सोमवार, 31 अगस्त 2020

भूतपूर्व राष्ट्रपति ,भारत रत्न प्रणव मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन

भारत रत्न' पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है. सोमवार शाम को 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांस ली. वो पिछले कई दिनों से बीमार थे और दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती थे. बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी. प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी दी.


प्रणब मुखर्जी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे और उनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी की गई थी. प्रणब मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली के RR अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बाद सर्जरी की गई थी, इसी वक्त उनके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी.

पिछले कई दिनों से बड़े डॉक्टर उनकी निगरानी कर रहे थे, लेकिन लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई थी. जिसके बाद सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. 84 साल के प्रणब मुखर्जी साल 2012 में देश के राष्ट्रपति बने थे, 2017 तक वो राष्ट्रपति रहे. साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण पर लगाया एक रुपये का जुर्माना, न देने पर तीन महीने की जेल

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वकील-कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के कोर्ट की अवमानना मामले (Prashant Bhushan Contempt Case:) पर फैसला सुनाते हुए उन पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है. फैसले के अनुसार 15 सितंबर तक जुर्माना नहीं दिए जाने की स्थिति में 3 महीने की जेल हो सकती है और तीन साल के लिए उन्हें वकालत से निलंबित भी किया जा सकता है. बता दें कि 63 वर्षीय प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने यह कहते हुए पीछे हटने या माफी मांगने से इनकार कर दिया कि यह उनकी अंतरात्मा और न्यायालय की अवमानना होगी. उनके वकील ने तर्क दिया है कि अदालत को प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) की अत्यधिक आलोचना झेलनी चाहिए क्योंकि अदालत के "कंधे इस बोझ को उठाने के लिए काफी हैं." 

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नजरिया-बर्बादी, तबाही और भ्रष्टाचार की तरफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा योगी सरकार का कार्यकाल

विश्वपति वर्मा-

मंच और मीडिया के सामने योगी सरकार भले ही प्रदेश में अपनी उपलब्धियों पर पीठ थपथपा रही है लेकिन जनता त्रस्त और परेशान हो चुकी है ,प्रदेश में आये दिन हत्या-बलात्कार हो रहे हैं ,किसान बदलहाल है. युवा बेरोजगार हैं, गड्ढायुक्त सड़के हैं, व्यापारियों का बुरा हाल है, सिसकतीं कन्याएं हैं ,बीमारों के लिए बने अस्पताल खुद बीमार हैं ,सरकारी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार है , खाद, बीज ,दाल ,राशन में कालाबाजारी है उसके बाद भी झूठ की बुनियाद पर टिकी भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में आत्म प्रशंसा कर रही है।

      विश्वपति वर्मा ,लेखक ,पत्रकार और विचारक

वैसे हत्या और बलात्कार तो हर सरकार में होते रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में प्रदेश का वातावरण इतना ज्यादा खराब हो चुका है कि आये दिन  हत्या ,रंगदारी और बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।

योगी सरकार युवाओं से किए गये अपने वादे को पूरा करने में पूरी तरीके से अक्षम साबित रही, सरकारी नौकरी मिल नही रही है, प्राइवेट सेक्टर से लोग निकाले जा रहे हैं ,कुटीर उद्योग की स्थापना केवल कागजो में हो रही है जिसका परिणाम है कि योगी कार्यकाल में बेरोजगारी 60 लाख से ऊपर चली गई. 

किसानों की आत्महत्या दर देश में सर्वाधिक है.कड़ी मेहनत करके अपनी फसल को पैदा करने वाले किसान खाद के लिए दर दर भटक रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार यूरिया उपलब्ध कराने में पूरी तरह से फेल है।

 यह सरकार जनता की गाढ़ी कमाई का अरबों रूपये खर्च करके बड़े-बड़े आयोजन और भाषण करती है, लेकिन जनता से किया गया अपना वादा पूरा करने में पूरी तरह असफल रही है. 

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की बात करने वाली सरकार में प्रदेश का कोई भी सरकारी कार्यालय बचा नही है जहां घूसखोरी, कालाबाजारी और अनियमितिता न हो रहा हो ,भ्रष्टाचार का आलम यह है कि स्कूल ड्रेस ,सरकारी टेंडर ,सहकारी समितियों,राशन और मदिरा की दुकानों और विकास भवन के कार्यालय से विकास खंड के निचली इकाई तक जमकर रिश्वतखोरी और नकली निर्माण हो रहे हैं लेकिन लाख शिकायत के बाद भी सरकार को कोई चिंता नही हो रही है।

इससे साफ होता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बड़े बड़े दावे और वादों के जरिये जनता के बीच बने रहना चाहती है और विकास के पैसों में हिस्सेदारी कर अपनी पार्टी और नेताओं को मजबूत बनाने में लगी रहती है जिसका नतीजा है कि प्रदेश की 22 करोड़ आबादी सरकार की नाकामियों के चलते बर्बादी ,तबाही और भ्रष्टाचार का दंश झेल रही है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छह साल के कार्यकाल में पांचवी बार केंद्रीय सूचना आयोग के अध्यक्ष का पद खाली

दिल्ली: देश के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के अध्यक्ष का पद एक बार फिर से खाली हो गया है.द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छह साल के कार्यकाल में यह पांचवीं बार है, जब सीआईसी अध्यक्ष के सेवानिवृत्त होने से पहले नए अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है. यही नहीं पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह बिना किसी देरी के इन खाली पदों को भरे.26 मई, 2014 को मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एक भी बार ऐसा नहीं हुआ है कि मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में देरी न हुई हो.वहीं, कई बार तो सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ताओं को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. एक बार ऐसा हुआ था, जब मुख्य सूचना आयुक्त का पद 10 महीने तक खाली रह गया था.
पारदर्शिता के लिए काम करने वाले सतर्क नागरिक संगठन की सदस्य अंजली भारद्वाज और अमृता जोहरी ने कहा, ‘सीआईसी के प्रमुख और अन्य आयुक्तों को समय पर नियुक्त करने में सरकार की बार-बार असफलता से ऐसा लगता है कि वह आरटीआई अधिनियम को कमजोर करने और लोगों द्वारा सरकार से जानकारी लेने की क्षमता को हतोत्साहित करने का प्रयास कर रही है.’इस बार निवर्तमान मुख्य सूचना अधिकारी बिमल जुल्का 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो गए. जुल्का की सेवानिवृत्ति की तारीख के बारे में उनकी नियुक्ति के समय से ही पता होने के बावजूद सरकार ने उनकी सेवानिवृत्ति के आखिर में पद के लिए विज्ञापन निकाला.हालांकि, सरकार ने 15 फरवरी, 2019 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया है, जिसमें उसने सेवानिवृत्ति से एक या दो महीने पहले नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.विज्ञापन का उल्लेख करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने कहा कि सरकार पत्र में अदालत के आदेश का पालन कर रही है, लेकिन मूल भावना के साथ नहीं.बता दें कि भारद्वाज सीआईसी और कई राज्य सूचना आयोगों में खाली पदों के मुद्दे को लेकर जनहित याचिकाएं दाखिल करने वाली याचिकाकर्ता भी हैं.उन्होंने आगे कहा कि नियुक्तियों की प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने के 16 दिसंबर, 2019 के सुप्रीम कोर्ट के सरकार को दिशानिर्देश के बावजूद सीआईसी में सूचना आयुक्तों के चार पद खाली हैं.उनमें से केवल एक पद पर नियुक्ति की गई थी और मार्च में जुल्का के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त होते ही सूचना आयुक्त के चार पद खाली हो गए.द वायर  की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सूचना आयोग को स्वीकृत 11 सूचना आयुक्तों के पदों में से फिलहाल केवल छह आयुक्तों के साथ काम करना पड़ रहा है.एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता और राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल से जुड़े वेंकटेश नायक ने कहा कि इससे अपीलीय प्रक्रिया प्रभावित हुई है.फिलहाल सीआईसी के पास 35,000 से अधिक अपील और शिकायतें लंबित पड़ी हैं.वहीं, आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने कहा, ‘मैं तो अब गिन भी नहीं सकता कि साल 2014 से कितनी बार सीआईसी अध्यक्ष का पद खाली रह चुका है.’बत्रा ने कहा कि 28 अगस्त की सुबह तक सीआईसी में 35,880 मामले लंबित थे, जिनमें से 31,070 अपील हैं और 4,810 शिकायतें.यह बताते हुए कि आयोग में लगातार रिक्तियों के कारण लंबित मामलों की संख्या कैसे बढ़ गई है, उन्होंने कहा कि जब 25 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया था तो लगभग 23,500 मामले लंबित थे. हालांकि, पिछले दो वर्षों में मामलों में 12,000 से अधिक की वृद्धि ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि केंद्र ने स्थिति को सुधारने के लिए सही तरह के प्रयास नहीं किया.बत्रा ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग की नियुक्तियों में कोई पारदर्शिता नहीं थी और यह पद रिक्त होने से कम से कम तीन महीने पहले विज्ञापित नहीं किए जा रहे थे.इस साल की शुरुआत में उन्होंने आरटीआई के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों की प्रतियां भी साझा की थीं, जिसमें दिखाया गया था कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की गई अपनी स्थिति रिपोर्ट में गलत जवाब दिया था और चार पदों के खाली होने के बावजूद दावा किया था कि नियुक्तियां पूरी हो चुकी हैं.

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रविवार, 30 अगस्त 2020

अनलॉक-4 के लिए दिशा-निर्देश जारी , स्कूल कालेज रहेंगे बंद ,जानें क्या खुलेगा क्या रहेगा बंद

गृह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण निर्देश में कहा कि राज्य सरकारें केंद्र से परामर्श किए बगैर निरुद्ध क्षेत्रों के बाहर कोई स्थानीय लॉकडाउन लागू नहीं करेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च से लागू करने की घोषणा की थी।Unlock 4.0 Guidelines: केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉक-4 के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। नए दिशानिर्देश के तहत मेट्रो ट्रेनों को 7 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। वहीं, 21 सितंबर से 100 व्यक्तियों की अधिकतम सीमा के साथ सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति होगी। हालांकि स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान 30 सितंबर तक बंद रहेंगे। हालांकि नौवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए कुछ छूट दी गई है। मार्च महीने से बंद ‘बार’ एक सितंबर से पुन: खोले जा सकेंगे।
गृह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण निर्देश में कहा कि राज्य सरकारें केंद्र से परामर्श किए बगैर निरुद्ध क्षेत्रों के बाहर कोई स्थानीय लॉकडाउन लागू नहीं करेंगी। यह इस मायने में अहम है कि देशभर में अनेक राज्य सरकारों ने कुछ जगहों पर और सप्ताहांत में लॉकडाउन लगा रखा है। कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन 25 मार्च से लागू करने की घोषणा की थी और इसे 31 मई तक चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया गया था।

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शनिवार, 29 अगस्त 2020

India -पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 76,472 नए मामले, 1021 की हुई मौत

भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस (Coronavirus) का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 2.47 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. यह वायरस 8.36 लाख से ज्यादा संक्रमितों की जिंदगी छीन चुका है. भारत (Coronavirus India Report) में भी हर रोज COVID-19 के मामले बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 34,63,972 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (शुक्रवार सुबह 8 बजे से लेकर शनिवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 76,472 नए मामले सामने आए हैं.

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बस्ती-यूरिया की किल्लत से बढ़ी परेशानी,खाद के लिए 100 रुपया बोरी अधिक देने के लिए मजबूर किसान

केoसीo श्रीवास्तव

बस्ती- किसान की खेतों में खड़ी धान की फसल के लिए वर्तमान में यूरिया की आवश्यकता है वहीं साधन सहकारी समितियों में यूरिया उपलब्ध न होने से किसान परेशान दिख रहा है। जिसके चलते बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। सहकारी समिति में मिलने वाली यूरिया किसानों को बाजार में महंगे दामों में खरीदनी पड़ रही है। 

किसानों के मुताबिक सरकारी 266 मूल्य वाली यूरिया 50 से 100 रुपए तक महंगी मिल रही है, जो कि 300 रुपए से लेकर 350 रुपए तक में मिल रही है। इस तरह किसानों को फसल में ज्यादा लागत लग रही है। 

बस्ती जनपद के भानपुर क्षेत्र में अधिकांश सहकारी समिति में यूरिया खाद उपलब्ध नहीं है। दरअसल बताया गया कि बारिश होने के बाद और धान में बाली निकलने के पहले यूरिया का प्रयोग किया जाता है वहीं अन्य  फसल में किसान यूरिया खाद डालते हैं, लेकिन इस समय यूरिया की किल्लत चल रही है। 

किसानों ने बताया कि सरकारी समिति में खाद काफी समय से न मिलने से किसानों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 

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कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से लोकसभा सांसद का निधन ,दो बार रह चुके थे विधायक

तमिलनाडु की कन्‍याकुमारी सीट से कांग्रेस सांसद एच. वसंतकुमार (H Vasanthakumar) का शुक्रवार को निधन हो गया. अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वसंतकुमार को कोरोना पॉजिटिव (coronavirus positive)पाया गया था. 70 वर्षीय इस नेता को कोरोना संक्रमण के चलते 10 अगस्‍त को चेन्‍नई के अपोलो अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था.डॉक्‍टरों के अनुसार, निमोनिया के कारण उनकी स्थिति गंभीर थी. पहली बार तमिलनाडु से सांसद बने वसंतकुमार इससे पहले दो बार विधायक भी रह चुके हैं.

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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

बस्ती- सांसद हरीश द्विवेदी द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र एवं स्मृति द्वार का किया गया लोकार्पण

केoसीo श्रीवास्तव-

बस्ती- जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत नेवादा में सांसद हरीश द्विवेदी द्वारा आगनवाणी केंद्र एवं नेवादा ग्राम पंचायत के राजस्व गांव पड़री में स्थिति पंडित तुलसी राम शुक्ल स्मृति द्वार का लोकार्पण किया गया गया ।

भवन और स्मृति द्वार के लोकार्पण के दौरान सांसद ने अपने संबोधन में सरकार की तमाम उपलब्धियों को बताया उन्होंने अपने संबोधन में कहा हमारी सरकार ने 8 करोड़ परिवार को मुफ्त गैस कनक्शन दिया है हमारी राज्य सरकार भी बिजली ,पानी , सड़क आदि की उत्तम व्यवस्था में लगी हुई हैं। 

 विशिष्ट अतिथि महेश शुक्ल ने अपने संबोधन में प्रदेश सरकार की तमाम उपलब्धियों के बारे में जनता को बताया एवं कहा हमारी मौजूदा सरकार सबके लिए काम कर रही है ।

 मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि ने साफ सुथरी गलियां एवं स्वच्छ वातावरण को देखकर प्रधान विवेक शुक्ल की प्रशंसा किया एवं भ्रमण के दौरान सांसद ने प्राथमिक विद्यालय पड़री का भी अवलोकन किया, विद्यालय में बने अतिरिक्त कक्ष की सुंदरता एवं साफ सफाई देखकर सांसद एवं साथ चल रहे लोग भी ग्राम प्रधान एवं प्रधानाध्यापक अशोक कुमार शुक्ल की प्रशंसा किया।

कार्यक्रम का संचालन नागेन्द्र शुक्ल ने किया कार्यक्रम में पूर्व माध्यमिक विद्यालय नेवादा के प्रधानाध्यापक राजेन्द्र नरायण शुक्ल एवं प्राथमिक विद्यालय नेवादा के सहायक अध्यापक ओम प्रकाश शुक्ल ,खंड शिक्षा अधिकारी  सल्टौआ  अनिल कुमार मिश्रा ,ब्लाक प्रमुख अशोक कुमार मिश्रा , परियोजना निदेशक आरपी सिंह समेत सफाई कर्मचारी एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

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सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नीट-जेईई स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का किया फैसला

कोरोना वायरस महामारी की स्थिति को देखते हुए मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए ली जाने वाली नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) और जेईई (जॉएंट एंट्रेंस एक्जाम) स्थगित करने की मांग का समर्थन करते हुए विपक्ष शासित प्रदेशों के सात मुख्यमंत्रियों ने बीते बुधवार को फैसला किया कि वे इस मुद्दे पर संयुक्त रूप से उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे.
हालांकि कोविड-19 की वजह से परीक्षा स्थगित करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका को बीते 17 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था.विभिन्न राज्यों के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि कोरोना के मद्देनजर इन्हें रद्द किया जाना चाहिए. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा करने से छात्रों का करिअर संकट में पड़ जाएगा.द्रमुक और आम आदमी पार्टी ने भी कोरोना संकट के समय इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग का समर्थन किया है.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ डिजिटल बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि इन परीक्षाओं को रोकने के लिए राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए.हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि न्यायालय जाने से पहले मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर परीक्षाओं को टालने की मांग करनी चाहिए.

जीएसटी के मुआवजे की मांग से जुड़े मुद्दे पर हुई इस बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि हालात के सामान्य होने तक इन परीक्षाओं को स्थगित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में जाना चाहिए.पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले और बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सवाल किया कि आज कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है और संकट बढ़ गया है तो परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं?राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने भी इन परीक्षाओं को स्थगित करने की पैरवी की और केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ न्यायालय का रुख करने के विचार से सहमति जताई.उधर, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नीट और जेईई की परीक्षाएं स्थगित करने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से छात्रों के चयन के लिए वैकल्पिक पद्धति पर काम करने का अनुरोध किया.सिसोदिया ने कहा, ‘तमाम एहतियाती कदम उठाने के बावजूद बहुत सारे शीर्ष नेता संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. ऐसे में हम 28 लाख छात्रों को परीक्षा केंद्र भेजने का जोखिम कैसे उठा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे इसकी चपेट में नहीं आएंगे.

द्रमुक के मुखिया एमके स्टालिन ने इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए.गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बीते मंगलवार को कहा कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मेन) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) तय कार्यक्रम के अनुसार सितंबर में ही आयोजित की जाएंगी.गुरुवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘जेईई के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 570 से 660 कर दी गई है, जबकि नीट के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 2,546 से 3,842 कर दी गई है. छात्रों को उनके पसंद के परीक्षा केंद्र आवंटित कर दिए गए हैं.

गौरतलब है कि परीक्षार्थियों और उनके माता-पिता ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से परीक्षा स्थगित करने की मांग की है.बीते मंगलवार को स्वीडन की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी इस मुद्दे पर कहा था कि यह उचित नहीं है कि भारत के छात्रों को कोविड-19 महामारी के दौरान राष्ट्रीय परीक्षा देना पड़ रही है और जब लाखों लोग बाढ़ से भी प्रभावित है.उन्होंने कहा, ‘मैं कोविड के दौरान जेईई-नीट परीक्षा टालने के आह्वान का समर्थन करती हूं.’ये परीक्षाएं कोरोना महामारी की वजह से इस साल दो बार स्थगित हो चुके हैं. हालांकि, छात्र एक बार फिर परीक्षाओं को टालने की मांग कर रहे हैं.

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गुरुवार, 27 अगस्त 2020

बस्ती-भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर एक दर्जन लोगों पर सोनहा थाने में दर्ज हुआ मुकदमा

विश्वपति वर्मा-

बस्ती- या तो आम जनता शासन प्रशासन की निरंकुशता और भ्रष्टाचार के प्रति खामोश रहे या फिर फर्जी मुकदमे में जेल जाने के लिए तैयार रहे कुछ ऐसी ही कहानियां अब तैयार होने लगी हैं क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना अब जुर्म हो गया है।

जी हां... सही सुन रहे हैं आप ताजा मामला बस्ती जनपद के सोनहा थाना अंतर्गत जगदीशपुर उर्फ नवगढ़वा ग्राम पंचायत का है जहां पर आवास के लिए जमीन आवंटन के नाम पर लेखपाल रविचन्द्र श्रीवास्तव पर धन उगाही करने का आरोप ग्राम वासियों ने लगाया था ।

ग्राम वासियों का आरोप था कि लेखपाल रवि श्रीवास्तव  आवास के लिए जमीन आवंटन के नाम पर ₹20000 से लेकर एक लाख रुपये तक रिश्वत ले रहे हैं ,लेखपाल के इस कारनामे के बाद गांव वाले खिलाफत करने लगे और इसका पुरजोर विरोध करते हुए स्थानीय प्रशासन को लिखित शिकायत दिया उसके बाद मीडिया में खबर पहुंचने के बाद लेखपाल को गांव से हटा दिया गया लेकिन लेखपाल रवि श्रीवास्तव द्वारा बाद में ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया गया

युवा किसान संगठन के जिला अध्यक्ष संजय चौधरी ने बताया कि लेखपाल द्वारा सरकारी अभिलेखों को फाड़ने और अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कुलदीप कुमार पुत्र रामधन , उमेशचन्द पुत्र रामलौट , रामसुरेश पुत्र रामअवध , अमित ग्रा कुमार , अजय कुमार पुत्रगण छोटेलाल , रामकेवल पुत्र रामदुलारे , सुरेन्द्र पुत्र परशुराम , त्रिभुवन पुत्र बाबूराम , श्यामधर पुत्र वंशराज , श्यामचन्द्र पुत्र रामभवन , रामअवतार पुत्र झिनकान , संजय कुमार पुत्र मुन्ना चौधरी निवासीगण ग्राम भीवापार के खिलाफ सोनहा थाने में तहरीर दी गई जहां पुलिस ने  धारा 147,353 , 504,506,427 आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया है । 

संजय चौधरी ने बताया कि लेखपाल के खिलाफ आवाज उठाने पर फर्जी तरीके से मुकदमा दर्ज करवाया गया है उन्होंने कहा कि न तो कोई अभिलेख फाड़ा गया है और न ही गाली गलौज हुआ है। 

युवा किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरीश पटेल ने कहा कि स्थानीय प्रशासन जनता के साथ रिश्वतखोरी और बोलने पर बर्बरता कर रही है जो बर्दाश्त नही है उन्होंने कहा कि यदि ग्रामीणों के ऊपर लगे फर्जी मुकदमों को वापस नही लिया गया तो हजारों की संख्या में युवा किसान संगठन के लोग तहसील और जिला मुख्याल पर आमरण अनशन के लिए मजबूर होंगे।

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भारत में पिछले 24 घंटे में सामने आए सबसे ज़्यादा 75,760 नए COVID-19 मामले, 1,023 की मौत

भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस (Coronavirus) का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 2.41 करोड़ से ज्यादा लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. यह वायरस 8.25 लाख से ज्यादा संक्रमितों की जिंदगी छीन चुका है. भारत (Coronavirus India Report) में भी हर रोज COVID-19 के मामले बढ़ रहे हैं.
 स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुरुवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 33,10,234 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (बुधवार सुबह 8 बजे से लेकर गुरुवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 75,760 नए मामले सामने आए हैं.

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बुधवार, 26 अगस्त 2020

बस्ती-सल्टौआ ब्लॉक के इस ग्राम पंचायत में सरकारी धन का हुआ जमकर बंदरबांट ,अभी तक प्रधान के घर नही बन पाया शौचालय

समीक्षात्मक रिपोर्ट
विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती- सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के माध्यम से गांव में पानी निकासी, सड़क मरम्मत ,स्वच्छ पेय जल ,साफ सफाई ,सड़क का निर्माण, उजाले की व्यवस्था ,स्कूल मरम्मत ,नाली निर्माण ,कृषि एवं स्वास्थ्य सम्बंधित कार्य के अलावा ग्राम्य विकास की तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए भारी भरकम बजट दिया जाता है लेकिन ऊपर से आये हुआ धन धरातल पर पहुंचते पहुंचते 60 फीसदी से ज्यादा बंदरबांट हो जाता है जिसका परिणाम होता है कि गांव और गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से हर बार वंचित हो जाते हैं।

आज हम आपको समीक्षात्मक रिपोर्ट में जिला मुख्यालय बस्ती से 30 किलोमीटर दूर सल्टौआ ब्लॉक के कनेथू बुजुर्ग ग्राम पंचायत में लेकर चलते हैं जहां पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षित श्रेणी की सीट पर 2015 में सुशीला देवी प्रधान चुनी गईं . 
गांव की जरूरत और सरकार की मंशा के अनरूप ग्राम पंचायत के समग्र एवं समेकित विकास के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक 95 लाख 93 हजार 563 रुपया दिया गया जिसमें से 72 लाख 40 हजार 587 रुपया खर्च किया गया जिसमें आवास ,मनरेगा और शौचालय योजना की धनराशि शामिल नही है लेकिन ग्राम विकास और पंचायती राज की योजनाओं के कार्य और निर्माण के नाम पर प्रधान और सचिव के मिलीभगत से सरकारी बजट और जनता के धन को सुनियोजित तरीके से बंदरबांट कर लिया गया।

पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर घोटाला 

ग्राम पंचायत में एक पंचायत भवन बना है पंचायत भवन में आज तक पंचायत से जुड़ी हुई कोई भी कार्यवाही नही की गई लेकिन सरकारी धन को हड़पने के उद्देश्य से पंचायत भवन के मरम्मत और टाइल्स निर्माण के नाम पर 5 लाख रुपये से ज्यादा का धन खर्च किया गया जो मरम्मत के लागत मूल्य से बहुत ज्यादा है।
पंचायत भवन का मरम्मत कार्य फरवरी 2020 में शुरू हुआ जिसमें 52971+46900+53440+28342 रुपया खर्च करने का रिकार्ड भुगतान रशीद संख्या में दिखाया गया उसके बाद इसी महीने में एक बार फिर 52971+46900+53440+28342 रुपये का भुगतान दिखाया गया फरवरी के महीने के बाद मार्च 2020 में भी पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर 1,25,754 + 33090 रुपये का भुगतान किया गया इस प्रकार से पंचायत भवन के मरम्मत के नाम पर 5,51,744 रुपये का भुगतान लिया गया जो प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार की तरफ इंगित करता है।
ग्राम पंचायत के कनेथू बुजुर्ग में प्राथमिक विद्यालय के शौचालय के निर्माण के नाम पर भी जमकर लूट हुआ है .स्कूल शौचालय के नाम पर दिसंबर 2018 में 70384+73305+21000 रुपये का भुगतान लिया गया उसके बाद इसी शौचालय के मरम्मत के नाम पर  फरवरी 2019 में 1,56,795+70097+52500+
22338 रुपये का भुगतान लिया गया इस प्रकार स्कूल के शौचालय मरम्मत के नाम पर कुल 4,66,419 रुपये का भुगतान ग्राम पंचायत के खाते से लिया गया लेकिन शौचालय मरम्मत के नाम पर सरकारी धन को हड़पने के अलावा मौके पर कोई ठोस कार्य दिखाई नही पड़ता।
मार्च 2019 में ग्राम पंचायत में स्ट्रीट लाइट पर 92000 रुपया खर्च किया गया लेकिन ग्राम पंचायत की क्षतिग्रस्त हो चुकी लाइटें यह बता रही हैं की स्ट्रीट लाइट के नाम पर ग्राम पंचायत के पैसे को लूटने के अलावा ग्राम पंचायत के विकास पर कोई खास ध्यान नही दिया गया.

ग्राम पंचायत को स्वच्छ भारत मिशन के तहत भले ही ओडीएफ कर दिया गया है लेकिन गांव की एक बड़ी आबादी आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है ,ग्राम पंचायत में शौचालय निर्माण का काम अभी तक भी पूरा नही हो पाया जबकि सरकारी दस्तावेजों में पूरा गांव खुले से शौच मुक्त हो चुका है।
ग्राम पंचायत के पैसे से सामाजिक कार्य भी होते हैं यह गांव का कोई एक भी आदमी नही जानता लेकिन कनेथू बुजुर्ग ग्राम पंचायत में अक्टूबर और नवंबर 2019 में 25-25 हजार रुपये की 3 किस्तों में 75 हजार रुपया खर्च करने का रशीद दिखाया गया ।
कुर्सी खरीदने के नाम पर 14800 रुपये का भुगतान 

वैसे तो राजनीति के क्षेत्र में कुर्सी के लिए ही लड़ाई लड़ी जाती है लेकिन यह कुर्सी प्रधानी जीतने के बाद ग्राम पंचायत के पैसे से खरीदी जाती है यह जानकारी हमको भी नही था लेकिन अब आपको बता दें कि ग्राम पंचायत में कुर्सी खरीदने के नाम पर वर्ष 2019 में 7400 के साथ 7400 रुपये का भुगतान हुआ है इस प्रकार ग्राम पंचायत में 14800 रुपया कुर्सी खरीदने के लिए भुगतान किया गया लेकिन वह कुर्सी कहाँ है और उसपर कौन बैठता है अभी इसकी जानकारी नही मिल पाई है।

   प्रधान ने लिया पशुशेड योजना का लाभ 
ग्राम पंचायत के गरीब लोगों के आय में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा ग्राम पंचायत के धन से लोगों के निजी जरूरतों पर भी काम करने की आजादी दे रखी है जिसमे पशुशेड ,मुर्गी फार्म जैसे 10 योजनाओं पर काम किया जा सकता है लेकिन ग्राम पंचायत कनेथू बुजुर्ग में प्रधान के घर के में ही 80 हजार रुपये की लागत से पशु शेड के नाम पर घर का बरामदा बनाकर तैयार कर दिया जो प्राथमिकता के आधार पर प्रधान की जरूरत नही थी।

राजस्व ग्राम बढ़या में पानी निकासी की व्यवस्था जर्जर
ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम बढ़या में पानी निकासी के लिए 10 वर्ष पूर्व नाली का निर्माण करवाया गया था लेकिन आज तक उस नाली की मरम्मत कराए जाने पर विचार नही किया गया जबकि ग्राम पंचायत में नाली निर्माण के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया परन्तु राजस्व ग्राम बढ़या विकास के पावदान छूने के लिए आज भी अछूता है।
कूप मरम्मत पर नही दिया गया ध्यान

आज भले ही आप मिनरल वाटर की बोतल खरीद कर प्यास बुझा रहे हैं लेकिन एक दौर था जब लोगों को पानी की आवश्यकता पूरा करने के लिए कुआं ही एक मात्र सहारा था  परन्तु ग्राम पंचायत में बने इस कुएं को सुरक्षित रखने और घटना दुर्घटना से बचने के लिए आजतक इस कुएं पर एक ढक्कन का निर्माण भी नही करवाया गया जबकि राधेश्याम कहना है कि इस कुएं पर ढक्कन लगाने के लिए जिम्मेदारों से सैकड़ो बार कहा गया।


प्रधान को नही पता कैसे होता है भुगतान

ग्राम पंचायत में कितना पैसा आता है और किस काम के लिए प्रयोग होता है इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए जब हमारी टीम ने सुशीला देवी के साथ बातचीत करना शुरू किया तो उन्होंने परत दर परत पोल खोलना शुरू कर दिया. सुशीला देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत में जो काम होता है वह काम गांव के प्रताप नारायण मिश्र द्वारा कराया जाता है. ग्राम पंचायत के सभी कार्यों को कराने की जिम्मेदारी उन्हीं के पास है. कार्ययोजना और भुगतान भर हस्ताक्षर भी वही लोग करते हैं इसके बारे में मुझे कुछ पता नहीं है उन्होंने बताया कि बहुत दिन हो गया हमने किसी भी कागज पर किसी प्रकार का हस्ताक्षर नहीं किया है. यह बात सुनकर सवाल तो पैदा ही होता है कि आखिर जब प्रधान द्वारा किसी भी कागज पर किसी भी प्रकार का हस्ताक्षर नहीं किया जाता है तो ग्राम पंचायत की योजनाओं का क्रियान्वयन कैसे होता है और ग्राम पंचायत में आने वाले धन का भुगतान किस प्रकार से कर लिया जाता है इस बात की जवाबदेही तो ग्राम सचिव और जिम्मेदार जनों को देना ही चाहिए .

प्रधान के घर में ही नही बन पाया शौचालय
ग्राम पंचायत के जिम्मेदार जनों को यह सुनकर शर्म तो आना ही चाहिए कि जिस प्रधान द्वारा ग्राम पंचायत के लोगों से हर घर में शौचालय बनवाने का अपील किया रहा है उस प्रधान के घर में आज तक खुद का शौचालय नहीं बन पाया है. ग्राम प्रधान सुशीला देवी ने बताया कि हमारे पास शौचालय नहीं है हम और हमारा परिवार शौच के लिए बाहर जाते हैं अब आने वाले समय में शौचालय का निर्माण करवाना है लेकिन अभी कुछ वक्त और लगेगा ।

रोजगार सेवक और आंगनवाड़ी की पुत्रियों को मिला मनरेगा के भुगतान

गांव के लोगों को उनके घर के आस पास रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा चाहे जितना भी प्रयत्न कर लिया जाए लेकिन पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से कार्ड धारक को काम मिलना छोड़िए ,पंचायत के पैंसे को गबन करने के लिए रोजगार सेवक ,आंगनबाड़ी एवं उनकी बेटियों के साथ पूर्व प्रधान पुत्र एवं कोटेदार के परिवारों  के खाते में मनरेगा का पैंसा डाल दिया गया और तो और वर्तमान प्रधानपति के खाते में भी पैसा जा रहा है।

प्रताप नारायण मिश्र जो गांव के पूर्व प्रधान हैं उनके बेटे गगन के खाते में लगभग 40 हजार रुपये का भुगतान अब तक किया गया है।

प्रधानपति रामप्रसाद तो 2008 से ही मनरेगा के मजदूर हैं लेकिन उनकी पत्नी के प्रधान बनने के बाद भी ये लगातार मनरेगा में एक्टिव हैं वर्ष 19-20 और 20 -21 में प्रधानपति के खाते में लगभग 35 हजार रुपये का भुगतान हुआ है।
इसी के साथ आंगनवाड़ी ,रोजगार सेवक की पुत्रियों को भी मनरेगा का लाभ लगातार मिल रहा है साथ ही ग्राम पंचायत के ऐसे तमाम लोगों को मनरेगा का मजदूर बना दिया गया जो घर की बहू हैं और जीवन में उन्होंने किसी प्रकार की कोई मजदूरी नही की है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह पैदा होता है कि ग्राम पंचायत में हो रहे इतने बड़े भ्रष्टाचार में ग्राम सचिव की भागीदारी कितना है ? क्या ग्राम सचिव ने जानबूझकर सरकारी धन को लुटवाने के लिए गलत तरीके से पैसे का भुगतान किया है?  या फिर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायत में अनैतिक तरीके से जनता के धन को लूटने का तरीका अपनाया गया।

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JEE NEET परीक्षा को टालने के लिए छात्र सोशल मीडिया पर चला रहे मुहिम, शिक्षा मंत्री ने झूठ बोलते हुए कहा कि छात्र और अभिभावक चाहते हैं परीक्षा हो

देश में इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पाने के लिए सितंबर में प्रस्तावित परीक्षा को टालने के लिए छात्र सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल में परीक्षा कराना उचित नहीं है. वहीं देश के शिक्षा मंत्री ने झूठ बोलते हुए कहा कि छात्र और अभिभावक चाहते हैं परीक्षा हो इस लिए निर्धारित तारीख में ही परीक्षा कराए जाएंगे ।

भारत में इस वक्त कोरोना वायरस महामारी से हर क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है. स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं और कॉलेज में भी इसी तरह से पढ़ाई हो रही है लेकिन इस बीच अंडर ग्रैजुएट कार्यक्रम में दाखिला लेने के लिए होने वाली परीक्षा को लेकर छात्रों का एक बड़ा तबका मांग कर रहा है कि कोरोना काल में इसे टाल देना चाहिए.

सितंबर में कोविड-19 के बीच राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट), संयुक्त प्रवेश परीक्षा 2020 (जेईई) JEE NEET EXAM होनी है. नीट की परीक्षा मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए होती है, जो कि 13 सितंबर को निर्धारित है. इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला के लिए जेईई मुख्य परीक्षा 1 से 6 सितंबर और जेईई एडवांस्ड परीक्षा 27 सितंबर को निर्धारित है.

छात्रों की दलील

परीक्षा टालने के लिए छात्र अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं. छात्रों का कहना है कि कोरोना वायरस के बीच में वह परीक्षा केंद्र तक कैसे जाएंगे. कुछ इलाकों में बाढ़ की भी स्थिति है और वहां के छात्र कह रहे हैं कि बाढ़ और बिजली कटौती के बीच परीक्षा के लिए बैठना मुश्किल भरा काम है. कुछ छात्र बाढ़ के साथ-साथ कोरोना वायरस का भी खतरा जता रहे हैं

रविवार 23 अगस्त को हजारों छात्रों ने दिनभर की भूख हड़ताल की और सोशल मीडिया पर परीक्षा को टालने के लिए अनेक तरह के हैश टैग चलाए. छात्रों ने अपनी बातों को सरकार के कान तक पहुंचाने के लिए मौजूदा हालात के फोटो भी डाले. कुछ छात्रों का कहना है कि परीक्षा केंद्र उनके घर से 150 किलोमीटर दूर है और केंद्र तक पहुंचने के लिए बस और ट्रेन सेवा भी नहीं चल रही है. छात्र सवाल कर रहे हैं कि परीक्षा केंद्र तक वे कैसे पहुंचेंगे जब बस और ट्रेन ही नहीं चलेगी.

छात्रों की इस दलील के बाद भी निरंकुश सरकार और उसके झूठे मंत्री देश दे झूठ बोलकर यह बता रहे हैं कि बच्चों और उनके अभिभाव ही चाहते हैं कि तय समय परपरीक्षा हो लेकिन यह सरासर झूठ है।

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मंगलवार, 25 अगस्त 2020

मुखिया का मोर के अठखेलियों के बीच कोविड-19 के 60 हजार नए मामले ,848 की मौत

Coronavirus in India: भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का सिलसिला जारी है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों  के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 31,67,323 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (रविवार सुबह 8 बजे से लेकर सोमवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 60,975  नए मामले सामने आए हैं जबकि 848 लोगों की मौत हुई है. कुल मृतको की संख्या 58,390 के आंकड़े पर पहुंच गई है, वहीं अब तक इस वायरस से 2404585 लोग ठीक हो चुके हैं. रिकवरी रेट बढ़ोतरी के साथ 75.91 प्रतिशत पर पहुंच गया है. 

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India Kovid-19-हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कोरोना संक्रमित ,खुद दिया जानकारी

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) कोरोना (Coronavirus) पॉज़िटिव पाए गए हैं. खट्टर सोमवार शाम को ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी.

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कोरोना वायरस से 57 हजार मौत पर पीएम मोदी कर्तव्य, धर्म,और ईमान बेंच ,कर रहे मोरों के साथ मोहब्बत

विश्वपति वर्मा-

जरा सोचिए कि आप घर के मुखिया हैं और परिवार में कुछ लोग ​बीमारी से, इलाज के अभाव में, या अनियंत्रित परिस्थिति में खत्म हो गए. क्या इस दौरान आप अपने प्रकृति प्रेम का प्रदर्शन करने वाले वीडियो और फोटो अपलोड करेंगे? या फिर विपरीत परिस्थितियों से उबारने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे?

कल दिन भर प्रधानमंत्री मोदी के मोर का शोर मचा रहा तो यूपीए सरकार में गृहमंत्री शिवराज पाटिल याद आ गए,  जब सितंबर  2008 में दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए तो कांग्रेस के शिवराज पाटिल गृहमंत्री थे वह दिन भर में दो तीन बार नये-नये सूट बदल कर दिखाई पड़े. जनता चिढ़ गई कि देश पर ऐसा गंभीर संकट है और ये आदमी घड़ी-घड़ी सजने-संवरने में लगा है. उनकी खूब आलोचना हुई.

इसके बाद नवम्बर में मुम्बई हमला हुआ तो पाटिल फिर निशाने पर आ गए कि इनसे आंतरिक सुरक्षा नहीं संभल रही. उनका इस्तीफा ले लिया गया. उन्होंने जिम्मा लेते हुए इस्तीफा दे दिया. उसके बाद चिदंबरम ने पद संभाला था.

मोर वाले 1 मिनट 47 सेकेंड के वीडियो में गरीब मोदी जी 6 अलग-अलग आलीशान पोशाक में हैं. वीडियो के कई फ्रेम स्टिल हैं. यानी जनता की तरह मोर की भी दिलचस्पी फोटोशूट में नहीं थी. मोर हो या मनुष्य सबकी सियासत से अलग अपनी चिंताएं हैं. मोर फोटो फ्रेंडली नहीं था. मोर को अपनी प्रकृति के अनुरूप दाना चुनना था, नाचना था. बगिया में स्वच्छंद विचरना था. उसकी नाच में भावहीन बाधा डालकर स्टिल फ़ोटो और कुछ वीडियो शॉट मैनेज करके वीडियो तैयार किया गया. अगर एक सरकार का समूचा कार्यकाल मोर का नाच साबित हो जाए तो इसके अलावा और बचता क्या है?
ज़ाहिर है कि इस वीडियो की शूटिंग कई दिन में हुई है. कई लोग लगे होंगे और न जाने कितना पैसा फूंका गया. सबसे कमाल की बात है कि हमारे प्रधानमंत्री अपने सुरक्षित आवास में लाठी लेकर सैर क्यों करते हैं, ये रहस्य ही है.

शिवराज पाटिल कम से कम सूट बदलकर ही सही, जनता के बीच मौजूद तो थे. अब वह समय जा चुका है. न जनता दबाव बनाने के मूड में है, न सरकार दबाव में आने के मूड में है. दिल्ली दंगा हुआ तो गृहमंत्री चार दिन तक लापता रहे. जब लोग शहरों से पैदल भाग रहे थे तब भी गृहमंत्री गायब थे.

हमारे पीएम खुद आदत से मजबूर हैं. जब पुलवामा हमला हुआ तब वे भी तो जिम कार्बेट पार्क में नौका विहार कर रहे थे और किसी फिल्म शूटिंग कर रहे थे. जिस दिन देश पर हमला हुआ, मोदी जी शाम तक गायब रहे और कहा गया कि अधिकारियों को निर्देश था कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए.

शाम तक उन्हें सूचना ही नहीं हुई के देश पर हमला हुआ है. हमले के अगले दिन ही मोदी रैलियां कर रहे थे और अमित शाह भी पुलवामा का पोस्टर लगाकर वोट मांग रहे थे. पुलवामा हमले को लेकर जब सर्वदलीय बैठक हो रही थी तब भी प्रधानमंत्री उस बैठक में न जाकर रैली कर रहे थे.

गजब है कि आजतक न पुलवामा हमले की जांच हुई, न किसी की जिम्मेदारी तय हुई कि 300 किलो विस्फोटक भरी गाड़ी सेना के काफिले में कहां से आई? उसके पीछे कौन था? कुछ नहीं पता.

पाटिल सुरक्षा में नाकाम रहे थे तो इस्तीफा दे दिया था. इनकी नाकामी पर भी इन्होंने पुलवामा के पोस्टर लगाकर वोट मांगे कि हमारी नाकामी के लिए हमें वोट दे दो.

कुछ दिन पहले लॉकडाउन के साथ ऐतिहासिक पलायन हुआ, तब पूरी सरकार गायब थी. देश के तमाम इलाकों में बाढ़ है, बेरोजगारी 50 साल के चरम पर है, अर्थव्यवस्था 70 साल के निचले स्तर पर है, कोरोना से 30 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 57 हजार लोग मारे जा चुके हैं. ऐसे में मोर के साथ जंगल-विहार का वीडियो जारी करना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा के सिवा कुछ नहीं है.

ये लोकतंत्र डेढ़ लोगों की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गया है, जहां सामूहिक जिम्मेदारी नाम की कोई चीज नहीं बची है. कर्तव्य, धर्म, ईमान, देश, संस्कृति और संसाधन सब बेचकर वोट और सत्ता सुख ही सबसे बड़ा मकसद बचा है.

जनता का ध्यान बांटने और फिजूल की बातों को चर्चा में बनाये रखने के लिए सरकार के पास 56 तरीके हैं. सरकारें सब ऐसी ही होतीं हैं, नेता भी. बस मोदी बाकियों से 56 कदम आगे हैं.

जिस दिन कोरोना से मौतों का आंकड़ा 56 हजार पहुंचा हो, उसी दिन मोर के साथ “56 तरह की पोज” देते हुए वीडियो डालने के लिए भी 56 इंच का सीना चाहिए. कोई संवेदनशील आदमी हो तो हर दिन हजार मौतों का देखकर सदमे में आ जाए

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सोमवार, 24 अगस्त 2020

प्रशांत भूषण का SC से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार, कहा- अगर माफी मांगेंगे तो उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी

वरिष्‍ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वे माफी मांगेंगे तो ये उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं. 
गौरतलब है कि 20 अगस्‍त को  प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी. कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था. 

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बस्ती -टोल प्लाजा से हटकर राजकीय मार्गों पर बूथ बना कर किया जा रहा अवैध वसूली

विश्वपति वर्मा-

बस्ती-जनपद के मड़वानगर टोल प्लाजा पर आए दिन अवैध वसूली का मामला सामने आ रहा है लेकिन खबरों को आने के बाद भी जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है।

टोल प्लाजा के लोग राष्ट्रीय राजमार्ग से हटकर ,बांसी ,डुमरियागंज एवं संतकबीरनगर जाने वाले मार्गों पर टोल बूथ बनाकर वसूली को अंजाम दे रहे हैं।

डीसीएम चालक बब्बन ने बताया कि वह रविवार को हरियाणा से सामान लेकर नौगढ़ जा रहा था जहां बस्ती के मड़वानगर टोल प्लाजा पर उससे 255 रुपये का टोल टैक्स लिया गया उसके बाद टोल प्लाजा से 5 किलोमीटर आगे नौगढ़ की जाने वाली सड़क पर गाड़ी उतारने के 200 मीटर बाद एक और बूथ पर रोका गया जहां हमने टोल टैक्स का रसीद दिखाया लेकिन 150 रुपया भुगतान करने के बाद ही हमे छोड़ा गया, बब्बन ने बताया कि उसके बाद गाड़ी खाली करके जब हम फिर इसी स्थान पर पहुंचे तो दुबारा 150 रुपया हमसे लिया गया जबकि हमारे पास टोल टैक्स का रसीद उपलब्ध था।

बब्बन ने बताया कि इसके पहले पिछली बार भी इसी तरह टोल प्लाजा पर 255 रुपये का टैक्स भरने के बाद यहां पर 150 रुपया जबरदस्ती लिया गया।
तहकीकात समाचार के स्टिंग ऑपरेशन में में कैमरे में यह कैद हुआ कि जिस चालक के पास टोल प्लाजा का पर्ची था उससे 5 किलोमीटर आगे पाण्डेय बाजार चौक से कटकर नौगढ़ की तरफ जाने वाली सड़क पर टोल प्लाजा कर्मचारी द्वारा 150 रुपया अवैध रूप से लिया गया ।

इसी तरह अंतर्जनपदीय और अंतरराज्यीय वाहनों से बस्ती में टोल प्लाजा के जिम्मेदारों द्वारा जमकर अवैध वसूली करवाया जा रहा है लेकिन इस मामले में जनपद के जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।

सभी टोल प्लाजा का रसीद दिखाता गाड़ी चालक बब्बन,जिसमे ऊपर की पर्ची मड़वानगर टोल प्लाजा की है।

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रविवार, 23 अगस्त 2020

नजरिया -जनता को "इमोशनल ब्लैकमेल" करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहाया घड़ियाली आंसू

अपने झूठे वक्तव्यों के कारण महारथ हासिल करने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर घड़ियाली आंसू बहाया है।
इस देश के लाखों कर्मचारियों को जबरदस्ती सेवानिवृत्त कर दिया गया ,ऐसे कर्मचारी जिन्होंने अपनी संस्थाओं के लिए जी तोड़ मेहनत के दम पर उसे कामयाबी ककी शिखर पर ले गए लेकिन उन्हें रिटायरमेंट दे दिया गया परन्तु देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी चिंता नही जाहिर की।

वहीं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा क्या की कि पीएम मोदी दुखी हो गए और तो और लंबा चौड़ा पत्र भी धोनी के लिए लिखा।

मोदी ने लिखा है, "आपके रिटायरमेंट से 130 करोड़ भारतीय निराश हैं, लेकिन साथ ही जो आपने पिछले डेढ़ दशक में भारत के लिए किया उसके लिए देशवासी आपके आभारी भी हैं। आपके करियर को देखने का एक तरीका आंकड़ों के चश्मे से भी देखने का है। आप भारतीय क्रिकेट के सबसे कामयाब कप्तानों में शामिल हैं। भारत को दुनिया में चोटी की टीम बनाने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। क्रिकेट के इतिहास में आपका नाम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में, सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में और नि:संदेह सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में शामिल किया जाएगा।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इस पत्र में आगे लिखा है, "मुश्किल हालात में आप पर निर्भरता और मैच फिनिश करने का आपका स्टाइल, खास तौर पर 2011 वर्ल्ड कप फाइनल, पीढ़ियों तक लोगों को याद रहेगा, लेकिन महेंद्र सिंह धौनी का नाम सिर्फ उनके करियर के आंकड़ों के लिए याद नहीं किया जाएगा और न ही किसी इकलौते मैच को जीतने में उनकी भूमिका के लिए जाना जाएगा। आपको सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में देखना अन्याय होगा। आपको देखने का सही तरीका एक फिनॉमिना यानी अपने आप में एक घटना है!"

धौनी के एक छोटे शहर से आकर विश्व पटल पर अपना नाम रोशन करने के लिए भी मोदी ने उनकी तारीफ की है। उन्होंने लिखा है, "एक छोटे शहर से उठकर आप अंतरराष्ट्रीय पटल पर छा गए, आपने अपने लिए नाम बनाया और सबसे महत्वपूर्ण देश को गौरवान्वित किया। आपकी तरक्की और उसके बाद के जीवन ने उन करोड़ों नौजवानों को प्रेरणा दी जो महंगे स्कूलों या कॉलेजों में नहीं गए, न ही वे किसी प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं, लेकिन उनके पास स्वयं को सर्वोच्च स्तर पर स्थापित करने की क्षमता है।"

 पीएम ने लिखा है, "हम कहां से आए हैं यह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता, जब तक हमें यह मालूम हो कि हम किस दिशा में जा रहे हैं- आपने यही भावना प्रदर्शित की और कई युवाओं को इससे प्रेरित किया। मैदान पर रहकर आपने नई पीढ़ी को तमाम उदाहरण दिए हैं। ये पीढ़ी अब रिस्क लेने से नहीं डरती है। कितनी भी कठिन परिस्थिति हो एक-दूसरे पर भरोसा करना चाहिए। आपने कई बार युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताकर उस समय रिस्क लिया है, जब ज्यादा दबाव था। टी20 वर्ल्ड कप 2007 का फाइनल इस बात का एक शानदार उदाहरण है।" 

नरेंद्र मोदी ने धौनी के सैना के प्रति प्यार का भी जिक्र किया। मोदी ने लिखा है, "मैं यहां आपके भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति लगाव को भी मेंशन करना चाहता हूं। आपको जब सेना में जगह मिली तो आप बहुत खुश थे। आपका उनके प्रति कल्याण का भाव भी अतुलनीय है। मैं आशा करता हूं कि साक्षी और जीवा अब आपके साथ ज्यादा समय बिता सकेंगी। मैं उनको भी शुभकामनाएं देना चाहता हूं, क्योंकि उनके बलिदान और समर्थन के बिना आपके लिए इतना सब करना संभव नहीं था। आपने ये भी सिखाया है कि आप एक टूर्नामेंट जीतने से ज्यादा अपने बच्चे के साथ खेलना पसंद करेंगे।"

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शनिवार, 22 अगस्त 2020

बस्ती - सल्टौआ ब्लॉक के इस ग्राम पंचायत में ग्राम प्रधान और सचिव के मिलीभगत से हुआ जमकर लूट

विश्वपति वर्मा(सौरभ)

बस्ती - जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत बसडीला में भ्रष्टाचार का एक मामला प्रकाश में आया है जहां ग्राम प्रधान और सचिव के मिलीभगत से ग्राम प्रधान मानदेय के नाम पर पंचायत के धन में घोटाला किया गया है।
ग्राम पंचायत में 31 मार्च 2020 को ग्राम विकास के खाते से 84 हजार रुपया ग्राम प्रधान मानदेय के नाम पर निकाला गया जो दो वर्ष का मानदेय है उसके बाद इसी सत्र में 10 अगस्त 20120 को 1 लाख 08 हजार 500 रुपया निकाला गया जिसमें बताया गया कि जनवरी 2018 से मार्च 2020 तक प्रधान मानदेय लिया गया है।
ग्राम पंचायत में एक सत्र में 1,92,500 (1 लाख 92 हजार 500) निकाला गया जो  4 साल से ज्यादा का मानदेय है इसी प्रकार हर वित्तीय वर्ष वर्ष में पैसे की निकासी की गई है जिससे यह प्रतीत होता है कि ग्राम पंचायत के धन को जिम्मेदारजनों द्वारा सुनियोजित तरीके से लूटा गया है। 
इसके अलावा ग्राम पंचायत में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 7400 रुपया कुर्सी खरीदने के नाम पर खर्च किया जो केवल और केवल निजी प्रयोग है साथ ही कई योजनाओं के नाम पर लाखो रुपये का गबन ग्राम पंचायत में किया गया है।

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भारत मे कोरोना वायरस के केस का टूटा रिकार्ड एक दिन में 70 हजार नए मामले दर्ज ,945 की मौत

भारत समेत दुनियाभर के 180 से ज्यादा देशों में कोरोनावायरस (Coronavirus) का खौफ देखने को मिल रहा है. अभी तक 2.26 करोड़ से ज्यादा लोग COVID-19 की चपेट में आ चुके हैं. यह वायरस 7.93 लाख से ज्यादा मरीजों की जिंदगी छीन चुका है. भारत में भी लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, हालांकि इससे ठीक होने वालों का आंकड़ा भी बढ़ा है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 29,75,701 हो गई है. पिछले 24 घंटों में (शुक्रवार सुबह 8 बजे से लेकर शनिवार सुबह 8 बजे तक) कोरोना के 69,878 नए मामले सामने आए हैं. यह एक दिन में सामने आने वाले अभी तक के सबसे ज्यादा केस हैं.
इस दौरान देश में 945 कोरोना संक्रमितों की मौत भी हुई है. 22,22,577 मरीज ठीक हो चुके हैं और अब तक कुल 55,794 लोगों की जान गई है.

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उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए असमंजस बरकरार, चुनाव आयोग ने वापस लिया पत्र

प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस बना हुआ है। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल इस साल 25 दिसम्बर को खत्म होने को है और उससे पहले ग्राम पंचायतों के चुनाव हो जाने चाहिएं। इसके लिए जरूरी है कि नवम्बर  में चुनाव की अधिसूचना जारी हो और उससे पहले शहरी क्षेत्र में शामिल हो चुकी पंचायतों के बाद बाकी बचे क्षेत्र का परिसीमन, वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण आदि पूरा होना है, जिसके लिए दो से तीन महीने का समय चाहिए।
बुधवार 19 अगस्त को अपर निवार्चन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने सभी जिला अधिकारियों को एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण  का कार्य पहली सितम्बर से शुरू करने पर आयोग विचार कर रहा है, इसलिए पंचायतों की वोटर लिस्ट के वृहद पुनरीक्षण के लिए शुरुआती प्रबंध करवाए जाएं। मगर आयोग ने उसी दिन यह पत्र वापस भी ले लिया। सूत्रों के अनुसार राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार के निर्देश पर यह पत्र वापस लिया गया है। 


 मगर अब अगस्त का महीना बीतने को है और सितम्बर व अक्तूबर के बाकी बचे दो महीनों में यह सारा काम पूरा होना मुश्किल है। उधर, मौजूदा ग्राम प्रधान मांग उठा रहे हैं कि कोरोना संकट को देखते हुए पंचायत चुनाव छह महीने के लिए टाल दिए जाएं और दिसम्बर के बाद मौजूदा प्रधान को ही प्रशासक बना दिया जाए। मगर प्रदेश सरकार इस बाबत अभी तक कोई निर्णय नहीं ले सकी है।

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शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

पत्रकार को झूठे मुकदमे में फंसा कर गिरफ्तारी के लिए सोनीपत पुलिस को मिला था 50,000 का रिश्वत

 (चंडीगढ़ ब्यूरो)

 सोनीपत की वरिष्ठ महिला पत्रकार पर कुछ अपराधी प्रवृति के असामाजिक लोगो ने 22 फरवरी 2020  को सिविल लाइन थाना सोनीपत में मुकदमा संख्या 0104  मारपीट को लेकर झूठा व निराधार साजिश के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया था जिस पर महिला पत्रकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005  के अंतर्गत RTI से जवाब मांगा था जिस में सम्बंधित मुक़दमे के IO अजित सिंह ( हेड कॉन्स्टेबल थाना सिविल लाइन सोनीपत ) ने अपनी जाँच रिपोर्ट में स्पष्टतौर पर लिखा है की नवीन बंसल पुत्र रामकुमार व इंदु बंसल पत्नी नवीन बंसल पर लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं पाई गई है।

 सूचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी के बाद महिला पत्रकार ने सोनीपत पुलिस अधीक्षक को एक लिखित प्रार्थना पत्र देकर  दोषियों के खिलाफ़ उचित कार्यवाही की मांग की है।  

  महिला पत्रकार इन्दु बंसल ने बताया कि मेरे व मेरे पति के खिलाफ साजिस के तहत यह झूठा मुकदमा समझौते का दबाव बनाने की नियत से आशीष पांचाल पुत्र मुकेश पांचाल  निवासी गांव नांगल खुर्द जिला सोनीपत व आशीष के पिता मुकेश पांचाल  निवासी गांव नांगल खुर्द जिला सोनीपत  ने अपने मित्र हिमांशु कौशिक के साथ मिली भगत करके हमारे खिलाफ दर्ज कराया था। जो पुलिस जांच में झूठा पाया गया। महिला पत्रकार ने बताया कि इन अपराधियो पर पहले से ही कई आपराधिक मुक़दमे दर्ज है और मेरे ऊपर समझौते का दबाव बनाने की नीयत से इन्हों ने यह साज़िश मेरे ऊपर रची थी। 
गौरतलब है कि महिला पत्रकार के साथ धोखा धड़ी के आरोप में प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज के आदेश पर गठित SIT की जांच के बाद इन दोषियों के खिलाफ सिटी थाना शहर सोनीपत मे IPC की धरा 406 , 420 ,467 ,468 ,471 के तहत मुकदमा संख्या 0001 दिनांक 02 /01 /2020  से दर्ज है जिसमे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय सोनीपत से इन दोषियों की अग्रिम जमानत याचिका भी ख़ारिज हो चुकी है  जिसमे आज तक भी इन दोषियों की गिरफ़्तारी भी नहीं हुई है । महिला पत्रकार ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि इन दोषियों द्वारा साजिस के तहत  हमारे ऊपर किये गए इस झूठे मुक़दमे के कारण मै और मेरा परिवार सामाजिक,मानसिक,आर्थिक प्रताड़ना झेलने को मजबूर है।

अब देखना यह होगा कि सोनीपत की एक सम्माननीय महिला पत्रकार पर दोषियों द्वारा  किये गए इस झूठे मुक़दमे के कारण महिला पत्रकार व उस के परिवार की जो मान हानि हुई है ओर इन दोषियों द्वारा बार - बार महिला पत्रकार व उस के परिवार को झूठे मुक़दमे में फ़साने व जान से मरने की जो धमकिया दी गई उस पर सोनोपत पुलिस क्या कार्यवाही करती है। 

महिला पत्रकार ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि इस मुक़दमे के जांच अधिकारी ने महिला पत्रकार को बताया था की इस झूठे मुक़दमे मे फसा कर महिला पत्रकार की गिरफ़्तारी के दोषियों ने 50,000 रुपए की रिश्वत की ऑफर भी की थी।
         

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जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में स्थानीय युवा आतंकी गतिविधियों में हो रहे हैं शामिल, गृह मंत्रालय की बढ़ी चिंता

जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बावजूद केंद्र सरकार ने सुरक्षा स्थिति में सुधार नहीं किया है. कश्मीर में सक्रिय सुरक्षाबलों और मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या के बावजूद भी कई स्थानीय लोग आतंकवादियों की श्रेणी में शामिल हो रहे है, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने एनडीटीवी को बताया है कि यह सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. 
मंत्रालय के डेटा से पता चलता है कि इस वर्ष के पहले सात महीनों में, 90 स्थानीय लोग विभिन्न आतंकवादी समूहों में शामिल हो गए हैं. उनमें से 45 हिजबुल मुजाहिदीन, 20 लश्कर-ए-तैयबा, 14 जैश-ए मोहम्मद, 7 अल बद्र, दो अंसार गजवत उल हिंद और एक आईएसजेके में शामिल हो गए जो कि इस्लामिक स्टेट से प्रेरित एक आतंकी संगठन है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, " आगे जो चिंता पैदा हो रही है वह यह है कि ये संख्या उम्मीद से अधिक हो सकती है. इससे पहले, सुरक्षाबलों को परिवार या पड़ोसियों या यहां तक ​​कि सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा सूचित किया जाता था यदि एक जवान लापता हो गया और आतंकवादियों में शामिल हो गया. लेकिन अब न तो कोई पोस्ट ऑनलाइन हो रही है और न ही परिवार आगे आ रहे हैं.'

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गुरुवार, 20 अगस्त 2020

घोटाले की बू-सामाजिक और स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला 2 हजार करोड़ रुपया दे दिया गया पीएम केयर्स फंड में दान

दिल्ली: महारत्न से लेकर नवरत्न तक देश भर के कुल 38 सार्वजनिक उपक्रमों यानी की पीएसयू या सरकारी कंपनियों ने पीएम केयर्स फंड में 2,105 करोड़ रुपये से ज्यादा की सीएसआर राशि दान की है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से ये जानकारी सामने आई है.रिपोर्ट के मुताबिक, 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड का गठन किए जाने से लेकर 13 अगस्त तक 38 पीएसयू ने मिलकर पीएम केयर्स फंड में 2,105.38 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है, जो कि कंपनियों द्वारा अनिवार्य रूप से दिया जाने वाला सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) का पैसा है.
पीएम केयर्स फंड में सीएसआर राशि डोनेट की जा सकती है. नियम के मुताबिक, सीएसआर राशि को उन कार्यों में खर्च करना होता है, जिससे लोगों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक और स्वास्थ्य आदि में सुधार हो तथा आधारभूत संरचना, पर्यावरण और सांस्कृतिक विषयों को बढ़ाने में मदद मिल सके

पीएसयू से प्राप्त दस्तावेजों से पता चलता है कि कंपनियों ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सीएसआर कार्यों के लिए जितना बजट आवंटित किया था, उसमें से कुछ पैसा पीएम केयर्स फंड में डाला है. इसके अलावा कुछ कंपनियों ने वर्ष 2020-21 के बजट में से डोनेशन दिया है.सबसे ज्यादा ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने 300 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फंड में दान किया है. हालांकि कंपनी ने अब तक 2020-21 के दौरान सीएसआर कार्यों के लिए बजट निर्धारित नहीं किया है. इसी तरह एचपीसीएल ने भी सीएसआर आवंटन में से 120 करोड़ रुपये का अनुदान पीएम केयर्स फंड में दिया है.वहीं पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सीएसआर गतिविधियों के लिए जितना बजट आवंटित किया था, उससे कहीं ज्यादा पैसा पीएम केयर्स फंड में भेजा गया है. 

कंपनी ने बताया है कि उन्होंने इस साल सीएसआर का बजट 150.28 करोड़ रुपये रखा था, लेकिन पीएम केयर्स फंड में 200 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है.ओआईएल इंडिया लिमिटेड ने कहा कि उसने 38 करोड़ रुपये का योगदान दिया और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने 200 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है.ग्रामीण विद्युतीकरण निगम ने अपने साल 2019-20 के 156.68 करोड़ रुपये के आवंटन में से 100 करोड़ रुपये और 2020-21 के अनुमानित आवंटन 152 करोड़ रुपये में से 50 करोड़ रुपये का डोनेशन दिया है.मालूम हो कि बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड में प्राप्त राशि को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि पीएम केयर्स के पैसे को एनडीआरएफ में भेजने की कोई जरूरत नहीं है.सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि चूंकि पीएम केयर्स फंड की कार्यप्रणाली काफी गोपनीय है, इसलिए इसमें प्राप्त राशि एनडीआरएफ में ट्रांसफर की जाए, जो कि संसद से पारित किए गए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत बनाया गया है और एक पारदर्शी व्यवस्था है.एनडीआरएफ में प्राप्त राशि कि ऑडिटिंग राष्ट्रीय ऑडिटर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा किया जाता है और इस पर आरटीआई एक्ट भी लागू है.

 वहीं दूसरी तरफ पीएम केयर्स फंड को सरकार ने आरटीआई के दायरे से बाहर गया रखा है और इसकी ऑडिटिंग एक स्वतंत्र ऑडिटर से कराई जा रही है.पीएम केयर्स फंड के विरोध की एक प्रमुख वजह ये है कि सरकार इससे जुड़ी बहुत आधारभूत जानकारियां जैसे इसमें कितनी राशि प्राप्त हुई, इस राशि को कहां-कहां खर्च किया गया, तक भी मुहैया नहीं करा रही है.लंबे समय के बाद पीएम केयर्स ने सिर्फ ये जानकारी दी है कि इस फंड को बनने के पांच दिन के भीतर यानी कि 27 मार्च से 31 मार्च 2020 के बीच में कुल 3076.62 करोड़ रुपये का डोनेशन प्राप्त हुआ है. इसमें से करीब 40 लाख रुपये विदेशी चंदा है.प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) आरटीआई एक्ट के तहत इस फंड से जुड़ी सभी जानकारी देने से लगातार मना करता आ रहा है. साथ ही कहा गया है कि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत सार्वजनिक प्राधिकार यानी पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.यह स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री इस फंड के अध्यक्ष हैं और सरकार के सर्वोच्च पदों पद बैठे गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री जैसे व्यक्ति इसके सदस्य हैं.

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बुधवार, 19 अगस्त 2020

ग्रामीण क्षेत्रों में पांव पसार रहा कोरोना वायरस ,4 करोड़ नौकरियों पर खतरा ,15 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान ,एसबीआई ने किया आगाह

एनडीटीवी

अब ग्रामीण भारत (Rural India) पर कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का साया गहराता जा रहा है. देश की सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने आगाह किया है कि शहरों के मुकाबले अब ग्रामीण ज़िलों में कोरोना के ज्यादा मामले रिपोर्ट हो रहे हैं. उधर उद्योग संघ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने कहा है कि टूरिज्म और ट्रेवल इंडस्ट्री में कोरोना संकट की वजह से 10 से 15 लाख करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अंदेशा है, और अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो इससे तीन से चार करोड़ लोगों की नौकरियां जाने का अनुमान है।

                   प्रतीकात्मक तस्वीर

शहरों के बाद कोरोना वायरस अब बड़े स्तर पर ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था पर एसबीआई ने अपनी ताज़ा ECOWRAP  रिपोर्ट में आगाह किया है कि ग्रामीण भारत में कोरोना फैल रहा है. जुलाई-अगस्त महीने में अब तक कोरोना के नए मामलों में 54 % ग्रामीण ज़िलों में रिकॉर्ड किए गए हैं. ग्रामीण इलाकों में कोरोना फैलने से राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा असर पड़ेगा. कोरोना संकट की वजह से राज्यों का ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट 16.8 % तक गिरने का अनुमान है. सबसे बुरा असर महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों पर होगा. राज्यों के ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट में बड़ी गिरावट में महाराष्ट्र का कुल हिस्सा 14.2 % रहने का अंदेशा है.

एसबीआई दिल्ली के चीफ मैनेजर रविंदर गुप्ता ने NDTV से कहा- "ग्रामीण भारत में कोरोना वायरस का ज्यादा फैलाव होना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहत चिंता की खबर है. हमारा अनुमान है कि COVID-19 की वजह से राज्यों के ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GSDP) में नुकसान 16.8% तक रह सकता है. महाराष्ट्र में ज्यादा नुकसान होने का अनुमान है."



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बस्ती-गौकशी का मुकदमा दर्ज करवाने के लिए पुलिस महानिरीक्षक से गुहार

भाजपा जिला कार्य समिति के सदस्य जितेंद्र यादव ने पुलिस महानिरीक्षक बस्ती को शिकायत पत्र लिखकर गौकशी की घटना पर सोनहा पुलिस पर लीपापोती का आरोप लगाया है। 

जितेंद्र यादव ने पुलिस महानिरीक्षक को पत्र में बताया कि  सोनहा थाना क्षेत्र के रामपुर में 14 अगस्त को सुबह  गौकशी की सूचना मिली थी इस मामले की सूचना प्रभारी निरीक्षक सोनहा व क्षेत्राधिकारी रुधौली को  दिया गया , मौके पर सोनहा पुलिस की उपस्थिति में गौवंश का सिर, खाल , खून से लथपथ बोरा, रस्सी आदि बरामद हुआ जिसके बाद स्थानीय पुलिस को कार्यवाही हेतु तहरीर दिया गया था लेकिन अभी तक सोनहा पुलिस द्वारा मुकदमा पंजीकृत नहीं किया गया।

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47 करोड़ लोग प्रतिदिन 20 रुपये के खर्चे पर जीने को मजबूर ,प्रधानमंत्री पर प्रतिदिन 2 करोड़ का खर्चा, पढ़ें "सौरभ वीपी वर्मा" का निष्पक्ष पन्ना

विश्वपति वर्मा-

ये मुर्दा विपक्ष और गोदी मीडिया दोनों को बहिष्कार कर देना चाहिए, ये दोनों अपने निजी फायदे के लिए देश मे जातिवाद, भेदभाव ,हिंसा ,लूट ,डकैती आदि खबरों को अपने हिसाब से उछाल कर उसपर राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा सकते हैं ,यह दोगली सपा ,बसपा ,और कांग्रेस की सरकारों का देन है कि आज देश और देश के सबसे बड़े राज्य में जातिवाद के नाम पर राजनीतिक घटनाक्रम की खबरें संज्ञान में आने लगी हैं, यही पार्टियों का देन है कि देश प्रदेश में गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का आंकड़ा मजबूत हुआ है ।
                लेखक-विश्वपति वर्मा (सौरभ)

उधर गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार आदि बिंदुओं पर तत्कालीन सरकार को घेरने के लिए भाजपा अपना चुनावी स्क्रिप्ट लिख कर जनता से यह बताने में लग गई गई कि अब उसके सारे दुःख दर्द का दवा वही लेकर आएगी यह अलग विषय है कि 2014 में वेंटिलेटर से उठने वाली भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के बाद झूठ और लूट के गेम को ही खेलने में भलाई समझने लगी, 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा केंद्रीय कांग्रेस सरकार की योजनाओं और देश की खराब वास्तविक स्थिति का हवाला देकर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए  95 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक  मीडिया जगत को ही खरीद लिया गया जिसका परिणाम रहा कि चुनाव के नतीजों में भाजपा के नेताओं  में जबरदस्त खुशियां तो देखने को मिली लेकिन 6 साल बाद भी जनता के होठों पर मुस्कान नही दिखाई दिया।

भले ही आज देश मे 22 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं ,46 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है ,अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं के न होने से 24 घंटे में60 से अधिक गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है ,परिषदीय स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था कमजोर होने के कारण यहाँ पढ़ने वाले 80 फीसदी बच्चों को सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान नही हो पाता लेकिन मीडिया के लिए यह कभी न तो खबर बनता है और न ही सरकार के लिए मुद्दा।

भारत के गांवों की बदहाली देखने के बाद गांधी जी ने भारत में ग्राम स्वराज के सपने को देखा था लेकिन 1942 में लिखे अपने एक आलेख के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी देश के गांवों में स्वतंत्रता का कोई  ऐतिहासिक रूप नही दिखाई दिया, हमारे देश को जिन महापुरुषों और क्रांतिकारियों ने देश की रखवाली करने के लिए सौंपा था वह केवल और केवल सत्ता का हस्तांतरण करने में ही 72 साल बिता दिए . इतने दिनों में भारत मे कृषि से लेकर मशीनरियों और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खूब वृद्धि हुआ लेकिन यह सब बनाने में देश के जिम्म्मेदारों ने आवश्यकता से कहीं ज्यादा धन खर्च किया या यह कहें कि धन का बंदरबांट किया गया उसके बाद भी आज मानव जाति कृषि क्षेत्र से लेकर कोयला खदानों में हांड -तोड़ मेहनत करके पारिश्रमिक जुटाने में मजबूर है 

 देश मे गांधी जी के सपने को साकार करने के लिए पहली बार 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था की नींव रखी गई उसके बाद 24 अप्रैल 1993 को भारत में पंचायती राज के (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा हासिल हुआ और इस तरह महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के स्वप्न को वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया गया था लेकिन आज जब भारत के गांवों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है तो पंचायती राज व्यवस्था के आड़ में ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार के अलावा कुछ और दिखाई नही देता।

निश्चित तौर पर भारत के गांव में ही भारत की आत्मा बसती है जहां से डॉक्टर ,इंजीनियर, वैज्ञानिक पैदा होते ,जहां पर सांसद विधायक ,आईएएस अफसर पैदा होते हैं, जहां पर कारपोरेट घरानों में काम करने के लिए मजदूर पैदा होते हैं और जहां पर इन सब का पेट भरने के लिए किसानों द्वारा अनाज पैदा किया जाता है लेकिन दुर्भाग्य है कि आज आजादी के 7 दशक बाद भी उस गांव की स्थिति बदसे बदतर है।

एक तरफ हम अंतरिक्ष में छलांग लगा रहे हैं दूसरी तरफ हमारे देश के गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है आखिर इस बात की चिंता इस देश में क्यों नही की जाती ,एक तरफ राजनीतिक पार्टियों और सरकारी दफ्तरों के लिए बड़े बड़े बिल्डिंग खड़े किए जा रहे हैं दूसरी तरफ घास फूस की झोपड़ी में रहने वालों की एक बड़ी तादात आज भी है वहीं देश मे 11 लाख लोग ऐसे हैं जिनके पास अपना झोपड़ी भी नही है .देश के नेता अभिनेता एयरकंडीशनर कमरों में बैठ कर मिनरल वाटर का मजा ले रहे हैं लेकिन देश में 47 करोड़ 41 लाख लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं । 

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री को जहां वीवीआइपी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है वहीं केवल उनकी जान बचाने के लिए प्रतिदिन 1 करोड़ 62 लाख रुपया सुरक्षा पर खर्च किया जाता है लेकिन इसी देश के 47 करोड़ से ज्यादा लोग प्रतिदिन 20 रुपये से कम पर जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं .देश की गलत नीतियों ने सांसदों और विधायकों के  ऐशो आराम के लिए कई सारे मद बनाये गए लेकिन इस देश की भ्रष्ट और खोखली व्यवस्था ने सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार ,लेखक  और सामाजिक चिंतको के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नही बनाई गई जिससे वें देश के विकास में कर रहे अपने योगदान को आगे बढ़ा सकें.

ऐसे ही देश मे अनगिनत संख्या है जहां सत्ताधारियों की निरंकुशता के चलते देश के नागरिक मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं .पंचायती राज में गांव के लोगों की अपनी सरकार बनाई गई जहां इस बात का स्वतंत्रता दिया गया कि गांव के लोग ग्राम पंचायत के माध्यम से अपनी समस्याओं का कार्ययोजना तैयार कर वहां पानी निकासी ,सड़क ,साफ सफाई ,पेय जल ,लाइट की व्यवस्था ,चक मार्ग ,तालाब ,खेत की सिचांई के बंदोबस्त ,स्वास्थ्य सुबिधा की प्राथमिक व्यवस्था के साथ वंचित वर्गो की आवश्यकता के साथ सामाजिक सुरक्षा को प्रमुखता से सम्मिलित करते हुए  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए काम करने की  प्राथमिकता दी गई लेकिन वर्ष 2000 के बाद ग्राम पंचायत के धन को सुनियोजित तरीके से लूटने का सिस्टम इस देश के जिम्म्मेदारों की मिलीभगत से तैयार कर दिया गया जिसका नतीजा है कि वंचित वर्ग अंतिम पंक्ति में रहने के लिए आज भी मजबूर है।

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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

COVID-19 के कुल मामले 27 लाख के पार, भारत में पिछले 24 घंटे में जुड़े 55,079 केस, 876 की मौत

Coronavirus in India: देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 27 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंगलवार सुबह जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार पिछले 24 घंटों में 55079 नए मामले सामने आए हैं. जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 27,02,742 हो गई है, वहीं इस दौरान 876 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई है और कुल मृतकों की संख्या 51,797 के आंकड़े पर पहुंच गई है.

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सोमवार, 17 अगस्त 2020

SC ने खारिज की याचिका, तय समय पर होंगी NEET-JEE परीक्षा, कहा- क्या देश में सब कुछ रोक दिया जाए?

सुप्रीम कोर्ट ने देश की सबसे अहम परीक्षा में शुमार JEE Main 2020 और NEET 2020 परीक्षाओं पर अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 छात्रों की कोवि-19 को देखते हुए परीक्षा स्थगित करने की याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि परीक्षाएं तय समय पर ही आयोजित की जाएंगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि शिक्षा से जुड़ी चीजों को अब खोल देना चाहिए, क्योंकि COVID-19 एक साल और जारी रह सकता है. 
सुप्रीम कोर्ट ने  मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा JEE  मेन को स्थगित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की.  याचिका में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते सिंतबर में प्रस्तावित JEE  मेन और NEET यूजी परीक्षाओं को टालने की मांग की गई थी. JEE परीक्षा 1 सितंबर से 6 सितंबर तक आयोजित की जाएगी, वहीं NEET परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जाएगी. 

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रविवार, 16 अगस्त 2020

बस्ती-सेवानिवृत्त शिक्षक के घर को चोरों ने बनाया निशाना,2 लाख की नगदी समेत 8 लाख के गहने चोरी

केoसीo श्रीवास्तव

बस्ती- कप्तानगंज थाना क्षेत्र के नकटीदेई बुजुर्ग इलाके में अज्ञात चोर एक मकान की दीवार फांद कर अंदर घुस गए और घर के अंदर रखे गए आलमारी और बक्से को तोड़कर 2 लाख रुपये की नगदी और लगभग 8 लाख रुपये की जेवरात के साथ कीमती बर्तन को भी समेट ले गए।


सेवानिवृत्त शिक्षक शिवबरन चौधरी ने बताया कि नकटीदेई इलाके के रेहरवा में उनका घर है जिसमे वह अपनी पत्नी के साथ रहते हैं उन्होंने बताया कि उनके दो लड़के हैं जो स्वास्थ्य विभाग और रेलवे विभाग में पोस्ट हैं और वह लोग बाहर रहते हैं।


पीड़ित रामबरन चौधरी ने बताया कि " शुक्रवार रात्रि को उनके घर मे चोरी हुई तब वें और उनकी पत्नी घर के बाहर बरामदे में सो रहे थे ,उन्होंने बताया कि सुबह जागकर जब घर मे प्रवेश किये तो उन्होंने देखा कि अंदर के कमरों का दरवाजा खुला हुआ था जब वह कमरे के अंदर गए तो उन्होंने देखा कि सभी कमरों में रखे गए आलमारी और बक्से का कुंडी टूटा हुआ था, यह देखने के बाद मामले की जानकारी पुलिस को दी गई जिसके बाद यह जानकारी पता चला कि घर के अंदर से क्या क्या गायब हुआ है।


पीड़ित ने बताया कि मौके पर पुलिस के पहुंचने के बाद घर में रखे गए सामानों को देखा गया तो सभी कीमती सामान गायब थे जिसमें सोने के आभूषण में 2 हार ,1 मंगलसूत्र ,4 कान की बाली ,3 चेन,5 अंगूठी ,1 बिंदिया, 4 झुमकी और चांदी की 9 जोड़ी पायल के साथ कीमती बर्तन घर से गायब हुए। 


इस सम्बंध में पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी हुई है इस मामले की पुलिस गहराई से जांच कर रही है जल्द ही पुलिस मामले की गहराई तक पहुंचने में कामयाब होगी।

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