गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मुकदमा दर्ज करवाकर सच पर नही डाला जा सकता पर्दा,अधिकारी होंगे बेनकाब -विश्वपति वर्मा

बस्तीः गौशालाओं का सच लिखने से नाराज मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अश्वनी कुमार तिवारी द्वारा पत्रकार हेमन्त पाण्डेय और धर्मेन्द्र पाण्डेय पर मुकदमा दर्ज कराने को लेकर पत्रकारों में आक्रोश है। वेब मीडिया एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विश्वपति वर्मा (सौरभ) ने अधिकारी के कृत्य की घोर निंदा करते हुये कहा है कि खबर से अधिकारी का तिलमिलाना उसके भ्रष्टाचार में डूबे होने का स्वतः प्रमाण है। जनपद में पशु आश्रय स्थलों की हालत बद से बदतर है। 
मुकदमा दर्ज करवाकर सच पर परदा नही डाला जा सकता। उन्होने यह भी कहा जनपद में सच लिखने वाले और कुछ पत्रकार हैं उनके खिलाफ भी मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मुकदमा दर्ज करवाने की तैयारी कर लें। ऐसे मामलों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नही किया जायेगा। विश्वपति ने कहा एसोसिएशन के संयोजक अशोक श्रीवास्तव से वार्ता के बाद आगे की रणनीति तय की जायेगी। संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने कहा सच को दबाने का कुचक्र रचने वाले अधिकारियों का बेनकाब होना जरूरी है। पत्रकारों ने गौशालाओं की सही तस्वीर दिखाकर कोई गलती नही की है। अधिकारी का यह कृत्य बेहद निंदनीय है। उन्होने यह भी कहा लॉकडाउन पीरियड में किसी पत्रकार साथी को उद्वेलित होने की जरूरत नही है। 

पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे और अधिकारी की तानाशाही का जवाब हम खबरों से देंगे। यदि सच लिखने का नतीजा मुकदमा है तो और भी कई मुकदमे दर्ज कराने होंगे। एसोसिएशन के मण्डल अध्यक्ष महेन्द्र तिवारी, संदीप गोयल, राजेश पाण्डे, राकेश तिवारी, दिनेश पाण्डेय, दिलीप श्रीवास्तव, बीपी लहरी, सरवर अली, मुन्ना लाल जायसवाल, अनिल कुमार श्रीवास्तव, कपीश मिश्रा, केसी श्रीवास्तव ,सुशील कुमार, दिलीप कुमार पाण्डेय, राज आर्या, कुलदीप चौधरी, बीडी पाण्डेय, राज कुमार पाण्डेय, राजन चौधरी, देवेन्द्र पाण्डेय, संजय राय, पंकज सोनी सहित तमाम पत्रकारों ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के इस कृत्य को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताते हुये निर्णायक संघर्ष छेड़ने की बात कही है।

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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर का 67 वर्ष की उम्र में निधन

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर  का 67 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. इस बात की जानकारी अमिताभ बच्चन ने ट्वीट कर दी है. अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीट में बताया कि ऋषि कपूर इस दुनिया को छोड़ कर चले गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि मैं टूट चुका हूं. बता दें कि ऋषि कपूर को बीते दिन ही हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. उनके बड़े भाई रणधीर कपूर ने बताया था कि एक्टर को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. 

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प्राथमिकताओं को दरकिनार कर देश के खजाने को लुटा रही मोदी सरकार

विश्वपति वर्मा (सौरभ)

लगभग 1 दशक से लिख रहा हूँ कि देश में शिक्षा और चिकित्सा की बुनियादी ढांचा को मजबूत करने की जरूरत है लेकिन इस दौरान की सरकारें केवल और केवल झूठ की बुनियाद पर विकास की फर्जी दीवारें खड़ी कर रही हैं।

2014 के बाद से केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ सबका विकास और अच्छे दिनों का सपना बड़े ही चतुराई से जनता को दिखाया लेकिन अशिक्षा के गोद में बैठी जनता को क्या पता कि देश मे किसका विकास हो रहा है.
अमित शाह के बेटे जय शाह ने भाजपा की सरकार बनने के बाद अपनी कंपनी को 16000 गुना ज्यादा फायदे में पहुंचा दिया ,अमित शाह की पत्नी का चल संपति 1 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ हो गया ,भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय कार्यालय आलीशान बंगले में बदल गया.यह तो बस एक नजीर है ऐसे न जाने कितने लोगों का चल अचल संपत्ति हजारों गुना ज्यादा बढ़ गया और वह भी भ्रष्टाचार मुक्त सरकार में!

नमामि गंगे ,डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया ,राफेल सौदा, स्वच्छ भारत मिशन ,कृषि कल्याण योजना,उज्ज्वला योजना समेत कई दर्जन योजनाओं के आड़ में बहुत बड़े धन का घोटाला कर लिया गया , साथ ही सरकारी उपक्रमों को बेचने के लिए नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने कोई कोर कसर नही छोड़ा उसके बाद बदहाली का दंश झेल रहा शिक्षा और चिकित्सा विभाग को नरेंद्र मोदी  और अमित शाह  ने कभी भी इस लायक बनाने का प्रयास नही किया जिससे आम आदमी को बेहतर सुबिधाओं के लिए मोहताज न होना पड़े।

चूंकि शिक्षा ,चिकित्सा ,भोजन, पानी ,आवास और कपड़ा किसी भी देश के नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल है इस लिए सरकार को प्राथमिकताओं को तय करते हुए देश की बहुसंख्यक आबादी तक इन सब सेवाओं की पहुंच पूरी तरह से सुनिश्चित कराने के लिए सजग होना चाहिए. लेकिन कोरोना वायरस के काल मे दिख गया कि देश मे 86 फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं जहां राशन और खाने का पैकेट के साथ 1000 रुपये का लाभ पाने के लिए होड़ लगा हुआ है ।

निश्चित तौर पर हम यह आंकड़ा कम कर सकते थे और सरकारी बोझ को भी हल्का करने में सफल हो सकते थे लेकिन इसके लिए हमे उस वर्ग को समझने और समझाने की जरूरत है जो सक्षम होने के बाद भी सरकारी योजनाओं की अपेक्षा में खड़े रहते हैं.लेकिन उसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि देश मे शिक्षा के क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से कार्यक्रम चलाकर लोगों को शैक्षणिक, सामाजिक ,और मानसिक रूप से मजबूत किया जाए ताकि लोग अपनी जिम्मेदारियों के साथ देश और समाज के लिए अपने दायित्यों और कर्त्यव्यों का निर्वहन करने के लिए समझ विकसित कर सकें.और यह समझ सकें कि हमारे अलावां और भी लोग हैं जिन्हें राशन ,पेंशन और भत्ता की जरूरत पहले है.ऐसे में तो सरकार अपने राजनीतिक फायदों के लिए देश के खजाने को लुटाती रहेगी और गरीबों की संख्या जस का तस बना रहेगा .

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भारत में 33 हजार के पार पहुंचा कोरोना का केस,देश मे कोविड-19 से 1074 लोगों की मौत

भारत में कोरोनावायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. देश में जारी लॉकडाउन के बावजूद संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.  इस बीच देश में कोरोनावायरस का मामला 33 हजार के पार पहुंच गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 33050 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1718 नए मामले सामने आए हैं और 67 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 1074 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 8325 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं

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बुधवार, 29 अप्रैल 2020

मशहूर एक्टर इरफान खान का निधन, कल ही अस्पताल में हुए थे भर्ती

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफान खान का निधन हो गया है. बीते दिनों उन्हें खराब स्वास्थ्य को लेकर मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत अचानक बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था. इरफान खान की इस खबर के बाद पूरे बॉलीवुड में शोक के लहर दौड़ गई है. साल 2018 में इरफान खान (Irrfan Khan) को पता चला था कि वह न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित हैं. इस बीमारी के इलाज के लिए इरफान खान लंदन भी गए थे और करीब साल भर इलाज कराने के बाद वह वापस भारत लौटे थे.
बता दें कि इरफान खान की मम्मी सईदा बेगम का राजस्थान में कुछ दिनों पहले ही निधन हो गया था. लॉकडाउन के कारण इरफान खान अपनी मम्मी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे. उनको वीडियो कॉल के जरिए ही अपनी मम्मी का अंतिम दर्शन करना पड़ा था.

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पृथ्वी के करीब से गुजर रहा है उल्कापिंड जानिए धरती पर कहाँ हो रहा है खतरा


जैसा कि आपको मालूम है कोरोना वायरस के प्रकोप को पूरी दुनिया झेल रही है. ऐसे में कोरोना महामारी के संकट के बीच लोगों के मन में बार-बार ये सवाल आ रहा हैं कि क्‍या इस उल्का पिंड से धरती को कोई नुकसान होगा. हालांकि, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जतायी है कि यह धरती से टकरायेगा नहीं. अत: लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.

इस उल्‍कापिंड का नाम 1998 OR2 है. बताया जा रहा है कि बुधवार को यह घरती के बेहद करीब से गुजरेगा. ऐसे में वैज्ञानिकों को सिर्फ एक ही डर सता रहा है कि अगर यह उल्‍कापिंड अपना थोड़ा-सा भी स्‍थान परिवर्तन करता है, तो पृथ्‍वी पर बड़ा संकट आ सकता है. ऐसे में भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस उल्‍कापिंड की दिशा पर गहरी नजर बनाए हुए हैं.वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उल्‍कापिंड की गति 19000 किलोमीटर प्रति घंटा है. 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज की मानें तो अनुसार, आज ही यानि 29 अप्रैल को सुबह 5:56 बजे उल्कापिंड के पृथ्वी के पास से होकर गुजरने वाला था. वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह साइज में इतना बड़ा है कि पृथ्वी को आसानी से तबाह कर सकता है. इस उल्‍कापिंड का नाम 1998 OR2 है. वैज्ञानिकों को डर बस इस बात का सता रहा है कि इसके राह में हल्का सा भी परिवर्तन आया तो इसका प्रभाव पूरे विश्व को भुगतना पड़ सकता है. जिसके कारण भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं।

आपको बता दें कि हर सौ साल में उल्‍कापिंड के धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार उल्‍कापिंड जैसे ही पृथ्‍वी के पास आता है तो जल जाता है. आज तक के इतिहास में बहुत कम मामला ऐसा है जब इतना बड़ा उल्‍कापिंड धरती से टकराया हो. धरती पर ये उल्‍कापिंड कई छोटे-छोटे टुकड़े में गिरते है. जिनसे किसी प्रकार का कोई नुकसान आज तक नहीं हुआ है. जैसा कि ज्ञात हो इसके बारे में वैज्ञानिकों ने करीब एक महीने पहले ही बताया था कि यह पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा.

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देश में कोरोना मरीज़ों का आंकड़ा 31,000 पार; अब तक 1,000 से ज्यादा गंवा चुके जान, 24 घंटे में अब तक सबसे ज़्यादा 73 मौतें

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) लगातार बढ़ता जा रहा है. देश में Covid-19 संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 31000 के पार पर पहुंच गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोनावायरस से अब तक 1007 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 31332 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1897 नए मामले सामने आए हैं और 73 लोगों की मौत हुई है. 24 घन्टों में मौतों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. 24 घन्टे में इतनी मौत अब तक नहीं हुई. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि इस बीमारी से अब तक 7696 मरीज ठीक को चुके हैं. रिकवरी रेट सुधर कर 24.56% हो गया. 

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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

कोरोना: 13 बच्चों के पिता आइसोलेशन में, मां के कंधों पर सारी ज़िम्मेदारी

13 बच्चे के पिता को कोरोना संक्रमित पाए जाने के कारण मां के कंधे पर आई पूरी जिम्मेदारी ।
स्कॉटलैंड के सबसे बड़े परिवार में पिता रॉय हान कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं. इसके बाद से वो आइसोलेशन में हैं.

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30 हजार के पास पहुंचा संक्रमित मरीजों की संख्या 934 लोगों की मौत

भारत में कोरोनावायरस तेजी से पैर फैला रहा है. देश में Covid-19 संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 29435 पर पहुंच गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोनावायरस से अब तक 934 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 29435 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना (Covid-19) के 1543 नए मामले सामने आए हैं और 62 लोगों की मौत हुई है. 24 घंटे में सबसे ज़्यादा मौतें हुईं.  हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि इस बीमारी से अब तक मरीज 6869 ठीक को चुके हैं

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सोमवार, 27 अप्रैल 2020

INDIA/-कोरोना वायरस से 24 घण्टे में सर्वाधिक 60 मौतें 900 के पास पहुंचा मौत का आंकड़ा

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर बढ़ता जा रहा है. देश में जारी लॉकडाउन के बावजूद संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बीच देश में कोरोनावायरस का मामला 28 हजार पार कर गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 28380 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1463 नए मामले सामने आए हैं और सबसे ज्यादा 60 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 886 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 6362 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.

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भानपुर/-आइसोलेशन सेंटर में रहे लोगों को दिया गया राहत सामग्री

केसी श्रीवास्तव...

कोरोना वायरस के चलते फैल रहे संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से बनाये गए आइसोलेशन सेंटर में 14 दिन का वक्त काट चुके लोगों को प्रशासन द्वारा राहत सामग्री उपलब्ध कराया गया।

 तहसील क्षेत्र के अमरौली ग्राम पंचायत के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बने आइसोलेशन सेंटर में अलग अलग प्रदेश से आये 44 लोगों को आइसोलेट किया गया था जिन्हें 13  अप्रैल को 14 दिन पूरा होने के बाद डॉक्टरों की टीम द्वारा घर भेज दिया गया था।यहां पर आइसोलेट रहे लोगों को आज प्रशासन द्वारा राहत पैकेट भेजवा कर वितरित कराया गया।
अमरौली शुमाली के लेखपाल दुर्गेश द्विवेदी ने बताया कि यहां पर आइसोलेट रहने वाले सभी 44 लोगों को फोन पर सूचना देकर बुलवाया गया और उन्हें राहत सामग्री का पैकेट सौंपा गया जिसमें चावल ,दाल ,आटा ,चना ,तेल, नमक ,आलू ,धनिया ,मिर्चा और हल्दी शामिल था।
इस दौरान प्रधान विजय प्रकाश वर्मा ,रोजगार सेवक रामनयन चौधरी ,सफाई कर्मचारी उमेश चौधरी मौजूद रहे ।

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दिव्यांग शबीना ने 10 महीने के पेंशन को मुख्यमंत्री राहत कोष में किया दान

आंखों से उन्हें दिखाई नहीं पड़ता। पैरों से वह चल नहीं पाती लेकिन सामान्य व्यक्ति से कहीं अधिक जज्बे वाली हैं उनका नाम शबीना सैफी है।

लखनऊ के सआदतगंज मोहल्ले में रहने वाली शबीना एक ख्याति प्राप्त गायिका है. शबीना को  ₹500 प्रति माह  सरकारी पेंशन दिव्यांग होने के नाते मिलती है आज  उन्होंने  अपनी 10 महीने  की पेंशन  के ₹5000 मुख्यमंत्री कोविड-19  केयर फंड में दान कर दिए जिसके नाते आज वें एक बार फिर चर्चा में बनी हुई हैं।सआदतगंज बैंक शाखा के प्रबंधक आज उनके घर पहुंचे  और उनसे  दान में दी गई रकम  का अधिकार पत्र प्राप्त किया उन्होंने शबीना के इस जज्बे को सलाम भी किया और उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी व्यक्ति की।
शबीना को पिछले वर्ष उपराष्ट्रपति ने विश्व दिव्यांग जन दिवस पर दिव्यांग सशक्त जन पुरस्कार से सम्मानित किया था। राष्ट्रपति दरबार में उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया जा चुका है। लखनऊ और आगरा महोत्सव में वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी है। पिछले दिनों कोरोना महामारी के प्रति जागरूक करने वाला एक गीत भी उन्होंने ख़ुद लिखा और गाया। यह गीत भी काफ़ी चर्चा में रहा

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बेशर्म सरकारों के पूंजीवादी लुटेरे गरीबों ,मजदूरों श्रमिकों और कारीगरों का कर रहे शोषण

विश्वपति वर्मा-

दुनिया का कोई भी मुल्क  तब तक विकास के सारे पायदानों को नही छू पायेगा जब तक देश के अंदर रहने वाले एक बड़े समूह को शिक्षा, चिकित्सा, भोजन पानी और आवास की उपलब्धता सुनिश्चित न करा दे।

देश की मौजूदा हालात के समय में गरीबों की संख्या का सही आंकड़ा देखा जाए तो देश भर में 77 फीसदी लोग गरीब हैं  वहीं 2009 में योजना आयोग के एक रिपोर्ट में तो चौंकाने वाली बात कही जाती है जिसमे बताया जाता है कि शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गाँवों में 22 रुपये 42 पैसे पर जीवन यापन करने वाला व्यक्ति गरीब नही है यानी कि सरकार  22 रुपया खर्च करने वाले लोगों को टाटा ,बिरला, अडानी अंबानी मान रही है . वहीं ठीक तरीके से ग्रामीण अंचल के लोगों के खान पान और जरूरतों को देखते हुए खर्च होने की एक सीमा की समीक्षा की जाए तो दैनिक जीवन के लिए 100 रुपया भी कम पड़ता है उसके बाद भी देश की सरकारों द्वारा 77 फीसदी लोगों को जो 22 से 50  रुपये से भी कमपर जीवन यापन करती है उसे अमीर माना जाता है।

2009-10 के सरकारी फार्मूले के अनुसार शहरों में महीने में 859 रुपए 60 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 672 रुपए 80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है जिसे सरकार ने  2011-2012 में ग्रामीण क्षेत्र में 816 रुपये और शहर में 1000 रुपये खर्च करने वाले को गरीबी रेखा से ऊपर कर दिया। 

बेशर्म सरकारों के पूंजीवादी लुटेरों ने हमेशा गरीबों ,मजदूरों श्रमिकों और कारीगरों का शोषण किया है लेकिन सत्ता के आगे घुटने  टेकने वाले नेताओं ने कभी इस मुद्दे पर आवाज नही उठाया कि 22 रुपये रोज पर किसी व्यक्ति का जीवन चलने वाला नही है इन लोगों ने इस बात का जिक्र भी नही किया कि साइकिल का टायर पंचर होने के बाद कमसेकम 10 रुपया उसका चार्ज लगता है .यह बताने के लिए इन लोगों ने जरूरत नही समझा कि अब दुकानों पर 5 रुपये में समोसा मिलता है और अगर मिनरल वाटर की बोतल खरीदना पड़े तो व्यक्ति को 25 रुपये की जरूरत पड़ेगी इसके अलावा और भी सामानों की जरूरत लोगों को पड़ती है जहां 22 रुपया किसी भी तरह से पर्याप्त नही है।

 संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भी भारत में 37 करोड़ लोग गरीब हैं रिपोर्ट में बताया गया कि 28 फीसदी आबादी भारत मे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है लेकिन भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के वर्तमान  स्थिति की सही समीक्षा की जाए तो देश में 77 ही नही लगभग 86 फीसदी आबादी गरीब है .यदि भारत सरकार की दलीलों के आधार पर 22 रुपया खर्च करने वाले को गरीब न माना जाए तो भारत सरकार को इस बात की घोषणा कर देनी चाहिए कि भारत मे 1 भी गरीब नही रह गया है क्योंकि 22 रुपया तक तो आज कल हर भारतीय खर्च कर रहा होगा। 

निश्चित तौर पर सरकारों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि अभी भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में एक बहुत बड़ी आबादी निवास करती है जिसे मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है यह तस्वीर भी इसी भारत के नागरिकों के बारे में सटीक चित्रण करता हुआ दिखाई दे रहा है जहां गेहूं की फसल कटने के बाद गांव के बच्चे बुजुर्ग खेतों में गिरे हुए दानों को चुनने के लिए टूट पड़े हैं स्वाभाविक है कि यह भी गरीबी का एक हिस्सा है. इस लिए जरूरी है कि विभिन्न स्तरों में पिछड़े लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में ईमानदारी से काम किया जाए  जिसमे खाना पकाने का ईंधन, साफ-सफाई ,चिकित्सा और शिक्षा की सुविधाएं ,पोषण सामग्री, स्वच्छ पेय जल ,मनरेगा की दैनिक मजदूरी मिलना पूरी तरह से सुनिश्चित हो तब जाकर हम एक सुंदर और संपन्न भारत का सपना पूरा का पाएंगे केवल मिड डे मील के खाने और पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को गेहूं और चावल देने भर से किसी देश की गरीबी खत्म नही होती।


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रविवार, 26 अप्रैल 2020

पुलिस ने किया एक ही परिवार में हुए पांच हत्याओं का खुलासा ,बहू ने दिया घटना को अंजाम

एटा के एक ही परिवार के पाँच लोगों की मौत के मामले में पुलिस ने 24 घण्टे के अंदर सनसनी खेज खुलासा किया है। घर की बहू दिव्या पचौरी ने जहर देकर पहले सबको मारा और फिर खुद जहर खाकर आत्महत्या कर ली। अपर पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि दिव्या रुड़की शिफ्ट होना चाहती थी इस वजह से घर मे कलह चल रहा था इसी कारण बहू ने इस वारदात को अंजाम दिया। 

जानिए क्या है पूरा मामला :


एटा में एक ही परिवार के पांच लोगों का शव शनिवार सुबह मिला। घर से हारपिक और सल्फास की डिब्बी भी मिली थी। कोतवाली नगर के मोहल्ला शृंगार नगर में रिटायर्ड स्वास्थ्यकर्मी राजेश्वर प्रसाद पचौरी (75) पुत्र रामप्रसाद पचौरी रहते थे। उनकी पुत्रवधू दिव्या (35) पत्नी दिवाकर, नाती आरुष (8) आरव (एक) रहते थे। कुछ दिन पूर्व बेटे की साली बुलबुल निवासी सोनई (23) निवासी सोनई, हाथरस भी आ गई थी। शनिवार  सुबह दूध देने के लिए महिला आई थी। महिला ने गेट खटखटाया तो कोई आवाज नहीं आई। उसने अंदर झांककर देखा तो गेट के पास ही चारपाई पर दिव्या की लाश पड़ी दिखाई दी। यह देख वह चीख निकल गई। इस मामले की जानकारी आसपास के लोगों को दी गई। पूरा मोहल्ला जमा हो गया। अंदर से ताला बंद होने के कारण कुछ पता नहीं चल सका। 

सूचना मिलने पर पुलिस पहुंच गई। तब तक परिवार के अन्य लोग भी पहुंच गए। पुलिस ने गैस कटर से गेट काटकर अंदर जाकर देखा तो सभी मृत पड़े थे। यह हाल देख कोहराम मच गया। मौके पर एसएसपी सुनील कुमार सिंह, डीएम सुखलाल भारती, एडीएम प्रशासन विवेक मिश्रा, एएसपी संजय कुमार, सदर विधायक विपिन वर्मा डेविड आदि लोग पहुंच गए। पुलिस ने डॉग स्क्वाउड आदि से जांच कराई है। 

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सदर विधानसभा क्षेत्र के गांवों में वितरित किया गया खाने का पैकेट

बस्ती- लॉकडाउन के बीच जनता को जरूरी सामानों की समस्या उत्पन्न न हो पाए इसके लिए सदर विधायक दयाराम चौधरी द्वारा लगातार असहाय लोगों को आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति कराया जा रहा है। इसी क्रम में आज विधायक प्रतिनिधि राजकुमार शुक्ला ने बस्ती सदर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत अवस्थीपुर ,सुदामा गंज चौराहा और भटोला में खाने का पैकेट  वितरित किया ।
विधायक प्रतिनिधि राजकुमार शुक्ला ने तहकीकात समाचार को बताया कि क्षेत्र के लोगों को खाने का पैकेट देते हुए उनसे लॉकडाउन का पालन करने के लिए अपील किया गया, लोगों को मास्क लगाने और सामाजिक दूरी बनाकर रहने के लिए जागरूक किया गया उन्होंने कहा कि क्षेत्र के हर जरूरत मंद को राशन और खाने के पैकेट की समस्या न हो इसके लिये हम लोग ग्राम वासियों से लगातार सम्पर्क बनाये हुए हैं इस मौके पर प्रधान गुड्डू चौधरी और विशाल कुमार भी खाने के पैकेट को जरूरतमंद लोगों में वितरित करवाने में सहयोग किया।

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भारत में 24 घण्टे में सर्वाधिक 1990 मामले आये सामने,49 लोगों के साथ कुल 824 की मौत

भारत में कोरोनावायरस तेजी से पैर फैला रहा है. देश में Covid-19 से मरने वालों का आंकड़ा 824 पर पहुंच गया. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस से अब तक 824 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 26,496 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1990 नए मामले सामने आए हैं और 49 लोगों की मौत हुई है. 24 घन्टे में अब तक सबसे ज्यादा नए मामले आए. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि इस बीमारी से अब तक 5,804 मरीज ठीक को चुके हैं. बीते 24 घंटे में 741 लोग ठीक हुए हैं.

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फर्जी राष्ट्रवादी समूहों के नकली पत्रकारों ने फ्रोफेसर जीडी अग्रवाल की हत्या पर गला फाड़कर क्यों नही चिल्लाया

विश्वपति वर्मा-

ब्राह्मण जाति के पांच लोगों की हत्या पर चुप्पी साधने वाली मीडिया को यदि संतों से प्यार है तो अर्नव गोस्वामी और सुधीर चौधरी जैसे नकली हिंदुत्व के रखवाले को प्रोफेसर जीडी अग्रवाल पर डिबेट चलाना था ,बात पुरानी नही हुई है जब प्रोफेसर जीडी अग्रवाल 2018 में गंगा बचाओ अभियान के लिए अनशन पर थे और 112 दिन के बाद उनका सुनियोजित तरीके से हत्या कर दिया गया लेकिन सरकार की सेवा में मस्त मीडिया समूहों के पत्रकारों ने इसको मुद्दा नही बनाया और आज ये समाज के नकली पत्रकार  पालघर हत्या पर हिंदुत्व के हितैषी बने हुए हैं।
मित्रों हत्या किसी का भी हो और कोई भी करे इसे हर बार भारत में धार्मिक रंग देने का चलन चल पड़ा है लेकिन जहां तक मैं जानता हूँ कि हत्या करने वाला व्यक्ति हत्यारा और अपराधी होता है लेकिन उसके बावजूद भी भारतीय मीडिया के पत्रकार खुद न्यायालय हो जाते हैं और भड़काऊ डिबेट के माध्यम से समाज को साम्प्रदायिक हिंसा में बदलने का कार्य करते हैं।आखिर समाज का बुद्धजीवी वर्ग कब तक चुप्पी साधे रहेगा ,सोचिए ,विचार कीजिये और सवाल कीजिये फर्जी राष्ट्रवाद की नकली हितैषियों से।

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शनिवार, 25 अप्रैल 2020

नाम न पता गरीबों में बांट दिया 75 लाख रुपया ,1-1किलो आटा बांटने के लिए आया युवक पैकेट में निकला 15-15 हजार रुपया

सूरत। गुजरात में कोरोना-लॉकडाउन के बीच गरीबों-भिखारियों एवं अन्य वंचित तबके लिए कई सामाजिक संस्थाएं और संपन्न सेठ खाने-पीने की मदद दे रहे हैं। यहां सूरत में गोराट स्थित कॉजवे रोड क्षेत्र के कुछ नेकदिल लोगों ने मदद का अनूठा तरीका अपनाया। उन्होंने गरीबों-भिखारियों को 1-1 किलो आटा देने की घोषणा की। जरूरतमंद लोग उन पैकेट्स को लेकर रवाना हो गए। उसके बाद जैसे ही उन्होंने आटे के पैकेट खोले तो आटे के साथ ही 15 हजार रुपए निकले। यह देख वे दंग रह गए और खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
 
सूरत के रांदेर में ट्रक से बांटे गए 500 से ज्यादा आटे का पैकेट

इस तरह की नेकदिली का एक वीडियो सामने आया है। इसमें आप देख सकते हैं कि, कैसे आटे ​के साथ रुपए निकले। संवाददाता ने बताया कि, यह वाकया रांदेर क्षेत्र में देर रात का है, जब एक ट्रक इलाके से गुजरा। ट्रक में बैठे शख्स ने 1-1 किलो आटा देने की घोषणा करते हुए जरूरतमंदों को बुलाया गया। कुछ लोग आकर 1-1 किलो आटे का पैकेट ले गए। लेकिन इस पैकेट को खोलने पर उसमें से आटे के साथ 15 हजार रुपये देखकर वे दंग रह गए और ऐसी मदद करने वाले को दिल से दुआएं देने लगे।

जरूरतमंद ये पैकेट लेकर खुश हुए, दुआ देने लगे
कई लोगों ने कहा कि, कोरोना के कारण हॉट स्पॉट्स घोषित किए जा चुके गोराट इलाके में 3 दिनों पहले भी एक ट्रक आया था। उस ट्रक में बैठा व्यक्ति 1-1 किलो आटा वाले पैकेट वितरित कर रहा था। सिर्फ एक किलो आटे के लिए कई लोगों ने तो उठने की कोशिश ही नहीं की, लेकिन सही मायनों में जरूरतमंद लोग आटे का पैकेट ले गए।

जिन लोगों ने आटे के पैकेट नहीं लिए वो खुद को कोसने लगे

ट्रक कुछ-कुछ दूरी पर रुकता रहा और उससे तकरीबन 500 से ज्यादा आटे के पैकेट बांटे गए। इन पैकेट को खोलने पर आटे के साथ-साथ ही 15 हजार रुपये नकद निकलने पर इसे लेने नहीं गए लोग खुद को कोसने लगे। हालांकि यह ट्रक किसका था, या किसने भेजा इसका किसी को पता नहीं लगा। कुछ लोगों ने कहा कि, मजीद पठान नामक व्यक्ति ने लोगों की मदद के लिए यह अनूठा तरीका अपनाया।

बंदा ऐसा कि खुद की पहचान भी नहीं बताई

इस मामले में खास बात यह भी है कि, अमूमन मदद करने वाला व्यक्ति अपनी प्रसिद्ध के लिए फोटो-वीडियो बनाता है, लेकिन ऐसी मदद देने वाले व्यक्ति ने जानबूझकर किसी को अपना नाम तक नहीं बताया। उसने 500 से भी ज्यादा लोगों को 15 हजार बांट दिए। उसकी इस दिलेरी की चर्चा पूरे राज्य में होने लगी है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर वीडियो चल रहे हैं। लोग उसे दाद दे रहे हैं।

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लखनऊ-यूपी में 30 जून तक भीड़ इकट्ठा होने पर पूरी तरह से रोक ,योगी सरकार का आदेश

कोरोनावायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए यूपी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को सख्त हिदायत देते हुए निर्देश दिए हैं कि 30 जून तक पूरे प्रदेश में कहीं भी और किसी भी तरह से भीड़ एकत्र न हो पाए. कोरोनावायरस महामारी का बढ़ता हुआ प्रकोप देखते हुए लोगों के हितों में यह फैसला यूपी सरकार ने लिया.
 यूपी मुख्यमंत्री के मीडिया एडवाइजर मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट करके यह जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ''मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अफ़सरों को सख़्त हिदायत दी है कि 30 जून तक कहीं भी-किसी भी तरह की भीड़ इकट्ठी ना हो पाए। यह फ़ैसला प्रदेश में कोरोना को नियंत्रण में रखने के इरादे से लिया गया है.''

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केंद्र सरकार ने दुकानों को खोलने के लिए दिया इजाजत ,लेकिन हॉटस्पॉट क्षेत्र और शराब की दुकान पर प्रतिबंध जारी

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन  के दौरान दुकानें खोलने की इजाजत दी है. इसे लेकर, गृह मंत्रालय ने शनिवार को  स्पष्टीकरण जारी किया है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि किन दुकानों पर बंदी जारी रहेगी और किन्हें खोला जा सकेगा. मंत्रालय ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में, शॉपिंग मॉल की दुकानों को छोड़कर सभी दुकानें खुलेंगी. वहीं, शहरों क्षेत्रों में सभी स्टैंडलोन (अकेली) दुकानों , पड़ोस की दुकानों और आवासीय परिसरों में स्थित दुकानों को खोलने की अनुमति है. आदेश में कहा गया है कि बाजार में स्थित दुकानों, मार्केट कॉम्प्लेक्स और शॉपिंग माल को खोलने की इजाजत नहीं है. 
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल जरूरी चीजों की बिक्री की अनमुति होगी. इसके अलावा, कोरोनावायरस के प्रबंधन के लिए जारी दिशा-निर्देशों के तहत शराब की दुकानें और अन्य चीजें बंद रहेंगी. मंत्रालय ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि ग्रामीण और शहरों क्षेत्रों के हॉटस्पॉट क्षेत्रों में इन दुकानों के खुलने पर रोक जारी रहेगी. 

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आपदा काल मे श्रमिकों को मजदूरी भुगतान करना अन्यायपूर्ण -संसदीय रिपोर्ट

 कोरोनो वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण लॉकडाउन के बीच संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि भूकंप, बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण कंपनी या उद्योग-धंधे बंद करने के दौरान कार्य फिर से शुरु होने तक श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान करना ‘अन्यायपूर्ण’ हो सकता है.

बीजू जनता दल (बीजेडी) सांसद भर्त्रुहरि महताब की अध्यक्षता वाली श्रम पर स्थायी समिति ने बीते गुरुवार को द इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, 2019’ पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को नियम 280 के तहत सौंपी.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्र ने पिछले साल 28 नवंबर को लोकसभा में इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, 2019 पेश किया था. इसे दिसंबर में स्थायी समिति के पास भेजा गया था.‘छंटनी, व्यय में कमी और बंद’ से जुड़े प्रावधानों पर विचार करते हुए रिपोर्ट में कहा गया, 

‘समिति मंत्रालय के इस तर्क से सहमत है कि चूंकि बिजली, कोयले आदि की कमी मजदूर की वजह से नहीं होती है, बल्कि इसकी उपलब्धता नहीं होने की वजह से होती है. इसलिए श्रमिकों को मुआवजा दिया जाना चाहिए. हालांकि प्राकृतिक आपदा के कारण किसी कंपनी या संस्थान के बंद होने की स्थिति में श्रमिकों को मजदूरी देने को लेकर समिति की अलग राय है.


उन्होंने कहा, ‘समिति का मानना है कि बिजली की कमी, मशीनरी खराब होने के कारण मजदूरों को 45 दिन तक के लिए 50 फीसदी मजदूरी, जिसे नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच समझौते के बाद बढ़ाया जा सकता है, देने के प्रावधान को उचित ठहराया जा सकता है. लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के मामले में, जहां कंपनी को बंद करना पड़ता है और इसमें नियोक्ता या मालिक की गलती नहीं होती है, उद्योग के फिर से चालू होने तक श्रमिकों को मजदूरी देना उचित नहीं हो सकता है.’संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बातों को लेकर संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट किया जाना चाहिए.

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कोरोना वायरस से दुनिया भर में 1,92,000 लोगों की मौत अकेले अमरीका में 50 हजार मौतें

पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे कोरोनावायरस की वजह से दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में मरने वालों की संख्या 50 हजार के पार हो गई है. जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के अनुसार अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के कारण मृतकों की संख्या 50,000 से अधिक हो गयी. विश्वविद्यालय ने यह जानकारी दी. 
विश्वविद्यालय के अनुसार दुनिया भर में कोरोना वायरस के 27 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और इस महामारी के कारण 1,92,000 से अधिक लोगों की मौत हुयी है. दुनिया भर के कुल मामलों में से करीब एक तिहाई मामले अमेरिका में सामने आए हैं. अमेरिका में अब तक 8,69,000 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पृष्टि हुयी है. देश में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 50,031 हो गयी है.

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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

भारत में संक्रमितों की संख्या 23,077, 24 घंटों में 1684 नए मामले, 37 लोगों की मौत

भारत में कोरोनावायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. देश में जारी लॉकडाउन के बावजूद इसके मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. इस बीच देश में कोरोनावायरस का मामला 23 हजार पार कर गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 23,077 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1684 नए मामले सामने आए हैं और 37 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 718 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 4,749 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.

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ट्रायल में फेल हुआ कोरोना वायरस ड्रग रेमडेसिवयर ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत


कोरोना वायरस के संक्रमण में एक प्रभावी एंटी वायरल ड्रग के फेल होने की ख़बर है. यह पहले रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गई. इसे लेकर दुनिया भर में उम्मीद थी. इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है. चीनी ट्रायल में पता यह ड्रग नाकाम रही. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के दस्तावेजों के इसकी जानकारी मिली है.


कुल 237 मरीज़ों में से कुछ को वो ड्रग दी गई और कुछ को प्लेसीबो. एक महीने बाद ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की मौत हुई. साइड इफेक्ट के कारण ट्रायल को पहले ही रोक दिया गया. इस ड्रग के पीछे एक अमरीकी फर्म गिलिएड साइंस था.

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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया आरक्षण ,जानें कहाँ और क्यों

सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी इलाकों के स्कूलों में शिक्षकों के 100 फीसदी पद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित करने के जनवरी 2000 का अविभाजित आंध्र प्रदेश का आदेश बुधवार को निरस्त कर दिया. न्यायालय ने कहा कि यह 'मनमाना' है और संविधान के अंतर्गत इसकी इजाजत नहीं है.
न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 100 फीसदी आरक्षण प्रदान करना 'अनुचित' होगा और कोई भी कानून यह अनुमति नहीं देता है कि अधिसूचित इलाकों में सिर्फ आदिवासी शिक्षक ही पढ़ाएंगे.

संविधान पीठ ने अपने निर्णय में 1992 के इन्दिरा साहनी फैसले का जिक्र किया. पीठ ने कहा कि इस फैसले में शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया था कि संविधान निर्माताओं ने कभी भी यह परिकल्पना नहीं की थी कि सभी स्थानों के लिए आरक्षण होगा.

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भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 21,393 ,24 घंटों में कोरोना के 1409 नए मामले 41 लोगों की मौत

कोरोनावायरस के संक्रमण का कहर भारत में लगातार जारी है. लॉकडाउन के बावजूद इसके मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. इस बीच देश में कोरोनावायरस का मामला 21 हजार पार कर गया है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या 21,393 हो गई है. पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1409 नए मामले सामने आए हैं और 41 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देश में कोरोना से अब तक 681 लोगों की जान जा चुकी है, हालांकि राहत की बात यह है कि 4,258 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.

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नजरिया-आपके वोट से नही बदल रहा आपकी व्यवस्था

विश्वपति वर्मा-

जब आप वोट देते हैं तब हर बार आप यही सोचते हैं कि अबकी बार सब कुछ ठीक हो जाएगा । अब हमारे अच्छे ।दिन अवश्य आएंगे । हम सब सुखी और सम्पन्न होंगे । बच्चों को अच्छी शिक्षा , युवाओं को अच्छा रोगजार किसानों को कर्ज से मुक्ति , मजदूरों को खुशहाली , आयकर से मुक्ति और महिलाओं को समान अधिकार की गारंटी मिल जाएगी । 
हर बार यही आशा रहती है न कि अब की बार अन्याय, अनाचार , अत्याचार , व्यभिचार , भ्रष्टाचार , कालाधान , कालाबाजारी , जमाखोरी , करचोरी , कर्जबाजारी , भुखमरी , भिखारी , गरीबी , कुपोषण , प्रदूषण , चोरी , डकैती फिरौती , अपहरण, शोषण ,भक्षण , आतंक एवं मंहगाई का भूत भाग जाएगा और हम चैन की नींद सोयेंगे लेकिन आपकी व्यवस्था में कोई बदलाव नही आ रहा है ?आप जैसे थे वैसे हैं और वैसे ही रहेंगे क्योंकि आपकी व्यवस्था बदलने के के नाम पर आपकी वकालत करने वाले लोग अपनी व्यवस्था बदलने में लगे हैं. कोरोना वायरस के बीच हुए लॉकडाउन के दौरान हम देख रहे हैं ।

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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

महंगे दामों में नकली किट क्यों खरीद रही है सरकार ?

देश की सबसे बड़ी राष्ट्रभक्त पार्टी बीजेपी ने कभी भी भ्रष्टाचार न करने और घोटाले से दूर रहने की कसम खाई है तभी तो छतीसगढ़ और झारखंड की सरकार ने रैपिड टेस्ट किट 337 और 380 रुपये में दक्षिण कोरिया के एसडी बायोसेंसर कंपनी से खरीदा है ।और वहीं चाइना के नकली माल को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने 795 रुपये में खरीद लिया ।
अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या केंद्र सरकार का इसपर कोई गाइडलाइन नही है और अगर है तो केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा खरीदा गया किट इतना महंगा क्यों है।

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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

मेहनकश लोगों द्वारा उपजाए गए सामग्रियों को जमाकर मुट्ठीभर लोग एसी कमरे में बैठ कर लाचारों से लॉकडाउन का पालन करने के लिए कर रहे अपील

विश्वपति वर्मा-

1 महीने के लॉकडाउन ने पूरे देश के चिंतकों को यह समझने के लिए विवश कर दिया है कि साम्रज्यवाद के अस्तित्व को पूरी तरह से खत्म करने के बाद ही असली समाजवाद पैदा होगा, देश ही नही पूरी दुनिया में यह दिख गया है कि साम्राज्यवाद देश की 90 फीसदी जनता को गुलामी के मुहाने पर खड़ा कर दिया है ,आज जब कोरोना वायरस के चलते देश दुनिया मे तालाबंदी है तब भारत जैसे देशों में खूब देखने को मिला है कि यहां कि 86 फीसदी जनता मूलभूत आवश्यकताओं के लिए परेशान है जिसमे मात्र खाने पीने की वस्तुएं शामिल हैं ,इस दौरान गाड़ी ,मकान ,ज्वैलरी ,परिधान इत्यादि को बटोरने की होड़ लोगों में नही दिखाई दी बल्कि देश की एक बड़ी आबादी जीवन जीने के लिए राशन और सब्जी के बंदोबस्त करने के लिए परेशान दिखाई दे रही है। 
वहीं मुठ्ठी भर लोग इन्ही मेहनकश लोगों द्वारा उपजाए गए सामग्रियों के बदौलत एयरकंडीशनर कमरे में बैठ कर देश के गरीबों और लाचारों से लॉकडाउन का पालन करने के लिए अपील कर रहे हैं। अब कायदे में इस बात को देश के प्रत्येक बुद्धजीवियों को समझना होगा कि समूचे हिंदुस्तान से साम्रज्यवाद का नाश करने के लिए इंकलाब के नारे को बुलंद करते हुए देश भर के कोने कोने में व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर उसपर जीत हासिल करना होगा अगर ऐसा करने में देरी किया जाएगा तो निश्चित तौर पर अबकी बार किसी नई तबाही में समूचे विश्व को आवश्यक सामानों के लिए मोहताज होना पड़ेगा उदाहरण स्वरूप अगले 30 वर्षों में दुनिया भर में पानी की कमी हो जाये तो इसका परिणाम सबसे पहले किसे भुगतना पड़ेगा।

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भारत में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 590 पहुंचा, बीते 24 घंटे में 47 की गई जान

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस से अब तक 590 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 18,601 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,336 नए मामले सामने आए हैं और 47 लोगों की मौत हुई है. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि 3,252 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब हुए हैं.

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सोमवार, 20 अप्रैल 2020

बस्ती-जनपद में अगले आदेश तक नही खुलेंगी नई दुकाने और कार्यालय -जिलाधिकारी

कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट चिन्हित बस्ती में किसी भी नए कार्यालय और प्रतिष्ठान को खोलने के लिए जिला अधिकारी आशुतोष निरंजन ने अगले लॉक डाउन के तारीख तक रोक लगा दिया है।
     जिला अधिकाारी आशुतोष निरंंजन

 जिला अधिकारी कार्यालय से जारी आदेश में बताया गया कि जारी करते हुए बताया कि जिले में हॉटस्पॉट चिन्हित तथा कोविड - 19 के संक्रमित मरीजों के कारण यह स्पष्ट है कि बस्ती जनपद में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है । इसलिए आम नागरिक अधिकारियो और कर्मचारियों को यह निर्देशित किया जाता है कि जनपद बस्ती के सम्पूर्ण क्षेत्र में कोई भी नया कार्यालय , इकाई , प्रतिष्ठान अथवा सेवा , चाहे वह केन्द्र सरकार की हो या राज्य सरकार की हो या फिर अर्द्धसरकारी हो अथवा निजी क्षेत्र की हो किसी भी हालत में प्रारम्भ नहीं की जायेगी । जिला अधिकारी ने बताया कि समस्त नागरिक , अधिकारी एवं कर्मचारी कोविड - 19 प्रोटोकाल एवं लॉकडाउन का पालन पूर्वत करते रहेंगे । 


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लंबी बीमारी के बाद यूपी सीएम के पिता का निधन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का निधन हो गया है। वह लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। यूपी सरकार ने सीएम के पिता आनंद सिंह बिष्ट के निधन की पुष्टि की है।

यूपी के अडिशनल चीफ सेक्रटरी (होम) अवनीश अवस्थी ने बताया, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का आज सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर स्वर्गवास हो गया है। उनके पार्थिव शरीर को उनके गृह निवास ले जाया गया है।

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भारत मे 17 हजार के पार हुआ कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 24 घण्टे में 37 की मौत

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस से अब तक 543 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 17,265 हो गई है. वहीं, पिछले 24 घंटों में कोरोना के 1,553 नए मामले सामने आए हैं और 36 लोगों की मौत हुई है. हालांकि, थोड़ी राहत वाली बात यह है कि 2,547 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं. पिछले 24 घंटों में 316 लोग ठीक हुए. 

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रविवार, 19 अप्रैल 2020

बस्ती -पुलिस के जवानों के लिए सरदार सेना ने उपलब्ध कराया पानी ,बिस्कुट ,मास्क

बस्ती-कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के उद्देश्य से जारी लॉकडाउन के बीच सरदार सेना द्वारा जरूरतमंद लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाया जा रहा है ताकि जरूरी सामानों के लिए किसी को बड़ी समस्या का सामना न करना पड़े इसी बीच आज सरदार सेना के प्रदेश महासचिव द्वारा पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा को सड़कों पर गस्त कर रहे पुलिस के जवानों के लिए बिस्कुट पानी और मास्क उपलब्ध कराया गया है इस मौके पर चिकित्साधिकारी और सरदार सेना के संरक्षक डॉक्टर बीके वर्मा,जिला अध्यक्ष प्रभाकर वर्मा और प्रभात मौजूद रहे
चौधरी बृजेश पटेल ने बताया कि लॉकडाउन के बीच देखने को मिला है कि पुलिस के लोगों को पानी के लिए काफी समस्या झेलना पड़ा है उन्होंने बताया कि इस दौरान दुकानों के बंद होने की वजह से बैरियर और सड़कों पर गस्त कर रहे पुलिस के लोगों के लिए पानी की अति आवश्यकता है जिसे देखते हुए पुलिस अधीक्षक महोदय को पानी ,बिस्कुट ,मास्क को सौंपा गया है ताकि पुलिस के लोगों तक यह सामग्री पहुंच सके।

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बस्ती में 3 और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित ,कुल 19 पाए गए पॉजिटिव 4 हुए ठीक

 बस्ती : जनपद में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता जा रहा है । अब तक यहां कुल 19 मामले सामने आये हैं जिनमें एक की मौत पहले हो चुकी है और इनमें से चार ठीक होकर घर जा चुके हैं वहीं शेष 14 का इलाज चल रहा है । 
बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से रविवार सुबह मिली जांच रिपोर्ट में मोहम्मद नसीम ( 18 ) , मोहम्मद वसीम ( 16 ) निवासी परसा जाफर थाना पुरानी बस्ती तथा मुंडेरवा थाना क्षेत्र के जमोहारा निवासी अली अहमद ( 58 ) कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं । देवबंद से आए दोनों छात्रों को प्रशासन ने पहले से ही होम क्वॉरेंटाइन करा रखा था । उनके सैंपल को जांच के लिए भेजा था , जबकि जमोहारा के मस्जिद और स्कूल में शरण लिए नौ जमातियों में से दो के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके संपर्क में रहने वाले लोगों का सैंपल भेजा गया था । जिसमें जमातियों को शरण देने वाले अली अहमद भी पॉजिटिव पाए गए हैं । प्रशासन ने मुंडेरवा थाना क्षेत्र के जमोहारा गांव को पहले से ही हॉटस्पॉट घोषित कर रखा है । यहां पर सैनिटाइजेशन से लेकर सर्वे आदि के काम पहले से चल रहे हैं । अब नई जगह के तौर पर पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र का परसा जाफर गांव सामने आया है । जहां पर कार्यवाही के लिए प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है ।

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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

बस्ती-सरदार सेना ने जरूरतमंदों तक राहत पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन को सौंपा खाद्य सामग्री

केoसीo श्रीवास्तव

कोरोना वायरस के मध्यनजर देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के बीच देश के एक बड़े हिस्से को जीविकोपार्जन के लिए राहत सामग्री की आवश्यकता पड़ गई है।ऐसी स्थिति में सरदार सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता वालिंटियर के तौर पर जगह-जगह लोगों को राहत पैकेट पहुंचा कर अपने दायित्वों और कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
इसी कड़ी में शनिवार को एक बार फिर सरदार सेना के महासचिव चौधरी बृजेश पटेल ने 220 किलोग्राम राशन सामग्री के साथ 50 किलो नमक और साबुन को शामिल कर जिला प्रशासन को दिया ताकि जरूरतमंद लोगों तक आवश्यक सामग्री पहुंच सके।

चौधरी बृजेश पटेल ने तहकीकात समाचार को बताया कि ऐसे समय मे तमाम ऐसे लोग हैं जिन्हें छोटी-छोटी जरूरतों की आवश्यकता है जिसको देखते हुए सरदार सेना के सिपाहियों के साथ यह निर्णय लिया गया है कि ऐसी स्थिति में असहाय लोगों को जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के लिए  कदम बढ़ाया जाए।

जिला अधिकारी कार्यालय की ओर से प्राप्त किये गए  राशन सामग्री में 50 किलो आलू 50 किलो प्याज 50 किलो आटा 70 किलो चावल, 200 पीस  साबुन,50 किलो नमक और 100 पैकेट माचिस शामिल था। इस अवसर पर सरदार सेना के जिला अध्यक्ष प्रभाकर वर्मा ने बताया कि पुलिस के जवान चिलचिलाती धूप में अपनी सेवा दे रहे हैं इसको देखते हुए संगठन की तरफ से रविवार को  खाद्य एवं पेय पदार्थ उपलब्ध कराए जाएंगे।


पूर्व विधायक राजा लक्ष्मेश्वर सिंह की जयंती के अवसर पर 500 असहायों को दिया गया राहत सामग्री

पूर्व विधायक राजा लक्ष्मेश्वर सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर आज शनिवार को सभी धर्म, जाति एवं राजनैतिक दलों के सदस्यों ने उन्हें श्रद्धान्जलि दी. रानी आशिमा सिंह ने पूर्व विधायक के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को याद किया। 
इस अवसर पर राजमहल की तरफ से प्रेस नोट जारी करते हुए राजा ऐश्वर्यराज सिंह ने बताया कि इस वर्ष इस स्वर्णिम अवसर पर विशेष कृषक कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाना था, जिससे लेखनी के माध्यम से किसानों का मनोबल बढ़ाया जा सके। परन्तु कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कार्यक्रम में परिवर्तन कर खाद्यान वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लक्ष्मेश्वर सिंह की मेहनत से प्रारंभ की गई खेती के उत्पाद को जरूरतमंदों में वितरित किया गया। उन्होंने बताया कि लगभग 50 क्विंटल अनाज (आटा, चावल, तेल, सोयाबीन, आलू, प्याज) 500 ऐसे परिवारों को वितरित किया गया जो लॉक डाउन के कारण जीविकोपार्जन हेतु असमर्थ हो गए हैं। 

बता दें कि कोरोना वायरस के बीच देश भर में हुए लॉकडाउन के दौरान ऐश्वर्य राज सिंह लगातार असहायों को जरूरी सामान उपलब्ध करवा रहे हैं जिसमे राशन ,सब्जी ,मास्क ,सैनेटाइजर इत्यादि शामिल है।

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कोरोना वायरस के दौर में धार्मिक आयोजन करना सूडान के गवर्नर जनरल को पड़ा महंगा

सुडान की सरकार ने सभी मस्जिदों और चर्च में होने वाले किसी भी धार्मिक कार्यक्रम पर पाबंदी लगा दिया है उसके बाद गवर्नर जनरल अहमद को सरकार के आदेश का विरोध करना महंगा पड़ गया सूडान के प्रधानमंत्री अब्दल्लाह हमदोक ने राजधानी ख़ार्तूम के गवर्नर जनरल अहमद हम्माद मोहम्मद को अपने पद से हटा दिया है.

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नजरिया-महामारी के बीच लूट कर धन अर्जित करने का लगा होड़

विश्वपति वर्मा-

वैश्विक महामारी के इस दौर में जहां अधिकारी ,कर्मचारी ,मीडिया ,बॉलीवुड ,राजनेता,
सामाजिक कार्यकर्ता,छोटे-मझले ,मोटे पतले इत्यादि लोग जन सहयोग करने में लगे हैं वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो मौके का फायदा उठाकर ढेर सारा धन अर्जित करके रख लेना चाहता है।

कहीं गुल्लक तोड़ कर दान देने देने की तस्वीर आ रही है तो कहीं पर पूड़ी -सब्जी ,दाल -चावल खिलाने की होड़ वाली तस्वीरें मिल रही हैं, कहीं पर प्रशासनिक अधिकारी लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील कर रहे हैं तो कहीं पुलिस के जवान गाय को पानी पिलाते नजर आ रहे हैं तो कहीं अध्यापक स्कूल में बनाये गए आइसोलेशन सेंटर की निगरानी में लगे है ,तो वहीं साग ,सब्जी ,दवा ,राशन पहुंचाने का काम वालिंटियर कर रहे हैं.

इसी बीच ऐसी भी तस्वीर आ रही है जहाँ पर सरकारी खजाने से लेकर आम जनता के जेब को काट कर अपनी तिजोरी भरने की होड़ में लोग लगे हुए हैं .

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से भारत मे लॉकडाउन किये जाने के एक दिन पहले तक सभी छोटे-बड़े दुकानों पर सामानों के मूल्य समान तौर पर उचित लगाए जाते थे लेकिन पहले चरण के 21 दिन के अंदर ही देखने को मिल गया कि सामानों के दामों में बेतहाशा वृद्धि की गई है ,सब्जी ,राशन ,तेल जैसे घरेलू सामानों के मूल्यों पर जिला प्रशासन का नियंत्रण होने के बाद भी 5 रुपये से लेकर 40 रुपये अधिक तक का भुगतान देकर ग्राहक सामानों को खरीदने के लिए मजबूर दिखाई दिये ,सबसे ज्यादा सब्जियों के भाव को दोगुने दाम पर रखा गया जिसमें प्रमुख रूप से हरी सब्जियों की महंगाई में वृद्धि दिखाई दिया .यहां तक कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने अपने 10 किलोग्राम आटे की पैकेट में 75 रुपये का वृद्धि कर दिया.

गुटखा, पान -मसाला ,बीड़ी ,सिगरेट और शराब भी इंसान की जिंदगी का एक हिस्सा है लिहाजा लोग इसे हद तक की सीमाओं को पार करके भी प्राप्त कर लेना चाहते हैं ,लॉक डाउन के इस दौर में इन सभी सामानों को बेचने के लिए प्रतिबंधित किया गया था उसके बाद भी ये सब बाजार में दोगुने मूल्यों पर उपलब्ध है यहां तक कि शराब के नकली खेप को खपाने का एक मौका लोगों को मिल गया है.

सरकारी महकमे में चले आते हैं यहां भी गरीबों के पेट पर लात मारकर अपने बच्चों के लिए खिलौना खरीदने का बंदोबस्त हो रहा है  महामारी के इस दौर के पहले स्वास्थ्य विभाग को प्रत्येक ग्राम पंचायत में मलेरिया की दवा का छिड़काव करवाना था लेकिन  एक भी जगहों पर किसी भी प्रकार के दवा का छिड़काव नही हुआ उसके बावजूद भी सम्बंधित खाते से पैसा बाहर चला गया.

मनरेगा के जिस बकाया राशि को योगी आदित्यनाथ सरकार ने  एक क्लिक में सभी मजदूरों के खाते में भुगतान कर दिया उसमें भी सेंध लगा दिया गया जानकारी मिली है कि जॉब कार्डधारकों से पुरानी परंपरा के अंतर्गत एक निश्चित धनराशि देकर पैसा वापस ले लिया गया और उनसे बता दिया गया कि यह पैसा योगी सरकार ने फ्री में नही दिया है यह वह पैसा है जिसका फर्जी बिल-वाउचर बनाकर हमने तुम्हारे खाते का विवरण भेजा था.

प्राइवेट एम्बुलेंस संचालक भी मौका पा है गए हैं मृतक सैय्या पर लेटे हुए व्यक्ति के परिवार के खून को निचोड़ लेने का क्योंकि जिस 20 किलोमीटर दूरी का निर्धारित किराया अधिकतम 1000 रुपया है उसी जगह के लिए 2500 रुपये का चार्ज लिया गया.

प्राइवेट बैंक इस होड़ में पीछे कैसे हो सकते हैं उन्हें भी तो लूट के प्रतिस्पर्धा में परचम लहराना है कुछ प्राइवेट बैंकों को छोड़कर अधिकांश बैंकों और ऋणदाताओं ने आरबीआई के निर्देशों को अनसुना कर अपने ईएमआई को तय  समय सीमा पर काट लिया गया जिन खातों में पैसा नही था उसपर पूर्व की भांति विलंब भुगतान चार्ज भी लाद दिया गया .मसलन 1506 रुपये की ईएमआई निश्चित तारीख पर न मिलने की वजह से बैंक ने 531 रुपये का लेट चार्ज जोड़ दिया.

सब अपनी जेब  भरे जा रहे हैं तो शासन -प्रशासन और नेता लोग मौके का फायदा उठाने में कैसे चूक सकते हैं. तस्वीरें आ रही थी कि सांसद  और विधायक जैसे तमाम जनप्रतिनिधि मास्क और सैनेटाइजर खरीदने के लिए 10 लाख से लेकर करोड़ो तक का बजट जिला प्रशासन को दे रहे हैं लेकिन अभी तक हमारे सुनने में नही आया कि क्षेत्रों में सरकारी पैसे वाली मास्क और सैनेटाइजर का वितरण किया गया है. 

आखिर कौन है यह लोग जो जनता की जेब पर डाका मार रहे हैं ? कहाँ जा रहा है वह पैसा जो हवा की रफतार से खजाने से निकल रहा है ?कौन निगरानी कर रहा है इसकी?निश्चित तौर पर यह वही वर्ग है जो जीवन भर जनता का शोषण करके उसके हांड-मांस को आपस मे चिपका देता है और इसमें सर्वाधिक अन्तिम पंक्ति में जीवन यापन करने वाला व्यक्ति पीसा जाता है जिसकी संख्या 64 करोड़ से ज्यादा है निश्चित तौर पर यह अव्यवस्था आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था पर दोहरी चोट पहुंचायेगा जो हिंसा को बढ़ावा देने के लिए काफी है।

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नजरिया-कोरोना काल में किसानों पर पड़ रहा चौतरफा मार

विश्वपति वर्मा-

इस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा खराब  स्थिति किसी की है तो वह किसानों की है, किसानों के खेत मे गेहूं की फसल पक करके पूरी तरह से तैयार हो चुकी है ,यही दौर होता है जब दिल्ली ,मुम्बई ,गुजरात गए किसान वापस आकर अपने फसलों को काटने और सहेजने में लग जाते हैं लेकिन इस समय इन किसानों के ऊपर चौतरफा मार पड़ रहा है पहला तो यह कि अधिकांश किसान शहरों में ही फंस गए हैं दूसरा यह है कि मौसम के बदलते करवट की वजह से फसल नुकसान होने की चिंता बढ़ गई है  .जनवरी फरवरी के महीने में हुए बेमौसम बरसात की वजह से फसल वैसे ही बर्बाद हो चुके हैं लेकिन बचे कुचे फसल पर एक बार फिर खतरा मंडरा रहा है ।
किसानों की समस्याएं यहीं खत्म नही होती उनकी समस्याओं की गिनती की जाए तो क्रमांक की लाइन में अंक जुड़ते ही जायेंगे। किसान द्वारा बहुत कुछ उपजाया जाता है जिसमे आलू ,प्याज, लहसुन ,करेला ,परवल इत्यादि शामिल है इस वक्त अभी कुछ दिन पहले तक जब लहसुन और प्याज किसानों के घर से खाली हो चुका था तो बाजार में इसकी कीमत 200 रुपये के पार चला गया था अब जब किसानों के पास लहसुन और प्याज की नई फसल तैयार हो गई तब प्याज 20 रुपया और लहसुन 30 -40 रुपया किलो बिकने लगा ,ऐसे ही सब्जियों के दाम किसानों को बहुत कम मिलता है लेकिन जब वह व्यापारी के पास पहुंचता है तो वह सोना-चांदी के भाव बिकने लगता है.

बाजार में टमाटर 40 रुपया किलो तक बिक रहा है लेकिन किसानों के खेत से 10 रुपया किलो ही खरीदा जा रहा है ,किसानों को भी औने पौने दामों में फसलों को बेचने की मजबूरी है क्योंकि वह मंडी जा नही सकते क्योंकि लॉकडाउन के दौरान एक भी किसान के पास मंडी पास नही है मंडी का पास तो केवल व्यापारियों का बना हुआ है जो कभी किसानों और आम नागरिकों के हित में नही सोच सकते ऐसे ही और कई बड़ी-बड़ी जटिल समस्याएं किसानों के सामने है लेकिन आज तक इन किसानों को राहत देने के नाम पर केवल ठगने का काम किया गया है और वर्तमान समय की भगवाधारी सरकार में भी इनको उसी तरह से निचोड़ा जा रहा है जैसे यह लोग पहले निचोड़े गए थे।

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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

भारत में सबसे ज्यादा मई में बढ़ सकते हैं कोरोना के मामले, लॉकडाउन ने की बड़ी मदद : सूत्र

देश में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. गृह मंत्रालय से जुडे़ सूत्रों की मानें तो सरकार का आंतरिक आकलन है कि भारत में कोरोना के मामले मई के पहले हफ्ते में अपने चरम पर होंगे. इसके बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने लगेगी. जिन राज्यों ने सबसे पहले लॉकडाउन शुरू किया था, उनमें कोरोना संक्रमितों की संख्या व अन्य मुश्किलें कम होंगी. राजस्थान, पंजाब और बिहार सरकार ने कोरोना के मामलों को देखते हुए पहले ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी. उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र की तुलना में इन राज्यों में कोरोना के कम मामले सामने आए हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा कि सरकार मान रही है कि अगले कुछ दिनों में कोरोना के मामले बढ़ेंगे. उन्होंने कहा, 'हम ज्यादा लोगों के टेस्ट करेंगे तो नंबर बढ़ेंगे और जिन लोगों को लक्षण दिखाई देने के बाद आइसोलेट किया गया है, ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है. अगला एक हफ्ता बेहद अहम है. भारत तेजी से संदिग्धों की जांच कर रहा है. जिन लोगों में बीमारी के लक्षण नजर आ रहे हैं, टेस्ट के लिए उनका सैंपल लिया जा रहा है.'भारत में लॉकडाउन किये जाने की वजह से कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में काफी हद तक मदद मिली है।

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ED ने तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद के खिलाफ दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस

प्रवर्तन निदेशालय  ने निजामुद्दीन मरकज तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद कांधलवी (Maulana Saad) और प्रबंधन कमेटी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. ईडी ने दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर केस दर्ज किया है. इन पर बड़े पैमाने पर देश और विदेश से फंडिंग लेने और हवाला के जरिये पैसा जुटाने का आरोप है. बता दें कि बीते महीने निजामुद्दीन मरकज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जो देश में कोरोना का बड़ा हॉटस्पॉट बना था. देश के कई राज्यों से आए जमाती इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिनमें से हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमित पाए गए.


दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम भी फंडिंग और पैसों की लेनदेन की जांच में लगी है. क्राइम ब्रांच ने पिछले 3 साल में मरकज़ के लेनदेन का ब्यौरा भी मांगा है. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज के कार्यक्रम शुरू होने से पहले मौलाना साद के दिल्ली स्थित बैंक एकाउंट में विदेशों से पैसे का ट्रांजेक्शन फ्लो अचानक से बढ़ गया था. जिसके चलते निजामुद्दीन स्थित एक बैंक के अधिकारियों ने बाकायदा मौलाना साद के चार्टर्ड एकाउंटेंट को बुलाकर पूछा था कि अचानक से एक बैंक एकाउंट में इतना पैसा कैसे आ रहा है?

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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

ताजा अपडेट-कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर भारत मे राहत भरी खबर

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार में पिछले 24 घंटे में कमी देखने को मिली है, जो संकट के इस घड़ी में राहत की खबर है। पिछले 12 घंटे में कोरोना वायरस के 447 केस और 22 मौतें दर्ज की गई हैं। 
                  प्रतीकात्मक तस्वीर

 आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 12380 हो गई है। वहीं, इस खतरनाक कोविड-19 महामारी से मरने वालों का आंकड़ा 414 पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस के कुल 12380 मामलों में से 10477 एक्टिव केस हैं। इसके अलावा, 1488 लोग पूरी तरह से ठीक हो गए हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरुवार सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से सर्वाधिक 187 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। यहां अब इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 3398 हो गई है।

कोरोना वायरस के कहर से 60 सालों में पहली बार रुक जाएगा एशियाई देशों का विकास: आईएमएफ़

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने कहा है कि 60 सालों में पहली बार इस साल एशियाई देशों का विकास रुक जाएगा. आईएमएफ़ के अनुसार एशियाई देशों के विकास में कमी ''पूरे वैश्विक वित्तीय संकट के सालाना औसत विकास दर (4.7 फ़ीसदी) या एशियाई वित्तीय संकट (1.3 फ़ीसदी)'' से भी ज़्यादा ख़राब होगा.
 आईएमएफ़ के अनुसार अगर कोरोना वायरस को रोकने की नीतियां प्रभावी होती हैं तो 2021 में एशियाई देश के विकास दर में एक बार फिर उछाल आएगा. आईएमएफ़ की चेतावनी विश्व बैंक की उस चेतावनी के ठीक एक दिन बाद आई है जब विश्व बैंक ने कहा था कि दक्षिण एशियाई देश पिछले 40 वर्षों में सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहे हैं.

आजादी के बाद भारत ने लड़ी पांच लड़ाइयां ,4 में हुई जीत चीन से हारे

विश्वपति वर्मा-

आजादी के साथ ही भारत को विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ी. पाकिस्तान को काटकर भारत से अलग किया गया. यह दंश दोनों ओर के निवासियों को सालता रहा है. स्थिति यह रही कि जो कटुता तब पनपी वो आज तक कई मौकों पर सरहद के दोनों ओर रह रहे लोगों में मौकों मौकों पर दिखाई देती है. खैर बात जब दोनों से हुई लड़ाई की की जाती है तब यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों ने आजादी के बाद से चार युद्ध लड़े. यह अलग बात है कि पाकिस्तान कारगिल युद्ध को स्वीकारता नहीं है. वह इसे कश्मीरी अलगाववादियों और मुजाहिद्दीनों की लड़ाई बताता है जबकि हकीकत यही है कि वह इस युद्ध का जनक रहा है. आजादी के बाद से भारत ने कुल पांच लड़ाइयां लड़ी. एक चीन के साथ और चार पाकिस्तान के साथ. चीन ने भारत को करारी हार दी और पाकिस्तान को भारत ने.

आजादी के चंद महीने बाद ही भारत को पाकिस्तान से पहला युद्ध लड़ना पड़ा. आजादी के बाद हमने पाकिस्तानी फौज से आधिकारिक  तौर पर तीन युद्ध लड़े. यह युद्ध 1947-48, 1965 और 1971 में लड़े और जीते. 
1962 में चीन ने भारत पर हमला किया और तब जब भारत की सेना तैयार नहीं थी और भारत की रक्षा नीति भी खास नहीं थी.

पहला युद्ध : सत्ता के हस्तांतरण के वक्त कश्मीर, हैदराबाद, गोवा, दमन, दीव, पांडिचेरी और सिक्किम भारत का हिस्सा नहीं थे. कश्मीर में राजा हरिसिंह अलग होने पर अड़े हुए थे और तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू की सरकार का उनके प्रति कोई कड़ा रुख नहीं था. गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल उन्हें भारत के साथ मिलने पर दबाव डाल रहे थे लेकिन हरिसिंह ने विलय संधि पर हस्ताक्षर किए 26 अक्टूबर 1947 को जब पाकिस्तानी फौज के बहकावे में पाकिस्तानी कबाइलों ने कश्मीर में घुसकर हमले करना शुरू किया था. हरिसिंह के सामने तब भारत या पाकिस्तानी में विलय के सिवाय चारा नहीं था, उन्होंने भारत में विलय में ही भलाई समझी. विलय संधि पर हस्ताक्षर होते ही भारतीय सेना ने मोर्चा संभाला और हमलावरों को खदेड़ने का काम शुरू किया. सेना के जवानों ने श्रीनगर, बड़गांव, बारामूला, उड़ी, सोपोर, कुपावड़ा क्षेत्रों में घुसे कबाइलियों और पाकिस्तानी सैनिकों को कश्मीर के बाहर निकाल दिया. हमारी सेनाएं कबायली हमलावरों और पाकिस्तानी सैनिकों को पूरे कश्मीर से बाहर करने की तैयारी में संघर्षरत थी कि बिना किसी निष्कर्ष के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र में युद्धविराम की घोषणा कर दी. 31 दिसम्बर 1948 की रात के 12 बजे से यह युद्ध विराम लागू हो गया. फौजें वापस लौट आईं और पूर्ण कश्मीर को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने की योजना धरी रह गई और अब कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है जिसे पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है.

1962  में दूसरा युद्ध चीन से लड़ा गया : आजाद भारत का यह दूसरा युद्ध था. यह चीन के साथ लड़ा गया था. यह नेहरू के पंचशील सिद्धांतों और गुटनिरपेक्षता की भावना की परीक्षा भी था. आजादी के साथ ही भारत ने अपना रुख साफ कर दिया था कि वह शांतिप्रिय देश और सेना पर ज्यादा खर्च नहीं करेगा. 1950 में सरकार ने सेना की भूमिका तय की - ‘‘सेनाओं का पहला कार्य है, अगर विदेशी आक्रमण हो तो भारत की उससे रक्षा करना और दूसरा कार्य है सरकार के आग्रह पर शांतिपूर्ण कार्यों के लिए उसकी मदद करना.’’ पंडित नेहरू ने सेना पर खर्च बढ़ाने के बजाए विकास कार्यों पर खर्च करना ज्यादा महत्वपूर्ण लगा. सेनाओं के आधुनिकीकरण और जवानों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया. 1942 से 1956 तक चीन से भारत के संबंध बहुत मधुर रहे. 1962 में चीन ने भारत को युद्ध में बुरी तरह हराया.

तीसरा युद्ध - 1965: आजाद भारत के तीसरे और पाकिस्तान से भारत के दूसरे युद्ध की शुरुआत 1 सितम्बर 1965 को हुई थी. 8-9 अप्रैल 1965 की रात्रि में पाकिस्तानी सेना ने दो पोस्ट पर हमला किया. दरअसल वह भारतीय सुरक्षा व्यवस्था की थाह ले रहा था इसके पहले दिसम्बर 1965 में भी पाक फौजें ब्रिगेड अटैक कर चुकी थी और भारत की नं. 31 इंडिपैंडेट ब्रिगेड अहमदाबाद से धांगध्रा जा रही थी. इंडिपैंडेट ब्रिगेड के जवानों को वंजरकोट भेजा जाना था, लेकिन सरकार ने उसे सीधे जाने की अनुमति यह कहकर नहीं दी कि युद्ध के माहौल से शांति व्यवस्था भंग होगी और लोग विकास कार्यों में निवेश नहीं करेंगे. गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता ने भुज क्षेत्र में खुद हालात का जायजा लेना चाहा और विमान से दौरा शुरू किया. जब मेहता का नागरिक विमान पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में गिर गया और मेहता की मृत्यु हो गई तब कहीं केन्द्र सरकार को महसूस हुआ कि मामला गंभीर है. 

1 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान ने छम्ब क्षेत्र में टैंकों, तोपों और हवाई जहाजों से हमले शुरू किए तब पाकिस्तान में कहा गया था. हम नाश्ता अमृतसर में, दोपहर का खाना जयपुर में और रात का भोजन दिल्ली में करेंगे. लेकिन शाम होते होते पाकिस्तानी सेना के होश उड़ गए. यह पहला युद्ध था जिसमें भारतीय थल सेना को वायु सेना का पूरा पूरा सामरिक सहयोग मिला. दो सप्ताह तक यह  युद्ध चला. पूरे युद्ध में भारतीय सेना बुलंदी पर थी कि अमेरिका के भारी दबाव के कारण प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी. एक बार फिर अपनी जीती हुई बाजी ताशकंद समझौते में छोड़ दी. 

चौथा युद्ध - 1971 : भारतीय युद्ध कौशल और कूटनीतिक विफलता का सबक 1971 में हमने भारी कीमत चुकाकर सीखा. इस युद्ध में हमारा एक लक्ष्य ही पूरा हुआ है - बांग्लोदश की मुक्ति का. चार युद्धों में यह एक युद्ध था जो हमें सबसे ज्यादा चौकस कर गया और हमारी तीनों सेनाओं में समन्वय करा जीत की स्थिति में ले गया. पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में करीब एक लाख सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कराने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला में समझौता किया और सभी युद्ध बंदियों को सकुशल पाकिस्तान भेज दिया. हमारी यह जीत महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि इसी जीत ने इह क्षेत्र में ढाई दशक से ज्यादा समय तक शांति की सौगात दी है. इसी लड़ाई से हमने सबक सीखा है कि शांति के लिए युद्ध जरूरी है. चार युद्धों के बाद हमने अपनी सुरक्षा सेनाओं के महत्व को स्वीकार किया है. 

पांचवां युद्ध कारगिल : कारगिल हिमालय पर है जो श्रीनगर से 215 किलोमीटर की दूरी पर है. यह हिस्सा जोजिला पास बंद होने की वजह से करीब 7 महीने देश से अलग रहता है. उन दिनों कारगिल के बारे में कोई जानता तक नहीं था. सरकार को खबर मिली थी कि पाकिस्तान ने कारगिल के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद दुश्मनों को अपनी जमीन से दूर भगाने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू हुआ.और कारगिल युद्ध मे भारत का विजय हुआ।

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बुधवार, 15 अप्रैल 2020

लॉक डाउन- 2 में बदल गए नियम शराब और तंबाकू पर प्रतिबंध

 आम लोगों के लिए : बसें , ट्रेनें , उड़ानें , स्कूल , कॉलेज , शॉपिंग मॉल , धार्मिक जमावडे पर रोक .दूसरे जिले या राज्य में भी नहीं जा सकेंगे.
 कामकाजियों के लिए  हर वर्कर का मेडिकल इंश्योरेन्स और दफ्तर में थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी , घर में बुजुर्ग - बच्चे हैं तो वर्क फ्रॉम होम कर सकेंगे.

 नई दिल्ली . कोरोना के खिलाफ देश में बुधवार से लॉकडाउन का फेज - 2 शुरू गया गया है । यह 3 मई तक चलेगा । इस बीच केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की नई गाइडलाइन जारी कर दी । इसमें स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक स्थानों और काम करने की जगह पर मास्क पहनना अनिवार्य होगा । पब्लिक प्लेस पर थूकने पर सजा और जुर्माना देना होगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देशभर में 21 दिन से जारी लॉकडाउन 19 दिन और बढ़ा दिया था । उन्होंने कहा था कि इस बार लॉकडाउन से बाहर निकलने के नियम बहुत सख्त होंगे , जहां कोरोना नहीं फैलेगा , वहां 20 अप्रैल से कुछ जरूरी चीजों को सशर्त छूट मिलेगी । पहले फेज का
पब्लिक प्लेस और वर्क प्लेस पर मास्क लगाना जरूरी होगा । पब्लिक प्लेस , वर्क प्लेस और ट्रांसपोर्ट सेवाओं के इंचार्ज की यह जिम्मेदारी होगी कि वह सरकार के निर्देशों के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराए । 

किसी भी संस्थान या पब्लिक प्लेस के मैनेजर को 5 या उससे ज्यादा लोगों के एक साथ जमा करने की इजाजत नहीं होगी । शादी या अंतिम संस्कार पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का निर्देश मान्य होगा । पब्लिक प्लेस पर थूकने पर सजा के साथ जुर्माना भी होगा । 

शराब , गुटखा और तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा ।

 वर्क प्लेस को लेकर गाइडलाइन 

सभी संस्थानों में कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था करनी होगी । शिफ्ट बदलने के दौरान एक घंटे का गैप देना जरूरी होगा । लंच के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा । घर में 65 साल से ज्यादा के बुजुर्ग या 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं , तो कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए ।

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बस्ती के दो और जमाती मिले कोरोना पॉजिटिव, संतकवीर नगर में 1 केस

बस्ती व संतकबीर नगर के तीन जमाती सीतापुर जिले में कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ये सभी सीतापुर जिले के बिसवां में तब्लीगी जमात में शामिल होने गए थे। इसमें दो बस्ती जिले के रुधौली थानाक्षेत्र के ग्राम परसा और पचदेवरी के निवासी हैं। एक संतकबीर नगर के दुधारा थाना के मदाईसूरत गांव का रहने वाला है।


रुधौली के एसडीएम नीरज प्रसाद पटेल ने बताया कि शक के आधार पर सीतापुर के स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे थे। 13 अप्रैल को तीनों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बता दें कि जनपद में इससे पहले 14 लोगों में कोरोना वायरस को पॉजिटिव पाया गया है।

 

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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

इस देश में सबसे अधिक बार किसी की मूर्ति तोड़ा गया होगा तो वो निश्चित ही डाक्टर अम्बेडकर होंगे -अमित कुमार

अमित कुमार के फेसबुक से ....

बाबा साहब डाक्टर भीम राव अम्बेडकर की आज जयंती है। इसको देश भर में मनाया जा रहा है। 

सबसे पहले बधाई उस तबके को जिन्होंने बाबा साहब को गली से लेकर गलियारे तक में स्थापित कर दिया। बधाई उस शोषित पीडित वर्ग को, जिसने डाक्टर अम्बेडकर को  गली मोहल्ले में स्थापित करने लिए, लाठी और गोली खाया है। आज भी अम्बेडकर को लेकर एक बड़े तबके में घृणा की भावना है। इस देश में सबसे अधिक बार किसी की मूर्ति तोड़ा गया होगा और फिर उसे बनाया गया होगा, तो वो निश्चित ही डाक्टर अम्बेडकर होंगे। 
जब हम दलित शोषित वर्ग कहते है। तो हमें समझने की जरुरत है ये दोनों शब्द अलग अलग है। दलित उस प्रक्रिया का नाम है जो विभिन्न कारणों से एक वर्ग विशेष को दबा कर रखने, उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक में तब्दील कर देने में यकीन रखता है। पर शोषित वर्ग वो वर्ग होता है जिसके मेहनत और उत्पादन पर ताकतवर लोगों कब्जा जमा लेते है। जो एक सतत प्रक्रिया के तहत अनवर जारी रहता है। 

डाक्टर अम्बेडकर जिस समाज में पैदा होते है वो एक ऎसा समाज था। जहां शोषण के स्थायी नियम बनाये गये थे। जिसे दर्शन के शक्ल में लोगों की चेतना में गहरे धंसा दिया गया था। डाक्टर साहब उस दर्शन के साथ संवाद स्थापित करते है। तो पाते है कि ऋग्वेद के नौवें अध्याय तक न ही जाति है और न ही ईश्वर। अधिकांश वेदान्त दर्शन तक जाति शब्द के लिए कुछ खाश उपलब्ध नहीं है। परन्तु जब वो मनुस्मृति के साथ संवाद करते है तो पाते है। कि वहाँ बड़ी ही चतुराई से जाति के दर्शन को गढ़ा गया है। इसलिए वो समझते है कि हिन्दू धर्म के समाजिक सुधार के आन्दोलन के जरिये वो अस्पृश्यता को कोढ़ को खत्म कर देंगे। इसलिए अपने पहले संगठन बहिष्कृत हितकारिणी सभा के उद्भव के समय से ही उन्होंने दूसरी जातियों और समुदायों के तरक्कीपसंद लोगों को इस तरह से इसमें जोड़ा था। 

परन्तु जातिय श्रेष्ठता बोध और उस आधारित शोषण का स्थायी नियम, जो हजारों साल के धर्म दर्शन का परिणाम है। वो कब किसी समाजिक सुधारवादी आंदोलन से खत्म हुआ है। क्योंकि जिन सवर्ण हिंदुओं के जातियों में निहित स्वार्थ हैं और वे कभी भी अपने धर्मशास्त्रों को नष्ट करने को तैयार नहीं होंगे. इसलिए जाति के शिकार लोगों के लिए इकलौता विकल्प यही है कि वे हिंदू धर्म को छोड़ कर उससे बाहर निकल आएं। अतः बाबा साहब इस नतीजे पर पहुँचते है कि हिन्दू धर्म में पैदा होना हमारे बस में नहीं था, परन्तु मैं एक हिन्दू के रुप में नहीं मर सकता। वो ऎसा इसलिए सोच रहे थे कि यदि सारा दलित वर्ग हिन्दू धर्म को छोड़ दे, तो वर्ण व्यवस्था अपने आप ही ध्वस्त हो जायेगी। 

जब वो बौद्ध धर्म स्वीकार करते है। उसके साथ ही भारी संख्या में लोग बौद्ध धर्म ग्रहण करने लगते है। वहाँ पर अनुभव और इतिहास ये बताता है कि इस वंचित तबके के लोगों को समानता तक भी हासिल न हो सका। उन्हें वहाँ नवबौद्ध कहा गया। जो बौद्ध धर्म लोगों को बुद्ध बनने का हामी था वो अब बोधिसत्व से काम चला रहा है। छोटी नौका हीनयान संप्रदाय और बड़ी नौका महायान संप्रदाय में विभक्त कर वहीं सारे ब्राह्मणवादी संस्कार धारण कर लिया गया है। आज तमाम दलित वर्ग में काली, दुर्गा, राम और बुद्ध के साथ बाबा साहेब अम्बेडकर की मूर्ति स्थापित किया जा चुका है। 

दरअसल जाति पैदा ही धर्म की कोख में होता है। अतः उसका इलाज भी किसी धर्म में जाकर सम्भव ही नहीं है। इसलिए पेरियार कहते है।

‘‘यद्यपि मैं पूरी तरह जाति को खत्म करने को समर्पित था; लेकिन जहां तक इस देश का संबंध है, उसका एकमात्र निहितार्थ था कि मैं ईश्वर, धर्म, शास्त्रों तथा ब्राह्मणवाद के खात्मे के लिए आन्दोलन करूं। जाति का समूल नाश तभी संभव है, जब इन चारों का नाश हो। यदि इनमें से कोई एक भी बचता है, तब जाति का आमूल उच्छेद असंभव होगा….। क्योंकि, जाति की इमारत इन्हीं चारों पर टिकी है….केवल आदमी को गुलाम और मूर्ख बनाने के बाद ही, जाति को समाज पर थोपा जा सकता था। (लोगों में) ज्ञान और स्वाधीनता के प्रति जागरूकता पैदा किए बिना जाति का कोई भी खात्मा नहीं कर सकता। ईश्वर, धर्म, शास्त्र और ब्राह्मण लोगों में गुलामी और अज्ञानता की वृद्धि के लिए बनाए गए हैं। वे जाति व्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।’ 

जाति वास्तव में आर्थिक शोषण का नियम है। यह श्रम के पैदावार पर कब्जा जमाने का नियम है। ये मेहनत के सारे पेशे के साथ में समाज के तमाम जाति समूहों को जन्मजात बांध देने का नियम है। इसलिए वंचित तबके को दलित शोषित वर्ग कहना ज्यादा, स्पष्ट है। डाक्टर अम्बेडकर कहते है कि हर व्यक्ति के वोट का एक ही मूल्य है परन्तु ये जब तक पूर्ण न हो जब तक हर व्यक्ति को एक ही मूल्य में न बदल दिया जाय। स्पष्ट है कोई भी समाजिक न्याय तब तक स्थापित नहीं किया जा सकता जब तक आर्थिक न्याय स्थापित न हो। इसलिए मुझे लगता है कि समाजिक न्याय आन्दोलन को आर्थिक न्याय में बदलना ही होगा। क्योंकि ब्राह्मण दलित के घर और दलित ब्राह्मण के घर पानी पीने लगे, तब भी शोषण की व्यवस्था नहीं बदलने वाली।

प्रधानमंत्री का राष्ट्र को संबोधन: 3 मई तक के लिए बढ़ाया जा रहा लॉकडाउन, अगले एक सप्ताह में बढ़ाई जाएगी कठोरता

कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा देशभर में लागू किया गया 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) आज खत्म होने जा रहा है. लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्र के नाम संबोधित किया. पीएम ने लॉकडाउन को 3 तक बढ़ाने का फैसला लिया. पीएम मोदी ने कहा, ''नमस्ते मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई, बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है. आपकी तपस्या, आपके त्याग की वजह से भारत अब तक, कोरोना से होने वाले नुकसान को काफी हद तक टालने में सफल रहा है. आप लोगों ने कष्ट सहकर भी अपने देश को बचाया है. हमारे इस भारतवर्ष को बचाया है. मैं जानता हूं. आपको कितनी दिक्कतें आई हैं, किसी को खाने की परेशानी, किसी को आने जाने की परेशानी, कोई घर परिवार से दूर है, लेकिन आप देश के खातिर एक अनुशासित सिपाही की तरह अपने कर्तव्य निभा रहे हैं. मैं आप सबको आदर पूर्वक नमन करता हूं.''
प्रधानमंत्री ने कहा, ''साथियों, सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना पड़ेगा. यानि 3 मई तक हम सभी को, हर देशवासी को लॉकडाउन में ही रहना होगा. इस दौरान हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है, जैसे हम करते आ रहे हैं. मेरी सभी देशवासियों से ये प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है. स्थानीय स्तर पर अब एक भी मरीज बढ़ता है तो ये हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए. इसलिए हमें Hotspots को लेकर बहुत ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी. जिन स्थानों के Hotspot में बदलने की आशंका है उस पर भी हमें कड़ी नजर रखनी होगी. नए Hotspots का बनना, हमारे परिश्रम और हमारी तपस्या को और चुनौती देगा.''

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