बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

कश्मीर में सब कुछ ठीकठाक है मैं यह बताने के लिए तैयार नही हूँ-क्रिस डेविस


एनडीटीवी ने लिखा कि ब्रिटेन के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को दावा किया कि अभी कश्मीर के दौरे पर गये यूरोपीय संघ (ईयू) के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के लिये उन्हें दिये गये न्यौते को भारत सरकार ने बहुत संक्षिप्त स्पष्टीकरण के साथ वापस ले लिया है. ब्रिटिश नेता का दावा है कि उन्होंने पुलिस सुरक्षा के बिना के स्थानीय लोगों से बात करने की मांग की थी.

यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिनों के दौरे पर मंगलवार को श्रीनगर पहुंचा. इस दल में मुख्य रूप से 27 सांसद थे. इनमें से ज्यादातर धुर दक्षिणपंथी या दक्षिणपंथी दलों से हैं. लेकिन उनमें से चार कश्मीर के दौरे पर नहीं गये हैं और बताया जाता है कि वे अपने-अपने देश लौट गये.

यूरोपीय संसद के लिबरल डेमोक्रेट सदस्य क्रिस डेविस ने कहा कि भारत सरकार के फैसले से यह प्रदर्शित होता है कि वह ‘अपनी कार्रवाई की वास्तविकता' छिपाने की कोशिश कर रही है और प्रेस की पूर्ण स्वतंत्रता को बाधित कर रही है. डेविस की 27 से 30 अक्टूबर के बीच के दौरे के लिये न्योता को कथित तौर पर वापस ले लिया गया. 

डेविस ने कहा, ‘मैं मोदी सरकार के लिये प्रचार हथकंडे का हिस्सा बनने के लिये तथा सब कुछ ठीक-ठाक है, यह बताने के लिये तैयार नहीं हूं. यह बहुत स्पष्ट है कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कश्मीर में तार-तार किया जा रहा है और विश्व को इसका संज्ञान लेना शुरू कर देना चाहिए.'

गौरतलब है कि सोमवार को यूरोपीय संसद के सदस्यों ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिस दौरान उन्होंने आशा जताई कि जम्मू कश्मीर सहित देश के विभिन्न हिस्सों की उनकी यात्रा सार्थक होगी. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को भारत सरकार द्वारा समाप्त किये जाने के दो महीने बाद डेविस को भारतीय अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर का दौरा करने का कथित न्यौता दिया था. 

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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

यूरोपीय संघ के 27 सांसद आ रहे हैं कश्मीर ,लेंगे हालात का जायजा

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पहली बार किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल को वहां जाने की इजाज़त दी जा रही है. यूरोपियन यूनियन के 27 सांसद कश्मीर के हालात का जायज़ा लेने आज श्रीनगर पहुंच रहे हैं.  इससे पहले यूरोपीय सांसद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति से भी मिले. 

आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल का ये पहला कश्मीर दौरा है. आपको बता दें कि यूरोपियन यूनियन की संसद में कश्मीर के हालात पर पिछले महीने चिंता जताई गई थी और कहा गया था कि वहां आम लोगों के बुनियादी हक़ जल्दी बहाल होने चाहिए.  इन सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति ऐसे समय दी गयी है जब प्रमुख विपक्षी नेता बंद हैं. कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं. 

वहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती की ओर से ट्वीट करते हुए उनकी बेटी ने लिखा है, 'उम्मीद करें कि उन्हें लोगों से, स्थानीय मीडिया से, डॉक्टरों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों से बात करने का भी मौक़ा मिलेगा. कश्मीर और बाक़ी दुनिया के बीच लोहे का जो परदा पड़ा है उसे उठाने की ज़रूरत है और जम्मू-कश्मीर को संकट में धकेलने के लिए भारत सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'

सोमवार, 28 अक्टूबर 2019

बस्ती-सिर्फ कागजों में चल रहा शिक्षा विभाग का अंग्रेजी माध्यम विद्यालय

विश्वपति वर्मा-

परिषदीय स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के लिए शासन से लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तमाम उपाय किए जा रहे हैै लेकिन धरातल पर पंहुचने के बाद दिखाई दे रहा है कि सरकार की तमाम महत्वाकांक्षी योजनाएं दफ्तर के कागजों में चल रही हैं

उत्तर प्रदेश सरकार की एक और योजना के तहत प्रदेश भर के प्रत्येक ब्लॉक के 5-5 बेसिक स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कराए जाने का खाका तैयार किया गया था लेकिन सरकारी घोषणा के दूसरे सत्र के बाद भी मॉडल स्कूल की व्यवस्था में कोई परिवर्तन नही दिखाई दिया।

योजना के तहत बस्ती जनपद के 14 ब्लॉक के अंतर्गत 70 विद्यालयों का चयन किया गया था जिसमे प्रत्येक ब्लॉक में -5 -5 विद्यालयों का चयन हुआ था लेकिन मौजूदा सत्र में एक भी विद्यालय ऐसा नही दिखाई दिया जो कान्वेंट विद्यालय की तर्ज पर अपनी गुणवक्ता में सुधार लाने में सफल रहे हों।

जनपद के सल्टौआ ब्लॉक के अंतर्गत चयनित किये गए पांच प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली, देईपार खुर्द, बिशुनपुरवा प्रथम, बेतौहा व पचमोहनी को मॉडल विद्यालय बनाकर अंग्रेजी माध्यम  की पढ़ाई कराई जानी थी लेकिन मौजूदा सत्र के चार माह बीत जाने के बाद अभी तक विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापकों की तैनाती भी नही हो पाई है ।

इतना ही नही इस योजना का हालात यह है कि स्कूलों में न तो बच्चों के बैठने के लिए मेज कुर्सी है और न ही अभी तक किताबों की संख्या पूरी हो पाई है ,स्कूल में अगर कुछ दिखाई दे रहा है तो बड़े बड़े अक्षरों में लिखे गए मॉडल प्राइमरी स्कूल का वालपेंटिंग।

स्कूलों की हालात जानने के लिए हमने अक्टूबर महीने में अमरौली शुमाली,बेतौहा ,पचमोहनी ,देईपार खुर्द  के प्राथमिक विद्यालय में पंहुच कर शिक्षा की गुणवत्ता की समीक्षा किया जिसमे दिखाई दिया कि बेसिक शिक्षा विभाग बस्ती ने कागज पर तो मॉडल स्कूल बना दिया लेकिन पढ़ाई और सुविधाएं अब भी पुराने ढर्रे पर हो रही है ,स्कूलों में बच्चों को बैठने के लिए ठोस इंतजाम है और न ही पढ़ाई की मजबूत व्यवस्था ।

ऐसी स्थिति देखने के बाद सवाल पैदा होता है कि क्या स्कूलों के नाम को बदल देने भर से बदहाल व्यवस्था में परिवर्तन आ सकता है ?क्या बच्चों को केवल टाई -बेल्ट पहना देने से ही उनके अंदर ज्ञान का भंडार भर सकता है ?या फिर स्कूल की बुनयादी जरूरतों को पूरा कर शिक्षा व्यवस्था को सार्थक बनाने का प्रयास किया जाएगा।

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रविवार, 27 अक्टूबर 2019

गरीबी, भूख, भुखमरी और भिखारी के जीवन से अंधेरे को खत्म करने की जरूरत

विश्वपति वर्मा-

आज दीपावली है आज पूरे देश मे जगह-जगह दीपक जला कर अंधेरे पर प्रतीकात्मक जीत का जश्न मनाया जाएगा  ,लेकिन जब देश -दुनिया में रोशनी के उजाले मे खुली आँखों से देखा जाता है तब दिखाई देता है कि केवल अंधेरे में रोशनी ही नही गरीबी ,भुखमरी और कुपोषण पर छाए हुए अंधेरे को भी खत्म करने की आवश्यकता है।

 भूख से उपजी भुखमरी और इन दोनों से विवश हो जब कोई व्यक्ति दिखाई देता है तब महसूस होता है कि अभी हमे बहुत सारी विसंगतियों से लड़ने और उससे निपटने की जरूरत है. सन् 2000 में ये अनुमान लगाया गया था कि 2010 के बाद दुनियां में बेशुमार प्रगति होगी, और आर्थिक स्तर भी ऊँचा होगा। इसी के आधार पर 2020, 2030 और 2050 के तामाम सपने संजो लिए गए। लेकिन इन सभी के बीच किसी ने शायद दुनियां के उस तबके के बारे में नहीं सोचा, जहाँ फटे-टूटे फूस के आंगन में भूख, भुखमरी और भिखारी एक साथ जन्म लेते हैं।

अर्थशास्त्री चाहें कुछ भी कहें, लेकिन उनके खोखले सिद्धान्त जब इन कमज़ोर झोपडि़यों से टकराते हैं तो उनके बड़े-बड़े दावें खोखले नज़र आते हैं। आज के इस महंगाई के दौर में जब खाने-पीने के दाम आसमान छू रहे हो ऐसे में उच्चवर्ग और मध्यवर्ग भी जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जद्दोजहद में लगे हुए हैं। इसके बावजूद भी हम रईसों की दुनियां में गिने ही जाते है।
            हजरतगंज में भीख मांगती एक महिला

यूँ तो गरीबी, भूख, भुखमरी और भिखारी का चोली दामन का साथ है लेकिन इस देश की बदकिस्मती है कि यहाँ भूख, भुखमरी और गरीबी किसी को नजर नहीं आती है। भुखमरी और गरीबी जैसे शब्द न तो उदारवादी कहे जाने वाली राजनैतिक नौकरशाही को नजर आती है, और न ही उनके खातों और बहियों में। जैसे हम किसी भूखे भिखारी को देखकर मुँह फेर लेते हैं ऐसे ही खातों और बैलेंस सीटों से इन शब्दों का नदारद होना भी मुँह फेरने जैसा ही है। वैसे तो सरकार निजी हित और औपचारिक निर्णय का विचित्र मेल है। आकड़े सरकार के कुछ काले कोनों में शोर करते घूमते हैं और गरीबों की झोपडि़यों के भीतर भूख से कुलमुलाते बच्चों की चीख में गुम हो जाते हैं।

भारत में योजनाएं तो बड़ी-बड़ी बनती हैं लेकिन उन योजनाओं का लाभ भी अधिकारी वर्ग को ही मिलता है। आम आदमी तक आते-आते या तो यह योजनाएं दम तोड़ चुकी होती हैं या अधिकारियों की फाईलों में ही गुम हो जाती है। योजना आयोग के द्वारा संतुलित विकास के लिए राज्यों को अनुकूल योजनाएं बनाने की नसीहत दी जाती है । लेकिन इन योजनाओं के बनने के बाद इनको क्रियान्वित करने की प्रक्रिया इतनी लचर और भ्रष्ट है कि भूख से पीडि़त व्यक्ति तक इनका लाभ नहीं पहुँचता और उस पर प्रति वर्ष खाद्यान्न पर बढ़ती कीमतें भुखमरी और भिखारी की उत्पत्ति का कारण बनती है।

विश्व बैंक का अनुमान है कि अगर कीमतें दस फीसदी और बढ़ती है, तो दुनिया के एक करोड़ लोग और गरीबी रेखा के नीचे चले जायेंगे। ऐसे में भारत में भूखे पेट सोने वाले 21 करोड़ के आंकड़े और न जाने कितने बढ़ जाएंगे। आज खाद्यानों पर बढ़ती कीमतों की चिन्ता भले ही विश्व बैंक व दुनिया के सरताज़ करें लेकिन यह कड़वा सच है कि बढ़ती आबादी घटते क्षेत्रफल और इन सब से ऊपर दिन प्रति दिन सीमित होते कृषि क्षेत्र की चिन्ता किसी को दिखाई नहीं देती।

 धीरे-धीरे भारत सहित पूरी दुनिया में कृषि योग्य भूमि समाप्त होती जा रही है। सच तो यह है कि दुनिया भर के देशों में निजी और सामूहिक तौर पर इतनी राजनैतिक इच्छाशक्ति नहीं है कि भूख और भुखमरी से ग्रस्त गरीब आदमी को उसकी मुश्किलों से बाहर निकाल सके।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की उदारता देख शुरू में दुनिया भर के गरीब देशों को उनसे उम्मीदें बंधी थी लेकिन ये किसे पता था कि ओबामा प्रशासन सबसे ज्यादा दिवालिया प्रशासन साबित होगा। जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रश्न है वह आज भी काफी हद तक खेती पर निर्भर है उसके बाद भी अन्नदाता के।देश मे 21 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं वंही न जाने कितने किसान प्रतिदिन आत्महत्या कर लेते हैं।

वैसे तो भारतीय अर्थव्यवस्था में गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन फिर भी कभी-कभार ऐसे लक्ष्य निर्धारित कर दिए जाते हैं जिससे गरीब थोड़ा बहुत लाभान्वित हो जाता है। यूँ तो हमारे संसाधन सीमित हैं इसलिए अगर सब्सिडी ऐसी योजनाओं में दी जाए जो सीधे गरीबों तक पहुँचती हो, तो अमीर इसका अधिक फायदा नहीं उठा पायेंगे। इसलिए लक्षित वित्त -प्रणाली बनाई गई थी। योजना आयोग के आकड़ों के अनुसार 1993-94 में जब वितरण प्रणाली सबके लिए खुली थी तो इसका रिसाव 28 प्रतिशत था लेकिन 2004 -05 में जब यह प्रणाली सिर्फ गरीबों के लिए रह गई तो लीकेज़ 54 प्रतिशत हो गई। इससे गरीबों को तब भी कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। लेकिन यहाँ सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि इसका फायदा किसे ज्यादा होगा। सस्ते अनाज या नगद सब्सिडी का फायदा सच में गरीबों का होगा या अमीरों को इसमें भी लाभ होगा।

यद्यपि अर्थशास्त्रियों का मत है कि कैश ट्रांसफर प्रणाली से गरीबों के खातों में सीधे धन जायेगा लेकिन क्या वो यह अनुमान लगाना भूल गये कि कैश डालने के लिए जो बैंक एकाउंट खुलते हैं उन्हें खुलवाने से लेकर रकम आने और निकलवाने तक में ठेकेदारों,जागीदारों अथवा बाबुओं का कमीशन तय होता है। 

20 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट में भेजी गई योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तो गरीबी रेखा तय करने के लिए भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा पर ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रूपये और शहरी क्षेत्रों में 32 रूपये प्रतिदिन व्यक्तिगत रूप से खर्च किया जाना पर्याप्त है। यह तो सीधे-सीधे गरीबों के मुँह पर एक तमाचा है, इससे गरीबी रेखा नहीं भुखमरी रेखा माना जाना चाहिए। क्योंकि दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई और खाद्य पदार्थों की कीमतों में दिनों दिन होती बढ़ोतरी के चलते 26 और 32 रूपये में कोई एक वक्त की रोटी भी नहीं खा सकता। 

फिर सब्जी, दूध, चाय, चीनी, दाल, ईधन, बिजली, पानी, शिक्षा, बीमारी, दवाई और डाक्टर 32 रूपये में कैसे उपलब्ध हो सकता है।

इस लिए इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि आखिर हम कैसे गरीबी ,भुखमरी ,और भिखारी के जीवन मे छाए हुए अंधेरे को खत्म कर सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय के नारे को हकीकत में बदलेंगे।

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शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

जेजेपी के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार बनाएगी बीजेपी

हरियाणा में सरकार गठन को लेकर जारी असमंजस की स्थिति पर विराम लग गया है. राज्य में बीजेपी और जेजेपी मिलकर सरकार बनाएंगी. भाजपा को दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी अपना समर्थन देगी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा का होगा और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी की तरफ से बनाया जाएगा.

बता दें कि  हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP ने 'अबकी बार 75 पार' नारा दिया था, लेकिन पार्टी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम रही. 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 है, लेकिन बीजेपी को 40 सीटों पर जीत मिली. वहीं, जेजेपी के खाते में 10 सीटें आईं.  

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शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

भारतीय इतिहास में पहली बार ट्रेन लेट होने पर यात्रियों को मिलेगा 1.62 लाख रुपये का मुआवजा

 दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस के तीन घंटे से भी अधिक समय से देरी से चलने के मामले में इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) 950 यात्रियों को 1.62 लाख रुपये का मुआवजा देगा.भारतीय रेलवे के इतिहास में ट्रेन के विलंब से चलने पर मुआवजा देने की यह पहली घटना है.

 19 अक्टूबर को दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस का लखनऊ से रवाना होने का वक्त सुबह 6.10 बजे का था, लेकिन यह वहां से 9.55 बजे रवाना हुई और दिल्ली पहुंचने के अपने निर्धारित समय दोपहर 12.25 बजे के स्थान पर दोपहर बाद 3.40 बजे पहुंची.इसी प्रकार दिल्ली से लखनऊ रवाना होने का इसका निर्धारित वक्त दोपहर बाद 3.35 बजे का था, लेकिन यह यहां से शाम 5.30 बजे रवाना हुई, जिससे लखनऊ में इसके निर्धारित वक्त रात 10.05 बजे के स्थान पर रात 11.30 बजे पहुंची.

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ से दिल्ली के लिए 450 यात्री थे, जिनमें से प्रत्येक को 250 रुपये मुआवजा दिया जाएगा. वहीं, दिल्ली से लखनऊ के लिए 500 यात्री थे जिन्हें प्रति व्यक्ति 100 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक यात्री यह मुआवजा बीमाकर्ता के लिंक के जरिए प्राप्त कर सकता है. यह लिंक तेजस एक्सप्रेस के प्रत्येक टिकट पर दिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि कानपुर के पास एक ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण यह देरी हुई थी.बताया गया कि 6 अक्टूबर से शुरू हुई यह ट्रेन अब तक समय से चल रही थी. ट्रेन शुरू होने से पहले आईआरसीटीसी ने बताया था कि नियमों के तहत यात्रियों को ट्रेन के एक घंटा लेट होने पर 100 रुपये और दो घंटे से अधिक देरी पर 250 रुपये दिए जायेंगे.

आईआरसीटीसी अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिए इस ट्रेन में यात्रियों को बीमा सुविधाएं दे रही है. यात्रियों को 25 लाख रुपये का यात्रा बीमा (दुर्घटना बीमा) मिल रहा है, साथ ही यदि यात्रा करने के दौरान यात्री के घर में चोरी हो जाती है तो उसके लिए लाख रुपये का कवर भी इसी बीमा योजना में शामिल है.गौरतलब है कि लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर पहली निजी सेमी हाईस्पीड ट्रेन को गत चार अक्टूबर को लखनऊ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के लिए रवाना किया था ।

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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

बेहतर शिक्षा व्यवस्था के बगैर देश का विकास संभव नही

विश्वपति वर्मा-

हमारे देश की शिक्षा  प्रणाली एकदम से बूढ़ी हो चुकी है वह अस्वस्थ भी हो चुकी है ,समय समय पर बहुत इलाज किया गया ,उसपर पैंसा भी खूब खर्च किया गया लेकिन लकवा मार चुकी शिक्षा प्रणाली धुरी पर खड़ी होने लायक नही बन पाई,  इसके लिए कोई कारगर दवा भी नही बन पाई है कि वह इस बीमारी से उबर सके ।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए आये बच्चों की 8 अक्टूबर 2019 में ली गई एक तस्वीर

यदि इस भयानक बीमारी को जड़ से खत्म करना है तो सबसे पहले देश मे नई शिक्षा नीति बनाई जाए ,पढ़ाई में गुणवक्ता सुनिश्चित किया जाए ,फेल न करने वाले नियम को बंद किया जाए , स्कूल के पाठ्यक्रम को बदला जाए वंही बच्चों के बैठने के लिए स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था हो ,स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता हो  साथ ही शिक्षक और छात्र अनुपात को ठीक किया जाए जिसमे यह निश्चित किया जाए कि एक एक सौ बच्चों की संख्या को पढ़ाने के लिए कितने अध्यापक होंगे ।इतना सब करने के बाद हम देश को विकास के रास्ते पर जाता देख पाएंगे क्योंकि बिना शिक्षा के विकास के किसी देश और देश के लोगों का विकास संभव नही है।

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बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

तहकीकात समाचार का असर ,हरकत में आया जिला प्रशासन लखनऊ ,बिकने लगा रजाई

स्वच्छता अभियान पर हो रही खानापूर्ति को लेकर तहकीकात समाचार द्वारा चलाई गई खबर के बाद जिला प्रशासन लखनऊ हरकत में आया और इंदिरा नगर A ब्लॉक के इस इलाके को रातों रात साफ सुथरा किया गया। उसके बाद कल तक जंहा गंदगियों का अंबार था अब वँहा रजाई बिकने लगा

 तहकीकात समाचार के लिए दोनों तस्वीर प्रदीप वर्मा ने भेजी है।

खबर लगने के पूर्व यंहा दृश्य कुछ इस तरहं से था।


http://www.tahkikatsamachar.in/2019/10/196.html खबर पढ़ने के लिए यंहा क्लिक करें।

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भारत मे 28 हजार लोगों पर महज एक डॉक्टर ,यूपी, एमपी ,बिहार की हालत बद से बदतर

विश्वपति वर्मा-

प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है,चिकित्सकों की उपलब्धता न होने के कारण सैकड़ों लोगों की मौत इलाज के अभाव में हो जाती है ,ग्रामीण क्षेत्रों से जाने वाले मरीजों को अस्पताल के ओपीडी से ही  यह कहकर बाहर भेज दिया जाता है कि सब कुछ ठीक है ,100 -50 या हजार -पांच सौ के मूल्यों की दवाओं को देकर मरीज को अगले हप्ते या महीने तक आराम करने के लिए बोल दिया जाता है इस बीच भी न जाने कितने लोगों की जान चली जाती है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलीजेंस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 के दौरान सरकार के राष्ट्रीय परीक्षण कार्यक्रम के तहत जांच में यह पाया गया कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीजों की तादाद महज एक साल में दोगुनी हो गई है.रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 के दौरान सरकार के राष्ट्रीय परीक्षण कार्यक्रम के तहत जांच में यह भी पाया गया कि एक साल के दौरान कैंसर के मामले भी 36 फीसदी तक बढ़ गए हैं.रिपोर्ट के मुताबिक, देश में डॉक्टरों की भारी कमी है और फिलहाल देश में 11,082 की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों के अनुसार, यह अनुपात प्रति एक हजार व्यक्तियों पर एक होना चाहिए. इस लिहाज से देखें तो यह अनुपात तय मानकों के मुकाबले 11 गुना कम है.बिहार जैसे राज्यों में तो तस्वीर और भी धुंधली है, जहां 28,391 लोगों की आबादी पर एक एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध है. उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में भी हालात कोई बहुत अच्छे नहीं हैं.डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा यह है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल जाता है.

 गैर सरकारी संगठनों की मानें तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों की हालत बहुत खराब है. इन इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों की तादाद में भारी इजाफा हुआ है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2016 के आंकड़े डराने वाली तस्वीर दिखाते हैं. इनके अनुसार, भारत में एलोपैथिक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले एक तिहाई लोगों के पास मेडिकल की डिग्री नहीं है.मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पास वर्ष 2017 तक कुल 10.41 लाख डॉक्टर पंजीकृत थे. इनमें से सरकारी अस्पतालों में 1.2 लाख डॉक्टर थे. शेष डॉक्टर निजी अस्पतालों में कार्यरत हैं अथवा अपनी निजी प्रैक्टिस करते हैं

यहां यह सवाल है कि देश में आखिर कितने लोग हैं जो आर्थिक रूप से इतने सक्षम हैं कि निजी अस्पतालों और निजी डॉक्टरों से इलाज करा सकें.विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2018 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में स्वास्थ्य के मद में होने वाले खर्च का 67.78 प्रतिशत लोगों की जेब से ही निकलता है, जबकि इस मामले में वैश्विक औसत 17.3 प्रतिशत है.रिपोर्ट में कहा गया है कि आधे भारतीयों की आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच ही नहीं है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने वाले लोग अपनी आय का 10 फीसदी से ज्यादा इलाज पर ही खर्च कर रहे हैं.संगठन की विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट 2018 के अनुसार, भारत में लगभग 23 करोड़ लोगों को 2007 से 2015 के दौरान अपनी आय का 10 फीसदी से अधिक पैसा इलाज पर खर्च करना पड़ा. यह संख्या ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की संयुक्त आबादी से भी अधिक है.

भारत की तुलना में इलाज पर अपनी आय का दस प्रतिशत से अधिक खर्च करने वाले लोगों का प्रतिशत श्रीलंका में 2.9 फीसदी, ब्रिटेन में 1.6 फीसदी, अमेरिका में 4.8 फीसदी और चीन में 17.7 फीसदी है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानोम गेबेरियस ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘बहुत से लोग अभी भी ऐसी बीमारियों से मर रहे हैं, जिनका इलाज मौजूद है और जिसे बड़ी आसानी से रोका जा सकता है. बहुत से लोग केवल इलाज पर अपनी कमाई खर्च करने के कारण गरीबी में उलझ जाते हैं और बहुत से लोग स्वास्थ्य सेवाओं को ही पाने में असमर्थ हैं. यह अस्वीकार्य है.’डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बताया गया है देश की आबादी का कुल 3.9 प्रतिशत यानी 5.1 करोड़ भारतीय अपने घरेलू बजट का एक चौथाई से ज्यादा खर्च इलाज पर ही कर देते हैं, जबकि श्रीलंका में ऐसी आबादी महज 0.1 प्रतिशत है, ब्रिटेन में 0.5 फीसदी, अमेरिका में 0.8 फीसदी और चीन में 4.8 फीसदी है.रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरतें भले ही हैं, लेकिन अच्छा स्वास्थ्य और उसे बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है और उसके लिए डाक्टरों की कमी को दूर करना समय की पहली जरूरत है.

इन आंकड़ों को देखने के बाद एक बार फिर सवाल पैदा होता है कि आखिर हम कैसे दुनिया का महाशक्ति बनने का सपना देख रहे हैं? क्या मरीजों के बोझ से कराह रहे अस्पतालों की स्थिति देखकर किसी विकसित देश का नागरिक भारत के अस्पतालों को सकारात्मक रेटिंग देगा? क्या चिकित्सा की ठोस व्यवस्था करे बगैर हम बच्चे बच्चियों के भविष्य को संवार सकते हैं? क्या चिकित्सा के संसाधनों के बगैर ही हम देश में अच्छे दिनों की बात करते रहेंगे? या फिर चिकित्सा की व्यापक व्यवस्था, डॉक्टरों की पूर्ति,दवाओं और संसाधनों की भावी जरूरतों का ब्लू प्रिंट तैयार कर सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करेंगे ।

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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

पीएम मोदी से मिले नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी

वर्ष 2019 में नोबेल पुरस्‍कार जीतने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की है. इस बात की जानकारी खुद पीएम मोदी ने दी है. प्रधानमंत्री ने मुलाकात की फोटो भी शेयर की है. उन्होंने ट्वि‍टर पर अभिजीत बनर्जी की तारीफ करते हुए लिखा कि भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है.



पीएम मोदी ने ट्वीट किया:

‘’नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ शानदार बैठक हुई. मानव सशक्ति‍करण के प्रति उनका जुनून साफ दिखाई देता है. हमने अलग-अलग मुद्दों पर एक स्वस्थ और व्यापक बातचीत की. भारत को उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं.’’


अभिजीत बनर्जी को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. यह पुरस्कार फ्रांस की एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ साझा तौर से दिया गया है.  पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन’ के लिए किए गए काम के लिए दिया गया. एस्थर डुफ्लो अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं.

मोदी सरकार के मंत्री पीयूष गोयल ने अभिजीत बनर्जी को लेफ्टिस्ट बताया

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नोबल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को वामपंथी रुझान वाला करार दिया था. गोयल ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि वह अभिजीत बनर्जी को नोबल जीतने की बधाई देते हैं लेकिन लोग जानते हैं कि वह वामपंथी रुझान वाले हैं.

उन्होंने कहा था कि बनर्जी ने कांग्रेस के 'न्याय' (गरीबी खत्म करने के लिए कांग्रेस की योजना) को सपोर्ट किया था. लेकिन भारत के लोगों ने उनकी विचारधारा खारिज कर दी.

सरकार के कामकाज के आलोचक रहे हैं बनर्जी

बनर्जी ने हाल में ही में मीडिया से कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था बेहद खराब हालत मे हैं. उनका कहना था कि हाल के आंकड़ों से इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था रिवाइव करेगी.

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सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

मीडिया पर लगाम लगाने के आरोप में ऑस्ट्रेलिया के अखबारों ने पहला पन्ना काला छापा

ऑस्ट्रेलिया में एक अभूतपूर्व घटना में सोमवार सुबह देश के अख़बारों का पहला पन्ना काला छापा गया.

अख़बारों ने देश में मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिशों का विरोध करने के लिए ये क़दम उठाया है.

अख़बारों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया सरकार का सख़्त क़ानून उन्हें लोगों तक जानकारियाँ ला पाने से रोक रहा है.

अख़बारों ने पन्ने काले रखने का ये तरीक़ा इस साल जून में ऑस्ट्रेलिया के एक बड़े मीडिया समूह ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एबीसी) के मुख्यालय और एक पत्रकार के घर पर छापे मारने की घटना को लेकर जारी विरोध के तहत  उठाया.

अख़बारों के इस अभियान - राइट टू नो कोएलिशन - का कई टीवी, रेडियो और ऑनलाइन समूह भी समर्थन कर रहे हैं.

ये अभियान चलाने वालों का कहना है कि पिछले दो दशकों में ऑस्ट्रेलिया में ऐसे सख़्त सुरक्षा क़ानून लाए गए हैं जिससे खोजी पत्रकारिता को ख़तरा पहुँच रहा है.

पिछले साल नए क़ानूनों लाए गए जिसके बाद मीडिया संगठन पत्रकारों और व्हिसलब्लोअर्स को संवेदनशील मामलों की रिपोर्टिंग में छूट दिए जाने के लिए अभियान चला रहे हैं।बीबीसी

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गोल्डन होटल में लगी आग ,बुझाने के लिए प्रयास जारी

मध्य प्रदेश के इंदौर में विजय नगर थाना इलाके में स्थित एक होटल में भीषण आग लग गई है. गोल्डन होटल नाम से बनी इस बिल्डिंग के आसपास और भी इमारतें हैं. बताया जा रहा है कि इन इमारतों से सभी लोगों को निकाल लिया गया है. मौके पर दमकल की कई गाड़ियां भी मौजूद हैं. लेकिन आप तस्वीर में देख सकते हैं कि आग कितनी भयंकर है. कई घंटों की मशक्त के बाद भी आग पर काबू नही पाया जा सका है।


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26 अक्टूबर से शुरू हो रहा है 112 आपातकालीन सेवा,1972 में CEPT ने किया था शुरुआत

19 फरवरी से सिंगल हेल्पलाइन सर्विस  देशभर के 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी कर दी गई है. अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नंबर को शुरू करने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर ली है 26 अक्टूबर को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस आपातकाल नंबर की शुरुआत करेंगे जिसका डायल कोड 112 होगा।


1972 में शुरू हुआ 112

सबसे पहले साल 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलिकम्युनिकेशंस एडमिनिस्ट्रेशंस (CEPT) ने 112 नंबर को इमरजेंसी नंबर के रूप में चुना था. उन दिनों रोटरी टाइप फोन (जिन फोन में नंबर को घुमाकर डायल किया जाता है) हुआ करते थे. इन फोन में 112 नंबर डायल करने में कम समय और कम रोटेशन की जरूरत होती थी.

हालांकि अब रोटरी फोन की जगह मोबाइल फोन आ गए हैं. लेकिन फोन में भी 100, 101, 102, 108, 1090 की बजाय 112 डॉयल करना आसान है. अगर आपके पास GSM फोन है, तो फोन लॉक होने के बावजूद 112 नंबर डायल किया जा सकता है.

कौन-कौन सी सर्विस इसके दायरे में आएंगी?

किसी को भी कभी भी किसी भी तरह की परेशानी या खतरा आने पर इमरजेंसी सर्विस लेने की जरूरत पड़ती है. हमें ये समझना चाहिए कि इस दायरे में कौन-कौन सी सर्विस आती हैं. इनमें से अगर कोई परेशानी आपकी जिंदगी में आती है, तो तुरंत 112 नंबर पर कॉल कीजिए.

अगर रास्ते में कार का एक्सीडेंट हो गया है और चोट लगी है. तो तुरंत इमरसेंजी सर्विस पर कॉल कीजिए. अगर आपके सामने भी किसी एक्सीडेंट होता है तो भी कॉल करना चाहिए. ताकि एंबुलेंस सर्विस जल्दी आकर जरूरतमंद को इलाज के लिए अस्पताल ले जाए.

अगर आपको घर के अंदर या बाहर जान का खतरा है, तो भी इमरजेंसी नंबर पर कॉल करना चाहिए. ताकि पुलिस आपकी मदद कर सकें. इसके अलावा किसी भी तरह के क्राइम की पुलिस से शिकायत करने के लिए भी कॉल कर सकते हैं.
आपके घर, दुकान या आसपास कहीं आग लग गई है, तो तुंरत फायर ब्रिगेड को बुलाने के लिए 112 नंबर पर कॉल कीजिए
आप महिला हैं, रास्ते में कोई मनचला आपके साथ छेड़खानी करता है या किसी से खतरा महसूस हो रहा है, तो पुलिस की मदद के लिए 112 नंबर डायल कीजिए.

EMERGENCY और NON EMERGENCY स्थिति को कैसे समझे?

कुछ स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिसके लिए इमरजेंसी नहीं होती है लेकिन फिर भी सहायता की जरूरत होती है. आइए ऐसी ही कुछ स्थितियों को जानते हैं. जैसे-

कार का एक्सीडेंट हो गया है. लेकिन कोई घायल नहीं है. कार को कुछ नुकसान हुआ है. ये कोई जानलेवा स्थिति नहीं है.
आपके घर चोरी हो गई है और अपराधी भाग चुका है. ये इमरजेंसी स्थिति नहीं है.
घर की बिजली चली गई है. ब्लैक आउट हो गया है. इसके लिए लोकल इलेक्ट्रिसिटी नंबर पर कॉल करें।


अगर मजाक में 112 नंबर कॉल की जाए, तो?

अगर इमरजेंसी नंबर पर मजाक करने के लिए या जानबूझकर कॉल की जाती है, तो इस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. फालतू में कॉल करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. उन पर आपराधिक मामला चल सकता है.

क्योंकि जब मजाक में या जानबूझकर इमरजेंसी नंबर पर हम कॉल कर रहे होते हैं, तो हो सकता है कि उसी वक्त कोई दूसरा बहुत जरूरतमंद व्यक्ति भी कॉल कर रहा हो. ऐसे में ऑपरेटर उस जरूरतमंद व्यक्ति की कॉल नहीं ले पाएगा. उस जरूरतमंद व्यक्ति को समय पर इमरजेंसी सर्विस नहीं मिल पाएगी या मदद मिलने में देरी भी हो सकती है.

100 नंबर चालू है, तो 112 क्यों?

पहले से मौजूद किसी भी इमरजेंसी नंबर (100, 102, 108, 1090) बंद नहीं किए गए हैं. सभी नंबर पूरी तरह से काम कर रहे हैं. लेकिन अब सिंगल इमरजेंसी नंबर 112 पर भी कॉल की किया जा सकता है.

112 एक ग्लोबली मान्यता प्राप्त सिंगल इमरजेंसी नंबर है. ज्यादातर यूरोपीय देशों में इमरजेंसी के लिए इसी नंबर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में भी इमरेजेंसी के लिए यही नंबर है. ज्यादातर फोन हैंडसेट में इमरजेंसी नंबर के तौर पर 112 नंबर को फीड किया गया है.

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रविवार, 20 अक्टूबर 2019

बटन चाहे जो भी दबाओ वोट जाएगा कमल को ही- बीजेपी विधायक


हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले ईवीएम को लेकर भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में BJP विधायक बक्शीस सिंह विर्क को यह कहते सुना जा सकता है कि EVM में आप बटन कोई भी दबाएंगे वोट बीजेपी को ही जाएगा।

इस वीडियो को कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने शेयर किया है. बक्शीस सिंह विर्क मौजूदा विधायक हैं और हरियाणा के असंध विधानसभा क्षेत्र से  BJP प्रत्याशी हैं.

वीडियो में बक्शीस सिंह विर्क यह कहते हुए सुने जा सकते हैं कि आप वोट किसे भी देंगे वह भारतीय जनता पार्टी को ही जाएगा. विर्क को वीडियो में यह कह रहे हैं कि आप जहां वोट डालोगे, हमें वो भी पता लग जाएगा कि किस आदमी ने कहां वोट डाला है. आप लोगों को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए. मोदी जी की नजरें बहुत तेज हैं, मनोहर लाल जी की भी नजर बहुत तेज है. आप वोट जहां मर्जी डालो निकलनी भाजपा की है. आप बटन कोई सा भी दबा लो निकलना फूल को ही है क्योंकि मशीन में पुर्जा फिट किया हुआ है. 


वीडियो को ट्वीट करते हुए रोहतक से पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने लिखा,

'मनोहर लाल की नज़रें बहुत तेज़ हैं. कहीं भी डालो चाहे वोट, जाएगी फूल पर ही. बटन चाहे कोई मर्ज़ी दबा लेना, जाएगा भाजपा को ही. हमने मशीन में पुर्जा फ़िट कर रखा है बख्शीश सिंह विर्क, वर्तमान विधायक तथा भाजपा प्रत्याशी हल्का असंध. ये घमंड इनको ले डूबेगा.


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लखनऊ-1.96 लाख करोड़ रुपया खर्च होने के बाद न शौचालय है न सफाई

विश्वपति वर्मा-

स्वच्छ भारत मिशन पर करोड़ो रुपया खर्च किया गया,कूड़ेदान और कूड़े को नष्ट करने वाले अन्य संसाधनों के खरीद के नाम पर हजारों करोड़ रुपया सरकारी खजाने से उड़ाया गया लेकिन धरातल पर साफ सफाई की व्यवस्था सिफर है।

पहली तस्वीर राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर A ब्लॉक के  कॉन्विन्सेन सेंटर के सामने का है ।जंहा पर कूड़ेदान की व्यवस्था न होने के कारण गंदगियों का एक बड़ा ढेर बिखरा हुआ दिखाई दे रहा है ।


यह नज़ारा तो राजधानी लखनऊ की है लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली तस्वीर लखनऊ के बाहर भी मिल जाएंगे ।यह तस्वीर बाराबंकी जिले के मुख्यालय की है जंहा से महज 200 मीटर दूर जिलाधिकारी से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारी बैठते हैं लेकिन न तो आवारा पशुओं के लिए गौशाला है और न ही साफ सफाई की कोई व्यवस्था।


इन तस्वीरों को देखने के बाद स्पष्ट है कि स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर जितना धन बर्बाद किया गया है उसका 10 फीसदी काम भी योजना के उद्देश्य के प्रति खर्च नही किया गया है। अभियान के बाद की तस्वीर देखने के बाद यह कहने में कोई शक नहीं है कि मिशन के पैंसे को जमकर बंदरबांट किया गया है।

बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनने वाले शौचालयों एवं सार्वजनिक स्थानों पर साफ सफाई को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1.96 लाख करोड़ रुपये को खर्च करने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है लेकिन उसके बाद भी न शौचालय है न सफाई है ।

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अयोध्या जिला प्रशासन ने सार्वजनिक स्थान पर परिचर्चा करने के लिए चैनलों को किया प्रतिबंध

उच्चतम न्यायालय का फैसला आने से पहले अयोध्या जिला प्रशासन ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर परिचर्चा कराने से टीवी चैनलों को प्रतिबंधित कर दिया है.

जिला प्रशासन ने परिचर्चाओं के लिए अयोध्या मामले के वादियों को आमंत्रित करने से भी टीवी चैनलों को प्रतिबंधित कर दिया है.गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने बीते 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और यह एक महीने के अंदर आने की उम्मीद है.

अयोध्या जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा, ‘टीवी चैनलों को अयोध्या में सार्वजनिक स्थानों पर परिचर्चा कराने से प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि इससे शांति में खलल पड़ सकती है और सांप्रदायिक अशांति हो सकती है.


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शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

उत्तराखंड में पान -मसाला बिक्री पर लगा पूरी तरहं से प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पान मसाले और गुटखा की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा यहां जारी आदेश में कहा गया है कि जन स्वास्थ्य के मद्देनजर तंबाकू तथा निकोटीन युक्त गुटखा, पान मसाला व अन्य किसी भी नाम से बिकने वाले ऐसे खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं बिक्री को आदेश के जारी होने से एक साल तक की अवधि के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है. इतना ही नहीं इस आदेश में यह भी कहा गया है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू और निकोटीन का उपयोग प्रतिबंधित है.
 बता दें कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त जन स्वास्थ्य के मद्देनजर एक वर्ष के लिये तंबाकू और निकोटीन युक्त किसी भी खाद्य पदार्थ के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री को पूरे राज्य में प्रतिबंधित कर सकता है. लिहाजा गुटखा और पान मसालों में इन संघटकों के बहुत ज्यादा इस्तेमाल किये जाने के मद्देनजर इन उत्पादों को पूरे राज्य में प्रतिबंधित किया गया है.

गौरतलब है कि उत्तराखंड अकेला ऐसा राज्य नहीं है जिसने पान मसालों पर प्रतिबंध लगाया हो. इससे पहले बिहार में भी पान मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया था. बिहार के खाद्य संरक्षा आयुक्त संजय कुमार ने शुक्रवार को कहा था कि कुल 12 पान मसाला कंपनियों पर पूरे राज्य में आज (30 अगस्त) से एक वर्ष की अवधि तक पैकेट या खुले रूप में विनिर्माण, भंडारण, परिवहन, प्रदर्शन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है." स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि भारतीय संविधान के अनुसार राज्य सरकार अपने लोगों को पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने और जन स्वास्थ्य के सुधार करने हेतु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थो के उपभोग को प्रतिबंधित कर सकती है. 

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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

लखनऊ-हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी का गला रेतकर हत्या

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नाका इलाके में हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या हो गई है ।

बताया जा रहा है कि दो लोग कमलेश से मिलने आए थे. एक ने भगवा कपड़ा पहना था.आरोपी मिठाई के डिब्बे में रिवाल्वर और चाकू लेकर अंदर गए थे ।पुलिस ने मौके से एक रिवाल्वर भी बरामद की है. पुलिस का कहना है कि हत्याकांड को कमलेश तिवारी के ही किसी परिचित ने अंजाम दिया है. वारदात को अंजाम देकर आरोपी फरार हो गया है. इससे पहले हमले में घायल कमलेश तिवारी को गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हाे गई. उधर पुलिस मामले में आरोपियों की सरगर्मी से तलाश में जुटी है.

 डॉक्टरों के मुताबिक कमलेश तिवारी का गला किसी धारदार हथियार से रेता गया था. मौके से पुलिस ने रिवॉल्वर भी बरामद की है. जानकारी के अनुसार कमलेश तिवारी पर खुर्शीद बाग स्थित घर में ही हमला हुआ.

प्रथम दृष्टिया लगता है कि कमलेश तिवारी को सटा कर गोली मारी गई है साथ ही किसी धारदार हथियार से कमलेश का गला रेता गया है.

बता दें हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे कमलेश तिवारी को पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.में उन्होंने हिंदू समाज पार्टी का गठन किया था।

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कहीं गांव जल रहा है तो कहीं शहर बस रहा है,बस लिखने लगा हूँ ऐसा....

विश्वपति वर्मा-

सियासत भी दांव खेल रही है बर्चस्व बचाने में
उसे जरा सा भी फिक्र नहीं है समाज को बनाने में

बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये 
बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये 

कहीं किसान मर रहा है ,कहीं जवान मर रहा है
कहीं गांव जल रहा है तो कहीं शहर बस रहा है।

बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये
बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये।

मंदिर और मस्जिद में ये देश भी उलझ गया
देश का बड़े से बड़ा घोटाला कागजों में सुलझ गया।

बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये
बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये।

21 करोड़ लोग भुखमरी के चपेट में हैं 
उसके बाद भी सियासत के पेट भरे हैं

बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये 
बस लिखने लगा हूँ ऐसा क्रांति आ जाये 



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गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

गोरखपुर-शहर में आतंकवादी आने की घटना फर्जी- एसएसपी

बता दें कि गोरखपुर में आतंकवादी के घुसने की सूचना पर कुछ समाचार वेबसाइटों पर खबर प्रकाशित की गई थी ,लेकिन गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह महज अफवाह है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ सुनील गुप्ता बताया कि गोरखपुर में आतंकी के घुसने की सूचना वाली खबर पूर्ण रूप से फर्जी है उन्होंने कहा कि हमारी गोरखपुर पुलिस, एलआईयू, खुफिया विभाग, एसटीएफ, एसओजी स्वाट टीम ऐसे असामाजिक तत्वों पर बराबर नजर बनाए रखती है ।

जो खबर दिखाया व चलाया गया है वह 15 सितंबर को अफवाह के तौर पर चलाया गया था जिसको हमारे द्वारा जांच कराया गया था  वह पूर्ण रूप से  फर्जी था उसमें कोई सत्यता नहीं पाई गई थी  जिसे आज भी कुछ चैनलों व समाचार एजेंसियों पर चलाया व दिखाया जा रहा है जो आतंकवायो के आने की घटना गलत व फर्जी है।

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दिल्ली में बब्बर शेर के बाड़े में कूदा 26 वर्ष का युवक ,आगे क्या हुआ जान कर हैरान हो जाएंगे आप

दिल्ली के चिड़ियाघर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक शख्स शेर के बाड़े में घुस गया और उसके सामने बैठ गया. इस दौरान शेर ने उस युवक  के सिर पर अपना लात फेरा लेकिन युवक पीछे हट गया उसके बाद युवक फिर वंही बैठ गया हालांकि शेर ने युवक को कोई नुकसान नही पंहुचाया है।

  मिली जानकारी के मुताबिक शख्स को कोई चोट नहीं लगी है और उससे निज़ामुद्दीन थाने में पूछताछ की जा रही है. पुलिस का कहना है कि शख्स की मानसिक हालत ठीक नहीं है. इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. कुछ लोग इसे शख्स की हिम्मत बता रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने इसे पागलपन करार दिया. 

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आतंकवादियों के घुसने की सूचना पर यूपी के गोरखपुर में हाईअलर्ट


  लश्कर के आतंकियों की गतिविधियों की आहट होने के बाद गोरखपुर जिले को हाई अलर्ट पर डाल दिया गया है।
                     प्रतीकात्मक तस्वीर

 खुफिया एजेंसियों के अलर्ट के बाद एसएसपी ने मातहतों को हाईअलर्ट करने का आदेश दिया है।

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि लश्कर ए तैयबा का स्लीपिंग माॅड्यूल करीब छह माह पहले यूपी के कुछ विशेष शहरों या गोरखपुर की रेकी की थी।

पहले भी गोरखपुर आतंकियों के निशाने पर रहा है क्योंकि यूपी का सबसे महत्वपूर्ण गोरखनाथ मंदिर यहां स्थित है। सूबे के मुखिया यहीं के हैं जो फायरब्रांड हिंदूवादी नेता माने जाते हैं।

 बगल के जिले कुशीनगर में विश्व प्रसिद्ध बुद्धिस्ट स्थली, संतकबीरनगर में संत कबीर की समाधि स्थित है।

गोरखपुर में पहले भी एक बार सीरियल ब्लास्ट हुआ था। 22 मई 2007 को यहां ब्लास्ट हुए थे। गोलघर में हुए इस ब्‍लास्‍ट में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए थे। इसमें लश्‍कर के आतंकियों के शामिल होने की पुष्टि हुई थी। तीन आतंकी गिरफ्तार भी हुए थे।

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भूख की लाइलाज बीमारी का उपचार


  हेमेन्द्र क्षीरसागर
लेखक,पत्रकार व विचारक

अन्न खाये मन भर छोड़ना कन भर। अब मंदातों के कारण उलट अन्न खाये कन भर छोड़ो मन भर हो गया। विभीषिका, कोई खां-खां के मरता है तो भूख रहकर यह दंतकथा प्रचलित होने के साथ फलीभूत भी है। ये दोनों ही हालात में भूख को लाइलाज बीमारी बनाने में मददगार है। लिहाजा, भूख और कुपोषण एक सिक्के के दो पहलु हैं। जहां तक कुपोषण की बात करे तो कुपोषण एक बुरा पोषण होता हैं। इसका संबंध आवश्यकता से अधिक हो या कम किवां अनुचित प्रकार का भोजन, जिसका शरीर पर कुप्रभाव पडता हैं। वहीं बच्चों में कुपोषण के बहुत सारे लक्षण होते है।  जिनमें से अधिकांश अज्ञानता, गरीबी, भूखमरी और कमजोर पोषण से संबंधित हैं।

  दुर्भाग्य जनक, गिरफ्त आऐ बच्चे अपनी पढाई निरंतर जारी नहीं रख पाते और गरीबी के दोषपूर्ण चक्र में फंस जाते हेैं। कुपोषण का प्रभाव प्रौढावस्था तक अपनी जडें जमाए रखता हैं। प्राय: देखा गया है कि भारत में कुपोषण लडकों की अपेक्षा लडकियों में अधिक पाया जाता हैं। और अनिवार्यत: इसका कारण है घर पर लडकियों के साथ किया जाने वाला भेदभाव या पक्षपात। निर्धन परिवारों में और कुछ अन्य जातियों में लडकियों का विवाह छोटी आयु में ही कर दिया जाता हैं। जिससे 14 या 15 वर्ष की आयु में ही बच्चा पैदा हो जाता हैं। ऐसा बच्चा प्राय: सामान्य से काफी कम भार का होता हैं। जिससे या तो वह मर जाता है अथवा उसका विकास अवरूद्ध हो जाता हैं। इससे भी अधिक खतरा इस बात का होता हैं कि शीघ्र गर्भाधान के कारण लडकी का जीवन संकट में आ जाता हैं।

सामान्य रूप से भारत में बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति एक चिंता का विषय हैं। यूनेस्को की रिर्पोट में भारत में कुपोषण सब-सहारा अफ्रीका की तुलना में अधिक पाया था। मुताबिक विश्व के एक तिहाई कुपोषित बच्चे भारत में ही पाए गए। कुपोषण बच्चे के विकास तथा सीखने की क्षमता को अवरूद्ध कर देता हैं। इससे बच्चों की मृत्यु भी हो सकती हैं। अमुमन जिन बच्चों की बचपन में मृत्यु हो जाती है उनमें 50  फीसद बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं। भारत में तीन वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों में से  46 प्रतिशत अपनी आयु की दृष्टि से बहुत छोटे लगते हैंए लगभग 47 प्रतिशत बच्चे कम भार के होते हैं और लगभग 16 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती हैं। इनमें बहुत सारे बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित होते हैं। कुपोषण की व्यापकता  राज्यों में अलग-अलग हैं।

    दरअसल, हमारे देश में पोषण एक मात्र पेट भरने का तरीका है चाहे वह किसी भी तरह से क्यों ना हो भूख मिटना चाहिए। उसके लिए कुछ भी खाना क्यों ना पडे पोषक तत्वों की फ्रिक किसे हैं। हो भी क्यों क्योंकि भूख की तृष्णा शांत करने के लिए इंसान कुछ भी करने को आमदा हो जाता हैं। आखिर! भूख दुनिया की सबसे बडी लाइलाज बिमारी जो बनते जा रही हैं। इसी जद्दोजहाद में भिक्षावृत्ति, वेष्यावृत्ति, बाल मजदूरी और चोरी करना आम बात हो गई हैं। इसमें बची कुची कसर भूखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, रूढिवादिता, व्यसन, दिखास और असम्यक प्राकृतिक आपदाऐ पूरी कर देती हैं।

बदतर, सवाल यह उत्पन्न होता हैं कि आम इंसान दो वक्त की रोटी कहां से जुगाड करें। किविदंती सरकारों, हुक्मरानों या भगवान भरोसे रहे किवां खाली पेट रहकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दे यह कोई समस्या का सर्वमान्य निदान नहीं हैं। हमें समाधान में समस्या नहीं, समस्या में समाधान खोजना होगा। वह समाधान मिलेगा कृषि और स्वरोजगार के संवहनीय आजीविका के साधनों में। जरूरत हैं तो खेती में सम्यक् आमूलचूल परिवर्तन तथा निचले स्तर तक रोजगार के संसाधन विकसित करने की। वह आएगा, जल-जंगल-जमीन-पशुधन के संरक्षण और संर्वधन से। अभिष्ठ खेती और पंरपरागत व्यवसायों में कौशल विकास का अभिवर्द्धन ऐसा साधन हैं जो सभी को भूख से बचा सकती हैं। जरूरत है तो भूख मिटाने के वास्ते भोजन के प्रकार नहीं आहार पर ध्यान देते हुए हाथों में काम दिलाने की पहल से भूख की लाइलाज बीमारी का उपचार होगी।

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बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

भारत मे 21 करोड़ लोग भूखे पेट सोने को मजबूर ,हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार

विश्वपति वर्मा-
   लखनऊ।

एक तरफ भारत भौतिक संसाधनों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर परचम लहराने के लिए लालायित है दूसरी तरफ देश के अंदर गरीबी और भुखमरी का बोझ उबाल मार रहा है।

भारत मे कुपोषण और भुखमरी के आंकड़े देखें तो यूनिसेफ की रिपोर्ट चौंकाने वाले हैं सोमवार को जारी हुई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत मे हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है ।वंही रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हर साल 1 लाख करोड़ रुपये का अनाज बर्बाद हो जाता है। 

संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पूरी दुनिया को 2030 तक भुखमरी से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया गया है जिसमे भारत भी शामिल है लेकिन हालिया रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 2030 तक भारत मे भुखमरी कम नही बल्कि बढ़ने वाले हैं।

यूनीसेफ द्वारा अपनी रिपोर्ट में पांच चिंताजनक खुलासे किये गए हैं रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वभर में दो अरब लोगों का खानपान ठीक नहीं हैं, जिससे मोटापा, हृदय संबंधी बीमारी और मधुमेह की बीमारियां बढ़ रही है। फार्मूला मिल्क की बिक्री विश्वभर में 40 प्रतिशत बढ़ी है। छह माह से कम आयु के हर पांच में से केवल दो शिशुओं को ही केवल मां का दूध मिल रहा है। विश्वभर में पांच साल से कम आयु के करीब 70 करोड़ में से एक तिहाई बच्चों पर जीवनपर्यन्त स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त रहने का खतरा है ।गरीब देशों में चार साल या इससे भी कम आयु के 14 करोड़ 90 लाख बच्चों का कद अब भी अपनी आयु के हिसाब से छोटा है।
इसके अलावां विश्वभर में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से करीब आधे बच्चों को आवश्यक विटामिन और खनिज नहीं मिल रहे।

रिपोर्ट पर नजर दौड़ाएं तो वैश्विक भूख सूचकांक-2019 में भारत 102 स्थान के साथ दैयनीय स्थिति में है .अब जिस तरहं से भारत दुनिया की महाशक्ति बनने के लिए प्रयत्नशील है उसे 117 देशों की इस सूची में ऊपर आना होगा। यह सूचकांक बताता है कि देश में कुपोषण, बाल कुपोषण, बाल मृत्युदर और बच्चों में बौनापन की स्थिति गंभीर है।

संयुक्त राष्ट्र के भोजन व कृषि संगठन की रिपोर्ट ‘दुनिया में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति - 2019’ के अनुसार, दुनियाभर में सबसे ज्यादा 14.5 प्रतिशत यानी 19.44 करोड़ कुपोषित भारत में हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें दोनों वक्त का भोजन नसीब नहीं है, इनमें से ज्यादातर को भूखे ही सो जाना पड़ता है। लेकिन असली रिपोर्ट में यह संख्या 21 करोड़ के पार हो सकता है।

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पोषण रिपोर्ट-2018 बताती है कि देश में हर दिन 3000 बच्चों की कुपोषण से जुड़ी बीमारियों के कारण मौत हो जाती है। यह स्थिति तब है जबकि दुनिया में भारत भैंस का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सब्जी, फल व मछली उत्पादक देश है।

एक मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी गोदामों में पिछले 10 सालों से रखा 7.80 लाख कुंतल अनाज सड़ गया। रिपोर्ट में बताया गया कि हमारे देश में प्रति व्यक्ति अनाज की खपत लगभग 500 ग्राम है। इस तरह से रोजाना करीब 43 हजार लोगों का खाना बर्बाद होता है। इस खबर के मुताबिक भी देश में हर दिन करीब 20 करोड़ लोग भूखे रह जाते हैं 821 बच्चे प्रतिदिन पर्याप्त खाना नहीं मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं।वहीं ग्लोबल फूड वेस्ट नॉट वांट नॉट के 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 21 मिलियन टन गेंहू बर्बाद हो रहा है। 

 इस तरहं के रिपोर्ट आने के बाद सवाल पैदा होता है कि जब हमारा देश दुनिया भर में अनाज उगाने के लिए जाना जाता है। तब देश भर में 21 करोड़ लोगों को भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ता है।आखिर अन्नदाता के देश मे इतनी बड़ी समस्या उतपन्न होने का कारण क्या है ?क्या भुखमरी के चपेट में रहकर भारत शक्तिशाली बन सकता है? या फिर इससे निपटने के लिए कोई ठोस योजना बनाई जाएगी।

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बाराबंकी निवासी बाल काटने वाले संतोष ने पीएम मोदी से पूछा एक सवाल

बाराबंकी जिले के सलारपुर निवासी संतोष बताते हैं कि वह पिछले 30 वर्षों से रेडियो का कार्यक्रम सुन रहे हैं ,जिसमे आये दिन गांव और देश का विकास और बदलाव की बात की जाती है ,लेकिन इन वर्षों में सड़क शौचालय पर जितना बात की गई उतनी चर्चा शिक्षा और चिकित्सा पर नही हुई ।संतोष का कहना है कि देश मे जो बदलाव हुआ है वह पर्याप्त नही है ।गांव के लोग समाज की मूलाधारा में आएं और उनके जीवन मे कुछ व्यापक बदलाव हो तब देश का बदलाव माना जायेगा।

इन्होंने पीएम मोदी से एक सवाल पूछा है कि सबका साथ और सबका विकास की बात करने वाली सरकार मूल्यपरक शिक्षा की बात क्यों नही करती ।

संतोष कहते हैं कि मैं पिछले 10 वर्षों से यह सवाल लोगों से पूछ रहा हूँ लेकिन इसपर कोई ठोस जवाब नही मिल पा रहा है, यंहा तक कि अच्छे दिन लाने वाली सरकार में भी हमारी सवाल का जवाब नही मिल पा रहा है।

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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

40 फीसदी शौचालय का काम अधूरा, पूरा जिला हुआ ओडीएफ घोषित ,आखिरकार शासन ने दिया जांच का आदेश

विश्वपति वर्मा_

न खाएंगे न खाने देंगे कामकाजी सरकार होगी बशर्ते सब कुछ कागजों में ही होगा ये हाल देश के पंचायती राज विभाग और स्वच्छ भारत मिशन का है जंहा पर 60 फीसदी शौचालय का निर्माण भी पूरा नही हो पाया है उसके बाद भी पूरा का पूरा गांव खुले से शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है ।

जी हां ..सही सुन रहे हैं आप भारत सरकार की योजना स्वच्छ भारत मिशन का पूरे भारतवर्ष में जोर शोर से अभियान चलाया गया  2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी के 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पीएम मोदी द्वारा बताया गया कि पूरा देश खुले से शौच मुक्त हो गया है। जिसपर लगभग 1.96 लाख करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की गई है लेकिन स्थलीय पड़ताल में पता चला है कि अभी 40 फीसदी से अधिक घरों में शौचालयों का निर्माण ही नही हुआ है।


टीम तहकीकात समाचार tahkikat samachar ने बाराबंकी जिले के सूरतगंज ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मकईपुरवा का दौरा किया जंहा के निवासी दुर्गेश कुमार ने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए हमने प्रधान से कई बार गुहार लगाया लेकिन हमारे घर मे शौचालय का निर्माण नही करवाया गया वंही इसी ग्राम पंचायत के निवासी शोभा राम और राजित राम ने बताया कि हमारे घर प्रधान द्वारा शौचालय बनवाया गया लेकिन उसके गढ्ढे इतने छोटे और घटिया निर्माण के थे कि बीते बरसात में ही वह ध्वस्त हो गया ।वंही गांव भ्रमण के दौरान हमे आशा देवी के नाम पर बना एक शौचालय मिला जो उपयोग से बाहर था।

हमारी टीम ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के रेउसा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत थानगांव में जाकर  कर्बलापुरवा में डोर टू डोर शौचालय की स्थिति की समीक्षा की तो पता चला कि 5 फीसदी लोग भी शौचालय का प्रयोग नही करते जबकि लगभग 50 फीसदी घरों में शौचालय बना हुआ है ,वंही गांव के जागेश्वर ने बताया कि शौचालय बनवाना चाहते हैं लेकिन  उसका लाभ नही मिल पा रहा है।
     जनपद के प्राथमिक विद्यालय में बना शौचालय

प्रदेश के बस्ती जनपद के अंतर्गत आने वाले गौर ब्लॉक के नरथरी ग्राम पंचायत में हमारी टीम ने दौरा किया तो पता चला कि ग्राम पंचायत को ओडीएफ घोषित करने के लिए ठीके-पट्टे पर शौचालय का निर्माण करवा दिया गया जिसका परिणाम है कि शौचालय ध्वस्त हो रहे हैं वंही ग्राम पंचायत में 20 फीसदी से अधिक लोग शौचालय से वंचित हैं। गांव के अनवर अली ,राम कुमार के साथ दर्जन भर लोगों ने बताया कि योजना का लाभ नही मिल पाने के कारण शौचालय से वंचित हैं।

 धरातल पर पंहुचने के बाद स्पष्ट हो गया कि देश के 100 फीसदी घरों में शौचालय का निर्माण नही हुआ है जबकि विभाग और सरकार का कहना है कि पूरा देश खुले से शौच मुक्त हो गया है  इसका मतलब यह है कि सब कुछ कागजों के आंकड़ों पर ही काम किया जा रहा है।

फिलहाल शौचालय निर्माण में हुई धांधली को लेकर की गई शिकायत पर उत्तर प्रदेश सरकार ने गंभीरता दिखाई है ,शौचालय निर्माण के नाम पर हुए घपलेबाजी को लेकर निदेशक पंचायती राज ने जांच के आदेश दिए हैं लेकिन अब देखना यह होगा कि इससे दोषियों के ऊपर क्या कार्यवाही होती है और क्या बदलाव आता है।

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शर्मनाक-लखनऊ में सगे भाई बहन ने रचाई शादी दिल्ली जाते वक्त पुलिस ने पकड़ा

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद से करीब 12 किलोमीटर दूर बौधि खुर्द गांव के एक परिवार में दो सगे भाई बहनों ने आपस मे शादी कर रिश्तों की मर्यादाओं को तार-तार कर दिया 

 तीन बहनों में दूसरे नंबर की युवती ने अपने बड़े भाई से शादी कर ली बाद घर छोड़कर दिल्ली जाते वक्त दोनों शाहजहांपुर में रेलवे स्टेशन पर पकड़ गए। वहां से उन्हें सोमवार को मोहम्मदी थाने लाकर पुलिस ने युवती को पिता के सुपुर्द कर दिया, जबकि युवक का शांति भंग में चालान कर दिया।
अनुसूचित जाति के इस परिवार में युवक अपनी तीन बहनों का इकलौता भाई है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। दूसरे नंबर की बहन से उसके संबंधों को लेकर गांव में पहले से चर्चाएं थीं, मगर किसी को यह अंदाज नहीं था कि वे दोनों इतना बड़ा कदम उठा लेंगे। अब गांव के लोग इस घटना को लेकर अपने को काफी शर्मसार होने की बात कह रहे हैं।

यह युवक कोलकाता में मजूदरी करता था, एक साल पहले वह वहां से काम धंधा छोड़कर गांव ही आ गया था। बताते हैं कि आठ दिन पहले वह अपनी दूसरे नंबर की बहन के साथ चुपचाप घर से निकल गया। लखनऊ जाकर मंदिर में शादी रचाई। पांच दिन पहले वे दोनों लौटे तो बेटी की मांग में सिंदूर और पांव में बिछुए देखकर हैरान रह गई। लोकलाज की वजह से तुरंत ही उन्हें उतरवाया, ताकि किसी को पता न चले। इसके बाद मां-बाप ने सख्ती की तो दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। इसके बाद वे दिल्ली जाने के लिए शनिवार को घर से निकल पड़े। दोनों बस से शाहजहांपुर पहुंचे, वहां से ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुंचे तो जीआरपी को उन दोनों को देखकर कुछ शक हुआ। तलाशी ली तो युवक की जेब से सल्फास की डिब्बी मिली। इससे हैरान होते हुए सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने असलियत बता दी। इसके बाद जीआरपी ने मोहम्मदी थाना पुलिस को सूचना दी। वहां से पुलिस साथ लेकर आई। लड़की को पिता की सुपुर्दगी में देने के बाद युवक का शांति भंग में चालान कर दिया। मंगलवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा

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HAPPY BIRTHDAY -आज पूर्व राष्ट्रपति ,भारत रत्न अब्दुल कलाम की जन्म जयंती है

आज एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म जयंती है उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उन्होंने विज्ञान और मानवता की दुनिया में बहुत बड़ा योगदान दिया था। उनका जन्म और परवरिश रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुई थी और उन्होंने भौतिकी और एरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई की थी।

 उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्च वाहन प्रौद्योगिकी के विकास पर काम किया था। 2002 में, कलाम भारत के 11 वें राष्ट्रपति बने। कलाम ने पोखरण -2 परमाणु परीक्षण किया, जिसने भारत को परमाणु शक्तियों के क्लब में शामिल कर लिया, जो उस समय तक केवल पांच देशों के लिए था। 

भारत रत्न से सम्मानित डॉo कलाम ने अपने जीवन के शुरुआती दौर को गरीबी में बिताया यंहा तक कि पढ़ाई पूरा करने के लिए उन्होंने अखबार भी बेंचे लेकिन उन्होंने अपने सपने को देखना कभी बन्द नही किया बल्कि उन्होंने सपने रात में नही बल्कि दिन।में देखे ।

आइये जानते हैं उनके कुछ अनमोल वचन।

“सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं दो आपको नींद ही नहीं आने दे।”

 अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।।

 जिस दिन हमारे सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाएं,

मान लीजिए आप कामयाब हो गए।

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सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद बोले अभिजीत "डगमगाती स्थिति में है भारतीय अर्थव्यवस्था"


भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार  दिया गया. अभिजीत कोलकाता में पैदा हुए और उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज से पढ़ाई की. अभिजीत बनर्जी ने जेएनयू से अर्थशास्त्र में मास्टर्स भी किया. फिलहाल वह अमेरिका की एमआइटी कैंब्रिज में हैं. खास बात यह है कि अभिजीत को ये पुरस्कार जिन तीन लोगों के साथ मिला है, उनमें एक उनकी पत्नी एस्थर डुफलो हैं और एक उनके सहकर्मी मिखाइल क्रेमेर भी हैं. अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी अर्थशास्त्र में नोबेल पाने वाले दूसरे भारतीय हैं. इनको दुनिया में गरीबी हटाने के उपायों के लिए शोध पर नोबेल मिला है.

डगमगाती स्थिति में है अर्थव्यवस्था

नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है. उन्होंने कहा कि इस समय उपलब्ध आंकड़ें यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आ सकती है. उन्होंने कहा, 'भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है. वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद, (निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार) को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है.' बनर्जी ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया, 'पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है.' उन्होंने कहा कि उन्होंने जीवन में कभी भी नहीं सोचा था कि उन्हें इतनी जल्दी नोबेल पुरस्कार मिल जाएगा. अभिजीत बनर्जी ने कहा, 'मैं पिछले 20 वर्षों से शोध कर रहा था. हमने गरीबी उन्मूलन के लिए समाधान देने की कोशिश की.'

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बाबा नाम केवलम से गूंंजा गोरखपुर, धर्म महा संमेलन का हुआ समापन

कृपा शंकर -

गोरखपुर।आनंद मार्ग धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन प्रभात फेरी, पांचजन्य एवं योग प्रशिक्षण के बाद सामूहिक प्रभात संगीत, कीर्तन, ध्यान साधना, स्वाध्याय के बाद भारतवर्ष के सैकड़ों जिले से आए हुए, भुक्ति प्रधान एसीबी मेंबर तात्विक आचार्य एवं हजारों साधकों के बीच आनंद मार्ग के जेनरल सेक्रेटरी आचार्य चितस्वरूपानंद अवधूत अपने केंद्रीय समिति के सदस्यों के साथ आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा भारतवर्ष में हो रहे सेवा कार्यों की समीक्षा की एवं नए सेवा कार्यों के लिए कार्यक्रम दिए गए ।

 इस उपलक्ष पर एक बैठक हुई जिसमें भारतवर्ष में सामाजिक आर्थिक एवं आध्यात्मिक समस्याओं के समाधान के लिए विचार दिए गए, उसके बाद आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत जी का प्रवचन प्रभात संगीत के बाद शुरू हुआ, आज के प्रवचन का विषय है “ ध्यान मूर्ति सद्गुरु” उक्त विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए मार्ग के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि जो विषयगत भोगात्मक सुख की अभिलाषा से इस दुनिया में जी रहे हैं सामान्य मनुष्य है, जो वृत्तियों का नियंत्रण करते हुए जी रहे हैं तथा आध्यात्मिक साधना के द्वारा परम पुरुष की ओर आगे बढ़ रहे हैं उन्हें साधक कहा जाएगा।

 सद्गुरु वे हैं जो अलौकिक शक्तियों से संपन्न अपर सीढ़ियों से समन्वित होते हैं उन्हें 'भगवान' या पूर्ण अवतार के श्रेणी में आते हैं बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी के पास भी था जिसका प्रदर्शन वे जमालपुर मे किया है तंत्र शास्त्र में उन्हें महाकौल कहते हैं स्वयं पूर्ण सिद्ध होने के साथ ही इनमें शिष्यों को भी सिद्ध रखने की क्षमता रखते हैं कालीचरण बनर्जी कमलाकांत महापात्र आदि को अपने जैसा सिद् कर दिया था वे जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं किंतु अपना व्यक्तिगत परिचय छुपा कर रखते हैं उन्होंने कहा कि  मार्ग के प्रारंभिक दिनों में साधकों को प्रशिक्षित करनें के दौरान उन्होंने कहा था कि मुक्ति और मोक्ष तुम लोगों के हाथ में है उन्होंने साधकों को पूछा था तुम लोग क्या चाहते हो मुक्ति मोक्ष लेना या मानव देह मे आकर मानवता की सेवा करना सबों ने कहा था कि वे सेवा करना चाहते हैं आंखों से अश्रु प्रवाहित होता रहा एक बड़े ही विचित्र अतींद्रिय अनिरवणिय परमानंद से सभी आल्हादित होकर आनंदित हो रहे थे, तंत्र में गुरु ही सब कुछ है इसीलिए कहा गया है गुरुर ब्रह्म गुरुर विष्णु गुरु देवो महेश्वरः गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः तारक ब्रह्म जीवों का कल्याण कर  भक्ति प्रदान करते हैं सतगुरु का पार्थिव शरीर तारक ब्रह्म का संकल्प देह होता है। महासंभूति ही तारक ब्रह्म है। और तारक ब्रह्म ही महासंभूति हैं। महासंभूति का शरीर नहीं रहने पर वह पुनः परम चैतन्य के साथ मिल जाते हैं साधकों के लिए सिर्फ आनंदमूर्ति शेष रह जाते हैं एक साधक के लिए तारक ब्रह्म का रूप आवश्यक है इसीलिए कल्याणमय  ब्रह्म कृपा करके मानव देह लेकर आते हैं भक्तों के लिए वह गुरु रूप में मानव देह के माध्यम से करुणामई कृपानिधि के रूप में साधकों का उद्धार करते हैं।

उसके बाद अपराहन 3:00 बजे 48 घंटे का चल रहे “ बाबा नाम केवलम” अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र जो जनमानस के कल्याण के लिए है , आज उसकी समाप्ति हो जाएगी , उसके बाद संध्या 5:00 बजे से सामूहिक प्रभात संगीत ध्यान साधना के उपरांत ( रावा ) रिनासॅस आर्टिस्ट राइटर एसोसिएशन द्वारा प्रस्तुत प्रभात संगीत पर आधारित सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम होगा , भोपाल गोरखपुर तथा अन्य जगहों से आए हुए कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे , जिस का संचालन भोपाल के श्री नंदेश्वर देव करेंगे।
उक्त जानकारी जन समपर्क सचिव श्री उदयन मुखर्जी  एवं सेक्टोरिल जनसम्पर्क सचिव आचार्य प्रणवेशानंद अवधूत ने दी ।

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रविवार, 13 अक्टूबर 2019

INDIA- प्रसव पीड़ा के बाद महिला ने दिया पांच बच्चों को जन्म

राजस्थान के जयपुर अस्पताल में एक महिला ने शनिवार को एक साथ पांच बच्चों को जन्म दिया. जनाना अस्पताल की अधीक्षक लता राजौरिया ने बताया कि उनके जन्म के दौरान एक शिशु मृत पैदा हुआ, जबकि एक शिशु को वेंटिलेटर पर रखा गया है. बाकी तीन बच्चों को भी निगरानी में रखा गया है. उन्होंने कहा, "शुक्रवार रात रुक्साना (25) को प्रसव पीड़ा होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. शनिवार सुबह उसने पांच प्री मेच्योर बच्चों को जन्म दिया. एक शिशु मृत पैदा हुआ था."

उन्होंने आगे बताया, "दो लड़कियों और दो लड़कों को चिकित्सा निगरानी में रखा गया है. सभी बच्चों का वजन बहुत कम है. महिला सांगनेर की रहने वाली है. मरा हुआ शिशु लड़का था.' वहीं डॉक्टर ने बताया, "यह मामला कुछ दुर्लभ मामलों में से एक है. हालांकि पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें दो, तीन, चार यहां तक की नौ बच्चे एक साथ पैदा हुए हैं."

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मोदी ने अपने कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छा नही किया-रघुराम राजन



रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि बहुसंख्यकवाद और निरंकुशता से देश अंधकार में जाएगा और अस्थिरता बढ़ेगी.


राजन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में वृ्द्धि दर टिकाऊ नहीं है और लोकप्रिय नीतियों के कारण ख़तरा है कि अर्थव्यवस्था कहीं लातिन अमरीकी देशों की तरह न हो जाए.

रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अभी की सुस्ती के लिए नोटबंदी और जीएसटी को ज़िम्मेदार ठहराया है. अमरीका की ब्रॉन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर में राजन ने कहा कि सरकार पर प्रोत्साहन पैकेज को लेकर काफ़ी दबाव है.

उन्होंने कहा, ''मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छा नहीं किया क्योंकि इस सरकार में सारी शक्तियां एक जगह थीं. ऐसे में सरकार के पास अर्थव्यवस्था को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं था. मंत्रियों के पास कोई ताक़त नहीं थी. ब्यूरोक्रेट्स फ़ैसले लेने को लेकर अनिच्छुक थे. गंभीर सुधार के लिए कोई आइडिया नहीं था.''

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पीएनबी ही नही पंजाब & सिंध बैंक का 44.1 करोड़ का मेहुल ने लगाया चूना,हुआ खुलासा


पंजाब एंड सिंध बैंक  ने शनिवार को खुलासा किया कि भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से 44.1 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है. यह पहली बार है, जब 111 साल पुराने बैंक ने चोकसी द्वारा की गई धोखाधड़ी के बारे में खुलकर जानकारी दी है, जो अब एंटीगुआ और बारबाडोस, वेस्ट इंडीज का नागरिक है. 

नई दिल्ली स्थित पीएसबी ने उसे 'विलफुल डिफॉल्टर' घोषित करने के लिए नोटिस जारी किया है. पीएसबी के अनुसार, चोकसी की कंपनी, गीतांजलि जेम्स लिमिटेड ने बैंक से कर्ज लिया था. यही नहीं गीतांजलि जेम्स लिमिटेड के साथ मर्ज की गई उसकी कंपनी गीतांजलि एक्सपोर्ट्स लिमिटेड ने भी बैंक से कर्ज लिया था. चोकसी कंपनी में एक निदेशक और गारंटर है और कानूनी तौर पर लोन अकाउंट की जिम्मेदारी गुनियाल चोकसी पर है.  


हालांकि, चूंकि वह ऋण राशि को मंजूरी देने में विफल रहे, इसलिए पीएसबी ने इसे 31 मार्च, 2018 को गैर निष्पादित संपत्ति' (नॉन परफॉर्मिग असेट) घोषित कर दिया. बैंक ने चोकसी से 23 अक्टूबर, 2018 तक कर्ज की राशि, ब्याज और अन्य शुल्कों का भुगतान करने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं कर पाया और पीएसबी ने 17 सितंबर, 2019 को उसे 'विलफुल डिफाल्टर' घोषित कर दिया. इसके साथ, चोकसी विभिन्न क्षेत्रों के 27 अन्य डिफॉल्टरों की बैंक की सूची में शामिल हो गया.  नए घटनाक्रम के बाद पीएसबी सरकारी स्वामित्व वाला ऐसा तीसरा बैंक बन गया है, जिसने चोकसी और नीरव मोदी की धोखाधड़ी का खुलासा किया है. इसके पहले ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर लगभग 289 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप लगाया था.  

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शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

पीएम मोदी के भतीजी के साथ दिल्ली के वीवीआइपी इलाके में हुई लूट


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी के साथ दिल्ली के वीवीआईपी इलाके सिविल लाइन्स में लूट हुई. स्कूटी पर सवार 2 झपटमार उनका पर्स लूट ले गए. ये वारदात दिल्ली में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है. पीड़ित दमयंती मोदी प्रहलाद भाई मोदी की बेटी हैं, जो नरेंद्र मोदी के भाई हैं. दमयंती ने थाने में केस दर्ज होते वक़्त नहीं बताया था कि वो प्रधानमंत्री की भतीजी हैं, लेकिन जब पुलिस को मीडिया के जरिये पता चला तो पुलिस सरगर्मी से आरोपियों की तलाश में जुट गई है ।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई की बेटी दमयंती बेन मोदी आज सुबह अमृतसर से दिल्ली लौटीं. उनका कमरा सिविल लाइन इलाके के गुजराती समाज भवन में बुक था. लिहाज़ा पुरानी दिल्ली से ऑटो से वो अपने परिवार के साथ गुजराती समाज भवन पहुंचीं. अभी गेट पर पहुंच कर वे ऑटो से उतर ही रही थीं कि तभी स्कूटी सवार दो बदमाशों ने उनका पर्स छीन लिया. इससे पहले कि वो शोर मचातीं, बदमाश मौके से फरार हो गए. दमयंती बेन के मुताबिक पर्स में करीब 56 हज़ार रुपये, दो मोबाइल और तमाम अहम दस्तावेज थे ।

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बस्ती के डीएम-एसपी समेत प्रदेश के 13 आईएएस और तीन आईपीएस अफसरों का तबादला

लखनऊ । प्रदेश सरकार ने शुक्रवार देर रात 13 आईएएस और तीन आईपीएस अफसरों का तबादला कर दिया है जिसमे बदायूँ, बस्ती, जौनपुर और श्रावस्ती समेत आधा दर्जन ज़िलों के कलेक्टर शामिल हैं।

हटाये गए बस्ती के डीएम—एसपी 

बस्ती जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए आगजनी और बवाल एवं भाजपा नेता की हत्या के बाद वहां के डीएम और एसपी दोनों का तबादला कर दिया गया है। 
        बस्ती के नए जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन
आईएस आशुतोष निरंजन को वहां का नया डीएम और हेमराज मीणा को नया एसपी बनाया गया है। वहां एसपी के पद पर तैनात रहे पंकज पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से सम्बंध कर दिया गया है।

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शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

इथियोपिया के प्रधानमंत्री को "शांति का" नोबेल पुरस्कार

नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है. इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को नोबेल शांति पुरस्कार मिला है. यह पुरस्कार उनके देश के चिर शत्रु इरिट्रिया के साथ संघर्ष को सुलझाने के लिए दिया गया है. नोबेल कमेटी ने इसकी जानकारी दी है. नोबेल पुरस्कार जूरी ने बताया अबी को ‘‘शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों के लिए और विशेष रूप से पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने के निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.'' 


वर्ष 2018 के लिए पोलिश लेखिका ओल्गा टोकार्कज़ुक को साहित्य के नोबेल पुरस्कार  से सम्मानित किया गया. वर्ष 2019 के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार ऑस्ट्रियाई लेखक पीटर हैंडके  को दिया गया. स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में नोबेल फाउंडेशन ने नोबेल पुरस्कार  विजेताओं की घोषणा की. बुधवार, 9 अक्‍टूबर को कैमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार  की घोषणा की गई थी, और वह लिथियम-आयन बैटरी का विकास करने के लिए अमेरिका के जॉन बी. गुडइनफ  इंग्लैंड के एम. स्टैनली विटिंघम तथा जापान के अकीरा योशिनो  को संयुक्त रूप से दिया गया था. 

 भौतिकी  का नोबेल पुरस्कार कनाडाई-अमेरिकी एस्ट्रो-फिज़िसिस्ट जेम्स पीबल्स , स्विस एस्ट्रो-फिज़िसिस्ट मिशेल जी.ई. मेयर और स्विस एस्ट्रोनोमर डिडिएर क्वेलोज को प्रदान किया गया था. जेम्स पीबल्स को 'भौतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान में सैद्धांतिक खोजों के लिए', मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज़ को 'एक सौर-प्रकार के तारे की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लेनेट की खोज के लिए' संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया था. पुरस्कार की आधी राशि जेम्स पीबल्स को दिए जाने की घोषणा की गई, जबकि शेष राशि को अन्य दोनों विज्ञानियों में बराबर-बराबर बांटा गया. 

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यूपी-तीर्थयात्रा पर आए लोगों पर चढ़ी बस एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में शुक्रवार की सुबह सड़क के किनारे सो रहे लोगों के ऊपर बस चढ़ गई. इस हादसे में करीब 7 लोगों के मारे जाने की खबर है. यह घटना बुलंदशहर के नरोरा के करीब गंगाघाट की है.

 बुलंदशहर से समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तीर्थ यात्रा पर आए एक परिवार की चार महिलाओं और तीन बच्चों को शुक्रवार तड़के एक तेज रफ्तार बस ने रौंद डाला, जिससे सातों की मौत हो गई. हादसे के शिकार लोग सड़क किनारे सो रहे थे, जब बस ने उन्हें कुचला.

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बाराबंकी- कागज में चल रहा शौचालय ,धरातल पर पंहुचा तो सब ध्वस्त

विश्वपति वर्मा _

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के सूरतगंज अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मकईपुरवा में भ्रमण करने का मौका मिला ,यंहा पर स्वच्छ भारत मिशन योजना की हकीकत यह है कि उसके तहत बनने वाला शौचालय केवल कागजों में चल रहा है।



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