शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

प्रशासन ने कन्हैया के पद यात्रा को रोककर सभी को हिरासत में लिया ,लेकिन सीएम ने दिया इजाजत

बिहार की राजनीति में गुरुवार को जो कुछ हुआ वो सरकर और राजनीति के लिए काफ़ी अहम है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अनोखा फैसला करते हुए पश्चिम चम्पारण के भितिहरवा कन्हैया कुमार और कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान की 'संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ यात्रा' को निकालने की इजाजत दी और साथ ही सभा भी करने दिया. इसके पहले जिला प्रशासन ने इस यात्रा को रुकवाकर सभी को हिरासत में ले लिया था और इसके बाद वहां काफी ड्रामा हुआ. पश्चिम चंपारण के जिलाधिकारी ने एक दिन पहले ही इस यात्रा की अनुमति दी थी. लेकिन बाद में प्रशासन ने अपने ही फैसले को पलटते हुए सभी को आदेश दिया कि जहां जगह से यात्रा शुरू होनी है वहीं से जिले से बाहर चले जाएं. कन्हैया कुमार और शकील अहमद सहित सभी लोग गांधी आश्रम में धरने पर बैठ गये और उनका आरोप था कि स्थानीय सांसद और बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल के इशारे पर हो रहा है. लेकिन गुरुवार को जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस पूरे घटनाक्रम की ख़बर मिली, उन्होंने अधिकारियों को जमकर डांटा और साफ़ साफ़ कहा कि विरोध और आंदोलन करने का सबको अधिकार है. प्रशासन का काम है कि वो सभी की सुरक्षा सुनिश्चहित करें.

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गुरुवार, 30 जनवरी 2020

डॉक्टर कफील खान को यूपी STF ने मुंबई से किया गिरफ्तार, AMU में भड़काऊ भाषण देने का आरोप

©NDTV
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UPSTF) ने गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान  को मुंबई से गिरफ्तार किया है. कफील खान पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. उन्होंने पिछले साल 12 दिसंबर को AMU में यह भाषण दिया था. 13 दिसंबर को उनके खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 153-A के तहत केस दर्ज किया गया. जिसके बाद STF ने बुधवार को उन्हें मुंबई से गिरफ्तार कर लिया.

मिली जानकारी के अनुसार, डॉक्टर कफील खान के खिलाफ दर्ज की गई FIR में इस बात का जिक्र किया गया है कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में करीब 600 छात्रों को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने CAA को लेकर भड़काऊ भाषण दिया. कफील खान गुरुवार को मुंबई स्थित 'मुंबई बाग' में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए वहां गए थे. 'मुंबई बाग' में CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. कफील खान को आज (गुरुवार) 11 बजे प्रदर्शन स्थल पर जाना था लेकिन इससे पहले ही UPSTF ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जानकारी के अनुसार, STF की टीम उन्हें लखनऊ लेकर आ चुकी है.

बताया जा रहा है कि AMU में भाषण देते हुए उन्होंने बगैर नाम लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए भड़काऊ बातें बोली थीं. FIR में कहा गया है कि कफील खान ने शांतिपूर्ण माहौल को भंग करने की कोशिश की. फिलहाल उत्तर प्रदेश लाए जाने के बाद STF उनसे पूछताछ करेगी. गौरतलब है कि डॉक्टर कफील खान को साल 2017 में गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में बच्चों की मौत पर लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया था. कफील खान को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था, हालांकि जांच में वह निर्दोष पाए गए थे.

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बुधवार, 29 जनवरी 2020

पीएम किसान सम्मान योजना की हकीकत ,75 फीसदी किसानों को नही मिला तीनों किस्तों का लाभ

©द वायर

पीएम किसान योजना के तहत किसानों को एक साल में 2000 रुपये की तीन किस्त के जरिए कुल 6000 रुपये देने थे. लेकिन आलम ये है कि इस योजना के लागू होने के पहले साल (1 दिसंबर 2018 से 30 नवंबर 2019 तक में ) के दौरान मोदी सरकार 41 फीसदी ही आवंटन खर्च कर पाई है और सिर्फ करीब 25 फीसदी किसानों को ही तीनों किस्त मिली है.

द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी और केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के आधार पर ये निष्कर्ष निकला है.आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि पीएम किसान योजना के लागू होने की गति साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से काफी धीमी हो गई है.


इस योजना के तहत पंजीकृत नौ करोड़ किसानों में से आधे से अधिक लोगों का पंजीकरण पहले फेज में हुआ था, जो कि लोकसभा चुनाव से पहले समाप्त हो गया था. इसके बाद से पंजीकरण की गति में गिरावट आई है.75 फीसदी किसानों को नहीं मिला तीनों किस्त दिसंबर 2018 से लेकर दिसंबर 2019 के बीच सिर्फ 3.85 करोड़ किसानों को 2000 रुपये की तीनों किस्त मिली है. जब पीएम किसान योजना को लॉन्च किया गया था तो उस समय सरकार ने अनुमान लगाया था कि करीब 14.5 करोड़ किसान इसके लाभार्थी होंगे और इन्हें तीन किस्त में 6,000 रुपये दिए जाएंगे.

हालांकि आरटीआई के तहत प्राप्त नवंबर 2019 तक के आंकड़ों से ये हकीकत सामने आती है कि योजना लागू होने के पहले साल के दौरान सिर्फ 26.6 फीसदी किसानों को ही तीनों किस्त मिली है. योजना का तीसरी फेज नवंबर 2019 में समाप्त हुआ था.इसकी वजह खराब नौकरशाही या किसानों की ओर से उपयुक्त दस्तावेजों की कमी सहित विभिन्न कारण हो सकते हैं.आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के 44 फीसदी किसानों को एक साल में इस योजना के तहत दो किस्त यानी कि 4,000 रुपये और 52 फीसदी किसानों को दिसंबर 2018 और दिसंबर 2019 के बीच केवल एक किस्त यानी कि 2,000 रुपये मिले हैं.वहीं करीब 48 फीसदी किसानों को पीएम किसान योजना के पहले साल में एक भी किस्त नहीं मिली है.मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 7.6 करोड़ किसानों को एक साल की अवधि में 2,000 रुपये की एक किस्त मिली. जैसा कि सरकार ने अनुमान लगाया था कि 14.5 करोड़ किसान इस योजना के तहत लाभान्वित होंगे, इसका मतलब है कि 6.8 करोड़ किसानों को इसके लागू होने के पहले वर्ष में पीएम किसान योजना के तहत एक भी किस्त नहीं मिली है.यदि सभी 14.5 करोड़ किसानों को पहले वर्ष में पीएम किसान का पूरा लाभ मिला होता, जैसा कि सरकार ने परिकल्पना की थी, तो योजना पर 87,000 करोड़ रुपये खर्च होते. लेकिन वास्तविक खर्च केवल 41 फीसदी रहा है, जो कि नवंबर 2019 के अंत तक 36,000 करोड़ रुपये था.चुनाव के बाद योजना लागू होने की गति धीमी हुईलोकसभा चुनाव में मतदान शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 फरवरी, 2019 को पीएम किसान योजना की शुरुआत की गई थी.यह सुनिश्चित करने के लिए कि मतदान शुरु होने से पहले भुगतान की पहली किस्त किसानों तक पहुंचे, इस योजना को इसी उद्देश्य के साथ लागू किया गया और पहली किस्त दिसंबर 2018 से मार्च 2019 के बीच किसानों के खाते में भेजी गई.इसका मतलब यह है कि योजना का पहला फेज लागू करने के लिए सरकार के पास सिर्फ पांच हफ्ते ही थे. लेकिन विडंबना यह है कि इसी अवधि में अधिकांश किसान पीएम किसान योजना के तहत पंजीकृत किए गए थे.आलम ये है कि चुनाव के बाद के आठ महीनों में जितने किसान पंजीकृत नहीं किए गए उससे कहीं ज्यादा किसान लोकसभा चुनावों से पहले के पांच सप्ताह में पंजीकृत किए गए थे.लोकसभा चुनावों को देखते हुए कृषि मंत्रालय ने इस तेजी से काम किया था कि योजना की परिकल्पना करने और इसके लिए नियम बनाने के साथ-साथ 24 फरवरी से 31 मार्च 2019 के बीच 4.74 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना के तहत जोड़ लिया था.हालांकि चुनाव के बाद इस गति में काफी धीमापन आ गया. पहले फेज के पांच हफ्तों के मुकाबले योजना के दूसरे फेज के दौरान सरकार के पास चार महीने थे. लेकिन इस दौरान सिर्फ 3.08 करोड़ किसान जोड़े गए. वहीं तीसरे फेज में 1.19 करोड़ किसान ही पंजीकृत किए जा सके, जो कि पहले फेज के 4.74 करोड़ किसानों के मुकाबले इसका सिर्फ एक चौथाई है.इस तरह चुनाव के बाद के आठ महीनों में जितने किसान पंजीकृत नहीं किए गए उससे कहीं ज्यादा किसान लोकसभा चुनावों से पहले के पांच सप्ताह में पंजीकृत किए गए थे.सरकार ने दावा किया है कि योजना के लागू होने की धीमी गति का एक कारण आधार सत्यापन की बोझिल और अक्सर त्रुटि-रहित प्रक्रिया है, जिसे चुनाव के बाद योजना के दूसरे फेज की शुरुआत में अनिवार्य कर दिया गया था. आधार लिंकिंग को चुनाव से पहले वैकल्पिक रखा गया था.हालांकि बाद में अक्टूबर महीने में इन शर्तों को हल्का कर दिया गया और लागू करने की तीसरी अवधि के लिए आधार लिंकिंग की आवश्यकता नहीं होने की बात कही गई.लेकिन इसके बावजूद तीसरी अवधि में किसानों का पंजीकरण नहीं बढ़ा और अंत में तीसरी अवधि में केवल 1.19 करोड़ पंजीकृत हुए, जो कि पहले फेज के पांच हफ्तों में जोड़े गए किसानों के मुकाबले केवल एक चौथाई है.कृषि मंत्रालय द्वारा धीमी प्रगति के लिए एक और कारण यह दिया गया है कि हो सकता है कि सरकार ने शुरुआत में देश में किसानों की संख्या का अधिक अनुमान लगा लिया हो. जनगणना के आंकड़ों और कृषि मंत्रालय की ‘किसान’ की परिभाषा के आधार पर द वायर के पहले के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में किसानों की संख्या सरकार के अनुमान के मुकाबले ज्यादा हो सकती है.धीमी प्रगति के लिए कुछ राज्य सरकारें भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने केंद्र को आवश्यक आंकड़ा मुहैया कराने में बहुत खराब रवैया अपनाया है. उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल ने आज तक एक भी किसान का विवरण नहीं दिया है क्योंकि उन्होंने केंद्र की योजना में भाग लेने से इनकार कर दिया था.इसलिए भले ही सरकार के अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल में 68 लाख किसान हों, लेकिन राज्य से अभी तक एक भी किसान को पीएम किसान योजना का लाभ नहीं मिला है. जब तक राज्य सरकारें आंकड़ें मुहैया नहीं कराएंगे तब तक केंद्र पैसे नहीं भेज सकता है.भाजपा शासित राज्य भी इसके लिए दोषी हैं. किसान पंजीकरण में पांच करोड़ की कमी में से लगभग 2.5 करोड़ किसान कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र राज्यों के हैं. अकेला बिहार ही किसान पंजीकर में 1.13 करोड़ की कमी के लिए जिम्मेदार है. राज्य में अनुमानित 1.5 करोड़ किसानों में से केवल 44 लाख पंजीकृत हैं.

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मंगलवार, 28 जनवरी 2020

दिल्ली में कोरोना वायरस के 3 संदिग्ध मामले सामने आए, चीन में106 की मौत


दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोरोना वायरस के 3 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. तीनों को एक विशेष वार्ड में रखा गया है. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इस बात की जानकारी अस्पताल की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर मीनाक्षी भरद्वाज ने दी है. गौरतलब है कि  मुंबई सहित देश के कई एयरपोर्ट में कोरोना वायरस से बचाव के लिए निगरानी बरती जा रही है.वहीं बिहार के छपरा में चीन से वापस लौटी एक लड़की को आईसीयू में भर्ती कराया गया है.

 न्यूज एजेंसी ANI से पटना मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट विमल कारक ने सोमवार बताया था कि कुछ लक्षणों को देखते हुए उसे छपरा में ही भर्ती कराया गया था और अब उसे पटना लाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जब वह लड़की पटना मेडिकल कॉलेज में आ जाएगी तो उसके ब्लड जांच के लिए पुणे भेजा जाएगा. साथ ही आश्वासन दिया कि इस वायरस से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नेपाल में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है. इसको देखते हुए पश्चिम बंगाल में नेपाल की सीमा पर निगरानी कड़ी कर दी गई है. दूसरी ओर एयरपोर्ट स्वास्थ्य संस्था की ओर से कहा गया है कि बेंगलुरु एयरपोर्ट पर अभी तक एक भी केस कोरोना वायरस का नहीं पाया गया है. चीन से आने वाले अब तक 392 यात्रियों का परीक्षण किया गया है.


बता दें कि इस वायरस से चीन में अब तक106 लोगों की मौत हो चुकी है।

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सोमवार, 27 जनवरी 2020

बस्ती/इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे सोनहा थाने के नायब दारोगा को अंगवस्त्र भेंट कर किया गया सम्मानित

केसी श्रीवास्तव -

इसी महीने सेवानिवृत्त होने जा रहे नायब दारोगा अमरीश कुमार के लिए विदाई समारोह का आयोजन अमरौली शुमाली के रामनगर चौराहे पर किया गया, दारोगा अमरीश कुमार 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।विदाई कार्यक्रम अमरौली शुमाली के प्रधान विजय प्रकाश वर्मा द्वारा आयोजित किया गया, विदाई समारोह में सरदार पटेल बाबूराम वर्मा लघु माध्यमिक विद्यालय के प्रबंधक नागेंद्र पटेल द्वारा  दारोगा जी को अंग वस्त्र देकर किया सम्मानित किया गया।

प्रधान विजय प्रकाश वर्मा ने भी डायरी और पुस्तक भेंट किया ,क्षेत्र के सैकड़ो की संख्या में लोगों ने नायब दारोगा के कार्यों  की प्रशंसा करते हुए कहा कि पहली बार हमारे क्षेत्र में पुलिस के लोगों का इस तरह से सम्मान दिया गया है ,लोगों का कहना है कि इस सम्मान का अधिकार दारोगा जी को है क्योंकि उन्होंने क्षेत्र में रहते हुए अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों का निर्वहन बेहद लोकप्रिय तरीके से किया है ।

सम्मान समारोह में अमरीश कुमार के साथ सब इंस्पेक्टर विनय प्रताप सिंह, हेड कांस्टेबल, सुभाष, महिला कांस्टेबल पूजा सिंह, चन्द्रशेखर यादव ,संजय कुमार और शशांक यादव भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर स्कूल के अध्यापक गण रामसागर वर्मा, कालीदीन यादव ,रामचरित्र वरुण ,प्रदीप वर्मा ,अंजली वर्मा , रामललित यादव सहित क्षेत्र के राजमंगल वर्मा, महेंद्र चौधरी ,रवि चौधरी, सोनू वर्मा,ज्योतिप्रकाश वर्मा ,रामचन्द्र यादव ,आरसी यादव, उमेश चौधरी ,अंगनूराम मौर्य, प्रदीप चन्द्र वर्मा ,रामसागर यादव, सिवदाहे, प्रेमचन्द्र वरुण ,हरिराम ,रामजन्म चौधरी ,राजेन्द्र प्रसाद, जमुना यादव, मुनिराम यादव ,महंत यादव ,राधेश्याम यादव ,संजय सहित स्कूल के छात्र- छात्राएं मौजूद रहे

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विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने बस्ती महोत्सव का किया बहिष्कार, प्रशासन पर अवैध वसूली का लगाया आरोप

 विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है महोत्सव में अवैध वसूली को लेकर भी खुलकर सामने आए हैं।
जिसमें विधायक द्वारा बताया गया है बस्ती महोत्सव में कम से कम चार से पांच करोड़ रुपए के अवैध वसूली की गई है जिससे यहां की जनता परेशान और निराश है।

विधायक ने बताया कि जनपद के महोत्सव समिति के गठन में किसी भी जनप्रतिनिधि को नही रखा गया है। जन प्रतिनिधियों को आयोजन समिति में न रखने के पीछे जिला प्रशासन की मंसा दूषित लगती है। यदि जन प्रतिनिधि बस्ती महोत्सव के आयोजन समिति में होते तो जिला प्रशासन मनमानी तरीके से चन्दे के नाम पर कर्मचारियों, व्यापारियों तथा विभिन्न विभागो के लाइसेन्सियों से जिस तरह से चन्दो के नाम पर शोषण हो रहा है शायद न होता। 
क्या शासन द्वारा बस्ती महोत्सव के आयोजन हेतु अलग से कोई बजट निर्धारित किया गया है। यदि नही तो दिनांक 28 जनवरी 2020 से 1 फरवरी 2020 तक महोत्सव मेें होने वाले व्यय का भार कौन निर्वहन कर रहा है?
जहा तक मुझे जानकारी दी गयी उस हिसाब से विभिन्न विभागो से निम्न प्रकार की वसूली करायी जा रही है।
1. जनपद के सरकारी शराब की दुकानो से 25 से 30 लाख रूपये।
2. जनपद के सभी 1365 कोटेदारो से लगभग 1000 से 1500 रूपये।
3. सभी ब्लाको के एसएमआई से लगभग 20 हजार रूपये प्रति गोदाम।
4. जनपद के सभी पेट्रोल पम्पो से लगभग 10 हजार रूपये।
5. जनपद के सभी ड्रग्स लाइसेन्सी (मेडिकल स्टोरो) से लगभग 1000 रूपये।
6. सभी नगर पंचायतो से एक लाख रूपये।
7. सभी भट्ठा व्यवसाइयों से लगभग 10 से 15 हजार रूपये।
8. जनपद के सभी नर्सिंग होमो से लगभग 25 से 30 हजार रूपये।
9. जनपद के सभी सीएचसी सेन्टरो से लगभग 20 हजार रूपये।
10. बैंको से तीन लाख रूपये।
11. राईश मिल एसोसिएशन से लगभग 15 लाख रूपये।
12. जनपद के 1249 के अधिकांश ग्राम पंचायतो से लगभग 5 हजार रूपये प्रति ग्राम पंचायत की वसूली की शिकायते निरन्तर प्राप्त हो रही है।
इसी प्रकार जनपद के सभी विभागो के कर्मचारियों इंसपेक्टर राज के अन्तर्गत आने वाले सभी व्यवसाईयों/ लाइसेन्सधारियों से जबरन वसूली का कार्य चल रहा है। जनपद के प्रशासनिक अधिकारी एक तरफ बस्ती महोत्सव में मस्त है वही दूसरी तरफ जनपद का गन्ना किसान पिछले वर्ष से ही गन्ने के भुगतान के लिए तरस रहा है। जनपद के फेनिल शुगर ग्रुप की मिल वाल्टरगंज (गोविन्दनगर) का 42 करोड़ एवं बजाज हिन्दुस्थान शुगर मिल लि. अठदमा का लगभग 105 करोड़ किसानो का गन्ना मूल्य बकाया है, जिसकी चिन्ता जिला प्रशासन को बिल्कुल नही है।
टोल प्लाजा बस्ती के कर्मचारियों द्वारा साईड के रोडो पर जबरन गैर कानूनी ढंग से बिना पर्ची के वसूली की जा रही है, जिससे जनपद का करोड़ो रूपये का राजस्व नुकसान हो रहा है। जिला प्रशासन इस अवैध   व सूली पर मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि टोलप्लाजा बस्ती में अभी तक लगभग 70 करोड़ रूपये का बकाया है। जिसके लिए जिला प्रशासन ने वसूली हेतु मात्र दो दिन का समय दिया था, परन्तु एक पखवारा बीत जाने के बावजूद जिला प्रशासन कोई कार्यवाही नही कर रहा है।
वहीं दूसरी तरफ जनपद के सम्मानित राजस्व के बकायेदारो पर जिला प्रशासन इस कदर उत्पीड़न कर रहा है कि उनके समस्त सम्पत्तियों की कुर्की नीलामी की कार्यवाही कराकर उसे समाचार पत्रो में प्रकाशित कर विभिन्न विभाग के राजस्व बकायेदारो का सामाजिक तथा मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा कमजोरो पर कार्यवाही तथा बड़े राजस्व बकायेदारो को सहूलियत दी जा रही है। जिला प्रशासन के दोहरे नीति से प्रदेश सरकार की छवि खराब हो रही है। 
बस्ती जनपद की धरोहर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का बस्ती महोत्सव में न कहीं नाम है और न ही स्थान है। ऐसी महान विभूति की मूर्ति वर्षो से उखाड़कर फेक दी गयी है जो अभी तक खेत में पड़ी है। मै पिछले कई वर्षो से उस मूर्ति को बड़ेवन चैराहे पर स्थापित करवाने की मांग कर रहा हूं, परन्तु जिला प्रशासन द्वारा इस पर कोई अमल नही किया जा रहा है।
इन्ही कारणो से मैने पिछली बार भी अपने आपको बस्ती महोत्सव से अलग किया था और इस बार भी मै अपने आपको महोत्सव से अलग रखता हूँ। इस बार मेरी यह भी मांग है कि जिला प्रशासन श्वेत पत्र जारी करे कि बस्ती महोत्सव कराये जाने हेतु उन्हे कितनी- कितनी धनराशि कहां कहां से प्राप्त हुई। जबतक मेरे गन्ना किसानो का समस्त बकाया भुगतान तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की उपेक्षित मूर्ति का अनावरण बड़ेबन चैराहे पर नही होता तबतक मैं महोत्सव से अलग ही रहूंगा।

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रविवार, 26 जनवरी 2020

धूम-धाम से मनाया गया 71 वां गणतंत्र दिवस,जीना है तो पापा शराब मत पीना गाने पर लोग हुए मंत्रमुग्ध

केसी श्रीवास्तव-

बस्ती-71 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आज क्षेत्र सैकड़ों विद्यालय ,चिकित्सालय ,संगठन और संस्थाओं के कार्यालय में झंडा फहराया गया ।इस अवसर पर कई विद्यालय  के बच्चों ने परेड निकाला और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने स्वागत गीत ,राष्ट्रीय गीत और अन्य पारंपरिक गीत के माध्यम से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अमरौली शुमाली स्थिति सरदार पटेल बाबूराम वर्मा समाजवादी लघु माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने परेड़ निकाल कर गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोगों के ध्यान को आकर्षित किया ,बीडीवाई एजुकेशनल एकेडमी रामनगर के बच्चों ने भी परेड निकाला, लघु माध्यमिक विद्यालय जहलीपुर ,
 सरदार बल्लभ भाई पटेल श्रीमती राजपति देवी शिक्षण संस्थान स्वरूप नगर मझौवा, प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली ,दूधनाथ लाल श्रीवास्तव मेमोरियल अमरौली शुमाली में भी बच्चों द्वारा कार्यक्रम किया गया।

रामनगर स्थिति स्वo अशोक कुमार वर्मा लघु माध्यमिक विद्यालय में बच्चे -बच्चियों ने शानदार कार्यक्रम किया जिसमें एक गाना " जीना है तो पापा शराब मत पीना " पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति की गई जिसमे सरोज ,सोनल और काजल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्राथमिक विद्यालय विद्यालय डगडौवा के छात्र-छात्राओं ने आजादी के पावन पर्व पर खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । जिसमें मुस्कान भारती, शाधुरी,अर्पिता, शालिनी, सूरज,आकाश,आदि ने मनमोहक कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।पूर्व माध्यमिक विद्यालय डगडौवा में बच्चों ने मन को मोहने वाले कार्यक्रम को प्रस्तुत किया पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेंगी में भी शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर ,पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालय मझौवा बाबू ,प्राथमिक विद्यालय शिवा ,प्राथमिक विद्यालय रामपुर मुड़री ,पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमरौली शुमाली ,प्राथमिक विद्यालय द्वारिका चक ,गौर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय नरथरी ,पड़री ,नेवादा ,घनघटी में भी बच्चों द्वारा कार्यक्रम किया गया।

पंजाब नेशनल बैंक भिरियाँ ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमरौली ,गन्ना क्रय केंद्र औड़वा में भी झंडा रोहण किया गया । अमरौली शुमाली के चिरैयाडाड़  गांव में बच्चों द्वारा झंडा रोहण किया गया । द इंस्टीट्यूट आफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी , विकास खण्ड सल्टौआ गोपालपुर ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सल्टौआ गोपालपुर , थाना सोनहा में भी झंडा फहराया गया।


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शनिवार, 25 जनवरी 2020

भड़काऊ सामग्री प्रसारित करने के लिए "आज तक" को एनबीएसए ने लगाई फटकार

सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की शिकायत के बाद नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले से पहले अपने कवरेज के दौरान सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और भड़काऊ सामग्री प्रसारित करने के लिए समाचार चैनल आज तक को फटकार लगाई है.

चैनल पर रोहित सरदाना के एक शो में स्वामी करपात्री नाम के एक पैनलिस्ट ने कहा था, ’18 नवंबर रामजन्मभूमि के निर्माण की शुरुआत हो जाएगी, निर्णय निस्संदेह हमारे पक्ष में होगा.’यह एनबीएसए द्वारा जारी विशेष एडवाइजरी का उल्लंघन था, जिसमें अयोध्या मामले के संबंध में बहस करते हुए समाचार चैनलों को दिशानिर्देश जारी किए गए थे.एनबीएसए ने अब आज तक को यूट्यूब से विवादास्पद कार्यक्रम को हटाने और सात दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.

एनबीएस ने यह भी कहा कि प्रसारणकर्ता चैनल पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम की सामग्री के संबंध में प्रसारण मानकों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार होंगे.

एनबीएसए ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम से पहले ‘डिस्क्लेमर’ लगाना या ये कहना कि अपमानजनक बयान/विचार एंकर, मेहमान या अन्य प्रतिभागियों द्वारा व्यक्त किए गए थे, एनबीएसए/एनबीए के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के उत्तरदायित्वता से बचा नहीं पाएगा.

एनबीएसए की कार्रवाई से संतुष्ट होकर सीजेपी की सचिव तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा, ‘यह सीजेपी के ‘हेट हटाओ’ अभियान का हिस्सा है. टीआरपी रेटिंग्स के सहारे चलने वाले टेलीविजन चैनल अक्सर संवैधानिक रेखा को भूल जाते हैं. सीजेपी टेलीविजन पर और प्रिंट मीडिया में घृणित कवरेज की निगरानी में अपना काम करता रहेगा.’आजतक ने अयोध्या मामले की अंतिम सुनवाई से एक दिन पहले 15 अक्टूबर को एक भड़काऊ ट्वीट भी पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, ‘जन्मभूमि हमारी, राम हमारे, मस्जिद वाले कहां से पधारे?’जब सीजेपी ने आपत्ति जताई कि कैप्शन में कहीं भी ये ‘डिस्क्लेमर’ नहीं है कि यह न्यूज चैनल का विचार नहीं है, इस पर आज तक ने कहा, यह कैप्शन ‘कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई के दौरान हुई बहस’ से लिया गया है.

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शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

कर्पूरी ठाकुर को मिले भारत रत्न : रामसिंह पटेल

 अपना दल 'एस' ने शुक्रवार को लोहिया काम्पलेक्स स्थित पार्टी के जिला कार्यालय पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षक, समाजिक न्याय के पुरोधा व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की 96 वी जयंती समारोह धूमधाम से मनाया।इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं ने जननायक के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

जयंती समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि झिनकान चौधरी ने कहा कि राजनीति सत्ता का सुख भोगने के लिए नहीं बल्कि जन सेवा का माध्यम है जननायक कर्पूरी ठाकुर ने इस संकल्पना को स्वयं के त्यागपूर्ण जीवन से साकार किया था , समाज के उपेक्षित, पीड़ित ,गरीब व मजलूमों के लिए उनका जीवन समर्पित था ,आज के नेताओं को कर्पूरी ठाकुर जैसे महापुरुष के जीवन से सीख लेकर राष्ट व समाज हित को सर्वोपरि मानकर कार्य करना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि राम नयन पटेल ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के तहत कर्पूरी जी 26 महीने जेल में बिताया ,देश आजाद होने के बाद जब बिहार का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला तो कर्पूरी जी ने तमाम बिरोध व अपमान का घूट पीकर भी बदलाव का इबारत लिखते हुए हासिये पर ढकेले गये पिछड़े वर्ग के लिए 26 प्रतिशत आरक्षण लागू किया।
 संचालन करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष रामसिंह पटेल ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल जननायक के दिखाये गये रास्ते पर चलते हुए पिछड़े, दलितो, वंचितो के  हितों के लिए सड़क से लेकर सदन पर संघर्ष कर रही हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष विवेक कुमार चौधरी ने किया।

इस अवसर पर राम धीरज पटेल,प्रमोद कुमार पाल, ओम प्रकाश राजभर, शिवकुमार चौधरी, प्रदीप चौधरी राना, प्रमोद आर्या, अभिषेक आर्य, राहुल चौधरी, जितेंद्र चौधरी, रामचंद्र पटेल, रमेश चंद्र भारती, सुखराम पटेल, खुशबू शर्मा, घनश्याम लाल श्रीवास्तव,राम सजीवन दुबे,शिव सरन चौधरी, गंगा राम चौधरी आदि मौजूद रहे।

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लखनऊ से 196 किलोमीटर दूर बस्ती के एक गांव में "दादाजी" ने किया भविष्यवाणी ,2020 में होगा विश्वयुद्ध

विश्वपति वर्मा।

राजधानी लखनऊ से 196 किलोमीटर दूर बस्ती जनपद के एक छोटे से गांव पिटाउट में नेबूलाल जी निवास करते हैं ,उन्होंने कभी किसी चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा नही लिया है लेकिन उसके बाद भी क्षेत्र के लोग उन्हें प्यार से नेता जी और दादाजी कहते हैं।

दादाजी सामाजिक और राजनीतिक माहौल को ज्ञान-विज्ञान ,इतिहास ,भूगोल और गणित के माध्यम से कायदे से समझते हैं ,तर्क वितर्क के माध्यम से बडे-बडे योग्यताधारियों को भी एक बेबाक टिप्पणी से धराशायी कर देते हैं।

दादाजी ने पूरी दुनिया में उपजी समस्याओं के बारे में अध्ययन किया ,देश के अंदर आजादी के पहले और बाद के सैकड़ों नेताओं और क्रांतिकारियों को उन्होंने पढ़ा और जाना , दादाजी ने गांधी जी ,नेताजी सुभाषचंद्र बोस ,भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद ,खुदीराम बोस, जवाहरलाल नेहरू ,सरदार वल्लभ भाई पटेल ,इंदिरा गांधी जैसे तमाम नेताओं और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे लोगों के नीति और नियति को बहुत ही गहराई से समझा ।

आजादी के वर्षों बाद तक चल रहे हिंदुस्तान जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था और वहां की मूल्यों को समझने और समझाने के लिए दादाजी ने समीक्षा और संवाद किया ,लोकतंत्र के मायने और उसकी मूल परिभाषा को बेहतर तरीके से जानने और फैलाने के लिए अपने जीवन काल खण्डों के 65 वर्ष तक की उम्र तक निरंतर प्रयास किया  जिसका परिणाम है कि दादाजी आज पूरी दुनिया की व्यवस्था को लेकर आने वाली समस्याओं और चरमराई हुई अर्थव्यवस्था पर आने वाली आगामी नतीजों को प्रकट कर रहे हैं।

दादाजी का कहना है कि पूरी दुनिया आर्थिक महामारी के मुहाने पर खड़ा है ,पूँजीवादी व्यवस्था ने मेहनतकश और श्रमिक वर्ग के लोगों के खून को चूस लिया है,राजनीतिक गलियारों ने स्वार्थ, सत्ता और लाभ के चक्कर मे दायित्वों और कर्तव्यों को दरकिनार कर दिया है ,भारत जैसे युवा शक्तिशाली देश मे आये दिन हजारों की तादात में अपने हक अधिकार के लिए धरना प्रदर्शन हो रहा है ,बेरोजगारी ने भारत ही नही पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है ,आर्थिक विषमता ने पूरी दुनिया के निम्न और मध्यम वर्ग के 86 फीसदी से अधिक लोगों को कंगाल बना दिया है ,भारत के साथ ही दुनिया के अधिकांश देशों में फैले व्यापक भ्रष्टाचार के चलते नागरिकों को उनके हक अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है ,आदिवासी समुदाय के बड़ी आबादी को बदसे बदतर जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है ,दुनिया भर के 90 फीसदी लोगों के साथ कई तरीकों से अन्याय, अत्याचार और बर्बरता हो रहा है ,करदाताओं के साथ शासन और प्रशासन का सामंजस्य स्थापित नही हो पा रहा है जिसका परिणाम है कि 21 वीं सदी के दूसरे दशक के अंतिम दौर में विश्वयुद्ध सुनिश्चित है।

दादाजी के तर्क को समझने के बाद यह कहना बिल्कुल गलत नही होगा कि 2020 में ही विश्वयुद्ध हो सकता है ,निश्चित रूप से पूरी दुनिया के हालात ठीक नहीं है ,जो विनाश का कारण बनने के लिए काफी है।वर्तमान समय में भारत ,चीन ,अमेरिका ,इरान ,पाकिस्तान,रूस सहित देशों का अन्य देशों के साथ चल रहे तनावपूर्ण माहौल को देखा जाए तो लगता है कि 2020 में विश्वयुद्ध होना कोई बड़ी बात नही है।

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गुरुवार, 23 जनवरी 2020

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय के खिलाफ अनुचित टिप्पणी करने के आरोप में केस दर्ज

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पांडेय के खिलाफ मंगलवार को मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि उन्होंने हिंदुत्ववादी विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अनुचित टिप्पणियां की थीं. पुलिस ने बुधवार को बताया कि संदीप पांडेय ने सोमवार (20 जनवरी) शाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को संबोधित किया था. हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बीते मंगलवार को उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया.अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 505 (1)बी (लोग या समुदाय को अपराध करने के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज किया गया है.

समाचार रिपोर्ट के अनुसार, संदीप पांडेय ने कहा था, ‘सभी को पता है कि सावरकर अंग्रेजों से पेंशन लेते थे. जेल से रिहा होने के लिए उन्होंने अंग्रेजों से माफी भी मांगी. ये अंग्रेजों के गुलाम थे.

संदीप पांडेय ने अपने संबोधन में कहा था कि आज कुछ लोग हिंदू और मुसलमानों को बांट रहे हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान भी यही किया था.उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा भाडे़ पर लाए गए नकाबपोश गुंडों ने जेएनयू, जामिया और एएमयू में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को बाधित किया. इन विश्वविद्यालयों में हिंसा के पीछे यही लोग असल दोषी हैं

राजीव कुमार ने जो मामला दर्ज कराया है, उसमें संदीप पांडेय पर अनुचित टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है. यह आरोप भी लगाया है कि दंगे कराने की नीयत से उन्होंने जन भावनाओं को भडकाने का काम किया है.उधर, प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर आरोप लगाया कि वह शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने के लिए दबाव का इस्तेमाल कर रही है.उन्होंने कहा कि पुलिस पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है और जान-बूझकर विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है.

मालूम हो कि बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर रहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना की दो बेटियों समेत करीब 160 महिलाओं के खिलाफ निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है.सीएए और एनआरसी के खिलाफ पुराने लखनऊ के घंटाघर इलाके में महिलाओं का बीती 17 जनवरी को शुरू हुआ प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी है. शहर में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है और इसके उल्लंघन के आरोप में प्रदर्शन कर रही करीब 160 महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.उत्तर प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई पर शायर मुनव्वर राना ने कहा था कि पुलिस ने उनकी बेटियों सुमैया और फौजिया पर धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा तोड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया. मगर पुलिस ये भी बताए कि इसी निषेधाज्ञा की धज्जियां उड़ाकर आज (21 जनवरी) लखनऊ में रैली करने वाले गृह मंत्री अमित शाह पर कब मुकदमा होगा?राना ने कहा था कि अगर सरकार की नजर में शाह का रैली करना जायज है तो जाहिर है कि पुलिस की कार्रवाई सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहीं उनकी बेटियों और तमाम मुल्जिम महिलाओं तथा लड़कियों के साथ नाइंसाफी है.उन्होंने कहा कि यह तो वही हुआ कि जब किसी शहर में कोई ‘शाह’ आता है तो फकीरों के बेटे-बेटियां बंद कर दिए जाते हैं.इससे पहले राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता सदफ़ जफ़र, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. बीते चार जनवरी को कांग्रेस नेता सदफ़ जफ़र, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और 13 अन्य को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी.

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बुधवार, 22 जनवरी 2020

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती पूरे प्रदेश में मनाने के लिए अनुप्रिया पटेल ने जारी किया निर्देश

केसी श्रीवास्तव-

अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में 24 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती प्रदेश के प्रत्येक जिला में पार्टी कार्यकर्ता धूमधाम से मनाएंगे। इस बाबत पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाध्यक्षों को निर्देश जारी कर दिया है। बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को पिछड़ों, गरीबों, किसानों का मसीहा कहा जाता है। देश में पहली बार पिछड़ों के लिए स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर ने ही बिहार में आरक्षण लागू किया था।

पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामसिंह पटेल ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन सादगी भरा रहा। आज के राजनेताओं के लिए कर्पूरी ठाकुर एक मिसाल हैं। हमारी पार्टी की नेता अनुप्रिया पटेल के निर्देश पर 24 जनवरी को प्रदेश के सभी जिलों में पिछड़ों के मसीहा स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती मनाएगी जाएगी। इस अवसर पर कर्पूरी ठाकुर के जीवन पर प्रकाश डाला जाएगा और पिछड़ों के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्य का उल्लेख किया जाएगा।
   

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वेब मीडिया एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष बनाये गए विश्वपति वर्मा

बस्तीः इण्टरनेट पर समाचारों के प्रकाशन और वक्त के साथ पाठकों की बदलती रूचि को देखते हुये डिजिटल मीडिया की भूमिका बेहद प्रासंगिक हो गयी है। इससे जुड़े संपादकों, पत्रकारों और छायाकारों का एक संगठन वेब मीडिया एसोसिएशन 13 फरवरी 2019 को अस्तित्व में आया था। संगठन को प्रादेशिक स्तर पर खड़ा किया जाना है। संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने संगठन के विस्तार के क्रम में तहकीकात समाचार के संपादक सौरभ वीपी वर्मा को बस्ती जनपद का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया गया है। उन्हे दो सप्ताह के भीतर जिले की कार्यकारिणी घोषित करने का निर्देश दिया गया है।

शीघ्र ही जिला व मंडल कार्यकारिणी का विस्तार पर पत्रकार हितों और वेब मीडिया को महत्व प्रदान किये जाने के लिये सरकारी स्तर पर पहल किये जाने की मागों को उचित पटल पर उठाया जायेगा। सौरभ वीपी वर्मा को जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर वरिष्ठ पत्रकार जयंत कुमार मिश्रा, दिनेश कुमार पाण्डेय, महेन्द्र तिवारी, अनिल कुमार श्रीवास्तव, एसपी श्रीवास्तव, अनूप मिश्रा, जितेन्द्र कौशल, देवेन्द्र कुमार पाण्डेय, संजय राय, अरूणेश श्रीवास्तव, राजेश कुमार पाण्डेय, राकेश तिवारी, आशुतोष नरायन मिश्रा, लवकुश यादव, बीपी लहरी, मुन्ना लाल, दिलीप श्रीवास्तव, कृष्ण चन्द्र श्रीवास्तव, राज आर्या, पीसी चौधरी, राजकुमार पाण्डेय ,हेमंत पाण्डेय, कृपाशंकर चौधरी, संदीप गोयल, सोहन सिंह, जीतेन्द्र कुमार सहित तमाम पत्रकारों ने सौरभ को बधाई देते हुये उनके नेतृत्व में एसोसिएशन को मजबूत होने की उम्मीद जताया है।

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INDIA-झूठ का परचम लहराने में माहिर हैं पीएम नरेंद्र मोदी ,पढ़िए और विचार कीजिये

देश का प्रधानमंत्री देश की संपति को बेंचता है और मंच से कहता है देश नही बिकने दूंगा -देश नही झुकने दूंगा ,पढ़िए और विचार कीजिये

विश्वपति वर्मा-

यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ कि देश का प्रधानमंत्री अपने प्रचार में कहे कि देश नहीं बिकने दूंगा, देश नहीं झुकने दूंगा! वह भी तब जब कभी भी देश के झुकने या बिकने की कोई मिसाल पहले नहीं रही हो। इस मामले में आजाद भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है। चीन से हम लड़ाई हारे जरूर पर हारना और झुक जाना दोनों अलग चीजें हैं। पर पता नहीं किस सोच में देश नहीं बिकने दूंगा का नारा दिया गया। आज सारा देश देख रहा है कि देश के संसाधन कैसे बिक रहे हैं। ऐसे बिक रहे हैं कि अगर बिकने की रफ्तार यहीं रही तो पांच साल के बाद देश के पास अपना कहने को कुछ नहीं रह जाएगा।

विनिवेश के नाम पर देश के सारे संसाधन बेचे जा रहे हैं। अपनी आर्थिक नीतियों की विफलता से जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई उन संसाधनों को बेच कर की जा रहा है, जो उन लोगों ने बनाए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर 70 साल में कुछ नहीं किया। जिन्होंने कुछ नहीं किया उनकी बनाई चीजें बेच कर सरकार अपना काम चला रही है या अपने लोगों को उपकृत कर रही है। पहले विनिवेश सिर्फ उन्हीं कंपनियों का करना था, जो बेकार हो गई हैं, घाटे में हैं या बीमार हैं। पर अब खुला खेल है। मुनाफे में चल रही कंपनियों को बेचा जा रहा है। दो-चार क्रोनी उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए विनिवेश के रास्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है।

यह इतने खुलेआम तरीके से हो रहा है बावजूद इसके लोगों को दिखाई नहीं दे रहा है। यह भी जादूगर का कमाल होता है जो वह सारे जादू लोगों की आंखों के सामने करता है पर किसी को दिखता नहीं है कि असल में क्या हो रहा है। असल में वह लोगों की नजरों को धोखा दे रहा होता है। वैसे ही कुछ अभी हो रहा है। सरकार रोज कह रही है कि वह रेलवे का निजीकरण नहीं करेगी। अब भी कहा जाएगा। पर पहली निजी ट्रेन का परिचालन शुरू हो गया है और जल्दी ही डेढ़ सौ ट्रेनें और 50 स्टेशन निजी हाथ में दिए जाने वाले हैं। कोई पूछे कि सरकारी जमीन पर, सरकारी खर्च से बने बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर आम लोगों की लूट की छूट निजी कंपनियों को देने का अधिकार सरकार को किसने दिया?

सरकार एयर इंडिया को बेचने जा रही है। पहली बार इसे बेचने की कोशिश हुई तो खरीदार नहीं मिला। वह भी एक रहस्य है कि ऐसा क्यों हुआ। पर अब खरीदार मिल जाएगा क्योंकि सरकार ने इसे बिक्री पर लगाने से पहले एक बदलाव किया है। इस बदलाव के बाद जो भी एयर इंडिया को खरीदेगा उसे कंपनी का पूरा कर्ज नहीं चुकाना होगा। कंपनी ने अपने संचालन के लिए जो कर्ज लिया था, जो करीब 50 हजार करोड़ रुपए है वह खरीदार को नहीं चुकाना है वह सरकार यानी आम लोग चुकाएंगे। अब खरीदार को सिर्फ विमानों की लीज के नाम पर लिया गया 15 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ही चुकाना होगा। क्या कोई अपनी संपत्ति को इस तरह औने पौने में बेचने के बारे में सोच भी सकता है? पर चूंकि संपत्ति सरकारी है और इसकी बिक्री से कुछ आना ही अपना जाना कुछ नहीं है तो जैसे हो वैसे बेच दो!

इसी तरह सरकार पेट्रोलियम क्षेत्र की भारत की बड़ी कंपनी भारत पेट्रोलियम यानी बीपीसीएल को बेचने जा रही है। सोचें, देश के सबसे बड़े उद्योगपति की सारी कमाई पेट्रोलियम सेक्टर की है पर सरकार की पेट्रोलियम कंपनी ठीक काम नहीं कर रही है और उसे बेचा जा रहा है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस कंपनी का राष्ट्रीयकऱण संसद के बनाए कानून के जरिए किया गया था पर अब इसे बेचने के लिए संसद की मंजूरी नहीं ली जाएगी क्योंकि सरकार ने चुपचाप राष्ट्रीयकरण वाले कानून को ही खत्म कर दिया है। सो, सरकार अपनी मर्जी से और अपने बनाए नियमों के हिसाब से इसे बेच देगी। सरकार हवाईअड्डे बेच रही है। पिछले दिनों छह हवाईअड्डों की नीलामी हुई और देश के एक ही उद्योग समूह को पांच हवाईअड्डे मिल गए।

ध्यान रहे भारत में सिर्फ 14 हवाईअड्डे हैं, जिनके परिचालन में मुनाफा है। ये पांच हवाईअड्डे भी उन्हीं में से थे। अब सरकार बचे हुए मुनाफा कमाने वाले हवाईअड्डे बेचने जा रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि इनमें से भी ज्यादातर हवाईअड्डे उसी कंपनी को मिलेंगे, जिसे पहले मिले हैं। पर कहानी सिर्फ इतनी नहीं है। असली कहानी यह है कि पिछले दिनों सरकार ने हवाईअड्डों के परिचालन से जुड़े कानून को भी बदल दिया है। पहले हवाईअड्डों का परिचालन निजी हाथ में देने के बावजूद नियंत्रण एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, एएआई का रहता था। हवाईअड्डों का शुल्क आदि बढ़ाने का फैसला एएआई की मंजूरी से किया जाता था। अब नए नियम के मुताबिक जो हवाईअड्डे निजी हाथ में दिए जाएंगे, उनके परिचालन में एएआई की कोई भूमिका नहीं रहेगी। सारे फैसले वह निजी कंपनी करेगी।

देश की सड़कें तो सरकार ने पहले ही निजी कंपनियों को बनाने और उन पर चलने वालों से ‘लगान’ वसूलने के लिए दे दिया है। सरकार ने देश की सबसे प्रतिष्ठित संस्थाओं में से एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो के लिए सेटेलाइट बनाने का काम निजी कंपनियों को देना शुरू कर दिया है। सेना के लिए हथियार बनाने के काम में निजी कंपनियों को शामिल कर दिया गया है। सरकार अपनी दोनों संचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल को बंद करने जा रही है। उसके बाद हो सकता है कि हजारों करोड़ रुपए की लागत से बने इनके टावर संचार की उस कंपनी को चले जाएं, जिसकी वजह से ये कंपनियां बंद हो रही हैं। सरकार अपनी बिजली कंपनी के ट्रांसमिशन लाइन बेचने जा रही है, गैस पाइपलाइन बेचे जा रहे हैं, खदान औने पौने दाम पर बेचे जा रहे हैं, रिजर्व बैंक का आरक्षित रखा गया पैसा निकाला जा रहा है।

सवाल है कि इन सबसे मिला कर ही देश बनता है या देश अलग है और ये चीजें अलग हैं? अगर इनको बेचा जा रहा है तो यह क्या यह देश बेचना नहीं कहा जाएगा?

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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

केजरीवाल का घोषणा पत्र जारी-दिल्ली में पैदा होने वाले हर बच्चे को ग्रेजुएशन तक फ्री एजुकेशन का वादा

 दिल्ली के मुख्यमंत्री और 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को अपनी पार्टी का घोषणा पत्र 'केजरीवाल का गारंटी कार्ड' जारी कर दिया. इस घोषणा पत्र में केजरीवाल ने दिल्ली में पैदा होने वाले हर लड़के- लड़कियों को ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया है. साथ ही केजरीवाल ने दिल्ली में नए स्कूल खोलने का वादा किया है.

रविवार को अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए अरविंद केजरीवाल ने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि जब तक दिल्ली में एक 'ईमानदार सरकार' है वह निजी स्कूलों को मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने कहा कि अभिभावक इस बारे में किसी भी तरह की चिंता न करें. अगर आगे दिल्ली में 'आप' की सरकार आई तो वह दिल्ली के किसी भी निजी स्कूल को अपनी फीस मनमाने ढंग से तय करने की अनुमति नहीं देगी. केजरीवाल ने हिंदी में ट्वीट कर यह बात कही है.

अप्रैल 2018 में दिल्ली सरकार ने शिक्षा निदेशालय की मंजूरी के बिना ट्यूशन फीस बढ़ाने से सरकारी भूमि पर काम करने वाले निजी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को प्रतिबंधित करने वाला एक परिपत्र जारी किया था. मई में सरकार ने 575 निजी स्कूलों को जून 2016 से जनवरी 2018 के बीच वसूल की गई अतिरिक्त फीस वापस करने का निर्देश दिया था.

बता दें कि शिक्षा को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी को अपना शिक्षा मॉडल पेश करने की चुनौती दी थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में पिछले चार वर्षों में छात्र-छात्राओं की संख्या 6,000 बढ़ गई है. उपमुख्यमंत्री ने कहा, था कि बीजेपी शासित एमसीडी स्कूलों में पिछले नौ साल में 109 प्राइमरी स्कूल बंद हुए हैं.

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दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जारी किया दूसरी लिस्ट ,केजरीवाल के सामने सुनील यादव प्रत्याशी

दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 10 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है. इस सूची में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा की है. लिस्ट के अनुसार नई दिल्ली सीट से बीजेपी ने सुनील यादव को टिकट दिया है. इसके अलावा हरि नगर से तेजिंदर पाल बग्गा को टिकट दिया गया है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट में  नांगलोई जाट से सुमनलता शौकीन, राजौरी गार्डन से रमेश खन्ना, हरि नगर से तेजिंदर पाल बग्गा, दिल्ली कैंट से मनीष सिंह, नई दिल्ली से सुनील यादव, कस्तूरबा नगर से रविंद्र चौधरी, महरौली से कुसुम खत्री, कालकाजी से धर्मवीर सिंह, कृष्णा नगर से अनिल गोयल और शाहदरा से संजय गोयल का नाम शामिल है


कौन हैं सुनील यादव 
भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव को बीजेपी ने केजरीवाल के खिलाफ उतारा है. पेशे से सुनील यादव वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. भारतीय जनता युवा मोर्चा में मंडल अध्यक्ष के तौर पर शुरुआत की थी. सुनील यादव इससे पहले दिल्ली बीजेपी में सचिव भी रहे हैं. तेजतर्रार युवा छवि के सुनील यादव DDCA में भी डायरेक्टर के तौर पर जुड़े रहे हैं.

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सोमवार, 20 जनवरी 2020

बसपा से निष्कासित पूर्व मंत्री समेत 8 पूर्व विधायक सपा में शामिल

पीसी चौधरी ,लखनऊ

बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित पूर्व सांसद तथा मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी ने दो दर्जन से अधिक समर्थकों के साथ आज समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए । इस अवसर को समाजवादी पार्टी कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नये वर्ष में पार्टी को बड़ा तोहफा बताया।

अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में अब समाजवादी पार्टी को काफी मजबूती मिलेगी और भाजपा पर भरोसा करने वालों की भी आंखें खुलेंगी। उन्होंने कहा कि आज जब राम प्रसाद चौधरी के वाहनों का काफिला बस्ती से निकला तो अयोध्या व बाराबंकी में भी लोग हैरान हो गए। इनका अपने समर्थकों के साथ आज समाजवादी पार्टी में शामिल होना एक अच्छा संकेत है। अब लोगों का भरोसा भाजपा से टूटेगा। किसान तो भाजपा पर भरोसा कर पछता रहा है जबकि नौजवान तथा कामगार भी इनकी फर्जी घोषणा से अपने को काफी छला महसूस कर रहे हैं।अखिलेश मेंने कहा हम लेपटॉप दे रहे थे वो शौचालय बांट रहे हैं

बस्ती के रहने वाले पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी के साथ ही आठ पूर्व विधायक और एक पूर्व सांसद ने भी आज सपा का दामन थामा। छह जिलापंचायत सदस्य और कई पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी शामिल हुए। इस मौके पर सपा कार्यालय में सैकड़ों लोग मौजूद थे। राम प्रसाद चौधरी के साथ पूर्व सांसद अरविंद  चौधरी 
पूर्व विधायक दूधराम, राजेन्द्र प्रसाद चौधरी व जितेंद्र कुमार,पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मालती देवी, विपिन शुक्ला, सहित अन्य जिलों के कई पूर्व विधायकों और नेताओं ने सपा का दामन थाम लिया ।


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वेब मीडिया के पत्रकारों के सुरक्षा और हित को देखते हुए किया गया एसोसिएशन का निर्माण

वेब मीडिया एसोसिएशन एक पत्रकार संगठन है जहां वेब पत्रकारों के सुरक्षा और सहयोग की बात की जाती है।

डिजिटल प्लेटफार्म पर खबरें प्रसारित करने वाले संस्थान वेब मीडिया एशोसिएशन के सदस्य बनने के लिये अपने वेबसाइट का नाम, संपादक का नाम और मोबाइल नम्बर नीचे दिए गए नंबर पर प्रदान करें।

बता दें कि वेब मीडिया के पत्रकारों के साथ एक बैठक का आयोजन 13 फरवरी 2019 को किया गया था जिसमे एक एसोसिएशन की आवश्यकता महसूस हुई थी जिसमे मीडिया दस्तक के संपादक श्री अशोक श्रीवास्तव द्वारा वेब मीडिया एसोसिएशन नाम का सुझाव दिया गया जहां दर्जनों पत्रकारों द्वारा सहमति देकर संगठन की नींव रखी गई ।अब संगठन के पदाधिकारियों का चयन होना है कृपया वेब पोर्टल के पत्रकार,छायाकार और संपादक संगठन से जुड़कर अपने सुझाव दें ताकि सूचना के आदान प्रदान में सरकार द्वारा जारी मानकों में व्याप्त विसंगतियों को दूर किया जा सके।

अशोक श्रीवास्तव
संयोजक
मो.न.9721963143
विश्वपति वर्मा
संपादक
तहकीकात सामचार
मो.न.9415092208

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रविवार, 19 जनवरी 2020

अदालत में पेश न होने के चलते पाटीदार नेता हार्दिक पटेल हुए गिरफ्तार

कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल को 2015 के देशद्रोह के एक मामले में निचली अदालत में पेश नहीं होने के कारण शनिवार को गुजरात के अहमदाबाद जिले के वीरमगाम तालुका से गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ वारंट जारी होने के कुछ घंटों बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अदालत में पेश करने के बाद उन्हें 24 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है. पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राजदीप सिंह जाला (अपराध शाखा) ने पटेल की गिरफ्तारी की पुष्टि की है.

राजदीप सिंह जाला ने कहा, 'हमने हार्दिक पटेल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद उन्हें वीरमगाम के पास से गिरफ्तार किया है. उन्हें अदालत में पेश करने के बाद 24 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.' गौरतलब है कि अहमदाबाद में 25 अगस्त, 2015 को पटेल समुदाय की एक रैली के दौरान हिंसा भड़कने के बाद स्थानीय अपराध शाखा ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर पटेल को पहले भी गिरफ्तार किया था.

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शनिवार, 18 जनवरी 2020

कागजों में चल रहा स्वच्छ भारत मिशन उप जिला मुख्यालय भानपुर साफ सफाई में फिसड्डी

केoसीo श्रीवास्तव-

जब पूरे देश मे स्वच्छ भारत मिशन चला तब सरकार का साथ देने के लिए देश भर के तमाम संस्थाएं और यहां के नागरिकों द्वारा मिशन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया गया लेकिन उसके बाद भी स्वच्छ भारत मिशन धरातल पर पूरी तरह से फेल दिखाई दे रहा है।

राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जारी कोई भी बजट सीधा किसी गांव और व्यक्ति के पास नही पहुंचता है बजट सबसे पहले जिला मुख्यालय और उसके बाद ब्लॉक मुख्यालय और तहसील मुख्यालय के रास्ते गांवों की दशा और दिशा बदलने के लिए निकलता है लेकिन जब सराकर के अपने ही संस्थाओं और इकाइयों में सफाई  की कोई व्यवस्था न हो तो यहां पर बैठे अधिकारी गांव के लोगों को स्वच्छता मिशन में भाग लेने का संदेश कैसे दे पाएंगे ।

यह तस्वीर भानपुर तहसील के प्रांगण की है जहाँ थोड़ी से बरसात में ही प्रांगड़ में गंदगियों का अंबार दिखाई देने लगता है ,कीचड़ के रास्ते लोगों का आवागमन यह दिखाता है कि यहां पर स्वच्छ भारत मिशन की योजनाएं केवल कागजों की शोभा बढ़ा रही होंगी ।

435 गांवों के लोगों को विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाएं देने वाला भानपुर तहसील बस्ती डुमरियागंज मार्ग पर स्थिति है वातावरण की स्थिति से देखें तो यह इलाका स्वच्छ और स्वस्थ है लेकिन जिम्मेदारजनों की उदासीनता के चलते सरकार के अपने ही घर का आबोहवा खराब हो चुकी है।


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चालू वित्तीय वर्ष में 16 लाख नौकरियों पर संकट

 अर्थव्यवस्था में सुस्ती से देश में रोजगार सृजन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. चालू वित्त वर्ष में नई नौकरियों के अवसर एक साल पहले की तुलना में कम पैदा हुए हैं.स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 में इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 16 लाख कम नौकरियों का सृजन होने का अनुमान है. पिछले वित्त वर्ष में कुल 89.7 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए थे.एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार असम, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में नौकरी मजदूरी के लिए बाहर गए व्यक्तियों की ओर से घर भेजे जाने वाले धन में कमी आई है. यह दर्शाता है कि ठेका श्रमिकों की संख्या कम हुई है.इन राज्यों के लोग मजदूरी के लिए पंजाब , गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जाते हैं और वहां से घर पैसा भेजते रहते हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में 89.7 लाख नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए थे. चालू वित्त वर्ष में इसमें 15.8 लाख की कमी आने का अनुमान है.


आंकड़े में मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियां शामिल होती हैं जिनमें वेतन की अधिकत सीमा 15,000 रुपये मासिक है. रिपोर्ट में की गई गणना के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर के दौरान शुद्ध रूप से ईपीएफओ के साथ 43.1 लाख नए अंशधारक जुड़े. सालाना आधार पर यह आंकड़ा 73.9 लाख बैठेगा.हालांकि इन ईपीएफओ में केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों और निजी काम-धंधे में लगे लोगों के आंकड़े शामिल नहीं है.2004 से ये आंकड़े राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत स्थानांतरित कर दिए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के एनपीएस की श्रेणी के आंकड़ों में भी राज्य और केंद्र सरकार में भी मौजूदा रुझानों के अनुसार 2018-19 की तुलना में चालू वित्त वर्ष में 39,000 कम अवसर श्रृजित होने का अनुमान है.पिछले कुछ सालों में देश में गरीबों और धनी लोगों दोनों के लिए प्रवास आजीविका का एक एक महत्वपूर्ण विकल्प रहा है.असमान वृद्धि के कारण कृषि और औद्योगिक रूप से कम विकसित राज्यों के लोग नौकरी की तलाश में अधिक विकसित राज्यों की ओर पलायन करते हैं. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग, ओडिशा और राजस्थान के लोग पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की ओर पलायन करते हैं.रिपोर्ट के मुताबिक, बड़ी संख्या में प्रवासियों के लिए दिल्ली में नौकरी के अवसरों की संख्या ज्यादा होने के कारण यह राज्य एक बहुत ही पसंदीदा स्थान है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘ये प्रवासी अपने मूल स्थानों पर अपने परिवारों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय योगदान दे रहे हैं.’रिपोर्ट में आगे कहा गया कि पिछले पांच वर्षों में कुल उत्पादकता वृद्धि 9.4 प्रतिशत से 9.9 प्रतिशत के बीच स्थिर रही है. उत्पादकता में यह धीमी वृद्धि कम वेतन वृद्धि को दर्शाता है.

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शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

रोहित वेमुला की आत्महत्या के 4 साल, पत्र में लिखा था मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए


रोहित वेमुला ने विश्वविद्यालय स्थित एक हॉस्टल में 17 जनवरी 2016 को गले में फंदा लगा कर खुदकशी कर ली थी। इस पर पूरे देश में बवाल मचा था। रोहित ने आत्महत्या के पहले एक चिट्ठी लिखी थी ।

पेश है रोहित वेमुला की अंग्रेज़ी में लिखी चिट्ठी का हिन्दी अनुवाद।

गुड मॉर्निंग,

आप जब ये पत्र पढ़ रहे होंगे तब मैं नहीं होऊंगा। मुझ पर नाराज़ मत होना।

मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों को मेरी परवाह थी, आप लोग मुझसे प्यार करते थे और आपने मेरा बहुत ख्याल भी रखा।

मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। मुझे हमेशा से ख़ुद से ही समस्या रही है। मैं अपनी आत्मा और अपनी देह के बीच की खाई को बढ़ता हुआ महसूस करता रहा हूं। मैं एक दानव बन गया हूं।

मैं हमेशा एक लेखक बनना चाहता था। विज्ञान पर लिखने वाला, कार्ल सगान की तरह। लेकिन अंत में मैं सिर्फ़ ये पत्र लिख पा रहा हूं।

मुझे विज्ञान से प्यार था, सितारों से प्यार था, प्रकृति से प्यार था।।। लेकिन मैंने लोगों से प्यार किया और ये नहीं जान पाया कि वो कब के प्रकृति को तलाक़ दे चुके हैं।

हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हो गई हैं। हमारा प्रेम बनावटी है। हमारी मान्यताएं झूठी हैं। हमारी मौलिकता वैध है बस कृत्रिम कला के ज़रिए। यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और दुखी न हों।एक आदमी की क़ीमत उसकी तात्कालिक पहचान और नज़दीकी संभावना तक सीमित कर दी गई है। एक वोट तक।

आदमी एक आंकड़ा बन कर रह गया है। एक वस्तु मात्र। कभी भी एक आदमी को उसके दिमाग़ से नहीं आंका गया। एक ऐसी चीज़ जो स्टारडस्ट से बनी थी। हर क्षेत्र में, अध्ययन में, गलियों में, राजनीति में, मरने में और जीने में।

मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं। पहली बार मैं आख़िरी पत्र लिख रहा हूं। मुझे माफ़ करना अगर इसका कोई मतलब न निकले तो।

हो सकता है कि मैं ग़लत हूं अब तक दुनिया को समझने में। प्रेम, दर्द, जीवन और मृत्यु को समझने में। ऐसी कोई हड़बड़ी भी नहीं थी। लेकिन मैं हमेशा जल्दी में था। बेचैन था एक जीवन शुरू करने के लिए।

इस पूरे समय में मेरे जैसे लोगों के लिए जीवन अभिशाप ही रहा। मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था। मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं पाया। बचपन में मुझे किसी का प्यार नहीं मिला।

इस क्षण मैं आहत नहीं हूं। मैं दुखी नहीं हूं। मैं बस ख़ाली हूं। मुझे अपनी भी चिंता नहीं है। ये दयनीय है और यही कारण है कि मैं ऐसा कर रहा हूं।

लोग मुझे कायर क़रार देंगे। स्वार्थी भी, मूर्ख भी। जब मैं चला जाऊंगा। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता लोग मुझे क्या कहेंगे।

मैं मरने के बाद की कहानियों भूत प्रेत में यक़ीन नहीं करता। अगर किसी चीज़ पर मेरा यक़ीन है तो वो ये कि मैं सितारों तक यात्रा कर पाऊंगा और जान पाऊंगा कि दूसरी दुनिया कैसी है।

आप जो मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर कुछ कर सकते हैं तो मुझे अपनी सात महीने की फ़ेलोशिप मिलनी बाक़ी है। एक लाख 75 हज़ार रुपए। कृपया ये सुनिश्चित कर दें कि ये पैसा मेरे परिवार को मिल जाए। मुझे रामजी को 40 हज़ार रुपए देने थे। उन्होंने कभी पैसे वापस नहीं मांगे। लेकिन प्लीज़ फ़ेलोशिप के पैसे से रामजी को पैसे दे दें।

मैं चाहूंगा कि मेरी शवयात्रा शांति से और चुपचाप हो। लोग ऐसा व्यवहार करें कि मैं आया था और चला गया। मेरे लिए आंसू न बहाए जाएं। आप जान जाएं कि मैं मर कर ख़ुश हूं जीने से अधिक।

'छाया से सितारों तक'

उमा अन्ना, ये काम आपके कमरे में करने के लिए माफ़ी चाहता हूं।

आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन परिवार, आप सब को निराश करने के लिए माफ़ी। आप सबने मुझे बहुत प्यार किया। सबको भविष्य के लिए शुभकामना।

आख़िरी बार

जय भीम

मैं औपचारिकताएं लिखना भूल गया। ख़ुद को मारने के मेरे इस कृत्य के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है।

किसी ने मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया नहीं, न तो अपने कृत्य से और न ही अपने शब्दों से।

ये मेरा फ़ैसला है और मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूं।

मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए।

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बस्ती-नोडल अधिकारी ने अमरौली शुमाली गांव में चौपाल लगाकर जाना सरकारी योजनाओं का हाल

बस्ती: मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार नियुक्त किए गए नोडल अधिकारी ने बृहस्पतिवार को सल्टौआ विकास खंड के अमरौली शुमाली ग्राम पंचायत में चल रही सरकारी योजनाओं की समीक्षा की ।
      पाइप लाइन सप्लाई का हाल जानते अधिकारी
नोडल अधिकारी जिला पूर्ति अधिकारी रमन मिश्रा ने प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली में आयोजित चौपाल में ग्रामीणों से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की हकीकत जानने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को पहले बताया उसके बाद उसके प्रगति और लोगों को मिल रहे लाभ के बारे जाना ।
गांव में बने सोख्ता का निरीक्षण करते नोडल अधिकारी
 चौपाल में अधिकारी ने  स्वच्छ भारत मिशन ,वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग तथा विधवा पेंशन, मनरेगा में रोजगार, खाद्यान्न वितरण, विद्युत आपूर्ति, पेय जल, पुष्टाहार,  प्रधानमंत्री आवास एवं कृषि योजनाओं की सुविधा प्राप्त करने के बारे में जानकारी ली। 
चौपाल में नोडल अधिकारी और प्रधान विजय प्रकाश वर्मा
ग्राम पंचायत के निवासी संदीप यादव और दिनेश चौधरी ने बताया कि उन्हें शौचालय योजना का लाभ नही मिल रहा है जिसके कारण उन्हें शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है ,इस समस्या को लेकर चौपाल में उपस्थित ग्राम पंचायत अधिकारी रमाकांत वर्मा से नोडल अधिकारी ने जवाब मांगा रमाकांत वर्मा ने चौपाल में जवाब देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत में 784 शौचालय का लक्ष्य है जिसके सापेक्ष 673 शौचालय का निर्माण हो चुका है और का निर्माण हो रहा है ।इसके अलावां बचे हुए लोगों का बेस लाइन सूची में नाम न होना बताया गया।

पेंशन ,आवास और राशन से वंचित लोगों ने भी योजना का लाभ न मिलने की शिकायत की नोडल अधिकारी ने सभी समस्याओं को नोट किया और इसके बारे में पंचायत अधिकारी से जवाब मांगा पंचायत अधिकारी रमाकांत वर्मा ने बताया कि गांव में 60 वृद्धा पेंशन एवं 23 विकलांग पेंशन दिया जा रहा है इसके अलावां छूटे हुए 120 विधवा और वृद्धा पेंशन लगवाने के लिए सूची भेजा गया है उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में 2011 के सूची के अनुसार30 लोगों को आवास दिया गया है  इसके अलावां बचे हुए लोगों का नाम भेजा गया है।राशन कार्ड से वंचित पात्रों को लाभ दिलाने के लिए 23 तारीख को कैम्प लगाकर योजना से छूटे लोगों का चयन करने के लिए अधिकारी ने विभाग के लोगों को निर्देशित किया ।

चौपाल में लोगों की समस्या और योजनाओं की प्रगति को जानने के बाद नोडल अधिकारी ने पेंशन ,मनरेगा से रोजगार, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वच्छता पर विशेष जोर देने के लिए ग्राम प्रधान विजय प्रकाश वर्मा को निर्देशित किया । नोडल अधिकारी रमन मिश्रा ने ग्राम पंचायत में घूम कर मनरेगा ,निर्माणधीन आंगनवाड़ी केंद्र और सोख्ता का भी निरीक्षण किया ।चौपाल में विपणन अधिकारी रमेश चन्द्र वर्मा ,रोजगार सेवक रामनयन चौधरी ,कोटेदार रामनयन ,सफाईकर्मचारी उमेश चौधरी सहित गांव के बाबूराम वर्मा, जमुना यादव ,राममिलन वर्मा ,तपानाथ यादव,महंत यादव ,अनिल चौधरी ,संजय चौधरी ,संजय सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।

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संयुक्त राष्ट्र ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.7 प्रतिशत किया

संयुक्त राष्ट्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है. यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है. संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में कहा गया है कि कुछ अन्य उभरते देशों में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर में इस साल कुछ तेजी आ सकती है. पिछले साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर सबसे कम 2.3 प्रतिशत रहने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने यह बात कही. संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना (डब्ल्यूईएसपी), 2020 के अनुसार 2020 में 2.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है. लेकिन व्यापार तनाव, वित्तीय उठा-पटक या भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने चीजें पटरी से उतर सकती हैं.

भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रह सकती है. हालांकि डब्ल्यूईएसपी 2019 में इसके 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. वहीं अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया जबकि पूर्व में इसके 7.4 प्रतिशत रहने की बात कही गयी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 6.8 प्रतिशत रही. 

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गुरुवार, 16 जनवरी 2020

उत्तर प्रदेश के बस्ती में और ओडिशा के कटक में ट्रेन पलटा

उत्तर प्रदेश के बस्ती में एकबार फिर ट्रेन हादसा हुआ है जिसमे मालगाड़ी के चार डब्बे पलट गए ,ट्रेन गोंडा से बस्ती होते हुए गोरखपुर जा रही थी , ट्रेन के रूट को बहाल करने के लिए आरपीएफ की टीम काम कर रही है ।बता दें कि इसके पहले भी जनवरी 2018 और जनवरी 2019 में भी मालगाड़ी और पाटिलपुत्र एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी।
वहीं ओडिशा में कटक के पास लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को टक्कर मार दिया जिससे 8 कोच पटरी से उतर गए और 20 लोग घायल हुए हैं

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बुधवार, 15 जनवरी 2020

आप ने जारी किया दिल्ली के 70 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची ,8 महिलाओं को टिकट

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election) के लिए सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी की बैठक में उम्मीदवारों के नाम तय किए गए हैं. आम आदमी पार्टी ने 46 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है, जबकि 15 का टिकट काट दिया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से, जबकि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पटपड़गंज से चुनाव लड़ेंगे. आम आदमी पार्टी ने इस बार इस बार 6 की जगह 8 महिलाओं को टिकट दिए हैं.

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मंगलवार, 14 जनवरी 2020

सोनहा /खिचड़ी सहभोज में ब्लॉक प्रमुख ने असहाय लोगों में वितरित किया कंबल

केoसीo श्रीवास्तव -
 सल्टौआ विकास खंड के ब्लॉक प्रमुख अशोक कुमार मिश्रा ने सोनहा बाजार के मंडप शिव मंदिर पर खिचड़ी सहभोज का आयोजन किया इस मौके पर क्षेत्र के असहाय लोगों में कंबल वितरण का कार्यक्रम भी किया गया ।
अमरौली शुमाली के क्षेत्र पंचायत सदस्य पंकज सिंह(पप्पू) ने बताया कि सहभोज कार्यक्रम में क्षेत्र के 1531 से अधिक असहाय एवं कमजोर लोगों में भीषण ठंड को देखते हुए कंबल वितरित किया गया 
इस मौके पर रेंगी के प्रधान दुर्गेश मणि त्रिपाठी ,रामनयन पाण्डेय ,राजेन्द्र मौर्य ,संतोष शुक्ला, प्रधान राजेश पाण्डेय ,प्रधान रामनिवास चौधरी ,प्रधान रंगीलाल ,गुड्डू प्रधान ,कन्हैया कुमार ,कनिकराम चौधरी ,गंगाराम सोनकर ,लल्लू चौधरी ,अरशद खान ,रामजियावन गुप्ता ,उमाशंकर यादव ,विजय पाण्डेय ,राधेश्याम यादव ,मुबारक अली ,रामावतार सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा -*

*UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा -*





उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकारों का दायरा भी बड़ा हो जाएगा। हालांकि मुंबई, कोलकता व दिल्ली में लागू कमिश्नर प्रणाली की भांति अब भी अब प्रदेश में पुलिस के पास आबकारी लाइसेंस, सराय एक्ट व चलचित्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार नहीं होगा। यह अधिकार मजिस्ट्रेट के पास ही सुरक्षित रहेगा। बताया गया कि जब इन अधिकारों को लेकर चर्चा छिड़ी तो आईपीएस अधिकारियों ने इन्हें हासिल करने के लिए ज्यादा जोर भी नहीं लगाया।लंबे समय से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कराने के लिए कसरत कर रहे आईपीएस अधिकारी इस बार यह मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। इन मुद्दों पर उन्होंने रणनीति के तहत खामोशी को चुना। आईएएस अधिकारी भी सारे अधिकार अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाह रहे थे। भले ही आइएएस अधिकारियों ने कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने का खुलकर विरोध नहीं किया, लेकिन लाइसेंस देने के प्रमुख अधिकारों को लेकर उन्होंने अपने सभी दांव जरूर चले।दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत पुलिस को धारा 107/116 के तहत किसी को पाबंद करने के साथ-साथ रास्ते के विवाद में आदेश देकर उसे खाली कराने का अधिकार भी होगा। लोक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस धारा -144 लागू करने के साथ ही शांतिभंग करने की आशंका में किसी व्यक्ति का धारा-151 के तहत चालान करने के साथ ही एसडीएम की तरह उसे सुनवाई कर आरोपित को जेल भेजने अथवा जमानत पर छोड़ने का अधिकार पुलिस के पास होगा।कारागार में अब चेकिंग करने का अधिकार भी पुलिस आयुक्त के पास होगा। अब तक जेलों में डीएम के साथ ही एसएसपी/एसपी निरीक्षण करने जाया करते थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुलिस आयुक्त के पास किसी बंदी की सात-आठ दिनों की पैरोल मंजूर करने का अधिकार भी होगा। पुलिस कमिश्नर के पास अब विष से जुड़े मामलों, अनैतिक देह व्यापार, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े मामलों से लेकर पशु क्रूरता के मामलों में भी कार्रवाई करने की शक्ति होगी।पुलिस आयुक्त के परिभाषित अधिकारों में एनएसए के तहत कार्रवाई करने का अधिकार निहित है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार इसी प्रकार पुलिस आयुक्त को शस्त्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार भी है। उत्तर प्रदेश में इस नई प्रणाली को लागू किए जाने के बाद शस्त्र लाइसेंस निर्गत करने के अधिकार को लेकर अभी आईएएस व आईपीएस संवर्ग के बीच खींचतान जरूर देखने को मिलेगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि शस्त्र अधिनियम, सरांय एक्ट, आबकारी अधिनियम, चलचित्र अधिनियम, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट समेत कई अधिकार डीएम के पास ही रहेंगे।दिल्ली में होमगार्ड विभाग पर पुलिस कमिश्नर का नियंत्रण है। उत्तर प्रदेश में अभी इसे लेकर चर्चा नहीं हो सकी है। यहां होमगार्ड पर नियंत्रण अभी डीएम का ही रहेगा।पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए सरकार ने आइपीएस व पीपीएस संवर्ग के आवश्यक पदों को समायोजन से भरे जाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा अन्य संसाधनों को वर्तमान में उपलब्ध बजट से ही पूरा किया जाएगा। बताया गया कि लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने से विभाग पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

UP में कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही बढ़ा पुलिस के अधिकारों का दायरा
ये नई शक्तियां मिलीं

1. पुलिस लागू कर सकेगी धारा 144। दंड प्रकिया संहिता की धारा 58 व अध्याय आठ (शांति और सदाचार के लिए) और अध्याय 10 (लोक व्यवस्था व शांति बनाए रखना) में परिभाषित मजिस्ट्रेट की कार्यशक्तियां होंगी।
2. उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 (उप्र अधिनियम संख्या आठ वर्ष 1971) के विधिक अधिकार होंगे।
3. विष अधिनियम-1919 के विधिक अधिकार होंगे।
4. अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम-1956 के विधिक अधिकार होंगे।
5. पुलिस (द्रोह-उद्दीपन) अधिनियम-1922 के विधिक अधिकार होंगे।
6. पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम-1960 के विधिक अधिकार होंगे।
7. विस्फोटक अधिनियम-1844 के विधिक अधिकार होंगे।
8. कारागार अधिनियम-1894 के विधिक अधिकारी होंगे।
9. सरकारी गोपनीय अधिनियम-1923 के विधिक अधिकार होंगे।
10. विदेशी अधिनियम-1946 के विधिक अधिकार होंगे।
11. गौर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 के विधिक अधिकार होंगे।
12. भारतीय पुलिस अधिनियम-1861 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
13. उप्र अग्निशमन सेवा अधिनियम-1944 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
14. उप्र अग्नि निवारण व अग्नि सुरक्षा अधिनियम-2005 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।
15. उप्र गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम-1986 के विधिक अधिकार दिए जाएंगे।

 रिपोर्ट
पीसी चौधरी
मैनेजिंग एडिटर तहकीकात समाचार लखनऊ

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CAA पर बोले माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला, कहा- भारत में जो हो रहा है वह दुखद है


नागरिकता संशोधन कानून CAA पर बोले माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला, कहा- भारत में जो हो रहा है वह दुखद है को लेकर देश भर में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सत्या नडेला ने भारत में उभरी इस स्थिति को दुखद करार दिया है. CAA को लेकर BuzzFeed editor-in-chief बेन स्मिथ द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में नडेला ने कहा, 'मुझे लगता है कि जो कुछ हो रहा है वह दुखद है. यह सिर्फ बुरा है. मुझे एक बांग्लादेशी आप्रवासी देखना पसंद आएगा जो भारत आता है और अपने सक्रिय योगदान से इन्फोसिस का अगला सीईओ बनता है.' जाने माने इतिहास रामचंद्र गुहा ने नडेला के इस बयान का स्वागत किया है. गुहा खुद इस बात के समर्थक रहे हैं कि देश के आईटी सेक्टर के लोगों को इस कानून के खिलाफ बोलने का साहस दिखाना चाहिए.

नडेला के बयान के समर्थन में ट्विटर पर गुहा ने लिखा, 'मैं खुश हूं कि सत्य नडेला ने वो कहा जो वो महसूस करते थे. मैं चाहता हूं कि हमारे अपने आईटी सेक्टर के लोगों में वह कहने का साहस हो जो वह सोचते हैं.' बता दें, रामचंद्र गुहा CAA को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमला करते रहे हैं. उन्होंने इस कानून का खुलकर विरोध किया है. पिछले महीने बेंगलुरु में CAA के विरोध में निकाली गई रैली में शामिल होने के चलते उन्होंने बेंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था.
इसके साथ ही गूगल, उबर, अमेजन और फेसबुक जैसे दिग्गज तकनीकी कंपनियों में कार्यरत 150 से अधिक भारतीय मूल के पेशेवरों ने पहली बार CAA और NRC के खिलाफ खुला पत्र लिखा है. अपने पत्र में इन दिग्गजों ने इन दोनों कानूनों को फासीवादी करार दिया है. पत्र के जरिए इन लोगों ने सत्य नडेला, अल्फाबेट इंक के CEO सुंदर पिचाई और रिलायंस के प्रमुख मुकेश अंबानी से कहा है कि वह केंद्र सरकार के इस कदम की सावर्जनिक रूप से निंदा करे. पत्र में कहा गया है, 'CAA 2019 NRC के साथ संयुक्त रूप से एक व्यापक मुस्लिम विरोधी योजना है, जो मुसलमानों के लिए अधिक वैधानिकता और वैश्विक असमानता पैदा करेगी. भारत की स्थिति पहले ही आर्थिक गिरावट और जलवायु परिवर्तन के चलते बदतर होती जा रही है.'

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भी CAA को 'मौलिक रूप से भेदभावपूर्ण' कहा है. अपने बयान में मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान द्वारा प्रदान की गई समानता के प्रति प्रतिबद्धता को "कमज़ोर" करता है. वहीं पिछले महीने बेंगलुरु से बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया था कि केवल "निरक्षर और पंचर-दीवार" वाले लोग ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं. 

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सोमवार, 13 जनवरी 2020

बीजेपी ने 2018-19 में भ्रष्टाचार से कमाये 1450 करोड़ रुपया,दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस

विश्वपति वर्मा-

चुनावी बांड जो एक तरह से भ्रष्टाचार के पैसे को खपाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा तैयार की गई योजना है इसके तहत पैसा देने वाले की पूरी जानकारी गुप्त रखी जाती है इस लिए यह राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा भ्रष्टाचार ही कहा जायेगा। 

 वित्त वर्ष 2018-2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कुल आय 2,410 करोड़ रुपये रही. पार्टी ने चुनाव आयोग को दी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है.टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-2018 में 1,027 करोड़ रुपये की आय की तुलना में इस बार भाजपा की आय में 134 फीसदी का इजाफा हुआ है.भाजपा की कुल आय का 60 फीसदी हिस्सा चुनावी बॉन्ड के जरिए इकट्ठा हुआ है. चुनावी बॉन्ड से ही भाजपा को 1,450 करोड़ रुपये की आय हुई है. वित्त वर्ष 2017-2018 में भाजपा ने चुनावी बॉन्ड से 210 करोड़ रुपये की आय होने का ऐलान किया था.इनमें से लगभग 60 फीसदी यानी 1,450 करोड़ रुपये की धनराशि चुनावी बॉन्ड के जरिए इकट्ठा की गई. 2018-2019 में भाजपा का कुल खर्च 1005 करोड़ रुपये से अधिक हुआ था, जो 2017-2018 में 758 करोड़ रुपये से 32 फीसदी अधिक है.


वहीं, 2018-2019 में कांग्रेस की कुल आय 918 करोड़ और कुल खर्च 470 करोड़ रुपये रहा. कांग्रेस को इस अवधि में चुनावी बॉन्ड से 383 करोड़ रुपये मिले, जो 2017-2018 में मिले पांच करोड़ रुपये की तुलना में बहुत अधिक है.यह जानकारी ऐसे समय में और महत्वपूर्ण हो जाती है जब विपक्ष, कार्यकर्ताओं और चुनाव आयोग की आलोचना के बावजूद सरकार ने चुनावी बॉन्ड की बिक्री जारी रखी है.इस सप्ताह 13वीं बार चुनावी बॉन्ड की बिक्री का  ऐलान किया गया था और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की 29 शाखाओं के जरिए 13 से 22 जनवरी के बीच इनकी बिक्री की जाएगी.

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक, मार्च 2018 में चुनावी बॉन्ड की शुरुआत से लेकर अब तक एसबीआई 6,128 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की बिक्री कर चुका है. भाजपा को इससे सर्वाधिक लाभ हुआ है.वहीं, विपक्षी पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड को लागू करने में अपारदर्शिता की आलोचना की है. इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस पर इस महीने के अंत में सुनवाई होगी.मालूम हो कि पिछले कुछ समय में चुनावी बॉन्ड के संबंध में कई खुलासे सामने आए हैं जिसमें पता चला है कि आरबीआई, चुनाव आयोग, कानून मंत्रालय, आरबीआई गवर्नर, मुख्य चुनाव आयुक्त और कई राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इस योजना पर आपत्ति जताई थी.हालांकि वित्त मंत्रालय ने इन सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को पारित किया. इस बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की पहचान बिल्कुल गुप्त रहती है.

आरबीआई ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में संशोधन करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इससे मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन मिलेगा और केंद्रीय बैंकिंग कानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा.वहीं, चुनाव आयोग और कई पूर्व चुनाव आयुक्तों ने चुनावी बॉन्ड की कड़ी आलोचना की थी. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर कर कहा था कि चुनावी बॉन्ड पार्टियों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता के लिए खतरनाक है.

ज्ञात हो कि चुनावी बॉन्ड पर कोई ब्याज नहीं लगता और इसे गोपनीय रूप से किसी भी राजनीतिक दल को दिया जा सकता है. ये बॉन्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख और एक करोड़ में जारी किए जाते हैं.सिर्फ एसबीआई ही चुनावी बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत है. दानकर्ता अपनी पसंदीदा पार्टी को बॉन्ड दे सकता है, जिसे बाद में पार्टियां 15 दिनों के भीतर अपने सत्यापित खातों के जरिए भुना सकती है.

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रविवार, 12 जनवरी 2020

जानिए भारत मे डॉट इन ,डॉट कॉम के अलावां कौन कौन सी हैं वेबसाइटें ,और जाने सरकारी डोमेन कोड

in भारत का इंटरनेट का शीर्ष-स्तर डोमेन (सी॰सी॰टी॰ऍल॰डी॰) देश कोड है। डोमेन का संचालन आईएनरजिस्ट्री द्वारा नेशनल इंटरनेट एक्साचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) के प्राधिकरण के अन्तर्गत होता है। आइएनरजिस्ट्री को भारत सरकार द्वारा नियत किया गया।

वर्ष २००५ तक, .in डोमेन की उदारीकृत नीति के तहत, .in के द्वितीय स्तर के असीमित पंजीकरण किये जा सकते हैं। पहले से निर्धारित एवं उपलब्ध क्षेत्रों में भी असीमित पंजीकरण अनुमत हैं:
  • .in (सभी के लिए उपलब्ध; भारत में व्यक्तिगत, कंपनियों द्वारा और संगठनों द्वारा काम में लिया जाता है।)
  • .co.in (मूल रूप से बैंको, पंजीकृत कंपनियों और पंजीकृत व्यापार सामग्री के लिए)
  • .firm.in (मूल रूप से दुकानों, भागीदारी, सम्पर्क कार्यालयों, एकल स्वामित्व)
  • .net.in (मूल रूप से अन्तर्जाल सेवा प्रदाता के लिए)
  • .org.in (मूल रूप से लाभ-निरपेक्ष संस्थानों के लिए)
  • .gen.in (मुख्य रूप से सामान्य/विविध कार्यों के लिए)
  • .ind.in (व्यक्तिगत)
छः क्षेत्र को भारत में अर्हता प्राप्त संस्थानों के लिए आरक्षित रखा गया है:
  • .ac.in (अकादमीक संस्थान)
  • .edu.in (शैक्षिक संस्थान)
  • .res.in (भारतीय शोध संस्थान)
  • .ernet.in (पुराना, शिक्षण और शोध संस्थानों दोनों के लिए)
  • .gov.in (भारतीय सरकार)
  • .mil.in (भारतीय सेना)
पंजीकरण में छूट देने से पहले भारत में १९९२ से २००४ तक केवल ७००० नामों का ही .in डोमेन के साथ पंजीयन हुआ। मार्च २०१० के आँकड़ों के अनुसार, यह संख्या ६१०,००० डोमेन नामों से भी ऊपर पहुँच चुकी थी जिनमें से ६०% नाम भारत से थे बाकी नाम देश के बाहर से थे। अक्टूबर २०११ के आँकड़ों के अनुसार यह संख्या दस लाख से भी ऊपर पहुँच चुकी थी। यह डोमेन लघु-डोमेन के लिए लोकप्रिय है।
डोमेन .nic.in राष्ट्रीय सूचना एवं विज्ञान केन्द्रों के लिए आरक्षित है लेकिन वास्तविकता में अधिकतर भारतीय अभिकरणों के डोमेन का अन्त .nic.in पर होता है।



भारत अन्तर्राष्ट्रीयकृत डोमेन नाम आरम्भ करने की योजना बना रहा है जो भारत की सभी २२ स्थानीय भाषाओं में हों। ये अन्तर्राष्ट्रीयकृत डोमेन नाम भारत के सात नये शीर्ष डोमेनों के साथ प्रयुक्त किये जा सकेंगे।
ये शीर्ष डोमेन निम्नलिखित हैं:
  • .भारत (देवनागरी), निम्न क्षेत्रों में उपलब्ध होंगे
मूल देवनागरी कड़ियाँ
भारत
कंपनी.भारत
विद्या.भारत
सरकार.भारत

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