवं माल गोदाम फुटओवर ब्रिज के सामने वाले स्टैंड पर दलालों को संरक्षण देकर टेंम्पो चालकों से 1000 से ₹2000 प्रति एक टेंम्पो से वसूली कराते हैं और जो टेंम्पो वाला इनको पैसा नहीं देता है। उनको जबरन बंद करना, टेम्पो चालान करना एवं पैसा लेकर फिर छोड़ना उस पैसे की कोई रसीद ना देना सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाना खुलेआम भ्रष्टाचार करना निरंतर जारी है। 

वहीं चार पहिया वाहनों से भी मोटी रकम महीने के तौर पर ली जा रही है और जो नहीं देता है उसका उत्पीड़न आर.पी.एफ. के सिपाहियों द्वारा किया जाता है वही रेलवे परिसर  के टिकट घर को भी आर.पी.एफ .दलालो के संरक्षण में दे दिया है रात में ही दलाल किसी ना किसी को लाइन में लगा देते हैं एवं सुबह जब आम पब्लिक टिकट लेने, रिजर्वेशन कराने के लिए आती है तो उनसे धक्का-मुक्की एवं मारा-पीटा जाता है पुलिस वहां मूकदर्शक बनकर खड़ी रहती है और लगातार आम जनमानस का उत्पीड़न होता रहता है ।

कुलदीप जायसवाल ने कहा कि अगर मामले को 10 दिनों मे रेलवे प्रशासन संज्ञान में  नही लिया तो हमें टेंम्पो चालकों एवं आम जनमानस के  हित के लिए अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने के लिए बाध्य होना पड़ेगा ।

इस अवसर पर तमाम ऑटो चालक उपस्थित रहे आरिफ, रोशन अली, सर्वेश ,मंगल चौधरी, राजू श्रीवास्तव, बंटी ,गोपाल, अहमद रजा ,सोहेल अहमद, संतलाल, रविशंकर सिंह ,गुलाम अली ,बल्लू ,अफजल ,गौरव ,सद्दाम अहमद ,अरुण कुमार, अजय कुमार , गोबिन्द, राजकुमार चौहान,गोलू ,शादाब ,निजाम आदि लोग उपस्थित रहे।

लेबल:

दीपावली पर जरूरतमंदो में वस्त्र और मिठाई भेंटकर त्यौहार की खुशियों को साझा करेगा "साथी हाथ बढ़ाना" संस्था

बस्ती। पिछले वर्ष भीषण शीतलहर में गरीबो, एवं जरूरतमंदो में ठण्ड से बचने हेतु वस्त्र दान करके समाजसेवा की अलख जगाकर चर्चा में आयी साथी हाथ बढ़ाना की टीम ने इस दीपावली पर जरूरतमंदो में वस्त्र, मिठाई इत्यादि भेंटकर उनके साथ त्यौहार की खुशियों को साझा करने का फैसला लिया है।
 बताते चले कि साथी हाथ बढ़ाना मुहिम कुछ उत्साही युवको द्वारा जरूरतमंदो एवं गरीबो को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था जो बाद में समाज के प्रबुद्धजनो के प्रोत्साहन के बाद हौसला मिलने पर नये पंख और नई उड़ान जैसे ऊर्जा से परिपूर्ण हो उठा।

 एक अकेला थक जायेगा मिलकर बोझ उठाना कुछ इन्ही उद्देश्यो के साथ साथी हाथ बढ़ाना टीम जरूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कान लाने में अनवरत प्रयासरत है। खुशियों की दिवाली, हम सब की दिवाली। इस त्योहार पर जरूरतमंदों की मदद कर उनके साथ खुशियां बांटना साथी हाथ बढ़ाना मुहिम का असली मकसद है।  विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी साथी हाथ बढ़ाना मुहिम बस्ती मण्डल में सैकड़ो परिवारों की चिन्हित कर रहा है जिससे उनके घर जाकर खुशी के पर्व को सांझा किया जा सके। संगठन के संरक्षक राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि हमारी टीम का हर एक सदस्य अपने घर सिर्फ दीपक जलायेगा और पटाखों के बचे हुए रुपयो से चिन्हित परिवारों की मदद करेगा और किसी की मदद करना उसके त्योहार को रोशन करना इससे बड़ी दीपावली कुछ भी नही है। इस मुहिम में डॉ. एल के पाण्डेय, डॉ. हेमन्त पाण्डेय,डॉ. विनोद, अंकुर श्रीवास्तव, राजू पाण्डेय, पंडित अर्जुन त्रिपाठी, गंगा प्रसाद उपाध्याय, नन्द किशोर गुप्ता, गुड्डू सिंह, फौजी नरेन्द्र, संजय चैहान,सोमनाथ पाण्डेय, राकेश कुमार,मो अशरफ उर्फ विफई,मो अकरम खान,अमित तिवारी सहित अन्य लोग अपना पूरा सहयोग करते हैं।

 बता दें कि  विगत वर्ष गरीबो एवं जरूरतमंदो में भीषण ठण्ड से बचाव हेतु गर्म कपड़ो, जूतो एवं इत्यादि जरूरत की वस्तुओ को उपलब्ध कराने के कारण साथी हाथ बढ़ाना की टीम की पूरे जनपद में सराहना हो रही थी। जनपद के जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन एवं पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने स्वयं साथी हाथ बढ़ाना मुहिम की सराहना करते हुए बकायदे सिविल लाइन चौकी के सामने साथी हाथ बढ़ाना मुहिम के द्वारा चलाये जा रहे मुहिम को बढ़ावा देने हेतु वस़्त्र दान करने हेतु एक सेन्टर प्वाइन्ट का उद्घाटन भी किया था।

लेबल:

सोमवार, 9 नवंबर 2020

पेपर कप में पीते हैं चाय तो आज ही संभल जाएं, आपकी सेहत को हो रहा भारी नुकसान

कागज के बने एक बार इस्तेमाल करने योग्य कपों से चाय पीना सेहत के लिए हानिकारक है और यदि कोई व्यक्ति उनमें दिन में तीन बार चाय पीता है तो उसके शरीर में प्लास्टिक के 75,000 सूक्ष्म कण चले जाते हैं. आईआईटी खड़गपुर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.
अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली आईआईटी खड़गपुर में एसोसिएट प्रोफेसर सुधा गोयल ने कहा कि एक बार इस्तेमाल करने योग्य कागज के कपों में पेय पदार्थ पीना आम बात हो गई है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अनुसंधान में इस बात की पुष्टि हुई है कि इन कपों में प्लास्टिक और अन्य हानिकारक तत्वों के कारण गर्म तरल वस्तु संदूषित हो जाती है. इन कपों को बनाने के लिए आमतौर पर हाइड्रोफोबिक फिल्म की एक परत चढ़ाई जाती है, जो मुख्तय: प्लास्टिक की बनी होती है. इसकी मदद से कप में तरल पदार्थ टिका रहता है. यह परत गर्म पानी डालने पर 15 मिनट के भीतर गलने लगती है.''

लेबल:

रविवार, 8 नवंबर 2020

रेल,सड़क, भवन, पुल, कपड़ा बनाने वाले हाथ सत्ता की बागडोर को भी अपने हाथ में ले सकता है-अमित कुमार

अमित कुमार -

मील चलाने वाले हाथ, रेल,सड़क, भवन, पुल, कपड़ा बनाने वाले हाथ, फसल उगाने वाले हाथ, गंदगी उठाने वाले हाथ, दुनिया में जो कुछ भी पैदा हो रहा है, उन सबके पीछे मजदूर का श्रम है. उसी श्रमिक ने आज के दिन ही दुनिया को दिखा दिया की वो सत्ता की बाग डोर को भी अपने हाथ में ले सकता है। 
वो बिना मालिक के फैक्ट्रियां चला सकते है। वो जनता की कचहरी लगाकर न्याय कर सकते है। खेत को बिना निजी मालिकाने के, जोत कर सारी आबादी का पेट भर सकते है। वो गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, लूट और वेश्यावृत्ति को खत्म कर शोषण विहीन समाज की बुनियाद रख सकते है। वो एक ऎसे समाज का निर्माण कर सकते है, जिसका समस्त उत्पादन उस समाज की जरुरत पूरा करने के लिए हो, न की मुनाफा कमाने के लिए। एक ऎसा समाज जहां अपना काम चुनने की आजादी हो। साथी चुनने की आजादी हो, सपने बुनने की आजादी हो। जहाँ व्यक्ति करे अपने क्षमता के अनुसार और ले अपने जरुरत के अनुसार। वो एक ऎसे समाज का निर्माण करता है जहाँ श्रमिक को उसके श्रम उत्पादन कभी अलग न किया जाये। एक ऎसा समाज जहाँ हर पेट को रोटी, हर हाथ को काम, हर सर को छत, हर बीमार को इलाज़ किसी व्यक्ति की नहीं, उस समाज की जिम्मेदारी हो। ऎसा था वो सोवियत संघ का समाज, जिसे मजदूरों ने अपने मेहनत से गढ़ा था। ऎसा समाज हमें आज ख्वाब जैसा लग सकता है। परंतु 7 नवम्बर 1917 को सोवियत संघ में ऎसे समाज जन्म लिया था। यूरोपीय देश जब मुनाफाखोरी पर आधारित व्यवस्था के चक्र में फस कर मंदी, जंग, गरीबी, कुपोषण, अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी, वेश्यावृत्ति और शोषण का दंश झेल रहा था। तब थोड़े ही समय में सोवियत संघ ने खुद को दुनिया की महाशक्ति बना लिया।

 उसकी अर्थव्यवस्था छलांगे लगाते हुऎ आगे बढ़ती जा रही थी। फासीवादी खतरे ने जब दुनिया को घेर रखा था। तो उस फासीवाद परास्त करने में, रुस महत्वपूर्ण भूमिका में था। ये सब हुआ जनता के सामूहिक मालिकाने और खेती के सामूहिकीकरण से, आज जब दुनिया भर में पूंजी की सत्ता है और रुस में भी पूंजी की पूर्नस्थापना हो चुका है। तब हमें अक्टूबर क्रांति के आदर्शों से और भी प्रेरणा लेने की जरुरत है। शोषण के चरित्र को और वर्तमान पूंजी के विकास एंव उसके चरित्र नये ढंग से समझने की जरुरत है। अपने उन ख्वाबों के समाज के लिए अक्टूबर क्रांति की उस मशाल को और आगे ले जाने की जरुरत है। ताकि सम्पूर्ण मानवता को उसकी रौशनी मिल सके। शोषण विहीन समाज का सपना पूरा हो सके। 
दुनिया के मजदूर एक हो।

लेबल:

शनिवार, 7 नवंबर 2020

स्वदेश भारत गौरव सम्मान 2020 से चित्रकार चन्द्र प्रकाश हुए सम्मानित ,देश भर से मिल रही बधाइयां

बस्ती- जनपद के होनहार चंद्रप्रकाश को स्वदेश सेवा संस्थान  द्वारा स्वदेश भारत गौरव सम्मान 2020 से सम्मानित किया गया ,रामदुलारे चौधरी के पुत्र चंद्रप्रकाश मध्यम वर्गीय किसान परिवार से हैं। 
 
कला- संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए संस्थान के अध्यक्ष एसबी सागर द्वारा सम्मान पत्र देते हुए इनके कार्यों की खूब सराहना की, ललित कलाओ के धनी चित्रकार चन्द्र प्रकाश द्वारा लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों बच्चों को मुफ्त में ऑनलाइन कला की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं , इतना ही नही लॉकडाउन में लोगों को घर पर रहने हेतु अपने चित्रों से युवा चित्रकार चन्द्र प्रकाश चौधरी ने समाज को लगातर जागरूक करने का काम कर रहे हैं।
 बीते लाॅकडाउन के समय में देश में हो रहे विशेष प्रतिभावान कलाकारों के लिये ऑनलाइन स्वदेश गौरव सम्मान के लिये ऑनलाइन आवेदन मागे गए थे जिसमे
स्वदेश गौरव संम्मान के निर्णायक कमेटी ने चन्द्र प्रकाश को चयनित कर भारतीय डाक द्वारा सम्मान पत्र व गोल्ड मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया।

इस वर्ष इन्हे राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित आनलाइन ई पोस्टर प्रतियोगिता में यंग चेंजमेकर  उपाधि, भाभा विज्ञान क्लब गोंडा द्वारा नेशनल मदर ब्लेस अवार्ड, शांति फाउंडेशन गोंडा द्वारा पर्यावरण प्रहरी सम्मान,  राष्ट्रीय महान कलाकार अवार्ड, सागर कला भवन अयोध्या, विशिष्ट स्वदेश प्रेमी सम्मान , रेड रूबी आर्ट अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इंटरनेशनल गोल्डन आर्ट अवार्ड , 
 मानव शांति सुरक्षा व कला संस्कृति के उत्थान विकास के कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया । 

कला के साथ साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी चन्द्र प्रकाश नें राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वाद-विवाद, भाषण प्रतियोगिताओ मे प्रथम पुरस्कारो से सम्मानित होकर अपने देश व बस्ती जिले का नाम ऱोशन कर चुके है |

लेबल:

भारत जैसे विकासशील देश के निर्माण में किसी बड़े खतरे से कम नही है वर्तमान सरकार की नीतियां

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

एक दौर था जब आर्थिक, सामाजिक,राजनीतिक  एवं भौगोलिक ,प्रगति की समीक्षा करने के बाद वार्षिक रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक किया जाता था लेकिन पिछले कई सालों से देखने को मिल रहा है कि भारतीय संस्थाओं द्वारा किये जा रहे ऐसे सर्वेक्षण को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

 यह भारत जैसे देश के लिए बिल्कुल ठीक नही है ,क्योंकि इन्ही आंकड़ों से ग्रामीण क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति, शैक्षणिक प्रगति ,सामाजिक परिवर्तन, बेरोजगारी के आंकड़े एवं गरीबी उन्मूलन और शहरी विकास, औद्योगिक रफ्तार  के साथ नागरिकों के जीवन उत्थान में हुए बदलाओं एवं उनके लिए जारी कार्यक्रमों की दिशा एवं दशा समझने का मौका मिलता था।
भारत मे 22 करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं ,47 फीसदी महिलाओं के अंदर खून की कमी है ,42 फीसदी लोग 20 रुपये से कमपर जीवन यापन करते हैं, बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़ते क्रम में है ,शिक्षा का स्तर लगातार खराब हो रहा है ,चिकित्सा प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त है ,ग्रामीण विकास की बातें केवल कागजी हैं ,सरकारी योजनाओ को बर्बाद किया जा रहा है ,किसानों को बर्बाद करने के लिए कानून बना दिया गया लेकिन इन सब के बीच समय समय पर आने वाली रिपोर्ट कार्ड पर भी पाबंदी लगा दिया गया जो विकासशील देश के निर्माण के लिए किसी बड़े खतरे से कम नही है।

लेबल:

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

बस्ती- एसडीएम और तहसीलदार को भी नही पता झाड़ियों के बीच क्या छिपा है तहसील के अंदर

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती- लगता है तहसील मुख्यालय पर बैठने वाले उपजिलाधिकारी और तहसीलदार को भी नही पता है कि तहसील परिसर में बनाये गए शौचालय और प्रसाधन (toilet) अब प्रयोग से बाहर हो चुका है क्योंकि झाड़ियों के बीच छिपे इस प्रसाधन पर देख-रेख का जो अभाव है उससे यही कारण प्रतीत होता है।
तहसील मुख्यालय पर सार्वजनिक शौचालय की कोई व्यवस्था नही है परिसर के अंदर जो शौचालय बनवाया गया है उसमें गंदगी का अंबार है वहीं पानी सप्लाई की व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई है।
इसके अलावा परिसर के अंदर उत्तरी और दक्षणी छोर पर दो प्रसाधन बनवाये गए हैं लेकिन बड़ी बड़ी झाड़ियों  के आगोश में आने के नाते अब यह प्रयोग से बाहर हो गया है जिसका परिणाम है कि परिसर के अंदर दीवालों और खाली स्थानों पर लोग अक्सर toilet करते हुए देखे जा सकते हैं।
ऐसी स्थिति को देखने के बाद सबसे बड़ा सवाल पैदा होता है कि जब सरकारी संस्थानों में स्वच्छता अभियान का कोई परचम नही है तो ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों ,गलियों ,शौचालयों और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छ भारत मिशन की झलक कैसे दिखाई देगी।


लेबल:

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

बस्ती-अच्छी कार्यशैली के चलते ग्राम पंचायत सचिव को मिला सहायक विकास अधिकारी का पदभार

बस्ती- रामनगर ब्लॉक में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी आशुतोष पटेल को पंचायती राज अधिकारी विनय कुमार सिंह ने उनकी अच्छी कार्यशैली को देखते हुए सहायक विकास अधिकारी(पंचायत ) की जिम्मेदारी सौंपी है ।

डीपीआरओ विनय कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की योजनाओं को ग्राम पंचायत के हर कोने तक पहुंचा कर उसे बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए आशुतोष पटेल को सहायक विकास अधिकारी का प्रभार सौंपा गया है।
आशुतोष पटेल ने कहा कि यह जिम्मेदारी मिलने के बाद हम गांव के अंतिम छोर तक सरकार की सभी योजनाओं को पहुंचाने एवं उसको लागू करवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं  इस मौके पर उन्होंने सचिवों के साथ बैठक किया और कहा कि ग्राम पंचायत में अवशेष सामुदायिक शौचालयों की जियो टैगिंग का कार्य पूरा करवा कर उसमें प्रगति लाया जाए एवं निर्वाचन आयोग द्वारा निर्देशित कार्यक्रमों को संपादित किया जाए।

 सहायक विकास अधिकारी का प्रभार मिलने के बाद खंड विकास अधिकारी मंजू त्रिवेदी ,एडीओ पंचायत ,नवनीति मिश्रा एवं ब्लॉक परिसर के सभी ग्राम विकास अधिकारी व पंचायत सचिव एवं सफाई कर्मचारियों के द्वारा उन्हें ढेर सारी बधाइयां भेंट की गई ,इस अवसर पर ग्राम विकास अधिकारी रवि पाण्डेय ,पिंटू गुप्ता ,सुशील चौधरी ,प्रमोद कुमार ,मंजू सिंह,पिंटू कुमार आदि मौजूद रहे।


लेबल:

हाईकोर्ट ने कहा हर नागरिक को है सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का अधिकार

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का कहना है कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी राय रखने और सरकार के कामकाज की आलोचना करने का अधिकार है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि आलोचना सभ्य होनी चाहिए और इस दौरान असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
दरअसल पंजाब के एक शख्स ने फेसबुक लाइव के दौरान लॉकडाउन के दौरान सरकार के कामकाज की कथित तौर पर आलोचना की थी, जिसके बाद उस पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया.जस्टिस सुधीर मित्तल की एकल पीठ ने पंजाब के होशियारपुर के निवासी जसबीर उर्फ जसवीर सिंह की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की.

 जसबीर के खिलाफ इस साल 14 अप्रैल को दर्ज एफआईआर के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने फेसबुक लाइव के दौरान देश की एकता एवं अखंडता के खिलाफ टिप्पणी की थी. उनके बयानों से देश के सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा. राजद्रोह, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक असंतोष पैदा करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई.होशियारपुर जिले के टांडा पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 115, 124ए, 153ए, 505(2), 295, 188, 269, 270,271, 506 और महामारी अधिनियम 1897 की धारा तीन एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था.जसबीर के वकील जसराज सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता छह महीने से भी अधिक समय से हिरासत में है. छह जुलाई को चार्जशीट पेश की गई थी, लेकिन अभी आरोप तय नहीं किए गए हैं, क्योंकि अभी इस संदर्भ में आदेश पारित नहीं हुआ है.वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला लंबित नहीं है. उनके मुवक्किल की टिप्पणियों से पता चलता है कि उनके बयानों पर राजद्रोह या सांप्रदायिक सौहार्द बाधित करने के आरोप नहीं लगाए जा सकते, इसलिए याचिकाकर्ता को नियमित जमानत दी जा सकती है.इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता लॉकडाउन से नाखुश थे. साथ ही भारत और पंजाब सरकार द्वारा महामारी को प्रबंधित किए जाने को लेकर भी खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने सरकारों के कामकाज की आलोचना की. यकीनन, इस दौरान असंयमित और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया, लेकिन यह सरकार के प्रति असंतोष नहीं जताते और न ही धार्मिक असहमति या सांप्रदायिक रूप से तनाव पैदा करते हैं.

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि जसबीर को जमानत राशि और निजी मुचलके पर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि वह छह महीने 14 दिनों से हिरासत में हैं और इस मुकदमे के जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है.

लेबल:

बुधवार, 4 नवंबर 2020

अर्नब गोस्वामी इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार

मुंबई पुलिस ने बुधवार की सुबह रिपब्लिक टीवी (Republic TV) के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुंबई पुलिस ने बताया कि 'रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार किया गया है.' जानकारी है कि मुंबई पुलिस सुबह-सुबह अर्णब के घर पहुंच गई थी और यहां पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया।

लेबल:

दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में मतगणना की प्रक्रिया शुरू,ट्रंप और बाइडेन में कड़ा मुकाबला

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कुछ ही देर में साफ हो जाएगा कि अमेरिका की जनता ने डोनाल्ड ट्रंप को एक और मौका दिया है या फिर बाइडेन के हाथों में सत्ता सौंपने का मन बना लिया है. बाइडेन और हैरिस विलमिंगटन, डेलावर से राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. जबकि, ट्रंप व्हाइट हाउस से चुनाव नतीजों को देख रहे हैं उन्होंने चुनिंदा अतिथियों को व्हाइट हाउस आमंत्रित किया है.
ट्रंप और बाइडेन में कड़ा मुकाबला चल रहा है. फ्लोरिडा जैसे अहम राज्य में दोनों के बीच बहुत क्लोज फाइट है. वहीं, जॉर्जिया और ओहायो में भी चीजें बहुत साफ नहीं हो पा रहीं. कोविड-19 के बीच हुए इन चुनावों में कई सर्वे के मुताबिक, पूरा अमेरिका दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बीच बंट गया है. Edison Research ने कहा कि ट्रंप कंजर्वेटिव राज्य माने जाने वाले इंडियान में जीतेंगे, वहीं Associated Press ने कहा था कि ट्रंप केंटकी में जीत सकते हैं. ट्रंप अब तक की मतगणना में इन दोनों राज्यों को जीत चुके हैं. Fox News ने बताया था कि बाइडेन डेमोक्रेटिक रुझान रखने वाले वरमॉन्ट और वर्जीनिया में जीत सकते हैं. फ्लोरिडा काफी अहम है, यहां पर ट्रंप अपने पूरे इलेक्टोरल्स जीतने चाहेंगे. यहां कुल 29 इलेक्टोरल्स हैं.

लेबल:

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

बस्ती-अज्ञात कारणों से आग लगने से पशु शेड जलकर खाक एक मवेशी की मौत

भानपुर/बस्ती - रामनगर ब्लाक के जगदीशपुर उर्फ नौगढ़वा ग्राम पंचायत में अज्ञात कारणों से आग लगने की वजह से पशु शेड जलकर खाक हो गया एवं उसमें बंधी हुई एक गाय की दर्दनाक मौत हो गई।

गांव के निवासी राजू गौतम ने बताया कि भोर में अचानक छप्पर के बनाये गए मकान में आग लग गया और उसकी चपेट में पशु शेड भी आ गया जिसकी वजह से जान माल का नुकसान हुआ है।

लेबल:

बिहार चुनावः दूसरे चरण में 94 सीटों पर आज मतदान, तेजस्वी और चार मंत्रियों सहित मैदान में 1463 उम्मीदवार

Election in Bihar 2020: 

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में प्रदेश के 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर कुुुछ देर बाद से वोटिंग (Voting) होगी. इस चरण में करीब 2.85 करोड़ मतदाता चुनाव मैदान में मौजूद 1463 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. इस चरण में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव (Tej pratap Yadav) के अलावा बिहार की एनडीए सरकार (NDA Government) के चार मंत्रियों के भाग्य का फैसला भी होगा. इनमें दो मंत्री बीजेपी (BJP) के और दो जेडीयू (JDU) के हैं. चुनाव आयोग (Election Commission) ने कोविड-19 से बचाव के लिए निर्धारित मापदंडों के पालन के साथ निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.


मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा की एक तिहाई सीटों पर इस चरण में मतदान होगा. ये 94 विधानसभा सीटें 17 जिलों में स्थित हैं. इस चरण में जिन प्रमुख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा उनमें राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव शामिल हैं. तेजस्वी विपक्षी महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी हैं. 31 वर्षीय तेजस्वी यादव वैशाली जिले की राघोपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार जीत दर्ज करने के लिए चुनाव मैदान में हैं. उन्होंने 2015 में बीजेपी के सतीश कुमार को हराकर यह सीट फिर अपनी पार्टी के लिए जीती. सतीश ने 2010 में इस सीट पर यादव की मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराया था. बीजेपी ने इस बार भी सतीश कुमार को ही यादव के खिलाफ मैदान में उतारा है.

तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेजप्रताप यादव हसनपुर से, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के समधी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के टिकट पर परसा से चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा पथ निर्माण मंत्री और बीजेपी विधायक नंदकिशोर यादव (पटना साहिब), जेडीयू विधायक और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (नालंदा), बीजेपी विधायक और सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह (मधुबन), और जेडीयू नेता और राज्यमंत्री रामसेवक सिंह (हथुआ) से चुनाव मैदान में हैं.

पटना की बांकीपुर सीट से कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा भी इस चरण में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. उनका प्रमुख रूप से मुकाबला बीजेपी के विधायक नितिन नबीन के साथ होगा. हरनौत (नालंदा) निर्वाचन क्षेत्र, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांव है, भी इस चरण में मतदान करने जा रहा है.

इस चरण में एनडीए में शामिल बीजेपी के 46 एवं जेडीयू के 43 और वीआईपी के पांच उम्मीदवार मैदान मे हैं.

लेबल:

सोमवार, 2 नवंबर 2020

यूपी-नाग नागिन के जोड़े को देख कर किसान को आया हार्टअटैक ,हुई मौत

सहारनपुर- जिले के नकुड थाना क्षेत्र में एक घर में नाग-नागिन के जोड़े को देखकर दिल का दौरा पड़ने से एक किसान की मौत हो गई।

एसपी (देहात) अशोक कुमार मीणा ने बताया कि नकुड थाना क्षेत्र के ग्राम फतेहपुर जट में किसान वीरेन्द्र सिंह (55) के घर में सांप का जोड़ा निकल गया जिसे देखकर दिल का दौरा पड़ने से सिंह की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरन्त ही वन विभाग की टीम को सूचित किया। वन विभाग की टीम ने सांप के इस जोड़े को पकड़कर जगल में छोड़ दिया। 

                        फाइल फोटो

मामला सहारनपुर के नकुड़ क्षेत्र के गांव फतेहपुर जट में एक किसान के घर में नाग-नागिन का जोड़ा दुम दबाए बैठा था, वहीं, जब किसान की नींद सुबह खुली तो उसने देखा दो सांप घर के एक कोने में बैठे है, नाग-नागिन के जोड़े को देखकर किसान दहशत में आ गया और उसकी मौत हो गई।

लेबल:

रविवार, 1 नवंबर 2020

परिषदीय विद्यालय के इस अध्यापक के शानदार प्रयास ने कान्वेंट स्कूल को छोड़ा पीछे, नामांकन करवाने की मची होड़

केoसीo श्रीवास्तव/सुशील कुमार

बस्ती- मौजूदा समय में जहां प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों की खराब शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूल में करवाना नही चाहते है वहीं उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के गौर ब्लाक में एक परिषदीय विद्यालय शिक्षा विभाग के लिए नजीर बन गया है जहां लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के बाद भी यहां की साज सज्जा और हरियाली ने सबको मोह लिया है ।
स्कूल में लगाये गए विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे ,फूल-पत्ते ,भवन की दीवाल पर वाल पेंटिंग ,अनमोल वचन के साथ यह रमणीक स्कूल बच्चों के पहुंचने का इंतजार कर रहा है और यह सब संभव हो पाया है मुसहा स्थिति स्कूल के प्रधानाध्यापक राम सजन यादव के ईमानदार प्रयास से।
वर्ष 2017-18 में प्राथमिक विद्यालय मुसहा का चयन "इंग्लिश मीडियम मॉडल प्राइमरी स्कूल "में हुआ तो 56 वर्षीय प्रधानाध्यापक राम सजन यादव ने स्कूल को बेहतरीन बनाने के लिए और तेजी से काम करना शुरू कर दिया जिसका परिणाम रहा कि देखते ही देखते नामी गिरामी स्कूलों के बच्चे भी इस स्कूल में नामांकन करवाने के लिए पहुंचने लगे जिसमे वर्ष 2019 -20 में 398 बच्चों का नामंकन हुआ तो वहीं अक्टूबर 2020 तक स्कूल में नामांकित बच्चों की संख्या 587 पहुंच गई।
 रामसजन यादव ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद हो गया तब हमने उन बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देना शुरू किया जिनके घर में स्मार्टफोन था ,उन्होंने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले करीब 25 फीसदी बच्चे ऐसे मिले जिनके घर पर स्मार्ट फोन था और उन्हें ऑनलाइन क्लास से जोड़ कर शिक्षा दी गई । शेष बच्चों को भी कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए ऑफलाइन होमवर्क की व्यवस्था बनाई गई  ,उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को आगे ले जाने का हमारा  जुनून है जो सरकारी सेवा से मुक्त होने के बाद भी जारी रहेगा।
 प्राइमरी स्कूल मुसहा में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई के लिए कुल 18 कक्ष बने हैं साथ ही यह स्कूल अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस है यहाँ कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर, पानी पीने के लिए आरओ सुविधा, मल्टीपल हैंडवाश ,सौर ऊर्जा ,बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था, प्रार्थना के लिए साउंड सिस्टम आदि सुविधाओं की व्यवस्था की गई है जिससे स्कूल किसी कान्वेंट विद्यालय की तुलना में किसी भी तरफ से कम नही दिखाई देता।
अत्याधुनिक सुविधाओं और धरातल पर बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने का परिणाम रहा कि प्रधानाध्यापक राम सजन यादव को राज्य स्तरीय से लेकर बेसिक शिक्षा परिषद ,जनपद के सांसद ,विधायक ,प्रशासनिक अधिकारी आदि के द्वारा लगभग डेढ़ दर्जन प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया ।
विद्यालय को सजाने संवारने और बच्चों में रचनात्मक कार्यों की तरफ लाने में स्कूल के सहायक अध्यापक पाकीजा सिद्दकी ,दशरथ नाथ पाण्डेय ,अखिलेश त्रिपाठी ,जगदीश कुमार, शिक्षामित्र  विमला देवी ,विजय कुमार श्रीवास्तव, एवं शंकराचार्य ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए जहां अपने स्कूल का मान बढ़ाया है वहीं प्राथमिक विद्यालय मुसहा बस्ती ही नहीं अपितु प्रदेश में एक गौरवशाली स्थान प्राप्त किया है ।

लेबल: