शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

बस्ती-बेमौसम बरसात से ईंट भट्ठा मालिकों को हुआ भारी नुकसान

विश्वपति वर्मा-

बेमौसम बारिश ने ईंट भट्ठा मालिकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। जनवरी में चार बार हुई बारिश से ईंट उद्योग को जहां करोड़ो रूपये का नुकसान हुआ वहीं फरवरी महीने के दूसरे पखवाड़े में हुए बारिस के कारण भट्ठा मालिकों को जबरदस्त क्षति पहुंचा है। क्योंकि धूप में सूखने के लिए रखे गए कच्चे ईंट बारिस के पानी से गलकर खराब हो गए।


भानपुर क्षेत्र के कई भट्ठा मालिकों ने बताया कि इस बरसात से अधिकतर ईंट भट्ठा मालिकों को कर्ज में डुबो दिया है। बताया जाता है कि प्रत्येक ईंट निर्माता को बारिश के चलते दस लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कुछ स्थानों पर तो बारिश ने छोटे स्तर पर ईंट भट्ठे लगाने वालों को कहीं का नहीं छोड़ा है। लाखों ईंटें बारिश की भेंट चढ़ चुकी हैं। वर्षा के कारण ईंट भट्ठों में तैयार कच्ची ईंट पर भी मिट्टी बनने का खतरा बना हुआ है ।

जानकारी के मुताबिक जनपद में 217 ईंट भट्ठों में लाखों की संख्या में कच्ची ईटों को खुले में सूखने के लिए रखा गया था। सूखने के बाद उसे चेंबर में डालकर पकाया जाता है, लेकिन अचानक आई वर्षा ने किए कराये पर पानी फेर दिया।

भट्ठा मालिक सुबोध सिंह ने बताया कि नुकसान की भरपाई होना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि मजदूरी के मद में जो राशि व्यय हुई है उसको झेलना ही है उसके बाद मौसम साफ होने पर बर्बाद हुए कच्चे ईंट को हटाना और दूबारा पथाई करवाने के लिए नए सिरे से ईंट का निर्माण एवं मजदूरी भुगतान के लिए राशि की व्यवस्था करना जटिल होता है।

भट्ठा मालिक विरेन्द्र वर्मा ने बताया कि मौसम की मार झेल रहे ईंट भट्ठा मालिकों को ईंट के व्यवसाय में लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि सरकार से ईंट भट्ठा उद्योग को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही है। ईंट भट्ठा व्यवसायी विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाए जाने से भी परेशान हैं। जीएसटी, जिला पंचायत कर, प्रदूषण बोर्ड कर, रॉयल्टी और इनकम टैक्स के रूप में आधा दर्जन जगहों पर टैक्स देना पड़ रहा हैं। उसके बाद प्राकृतिक आपदा की मार भी झेलनी पड़ती है।

क्षेत्र के करीब आधा दर्जन और ईंट भट्ठा स्वामी से बात हुई जिमसें लोगों ने बताया कि ईंट भट्ठा व्यवसायियों के हित में सरकार को सोचना चाहिए। टैक्स का सही निर्धारण कर उनके नुकसान को कम किया जाना चाहिए। बारिश के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए रॉयल्टी एवं टैक्स में छूट दिए जाने की जरूरत है ,अगर ऐसा नही किया जाता है तो भट्ठा मालिकों को ईंट के दाम में वृद्धि करना पड़ेगा जिसका पूरा असर सीधा आम आदमी पर पड़ेगा।

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आखिर क्यों होता है फरवरी 28 और 29 दिन का ,पढ़ें और जानें

मल्टीमीडिया डेस्क

 ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि आखिर फरवरी का महीना 28 या 29 दिन का ही क्यों होता है।तो आइये इसके बारे में आपको सही जानकारी देते हैं।  हम जो कैलेंडर यूज करते हैं वो रोमन कैलेंडर पर आधारित है। पुराने रोमन कैलेंडर में एक साल में सिर्फ 10 महीने हुआ करते थे जिसमें 304 दिन शामिल थे। लेकिन बाद में इसमें दो और महीने जोड़ दिए गए जिनका नाम जनवरी और फरवरी रखा गया। ऐसा करने से पूरा साल 12 महीने का हो गया.इसके पीछे रोमन किंग न्यूमा पोम्पीलियस का हाथ है।

लेकिन इस कैलेंडर पर भी काफी विवाद हुआ क्योंकि इस कैलेंडर के अनुसार त्योहार सही समय पर नहीं आ पा रहे थे। इसके बाद इसमें काफी बदलाव किए गए। इस बदलाव में फरवरी महीने से 2 दिन कम कर दिए गए जिसके कारण साल में 365 दिन तय हो गए। यह कैलेंडर पृथ्वी और सूर्य की परिक्रमा के अनुसार बनाया गया था क्योंकि पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है। ऐसे में हर साल 6 घंटे एक्स्ट्रा बच जाते हैं जो 4 साल बाद 24 घंटे यानि एक दिन में बदल जाते हैं। इसी वजह से फरवरी के महीने में 28 या 29 दिन होते हैं।

फरवरी का महीने 3 साल तक 28 दिन का होता है और चौथे साल में 29 का हो पाता है जिसे हम लीप वर्ष भी कहते हैं।

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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

दिल्ली दंगे में अंडरवर्ल्ड कनेक्शन, दंगा भड़काने के लिए नासिर और छैनू गैंग का हुआ इस्तेमाल

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा के पीछे की साजिश का एक और रंग तब सामने आया जब बुधवार को पुलिस ने बताया कि दंगा करने वालों की तरफ से पिछले 3 दिनों में 600 से ज्यादा राउंड फायर किए गए। इसका मतलब कि दंगा करने वालों के पास हथियारों और गोलियों की कमी नहीं थी। अब सवाल ये है कि ये हथियार कहां से आए? पुलिस को आशंका है कि प्लानिंग करने वालों ने हिंसा भड़काने और आगजनी करने के लिए नासिर और छेनू गैंग को हायर किया गया था और इन गैंग्स की मदद से प्रीप्लांड साजिश के तहत हिंसा भड़काई गई।

नासिर और छैनू गिरोह के 12 लोगों की पहचान

नासिर और छैनू गैंग्स को दिल्ली के सबसे खतरनाक गैंग्स में से माना जाता है। ये उत्तर-पूर्वी दिल्ली के साथ गाजियाबाद के लोनी इलाके में भी एक्टिव हैं। पुलिस ने इन गैंग्स के बारह लोगों की पहचान की है। इसके अलावा पुलिस ये भी जांच कर रही है कि किन लोगों ने इनको हायर किया था। बता दें कि रविवार को शुरू हुई इस हिंसा में बुधवार तक दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल और आईबी के एक अफसर अंकित शर्मा समेत 35 लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 200 से ज्यादा लोग घायल हुए।

18 FIR दर्ज, 106 लोग गिरफ्तार

दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस ने अबतक कुल 18 एफआईआर दर्ज की है जबकि अबतक 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये जानकारी दिल्ली पुलिस की तरफ से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने दंगा प्रभावित इलाकों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। ये नंबर है 011-22829334, 011-22829335  ।  वहीं, दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हालात सामान्य है। लोग धीरे-धीरे घऱों से निकल रहे हैं।

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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

दिल्ली हिंसा के मामलों की सुनवाई कर रहे जज का पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर जिन्होंने बुधवार को केंद्र, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को राजधानी में हिंसा रोकने में असफल रहने पर फटकार लगाई थी, का तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया है. दिल्ली में हिंसा की घटना में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. जस्टिस मुरलीधर के तबादले का नोटिफिकेशन केंद्र सरकार ने बुधवार रात जारी किया. गौरतलब है कि सुप्रीट कोर्ट द्वारा तबादले की अनुशंसा 12 फरवरी को की गई थी लेकिन नोटिफिकेशन दो हफ्ते बाद जारी किया गया है.

सरकारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संविधान के आर्टिकल 222 के तहत,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुशंसा पर राष्ट्रपति जस्टिस मुरलीधर का दिल्ली हाईकोर्ट के जज से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर तबादला करते हैं. जस्टिस मुरलीधर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज का कार्यभार संभालेंगे. 

दिल्ली हाईकोर्ट की बार असोसिएशन ने पिछले हफ्ते तबादले की निंदा की थी और सुप्रीम कोर्ट से फैसला वापिस लेने की अपील भी की थी. इससे पहले दिल्ली हिंसा को लेकर बुधवार को जस्टिस मुरलीधर ने कहा था कि हम देश में दोबारा 1984 जैसी घटना होने नहीं दे सकते.

जस्टिस मुरलीधर ने केंद्र और दिल्ली सरकार को मिलकर हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए कहा था. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, अभय वर्मा और प्रवेश वर्मा के बयानों की वीडियो दिखाई गई थी. कोर्ट हिंसा भड़काने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर सुनवाई कर रहा था.

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बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

दिल्ली की हिंसा में 13 लोगों की मौत, आधा दर्जन से अधिक पत्रकारों को भी पीटा

दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जारी हिंसा के बीच उपद्रवी भीड़ ने रिपोर्टिंग करने गए एनडीटीवी के तीन रिपोर्टरों और एक कैमरापर्सन पर हमला कर दिया. इसके अलावा मौजपुर में एक टीवी चैनल के पत्रकार को भी गोली लगी है.एनडीटीवी के मुताबिक उनके पत्रकार वहां अपना काम कर रहे थे और उस समय वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई पुलिसवाला मौजूद नहीं था. पत्रकार अरविंद गुणशेखर को एक भीड़ ने घेर लिया और उनके चेहरे पर मारा.चैनल के मुताबिक अरविंद का एक दांत टूट गया, उनके सिर पर एक लाठी पड़ने वाली थी कि तभी एनडीटीवी के ही सहयोगी सौरभ शुक्ला ने उन्हें बचाया. वो लाठी सौरभ शुक्ला को लगी. उनके पीठ पर घूंसे भी मारे गए. किसी तरह वे दोनों वहां से बचकर निकलने में कामयाब रहे.

एनडीटीवी की रिपोर्टर मरियम अलवी को भी एक अन्य जगह भीड़ ने पीठ पर मारा. वहां वो पत्रकार श्रीनिवासन जैन के साथ रिपोर्ट कर रही थी. उनके साथ के कैमरापर्सन सुशील राठी भी घायल हुए


इसके अलावा जेके 24*7 न्यूज के संवाददाता आकाशा नापा को कवरेज के दौरान गोली लगी है.जनसत्ता के मुताबिक आकाश को दंगा प्रभावित इलाका मौजपुर में करवेज करने के दौरान गोली लगी. घायल पत्रकार को गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.इसके अलावा कई अन्य चैनलों के पत्रकारों को भी धमकाने की खबरें लगातार आ रही हैं.बीते रविवार से ही उत्तर पूर्वी दिल्ली के इलाकों में नागिरकता संशोधन कानून को लेकर दो गुटों के बीच झड़प जारी है. रविवार को स्थिति काफी गंभीर हो गई और दोनों पक्षों के उपद्रवियों ने भीषण हिंसा की, कई दुकानों और गाड़ियों को आग लगाया और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है.हिंसा में अब तक एक पुलिसकर्मी समेत 13 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. हिंसा को देखते हुए कई इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है. खासकर मौजपुर, कर्दमपुरी, चांद बाग, दयालपुर जैसे इलाकों में ज्यादा निगरानी की जा रही है.

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मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

दिल्ली में CAA को लेकर हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत, 65 घायल

दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, भजनपुरा समेत आसपास इलाकों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच सोमवार को और हिंसक हो गया. तनाव अब भी जारी है. नागरिकता कानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिसमें एक पुलिस कॉन्सटेबल समेत 5 लोगों की मौत हो गई. भजनपुरा के पास चांदबाग में रतनलाल नाम के हेड कॉन्सटेबल की मौत हो गई है. वहीं, मोहम्मद फुकरान की भी गोली लगने से जान चली गई. साथ ही हिंसा में शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा भी घायल हो गए हैं. इसके साथ-साथ क़रीब 50 पुलिसवालों के घायल होने की ख़बर है. 

नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में 10 जगहों पर पुलिस ने धारा 144 लगाई है साथ ही जाफराबाद और आसपास के कई मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया है. वहीं, उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के बाद खजूरी खास इलाके में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.

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सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत आईं बस्ती की रीता बरनवाल ,जानें उनके बारे में

बस्ती. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स परिवार आज यानी सोमवार से भारत दौरे पर हैं। उनके साथ भारतीय मूल की रीता बरनवाल भी भारत पहुंची हैं।रीता,अमेरिका में परमाणु उर्जा विभाग की प्रमुख हैं। उनका जन्म बस्ती जिले के बहादुरपुर गांव में हुआ था। गांव में रह रहे परिजन रीता से मिलना चाहते हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से संभव नहीं हो पा रहा है।


भतीजे गौरव ने बताया कि बुआ रीता का जन्म यहीं बहादुरपुर में ही हुआ था। बड़े बाबा कृष्ण चन्द्र बरनवाल और दादी आरती जन्म के कुछ महीने बाद ही रीता बुआ को लेकर अमेरिका चले गए थे। बाद में बड़े बाबा को वहां की नागरिकता मिल गई और सभी लोग वहीं रहने लगे।बुआ जब परमाणु उर्जा प्रमुख नियुक्त हुई थीं, तब बात हुई थी। बताया कि लगभग 10 वर्ष पूर्व बुआ गांव आयी थीं। बुआ की शादी अमेरिकन नागरिक से हुई है। उनके दो बच्चे हैं।

जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती हैं रीता

रीता जमींदार परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पिता कृष्णचंद्र बरनवाल 1962 में खड़गपुर आइआइटी से रबर टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका नौकरी करने चले गए। पांच भाइयों में पिता कृष्णचंद तीसरे नंबर पर थे। मां आरती बरनवाल शिकोहाबाद की हैं। माता-पिता अब दुनिया में नहीं हैं। बहनें रीता और सीमा का जन्म, पढ़ाई और शादी अमेरिका में ही हुई। रीता एमआईटी से मेटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग में बीए और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से पीएचडी की। वे एमआईटी के मटैरियल्स रिचर्स लेबोरेट्री और यूएस बर्केल न्यूक्लियर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सलाहकार बोर्ड में भी हैं।

पिछले साल जुलाई में बनीं परमाणु उर्जा विभाग की प्रमुख

रीता को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रस्ताव पर जून 2019 को परमाणु उर्जा विभाग के प्रमुख पद पर सीनेट ने मुहर लगाई, जिसके बाद उन्हें जुलाई में नियुक्त कर दिया गया। नियुक्ति की सूचना जब उनके पैतृक गांव में पहुंची थी तो लोग खुशी से झूम उठे थे,अब जब राष्ट्रपति ट्रम्प के डेलिगेशन में शामिल होकर रीता के भारत आने के सूचना उनके परिवार के लोगों को मिली तो उन्होंने अमेरिकी एम्बेसी से मिलने की अनुमति मांगी है।

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19वीं सदी के महान समाज सुधारक संत गाडगे महाराज की जयंती अपना दल ने मनाया


अपना दल एस ने रविवार को बभनान स्थित पार्टी कार्यालय पर जिला महासचिव राजमणि पटेल की अध्यक्षता में 19वीं सदी के महान समाज सुधारक संत गाडगे महाराज की 144वीं जयंती धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर उपस्थित पार्टी कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों ने संत गाडगे द्वारा किए गये कार्यों पर चर्चा करते हुए उनकी विचारधारा को आम जनमानस तक पहुंचाने का संकल्प लिया ।

  जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री मा. रेखा पटेल ने कहा कि संत गाडगे जी मानवता के सच्चे हितैषी, सामाजिक समानता के द्योतक थे। संत गाडगे जी ने अपने जीवन विचार एवं कार्यों के माध्यम से समाज एवं राष्ट्र के सम्मुख अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया। संत गाडगे ने अपने जीवन काल में लगभग 60 संस्थाओं स्कूल धर्मशाला गौशाला छात्रावास अस्पताल विश्रामालय वृद्ध आश्रम आदि का निर्माण कराया।

प्रदेश सचिव झिनकान चौधरी ने कहा कि गाडगे बाबा आजीवन सामाजिक अन्यायों के खिलाफ संघर्षरत रहे तथा अपने समाज को जागरूक करते रहे। उन्होंने सामाजिक कार्य और जनसेवा को ही अपना धर्म बना लिया था। वे व्यर्थ के कर्मकांडों, मूर्तिपूजा व खोखली परम्पराओं से दूर रहे। जाति प्रथा और अस्पृश्यता को बाबा सबसे घृणित और अधर्म कहते थे।संत गाडगे जी गौतम बुद्ध की तरह पीड़ित मानवता की सहायता ,समाज सेवा के लिए गृहत्याग किया। कार्यक्रम का संचालन अब्बास अली ने किया। इसके पूर्व नगर पंचायत बभनान के प्रथम आगमन पर राज्यमंत्री रेखा पटेल का नगर पंचायत की सीमा पर सभासद राजमणि पटेल के नेतृत्व में जोरदार स्वागत किया गया।

 इस अवसर पर राम सिंह पटेल, जिला पंचायत सदस्य विनोद चौधरी,अजय कुमार एडवोकेट, पवन कुमार कन्नौजिया, राम गोपाल कन्नौजिया,संतराम पटेल,इन्द्रजीत प्रजापति, प्रमोद कुमार पाल ,कमलेश,रामकुमार पटेल ,राम गोपाल कन्नौजिया,पवन कुमार कन्नौजिया, अमित आर्य, शिवपूजन पटेल, बाबूराम वर्मा, सुनील कुमार पटेल अभिषेक आर्य, भागीरथी पटेल, प्रमोद आर्य, आशीष ,राम किशन कनौजिया ,राम जीत पटेल आदि मौजूद रहे।

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हैप्पीनेस क्लास' देखने के दौरान केजरीवाल-सिसोदिया की गैरमौजूदगी को लेकर अमेरिका का आया बयान


अमेरिकी दूतावास ने रविवार को कहा कि उसे दिल्ली के सरकारी स्कूल में अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप की यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. 

लेकिन दूतावास ने इस बात को 'समझने को लेकर भी सराहना की कि यह कोई राजनीतिक समारोह नहीं है.' दिल्ली सरकार के सूत्रों ने शनिवार को कहा था कि मेलानिया ट्रंप के मंगलवार को दिल्ली के सरकारी स्कूल के दौरे के समय केजरीवाल और सिसोदिया मौजूद नहीं रहेंगे, क्योंकि कार्यक्रम के लिए अतिथि सूची से उनके नाम हटा दिए गए हैं. अमेरिकी दूतावास में एक प्रवक्ता ने इस बारे में मीडिया द्वारा सवाल पूछे जाने पर कहा, 'अमेरिकी दूतावास को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हम इस बात को समझने के लिए उनकी सराहना करते हैं कि यह कोई राजनीतिक समारोह नहीं है. यह सुनिश्चित करना सबसे अच्छा है कि शिक्षा, स्कूल एवं छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए.'


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया के 'हैप्पीनेस क्लास' देखने के लिए स्कूल जाने और वहां छात्रों से संवाद करने का कार्यक्रम है. दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी दूतावास ने शनिवार सुबह शहर के प्रशासन को अवगत कराया था कि आयोजन के लिए आमंत्रित लोगों की सूची में केजरीवाल और सिसोदिया का नाम नहीं है. पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया, 'आयोजन के लिए आमंत्रित लोगों की सूची से केजरीवाल और सिसोदिया के नाम हटा दिए गए हैं. हमें नहीं पता कि प्रथम महिला जब हमारे स्कूल में आयेंगी तो कौन उनका स्वागत करेगा और कौन उन्हें अवगत कराएगा.'

इससे पहले, दिन में उपमुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली सरकार को मेलानिया के एक सरकारी स्कूल के दौरे के लिए अनुरोध मिला था. उन्होंने कहा, 'अगर वह (सरकारी स्कूल) आना चाहती हैं तो उनका स्वागत है.' आयोजन से दोनों नेताओं के नाम हटाए जाने पर क्षोभ प्रकट करते हुए आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह एक प्रोटोकॉल और 'परंपरा' है कि आयोजन में कोई भी विदेशी विशिष्ट अतिथि आता है तो राज्यों के नेता उपस्थित रहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर अतिथि सूची से केजरीवाल और सिसोदिया के नाम हटाए गए.


भारद्वाज ने दावा किया, 'भाजपा दावा कर रही है कि उसने (केंद्र) अमेरिकी दूतावास से केजरीवाल और सिसोदिया का नाम अतिथि सूची से हटाने के लिए नहीं कहा. बयान असल में संकेत है कि कुछ गड़बड़ है.' अतिथि सूची में केजरीवाल का नाम नहीं होने पर भाजपा प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कहा कि राष्ट्रहित वाले मुद्दों पर 'स्तरहीन या ओछी' राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर हम एक दूसरे की खिंचाई करते रहेंगे तो भारत का नाम खराब होगा. मोदी सरकार अमेरिका को नहीं बताती कि किसे वो आमंत्रित करें और किसे नहीं.

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रविवार, 23 फ़रवरी 2020

सोनभद्र में हजारों टन सोना मिलने के दावे को जीएसआई ने खारिज

भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (जीएसआई) ने कहा है कि उसने सोनभद्र में 3,350 टन सोने का कोई अनुमान नहीं लगाया है और न ही वो मीडिया में चल रही ख़बरों की पुष्टि करता है.

जियोलॉजिक सर्वे ऑफ़ इंडिया ने शनिवार को एक बयान जारी करके कहा कि उसने 'सोनभद्र में सोने की खोज के लिए कई बार खनन किया लेकिन इसके नतीजे उत्साहवर्धक नहीं रहे.'

इससे पहले उत्तर प्रदेश के खनिज विभाग ने कहा था कि राज्य में हज़ारों टन सोना होने की संभावना है और इस मद्देनज़र राज्य सरकार ने ई-नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी.

मगर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी बयान ने यूपी के खनिज विभाग के दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'जीएसआई ने 1998-99 और 1999-2000 में सोनभद्र में खनन किया था और इससे सम्बन्धित रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ माइनिंग को सौंप दी गई थी.'

जीएसआई ने कहा है कि उसके मुताबिक़ 'सोनभद्र में जो संसाधन हैं, उससे 160 किलोग्राम के लगभग सोना निकाला जा सकता है न कि 3350 टन

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, जैकब इस इलाक़े की 10 साल से ज़्यादा वक़्त तक खुदाई करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे. 

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शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने गुजरात के सीएम को ट्रंप के रोड शो में शामिल होने से रोका

दो दिन के भारत दौरे पर 24 फरवरी को अहमदाबाद पहुंच रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रोड शो में गुजरात के सीएम विजय रुपाणी को शामिल होने से रोक दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे अमेरिकी सिक्रेट एजेंसी ने ट्रंप और पीएम मोदी के रोड शो के काफिले में गुजरात के सीएम विजय रुपाणी की कार को शामिल होने की अनुमति नहीं दी है।

खबरों के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे के दौरान कार्यक्रमों को लेकर सुरक्षा इंतेजामात को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस दौरे के दौरान ट्रंप के अहमदाबाद पहुंचने पर उनका पीएम मोदी के साथ एक रोड शो का भी कार्यक्रम है। जानकारी के अनुसार गुजरात के सीएम रुपाणी भी इस रोड शो में शामिल होना चाहते थे। लेकिन अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी ने मुख्यमंत्री की कार को काफिले में शामिल होने की इजाजत नहीं दी है।

गौरतलब है कि भारत दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को वॉशिंगटन से सीधे अहमदाबाद पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उनका स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद रहेंगे। वहां के बाद राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी अहमदाबाद में एक लंबा रोड शो करेंगे, जो करीब आधे घंटे से ज्यादा का होगा और इस दौरान सुरक्षा की पूरी कमान अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी के हाथों में होगी।

ऐसे में इस रोड शो के काफिले में कौन-कौन लोग शामिल होंगे, यह अमेरिकी सीक्रेट एजेंसी ही तय कर रही है और उसने राज्य के सीएम को ही इजाजत नहीं दी है। फिलहाल इस पर गुजरात के सीएम के कार्यालय से या सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। वहीं बीजेपी की ओर से भी उसके एक राज्य की सरकार के मुखिया को उसी के राज्य में आ रहे मेहमान के काफिले में जगह नहीं दिए जाने पर कुछ नहीं कहा गया है। अब देखना होगा कि क्या रुपाणी काफिले में शामिल हो पाते हैं या नहीं।

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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

अदभुद रहस्यो का भण्डार है बीस एकड़ में फैला बस्ती के महुआडाबर का टीला

  केसी श्रीवास्तव और सुशील कुमार की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखन‌ऊ  से 195 किलोमीटर दूर बस्ती जनपद के गौर ब्लाक के अंतर्गत में ऐतिहासिक ग्राम भुइलाडीह , महुआडाबर स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी भगवान सिंह की पावन जन्मभूमि हैं ।

इस ग्राम में लगभग 20 एक‌ड़ में फैला एक टीला है, जो तमाम अद्भुत रहस्यो को अपने गर्भ में छिपाए हुये है ,एक तरफ जहां यह रहस्यमयी स्थल बौद्ध कालीन युग की तस्वीर पेश करता है, वहीं खुदाई में मिली लम्बी लम्बी तलवारें पूर्वजों के पराक्रम की याद ताजा करते हैं । खुदाई में ग्रामीणो को मिले 7 फिट तक के मिले नर कंकाल इस बात की साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि यहां के निवासी काफी लम्बे चौ‌ड़े एवं तन्दुरुस्त होते थे । यहां पर मौजूद प्राचीन शिव मन्दिर एवं अति प्राचीन शिव मन्दिर इस बात का संकेत देते हैं कि यहां के निवासियों के अराध्य भगवान शिव थे , टीले की खुदाई में ग्रामीणों को मिली साफ सुथरी सड़कें गलियां यह बताते हैं कि उस काल में यह स्थल बहुत ही सुरम्य रहा होगा । यहां के निवासी काफी शिक्षित एवं संस्कारवान रहे होंगे । निश्चय ही यह टीला अपने गर्भ में अपार रहस्यो को छिपाये बैठा है ,यदि पुरातत्त्व विभाग इस स्थल की खुदाई कराये तो निश्चय ही‌ हमें 3000 साल पहले की मानव सभ्यता का ‌ज्ञान होगा ,महुआडाबर के पूर्व प्रधान श्री शैलेन्द्र सिंह एवं इतिहास बिद श्री कमलेश सिंह ने तहकीकात टीम को बताया कि हम लोग इस प्रयास में लगे हुये है कि अपार रहस्यो को अपने अन्दर  छिपा कर यह टीला अब गुमनाम ना रहने पाए , इन लोगों ने बताया कि हम लोगो के प्रयास से पूर्व मंडलायुक्त  विनोद शंकर चौबे यहां का स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं श्री चौबे  के प्रयास से पुरातत्त्व विभाग की टीम भी दौड़ा कर चुकी है ।

जनवरी 2019 में गोरखपुर के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी  की अगुवाई में पुरातत्व विभाग की टीम ने टीले पर पहुंच कर स्थलीय निरीक्षण किया था। इस बीच ईंट, बर्तन के टुकड़े व सिलबट्टे भी मिले थे क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया था कि ईंट व बर्तन के जो टुकड़े मिले है वह 600 ईसा पूर्व से लेकर 1250 तक के है। इन अवशेषों से पता चल रहा है लगभग 2600 वर्ष पूर्व यहां एक बहुत बड़ा नगर रहा होगा। यदि इसकी खुदाई हुई तो निश्चित रूप से इस क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति व इतिहास का पता चल सकेगा। स्थलीय निरीक्षण मे जो ईंट व बर्तन के टुकडे मिले हैं वे मौर्य काल से लेकर मध्य काल तक के है।

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गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

चीन में कोरोना वायरस का कहर जारी, 2112 लोगों की अब तक हुई मौत

चीन में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 2112 पहुंच गई है। ज्यादातर मौतें सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में हुई हैं।

 स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पूरे देश में इस वायरस से करीब 74 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, गुरवार को हुबेई में कोरोना वायरस के 349 नए मामले सामने आए और 108 लोगों की मौत हुई। इस तरह अब तक जान गंवाने वालों की संख्या अकेले हुबेई में ही 2029 हो गई है।
कोरोना वायरस पहली बार वुहान में पिछले साल दिसंबर में उत्पन्न हुआ था, और तब से भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में फैल गया है। चीन के बाहर कोरोना वायरस की वजह से ईरान में दो मरीजों की मौत के बाद ये आंकड़ा बढ़कर आठ पहुंच गया है।

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नही हुआ पंचायत चुनाव के तारीखों का ऐलान, जानें क्या है सच्चाई

उत्तर प्रदेश में इसी वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गया है इसी बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज के जरिये बताया जा रहा है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर मतदान और मतगणना की तारीखों का ऐलान हो गया है।

यह मैसेज शेयर किया जा रहा है

"उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर

पंचायत चुनाव 2020 का बजा बिगुल

चार चरणों में संपन्न होंगे पंचायत चुनाव

राज्य निर्वाचन आयोग ने जारी किया आदेश

9अक्टूबर से शुरू होगा मतदान

9,13,17,29 को संपन्न होंगा मतदान

1नवम्बर को होगी मतगणना

राज्य निर्वाचन आयुक्त सतीश कुमार अग्रवाल ने संवाददाताओं को दी जानकारी -वायरल मैसेज"

इसकी सच्चाई जानने के लिए हम सबसे पहले चुनाव आयोग की वेबसाइट पर गए जहां पर हमें इस तरह का कोई सूचना  प्राप्त नही हुआ ।उसके बाद हमने चुनाव आयोग को मेल से पूछा कि क्या इस तरह की तारीखों का ऐलान किया गया है तो जवाब में बताया गया कि इस तरह का मैसेज पूरी तरह से गलत है ।

मेल में बताया गया कि चुनाव आयोग पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहा है जिसमें मतदान के लिए लिए प्रयोग होने वाले मतपत्रों की छपाई के लिए टेंडर जारी किया गया है इसके अलावा किसी प्रकार का कोई तारीख चुनाव को लेकर जारी नही किया गया है।

बता दें कि मौजूदा समय में राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार हैं जबकि मैसेज में सतीश कुमार अग्रवाल के हवाले से चुनाव के तारीखों का ऐलान होना बताया जा रहा है ।सतीश अग्रवाल 2015 के पंचायत चुनाव में राज्य निर्वाचन आयुक्त रहे हैं ।

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बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

15 दस्तावेज देने के बाद भी अपने आप को भारतीय साबित नही कर पाई जाबेदा


असम से कहानी एक ऐसी महिला की जिसने अपनी और अपने पति की नागरिकता साबित करने लिए 15 तरह के दस्तावेज़ पेश किए. लेकिन वो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में हार गईं. इस फ़ैसले को उन्होंने हाइकोर्ट में चुनौती दी तो वहां भी हार गईं. अब वो ज़िंदगी से हारती दिख रही हैं. सारा पैसा केस लड़ने में खर्च हो चुका है. पति बीमार हैं, बेटी पांचवीं में पढ़ती है. डेढ़ सौ रुपए दिहाड़ी में कैसे चलेगा. ऊपर से नागरिकता चली गई है. पति-पत्नी का एक एक पल डर में बीत रहा है.
                  श्रोत -एनडीटीवी
असम में रहने वाली एक 50 वर्षीय महिला जो बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को पाल पा रही है, वह खुद को भारतीय नागिरक साबित करने की लड़ाई अकेले लड़ रही है. ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित की गईं जाबेदा बेगम हाईकोर्ट में अपनी लड़ाई हार चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट उनकी पहुंचे से दूर दिख रहा है. जबेदा गुवाहाटी से लगभग 100 किलोमीटर दूर बक्सा जिले में रहती है. वह अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली सदस्य हैं. उनके पति रजाक अली लंबे समय से बीमार हैं. दंपति की तीन बेटियां थीं, जिनमें से एक की दुर्घटना में मृत्यु हो गई और एक अन्य लापता हो गई. सबसे छोटी अस्मिना पांचवीं कक्षा में पढ़ती है.

जाबेदा अस्मिना के भविष्य को लेकर ज्यादा परेशान रहती है. उसकी कमाई का ज्यादात्तर हिस्सा उसकी कानूनी लड़ाई में खर्च हो जाता है, ऐसे में उसकी बेटी को कई बार भूखे ही सोना पड़ता है. जाबेदा का कहना है, 'मुझे चिंता है कि मेरे बाद उनका क्या होगा? मैं खुद के लिए उम्मीद खो चुकी हूं.'

गोयाबारी गांव की रहने वाली महिला को ट्रिब्यूनल ने 2018 में विदेशी घोषित कर दिया था. हाईकोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में से एक का हवाला देते हुए, उनके द्वारा जमा किए गए कागजात - भूमि राजस्व रसीद, बैंक दस्तावेज और पैन कार्ड को नागरिकता का सबूत मानने से इनकार कर दिया. आंसूओं से भरी हुई आंखों के साथ जाबेदा कहती हैं कि 'मेरे पास जो था, वह मैं खर्च कर चुकी हूं. अब मेरे पास कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए संसाधन नहीं बचे हैं ।

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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

घटिया नाली निर्माण पर हुए विरोध के बाद बदला गया ईंट

केसी श्रीवास्तव-
भानपुर तहसील क्षेत्र के सोनहा स्थिति पूर्वांचल ग्रामीण बैंक के बगल से निकलने वाले पचपेड़वा मार्ग के बगल नाली निर्माण का कार्य हो रहा है .नाली निर्माण के लिए प्रयोग किये जाने वाली ईट की गुणवक्ता काफी खराब होने के नाते स्थानीय लोगों ने सोमवार को विरोध किया था जिसके चलते ठेकेदार को आज ईंट की गुणवत्ता को बदल कर काम शुरू करना पड़ा।

 सानू मोदनवाल ने बताया कि नाली निर्माण में प्रयोग किये जाने वाले ईट और उसमें मसाले भी घटिया किस्म के प्रयोग किये जा रहे थे जिससे नाली का भविष्य ज्यादे दिन तक चलने वाला नही दिखाई दे रहा था। प्रभारी अवर अभियंता एनएम गुप्ता ने बताया कि सोमवार को मौके पर जाकर हमने देखा तो वहां ईंट के गुणवक्ता में कमी पाई गई थी जिसे बदलकर काम शुरू करने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया था। 

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सोमवार, 17 फ़रवरी 2020

प्रदर्शन में शामिल होने पर शायर इमरान प्रतापगढ़ी पर 1 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला प्रशासन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी को 1.04 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस भेजा है.
                   
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन ने नोटिस में प्रतिदिन 13.42 लाख रुपए के खर्चे का हिसाब लगाकर इमरान प्रतापगढ़ी को नोटिस भेजा है.मुरादाबाद के ईदगाह में सीएए के विरोध में 29 जनवरी से प्रदर्शन चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं सहित लोग हिस्सा ले रहे हैं.एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट राजेश कुमार की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, प्रतापगढ़ी से पूछा गया है कि ईदगाह और इसके आसपास कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों पर खर्च किए गए 1.04 करोड़ रुपये उनसे क्यों न वसूले जाएं


प्रतापगढ़ी ने इस नोटिस को विपक्ष की आवाज को चुप कराने के लिए भाजपा सरकार की तरकीब बताया है.प्रतापगढ़ी पर कथित तौर पर प्रशासन ने एक निश्चित समुदाय के लोगो  को उकसाने और दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ाने का आरोप लगाया है.यह नोटिस छह फरवरी को जारी किया गया था.

नोटिस में उनसे यह भी पूछा गया है कि उन्होंने दो मुचलकों के साथ दस लाख रुपये का बॉन्ड क्यों नहीं भरा है.प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि रैपिड एक्शन फोर्स की एक टुकड़ी, प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टैबुलरी और पुलिसबलों सहित पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के लिए प्रतिदिन 13.42 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. इस तरह सुरक्षाबलों पर आठ दिनों का खर्च 1.04 करोड़ रुपये हुआ.

इस नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रतापगढ़ी ने कहा, ‘मैं सात फरवरी को मुरादाबाद पहुंचा था. यह नोटिस छह फरवरी को जारी किया गया. मैंने एसपी (सिटी) और प्रशासन को अपने दौरे के बारे में सूचना दी थी ताकि वे मुझे सुरक्षा मुहैया करा सके. मैं सीधे ईदगाह पहुंचा. मेरे संबोधन के दौरान मैंने सहयोग के लिए पुलिस और प्रशासन की सराहना भी की थी.’उन्होंने कहा, ‘मैंने देशभर में इस तरह के प्रदर्शनों और धरनों में हिस्सा लिया है लेकिन इस तरह का नोटिस नहीं मिला. इससे पहले मैं लखनऊ में था और मैंने वहां लोगों को संबोधित किया. स्थानीय प्रशासन ने कहा कि धारा 144 लागू है लेकिन यह उन लोगों के लिए है, जो सरकार का विरोध कर रहे हैं. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हाल ही में मुरादाबाद पहुंचे और वहां सीएए के समर्थन में एक विशाल भीड़ को संबोधित किया लेकिन उनके लिए धारा 144 प्रभावी नहीं है.’प्रतापगढ़ी ने कहा कि उन्हें अभी तक नोटिस की कॉपी नहीं मिली है औऱ वह इस मामले को अदालत में चुनौती देंगे.

एसीएम कुमार ने कहा, ‘धरने के आयोजकों और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी को नोटिस जारी किए गए हैं. जिले में धारा 144 लागू हैं इसलिए इस तरह इकट्ठा होना गैरकानूनी है. पुलिस ने हमें उनके अगले दिन पहुंचने को लेकर छह फरवरी को सूचित किया था इसलिए हमने उसी दिन नोटिस जारी किया. इस तरह के नोटिस एहतियात के तौर पर जारी किए जाते हैं ताकि कानून व्यवस्था के लिए खतरा होने वाले लोगों को चेताया जा सके. हमने नोटिस में 1.04 करोड़ रुपये की राशि का उल्लेख किया है. इमरान से दो मुचलकों के साथ 10 लाख रुपये का बॉन्ड भरने को कहा गया है.’मुरादाबाद प्रशासन ने 12 लोगों को नोटिस जारी किए हैं, जिनमें से एक इमरान प्रतापगढ़ी भी हैं.अधिकारी का कहना है कि इनमें से 11 लोग पहले ही पांच-पांच लाख रुपये का बॉन्ड जमा करा चुके हैं. प्रतापगढ़ी को सात दिन दिए गए थे और यह अवधि समाप्त हो गई है.बता दें कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद लोकसभा सीट पर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाया था.

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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

असहमति को देश विरोधी कहना लोकतंत्र की आत्मा पर चोट -जस्टिस चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 'असहमति' को लोकतंत्र का 'सेफ्टी वॉल्व' करार देते हुए शनिवार को कहा कि असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी बता देना लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने कहा कि विचारों को दबाना देश की अंतरात्मा को दबाना है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को लेकर देश के तमाम हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

'असहमति को दबाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल गलत'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने अहमदाबाद में गुजरात हाई कोर्ट के ऑडिटोरियम में 15वें पी. डी. मेमोरियल लेक्चर में ये बातें कहीं। उन्होंने यह भी कहा कि असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल डर की भावना पैदा करता है जो कानून के शासन का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, 'असहमति को एक सिरे से राष्ट्र-विरोधी और लोकतंत्र-विरोधी करार देना संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण एवं विचार-विमर्श करने वाले लोकतंत्र को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता की मूल भावना पर चोट करती है।'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि असहमति का संरक्षण करना यह याद दिलाता है कि लोकतांत्रिक रूप से एक निर्वाचित सरकार हमें विकास और सामाजिक समन्वय के लिए एक सही औजार देती है। वह उन मूल्यों एवं पहचानों पर कभी एकाधिकार का दावा नहीं कर सकती जो हमारी बहुलवादी समाज को परिभाषित करती हैं। उन्होंने यहां आयोजित 15 वें, न्यायमूर्ति पीडी देसाई स्मारक व्याख्यान 'भारत को निर्मित करने वाले मतों: बहुलता से बहुलवाद तक' विषय पर बोल रहे थे।


असहमति लोकतंत्र का एक 'सेफ्टी वॉल्व': जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'असहमति पर अंकुश लगाने के लिए सरकारी मशीनरी को लगाना डर की भावना पैदा करता है और स्वतंत्र शांति पर एक डरावना माहौल पैदा करता है जो कानून के शासन का उल्लंघन करता है और बहुलवादी समाज की संवैधानिक दूरदृष्टि से भटकाता है।' उन्होंने कहा कि सवाल करने की गुंजाइश को खत्म करना और असहमति को दबाना सभी तरह की प्रगति- राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक की बुनियाद को नष्ट करता है। इस मायने में असहमति लोकतंत्र का एक 'सेफ्टी वॉल्व' है।

सुप्रीम कोर्ट के जज ने यह भी कहा कि असहमति को खामोश करने और लोगों के मन में डर पैदा होना व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन और संवैधानिक मूल्य के प्रति प्रतिबद्धता से आगे तक जाता है। बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने यूपी में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूल करने के जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजी गई नोटिसों पर जनवरी में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था।

'असहमति पर हमला लोकतंत्र के मूल विचार पर चोट'

उन्होंने कहा, 'असहमति पर प्रहार संवाद आधारित लोकतांत्रिक समाज के मूल विचार पर चोट करता है और इस तरह किसी सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वह अपनी मशीनरी को कानून के दायरे में विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए तैनात करे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने या डर की भावना पैदा करने की किसी भी कोशिश को नाकाम करे।'

'लोकतंत्र देता है अल्पसंख्यकों के विचारों को सुरक्षा'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि विचार-विमर्श वाले संवाद का संरक्षण करने की प्रतिबद्धता प्रत्येक लोकतंत्र का, खासतौर पर किसी सफल लोकतंत्र का एक अनिवार्य पहलू है। उन्होंने कहा कि कारण एवं चर्चा के आदर्शों से जुड़ा लोकतंत्र यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों के विचारों का गला नहीं घोंटा जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर नतीजा सिर्फ संख्याबल का परिणाम नहीं होगा, बल्कि एक साझा आमराय होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र की 'असली परीक्षा' उसकी सृजनता और उन गुंजाइशों को सुनिश्चित करने की उसकी क्षमता है जहां हर व्यक्ति बगैर किसी डर के अपने विचार जाहिर कर सके।

'विचारों को दबाना बहुलवाद पर सबसे बड़ा खतरा'

उन्होंने कहा कि संविधान में उदार वादे में विचार की बहुलता के प्रति प्रतिबद्धता है। संवाद करने के लिए प्रतिबद्ध एक वैध सरकार राजनीतिक प्रतिवाद पर पाबंदी नहीं लगाएगी, बल्कि उसका स्वागत करेगी। उन्होंने परस्पर आदर और अलग-अलग विचारों की गुंजाइश के संरक्षण की अहमियत पर भी जोर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक बहुलवाद को सबसे बड़ा खतरा विचारों को दबाने से और वैकल्पिक या विपरित विचार देने वाले लोकप्रिय एवं अलोकप्रिय आवाजों को खामोश करने से है।

'विचारों को दबाना राष्ट्र की अंतरात्मा को दबाना है'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'विचारों को दबाना राष्ट्र की अंतरात्मा को दबाना है।' उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति या संस्था भारत की परिकल्पना पर एकाधिकार करने का दावा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हिंदू भारत या मुस्लिम भारत के विचार को खारिज कर दिया था। उन्होंने सिर्फ भारत गणराज्य को मान्यता दी थी।

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शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

व्हाट्सएप ग्रुप में भेजे गए मैसेज को कितने लोगों ने पढ़ा और देखा ,इन तरीकों से जानें

केसी श्रीवास्तव-

Whatsapp ग्रुप पर अगर आप कोई मैसेज भेजते हैं  और जानना चाहते हैं कि यह मैसेज कितने लोगों ने देखा और पढ़ा तो क्या करेंगे ?शायद आप जानते हों या फिर न जानते हों तो आइए हम बताते हैं।

व्हाट्सएप पर आप अपने दोस्तों को मैसेज भेजते हैं तो उस पर अगर मैसेज के साथ वाला टिक नीले रंग का है तो इसका मतलब जिसको भी आपने मैसेज भेजा है उसने उसे पढ़ लिया है, लेकिन अगर आप व्हाट्सएप ग्रुप के में मैसेज भेज रहे हैं तो उसमें टिक नीला नही होता है बल्कि ग्रुप में मैसेज उसी तरह से दिखाई देता है जैसे आपने किसी को मैसेज किया हो और उसने अपने मोबाइल को ऑन न किया हो ,यानि कि 1 टिक दिखाई देगा।

अब आप सोच रहे होंगे कि ग्रुप में मैसेज को किसने पढ़ा है यह कैसे जानें तो आइए बताते हैं . सबसे पहले आप अपने स्मार्टफोन से व्हाट्सएप ग्रुप में किसी भी मैसेज को कुछ देर के लिए प्रेस करके रखिए (दबाए रखें)। उसके बाद आपके स्मार्टफोन इस तरह का ऑप्शन दिखाई देगा

जिसमे आपकी तीन बिंदु वाले डंडी पर क्लिक करना है उसके बाद उसमें आपको info पर क्लिक करना होगा अब आप देख सकते हैं कि आपके मैसेज को कौन कौन लोगों ने पढ़ा है।

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चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या हुआ 1523 ,संक्रमण के 66 हजार मामले दर्ज

घातक कोरोना वायरस संक्रमण के कारण चीन में 143 और लोगों की मौत होने के साथ ही इससे मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 1,523 हो गई है. चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि देश में शुक्रवार को इस विषाणु के संक्रमण के कारण 143 लोगों की मौत हुई और 2,641 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई. चीन में इस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 66,492 हो गई है.

आयोग ने बातया कि इस संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित हुबेई प्रांत में शुक्रवार को 139 लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा हेनान में दो और बीजिंग एवं चोंगक्विंग में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई ।

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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण-राम सिंह पटेल


अपना दल एस की बैठक शुक्रवार को हलुआ बाजार स्थित पार्टी कार्यालय पर जिला उपाध्यक्ष राम कुमार पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।बैठक में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण पर दिए गए दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय पर पिछड़ो,दलितों की चिंता को देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाने के लिए अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के प्रयासो की सराहना किया गया।

बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष राम सिंह पटेल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला वंचित समाज लोगों के अधिकारों पर कुठाराघात है इस फैसले से वंचित समाज का किसी प्रकार का नुकसान ना हो इसके लिए सरकार को आगे आकर के पहल करना चाहिए।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिला उपाध्यक्ष राम कुमार पटेल ने कहा कि हासिये पर ढकेले गये लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से संविधान द्वारा दिये गये आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है, उन्होंने न्यायपालिका में वंचित समाज की भागेदारी सुनिश्चित किये जाने तथा 2021 में पिछड़ी जातियों की अलग से जनगणना कराए जाने की मांग की।

 बैठक का संचालन प्रमोद कुमार पाल ने किया। इस अवसर पर राजेंद्र चौधरी, रामकरन वर्मा, मस्त राम पटेल, रामजीत पटेल,अरविन्द सोनकर, राम सरन वर्मा, जगराम गौंड, मुकेश वर्मा, भानूप्रताप पटेल, रमेश कुमार,  गुड्डू वर्मा, सुभाष चन्द्र चौधरी आदि मौजूद रहे।

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कहीं झुग्गी बस्तियों को न देख लें अमरीकी राष्ट्रपति इस वजह से सड़क के किनारे बनई जा रही दीवार

अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को इंदिरा ब्रिज से जोड़ने वाले मार्ग के किनारे झुग्गी बस्ती है जिसमें तकरीबन 800 परिवार रहते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी रास्ते से 'केम छो ट्रंप' कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जाएंगे। उनकी नजर इन झुग्गियों पर न पड़े इसके लिए इस बस्ती के बाहर सात फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह दीवार झुग्गियों को छिपाने के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा कारणों से बनाई जा रही है।

तकरीबन 400 मीटर लंबी इस दीवार का निर्माण कर रहे ठेकेदार का बयान सरकारी अधिकारियों के दावे को झुठलाता है। ठेकेदार ने बताया, 'सरकार नहीं चाहती कि जब ट्रंप यहां से गुजरें तो उनकी नजर इन झुग्गियों पर पड़े। मुझे जल्द से जल्द इस दीवार का निर्माण कार्य पूरा करने का आदेश दिया गया है, लिहाजा 150 से ज्यादा मिस्त्री काम पूरा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।'

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योगी सरकार ने बढ़ाई डॉo कफील की मुश्किलें, रिहाई के पहले लगा "एनएसए'

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रवक्ता डॉ कफील खान के खिलाफ यूपी पुलिस नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगा दिया है. इस मामले में मथुरा जेल में बंद कफील को जमानत मिल गई थी, लेकिन अभी तक उन्हें रिहा नहीं किया गया था. जमानत के आदेश देर से पहुंचने के कारण गुरुवार को मथुरा जिला कारागार से रिहाई नहीं हो पाई थी. कफील न्यायिक अभिरक्षा में निरुद्ध हैं.

मथुरा जिला कारागार के जेलर अरुण पाण्डेय ने बताया था, ‘चूंकि कफील खान की रिहाई का आदेश देर शाम मिला है इसलिए उनकी रिहाई गुरुवार न होकर शुक्रवार की सुबह हो पाएगी.' लेकिन उनकी रिहाई से पहले ही यूपी पुलिस ने उन पर रासुका लगा दिया. जिससे उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई है.
बता दें, नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजी एवं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण को लेकर डॉ कफील खान पर मुकदमा दर्ज किया गया था. 29 जनवरी की रात को उप्र की स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर कफील को अलीगढ़ में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया था. जहां से पहले अलीगढ़ जिला जेल भेजा गया था तथा एक घण्टे बाद ही मथुरा के जिला कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया था. तब से वह यहीं पर निरुद्ध है.

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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

राजनीतिक दलों को उम्मीदवार के आपराधिक रिकार्ड को सोशल मीडिया और अखबार में बताना होगा -सुप्रीम कोर्ट

राजनीति के अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. जस्टिस आर एफ़ नरीमन और जस्टिस एस रविन्द्रभट ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाते हुए राजनीतिक पार्टियों दिशानिर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करेंगी. अगर आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को चुनावी टिकट देती है उसका कारण भी बताएंगी कि आखिर वो किसी बेदाग प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दे पाई?

साथ ही कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में तमाम जानकारी अपने आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर हैंडल पर देनी होगी. वहीं, पार्टियों को इस बारे में एक स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार में भी जानकारी देनी होगी.

इसके साथ ही ऐसे उम्मीदवार के जीतने की संभावना ही नहीं बल्कि पार्टी आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देने पर उसकी योग्यता, उपलब्धियों और मेरिट की उम्मीदवार चुने जाने बाद 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को देनी होगी. कोई पार्टी अगर इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कानून के तहत कार्रवाई करेगा. 

बता दें, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने इसे राष्ट्रहित का मामला बताते 31 जनवरी को याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ ने कहा था कि इस समस्या को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे.  पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को एक सप्ताह के भीतर के सामूहिक प्रस्ताव देने के निर्देश दिए थे. दरअसल पीठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार और उनकी राजनीतिक पार्टियां आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करेंगी और नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार इसके संबंध में अखबार और टीवी चैनलों पर देना होगा लेकिन इस संबंध में कदम नहीं उठाया गया.

इस संबंध में सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ अवमानना याचिका भी दाखिल की गईं थी. चुनाव आयोग की ओर से वकील विकास सिंह ने पीठ को बताया था कि अदालती आदेश का कोई असर नहीं हुआ है क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले 43 फीसदी नेता आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.  ऐसे में बेहतर तरीका ये है कि राजनीतिक दलों को ही कहा जाए कि वो ऐसे उम्मीदवारों को ना चुनें।

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चीन में कोरोना वायरस से 50 हजार से ज्यादा मौतें, इस व्यक्ति ने की आशंका जाहिर

कोरोना वायरस का खौफ भारत में ही नहीं दुनियाभर के लोगों में है. दुनियाभर के देश जहां अपने लोगों का इलाज करवा रहे हैं, वहीं चीन पर आरोप लग रहा है कि वो कोरोना वायरस से मौत का सच छिपा रहा है. चीन का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से करीब 1000 लोगों की मौत हुई है, लेकिन चीन के ही एक अरबपति कारोबारी का दावा है कि ये आंकड़ा पचास हजार है. इस सच पर पर्दा डालने के लिए चीन चुपचाप कोरोना वायरस से मरने वालों के शवों को जला रहा है. लेकिन चीन की ये चोरी सैटेलाइट ने पकड़ ली है.

पूरी दुनिया चीन से आ रही तस्वीरों को देखकर सन्न है. चीन में जिस तरह लोगों को घरों से निकाला जा रहा है, जिस तरह चीन में लोगों के साथ जबरदस्ती हो रही है, उसने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या चीन दुनिया से कुछ छिपा रहा है. इस आशंका को ग्वो वेंगुवी नाम के चीन के अरबपति व्यापारी बढ़ा दिया है.

चीन का दावा है कि कोरोना वायरस से उसके यहां अबतक 1116 लोगों की मौत हो चुकी है और 40 हजार लोग इस जानलेवा वायरस की चपेट में हैं. लेकिन चीन के ही अरबपति का दावा है कि चीन जितने लोगों को कोरोना वायरस की चपेट में दिखा रहा है उससे भी ज्यादा मरीजों के शवों को वो जला चुका है. चीन अबतक 50 हजार शवों को जला चुका है. वुहान में मुर्दाघरों की संख्या 49 है जो 24 घंटे काम करते हैं. वो हर रोज 1200 शवों को जलाते हैं और पिछले 17 दिनों से वो लगातार काम कर रहे हैं और इतना सब कुछ बस वुहान में हो रहा है. अब राजधानी में भी यही हो रहा है.

चीन के अरबपति कारोबारी का कहना है कि चीन के वुहान में ही रोज 1200 शव जलाए जा रहे हैं, ऐसा पिछले 17 दिनों से हो रहा है. इस तरह अकेले वुहान में ही 20400 शवों को चीन जला चुका है. अगर इसमें पूरे चीन को शामिल कर लें तो ये आंकड़ा 50 हजार पहुंच जाता है.

ग्वो वेंगुवी ने कहा, ''चीन में अलग रखे हुए लोगों की संख्या 25 करोड़ हो गई है. अब तक कितने मामलों की पुष्टि की गई है? आप जानते हैं कि इसका प्रकोप आधे चीन में करीब 20 करोड़ लोगों तक फैल चुका है. तो मुझे अंदर से जानकारी मिली है कि ये सच है कि 15 लाख लोगों की पुष्टि हो गई है और मरने वाले जिन्हें जलाया गया है उनकी संख्या करीब 50 हजार है ना की 30 हजार.''

इसलिए सवाल है कि क्या चीन में कोरोना वायरस के शिकार लोगों की संख्या को छिपाने के लिए उन्हें चुपचाप जलाया जा रहा है. इस सवाल पर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रिकॉर्ड टाइम में अस्पताल की सैटेलाइट तस्वीरें दुनिया को दिखाने वाली चीन की सरकार खामोश है. लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों ने ही उसकी पोल खोल दी है. इन तस्वीरों के जरिए चीन को लेकर बहुत बड़ा दावा किया गया है. जो चीन में 50 हजार मरीजों के शवों को जलाने के दावे को पुख्ता करती है.

विशेषज्ञों का दावा है कि कोरोना वायरस के एपीसेंटर वुहान के आसमान में SO2 यानी सल्फर डाइ ऑक्साइड की मात्रा सामान्य से काफी ज़्यादा है. ब्रिटेन की वेबसाइट डेली मेल के अनुसार सेटेलाइट तस्वीर में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा 1350 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. ब्रिटेन में 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के स्तर को बेहद खतरनाक माना जाता है.

जानकार मानते हैं कि इतनी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) की दो वजह हो सकती है. पहली वजह भारी मात्रा में मेडिकल वेस्ट को जलाया जाना हो सकता है या फिर हजारों मानव शवों को जलाये जाने से ऐसा होता है. वुहान ही नहीं चोंगचिन में भी वुहान की तरह सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा जरूरत से ज्यादा है. जिसके पीछे शवों को जलाना माना जा रहा है.

चीन के जो इलाके कोरोना वायरस से प्रभावित हैं वहां पर सरकार ने फैक्ट्रियों और कोयले से बिजली बनाने वाले प्लांट को बंद करने का आदेश दे दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर इन इलाकों में ऐसा क्या हो रहा है जिससे सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि एक मानव शव जलाने से 113 ग्राम सल्फर डाइ ऑक्साइड पैदा होती है. इस तरह वुहान में जितनी SO2 पैदा हुआ है वो 13968 शवों को जलाने का नतीजा हो सकती है. ये आंकड़ा चीन के कारोबारी के दावों के आसपास है.

कोरोना वायरस से जूझ रहे चीन में एंबुलेंस से ज्यादा बॉडी कलेक्शन वैन घूमती दिखाई दे रही है. जिनका काम घर घर जाकर कोरोना वायरस से मरने वाले शवों को इकट्ठा करना है. लेकिन चीन से समय समय पर झकझोर देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं. जिसमें इस नौजवान जोड़े का वीडियो भी शामिल है.

चीन में जो भी सरकार के आदेश की अनदेखी कर रहा है ससे कड़ाई से निपटा जा रहा है. मास्क न पहनने पर पुलिस वाले हाथों में बंदूक लेकर शख्स के पीछे दौड़ पड़ते हैं. ऐसे ही तस्वीरों से सवाल उठता है कि क्या चीन ये सब कोरोना वायरस के सच को छिपाने के लिए कर रहा है.

पिछले दिनों चीन की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी टेनसेंट का एक डाटा लीक हुआ, जिसमें कोरोना वायरस से मौत के जो आंकड़े दिए गए थे वो काफी चौंकाने वाले थे. टेनसेंट के मुताबिक कोरोना वायरस से अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि चीन ये आंकड़ा सिर्फ एक हजार बता रहा है.

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बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

गोरखपुर- ATM में मदद करने के नाम पर कार्ड बदल कर ठगी करने वाले चार गिरफ्तार

कृपा शंकर चौधरी-
जिला संवाददाता

गोरखपुर जिले की पुलिस ने एटीएम के पास धोखाधड़ी कर रहे चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है , पुलिस के मुताबिक एटीएम कार्ड से ठगी करने वालों का यह एक संगठित गिरोह है और वह ग्रामीण क्षेत्रों के कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ  लाईन में लगकर पैसा निकालने में मदद करने के नाम पर उनका एटीएम कार्ड का पिन नम्बर जान लेते थे तथा उनका एटीएम कार्ड धोखाधड़ी से बदलकर अन्य एटीएम से रुपया निकाल लेते थे ।
                   प्रतीकात्मक तस्वीर
पुलिस ने बताया कि यह गैंग शहर में काफी दिन से सक्रिय था जो मंगलवार को मलांव स्थिति इंडिया नंo 1 एटीएम मशीन के पास ठगी को अंजाम देने के फिराक में था जिन्हें मुखबिर की सूचना के आधार पर उ0नि0 नरेन्द्र कुमार चौधरी ,उ0नि0 रविसेन यादव ,उ0नि0 शेर बहादुर यादव ,हे0का0 जगदीश प्रसाद आर्या ,का0 राकेश कुमार,का0 अनुराग यादव ,का0 अजय कुमार भारती द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों में विनय शुक्ला उर्फ डब्लू पुत्र राम गोपाल शुक्ला निवासी बिगहियां थाना हण्डिया जनपद प्रयागराज उम्र 20 वर्ष ,अंशुमान सिंह उर्फ सौरभ सिंह पुत्र इन्द्रेश कुमार सिंह निवासी घपटहियां थाना हण्डिया जनपद प्रयागराज उम्र 19 वर्ष ,हरिकेश निषाद पुत्र स्वo राज कपूर निषाद निवासी भस्मा थाना बेलीपार जनपद गोरखपुर उम्र 24 वर्ष एवं वीरु कुमार पुत्र स्वo भोला निवासी भस्मा थाना बेलीपार जनपद गोरखपुर उम्र 25 वर्ष शामिल हैं। इन अभियुक्तों के पास से चार अदद एटीएम कार्ड व धोखाधड़ी के 2050 रुपये  तथा अभियुक्त विनय शुक्ला के कब्जे से एक अदद नाजायज देशी तमंचा,एक मोटरसाइकिल व एक अदद जिंदा कारतूस बरामद हुआ है,चारों अभियुक्तों के ऊपर विधिक कार्यवाही करते हुए जेल भेज दिया गया।

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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

दिल्ली चुनाव परिणाम में आम आदमी पार्टी को शुरुआती रुझान में बहुमत

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना जारी है. शुरुआती रुझानों में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलता हुई दिख रहा है. आम आदमी पार्टी 54  सीटों पर आगे बनी हुई है, जबकि भाजपा 14 सीटों पर आगे है. वहीं कांग्रेस अपना खाता खोलते हुए नही दिख रही है. चुनाव परिणाम दोपहर तक आने की संभावना है. दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं. इस चुनाव में कुल 672 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनके भाग्य का फैसला आज सामने आ जाएगा. चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच हुआ है. मतदान पश्चात आए सभी एक्जिट पोल में आम आदमी पार्टी (आप) को दोबारा दिल्ली की सत्ता मिलने की संभावना जताई गई है.

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सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

सांप और चमगादड़ से नही इस खतरनाक जीव से फैला कोरोना वायरस

नई दिल्ली -©दैनिक जागरण

चीन से फैले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दस्तक दे दी है। इस वायरस ने चीन को तो लगभग तोड़कर रख दिया है। लोगों की जान के साथ-साथ इससे आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। चीनी सरकार इस पर रोक के लिए तमाम प्रयास कर रही है मगर अब तक कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।

फिलहाल वायरस से प्रभावित लोगों के इलाज के लिए सरकार ने दो नए अस्पताल बनवा दिए हैं, वहां मरीजों की लाइन लग गई है। ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस से मरीज सिर्फ मर ही रहे हैं, लोग ठीक होकर अपने घरों को भी जा रहे हैं। अब तक दो हजार से अधिक लोग ठीक होकर अपने घरों को जा चुके हैं। जानते हैं कि कोरोना वायरस के फैलने और उसके पीछे कौन-कौन से कारण जिम्मेदार बताए जा रहे हैं।

..तो पैंगोलिन से फैला कोरोना वायरस

कोरोना वायरस चीन के बाद लगभग पूरी दुनिया को अपने कब्जे में लेने को आतुर है। इंसानी जान का दुश्मन कोरोना अब तक आठ सौ से अधिक लोगों की जान लील चुका है और तीस हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। चीनी शोधकर्ताओं ने कोरोना के लिए पैंगोलिन को जिम्मेदार ठहराया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना से पीड़ित मरीज और पैंगोलिन में मौजूद इस वायरस का आनुवांशिक अनुक्रम 99 फीसद समान है। हालांकि अभी तक यह शोध प्रकाशित नहीं हुआ है।

चमगादड़ और मनुष्य के बीच की कड़ी

चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप की जांच में जुटे शोधकर्ताओं का कहना है कि लुप्तप्राय पैंगोलिन चमगादड़ों और मनुष्यों के बीच की गायब कड़ी हो सकते हैं। चमगादड़ों को इस बीमारी का नवीनतम वाहक माना गया है। आनुवांशिक विश्लेषण के मुताबिक, मनुष्यों में फैला वायरस 96 फीसद चमगादड़ों के समान था। फ्रांस के पाश्चर इंस्टीट्यूट के अरनोड फांटेनेट के अनुसार, यह बीमारी चमगादड़ों से सीधे मनुष्य तक नहीं पहुंचती है बल्कि हमें लगता है कि कोई अन्य जानवर इसका मध्यस्थ है।

चीनी चिकित्सा पद्धति में होता है इसका प्रयोग

पैंगोलिन स्तनधारी प्राणी है, जिसके शरीर पर शल्क (स्केल) जैसी संरचना होती है। इसी के जरिए यह अन्य प्राणियों से खुद की रक्षा कर पाता है। फिलहाल ऐसे शल्क दुनिया में सिर्फ इसी के पास होते हैं। चींटी और दीमक खाने के कारण इसे चींटीखोर भी कहा जाता है। यह संरक्षित जानवर हैं। दुनिया में सर्वाधिक तस्करी इसी जीव की होती है। इसी कारण यह गंभीर संकट में हैं। इसका उपयोग पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति में किया जाता है। इसके कुछ हिस्सों का उपयोग त्वचा और गठिया के साथ कई अन्य रोगों में किया जाता है। चीन में पैंगोलिन बेचने वालों को 10 या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है।

संक्रमण के लिए पैंगोलिन जिम्मेदार

गुआंगझू स्थित दक्षिण चीन कृषि विश्वविद्यालय का कहना है कि उसके दो शोधकर्ताओं, शेन योंगी और जिओ लिहुआ, ने पैंगोलिन को जानवरों और मनुष्यों से लिए गए कोरोना वायरस की आनुवांशिक तुलना के आधार पर एनसीओवी-2019 के संभावित स्रोत के रूप में पहचाना है। पता चला है कि यह संक्रमण फैलाने और अन्य चीजों के लिए जिम्मेदार हैं। यह अनुक्रम 99 फीसद समान है।

जल्द प्रकाशित होगा शोध

चीनी शहर वुहान में दिसंबर में कोरोना वायरस का प्रकोप उभरा था। माना जा रहा था कि सीफूड और जंगली जानवरों के बाजार में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। यहीं पर संक्रमित होने वाले कई लोग काम करते थे। हालांकि पैंगोलिन बाजार में बेची जाने वाली चीजों में सूचीबद्ध नहीं था लेकिन इसकी अवैध बिक्री की जाती रही है।

पिछले महीने, बीजिंग में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि सांप कोरोना वायरस का स्रोत थे, लेकिन उस सिद्धांत को अन्य शोधकर्ताओं ने खारिज कर दिया। उधर, विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लियू याहॉन्ग ने बताया कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के प्रयासों में मदद के लिए शोध के परिणाम जल्द ही प्रकाशित किए जाएंगे।

शोध से मिलेगी मदद

शोध में आनुवंशिक अनुक्रम की समानता पर और बातें सामने आ सकती हैं। कनाडा के हैमिल्टन में मैकमास्टर विश्वविद्यालय के कोरोना वायरस शोधकर्ता अरिंजय बनर्जी का कहना है कि पैंगोलिन के रक्त नमूने से यह पता चल सकता है कि यह मनुष्यों तक कैसे पहुंचा और भविष्य में इसके प्रसारण को कैसे रोका जा सकता है।

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इस देश मे जातिवाद और भेदभाव के चलते महिलाओं को छाती ढकने पर लगा था टैक्स

विश्वपति वर्मा-

यह कोई मनगढ़ंत कहानी नही बल्कि इसी भारत के एक भूभाग की सच्ची घटना है जब महिलाओं को छाती ढकने पर निरंकुश राजा ने रोक लगा दी थी यहां तक कि जो महिलाएं अपने स्तन को ढकना चाहती थीं उन्हें टैक्स देना पड़ता था ।

यह कहानी दक्षिणी भारत केरल के त्रावणकोर की है जहां पर  निचली जाति की महिलाओं के सामने अगर कोई अफसर आ जाता था तो उसे छाती से अपने वस्त्र हटाने होते थे या छाती ढकने के एवज में टैक्स देना होता था. किसी भी सार्वजनिक जगह पर उन्हें इस नियम का पालन करना होता था. इस टैक्स को बहुत सख्ती के साथ लागू किया गया था.

वहां के क्रूर राजा द्वारा केरल में निचली जाति की महिलाओं के लिए कड़े नियम बनाए गए थे. महिला अगर अपनी छाती को ढंकती थीं तो उनके स्तन के आकार पर टैक्स भरना होता था. ये टैक्स त्रावणकोर के राजा के दिमाग की उपज थी. जिसे उसने अपने सलाहकारों के कहने पर सख्ती के साथ लागू किया था.

जब नांगेली नाम की महिला ने विरोध किया तो ये हश्र हुआ

वैसे तो इतिहास के पन्नों को पढ़ें तो इस राजा का महिलाओं के प्रति बड़ी क्रूरता देखी जाती है जहां पर टैक्स नहीं देने और आदेश को नहीं मानने वाली महिलाओं को सजा भी दी जाती थी. नांगेली नाम की एक निचली जाति की महिला ने इस अमानवीय टैक्स का विरोध किया तो जुर्म में उसके स्तन काट दिए गए जिससे उसकी मौत हो गई थी।

नांगेली की मौत के बाद निचली जाति के लोगों में काफी उबाल हुआ ,गुस्सा हर दबे कुचले लोगों ने जाहिर किया जिसका परिणाम निचली जाति के लोगों को एक कर दिया. वो लगातार इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. इसमें बहुत सी महिलाएं ईसाई भी थीं, उन्होंने अंग्रेजों और मिशनरियों में जाकर इस बेतुके कानून के बारे में बताया. अंग्रेजों के दबाव में त्रावणकोर को इसे बंद करना पड़ा.

तब जातियों को पहनावे का कोड मानना पड़ता था

केरल के इतिहास के पन्नों में छिपी ये कहानी करीब डेढ़ सौ साल पुरानी है. जाने-माने लेखक दीवान जर्मनी दास ने अपनी किताब महारानी में जिक्र किया है कि त्रावणकोर का शासन केरल के एक भूभाग पर फैला हुआ था. ये वो समय था जब पहनावे के भी नियम बने हुए थे. किसी के पहनावे को देखकर उसकी जाति के बारे में मालूम हो जाता था.
आमतौर इसके दायरे में एजवा, शेनार या शनारस, नाडार, जैसी जातियों की महिलाएं शामिल थी. उन्हें छाती को पूरी तरह खुला रखना होता था. अगर कोई ऐसा नहीं करता था तो राज्य को टैक्स देना होता था.त्रावणकोर में ये कुप्रथा करीब 125 सालों तक चलती रही. बाद में अंग्रेज शासन ने इसे बंद कराया।

विरोध करने पर हमले भी हुए

इस अपमानजनक कानून के खिलाफ केरल से बहुत से लोग चाय बागानों में काम करने श्रीलंका चले गए. जब अंग्रेज आए तो इन जातियों के लोगों धर्म बदल लिया. यूरोपीय असर से उनमें जागरुकता बढ़ी और औरतों ने जब विरोध शुरू किया तो उन पर हमले होने लगे.

125 साल तक चलती रही ये कुप्रथा

ये भी कहा जाता है कि जब टैक्स का विरोध हुआ तो ये टैक्स लेना बंद कर दिया गया, लेकिन स्तन ढंकने पर रोक जारी रही. ये कुप्रथा करीब 125 साल तक चलती रही. यहां तक त्रावणकोर की रानी भी इस व्यवस्था को सही मानती थींं.
अंग्रेज़ गवर्नर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने जब 1859 में इसे खत्म करने का आदेश जरूर दिया, लेकिन इसके बाद भी ये जारी रहा. तब नाडार महिलाओं ने वस्त्रों की ऐसी शैली विकसित की जो कि उच्च वर्ग हिंदू महिलाओं की शैली जैसी ही थी. संघर्ष चलता रहा. आखिर 1865 के आदेश द्वारा सबको ऊपरी वस्त्र पहनने की आजादी मिली. दीवान जर्मनी दास ने भी अपनी किताब "महारानी" में भी इस कुप्रथा का जिक्र किया है ।

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रविवार, 9 फ़रवरी 2020

गुल्लक और तिजोरी में जमा कर रहे हैं 2000 का नोट तो यह खबर आपके लिए है

क्या सरकार धीरे-धीरे 2,000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करना चाहती है? रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी बैंक ने अपने कर्मचारियों को लिखित में आदेश जारी कर कहा है कि वे 2,000 रुपेय के नोट ग्राहकों को न दें। इसके अलावा एटीएम में भी इन्हें न डाला जाए। बैंक अधिकारियों को एटीएम में 500 के अलावा 200 और 100 रुपये के नोट डाले जाने का आदेश जारी किया गया है।

बिजनस इनसाइडर वेबसाइट की रिपोर्ट में बैंक के एक अधिकारी के हवाले से यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ईमेल के जरिए बैंककर्मियों को आदेश दिया गया है कि वे निकासी के लिए आने वाले ग्राहकों को 2,000 की बजाय दूसरे नोट दें। इसके अलावा एटीएम में भी इन्हें न भरा जाए। हालांकि ग्राहकों के लिए इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। बैंक की ओर से जारी आदेश में ग्राहकों से 2,000 के नोट को स्वीकार करने को कहा गया है।
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बैंक की ओर से भेजे गए ईमेल में यह भी कहा गया है कि जल्दी ही इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी किया जाएगा। रिपोर्ट में सूत्र का नाम उजागर न करते हुए यह भी दावा किया गया है कि आदेश के बाद सभी मैनेजरों से यह कहा गया कि अगली सुबह से लेनदेन में इसे लागू किया जाना चाहिए।

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धनी लोगों द्वारा खरीदे जाने वाला वस्तु बन चुका भारत मे शैक्षणिक डिग्रियां

केoसी श्रीवास्तव-

शिक्षा के बाजारीकरण होने के नाते ,शिक्षा ज्यादा से ज्यादा धनी लोगों द्वारा खरीदी जा सकने वाली और पूंजीपतियों द्वारा बेंची जाने वाली चीज बन गई है।

देखने को मिल रहा है कि आम घरों के लड़के छोटे शहरों-कस्बों के कालेजों से डिग्रियां हासिल करते हैं जो शिक्षा नौकरी दिलाने के दृष्टि से एकदम बेकार होती है ,और शिक्षा के गुणवक्ता के दृष्टि भी उनका कोई मोल नहीं होता

यही कारण है कि देश में 75000 युवा इंटर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद और लगभग 3000 युवा स्नातक, परास्नातक, एवं अन्य डिप्लोमा कोर्स करने के बाद सड़कों पर भीख मांगता नजर आ रहा है रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या लाखों में है ।

ऐसी ही स्थिति को पिछले कुछ महीनों से हम प्रदेश की राजधानी लखनऊ  में देख रहे हैं जंहा युवा वर्ग स्नातक, परास्नातक की डिग्रियां लेकर सड़कों पर रोजगार के लिए घूम रहा है ,क्या इस समस्या की पूरी जिम्मेदारी युवाओं पर ही मढ़ी जायेगी या फिर कोई जवाबदेही देने के लिए तैयार होगा

आखिर इस समस्या का जिम्मेदार कौन है?कौन इसे आंदोलन के रूप में ले जायेगा ?कैसे इन पूंजीवादी लुटेरों से देश के मध्यम वर्गीय युवाओं को हक अधिकार की वास्तविक स्वरूप प्रदान होगा?

विचार आपको करना है कि आप इन विसंगतियों से मुकाबला करोगे या फिर शोषणों और शासकों के सामने सिर झुकाये खड़े रहोगे । क्योंकि आज भारत के हर राज्यों और जिलों में डिग्रियां बेची जा रही हैं जिसका परिणाम है कि पैसे के दम पर अनपढ़ लोग भी मास्टर ,डाक्टर ,इंजीनियरबन जा रहे हैं।


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शाहीनबाग धरने में 4 माह के बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया

सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में 30 जनवरी को एक बच्चे की मौत के मद्देनजर प्रदर्शनों और धरनों में बच्चों और शिशुओ को लाने करने से रोकने को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है.सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे की अध्यक्षता में 10 फरवरी को सुनवाई होगी.बता दें कि 30 जनवरी को शाहीन बाग से लौटने के बाद चार महीने के एक बच्चे की मौत हो गई थी. बच्चे के परिजन उसे शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन में ले गए थे.इस पर मुंबई की 12 साल की जेन गुनरत्न सदावर्तेने भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बच्चों के प्रदर्शनों में हिस्सा लेने को क्रूरता के समान बताते हुए इस पर रोक लगाने का निर्देश देने की अपील की थी

इस पत्र में चार महीने के बच्चे की मौत के मामले की छानबीन करने करने को कहा गया क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण ज्ञात नहीं है.सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली सदावरते ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘चार महीने के बच्चे के जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया गया है. उसे सर्दी और बुखार हुआ था. उसकी मां रोजाना शाहीन बाग प्रदर्शन में जाती थी और बच्चे की जान चली गई. प्रदर्शन के दौरान बच्चों को ले जाया जा रहा है और बच्चों का जीवन खतरे में पड़ रहा है. प्रदर्शन के दौरान उन्हें खतरा है और उन्हें उनके जीने के अधिकार के साथ-साथ बच्चों के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है. बच्चों को ऐसी जगह पर जाने से रोकने की जरूरत है. भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में गाइडलाइन बनाए.’इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए पत्र को याचिका मानकर बच्चे की मौत के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है. अब शाहीन बाग में सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिका के साथ इस मामले पर भी सोमवार को सुनवाई
होगी.याचिकाकर्ता सदावर्ते को राष्ट्रपति से इस साल बहादुरी का पुरस्कार मिला था. सदावरते ने 2018 में मुंबई में क्रिस्टल टावर अग्निकांड में अपने परिजनों समेत 17 लोगों की जान बचाई थी.

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शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

दिल्ली चुनाव के एक्जिट पोल में "आप" को 61 सीट के साथ सत्ता में वापसी के संकेत

दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए मतदान समाप्त होने के साथ ही एग्जिट पोल के आंकड़े भी आने शुरू हो गए हैं।
 एनडीटीवी एग्जिट पोल के अनुसार आम आदमी पार्टी को 52 सीटों पर जीत मिल सकती है, तो वहीं बीजेपी के खाते में 17 सीटें आने की संभावना है. इसके अलावा कांग्रेस की झोली में भी 2 सीटें मिल सकती हैं.

 टाइम्‍स नाउ के एग्जिट पोल के अनुसार दिल्‍ली की 70 सीटों में से आम आदमी पार्टी को 44 सीटें मिल सकती हैं जबकि बीजेपी को 26 सीटें मिलने का अनुमान है.

वहीं टीवी 9 भारतवर्ष-सिसेरो के एग्जिट पोल के अनुसार आम आदमी पार्टी 54 सीटें जीत सकती है जबकि बीजेपी को 15 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है.

इसके अलावा बात करें सुदर्शन न्‍यूज के एग्जिट पोल की, तो आपको बता दें कि सुदर्शन न्यूज के एग्जिट पोल के अनुसार आम आदमी पार्टी 40-45 सीटें जीत सकती है और इस तरह सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है. वहीं बीजेपी 24-28 सीटें जीत सकती है. रिपब्लिक टीवी के एग्जिट पोल की बात करें तो आम आदमी पार्टी के खाते में 48-61 सीटें जा सकती हैं वहीं बीजेपी के खाते में 9-21 सीटें जाने की संभावना है.

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दिल्ली में 70 सीटों के लिए मतदान शुरू ,सुरक्षा के कड़े इंतजाम।

दिल्ली में शनिवार को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग शुरू हो गई है. इस चुनाव के जरिए जहां आम आदमी पार्टी को दोबारा सत्ता में आने की उम्मीद है वहीं बीजेपी  दिल्ली सरकार के सिंहासन पर काबिज होने की आशा लगाए है. मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे प्रमुख राज्यों को खो चुकी भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली को हासिल करने के लिए इस बार काफी जोर लगाया है. कांग्रेस भी इस बार दिल्ली में सफलता पाने की उम्मीद लगाए है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन तीनों दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. दिल्ली में शनिवार को सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ जो कि शाम छह बजे समाप्त होगा. दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं. इस चुनाव में 672 उम्मीदवार मैदान में हैं. दिल्ली के करीब 1.47 करोड़ मतदाता आज तय करेंगे कि दिल्ली पर किसका राज होगा. चुनाव के नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.

पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 और बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं. दिल्ली के शाहीनबाग और जामिया में सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ चल रहे आंदोलनों के दौर में यह चुनाव कहीं ज्यादा अहम हो गया है. चुनाव प्रचार में भी यह मुद्दे छाए रहे हैं.  
    
दिल्ली का यह विधानसभा चुनाव काफी कशमकश भरा है. बीजेपी इस चुनाव के जरिए पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में मिली हार की कुछ हद तक भरपाई करना चाहती है. पूर्व में लंबे अरसे तक दिल्ली के सिंहासन पर काबिज रही कांग्रेस भी सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए है. सत्ताधारी दिल्ली आम आदमी पार्टी ने विकास के नाम पर वोट मांगे हैं और उसे आशा है कि दिल्ली वासी उसे दूसरी बार भी चुनेंगे.

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 672 उम्मीदवार मैदान में हैं. दिल्ली में 1,47,86,382 मतदाता हैं जिनमें से 2,32,815 मतदाता 18 से 19 साल आयुवर्ग के हैं. दिल्ली में पुरुष मतदाताओं की तादाद 80,55,686 है, जबकि 66,35,635 महिला मतदाता हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 815 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं, जबकि एनआरआई मतदाताओं की संख्या 489 है. दिल्ली में सर्विस वोटरों की कुल संख्या 11,556 है, जिनमें से 9,820 पुरुष मतदाता हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में 55,823 मतदाता दिव्यांग श्रेणी के हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 2,689 स्थानों पर कुल 13,750 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं.

चुनाव आयोग ने शनिवार को होने वाले 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election) के मतदान के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं. शाहीन बाग समेत अन्य संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. शाहीन बाग में चल रहे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने पांच मतदान केंद्रों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा है. क्षेत्र पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है. संवेदनशील मतदान केंद्रों में 516 जगहों पर 3704 बूथ इस श्रेणी में हैं.

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शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

विश्व हिंदू महासभा प्रदेश अध्यक्ष की हत्या का हुआ खुलासा ,दूसरी पत्नी स्मृति ने इस वजह से रची साजिस

उत्तर प्रदेश की राजधानी के हजरतगंज इलाके में विश्व हिंदू महासभा  के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष रणजीत श्रीवास्तव बच्चन  की हत्या के मामले में पुलिस ने गुरुवार को उनकी पत्नी स्मृति वर्मा, उसके प्रेमी व मुख्य आरोपी दीपेंद्र तथा उसके कार चालक संजीत को गिरफ्तार कर वारदात का खुलासा किया. पुलिस आयुक्त सुजीत कुमार पांडेय ने पत्रकारों को बताया कि रणजीत को दीपेंद्र के चचेरे भाई जितेंद्र ने गोली मारी थी, जो फरार है. आरोपी की तलाश में पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं. जितेंद्र पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. स्मृति जवाहर भवन के कोषागार में कनिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत है.

उन्होंने बताया कि स्मृति के प्रेमी देवेंद्र ने रणजीत बच्चन की हत्या के लिए उसे उकसाया था. स्मृति की गिरफ्तारी लखनऊ के विकास नगर स्थित उसके आवास से हुई है. पुलिस आयुक्त ने बताया कि रणजीत की दूसरी बीवी स्मृति का प्रेमी दीपेंद्र ही रणजीत का कातिल है. इस वारदात में स्मृति भी शामिल है, क्योंकि वह रणजीत से छुटकारा पाकर दीपेंद्र के साथ रहना चाहती थी. इससे पहले, रणजीत के ससुराल वालों ने बताया था कि उनके दामाद एक ही घर में पत्नी और प्रेमिका दोनों को रखे हुए थे. अवैध संबंधों को लेकर पति-पत्नी में अनबन भी हुई थी. रणजीत पहली पत्नी को भी धमकाते रहते थे, जिससे परेशान होकर पत्नी ने महिला थाने में शिकायत भी की थी.

घटना के दौरान घायल रिश्तेदार आदित्य के मुताबिक, रणजीत घटना से एक दिन पहले अपने एक परिचित अभिषेक पटेल और उसकी पत्नी ज्योति पटेल के साथ गोरखपुर से चले थे. रणजीत ने फरवरी, 2015 में खुद को अविवाहित बताकर आर्य समाज मंदिर में विकासनगर सेक्टर-2 निवासी स्मृति से शादी की थी. कुछ माह बाद स्मृति को पता चला कि रणजीत शादीशुदा हैं और कालिंदी उनकी पहली पत्नी हैं. इसके बाद दोनों में अनबन शुरू हो गई थी. हालांकि, इस दौरान स्मृति गर्भवती हो चुकी थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि बच्चे का स्मृति ने गोदनामा बनवा रखा है.

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गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही है आम आदमी पार्टी, देखें किसको मिल रही कितनी सीटें

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आठ फरवरी को होने वाले मतदान की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. आज शाम पांच बजे से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान भी थम जाएगा. विधानसभा चुनाव में अपना परचम लहराने की कोशिश में सभी राजनीतिक दल कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस समेत विभिन्न दलों ने चुनाव के आखिरी दौर में पूरी ताकत झोंक दी है. आखिर में दिल्ली की जनता किसे जीत का ताज पहनाएगी यह तो 11 फरवरी को नतीजों के बाद ही तय होगा. लेकिन उससे पहले एबीपी न्यूज़-सी वोटर ओपिनियन पोल का रिपोर्ट सामने आया है।

ओपिनियन पोल के मुताबिक, दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को कम से कम 42 और अधिक से अधिक 56 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी को कम से कम 10 और अधिक से अधिक 24 सीटें मिल सकती हैं. वहीं कांग्रेस को 0 से लेकर 4 सीट पर संतोष करना पड़ सकता है.

किसे मिलेंगी कितनी सीटें?

AAP- 42 से 56
बीजेपी- 10 से 24
कांग्रेस- 0 से 4

किसे कितने प्रतिशत वोट?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट शेयर की बात करें तो ABP News- C Voter Opinion Poll के मुताबिक, आम आदमी पार्टी को 45.6 %, बीजेपी को 37.1 %, कांग्रेस को 4.4 % तो वहीं अन्य के खाते में 12.9% वोट जा सकते हैं.

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