गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

बस्ती कचहरी में बदमाशों ने वकील को मारी गोली ,मौत

विश्वपति वर्मा―

बस्ती कचहरी परिसर में दिनदहाड़े एक अधिवक्ता को बदमाशों ने गोली मार दी जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई

अधिवक्ता जग नारायण यादव बस्ती कचहरी में लंबे समय से वकालत का कार्य कर रहे थे आज लगभग 4 बजे दो अज्ञात बदमाशों ने वकील पर बंदूख से हमला कर दिया जिससे तत्काल उनकी मृत्व हो गई ,घटना की सूचना मिलते ही मौके पर एसएसपी पंकज और सीओ सिटी समेत तमाम प्रशासनिक अमला पंहुच गई है ।

बदमाश मोटरसाइकिल पर सवार होकर फरार हो गए हैं


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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019

युद्ध के दौरान दुश्मन देशों में बंदी बनाये जाने के बाद सैनिक को मिलता है प्रोटोकॉल

किन्हीं दो देशों के बीच चाहे जितनी भी दुश्मनी क्यों न हो अगर उनका कोई सैनिक एक दूसरे का युद्धबंदी बन जाता है तो उस पर कुछ इंटरनेशनल प्रोटोकॉल लागू होता है. जिसके तहत न तो उससे पूछताछ की जबरदस्ती की जा सकती और न ही धमकी दी जाएगी।

 खाने-पीने का इंतजाम करना उन्हें बंधक बनाकर रखने वालों की जिम्मेदारी होगी. युद्धबंदी को वही मेडिकल सुविधाएं भी हासिल होंगी जो उसके सैनिक को मिलती हैं. जेनेवा कन्वेंशन के तहत उसे ये अधिकार हासिल होगा।

 भारत का एक पायलट मिसिंग है, अगर वो पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता है तो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उसे भी यही अधिकार हासिल होगा।

सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्‍स के निदेशक प्रोफेसर एके वर्मा का कहना है कि किसी भी युद्धबंदी को उसकी रैंक के हिसाब से प्रोटोकॉल मिलता है. क्योंकि उसकी किसी देश से पर्सनल समस्या नहीं है, बल्कि वो उस कंट्री के लिए लड़ रहा होता है जिसमें वो पैदा होता है या फिर जिसमें रह रहा होता है. उसे कोई भी देश क्रिमिनल नहीं ट्रीट कर सकता, ऐसा करना वियना कन्वेंशन का उल्लंघन होता है. ऐसा करने से उनकी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर फजीहत होती है. वैसे आमतौर पर कोई भी देश ऐसा नहीं करता क्योंकि उसका सैनिक भी किसी देश में युद्धबंदी हो सकता है.

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किसानों की समस्याओं पर डीएम से मिलेगा अपना दल


 अपना दल ने बुधवार को हलुआ बाजार स्थित पार्टी कार्यालय पर किसान मंच के जिलाध्यक्ष जगराम गोंड की अध्यक्षता में बैठक आयोजित किया।

    बैठक में क्षेत्रीय गन्ना किसानो की समस्याओं को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी, तथा निर्णय लिया गया कि आगामी एक मार्च को अपना दल का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी बस्ती से मिलकर किसानों की समस्याओं से शासन प्रशासन को अवगत करायेगा।
   बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश सचिव चौधरी झिनकान पटेल ने कहा कि गन्ना पर्ची वितरण प्रणाली स्पष्ट न होने से किसान अपना गन्ना बेचने के लिए दर दर भटक रहा है ,जहां पहले किसी भी किसान के कोटे से संबंधित जानकारी कृषक कोड से प्राप्त की जा सकती थी वहीं अब कोटे के संबंधित जानकारी के लिए बैंक खाता संख्या का अंतिम छः अंक डालना अनिवार्य कर दिया गया है,जिससे पर्ची वितरण प्रणाली संदेह के घेरे में आ रही है।
     जिला पंचायत सदस्य राम सिंह पटेल ने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान बहुत सारे किसानों ने बताया कि उन्हे अभी तक एक भी पर्ची नहीं मिली है, किसानों का पेंडी गन्ना अभी भी भारी मात्रा में खेतों में खड़ा है, गन्ना समय से ना बिकने से किसान चिंतित और परेशान हैं।
    बैठक का संचालन जिला उपाध्यक्ष राम कुमार पटेल किया।
      इस अवसर पर राम सुधी चौधरी ,श्याम सुंदर यादव,मस्तराम पटेल, संतराम पटेल ,राजमणि पटेल, रामनाथ पाल, इसहाक अली,अरविंद कुमार सोनकर, शिवकुमार मौर्य, मनसा राम वर्मा, रविंद्र पटेल, जय करन चौधरी, राजकुमार पटेल, राकेश पटेल ,पवन वर्मा आदि मौजूद रहे।

              

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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

देश के नागरिकों को अंधभक्ति का चश्मा निकालने की जरूरत

विश्वपति वर्मा―

देश हजारों वर्षों से गुलाम था तब ऐसा नही था कि देश के 30 करोड़ आबादी में राष्ट्रवाद की लौ निकल रही थी ।उसमें से कुछ ही लोग थे जो देश को आजाद देखना चाहते थे और उन लोगों ने एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराया।

आज देश की आबादी 100 करोड़ बढ़ गई है ,देश मे शिक्षा का प्रचार प्रसार हुआ भरतीय नागरिकों को बोलने को आजादी मिली सबको समानता देने की बात कही गई लेकिन आजाद भारत मे ऐसा नही हो पाया कि देश  के हर नागरिक के अंदर राष्ट्रीयता की भावना जाग उठी हो।

इसमे सबसे बड़ा कारण है अंधभक्ति का चश्मा लगाने वालों की संख्या बढ़ना, आज जब देश को विश्व पटल पर ऐतिहासिक परचम लहराने की आवश्यकता थी तब  देश उसी पायदान पर खड़ा हुआ है जंहा उसके नागरिक डरपोकों की कतार में खड़ा होना पसन्द करते थे ,देश का  नागरिक खासकर युवा पीढ़ी राजनीतिक दलों का विशेष व्यक्ति होकर मुद्दे पर बात करना नही चाहता है जिसका कारण है कि देश के सत्ताधारी वर्ग ने अपने अपने हिसाब से देश की जनता का उपयोग किया है ,क्योंकि उन्हें पता है कि देश के बहुसंख्यक मानसिक गुलाम आबादी को चलाने वाली राजनीतिक रिमोट उनके हाथ में है।

यदि ऐसा ही रहा तो आजाद भारत मे बहुसंख्यक आबादी गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अशिक्षा, दलिद्रता के साये में जीने के लिए विवश होगी।

जरूरी यह है कि देश के नागरिक अपने व्यवस्था के हिसाब से निर्णय लेने की क्षमता पैदा करें।

अन्यथा अंधभक्ति का चश्मा लगाकर फेसबुक पर राष्ट्रीयता की भावना में ओतप्रोत होने की बात तो वो लोग भी कर रहे हैं जिनके पास वर्तमान व्यवस्था को समझने के लिए समीक्षा करने की कूबत भी नही है।

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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

चलो, चलें प्रधानमंत्री बने


हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक―

          देश में लोकसभा चुनाव आते देख सियासतदारों के मुंह में लड्डू फूटने लगे कि मैं भी अब प्रधानमंत्री बन सकता हूँ। बेला में चलो, चले प्रधानमंत्री बने की होड़ लगी हुई है। ताबड़तोड़ मेरा वोट-तेरा वोट मिलाकर करेंगे चोट की सोच से चुनाव फतह करने की तैयारी दम मार रही है। फुसफुसाहट बेमर्जी गठबंधन, मतलबी दिखावा और दुश्मन का दुश्मन दोस्त बनाने का चलन जोरों पर है। मतलब आइने की तरह बिल्कुल साफ है प्रधानमंत्री की कुर्सी जिसे पाने की जुगत में महागठबंधन नामक समूह का हर छोटा-बड़ा दल काफी मशकत कर रहा है। बस इस फिराक में की कब नरेन्द्र मोदी हटे और हम वहां डटे। 

      खुशफहमी बिना नेता, नीति और नियत के राजनीतिक लिप्सा शांत होने के बजाए बढ़ते क्रम में है। मुगालते में कि बिन दुल्हे की बारात ज्यादा देर नहीं चलती। बावजूद शोर-शराबा मचाने कोई आनाकानी नहीं हो रही है। जिधर देखो उधर अपनी जमीन बचाने वाला दल या नेता बाहें तानकर मोदी को निपटाने की बात कह रहा है। जैसे मोदी-मोदी चिलाने मात्र से देश का भला और सरकार बन जाएगी। पर सावन के अंधों को समझाऐ कौन इन्हें तो हर जगह हरा ही हरा दिखाई दे रहा है। कदमताल विचारधारा के परे भानुमति का कुनबा फिर तैयार हो रहा है। इस उम्मीदी में कि परिवार बचाओं, गढ़जोड़ बनाओं, वोट कबाड़ों, मोदी हराओं, सत्ता पाओं आंख दिखाओं,  और मजे उड़ाओं  मामला खत्म।

          ये हरगिज भी नागवारा नहीं लगता क्योंकि कभी कांग्रेस के खिलाफ लड़ने वाले दल आज भाजपा के खिलाफ लामबंद होकर साथ खड़े है। किसलिए सिर्फ औऱ सिर्फ मोदी व भाजपा विरोध के रास्ते सत्तासुख के वास्ते। इनका सिद्धांत तो रहा नहीं बताऐ किसे बचा-कुचा वजूद ही बचाले मुक्मल होगा। इसके बिना राजनैतिक दुकानदारी बंद समझो इस डर से टुकुर-टुकुर नजरे मिलाई जाने लगी है। चाहत में आनन-फानन मोदी फोबियां का इलाज ढूंडा जा रहा है ताकि आगे का राजनीति सफर अमन चैन से बिते है। उधेड़बून एकाएक सियासती चालबाजी शुरू हो गई, वोटों की गोलबंदी और मुफीद शार्गिद हुंकार भरने लगे। नतीजतन कूटरचित सत्ता विरोध अभियान के पुरोधा प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न दिन में ही देख रहे है।

            चलो अच्छा है, कमशकम कोई ना सही नरेन्द्र मोदी ने तो इन टूटे हुए दिलों को मिलाकर तसली दिला दी। बानगी में पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, दिल्ली और झारखंड़ समेत अन्य राज्यों में दिलजलों की दिल्लगी हो चली है। छिनाझपटी प्रधानम़ंत्री बनने वालों की नुराकुश्ति के क्यां कहने नुक्ताचिनी के बावजूद मिलन समारोह जोरों पर है। हमजोली आत्ममंथन के रसवादन से क्या निकलता है ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन पदलोलुपत्ता के चक्कर में रसपानी ललायित जोर अजमाईस करने में मशगूल है। कसर के असर में सामाजिक, क्षेत्रिय और सम सामयिक के नाम पर वोटबंदी का प्रभुत्व चलो, चले प्रधानमंत्री बने चलित अभियान का वाहक बनकर उभरा है। यह फिलवक्त ऊफान पर है जो थमने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है और चुनाव तक सारी हदें पार कर देगी।

           बतौर बेहतर परिणामों की उम्मीद बेईमानी के अलावे और कुछ नहीं क्योंकि ऐसी मौकापरस्ती के सब आदी है। अभी झंड़ा बुलंद होगा बाद में नफा-नुकसान के कायदे में चरण वंदन होगा। फिर नौटकी की क्या जरूरत है। देश को गुमराह और मतदाताओं को दिग्भ्रमित करने या अपने ईशारे पर नाचने वाली सरकार बनाने के लिए, तासिर तो येही लगती है। तभी अच्छे-बुरे की चिंता किये बिना देशहित को दरकिनार कर मतलब की राजनीति और सियासती दांवपेंच धडल्ले से खेला जा रहा है। अतएव दुर्भाग्य कहें या विड़ंबना इक्सवीं सदी में भी मूल्क की राजनीति तुतु-मैंमैं, बनने-बनाने-बिगड़ाने तथा काज नहीं अपितु राज करने के इर्दगिर्द घूम रही है जो जग हंसाई का कारक है। इतर मुठ्ठी भर कुकरमुते दलों के राजपाठी रवैया पर अंकुश लगाकर चौपट होते लोकतंत्र और प्रधानमंत्री जैसे गौरवामयी पद को बचाया जा सकता है।

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रविवार, 24 फ़रवरी 2019

"बदलाव"संस्था के प्रयास से महज 3 रविवार में बदल गया गोमती का छठ पूजा घाट

बदलाव संस्था द्वारा संचालित भिक्षाव्रत्ती से जुड़े साथियों को पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु पुनर्वास केंद्र  “हैप्पी होम” (देखभाल, संरक्षण एव पुनर्वास), लक्ष्मण मेला मैदान के कार्यकर्ताओं एव सेवार्थियों द्वारा श्रम दान “प्रत्येक रविवार सामुदायिक कार्य” के अंतर्गत लगातार तृतीय रविवार को पर्यावण संरक्षण हेतु लक्ष्मण मेला मैदान छठ पूजा घाट पर गोमती नदी की सफाई की गयी।

गोमती नदी की सफाई का कार्यक्रम सुबह 08:00 बजे से शुरू होकर 02:30 बजे तक चला, गोमती नदी से लगभग 50-60 कुंतल जल कुम्भी, हरी घास, प्लास्टिक, कांच, कचड़ा पूजन सामग्री आदि निकाला गया।इस अवसर पर संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक गोमती नदी में प्रशासन गंदे नाले गिरने बन्द नही करेगी ,तब तक गोमती नदी को निर्मल तथा अविरल बना पाना असंभव होगा, क्योंकि आज लगातार तीसरे रविवार को छठ पूजा घाट पर गोमती नदी की सफाई की गई ,लेकिन जितना कचड़ा पिछले रविवारों को निकाल गया उससे ज्यादा मात्रा में सात दिन में फिर एकत्रित हो जाता है ,कचड़े में पालीथिन की मात्रा सबसे अधिक है इससे स्पष्ट है कि सरकार व प्रशासन का पालीथिन उपयोग करने पर प्रतिबंध सिर्फ कागजी खाना पूर्ति है ,गोमती नदी को निर्मल व अविरल बनाने के लिए बदलाव संस्था गंदे नालों को नदी में गिरने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित करेगी ,गोमती नदी की अविरलता व निर्मलता के लिए लगातार संघर्ष जारी रखेगी तथा श्रम दान के माध्यम से स्वच्छ बनाने का भी प्रयास जारी रहेगा।लखनऊ के निवासियों से भी विनम्र अपील है कि प्रत्येक रविवार को कम से कम दो घंटे श्रम दान कर गोमती निर्मल बनाने में सहयोग करें।आज तृतीय रविवार को स्वास्थ व गंदगी की समस्या का चिन्हांकन किया गया, इससे पहले द्वतीय रविवार को नशा तथा अशिक्षा व  प्रथम रविवार बसंत पंचमी के दिन पर्यावरण संरक्षण तथा भिक्षावृत्त्ति की समस्या का चिन्हांकन किया गया था इसी प्रकार होलिका दहन से पहले प्रत्येक रविवार को दो दो समस्याओं का चिन्हांकन किया जाएगा तथा होलिका दहन के दिन इन होलिका रूपी चिन्हाकित 12 समस्याओ बुराइयों का सांकेतिक दहन किया जाएगा तथा इन 12 समस्याओं के उन्मूलन हेतु पूरे वर्ष एक - एक माह का श्रम दान, जागरूकता अभियान तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से प्रयास किया जाएगा।जिससे कि एक सशक्त समाज का निर्माण किया जा सके ।तथा शरद पटेल ने बताया कि बदलाव संस्था के कार्यकर्ता व सेवार्थी अपने अंदर छुपी एक बुराई कमजोरी को भी दूर करने का प्रत्येक रविवार को संकल्प ले रहे है जिससे कार्यकर्ता व सेवार्थी भी अपने अंदर छुपी इन 6 होलिका रूपी बुराइयों का भी दहन करेंगे तथा समाज के लोगों से भी आह्वाहन किया गया कि प्रत्येक रविवार को  वह भी अपने अन्दर छुपी एक बुराई व सामाजिक बुराई को दूर करने का संकल्प ले एव होलिका दहन के दिन होलिका रूपी इन सभी बुराइयों को दहन कर, खुद को मजबूत व समाज को सशक्त बनाने में अपना योगदान देते हुए प्रतिभाग करें | इस मौके पर बदलाव संस्था के संथापक शरद पटेल, राम जी वर्मा,निर्ज़ेश गौतम, मो अख्तरुल इस्लाम, मनोज कुमार, दिवाकर सिंह,श्रवण सिंह,रोहित सक्सेना, नरेंद्र देव यादव, शिव राम मिश्रा,शिव रतन,प्रकाश, किशन, राजेश, लाल जी, सतीश पाल उर्फ राजू, रामू, संजय कुमार कश्यप छोटेलाल गुप्ता,सलीम आदि लोग मौजूद रहे।

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शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

न्यूज़ चैनल के डिबेट कार्यक्रम में भिड़े सपाई ,सपा नेता की मौत

 उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर  जनपद मुख्यालय खलीलाबाद में शुक्रवार को न्यूज़ चैनल की तरफ से डिबेट आयोजित किया था इस दौरान किसी बात को लेकर के कार्यक्रम के दौरान सपाई आपस में ही भिड़ गए। विवाद के दौरान जमकर कुर्सिया और लात-घूंसे भी चले। जिसमें पार्टी के एक वरिष्ट नेता का पैर टूट गया तो कई अन्य को भी चोटें आई है।

बता दें कि बीच-बचाव करने के लिए वरिष्ट जिला उपाध्यक्ष राजेश पाण्डेय  इस लड़ाई के चपेट में आ गए। जब उनकी बातों को सुनने वाला कोई नही दिखाई दिया तो वें वहां से निकल कर जिला कार्यालय पहुंचे, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई। जूनियर हाईस्कूल खलीलाबाद परिसर में आयोजित डिबेट में सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा के नेता मौजूद रहे। डिबेट चल ही रही थी कि इसी बीच सपाइयों के दो गुट आपस में भिड़ गए। सपा जिलाध्यक्ष गौहर अली ने कहा कि राजेश पांडेय का निधन बहुत ही दुखद है वे पहले से ही हार्ट के मरीज थे, पेसमेकर लगा था। विवाद श्री पांडेय के निधन का कारण नहीं है।

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दुल्हन दूल्हे से बोली तुम जैसे इंसान के साथ नही जाऊंगी ससुराल और तोड़ दी शादी

रात को खुशी-खुशी हुई शादी, लेकिन सुबह विदाई के वक्त दुल्हन ने ससुराल जाने से कर दिया इनकार; दूल्हे से बोली- तुम जैसे इंसान के साथ नहीं जाऊंगी और तोड़ दी शादी

खबर का वीडियो देखने के लिए लिंक पर जाएं
https://youtu.be/p_fg-6530aA

लड़के वालों की एक हरकत से उखड़ गई दुल्हन, बोली- बारात वापस ले जाइए

ग्वालियर। दूल्हा बारात लेकर शादी करने पहुंचा। अगवानी के बाद तय समय पर पंडित ने मंत्र पढ़े। फिर दुल्हन के साथ सात फेरे और अन्य रस्में हुईं। लेकिन सुबह विदाई के वक्त दुल्हन के साथ जाने वाले सूटकेस में रखे दहेज के सामान को देखने की बात को लेकर वर और वधु पक्ष में जमकर विवाद हो गया। बात इतनी बढ़ी कि शादी टूट गई। इसके बाद दुल्हन ने गुस्से में आकर दूल्हे राजा से कह दिया- तुम जैसे इंसान के साथ मैं नहीं जाऊंगी। फिर शादी तोड़ते हुए कहा- बारात वापस ले जाइए। दुल्हन के इस फैसले पर वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया।
घटना शनिवार सुबह जीवाजी क्लब में हुई। क्लब के गेट-1 पर आयोजित शादी समारोह में पुलिस के पहुंचने के बाद दोनों पक्षों ने शादी तोड़ दी। दतिया की रहने वाली दुल्हन बीई व एमबीए शिक्षित है और ग्वालियर में ही जॉब करती है, जबकि दूल्हा बीकॉम है और फालका बाजार में सेनेट्री की दुकान चलाता है। हंगामे के बाद शादी समारोह में पुलिस के पहुंचने पर दूल्हे के पिता ने खुदकुशी की धमकी भी दी, लेकिन फिर सामान व दहेज में मिले रुपए लौटाने की सहमति पर दोनों पक्षों में समझौता हो गया।

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पाक सेना प्रमुख ने किया नियंत्रण रेखा का दौरा, कहा हम भारत को हैरान कर देंगे


पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने नियंत्रण रेखा का दौरा किया है. पुलवामा की घटना के बाद सरहद पर जारी तनाव के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख का यह पहला दौरा है. इस दौरान बाजवा ने पाकिस्तानी सैनिकों को संबोधित करते हुए हमेशा अलर्ट रहने को कहा. संवेदनशील माहौल में पाक सेना प्रमुख के इस दौरे को लेकर चर्चाएं तेज हैं. पाक सेना प्रमुख ने यह दौरा प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने के लिए अधिकृत करने के बाद किया है. उधर पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि उनका देश युद्ध नहीं चाहता. हालांकि, उसने भारत को चेतावनी दी कि अगर वह कोई भी आक्रामक सैन्य कदम उठाता है तो उसका ‘अप्रत्याशित' जवाब दिया जाएगा. पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि भारत ने ‘‘बिना उचित जांच'' के पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया और भारत ने अब तक "विभाजन की वास्तविकता" को स्वीकार नहीं किया है.


पाकिस्तान बोला- हम हैरान कर देंगे
पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद की ओर से 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद सेना के प्रवक्ता ने कहा , ‘‘हमारा 72 वर्ष का इतिहास है. विभाजन 1947 में हुआ था और तब पाकिस्तान आजाद हुआ था. भारत अब भी यह स्वीकार नहीं कर पाया है." सेना के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम युद्ध की तैयारी नहीं कर रहे हैं, आप (भारत) धमकी जारी कर रहे हैं... हमें धमकियों का जवाब देने का अधिकार है. हम पहल करने की तैयारी नहीं कर रहे हैं, बल्कि बचाव और जवाब की योजना बना रहे हैं जो हमारा अधिकार है."उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप (भारत) पहले कोई प्रतिक्रिया शुरू करेंगे, तो आप हमें कभी चकित नहीं कर पाएंगे... हम आपको हैरान कर देंगे.'' गफूर ने चेताया कि युद्ध की स्थिति में इस बार सेना की प्रतिक्रिया अलग तरह की होगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम अतीत की सेना नहीं हैं, हम एक कठोर सेना हैं. हमने एक अदृश्य दुश्मन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और जीत हासिल की.''

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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

"बदलाव" संस्था द्वारा संविधान जागरूकता अड्डा" का आयोजन

पीसी चौधरी―

समाजशास्त्र, सामाजिक विज्ञान एवं समाजकार्य विभाग के मास्टर आफ सोशल वर्क विषय के छात्र छात्राओं के साथ  "संविधान जागरूकता अड्डा" का आयोजन "बदलाव" संस्था द्वारा Be a Jagrik परियोजना के तहत किया जा रहा है, शरद पटेल संस्थापक बदलाव संस्था ने बताया कि  Be a Jagrik कम्युनिटी द कलेक्टिव की एक सार्वजनिक पहल है ,जिसमे बदलाव संस्था एक सहभागी संस्था के रूप में युवाओं के साथ लखनऊ में कार्य कर रही है।यह पहल दो संविधान- भारतीय संविधान और अंतर्राष्ट्रीय संविधान को एक रोचक तरीके से दर्शाने का माध्यम है, जो पाठ्यपुस्तक और वास्तविकता के बीच के अंतर को मिटाती है।इस पहल का उद्देश्य युवा सतत विकासशील लक्ष्य और भारतीय संविधान में सम्मिलित अधिकारों व कर्तव्यों को अनुभव करते हुए समझें तथा समुदाय में सामुदायिक कार्य रोचक गतिविधियाँ के माध्यम से करते हुए विश्व मे परिवर्तन के लिए आवाज उठाएँ तथा युवा नेतृत्वकारी क्षमता को विकसित करना है।

शरद पटेल ने छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कि वर्तमान में भारत मे युवाओं की संख्या सबसे अधिक है लेकिन युवाओं में संविधानिक समझ का अभाव है ,इस पहल का मकसद युवाओं में संविधान में निहित मौलिक अधिकारों ,मूलभूत कर्तव्यों और सतत विकास शील लक्ष्य को रोचक गतिविधियों के माध्यम से पाठ्यपुस्तक व वास्तविकता के बीच के अंतर को अनुभव करते हुए सीखना है।जिससे वह समुदाय में जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए समुदाय की आवाज बने और देश व विश्व मे सकारात्मक परिवर्तन का नेतृत्व करें ,परियोजना के समन्यवक राम जी वर्मा ने विभिन गतिविधियों के माध्यम से युवाओं में परियोजना के बारे में विस्तृत परिचर्चा करते हुए भारतीय संविधानिक समझ विकशित करने व सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करने का कार्य किया।इस पहल की आगे की यात्रा के लिए बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं ने जिज्ञाषा फार्म भर कर प्रतिभागिता सुनिश्चित की ।इस कार्यक्रम में 32 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया ।


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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

सपा बसपा गठबंधन के सीटों की घोषणा बसपा बस्ती तो राजधानी की सीट सपा के खाते में

पीसी चौधरी _

सपा बसपा गठबंधन ने अपने  संसदीय सीटों की घोषणा कर दी है कि किस पार्टी का उम्मीदवार मैदान में उतरेगा।

आज सपा और बसपा ने अपने सीटों की घोषणा की है जिसमे श्रावस्ती, बस्ती, संतकबीरनगर, अम्बेडकर सीट बसपा के खाते में है वंही महराजगंज समेत ये सीटें सपा की खाते में हैं।


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शिक्षा विभाग की होगी वाहवाही अंतरिक्ष से मेडल जीतकर लाएंगे गांव के दो बच्चे

विश्वपति वर्मा_

बड़े उम्मीद से मां बाप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं कि वह स्कूल जाकर पढ़ लिख कर विद्धवान बनेगा ।और अपने ज्ञान के बदले देश दुनिया मे परचम लहराएगा लेकिन जब स्कूल की व्यवस्था ही ज्ञान -विज्ञान की दिशा में बच्चों को ले जाने वाली न हो तो जाहिर सी बात है कि उन मां बाप के सपने का सत्यानाश होना है जिन्होंने सरकारी व्यवस्था से बच्चों को शैक्षणिक योग्यता दिलाने की उम्मीद पाल रखी है।

आज देखा जाए तो वैसे भी प्रदेश भर की परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त पड़ी है लेकिन जब टूटी फूटी व्यवस्था स्थानीय जिम्मदारों के चलते और भी जर्जर हो जाये तो यह मान लिया जाएगा कि गरीब के बच्चों को अति गरीब बनाने के लिए यह सब प्रायोजित षणयंत्र है।

ये तस्वीर बस्ती जनपद के  सल्टौआ ब्लॉक अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय अमरौली शुमाली की है जंहा पर रसोई तैयार करने के लिए दो बच्चे अलग अलग बाल्टी में पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं ,एक बार दो बाल्टी पानी भर कर ये बच्चे अंदर की तरफ जाते हैं दुबारा फिर वें पानी भरने के लिए इंडिया मार्का हैंडपंप पर बाल्टी लेकर आते हैं और पानी भर कर ले जाते हुए दिखाई देते हैं।

इस बात से कोई समस्या नही है कि ये बच्चे पानी क्यों भर रहे हैं समस्या इस बात की है कि जिन मां बाप ने अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा लेने के लिए भेजा है क्या वँहा की व्यवस्था इतनी खराब है कि बच्चों को सफाई और रसोई का कार्य करना पड़ेगा।

अगर शासन के पास परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की हिम्मत नही है तो वह तत्काल प्रभाव से परिषदीय विद्यालयों में ताला लगवा दे क्योंकि पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ इस तरहं का शोषण होगा तो क्या वें अंतरिक्ष मे जाकर या खेल के मैदान से गोल्ड मैडल जीतकर लाएंगे ? नही.....वें पुलिस, दारोगा, डीएम ,एसपी से बात कर पाएंगे इसकी परवाह छोड़िए ऐसे में बच्चे कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले चपरासी के बच्चे से बात भी नही कर पाएंगे।

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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

बस्ती-डीएम साहब यंहा तो आते होंगे?नही तो एसपी साहब जरूर आते होंगे

विश्वपति वर्मा–

जब पूरे देश मे साफ -सफाई को लेकर स्वच्छ भारत मिशन ही चला दिया गया तब जिला मुख्यालय पर बने शौचालय की स्थिति को देखने के बाद लगता है कि यह तो महज कागजों में चलने वाली एक योजना है ।
सवाल यह भी है कि जगह जगह अपनी आबरू बचा कर चलने वाली महिलाओं के लिए प्रसाधन की क्या व्यवस्था है ।

तहकीकात समाचार ने  कुछ तस्वीर बस्ती जिला मुख्यालय से भेजी है जंहा पर नगरपालिका और विभागों में बनवाये गए शौचालय स्वच्छ भारत मिशन को चिढ़ाते नजर आ रहे हैं।

ये पहली तस्वीर जिला पंचायत भवन की तरफ जाने वाले रास्ते की है जंहा पर एक टूटा फूटा शौचालय वर्षों से लोगों की आंतरिक समस्या का समाधान कर रहा है यानी कि इस शौचालय या पेशाब घर मे जाकर लोग हल्का होते हैं ,जैसे तैसे लोग अपनी समस्या का समाधान तो कर लेते हैं लेकिन शौचालय से निकलने वाला अपशिष्ट जल लोगों के लिए समस्या बन गया है। समस्या का कारण यह है कि बगल में ही भारतीय डाक सेवा की आफिस है जंहा पर डाक सेवाओं को लेने के लिए सैकड़ों लोग आते जाते रहते हैं ,ठीक उसके सामने से जिला अधिकारी कार्यालय समेत कई और कार्यालय की तरफ एक रास्ता जा रहा है जंहा पर यह अपशिष्ट जल (पेशाब )बहकर आता है और लोगों को आने जाने के लिए लिए मजबूर होना पड़ता है।


दूसरी तस्वीर जिला अधिकारी कार्यालय में घुसने वाले एक गेट के थोड़ा बगल का है जो नगरपालिका द्वारा बनवाया गया है लेकिन शौचालय की स्थिति परिस्थिति देखने के बाद उसका प्रयोग कोई नही करता लिहाजा जिला मुख्यालय पर खुले में लोग अपनी समस्या का समाधान करने के लिए मजबूर होते हैं। ये दोनों तस्वीर जिला अधिकारी प्रांगण के आस पास की है इस इससे लगता है कि डीएम साहब जरूर इस रास्ते से गुजरते होंगे और उसको देखते होंगे।

अब इस तस्वीर को देख लीजिए जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बने एक शौचालय की है इस शौचलत की वर्तमान स्थिति यह है की यंहा बिना मास्क लगाए आप दो मिनट भी नही ठहर सकते हैं क्योंकि  लोगों द्वारा निकाले गए अपशिष्ट जल के बाहर निकलने के लिए कोई ठोस उपाय नही है इसके अलावां शौचालय की एक सीट में ......भरा हुआ है। ये शौचालय एसपी कार्यालय का है इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एसपी साहब यंहा कभी जरूर आते होंगे।

और न आते हों तो एक जिम्मेदार व्यक्ति होने के नाते सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को आगे बढ़ाने के लिए इन लोगों को यंहा की अव्यवस्था में तत्काल बदलाव लानी चाहिए ,क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग इस स्थान पर पंहुचते हैं और यदि यंहा स्वच्छ भारत मिशन की कोई परछाई नही दिखाई देगी तो लोगों से अपने घर मे शौचालय बनवाने की अपील करना महज एक झूठी शान होगी।

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वेब मीडिया को खबरों की दुनिया से दूर रखकर डिजिटल इंडिया कैसे बनाएगी सरकार

 लवकुश यादव_

जब भारत सरकार खुद डिजिटल इंडिया चला रही हो और उसके खुद के विभाग डिजिटिलाइज न हो पाएं तो यह कैसे माना जाए कि सरकार अपने उद्देश्य की तरफ बढ़ने में कामयाब होगी।21वीं सदी में जब देश के बहुसंख्यक आबादी के पास स्मार्टफोन है और उसका उपयोग उपभोक्ता समाचार के क्षेत्र मे तेजी से कर रहे हैं  तब वेब मीडिया को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के साथ सूचीबद्ध  न करना कहाँ तक न्यायसंगत है ।

सरकार के इस उदाशीनता के चलते भड़के वेब मीडिया के पत्र
कारों ने अशोक श्रीवास्तव के नेतृत्व में पांच सूत्रीय ज्ञापन स्थानीय प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजकर कार्यवाही की मांग किया है।

 ज्ञापन में कहा गया है कि जिस प्रकार एटीएम के आने से बैंकिंग क्षेत्र में क्रांति आ गयी है और बैंकिंग का चेहरा एकदम से बदल गया है ठीक उसी प्रकार स्मार्ट फोन आने के बाद मीडिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। बैंक खातों से जिस प्रकार ग्राहक अब शाखाओं के खुलने के इंतजार नही करते उसी तरह देश की बहुत बड़ी आबादी अब अखबारों का इंतजार नही करती बल्कि अपनी मोबाइल और कम्प्यूटर पर जब और जहां का समाचार देखना चाहा देख लिया। इस बड़े बदलाव ने देश की जनता की मीडिया से उम्मीदों को कई गुना बढ़ा दिया है। अनेक माध्यम इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। नतीजा ये है कि वेब मीडिया प्रिण्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उम्दा विकल्प बनकर उभरा है। अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वेब मीडिया को किसी भी प्रकार की सुविधा देय नही है। आरएनआई में सूचीबद्ध करने की कोई स्पष्ट गाइडलाइन भी नही है। जिससे देशभर में लाखों की संख्या में संचालित वेब समाचार माध्यमों से जुड़े पत्रकारों को सूचना विभागों में कोई महत्व नही दिया जा रहा है।

विशिष्टजनों के आगमन पर सूचना कार्यालय से जारी होने वाले मीडिया पास से भी पत्रकार वंचित रह जाते हैं। पत्रकारों को नफरत की दृष्टि से देखा जा रहा है। पीएम को भेजे ज्ञापन में वेब समाचार माध्यमों के लिये स्पष्ट गाइडलाइन जारी करने,. वेब माध्यमों को आरएनआई में सूचीबद्ध किया जाने, विशिष्टजनों के आगमन पर दोहरे मापदण्ड से बंचते हुये वेब मीडिया के पत्रकारों को उदारतापूर्वक पास जारी किये जाने, वेब मीडिया और इससे जुड़े पत्रकारों को भी मान्यता प्रदान किये जाने, समस्त जिलाधिकारियों को पत्रकार उत्पीड़न मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित किये जाने की मांग प्रमुखता से उठाई गयी है।

ज्ञापन सौंपते समय यूपी लाइस टुडे के संपादक राजकुमार पाण्डेय, बस्ती खबर के संपादक राजन चौधरी, तहकीकात समाचार के संपादक विश्वपति वर्मा, आज का आतंक के संपादक दिलीप पाण्डेय, जीशान हैदर रिज़वी, डा. हेमन्त पाण्डेय, दिनेश उपाध्याय, दिनेश कुमार पाण्डेय, शैलेन्द्र पाठक, बीपी लहरी, सुनील पाण्डेय, लवकुश यादव, राकेश त्रिपाठी, बालमुकुन्द शुक्ला, अनिल कुमार श्रीवास्तव, डा. अजीत श्रीवास्तव, वकील अहमद सहित तमाम पत्रकार मौजूद रहे। सभी ने पूर्ण समर्थन देते हुये निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया।

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हाशिये पर प्रदेश मे गन्ना किसानो का भविष्य ,3 वर्ष पूर्व का भुगतान अभी तक नही

विश्वपति वर्मा–

पूरे देश मे जंहा किसानो का बुरा हाल है वंही उत्तर प्रदेश मे गन्ना किसानो का भविष्य इस फसल से चौपट होता नजर आ रहा है चाहें महाराष्ट्र के मक्का किसानो की बात हो या फिर पo बंगाल के जूट किसानो की दशा हो या फिर आसाम के चाय उत्पाद करने वाले किसान हों इनके व्यक्तिगत आजीविका के जीवन मे लगातार अंधेरा ही हो रहा है।

   उत्तर प्रदेश मे गेंहू,धान,सरसो के अलावा किसान गन्ना के फसल को भी बखूबी उपजाते हैं लेकिन गन्ना खरीदने वाली फ़ैक्टरियों द्वारा किसानो का लगातार शोषण किया जा रहा है जिसमे फसल का वाजिब दाम ना देना और बेंचे गये फसल का भुगतान समय से ना करना शामिल है ।

प्रदेश के बस्ती जनपद की बजाज ग्रूप की वाल्टरगंज चीनी मिल द्वारा अभी तक किसानो का 2015-16,17 में खरीदे गए फसल का भुगतान नही किया गया है उसके बावजूद मौजूदा सत्र में मिल न चलने से किसानो को बकाया भुगतान मिलने का कोई उम्मीद भी नही दिखाई दे रही है ।

एक तरफ गन्ने का भुगतान समय से नही हो रहा है तो दूसरी तरफ उचित मूल्य भी ना मिलना शर्मनाक है पिछले वर्षों में चीनी मिलों ने 271,266 ,290 रूपये प्रति 100 किलो के हिसाब से गन्ने की खरीद की थी लेकिन बढ़ती महंगाई और फसलों की लागत मूल्य के बढ़ने के बाद भी 2018-19 में 300 -310 रुपया प्रति कुंतल गन्ना खरीद का मूल्य निर्धारित किया तो किसानो के होश उड़ गये "मगर"किसान बेचारे आखिर करें भी तो क्या गन्ना बेंचना भी मजबूरी है ।

 इस बार के पेराई सत्र खत्म होते होते गन्ना किसान ऐसी विनाशकारी फसल की बुवाई करने से कतराने लगे हैं आखिर क्यों?इस बात का जवाब कोई देने वाला नही है ,इसके बाद भी देश और प्रदेश की सरकारें किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही हैं ,बात समझ मे नही आ रही है कि किसानों की आय दोगुना कैसे होगा।

 निश्चित तौर पर सरकार ऐसी स्थिति में किसानों की आय दोगुना करने में असफल रहेगी परन्तु सरकार की जिम्मेदारी बननी चाहिये कि किसानो का भुगतान एकसाथ और समय से करवाये ताकि किसान भी अपने बच्चे को उचित शिक्षा,चिकित्सा मुहैया करा सके ,और किसान भी दो वक्त की रोटी चैन से खा सके |

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सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

पुलवामा हमला: बलिदान का बदला कब?


    वीभत्स् आतंकी करतूतों से देश एक बार और दहल गया जब पाकिस्तान कहें या आतिंकस्तान की कोख व पनाहगाह में पैदा हुई नापक औलादों ने 14 फरवरी को जम्मू-श्रीनगार हाईवे पर पुलवामा के अवंतिपुरा में केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल के काफिले पर फिदायीन हमला कर दिया। बरबस 44 सैनिक शहीद हो गए, बाकि अस्पताल में जिंदगी व मौत की जंग लड़ रहे है। जालिमों ने 200 किलो विस्फोटक से लदी एसयूवी कार को सैनिकों से भरी सीआरपीएफ की बस से भिड़ा दी। बेगर्द आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस कायराना हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कश्मीर के गुंडीबा-पुलवामा के आतंकी आदिल अहमद ने अंजाम देना बताया।   

    अध-बीच सोचनिए बात! सुरक्षा से चाकचौबंध अतिसंवेदनशील घाटी में कारिंदों के पास इतना सारा विस्फोटक और वाहन कहां से आ गया। पाकिस्तान से उड़कर तो नहीं आया होगा, दिया या मदद किया होगा तो किसी भी देशद्रोही या मौजूदा नापाक, पाक परस्त ने। अन्यथा खाते इधर का और गाते उधर का है बदनियती वाले जयचंदों के बिन मजाल है कोई चिडिय़ा भी पर माले। ये तो चंद मुटठी भर ना मुराद जाहिल है उनकी उतनी हिमांकत किया जो हिन्दुस्तान की सरजमीं पर दहशतगर्दी फैला दे।

    लिहाजा, मूल्क और वादी की फिजा में खलल डालने इस हमले के लिहाज से हर वो एहसान फरामोश हुकमरान जिम्मेदार है जो मतों का रहनुमा आतंकवादियों को मानता है। सर्जिकल स्ट्राइक और शहादत के सबूत मांगता है। हर वो खबरची जिम्मेदार है जो कहता है आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। हर वो जमात जिम्मेदार है जो दशहतगर्दो के वास्ते झंडे लेकर सड़क पर उतरने आतुर रहता है। अलावे हर वो नीच, गद्दार वकील जिम्मेदार है जो हत्यारों को फांसी के फंदे से महरूम करवाने आधी रात को अदालत में जद्दोजहद करते फिरता है। पाकिस्तान और आंतकवादी सरगनाओं का अमला तो  केवल एक एक सुरतेनामा है। असल, गद्दार इधर ही अपने घर में जो आस्तिन के सांप बनकर छुपे हुए हैं। अब उनको नेस्तनाबूत करना इंसानियत, वतन और जहान की मुहफजनियत निहायत जरूरी है।
    गौरतलब समय हिलाहवाली का नही है हमले से जमूरियत का खून खौल रहा है। सब्र का प्याला टूट चूका है। बलिदान का बदला कब? जितना बड़ा हमला, उतना बड़ा बदला लेने का समय आ गया है। प्रहार कर बहुत कठोर कदम उठाना होगा क्योंकि ऐसे हमले को ही नहीं भूलाया नहीं जा सकता। आखिरकार आतंकवाद मानवता के विरूद्ध है इसे हर हाल में परास्त कर खत्म करना होगा। शहीदों के एक-एक लहू का कतरा व्यर्थ नहीं जाना चाहिए येही सवा सौ करोड़ देशवासियों का प्रण और आतंक के खिलाफ आखरी रण है।

    बतौर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तल्ख लहजे में कहा कि पाकिस्तान के आतंकी मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। दुनिया ने हमले की निंदा की है, पाकिस्तान तबाही के रास्ते पर चल रहा है । भारत को तबाह करने की उसकी मंशा हरगिज पूरी नहीं होगी। हम हिन्दुस्तानी ऐसे हमले को मुंहतोड़ जवाब देंगे, सभी देश आतंकवाद के खिलाफ हमारे साथ खड़े है। आंतक को रोकने हमारी लड़ाई और तेज होगी। आतंकियों ने बहुत बड़ी गलती की है उन्हें इसकी बड़ी सजा चुकानी होगी।130 करोड़ लोगों का गुस्सा जाया नहीं जाएंगा क्योंकि ये वार जवानों पर नहीं बल्कि1 वतन है इसलिए सुरक्षा बलों को पूरी स्वतंत्रता दी गई है। मामले में पक्ष-विपक्ष राजनीति की छींटाकशी से दूर रहे, तभी हम आंतक का सफाया कर पाएंगे। बातों में दम है, देखते है कथनी, करनी में कब तब्दील होती है। शब्दाजंलि! जवानों ने देश की सुरक्षा, समृद्धि के लिए जो बलिदान दिया है उसका बदला इस अटल वादे और इरादे से पूरे होंगे। तभी नहीं चाहिए निंदा, एक भी आतंकवादी ना बचे जिंदा अमलीजामा पहनेंगा।

लेखक/हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक व विचारक हैं


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घड़ियाली आंसू बहाना बंद करें नेता लोग ,ऐसे तो न जाने कितने जवान शहीद होते रहेंगे

विश्वपति वर्मा_

पुलवामा हमले के बाद अब तक 45 जवान शहीद हो गए हैं ,उधर सरकार की तरफ से गजब का लॉलीपॉप दिया गया है कि सेना को पूरी छूट दे दी गई है।

लेकिन मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि अभी और कितने जवानों को शहीद का दर्जा दिलवाने में वह लगी है ।

सच तो यह है कि पाक में बैठे आतंकियों के आका इतने कमजोर भी नही है जिन्हें हम या हमारी सेना चुटकियों में खत्म कर देगी ।

आज हम युद्ध की बात ही कर लें तो रक्षा मामले में हम पाक से दो चार हाथ ही आगे हैं ,आखिर किस दम पर हम पाक से मुकाबला करने को सक्षम मानते हैं

अभी बीबीसी को दिए गए एक बयान में पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद ने कहा, "इस बात को ध्यान से समझना चाहिए कि पाकिस्तान के पास भी आर्मी है. पाकिस्तान की सेना ऐसी कमज़ोर नहीं है. हालांकि, हमने उनको 1971 में पछाड़कर 90 हज़ार बंदी भी बनाये थे. लेकिन अब पाकिस्तान के पास लड़ाकू विमानों के 25 स्क्वार्डन हैं. हमारे पास उनसे (सिर्फ़) दो चार स्क्वार्डन ज़्यादा हैं. यानी हमारे पास भरोसेमंद रक्षातंत्र नहीं है."

तो आखिर यंहा सेना को छूट देने का मायने क्या है ,जरूरी यह है कि भारत सरकार युद्ध जैसे कल्पनाओं को दरकिनार कर सबसे पहले कश्मीर में बैठे भारत विरोधी लोगों को कैद करे ,वँहा के अलगाववादी नेताओं को दी जाने वाली सुरक्षा एवं सहायता पूर्ण रूप से रद्द करे इसके अलावां सर्वदलीय बैठक में तुरंत यह तय किया जाए कि कश्मीर में  धारा 370 को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।

देश के नेता लोग द्वारा जवानों की शहादत पर घड़ियाली आंसू बहाते हुए बहुत बार देखा गया है लेकिन आज तक कश्मीर मुद्दे पर कोई ठोस रणनीति नही बनाई गई है ,आखिर क्या है नेताओं का नेतृत्व ?क्या 10 -20 गाड़ियों के साथ दर्जनों राइफल धारियों को लेकर चलने वाले हमारे देश के नेता कश्मीर में जाकर आतंकियों से मुकाबला करने को तैयार हैं ?क्या नेता लोग अपने बेटे बेटियों को देश की सुरक्षा के खातिर सीमा पर भेज रहे हैं शायद सभी सवालों के जवाब में नही का उत्तर आएगा!

आज पूरा देश दुखी है ,और यही बात सरकार और नेता लोग भी कह रहे हैं लेकिन यह कहने से काम नही चलेगा। आज जरूरी यह है कि कुत्ते की आकर के पाकिस्तान को सबक सिखाई जाए।

इसके लिए सरकार अपने वैश्विक मित्र देशों से सहयोग ले  और अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत करने के बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में जाकर अपना झंडा गाड़े ।

यदि ठोस नीतियां बना कर काम न किया गया तो 45 की तरहं न जाने कितने जवान शहीद होते रहेंगे और देश के न जाने कितने नागरिक मारे जाएंगे इसका अंदाजा भी नही लगाया जा सकता है।

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पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में मेजर सहित 4 जवान शहीद ,सर्च ऑपरेशन जारी

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में भारतीय सेना के चार जवान शहीद हो गए. शहीद होने वालों में भारतीय सेना का मेजर भी शामिल है. सेना ने इसकी पुष्टि कर दी है. एनकाउंटर रात करीब साढ़े 12 बजे शुरू हुआ और रात ढाई बजे तक रुक-रुक कर फायरिंग जारी रही. आशंका जताई जा रही है कि आतंकी फायरिंग करके मौके से भाग गए हैं. फायरिंग में जो जवान जख्मी भी हो गए हैं. वहीं एक नागरिक की मौत की भी खबर है.
             प्रतीकात्मक तस्वीर
फिलहाल इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. यह मुठभेड़ पुलवामा के पिंगलान इलाके में हुई है. सोमवार तड़के खबर आई थी कि सुरक्षाबलों ने दो-तीन आतंकवादियों को घेर लिया है. इलाके में आतंकियों के होने की जानकारी मिलने के बाद सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया था और आतंकियों की तलाश शुरु कर दी थी. तभी आतंकियों ने भारतीय सेना पर फायरिंग कर दी. इसके बाद दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई. मुठभेड़ आधी रात से जारी है.

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रविवार, 17 फ़रवरी 2019

लखनऊ-बदलाव संस्था कर रही गोमती नदी को साफ हर रविवार को होता है श्रमदान


बदलाव संस्था द्वारा संचालित भिक्षाव्रत्ती से जुड़े साथियों को पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु पुनर्वास केंद्र  “हैप्पी होम” (देखभाल, संरक्षण एव पुनर्वास), लक्ष्मण मेला मैदान के कार्यकर्ताओं एव सेवार्थियों द्वारा श्रम दान “प्रत्येक रविवार सामुदायिक कार्य” के अंतर्गत आज द्वितीय रविवार को पर्यावण संरक्षण हेतु लक्ष्मण मेला मैदान छठ पूजा घाट पर गोमती नदी की सफाई की गयी,गोमती नदी की सफाई का कार्यक्रम सुबह 9 बजे से शुरू होकर 12 बजे तक चला।

 गोमती नदी से लगभग 15 कुंतल जल कुम्भी,प्लास्टिक, कांच, कचड़ा पूजन सामग्री आदि निकाला गया।इस अवसर पर संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि बदलाव संस्था का लक्ष्य  भिक्षावृत्त्ति से जुड़े लोगों को पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध कराकर केवल स्वावलंबी बनाने तक सीमित नही है, बल्कि जिन निजी समस्याओं से  साथी जूझ रहे उसके अलावा समाज मे और भी क्या क्या समस्याएं, बुराइयाँ हैं उनसे रूबरू कराना, परिचर्चा कराना तथा सामाजिक जिम्मेदारी के निर्वाहन की सीख देते हुए एक सक्रिय नागरिक बनाना है। जिससे हासिये के लोग स्वावलंबी होकर सम्मानजनक व गरिमापूर्ण जीवन जीने के साथ सामाजिक दायित्यों का भी निर्वाहन करते हुए समाज के विकास में भी योगदान दें। आज द्वतीय रविवार को नशा तथा अशिक्षा की समस्या को साथियों ने चिन्हाकित किया , प्रथम रविवार बसंत पंचमी के दिन पर्यावरण संरक्षण तथा भिक्षावृत्त्ति की समस्या का चिन्हांकन किया गया था इसी प्रकार होलिका दहन से पहले प्रत्येक रविवार को दो दो समस्याओं का चिन्हांकन किया जाएगा तथा होलिका दहन के दिन इन होलिका रूपी चिन्हाकित 12 समस्याओ बुराइयों का सांकेतिक दहन किया जाएगा तथा इन 12 समस्याओं के उन्मूलन हेतु पूरे वर्ष एक - एक माह का श्रम दान, जागरूकता अभियान तथा अन्य गतिविधियों के माध्यम से प्रयास किया जाएगा।जिससे कि एक सशक्त समाज का निर्माण किया जा सके ।तथा शरद पटेल ने बताया कि बदलाव संस्था के कार्यकर्ता व सेवार्थी अपने अंदर छुपी एक बुराई कमजोरी को भी दूर करने का प्रत्येक रविवार को संकल्प ले रहे है जिससे कार्यकर्ता व सेवार्थी भी अपने अंदर छुपी इन 6 होलिका रूपी बुराइयों का भी दहन करेंगे तथा समाज के लोगों से भी आह्वाहन किया गया कि प्रत्येक रविवार को  वह भी अपने अन्दर छुपी एक बुराई व सामाजिक बुराई को दूर करने का संकल्प ले एवं होलिका दहन के दिन होलिका रूपी इन सभी बुराइयों को दहन कर, खुद को मजबूत व समाज को सशक्त बनाने में अपना योगदान देते हुए प्रतिभाग करें |

इस मौके पर बदलाव संस्था के संथापक शरद पटेल, राम जी वर्मा,महेंद्र प्रताप, मनोज कुमार, दिवाकर सिंह,श्रवण सिंह,नरेंद्र देव यादव, ओम प्रकाश,शिव रतन,प्रकाश, किशन, राजेश, लाल जी, सतीश पाल उर्फ राजू,रोहित सक्सेना,संजय कुमार वर्मा आदि लोग मौजूद रहे।

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पुलवामा आतंकी हमले में जवान की जुबानी ,कैसे कैसे मातम में बदल गई खुशियां

Pulwama Terror Attack: वेलेंटाइन डे जवानों के बीच बहुत लोकप्रिय नहीं है, फिर भी श्रीनगर में ड्यूटी पर वापस लौट रहे सीआरपीएफ (CRPF) की 76वीं बटालियन के 2500 से ज्यादा जवानों के लिए जम्मू से 2.33 बजे तड़के बस लेना यादगार अनुभव था-जो कि कुछ ही घंटों बाद सबसे दुखद घटना में तब्दील हो गया. सीआरपीएफ के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 78 वाहनों (इसमें 16 वाहनों को जोड़ा गया, जब यह दोपहर 2.15 बजे काजीगुंड पहुंचा) के काफिले को लगभग वीरान सड़क से भेजना असमान्य था. सुरक्षा के दृष्टिकोण से, यह एक आदर्श रणनीति होती क्योंकि पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात नगण्य था. काफिला घटना से केवल एक घंटे दूर-काजीगुंड से करीब 60 किलोमीटर पर पुलवामा के लाथपोरा में था.
ऐसा प्रतीत होता है कि काफिले की सुरक्षा को करीब-करीब हरी झंडी दी गई थी. सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी (रोप) रोज सुबह आईईडी की उपस्थिति को जांचने के लिए राजमार्गो की जांच करती है. क्षेत्र में सेना की बहुलता है और राजमार्गो पर हमेशा तत्काल प्रतिक्रिया समूह मौजूद रहता है.
                 प्रतीकात्मक तस्वीर
काफिला जैसे ही श्रीनगर से 27 किलोमीटर पहले लेथपोरा पहुंचा, एक पीछा कर रही विस्फोटक से भरी कार ने काफिले के पांचवी बस को बांयी तरफ से टक्कर मार दी. विस्फोट में दूसरे बस को भी नुकसान पहुंचा. क्षेत्र में गोलीबारी की आवाज सुनी गई, लेकिन कोई नहीं जानता यह गोलीबारी किसने की. अब शहीद जवानों की संख्या 49 तक पहुंच गई है और कम से कम दर्जन से ज्यादा घायल हैं.

काफिले में मौजूद सीआरपीएफ के एक जवान ने कहा कि जबरदस्त धमाके ने सभी को चौंका दिया. वहां केवल अफरा-तफरी और भ्रम की स्थिति थी-मैं वहां केवल धुआं देख पा रहा था. उन्होंने कहा, "हमें हमारे वाहनों में वापस जाने के लिए कहा गया."

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शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

पुलवामा आतंकी घटना की निंदा करते हुए WMA का कार्यक्रम रद्द


बस्तीः वेब मीडिया एसोसिएशन(डब्लूएमए) की ओर से प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन 16 फरवरी को दिन में 1.00 बजे स्थानीय प्रशासन को देने का कार्यक्रम था लेकिन पुलवामा में हुये आतंकी हमले की निंदा करते हुये, सर्वसम्मति से कार्यक्रम रद कर दिया गया है। अब यह कार्यक्रम बुधवार 20 फरवरी को दिन में 1.00 बजे होगा।

यह जानकारी देते हुये संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने न्यूज़ पोर्टलों और समाचार एजेंसियों के संचालकों से कार्यक्रम में समय से पहुंचकर इस क्रांतिकारी सफर का हिस्सा बनने की अपील किया है। पुलवामा की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया करते हुये उन्होने कहा कि पाकिस्तान ने इस बार भारत की आत्मा को चोट पहुंचाई है। छिटपुट घटनायें इससे पहले भी होती रही हैं, हमारा देश पाकिस्तान का आचरण और उसके इरादे जानता है फिर भी अभी तक उसे आतंकवादी राष्ट्र न घोषित किया जाना तथा उससे हर प्रकार के रिश्ते बनाये रखना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पुलवामा में मारे गये शहीदों के प्रति डब्लूएमए गहरी संवेदना व्यक्त करता है।

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शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

वेब मीडिया के पत्रकारों का पास न बनाने वाले बस्ती के सूचना निदेशक उत्तराखंड से लें सीख

बस्तीः (राकेश तिवारी) विगत 28 जनवरी को जीआईसी मैदान में बस्ती महोत्सव का उद्घाटन करने आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम का कवरेज करने जाते समय मीडिया दस्तक के संपादक अशोक श्रीवास्तव को पत्रकार दीर्घा से उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह ने वापस कर दिया। घटना के बाद निंदा और किरकिरी झेल रहे श्री सिंह को वाट्सएप ग्रुपों में सफाई देनी पड़ी। उन्होने तमाम कायदे कानून गिनाये और यह संदेश देने का प्रयास किया कि न्यूज पोर्टल या संवाद समितियां जो सूचीबद्ध नही है उससे जुड़े संवाददाता या संपादक पत्रकार नही हैं। दरअसल सूचना विभाग प्रशासन और मीडिया के बीच समन्वय स्थापित करने और सूचनाओं के आदान प्रदान के लिये होता है।
या यूं कहें कि विभाग प्रशासन की आंख और कान होता है। लेकिन जब इस विभाग का अफसर चापलूस और बदतहजीब हो जाये तो मुश्किलें आनी तय है। इतना ही नही यह सर्वविदित है कि वीआईपी कार्यक्रमों में गलत लोगों को जाने से रोकने के लिये पास की व्यवस्था लागू की गयी है। पास पत्रकार की योग्यता नही तय उसकी सक्रियता तय करते हैं। तीन साल में मीडिया दस्तक करीब साढ़े ग्यारह लाख पाठकों के बीच है। यू ट्यूब पर साढ़े तीन लाख से ज्यादा दर्शक हैं। सक्रियता के लिये क्या यह काफी नही है। मुरलीधर के द्वारा ऐसे मौकों पर तमाम ऐसे लोगों को पास जारी किये जाते हैं जिनका अखबार दिखाई ही नही देता। दो दशक से पत्रकारिता कर रहे मीडिया दस्तक के संपादक अशोक श्रीवास्तव को अनेक अफसर, एलआईयू और स्वयं उप सूचना निदेशक मुरलीधर सिंह अच्छी तरह जानते हैं। उनसे जुड़ी सूचनायें तथा कम्पनी एक्ट 2013 के तहत संवाद सेवाओं के लिये पंजीकृत मीडिया दस्तक के सर्टिफिकेट सूचना कार्यालय में जमा हैं।
ऐसे में स्वयं मुरलीधर सिंह द्वारा उन्हे रोका जाना हतप्रभ करने वाला है। यह बताना जरूरी है कि इससे पहले अनेकों अवसरों पर मीडिया दस्तक को सहजता से पास जारी होते रहे हैं। दूसरे राज्यों में भी मीडिया दस्तक को वीआईपी कार्यक्रमों के कवरेज के लिये पास जारी होते रहे हैं। उत्तराखण्ड से वेस्ट बंगाल और बिहार तक कहीं भी मीडिया दस्तक को कवरेज से रोके जाने की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा नही हुई। लेकिन वर्षों से सूचना विभाग में चौकड़ी मारकर बैठे उप सूचना निदेशक के अपने कायदे कानून हैं जिससे आये दिन पत्रकारों के स्वाभिमान चकनाचूर हो रहे हैं।
ताजा मामला भी देखें

14 फरवरी को उत्तराखण्ड के रूद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा थी। हालांकि खराब मौसम के कारण उनका कार्यक्रम रद हो गया और उन्होने फोन पर जनता को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का कवरेज करने के लिये उत्तराखण्ड हेड कुंदन शर्मा को पास जारी किया गया। इतना ही नही एक प्रशासनिक अधिकारी ने उन्हे अपने हाथों से पास दिया। निःसंदेह उत्तराखण्ड भारत का ही हिस्सा है, लेकिन वहां मुरलीधर सिंह जैसा सूचना अधिकारी नहीं है। उत्तराखण्ड में जारी पास शेयर करने के पीछे उद्देश्य है कि मुरलीधर इसे गौर से देख सकें, जिससे उनकी आंखों पर पड़ा अहंकार का परदा हटे और वे मीडिया का सम्मान करना सीख जायें।

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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद जवानों की संख्या हुई 44,देखिये जवानों की पूरी लिस्ट


जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा  में अवन्तीपुरा के गोरीपुरा इलाके में सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर बड़ा आतंकी हमला हुआ है. हमले में सीआरपीएफ  के  40 जवान शहीद हो गए हैं. सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में करीब 350 किलो IED (Improvised Explosive Device) का इस्तेमाल हुआ. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली और इसे आत्मघाती बताया. रक्षा अधिकारी ने हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है।

हमले में शहीद हुए जवान

1. जयमाल सिंह- 76 बटालियन
2. नसीर अहमद- 76 बटालियन
3. सुखविंदर सिंह- 76 बटालियन
4. रोहिताश लांबा- 76 बटालियन
5. तिकल राज- 76 बटालियन
6. भागीरथ सिंह- 45 बटालियन
7. बीरेंद्र सिंह- 45 बटालियन
8. अवधेष कुमार यादव- 45 बटालियन
9. नितिन सिंह राठौर- 3 बटालियन
10. रतन कुमार ठाकुर- 45 बटालियन
11. सुरेंद्र यादव- 45 बटालियन
12. संजय कुमार सिंह- 176 बटालियन
13. रामवकील- 176 बटालियन
14. धरमचंद्रा- 176 बटालियन
15. बेलकर ठाका- 176 बटालियन
16. श्याम बाबू- 115 बटालियन
17. अजीत कुमार आजाद- 115 बटालियन
18. प्रदीप सिंह- 115 बटालियन
19. संजय राजपूत- 115 बटालियन
20. कौशल कुमार रावत- 115 बटालियन
21. जीत राम- 92 बटालियन
22. अमित कुमार- 92 बटालियन
23. विजय कुमार मौर्या- 92 बटालियन
24. कुलविंदर सिंह- 92 बटालियन
25. विजय सोरंग- 82 बटालियन
26. वसंत कुमार वीवी- 82 बटालियन
27. गुरु एच- 82 बटालियन
28. सुभम अनिरंग जी- 82 बटालियन
29. अमर कुमार- 75 बटालियन
30. अजय कुमार- 75 बटालियन
31. मनिंदर सिंह- 75 बटालियन
32. रमेश यादव- 61 बटालियन
33. परशाना कुमार साहू- 61 बटालियन
34. हेम राज मीना- 61 बटालियन
35. बबला शंत्रा- 35 बटालियन
36. अश्वनी कुमार कोची- 35 बटालियन
37. प्रदीप कुमार- 21 बटालियन
38. सुधीर कुमार बंशल- 21 बटालियन
39. रविंदर सिंह- 98 बटालियन
40. एम बाशुमातारे- 98 बटालियन
41. महेश कुमार- 118 बटालियन
42. एलएल गुलजार- 118 बटालियन
43 . उपलब्ध नहीं
44.उपलब्ध नहीं

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

बस्ती -डिप्टी सीएम के आगमन के पूर्व जर्जर सड़क को लेकर ग्रामीणों ने लगाए ''भाजपा नो इंट्री''के नारे

विश्वपति वर्मा -
जिले के गौर ब्लॉक में डिप्टी सीएम के आने किन तैयारी चल रही है तो उधर इसी ब्लॉक के सैकड़ो  ग्रामीणों ने ''भाजपा नो इंट्री'' के  नारे लगा कर  प्रशासन को चौंका दिया है। बता दें कि प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लोकनिर्माण विभाग को अपने पास रखे हैं वंही बस्ती जनपद में कई दर्जन सड़क पूर्ण रूप  से जर्जर हो चुकी  हैं ,ऐसे मौके पर जब प्रदेश सरकार गड्ढा मुक्त योजना चलाकर सड़कों का कायाकल्प करने की बात कर रही है तब कार्यक्रम स्थल गौर के आस - पास के इलाकों की कई महत्वपूर्ण सड़कों पर आज भी यात्री हचकोले खा रहे हैं।

यह देखते हुए क्षेत्रीय लोगों ने बुधवार को ग्राम पंचायत माझा मानपुर में बस्ती गोंडा को जोड़ने वाली बेलवरिया जंगल से माझा मानपुर की जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण को लेकर चुनाव बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया  ।


  शासन और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए  माझा मानपुर के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुभाष चंद चौधरी ने कहा कि गौर ब्लाक के उत्तरी सिरे पर स्थित विशुही नदी के बेलवरिया घाट पर बने पक्के पुल का एप्रोच और सड़क काफी नीचा व विगत 15 बर्षो से जर्जर है ,जिससे बरसात के दिन में सड़क जलमग्न हो जाती है परिणाम स्वरुप माझा मानपुर का  संपर्क मार्ग जनपद के समस्त कार्यालयों ,स्कूलों ,अस्पतालों आदि से टूट जाता है ,इस समस्या के समाधान के लिए क्षेत्रीय जनता ने विभाग को कई बार पत्र दिए समाचर के माध्यम से अवगत कराया गया  अनेकों बार आंदोलन किया गया पर आज तक कोई समाधान नहीं हुआ।

             इंकलाबी नौजवान सभा के जिला संयोजक कामरेड राम लौट ने चुनाव बहिष्कार का समर्थन करते हुए कहा कि विगत 15 वर्षों में सभी प्रमुख दलो सपा ,बसपा  की सरकार में यह सड़क पूर्णयता उपेक्षित रही ,वहीँ भाजपा सरकार में जब सड़कों को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही है तो उसके सारे दावे केवल कागजों तक ही सीमित है। 

   इस अवसर पर उदय राज चौधरी, रक्षा राम ,दुर्गा प्रसाद यादव, राम चरित्र गौतम ,मनसा राम वर्मा ,त्रिवेणी वर्मा ,राम बोध चौधरी ,राहुल चौधरी ,राजेंद्र प्रसाद ,तुलसीराम निषाद ,सुरेंद्र वर्मा ,गंगाराम निषाद ,राम रतन, सभा जीत वर्मा, साधु चौधरी, राम सुधी चौधरी, राम तीर्थ,हरिश्चंद्र वर्मा,संजय निषाद, जगराम गोंड़,राम भवन पटेल सहित आदि लोग मौजूद रहे। 

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एकजुट हुए वेब मीडिया के पत्रकार बना संगठन ,संघर्ष की तैयारी

बस्तीः न्याय मार्ग स्थित मीडिया दस्तक कार्यालय में वेब मीडिया के संचालकों की बैठक हुई जिसमें न्यूज पोर्टलों और संवाद समितियों के संचालकों ने हिस्सा लिया। बैठक में सूचना विभाग द्वारा उक्त माध्यमों और इससे जुड़े पत्रकारों की अनदेखी किये जाने पर विस्तार से चर्चा हुई।

मीडिया दस्तक के संपादक अशोक श्रीवास्तव ने कहा पूरे देश को डिजिटल इण्डिया का सपना दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में वेब मीडिया की अनदेखी समझ से परे है। उन्होने कहा वेब मीडिया को भी सम्मानजक स्थान दिलाने तथा सूचना विभाग में सूचीबद्ध किये जाने के लिये एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। इसके लिये राष्ट्रीय स्तर का संगठन खड़ा करने की जरूरत है। तहकीकात समाचार के संपादक विश्वपति वर्मा ‘सौरभ‘ ने कहा कि वेब मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता ने सभी को हैरान किया है। एक साजिश के तहत इससे जुड़े पत्रकारों पर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है। यही कारण है कि सूचना विभाग में इनकी अनदेखी हो रही है और वीआईपी कार्यक्रमों के लिये पास नही जारी किये जाते हैं। इसमें भी दोहरे मापदण्ड अपनाये जाते हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
बीएनटी लाइव के संपादक राजेश पाण्डेय ने कहा कि वेब मीडिया की आवाज को एक साजिश के तहत दबाया जा रहा है। बैठक में सर्वसम्मति से एक संगठन बनाया गया जिसका नाम वेब मीडिया एसोसियेशन रखा गया। इसी नाम से एक वाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया। अशोक श्रीवास्तव को वेब मीडिया एसोसियेशन का संयोजक नियुक्त किया। शनिवार 16 फरवरी को दिन में 1.00 बजे जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया गया। राजेश पाण्डेय के प्रस्ताव पर सभी ने अंशदान देकर संगठन का कोष बनाया जिसकी जिम्मेदारी दिनेश कुमार पाण्डेय को दी गयी। इस अवसर पर अरूणेश श्रीवास्तव, अनिल कुमार श्रीवास्तव, सुशील प्रताप सिंह, राकेश त्रिपाठी, अनूप मिश्रा आदि मौजूद रहे।

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स्मार्टफोन कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा फीचर्स के बारे में क्या आपने पढ़ा है

मल्टीमीडिया डेस्क_

आप स्मार्टफोन तो चलाते हैं लेकिन शायद आपने कभी स्मार्टफोन के सुरक्षा फीचर्स को नही पढ़ा होगा जो सभी मोबाइल कंपनियों द्वारा आपके मोबाइल फोन में दी जाती है, आज हम आपको mi मोबाइल कंपनी के सुरक्षा नियमों को बता रहे हैं जो लगभग सभी मोबाइल कंपनियों पर लागू होता है।

अपने डिवाइस का उपयोग करने से पहले नीचे दी गई सभी सुरक्षा जानकारी पढ़ें.

अनधिकृत केबल, पावर एडॉप्टर, या बैटरी का उपयोग करने से आग, विस्फोट, या अन्य जोखिम हो सकते हैं.
केवल अधिकृत एक्सेसरीज़ का उपयोग करें जो आपके डिवाइस के साथ संगत हों.

इस डिवाइस का उपयोग 0°C ~ 40°C की तापमान सीमा के भीतर करें और इस डिवाइस और इसके एक्सेसरीज़ को -20°C ~ 45°C की तापमान सीमा के भीतर स्टोर करें. इस तापमान रेंज के बाहर के वातावरण में इस डिवाइस का उपयोग करने से डिवाइस को नुकसान पहुंच सकता है.
यदि आपके डिवाइस में बिल्ट-इन बैटरी दी गई है, तो बैटरी या डिवाइस को क्षति से बचाने के लिए बैटरी को स्वयं बदलने का प्रयास न करें.

इस डिवाइस को केवल शामिल या अधिकृत केबल और पावर एडाप्टर से चार्ज करे. अन्य एडाप्टर का उपयोग करने से आग, बिजली के झटके लगते सकते हैं और डिवाइस और एडाप्टर को नुकसान हो सकता है.

पूरी तरह से चार्ज हो जाने के बाद, एडाप्टर को डिवाइस और पावर आउटलेट दोनों से डिस्कनेक्ट कर दें. डिवाइस को 12 घंटे से अधिक समय तक चार्ज न करें.
खुद प्लग या पावर कॉर्ड को संशोधित करने का प्रयास न करें और चार्जर को साफ करने से पहले बिजली की आपूर्ति को डिस्कनेक्ट कर दें.

डिवाइस या पुरानी बैटरी को नियमित कचरे के साथ न फेंके. ठीक से हैंडल नहीं किए जाने पार, बैटरी विस्फोट कर सकता है या आग लग सकती है. डिवाइस, बैटरी, और अन्य सहायक उपकरणों का निपटान करते समय अपने स्थानीय विनियमों का पालन करें.
बैटरी पुनर्नवीनीकरण या निपटान घर के कचरे से अलग से किया जाना चाहिए. बैटरी को गलत तरीके से हैंडल करने से आग लग सकती है या विस्फोट हो सकता है. डिवाइस, उसकी बैटरी और एक्सेसरीज को निपटान या रीसायकल स्थानीय विनियमों के अनुसार करें.

बैटरी को डिसेंबल न करें, हिट न करें, क्रश न करें या नहीं जलाएं. विरूपण के मामले में, तुरंत बैटरी का उपयोग करना बंद कर दें.
बैटरी के अधिक गर्म होने, जलने या अन्य व्यक्तिगत चोटों से बचने के लिए शॉर्ट सर्किट न करें

बैटरी को उच्च तापमान वाले वातावरण में न रखें. अधिक गर्म होने से विस्फोट हो सकता है.
बैटरी रिसाव, धिक गर्म होने, या विस्फोट से बचने के लिए बैटरी को अलग न करें, हिट या क्रश न करें.
आग या विस्फोट से बचने के लिए बैटरी को न जलाएं.
विरूपण के मामले में, तुरंत बैटरी का उपयोग करना बंद कर दें.
अगर बैटरी रंग, विकृति, असामान्य रूप से गर्म होने, या सूजन के लक्षण प्रदर्शित कर रहा है तो उसे उपयोग करना बंद कर दें
अपने डिवाइस को सूखा रखें. गर्म और आर्द्र वातावरण में या किसी खुली आग के पास उत्पाद और उसके एक्सेसरीज को स्टोर या उनका उपयोग न करें.

वारंटी का उल्लंघन करने से बचने के लिए, डिवाइस और उसके एक्सेसरीज को डिसेंबल और संशोधित न करें. यदि डिवाइस का कोई भी भाग ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो Mi ग्राहक सहायता से संपर्क करें या अपने डिवाइस को किसी अधिकृत सुधार केंद्र पर ले जाएं.

सुनने की शक्ति जाने की संभावित स्थिति से बचने के लिए, लंबे समय तक उच्च वॉल्यूम स्तर पर न सुनें.
डिवाइस की सफाई और रखरखाव करने से पहले, सभी ऐप्स बंद करें और डिवाइस को अन्य सभी डिवाइस/केबल से डिस्कनेक्ट करें.

डिवाइस और उसके एक्सेसरी को पोंछने के लिए एक सूखे, साफ मुलायम कपड़े का उपयोग करें. डिवाइस या उसके एक्सेसरीज को साफ करने के लिए कठोर रसायनों या डिटर्जेंट का उपयोग न करें.
डिवाइस और उसके एक्सेसरीज को सुखाने के लिए किसी माइक्रोवेव या हेयर ड्रायर जैसे बाहरी हीटिंग डिवाइस का उपयोग न करें.

बाल सुरक्षा
डिवाइस और सभी एक्सेसरीज को बच्चों से दूर रखें. चोकिंग या घुटन के जोखिम से बचने के लिए डिवाइस या इसके किसी भी एक्सेसरीज के साथ बच्चों को खेलने न दें, उन्हें चबाने या निगलने न दें.

आपातकालीन कॉल करना
सेवा नेटवर्क भिन्नता और अन्य क्षेत्रीय अंतर के कारण, डिवाइस सभी क्षेत्रों में और सभी शर्तों के तहत कॉल करने में सक्षम नहीं हो सकता है. कृपया डिवाइस पर महत्वपूर्ण या आपातकालीन कॉल करने के लिए पूरी तरह से निर्भर न हो. Mi Pad पर कॉल करना समर्थित नहीं है.

सुरक्षा सावधानियां
ऐसे सभी कानूनों और नियमों पर गौर करें जो विशिष्ट मामलों और वातावरण में मोबाइल फ़ोन का उपयोग प्रतिबंधित करते हैं.
पेट्रोल स्टेशन और संभावित विस्फोटक वातावरण में अपने फ़ोन का उपयोग न करें जिसमें नावों, ईंधन या रासायनिक ट्रांस्फर या स्टोरेज सुविधाओं पर डेक के नीचे के ईंधन क्षेत्र में शामिल हैं, जहां हवा में रसायन या कण, जैसे अनाज, धूल, या धातु पाउडर शामिल होते हैं. अपने फ़ोन या अन्य रेडियो डिवाइस जैसे वायरलेस डिवाइस बंद करने के लिए सभी पोस्ट किए गए संकेतों का पालन करें. अपने मोबाइल फ़ोन या वायरलेस डिवाइस को उस समय बंद कर लें जब आप किसी विस्फ़ोटक क्षेत्र में हों या ऐसे क्षेत्रों में हों, जहां "दो-तरफ़ा रेडियो" या "इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस" को बंद करके रखने की सूचना पोस्ट की गई हो ताकि विस्फ़ोटक कार्रवाइयों के साथ हस्तक्षेप करने से बचा जा सके.

अस्पताल के ऑपरेटिंग कमरे, आपातकालीन कमरे, या गहन देखभाल इकाइयों में अपने फ़ोन का उपयोग न करें. अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के वर्तमान नियमों और विनियमों का अनुपालन करें. यह निर्धारित करने के लिए कि आपके फ़ोन के ऑपरेशन आपके चिकित्सा डिवाइस के संचालन के साथ हस्तक्षेप कर सकते हैं या नहीं, अपने चिकित्सक और डिवाइस निर्माता से परामर्श लें. पेसमेकर के साथ संभावित व्यवधान से बचने के लिए, फ़ोन और पेसमेकर कम से कम 15 सेमी की दूरी बनाए रखें. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, अपने पेसमेकर के विपरीत कान में फ़ोन का उपयोग करें और इसे छाती के पास के जेब में न रखें. हियरिंग एड, कॉकलियर प्रत्यारोपण आदि के आस-पास अपने फ़ोन का उपयोग न करें. ताकि चिकित्सा उपकरणों के साथ हस्तक्षेप से बचा जा सके.

विमान सुरक्षा नियमों का सम्मान करें और जब आवश्यक हो, विमान बोर्ड पर अपने डिवाइस बंद करें.
वाहन चलाते समय, प्रासंगिक ट्रैफ़िक कानूनों और विनियमों के अनुसार अपने डिवाइस का उपयोग करें.
बिजली गिरने से बचने के लिए, गरज और तुफ़ान के दौरान अपने डिवाइस का बाहर उपयोग न करें.

चार्ज करते समय कॉल करने के लिए अपने डिवाइस का उपयोग न करें. Mi Pad पर कॉल करना समर्थित नहीं है.
उच्च आर्द्रता वाले स्थानों जैसे ऐसे बाथरूम में अपने डिवाइस का उपयोग न करें. ऐसा करने से बिजली के झटके, चोट, आग लग सकती है और चार्जर को नुकसान पहुंच सकता है.
ऐसे सभी नियम पर गौर करें जो विशिष्ट मामलों और वातावरण में मोबाइल डिवाइस का उपयोग प्रतिबंधित करें.

फ्लैश का उपयोग करते समय, दृष्टि विकार से बचने के लिए प्रकाश को लोगों या जानवरों की आंखों के नज़दीक न ले जाएं.
यदि डिवाइस का कार्यकारी तापमान बहुत गर्म हो जाता है, तो कम तापमान से जलने से बचने के लिए विस्तारित अवधि तक अपनी त्वचा के साथ सीधे संपर्क में न रखें.

यदि डिस्पले टूट जाता है, तो कृपया चोट के कारण तेज किनारों या टुकड़ों से सावधान रहें. यदि डिवाइस किसी कठोर वस्तु से टकराने या अत्यधिक बल का अनुभव करने के बाद टुकड़ों में टूट जाता है, तो टूटे हुए भागों को निकालने या छुने की कोशिश करें. उत्पाद का उपयोग करना बंद कर दें और तुरंत शाओमी के बिक्री-पश्चात सेवा से संपर्क करें.

सुरक्षा सूचना
बिल्ट-इन सॉफ़्टवेयर अपडेट फ़ीचर का उपयोग करके अपने डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम का अपडेट करें या हमारे अधिकृत सेवा आउटलेट पर जाएं. अन्य साधनों के माध्यम से सॉफ़्टवेयर अपडेट करने से डिवाइस को निकसान पहुंच सकता है या डेटा की हानि हो सकती है, सुरक्षा समास्याएं आ सकती हैं और अन्य जोखिम भी हो सकते हैं.

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मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

कोर्ट से एक दिन की अनोखी सजा काट कर बाहर निकले नागेश्वर राव

बिहार शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट के अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव  को कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई और उन्हें दिन भर के लिए कोर्ट के एक कोने में बैठने की सजा दी. इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से जाकर आग्रह किया कि CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने काफी सज़ा भुगत ली है, अब उन्हें जाने दिया जाए. कोर्ट ने कहा, 'यह आपका दंड है...आपसे कहा गया है, कोर्ट उठने तक बैठे रहें...क्या आप चाहते हैं कि हम कल कोर्ट उठने तक आपकी सज़ा बढ़ा दें...?" कोर्ट के सख्त रुख के बाद नागेश्वर राव और भासुरन चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गए. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगित होने बाद नागेश्वर राव सजा पूरी करके कोर्ट से बाहर निकल गए।


बता दें कि बिहार शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट के अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के तत्कालीन अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई और उन्हें दिन भर के लिए कोर्ट के एक कोने में बैठने की सजा दी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि नागेश्वर राव को पता होना चाहिए था कि बिहार शेल्टर मामले के उस वक्त के जांच अधिकारी ए के शर्मा को हटाने से क्या असर होगा. राव को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार देंगे. एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए, और दूसरी तफर वो शर्मा का रिलीविंग ऑर्डर साइन कर देते हैं. चीफ जस्टिस ने कड़े लहजे में कहा कि अगर एक दिन बाद रिलीविंग ऑर्डर साइन होता तो क्या आसमान टूट पड़ता?

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एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा अखिलेश यादव को रोके जाने पर माहौल हुआ गर्म

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी  के एक कार्यक्रम में जाने के दौरान लखनऊ एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा रोके जाने पर मामला गरमाता दिख रहा है. अखिलेश यादव ने मीडिया को संबोधित कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला और कहा कि उन्हें छात्रों के कार्यक्रम में न जाने का दुख है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नियत साफ नहीं थी।

अखिलेश यादव ने कहा, 'मुझे इस समय इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच अपनी बात रखनी थी. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों और छात्रसंघ के अध्यक्ष (जो अभी हालही चुने गए हैं) के कार्यक्रम में मुझे शामिल होना था. मुझे दुख है इस बात का कि जो छात्र इतने दिनों से तैयारी कर रहे थे और उस कार्यक्रम में शामिल होकर हमें अपनी बात रखनी थी, वह नहीं हो पाया. सरकार का मन और नियत साफ नहीं रहा. यूनिवर्सिटी का कार्यक्रम मैंने बहुत महीने पहले भेज दिया था. छात्रसंघ के नेताओं ने भी प्रशासनिक अधिकारियों और वीसी से मुलाकात करने के बाद ही मुझे कार्यक्रम की तारीख दी थी.'

वंही मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि सपा और बसपा के गठबंधन से डर चुकी सरकार इस तरहं के कदम उठा रही है लेकिन उसे इससे कोई फायदा होने  वाला नही है ।

वउधर अखिलेश यादव को रोके जाने को लेकर सोशल मीडिया पर प्रदेश सरकार की जमकर आलोचना हो रही है ,अखिलेश यादव के सैकड़ो समर्थक ने अपने अपने अंदाज में सरकार के इस रवैये पर लिखते हैं कि आने वाले दिनों में बीजेपी सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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लो मिल गया आंकड़ा- 1947 में भारत आजाद नही हुआ था ,पढ़ें और जानें क्या हुआ था

विश्वपति वर्मा_

भारतीय को आज नही आदि से ही चुप रहने की आदत है जिसकी वजह से पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी से जूझ रहे हैं । जनवरी 1877 में एक तरफ लार्ड लिटन दिल्ली दरबार का आयोजन कर रहा था जिसमे उसने अकूत दौलत को बर्बाद किया दूसरी तरफ भारत की एक बड़ी आबादी भुखमरी की चपेट में थी जिसके चलते भारत के लाखों लोगों की अकाल मृत्यु हो गई थी।लेकिन लिटन ने इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को भारत सामाग्री की उपाधि प्रदान करने में लगा था ।

हालांकि लिटन का यह फिजूल खर्ची भारत के बौद्धिक संपदा के लोगों को रास नहीं आई और यही कारण बना कि भारत के लोगों में चेतना आई और उसके राष्ट्रविरोधी नीतियों को दमन करने के लिए भारतीय एक जुट होने लगे तत्पश्चात ऐसे ही हजारों आंदोलन होने के बाद 70 वर्ष बाद जाकर 1947 में भारत गोरे साहबों की गुलामी से मुक्त हुआ ।

लेकिन उसके अगले 70 वर्षों यानी कि 2019 तक के काल खण्डों को उठाकर देखें तो भारत अंग्रेजों से आजाद नही हुआ बल्कि सत्ता का हस्तांतरण किया गया था।

उदाहरण स्वरूप आप जीवन काल खण्डों के भारतीय शासन व्यवस्था को उठा कर देख लीजिए इनके कार्यकाल समयों में वही कार्य हुआ है जो अंग्रेजी हुकूमत करते आ रही थी ,अपने लोगों को पुरस्कार देने और दरबार लगाकर ऐशो इशरत के सामाग्री ढूढने में वो लोग लगे हुए थे और ये लोग भी वही कर रहे हैं।

जब देश की एक बड़ी आबादी गरीबी ,बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार, कुपोषण ,अज्ञानता इत्यादि को झेल रही है तब यंहा भूरे साहबों द्वारा महोत्सव करना, मंच लगाकर पदक बांटना,विशेष व्यक्ति मानकर करोड़ो -करोड़ रुपये का चेक बांटना ,सदन चलाने के नाम पर देश के खजाने की बड़ी धनराशि को बर्बाद करना ,वरिष्ठता के आधार पर वीवीआइपी सुबिधाओं के नाम पर देश भर में खजाने से हजारों करोड़ रुपया खर्च  करना जैसे सैकड़ों कार्यों की सूची देख लिया जाए तो लगता है कि जब भारत की जनता आज भी अकाल मौत के मुह में समा जा रही है तब यह स्पष्ट होता है कि भारतीयों के जिंदगी सुधारने के लिए कोई आजादी नही ली गई थी बल्कि अपने ऐशो आराम के लिए सत्ता का हस्तांतरण किया गया था।

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सोमवार, 11 फ़रवरी 2019

जो काम आज तक सरकार नही कर पाई उसे पूरा करती है "बदलाव"टीम

विश्वपति वर्मा_

पीएचडी की पढ़ाई करने वाले शरद पटेल का देश और देश के लोगों की प्रति एक अलग जीवन बन चुका है वें राजधानी लखनऊ में भीख मांगने वाले 100 से अधिक भिखारियों के जीवन मे बदलाव लाने के बाद अब उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का पाठ पढ़ा रहे हैं ।


शरद ने उन लोगों के जीवन मे बदलाव लाया है जो कुछ दिन पहले सड़कों पर भीख मांगते थे आज वें ई रिक्सा चलाने ,सब्जी बेंचने के साथ कई रोजगार के माध्यम से अपने ऊपर लगे कलंक को हटा रहे हैं ।

इतना सब करने के बाद शरद पटेल अब सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को भी आगे बढ़ा रहे हैं ,वें लोग जो भिक्षावृत्ति से मुक्त हुए हैं शरद के मार्गदर्शन में राजधानी लखनऊ के अंदर भरे पड़े गंदगियों को साफ कर उसे वास्तव में स्वच्छ भारत का इलाका बना रहे हैं ।

 इन लोगों ने ठाना है कि हप्ते के एक दिन में श्रमदान कर सार्वजनिक जगहों की साफ सफाई की जाएगी शरद के इस मुहिम से आज लखनऊ के छठ पूजा घाट की तस्वीर बदल चुकी है जो कल तक कूड़े के ढेर एवं जलीय बनस्पतियों से भरा हुआ था।

देखा जाए तो ऐसी जगहों पर साफ सफाई के नाम पर शासन प्रशासन ने अकूत पैंसे खर्च किये लेकिन वँहा कोई बदलाव आज तक नही है लेकिन शरद के "बदलाव" संस्था के सहयोगियों द्वारा यंहा पर बदलाव होने लगा है।

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रविवार, 10 फ़रवरी 2019

गुर्जर आंदोलन हुआ हिंसक पुलिस की तीन गाड़ियों में लगाई आग ,18 ट्रेनें रद्द

जयपुर:  राजस्थान में गुर्जरों का आरक्षण के लिए जारी शांतिपूर्ण आंदोलन रविवार को हिंसक हो गया. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की तीन गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. गुर्जर नेता दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर पटरियों पर बैठे हैं जिससे कई प्रमुख ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है या उनके मार्ग में बदलाव किया गया है. आंदोलनकारियों ने धौलपुर जिले में आगरा-मुरैना राजमार्ग को बंद करने की भी कोशिश की. इस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई. उग्र प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के तीन वाहनों को आग लगा दी. वहीं, आंदोलन की वजह से उत्तर रेलवे ने 10 फरवरी को चलने वाली 18 ट्रेनें रद्द की, वहीं, 11 फरवरी को चलने वाली 10 ट्रेनें और 12 फरवरी को चलने वाली 12 ट्रेनें भी रद्द की गईं जबकि 13 फरवरी को चलने वाली 15 ट्रेनों को रद्द किया गया है।



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