शनिवार, 30 नवंबर 2019

प्रधानमंत्री आवास व लाभकारी योजनायें विधवा वृद्ध दिव्यांग को नहीं तो किसे?चन्द्रमणि पाण्डेय


 विकास कार्यों का जमीनी हकीकत दिखाने हेतु कप्तानगंज विधानसभा में पोलखोल अभियान की शुरूवात करते हुए समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामाजी ने मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आवास व अन्य लाभकारी योजनाओं पर बडा सवाल करते हुए पूंछा कि यदि सरकार की जनहितकारी योजनाएं गरीब असहाय विधवा वृद्ध दिव्यांग तक नहीं पहुंच रही है तो फिर योजना का लाभ किसे दिया जा रहा है ,शिक्षकों को प्रेरणा ऐप्स देने वाली सरकार व उसके अधिकारी जनप्रतिनिधि पात्रों तक लाभ पहुंचाने की प्रेरणा कब लेंगें।

 वास्तव में पूंजीपतियों के हाथों की कठपुतली बन चुकी केंद्र व प्रदेश सरकार की हर योजनायें बजट डकारने का माध्यम बन चुकी हैं धन के बंदरबांट की होड में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की नैतिकता शून्य हो चुकी है फलतः शिक्षा व चिकित्सा ही नहीं चाय व पान की दुकान भी अब पूंजीपतियों को दी जा रही है आम इंसान की दुकान अतिक्रमण व अवैध बताकर हटाई जा रही है श्री पाण्डेय ने आज कप्तानगंज विधानसभा के हाईवे से सटे बढनी गांव के विकास योजनाओं की अनियमितता दिखाते हुए बताया कि उक्त गांव की अत्यंत गरीब लाचार विधवा महिला इंद्रावती यादव जिसके चार बच्चों में दो बडी बेटियां क्रमशः 20, व 17साल की व दो बेटे 14 व 11साल के हैं समय की मार झेल रही महिला का छोटा बेटा मामा के यहां रहकर पढ रहा है तो पढने की उम्र में संसाधन के अभाव में वो दोनों बेटियों व बडे बेटे संग कृषिकार्य व मजदूरी कर किसी तरह जीवन यापन कर रही हैं एक बेटी शादी लायक हो चुकी है किन्तु जिसके पास भोजन व आशियाना ही नहीं वो शहनाई के बारे में कब सोचें ससुर व पति द्वारा बनाया गया खपरैल मकान धराशायी हो चुका है किन्तु आवास तो दूर आपदा राहत व शौचालय तक परिवार के पास नहीं है और हम हैं कि विषमता के इस दौर में रामराज्य का ढिंढोरा पीट रहे हैं ।उन्होने जिले के जिलाधिकारी,सांसद व कप्तानगंज विधायक से अपील किया कि एक व्यापक अभियान चलाकर पात्रों तक योजना पहुंचायें वरन 12दिसम्बर को हम पुनः एक व्यापक लडाई लडने को बाध्य होंगें इस मौके पर श्री पाण्डेय के साथ दर्जनों समर्थक व ग्रामीण मौजूद रहे

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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर शौचालय की सीट से कूड़ेदान के डिब्बों पर बेंचे गए गांधी

विश्वपति वर्मा ,
इस देश मे बूढ़े गांधी को खूब बेंचा गया वर्तमान की भाजपा सरकार ने तो गांधी जी को शौचालय की दीवार से लेकर कूड़ेदान की डब्बे पर जमकर बेंचा , स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर गांधी के अंग अंग को जगह -जगह बेंचा गया गांव के अंतिम झोपड़ी पर बनने वाली शौचालय से लेकर संसद भवन के दीवार पर गांधी को छापा गया , स्वच्छता और शौचालय के लिए सरकारी खजाने से 1.95 लाख करोड़ रुपया खर्च किया गया लेकिन उसका परिणाम क्या मिला ?


क्या किसी गांधी को भारत के बाजार में ब्रांड एंबेसडर बना देने से भारत के अशिक्षित लोगों में जागरूकता आ जायेगी?क्या गांधी के नाम पर पैंसे की बर्बादी कर देश की दशा और दिशा बदल जाएगी ?हमे नही लगता है कि सदन में सरकार की तरफ से देश भर 16.34 करोड़ घरों में शौचालय का प्रयोग किये जाने का जो आंकड़ा पेश किया जा रहा है वह धरातल पर चल भी रहा है।

 पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में भी निर्मल भारत अभियान के नाम पर खूब शौचालय बने लेकिन 2011-12 के बाद 90 फीसदी शौचालय जमीन में धंसता हुआ नजर आया  ,उसके बाद एक बार फिर स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर 2017-18 के बाद अभियान चला कर शौचालय बनवाये गए और पूरा देश और देश के गांव ओडीएफ कर दिया गया ।लेकिन सब कुछ कागजों में ।

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गुरुवार, 28 नवंबर 2019

स्कूल में ताला लगाकर धरना प्रदर्शन करने गए गुरुजी

शासन की उदासीनता के चलते परिषदीय विद्यालयों की स्थिति में सुधार होने का नाम नही ले रहा है ,जंहा कभी अध्यापकों की अनुपस्थिति तो कभी स्कूल में ताला लटका हुआ दिखाई देता है।

आज एक बार फिर अपने निजी जरूरतों और मांगों को लेकर परिषदीय स्कूलों में ताला लग गया जिसके नाते सैकड़ों बच्चे स्कूल से लौट गए ,जानकारी के अनुसार आज शिक्षक संघ द्वारा कुछ मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया है जिसकी वजह से अधिकतर विद्यालय बंद कर दिए।

सल्तटौआ ब्लॉक के अमरौली शुमाली प्राथमिक विद्यालय में पसरा सन्नाटा

हमारे सहयोगी पत्रकार हेमंत पाण्डेय ने तस्वीर दी जंहा प्राथमिक विद्यालय बखरिया और जगदीशपुर में बंद मिला विद्यालय


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कोई भी व्यक्ति एक से अधिक लाइसेंसी हथियार नहीं रख सकेगा

आर्म्स एक्ट में संशोधन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. आर्म्स ऐक्ट 1959 के सेक्शन 3 (2) में संशोधन किया जाएगा. संशोधन में किसी भी व्यक्ति के लिए तीन फ़ायर आर्म से संख्या घटाकर केवल एक करने का प्रावधान है. इसी सत्र में संसद में यह बिल रखा जाएगा. सभी पार्टियों के राजघरानों के संसादों और राजपूत सांसदों ने इस संशोधन का विशेष तौर पर विरोध किया है.

बिल में संशोधन के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बंदूक, पिस्तौल आदि नहीं रख सकेगा. अभी यह सीमा तीन हथियारों की है. विरोध कर रहे सांसदों की दलील है कि पुश्तैनी हथियार हैं जो पीढ़ियों से चले आ रहे हैं. बिल में प्रावधान है कि ऐसे पुश्तैनी हथियारों की एक अलग श्रेणी होगी लेकिन उनके प्रयोग के लिए कारतूस नहीं रख सकते.

सांसदों की दलील है कि दशहरे पर शस्त्र पूजन में इन हथियारों का प्रयोग होता है. राजघरानों की दलील है कि रियासतों का भारत में विलय इन हथियारों के साथ ही हुआ था, ऐसे में इन पर रोक ठीक नहीं है. यह भी दलील है कि शूटिंग में भारत को सबसे अधिक पदक मिलते हैं, ऐसे हथियारों से ही बचपन से खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं.

दलील जी जा रही है कि 95 फीसदी लोगों के पास एक ही फ़ायर आर्म है. केवल 5 प्रतिशत लोगों के पास एक से अधिक फ़ायर आर्म हैं. वे सभ्य नागरिक हैं और किसी भी तरह के अपराध में शामिल होने का संभावना नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक अधिकतर अपराध गैर लाइसेंसी हथियरों से होते हैं.

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बुधवार, 27 नवंबर 2019

27 साल के करियर में 53वीं बार तबादले पर IAS अशोक खेमका का छलका दर्द

हरियाणा कैडर के वरिष्ठ IAS अधिकारी अशोक खेमका  का 53वीं बार तबादला कर दिया गया है. हरियाणा सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ नौकरशाह अशोक खेमका को इस बार अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभागों का प्रधान सचिव बनाया है. इससे पहले इसी साल मार्च में खेमका का ट्रांसफर करते हुए उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया था. करीब 27 साल के करियर में 53वीं बार तबादले पर अशोक खेमका का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''फिर तबादला. लौट कर फिर वहीं. कल संविधान दिवस मनाया गया. आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया. कुछ प्रसन्न होंगे. अंतिम ठिकाने जो लगा, ईमानदारी का ईनाम जलालत.''

गौरतलब है कि अशोक खेमका 1991 बैच के हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी हैं. वह गुरुग्राम में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीन सौदे से जुड़ी जांच के कारण सुर्खियों में रहे हैं. कहा जाता है कि अशोक खेमका जिस भी विभाग में जाते हैं, वहीं घपले-घोटाले उजागर करते हैं, जिसके चलते अक्सर उन्हें ट्रांसफर का दंश झेलना पड़ता है. वह भूपिंदर सिंह हुड्डा के शासनकाल में भी कई घोटालों का खुलासा कर चुके हैं. अशोक खेमका पश्चिम बंगाल के कोलकाता में पैदा हुए. फिर आईआईटी खड़गपुर से 1988 में बीटेक किए और बाद में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी किए. उन्होंने एमबीए भी कर रखी है.  बता दें कि नवंबर 2014 में तत्‍कालीन हुड्डा सरकार ने रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के लैंड डील से जुड़े खुलासे के बाद खेमका का तबादला परिवहन विभाग में कर दिया था, जिसको लेकर काफी हो-हल्ला मचा था और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठे थे.

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सरकारी काम कराने के लिए हर दूसरे भारतीय को देना पड़ता है घूस


द इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, भारत में पिछले साल के मुक़ाबले रिश्वतखोरी के मामलों में 10 फ़ीसदी की गिरावट आई है.


ट्रांसपरेंसी इंटरनेशन इंडिया के 'द इंडिया करप्शन सर्वे 2019' के हवाले से ये बात कही गई है. इस सर्वे में ये भी कहा गया है कि बीते 12 महीनों में 51 फ़ीसदी भारतीयों ने रिश्वत देने का काम किया है.

ये सर्वे दिल्ली, बिहार, हरियाणा और गुजरात समेत क़रीब 20 राज्यों में किया गया था. सर्वे की मानें तो अब भी रिश्वत के लिए नकद का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है.

इस सर्वे में 16 फ़ीसदी लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने ये कहा कि वो बिना रिश्वत दिए अपना काम निकलवा लेते हैं.

सर्वे के मुताबिक़, सबसे ज़्यादा रिश्वत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और ज़मीन से जुड़े मामलों में दी जाती रही है.


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मंगलवार, 26 नवंबर 2019

संविधान के मूल भावना को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया

अपना दल ने मंगलवार को संविधान दिवस के अवसर पर हलुआ बाजार स्थिति पार्टी कार्यालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया ।इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं ने संविधान निर्माता भारत रत्न डा.भीमराव अम्बेडकर की चित्र  पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए संविधान के मूल भावना को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

     गोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य राम सिंह पटेल ने कहा कि संविधान के बिना स्वतंत्रता की कल्पना नही की जा सकती है, संविधान से प्राप्त अधिकारो व कर्तव्यों को जन जन तक  पहुंचाकर लोगो के सामाजिक शोषण  से बचाया जा सकता है।

     जिलाध्यक्ष गोण्डा राकेश वर्मा ने कहा कि हमारा भारतीय संविधान मूलत: बौद्ध दर्शन के आदर्शों पर आधारित है, जिसमें मानव-मानव के बीच समानता, भ्रातृत्व और सामाजिक न्याय का सामंजस्य दिखता है। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीम राव अम्बेडकर ने संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण के दौरान कहा था कि हमारे लोकतंत्र की जड़ें सदियों गहरी और पुरानी है ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाउपाध्यक्ष राम कुमार पटेल तथा संचालन राजमणि पटेल ने किया।   इस अवसर पर प्रकाश पटेल,विनय कुमार प्रजापति,उदयभान,गंगा राम वर्मा,केशव प्रसाद,शिव कुमार,अकबाल, साधू चौधरी, जगराम गौड़,राहुल पटेल,राम अनुज,मंसाराम वर्मा आदि मौजूद रहे ।

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आइये जानते हैं राजनीति में क्या होता है फ्लोर टेस्ट

 महाराष्ट्र चुनाव के बाद सरकार बनाने को लेकर चल रही खींचातानी के बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुच गया है ,जंहा पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बुधवार शाम 5 बजे के पहले पारदर्शी तरीके से फ्लोर टेस्ट का कार्य पूरा कर लिया जाए ।

आइये जानते हैं क्या होता है फ्लोर टेस्ट
फ्लोर टेस्ट के जरिए यह फैसला लिया जाता है कि वर्तमान सरकार या मुख्यमंत्री के पास पर्याप्त बहुमत है या नहीं. चुने हुए विधायक अपने मत के जरिए सरकार के भविष्य का फैसला करते हैं.
फ्लोर टेस्ट सदन में चलने वाली एक पारदर्शी प्रक्रिया है और इसमें राज्यपाल का किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप नहीं होता. सत्ता पर काबिज पार्टी के लिए यह बेहद जरुरी होता है कि वह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करे.

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जयंत पाटिल को व्हिप जारी करने का मिला अधिकार ,आइये जानते हैं क्या होता है व्हिप

अक्सर लोग सोचते हैं कि राजनीति में व्हिप जारी करना क्या है, और राजनीतिक दल व्हिप क्यों जारी करते हैं.
व्हिप का उल्लंघन दल बदल विरोधी अधिनियम के तहत माना जा सकता है और सदस्यता रद्द कर दी जा सकती है. व्हिप 3 तरह के होते हैं- एक लाइन का व्हिप, 2 लाइन का व्हिप और 3 लाइन का व्हिप.

इन तीनों व्हिप में 3 लाइन का व्हिप अहम माना जाता है. इसे कठोर कहा जाता है. इसका इस्तेमाल सदन में अविश्वास प्रस्ताव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस या वोटिंग में किया जाता है. यदि किसी सदस्य ने इसका उल्लंघन किया तो उसकी सदस्यता खत्म होने का भी प्रावधान है.
जैसा कि आज महाराष्ट्र विधानसभा मे देखने को मिला जंहा पर जयंत पाटिल को व्हिप जारी करने का अधिकार मिल गया है, व्हिप एक प्रकार का वह शब्द है जो जो राजनीतिक दल में अनुशासन बनाये रखने के लिए उत्तरदायी होता है ।

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सोमवार, 25 नवंबर 2019

घूस देने वालों से परेशान होकर एडिशनल डिवीजनल इंजीनियर ने दफ्तर में लगाया बोर्ड"मैं ईमानदार हूँ"

तेलंगाना के करीमनगर में एक सरकारी दफतर में घुसते ही  'I Am Uncorrupted' यानि 'मैं ईमानदार हूं' लिखा हुआ बोर्ड मिलता है. दरअसल, यह दफ्तर एडिशनल डिवीजनल इंजीनियर (एडीई) पोदेती अशोक का है. वह तेलंगाना के करीमनगर में स्थिति नॉर्दर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के विभाग में काम करते हैं. उन्होंने अपने दफ्तर में यह बोर्ड इसलिए लगवाया है क्योंकि रोजाना बहुत से लोग अपना काम करवाने के लिए उन्हें रिश्वत देने आते हैं, जिससे वह अब काफी परेशान हो गए हैं.

चमकदार लाल रंग के बोर्ड पर तेलुगु में "नेनु लंचम थेसुकोनू (मैं रिश्वत नहीं लेता हूं)" लिखा है. और उसके नीचे अंग्रेजी में लिखा है "मैं अनकर्प्टेड हूं". द हिंदू के अनुसार, अशोक ने यह बोर्ड लगभग 40 दिन पहले लगाया था और हाल ही में सोशल मीडिया पर उनकी यह तस्वीर काफी वायरल हो रही है.

द न्यूज मिनट के मुताबिक, पोदेती अशोक पिछले 14 सालों से बिजली विभाग में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ''इस दौरान लोगों ने अपना काम करवाने के लिए उन्हें कई बार घूस देने की कोशिश की और उन्हें परेशान किया''.

उन्होंने बताया "हमारे कार्यालय में, हर दिन नए लोग कार्यालय में आते हैं और रिश्वत देने की कोशिश करते हैं. मैं एक ही बात को दोहराते हुए थक गया था, कि मैं रिश्वत नहीं लेता हूं. आखिरकार, मैंने अपने दफ्तर में ये बोर्ड लगाने का फैसला किया. यह नोटिस रिश्वत देने आए लोगों की शंकाओं को दूर करेगा''. उन्होंने यह बताया कि, ''वह बोर्ड के कारण अपने सहकर्मियों से दुश्मनी का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह पूरे विभाग को भ्रष्ट कह रहे हैं''.

अशोक ने आगे कहा, "मेरा कहने का मतलब यह है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे कहने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि दूसरे लोग भ्रष्ट हैं."

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रविवार, 24 नवंबर 2019

एक और बड़े राज्य ने शराबबंदी के तरफ बढ़ाया कदम


आंध्र प्रदेश की जगन सरकार ने शुक्रवार को राज्य में चल रहे सभी बार के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. राज्य में चरणबद्ध तरीके से पूर्ण शराबबंदी को लेकर तीन दिन पहले सरकार ने 40 प्रतिशत बार बंद करने का निर्णय लिया था. राज्य सरकार प्रदेश में दो सालों के लिए नई बार नीति भी लेकर आई है, जो 1 जनवरी, 2020 के बाद से प्रभाव में आएगी. 

इस नीति के तहत, सरकार ने बार खोलने के लिए 10 लाख रुपये की फीस तय करते हुए लॉटरी सिस्टम से लाइसेंस देना तय किया है. मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राज्य में मौजूद 798 बारों में से 40 प्रतिशत को बंद कर दिया जाए. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इसके उपभोग में कमी लाने के लिए शराब की कीमत बढ़ाने का भी प्रस्ताव पेश किया है. 

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शनिवार, 23 नवंबर 2019

बस्ती-रेलवे सलाहकार बोर्ड की बैठक में उठा ब्रिज का मुद्दा ,संजय द्विवेदी ने दिया अहम सुझाव


बस्ती। शनिवार को रेलवे सलाहकार बोर्ड की मासिक बैठक स्टेशन अधीक्षक के कार्यालय में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता क्षेत्रीय प्रबंधक गोंडा मनीष कुमार व संचालन डीसीआई एस. पी.सिंह ने किया। बैठक के उपरांत सलाहकार समिति के सदस्यों ने रेलवे स्टेशन के खाद्य सामग्री, साफ-सफाई व्यवस्था का निरीक्षण कर किया, और आवश्यक निर्देश दिया। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि सलाहकार बोर्ड के सदस्य कभी भी रेंडम खाद्य पदार्थों की चेकिंग कर स्टेशन अधीक्षक को अवगत करा सकतें हैं।

 सलाहकार बोर्ड के सदस्य संजय द्विवेदी ने फुट ओबर ब्रिज की चौड़ाई बढ़ाने व लिफ्ट लगाने का सुझाव दिया। खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उसे ठीक कराने की मांग की। स्टेशन पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट लगाने, कोच डिस्प्ले सिस्टम को ठीक कराने की मांग की। श्री द्विवेदी ने मिल गेट पर रेल ओबर ब्रिज के त्वरित निर्माण की बात रखी।

  बोर्ड के सदस्य नंद किशोर साहू ने रेलवे आरक्षण काउंटर पर डिजिटल टोकेन सिस्टम लगाने व तत्काल टिकट बुकिंग में दलालों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की। बोर्ड के सदस्य सुभाष चन्द्र शुक्ल ने रेलवे ट्रैक व सुलभ शौचालय की साफ-सफाई रखने की मांग की। माल गोदाम के पास पानी बहाव को रोकने स्टेशन परिसर में विधुत प्रकाश हेतु टाबर लगाने की बात रखी।

 बैठक में  स्टेशन अधीक्षक विश्वम्भर चौधरी, सीएचआईं शशिकांत कुमार, अनुराग शुक्ल, विन्देश्वरी लाल श्रीवास्तव, मनोज यादव, हरिमोहन  सर्राफ, राजीव गंभीर, अभिषेक गुप्ता सहित अन्य लोग मौजूद रहे।


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अनुशासनहीनता के आरोप में बसपा ने पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी समेत 4 पूर्व विधायकों को किया बाहर


पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बसपा ने  पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी ,पूर्व विधायक राजेन्द्र प्रसाद चौधरी ,पूर्व विधायक दूधराम और जितेंद्र चौधरी उर्फ नन्दू को बाहर कर दिया है ।

बहुजन समाज पार्टी के जिला कार्यालय बस्ती से जारी सूचना में बताया गया कि इन नेताओं को विरोधी गतिविधियों की सूचना और रिपोर्ट के आधार पर पार्टी से बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर निष्कासित किया गया है।

वंही पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी का कहना है कि उन्होंने स्वयं बसपा के सदस्यता से इस्तीफा दिया है ।

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सीएम बनने के लिए ताकते रहे उद्धव ठाकरे ,देवेंद्र फडणवीस दोबारा बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र में जारी उठापटक के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है. बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली है. वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. सुबह करीब आठ बजे राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. आपको बता दें कि आज सुबह तक महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कही जा रही थी. तीनों दल उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमत भी हो गए थे और चर्चा थी कि आज औपचारिक तौर पर वे राज्यपाल से मिलकर दावा पेश करते, लेकिन इसी बीच बड़ा उलटफेर हो गया.

सीएम पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में एक स्थिर सरकार की जरूरत है, किसी खिचड़ी सरकार की नहीं है. इसीलिये बीजेपी और एनसीपी साथ आए हैं. हम राज्य को एक स्थिर सरकार देंगे. जरूरत पड़ी तो विधानसभा में बहुमत भी साबित करेंगे. आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को परिणाम आए थे. किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवंबर को  राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.

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शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

एक खाते के दो मालिक ,एक पैंसा कमाकर डालता दूसरा मोदी जी भेज रहे हैं समझ कर निकाल लेता

NDTV
मध्यप्रदेश के भिंड में एक शख्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषण को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लेता रहा, जिससे अब वो परेशानी में है. मामला भिंड ज़िले के आलमपुर में स्थित एसबीआई बैंक का है. यहां बैंक की गलती से एक शख्स की गाढ़ी कमाई कोई दूसरा उसी खाते से कोई और निकालता रहा ये समझकर कि पैसा मोदी जी भेज रहे हैं.  दरअसल हुआ कुछ यूं कि यहां रूरई गांव के रहने वाले हुकुम सिंह और रोनी गांव के रहने वाले हुकुम सिंह, दोनों ने आलमपुर ब्रांच में खाता खुलवाया. बैंकर बाबू ने क्या किया कि पासबुक में सिर्फ फ़ोटो अलग-अलग लगवाई बाकी दोनों का पता, और खाता नंबर एक ही दे दिया. यानी खाता एक और मालिक दो.

खाता खुलवाने के बाद रूरई का हुकुम सिंह कुशवाहा रोज़ी कमाने हरियाणा चला गया. यहां पैसे बचाकर वो खाते में जमा करवाता रहा उधर रोनी गांव का हुकुम सिंह बैंक पहुंचकर पैसे निकालता रहा. वो भी एक दो नहीं पूरे 6 महीने तक.  6 महीने में कमाने वाले हुकुम सिंह के खाते से खर्च करने वाले हुकुम सिंह ने 89 हज़ार रुपये निकाल लिए.

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ड्राइवर और गनमैन को किडनैप कर कैश वैन से 80 लाख की लूट

देश की राजधानी दिल्ली में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. सुरक्षा को लेकर पुलिस के तमाम वादों और इंतजामों के बीच अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं और धड़ल्ले से अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।

 ताजा मामला दिल्ली के द्वारका इलाके का है जहां दिनदहाड़े कैश वैन से 80 लाख रुपये लूट लिए गए. बदमाशों ने द्वारका इलाके में दिनदहाड़े पहले तो कैश वैन सहित ड्राइवर और गनमैन को किडनैप कर लिया गया. फिर किडनैप वाली जगह से काफी दूर ले जाकर दोनों की पिटाई करके छोड़ दिया गया और करीब 80 लाख रुपये लूट लिए गए. बता दें, यह वारदात गुरुवार करीब 12:30 बजे हुई. पुलिस ने जानकारी मिलते ही दोनों घायलों को सेक्टर 11 के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.

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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

पूछताछ के बाद होती है धन उगाही का खेल सूत्र _ बस्ती पुलिस


ब्रेकिंग न्यूज बस्ती

सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर ।

सोनहा पुलिस के कार्यशैली पर उठ रहा है सवाल ।

बस्ती जनपद के सोनहा थाने की पुलिस इस वक्त सवालों के घेरे में हैं ।

जंहा आये दिन रेंगी गांव से 1 -2 लोगों को पूछताछ के नाम पर उठा रही है सोनहा पुलिस।

और 24 घण्टा थाने पर रखने के बाद छोड़ने के नाम पर सुबिधा शुल्क ले रही सोनहा पुलिस ।
सूत्र

बता दें कि रेंगी निवासी बेचन प्रसाद 15 तारीख को अचानक लापता हो गए थे जिसकी गुमशुदगी रिपोर्ट सोनहा थाने में दर्ज की गई है ।

इस सम्बंध में पुलिस न जाने किस आधार पर गांव के  लोगों को हिरासत में लेकर करती है 24 घंटों से ज्यादा पूछताछ ।

फिर पूछताछ के बाद होती है धन उगाही का खेल ।

नवनियुक्त थाना प्रभारी से नहीं संभल रहा है थाना , मामले को उजागर करने में अभी तक है फेल।

गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने
की लगभग 1 सप्ताह हो जाने के पर अभी तक नहीं लगा पाई है सोनहा पुलिस बेचन प्रसाद का कोई सुराग।

आए दिन पूछताछ के नाम पर भोले-भाले ग्रामीणों को किया जाता है परेशान ।

पूछताछ के बहाने पैसा कमाने का नया तरीका अपनाई है सोनहा पुलिस । सूत्र

मामला बस्ती जिले के सोनहा थाने के रेंगी गांव का है ।

*तहकीकात समाचार बस्ती*
www.tahkikatsamachar.in

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लोकसभा चुनाव के परिणाम में गड़बड़ी का मामला, सुप्रीम कोर्ट पंहुचा

लोकसभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के इस्तेमाल का मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके मांग की है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह किसी भी चुनाव के अंतिम फैसले की घोषणा से पहले वोट डेटा का वास्तविक और सटीक सामंजस्य स्थापित करे. याचिकाकर्ता ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों से संबंधित आंकड़ों में सामने आईं ऐसी सभी गड़बड़ियों  की जांच की भी मांग की है.

चुनाव आयोग की चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर चिंता जताते हुए याचिका में कहा गया है कि कई मौकों पर चुनाव आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद अपनी वेबसाइट के साथ-साथ अपने ऐप, ‘माई वोटर्स टर्नआउट ऐप' में मतदान का डेटा बदल दिया था.

याचिका में चुनाव आयोग (ईसी) पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि डेटा में कई बदलाव गड़बड़ियों को छिपाने का प्रयास हो सकता है. विशेषज्ञों की एक टीम ने याचिकाकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में डाले गए मतों की संख्या और गिने गए मतों की संख्या के बीच गड़बड़ियों पर शोध किया. यह शोध दो दिनों - 28 मई और 30 जून 2019 को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के साथ-साथ 'माय वोटर्स टर्नआउट ऐप 'पर आधारित था.


याचिका में कहा गया है कि इन दो आंकड़ों पर याचिकाकर्ता के निष्कर्ष निकला है कि 542 निर्वाचन क्षेत्रों में, 347 सीटों पर मतदान और मतगणना में विसंगतियां थीं. विसंगतियां एक वोट से 1,01,323 वोटों तक हुई हैं. 6 सीटें ऐसी हैं, जहां वोटों में विसंगति जीत के अंतर से अधिक है. विसंगतियों के कुल वोट 7,39,104  हैं.

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मंगलवार, 19 नवंबर 2019

मोदी सरकार में भ्रष्टाचार का एक और खुलासा

मोदी सरकार ने चुनावी चंदे को बेहद गोपनीय बनाने वाले चुनावी बॉन्ड योजना पर रिजर्व बैंक के सुझावों और उनकी चेतावनियों को खारिज कर दिया था. हफपोस्ट इंडिया की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.

ज्ञात हो कि चुनावी बॉन्ड योजना राजनीतिक दलों को दानकर्ता की जानकारी दिए बिना असीमित चंदा लेने की सुविधा देता है.


रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के साल 2017 के बजट भाषण से चार दिन पहले एक कर अधिकारी को दस्तावेज खंगालते हुए ये एहसास हुआ कि इन बदलावों के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट में संशोधन करना होगा.

इसके बाद 28 जनवरी 2017 को उस अधिकारी ने उन संशोधनों का एक ड्राफ्ट बनाया और उसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेजा, जिन्होंने इसे आरबीआई के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर रामा सुब्रमण्यन गांधी के पास त्वरित टिप्पणी के लिए भेजा.

इस पर आरबीआई ने सोमवार यानी 30 जनवरी, 2017 को अपना विरोध जताते हुए जवाब दिया. आरबीआई ने कहा कि चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में संशोधन करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इससे मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन मिलेगा, भारतीय मुद्रा पर भरोसा टूटेगा और नतीजतन केंद्रीय बैंकिंग कानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा.

तत्कालीन राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने आरबीआई की इन आपत्तियों को प्राप्त करने के लगभग तुरंत बाद ही खारिज कर दिया. उन्होंने आर्थिक मामलों के सचिव तपन रे और अरुण जेटली को एक नोट लिखा, जिसमें कहा गया कि आरबीआई उनके प्रस्ताव को समझ नहीं पाया.

बाद में जेटली ने बजट भाषण में इस योजना की घोषणा की और लोकसभा ने वित्त विधेयक पारित किया. इसे मनी बिल यानी धन विधेयक कहते हुए सरकार ने राज्यसभा में पेश नहीं किया. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया कि क्या इसे धन विधेयक के रूप में पारित कराना सही था या नहीं.

हफपोस्ट इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई की आपत्तियों पर कोई आर्थिक तर्क देने के बजाय केंद्र ने सीधा ये कहा कि आरबीआई एक्ट में बदलाव को लेकर आरबीआई के पास वीटो पावर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘संसद सर्वोच्च है और उसे आरबीआई एक्ट के संबंध में कानून बनाने का अधिकार है.’

जून 2017 तक वित्त मंत्रालय ने ये नियम तैयार कर लिए थे कि ये बॉन्ड किस तरह से काम करेंगे. इसके मुताबिक, ‘खरीददार और प्राप्तकर्ता के बारे में जानकारी बैंक द्वारा गुप्त रखी जाएगी. ये विवरण आरटीआई के दायरे से बाहर होंगे.’ पार्टियों को भी यह जानकारी नहीं रखनी होगी कि कौन चुनावी बॉन्ड के जरिए दान दे रहा है.

जुलाई 2017 में वित्त मंत्रालय, आरबीआई और चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करने और चुनावी बॉन्ड कैसे काम करेंगे, इसके विवरण पर चर्चा करने के लिए कहा गया. आरबीआई के अधिकारी इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. हालांकि बाद में 28 जुलाई 2017 को उर्जित पटेल ने इस मामले पर चर्चा के लिए जेटली से मुलाकात की थी.

इस बैठक के बाद अगस्त में आरबीआई ने मंत्रालय को पत्र लिखकर बताया कि क्यों उनका मानना है कि चुनावी बॉन्ड एक सही विचार नहीं है.

केंद्र सरकार ने आरबीआई के लगभग सभी सुझावों को खारिज कर दिया और सिर्फ एक ही सुझाव को स्वीकार किया कि इन चुनावी बॉन्ड की वैधता सिर्फ 15 दिन की होगी.

न केवल सरकार ने केंद्रीय बैंक की अनदेखी की, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले पर उसने किसी बाहरी स्रोत से सलाह ली है. हफपोस्ट इंडिया द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों में एक शुरुआती नोट था, जिस पर न तो कोई तारीख थी और न ही किसी ने हस्ताक्षर किया हुआ था.

एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने बताया, ‘ऐसा लगता है कि सरकार से बाहर के किसी व्यक्ति ने इसे लिखा है और सरकार को नोट के रूप में दिया है.’

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सोमवार, 18 नवंबर 2019

भ्रष्टाचार उजागर न हो इसके लिए संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए पीएम मोदी ने किया था फोन


19 मुकदमें और दर्जन भर से ज्यादा ट्रांसफर झेल चुके मैग्सेसे अवार्ड विजेता नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से टेलीफोन पर बात की थी.

 ये जानकारी हालिया सूचना के अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के तहत हुई है . इंडियन फोरेस्ट सर्विसेज यानि IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी 2012 से लेकर 2014 तक अखिल भारतीय आयुर्विद संस्थान (AIIMS) के मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे. इन दो साल के कार्यकाल के दौरान AIIMS में 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों को उन्होंने उजागर किया. जिसमें IAS अधिकारी विनीत चौधरी से लेकर IPS अधिकारी शैलेश यादव तक पर इसकी आंच आई थी. इसके चलते वो सरकार से लेकर नौकरशाहों तक की आंखों की किरकिरी बन गए थे.

RTI के तहत मिले दस्तावेज के मुताबिक तत्कालिन स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा का D.O NO File No:V-16020/36/2009-ME-I नंबर का एक पत्र प्रधानमंत्री के उस वक्त के प्रिंसीपल सचिव पीके मिश्रा को 23 अगस्त 2014 को लिखा गया, जिसमें कहा गया कि डिप्टी सचिव और CVO संजीव चतुर्वेदी को कार्यमुक्त करने के बाबत प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य मंत्री से फोन पर बातचीत हुई. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने AIIMS के उस वक्त के CVO संजीव चतुर्वेदी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया.


साल 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल में हरियाणा कॉडर के IFS  अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को AIIMS का CVO नियुक्त किया गया. CVO नियुक्त होने से पहले हरियाणा के DFO रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने हरियाणा में भी भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया. जिससे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनकी नहीं बनती थी. AIIMS के CVO रहते हुए संदीव चतुर्वेदी ने AIIMS के डिप्टी डायरेक्टर विनीत चौधरी के खिलाफ जांच के आदेश दिए. विनीत चौधरी पर आरोप लगे थे कि 2010 से लेकर 2012 तक AIIMS के डवलपमेंट वर्क और झज्जर में बन रहे कैंसर अस्पताल में मानकों को ताक पर रखकर काम करवाए गए. कथित तौर पर विनीत चौधरी ने उस वक्त AIIMS के सुपरिडेंटेड इंजीनियर और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के मुखिया बीएस आनंद का कार्यकाल बढ़वाया और कैंसर अस्पताल बनाने में फंड का दुरुपयोग किया गया. इस जांच के आधार पर बीएस आनंद को बर्खास्त कर दिया गया. जांच आगे बढ़ी तो कई अधिकारी घेरे में आने लगे, इसी बीच केंद्र में बीजेपी आई और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को बनाया गया. लेकिन इस बीच AIIMS के CVO की शिकायत पर विनीत चौधरी के खिलाफ CBI ने केस दर्ज कर लिया. 

पूरी खबर पढ़ने के लिए आप बीबीसी हिंदी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

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रविवार, 17 नवंबर 2019

अध्यापक, एसडीआई, बीएसए, डीएम ,सीएम ,पीएम ...क्या खाएंगे मिडडेमील का खाना?

विश्वपति वर्मा-

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज हो सके इसके लिए सरकार द्वारा नाना प्रकार के लुभावनी योजनाओं को संचालित किया जाता है जिसमे से एक योजना मिडडेमील (मध्यान्ह भोजन योजना)भी है लेकिन सरकार के लाख प्रयास के बाद भी सारी योजनाओं का हाल बदहाल है।

 बस्ती जनपद के सल्टौआ विकास खण्ड के पिटाउट ग्राम पंचायत में स्थिति एक प्राइमरी स्कूल में मिलने वाली मध्यान्ह भोजन योजना की हाल जानने के लिए हमारी टीम वँहा पंहुची जंहा हमने देखा कि स्कूल के बच्चे थाली लेकर भागते हुए स्कूल प्रांगड़ में एक छायादार वृक्ष के नीचे एकत्रित हो रहे हैं देखते ही देखते 50-60 की संख्या में बच्चे वृक्ष के नीचे जमीन पर बैठ गए उसके बाद रसोइया द्वारा थाली में चावल परोसा गया ।

सब कुछ हो रहा था हम वँहा की व्यवस्था को देख रहे थे कुछ देर  बाद दूसरी रसोइया द्वारा आलू सोयाबीन की बनी सब्जी बच्चों की थाली में डाला जा रहा था और बच्चे भी चावल में सब्जी पड़ने के बाद कुछ खा रहे थे कुछ फेंक रहे थे ।

लेकिन जब हमने उस सब्जी के बारे पता किया तो बताया गया कि सब्जी में लहसुन और प्याज  की मात्रा नही है ,क्योंकि लहसुन और प्याज के दाम आसमान छू चुके हैं इसलिए स्कूल के भोजन में इसका प्रयोग नही हो रहा है। 

जो भी हो सब्जी लहसुन ,प्याज ,तेल कुछ भी न पड़ा हो लेकिन सरकारी रजिस्टर में यह दर्ज ही गया कि स्कूल में चावल सब्जी बनी थी अब उस सब्जी की गुणवत्ता क्या थी यह तो खाने वाले ही बता पाएंगे ।

फिलहाल यंहा सवाल यह है कि देश के माननीय लोगों के खातिर करोड़ो रुपया खर्च कर कैंटीन खोली जाती है,स्थानीय स्तर पर होने वाले तहसील दिवस से लेकर तमाम सरकारी कार्यक्रम और मीटिंग में चाय पानी के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया जाता है तो क्या इन बच्चों को बैठने के लिए बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम नही किया जाना चाहिए ।।

अब इसके आगे कोई दूसरा सवाल नही होगा क्योंकि प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि सबसे पहले उन बच्चों को बैठने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए जो खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर खाना खा रहे हैं। उसके बाद खाने की गुणवत्ता पर सवाल उठाया जाएगा।

और अगर यही व्यवस्था है तो इस देश के जिम्मेदार लोग जवाबदेही तय करें कि क्या अध्यापक से लेकर ,खण्ड शिक्षा अधिकारी ,बेसिक शिक्षा अधिकारी ,जिला अधिकारी ,विधायक ,सांसद के साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री इस तरहं का खाना इसी तरहं की व्यवस्था में खाएंगे।

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शनिवार, 16 नवंबर 2019

अवध रत्न से सम्मानित शेनदत्त शान को एनडी तिवारी विचार मंच ने दिया सम्मान

अवध रत्न से सम्मानित भोजपुरी लोकगायक शेन दत्त सिंह शान को उत्तर प्रदेश उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय पंडित नारायण दत्त तिवारी साझा विचार मंच ने यूपी रत्न से सम्मानित किया ।

 इस मौके पर मुख्य संरक्षक पंडित भवानी दत्त, राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश शर्मा ,मुकेश शर्मा  , राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनेश शर्मा,राष्ट्रीय महासचिव आकाश शर्मा , वीर भारतीय नवज़न सभा अध्यक्ष विक्रम  पाण्डेय उपस्थित थे |

भोजपुरी लोक गायक सेन दत्त सिंह को यूपी रत्न मिलने पर कलाकार जगत में हर्षोल्लास है इसी क्रम में क्षेत्रीय विधायक  प्रभात वर्मा ,सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ,राजा भैया, स्वामी नरायन मन्दिर स्वामी बसुदेवा नंद जी,हरिस्वरूपा स्वामी पप्पू तिवारी, अरुण प्रकाश वर्मा, नागेंद्र पाण्डेय , शैलेंद्र पाण्डेय, मिन्टू  सरदार, देवराज तिवारी, बादल सिंह,अभिमन्यु पटेल, राकेश वर्मा सहित तमाम लोगों कार्यक्रम में मौजूद थे।

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7 दशक में कुछ बदला तो नेताओं की बिल्डिंग और सामानों के दाम, आम आदमी वंही का वंही

विश्वपति वर्मा-

देश मे गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का हवाला देकर राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी दंगल में परिवर्तन की बयार लाने के लिए खूब ढोल पीटी गई लेकिन आजादी के 7 दशक बाद भी देश के एक बड़ी आबादी की व्यवस्था में कोई खास सुधार नही हो पाया है ।

आज के 20-30 वर्ष पहले जो आदमी जंहा खड़ा था वह वंही पर खड़ा रह गया कुछ फीसदी लोग अपनी आजीविका में वृद्धि करने में सफल भी हुए हैं लेकिन  नैकरी पेशे वालों को छोड़ दिया जाए तो कंही सरकार की कोई भूमिका नही दिखाई देती है।

मैं अपने पड़ोस में रहने वाले ओंकार नाथ को काफी दिनों से देख रहा हूँ जंहा पर एक छोटी सी दुकान में वें समोसा बनाकर बेंचने का कार्य करते हैं जब वें 1 रुपये में समोसा बेंचते थे तबसे मैं उनको जानता हूँ और उनकी उसी दुकान में समोसे का दाम 5 रुपया हो गया है और आज भी मैं उनको वैसे ही देख रहा हूँ वह जैसे थे ,इस दौरान उन्होंने पारिवारिक जीवन मे बहुत सारे काम किये लेकिन हमें नही लगता कि उनकी आजीविका में वृद्धि करने के उद्देश्य से समाज कल्याण की कोई योजना उन्हें मिली हो ,मिल भी गई होगी तो उससे क्या फर्क पड़ने वाला है ओंकार नाथ जिस टूटी टँकी में समोसा बेंचते थे आज भी उसी टूटी गुमटी में समोसा बेंचने का कार्य कर रहे हैं।

ओंकार नाथ तो एक उदाहरण हैं इसी तरहं से लाखों लोग ऐसे हैं जो अपनी जिंदगी को धक्का लगाकर चलाने का कार्य कर रहे हैं लेकिन सरकार की समाज कल्याण कोई उपयोगी योजना वँहा तक नही पंहुचा पाई जिससे अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यति भी अग्रिम पंक्ति में आने का मौका पाए ।

ऐसा तो नही है कि सरकार ने निम्न वर्ग के लिए कोई योजना  नही चलाया बल्कि सरकारी सिस्टम की बदहाल और भ्रष्ट व्यवस्था के कारण उपजी हुई समस्या ने निम्न वर्ग को फायदा नही पंहुचाया ।
देखने को मिला है कि सरकार तमाम विभागों के जरिये निम्न वर्ग के लिए कई महत्वाकांक्षी योजना को क्रियान्वित  करने के उद्देश्य से लाखों करोड़ों का बजट बनाती है लेकिन इस पैंसे में सेंध लगाकर लोग अपनी व्यवस्था मजबूत करने में लगे रहे जिसका परिणाम रहा है कि देश की एक बड़ी आबादी अपने हक अधिकारों से वंचित रह गया।

बेहतर होगा कि सरकार निम्न वर्ग के लिए जारी योजनाओं का क्रियान्वयन इस प्रकार से कराए जिससे यह सुनिश्चित हो कि अंतिम व्यक्ति के पास सरकारी लाभ बिना किसी कटौती के पंहुचे और लोग उसका फायदा उठाकर अपने बेहतर जीवन का राह आसान कर पाएं ।

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ट्रांसफर से नाराज दरोगा ने लगा दी 65 किलोमीटर की दौड़, लेकिन रास्ते मे हुआ कुछ और

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. इटावा में ट्रांसफ़र किए जाने से नाराज़ दरोगा ने विरोध प्रदर्शन के रूप में 65 किलोमीटर की दौड़ लगाने की ठानी. दरोगा का कहना था कि अधिकारों का दुरुपयोग करके उनका ट्रांसफ़र किया है और इसका विरोध करते हुए वो 65 किमी तक दौड़ लगाएंगे और लोगों को जागरूक करेंगे, लेकिन कुछ ही दूर जाने के बाद दरोगा रास्ते में बेहोश हो गए जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक दरोगा का नाम विजय प्रताप है, जो पुलिस लाइन में पोस्टेड थे. यहां से उनका तबादला बिठोली थाने कर दिया गया. 

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शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

बीएचयू कैम्पस से डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने आरएसएस का झंडा हटाया तो देना पड़ा इस्तीफा

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में बरकछा स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के राजीव गांधी दक्षिण परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का झंडा हटाए जाने के विवाद में देहात कोतवाली में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में डिप्टी चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.

देहात कोतवाली निरीक्षक अभय सिंह ने बताया कि पुलिस को दी गयी तहरीर के अनुसार, राजीव गांधी दक्षिण परिसर के मैदान में मंगलवार 12 नवंबर को आरएसएस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य शाखा लगाकर योगाभ्यास कर रहे थे.उन्होंने दर्ज मामले के आधार पर बताया कि इस बीच डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले वहां पहुंच गईं और आरएसएस का झंडा निकालकर उसे लेकर चली गईं. झंडा लगाने का विरोध करते हुए डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि ‘ध्वज नहीं लगेगा, आप योग कर सकते हैं.’संघ के सदस्यों ने झंडा उखाड़ने का विरोध किया और इसे झंडे का अपमान बताया तथा प्रशासनिक भवन के सामने धरने पर बैठ गए. उनकी मांग थी कि डिप्टी चीफ प्रॉक्टर इस्तीफा दें और उन लोगों को अगले दिन से ध्वज लगाकर योगाभ्यास करने दिया जाए.छात्रों ने डिप्टी चीफ प्रॉक्टर पर झंडे का अपमान करने के साथ ही अपने साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया. घटना की जानकारी होने पर आरएसएस के सह प्रांत कार्यवाह सोहन मौके पर पहुंचे और कार्रवाई की मांग करने लगे.थोड़ी देर में ही नगर विधायक रत्नाकर मिश्र भी मौके पर पहुंच गए और दोनों ने कार्रवाई की मांग की. मामला बढ़ते देख डिप्टी चीफ प्रॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया और झंडा हटाने पर माफी मांगी.

इसके बाद संगठन के जिला कार्यवाहक चंद्रमोहन की तहरीर पर देहात कोतवाली पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया.देहात कोतवाली निरीक्षक ने कहा कि धाराएं धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से जुड़ी हैं. मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और जांच की जा रही है.वहीं, दूसरी ओर डिप्टी चीफ प्रॉक्टर किरण दामले ने कहा, ‘उन्होंने वर्तमान माहौल को देखकर छात्रों से ध्वज हटाने को कहा था जिसे उन्होंने नहीं हटाया. इसलिए उन्हें ध्वज हटाना पड़ा. ध्वज निकालकर उन्होंने उसे अपने सहायक अटेंडेंट सतीश को दे दिया.’उन्होंने कहा, ‘न तो झंडे का अपमान किया गया है और न ही छात्रों को योग करने से रोका गया है.’ दामले ने कहा, ‘उन्होंने अपना इस्तीफा प्रॉक्टर ओपी सिंह को भेज दिया है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने कहा कि झंडा हटाए जाने से स्वयं सेवकों की भावनाएं आहत हुईं और दामले को या तो इसका कारण बताना चाहिए था और खुद को उसे हटाने से रोकना चाहिए था.इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं के कैंपसों में शाखाएं नहीं लगाई जानी चाहिए. सबसे बड़ी तो यह है कि विश्वविद्यालय के मामले में आरएसएस के लोग क्यों हस्तक्षेप कर रहे हैं.

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गुरुवार, 14 नवंबर 2019

धोखाधड़ी के आरोप में शाइन सिटी की एचओडी उत्तमा अग्रवाल गिरफ्तार

लखनऊ। जमीन व प्लाॅट के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी की आरोपी शाइन सिटी की एचओडी उत्तमा अग्रवाल को गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उत्तमा अग्रवाल को गोमतीनगर स्थित स्कॉयर बिल्डिंग के नीचे से दबोचा है।

 महिला अधिकारी के खिलाफ गोमतीनगर थाने में आधा दर्जन से अधिक धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हैं। यह सभी मुकदमे जमीन और प्लाॅट से संबंधित हैं। धोखाधड़ी और ठगी के चलते रेरा ने शाइन सिटी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इस कंपनी के खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। सैकड़ों आवासीय योजनाओं में लोगों से पैसा जमा कराने के बाद उन्हें भूखण्ड और प्लाॅट नहीं दिए गए हैं। रेरा की सख्ती के बाद शाइन सिटी ने लोगों का पैसा लौटाने को कहा है

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सही मायने में बाल दिवस को जानने और मनाने के लिए भारत के गांवों में जाना होगा

14 नवंबर महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और हमारे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। उनकी जयंती पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाती है क्योंकि बच्चों के लिए उनका असीम प्यार और स्नेह है। वह एक बदलाव निर्माता थे, ना केवल स्वतंत्रता लड़ाई में बल्कि सामाजिक परिवर्तन में भी उनका बड़ा योगदान था। उन्हें चाचा नेहरू भी कहा जाता था, क्योंकि वे बहुत प्यारे थे और बच्चों के साथ बहुत घुले-मिले थे। कहा जाता है कि वह गुलाब और बच्चों के बहुत शौकीन थे। वह बच्चों के विकास के लिए बेहद चिंतित रहते थे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि बच्चे देश के भविष्य हैं। बाल दिवस के मौके पर आप यहां से बेहतरीन और ट्रेंडिंग स्पीच तैयार कर सकते हैं।


हम भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर बाल दिवस मनाते हैं। वह एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी और एक प्रमुख राजनीतिज्ञ होने के अलावा, उन्होंने भारत के बच्चों के साथ बहुत करीबी रिश्ता साझा किया। बच्चे भी उनसे प्यार करते थे और उन्हें चाचा नेहरू कहते थे। उनका विचार था कि बच्चे एक राष्ट्र के भविष्य हैं और इसलिए उन्हें अच्छी तरह से पोषण और शिक्षित होना चाहिए। यह उन बच्चों के लिए विचार है जो हम बाल दिवस पर मनाते हैं। यह दिवस बच्चों के कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, जो ज्यादातर आर्थिक रूप से गरीब और वंचित वर्ग से संबंधित हैं।

ऐसे बच्चों को सामने लाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उन्हें शिक्षित और पोषित करने के प्रयास भी किए जाते हैं। बाल दिवस चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि और बच्चों पर उनके विचारों और देश की प्रगति में उनके योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है। 

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बुधवार, 13 नवंबर 2019

छात्रों के विरोध प्रदर्शन के सामने झुका JNU प्रशासन ,हुआ हॉस्टल फीस में कटौती

छात्रों के भारी विरोध के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी में कटौती की गई. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

बता दें कि फीस बढ़ोतरी के खिलाफ JNU के छात्र करीब दो हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे थे. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन ने यह फैसला लिया है. शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यन ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि एग्जिक्यूटिव कमिटी ने हॉस्टल फीस में वृद्धि और अन्य नियमों से जुड़े फैसले को वापस ले लिया है. उन्होंने छात्रों से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर वापस क्लास का रुख करें. इसके साथ ही शिक्षा सचिव ने यह भी कहा कि एग्जिक्यूटिव कमिटी की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने से संबंधित योजना का प्रस्ताव भी पेश किया गया और गरीब परिवारों के छात्रों के लिए योजना का भी ऐलान किया गया.

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महाराष्ट्र में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने के समझौते पर बन सकती है सरकार



महाराष्ट्र में सरकार गठन पर गतिरोध जारी है. इस बीच कांग्रेस और एनसीपी की साझा प्रेस कान्फ़्रेंस के बाद उद्धव ठाकरे  ने कहा कि सरकार बनाने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत करती रहेगी.

 इधर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का एक नया फ़ॉर्मूला भी सामने आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक ढाई-ढाई साल शिवसेना और NCP का मुख्यमंत्री होगा और पूरे 5 साल के लिए कांग्रेस का उपमुख्यमंत्री होगा. साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर बीजेपी और महबूबा मुफ़्ती वैचारिक मतभेदों को दूर करते हुए साथ काम कर सकते हैं तो मौजूदा स्थिति में उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ काम करने का फ़ॉर्मूला खोज़ लेंगे. 

उद्धव ठाकरे ने ये भी कहा कि बीजेपी के PDP और नीतीश के साथ समझौते की जानकारी मंगवाई है, जिससे ये समझ सकें की अलग-अलग विचारधारा वाले दल कैसे साथ आते हैं. एक सवाल के जवाब में उद्धव ने ये भी कहा कि विकल्प बीजेपी ने ख़त्म किए हैं, उनकी पार्टी ने नहीं. बता दें कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को ही कहा था कि भारतीय जनता पार्टी भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अनाधिकारिक माध्यमों से अभी भी संपर्क कर रही है. ठाकरे ने कहा, "वे हर बार अस्पष्ट और अलग-अलग प्रस्ताव दे रहे हैं. लेकिन हमने कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ जाने का निर्णय लिया है."  

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मंगलवार, 12 नवंबर 2019

बस्ती-स्नातक की शिक्षा लेने के लिए 30 किलोमीटर दूर तय करना पड़ता है महाविद्यालय की यात्रा

विश्वपति वर्मा_

पिछले साढ़े 12 सालों की राजनीति को करीब से देखते आ रहा हूँ 2007 में उत्तर प्रदेश में बसपा पूर्ण बहुमत में आई और उसी वर्ष बस्ती जनपद के रुधौली विधानसभा से राजेन्द्र प्रसाद चौधरी विधायक चुने गए 5 साल का पूरा कार्यकाल चला इस दौरान मायावती मुख्यमंत्री रहीं ।

2012 में इनकी सत्ता डगमगाई तो समाजवादी पार्टी को बहुमत मिल गया जिसमें रुधौली विधानसभा से संजय प्रताप जायसवाल विधायक चुने गए समाजवादी की इस सरकार में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हुए जो सत्ता की साइकिल चलाते हुए 2017 तक मुख्यमंत्री रहे उसके बाद इनकी भी साइकिल का चक्का जाम हुआ तो उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में कामयाब हो गई और भाजपा सरकार में बाबा से नेता बने योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने और इस सरकार में भी रुधौली विधानसभा को काबिज करने में संजय प्रताप जायसवाल एक बार फिर सफल हुए।

इस दौरान बस्ती में लोकसभा सदस्य के रूप में कुशल तिवारी,अरविंद चौधरी ,हरीश द्विवेदी के साथ एक बार फिर हरीश द्विवेदी सांसद रहे यानी कि यह जिला और विधानसभा समय समय पर विधायक और सांसद चुनकर सदन में भेजने का काम किया है ।

लेकिन दुर्भाग्य है बस्ती जनपद के रुधौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सल्टौआ और रामनगर ब्लॉक के सैकड़ों गांवों का जो एक डिग्री कालजे के लिए वर्षों से मोहताज है।

सल्टौआ और रामनगर ब्लॉक में विकास की गति को देखा जाए तो यंहा पर बहुत विकास हुए हैं ,स्कूल ,सड़क ,बिजली ,पानी ,की मुकम्मल व्यवस्था के साथ क्षेत्र में अस्पताल ,थाना, तहसील, पेट्रोल टंकी समेत इत्यादि संस्थाओं का निर्माण हुआ लेकिन लोगों की जरूररों और बुनियादी सुविधाओं को ध्यान में रखकर यंहा पर कभी कोई काम नही हुआ।

सोनहा शिवाघाट मार्ग की बात करें तो इससे जुड़ने वाली सैकड़ों गांवों की लड़कियों को स्नातक डिग्री हासिल करने के लिए 20 से 30 किलोमीटर दूर की यात्रा तय करना पड़ता है लेकिन आज तक इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में डिग्री कालेज की स्थापना करवाने के लिए प्राथमिकता नही दी गई जिसका परिणाम है कि यंहा के बच्चों को बस्ती, बभनान और फैजाबाद जाकर स्नातक की पढ़ाई को पूरा करना पड़ता है।

स्थानीय स्तर पर स्नातक स्तर की शिक्षा व्यवस्था की उपलब्धि की बात करें तो दसिया में केंद्रीय विश्वविद्यालय से सम्बंध रखने वाले महाविद्यालय खुल चुका है लेकिन सुबिधाओं और दूरियों की समस्या यंहा भी बना हुआ है।

आखिर सवाल पैदा होता है देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के जिम्मदारों पर कि वंचित तबके के लिए उनका नेतृत्व शून्य क्यों हो जाता है ,आखिर शिक्षा के विकास के बगैर देश का विकास कैसे संभव है ?क्या देश का पूरा सिस्टम कागजों पर ही चलता रहेगा या फिर बुनियादी सुविधाओं का ढांचा तैयार कर शिक्षा के क्षेत्र में लाखों बच्चों को डिग्री कालेज का सौगात देकर शैक्षणिक अहर्ताओं को पूरा करने की दूरियों को कम करने का प्रयास किया जाएगा।

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सरकार से मिलीभगत के आरोप में जनता ने टीवी चैनल और रेडियो स्टेशन पर किया कब्जा

दुनिया के मानचित्र पर स्थिति एक देश है बोलीविया,जंहा की कुल आबादी 1करोड़ 12 लाख होगी ।अभी हाल ही में वँहा पर चुनाव सम्पन्न हुआ है जंहा पर एवो मोरालेस एक बार फिर राष्ट्रपति बने हैं ,लेकिन वँहा की जनता का कहना है कि चुनाव में धांधली हुआ हुआ है यानी कि बेईमानी हुआ है। वँहा की जनता ने माना कि चुनाव धांधली के इस खेल में मीडिया भी सरकार के साथ थी और अभी भी है जिसके कारण वह निष्पक्ष नही बोल रही है फिर क्या जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर पंहुच गया और उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

इतना ही नही मीडिया के दोगलापन के कारण जनता ने टीवी चैनल और रेडियो स्टेशन पर कब्जा कर लिया उसके बाद वँहा के सभी कर्मचारियों को बाहर निकाल कर वँहा भी प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इसे कहते हैं अन्याय ,अत्याचार और सरकार की तानाशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करना

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सोमवार, 11 नवंबर 2019

जिस देश में लोग सरकार से डरे हुए हों ,उससे ज्यादा निरंकुश लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना और क्या होगी

विश्वपति वर्मा-

मौजूदा सरकार में अभिव्यक्ति के आजादी की हत्या की जा रही है ,बौद्धिक संपदा के लोगों के मुह में पट्टी लगाई जा रही है ,प्रशासन का सहयोग लेकर आवाज उठाने वाले लोगों के खिलाफ गलत तरीके के कार्यवाई की जा रही है ।

विरोध करना भी अब गुनाह हो गया है ,बेगुनाहों को सजा मिल रहा है ,निर्दोष को दोषी बताया जा रहा है,दोषी और आरोपी सत्ता के मुहाने पर बैठे हैं ।इससे ज्यादा निरंकुश लोकतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना हम और क्या कर सकते हैं ।

चारो तरफ निराशा है ,बेरोजगारी है ,लाचारी है ,भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर जारी बजट को जिम्मेदार लोग डकार ले रहे हैं ,परिषदीय विद्यालयों में अभी तक बच्चों के पास किताबों की संख्या भी पूरी नही पंहुच पाई, सरकार के आदर्श ग्राम पंचायत में कुछ खास नही है ,स्वास्थ्य केंद्र पर बाहर से दवा लिखी जा रही है वंही करोड़ो रुपया दवा उपलब्ध कराने के नाम पर खारिज किया जा रहा है, कागजों में सड़कें गड्ढा मुक्त हो चुकी हैं लेकिन यूपी की सड़कें तालाब बन चुकी हैं, रेडियो ,टीवी ,अखबार पर मिनट-मिनट पर विज्ञापन आ रहे हैं जिसमे बताया जा रहा है कि देश बदल रहा है लेकिन अगर देश मे कुछ बदल रहा है तो उच्च वर्ग का जीवन स्तर वंही निम्न वर्ग लगातर खाई में जा रहा है ।

लेकिन रेडियो ,टीवी और अखबार यह बताने के लिए बिल्कुल तैयार नही हैं ,आखिर ये क्या है ?क्या स्वतंत्र संस्थाएं भी सरकार की नियंत्रण में चल रही हैं ?क्या इसकी मॉनिटरिंग सत्ता में बैठे लोग कर रहे हैं ?क्या लोग डर गए हैं ? या देश के लोगों को डरा दिया गया है ?ऐसे ही न जाने कितने सवाल जेहन में उपज रहे हैं।

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निष्पक्ष चुनाव के लिए सरकार से टकराने वाले टीएन शेषन नही रहे

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार को चेन्नई में निधन हो गया. शेषन ने 1990 के दशक में देश में चुनाव सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे 86 वर्ष के थे. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूर्व चुनाव आयुक्त का स्वास्थ्य पिछले कुछ सालों से ठीक नहीं था. दिल का दौरा पड़ने से रविवार को रात करीब साढ़े नौ बजे उनका निधन हो गया. अपनी स्पष्टवादिता के लिए प्रसिद्ध शेषन बढ़ती उम्र के कारण पिछले कुछ सालों से सिर्फ अपने आवास पर रह रहे थे. उनका बाहर आना-जाना लगभग ना के बराबर हो गया था.

तिरुनेलै नारायण अइयर शेषन यानी टी. एन. शेषन भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त थे. वो 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहे. उनको भारत का सबसे प्रभावशाली मुख्य चुनाव आयुक्त माना जाता था. शेषन को चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए याद किया जाता है.

मुख्य चुनाव आयुक्त रहने के दौरान टी. एन. शेषन का तत्कालीन सरकार और नेताओं के साथ कई बार टकराव हुआ. हालांकि चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए शेषन पीछे नहीं हटे और कानून का कड़ाई से पालन कराया. केरल के पलक्कड़ जिले के तिरुनेलै में जन्मे टी. एन. शेषन तमिलनाडु कैडर से 1955 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी थे.

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रविवार, 10 नवंबर 2019

अयोध्या फैसले पर यूपी पुलिस के 'ऑपरेशन ईगल' का असर अफवाह फैलाने पर 37 ️गिरफ्तार


अयोध्या फैसले को लेकर डीजीपी मुख्यालय की ओर से सोशल मीडिया पर 'बाज' जैसी नजर रखी गई। 'ऑपरेशन ईगल' के नाम हुई इस विशेष निगरानी के चलते अफवाह फैलाने के मामले में कई लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए, जबकि 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा जिलों में भी नजर रखी गई।

डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि बीते 24 घंटे में लगभग 3,712 सोशल मीडिया पोस्टों के विरुद्घ कार्रवाई की गई। इनमें से कई को रिपोर्ट कर हटवाया गया। पहल की गई 'साइबर पेट्रोलिंग' के तहत ट्विटर, फेसबुक और यू-ट्यूब पर निगरानी रखी गई। सबसे अधिक ट्विटर पर 2426 पोस्ट, फेसबुक 865 पोस्ट और यू-ट्यूब के 69 वीडियो व प्रोफाइल के खिलाफ रिपोर्ट की गई।।

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नागरिकों को इंसाफ दिलाने में महाराष्ट्र नंबर1 तो वंही उत्तर प्रदेश अंतिम पायदान पर


 नागरिकों को इंसाफ देने की क्षमताओं पर भारत की पहली रैंकिंग जारी की गई है. इसमें 18 बड़े और मध्यम आकार (1 करोड़ की आबादी से ज्यादा) के राज्यों को शामिल किया गया है. ओवरऑल रैंकिंग में महाराष्ट्र 10 नंबर में 5.92 अंक के साथ जंहा सबसे बेहतर है वंही 10 नम्बर में 3.32 अंक पाकर उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा फिसड्डी साबित हुआ है।

इसके बाद कानून व्यवस्था बेहतरीन बनाए रखने में केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा हैं. 7 छोटे राज्यों में (1 करोड़ से कम की आबादी) में गोवा नंबर एक है. दूसरे नंबर पर सिक्किम और हिमाचल प्रदेश हैं.

यह रैंकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2019 में दी गई है. इस रैंकिंग को तैयार करने के लिए न्याय प्रक्रिया के चार प्रमुख स्तंभों का आंकड़ेंवार अध्ययन किया गया है. ये स्तंभ हैं - पुलिस, न्याय व्यवस्था, जेल और कानूनी सहायता. गौरतलब है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इन चार स्तंभों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है. महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा, गोवा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में इन चारों स्तभों की कार्यप्रणाली बेहतरीन है. इसके अलावा इन राज्यों में इन चारों स्तंभों के बीच उम्दा तालमेल भी है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट से निकलने वाले प्रमुख निष्कर्ष

देश में करीब 18200 जज हैं. लेकिन जजों के 23 फीसदी पद अब भी रिक्त हैं.

महिलाओं की संख्या काफी कम है. पुलिस विभाग में केवल 7 फीसदी महिलाएं हैं.

देश के करीब सभी जेलों में उनकी क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. औसत 114 फीसदी.

जेल में बंद कैदियों में से करीब 68 प्रतिशत कैदी तो अभी अंडरट्रायल हैं.

पुलिस, जेलों और अदालतों में कर्मियों की कमी है. पिछले 5 सालों में सिर्फ आधे राज्यों ने ही खाली पड़े पदों को भरने की कोशिश की है.

देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में रिक्त पदों की संख्या बहुत ज्यादा है. पुलिस में 22% (1 जनवरी 2017 तक), जेल में 33 से 38% (31 दिसंबर 2016) और अदालतों में 20 से 40% (2016-2017). गुजरात इकलौता राज्य है जहां पांच सालों में पुलिस, जेल और अदालतों में खाली पदों को भरने का बेहतर काम हुआ है. जबकि, झारखंड में खाली पड़े पदों की संख्या तेजी से बढ़ी है. एससी/एसटी/ओबीसी का कोटा किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में पूरा नहीं भरा गया है. हालांकि, कर्नाटक इसमें सबसे आगे है. वहां, एसटी और ओबीसी का कोटा तो भरा गया लेकिन एससी का कोटा भरने में अब भी 4 फीसदी बाकी है.

देश की कानून व्यवस्था में महिलाओं की कमी

पूरे देशभर में न्याय और कानून व्यवस्था में महिलाओं की संख्या काफी कम है. पुलिस में मात्र 7 फीसदी महिलाएं हैं. जेल कर्माचारियों में 10 फीसदी महिलाएं हैं. उच्च न्यायालयों और अधीन न्यायालयों के सभी जजों में महिला जज करीब 26.5 फीसदी ही हैं.

2016 और 2017 में केवल 6 राज्य ही हैं जिन्होंने कोर्ट में दर्ज सभी मामलों का निपटारा किया है. ये राज्य हैं - गुजरात, दमन-दीव, दादर-नगर हवेली, त्रिपुरा, ओडिशा, लक्षद्वीप, तमिलनाडु और मणिपुर. अगस्त 2018 में बिहार, यूपी, प.बंगाल, ओडिशा, गुजरात, मेघालय और अंडमान-निकोबार में हर चार मामलों में से एक केस पांच सालों से लटका पड़ा है.

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शनिवार, 9 नवंबर 2019

अयोध्या में विवादित ढांचे की ज़मीन हिन्दुओं को सौंपने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश,मुस्लिम पक्ष को भी 5 एकड़ जमीन

सुप्रीम कोर्ट ने सियासी रूप से संवेदनशील अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाकर विवादित ढांचे की ज़मीन हिन्दुओं को सौंप देने का आदेश दिया है, और केंद्र सरकार से तीन महीने के भीतर मंदिर के लिए ट्रस्ट गठित करने को कहा है. 

पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के सभी सदस्यों की सम्मति से सुनाए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि मस्जिद के लिए केंद्र या राज्य सरकार अयोध्या में ही सूटेबल और प्रॉमिनेंट जगह ज़मीन दे.

 CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने शनिवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाना शुरू किया था. पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर शामिल हैं. 

इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह को अपने केबिन में बुलाकर उनसे राज्य में सुरक्षा बंदोबस्तों और कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त की थी. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने, अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान - के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 6 अगस्त से रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की थी.

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55 मिनट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला


राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई 16 अक्टूबर को पूरी हुई थी और अब आज सुबह 10.30 बजे यानी ठीक 1 घण्टे के अंदर सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला सुनाने जा रहा है.

यह पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर अपना फ़ैसला 7 से 16 नवंबर के बीच सुनाएगा क्योंकि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं.

बता दें कि यह ऐतिहासिक फ़ैसला होगा. राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की ज़मीन के मालिकाना हक़ पर विवाद है

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शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

न्यायाधीशों ने सरकारों से कहा यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की सरकार को निर्देश दिया कि पराली के समाधान के लिए छोटे एवं मध्यम किसानों को सात दिन के भीतर प्रति कुंतल पर 100 रुपये की सहायता दी जाए, ताकि वे पराली न जलाएं.जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की विशेष पीठ ने दो घंटे लंबी सुनवाई के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए अंतरिम आदेश पारित किया है.कोर्ट ने कहा है कि राज्यों द्वारा किसानों को भाड़े पर मशीन मुहैया कराया जाए और राज्यों को ये निर्देश भी दिया कि इसके लिए जो भी राशि आएगा, उसका वहन राज्य सरकारें करें.लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘किसानों को सजा देना कोई समाधान नहीं है. उन्हें मूलभूत सुविधाएं दी जाए. किसानों को मशीनें दी जानी चाहिए, न कि सजा.
केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है. इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा. इस बीच, राज्यों से कहा गया है कि वे अपने फंड से किसानों को प्रोत्साहन राशि दें ताकि किसान पराली न जलाएं.कोर्ट ने कहा कि खतरनाक स्तर का वायु प्रदूषण दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिए जिंदगी-मौत का सवाल बन गया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगा पाने में विफल रहने के लिए प्राधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराना होगा.पीठ ने सवाल किया, ‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे. क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’पीठ ने कहा, ‘हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’ पीठ ने सवाल किया, ‘सरकारी मशीनरी पराली जलाए जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’न्यायाधीशों ने राज्य सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है.पीठ ने कहा, ‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं. आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.’ शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या सरकार किसानों से पराली एकत्र करके उसे खरीद नहीं सकती?दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा, ‘हम पराली जलाने और प्रदूषण पर नियंत्रण के मामले में देश की लोकतांत्रिक सरकार से और अधिक अपेक्षा करते हैं. यह करोड़ों लोगों की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है. हमें इसके लिए सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’दम घोंटने वाले वायु प्रदूषण में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने के योगदान के मद्देनजर शीर्ष अदालत ने सोमवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था.कोर्ट ने इन तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने पाया कि पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए पहले से कोई योजना तैयार नहीं की गई थी.दिल्ली और इससे लगे इलाकों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने मंगलवार को इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए अलग से खुद एक नया मामला दर्ज किया. इस मामले में अन्य मामले के साथ ही बुधवार को सुनवाई हुई.इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ‘भयावह’ करार दिया था. साथ ही, क्षेत्र में निर्माण एवं तोड़-फोड़ की सभी गतिविधियों तथा कूड़ा-करकट जलाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.न्यायालय ने कहा था कि ‘आपात स्थिति से बदतर हालात’ में लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. न्यायालय ने यह भी कहा कि उसके आदेश के बावजूद निर्माण कार्य एवं तोड़फोड़ की गतिविधियां करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए.पीठ ने कहा था कि इलाके में यदि कोई कूड़ा-करकट जलाते पाया गया तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाए. न्यायालय ने यह भी कहा था कि इस आदेश का किसी तरह का उल्लंघन होने पर स्थानीय प्रशासन और क्षेत्र के अधिकारी जिम्मेदार ठहराये जाएंगे.पीठ ने कहा था कि वैज्ञानिक आंकड़ों से यह पता चलता है कि क्षेत्र में रहने वालों की आयु इसके चलते घट गई है.

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बुधवार, 6 नवंबर 2019

बस्ती- सोनहा थाना के सेखुई गांव में एक घर मे अलमारी तोड़कर हुई चोरी

सोनहा थाना क्षेत के सेखुई गांव में बीती रात चोरों ने एक घर मे हाथ साफ कर दिया जिससे घर मे रखा एक बक्सा नया कपड़ा ,एक नया मिक्सर मशीन ,एक पंखा एवं कुछ अन्य सामान गयाब हो गया ।चोरों ने घर मे रखे अलमारी को भी तोड़ा लेकिन उसमें उन्हें कोई कीमती सामान नही मिला उसके बाद चोरों ने घर कई हिस्सों में तोड़फोड़ कर कीमती सामान हासिल करने के लिए प्रयास किया लेकिन उनके हाथ नगदी और आभूषण नही आया ।

 पीड़ित रमेश वर्मा ने बताया कि जब घर के सब लोग सो रहे थे तब चोरों ने घर को निशाना बनाया उन्होंने बताया कि रात में किसी को कोई आहट नही हुआ घर मे चोरी होने की जानकारी सुबह हुई।जिसमे लगभग 40 हजार रुपये का नुकसान हुआ है ।


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मंगलवार, 5 नवंबर 2019

महिला तहसीलदार के ऊपर युवक ने उनके ही कार्यालय में पेट्रोल उड़ेलकर लगाया आग,मौत

 तेलंगाना में सोमवार को हैदराबाद के अब्दुल्लापुरमेट में एक महिला तहसीलदार को कथित तौर पर भूमि विवाद के चलते उनके कार्यालय में दिनदहाड़े एक व्यक्ति ने जिंदा जला दिया ।हमारी सहयोगी वेबसाइट द वायर ने लिखा कि अब्दुल्लापुरमेट हैदराबाद के उपनगर हयातनगर का हिस्सा है.

राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया विजया रेड्डी (30) की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उन्हें बचाने की कोशिश में कार्यालय के दो अन्य कर्मचारी झुलस गए. साथ ही उन्होंने बताया कि हमलावर भी जल गया है.घटना दोपहर करीब 1:30 बजे हुई, जब विजया अपने कार्यालय में अकेली थीं. के. सुरेश नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने कथित रूप से वहां प्रवेश किया और उनके ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा दी. अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि घटना की वजह भूमि विवाद है.


 राचकोंडा के पुलिस आयुक्त महेश एम. भागवत ने संवाददाताओं को बताया कि तीनों घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.उन्होंने बताया, ‘किसी सरकारी कार्यालय में ऐसी घटना पहली बार हुई है. जिस व्यक्ति ने इस वारदात को अंजाम दिया, वह भी जल गया है और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. वह हमारी हिरासत में है. वह करीब 50-60 प्रतिशत जल गया है.’शुरुआती जांच के आधार पर उन्होंने बताया, ‘ऐसा लगता है कि किसी जमीन विवाद के चलते हमला हुआ है. उसने ऐसा क्यों किया या किसी ने उसे ऐसा करने के लिए उकसाया, ये जांच के दौरान पता चलेगा.

दिनदहाड़े हुई इस घटना से तहसीलदार कार्यालय में कोहराम मच गया. घटना के समय विजया अपने कार्यालय में अकेली थीं. एक चश्मदीद ने बताया कि उनके कार्यालय से चीखने की आवाज आई और एक कर्मचारी दौड़कर कार्यालय में गया और उन्हें आग की लपटों से घिरा पाया.बाद में तहसील के कर्मचारियों ने घटना की जांच और न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन किया जबकि तहसीलदार के शव को पोस्टमार्टन के लिए ले जाया गया.तेलंगाना शिक्षा मंत्री पी. सविता इंद्रा रेड्डी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे. घटना की निंदा करते हुए मंत्री ने कहा कि घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है.

मीडिया से  पुलिस आयुक्त महेश एम. भागवत ने कहा, ‘आरोपी के. सुरेश के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.’उन्होंने बताया, ‘आरोपी ने दावा किया कि आउटर रिंग रोड पर स्थित बचाराम गांव में उसकी सात एकड़ जमीन है. इस भूमि को लेकर विवाद है और हाईकोर्ट में मामला चल रहा है. वह इसी संबंध में तहसीलदार कार्यालय गया था

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सोमवार, 4 नवंबर 2019

सरकारी चिट्टी का हवाला देकर ग्रामीणों का घर तोड़वा रहा लोकनिर्माण विभाग, डर के साये में दर्जनों लोग

विश्वपति वर्मा -

सिद्धार्थनगर: 

शासन-प्रशासन की निरंकुशता के चलते देश की बड़ी आबादी नाना प्रकार की जुल्म-ओ-सितम सहने को मजबूर है इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद के दो गांवों में दर्जन भर ग्रामीण एक कथित सरकारी चिट्ठी(नोटिस) से डरे हुए हैं जिसके चलते लोग अपनी गाढ़ी कमाई से बनाये गए अपने खुद के मकान को तोड़ने के लिए मजबूर हैं।

दरअसल यह पूरा मामला जनपद के  शोहरगढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले गाँव खीरी उर्फ झुंगहवां और मटियार उर्फ भूतहवा का है. जहाँ पर्याप्त सड़क होने के बाद भी सड़क का चौड़ीकरण किया जा रहा है. उससे भी ज्यादा लोगों को तकलीफ इस बात से है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए जो जमीन लिया जा रहा है और मकानों को तोडा जा रहा है उसके लिए कोई मुआवजा राशि नही दी जा रही है।

इस सम्बन्ध में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ तक अपनी शिकायत पहुंचा चुके हैं लेकिन अभी उनकी शिकायत पर कोई भी गंभीरता नहीं दिखाई गयी है।शिकायत के बाद भी ग्रामीणों को लगातार धमकी मिल रही है कि यदि वें अपने मकान को नही तोड़ लेते हैं तो बाद में प्रशासन द्वारा तोड़ फोड़ करने के बाद आने वाले खर्चे को भी मकान स्वामी को भरपाई करना पड़ेगा जिसके कारण क्षेत्र में लोगों को अपने ही मकान को तोड़ने पर विवश किया जा रहा है.

नीचे क्लिक कर आप वह वीडियो देख सकते हैं जिसके माध्यम से समाजसेवी बदरे आलम ने पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की है




विभागीय अधिकारियों की कथित धमकी के कारण 2 दर्जन से अधिक  लोगों ने अपने ही मकान तोड़ डाले हैं. वहीँ ग्रामीणों ने कहा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर प्रशासन उनकी जमीन तो ले रहा है लेकिन अभी तक मुआवजे को लेकर उन्हें कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया है. विभाग की उदासीनता के चलते दिनप्रतिदिन लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है और उन्होंने चक्काजाम व धरने की चेतावनी दी है.

इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता बदरे आलम ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता और विभागाध्यक्ष को पत्र लिख कर सड़क विस्तारीकरण से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की मांग की है इसके अलावां उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर ग्रामीणों की समस्याओं को अवगत करा कर उन्हें न्याय दिलाने की मांग किया है . हालाँकि अभी तक विभाग ने इस मामले में कोई भी कदम नहीं उठाया है और ग्रामीणों के विरोध के बावजूद लगातार  मकान  तोड़वाने काम जारी है ।

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यूपी के हाथरस में बिजली का बिल जमा करने के लिए 11 लाख का चिल्लर लेकर पंहुचा बकायेदार, फिर क्या हुआ

हाथरस के चिलर प्लांट पर विद्युत बकाए की 11 लाख की चिल्लर जमा करने से विद्युत विभाग ने मना कर दिया। विभागीय अधिकारियों ने चिलर प्लांट के मैनेजर को लिखित में दिया है कि चूकी बैंक इतनी बड़ी मात्रा में सिक्के स्वीकार नहीं करते अत: बकाए की इस राशि को सिक्के के रूप में जमा नहीं किया जा सकता। चिलर प्लांट मैनेजर ने इसे आरबीआई के निर्देशों का उल्लंघन बताते हुए नोटिस देने की बात कही है।

शहर के एक नामी चिलर प्लांट पर 12 लाख रुपए से अधिक का बकाया होने पर विद्युत द्वारा कनेक्शन काटे जाने की की चर्चा है। चिलर प्लांट के मैनेजर का दावा है कि बकाया जमा करने के लिए वे विभाग के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बकाया जमा नहीं किया जा रहा। शनिवार को चिलर प्लांट के मैनेजर कपिल पाठक ने बताया कि विभाग द्वारा बिल जमा नहीं किए जाने के चलते ही प्लांट पर इतनी बड़ी रकम बकाया बन गई है।
उनका कहना है कि उनके चिलर प्लांटसे निकलने वाली बर्फ व दूध आदि की बिक्री से उन्हें सिक्के प्राप्त होते हैं। उन्हीं सिक्कों से वे सभी पार्टियों को भुगतान करते हैं। वे लगातार आरबीआई से जारी व चलन में रहने वाले सिक्कों को लेकर भुगतान करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन विद्युत विभाग के अधिकारी सिक्कों को स्वीकार नहीं कर रहे। कपिल ने बताया कि उन्होंने लिखित में अधिशासी अभियंता को सिक्के स्वीकार न किए जाने से अवगत कराया तो उन्होंने लिखित में सिक्के स्वीकार करने से इंकार किया है। शनिवार को एक बार फिर वे 10 लाख 94 हजार रुपए के सिक्के लेकर बिजलीघर पहुंचे  लेकिन बिल जमा नहीं किया गया।
चिलर प्लांट की ओर से सिक्कों में 10 लाख 94 हजार रुपए के भुगतान की बात कही गई थी। चूंकि बैंक द्वारा हमसे बहुत अधिक संख्या में सिक्के स्वीकार नहीं किए जाते। इसलिए हम इतनी बड़ी मात्रा में सिक्के स्वीकार नहीं कर सकते। -
खान चन्द्र, अधिशासी अभियंता खण्ड दो विद्युत, हाथरस
हम लगातार बिल जमा करने की कोशिश कर रहे हैं। आज भी हम बिल जमा करने के लिए पूरी रकम लेकर एक्सईएन के पास पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने लिखित रूप से खेरीज लेने से इंकार कर दिया है। इसे लेकर चिलर प्लांट की ओर से नोटिस जारी किया जा रहा है। -
कपिल पाठक, प्रबंधक, रामवती चिलर प्लांट, हाथरस

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