बुधवार, 30 सितंबर 2020

पीएम मोदी के मित्र डोनाल्ड ट्रंप ने कहा भारत ने कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा छुपाया

अमेरिकी चुनाव की शुरुआत हो गई है और अब प्रचार अपने अंतिम चरण में है. बुधवार को अमेरिकी चुनाव की पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई, जहां डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन में तीखी बहस हुई. इस दौरान कोरोना संकट को लेकर जो बिडेन ने डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप लगाया और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी ड्यूटी में फेल हुए हैं.


भारत पर लगाया आंकड़े छुपाने का आरोप 

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में आरोप लगाया कि भारत, चीन और रूस जैसे देश अपने यहां का सही आंकड़ा नहीं दे रहे हैं. आप नहीं कह सकते हैं कि वहां पर कितने लोग मरे और कितने कोरोना की चपेट में आए, उनके आंकड़े सही नहीं हैं.

आपको बता दें कि इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप कई बार अमेरिका की तुलना भारत से टेस्टिंग के मसले पर करते आए हैं. ट्रंप इससे पहले भारत में कोरोना से हो रही मौत, टेस्टिंग की संख्या को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. 

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मंगलवार, 29 सितंबर 2020

बस्ती -अध्यापकों ने बीएलओ की ड्यूटी खत्म करवाने के लिए तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

भानपुर - परिषदीय विद्यालय के अध्यापकों ने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की ड्यूटी खत्म करवाने के लिए लिए तहसीलदार केसरी नंदन तिवारी को ज्ञापन सौंपा।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ब्लॉक इकाई - सल्टौआ के अध्यक्ष राम भरत वर्मा के नेतृत्व में संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल  तहसीलदार भानपुर केसरी नंदन तिवारी से मिला एवं ज्ञापन के माध्यम से शिक्षकों की समस्या बी0एल0 ओ0 में लगी ड्यूटी के संदर्भ में वार्ता की , तथा अवगत कराया कि शिक्षकों की ड्यूटी अभी तक कभी भी बी0एल0ओ0 के रूप में ड्यूटी नही  लेकिन उसके बावजूद भी अध्यापकों की ड्यूटी लगाई जा रही है ,उन्होंने बताया कि कई विद्यालयों पर कार्यरत सभी अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई है । शिक्षकों ने ज्ञापन में बीएलओ ड्यूटी हटाने की मांग की

इस अवसर पर जिला संगठन मंत्री अवनीश तिवारी, ब्लॉक मंत्री बब्बन पाण्डेय, संयुक्त मंत्री चंद्रशेखर पाण्डेय, कोषाध्यक्ष रमेश विश्वकर्मा, उपाध्यक्ष रमेश चंद्र चौधरी , संगठन मंत्री महेंद्र कनौजिया, चन्द्रभान आदि मौजूद रहे।



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सुशांत सिंह की मौत को बनाया गया हाई वोल्टेज ड्रामा ,डॉक्टरों ने जहर देकर मारने के आरोपों को किया खारिज

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के सिलसिले में दिल्ली के AIIMS के डॉक्टरों के एक पैनल ने को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत जहर देने की वजह से नहीं हुई है. जहर देने के आरोप और दावे सुशांत के परिवार और अन्य लोगों की तरफ से उठाए गए थे. मुंबई पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आत्महत्या को मौत की वजह बताई थी, जिसका जहर देने वाले आरोपों के साथ विरोध किया गया था.
34 साल के सुशांत राजपूत का शव संदिग्ध परिस्थितियों में 14 जून को उनके मुंबई के अपार्टमेंट में मिला था. मुंबई पुलिस ने ऑटोप्सी के आधार पर इसे सुसाइड का मामला बताया था, लेकिन सोशल मीडिया पर इस पूरे मामले को लेकर बहुत से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ, जस्टिस फॉर सुशांत कैंपेन चला. इसके बाद सुशांत के परिवार की ओर से सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर कई आरोप लगाए गए, जो बढ़ते-बढ़ते बड़े सीबीआई जांच में बदल गया, फिर प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी कई पहलुओं और आरोपों की जांच में लग गए.

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सोमवार, 28 सितंबर 2020

अंगेजी हुकूमत की बर्बरता के खिलाफ शहीदे आजम भगत सिंह का असीम त्याग और बलिदान की कहानी

आज हम जिस आजादी के साथ सुख-चैन की जिन्दगी गुजार रहे हैं, वह असंख्य जाने-अनजाने देशभक्त शूरवीर क्रांतिकारियों के असीम त्याग, बलिदान एवं शहादतों की नींव पर खड़ी है। ऐसे ही अमर क्रांतिकारियों में शहीद भगत सिंह शामिल थे, जिनका नाम लेने मात्र से ही सीना गर्व एवं गौरव से चौड़ा हो जाता है। उनका जन्म 27 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर के बंगा गाँव (पाकिस्तान) में एक परम देशभक्त परिवार में हुआ। सरदार किशन सिंह के घर श्रीमती विद्यावती की कोख से जन्मे इस बच्चे को दादा अर्जुन सिंह व दादी जयकौर ने ‘भागों वाला’ कहकर उसका नाम ‘भगत’ रख दिया। बालक भगत को भाग्य वाला बच्चा इसीलिए माना गया था, क्योंकि उसके जन्म लेने के कुछ समय पश्चात् ही, स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण लाहौर जेल में बंद उनके पिता सरदार किशन सिंह को रिहा कर दिया गया और जन्म के तीसरे दिन दोनों चाचाओं को जमानत पर छोड़ दिया गया।

भगत सिंह का बचपन

बालक भगत सिंह में देशभक्त परिवार के संस्कार कूट-कूटकर भरे हुए थे। एक बार उनके पिता सरदार किशन सिंह उन्हें अपने मित्र मेहता के खेत में लेकर चले गए। दोनों मित्र बातों में मशगूल हो गए। इस बीच भगत सिंह ने खेल-खेल में खेत में छोटी-छोटी डोलियों पर लकड़ियों के छोटे छोटे तिनके गाड़ दिए। यह देखकर मेहता हतप्रभ रह गए। उन्होंने पूछा कि यह क्या बो दिया है, भगत? बालक भगत ने तपाक से उत्तर दिया कि ‘मैंने बन्दूकें बोई हैं। इनसे अपने देश को आजाद कराऊंगा’। कमाल की बात यह है कि उस समय भगत की उम्र मात्र तीन वर्ष ही थी। भारत माँ को परतन्त्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने वाले इस लाल की ऐसी ही देशभक्ति के रंग में रंगी अनेक मिसालें हैं।


पाँच वर्ष की आयु हुई तो उनका नाम पैतृक बंगा गांव के जिला बोर्ड प्राइमरी स्कूल में लिखाया गया। जब वे ग्यारह वर्ष के थे तो उनके साथ पढ़ रहे उनके बड़े भाई जगत सिंह का असामयिक निधन हो गया। इसके बाद सरदार किशन सिंह सपरिवार लाहौर के पास नवाकोट चले आए। प्राइमरी पास कर चुके बालक भगत सिंह को सिख परम्परा के अनुसार खालसा-स्कूल की बजाय राष्ट्रीय विचारधारा से ओतप्रोत लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में दाखिला दिलवाया गया। इसी दौरान 13 अप्रैल, 1919 को वैसाखी वाले दिन ‘रौलट एक्ट’ के विरोध में देशवासियों की जलियांवाला बाग में भारी सभा हुई। जनरल डायर के क्रूर व दमनकारी आदेशों के चलते निहत्थे लोगों पर अंग्रेजी सैनिकों ने ताड़बतोड़ गोलियों की बारिश कर दी। इस अत्याचार ने देशभर में क्रांति की आग को और भड़का दिया।

भगत सिंह ने ली थी शपथ

भगत सिंह ने अमृतसर के जलियांवाला बाग की रक्त-रंजित मिट्टी की कसम खाई कि वह इन निहत्थे लोगों की हत्या का बदला अवश्य लेकर रहेगा। सन् 1920 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया और देशवासियों से आह्वान किया कि विद्यार्थी सरकारी स्कूलों को छोड़ दें व सरकारी कर्मचारी अपने पदों से इस्तीफा दे दें। उस समय नौंवी कक्षा में पढ़ रहे भगत सिंह ने सन् 1921 में गांधी जी के आह्वान पर डी.ए.वी. स्कूल को छोड़ लाला लाजपतराय द्वारा लाहौर में स्थापित नैशनल कॉलेज में प्रवेश ले लिया। इस कॉलेज में आकर भगत सिंह यशपाल, भगवती चरण, सुखदेव, रामकिशन, तीर्थराम, झण्डा सिंह जैसे क्रांतिकारी साथियों के सम्पर्क में आए। कॉलेज में लाला लाजपत राय व परमानंद जैसे देशभक्तों के व्याख्यानों ने देशभक्ति का अद्भुत संचार किया। कॉलेज के प्रो. विद्यालंकार जी भगत सिंह से विशेष स्नेह रखते थे। वस्तुतः प्रो. जयचन्द विद्यालंकार ही भगत सिंह के राजनीतिक गुरु थे। भगत सिंह उन्हीं के दिशा-निर्देशन में देशभक्ति के कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते थे।

शादी से कर दिया था इंकार

इसी समय घरवालों ने भगत सिंह पर शादी का दबाव डाला तो उन्होंने विवाह से साफ इनकार कर दिया। जब हद से ज्यादा दबाव पड़ा तो देशभक्ति में रमे भगत सिंह देश की आजादी के अपने मिशन को पूरा करने के उद्देश्य से 1924 में बी.ए. की पढ़ाई अधूरी छोड़कर कॉलेज से भाग गए। फिर वे केवल और केवल देशभक्तों के साथ मिलकर स्वतंत्रता के संघर्ष में जूट गए। कॉलेज से भागने के बाद भगत सिंह सुरेश्चन्द्र भट्टाचार्य, बटुकेश्वर दत्त, अजय घोष, विजय कुमार सिन्हा जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आए। इसी के साथ भगत सिंह उत्तर प्रदेश व पंजाब के क्रांतिकारी युवकों को संगठित करने में लग गए। इसी दौरान भगत सिंह ने ‘प्रताप’ समाचार पत्र में बतौर संवाददाता अपनी भूमिका खूब निभाई। इन्हीं गतिविधियों के चलते भगत सिंह की मुलाकात भारतीय इतिहास के महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद से हुई।

भगत सिंह के परिवार वालों ने काफी खोजबीन करके भगत सिंह से लिखित वायदा किया कि वह घर वापिस आ जाए, उस पर शादी करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। परिवार वालों के इस लिखित वायदे व दादी जी के सख्त बीमार होने के समाचार ने भगत सिंह को वापिस घर लौटने के लिए बाध्य कर दिया। घर आकर वे पंजाब भर में घूम-घूमकर समाज की समस्याओं से अवगत होने लगे। सन् 1925 के अकाली आन्दोलन ने भगत सिंह को फिर सक्रिय कर दिया। अंग्रेज सरकार ने झूठा केस तैयार करके भगत सिंह के नाम गिरफ्तारी वारन्ट जारी कर दिया। भगत सिंह पंजाब से लाहौर पहुंच गए और क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय होकर अंग्रेज सरकार की नाक में दम करने लगे।

क्रांतिकारी बनने की दासतां

1 अगस्त, 1925 को ‘काकोरी-काण्ड’ हुआ। ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के सदस्यों द्वारा पार्टी के लिए धन एकत्रित करने के उद्देश्य से हरदोई से लखनऊ जा रही 8 डाऊन रेलगाड़ी के खजाने को लूट लिया गया। इस काण्ड में कुछ क्रांतिकारी पकड़े गए। पकड़े गए क्रांतिकारियेां को छुड़ाने के लिए भगत सिंह ने भरसक प्रयत्न किए, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हो सकी। मार्च, 1926 में उन्होंने लाहौर में समान क्रांतिकारी विचारधारा वाले युवकों को संगठित करके ‘नौजवान सभा’ का गठन किया और इसके अध्यक्ष का उत्तरदायित्व रामकृष्ण को सौंप दिया। रामकृष्ण औपचारिक अध्यक्ष थे, जबकि मूल रूप से संचालन भगत सिंह स्वयं ही करते थे। फिर इसकी शाखाएं देश के अन्य हिस्सों में भी खोली गईं।

जून, 1928 में इसी तर्ज पर भगत सिंह ने लाहौर में ही ‘विद्यार्थी यूनियन’ बनाई और क्रांतिकारी नौजवानों को इसका सदस्य बनाया। अंग्रेजी सरकार भगत सिंह के कारनामों से बौखलाई हुई थी। वह उन्हें गिरफ्तार करने का बहाना ढूंढ़ रही थी। उसे यह बहाना 1927 के दशहरे वाले दिन मिल भी गया। जब भगत सिंह तितली बाग से लौट रहे थे तो किसी ने दशहरे पर लगे मेले में बम फेंक दिया। भगत सिंह पर झूठा इल्जाम लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वस्तुतः पुलिस के इशारों पर वह बम चन्नणदीन नामक एक अंग्रेज पिट्ठू ने फेंका था। भगत सिंह को गिरफ्तार करके बिना मुकद्मा चलाए उन्हें लाहौर जेल में रखा गया और उसके बाद उन्हें बोस्टल जेल भेज दिया गया। पुलिस की लाख साजिशों के बावजूद भगत सिंह जमानत पर छूट गए। जमानत मिलने के बाद भी भगत सिंह सक्रिय क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन करते रहे।

8 अगस्त, 1928 को देशभर के क्रांतिकारियों की बैठक फिरोजशाह कोटला में बुलाई गई। भगत सिंह के परामर्श पर ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का नाम बदलकर ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ रख दिया गया। इस बैठक में क्रांतिकारियों ने कई अहम् प्रस्ताव पारित किए। एसोसिएशन का मुख्य कार्यालय आगरा से झांसी कर दिया गया। भगत सिंह ने कई अवसरों पर बड़ी चालाकी से वेश बदल कर अंग्रेज सरकार को चकमा दिया। 30 अक्तूबर, 1928 को लाहौर पहुंचे साइमन कमीशन का विरोध लाला लाजपतराय के नेतृत्व में भगत सिंह सहित समस्त क्रांतिकारियों व देशभक्त जनता ने डटकर किया। पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही में लाला जी को गंभीर चोटें आईं और लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। 17 नवम्बर, 1928 को लाला जी स्वर्ग सिधार गए। क्रांतिकारियों का खून खौल उठा। इस कार्यवाही के सूत्रधार स्कॉट को मारने के लिए क्रांतिकारियों ने 17 दिसम्बर, 1928 को व्यूह रचा, लेकिन स्कॉट की जगह साण्डर्स धोखे में मार दिया गया। इस काम को भगत सिंह ने जयगोपाल, राजगुरु आदि के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इसके बाद तो पुलिस भगत सिंह के खून की प्यासी हो गई।

बम फेंकने की योजना बनाई

आगे चलकर इन्हीं देशभक्त व क्रांतिकारी भगत सिंह ने कुछ काले बिलों के विरोध में असेम्बली में बम फेंकने जैसी ऐतिहासिक योजना की रूपरेखा तैयार की। क्रांतिकारियों से लंबे विचार-विमर्श के बाद भगत सिंह ने स्वयं बम फेंकने की योजना बनाई, जिसमें बटुकेश्वर दत्त ने उनका सहयोग किया। ‘बहरों को अपनी आवाज सुनाने के लिए’ भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को निश्चित समय पर पूर्व तय योजनानुसार असैम्बली के खाली प्रांगण में हल्के बम फेंके, समाजवादी नारे लगाए, अंग्रेजी सरकार के पतन के नारों को बुलन्द किया और पहले से तैयार छपे पर्चे भी फेंके। योजनानुसार दोनों देशभक्तों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया ताकि वे खुलकर अंग्रेज सरकार को न्यायालयों के जरिए अपनी बात समझा सकें।

इंकलाब जिन्दाबाद

7 मार्च, 1929 को मुकद्दमे की सुनवाई अतिरिक्त मजिस्ट्रट मिस्टर पुल की अदालत में शुरू हुई। दोनों वीर देशभक्तों ने भरी अदालत में हर बार ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ के नारे लगाते हुए अपने पक्ष को रखा। अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अन्तर्गत मामला बनाकर सेशन कोर्ट को सौंप दिया। 4 जून, 1929 को सेशन कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई। दोनों पर गंभीर आरोप लगाए गए। क्रांतिकारी भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने हर आरोप का सशक्त खण्डन किया। अंत में 12 जून, 1929 को अदालत ने अपना 41 पृष्ठीय फैसला सुनाया, जिसमें दोनों क्रांतिकारियों को धारा 307 व विस्फोटक पदार्थ की धारा 3 के अन्तर्गत उम्रकैद की सजा दी। इसके तुरंत बाद भगत सिंह को पंजाब की मियांवाली जेल में और बटुकेश्वर दत्त को लाहौर सेन्ट्रल जेल में भेज दिया गया। इन क्रांतिकारियों ने अपने विचारों को और ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए हाईकोर्ट में सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की। अंततः 13 जनवरी, 1930 को हाईकोर्ट ने भी सुनियोजित अंग्रेजी षड़यंत्र के तहत उनकी अपील खारिज कर दी। इसी बीच जेल में भगत सिंह ने भूख हड़ताल शुरू कर दी।

मृत्युदंड की सजा

इसी दौरान ‘साण्डर्स-हत्या’ केस की सुनवाई शुरू की गई। एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया। अपने मनमाने फैसले देकर अदालत ने भगत सिंह के साथ राजगुरु व सुखदेव को लाहौर षड़यंत्र केस में दोषी ठहराकर सजा ए मौत का हुक्म सुना दिया। पं. मदन मोहन मालवीय ने फैसले के विरुद्ध 14 फरवरी, 1931 को पुनः हाईकोर्ट में अपील की। लेकिन अपील खारिज कर दी गई। जेल में भगत सिंह से उनके परिवार वालों से मिलने भी नहीं दिया गया। भगत सिंह का अपने परिवार के साथ अंतिम मिलन 3 मार्च, 1931 को हो पाया था। इसके बीस दिन बाद 23 मार्च, 1931 को जालिम अंग्रेजी सरकार ने इन क्रांतिकारियों को निर्धारित समय से पूर्व ही फांसी के फन्दे पर लटका दिया और देश में कहीं क्रांति न भड़क जाए, इसी भय के चलते उन शहीद देशभक्तों का दाह संस्कार भी फिरोजपुर में चुपके-चुपके कर दिया। इस तरह सरदार भगत सिंह ‘शहीदे आज़म’ के रूप में भारतीय इतिहास में सदा सदा के लिए अमर हो गये। कल भी सरदार भगत सिंह सबके आदर्श थे, आज भी हैं और आने वाले कल में भी रहेंगे, क्योंकि उन जैसा क्रांतिवीर न कभी पैदा हुआ है और न कभी होगा। उनके सिद्धान्तों और आदर्शों पर चलकर ही कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकता है।

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रविवार, 27 सितंबर 2020

बस्ती -अपना दल ने किया भगत सिंह की 113 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी का आयोजन

अपना दल एस ने रविवार को छितहा स्थित पार्टी के जोन कार्यालय पर शहीदे आजम भगत सिंह की 113 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यकर्ताओं ने सर्वप्रथम भगत सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, शहीद तेरे अरमानों को मंजिल तक पहुंचाएंगे, आदि क्रांतिकारी नारे लगाए। गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष राम सिंह पटेल ने कहा कि भगत सिंह महान क्रांतिकारी के साथ ही महान विचारक भी थे,भगत सिंह राजनैतिक आजादी के साथ ही सामाजिक व आर्थिक आजादी का सपना देखें थे साम्राज्यवादी व्यवस्था को समूल नष्ट कर समानता पर आधारित मानववादी व्यवस्था स्थापित करने के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे,पर अफसोस है कि आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी उनका सपना अंधूरा है।
 व्यापार मंच विधानसभा सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि भगत सिंह खूनी क्रांति के बजाए वैचारिक क्रांति के पक्षधर थे, शासन तक जनता तक अपनी आवाज को पहुंचाने के लिए उन्होंने निर्धारित योजना के अनुसार असेंबली में ऐसे स्थान पर बंम फेंका जहां कोई मौजूद नहीं था वह चाहते तो बम फेंकने के बाद भाग भी सकते थे,पर अपनी आवाज को शासन और जनता तक पहुंचाने के लिए इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए साथ लाए पर्चो को हवा में उछाल कर अपने साथियों के साथ गिरफ्तारी दी।
 कार्यक्रम की अध्यक्षता कप्तानगंज उत्तरी के जोन अध्यक्ष प्रताप निषाद व संचालन राम तौल मौर्य ने किया।
 इस अवसर पर संजय चौधरी,पवन वर्मा, मोहम्मद रफीक,वीरेन्द्र निषाद,राम कुमार पटेल,राजमणि पटेल,अमर श्रीवास्तव,सूरज गुप्ता,प्रकाश पटेल,अतुल पटेल,चित्रसेन चौरसिया, ठाकुर दुर्गेश शर्मा,देव पटेल,राजेश वर्मा,उमेश शर्मा,ओम प्रकाश वर्मा,अमर नाथ निषाद,अकबाल, कुलदीप शर्मा,इसहाक अली ,जगराम गोंड़ आदि मौजूद रहे।

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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे जेडीयू में हुए शामिल, हाल ही में लिया था वीआरएस

 बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे  रविवार की शाम राज्य की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइडेड (JDU) में शामिल हो गए. गुप्तेश्वर पांडे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पार्टी में शामिल हुए. पांडे शनिवार को भी जेडीयू दफ्तर गए थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी लेकिन पार्टी में शामिल नहीं हो सके थे. पांडे ने चुनावी पारी खेलने के लिए ही पिछले दिनो डीजीपी पद से इस्तीफा देते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) ली थी. माना जा रहा है कि गुप्तेश्वर पांडे अपने गृह जिले बक्सर से चुनाव लड़ सकते हैं.

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शनिवार, 26 सितंबर 2020

वरिष्ठ पत्रकार नवीन बंसल आजाद पत्रकार मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोनीत

आजाद पत्रकार मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार नवीन बंसल को संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद पर मनोनीत किया है ।नवीन बंसल पिछले 1 दशक से भी ज्यादा समय से सोनीपत (हरियाणा) से स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे है। और देश भर में सैकड़ो यात्राएं कर पत्रकरो की समस्याओं पर शोध कर चुके है। 
संगठन ने नवीन बंसल में आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने कठिन परिश्रम से राष्ट्रीय स्तर पर संघठन को मजबूती प्रदान करेंगे और पत्रकरो के हित मे कार्य करते हुए संगठन के मुल्यों एवं  विचारों को पत्रकरो तक पहुंचा कर राष्ट्र में सशक्त पत्रकार शक्ति पैदा करेगें। नवीन बंसल ने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव सिंह का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया और कहा कि संगठन के लिए ईमानदारी व कर्मठता  से कार्य करते हुए सम्पूर्ण राष्ट्र में पत्रकरो के हितों की लड़ाई लड़ते हुए सभी पत्रकार साथियों को सशक्त बनाने का कार्य करेंगे। नवीन बंसल के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोनीत होने पर  संघठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओपी सिंह आजाद, राष्ट्रीय संघठन मंन्त्री करीम खान के साथ - साथ तमाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने श्री बंसल को शुभकामनाएं व बधाई दी।

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HAPPY BIRTHDAY मनमोहन सिंह -देश के आर्थिक सुधारों के असल सूत्रधार पूर्व पीएम को जानें ,कब क्या हुआ

वैश्विक स्तर पर फैले कोरोना वायरस ने जहां दुनिया भर के कई देशों को कमजोर किया है वहीं इस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था की गति को भी रोक दिया है।


लेकिन माना जाता है कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज भी पीएम होते तो शायद ऐसे हालत से निपटने के लिए भी कोई न कोई रास्ता अवश्य निकाल लेते। दरअसल, यूपीए कार्यकाल में दो बार प्रधानमंत्री रह चुके मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों का असल सूत्रधार माना जाता है। 

अपनी चुप्पी और सादगी की वजह से बाकी प्रधानमंत्रियों से अलग

बता दें कि मनमोहन सिंह साल 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं। मनमोहन सिंह अपनी चुप्पी और सादगी की वजह से भारत के बाकी प्रधानमंत्रियों से एकदम अलग हैं। पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को देश एक अर्थशास्त्री के रूप में ही ज्यादा याद करता है। हालांकि इस शांत स्वभाव के लिए उन्हें अक्सर आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल की

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) के एक गांव में हुआ था। मनमोहन सिंह ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी। उन्हें वहां कई अवॉर्ड से नवाजा गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र में थिसिस जमा की।

1991-1995 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को एक नई राह दिखाई

पी.वी. नरसिम्हाराव सरकार में बतौर वित्त मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वित्तीय बजट पेश करते हुए साल 1991-1995 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को एक नई राह दिखाई थी। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर के तौर पर मनमोहन सिंह ने साल 1991 में आर्थिक सुधार की दिशा में कई बड़े और अहम कदम उठाए। जिसकी बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिली।

आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत की

वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए मनमोहन सिंह ने कई ऐसे नियम बदले जिसने अर्थव्यवस्था को धीमा कर दिया था। साल 1991 में जब भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया तो मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे। देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत मनमोहन सिंह ने ही की थी।

मनरेगा आज भी रोजगार का एक बड़ा स्रोत

मनरेगा की शुरुआत भी मनमोहन सिंह का फैसला रहा, मनरेगा आज भी रोजगार का एक बड़ा स्रोत है। साल 1991 में मनमोहन सिंह ने संसद में बजट पेश किया था, जिसने भारत के लिए आर्थिक उदारीकरण के रास्ते खोल दिए थे। इस प्रस्ताव में वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के रास्ते खोलने का सुझाव भी शामिल था।

बतौर वित्तमंत्री नई आर्थिक नीति की बात की

मनमोहन सिंह ने बतौर वित्तमंत्री नई आर्थिक नीति की बात की और भारत ने तब आर्थिक उदारीकरण के जरिए इसके लिए अपने दरवाजे खोलने का फैसला किया। इसके अलावा साल 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ। ये मनमोहन सिंह की बड़ी सफलता मानी जाती है।

1991 में पहली बार असम से राज्यसभा सदस्य चुने गए

मनमोहन सिंह साल 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा सदस्य चुने गए।  इसके बाद 1995, 2001, 2007 और 2013 में वो फिर राज्यसभा से संसद पहुंच गए। साल 1998 से 2004 तक जब बीजेपी सत्ता में थी वो राज्यसभा में विपक्षी नेता भी थे। साल 1991 से 1996 तक मनमोहन सिंह ने भारत के वित्तमंत्री के रूप में काम किया।

जन्मदिन पर जानें मनमोहन सिंह से जुड़ी खास बातें

 मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब के चकवाल जिले के गह में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने अपनी पढ़ाई अमृतसर के हिंदू कॉलेज से की व पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और एमए की पढ़ाई करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन का रुख किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मनमोहन सिंह ने 1971 में आर्थिक सलाहकार के बतौर वाणिज्य मंत्रालय में काम किया। वहीं 1972 में उन्होंने वित्त मंत्रालय में मुख्य सलाहकार के रूप में काम किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और बाद में रिजर्व बैंक के गवर्नर तक का पद मनमोहन सिंह संभाल चुके हैं। सिंह ने 1991-1996 तक भारत के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। आर्थिक संकट में फंसे देश को निकालने के लिए मनमोहन सिंह ने खुली व्यापार की नीति को अपनाया। आज भारत ने जो आर्थिक तरक्की हासिल की है, उसके पीछे आर्थिक सुधारों का बड़ा रोल था। मनमोहन सिंह 1991 में राज्यसभा के लिए चुना गया। 1998 से 2004 तक सिंह राज्य सभा में विपक्ष के नेता भी रहे। मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। मनमोहन सिंह को 1987 में पद्म विभूषण, 1993 में एशिया मनी अवार्ड, 1994 में यूरो मनी अवार्ड, 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार व 1996 में एडम स्मिथ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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देश मे कोरोना वायरस के 85,362 नए मामले ,संक्रमितों की संख्या 57,32,518

भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस (Coronavirus) का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 3.25 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. यह वायरस 9.88 लाख से ज्यादा संक्रमितों की जिंदगी छीन चुका है. भारत (Coronavirus India Report) में भी हर रोज COVID-19 के मामले बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 57,32,518 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (शुक्रवार सुबह 8 बजे से लेकर शनिवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 85,362 नए मामले सामने आए हैं.

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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

यूपी-डीएम के खिलाफ धरने पर बैठे एसडीएम विनीत उपाध्याय ,मीडिया कवरेज पर रोक

लखनऊ -भ्रष्टाचार के मामले में जहां पूर्व डीजीपी ओपी तक का नाम भी सामने आ गया  है वही शीर्ष प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की बाढ़ सी आ गई है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का है, जहां के जिलाधिकारी के साथ ही दो एसडीएम पर गंभीर आरोप लगाकर एक अतिरिक्त एसडीएम अपनी पत्नी के साथ डीएम के सरकारी बंगले में धरने पर बैठे हैं। डीएम के बंगले का गेट अंदर से बंद है जबकि बाहर सुरक्षा सख्त कर दी गई है।


प्रतापगढ़ में जिलाधिकारी डॉ. रुपेश कुमार कलेक्ट्रेट परिसर के निकट अपने सरकारी बंगले में रहते हैं। शुक्रवार को दिन में करीब उनके आवास में एक बजे अतिरिक्त एसडीएम विनीत उपाध्याय अपनी पत्नी के साथ धरने पर बैठ गए। उनका आरोप है कि उनके खिलाफ एक जांच में एडीएम (एफआर) ने गलत रिपोर्ट लगा दी। इससे नाराज अतिरिक्त एसडीएम विनीत उपाध्याय ने डीएम डॉ. रुपेश कुमार और दो एसडीएम सहित कई कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

इसके बाद से वह डीएम आवास के अंदर धरने पर बैठे हैं और बाहर पुलिस का पहरा है। वहां पर सिर्फ मीडिया के प्रवेश पर रोक लगी है। पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को प्रवेश मिल रहा है

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प्रधानमंत्री, न्यायपालिका और मीडिया ने पुलवामा हमले और किसानों की हो रही मौत पर कितनी गहराई से जानने की कोशिश की

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

42480 किसानों ने एक साल के अंदर आत्महत्या किया है ,लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार और पीएम मोदी ने कभी इस बात के लिए जांच शुरू करवाने के लिए वकालत नही किया कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं।
सुशांत सिंह की मौत से हमे भी अफसोस है लेकिन इस देश मे सुशांत सिंह का क्या योगदान रहा है कोई बताये? सुशांत सिंह का योगदान यही रहा है कि जब वह अलग अलग गर्लफ्रैंड के साथ स्विमिंग पूल से लेकर प्रकृति की वादियों में हसीनाओं के साथ फ़ोटो शूट करते थे तब देश के युवक और युवतियों को मनोरंजन का एक क्षण मिल जाता था।

लेकिन देश का प्रधानमंत्री और देश की न्यायपालिका और यहां तक कि देश की मीडिया ने यह जानने का प्रयास नही किया गया कि आखिर पुलवामा हमले में 44 जवानों को कैसे आरडीएक्स से उड़ा दिया गया , यह जानने की कोशिश नही की गई कि आखिर इस देश में 110 से ज्यादा किसान प्रतिदिन आत्महत्या करने के लिए क्यों मजबूर होते हैं, यह जानने की कोशिश नही की गई कि आखिर सरकारी योजनाएं क्यों दम तोड़ती नजर आ रही हैं, यह जानने की कोशिश नही की गई कि आखिर उन्ही के सरकार में भ्रष्टाचार क्यों बढ़ गया ,यह जानने की कोशिश नही की गई कि आखिर बेरोजगारी दर क्यों बढ़ता चला गया।

भारतीय जनता पार्टी की सरकार को इन सब मुद्दों से कोई मतलब नही है यह यह सरकार झूठ की बुनियाद पर खड़ी होकर हर रोज नए नए प्रयोग करने में लगी है उदाहरण स्वरूप एक प्रयोग आज भी है जहां किसानों का भारत बंद और नारकोटिक्स विभाग का दीपिका पादुकोण से पूछताछ होना है।

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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

हेलो डीएम बस्ती- अगर अधिकारी कमीशन नही ले रहे हैं तो 80 लाख की लागत से बहुद्देशीय बीज भंडार के निर्माण में भ्रष्टाचार क्यों

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती-किसानों को एक ही छत के नीचे प्रमाणित बीज के साथ ही खेती किसानी से संबंधित प्रशिक्षण उपलब्ध कहानी के उद्देश्य  बनाए जा रहे बहुद्देशीय बीज भंडार एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के नाम पर जिम्मेदारों की आंखों के सामने गुणवक्ता विहीन भवन का निर्माण हो रहा है लेकिन भ्रष्टाचार मुक्त वाली सरकार में इतने बड़े भ्रष्टाचार पर कोई बोलने वाला नहीं है।

  69 लाख 24 हजार 979 रुपये  की लागत से  सल्टौआ ब्लॉक के प्रांगण में कृषि विभाग द्वारा बनवाया जा रहा है जिसमे घटिया किस्म के ईट के प्रयोग के साथ सारे मानकों को  दरकिनार कर भवन निर्माण का काम किया जा रहा है लेकिन कमीशन खोरी और हिस्सेदारी के प्रचलन के चलते जिम्मेदार जनों द्वारा घटिया निर्माण पर किसी भी प्रकार का कोई रोक टोक  होता नहीं दिखाई दे रहा है , जबकि फर्नीचर इत्याादि को लेकर इस केंद्र के निर्माण में ₹80 लाख खर्च होना है ।

 वह ईट जो भवन निर्माण में प्रयोग किया गया है

किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कृषि विभाग द्वारा यह योजना संचालित किया जाना है जहां   राजकीय बीज भंडार से प्रमाणित बीज के साथ ही उर्वरक की बिक्री सहकारी समितियों व निजी विक्रेताओं से कराई जाती है। बीज खरीद पर अनुदान डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए बैंक खाते में भेजा जाता है इन सब की बेहतरीन जानकारी के लिए ही इस भवन का निर्माण हो रहा है । किसानों को एक हाल के नीचे इकट्ठा करने के साथ ही खेती से जुड़ी नई जानकारियां बांटने के लिए ब्लॉक स्तर पर बहुद्देशीय बीज भंडार एवं प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना का फैसला लिया गया लेकिन भवन निर्माण के दौरान ही योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही ।

 आमतौर पर देखने को मिला है जनपद के अंदर कई सारे विभागों द्वारा भवन तैयार किया गया है लेकिन न तो वहां किसी प्रकार की बैठक की जाती है और ना ही उस भवन का कोई उद्देश्य आज तक दिखाई दिया ,ऐसे में सरकारी धन का दुरुपयोग साफ-साफ सामने दिखाई दे रहा है ऐसी स्थिति में जनपद के जिम्मेदार जनों पर एक बहुत बड़ा सवाल पैदा होता है क्या वह सरकारी धन का दुरुपयोग करने के लिए ही अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं या फिर जनता के हित के लिए काम करने के लिए वह अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।

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बस्ती-देखते ही देखते खंडहर में तब्दील हो गया 14 लाख रुपए की लागत से बनाई गई पंचायत भवन

केoसीo श्रीवास्तव

सल्टौआ - गांव के लोगों को एक ही छत के नीचे  ग्राम पंचायत के माध्यम से कई सारी सुविधाओं का लाभ देने के लिए  पंचायत भवन का निर्माण तो करवाया गया  लेकिन देखरेख के अभाव और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलते  पंचायत भवन  बनाने की उद्देश्य पर पानी फिर गया।

तस्वीर सल्टौआ ब्लॉक के करमहिया ग्राम पंचायत की है जहाँ एक दशक पूर्व ग्राम पंचायत के माध्यम से गांव में पंचायत भवन का निर्माण करवाया गया था लेकिन लाखों की लागत से बनाया गया पंचायत घर जर्जर होकर टूट कर गिरने के कगार पर पहुंच गया।


 10 वर्ष पूर्व 14 लाख रुपया खर्च करके इस पंचायत भवन का निर्माण हुआ था लेकिन पंचायत भवन बनने के बाद न तो यहां कभी अधिकारी आये ना कर्मचारी आये और ना ही ग्राम पंचायत से संबंधित कोई बैठक किया गया जिसका परिणाम है कि पंचायत भवन के चारों तरफ  झाड़ियों का अंबार लग गया एवं भवन की अंदर लगे खिड़की दरवाजे भी गायब हो गए।

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बुधवार, 23 सितंबर 2020

बस्ती- कोटेदार ने कहा निर्धारित मूल्य और पूरे यूनिट पर राशन लेना हो तो योगी आदित्यनाथ के पास जाओ

विश्वपति वर्मा(सौरभ)/अतुल श्रीवास्तव

बस्ती/भानपुर- खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र व्यक्तियों को कम दाम पर राशन देने के लिए भले ही कानून बनाया गया है लेकिन निचली इकाई पर हो रहे भ्रष्टाचार के चलते कार्ड धारकों को निर्धारित मूल्य से ज्यादा दाम पर राशन लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
रामनगर ब्लॉक के पिरैला गरीब ग्राम पंचायत में संचालित सरकारी कोटे की दुकान पर कार्डधारकों से निर्धारित मूल्य से ज्यादा पर राशन लेना पड़ रहा है वहीं प्रति कार्ड पर 1 यूनिट राशन भी कार्डधारकों को कम मिल रहा ।

 राशन खरीदने के लिए तय किये गए मूल्य 2 रुपया किलो गेहूं और तीन रुपया किलो चावल को पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को 4 रुपया प्रति किलो खरीदना पड़ रहा है ,कार्ड धारक द्वारा इस बात का विरोध करने पर कोटेदार मोबिन द्वारा कहा जाता है कि निर्धारित मूल्य पर राशन लेना हो तो सरकार के पास जाओ ,कोटेदार का कहना है कि हमारे भी खर्चे हैं हम पूरे यूनिट का राशन नही दे पाएंगे।

पात्र गृहस्थी कार्ड धारक शकीना का कहना है कि उनके कार्ड पर 3 लोगों का नाम दर्ज है लेकिन कोटेदार द्वारा मात्र 2 यूनिट पर ही राशन दिया जाता है शकीना ने बताया कि 10 किलो राशन के लिए 40 रुपया भुगतान करना पड़ता है वहीं घर लाकर राशन की तौल करने पर डेढ़ किलो ग्राम तक राशन कम रहता है।
एक और कार्ड धारक फरीदा खातून ने बताया कि उनके पास पात्र गृहस्थी का कार्ड है जिसमे 6 लोगों का नाम दर्ज है उनका कहना है कि हमे 5 यूनिट पर राशन दिया जाता है जिसके लिए 100 रुपया देना पड़ता है वहीं घर लाकर राशन की तौल करने पर 2 से 3 किलोग्राम राशन कम रहता है।
गांव वालों की शिकायत के बाद जब कोटेदार मोबिन से बात किया गया तो उन्होंने खुद स्वीकार किया कि यहाँ महंगे दामों पर राशन वितरण किया जाता है, कोटेदार ने  कहा कि हमे ऊपर तक पैसा देना पड़ता है इस लिए निर्धारित मूल्य पर राशन बेंचने पर हमारा फायदा नही होगा ,कोटेदार ने कहा कि हम 4 रुपया किलो राशन बेंचते हैं और 1 यूनिट कम देते हैं क्योंकि पूरे यूनिट पर राशन देना संभव नही है।

इस सम्बंध में पूर्ति निरीक्षक भानपुर रमेश चन्द्र वर्मा से जब बात हुई तब उन्होंने कहा कि कार्ड धारक को प्रति यूनिट पर राशन दिया जाना चाहिए एवं निर्धारित मूल्य पर राशन का वितरण होना चाहिए उन्होंने कहा कि हम मौके की जांच करवा कर उचित कार्यवाई की जाएगी।






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देश में कोविड-19 के 56,46,010 हजार मामलों के साथ मृतकों की संख्या बढ़कर 90,020

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में 83,347 नए मामले सामने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 56,46,010 हो गई तथा 1,085 और लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 90,020 हो गई.

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मंगलवार, 22 सितंबर 2020

बस्ती -मीडिया दस्तक के संपादक ने कोतवाल रामपाल यादव पर लगाया धमकी देने का आरोप

बस्तीः पत्रकार अशोक श्रीवास्तव को प्रभारी निरीक्षक कोतवाली रामपाल यादव ने नोटिस की धमकी दिया है। यह जानकारी अशोक श्रीवास्तव ने स्वयं दी। उन्होने कहा करीब एक हफ्ते पहले पूर्व में मीडिया दस्तक में कार्यरत पत्रकार लवकुश यादव के खिलाफ कोतवाल को प्रार्थना पत्र देकर सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग किया था। 

एक हफ्ता बीत जाने व बार बार आग्रह के बाद कोतवाल ने मुकदमा दर्ज नही की तो अशोक श्रीवास्तव ने एक पोस्ट डाला जिसमें लिखा था ‘‘कोतवाल रामपाल यादव को एक हफ्ते पहले हमने तहरीर देकर पत्रकार लवकुश यादव के खिलाफ तहरीर के अनुसार सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कार्यवाही की मांग किया है। अभी तक कोतवाल ने इस मामले में कोई कार्यवाही नही की। कोतवाल से सवाल है आरोपी से रिश्तेदारी जुड़ गयी या फिर फरियादी से कोई संभावना नजर नही आ रही है ? एक बार फिर निवेदन है कृपया कार्यवाही करें।’’ इस पोस्ट को पढ़कर कोतवाल आग बबूला हो गये और पत्रकार अशोक श्रीवास्तव को नोटिस की धमकी दे डाला। आपको बता दें अशोक श्रीवास्तव ने लवकुश पर संस्था में न रहते हुये संस्था का फर्जी लोगों और आईडी बनवाकर उसका दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। मामले में मुकदमा न दर्ज कर कोतवाल आरोपी के पक्ष में ही खड़े दिखाई दे रहे हैं।

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सोमवार, 21 सितंबर 2020

बस्ती- 16 सूत्रीय मांगों को लेकर सपा का धरना, भानपुर में प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने तहसील में घुसने से रोका

भानपुर: समाजवादी पार्टी के  शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश भर के तहसील मुख्यालय पर आयोजित धरना प्रदर्शन में आज भानपुर तहसील में विधानसभा अध्यक्ष मो०उमर खान नेतृत्व में सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए सपाइयों ने सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला।
प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश भर में बेकाबू कोरोना संक्रमण, सपा कार्यकर्ताओं के ऊपर हो रहे उत्पीड़न, किसानों, छात्रों, महिला सुरक्षा व भ्रष्टाचार आदि मांगो को लेकर  प्रदेशव्यापी प्रदर्शन के दौरान भानपुर तहसील गेट के बाहर सपा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

  सड़क पर नारेबाजी करते हुए  सपा कार्यकर्ता तहसील के अंदर जा रहे थे लेकिन मौके पर सीओ रुधौली शक्ति सिंह व भारी संख्या में मौजूद रही तीन थाना क्षेत्रों की पुलिस ने तहसील परिसर में उन्हें घुसने ही नहीं दिया ,बाद में विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व विधायक राम ललित चौधरी आदि ने तहसीलदार केशरी नन्दन तिवारी को बाहर ही मांग पत्र सौंपना पड़ा।

 मांग पत्र में भानपुर में बन रहे अग्नि शमन केंद्र को जल्द सेवा के लाने, जर्जर विद्युत खम्भों को ठीक कराने, क्षेत्र के जर्जर हो चुके देईपार, दसिया, घोलवा व मझौआ मार्ग की मरम्मत, वाल्टरगंज चीनी मील को चलाने व बकाया दिलाने, जंगली जानवरों से फसलों से बर्बादी को रोकने, सपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे उत्पीड़न को बंद करने, फसलों में ओलावृष्टि आदि से हुए नुकसान को दिलाने, बिजली दर वृद्धि व लॉकडाउन के दौरान स्कूली छात्रों के फीसमाफी आदि समस्याएं शामिल रहीं।

इस दौरान सूर्य नारायण पाण्डेय, प्रमोद यादव, महेश चौधरी,विजय प्रकाश वर्मा,उमाशंकर यादव, सहाबुद्दीन,रामचन्द्र यादव,  महेश चौधरी, राधेश्याम यादव,  जमुना यादव, महेंद्र यादव , जर्सी यादव , शिवप्रसाद यादव, राजमंगल वर्मा,देवी यादव, शिव मूरत एडवोकेट, रामतीरथ यादव, छोटेलाल यादव आदि मौजूद रहे।

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किसान बिल को लेकर रविवार को राज्यसभा में हुये हंगामे के चलते आठ सांसद निलंबित

किसान बिल को लेकर राज्यसभा में रविवार को हुए हंगामे के चलते तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन सहित आठ विपक्षी सांसद निलंबित कर दिया गया है. जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें डेरेक ओ'ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस), संजय सिंह (आप), राजीव साटव (कांग्रेस), के.के. रागेश (सीपीएम), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस), एलामरम करीम (सीपीएम) शामिल हैं.

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टेक्नोलॉजी का क्षेत्र चाक चौबंद हो जाये तो ऑनलाइन शिक्षा स्कूलों की जगह कभी नही ले सकती

विश्वपति वर्मा-

शिक्षा नीति में किये गये सभी बदलावों पर विस्तार से चर्चा बाद में करेंगे ,लेकिन शिक्षा के सम्पूर्ण ढाँचे , उसकी संचालन प्रणाली , प्रशासनिक निकाय , विभिन्न की स्तर की शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सत्र , परीक्षा और प्रमाण पत्र , फीस का निर्धारण , शैक्षिक संस्थानों का एकेडमिक बैंक क्रेडिट जैसी मान्यता , उच्च शिक्षा का निर्देशन और विनिमय करने वाले यूजीसी , एआईसीटीसी और अन्य सभी आयोगों की जगह सरकार के अधीन एकल निकाय बनाना , विशिष्ट शिक्षण संस्थानों , जैसे आईआईटी , आईआईएम , एम्स इत्यादि में कला , मानविकी सहित बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा , स्नातक पाठ्यक्रम में एक साल , दो साल या तीन साल पढ़ाई करके छोड़ने पर क्रमशः के सर्टिफिकेट , डिप्लोमा और डिग्री देने की व्यवस्था जैसे तमाम प्रावधानों पर विचार करने से ऐसा प्रतीत होता है कि ये बदलाव खुद पूँजीवादी व्यवस्था के लिए कुशल संचालकों को तैयार करने के लिहाज से भी बेकार साबित होंगे ।
 नई शिक्षा नीति में ऑनलाइन पढ़ाई को काफी तरजीह दिया गया है । यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार शिक्षा को लेकर हो कितनी गम्भीर है । लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की विकट ढाँच परिस्थिति में शिक्षा को जैसे - तैसे जारी रखने के लिए ऑनलाइन  पढ़ाई का तात्कालिक विकल्प प्रस्तुत किया गया । यह कितना व्यवहारिक और सफल रहा है , इस पर कोई शोध अध्ययन अभी तक सामने नहीं आया , लेकिन अपने प्रत्यक्ष अनुभव से हम समझ सकते की हैं कि यह कितना कारगर है । अधिकांश अभिभावक जिनमें कोरोना लॉकडाउन के चलते करोड़ों की संख्या में रोजी - रोजगार गवाँ चुके लोग भी शामिल हैं , जिनके बच्चों की पढ़ाई ही छूट गयी है , उनकी  हैसियत अपने बच्चों को लैपटॉप या स्मार्ट फोन दिलाने की नहीं है । जिन थोड़े लोगों के पास ये साधन हैं भी , वहाँ नेटवर्क की समस्या है । छात्रों की तो बात ही क्या , दूर - दराज के इलाकों में शिक्षकों को क्षेत्र भी खराब नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है । अगर सबकुछ चाक - चौबन्द हो , तो भी क्लास रूम में शिक्षक और छात्रों के बीच जो जीवन्त संवाद और प्रत्यक्ष सम्पर्क होता है , ऑनलाइन पढ़ाई उसकी जगह नहीं ले सकती ।

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बीमारी से जूझ रहे अखबार के हॉकर के लिए समाजसेवी अमित सिंह ने बढ़ाया मदद का हाथ

बस्ती - सल्टौआ ब्लॉक के जिनवा निवासी अखबार के हॉकर रामदास के शरीर मे लकवा मारने की वजह से जीविकोपार्जन के लिए खड़ी हो चुकी आर्थिक संकट के बीच मदद के लिए हाथ बढ़ने शुरू हो गए हैं जिससे परिवार के लोगों में बेहतर इलाज की उम्मीद बढ़ी है।
जनपद के जिनवा निवासी रामदास पिछले 25 सालों से अखबार बेंचने का काम कर रहे थे लेकिन पिछले 2 साल से शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मारने की वजह से शरीर ने काम करना बंद कर दिया था जिससे लगातार दो वर्षों से वह बिस्तर पर लेट कर अपनी बीमार जिंदगी को काट रहे हैं ।

रामदास की माली हालत ठीक न होने की वजह से समय से इलाज मिलने में भी कठिनाई होने लगी इसी बीच मीडिया के जरिये इनकी समस्या को जगह दी गई तो अनेकों हिस्सों से लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है ।

रामदास की समस्या की जानकारी पाकर बनकटी ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अमित सिंह ने उनके घर पहुंच कर सहायता राशि उपलब्ध करवाई ,सहायता राशि पाकर परिवार के लोगों ने उन्हें धन्यवाद दिया एवं उनकी पत्नी सोभा देवी ने कहा कि इस वक्त दवा लाने के लिए भी पैसे नही थे ऐसी स्थिति में इस सहयोग को भुलाया नही जा सकता ।

समाजसेवी अमित सिंह ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की सहायता करना ही इंसान का असली धर्म है उन्होंने कहा कि आगे और भी सहायता प्रदान की जाएगी। 

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रविवार, 20 सितंबर 2020

लोकसभा में पास हुए कृषि संबंधित बिल का सड़क से लेकर सदन तक क्यों हो रहा विरोध,पढ़ें आसान भाषा में

विश्वपति वर्मा-

कृषि से संबंधित दो अध्यादेशों को गुरुवार के दिन 5 घंटे चली लंबी बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया है. कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, सवर्धन और विधेक-2020 और किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य  विधेयक, 2020 अब लागू हो चुका है. ऐसे में इसके पास होने के फौरन बाद भाजपा को विपक्षियों के साथ साथ अपने सहयोगियों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच बिल पारित होने के बाद भाजपा की सहयोगी दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. वहीं विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया. लेकिन हमारे पाठक जानना चाहते हैं कि आखिर इस विधेयक में ऐसा क्या है जो सड़क से लेकर सदन तक विरोध हो रहा है।
तमाम विरोधों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है. ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे.उन्होंने ट्वीट किया, किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं. मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी. ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प प्रदान कर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं.

सहयोगी पार्टी भी कर रही विरोध

बता दें कि अकाली दल के इस्तीफा देने के बाद इस मामले में मोदी सरकार का घेराव और भी ज्यादा होने लगा है. गुरुवार के दिन जब सदन में अध्यादेश को लाया गया, तभी से शिरोमणि अकाली दल इस बिल का विरोध कर रही है. लोकसभा में बिल के पेश किए जाने पर शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हरसिमरत कौर केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा देंगी.

मेहनत होगी बर्बाद

सदन में बिल पर हो रही चर्चा के बीच NDA सहयोगी सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि किसानों की भावनाओं को सरकार को बता दी गई है. हमने काफी प्रयास किया कि लोगों की आशंकाएं दूर की जाएं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. पंजाब राज्य में कृषि के आधारभूत ढांचे को तैयार करने में सरकारों ने कठिन परिश्रम किया है और इसमें 50 वर्ष का समय लगा है. यह अध्यादेश सरकारों की 50 साल की मेहनत को बर्बाद कर देगा. बता दें कि इस अध्यादेश का विरोध विपक्षी दलों ने भी खूब जोर-शोर से किया. उनका मानना है कि यह कानून किसानों को सुरक्षाकवच के रूप में दिए जा रहे MSP (न्यूनतम ब्रिक्री मूल्य) प्रणाली को कमजोर कर देगा. ऐसे में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी.

बिल में क्या है?

अगर बिल के विरोध की बात करें तो किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक परिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है. यानी एक ऐसा माहौल तैयार किया जाएगा, जहां किसान और व्यापारी किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसलों को बेच और खरीद सकेंगे. इस बिल के मुताबिक जरूरी नहीं कि आप राज्य की सीमाओं में रहकर ही फसलों की बिक्री करें. साथ ही बिक्री लाभधायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का भी लाभ ले सकेंगे.

वहीं अगर दूसरे बिल किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 की बात करें तो इसके तहत कृषि समझौते पर राष्ट्रीय ढांचे को तैयार करने का प्रावधान किया गया है. यानी इसके जरिए किसानों को कृषि व्यापार में किसानों, व्यापारियों, निर्यातकों इत्यादि के लिए पारदर्शी तरीके से सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराना है.

बिल में ये चीजे हैं शामिल

1- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक,2020 के तहत किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे. अगर राज्य में उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा या मंडी सुविधा नहीं है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेंच सकता है. साथ ही फसलों को ऑनलाइन माध्यमों से भी बेंचा जा सकेगा, और बेहतर दाम मिलेंगे.

2- मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के तहत किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया गया है. इसके माध्यम से सरकार बिचौलिओं को खत्म करना चाहती है. ताकि किसान को उचित मूल्य मिल सके. इससे एक आपूर्ति चैन तैयार करने की कोशिश कर रही है सरकार.

3- आवश्यक वस्तु (संशोधन), 2020 के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं. इनका अब भंडारण किया जाएगा. इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है.

विरोध क्यो?

1- इसमें किसानों व अन्य राजनैतिक पार्टियों का कहना है कि अगर मंडियां खत्म हो गई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Selling Price) नहीं मिल पाएगी. इसलिए एक राष्ट्र एक MSP होना चाहिए.

2- विरोध का कारण यह भी है कि कीमतों को तय करने का कोई तंत्र नहीं है. इसलिए किसानों और राजनैतिक दलों की चिंता यह है कि कहीं निजी कंपनियां किसानों का शोषण न करें.

3- चिंता यह भी है कि व्यापारी इस जरिए फसलों की जमाखोरी करेंगे. इससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होगी और महंगाई बढ़ेगी. ऐसें में इन्हें नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है.

4- राज्य सरकारों को चिंता यह भी है कि अगर फसलों के उचित दाम राज्य में नहीं दिए जाएंगे तो किसान पड़ोसी राज्य में जाकर अपनी फसलें बेंच सकेंगे. ऐसे में राज्य सरकारों को फसल संबंधित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

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शनिवार, 19 सितंबर 2020

सरकार ने सदन में बताया ,बीएसएनएल में 50 फीसदी से अधिक मोबाइल नेटवर्क उपकरण चीनी कंपनियों के हैं

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा उपयोग किए जाने वाले 50 प्रतिशत से अधिक मोबाइल नेटवर्क उपकरण दो चीनी कंपनियों- हुआवे और जेडटीई से आते हैं.वहीं महानगर टेलीकॉम लिमिटेड (एमटीएनएल) द्वारा उपयोग किए जाने वाले 10 प्रतिशत मोबाइल नेटवर्क उपकरणों की चीनी विक्रेताओं द्वारा आपूर्ति की जाती है.भारत सरकार ने बीते गुरुवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी.
संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने अपने जवाब में कहा, ‘भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के पास अपने मोबाइल नेटवर्क उपकरण का 44.4 प्रतिशत हिस्सा जेडटीई से आया है और हुआवेई का इसमें 9.0 प्रतिशत हिस्सेदारी है. महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के मोबाइल नेटवर्क उपकरणों में 10 प्रतिशत हिस्सा चीनी उपकरण निर्माताओं के हैं.

सरकार द्वारा संचालित बीएसएनएल और एमटीएनएल में केवल 2जी और 3जी नेटवर्क हैं. लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी सैनिकों के साथ एक सीमा पर झड़प के बाद, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, सरकार ने भारत में कई चीनी कंपनियों पर बैन लगाने का कदम उठाया है.इसी रणनीति के हिस्से के रूप में दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 17 जून को दोनों सरकारी टेलीकॉम को 4जी के रोल-आउट के लिए अपने टेंडर को रद्द करने के लिए कहा था.

धोत्रे ने यह भी बताया कि निजी टेलीकॉम कंपनियों में रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने अपने नेटवर्क में ‘जेडटीई और हुआवेई के किसी भी दूरसंचार उपकरण’ को शामिल नहीं किया है, जबकि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ‘मल्टी-वेंडर’ रणनीति का पालन करते हैं, जिसमें चीनी विक्रेताओं के उपकरण भी शामिल हैं.वैसे सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को चीनी दूरसंचार उपकरण विक्रेताओं से सामान खरीदने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन लाइसेंस मानदंडों के हिस्से के रूप में ऐसे विक्रेताओं के लिए ‘व्यापक सुरक्षा स्थिति’ का पालन किया जाता है.

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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

बस्ती - वरिष्ठ पत्रकार अनिल कुमार श्रीवास्तव का निधन , कोरोना जांच में पाए गए थे पॉजिटिव

बस्ती-  वरिष्ठ पत्रकार एवं विचार परक अखबार के प्रधान संपादक अनिल कुमार श्रीवास्तव का जनपद के मेडिकल कालेज में 65 वर्ष की उम्र में आज निधन हो गया ।
अनिल कुमार श्रीवास्तव मूल रूप से सिद्धार्थनगर जनपद के रानी भानपुर गाँव के निवासी थे पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी दिनों से उनका कार्यक्षेत्र बस्ती था ।

कोरोना वायरस जांच में पॉजिटिव पाए जाने पर एक हप्ते पूर्व उन्हें मेडिकल कालेज बस्ती में भर्ती किया गया था लेकिन संक्रमण ने एक नेक दिल इंसान की जिंदगी को छीन लिया जिससे मंडल भर में पत्रकारिता जगत के लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं।


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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

युवाओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से नौकरियों में सेंध लगाने वाली योगी सरकार को सौंपा ज्ञापन

बस्ती-सरकारी नौकरियों की मांग और प्रदेश में सरकारी नौकरियों में पहले पांच वर्ष संविदा पर नियुक्ति दिए जाने के विरोध में गुरुवार को आल बीटीसी वेलफ़ेयर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव आयुष शुक्ल के नेतृत्व में सैकड़ो युवाओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँचकर ज्ञापन दिया। युवाओं ने इसे युवा विरोधी बताते हुए काले कानून का नाम दिया है।
आयुष शुक्ल ने चिंता जताते हुए कहा कि अगर सरकार सरकारी नौकरियों में पहले पांच साल कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्त करने और हर छ: माह पर उनकी परीक्षा लेने के अपने निर्णय में सफल हो गई तो गरीब, मजदूर, निम्न मध्यम वर्ग से आने वाले युवाओं का शोषण होगा।

उत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार युवाओं को रोजगार न देना पड़े इस लिए सरकारी नौकरियों में तरह - तरह की बाधाए डाल रही है। युवाओं ने कहा कि अगर आज हमने आवाज नहीं उठाई तो भविष्य में कोई भी सरकार युवाओं को रोजगार नहीं देगी नौकरियों की मांग के लिए सैकड़ों युवा विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और कार्यालय में ज्ञापन सौंपा

 इस मौके पर पवन मौर्य, मेराज़, ऋषभ भार्गव, देवेंद्र कुमार चौधरी,आदित्य पाण्डेय, विजय कुमार, ज्योतिष पाण्डेय,शैलेन्द्र,प्रदीप कुमार, अशोक कुमार, अरुन चौधरी समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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बस्ती- ठंडी,गर्मी और बरसात में समय पर पहुंचाते थे अखबार ,लकवा मारने से फूटी कौड़ी के हुए मोहताज

विश्वपति वर्मा

बस्ती-एक दौर था जब लोगों के पास खबरों को देखने और सुनने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं का अकाल था तब लोग पन्नों में देश दुनिया की खबरों को पढ़ने के लिए अखबार के हॉकर का इंतजार करते थे ,हॉकर भी ठंडी, गर्मी , बरसात से लेकर ट्रैफिक के बीच से निकलते हुए जल्द से जल्द पाठकों तक पहुंचने के लिए प्रयत्नशील रहता था ,लेकिन हालात ने एक अखबार विक्रेता को पूरी तरह से तोड़ दिया है जिसका परिणाम है कि आज लकवा मार चुके शरीर की दवा कराने के लिए परिवार के पास फूटी कौड़ी भी नही बचा है।

जनपद के भानपुर तहसील के अंतर्गत जिनवा निवासी रामदास 62 वर्ष कई दशक से अखबार बेंचने का काम करते थे नामी गिरामी अखबार को समय से पाठकों के बीच पहुंचाना और लोगों से मधुर संबंध बनाए रखने की वजह से हर कोई उन्हें सम्मान देता था लेकिन आज हालात ने जो स्थिति पैदा किया है उससे मान- सम्मान ,बात व्यवहार सब अतीत के लम्हों में दफन हो गया।
राम दास को दो वर्ष पूर्व शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार गया ,कुछ दिन तक तो परिवार के लोगों ने मेहनत से इलाज करवाया लेकिन जब आमदनी के सारे स्रोत बंद हो गए तो दवा कराने के लिए भी परिवार के पास कोई विकल्प नही बचा आज स्थिति यह है कि शानदार कद काठी का इंसान पैसे के अभाव में विस्तर पर तड़पने के लिए मजबूर है।
आयुष्मान भारत के लाभ से वंचित

रामदास भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना के लाभ से भी वंचित है आयुष्मान भारत योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवार को पांच लाख रुपये तक का इलाज करवाने का बीमा मिलता है लेकिन कार्ड न बन पाने की वजह से परिवार के लोग इस योजना से भी वंचित हो गए हैं।
पेंशन के लिए किया गया आवेदन

जिला विकलांग पुर्नवास केंद्र के मनोवैज्ञानिक राधेश्याम चौधरी ने बताया कि रामदास को पेंशन का लाभ दिलवाने के लिए आवेदन किया गया है जल्द ही उन्हें योजना का लाभ मिलेगा उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर व्हील चेयर की व्यवस्था भी कराई जाएगी।

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कोविड-19 से 382 डॉक्टरों की मौत के बाद केंद्र की उदासीनता पर IMA ने सरकार को बताया पाखंडी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने केंद्र सरकार के उस बयान पर नाराजगी जताई है जिसमें सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों (Doctors die of covid-19) व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा नहीं है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने प्रेस रिलीज जारी की और कहा, 'अगर सरकार कोरोना संक्रमित होने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर का डेटा नहीं रखती और यह आंकड़े नहीं रखती कि उनमें से कितनों ने अपनी जान इस वैश्विक महामारी के चलते कुर्बान की तो वह महामारी एक्ट 1897 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू करने का नैतिक अधिकार खो देती है. इससे इस पाखंड का का भी पर्दाफाश होता है कि एक तरफ इनको कोरोना वॉरियर कहा जाता है और दूसरी तरफ इनके और इनके परिवार को शहीद का दर्जा और फायदे देने से मना किया जाता है.'
एसोसिएशन ने आगे कहा, 'बॉर्डर पर लड़ने वाले हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान खतरे में डालकर दुश्मन से लड़ते हैं लेकिन कोई भी गोली अपने घर नहीं लाता और अपने परिवार के साथ साझा करता, लेकिन डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करते हुए ना सिर्फ खुद संक्रमित होते हैं बल्कि अपने घर लाकर परिवार और बच्चों को देते हैं.'

एसोसिएशन आगे कहती है, 'केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल राज्यों के तहत आते हैं इसलिए इंश्योरेंस कंपनसेशन का डाटा केंद्र सरकार के पास नहीं है. यह कर्तव्य का त्याग और राष्ट्रीय नायकों का अपमान है जो अपने लोगों के साथ खड़े रहे.' इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन 382 डॉक्टर की लिस्ट जारी की जिनकी जान कोरोना के चलते गई.

IMA की ये चार मुख्य मांगें हैं... 
1. सरकार कोरोना से मारे गए डॉक्टर्स को शहीद का दर्जा दे
2. देश की सरकार इनके परिवार को सांत्वना और मुआवजा दे
3. सरकार नर्सों व अन्य हेल्थ केयर वर्कर प्रतिनिधि से भी ऐसा डेटा ले
4. प्रधानमंत्री उचित समझें तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को बुलाएं और उनकी चिंताएं समझें और सुझाव लें

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बुधवार, 16 सितंबर 2020

कोरोनावायरस से एक दिन में सबसे ज़्यादा 1,290 की मौत, पिछले 24 घंटे में सामने आए 90,123 मामले

India Coronavirus Updates: भारत में कोरोनावायरस के केस 50 लाख के पार पहुंच गए हैं. 50 लाख कोरोना के केस दर्ज करने वाला भारत दूसरा देश बन गया है. वहीं, एक दूसरी खबर यह भी है कि पिछले 24 घंटों में देश में अब तक की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. 16 सितंबर की सुबह तक पिछले एक दिन में सबसे ज़्यादा 1,290 लोगों की मौत हुई है. वहीं, पिछले 24 घंटे में 90,123 मामले सामने आए हैं.


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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

सरकार ने कहा लॉकडाउन में सड़क हादसे में मरने वाले मजदूरों का कोई आंकड़ा नही ,इसलिए मुआवजा देने का नही उठता सवाल

केंद्रीय श्रम मंत्रालय (union labour ministry) ने सोमवार को लोकसभा में बताया है कि प्रवासी मजदूरों की मौत पर सरकार के पास आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजा देने का 'सवाल नहीं उठता है'. दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि कोरोनावायरस लॉकडाउन में अपने परिवारों तक पहुंचने की कोशिश में जान गंवाने वाले प्रवासी मजदूरों के परिवारों को क्या मुआवजा दिया गया है? सरकार के जवाब पर विपक्ष की ओर से खूब आलोचना और हंगामा हुआ. श्रम मंत्रालय ने माना है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोनों से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं.
             लॉकडाउन की एक तस्वीर

कोरोनावायरस के बीच हो रहे पहले संसदीय सत्र में मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? साथ ही सवाल यह भी था कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?

इसपर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब में बताया कि 'ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है. ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है.'

इसपर कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह ने कहा कि 'यह हैरानजनक है कि श्रम मंत्रालय कह रहा है कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत पर कोई डेटा नहीं है, ऐसे में मुआवजे का कोई सवाल नहीं उठता है. कभी-कभी मुझे लगता है कि या तो हम सब अंधे हैं या फिर सरकार को लगता है कि वो सबका फायदा उठा सकती है.'

बता दें कि मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देशभर में लॉकडाउन लगने का ऐलान किया था, जिसके बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर बेघर और बिना रोजगार वाली स्थिति में आ गए थे, कइयों को उनके घर से निकाल दिया गया, जिसके बाद वो अपने गृहराज्य की ओर निकल पड़े थे. कुछ जो भी गाड़ी मिली, उससे आ रहे थे तो कुछ पैदल ही निकल पड़े थे. ये मजदूर कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चलते रहे. कइयों ने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था. 

विरोध और विपक्ष की आलोचनाओं के बाद केंद्र ने राज्यों से बॉर्डर सील करने को कहा और उसके बाद मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं. हालांकि, श्रमिक ट्रेनों को लेकर इतनी अव्यवस्था थी कि मजदूरों की पैदल यात्रा या रोड के जरिए यात्रा जारी रही और इस दौरान कई मजदूरों की रोड हादसों में जान चली गई.

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रिया चक्रवर्ती के 'मीडिया ट्रायल' पर कई संगठनों व हस्तियों ने जताई नाराजगी, लिखा खुला खत

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले (Sushant Singh Rajput death Case) में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) केंद्रीय एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं. रिया चक्रवर्ती को लेकर मीडिया में जिस तरह की रिपोर्टिंग हो रही है उसे लेकर कई संगठनों और लोगों ने देश के न्यूज मीडिया के नाम एक खत लिखा है. खत में कहा गया है कि डियर न्यूज मीडिया, जब हम मीडिया को रिया चक्रवर्ती के पीछे पड़े देखते हैं तो हम समझ नहीं पाते हैं कि आपने पत्रकारिता के हर पेशेवर नैतिकता को क्यों त्याग दिया है. आप एक महिला की मानवीय शीलनता और गरिमा को बनाए रखने के बजाए कैमरे लेकर उस पर हमला करने में लगे हैं. आप उसकी निजता का उल्लंघन कर रहे हैं और झूठे आरोपों पर दिन-रात काम कर रहे हैं. 
रिया चक्रवर्ती के मामले में लिखे गए इस पत्र पर 60 संगठनों और 2,500 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह खत 14 सितंबर को medium.com पर फेमिनिस्ट वाइसेस के अकाउंट से  पोस्ट किया गया है. इस खुले खत में हस्ताक्षर करने वाले लोगों में जोया अख्तर, सोनम कपूर, गौरी शिंदे और समेत कई शामिल हैं.

पत्र में लिखा गया है कि हमने सलमान खान और संजय दत्त के मामले में आपका दयालु और सम्मानजनक रुख देखा है, लेकिन जब बात एक महिला की आती है, जिसने कोई अपराध किया है यह अभी साबित भी नहीं हुआ है, आप उसके चरित्र पर बार-बार हमला कर रहे हैं. उस पर और उसके परिवार पर निशाना साधने के लिए सोशल मीडिया पर लोगों को उकसा रहे हैं और उसकी गिरफ्तारी को अपनी जीत बता रहे हैं. 

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सोमवार, 14 सितंबर 2020

उत्तर प्रदेश-योगी सरकार ने किया विशेष सुरक्षा बल का गठन ,सवालों के घेरे में यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नए विशेष सुरक्षा बल का गठन किया है. इस बल की शक्तियां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के समान ही होगी. इस फोर्स के पास बिना वारंट के तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार का अधिकार होगा. राज्य सरकार ने रविवार को यह जानकरी दी. उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (UPSSF)उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालयों, प्रशासनिक कार्यालय एवं परिसर व तीर्थस्थल, मेट्रो रेल, हवाई अड्डा, बैंक अन्य वित्तीय, शैक्षिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान आदि की सुरक्षा व्यवस्था करेगी. 
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नए विशेष सुरक्षा बल का गठन किया है. इस बल की शक्तियां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के समान ही होगी. इस फोर्स के पास बिना वारंट के तलाशी लेने और किसी को भी गिरफ्तार का अधिकार होगा. राज्य सरकार ने रविवार को यह जानकरी दी. उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (UPSSF)उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालयों, प्रशासनिक कार्यालय एवं परिसर व तीर्थस्थल, मेट्रो रेल, हवाई अड्डा, बैंक अन्य वित्तीय, शैक्षिक संस्थान, औद्योगिक संस्थान आदि की सुरक्षा व्यवस्था करेगी. 

सरकार के हालिया कदम को लेकर कई लोगों ने सवाल उठाए हैं. कई आलोचकों का कहना है कि तलाशी लेने और गिरफ्तार करने के अधिकार का दुरुपयोग किया जा सकता है. 

सरकार की ओर से इन आलोचनाओं पर फिलहाल कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया गया है. हालांकि, सूत्रों ने रेखांकित किया है कि उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के पास सीआईएसएफ जैसी ही शक्तियां होंगी. केंद्रीय बल सीआईएसएफ महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करता है.

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हिंदी दिवस पर जानें दुनिया मे कहाँ तक है इसकी पहुंच,176 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है हिंदी

आज 14 सितंबर के दिन देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है. वर्तमान समय में हिंदी की पैठ वैश्विक बाजार तक हो चुकी है और इसका महत्व बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि देश में ही इसे लेकर कई समस्याएं हैं जिनके चलते हिंदी को उसका वास्तविक सम्मान दिलाना जरूरी है. यहां तक कहा जाता है कि देश में ही हिंदी का अस्तित्व संकट में बना हुआ है और इसी को ध्यान में रखते हुए हिंदी दिवस का महत्व और बढ़ जाता है.
देश में सबसे पहले 14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. इसके बाद से ही हिंदी दिवस को पूरे देश में मनाने का निर्णय किया गया और हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

हिंदी से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों

14 सितंबर, 1949 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद 1953 से पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.

हिंदी भाषा के प्रचार के लिए नागपुर में 10 जनवरी 1975 को विश्व हिंदी सम्मेलन रखा गया था. इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया में हिंदी चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है. दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 75-80 करोड़ है.

भारत में करीब 77 प्रतिशत लोग हिंदी लिखते, पढ़ते, बोलते और समझते हैं.

हिन्दी के प्रति दुनिया की बढ़ती चाहत का एक नमूना यही है कि आज विश्व के करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाती है.

हिंदी के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि को देखते हुए साल 2006 के बाद से ही पूरी दुनिया में 10 जनवरी को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.

भारत के अलावा नेपाल, मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, यूगांडा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा जैसे तमाम देशों में हिंदी बोलने वालों की संख्या अच्छी-खासी है. इसके आलावा इंग्लैंड, अमेरिका, मध्य एशिया में भी इस भाषा को बोलने और समझने वाले अच्छे-खासे लोग हैं.

हिंदी का नाम फारसी भाषा के 'हिंद' शब्द से निकला है. जिसका अर्थ 'सिंधु नदी की भूमि' है.

हिंदी भाषा की बढ़ती महत्ता को इस बात से समझा जा सकता है कि 'अच्छा', 'बड़ा दिन', 'बच्चा', 'सूर्य नमस्कार'

जैसे तमाम हिंदी शब्दों को ऑक्सफर्ड डिक्शनरी में शामिल कर लिया गया है.

फ़िजी एक ऐसा द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है. जिसके चलते इन्हें फ़िजियन हिन्दी या फ़िजियन हिन्दुस्तानी भी कहा जाता है.

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रविवार, 13 सितंबर 2020

मनरेगा मैन जिसने लालू यादव के दोस्ती के चलते ठुकरा दिया था केंद्रीय मंत्री बनने का ऑफर

राजनीतिक जीवन में बेबाक और बेदाग अंदाज में रहने वाले प्रखर समाजवादी नेता डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह का आज निधन हो गया एक दौर था जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन UPA-2  के शासन में केंद्रीय मंत्री बनने का ऑफर ठुकरा दिया था।

इससे पहले बता दें कि यूपीए-1 शासन काल में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में बनी सरकार में रघुवंश प्रसाद सिंह राजद कोटे से केंद्रीय मंत्री बने।  23 मई 2004 से 2009 तक वे ग्रामीण विकास के केंद्रीय मंत्री रहे। इसी बीच 2 फरवरी, 2006 को देश के 200 पिछड़े जिलों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लागू की गई। वे ही सबसे पहले मनरेगा (महात्मा गांधी न्यूनतम रोजगार गारंटी) स्कीम लेकर आए। हालंकि इस दौरान उन्हें अपने मंत्रीमंडल का ही विरोध झेलना पड़ा।

इसके बावजूद उन्होंने अपनी जिद की वजह से ये योजना लेकर आए।  ये योजना इतनी सफल हुई कि विशेषज्ञ बताते हैं कि यूपीए-2 को दोबारा सत्ता में लाने में  इस योजना की काफी भूमिका रही।

वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल(RJD) कांग्रेस अगुवाई वाली यूपीए से अलग हो गई। हालांकि नतीजों के बाद आरजेडी ने कांग्रेस को बाहर से समर्थन दिया। जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक बार फिर ग्रामीण मंत्रालय की कमान रघुवंश प्रसाद सिंह को देना चाहते थे। लेकिन आरजेडी ने सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव की दोस्ती की खातिर मंत्री बनने का प्रस्ताव खारिज़ कर दिया।

रघुवंश प्रसाद सिंह का राजनीतिक सफर
6 जून 1946 को वैशाली के शाहपुर में दिग्‍गज नेता और बिहार के वैशाली क्षेत्र के राष्‍ट्रीय जनता दल के सांसद डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह का जन्‍म हुआ था। अपने स्वभाव की वजह से वे राजद के साथ साथ सभी दलों के नेताओं के साथ घुले मिले हुए थे। साइन्स ग्रेजुएट और गणित में मास्टर डिग्री वाली शैक्षणिक योग्यता वाले डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह सीतामढ़ी के एक कॉलेज में गणित पढ़ाते थे।  जेपी आंदोलन से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह 1977 में वह पहली बार विधायक बने और बाद में बिहार में कर्पूरी ठाकुर सरकार में मंत्री भी बने। वह बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रह चुके हैं। इस बार वे इसी क्षेत्र से जेडीयू नेता से चुनाव हार गये थे।


जेपी आंदोलन से बने संबंध के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और रघुवंश प्रसाद दोनों एक दूसरे के बेहद करीब भी रहे। जब 1990 में लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने तो रघुवंश प्रसाद सिंह को विधान पार्षद बनाया, जबकि वह विधानसभा चुनाव हार चुके थे। वहीं जब एच डी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने तो लालू प्रसाद ने उन्हें बिहार कोटे से मंत्री बनवाया। पर सही मायनों में देखा जाए तो रघुवंश प्रसाद सिंह की राष्ट्रीय राजनीति में पहचान अटल सरकार के दौरान बतौर आरजेडी नेता के रूप मिली। तब लालू प्रसाद बिहार के मधेपुरा से लोकसभा चुनाव हार गये थे। रघुवंश प्रसाद सिंह लोकसभा में पार्टी के नेता बने

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शनिवार, 12 सितंबर 2020

यूपी -कोरोना किट ख़रीद में घोटाले का आरोप, दो अधिकारी निलंबित, जांच के लिए एसआईटी गठित

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले से भाजपा के एक विधायक ने पत्र लिखकर कोरोना वायरस के इलाज के लिए ख़रीदे गए उपकरणों के दाम में घोटाले के आरोप लगाए हैं. आरोप है कि राज्य के कई ज़िलों में ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर को तय कीमत से कई गुना अधिक दाम पर ख़रीदे गए.
उत्तर प्रदेश की लम्भुआ (सुल्तानपुर) सीट से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कोरोना इलाज के लिए खरीदे गए उपकरणों के दाम में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. राज्य के कई जिलों में ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर को तय कीमत से कई गुना अधिक दाम में खरीदने के आरोप हैं.बहरहाल इस घटना के सामने आने के बाद सुल्तानपुर और गाजीपुर के जिला पंचायत अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है और मामले की जांच के लिए विशेष जांच समिति (एसआईटी) का गठन किया गया है.

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में सुल्तानपुर और गाजीपुर सहित कई जिलों में पल्स ऑक्सीमीटर और इन्फ्रारेड थर्मामीटर को बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दाम में खरीदने के आरोप हैं.

राज्य सरकार की ओर से डोर-टू-डोर सर्वे के लिए ग्राम पंचायतों को थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सीमीटर खरीदने को कहा गया था.मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है.एसआईटी पूरे प्रकरण की जांच कर 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. आईएएस रेणुका कुमार को एसआईटी का प्रमुख बनाया गया है.कोविड किट घोटाले में सुल्तानपुर और गाजीपुर जिला पंचायत राज अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है.आरोप है कि सुल्तानपुर में पल्स ऑक्सीमीटर और आईआर थर्मामीटर की खरीद के लिए कोई ई-टेंडर शुरू नहीं किया गया, बल्कि इसकी जगह मनमुताबिक ढंग से कंपनी को सप्लाई का ठेका दिया गया.

भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार विपक्ष के निशाने पर है.इन आरोपों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कोरोना किट खरीदी में घोटाला हुआ है. क्या पंचायत चुनावों के साल में जिले-जिले वसूली केंद्र बना दिए गए हैं? पीपीई किट घोटाला, 69K घोटाला, बिजली घोटाला. पहले घोटाला फिर सख्ती का नाटक और फिर घोटाला दबाना. अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू कहां खत्म.’वहीं,


 आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह ने इस घोटाले को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए मेडिकल उपकरणों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग की.उन्होंने लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ये घोटाला मात्र ग्राम पंचायतों या कुछ जनपदों का घोटाला नहीं है बल्कि ये 65 जिलों का घोटाला है और ये घोटाला 65 से अधिक जिलों में हो सकता है इसलिए इसमें सिर्फ ग्राम स्तर या जिला स्तर के अधिकारी शामिल नहीं हैं. इसमें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है.’उन्होंने कहा है, ‘यूपी के अस्पतालों में मेडिकल उपकरण सप्लाई करने वाली राज्य स्तरीय सरकारी संस्था यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने ऑनलाइन 1800 रुपये में मिलने वाले थर्मामीटर को पूरे 5200 रुपये में खरीदा है और ऑनलाइन 800 रुपये में मिलने वाले ऑक्सीमीटर के लिए 1,300 रुपये चुकाए हैं.’उन्होंने कहा, ‘मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से 300 से 400 गुना ज्यादा कीमत पर चिकित्सीय उपकरणों की खरीद की जा रही थी. इस घोटाले की जांच के लिए योगी सरकार की ओर से एसआईटी गठित करने की बात कही गई है लेकिन यह महज लोगों की आंखों में धूल झोंकने की रणनीति है. योगी सरकार ऐसा करके भ्रष्टाचार के मामले पर पर्दा डालना चाहती है.’संजय सिंह ने कहा, ‘इन घोटालों की लिस्ट काफी लंबी है जिनमें ऑक्सीमीटर की खरीद में घोटाला, थर्मामीटर की खरीद में घोटाला, एनैलाइजर की खरीद में घोटाला, पीपीई किट खरीद में घोटाला और यहां तक कि टूथपेस्ट और ब्रश खरीदने में भी घोटाला सामने आया है.

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शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

भारत में पिछले 24 घंटे में सबसे ज़्यादा 96,551 COVID-19 केस, कोरोनावायरस से 1,209 की मौत

देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कोरोना बुलेटिन जारी करते हुए बताया कि भारत में पिछले 24 घंटे में सबसे ज़्यादा 96,551 COVID-19 के मामले दर्ज हुए हैं वहीं कोरोनावायरस से 1,209 लोगों की मौत 24 घंटे में हुई है।
देश में कोविड-19 के कुल 45,62,414 मामले अब तक सामने आ चुके हैं जबकि इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या 76,271 हो चुकी है।

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गुरुवार, 10 सितंबर 2020

बस्ती -क्षतिग्रस्त पैकोलिया-शिवाघाट मार्ग को ठीक कराने के लिए राम सिंह पटेल के साथ ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

गौर ब्लाक के क्षतिग्रस्त पैकोलिया-शिवाघाट मार्ग को ठीक कराने के लिए स्थानीय लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला पंचायत सदस्य रामसिंह पटेल के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच कर मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र सौंपा।
जिला पंचायत सदस्य रामसिंह पटेल ने बताया कि पैकोलिया-शिवाघाट मार्ग क्षेत्र का प्रमुख सड़क है। जो अयोध्या-लुम्बनी को सीधे जोड़ता है, वर्तमान समय में यह सड़क उपेक्षा का शिकार है। जिसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश का व्याप्त है।स्थानीय लोगों ने समस्या से निजात के लिए विगत आठ सितंबर को अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन आयोजित किया था। प्रशासन से अनुमति न मिलने के कारण धरना प्रदर्शन स्थगित कर जिलाधिकारी को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया।

  प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन देने के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियन्ता राम शंकर यादव से भी मिलकर क्षेत्र के लोगों की चिंता से अवगत कराया।
    प्रतिनिधिमंडल में पूर्व जिला पंचायत सदस्य झिनकान चौधरी, प्रधान अब्दुल मलिक, प्रधान लक्ष्मी गुप्ता प्रधा,राजन सिंह, राहुल सिंह, गुड्डू खान, असद खान आदि शामिल रहे।

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भारतअप्रैल से अगस्त के बीच क़रीब 2.1 करोड़ वेतनभोगी नौकरियां गईं: रिपोर्ट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने कहा है कि अप्रैल-अगस्त के दौरान लगभग 2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारियों ने अपनी नौकरी खो दी.

इसमें से अगस्त में लगभग 33 लाख नौकरियां गईं और जुलाई में 48 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खो दी.
सीएमआईई ने कहा है कि नौकरी का नुकसान केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच सहायक कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें औद्योगिक कर्मचारी और बड़े कर्मचारी भी शामिल हैं.

साल 2019-20 के पूरे साल की तुलना में अगस्त में वेतनभोगी नौकरियां देश में 8.6 करोड़ से घटकर 6.5 करोड़ हो गईं.


सीएमआईई ने कहा, ‘सभी प्रकार के रोजगार में 2.1 करोड़ नौकरियों की कमी सबसे बड़ी है. जुलाई में लगभग 48 लाख वेतनभोगी नौकरियां गईं और फिर अगस्त में 33 लाख नौकरियां चली गईं.’

सीएमआईई के मासिक आंकड़ों के अनुसार देश की बेरोजगारी दर अगस्त में बढ़कर 8.35 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने में 7.40 प्रतिशत थी.

शहरी बेरोजगारी दर अगस्त में 9.37 प्रतिशत से बढ़कर 9.83 प्रतिशत हो गई, जबकि अगस्त में ग्रामीण बेरोजगारी दर अगस्त में बढ़कर 7.65 प्रतिशत हो गई थी, जो उससे पिछले महीने की 6.51 प्रतिशत थी.

सीएमआईई ने कहा है कि आर्थिक विकास के संकुचन के दौरान वेतनभोगी नौकरियां सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं. वेतनभोगी नौकरियां आर्थिक विकास या उद्यमशीलता में वृद्धि के साथ भी बढ़ती हुई दिखाई नहीं दे रही हैं.

भारत के कुल रोजगार में वेतनभोगी नौकरियों का हिस्सा करीब 21-22 प्रतिशत होता है.

लॉकडाउन के दौरान नौकरी गंवाने वाले लोगों के लिए खेती अंतिम विकल्प रहा है, इसलिए साल 2019-20 के दौरान 11.1 करोड़ कर्मचारियों के मुकाबले अगस्त तक खेती में रोजगार में 1.4 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है.

सीएमआईई ने कहा कि लॉकडाउन के कारण उद्यमियों के रोजगार में पहले गिरावट आ गई थी, लेकिन अगस्त तक इसमें लगभग 70 लाख की वृद्धि हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक दिहाड़ी मजदूरों पर भी काफी प्रभाव पड़ा था क्योंकि अप्रैल में 12.1 करोड़ में से 9.1 करोड़ नौकरियां चली गईं थी. हालांकि अगस्त तक इसमें सुधार हुआ और अब 2019-20 में कुल 12.8 करोड़ नौकरियों की तुलना में ये 1.1 करोड़ ही कम है.

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बुधवार, 9 सितंबर 2020

बस्ती- निलंबित 7 ग्राम सचिवों को बहाल करने के लिए सचिवों ने सौंपा ज्ञापन ,वित्तीय अधिकार जिला प्रशासन को देने को कहा

बस्ती- रामनगर ब्लाक के ग्राम सचिवों ने खण्ड विकास अधिकारी मंजू त्रिवेदी को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में सचिवों ने कहा कि जब तक निलंबित सात सचिव को बहाल नही किया जायेगा तब तक हम सभी लोग वित्तीय अधिकार को जिला प्रशासन को सौंपते हैं।
 रामनगर ब्लॉक अध्यक्ष आशुतोष पटेल ने कहा कि जब तक निलंबित 7 सचिवों को बहाल नही किया जाएगा तब तक वित्तीय अधिकार का कार्य नहीं किया जाएगा 

इस मौके पर  रबि प्रकाश पाण्डेय, अनिल कुमार,शुशील कुमार,शैलजा पाल,पुष्पा श्रीवास्तव, बिमाल चंद मिश्रा,अखिलेश कुमार शुक्ला,पिन्टू,तिरथ प्रसाद, श्री प्रकाश वर्मा,प्रमोद कुमार,मंजू सिंह आदि लोग मोजूद रहे।

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भारत में कुल COVID-19 केस 43.70 लाख हुए, पिछले 24 घंटे में 89,706 नए मामले, 1,115 की मौत

Coronavirus in India: भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने का सिलसिला जारी है. कुल संक्रमितों की संख्या 43.70 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटों में (मंगलवार सुबह 8 बजे से लेकर बुधवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना वायरस के 89,706 नए मामले सामने आए हैं. जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 43,70,128 हो गई है. इस दौरान 1115 लोगों की मौत हुई है जिसके बाद कुल मृतकों की संख्या 73,890 हो गई है. वहीं  पिछले 24 घंटों में 74,894 लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त हुए हैं. 

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मंगलवार, 8 सितंबर 2020

यूपी में रविवार का लॉकडाउन खत्म ,फिर शुरू होगा थाना और तहसील दिवस ,सरकार देगी 1-1 गाय

लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार का लॉकडाउन भी खत्म कर दिया है। अब बाजार अपनी साप्ताहिक बंदी के हिसाब से ही खुलेंगे और बंद होंगे। इसके साथ ही सरकार ने थाना दिवस और तहसील दिवस भी शुरू करने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बैठक के बाद रविवार को होने वाला लॉकडाउन भी खत्म कर दिया है। इससे पहले दो दिनों का वीकेंड लॉकडाउन शनिवार और रविवार का होता था। बीते दिनों सरकार ने शनिवार का लॉकडाउन खत्म किया था और अब रविवार का लॉकडाउन भी खत्म कर दिया गया है।

आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए फैसला
सीएम ने बैठक के दौरान कोरोना संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को तेजी से बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में बाजार की साप्ताहिक बंदी रविवार की खत्म की जा रही है।

जीएसटी कलेक्शन बढ़ाने का निर्देश

कोरोना वायरस के चलते यूपी सरकार का राजस्व खाली है। इसे बढ़ाने के लिए सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जीएसटी संग्रह को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करें। उन्होंने अधिकारियों को जीरो बजट खेते के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करने का आदेश भी दिया है।

सिर्फ कंटेनमेंट जोन में होगी रोक-टोक

सीएम ने कहा कि कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अन्य स्थानों पर सभी होटल और रेस्तरां का संचालन कराया जाए। इन गतिविधि में संक्रमण से सुरक्षा के सभी मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। कंटेनमेंट जोन में सभी लोगों का कोरोना टेस्ट कराया जाए।

कुपोषित बच्चों के परिवारों को मिलेंगी गाय

सीएम योगी आदित्य़नाथ ने घोषणा की है कि कुपोषित बच्चों के परिवारों को गायें दी जाएंगी ताकि कुपोषित बच्चों को दूध उपलब्ध हो सके। सीएम ने बताया कि कुपोषित बच्चों के परिवार को मुख्यमंत्री निराश्रित, बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत आश्रय स्थल से गाय उपलब्ध कराई जाएंगी।

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इस राज्य में हुआ पंचायत चुनाव के तारीख की घोषणा ,4 चरणों में होगा मतदान ,इसी महीने में होगा पहले चरण का चुनाव

राजस्थान में पंच और सरपंच के 3848 पदों पर सोमवार को चुनावों की घोषणा कर दी गई है। इस बार 4 चरणों में चुनाव होंगे। पहला चरण 28 सितंबर से शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण 4 अक्टूबर, तीसरा चरण 6 अक्टूबर और चौथा चरण 10 अक्टूबर को होगा। चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश में आचार सहिंता लागू कर दी गई। बता दें कि पंचायत चुनाव अप्रैल माह में होने थे। हालांकि, कोरोना के कारण टल गए थे। बाद में कोर्ट द्वारा इन चुनाव को 15 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था।
कोरोना को ध्यान मे रखते हुए मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या को 1100 से घटाकर 900 कर दिया गया है। साथ ही, मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। मतदान की टाइमिंग का समय भी एक घंटा बढ़ा दिया गया है। अब सुबह 7.30 से शाम 5.30 बजे तक रखा गया है। सोशल डिस्टेंसिंग की पालन करवाते हुए मतदान करवाया जाएगा।

4 चरणों में होगा चुनाव:

प्रकिया पहले चरण दूसरे चरण तीसर चरण चौथा चरण
नामांकन 19 सितंबर 23 सितंबर 26 सितंबर 30 सितंबर

नामांकन पत्रों की समीक्षा 20 सितंबर 24 सितंबर 27 सितंबर 1 अक्टूबर

नामांकन वापसी 20 सितंबर 24 सितंबर 27 सितंबर 1 अक्टूबर

चुनाव चिन्ह का आवंटन 20 सितंबर 24 सितंबर 27 सितंबर 1 अक्टूबर

मतदान 28 सितंबर 3 अक्टूबर 6 अक्टूबर 10 अक्टूबर
इनमें पहले चरण में 26 जिलों की 1003, दूसरे चरण में 1028, तीसरे चरण में 943 और चौथे चरण में 874 ग्राम पंचायतों के लिए चुनाव होगा। इसमें 35,968 वार्ड पंच भी चुने जाएंगे। इनमें अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, चूरू, दौसा, धौलपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनू, जोधपुर, करौली, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही और उदयपुर जिला शामिल हैं।

7463 ग्राम पंचायतों में पहले हो चुके हैं चुनाव

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य की 7463 ग्राम पंचायतों में पंच और सरपंच के चुनाव जनवरी और मार्च माह में संपन्न कराए जा चुके हैं। इसके बाद 3861 ग्राम पंचायतों में चुनाव करवाए जाने थे। इनमें से 13 ग्राम पंचायतों को पूर्ण और आंशिक पूर से नगर पालिका क्षेत्र में सम्मिलित कर दिया गया। इसके बाद अब 3848 ग्राम पंचायतों पर आम चुनाव होंगे।

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