रविवार, 31 मार्च 2019

आखिर चुनावी माहौल में मुद्दे पर बात क्यों नही होती

विश्वपति वर्मा―
पांच साल का समय घडी की सूइयों को देखते देखते  न जाने कब बदल गया यह किसी को पता नह चल पाया ,सूइयों की चाल की तरहं देश की स्थिति में भी बदलाव आना था लेकिन इन पांच सालों में कुछ बदला हुआ देखने को मिला तो सांसदों का  भवन , गाड़ियां ,एवं फटे हुए चादर के अंदर रहने वाला भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय कार्यालय ।

अब सवाल पैदा होता है कि देश के उन गरीब और असहाय वर्ग के लिए व्यवस्था में बदलाव क्यों नही लाया जा रहा है जो देश मे 22 रुपये से कम पर गुजारा कर रहे हैं।

एक रसोईया जो सैकड़ बच्चों के लिए खाना बनाती है उसे दैनिक मजदूरी मिलता है 33 रुपया ,एक असहाय वर्ग जो सरकार पर आश्रित है उसे दैनिक पेंशन मिलता है 16 रुपया ,वह बच्चे जिनके माता- पिता श्रमिक वर्ग से आते हैं उनके बच्चों के शिक्षा के लिए कोई योजना नही है ,भीख मांग कर खाने वाले लोगों की तरहं आज भी उनके बच्चों को मिड डे मील परोसा जाता है क्या यही सबका साथ ,सबका विकास का मतलब है।

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शनिवार, 30 मार्च 2019

बस्ती-चुनाव बहिष्कार के बाद जगा प्रशासन ,आचार संहिता के बाद बनेगी सड़क


    गौर ब्लॉक के उत्तरी सिरे पर स्थित ग्राम पंचायत माझा मानपुर के ग्रामीणो द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार कर आंदोलन के क्रम में शनिवार को उप जिलाधिकारी हर्रैया शिव प्रताप शुक्ल ,क्षेत्राधिकारी हर्रैया राहुल पांण्डेय एवं प्रभारी निरीक्षक गौर संजय नाथ तिवारी, माझा मानपुर गांव में पहुंच कर ग्रामीणों से वार्ता करके चुनाव में प्रतिभाग करने की अपील की।

 ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को अधिकारियों से अवगत कराते हुए बताया कि बेलवरिया चौराहे से गोंडा सीमा तक लगभग 3.5 किमी लंबाई की जर्जर सड़क एंव एप्रोच के निर्माण कराये जाने तथा सड़क की ऊंचाई बढ़ाए जाने की मांग कई बार संबंधित विभाग से की गई ,पर समस्या के समाधान न होते देख ग्रामीणों ने फरवरी महीने में जगह-जगह बैनर लगाकर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दे डाली थी, जिस पर उपजिलाधिकारी हर्रैया ने चुनाव आचार संहिता समाप्त होने पर सड़क निर्माण कराने का लिखित आश्वासन देकर ग्रामीणों को चुनाव में प्रतिभाग करने की अपील की। ग्रामीणों ने चुनाव आचार संहिता समाप्त होने तक आंदोलन को स्थगित कर चुनाव में प्रतिभाग करने का निर्णय लिया।

    इस अवसर पर पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुभाष चंद्र चौधरी, अपना दल के जिला उपाध्यक्ष रामकुमार पटेल, कामरेड राम लौट, प्रधान अशर्फी लाल यादव, बंधू चौधरी, हरिश्चंद्र वर्मा, साधू चौधरी, राजेंद्र यादव, सभाजीत वर्मा, राम बहादुर, गंगाराम वर्मा, रामचरित्र ,गंगा राम निषाद, राम बोध वर्मा, मस्तराम पटेल , राम सुधि चौधरी सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे ।

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अंतरिक्ष में सैटेलाइट सर्जिकल स्ट्राइक


  (हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक)

      अटूट वादे व अटल इरादे से किसी भी समस्या का हल और मनवांछित फल को हासिल किया जा सकता है। जिसके परिणाम कमशकम सैन्य, शोध व सामरिक क्षेत्रों में तो परिलच्छित होने लगे है। पादुर्भाव पहले सर्जिकल स्ट्राइक बाद एयर सर्जिकल स्ट्राइक और अब अंतरिक्ष में सैटेलाइट सर्जिकल स्ट्राइक ने देश को ब्राह्मण की महाशक्ति बना दिया। गगन में बड़ा धमाका भारत की 'अंतरिक्ष क्रांति की जीती जागती मिशाल है। 27 मार्च को भारत ने एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया। इसके तहत 300 किमी आकाश में लो-आर्बिट जासूसी सैटेलाइट को 3 मिनट में नष्ट कर दिया। पश्चात् राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि अब की बार अंतरिक्ष में घुसकर हमने किया है प्रहार। दरम्यान प्रधानमंत्री ने इस सिद्धि प्राप्ति पर वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और जुड़े हुए कर्मवीरों को बधाई देकर देश की इस ऐतिहासिक कामयाबी का श्रेय इसरो, डीआरडीओ और देशवासियों को दिया।

      गौरतलब रहे कि, अंतरिक्ष में रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत महाशक्ति बनने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। यह मिशन शाक्तिमान संचार,  सुरक्षा और सांमरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण और देश के लिए गौरवशाली है। जिसकी जितनी उत्कंठ मन से प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है। अतुलनीय स्वदेशी, तकनीकी और संचार की खासी उपलब्धि वैज्ञानिकों के कमाल, कर्मठता, योग्यता और प्रतिब्द्धता की अहर्निश देन है। बेहतर भारत पर बुरी नजर रखने वालों की अब खैर नहीं क्योंकि देश को नई क्षमता व ताकत प्राप्त हो गई। दुश्मन देश की संचार, सुरक्षा प्रणाली को नष्ट किया जाना आसान हो गया।
      खासतौर पर पूर्ण रूपेण भारत में ही निर्मित मिसाइल से सैटेलाइट सर्जिकल स्ट्राइक की गई। सही मायनों ये देश की नई ऊर्जा, बढ़ती आर्थिक ताकत का परिचय और सामरिक साहस का प्रतिक है। प्रतिमान स्वदेशी, परवालंबन, वैज्ञानिक स्वयं सिद्धि, परिश्रम तथा सरकार की संकल्पित इच्छा शाक्ति से अधिष्ठित हुआ है। यकीन मानिए इतिहास में ऐसे कम ही मौके आए होंगे जब किसी देश ने अपने दम पर ऐसा विराट साहसिक कार्य किया हो।  हकीकत भी यही बयां करती है कि खुद पर भरोसा करो, अपनो पर भरोसा करो सफलता अवश्य मिलेंगी। यथेष्ट इसके पीछे अपने ही मैक इन इंडिय़ा, मैड इन इंडिय़ा और स्किल इंडिया व स्किल्ड इंडि़या का विशेष सांगोपांग है।
   दरअसल, अंतरिक्ष मिशन 'शक्ति’ अत्यंत कठिन ऑपरेशन था लेकिन अंतरिक्ष में भारती सफलता का परचम वैज्ञानिकों के असाधरण योगदान से फहरा है। बहादुरी से देश का मान व सम्मान बढ़ा तथा अंतरिक्ष इतिहास में हिंदुस्तान नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। वो भी किसी अंर्राष्ट्रीय संधी व नियमों को तोड़े बिना। फलीभूत पृथ्वी पर बैठकर जासूसी उपग्रहों पर प्रक्षेपास्त्र  से हमला करने में हम अब सक्षम हो गए। कहा जाता है अगली लड़ाई अंतरिक्ष पर लड़ी जाना है इसके लिए यह हिम्मतदारी, नेतृवकारी और तैयारी निश्चित ही मील का पत्थर साबित होगी। लिहाजा, प्रक्षेपण से अंतरिक्ष में भारत ने अपना जो पराक्रम दिखाया उसका दूरगामी असर आने वाले समय में पूरे विश्व पर पड़ना लाजमी है । बानगी में देश-विदेश से सधी हुई प्रतिक्रिया आने लगी। दौर में अमेरिका जैसे शक्ति संपन्न देश ने नासा के साथ इसरो मिलकर अंतरिक्ष में और अधिक मानव हितैषी काम करे ऐसी इच्छा जाहिर की है।
      अभिष्ट इस आर्थिक मंदी के दौर में भी सैन्य, आंतरिक्ष, राष्ट्रीय सुरक्षा, सरहद पर, विज्ञान, तकनीकी, शिक्षा, कौशल और आर्थिक दृष्टि समेत हरेक मामलों में  राष्ट्र मजबूत और सुदृढ़ होकर उभरा है। बेहतरीन आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ महाशक्ति आज भारत ही है। अलौकिक आज सरकार ने अपने सेना, विज्ञान, वैज्ञानिकों और संसाधनों का बखूबी सम्मान जनक उपयोग कर कुछ कर गुजरने का पूरा खुला मौका दिया, परिवर्तन हमारे सामने है। इतर पहले दूसरे देश इस ज्ञान और प्रतिभाओं का फायदा उठाकर हम पर आंख दिखाते थे, अब ये नामुमकिन है। ताजुब है पहले भी विज्ञान और बहुमुखी वैज्ञानिक थे फिर क्यों मुनासिब नहीं हुआ, यह समझ से परे है? बावजूद घर में ही लकीर के फकीर ढर्रे बाज मसले पर नुक्ता-चिनी करने से बाज नहीं आ रहे है।
       खैर! भारत आज हर तरह से आगे बढ़ रहा है या यूं कहें हम समय से दो कदम आगे है चल रहे है कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। नतीजतन सर्जिकल स्ट्राइकों से अब नहीं बचेगा हमारे जल-थल-वायु और नभ पर निगाहें जमाए कोई आतंक, दुश्मन और जासूस। इसे कहते है नेतृत्व, नीति, नीयत और हिम्मत। अतः ये है तो सब मुमकिन है।

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शुक्रवार, 29 मार्च 2019

झंडा उठाओ गुणगान करो ,हत्यारे बलात्कारी एवं डकैत चला रहे सदन -पढ़ें रिपोर्ट

देश की सियासत में राजनेताओं और अपराध का 'चोली-दामन' का साथ रहा है. देश में ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टियां नहीं, जो पूरी तरह से अपराध मुक्त छवि की हो. यानी उनके किसी भी एक नेता पर अपराध के मामले दर्ज नहीं हों. यही वजह है कि राजनीति में अपराधीकरण के मामले पर अपने फैसले में भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दागी सांसदों, विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया, मगर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब संसद के भीतर कानून बनाना इसकी जरूरत है. दरअसल, राजनीति में अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया. इस मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. राष्ट्र तत्परता से संसद द्वारा कानून का इंतजार कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ आरोप तय होने से किसी को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है और बिना सज़ा के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ रहे उनके जिन उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनकी जानकारी वेबसाइटों और इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट, दोनों मीडिया में सार्वजनिक करने के निर्देश दिए

दरअसल,  ADR ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक राज्य सभा और लोकसभा के सासंदों की संख्या को पूरा मिला कर देखें तो, तकरीबन 30 फीसदी सांसद दागी हैं. इनमें से 17 फीसदी सासंदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. देश के चुनावों और उससे संबंधित आंकड़े इकट्ठा करने वाली एडीआर की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें सासंदों और पार्टीवार नेताओं के क्रिमिनल रिकॉर्ड का ब्योरा दिया गया है.

लोकसभा में 542 सासंदों में से 179 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 33 फीसदी है. वहीं, 114 के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. ठीक उसी तरह राज्यसभा के 228 सासंदों में से 51 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह से दोनों सदन के सासंदों को मिला कर देखें तो 770 सासंदों में से 230 दागी हैं, जो पूरी संख्या का 30 फीसदी है.

ADR की रिपोर्ट

अब सवाल उठता है कि आखिर जब संसद में इतने दागी सांसद हैं, देश का लोकतंत्र कैसे सही होगा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर किस पार्टी में कितने ऐसे सांसद हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी की तुलना की जाए तो दागी सांसदों के मामले में बीजेपी कांग्रेस से काफी आगे है. यानी कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी में दागी सांसदों की संख्या ज्यादा है. बीजेपी में करीब 32 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, तो वहीं कांग्रेस के सासंदों के खिलाफ 15 फीसदी आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी बीजेपी, कांग्रेस से इस मामले में दोगुनी आगे है.

सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले:

बीजेपी के 339 सांसदों में से 107 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें से 64 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के 97 सांसदों में से 15 के खिलाफ आपराधिक मामले और 8 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस और बीजेपी के सासंदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की तुलना करें तो बीजेपी के जहां 32 फीसदी सांसद दागी हैं, वहीं कांग्रेस के 15 फीसदी. शिवसेना के 21 सासंदों में से 18 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. हत्या, बलात्कार जैसे संगीन मामले 10 के खिलाफ हैं. अगर फीसदी में बात की जाए तो शिवसेना के 86 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले:
अगर राजनीतिक पार्टियों के विधायकों के खिलाफ भी अगर आपराधिक मामलों की पड़ताल करते हैं तो पाएंगे कि बीजेपी इस मामले में कांग्रेस से अव्वल है. बीजेपी के 1451 विधायकों में 31 फीसदी विधायकों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 20 फीसदी विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो 773 विधायकों में 26 फीसदी विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 17 फीसदी कांग्रेस विधायकों के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. 

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देश के किसानों और युवाओं का भविष्य हाशिये पर ,उसके बाद भी नही पैदा हो रहा ज्ञान

विश्वपति वर्मा―

भारत युवाओं और किसानों का देश है सबसे पहले देश में किसान वर्ग आता है फिर इन्ही किसानों और पूजीबादी परिवारों में से युवा वर्ग निकल कर सामने आता है ,जिसमे से आईएस, पीसीएस, मास्टर, डॉक्टर, इंजिनियर, जवान ,चपरासी नेता आदि निकलते हैं ,इन सबका बचपन का सोच जिलाधिकारी बनने का ही होता है लेकिन 70%किसान परिवारों के बच्चे उचित शिक्षा के आभाव में सड़कों पर आ जाते हैं ,फिर एक जवान का पद छोड़ करके सभी पदों पर अधिकतम पूजीवादी परिवारों के बच्चे कब्ज़ा जमा लेते हैं ,बाद में यही पढ़ा लिखा व्यक्ति उनके सामने बौना साबित होता है

अब यंहा बचे लोगों को मल्टीनेशनल कंपनियों में 5 से 7 हजार रुपये की मासिक वेतन में नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है ,देखा जाये तो व्यक्ति किसी तरहं से अपने जीविका को चला तो लेता है लेकिन इसे अन्यान्य प्रकार की शोषणों का सामना करना पड़ता है ,इनके ऊपर आने वाली स्थिति फिर इनके आने वाली पीढ़ी पर पड़ जाती है क्योंकि यंहा फिर इनके बच्चे शिक्षा की बदहाल स्थिति को झेलते हुए सड़क पर आ जाते हैं फिर ये बहुसंख्यक आबादी दैनिक मजदूरी पर सिमट जाती है और यह नौजवान   दिहाड़ी और ठेका मजदूर के रूप में 12 से 14 घण्टे तक हड्डियां गलाती है  इस तरहं बड़ी आबादी को लगातार शोषण झेलना पड़ता है ,

फिर बचे कुचे लोग बाप की विरासत किसानी की तरफ चले जाते हैं और ये गेंहूँ ,धान, जौ, सरसो ,चना, अरहर ,गन्ना,आलू प्याज ,चाय आदि पैदा करते हैं लेकिन शर्मनाक बात यह है कि ये अपने खेत में पैदा किये हुए फसल पर मूल्य निर्धारित नहीं कर सकते  और इन्ही फसलों को टाटा, बिरला, अडानी और अंबानी जैसे उद्धोगपति खरीद कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य तय करते हैं

 और इनके यंहा ज्यादातर लोग श्रमिक के तौर पर काम करते हैं और ये वही लोग होते हैं जो उचित शिक्षा के आभाव में सरकारी नौकरी से वंचित हो जाते हैं  ,

होगा भी और क्या क्योंकि सरकार देश के सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी तो नहीं दे सकती !

परन्तु यंहा जरुरी यह है कि सरकार सबको नौकरी तो नहीं देगी लेकिन देश की प्राइवेट सेक्टरों में काम करने वालों के हित में कुछ ऐसा करेगी जंहा कंपनी इनके जीवन के प्रति गंभीर होकर उचित तनख्वाह एवं सुरक्षा प्रदान करे

और सरकार खुद यह काम करे कि देश के नागरिकों को भरतीय समाज में जीने के लिए एक समान सुबिधा दे

अगर सरकार यंहा ऐसा नहीं करती है तो यह सिद्ध होता है कि सरकार का चरित्र भी दोहरा है जो कहती कुछ और है करती कुछ और फिर यंहा वही सवाल पैदा होता है कि आप राजनीति में श्रेष्ठ भारत ,बेहतर समाज ,मजबूत लोकतंत्र की बात तो करते हैं लेकिन देश में अधिकांश लोग शिक्षा, चिकित्सा ,भोजन ,पानी आवास से वंचित क्यों हो जाते हैं ,या तो  सरकारें जानबूझ कर ऐसी स्थिति पैदा करती हैं या फिर इन मामलों में गम्भीर नहीं होती ।

अगर सरकार वास्तव में देश के समस्त लोगों के साथ काम कर रही है तो वह प्राथमिक तौर पर दो विन्दुओं पर सबसे पहले देश के लोगों को आजादी दे जंहा पर राष्ट्रपति का बेटा हो या किसान का संतान दोनों को शिक्षा एक साथ दिया जाये और किसानों के फसल पर खास करके मजदूर किसान के द्वारा पैदा किये गए फसल का वाजिब मूल्य मिले ताकि उसे अग्रणी समाज में आने का मौका मिले तब जाकर देश में अच्छा गांव ,अच्छा समाज एवं अच्छे भारत का निर्माण होगा एवं देश विश्वगुरु बनने के रास्ते पर चल पड़ेगा ।

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गुरुवार, 28 मार्च 2019

देश की बहुसंख्यक आबादी साल भर में 365 बार बनती है उल्लू, सैटेलाइट से मिले इस तस्वीर से मत चौंकना

विश्वपति वर्मा―
सरकार देश की जनता को उल्लू बना रही है और उल्लू लोग हैं कि वें आसानी से अपने आने वाली पीढ़ी को भी उल्लू बनवा रहे हैं अगर सब कुछ ऐसा ही रह तो आने वाली पीढ़ी भी देश की बहुसंख्यक आबादी को उल्लू ही कहेगी इसमे मैं किसी उल्लू नही बना रहा हूँ ,क्योंकि खबर की हेडलाइन के अनुसार जिस देश मे लोग शिक्षा के प्रति गंभीर नही हैं वें साल के 365 दिन किसी न किसी तरहं से उल्लू बनते रहते हैं।

पढ़ें रिपोर्ट-

हम देश को नॉलेज पॉवर तो बनाना चाहते हैं लेकिन प्राइमरी एजुकेशन की क्वॉलिटी नहीं सुधार पा रहे हैं। देश में प्राथमिक शिक्षा का हाल यह है कि आज भी पांचवीं कक्षा के करीब आधे बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ तक ठीक से नहीं पढ़ सकते। जबकि आठवीं कक्षा के 56 फीसदी बच्चे दो अंकों के बीच भाग नहीं दे पाते।

 गैर सरकारी संगठन ‘प्रथम’ के वार्षिक सर्वेक्षण ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ (असर) - 2018 से यह जानकारी मिली है। यह रिपोर्ट देश के 596 जिलों के 17,730 गांव के पांच लाख 46 हजार 527 छात्रों के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है।


इसके मुताबिक चार बच्चों में से एक बच्चा साधारण- सा पाठ पढ़े बिना ही आठवीं कक्षा तक पहुंच जाता है। देशभर में कक्षा तीन के कुल 20.9 फीसदी छात्रों को ही जोड़-घटाना ठीक से आता है। स्कूलों में कंप्यूटर के प्रयोग में लगातार कमी आ रही है। 2010 में 8.6 फीसदी स्कूलों में बच्चे कंप्यूटर का इस्तेमाल करते थे। साल 2014 में यह संख्या घटकर 7 फीसदी हो गई जबकि 2018 में यह 6.5 फीसदी पर पहुंच गई। ग्रामीण स्कूलों में लड़कियों के लिए बने शौचालयों में केवल 66.4 फीसदी ही इस्तेमाल के लायक हैं। 13.9 फीसदी स्कूलों में पीने का पानी अभी भी नहीं है और 11.3 फीसदी में पानी पीने लायक नहीं है।
राज्य सरकारें अब भी शिक्षा को लेकर पर्याप्त गंभीर नहीं हैं। 

शायद इसलिए कि यह उनके वोट बैंक को प्रभावित नहीं करती। दरअसल समाज के कमजोर तबके के बच्चे ही सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं जबकि संपन्न वर्ग के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। सरकारी स्कूलों की उपेक्षा का आलम यह है कि स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां तक नहीं होतीं। एक या दो शिक्षक सभी कक्षा को पढ़ा रहे होते हैं। शिक्षकों को आए दिन पल्स पोलियो जनगणना या चुनावी ड्यूटी में लगा दिया जाता है। कई स्कूलों में शिक्षक दिन भर मिड डे मील की व्यवस्था में ही लगे रह जाते हैं। शिक्षकों की नियुक्तियों में भी भारी धांधली होती है। अक्सर अयोग्य शिक्षक नियुक्त कर लिए जाते हैं। फिर शिक्षकों के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं होती।

इसके अलावा स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं ठीक करने पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूलों में सुधार नहीं हो सकता। असल बात दृढ़ इच्छाशक्ति की है। 

दिल्ली सरकार ने हाल में अपने स्कूलों पर अतिरिक्त रूप से ध्यान दिया और उसके शानदार नतीजे आए हैं। आज प्राथमिक शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है। उसमें निवेश बढ़ाया जाए, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया बदली जाए। सिलेबस में परिवर्तन हो, छात्रों व टीचरों को कंप्यूटर और आधुनिक तकनीकी साधन उपलब्ध कराया जाए। प्राइमरी एजुकेशन को दुरुस्त करके ही समाज के हर वर्ग को विकास प्रक्रिया का साझीदार बनाया जा सकता है।

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किसी का सम्मान से जिंदगी जीने का अधिकार नही छीन सकते SHO संजय नाथ

विश्वपति वर्मा―

पूरे देश मे हर किसी को सम्मान से जिंदगी जीने का अधिकार है साथ ही देश भर में संवैधानिक एवं गैर संवैधानिक पदों पर बैठों लोगों द्वारा एक दूसरे को सम्मान दिया जाए यही देश के नागरिकों की अपेक्षा है ।

लेकिन देखने को मिलता है कि सर्वाधिक मामलों में पुलिस की लिबास में यूपी की खाकी मर्यादाओं की सीमा को लांघ जाती है जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश मे न्यायसंगत नही है।

ताजा मामला बस्ती जनपद के गौर थाने में तैनात प्रभारी निरीक्षक संजय नाथ तिवारी को लेकर है जंहा खाकी वर्दी में उनकी तानाशाही देखी जाती है ,कई मामलों को लेकर उनकी कार्यशैली पर लोगों द्वारा सवाल उठाते हमने भी सुना था लेकिन एक वाकया जंहा वें खुद मुझसे ही अभद्रता कर बैठे ऐसी स्थिति में वर्दी की लिबास में ऐसे व्यक्ति को तानाशाह न माना जाए तो क्या कहा जाए।

मामला 27 मार्च का है जब शिवाघाट नदी में एक लड़की छलांग दी थी इस मामले की सूचना पर गौर और सोनहा थाने की पुलिस मौके पर पंहुची थी ,इसी बीच प्रभारी निरीक्षक गौर संजय नाथ तिवारी भी पंहुच गए उनकी गाड़ी रुकने के बाद कुछ लोग उनके पास बढ़े जिसमे मैं भी शामिल था एक दो लोगों ने संजय नाथ का पैर छुआ सम्मान स्वरूप हमने भी सादर प्रणाम किया लेकिन ये क्या SHO साहब भड़क गए और कह दिए योगी हो क्या ...उन्होंने योगी कह दिया उससे मेरे सम्मान पर कोई ठेस नही पंहुचा लेकिन जब मैने जवाब दिया नही मैं पत्रकार हूँ तो प्रभारी निरीक्षक मर्यादाओं की सीमा को लांघ कर कह रहे हैं देखने मे तो गुंडा लग रहे हो।

अब क्या मुझे कहने के लिए कुछ बचा ही नही जिसका मैं जवाब दूं ,देना भी नही था क्योंकि किसी के दुख के घड़ी में उसकी सहायता करना हमारा कर्त्तव्य बनता है और मैं वही कर रहा था लिहाजा मैं चुप होकर बगल खड़ा हो गया।

अब यंहा प्रभारी निरीक्षक पर कई सवाल खड़े होते हैं पहला ये कि योगी कहने का क्या तात्पर्य क्या था ?और दूसरा कि अपना परिचय देने के बाद गुंडा जैसे दिखने वाली बात कैसे उनके ख्याल में आ गई ,मैं भाग कर घर आया और सीसे के सामने मैं बार- बार अपने आपको देख रहा था कि मैं गुंडा किस तरफ से लग रहा हूँ, मुझे अपने आप मे कोई गुंडागर्दी नही दिखाई दे रही थी लिहाजा मुझे उनकी इस अभद्रता के खिलाफ लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा।

शायद प्रभारी निरीक्षक को हमारे बारे में पता नहीं है कि पत्रकारिता और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज मे किये गए अच्छे कार्यों के चलते कई बार हमें प्रशस्ति पत्र मिल चुका है और यह बात सबको पता है कि यह सम्मान गुंडा और मवालियों को नही मिलता है ।

इंडियन ऑयल कारपोरेशन द्वारा जल संरक्षण पर किये गए योगदान पर सम्मान ,ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों और महिलाओं पर महावारी की समस्या पर लिखे गए धरातलीय रिपोर्ट पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सम्मान ,निःशुल्क कंप्यूटर शिक्षा की बेशिक जानकारी पर किये गए योगदान पर तहसील प्रशासन द्वारा सम्मान,सर्वश्रेष्ठ लेखक होने पर सरस सलिल द्वारा सम्मान,सतत विकास लक्ष्य 2030को पूरा करने के लिए गरीबी उन्मूलन पर लिखे गए लेख और सुझाव पर सीएनएस द्वारा सम्मान इसी तरहं दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा समाज के लिए किए गए सार्थक प्रयास पर सम्मान से नवाजा गया है।क्या यह सम्मान गुंडा होने पर मिला है? समाज को इस पर विचार करने की जरूरत है।

अब यंहा प्रभारी निरीक्षक संजयनाथ तिवारी पर एक सवाल और खड़ा होता है कि जब वें पत्रकार और जागरूक व्यक्तियों से इस अंदाज में पेश आते हैं तो वें आम आदमी से किस लहजे में मुखातिब होते हैं ,इसी तरहं ऐसे व्यक्तियों पर तो कई सवाल खड़े होते हैं जो शांति और सुरक्षा व्यवस्था में नाकामयाब रहता है वह दूसरों को शांति बनाने की सलाह कैसे दे सकता है ।

फिलहाल वर्दी में रहते हुए अपनी मर्यादाओं को नही भूलना चाहिए क्योंकि जिन शब्दों और व्यवहारों पर लोगों से सम्मान मिलता है वही शब्द और व्यवहार अपमान भी कराता है ।

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बुधवार, 27 मार्च 2019

बहुसंख्यक आबादी को बवासीर बीमारी वाली कहानी है ,दर्द है लेकिन चुप रहेंगे

विश्वपति वर्मा―

भारत एक विकासशील देश है। आधी सदी से अधिक समय बिता चुका भारत आज भी अविकसित देशों की सूची में है।

हम आज भी विकास का लक्ष्य पाने के लिए जूझ रहे हैं, हमारे देश की आधी से अधिक आबादी पौष्टिक भोजन नहीं पाती ,46फीसदी  से अधिक महिलाओं में खून की कमी है ,रोजगार का आलम यह कि पढ़े लिखे लोग चौराहे पर चाय चुक्कड़ पीकर जीवन यापन कर रहे हैं,देश की जनता जीवन उपयोगी वस्तु के लिए तरस रही है , एक तिहाई आबादी को आज भी दोनों वक्त का भरपेट भोजन नही मिल पाता ,यह देश नंगी सच्चाई है
लेकिन राजनीतिक दलों के मानसिक गुलाम लोगों का को क्या कहा जाए जो नेताओं से ऐसी स्थिति पर सवाल पूछने की बजाय सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस,निर्दल, दलदल का झंडा उठाने में अपने आप को महान समझ रहे हैं।

आखिर जनता के साथ इतना बड़ा धोखा क्यों है कि जो जनता नेताओं के लिए झंडा उठाती है बाद में उसी की व्यवस्था में मूलभूत आवश्यकताओं पर बदलाव नही आ पाता है ? आखिर शिक्षा जैसे जरूरी विषय पर आजतक बदलाव क्यों नही किया गया ?क्यों वही फटी पुरानी शिक्षा व्यवस्था को गरीब भारतीय नागरिकों पर थोपी जा रही है? यह सब देखते हुए स्पष्ट है कि सभी राजनीतिक पार्टियां गरीबों को शिक्षा से वंचित करना चाहती हैं ताकि उनके रैलियों में हल्ला मचाने के लिए लोग भीड़ का हिस्सा बनकर पंहुच सकें।

शिक्षा जिससे देश का विकास संभव है उसे एक बड़ी आबादी से दूर रखा गया है अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही लूटने के लिए जो शिक्षा बच्चों को दी जा रही है वह शिक्षा किसी काम के नही है बल्कि उस शिक्षा से देश के नागरिक और विकलांग होते जा रहे हैं।

मजे की बात तो यह है कि ऐसी समस्या से देश का एक बड़ा वर्ग पीड़ित है लेकिन उन लोगों को क्या कहें जो सारी समस्याओं के बाद भी चुप बैठे हैं ,इनका हाल तो वैसे है जैसे बवासीर की बीमारी होने पर दर्द कितना भी हो लोग चुप रहते हैं।

ऐसा ही रहा तो आप झंडा उठाते रहिये आने वाली पीढ़ी आपको माफ नही करेगी। अभी भी वक्त है और सही वक्त है जब आप नेताओं से सवाल कीजिये कि आखिर शिक्षा व्यवस्था पर चुप्पी क्यों है।

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डीएम डॉo राजशेखर का पाँवर जिला अधिकारी के रूप में किस काम का

विश्वपति वर्मा―

वैसे तो जिला अधिकारी राजशेखर जी आजकल चुनावी माहौल में व्यस्त हैं लेकिन उनके इसी व्यस्तता के बीच ईमानदारी के तमाम बड़े दावे पर भी सवाल खड़ा होता है।

राजशेखर जी के बारे में ईमानदारी के ढोल कई बार पीटे गए लेकिन हमें लगता है यंहा ढोल की पुरानी कहावत सिद्ध होती है जैसा कि कहा जाता है "दूर के ढोल सुहाने लगते हैं"

जनपद में क्रियांवित होने वाली कई योजनाएं ऐसी हैं जिसकी निगरानी पांवर डीएम के पास होता है लेकिन फिर वही सवाल यंहा उठता है कि क्या डीएम साहब अपने कर्तव्यों का निर्वहन नही करते?

बस्ती जनपद में कई स्थानों पर निर्मल नीर योजना के तहत पाइप लाइन पानी की टंकी का निर्माण हुआ है लेकिन 3-4 वर्ष बीत जाने के बाद आज तक टंकियों से सप्लाई शुरू नही हो पाई है जिसमे पिटाउट ,गोरखर ,भिरियाँ जैसे गांवों में पानी जाना था वंही गौहनिया और पड़री में योजना की आधारशिला रखकर कार्यदायी संस्था फरार हो गई ।

सल्टौआ ब्लॉक के इंसेफेलाइटिस प्रभावित 27 ग्राम पंचायत में टीटीएसपी यानी कि छोटा पानी टंकी 2014 में लगाया गया लेकिन हमारी पड़ताल में महज सिसवारी ग्राम पंचायत का टंकी आज तक चल पाया है जबकि पूरे जनपद के सभी ब्लाकों में लगाये गए अधिकांश पानी की टंकी नही चल पाई है जिसमे रामनगर और सदर ब्लॉक में लगाये गए टँकी आज तक एक भी नही चल पाये

जनपद के सभी ग्राम पंचायतों में बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं में पुष्टाहार वितरण होने के लिए सरकार द्वारा आहार पैकेट और नगद धनराशि भेजी जाती है लेकिन एक तरफ जहां कुपोषण दूर करने वाले खाद्य सामग्री को गाय भैंस खा रहे हैं वंही 2018-19 में करोड़ो रूपये के नगद धनराशि को विभागीय मिलीभगत से चुपचाप डकार लिया गया।

पूरे देश मे स्वच्छ भारत मिशन चल रहा है वंही बस्ती में भी यह योजना चलाई जा रही है लेकिन डीएम साहब के आंखों के सामने बड़ा भ्रष्टाचार हो जाता है और डीएम साहब काले चश्मे के आड़ में सब कुछ देखकर दरकिनार कर देते हैं ऐसा मुझे लगता है।

स्पष्ट कर दूं कि जनपद के  कचेहरी चौराहा, कंपनीबाग, गांधीनगर ,दक्षिण दरवाजा, रोडवेज, रेलवे स्टेशन ,सहित समस्त नगरपालिका क्षेत्र में महिला एवं पुरुष प्रसाधन बनाये गए हैं ,सभी प्रसाधन पर नगरपालिका द्वारा करोड़ो रुपया खर्च करके प्लास्टिक का प्रसाधन लाकर जाम कर दिया गया लिहाजा एक भी प्रसाधन में आप हल्का होने के लिए मत सोचिएगा नही तो पास के ही अस्पताल में आपको भर्ती कराने के लिए ले जाना पड़ेगा यानी कि उसमे जंहा गंदगियों का भरमार है वंही दरवाजे और पानी की व्यवस्था भी नदारद है।यह डीएम साहब की आंखों के सामने भ्रष्टाचार नही है तो और क्या है।

डीएम साहब जिस रास्ते से निकल कर नेशनल हाईवे पर गाड़ी का काफिला दौड़ाते हैं उसी रास्ते पर 20 लाख रुपया खर्च करके एक पर्यटन भवन बनाया गया है लेकिन दुर्भाग्य है देश का कि ईमानदारी की राग अलापने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के आंख के सामने इतने बड़े भ्रष्टाचार को दबा दिया जाता है जिसके चलते पर्यटन भवन बस्ती जनपद के लिए कलंक बना हुआ है।

इसी तरहं ऐसी तमाम विसंगति है जो जिलाधिकारी के एक फरमान के बाद वह अपने उद्देश्य की दिशा में बदल जाएगी लेकिन बात समझ मे नही आती कि आखिर जिम्मेदार लोग कर क्या रहे हैं।

बेहतर होता कि डीएम साहब सभी विभागीय अधिकारियों से जनपद में संचालित योजनाओं की फीडबैक लेते और 5 साल बीत जाने के बाद भी योजना का उद्देश्य से बाहर होने पर जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाई करते तो हो सकता था कि उनकी छवि भी बची रहे और लोगों तक योजनाओं का लाभ भी पंहुच जाए।

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मंगलवार, 26 मार्च 2019

बीजेपी ने किया यूपी के 61 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा, बस्ती से हरीश को फिर मौका

लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की 10वीं लिस्ट जारी कर दी है बीजेपी की इस लिस्ट में  बस्ती से हरीश द्विवेदी तो मंडल के डुमरियागंज लोकसभा सीट से पुनः जगदम्बिका पाल को प्रत्याशी बनाया गया है।

लिस्ट में मनोज सिन्हा, मेनका गांधी,वरुण गांधी  वीरेंद्र सिंह ,रीता बहुगुणा जोशी सहित 39 लोगों का नाम शामिल है।

 बीजेपी की इस लिस्ट  में उत्तर प्रदेश  और पश्चिम बंगाल  के उम्मीदवारों को शामिल किया गया है. इस बार मेनका गांधी की सीट को बदलकर सुल्तानपुर से तो वहीं उनके बेटे वरुण गांधी  को पीलीभीत से टिकट दिया गया है.

रीता बहुगुणा जोशी को इलाहाबाद से मैदान में उतारा गया है. जबकि मनोज सिन्हा गाजीपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं. आज ही बीजेपी में शामिल हुईं जया प्रदा को रामपुर से आजम खां के खिलाफ मैदान में उतारा गया है. बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की जगह कानपुर से सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया है. सत्यदेव पचौरी यूपी सरकार में मंत्री हैं. बता दें कि अब तक बीजेपी ने यूपी की 61 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. अभी 17 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा बाक़ी है. वहीं, 2 सीटें अपना दल के कोटे में है. बीजेपी ने यूपी में अब तक 15 सांसदों के टिकट काटे हैं. 

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इतिहास की नजरों में 26 मार्च की प्रमुख घटनाएं

1552 : गुरू अमरदास सिखों के तीसरे गुरू बने। 

1668: इंग्लैंड ने बंबई पर अधिकार कर लिया।

 1780 : ब्रिटेन के अखबार ब्रिट गैजेट और संडे मॉनीटर पहली बार रविवार के दिन प्रकाशित हुए। 

1799 : नेपोलियन बोनापार्ट ने जापां फिलिस्तीन पर कब्जा किया। 

1812: वेनेजुएला के काराकास में भीषण भूकंप आया जिसमे 20 हजार लोगों की मौत हुई। 

1971: 26 मार्च को बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया. 26 मार्च को बांग्लादेश स्वंतत्रता दिवस मनाता है।

 1973: लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 200 साल पुराने इतिहास को तोड़ते हुए पहली बार महिलाओं की भर्ती की।

 1972 : भारत के राष्ट्रपति वी वी गिरि ने पहले अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन किया। 

1979: 30 साल से जारी युद्ध विराम के लिए इसराइल और मिस्र ने शांति समझौते पर हाथ मिलाए, यह समझौता अमेरिका द्वारा करवाया गया।

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सोमवार, 25 मार्च 2019

पहले चरण के मतदान के लिए दिग्गज नेताओं का नामांकन

लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए नामांकन का सोमवार को आखिरी दिन है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (नागपुर), कांग्रेस नेता राजबब्बर (फतेहपुर सीकरी), जनरल वीके सिंह (गाजियाबाद), हेमा मालिनी (मथुरा), चिराग पासवान (जमुई), फारूख अब्दुल्ला (श्रीनगर), नसीमुद्दीन सिद्दीकी (बिजनौर), जीतन राम मांझी, अशोक चव्हाण समेत कई बड़े चेहरे पर्चा दाखिल करेंगे. पहले चरण के तहत आंध्र प्रदेश की सभी 25, उत्तर प्रदेश की 8, महाराष्ट्र की 7, असम और उत्तराखंड की 5-5, बिहार और ओडिशा की 4-4, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर की 2-2 तथा छत्तीसगढ़, मिजोरम, सिक्कम, त्रिपुरा, मणिपुर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लद्दाख की एक-एक लोकसभा सीटों के लिए मतदान होने हैं. लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव सात चरणों में संपन्न होना है. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को 20 राज्यों की 91 सीटों पर होना है. इन संसदीय क्षेत्रों में कई जगह सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और विपक्ष ने आखिरी समय में अपने उम्मीदवारों को भी बदला है. नागपुर में नामांकन दाखिल करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी साथ दिखे.

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रविवार, 24 मार्च 2019

डीएलएड संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष बने विक्रांत

 डीएलएड संघर्ष समिति के बैनर तले संचालित डीएलएड संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश द्वारा बैठक का आयोजन किया गया जिसमें विक्रांत प्रताप सिंह को संगठन का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है ।

बैठक में प्रदेश सचिव रविन्द्र कुमार चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष कुमार चौधरी, प्रदेश महामंत्री श्याम जी वर्मा प्रदेश कार्यालय प्रभारी महेश कुमार यादव सहित दर्जनों से अधिक की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे बैठक में विक्रांत प्रताप सिंह ने कहा कि छात्र कल का नहीं अपितु आज का नागरिक है वहीं वास्तविक परिवर्तन का वाहक भावी निर्माता वा देश की शक्ति है।

बैठक में रविन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि कैंपस टू कैंपस सदस्यता अभियान चलाकर संगठन को मजबूत किया जाएगा

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सीबीआई ने किया खुलासा ,हुआ चौकीदार भर्ती घोटाला

भारतीय खाद्य निगम (FCI) में चौकीदारों की भर्ती में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. इसका राजफाश  सीबीआई(CBI) ने किया है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की ओर से की गई शिकायत के मुताबिक जिस प्राइवेट एजेंसी को सरकारी चौकीदारों की भर्ती का ठेका दिया गया, उसने अयोग्य अभ्यर्थियों को भर्ती कर लिया. सीबीआई की जांच में इसकी पुष्टि भी हो गई. जांच में यह भी पता चला कि इसी एजेंसी के जरिए कई अन्य सरकारी उपक्रमों में भी चौकीदारों की भर्ती हुई. जांच पूरी होने पर और बड़े घोटाले के खुलने की बात कही जा रही है. दिल्ली सहित और कई राज्यों में भर्ती घोटाले के खुलने की बात कही जा रही है. यह खुलासा ऐसे वक्त हुआ है, जब देश में लोकसभा चुनाव के वक्त चौकीदार और चौकीदारी जैसे शब्द पक्ष-विपक्ष के बीच मुद्दा बने हुए हैं.

दरअसल, भारतीय खाद्य निगम(एफसीआई) की ओर से दिल्ली क्षेत्र में  चौकीदारों की भर्ती के लिए एक निजी एजेंसी को  10 अप्रैल 2017 को आउटसोर्स किया गया था. इस एजेंसी का नाम है एस इंटीग्रेटेड सॉल्यूसंस लिमिटेड.कुल 53 पदों के  लिए 1.08 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे. इसमें 18 फरवरी 2018 को लिखित परीक्षा के दौरान कुल 98,771 अभ्यर्थी ही उपस्थित हुए. जिसमें तमाम अभ्यर्थी पोस्ट ग्रेजुएड डिग्रीधारी भी रहे. कुल 171 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में सफल हुए और कागजातों के सत्यापन तथा शारीरिक परीक्षण के बाद इसमें से 96 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया गया. जिसमें से 53 का चयन हुआ और 43 को वेटिंग में रख दिया गया. बाद में जब भारतीय खाद्य निगम ने अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ियां देखी तो सीबीआई को जांच करने के लिए केस भेज दिया.

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शनिवार, 23 मार्च 2019

भगत सिंह ,सुखदेव एवं राजगुरु का सपना आज भी अधूरा-राम सिंह पटेल


सरदार भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने के लिए अपना  सर्वस्व न्योछावर कर दिया, भगत सिंह एवं उनके क्रांतिकारी साथियों के जज्बे से अंग्रेज सरकार इस कदर डर गई थी कि भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को निर्धारित समय 24 मार्च 1931 एक दिन पूर्व ही फांसी पर लटका दिया,जेल अधिकारी गोपनीय तरीके से जेल की पिछली दीवार का हिस्सा तोड़कर अंधेरे में उनकी पार्थिव शरीर को बाहर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिये  यह कहना था अपना दल के प्रदेश सचिव एवं जिला पंचायत सदस्य गोंडा अभिमन्यु पटेल का जो 
महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह, राजगुरू एंव सुखदेव की 88वें शहादत दिवस पर बभनान स्थिति अपना दल के पार्टी कार्यालय पर विचार गोष्ठी कार्यक्रम में  मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।

    प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य राम सिंह पटेल ने कहा कि भगत सिंह महान क्रांतिकारी के साथ ही महान विचारक भी थे ,भगत सिंह राजनीतिक आजादी के साथ ही सामाजिक एवं आर्थिक आजादी का भी सपना देखे थे ,साम्राज्यवादी व्यवस्था को समूल नष्ट कर मानववादी व्यवस्था स्थापित करना उनका ध्येय था। उनका मानना था कि क्रांति बम और पिस्तौल से नहीं बल्कि अच्छे बिचारो से आती है,पर अफसोस है कि आजादी के 71 वर्ष बीत जाने के बाद भी उनका सपना अधूरा है।

कार्यक्रम का संचालन मस्त राम पटेल ने किया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष रामकुमार पटेल ने किया।

इस अवसर पर राजमणि पटेल, राम बहाल चौधरी,मोहरत अली, इसहाक अली ,संतराम पटेल, अतुल पटेल ,अरबिन्द सोनकर,श्याम सुंदर यादव ,प्रमोद कुमार पाल, शिव कुमार मौर्य, भागीरथी पटेल ,रमेश चंद गिरी, अकबाल ,जगराम गौड़, राहुल चौधरी ,मंसाराम वर्मा आदि मौजूद रहे ।
             

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अज्ञानता की चपेट में भारत की एक बड़ी आबादी, बेबुनियाद मुद्दे पर कर रही बहँस

विश्वपति वर्मा―
राष्ट्रीय एकता के स्थान पर प्रांतवाद ,भाषावाद, जातिवाद संप्रदायवाद और लिंगवाद के दर्शन होते हैं ।ऐसी स्थिति में देश में बिखराव की भावना बल पकड़ रही है ।

विभिन्न भाषा-भाषी यूरोप ने जिसमे अनेक राष्ट्र हैं एक लिप अपना ली है। लेकिन एक राष्ट्र भारत आज तक ऐसा नहीं कर पाया।  भारत में ना कोई राष्ट्रीय भाषा भारत के शासक ला सके और ना ही एक लिपि सारे भारत में प्रचलित की गई ।

जब एकता का प्रयास ही नहीं हुआ तो राष्ट्रीयता  कहां पनपेगी ।सारे राष्ट्र को एक  सूत्र में बांधने वाले तत्वों के अभाव में एकता नहीं हो सकती और बिना एकता की समता नहीं आ सकती तो वंही बिना समता के राष्ट्रीयता लाना अंधे को गुब्बारा दिखाना है।

आज सारी शिक्षा विषमता और बिखराव पैदा करने वाली है। उत्तर के लोग राम का गुणगान करें और दक्षिण के रावण की तो  राम और रावण की पढ़ाई किस राष्ट्रीयता को जन्म देगी । अच्छा हो कि इन कल्पित पात्रों की पढ़ाई बंद कर के वैज्ञानिक चिंतन का विकास किया जाए जिसमें लोग चमत्कार की के इच्छुक न रहकर सच्चाई और वास्तविकता के खोजी हों।

क्योंकि पिछले कई वर्षों से फेसबुक और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में देखने को मिल रहा है कि भारत की एक बड़ी आबादी बेबुनियाद मुद्दे पर बहँस करना पंसद करती है ,करे भी क्यों न जब उसके पास ज्ञान का कोई भंडार ही नही है तब वह राजनीतिक दलों द्वारा बोए जा रहे फर्जी राष्ट्रवाद के बीज में विकास के अंकुरित होने का सपना देख रहे हैं जो कभी संभव ही नही है।

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शुक्रवार, 22 मार्च 2019

"हैप्पी होम में मनाई गयी सद्भावना होली

 बदलाव संस्था द्वारा भिक्षावृत्त्ति से जुड़े लोगों को पुनर्वासित करके समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु  संचालित "हैप्पी होम (देखभाल, संरक्षण एवं पुनर्वास)" केंद्र  पर सद्भावना होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

सद्भावना होली मिलन कार्यक्रम में समाज मे व्याप्त चिन्हांकित बारह सामाजिक बुराईयों  पर्यावरणीय प्रदूषण, भिक्षावृत्त्ति, गैरबराबरी, बेरोजगारी, महिला हिंसा, बेहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, गंदगी, नशा, अशिक्षा,बाल भिक्षावृत्त्ति, अन्याय, सम्प्रदायिकता एव नफरत का सांकेतिक दहन भी शाम 7 बजे दहन किया गया।इन चिन्हांकित बारह समस्याओं के उन्मूलन हेतु एक-एक माह का पूरे वर्ष  विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रयास किया जाएगा।

कार्यक्रम के बारे में संचालन कर रहे कार्यकर्ता दिवाकर सिंह ने विस्तृत बात रखी , फिर सर्वधर्म समभाव प्रार्थना के माध्यम से कार्यक्रम की शुरुआत की गई।इसके बाद सेवार्थी रामू ने कुमाऊँ गीत प्रस्तुत किया, सेवार्थी शिवराम मिश्रा, नरेंद्र देव यादव, श्रवण सिंह जी ने अपने बदलाव की कहानी सुनाई ,कार्यकर्ता निर्ज़ेश गौतम ने सद्भावना विषय पर विस्तृत चर्चा की ,कार्यकर्ता मो अख्तरुल इस्लाम जी ने जाति, धर्म के आधार पर व्याप्त भेदभाव ,गिले शिकवे को मिटाकर आपस मे प्रेम, मोहब्बत, भाईचारा का रंग जन जन में लाने की अपील की।कार्यकर्ता राम जी वर्मा ने होली के महत्व पर विस्तृत बात रखी,और समाज मे व्याप्त बुराइयों को दहन कर नए समाज के निर्माण की अपील की।

बदलाव संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने  साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज समाज मे व्याप्त होलिका रूपी बारह सामाजिक बुराईयों को दहन कर अच्छाई की जीत होगी, वर्तमान समय मे जब नफरत, गैरबराबरी की खायीं बढ़ रही हो उस समय सद्भावना होली मिलन जैसे कार्यक्रमों का महत्व बढ़ जाता है।यह देश गांधी का देश है और गांधी के सपनों को पूरा  उनके बताए गए रास्ते पर चलकर व भारतीय संविधान के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है।समाज मे नफरत फैलाने वालों को पहचानने व उन्हें संविधान के प्रति संवेदनशील बनाकर ही किया जा सकता है, क्योंकि भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक समानता ,स्वतंत्रता, न्याय  भाईचारा का पैगाम देता है।सामाजिक कार्यकर्ता श्री दीपक माथुर जी ने कहा कि यह देश गांधी ,अम्बेडकर, ऋषियों, मुनियों का है यह धरती गंगा जमुनयी तहजीब की है यहां नफरत, भेदभाव, गैरबराबरी को समाप्त कर ,प्रेम मोहब्बत भाईचारे के द्वारा ही समानता व शांति की स्थापना की जा सकती है।डॉ कीर्ती विक्रम सिंह जी सहायक निदेशक इग्नू लखनऊ ने सामाजिक गीत प्रस्तुत करके सद्भावना का संदेश दिया।डॉ मनोरमा सिंह जी निदेशिका इग्नू लखनऊ ने कहा कि सेवार्थियों में इतने कम समय मे आया इतना बड़ा सकारात्मक परिवर्तन वास्तव में एक बड़े परिवर्तन को संकेत देता है ।

डॉ राकेश वर्मा वरिष्ठ पी०सी०एस० अधिकारी ने साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि समाज के अंतिम व्यक्तियों में इस प्रकार की सोच का जो बदलाव आया है वह बहुत ही काबिले तारीफ है,और जब इन साथियों द्वारा सद्भावना का जो संदेश दिया जा रहा यह संदेश अवश्य समाज मे सद्भावना स्थापित करेगा। इन साथियों ने लोगों में पूर्वाग्रहों को भी तोड़ने का कार्य किया है।डॉ संदीप पांडेय (रेमन मैग्सेसे अवार्डी ,संरक्षक बदलाव)ने अध्यक्षीय संबोधन देते हुए कहा कि आज साथियों में जो बदलाव दिखरहा है वह काबिले तारीफ है ,क्योंकि जब इन साथियों में इतना बड़ा बदलाव आया है तो यह संकेत देता है कि आने वाले समय मे जन जन में सद्भावना व भाईचारे का रंग अवश्य भरेगा।

सेवार्थी प्रकाश ने सामाजिक क्रांतिकारी गीत के माध्यम से सभी लोगों को समाज के बारे में सोंचने को मजबूर किया।
महेंद्र प्रताप समन्वयक भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान के सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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बुधवार, 20 मार्च 2019

चाय और चौकीदारी का नाम लेकर जनता को गुमराह करना बंद करें पीएम मोदी

विश्वपति वर्मा―

भारत की सरकारों द्वारा देश के नागरिकों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सुधार करने की आवश्यकता है ,आज देश की बहुसंख्यक आबादी उचित शिक्षा पाने से वंचित है जिसका परिणाम है कि देश में भ्रष्टाचार व्यापक पैमाने पर बढ़ा है कम पढ़े लिखे लोग सरकारी दफ्तरों में शोषण का शिकार हो जाते हैं अक्सर उन्हें छोटे-मोटे कामों के लिए सरकारी कर्मचारियों को घूस देना पड़ता है देखने को मिला है कि जागरूक तबके के लोग उसका विरोध करते हैं और अपना काम लीगल तरीके पर करवाने के लिए लड़ाई भी लड़ते हैं ।

लेकिन ऐसा क्या है कि देश के नागरिकों के लिए सम्मान स्वाभिमान की बात करने वाली सरकारों में आज तक कूवत नहीं पैदा हो पाया कि गरीब आदमी के लिए वह खास नागरिकों के सामान व्यवस्था देने के लिए उत्साहित हो।

वर्तमान की मोदी सरकार गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने के लिए आम चुनाव 2014 में वादा कर  सत्ता में आने में कामयाब हुई थी लेकिन पता नहीं कौन सा नजर सरकार को लग गया कि गरीबी ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार को हटाने की  जगह यह सब कुछ बढ़ गया है।

ऐसी स्थिति में देश के प्रबुद्ध वर्ग को देश की वर्तमान व्यवस्था को समझने की जरूरत है साथ ही बदहाल व्यवस्था को देखते हुए उसके खात्मे के लिए अपने विचारों का प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ सरकार से शिक्षा की सुधार वाली  नीति लागू करने की मांग करने की जरूरत है ।

यदि ऐसा कुछ नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में भारत एक मानसिक गुलामी वाला देश होगा जहां गरीबों की संख्या ज्यादा होगी ,जहां पर भ्रष्टाचार ज्यादा होगा जहां पर अशिक्षितों की संख्या बढ़ेगी ,जहां पर बेरोजगारों की संख्या बढ़ेगी और फिर देश के नेता लोग भारत को विश्व गुरु के श्रेणी में लाने की बात करेंगे जो केवल और केवल वैश्विक स्तर पर भारत को हंसी के पात्र बनने जैसा होगा।

इसके लिए जरूरत यह है कि देश के प्रधानमंत्री चाय और चौकीदारी पर देश को न चलाएं  संवैधानिक पद पर बैठे होने के कारण उन्हें इसकी गरिमा का ध्यान रखते हुए वास्तविक रूप से वंचित आबादी को मूलधारा में लाने के लिए काम करने की जरूरत है।अब जरूरत यह है कि चाय और चौकीदारी का नाम लेकर पीएम मोदी जनता को गुमराह करना बंद कर सर्वश्रेष्ठ शासक के तौर पर काम करें जो अभी तक नही हुआ।

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पीएम मोदी की चौकीदारी के बाद हार्दिक का बेरोजगार कैम्पेन

विश्वपति वर्मा―

मैं भी चौकीदार कैम्पेन  सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर पीएम मोदी,योगी आदित्यनाथ, अमित शाह, समेत कई बीजेपी नेताओं ने अपने नाम के आगे चौकीदार शब्द जोड़ दिया। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा बढ़ने के बाद वहीं गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पीएम मोदी के इस कैम्पेन पर निशाना साध रहे हैं। चौकीदार के जवाब में उन्होंंने ट्विटर पर अपने नाम के आगे बेराजगार लिख लिया है। अब उनका नाम बेरोजगार हार्दिक पटेल हो गया है। ट्विटर यूजर्स के बीच हार्दिक पटेल की इस मुहिम की काफी चर्चा हो रही है।बता दें कि  राफेल सौदे में घोटाले के आरोप और विजय माल्या के देश छोड़ने को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि चौकीदार ही चोर है जब सोशल साइट्स पर इस शब्द का प्रयोग बढ़ गया तब पीएम मोदी ने इसका तोड़ देते हुए कहा कि देश का हर नागरिक चौकीदार है ,बता दें कि पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से "मैं भी चौकीदार" की शुरुआत की है

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मंगलवार, 19 मार्च 2019

बस्ती-सोनहा थाना क्षेत्र में पुलिस और एसएसबी ने किया फ्लैग मार्च

विश्वपति वर्मा(सौरभ)–

लोकसभा चुनाव और होली के त्योहार के मद्देनजर  पुलिस और सुरक्षा बल के जवान जगह-जगह फ्लैग मार्च निकाल कर अपने शक्ति का प्रदर्शन कर अराजकतत्वों को सजग रहने का संदेश दे रहे हैं साथ ही क्षेत्र के नागरिकों को सुरक्षा भी सुनिश्चित करा रहे हैं।

इसी क्रम में क्षेत्र में सुरक्षा और शांति व्यवस्था को कायम रखने के लिए आज  सोनहा पुलिस और शस्त्र सीमा बल(SSB) के जवानों ने  क्षेत्राधिकारी के अगुवाई में थाना क्षेत्र के सोनहा ,भानपुर,
नरखोरिया ,असनहरा,रामपुर मुड़री,भिरियाँ, रामनगर ,सल्टौआ, रेंगी सहित कई दर्जन स्थानों पर पंहुच कर आम जनमानस एवं प्रबुद्ध वर्ग से सीधा संवाद किया ।

अमरौली शुमाली के रामनगर चौराहे पर पंहुच कर सीओ रुधौली शिवप्रताप सिंह ने स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की साथ ही लोगों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस 24 घण्टे नागरिकों के लिए मुस्तैद है होली और चुनावी माहौल में किसी व्यक्ति द्वारा अराजकता न फैलाई जाए क्योंकि हमारी पुलिस बल हर जगह सक्रिय है जंहा दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा ।

प्रभारी निरीक्षक सोनहा शिवाकांत मिश्रा ने स्थानीय लोगों से कहा कि किसी भी मौके पर किसी तरहं का उन्माद न फैल पाए इस लिए लोग चौराहे पर राजनीतिक एवं धार्मिक गुटबाजी न करें तथा लोग रात्रि होने से पहले अपने घर पंहुच जाएं ताकि किसी प्रकार का कोई अप्रिय घटना न घटे ,प्रभारी निरीक्षक ने लोगों में विजिटिंग कार्ड भी बांटे और कहा कि इसमे मोबाइल एवं व्हाट्सएप नम्बर दर्ज है यदि किसी प्रकार की कोई भी जरूरत पुलिस की लगे तो वें तुरंत संपर्क करें।फ्लैग मार्च में क्षेत्राधिकारी, प्रभारी निरीक्षक ,हेड कांस्टेबल , कांस्टेबल एवं महिला कांस्टेबल सहित पुलिस के 60 जवान एवं SSB के 20 जवान शामिल थे।

इस मौके ग्राम प्रधान विजय प्रकाश वर्मा, ज्योति प्रकाश वर्मा,राजेश यादव ,राजमंगल वर्मा, राकेश पटेल, रमाकांत, रामकेवल यादव ,राज प्रकाश वर्मा ,सोनू वर्मा,महेन्द्र, संजय चौधरी, हरिराम सहित सैकड़ो लोग मौजूद रहे।



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रविवार, 17 मार्च 2019

सोनहा पुलिस ने जिला बदर अपराधी को किया गिरफ्तार


सोनहा पुलिस ने आज एक जिला बदर अपराधी को गिरफ्तार किया है जिसके खिलाफ स्थानीय थाने में आधा दर्जन से अधिक मुकदमा दर्ज है । प्रभारी निरीक्षक सोनहा शिवाकांत मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना क्षेत्र के जमोहना निवासी सरोज पुत्र रामसरन को सुबह उसके घर से गिरफ्तार किया गया है, प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि उक्त जिला बदर अपराधी का सोनहा थाने में पशु क्रूरता, यूपी गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, सहित आधा दर्जन से अधिक मामलों में मुकदमा दर्ज है जिसको आज उसके घर से गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।

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गरीबी, बेरोजगारी भ्रष्टाचार खत्म करने वाले दावे का क्या हुआ

विश्वपति वर्मा―
माना कि देश में गरीबी खत्म हो गई है देश में बेरोजगारी खत्म हो गई है ,देश में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है , क्योंकि आम चुनाव 2019 में फिर एक बार सत्ता हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी अपने इन्ही कार्यों का बखान कर रही है लेकिन हमें कोई तो बताए कि देश में गरीबी ,बेरोजगारी और भ्रष्टाचार कहां खत्म हुआ है ?

2014 में सत्ता में आने वाली भारतीय जनता पार्टी चुनावी मैदान में  जगह-जगह वादों की बौछार करते हुए चल रही थी  कि देश में गरीबी, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार खत्म होगा लेकिन 5 साल के कार्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार में देश के किसी भी हिस्से में किसी प्रकार का व्यापक बदलाव उपरोक्त क्षेत्रों में नहीं हुआ है ।


आखिर जनता का क्या दोष है जो बदहाल स्थिति में पहले थे और आज भी उसी स्थिति में जीने के लिए मजबूर है क्या सबका साथ और सबका विकास के नाम पर किये जाने  वाले दावे झूठे हैं।

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शनिवार, 16 मार्च 2019

काश! मैं होता सांसद

(हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक)

       काश! मैं होता सांसद यह प्रश्न बार-बार मेरे जेहन में कौंधकर रहा है कि मुझे अब सांसद बनने जनता की अदालत में जाना चाहिए। इसलिए की मेरे सांसद ने मुझे, क्षेत्र और मूल्क को धोखा देकर विकास व समृद्धि को रोका है। यहां तक कि झोली में आई सांसद निधी मुंह दिखाई के नाम पर रेवड़ियों की तरह बांटी गई वह भी आधी-अधूरी। भेड़चाल इनकी मौजूदगी के कोई मयाने नहीं रहे, रवानगी ही समय की मांग और आवश्यकता है। विपद ये ज्यादा देर टीके रहे तो बचा-कचा भी बेड़ागर्ग हो जाएगा। दुर्भाग्यवश! असलियत कहें या हकीकत अधिकतर सांसदों के आलम यही है। बतौर इनके प्रति बढ़ता जनाक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है मद्देनजर नकारों को नकारने मुस्तैदी से बदलाव की बयार लाना ही एकमेव विकल्प है।

       संकल्प, जरूरत पड़ी तो लोकशाही के मैदान में उतरना भी पड़े तो जिम्मेदारी से मुंह नहीं फेरेंगे बल्कि जमकर मुकाबला करेंगे। महासमर में मैं कमर कसकर  खड़ा हूँ, क्यां आप भी तैयार है। याद रहें बागडोर अपने कांधों में लेकर ही व्यवस्था सुधारी जा सकती है। मत और ज्ञान दान से ही नहीं, उसका दौर खत्म सा होते चला। यथा बिना वक्त गवाये संसद का रास्ता अख्तियार करने जुट जाए। भागीदारी मूलक हम सांसद का मूलाधार प्राचीन, विशाल और जनतांत्रिक संसदीय प्रणाली को अक्षुण्ण रखने में मददगार साबित होगा।

       बहरहाल चलिए, बधाई हो 16 वीं लोकसभा का पूर्ण कालिन पंचवर्षीय कार्यकाल बे-रोकटोक समाप्त हुआ। अब कुछ ही दिनों में 17 वीं लोकसभा के लिए हमें फिर से मतदान करना होगा। वह भी सौ टका, तब जाकर एक मनवांछित बहुमती सरकार जनता की पहरेदार बनेगी। अन्यथा मतलबी अयारों की बैसाखी पर बैठी अल्पमति सरकार के दुखड़े जनआकांक्षाओं के टुकड़े-टुकड़े करके छोड़ेंगी। जैसा हम कई मर्तबा देखते और भोगते आए है, विभीषिका विकसीत भारत का सपना आज भी अधूरा ही है।  शुक्र है निवृतमान में ऐसा नहीं हुआ फलीभूत जनमत सलामत रहा।

     मतलब, स्पष्टतौर पर कहा जा सकता है कि वतन की तरक्की में स्थाई सरकारों की खासी दरकार है। जिसमें हमारे सांसदों की विशेष भूमिका रही है लेकिन इनमें से बहुतों ने इसे अदा करने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। नाफरमानी पदलोलुप्ता व सत्ता-सुख की लालसा में अपने स्वार्थ को साधा जिसकी सजा आमजन को मिली। लिहाजा ऐसे नुमांईदों से बचाव ही एक रास्ता है, राहबर आगामी लोकसभा में ऐसे सांसदों का चुनाव करे जो अपने लिए कम देश के बारे में अधिक सोचे। ताकि देश में और एक बार स्थिर सरकार सफलता के झंडे गाड़े क्योंकि ढूलमूल गठबंधन में बे-मेल, दलों का दलदल रसातल के सिवाय और कुछ नहीं है।

      सचेत इसके वास्ते हमें बढ़ी सजगता से सदन में सांसद भेजने की जिम्मेवारी मन से निभानी पड़ेगी। रवैया पवित्र संसद को नीर-क्षीर बनाकर गुलेगुलजार करेगा। महफूज मुश्किलों के दौर में निष्ठी सांसद कहां से ढूंढेंगे या चुनेंगे ये बहुत बड़ी चुनौती बनेगी। रवायत दर्द का मर्ज हमारे हाथ में है जरूरत है तो इस्तमाल करने की। वह हर हाल में अब करना ही होगा वरना हमारी विशाल राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था को नेस्तनाबूत होते देर नहीं लगेगी। अफसोस जनक हालातों से वाकिफ सांसद जिम्मेदारी लेने के बजाए बढ़ावा देने पर तुले हुए है।

      अलबत्ता निष्क्रिय, ठगियों को बॉय-बॉय और सक्रिय, उपयोगियों को हाय-हाय करने की बारी अब हमारी है। नहीं करेंगे तो समझिए आने वाली पुश्तें हमें कदापि माफी नहीं करेंगी । बेहतरतीब, बेलगाम व्यवस्था और दुशवारियों के कारक हमीं बने रहेंगे। मिथक को तोड़ते हुए मनपसंद की जगह हर पसंद के सांसद को नुमाईंदगी का मौका मिले येही देश के खातिर हितकारी होगा। आखिर संसद में सांसद देश का भविष्य लिखते है उन पर पैनी नजर रखना हम सबका नैतिक कर्तव्य व दायित्व है। अमलीजामा खुले-सच्चे मन से निरीही और निस्पृही सांसद बनकर या बनाकर काश! मैं होता सांसद आत्मोन्नति की मनोवृति परिवर्तित होकर सांसद-सांसद का घनघोर गुंजार करेंगी। बेहतर बे-पटरी होते जनतांत्रिक आधार स्तंभ चुस्त-दुरूस्त होने लगेंगे। यथेष्ठ एक राष्ट्र, श्रेष्ट्र राष्ट्र सदा सर्वदा बना रहेगा।

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क्या है आयुष्मान भारत योजना ,इस तरहं से हर परिवार को मिलेगा इसका लाभ

आयुष्मान भारत एक महत्वाकांक्षी योजना है इसे दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम के तौर पर पेश किया जा रहा है. सरकार के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना से करीब 50 करोड़ भारतीय लाभान्वित होंगे. 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 445 जिले के लोगों को योजना का लाभ मिलेगा. दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना इस योजना को अपने यहां लागू नहीं कर रहे हैं।

क्या है आयुष्मान भारत योजना 
आयुष्मान भारत योजना का लक्ष्य खासकर निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगे मेडिकल बिल से निजात दिलाना है. इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है. नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों के ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों के 2.33 परिवारों को शामिल किया गया है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दी जाएगी और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे. अनुमान के मुताबकि इस योजना के तहत अब देश के करीब 10 हजार अस्पतालों में ढाई लाख से ज्यादा बेड गरीबों के लिए रिजर्व हो जाएंगे.

योजना में कौन शामिल है, ऐसे करें पता  
योजना में आप शामिल हैं या नहीं, यह पता करना बहुत आसान है. सबसे पहले आयुष्मान भारत की वेबसाइट https://mera.pmjay.gov.in खोलें. यहां अापको अपना मोबाइल नंबर डालना होगा. उसके बाद एक ओटीपी आएगा. इस अोटीपी को वेबसाइट पर डालकर वेरीफाई करने के बाद एक पेज खुल जाएगा. जहां आप देख सकते हैं कि योजना में शामिल हैं या नहीं.


अगर वेबसाइट पर नाम नहीं है तो...
अगर आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) की वेबसाइट पर आपका नाम नहीं दिख रहा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसी वेबसाइट पर SICC (सोशल इकोनॉमिक कास्ट सेंसस) का लिंक है. इस लिंक पर जाकर आपको अपना नाम, पता, पिता का नाम और राज्य आदि जैसे ब्योरे डालने होंगे. इसके बाद डिटेल खुल जाएगी. 

आयुष्मान मित्र से करें संपर्क  
वेबसाइट पर आपका नाम नहीं है तो नजदीकी सरकारी या योजना में शामिल निजी अस्पताल से संपर्क कर सकते हैं. यहां आपकी मदद के लिए सरकार ने आयुष्मान मित्र/आरोग्य मित्र तैनात किये हैं. उनसे योजना से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी ली जा सकती है.
अस्पताल में ऐसे ले सकते हैं सुविधा का लाभ 
अगर आप योजना में शामिल हैं और इसका लाभ लेना चाहते हैं यह बहुत आसान है. आपको योजना में शामिल अस्पताल के आयुष्मान मित्र या आयुष्मान मित्र हेल्प डेस्क से संपर्क करना होगा. वहां आपको पहचान पत्र जैसे दस्तावेज दिखाने होंगे. इसके लिए आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड की जरूरत पड़ेगी. ध्यान रहे आधार कार्ड की कोई अनिवार्यता नहीं है. इलाज के लिए आपको एक पैसे भी नहीं देना होगा. 

इन बीमारियों का करा सकते हैं इलाज 
आयुष्मान योजना में शामिल करीब दस हजार अस्पतालों में 13 सौ से ज्यादा बीमारियों और इससे संबंधित पैकेज को इलाज में शामिल किया गया है. जिसमें कैंसर की सर्जरी, हार्ट की बाइपास सर्जरी, आंख-दांत का ऑपरेशन, सीटी स्कैन, एमआरआई जैसी तमाम चीजें शामिल हैं. सरकार लोगों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है. आप 14555 पर फोन कर योजना से जुड़ी कोई भी जानकारी, सलाह या सुझाव ले सकते हैं.

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बुधवार, 13 मार्च 2019

स्मिता सिंह के तबादले के बाद बस्ती में एनआरएचएम संघ की नई कार्यकारिणी का गठन

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ की जिला रहीं स्मिता सिंह का तबादला होने से जिले में नई कार्यकारिणी का गठन किया गया है जिसमे नए जिला अध्यक्ष का चयन किया गया है।

 शक्ति मैरेज हाल के सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ की बैठक की गई। जिसमें पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ स्मिता सिंह के बस्ती जनपद से बाराबंकी स्थानांतरण होने के कारण नई जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें सर्वसम्मति से डॉ गिरिजेश कुमार आर्य को जिला अध्यक्ष चुना गया। डॉ नीरज त्रिपाठी को महामंत्री एवं अन्य पदों का भी गठन किया गया। डॉ अनिल श्रीवास्तव एवं डॉ प्रदीप शुक्ला को संगठन का संरक्षक नियुक्त किया गया। जिला अध्यक्ष डॉ गिरिजेश कुमार आर्य की अध्यक्षता में एनoआर०एचo एमo कर्मियों की समस्याओं की चर्चा की गई एवं उसका निस्तारण कैसे हो इसकी भी चर्चा हुई।

       इस मौके पर डॉ अजय कुमार, डॉ अमित पांडेय, डॉ प्रवीण, डॉ मासूमा खातून, डॉ अजय शुक्ला, डॉ संजय श्रीवास्तव, डॉ संगीता, डॉ विकास, डॉ विनोद, डॉ विवेकानंद, अमित कुमार, संतोष साहनी, कमल गौतम, आलोक वर्मा, विवेक यादव, बदरे आलम, दीप्ती सिंह, सुनीता, महेश श्रीवास्तव, डॉ पूनम दुबे, डॉ अनीता, विनोद कुमार, फिरोज अहमद, जटाशंकर त्रिपाठी, अनुज सिंह, सरिता आदि लोग मौजूद रहे।

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मंगलवार, 12 मार्च 2019

झूठ की बुनियाद पर खड़ी है मोदी सरकार , रिपोर्ट देखने के बाद आप भी चौकेंगे

चुनाव नजदीक आ गया है अब नेता लोग देश को विकास की तरफ ले जाने के लिए अपने अपने दावे और वादे जनता के सामने करेंगे।

लेकिन मैं आपको भारत सरकार द्वारा बोले जा रहे एक बड़े झूठ की तरफ ले चलता हूँ जंहा पर सरकार बिना काम किये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वाहवाही बटोर रही है।

यह हम सबको पता है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश मे शौचालय बनने का कार्य बहुत जोरों से चल रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि शौचालय बनाने की प्रगति का धरातलीय रिपोर्ट क्या है?शायद नही

आप अपने गांव के आस पास के घरों में जाइये और पता कीजिये कि कितने प्रतिशत घरों में शौचालय बने हुए हैं ,जब आप जाएंगे तब असलियत पता चल जाएगी ।

लेकिन शौचालय की स्थिति पर सरकारी रिपोर्ट क्या कहती है मैं आपको यह बता देता हूँ ।

स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के अनुसार देश के 98.9 फीसदी घरों में शौचालय बन गए हैं ,सरकार की अधिकृति वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि वर्ष 2014 में 38.7 फीसदी घरों में शौचालय था वंही 2018-19 में 98.9 फीसदी घर शौचालय युक्त हो गए हैं।

यह जानकारी मिलने के बाद लगता है कि इस दौरान काम करने वाली सरकार पूरी की पूरी झूठ की बुनियाद पर खड़ी है।

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सोमवार, 11 मार्च 2019

आखिर मुद्दे पर बात क्यों नही करती भारत की जनता

विश्वपति वर्मा―

भ्रष्टाचार, गरीबी ,बेरोजगारी का हवाला देकर सत्ता में आने वाली सबका साथ सबका विकास वाली सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया ,लगभग पांच साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने वैश्विक स्तर पर काफी लोकप्रियता हासिल की ,घरेलू गैस ,राशन के कालाबाजारी को नियंत्रण करने में सरकार काफी सफल हुई है। फिलहाल इसके अलावां कोई महत्वाकांक्षी योजना जनता के हित मे दिखाई नही दी ,सरकार ने राशन और घरेलू गैस में होने वाली कालाबाजारी रोकने में जंहा नियंत्रण किया है वंही उसने अपने इस योजना से कई हजार करोड़ रुपये को बचाया भी है।

लेकिन जंहा तक मैंने अध्ययन किया वँहा मुझे देखने को मिला कि अंतिम पंक्ति में खड़ा व्यक्ति आज भी उसी लाइन में खड़ा है जंहा से उसने अपने बदलाव के लिए एक बड़ी पार्टी को सत्ता से बाहर कर उम्मीदों के आईने में नई सरकार का गठन किया था।

अब जनता का क्या दोष है कि जिसने देश और व्यक्तिगत विकास के नाम पर भारतीय जनता पार्टी को वोट देकर उसे पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए चुना था।

आज देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली एक बड़ी आबादी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण योजना से वंचित है ,देखा जाए तो पढ़े लिखे लोग केवल साक्षर होकर स्कूलों से निकल रहे हैं आज के दौर में उन्हें शिक्षित कहना देश को
शर्मिन्दा करना जैसे होगा ।

निम्न आय का व्यक्ति जंहा बैंकों में दो 4 हजार रुपया जमा कर अपने आप को मजबूत मानता था आज बैंकों द्वारा काटी जा रही बेहिसाब कटौती के कारण उसके पैंसे में सेंध लग रहा है ,देखने को मिल रहा है कि साल भर में बैंक सुविधा चार्ज के नाम पर खाताधारकों के मेहनत से कमाई गई रकम में हिस्सा बांट रहे हैं।

कुपोषण खत्म करने के नाम पर देश मे कई प्रकार की योजनाओं को केंद्रीय बजट और विश्वबैंक के मदद से चलाया गया लेकिन स्थानीय जिम्मदारों के चलते आज तक योजना उद्देश्य के प्रति नही पंहुच पाई जिसका परिणाम है कि आज भारत मे 19 करोड़ लोग जंहा कुपोषण के शिकार हैं वंही 46 फीसदी महिलाएं खून की कमी की वजह से 35 वर्ष की उम्र के अंदर कंकाल की तरहं दिखाई दे रही हैं।

अब सवाल यह है कि आखिर भारत की जनता मुद्दे पर बात क्यों नही करती ,क्या वह भेड़ बकरियों की तरहं भीड़ का हिस्सा बनकर रहना पसंद करती है या फिर अपने आजीविका में वृद्धि के लिए मूल समस्याओं को चिन्हित कर सरकार से उसपर समाधान की मांग करेगी।




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रविवार, 10 मार्च 2019

7 चरणों मे होंगे चुनाव 11 अप्रैल को पहला चरण 23 मई को नतीजा

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है. 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे और 23 मई को नतीजे आएंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव तिथियों की घोषणा करते हुए कहा कि सभी एजेंसियों से राय ली. चुनाव खर्चे पर विशेष निगरानी रखी जाएगी. त्‍योहारों का ध्‍यान रखा गया. उन्होंने कहा कि इस बार चुनाव में 90 करोड़ लोग वोट डालेंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हम चुनाव के लिए काफी पहले से ही तैयारी कर रहे थे. सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव आयुक्त से बात की. उन्हें तैयारी करने के लिए कह दिया गया था. लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन भी जांची गई. यह सब करने के बाद ही आज हम चुनाव की घोषणा करने की स्थित में हैं.

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चकबंदी लेखपाल की तृटिपूर्ण भर्ती पर रोक लगाना सही कदम-राम सिंह पटेल


अपना दल की बैठक रविवार को हलुआ स्थित पार्टी कार्यालय पर जिला उपाध्यक्ष राम कुमार पटेल की अध्यक्षता में हुई।बैठक में प्रदेश सरकार द्वारा चकबंदी लेखपाल पद हेतु त्रुटि पूर्ण विज्ञापन पर रोक लगाए जाने पर  प्रसन्नता व्यक्त की गई।

        बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य राम सिंह पटेल ने कहा कि पिछले दिनों प्रदेश सरकार द्वारा चकबंदी लेखपाल पद हेतु विज्ञापन निकाला गया था,जिसमें पिछड़े वर्ग के लिए कोई पद ना होने से नौकरी की तलाश में जुटे युवाओं में गहरी निराशा थी,प्रकरण को जब अपना दल की नेता व केन्द्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने सरकार को युवाओं की चिंता से अवगत कराया तो सरकार ने गम्भीरता पूर्वक विचार करते हुए विज्ञापन पर तत्काल रोक लगाते हुए भर्ती प्रक्रिया की जांच कराने का निर्णय लिया है, बात रोस्टर प्रणाली की हो या पिछड़ा वर्ग आयोग संवैधानिक दर्जा दिलाने की हो या फिर SC/ST एक्ट की हो जब भी हमारी नेता ने पिछड़ो-दलितों की चिंता को सरकार के सामने रखा, सरकार ने गम्भीरता पूर्वक विचार करते हुए उस पर ऐतिहासिक निर्णय लिया है, इस कार्य से एनडीए सरकार की विश्वसनियता सर्व समाज में बढ़ी है तथा "सबका साथ सबका विकास का नारा" चरितार्थ हुआ है।

      बैठक का संचालन अरविंद कुमार सोनकर ने किया।
    इस अवसर पर राजमणि पटेल, मस्त राम पटेल, सुभाष चंद चौधरी, केशव प्रसाद वर्मा, राधे श्याम शर्मा, श्यामसुंदर बौद्ध, राम जी वर्मा संजय संजय चौधरी राम सरन वर्मा,मनसा राम,राहुल, श्याम सुंदर यादव, प्रमोद पाल, अकबाल, राम सरन निषाद आदि मौजूद रहे।
         

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बदलाव संस्था से बदल रहा लखनऊ ,सरकार को ध्यान देने की जरूरत

 बदलाव संस्था द्वारा संचालित भिक्षाव्रत्ती से जुड़े साथियों को पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु पुनर्वास केंद्र  “हैप्पी होम” लक्ष्मण मेला मैदान के कार्यकर्ताओं एव सेवार्थियों द्वारा श्रम दान “प्रत्येक रविवार सामुदायिक कार्य” के अंतर्गत लगातार  पांचवे रविवार को पर्यावण संरक्षण हेतु लक्ष्मण मेला मैदान छठ पूजा घाट पर गोमती नदी की सफाई की गयी।

गोमती नदी की सफाई का कार्यक्रम सुबह 09:00 बजे से शुरू होकर 11:00 बजे तक चला, गोमती नदी से लगभग 10-12 कुंतल  हरी घास, प्लास्टिक, कांच, कचड़ा पूजन सामग्री आदि निकाला गया।

इस अवसर पर संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि छठ पूजा घाट की पिछले चार रविवारों से सफाई कर रहे हैं,लेकिन सात दिनों में फिर लगभग उतना ही कचड़ा आ जाता है।गोमती नदी के जल को प्रदूषित करने का मुख्य कारण गंदे नालों का गोमती नदी में गिरना है। जब तक गोमती नदी में प्रशासन गंदे नाले गिरने बन्द नही करेगी ,तब तक गोमती नदी को प्रदूषण मुक्त  बना पाना असंभव है , तथा गोमती नदी को निर्मल व अविरल बनाने हेतु गंदे नालों के प्रदूषित जल को गोमती नदी में गिरने से रोकने के लिए स्थाई हल निकालना होगा।आज पांचवे रविवार को बाल भिक्षावृत्त्ति व गैरबराबरी तथा इससे पहले चतुर्थ रविवार को बेरोजगारी व महिला हिंसा, तृतीय रविवार को स्वास्थ व गंदगी, द्वतीय रविवार को नशा तथा अशिक्षा व  प्रथम रविवार बसंत पंचमी के दिन पर्यावरण संरक्षण तथा भिक्षावृत्त्ति की समस्या का चिन्हांकन किया गया था इसी प्रकार होलिका दहन से पहले प्रत्येक रविवार को दो दो समस्याओं का चिन्हांकन किया जाएगा तथा होलिका दहन के दिन इन होलिका रूपी चिन्हाकित 12 समस्याओ बुराइयों का सांकेतिक दहन किया जाएगा तथा इन 12 समस्याओं के उन्मूलन हेतु पूरे वर्ष एक - एक माह का श्रम दान, जागरूकता अभियान तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से प्रयास किया जाएगा।जिससे कि एक सशक्त समाज का निर्माण किया जा सके |

 इस मौके पर बदलाव संस्था के संथापक शरद पटेल, राम जी वर्मा, मो अख्तरुल इस्लाम, दिवाकर सिंह, श्रवण सिंह, नरेंद्र देव यादव, शिव राम मिश्रा,शिव रतन, किशन,प्रकाश,रोहित सक्सेना, लाल जी, सतीश पाल उर्फ राजू, रामू, राजेश,छोटेलाल गुप्ता,सलीम आदि लोग मौजूद रहे।



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राजनीति की बात करना मना हैं!


     
 (हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक)

         राजनीति अब इतनी नागवार लगने लगी है कि राजनीति की बाते करने से लोग परेहज लगे है। तभी तो दुकानों में, कार्यालयों में, घरों में तख्ती लटका कर और समूहों में इत्तला देकर सजग किया जाने लगा है कि यहां राजनीति की बातें करना मना है। मना क्यों बात ही तो कर रहें उसमें हर्ज किसलिए? हां दिक्कत तो है इसलिए आनाकानी हो रही है। कारण भी जायज है ना, नीति का राज आज राज की नीति बन गई है उसमे हरेक दल डुबकी लगाना चाहता है। पर जनता तू-तू, मैं-मैं से लथपथ इस मायावी दलदल में नहीं घुसना चाहती। भूलभूलैया भरे माहोल कि राजनीति से भरोसा जो उठने लगा है? उस पर अपनी-अपनी पीठ थपथपाई बात-बात पर बाहे तानना मनाही का कारक बन गई है। तभी इससे बचे व बचाओं के बोल वचन गुंजार रहे है।

सावधान! इसी फेर में कोई इसके पचडऩे में नहीं पडऩा चाहता क्योंकि नजरें हटी और दुर्घटना घटी की भांति राजनीति की बात कब ना हो जाए मुक्कालात कोई कहं नहीं सकता। ऐसे वाक्यां घटित होना आम हो गए है बतौर आए दिन कहीं ना कहीं राजनीति की नुक्ता-चिनी, नुरा-कुश्ति बनती जा रही है। बेहतरतीब, राजनीति के ये दिन आने लगे कि आमजन इसकी बातचीत करने पर भी कतराने लगे है। वह राजनीति जो शुचिता, समानता और राष्ट्रनीति की द्योतक थी। दौर में बदनियत, जालसाजी और कुटनीति के दुष्चक्रों का मिथक बनते जा रही है। ये रवैया राजनीति जैसी पवित्र शब्दों को बर्बाद करके छोडेंगा जो लोक और तंत्र के लिए हरगिज भी ठीक नहीं है।


बदस्तुर राजनीति का इतना बुरा समय आ गया कि हम लोग इसके बारे में अनाप-शनाप राय जाहिर करने लगे। नहीं बिल्कुल नहीं राजनीति इतनी बुरी नहीं है कि इससे दूरी बनाया जाए, दूर रहेंगे तो दुरमभागी होगी। बेहतर अच्छी सम्मानजक अमली बातें कहकर अपनाने में नजदिकयां बढ़ेगी पहल देश और राजनीति दोनों का भला करेंगी। वो अलग है कि बुरे लोग राजनीति में आ गए हैं इतर राजनीति बुरी लगने और दिखने लगी है। बरबस राजनीति तो गाली जैसी हो गई है, लोग नेताजी बोल कर ताने मारने लगे है। मतलब साफ-साफ समझ में आने लगा है कि हालिया राजनीति छल, कपट और षड्यंत्र बनकर  रह गई है। या कहें साम, दाम, दंड़ और भेद की छलनीति जो भी नाम दे दो कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला।

  लिहाजा, कृपया राजनीति नहीं! की टोका-टाकी मुंह जबानी हो गई हैं जो थमने के बजाए बढ़ते ही जा रही है। इसे रोकना ही जन, वतन और वक्त की नजाकत है लेकिन रूखेगी कैसे इसका निदान हम सब को मिलकर निकालना होगा। वह मिलेंगा अच्छे लोगों के राजनीति में आने से, राज की नीति के तिकड़म से बचने और आत्मा नहीं अपितु मन की बात सुनने से। तब जाकर राजनीति की बातें करना मनाई नहीं वरन् सुनाई होगी। आखिर! हम जब तक बात नहीं करेंगे तब तक बात नहीं बनेगी। वो भी सकारात्मक, समयानुकूल तथा राष्ट्रहितैषी। फलीभूत सारगर्भित परिणाम निश्चित ही अवतरित होंगे।

      कवायद में अगर-मगर को दिगर कर जिगर से राजनैतिक स्वच्छता महाभियान का परचम लहराना होगा। डगर के असर में पाक-साफ अंदर और नापाक-गंदे मनोयोगी राजदारी नेता बाहर का रास्ता नापेंगे येही देश चाहता है। याद रहें, कोई माने या ना माने आखिरकार! राजनीति हमारी दिनचर्या के काफी इर्दगिर्द रहकर हमारे जीवन को प्रभावित करती है। वास्ते राजनीति के रास्ते को बंद नहीं प्रवाहित रखने में हम सब की भलाई निहित है। लिहाजा, राजनीति मे अपनी सेवादारी, भागीदारी, जिम्मेदारी और जवाबदारी तन, मन, धन, वचन के साथ निर्वहन की बारी अब हमारी है।

       अविरल, यहां यह देखना लाजमी है कि हम में से कितने जन पेहरी, मदहोशी सियासत दारों के चुंगल से राजनिति को बचाने सामने आते है। नहीं तो किंतु-परंतु दंतु ना करें बेहतर होगा फिर चलने दो जैसा चल रहा है वैसा। उस पर मौकापरस्त हुकमरानों के चाल, चरित्र और चेहरा की दुहाई देना बेईमानी के अलावे कुछ नहीं है। अलबत्ता समझदारी से नेतागिरी की दरबारी ही बात-बात की दमदारी कहलाएगी।

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आज से बढ़ेगी चुनावी सरगर्मी ,अप्रैल के पहले हप्ते में पहले चरण का पड़ सकता है वोट

लोकसभा चुनाव की घोषणा का इंतजार खत्म हो गया है। चुनाव आयोग ने शाम 5 बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। माना जा रहा है कि आयोग इस दौरान चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। लोकसभा चुनाव के साथ आंध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो सकता है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे या नहीं। सूत्रों के मुताबिक 7-8 चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।

मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल तीन जून को समाप्त हो रहा है। चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अगले सप्ताह पहले और दूसरे चरण के मतदान के लिए चुनाव पर्यवेक्षकों की बैठक होगी। चुनाव आयोग विज्ञान भवन में शाम पांच बजे एक संवाददाता सम्मेलन करेगा। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी।

सूत्रों के अनुसार पहले चरण के मतदान के लिए अधिसूचना मार्च के आखिर तक जारी हो सकती है और इसके लिए मतदान अप्रैल के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। मई के तीसरे हफ्ते में मतगणना हो सकती है। पूरी संभावना है कि आयोग पुरानी परंपरा की तरह आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ करा सकता है। जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग हो चुकी है, इसलिए आयोग मई में समाप्त हो रही छह महीने की अवधि के अंदर यहां भी नये सिरे से चुनाव कराने के लिए बाध्य है। एक राय है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे, लेकिन भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने के कारण राज्य के जटिल सुरक्षा हालात को मद्देनजर रखते हुए ही फैसला किया जाएगा।(NBT)

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शनिवार, 9 मार्च 2019

ट्विटर पर चल रही सरकार अब देश की जनता का हो रहा डिजिटल विकास


विश्वपति वर्मा ;

फ़िल्म अभिनेताओं ने ट्विटर पर जब काफी वाहवाही बटोर ली तब नेताओं का मोह भी ट्विटर के तरफ बढ़ता गया अब क्या देखते ही देखते ट्विट से सरकार चलने लगी।

अब सारी समस्याओं का समाधान ट्वीट से होगा ,पुलिस के उच्चाधिकारी ट्वीट को सम्बंधित अधिकारी को रीट्वीट करने लगे हैं,रेल मंत्रालय भी दूध- दारू की व्यवस्था ट्वीट के बाद करने लगा है , मंत्री जी सुबह -सुबह जाग करके दिन भर की गतिविधियों को बता देते हैं ।

सांसद भी पीएमओ से फ़ोटो उठाकर चापलूसी ठोक देते हैं ।विधायक जी भी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को रीट्वीट करने में आगे रहते हैं । पंचायती राज ने  तो केवल ट्वीटर अकाउंट बना लिया है ,वह नही चाहता है कि हमारे यंहा कोई शिकायत आये इस लिए खुद कोई जानकारी नही देता ।जिलाधिकारी तो  जिले का मालिक है लेकिन ट्वीटर अकाउंट वाले मोबाइल में वह नेट पैक ही नही डालता । 

शिक्षा विभाग के अकाउंट पर तो ऐसे प्रवचन वाले पोस्ट दिखाई देती है जैसे लगता है कि देश में सबसे ज्यादा ईमानदार यही हैं भले ही 8 रुपये का मोजा खरीद कर 21 रुपया खारिज कर लिए ।बिजली विभाग भी ट्वीटर पर सक्रिय है लेकिन इनका दिनभर का काम यही है कि जल्दी से लाकर बिजली बिल जमा करो शाम को भले ही अंधेरे में बिताना पड़े।

जल निगम काहे पीछे रहेगा यह भी दिन भर में दो चार पोस्ट डाल देता है और सबको स्वच्छ जल पीने की सलाह देता है भले ही यूपी में  कई सौ करोड़ रुपये की योजना के लागत से बने कई इकाइयों से सप्लाई नही शुरू करा पाया। स्वास्थ्य विभाग के तो बल्ले -बल्ले हैं ये जितना ट्वीट करते हैं उससे कहीं ज्यादा टीवी और अखबारों को विज्ञापन देकर स्वस्थ्य रहने की उपाय जनता को बता रहे हैं और जनता के पैंसों का बंदरबांट चिकित्सा प्रभारी से लेकर विभाग के आलाधिकारी कर रहे हैं ।

इधर यूपी मे योगी आदित्यनाथ खुद ट्वीटर नही चलाते लेकिन 24 घण्टे सरकारी बखान पोस्ट होते रहते हैं ।यह सब हो भी क्यों न सुबह जैसे ही आँख खुलती है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पीएमओ से 10 ट्वीट हो चुके होते हैं खुद पीएम और पीएमओ किसी ट्वीट का जवाब नही देते और न ही कभी अधिकारियों की क्लास ट्वीटर पर लगाते हैं । 

पीएमओ के अकाउंट पर अधिकतर बात गुमराह करने वाली और झूठी लिखी होती है लेकिन फर्जी अकाउंट एवं चमचों द्वारा लाखों रिट्वीट मार दिया जाता है ।

पीएम और पीएमओ देश की जनता से अपील कर रहे हैं डिजिटल लेन -देन करो ,डिजिटल शिकायत करो और डिजिटल समाधान लो ,लेकिन कोई एक व्यक्ति बताए जिसका समाधान हुआ हो ।अपील यहीं खत्म नही होती मैसेज और जीमेल के जरिये रोज डेली दो चार खत आ जाते हैं कि  डिजिटल बनो ,डिजिटल बनाओं जब सब कुछ ठीक -ठाक हो जाये तब अपने घर मे खुद सेंध लगवाओ। 

यानि कि आप जल्दी से जल्दी डिजिटल माध्यम से जुड़ जाइये क्योंकि यंहा तो सरकार के फायदे ही फायदे है ।पहली बात तो यह है कि यंहा से जुड़ने के बाद आपको देश मे सबका साथ सबका विकास वाला प्लेटफार्म दिखाई देगा जंहा पर अब हर काम डिजिटिलाइज हो गया है ,स्वच्छ पानी, स्वच्छ गांव ,स्वच्छ भारत ,सड़के ,मंदिर, मस्जिद,शिक्षा, चिकित्सा सब कुछ तो है यंहा पर ।

अब आप इतने बड़े विकास को देखकर उसे शेयर करने से कैसे रोक पाएंगे  फिर आप डिजिटल विकास को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में लेकर जाएंगे और वँहा डिजिटल ज्ञान बांटेंगे। इतना सब होने के बाद कहीं आपने कहा दिया कि देश का विकास नही हो रहा तो डिजिटल शब्दों में गाली भी आपको मिलेगा ।

तो ठीक है न डिजिटल इंडिया वाली सरकार


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