मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

गठबंधन से प्रत्याशी बनाये जाने के बाद तेज बहादुर ने कहा जनता तय करेगी देश का असली चौकीदार कौन

सेना से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव के वाराणसी लोकसभा से चुनावी मैदान में आने से वाराणसी ने एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियों में अपनी जगह बना ली है।

 वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ अब सपा-बसपा गठबंधन की ओर से बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।समाजवादी पार्टी की टिकट पर पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर यादव ने अपनी जीत की दावेदारी पेश की है. सपा के ऐलान के बाद पहली प्रतिक्रिया देते हुए तेजबहादुर यादव ने कहा कि अब लोगों को पहचानना होगा कि देश का असली चौकीदार कौन है। 


समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी तेजबहादुर यादव ने कहा, "हमारे मुद्दे जवान, किसान और नौजवानों के लिए नौकरियां हैं. लोगों को पहचानना चाहिए कि देश का असली चौकीदार कौन है. मुझे जीत का भरोसा है." बता दें कि तेज बहादुर यादव ने बीएसएफ (BSF) में रहते हुए खराब खाने की शिकायत की थी, जिसके बाद उन पर कार्रवाई की गई और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।


लेबल:

अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नही करता जिला प्रशासन बस्ती

वैसे जनपद भर के अलग अलग क्षेत्रों में सैकड़ों योजनाओं का बुरा हाल है लेकिन जब जिला मुख्यालय की हालात में सुधार न हो तब जिम्मेदार जनों के नियति पर सवाल खड़ा होता है ।

ये तस्वीर बस्ती जनपद के बड़ेबन चौराहे के निकट बने पर्यटन भवन की है जो लगभग 15 वर्ष पूर्व बनवाया गया था इस भवन का उद्देश्य था कि जिले के बाहर से आने वाले पर्यटक जिले भर के पर्यटन स्थानों का भ्रमण करेंगे और इस भवन में आकर रुकेंगे  लेकिन भवन निर्माण के बाद से आज तक यंहा रास्ते का बंदोबस्त तक नही किया गया है वंही दूसरी तरफ स्वच्छ भारत मिशन के इस अभियान में यंहा चारो तरफ गंदगियों का अंबार लगा हुआ है।



नेशनल हाईवे से सटे इस भवन में करोड़ो रुपया खर्च किया गया है लेकिन आज की स्थिति यह है कि यह भवन शौचालय के रूप में प्रयोग हो रहा है।अब देखना यह होगा कि इतने बड़े भवन की स्थिति में कुछ सुधार आता है या फिर जिला प्रशासन इस आवाज को दरकिनार कर देगा

लेबल:

रविवार, 28 अप्रैल 2019

यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट परीक्षा में फेल हुए 7लाख परीक्षार्थी ,देखें 5 साल का रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की इंटरमीडिएट की परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. यूपी बोर्ड की 2019 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 23,52,049 परीक्षार्थी शामिल हुए जिनमें से कुल 16,47,919 परीक्षार्थी ही यह परीक्षा उत्तीर्ण कर सके. इस तरह से 30 प्रतिशत परीक्षार्थी इस परीक्षा में फेल हो गए यानी कि फेल होने वालों की संख्या 704130 है

यूपी बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक...

2015 :- वर्ष 2015 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में कुल 27,64,277 परीक्षार्थी शामिल हुए थे और 24,55,496 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे. इस परीक्षा में फेल होने वाले परीक्षार्थियों का प्रतिशत 11.17 था.

वर्ष 2016 की परीक्षा में फेल होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या बढ़कर 12.01 प्रतिशत हो गई.

 2017 में फेल होने वाले परीक्षार्थियों का प्रतिशत 17.38 पर पहुंच गया.

वर्ष 2018 की इंटरमीडिएट की परीक्षा में 26,04,093 परीक्षार्थी शामिल हुए थे और 18,86,050 परीक्षार्थी उत्तीर्ण घोषित हुए थे. इस प्रकार से, वर्ष 2018 में अनुत्तीर्ण हुए परीक्षार्थियों का प्रतिशत बढ़कर 27.57 पर पहुंच गया ।

लेबल:

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

आपके शहर बस्ती में "दिल्ली द दरबार" रेस्टोरेंट वेज एवं नानवेज रेसिपी का खजाना

आज इंसान जितनी प्रतिस्पर्धाओं के साथ जूझ रहा है उतना ही वयस्तताओं में उलझा हुआ है जिसके चलते इंसान अपने जिंदगी के सुनहरे पल को साझा नही कर पाता है।इस लिए जरूरी है कि इंसान को उसके दिन भर के थकान में एक शांतिपूर्ण माहौल वाला स्थान मिले जंहा उसके मन को शांति मिले और और उसके स्वादानुसार रेसिपी भी।

तो आपके शहर बस्ती में खुल गया है "दिल्ली द दरबार "रेस्टोरेंट।

                                Advertising 


शहर के कोतवाली थाना से सटे दिल्ली द दरबार रेस्टोरेंट मे वेज एवं नानवेज के सभी प्रकार के रेसिपी आपके बजट अनुसार ताजा एवं आपके स्वादानुसार दिया जाता है ।जंहा पर बैठने की उच्चतम व्यवस्था के साथ बाहर के शोरगुल से शांति मिलती  है ।

अनुभवी कारीगरों द्वारा बनाये गए सभी प्रकार के खाद्य सामग्री पर सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है ।

दिल्ली द दरबार( dilli the darbar रेस्टोरेंट में मटर पनीर, पनीर टिक्का, पनीर चिल्ली ,पनीर पकौडा, नमकीन ,इरानी चाय,चिकन ,मटन ,मटन हांडी ,मटन प्याजा, चिकन हैदराबादी, तावा रोटी ,जीरा राइस सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन ऑर्डर देने के 10 मिनट बाद तैयार कर दिया जाता है।


रेस्टोरेंट पर ऑर्डर देने के बाद शहर में 3 किलोमीटर दूरी तक फ्री डिलेवरी की सुविधा भी उपलब्ध है 

लेबल:

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

बसपा सुप्रीमो मायावती की वजह से प्रियंका नही लड़ रहीं पीएम मोदी के सामने चुनाव

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वाराणसी से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने के पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं.पहले यह कहा गया कि राहुल गांधी ने यह कह कर मना कर दिया कि बड़े नेताओं के खिलाफ गांधी परिवार के ना लड़ने की परंपरा नेहरू जी ने डाली थी और उसी का पालन किया जाना चाहिए. मगर क्या यही एक वजह है प्रियंका के वाराणसी से ना लड़ने की? तो ऐसा नहीं है, सूत्रों की मानें तो बीएसपी प्रमुख मायावती का प्रियंका की वाराणसी से उम्मीदवारी पर राजी ना होना है, कांग्रेस के रणनीतिकार लगातार मायावती के सलाहकारों से संपर्क में थे कि प्रियंका गांधी के वाराणसी में चुनाव लड़ने की हालत में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया जाए. इस बारे में समाजवादी से बात भी हो गई थी और अखिलेश यादव ने अपनी मूक सहमति भी दे दी थी. मगर इतना जरूर इशारा किया था कि यह सब मायावती जी के हां करने के बाद ही संभव हो सकता है. जब मायावती से संर्पक किया गया तो उन्होंने बाजी ही पलट दी. मायावती ने प्रियंका को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने से मना कर दिया. जानकारों का कहना है कि मायावती को लगा कि यदि प्रियंका बनारस से चुनाव लडती हैं तो इससे पुर्वांचल में कांग्रेस के पक्ष में एक माहौल बनेगा जिससे गठबंधन को नुकसान हो सकता है. मायावती यह जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं थी वो पहले ही साफ कह चुकी हैं कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह ही दुश्मन है.

हालांकि मायावती को समझाने की कोशिश भी की गई मगर वह नहीं मानी. इसके बाद कांग्रेस की महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रियंका को वाराणसी से वापस लौटना पड़ा. यदि बनारस के गठबंधन की उम्मीदवार को देखें तो दिलचस्प बातें सामने आती हैं. गठबंधन ने शालिनी यादव को टिकट दिया है. शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद श्यामलाल यादव के परिवार से जुडी हैं. मेयर का चुनाव भी लड़कर हार चुकी हैं. यही नहीं शालिनी प्रियंका गांधी के गंगा यात्राके यात्रा के दौरान उनके साथ ही थीं. मगर जिस दिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा अखिलेश यादव ने उन्हें बनारस से गठबंधन का टिकट थमा दिया. बात ना बनते देख कांग्रेस ने फिर अजय राय को वाराणसी से उम्मीदवार बनायाndtv

लेबल:

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

बस्ती जनपद के इस गांव में अंग्रेजी अफसर जनता पर करते थे जुल्म, बनाते थे नील

आजादी के पहले अंग्रेज अफसर कुआनो नदी के किनारे अमरौली शुमाली गांव के पश्चिमी छोर पर बड़े पैमाने पर नील की खेती कराते थे। वह आस पास के गांवों के लोगों को जबरन पकड़ कर नील कोठी पर लाते और उन्हे नील की खेती के लिए मजबूर करते, विरोध करने पर यातना भी देते थे। नील कोठी और नील उत्पादन के लिए बनाए गए नील हौज, अंग्रेज अफसर के बैठका का अवशेष आज भी अमरौली शुमाली गांव में मौजूद हैं।


सैकड़ों वर्ष पूर्व अंग्रेजी अफसर यूपी के इस गांव में देखें किस तकनीक से बनाते थे नील
लिंक पर क्लिक कर वीडियो देखें👇
https://youtu.be/2ee7bEFIvi4

लेबल:

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

24 अप्रैल, 2019, संतफिडेलिस इंटर कालेज, लखनऊ का स्थापना दिवस (पाट्रनस डे) मनाया गया।

24 अप्रैल, 2019, संतफिडेलिस इंटर कालेज, लखनऊ का स्थापना दिवस (पाट्रनस डे) मनाया गया।


संतफिडेलिस इंटर कालेज परिसर में आज दीप प्रज्वलित कर कालेज का स्थापना दिवस का शुभारम्भ कालेज के प्रिन्सिपल डा हरमन मिन्ज, मैनेजर रिजिनाल्ड फरेडो, अध्यक्ष रिमिस इक्का, वाइस प्रिन्सिपल लेन्सी लोबो एवं फादर सेरोसिन शेरा के कर कमलों द्दारा किया गया।
इस अवसर पर कालेज में कई रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित भी किये गये, और छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट व मेडल से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कालेज परिसर में कमेटी के सदस्यों सहित अध्यापक, अध्यापिकायें एवं लगभग चार हजार छात्र-छात्राओं सहित गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

लेबल:

मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

रील दुनिया मे राष्ट्रपति बनने वाले जेलेंस्की बने रियल लाइफ में राष्ट्रपति

यूक्रेन के कॉमेडियन वोलोडिमायर जेलेंस्की ने देश के राष्ट्रपति चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर ली है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अुनसार, जेलेंस्की जिनके पास कोई भी राजनीतिक अनुभव नहीं है और उन्होंने इस चुनाव में 73 प्रतिशत वोट प्राप्त किए हैं। जेलेंस्की ने वर्तमान के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको को इस चुनाव में हराया है।

41 साल के कॉमेडियन-अभिनेता जेलेंस्की को सर्वेंट ऑफ द पीपुल नाम के एक राजनीतिक व्यंग्य नाटक में अभिनय करने के लिए मशहूर हैं जिसमें उनका किरदार गलती से यूक्रेन का राष्ट्रपति बन जाता है। वोलोडिमायर जेलेंस्की ने मीडिया से बात करते हुए कहा, मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगा। मैं अभी तक आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति नहीं बना हूं। लेकिन यूक्रेन के नागरिक के रमप में मैं सोवियत संघ के सभी देशों से कहना चाहता हूं हमें देखें। कुछ भी संभव है।


जेलेंस्की की इस जीत को सामाजिक अन्याय, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जीत और पूर्वी यूक्रेन में रूसी समर्थित अलगाववादियों के साथ युद्ध के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें लगभग 13,000 लोगों की मौत का दावा किया गया है। मतदान केपरिणाम घोषित होने के तुरंत बाद, ट्विटर पर बधाई संदेश देने शुरू कर दिए।


जेलेंस्की के राजनीतिक अभियान ने पारंपरिक तरीको को खत्म कर दिया तो वहीं उन्होंने मतदाताओं से वोट करने की अपील कॉमेडी और सोशल मीडिया के जरिए की। जिसका परिणाम हम सबके सामने है।

लेबल:

तीसरे चरण के चुनाव के लिए 117 सीटों पर मतदान जारी

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत मंगलवार को देशभर में 117 सीटों पर मतदान जारी है, जिसमें गुजरात और केरल की सभी सीटें शामिल हैं।

सात चरणों में से सबसे बड़े इस चरण में प्रमुख उम्मीदवारों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की इन 117 सीटों में 2014 के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 66 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने 27 पर जीत हासिल की. बाकी सीटें अन्य विपक्षी दलों और निर्दलियों के खातों में गयीं. इस चरण में गुजरात की सभी 26 और केरल की सभी 20 सीटों के साथ असम की चार, बिहार की पांच, छत्तीसगढ़ की सात, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में 14-14, ओडिशा की छह, उत्तर प्रदेश की 10, पश्चिम बंगाल की पांच, गोवा की दो और दादर नगर हवेली, दमन दीव तथा त्रिपुरा की एक-एक सीट शामिल हैं.तीसरे चरण के मतदान में करीब 18.56 करोड़ मतदाता अपना वोट डाल सकते हैं. चुनाव आयोग ने इसके लिए 2.10 लाख मतदान केंद्र बनाये हैं और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं.  गुजरात के गांधीनगर से भाजपा अध्यक्ष शाह मैदान में हैं जहां से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचते रहे. केरल में वायनाड से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लड़ रहे हैं और इस सीट पर भी सबकी निगाहें हैं.

लेबल:

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

पाकिस्तानी राग अलाप रहीं महबूबा ,मोदी के भाषण के बाद बोलीं पाकिस्तान में ईद के लिए नही रखा बम

आज कल चुनावी माहौल चल रहा है इस दौरान नेता लोगों ने नीचता की हद को पार कर दी है ,इसी बीच महबूबा मुफ्ती  पाकिस्तानी राग अलाप रही हैं। राजस्थान के बाड़मेर में रैली को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर तंज कसा था. पीएम मोदी ने कहा था कि पहले आए दिन पाकिस्तान की तरफ से कहा जाता था, 'हमारे पास न्यूक्लियर बटन  है...हमारे पास न्यूक्लियर बटन है. इस पर पीएम ने कहा कि उनके पास न्यूक्लियर बटन हैं तो फिर हमारे पास क्या है भाई? क्या हमने इसे दिवाली के लिए रखा है? पीएम मोदी  ने कहा, 'भारत ने पाकिस्तान की धमकी से डरने की नीति को छोड़ दिया।

 पीएम मोदी के इस बयान पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर पाकिस्तान राग अलापा. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'अगर भारत के पास न्यूक्लियर बम दिवाली के नहीं है तो पाकिस्तान ने क्या इसे ईद के लिए रखा है? पीएम मोदी को इस तरह की निम्नस्तर की राजनीति से दूर रहना चाहिए.' बता दें कि महबूबा मुफ्ती इससे पहले भी कई बार अलग-अलग मामलों को लेकर पाकिस्तान के पक्ष में बोलती रही हैं.

लेबल:

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

अपने सिद्धांतों के खातिर यूपी के भारतीय प्रोफेसर ने अमेरिका को लौटाए 25 लाख रुपये का पुरस्कार राशि

पैसा मेरे लिए आवश्यकता हो सकता पर आदर्श नहीं ,जानिए रमन मैग्ससे विजेता डॉ संदीप पाण्डेय के बारे में जिन्होंने अपनी पुरस्कार राशि लौटा दी Dr. Sandeep Pandey : Ramon Magsaysay Award For Emergent Leadership।

साधारण सफेद कुर्ता पायजामा ,पैरों में हवाई चप्पल,दाढ़ी अपने मूल रूप में बढ़ी हुई यह पहनावा है भौतिकवाद के इस दौर में जहाँ सब कुछ भोग लेने कि होड़ है वहाँ एक सामान्य मोबाइल फोन का भी उपयोग न करना यह इनकी जीवनशैली का हिस्सा है ,हम बात कर रहे है साधारण व्यक्तित्व से दिखने वाले असाधारण व्यक्तित्व के धनी और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जानेवाले डॉ संदीप पाण्डेय कि जिन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए साल 2002 में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार रमन मैग्सेसे से नवाजा गया है परंतु अपने सिद्धान्तों से समझौता न करने के कारण उन्होंने पुरस्कार की भारी भरकम राशि वापस कर दी थी।

डॉo संदीप पाण्डेय ने साल 1999 में परमाणु हथियारों के परीक्षण के विरोध में पोखरण से सारनाथ तक शांति पदयात्रा की| जहाँ तक भारत पाकिस्तान संबंधो कि बात की जाए तो उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के उद्देश्य से साल 2005 में दिल्ली से मुल्तान तक पदयात्रा निकाली थी इस यात्रा का पुरजोर समर्थन दोनों देशों के नागरिकों ने किया|

वर्तमान में डॉ संदीप आशा ट्रस्ट नामक संस्था चलाते है जिसके माध्यम से वो दलितों,शोषितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते है तथा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ़्त दाखिला दिलाने हेतु मुहीम वो चला रहे है, आइये आज हम जानेंगे ऐसे विराट व्यक्तित्व से निजी,सामाजिक व देश से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर क्या है उनकी प्रतिक्रिया :


:आपने बीएचयू से कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी तक का सफर कैसे तय किया ?

 मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा बालियां में ग्रहण करने के बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में साल 1982 में इंजीनियरिंग कि पढ़ाई के लिए दाखिला लिया और 1986 तक मैंने वहाँ पढ़ाई कि इस दौरान मैं छात्र राजनीति में भी शामिल हो गया और मैंने प्रौद्योगिकी संगठन के प्रतिनिधि के पद के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया मैं चुनाव जीत भी गया |इसी दौरान मैंने महात्मा गाँधी कि आत्मकथा पढ़ी जिससे मुझमें जीवन के प्रति सोच में व्यापक बदलाव आया ,मैंने समाज के लिए राजनीति से हटकर समाजसेवा करने का फैसला किया जो आज भी जारी है | पढ़ाई के दौरान ही मुझे अमेरिका कि कैलिफोर्निया  यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई और मैं 1986 में अमेरिका चला गया चूँकि मुझे कभी मेरे माता पिता ने किसी चीज को करने न करने को लेकर दबाव नहीं डाला हाँ वो ये जरूर कहते थे कि किसी भी निर्णय को लेने के बाद उसपर पीछे कभी न हटना और शायद उनका इसी विश्वास से मुझे समाजसेवा के कार्यों को व्यापक स्तर पर करने का हौसला मिला |


: कैलिफोर्निया  यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के बाद आप चाहते तो अमेरिका में नौकरी कर बेहतर जीवन व्यतीत कर सकते थे पर अचानक आपने भारत वापस लौटकर समाजसेवा करने का फैसला कैसे लिया?

छात्र संघ की राजनीति से मोह भंग होने के कारण मैंने विदेश जा के उच्च शिक्षा ग्रहण करने का फैसला लिया था और मुझे  में वजीफे के साथ दाखिला मिला तो वहां से मास्टर्स और पीएचडी करके 6 वर्ष के बाद फिर मैंने लौटने का निर्णय लिया क्योंकि महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढ़ने के बाद मेरे अंदर समाज के लिए कुछ करने की इच्छा थी लौटने के बाद आईआईटी कानपुर में डेढ़ वर्ष पढ़ाने के बाद मैंने नौकरी छोड़कर पूर्णकालिक सामाजिक काम करने का निर्णय लिया|       

: शिक्षा के क्षेत्र में आप किस तरह गरीब बच्चों की मदद करते हैं और आरटीआई कानून का कितना फायदा गरीब बच्चों को मिल पा रहा है ? 

हम लोग शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो 25 प्रतिशत निजी स्कूलों में मुफ्त गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने जिसमें दुर्बल वर्ग के बच्चों को कक्षा 1 से 8 तक निशुल्क शिक्षा की सुविधा है उस के तहत बच्चों का दाखिला कराने की कोशिश कर रहे हैं ज्यादातर विद्यालय जो है वह दाखिला ले ले रहे हैं लेकिन जो कुछ बड़े विद्यालय हैं जैसे सिटी मांटेसरी स्कूल , नवयुग रेडियंस, वीरेंद्र स्वरुप, यह कुछ विद्यालय लखनऊ  के दाखिला देने में दिक्कत कर रहे हैं और इसलिए हम लोग इनके खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं धरना प्रदर्शन करने से लेकर न्यायालय तक में गए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि किसी न किसी दिन गरीब बच्चों के लिए इन महंगे स्कूलों में पढ़ना आसान हो जाएगा |
तहकीकात समाचार के संपादक विश्वपति वर्मा लखनऊ के हजरतगंज स्थिति गांधी प्रतिमा पर शिक्षा की बदहाल व्यवस्था पर डॉo संदीप पाण्डेय के साथ धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए साथ मे फ्यूचर आफ इंडिया के संस्थापक मजहर आजाद।

:आप देश और समाज से जुड़े सभी मुद्दों पर अपनी बेबाकी से राय रखते हैं और आप के बारे में धारणा यह भी है कि आप वामपंथी विचारधारा को मानते है  इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

इस देश में पता नहीं क्यूं जो भी गरीबों के साथ काम करता है या गरीबों के अधिकारों की बात करता है उसको वामपंथी कह दिया जाता है या माओवादी तक कह दिया जाता है हकीकत यह है कि मैंने आज तक मार्क्स को या किसी भी वामपंथी विचारक को पढ़ा नहीं है मेरी मूल प्रेरणा महात्मा गाँधी से है , गाँधी गरीबों के लिए काम करते थे उनके अधिकारों के लिए लड़ते थे और वह कहते थे कि आप जो भी फैसला ले समाज के अंतिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर लें, इसलिए मैं उनके उद्देश्यों को लोगों तक पहुँचाना का काम करता हूँ और मैं उनके सारे सिद्धांतों को मानता हूँ और कोशिश करता हूँ कि उनके मूल्यों का पालन अपने जीवन में करूँ, मैं चरखा चलाता हूं और आधुनिक प्रौद्योगिकी का जितना कम से कम हो सके इस्तेमाल करता हूँ कोशिश करता हूँ कि सीमित संसाधनों में काम कर सकूं |

: भारत व पाकिस्तान के बीच जो तनावपूर्ण हालात हैं उस पर आपकी क्या राय है ?

भारत पाकिस्तान का पड़ोसी हैं और उनको मिल कर रहना चाहिए उनके बीच में दोस्ती होनी चाहिए शांति होनी चाहिए इसके लिए हम लोग नागरिकों के स्तर पर प्रयास करते हैं मैं दस बार वहां गया हूं एक बार मैंने दिल्ली से मुल्तान तक की पदयात्रा भी निकाली थी जो हिंदुस्तान में तो पदयात्रा के रूप में रही लेकिन पाकिस्तान के अंदर हम लोगों को चलने नहीं दिया गया हम लोग गाड़ियों से गए थे लेकिन पाकिस्तान के अंदर वहां की जनता का जबरदस्त हम को समर्थन मिला इस मुद्दे पर हिंदुस्तान से ज्यादा और हमें लगता है कि सरकारों ने जो राजनीति की है दुश्मनी की यह एक दोनों देशों के लिए यह अच्छी बात नहीं है उनके महत्वपूर्ण संसाधन हथियारों में खर्च होते हैं जबकि दोनों देश गरीब है तो समझदारी इसी बात में है कि हम अपनी दुश्मनी को खत्म करके दोस्ती और शांति स्थापित करें | 

: कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए भारत सरकार को क्या नीति अपनानी चाहिए और क्या आप कश्मीर में जैसा कि पाकिस्तान हमेशा से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीरी आवाम का जनमत संग्रह कराने कि माँग भारत के साथ रहने न रहने के संबंध में करता रहा है इस मांग को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?                   
 लोकतंत्र का मूल विचार  इसी बात पर आधारित है कि लोगों को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए अगर हम एक तरीके से रहना चाहते हैं तो वह आजादी हम को मिलनी चाहिए भारत ने अंग्रेजो से आजादी पाई ,बांग्लादेश ने पाकिस्तान से आजादी पाई तो अगर कहीं के लोग भी चाहते हैं कि वह एक तरीके से रहे तो वह आजादी उनको मिलनी चाहिए मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कश्मीर आजाद होना चाहिए या कश्मीर को पाकिस्तान में मिल जाना चाहिए यह बात तो कश्मीरी ही तय करेंगे लेकिन अगर कश्मीर को भारत में रहना है तो भारत सरकार ने जिस तरह से अभी तक जो नीति अपनाई है कश्मीर के लिए वह तो काम नहीं कर रही है क्योंकि वहां आपको सेना के सहारे अपना शासन चलाना पड़ रहा है आप वहां पर पैलेट गन जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं जिससे मानव अधिकार हनन होता है वहां के लोग महिलाएं और बच्चे भी आपकी सेना पर पत्थर चलाते हैं तो या तो आप उनके लोगों को अपने पक्ष में कीजिए उन को मनाइए ताकि वह भारत के साथ रहे और नहीं तो उनको आजादी इस बात की मिलनी चाहिए कि वह जिस तरीके से रहना चाहे वह छूट उनको दीजिए यह यह बात जरूर हुई थी|

: आज चाहे वो देश में हो या दुनिया में धर्म को एक सांप्रदायिक रंग में रंगा जा रहा है और लोगों में एक दूसरे के प्रति वैमनस्यता बढ़ रही है इस पर आपकी प्रतिक्रिया और आप धर्म को किस रूप में मानते हैं ?   

देखिए धर्म एक व्यक्तिगत आस्था का विषय है यह स्वतंत्रता हमारा संविधान देता है कि आप जो भी धर्म मानना चाहे आप मान सकते हैं लेकिन वह किसी दूसरे के ऊपर थोपा जाए या धर्म के आधार पर हम भेदभाव करें यह बात ठीक नहीं है और जो धर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन और खास करके धर्म का इस्तेमाल राजनीति में हो रहा है सिर्फ अपने देश में ही नहीं दुनिया में कई देशों में हो रहा है यह बात ठीक नहीं है क्योंकि इससे इन नफरत बढ़ती है और तमाम तरह की अप्रिय परिस्थितियां पैदा होती है जो आम लोगों के खिलाफ है क्योंकि कहीं भी अगर सांप्रदायिक दंगे होंगे तुम्हारा गरीब आदमी ही मारा जाएगा तो धर्म के नाम पर राजनीति बंद होनी चाहिए धर्म को व्यक्तिगत आस्था का विषय मानते हुए हर एक व्यक्ति को यह छूट तो जरुर होनी चाहिए कि वह अपने घर में रहकर जो भी इस धर्म को मानना चाहे माने लेकिन उसका सार्वजनिक प्रदर्शन या हम अपने धर्म का पालन इस तरह करें कि उसे किसी दूसरे को असुविधा न हो इस बात का ध्यान देना चाहिए|

: दो वर्ष पहले आपको BHU में पढ़ाते समय अचानक आप पर देशद्रोह का आरोप लगाकर आपको वहाँ से निष्कासित कर दिया गया था इस आरोप में कितनी सच्चाई है ?                 

: क्या आप राष्ट्र की मूल भावना को  मानते हैं ?और वर्तमान में मोदी सरकार को लेकर आपकी क्या राय है ? 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जो मेरा अनुभव था वहां पढ़ाने का उसको तीसरे वर्ष में समाप्त किया गया बीच में ही और मेरे ऊपर आरोप लगाए गए कि मैं जो पढ़ा रहा था वह देश द्रोही था और मैं नक्सलवादी विचारों को मानता हूं इन बातों में सच्चाई नहीं थी और यह मुझे कहने की जरूरत नहीं है अगर आप न्यायालय का फैसला देखेंगे जो मेरे मामले को लेकर आया था तो न्यायाधीश महोदय ने कहा है उस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जो फैसला आया था उसमें न्यायाधीश महोदय ने कहा है कि मेरा अनुबंध इसलिए समाप्त किया गया क्योंकि मैं एक दूसरे विचार को मानता था और वहां के जो कुलपति महोदय हैं जिनको लेकर आज आप आजकल आप देख रहे हैं कितना विवाद खड़ा हो गया है काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उनकी सोच के कारण तो न्यायाधीश महोदय ने कहा कि कुलपति और दूसरे जो लोग विश्वविद्यालय के ऊंचे पदों पर बैठे हैं वह एक विचारधारा को मानने वाले हैं और न्यायधीश महोदय ने यह भी कहा कि मदन मोहन मालवीय जी जिन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की उन्होंने यह बात कही थी कि भारत सिर्फ हिंदुओं का देश नहीं है इसमें तमाम दूसरे धर्मों को मानने वाले लोग भी रहते हैं ,यहाँ सबके विचारों का सम्मान होना चाहिए और हमारे देश में एक विविधता की संस्कृति है वह उसमें अगर हम एक दूसरे के विचार को नहीं मानेंगे तो तमाम तरह की अप्रिय परिस्थितियां पैदा होंगे और इसलिए न्यायालय ने आदेश दिया कि मेरी नियुक्ति पुनः विश्विद्यालय  में होनी चाहिए |

: साल 2002 में आपको समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार रमन मैग्सेसे से नवाजा गया परंतु उस पुरस्कार की भारी भरकम राशि आपने लौटा दी थी इसकी क्या वजह थी?

मैग्सेसे पुरस्कार की राशि मैंने वापस की थी उसकी वजह थी कि मैं वहां पुरस्कार मिलने के बाद अमेरिकी दूतावास जो मनीला फिलीपींस में था वहां पर प्रदर्शन एक प्रदर्शन होने वाला था,जिसमें मैं शामिल होने जा रहा था वो प्रदर्शन अमेरिका के खिलाफ था क्योंकि अमेरिका उस समय इराक पर हमले की तैयारी कर रहा था और दुनिया भर में उसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे लेकिन मैग्सेसे पुरस्कार देने वालों ने मुझसे कहा कि मैं उस प्रदर्शन में शामिल ना हूं  क्यों कि  मैग्सेसे फाउंडेशन पूरा अमेरिका के पैसों से चलता है जिसका नाम है रॉकफेलर फाउंडेशन और मेरी जो पुरस्कार राशि है वह फोर्ड फाउंडेशन से आ रही थी ,जो पुरस्कार राशि थी वो लगभग 25 लाख रूपये थी मतलब $50000 डॉलर और उसी समय एक अखबार ने मुझे यह चुनौती दी कि यदि मैं इतना ही सिद्धांतवादी हूं यानी कि मैं अमेरिका की नीतियों का विरोध करता हूं तो  मुझे अमेरिका के पैसों से चलनेवाले इस पुरस्कार को   अमेरिकी दूतावास को लौटा कर भारत आना चाहिए तो मैंने उन की चुनौती स्वीकार की और अमेरिकी दूतावास को तो नहीं लेकिन मैग्सेसे फाउंडेशन को वह पैसा मैंने वहीं वापस कर दिया और उनको यह भी कहा कि यदि मेरी भूमिका से ,मेरे कार्यक्रमों से उनको ज्यादा तकलीफ हो तो मैं उनका पुरस्कार भी वापस करने को तैयार हूं ,पुरस्कार आज भी मेरे पास है पुरस्कार राशि मैंने उसी समय लौट दी क्यों कि मेरी नजर में धन का मतलब सिर्फ मेरे विचार और सिद्धान्त है न कि पैसा|

 : अगला सवाल आपसे अब जो युवा देश के आईआईआईटी संस्थानों से इंजीनियरिंग कर रहे हैं उनका सपना  विदेशों में अच्छी नौकरी पाने की होती है ऐसे में आप उन्हें आईआईटीयन होने के नाते क्या संदेश देना चाहेंगे कि उन्हें  देश और समाज के प्रति क्या कर्त्तव्य निभाना चाहिए?

भारत में जो पढ़ने वाले खास करके आईआईटी में पढ़ने वाले जो  छात्र छात्राएं हैं मुझे यह लगता है कि उनको अपनी पढ़ाई लिखाई का इस्तेमाल इस देश की समस्याओं को हल करने के लिए करना चाहिए ,हमारे देश में बहुत गरीबी है ,बहुत सारे लोग है  जिनकी मूलभूत आवश्यकता ही भी पूरी नहीं होती है ,किसान आत्महत्या कर रहे हैं और अमीर गरीब के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है भ्रष्टाचार से हम निजात नहीं पापा रहे हैं तो तमाम इस तरह की जो समस्याएं हैं जो इंसानों के लिए उनके जीवन को कठिन बनाती हैं उनका हल निकालने के लिए दिव्य काम करेंगे तो ऐसा माना जाएगा कि उनकी शिक्षा का वह समाज के लिए एक बेहतर उपयोग कर रहे हैं lआज हमारे देश को सभी क्षेत्रों में तकनीक की आवश्यकता है इस तकनीक का निर्माण  ज्यादा पैसों की लालच में नौकरी के लिए बाहर जाने वाले  इंजीनियरों से आग्रह करूँगा कि वे देश में ही रहकर गरीबों के विकास में सहभागी बनने कि सोचें क्यों कि इस देश की बहुत बड़ी आबादी सोच के अभाव से ग्रसित है शायद यह भी गरीबी का बहुत बड़ा कारण है |

लेबल:

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

चौकीदार नही हैं मोदी,जनता को भावुक करके जबरदस्ती थोपते हैं अपनी बात -बर्खास्त सेना का जवान

विश्वपति वर्मा_

2017 के जनवरी महीने में जब पूरा देश कड़ाके की ठंड से कांप रहा था तब देश के सीमा से एक जवान ने एक वीडियो जारी कर पूरे देश को हिला दिया था वीडियो कुछ था भी ऐसा जो लोगों को सोचने के लिए मजबूर करे ।

9 जनवरी 2017 को बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर बताया कि सेना में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता ठीक नही है  वीडियो में सेना के भोजन को दिखाते हुए तेज बहादुर यादव ने बताया था कि यंहा जली हुई रोटियां और दाल में हल्दी और नमक परोसे जाते हैं यह वीडियो वायरल होने के बाद जिमेदार लोगों के कान खड़े हो गए थे ।
इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की जांच डीआरडीओ  (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को सौंपी थी जिसकी जांच में बताया गया कि खाने की गुणवत्ता ठीक है उसके बाद तेज बहादुर यादव को सेना के नियमों का उलंघन करने की वजह बता कर 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्त कर दिया गया था।

अब क्या कर रहे हैं तेज बहादुर 
दरअसल, तेजबहादुर यादव सेना से बर्खास्त होने के बाद फौजी एकता न्याय कल्याण मंच नाम से एक एनजीओ चला रहे हैं। इस एनजीओ के बारे में तेज बहादुर ने बताया कि यह भारत के सभी सैनिकों के हितों के लिए बनाई गई एक संस्था है। जिस का कार्य देश के सभी सैनिकों के हितों की रक्षा के लिए कार्य करना है।
उन्होंने कहा कि सेना में अगर अफसरों द्वारा सैनिकों का शोषण किया जाता है तो उसके खिलाफ उनकी संस्था पूरी मजबूती से लड़ेगी। साथ ही अगर किसी सैनिक को बिना वजह कोर्ट मार्शल किया जाता है तो उस सैनिक को न्याय दिलाने में ये संस्था सहायता करेगी।

  पीएम मोदी के सामने चुनाव की तैयारी 
इसी बीच तेज बहादुर ने ट्वीट करके अपने प्रशंसकों से पूछा कि क्यों न पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा जाए उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मोदी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात तो करते हैं लेकिन जब उन्होंने बीएसएफ में घटिया खाना मिलने को लेकर आवाज उठाई तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया जो लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या करने जैसा है।
तेज बहादुर ने कहा कि कई पार्टियों ने अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए उनसे संपर्क किया लेकिन उन्होंने आजाद उम्मीदवार  के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।

उन्होंने कहा,मेरा उद्देश्य जीत या हार नही है वें चुनाव लड़कर   सेनाओं में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे.’ उन्होंने कहा,  मेरा मकसद लोगों के सामने यह लाना है कि किस तरह से इस सरकार ने सेनाओं, खासकर अर्धसैनिक बलों को निराश किया है।

पीएम मोदी हमारे जवानों के नाम पर वोट मांगते हैं लेकिन उनके लिए कुछ नहीं करते हैं. हाल ही में पुलवामा में हमारे अर्धसैनिक जवान मारे गए लेकिन इस सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा तक नहीं दिया और अब इस चुनावी माहौल में खुद सेना के नाम पर वोट बटोर रहे हैं ।


उन्होंने कहा, ‘मैंने जो भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था कम से कम सरकार को तो उस पर काम करना चाहिए था. मेरी आवाज़ को दबाने के लिए इसकी कार्रवाई से ही पता चलता है कि यह सरकार सेनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने वाली पार्टी है। तेज बहादुर यादव ने कहा कि जब पूरे देश को पीएम के बारे में यह पता चल गया कि वे कई बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो खुद को सही साबित करने के लिए अपने आपको नाम का चौकीदार घोसित कर दिया जबकि असली चौकीदार तो हम लोग हैं जो न्याय के लिए भटक रहे हैं।

बर्खास्त सेना के जवान ने कहा कि हमने 21 साल सीमा पर ड्यूटी की है इस लिए मुझे मालूम है कि चौकीदारी क्या होती है लेकिन देश के प्रधानमंत्री तो देश वाशियों को भावुक करके उनके ऊपर अपनी बात जबरदस्ती थोपते हैं जैसे उन्होंने सबको मन की बात सुनाई और किसी की नही सुनी वैसे अब चौकीदार बन रहे हैं जबकि सेना के साथ कई प्रदेशों में पुलिस और असली चौकीदारों की स्थिति काफी खराब है।

यही कारण है कि वह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के मुद्दे पर प्रचार करेंगे.’
तेज बहादुर ने बताया, ‘वह महीनों से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं जिसके चलते वाराणसी में लाखों लोगों का समर्थन मिल रहा है ।

44 वर्षीय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले हैं। वो 1996 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। उन्हें जम्मू-कश्मीर स्थित राजौरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट तैनात किया गया था

तेज बहादुर यादव ने बताया कि वाराणसी लोकसभा सीट से वें 24 तारीख को अपना नामांकन करेंगे ,बता दें कि वाराणसी में अंतिम चरण यानी 19 मई को मतदान है।

इस लेख में कुछ जानकारी तहकीकात समाचार द्वारा तेज बहादुर यादव से फोन कॉल पर बात चीत पर आधारित है।

लेबल:

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

दूसरे चरण का मतदान संपन्न जम्मू कश्मीर में सबसे कम तो पश्चिम बंगाल में पड़े सर्वाधिक वोट

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में गुरुवार को देश भर के 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 95 लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया है।

चुनाव आयोग के अनुसार, दूसरे चरण में 5.40 बजे तक मतदान औसतन 61.12 प्रतिशत रहा.आयोग के मुताबिक, असम में 73.32, बिहार में 58.14, छत्तीसगढ़ में 68.70, जम्मू कश्मीर में 43.37, कर्नाटक में 61.80, महाराष्ट्र में 55.37, मणिपुर में 74.69, ओडिशा में 57.41, पुडुचेरी में 72.40स तमिलनाडु में 61.52, उत्तर प्रदेश में 58.12 और पश्चिम बंगाल में 75.27 प्रतिशत मतदान हुए।

इस दौरान ईवीएम मशीन और वीवीपैट में गड़बड़ी के चलते ओडिशा के चार मतदान केंद्रों पर फिर से चुनाव कराए जाने का चुनाव आयोग ने आदेश दिया है.

लेबल:

बुधवार, 17 अप्रैल 2019

लखनऊ सीट से अखिलेश यादव ने गठबंधन से पूनम सिन्हा को बनाया उम्मीदवार ,देखें क्या है समीकरण

शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा  लखनऊ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की. इस दौरान अखिलेश यादव के साथ उनकी पत्नी डिंपल यादव और पूनम सिन्हा भी मौजूद थीं. इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है और लखनऊ में कहा ये जाता है कि शुरुआत कभी प्रत्याशी से ही हुई थी और सबसे पहली सांसद महिला ही रही हैं. आप समाजवादी को समझते हैं और जो गठबंधन है उसे भी जानते हैं कि सपा, आरएलडी, बसपा ने हमेशा से कहा है कि हमारा गठबंधन सक्षम है भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को यह बार-बार नहीं कहना चाहिए कि जितना भी हमारी पार्टी ने महिलाओं का सम्मान किया है उतना किसी अन्य दल ने भी नहीं किया. बता दें कि पूनम सिन्हा एक दिन पहले ही समाजवादी पार्टी में सामिल हुई हैं.

जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो  'लखनऊ में 3.5 लाख मुस्लिम वोटरों के अलावा, चार लाख कायस्थ मतदाता हैं और 1.3 लाख सिंधी मतदाता हैं. इसी समीकरण को देखकर अखिलेश यादव ने गठबंधन से से पूनम सिन्हा की उम्मीदवार बनाया है अब देखना यह होगा कि पूनम राजनाथ सिंह चुनौती देकर लोकसभा पंहुचने में कामयाब होती हैं या लखनऊ की जनता राजनाथ सिंह को फिर हथेली पर बैठायेगी।

लेबल:

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

डीएम डॉo राजशेखर द्वारा तैयार किये गए बूथ इलेक्शन मैनेजमेंट एप को बस्ती में किया गया लांच

लोकसभा चुनाव को सकुशल संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग तकनीक के नए प्रयोग के साथ मैदान में उतर चुकी है। चुनाव के दौरान बूथ लेवल पर बेहतर प्रबंधन के लिए चीफ इलेक्‍शन ऑफिसर वेंकटेश्‍वर लू ने शनिवार को एक नया मोबाइल ऐप लॉन्‍च किया है।

 यूपी के इस पहले मोबाइल ऐप का नाम (बीईएमपी) बूथ इलेक्‍शन मैनेजमेंट प्लान रखा गया है।
यह मोबाइल ऐप डीएम राजशेखर और जिला प्रशासन की टीम ने मिलकर तैयार किया है। वेंकटेश्‍वर लू ने मोबाइल ऐप को लॉन्‍च करते हुए कहा कि जिस दिन वोटर जागरूक हो गया उस दिन जाति और मजहब के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोग कभी जनप्रतिनिधि नही बन पाएंगे। इस तरह की जहां भी शिकायतें मिली हैं, वहां जांच कराई गई है। वहीं, सीईओ ने मतदान के दिन क्षेत्र में एनएसएस और एनसीसी की तैनाती पर भी जोर दिया।

डीएम राजशेखर ने दावा किया कि यह मोबाइल ऐप यूपी मे पहली बार बस्ती जिला प्रशासन द्वारा लॉन्‍च किया गया है। मतदान को अच्छे से कराने के लिए इसमें हर बूथ से जुड़ी छोटी-बड़ी जानकारी का विवरण दर्ज किया जा रहा है। मतदान सूची, दिव्यांग मतदाताओं समेत बूथ स्तरीय निर्वाचन के लिए बनाए गए सभी प्लान का विवरण ऐप में दर्ज होगा। लॉन्‍च के बाद इस ऐप को बीएलओ और सुपरवाइजर द्वारा डाटा फीडिंग के लिए खोला गया है। 23 अप्रैल से ऐप को सार्वजनिक कर दिया जाएगा।NBT

लेबल:

शनिवार, 13 अप्रैल 2019

100 साल पहले आज ही के दिन हुआ था जलियांवाला बाग नरसंहार, हजारों लोगों की हुई थी मौत

भारत के स्वर्णिम इतिहास में 13 अप्रैल की तारीख बहुत ही ज्यादा महत्व रखती है। इस तारीख को भारत के इतिहास में काले दिन के रूप में भी याद किया जाता है। अगर किसी घटना ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे ज्यादा असर डाला, तो वो पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग़ की घटना थी। जहां 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला कर सैकड़ों निहत्थे भारतीयों को को मार डाला था। इस निर्मम हत्याकांड की यादें आज भी भारतीयों के दिलों में जिंदा हैं और आज भी जलियांवाला बाग की घटना को याद कर भारतीयों की आंखों में आंसू आ जाते हैं। आज 13 अप्रैल के दिन इस हत्याकांड को 100 साल पूरा हो गया है। 

बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट के विरोध में एक सभा रखी गई, इस दौरान शहर में एमरजेंसी जैसे हालात बने हुए थे। इन हालातों के बावजूद हजारों की संख्या में लोग बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ जलियांवाला बाग में मेला देखने के लिए पहुंचे। इस दौरान जब लोगों को जलियांवाला बाग में आयोजित होने वाली सभा के बारे में पता चला, तो सभी लोग सभा के लिए वहां जा पहुंचे थे। इतने सारे लोगों की भीड़ देखकर ब्रिटिश सरकार में डर पैदा हो गया था। ब्रिटिश अधिकारियों को यह स्थिति 1857 के गदर की पुनरावृत्ति जैसी लग रही थी। ऐसे में वो ऐसी परिस्थिति को कुचलने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थे।
जब नेता जलियांवाला बाग में खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल डायर अपने सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया। उसने अपने सैनिकों को बाग को चारों तरफ से घेरने का आदेश दिया। तभी सैनिकों ने बाग को घेरकर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस दौरान अंग्रेजी सैनिकों ने 10 मिनट में कुल 1650 गोलियां चलाई। इस गोलीकांड में सैंकड़ो निहत्थे लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिसमें बच्चे, जवान, बूढ़े और महिलाएं सभी शामिल थे। 
इस गोलीकांड में हजारों लोग घायल भी हुए। लोगों ने अपनी जान बचाने की कोशिश तो की, मगर बाग से बाहर जाने का सिर्फ एक ही रास्ता था और वहां अंग्रेजी सैनिक अपनी भरी हुई राइफल्स के साथ मौजूद थे। इसलिए उस स्थान से बच निकलने का कोई सवाल ही नहीं था। जिस समय यह घटना हुई, उस समय जलियांवाला बाग एक खाली मैदान था। इसलिए लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए बाग के अंदर बने एक कुएं में छलांग लगानी शुरू कर दी, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से भर गया और आज भी उस कुएं को 'खूनी कुएं' के नाम से जाना जाता है।
इस घटना ने पूरे भारतवर्ष में रोष की लहर पैदा कर दी थी। इस निर्मम नरसंहार का बदला लेने के लिए सरदार ऊधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में ब्रिटिश लेफ़्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ ड्वायर को गोलियों से भून डाला। जिसके परिणामस्वरुप सरदार ऊधम सिंह को ब्रिटिश सरकार ने पकड़ लिया और 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया। शहीद ऊधम सिंह और उनके जैसे कई वीर सपूतों द्वारा दिए गए उनके इस बलिदान को भारतीय युगों-युगों तक नहीं भूला सकेंगे।
इस घटना से संबंधित आंकड़े अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में मौजूद हैं। इस हत्याकांड में शहीद हुए 484 लोगों की सूची आज भी कार्यालय में लगी हुई है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं, जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस गोलीकांड में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। 

लेबल:

गुरुवार, 11 अप्रैल 2019

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में गूगल ने जारी किया "डूडल" वोट कैसे करें

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान के दिन गूगल ने डूडल के माध्यम से मतदाताओं को जागरूक करने का पहल किया है ,जिसे आप गूगल के सर्च बॉक्स के ऊपर गूगल के लोगो पर टैप करके देख सकते हैं।

आइये जानते हैं गूगल ने क्या लिखा है।
वोट कैसे दें

भारतीय आम चुनाव, 2019

आप अपना वोट तभी दे सकते हैं जब आपका नाम वोटर लिस्ट में दिखाई दे। मतदाता मतदान बूथों, चुनाव वाले उम्मीदवारों, चुनाव तिथियों और समय, पहचान पत्रों और ईवीएम पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

मतदान बूथ पर मतदान प्रक्रिया

पहले मतदान अधिकारी मतदाता सूची में अपना नाम डालेंगे और अपना आईडी प्रूफ चेक करेंगे

दूसरा मतदान अधिकारी आपकी उंगली स्याही से काटेगा और आपको एक पर्ची देगा और उसके बाद रजिस्टर पर अपना हस्ताक्षर लेगा (फॉर्म 17A)

आपको तीसरे मतदान अधिकारी को पर्ची जमा करनी होगी और अपनी स्याही लगी हुई उंगली दिखानी होगी और फिर मतदान केंद्र तक जाना होगा

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के प्रतीक के विपरीत मतपत्र बटन दबाकर अपना वोट रिकॉर्ड करें; आपको बीप की आवाज सुनाई देगी

VVPAT मशीन की पारदर्शी विंडो में दिखाई देने वाली पर्ची की जाँच करें। सीलबंद VVPAT बॉक्स में गिरने से पहले कैंडिडेट के सीरियल नंबर, नाम और सिंबल वाली पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देगी।

यदि आप किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं, तो आप NOTA, उपरोक्त में से कोई भी दबा सकते हैं; यह ईवीएम पर अंतिम बटन है

अधिक जानकारी के लिए, कृपया http://ecisveep.nic.in/ पर मतदाता गाइड देखें।

पोलिंग बूथ के अंदर मोबाइल फोन, कैमरा या कोई अन्य गैजेट ले जाने की अनुमति नहीं है।

लेबल:

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

मतदान के एक दिन पहले CRPF के पेट्रोलिंग टीम पर नक्सलियों ने किया फिर हमला

लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान से एक दिन पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में CRPF की पेट्रोलिंग टीम पर नक्सलियों ने हमला  किया है. नक्सलियों द्वारा CRPF की पेट्रोलिंग टीम पर किए गए IED ब्लास्ट की चपेट में कई जवान आए हैं. इनमें से एक की हालत नाजुक बताई जा रही है. जवानों को हेलीकॉप्टर की मदद से वहां से निकाला जा रहा है. सभी घायल जवानों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है.
                        प्रतीकात्मक तस्वीर

बता दें कि एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़  के दंतेवाड़ा  में नक्सलियों  ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक भीमा मंडावी के काफिले पर हमला किया था. हमले में बीजेपी एमएलए भीमा मंडावी समेत 5 की मौत हो गई थी. नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले के श्यामगिरी के पास कुआकुंडा में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर हमले को अंजाम दिया था. बता दें कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली दोनों जगहों पर पहले चरण में ही चुनाव होने हैं.

लेबल:

सोनहा_हाई वोल्टेज बिजली के तार से खतरे की आशंका


सोनहा पड़ाव से गुजरने वाली हाई वोल्टेज लाइन के पास  में लगे लोहे के एक अतरिक्त खम्भे में बिजली के तार के बार बार छूने की वजह से खतरे की स्थिति बनी हुई है ,बाजार में बबलू पान भण्डार की दुकान के बगल में लगे सीमेंट के पोल से 11 हजार वोल्टेज लाइन गुजर रहा है वंही तुरन्त बगल में लोहे का पोल होने की वजह से तेज हवाओं के साथ तार बार -बार  उसमे छूकर हट जाता है । इस वक्त हवाओं का मौसम है इस लिए जिम्मेदार लोगों को मामले की गंभीरता को देखकर त्वरित लोहे के पोल से हाई वोल्टेज लाइन को दूर करने की जरूरत है, क्योंकि आस पास लोग रहते हैं एवं साइकिल चालक भी कभी कभी साइकिल को पोल के सहारे खड़ा कर देते हैं।

लेबल:

मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

पोल ऑफ पोल्स के सर्वे में केंद्र में फिर आ रही भाजपा की सरकार

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा. ज्यादातर एग्जिट पोल  केंद्र में मोदी सरकार  की वापसी की ओर इशारा कर रहे हैं लेकिन उसको सीटों को लेकर भारी नुकसान होता दिख रहा है. एनडीटीवी पोल ऑफ पोल्स में जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक एनडीए को 274 सीटों मिलती दिखाई दे रही हैं जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 336 सीटें मिली थीं।

 बात करें बीजेपी की सीटों की तो उसे 228 सीटें मिल रही हैं. पिछली बार के मुकाबले उसे 54 सीटों का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. वहीं यूपीए को कुल 140 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं और कांग्रेस को 88 सीटें मिल सकती हैं. इस बार भी वह तीन अंकों तक जाते नहीं दिखाई दे रही है. पिछली बार उसे 44 सीटें मिली थीं. वहीं अन्य के खाते में 129 सीटें जा सकती हैं. कुल मिलाकर केंद्र में एक बार फिर से मोदी सरकार की वापसी की संकेत मिल रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो यह एक तरह से कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जाएगा. 


बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां बीजेपी तगड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. बीजेपी को यहां 40 सीटें मिल सकती हैं. सपा-बसपा गठबंधन को 36 और कांग्रेस को 2 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. वहीं बिहार में एनडीए यानी बीजेपी+जेडीयू+एलजेपी को 31 और कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को 9 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. झारखंड में बीजेपी गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन को 7-7 सीटें मिल रही हैं. दिल्ली में बीजेपी के खाते में सभी 7 सीटें जाती दिखाई दे रही हैं. हालांकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन अगर हो जाता है तो कुछ सीटों पर समीकरण भी बदल भी सकते हैं. कांग्रेस के लिए बड़ा झटका राजस्थान और मध्य प्रदेश में लगता दिखाई दे रहा है क्योंकि हाल ही में वहां सरकार बनाने के बाद भी लोकसभा चुनाव में उसकी सीटों में ज्यादा इजाफा नहीं हो रहा है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी 4 और कांग्रेस को 7 सीटें मिल रही हैं. राजस्थान में बीजेपी को 19 और कांग्रेस को 6 सीटें मिल रही हैं. हालांकि पिछली बार बीजेपी के खाते में सभी सीटें आई थीं. वहीं मध्य प्रदेश में बीजेपी को 23 कांग्रेस को 6 सीटें मिल रही हैं. पिछली बार बीजेपी 27 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं. 

लेबल:

एमपी के सीएम के करीबियों के पास 281 करोड़ रुपये के बेहिसाब नगदी के रैकेट का पता चला

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ  के करीबी सहयोगियों और अन्य के खिलाफ की गई आयकर विभाग की छापेमारी में 281 करोड़ रूपये की बेहिसाबी नकदी के 'विस्तृत एवं सुसंगठित' रैकेट का पता लगाया है. यह जानकारी सोमवार को आयकर विभाग ने दी. विभाग ने बताया कि अधिकारियों ने 14.6 करोड़ रुपये की 'बेहिसाबी' नकदी बरामद की है और मध्य प्रदेश तथा दिल्ली के बीच हुए संदिग्ध भुगतान से जुड़ी डायरी तथा कंप्यूटर फाइलें अपने कब्जे में ली हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि विभाग को 20 करोड़ रुपये की संदिग्ध नकदी के तुगलक रोड पर रहने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के घर से 'दिल्ली की बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय' तक कथित तौर पर जाने के सुराग भी मिले हैं।

सीबीडीटी ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर कहा, 'अब तक शराब की 252 बोतलों, कुछ हथियारों और बाघ की खाल के अलावा 14.6 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी मिली है.' सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति तैयार करती है. सीबीडीटी ने कहा, 'मध्य प्रदेश में छापेमारी से कारोबार, राजनीति एवं सार्वजनिक सेवा समेत विभिन्न क्षेत्र के कई व्यक्तियों के जरिए 281 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी जुटाने के व्यापक एवं सुसंगठित रैकेट का पता लगा है. साथ ही कहा, 'नकदी का एक हिस्सा दिल्ली में बड़े राजनीतिक दल के मुख्यालय तक भेजा गया है, जिसमें वह 20 करोड़ रुपये भी शामिल हैं जो हाल में हवाला के जरिए दिल्ली के तुगलक रोड पर रहने वाले वरिष्ठ पदाधिकारी के घर से राजनीतिक दल के मुख्यालय पहुंचाए गए.' हालांकि न तो राजनीतिक पार्टी की और न ही वरिष्ठ पदाधिकारी की पहचान उजागर की गई।


बयान में बताया गया कि पैसा इकट्ठा करने के रिकॉर्ड और 'हाथ से लिखी डायरी, कंप्यूटर फाइलें और एक्सेल शीट के रूप में नकदी की अदायगी के बारे में पता चला और वह उक्त खोजों से मेल खाता है.' बताया कि दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारी के करीबी रिश्तेदार के समूह पर छापेमारी में '230 करोड़ के बिहसाब लेनदेन की नकद पुस्तिका रिकॉर्डिंग, नकली बिलों के जरिए 242 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि की वसूली और कर चोरी करने वाली 80 कंपनियों से ज्यादा की जानकारी समेत अपराध साबित करने वाले साक्ष्य' जब्त किए गए हैं. दिल्ली के पॉश इलाकों में कई बेहिसाबी/बेनामी संपत्तियों का पता लगा है. कहा गया, 'आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को चुनाव आयोग के संज्ञान में लाया गया है.'

लेबल:

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

मुस्लिम समुदाय से गठबंधन को वोट करने की बात पर घिरीं माया ,चुनाव आयोग ने मांगा रिपोर्ट

चुनाव आयोग ने रविवार को सहारनपुर के देवबंद में आयोजित महागठबंधन की चुनावी रैली में बसपा प्रमुख मायावती द्वारा 'मुस्लिम' शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी. प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वेंकटेश्वर लू ने को बताया कि उन्होंने मायावती द्वारा रैली में अपने भाषण में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल करते हुए वोट की अपील किए जाने पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने बताया कि मायावती के इस बयान पर कई शिकायतें मिली थी, जिसके बाद आयोग ने यह कदम उठाया है. मालूम हो कि देवबंद में सपा-बसपा-रालोद महागठबंधन की पहली चुनावी रैली में मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं का आह्वान करते हुए कहा था कि भाजपा को कांग्रेस नहीं हरा सकती. उसे सिर्फ महागठबंधन हरा सकता है, लिहाजा मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट देकर उसे ज़ाया करने के बजाय महागठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में एक तरफा मतदान करें.  भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने मायावती के इस बयान की शिकायत चुनाव आयोग से की है.उनका कहना है कि मायावती द्वारा मुसलमानों से एक राजनीतिक दल को वोट न देने की अपील करना धार्मिक उन्माद फैलाने वाला है. साथ ही यह चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन भी है, लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. वहीं दूसरी ओर मायावती का ऐसा बयान ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा दे सकता है जिसका नुकसान महागठबंधन को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ सकता है क्योंकि मुस्लिमों से एकतरफा वोट की अपील पर हिंदू वोटरों पर इसका उल्टा असर हो सकता है.


मायावती ने रैली में कहा, 'मैं मुस्लिम समाज के लोगों से कहना चाहती हूं कि कांग्रेस बीजेपी को टक्कर नहीं दे सकती है, सिर्फ महागठबंधन ही उन्हें हरा सकता है. इसलिये महागठबंधन को ही वोट दें. मेरे पास रिपोर्ट है कि कांग्रेस चाहती है कि वे भले ही न जीतें, लेकिन महागठबंधन को कतई जीतने नहीं देना है'.  कांग्रेस ने महागठबंधन को हराने के लिये ही अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं. अगर भाजपा को हराना है तो मुस्लिम बिरादरी के सभी लोग अपना वोट बांटने के बजाय महागठबंधन को एकतरफा वोट दें.

लेबल: