पीएम मोदी की इस घोषणा पर एनडीटीवी के प्राइम टाइम शो पर अर्थव्यवस्था के जानकर ऑनिंद्यो चक्रवर्ती ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पहले यह जानना जरुरी है कि 20 लाख करोड़ रुपए में आरबीआई कितना लिक्विडिटी दे रहा है। इसका मतलब है कि आरबीआई लोन के लिए कितना पैसा बैंको के सामने रखा रहा है। उन्होंने कहा कि आईबीआई आठ लाख करोड़ रुपए पहले ही दे चुका है या इसकी घोषणा कर चुका है। बचते हैं 12 लाख करोड़ रुपए। मई के शुरुआती सप्ताह में ही म्यूचुअल फंड को पैसा मिले, इसके लिए आरबीआई ने बैंकों को पचास हजार करोड़ रुपए दिए थे। इसमें से भी बैंकों ने पांच फीसदी उठाया है, क्योंकि लोन देना आसान है मगर बैंक लोन उसी को देगा जो वापस कर सकता है। अर्थात कर्ज लेने के लिए पहले देने के बार में सोचना पड़ता है। ऐसे में आरबीआई ने लिक्विडिटी आठ लाख करोड़ रुपए बढ़ा दी है मगर लोन लेने वाला कोई है ही नहीं। ऐसे में बीस से आठ लाख करोड़ रुपए तो आप पहले ही निकाल लीजिए। सरकार एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा पहले कर चुकी है। इसमें भी सत्तर हजार करोड़ रुपए पहले के हैं।
ऑनिंद्यो चक्रवर्ती ने कहा कि नरेगा के लिए दस हजार करोड़ रुपए क्या नए आर्थिक पैकेज से इतर है, इसकी जानकारी अभी नहीं है। निर्माणधीन इमारतों के मजदूरों और अन्य क्षेत्रों को जोड़ लें तो कहा जा सकता है कि करीब 1.10 लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा हुई। उन्होंने अपने बैंकर मित्र के हवाले से बताया कि सरकार आरबीआई से छोटे उद्योगों के लिए बैंकों को पांच लाख करोड़ रुपए देने को कहेगी। इसमें अगर बैंकों का पैसा डूबता है तो सरकार इसमें करीब पचास फीसदी वहन करेगी। ऐसे में पांच लाख करोड़, आठ लाख करोड़ और एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपए की पहले ही घोषणा हो चुकी है।
चक्रवर्ती के मुताबिक अगर सभी आर्थिक पैकेज को जोड़ लें तो करीब 6 लाख करोड़ रुपए बचते हैं। इसमें भी कम से कम 2 लाख करोड़ रुपए के पुराने पैकेज को नया करके दिखाय जाएगा। जैसे 70 हजार करोड़ को नया पैकेज बताया गया था। ऐसे में वास्तविक खर्च चार-साढ़े लाख करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं होगा जो कि हमारी जीडीपी का दो से ढाई फीसदी बैठता है और यही वास्तविकता है।