नजरिया-महामारी के बीच लूट कर धन अर्जित करने का लगा होड़ - तहक़ीकात समाचार

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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

नजरिया-महामारी के बीच लूट कर धन अर्जित करने का लगा होड़

विश्वपति वर्मा-

वैश्विक महामारी के इस दौर में जहां अधिकारी ,कर्मचारी ,मीडिया ,बॉलीवुड ,राजनेता,
सामाजिक कार्यकर्ता,छोटे-मझले ,मोटे पतले इत्यादि लोग जन सहयोग करने में लगे हैं वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो मौके का फायदा उठाकर ढेर सारा धन अर्जित करके रख लेना चाहता है।

कहीं गुल्लक तोड़ कर दान देने देने की तस्वीर आ रही है तो कहीं पर पूड़ी -सब्जी ,दाल -चावल खिलाने की होड़ वाली तस्वीरें मिल रही हैं, कहीं पर प्रशासनिक अधिकारी लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील कर रहे हैं तो कहीं पुलिस के जवान गाय को पानी पिलाते नजर आ रहे हैं तो कहीं अध्यापक स्कूल में बनाये गए आइसोलेशन सेंटर की निगरानी में लगे है ,तो वहीं साग ,सब्जी ,दवा ,राशन पहुंचाने का काम वालिंटियर कर रहे हैं.

इसी बीच ऐसी भी तस्वीर आ रही है जहाँ पर सरकारी खजाने से लेकर आम जनता के जेब को काट कर अपनी तिजोरी भरने की होड़ में लोग लगे हुए हैं .

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से भारत मे लॉकडाउन किये जाने के एक दिन पहले तक सभी छोटे-बड़े दुकानों पर सामानों के मूल्य समान तौर पर उचित लगाए जाते थे लेकिन पहले चरण के 21 दिन के अंदर ही देखने को मिल गया कि सामानों के दामों में बेतहाशा वृद्धि की गई है ,सब्जी ,राशन ,तेल जैसे घरेलू सामानों के मूल्यों पर जिला प्रशासन का नियंत्रण होने के बाद भी 5 रुपये से लेकर 40 रुपये अधिक तक का भुगतान देकर ग्राहक सामानों को खरीदने के लिए मजबूर दिखाई दिये ,सबसे ज्यादा सब्जियों के भाव को दोगुने दाम पर रखा गया जिसमें प्रमुख रूप से हरी सब्जियों की महंगाई में वृद्धि दिखाई दिया .यहां तक कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने अपने 10 किलोग्राम आटे की पैकेट में 75 रुपये का वृद्धि कर दिया.

गुटखा, पान -मसाला ,बीड़ी ,सिगरेट और शराब भी इंसान की जिंदगी का एक हिस्सा है लिहाजा लोग इसे हद तक की सीमाओं को पार करके भी प्राप्त कर लेना चाहते हैं ,लॉक डाउन के इस दौर में इन सभी सामानों को बेचने के लिए प्रतिबंधित किया गया था उसके बाद भी ये सब बाजार में दोगुने मूल्यों पर उपलब्ध है यहां तक कि शराब के नकली खेप को खपाने का एक मौका लोगों को मिल गया है.

सरकारी महकमे में चले आते हैं यहां भी गरीबों के पेट पर लात मारकर अपने बच्चों के लिए खिलौना खरीदने का बंदोबस्त हो रहा है  महामारी के इस दौर के पहले स्वास्थ्य विभाग को प्रत्येक ग्राम पंचायत में मलेरिया की दवा का छिड़काव करवाना था लेकिन  एक भी जगहों पर किसी भी प्रकार के दवा का छिड़काव नही हुआ उसके बावजूद भी सम्बंधित खाते से पैसा बाहर चला गया.

मनरेगा के जिस बकाया राशि को योगी आदित्यनाथ सरकार ने  एक क्लिक में सभी मजदूरों के खाते में भुगतान कर दिया उसमें भी सेंध लगा दिया गया जानकारी मिली है कि जॉब कार्डधारकों से पुरानी परंपरा के अंतर्गत एक निश्चित धनराशि देकर पैसा वापस ले लिया गया और उनसे बता दिया गया कि यह पैसा योगी सरकार ने फ्री में नही दिया है यह वह पैसा है जिसका फर्जी बिल-वाउचर बनाकर हमने तुम्हारे खाते का विवरण भेजा था.

प्राइवेट एम्बुलेंस संचालक भी मौका पा है गए हैं मृतक सैय्या पर लेटे हुए व्यक्ति के परिवार के खून को निचोड़ लेने का क्योंकि जिस 20 किलोमीटर दूरी का निर्धारित किराया अधिकतम 1000 रुपया है उसी जगह के लिए 2500 रुपये का चार्ज लिया गया.

प्राइवेट बैंक इस होड़ में पीछे कैसे हो सकते हैं उन्हें भी तो लूट के प्रतिस्पर्धा में परचम लहराना है कुछ प्राइवेट बैंकों को छोड़कर अधिकांश बैंकों और ऋणदाताओं ने आरबीआई के निर्देशों को अनसुना कर अपने ईएमआई को तय  समय सीमा पर काट लिया गया जिन खातों में पैसा नही था उसपर पूर्व की भांति विलंब भुगतान चार्ज भी लाद दिया गया .मसलन 1506 रुपये की ईएमआई निश्चित तारीख पर न मिलने की वजह से बैंक ने 531 रुपये का लेट चार्ज जोड़ दिया.

सब अपनी जेब  भरे जा रहे हैं तो शासन -प्रशासन और नेता लोग मौके का फायदा उठाने में कैसे चूक सकते हैं. तस्वीरें आ रही थी कि सांसद  और विधायक जैसे तमाम जनप्रतिनिधि मास्क और सैनेटाइजर खरीदने के लिए 10 लाख से लेकर करोड़ो तक का बजट जिला प्रशासन को दे रहे हैं लेकिन अभी तक हमारे सुनने में नही आया कि क्षेत्रों में सरकारी पैसे वाली मास्क और सैनेटाइजर का वितरण किया गया है. 

आखिर कौन है यह लोग जो जनता की जेब पर डाका मार रहे हैं ? कहाँ जा रहा है वह पैसा जो हवा की रफतार से खजाने से निकल रहा है ?कौन निगरानी कर रहा है इसकी?निश्चित तौर पर यह वही वर्ग है जो जीवन भर जनता का शोषण करके उसके हांड-मांस को आपस मे चिपका देता है और इसमें सर्वाधिक अन्तिम पंक्ति में जीवन यापन करने वाला व्यक्ति पीसा जाता है जिसकी संख्या 64 करोड़ से ज्यादा है निश्चित तौर पर यह अव्यवस्था आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था पर दोहरी चोट पहुंचायेगा जो हिंसा को बढ़ावा देने के लिए काफी है।

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