बस्ती-/विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से भिरियाँ न्यायपंचायत में हुआ करोड़ो का घोटाला - तहक़ीकात समाचार

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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

बस्ती-/विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से भिरियाँ न्यायपंचायत में हुआ करोड़ो का घोटाला

विश्वपति वर्मा -

सरकार द्वारा जारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए प्रशासन द्वारा चाहे जितने भी दावे किए जाए लेकिन धरातल पर अधिकांश की स्थिति बदसे बदतर है ,ऐसे ही बहुद्देशीय सरयू नहर परियोजना का हाल है जंहा पर अधिकारियों और विभागों के लिए यह योजना कामधेनु गाय की तरहं काम कर रही है ।

अमरौली शुमाली निवासी राकेश पटेल ने तहसील दिवस में  एक शिकायत पत्र देते हुए बताया कि सरयू नहर खण्ड के बस्थनवा माइनर के खुदाई का कार्य 2 दशक बाद भी पूरा नही हुआ है जबकि नहर के साफ -सफाई के नाम पर कई बार पैंसा खर्च कर दिया गया ।

उन्होंने बताया कि बनरही जंगल के रास्ते कोरिया डीह होते हुए नहर  हजारों हेक्टेयर खेत को जोड़ते हुए आगे निकल गई है और यंही से माइनर की शाखाएं रामपुर मुड़री ,औड़जंगल ,सेखुई, पिटाउट सहित भिरियाँ  न्यायपंचायत के सभी ग्रामों के बीच से होते हुये बस्थनवा से आगे तक के लिए गई है जिसमे बीच -बीच मे कई जगहों पर अभी तक खुदाई का कार्य भी नही हुआ उसके बाद भी नहर के साफ सफाई के नाम पर कई बार धन स्वीकृति कर दिया गया और दूसरी मजे की बात यह है कि नहरों में पानी बहाल न होने के बाद भी विभाग बिना स्थलीय निरीक्षण किये हर बार धन स्वीकृति करता रहा ।

राकेश पटेल ने कहा कि भ्रष्टाचार के इतने बड़े खेल के बाद भी जिम्मदारों का कोई जवाबदेही इस पर नही रहता इससे स्पष्ट है कि मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है ,उन्होंने शिकायत पत्र के माध्यम से मांग किया कि नहर खुदाई का जो कार्य शेष रह गया है उसे हर हाल में पूरा किया जाए ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग आगे न हो पाए।

 बता दें कि सरयू नहर परियोजना की शुरुआत 1978 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार की पहल पर हुआ था।योजना के तहत घाघरा, सरयू और राप्ती नदियों के पानी से बहराइच सहित श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, संतकबीर नगर और गोरखपुर जिलों के करीब बारह लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होनी थी।  योजना के तहत लगभग 9200 किलोमीटर नहर का निर्माण होना था।  लेकिन परियोजना को पूरा करने के लिए इस बीच की सभी सरकारों द्वारा बजट  मुहैय्या कराने और अनुमानित लागत से बीस गुना ज्यादा धनराशि खर्च करने के बाद भी यह योजना किसानों के चेहरे पर मुस्कान नही ला पाई।माइनर  की शाखाएं भी निर्माण लागत से बीस गुना ज्यादा रकम खर्च करने के बाद भी अधूरा ही है।

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