शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

जल निगम की लापरवाही से बर्बाद हो रहा पानी



विश्वपति वर्मा_

सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत अमरौली शुमाली में लगे ओवरहेड टैंक से जंहा साफ पानी उपलब्ध होने की मंशा पर पानी  फिर गया है वंही भारी मात्रा में जल की बर्बादी भी हो रहा है।

अमरौली शुमाली के 12 गांव के 51 टोले एवं दर्जनों सार्वजनिक स्थान  पर स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से  वर्ष 2013-14 में ग्राम पंचायत के अमरौली खास में 1 करोड़ 59 लाख की लागत से पानी टंकी का निर्माण कराया गया लेकिन एक बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद का नतीजा यह है कि आज तक पंचायत के 12 पुरवे तक पानी नही पंहुच पाया ।

पानी टंकी से निकली मुख्य पाइप लाइन से  टी फिटिंग के जरिये ग्राम पंचायत के सभी पुरवे पर पानी पंहुचाना था लेकिन घटिया निर्माण की वजह से टी फिटिंग वाली सभी लाइने ध्वस्त हो चुकी हैं जिसके वजह  बरहपुर एवं चिरैयाडाड गांव में आज तक पानी नही पंहुच पाया ।

इसके अलावां पाइपें फट जाने की वजह से एक तरफ जंहा रामनगर एवं करीमनगर  गांव में जल जमाव हो रहा है वंही आगे जा रही पानी के साथ गंदगी का ढेर भी जा रहा है जानकारी के अभाव में लोग दूषित पानी पी भी रहे हैं।

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गुरुवार, 29 नवंबर 2018

गौर से लखनऊ तक रोडवेज बस चलाने के लिए जिला पंचायत सदस्य ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

रिपोर्ट -बब्लू यादव _

प्रदेश सरकार में सहयोगी पार्टी अपना दल एस के प्रदेश कोषाध्यक्ष एंव गौर से जिला पंचायत सदस्य राम सिंह पटेल ने गुरुवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गौर ब्लाक मुख्यालय से बभनान होकर लखनऊ के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सीधी बस सेवा शुरु करने की मांग की है,श्री पटेल ने पत्र में लिखा है कि गौर ब्लाक से लखनऊ के लिए कोई बस सेवा न होने से यहां से लोगों को लखनऊ आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
                           रामसिंह पटेल
तहकीकात समाचार  से बात करते हुए श्री पटेल ने कहा कि गौर और आसपास के इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोगों का राजधानी आना जाना रहता है, लेकिन इस रूट पर परिवहन विभाग की सेवा न होने से लोगों को आवागमन में काफी समस्या होती है।

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परिषदीय स्कूलों के किताब के पन्नों में दुकानों पर बंट रहा पकौड़ी और नमकीन

विश्वपति वर्मा_

सब पढ़े सब बढ़े का नारा देकर भले ही सरकार यह दिखाना चाहती है कि देश के नागरिकों को निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था किया जा रहा ,लेकिन सरकारी प्रणाली की निरंकुशता की वजह से एक तरफ जंहा सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है वंही जनता के धन का दुरुपयोग भी जबरदस्त तरीके से हो रहा है।

परिषदीय विद्यालयों में निःशुल्क वितरित होने वाले पुस्तक को भानपुर तहसील क्षेत्र के दुकानों पर नमकीन पकौड़ी और जिलेबी देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है ,कई दुकानों के साथ कबाड़ी के दुकान पर परिषदीय विद्यालयों की किताबों को देखा जा सकता है।

सवाल यह है कि भारी मात्रा में ये किताब दुकानों पर कैसे पंहुच रहा है ।

इस संबंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी जेपी जायसवाल से बात हुई तो कहा कि हमारी किताबें स्कूल में हैं ,यदि दुकान पर किताब है तो उसकी जिम्मेदारी हमारी नही है।


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इसरो की बड़ी कामयाबी, भारत ने PSLV-C43 की मदद से अमेरिका के 23 समेत लॉन्च किए 31 सैटेलाइट

मल्टीमीडिया डेस्क ,श्रोत एनडीटीवी
भारत  ने आज यानी गुरुवार को एक और कामयाबी अपने नाम कर ली. इसरो ने श्रीहरिकोटा से अपने पीएसएलवी-सी43 राकेट का प्रक्षेपण किया. यह राकेट पृथ्वी का निरीक्षण करने वाले भारतीय उपग्रह एचवाईएसआईएस और 30 अन्य सेटेलाइटों को अपने साथ अंतरिक्ष ले गया, जिनमें 23 अमेरिका के हैं.  दरअसल, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटलाइट लॉन्च किया. इस सैटलाइट को PSLV C-43 द्वारा लॉन्च किया गया है. इसके साथ इसरो ने अलग-अलग देशों के 29 सैटलाइट स्पेस में भेजे हैं. इसरो द्वारा भेजे जा रहे है 29 सैटलाइटों में से 23 सैटलाइट अमेरिका के हैं.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पीएसएलवी- सी 43 की मदद से 31 सैटलाइट को लॉन्च कर दिया. इसे आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 9 बजकर 58 मिनट में छोड़ा गया. इसमें भारत का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटलाइट (HySIS) और 8 देशों के कुल 30 दूसरे सैटलाइट शामिल हैं. इसरो का पीएसएलवी- सी43 के जरिए किया गया 45वां उड़ान है.
एजेंसी ने कहा कि एचवाईएसआईएसमें एक माइक्रो और 29 नेनो सेटेलाइट होंगे. ये उपग्रह आठ विभिन्न देशों के हैं. इन सभी उपग्रहों को पीएसएलवी-सी43 की 504 किमी वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. जिन देशों के उपग्रह भेजे जाएंगे उनमें अमेरिका (23 सेटेलाइट) तथा आस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड एवं स्पेन (प्रत्येक का एक उपग्रह) शामिल हैं.

दरअसल, भारत का हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (HySIS) इस मिशन का प्राथमिक सैटलाइट है. इमेजिंग सैटलाइट पृथ्वी की निगरानी के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुंसान संगठन (इसरो) ने कहा था कि पीएसएलवी की 45वीं उड़ान श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से भरी जाएगी. उसने कहा, ‘‘एचवाईएसआईएस पृथ्वी के निरीक्षण के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है. यह पीएसएलवी-सी43 का प्राथमिक उपग्रह है.''    इसरो ने कहा कि उपग्रह 636 किमी घ्रुवीय सूर्य समन्वय कक्ष (एसएसओ) में 97.957 डिग्री के झुकाव के साथ स्थापित किया जाएगा. उपग्रह की अभियानगत आयु पांच साल है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एचवाईएसआईएस का प्राथमिक लक्ष्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वर्ण पट (स्पेक्ट्रम) के समीप इंफ्रारेड और शार्टवेव इंफ्रारेड क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है. 


एजेंसी ने कहा कि इन उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो के वाणिज्यिक अंग एंट्ररिक्स कार्पोरेशन लि. के साथ वाणिज्यक करार किया गया है. पीएसएलवी इसरो का तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है.    

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बुधवार, 28 नवंबर 2018

शहरों का नाम नही बदहाल सिस्टम बदलने की जरूरत

विश्वपति वर्मा_
शहरों का नाम बदलने भर से क्या सिस्टम में सुधार हो सकता है इस बात की गंभीरता मुख्यमंत्री और उनके विशेष सचिवों को लेनी चाहिए।

आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद आज भी शिक्षा ,चिकित्सा, पानी निकासी, स्वच्छ पेय जल, आवास की सुविधा से लोग वंचित हैं लेकिन सरकार है कि इन सब पर प्राथमिकता तय नही करती ।

आखिर इस देश की गरीब और असहाय जनता को समाज की मूलधारा में लाने के के लिए वर्षों से जो योजनाएं चलाई जा रही हैं उसमें कौन सा जंग लग गया है कि भारत जैसे देश मे लोग दलित और पिछड़ा वर्ग में शामिल होने की होड़ लगाए हुए हैं।

अब और वक्त सरकारों को नही लेना चाहिए उसे शीघ्र ही बेबुनियाद  मुद्दों से बाहर निकल कर सरकारी प्रणाली में सुधार लाने की जरूरत पर विचार करना चाहिए।

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मंगलवार, 27 नवंबर 2018

मोदी तेरे शासन में बर्तन बिक गए राशन में


मल्टीमीडिया डेस्क,श्रोत-बीबीसी हिंदी

बिहार की राजधानी पटना से करीब 350 किमी. दूर अररिया ज़िले की जिस जगह से यह रिपोर्ट लिखी गई है, वहां पिछले साल बाढ़ में सीने की ऊंचाई तक पानी बह रहा था.

हालांकि, इस साल बिहार सूखा प्रभावित राज्य है. सूबे के करीब 24 ज़िले सूखा ग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं.

अररिया ज़िला मुख्यालय से करीब 60 किमी. दूर सिकटी प्रखंड से 'संविधान सम्मान यात्रा' के तहत पैदल मार्च करके आए करीब 200 किसान, महिलाओं और नौजवानों का एक जत्था शनिवार को शहर में प्रवेश कर गया था.

हाथों में तख्तियां और बैनर लिए महिलाएं और पुरुष किसान धूल उड़ाते चल रहे थे. खेत की मेड़ और पगडंडियों को पार कर अब शहर की गलियों में दाख़िल हो गए थे, इसलिए नारों की गूंज बढ़ती जा रही थी.

टेम्पो पर माइक और साउंड सिस्टम लादकर मार्च को लीड करते हुए कुछ नौजवान नारा लगाते और बाक़ी उनके पीछे चल रही किसानों की टोली नारे को दोहराती आगे बढ़ती.

मोदी तेरे शासन में, बर्तन बिक गए राशन में. निकलो घर मकानों से, जंग लड़ो बेइमानों से.अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है. लड़ेंगे-जीतेंगे, लड़े हैं-जीते हैं, इन्कलाब ज़िंदाबाद."

तहकीकात समचार tahkikatsamachar का उद्देश्य गरीब, असहाय ,किसान ,वेरोजगार एवं अव्यवस्था के मुद्दे को जनहित में प्रसारित करना एवं जिम्मेदारों को अवगत कराना है।

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सोमवार, 26 नवंबर 2018

संविधान दिवस पर निकाली गई रैली

राधेश्याम चौधरी _
सल्टौआ। संविधान दिवस पर रैली का आयोजन करके लोगों को भारतीय संविधान निर्माताओं को याद किया गया। इस अवसर पर सोमवार को अपरान्ह 1 बजे से विकास खण्ड सल्टौआ गोपालपुर के ग्रामसभा अमरौली शुमाली स्थित  रामनगर चौराहा से सल्टौआ ब्लाक मुख्यालय होते हुए बरगदवा, पचमोहनी, पक्का कुआॅं, सोनहा, पड़री, द्वारिका चक चैराहा, लेदवा, सेखुइया, भिरिया तक रैली का आयोजन कर लोगो को 26 नवम्बर के ऐतिहासिक तिथि को याद किया गया।
 इस मौके पर ब्लाक मुख्यालय सल्टौआ एवं डा0 अम्बेडकर बौद्ध विकार सोनहा में नुक्कड़ सभा का आयोजन कर लोगो को भारतीय संविधान के महत्व की जानकारी दी गई। इस मौके पर नुक्कड़ सभा में रामनयन पटेल ने बताया कि डा0 भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में लिखकर तैयार किया गया और 26 नवम्बर 1949 को इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया। जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। सरदार पटेल लघु माध्यमिक विद्यालय के  प्रबन्धक नगेन्द्र पटेल ने बताया कि डा0 राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर, सरदार बल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, पंडित जवाहर लाल नेहरू सविधान निर्माता समिति के प्रमुख सदस्य थे। डा0 भीमराव अम्बेडकर  को संविधान निर्माता समिति का अध्यक्ष चुना गया। राकेश पटेल ने कहा कि डा0 भीमराव अम्बेडकर की 125 वें जयंती वर्ष के रूप् में 26 नवम्बर 2015 को संविधान दिवस मनाया गया। रैली में नायब चौधरी, रमेश चन्द्र वर्मा ,रामसेवक गौतम, राधेश्याम यादव, जमुना यादव, संजय चौधरी, प्रधान, विकास यादव , अखिलेन्द्र श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार यादव, डा0 मुनिराम यादव,  विजय कुमार चौधरी, ओमप्रकाश चौधरी, राम चन्द्र यादव ,कृष्णचन्द्र, सीताराम, शिवपूजन, रामजन्म वर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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मंदिर मस्जिद और स्टैचू से मानिकराम को क्या मिला


विश्वपति वर्मा_

बस्ती जनपद के अमरौली निवासी मानिकराम जूता चप्पल बनाने का काम करते हैं ,मैं इन्हें भिरियाँ में लगने वाले सोमवार एवं गुरुवार बाजार के हर दिन सड़क के किनारे देखा करता था जंहा वें पुराने जूते चप्पल की सिलाई करते हैं ।

मानिक राम को मैं तब से जानता हूँ जब वें  पढ़ाई कर रहे थे ,आज हमारी नजर जब उनपर  पड़ी तो मैने सोचा क्यों न इनसे बात की  जाए ,उसके बाद हम जाकर नहर के डिवाइडर पर बैठ गए और शुरू हुई कुछ बातों का सिलसिला।

मानिकराम ने बताया कि वें हाईस्कूल पास करने के बाद आगे की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उन्हें लगा कि सरकार के पास पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की प्राथमिकता नही है क्योंकि वह खुद मंदिर, मस्जिद, गाय,भैंस में लोगों को भटकाकर रखना चाहती है। इस लिए और समय बर्बाद हो इससे पहले  पूजी न होने की वजह से जूता चप्पल की सिलाई करने का काम शुरू कर दिया ।

हर दिन कितना कमाई हो जाती है इस सवाल के जवाब में मानिकराम ने बताया कि 80 ₹ से लेकर 100₹  तक कमाई हो जाती है जिससे हर दिन सब्जी -मसाला खरीदने की व्यवस्था हो जाती है।

मानिकराम तो महज एक उदाहरण हैं ,ऐसे ही करोड़ो पढ़े लिखे युवा सरकार की उदासीनता के चलते  फुटपाथ पर छोटी मोटी दुकान के सहारे जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं।

देश के पढ़े लिखे युवाओं की ऐसी स्थिति देखकर सरकारों पर घिन्न आती है कि आखिर नवजवानों के आजीविका में वृद्धि  के लिए ठोस नीतियां क्यों नही बनाई जाती हैं ,रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण इलाकों में इकाई की स्थापना क्यों नही होती, क्षेत्र में  कुटीर उद्योग की योजनाओं का विस्तार क्यों नही हो रहा है ,ऐसे तमाम सवाल जेहन में कौंधता रहता है।

यह निश्चित है कि सत्ताधारियों की सोची समझी साजिश से ही ऐसी व्यवस्था का बढ़ावा दिया जा रहा है तभी तो विकास के मुद्दे से भटका कर ये सरकारें स्टैचू ऑफ यूनिटी, कृष्ण स्टैचू , राम स्टैचू  के साथ मंदिर ,मस्जिद को बनाने की प्राथमिकता दे रही हैं लेकिन यह बात समझ मे नही आ रहा है कि इससे मानिकराम जैसे लोगों का क्या फायदा हुआ है 

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रविवार, 25 नवंबर 2018

भ्रष्टाचार के दलदल में भारतीय संविधान भी सवालों के घेरे में

विश्वपति वर्मा;

´´लोकतंत्र का स्‍वघोषित चौथा स्‍तंभ अब सुन्‍न पड़ रहा है, ऐसे में जरूरत है कि तंत्र में फैली अराजकता को सामने कैसे लाया जाए, कोशिश की जरूरत थी लिहाजा इस तरंह के पोस्ट करने का विचार आया, मकसद सिर्फ यह  है कि लोगों को मालूम चले कि उनके हिस्‍से मे  आने वाली रकम किसकी जेब में जा रहा है ``

एक तरफ अंतिम पंक्ति मे खडा व्यक्ति अग्रिम पंक्ति मे आने का लगातार प्रयास कर रहा है दूसरी तरफ अग्रिम पंक्ति मे खडा व्यक्ति आसमान मे पंहुचने के फिराक मे है,बात हो रही है देश के जनप्रतिनिधियों की जिनको देश की भोली-भाली जनता अपने क्षेत्र के विकास के लिये विधानसभा और लोकसभा भेजने का काम करती है  ।लेकिन जैसे ही ये माननीय शब्द से सुसज्जित किये जाते हैं जनता के बीच से सुन कर आये दुख-दर्द को भूल जाते हैं और जनता के हित मे खर्च होने वाले पैंसे को अपनाने का काम करने लगते हैं 

पैंसे को ठिकाने लगाने की चाल बेहद सरल ढंग से माननीय लोगों द्वारा किया जा रहा है उदाहरण के रूप मे अगर विधानसभा सदस्य को देखा जाये तो सबसे पहला बेहतर तरीका  विकास पर  खर्च होने वाली विधायक निधि जमकर निजी स्‍कूलों ,महाविद्यालयों, वृद्धा आश्रम ,एनजीओ आदि के नाम पर लुटाये जाते हैं  ।निजी स्‍कूलों में महंगी फीस और अभिभावकों के साथ रूखे व्‍यवहार के बावजूद भी विधायक महोदय निजी स्‍कूलों को जमकर विधायक निधि बांट रहे होते हैं।

चाहें माननीय का खुद का स्कूल हो या दूसरे का स्कूल हो निधि के पैंसे का बौछार जमकर की जाती है। अगर माननीय या परिवार का सदस्य स्कूल का स्वामी है तो पूरा का पूरा मजा उन्हे ही मिलेगा ।अगर वह कोई अदर करीबी है तब भी 30 से 50 % धन माननीय को कमीशन  के रूप मे वापस मिल जाता है दूसरी तरफ माननीय द्वारा गुप्त रूप से पैंसें का निजीकरण  जमीनखरीद ,होटल निर्माण ,होम बैलेंस (घर में दबा कर) किया जा रहा है ।स्थानीय जनपद मुख्यालय से लेकर लखनऊ,दिल्ली,मुंबई, जैसे अन्य शहरों मे निधि के पैंसें का प्रयोग शानदार तरीके से किया जा रहा है 

और यह काम भी उस वक्त किया जा रहा है जब सरकारी स्‍कूल और सरकारी चिकित्सालय आखिरी सांसे गिन रही हैं, सरकारी स्‍कूलों में ना तो फर्नीचर है, ना ही पानी की सुविधा, शौचालय तो केवल हाथी दाँत के तरहं होते हैं लेकिन इन संस्थाओं में निधि के पैंसे का दान नही जाता ।ऐसी ही स्थिति ग्रामीण क्षेत्र में बने सरकारी चिकित्सालयों की है जंहा पर स्वास्थ्य सुबिधाओं के नाम पर बेशिक दवाओं के अलावां और कुछ नही है लेकिन यंहा पर संसाधनों की मुहैया कराने के लिए आज तक कोई विधायक आगे नही आया । ऐसी बदहाल स्थिति को देखते हुए भी धर्म सभा की तरहं कोई तो बुनियादी ढांचे वाली सभा होनी चाहिए?

इतना ही नही ये सब होने के बाद निधि के पैंसे को निजी स्वार्थ मे पत्नी के गहने और बेटे-बेटियों के लग्जरी गाडियों और उनके अय्याशियों पर खर्च होते हैं 

ऐसी स्थित पर देश के संबिधान पर भी सवाल खडे होता हैं   क्या देश के पास अपना कोई ऐसा कानून नही है जो इस तरंह के स्थित से निपटने मे सफल हो ?क्या इस लोकतंत्र मे भी आजाद भारत के लोगों को विदेशी आक्रमणक्रताओं के तर्ज पर लूटने का काम किया जा रहा है ?अगर ऐसा ही है तो देश का 60% युवा जिसकी उम्र 13 से 35 वर्ष है कब तक कुम्भकरण की नीद सोने का काम करेगी 


 अत: देश का नागरिक होने के नाते उसकी जिम्मेदारी बनती है कि अंतिम लाइन मे खडे व्यक्ति को आगे के लाइन मे लाने का काम करें|एवं सबके साथ मिलकर कर सांसदों और विधायकों से जवाबदेही तय करे कि आखिर निधि के पैंसे का खर्च कैसे और किस जगह पर हो रहा है ।अन्यथा आपकी आने वाली पीढ़ी भी आपके ऊपर सवाल खड़ा करेगी।

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शनिवार, 24 नवंबर 2018

चुनाव के पहले फिर याद आये "राम" अयोध्या छावनी में तब्दील


विश्वपति वर्मा―
2019 लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या के मुद्दे को एक बार फिर से गरमाने की तैयारी दिख रही है. शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या पहुंच रहे हैं. जबकि रविवार को साधु-संतों की विराट धर्म संसद होने जा रही है .उद्धव ठाकरे अयोध्या में रैली को संबोधित करने के अलावा साधु संतों के साथ भी बैठक भी करेंगे. अपने अयोध्या दौरे से पहले उन्होंने यह नारा भी दिया था कि 'हर हिंदू की यही पुकार पहले मंदिर फिर सरकार'. इसके अलावा बड़ी संख्या में शिवसेना के कार्यकर्ता भी जय श्री राम का नारा लगाते हुए ट्रेन से अयोध्या पहुंचने लगे हैं. विश्व हिंदू परिषद ने भी सभी लोगों से अयोध्या पहुंचने की अपील की है. अयोध्या मुद्दा गरमाने के बाद यहां फिर से 1992 जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. अयोध्या में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति को देखते हुए भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है.
            फोटो श्रोत गूगल, समाचार एनडीटीवी
अयोध्या पहुंचने लगे हैं शिवसैनिक
अयोध्या में शिवसेना के कार्यकर्ता जय श्री राम का नारा लगाते हुए मुंबई, ठाणे, कल्याण और नासिक के साथ कई दूसरे शहरों से ट्रेन से पहुंच रहे हैं. जो अयोध्या नहीं जा पाए, वो शनिवार शाम को अपने अपने इलाक़ों के मंदिरों में महाआरती कर शिवसेना के आंदोलन को समर्थन देंगे. अयोध्या में बिगड़ते दिख रहे माहौल के संबंध में यहां के कलेक्टर ने कहा है कि शहर में डर का कोई माहौल नहीं है. शिवसेना और वीएचपी ने अपने कार्यक्रमों के लिए पहले से इजाज़त ले ली है. दूसरी तरफ, अयोध्या में पुलिस प्रशासन अपनी तैयारी में जुटा हुआ है. 

छावनी में तब्दील हुई अयोध्या
अयोध्या में हालात ना बिगड़े इसलिए यहां अफसरों की फौज तैनात हो चुकी है. 160 इंसपेक्टर, 700 कॉन्स्टेबल सहित पीएसी की 42 कंपनियों, आरएएफ की 5 कंपनियां, एटीएस कंमाडो के अलावा ड्रोम कैमरे भी लगाए गए  हैं

अखिलेश ने की सेना की तैनाती की मांग
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन हालात को अयोध्या के लिए ख़तरनाक बता रहे हैं. उनकी मांग है कि अयोध्या में फौज बुलाई जाए. पुलिस प्रशासन अपनी तैयारी में जुटा हुआ है. अखिलेश यादव ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अयोध्या में वीएचपी और शिवसेना की रैलियों के मद्देनज़र सेना तैनात की जाए. 
अयोध्या मामले में यह बोले संजय राउत
वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने अयोध्या में कहा कि 17 मिनट में बाबरी ढाह दी थी. राष्ट्रपति भवन से लेकर यूपी तक बीजेपी की सरकार है. राज्यसभा में ऐसे बहुत सांसद हैं, जो राम मंदिर के साथ खड़े रहेंगे. अब मंदिर के लिए कानून बनाने का जो विरोध करेगा उसे देश में निकलने नहीं देंगे. 

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गुरुवार, 22 नवंबर 2018

किसानों की बदहाल स्थिति ,सरकारें सेंक रही हैं रोटी

इस देश के गरीब , मध्यम वर्गीय परिवार और किसान तय करें कि देश और देश के लोगों की स्थिति को कैसे बदला जाएगा ।

आज जब बाजार में 5 रुपया किलो गोभी मिल रहा था और उसके भी खरीददार नही मिल रहे थे, तब किसान ने 1 रुपये में एक गोभी बेंचना शुरू कर दिया

जरा सोचिए कि उस किसान को क्या मिला जिसने पौधे तैयार करने के लिए बीज की खरीददारी की, उसको बड़ा किया ,उसकी रोपाई ,सिंचाई करने के साथ निराई और दवाई के अलावां अपना पूरा समय दिया ।

जरा आप चिंतन कीजिये और ऐसी स्थिति में बदलाव लाने के लिए कोई सार्थक प्रयास कीजिये अन्यथा अगली पीढ़ी जब गरीबी और दलिद्रता का दंश झेलेगी तो आपको माफ नही करेगी ।

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बुधवार, 21 नवंबर 2018

क्या है तहकीकात समाचार

      डेस्क _ What is tahkikatsamachar 
तहकीकात समाचार (tahkikatsamachar) भारत में उन जगहों पर काम कर रहा है जंहा पर आज तक जिम्मेदार लोग अपनी जवाबदेही तय करने से बचने के लिए कटते  रहे हैं ।

आज हमारी टीम द्वारा उत्तर प्रदेश के 25 संसदीय क्षेत्र ,40 से अधिक विधानसभा क्षेत्र एवं 600 से अधिक ग्राम पंचायतों मे जाकर एक बड़ी नेटवर्किंग टीम के साथ डाटा संग्रहित किया गया है।

इस दौरान हमारी अनुभवी टीम के प्रतिनिधि मंडल द्वारा किये गए विचार विमर्श के दौरान ज्ञात हुआ है कि भारत के गांवों को ग्राम स्वराज की तरफ ले जाने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान चलाना होगा।

जिसमे जागरूकता अभियान, योजनाओं की जानकारी,नागरिकों को दायित्यों एवं कर्तव्यों के प्रति सचेत करना, दबी एवं छिपी हुई जानकारी को उजागर करना होगा।

इस उद्देश्य से हमारी टीम अगले वर्षों तक उत्तर प्रदेश के गांवों में तहकीकात समाचार के माध्यम से उन जगहों को कवर करेगी जंहा पर भारत सरकार और प्रदेश सरकार की योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है, हमारी टीम नागरिकों को वेब पोर्टल के माध्यम से सरकार से जुड़ी सभी जानकारियों को उपलब्ध कराया जाएगा ,इसके अलावां हम ऐसी जानकारी को एकत्रित कर उसे समाचार का रूप देंगे जिससे समाज निर्माण एवं राष्ट्रीयता की भावना जागृत हो।

मुख्य कार्य

वेब पोर्टल, ब्लॉग पोस्ट, ब्रेकिंग न्यूज़,सोशल नेटवर्किंग प्रोग्रामिंग,लाइव कवरेज, रिकॉर्डेड प्रोग्राम & ब्रॉडकास्टिंग

कार्यक्रम
ग्राम संवाद, हिट स्टोरी, खुलासा

         
        चीफ डायरेक्टर&एडिटर -विश्वपति वर्मा
        चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर-पीसी चौधरी
        पीआर डायरेक्टर-राम प्रकाश पटेल

      रजिo-तहकीकात डिजिटल मीडिया विज़न
           www.tahkikatsamachar.in

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सोमवार, 19 नवंबर 2018

पूर्व राष्ट्रपति बोले, फेक न्यूज़ समाज के लिए खतरा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने रविवार को कहा कि सत्ता में बैठे लोग जनता से सीधे संपर्क में होते हैं, ऐसे में मीडिया को उनसे सवाल पूछना चाहिए. उन्होंने कहा कि वास्तविक लोकतांत्रिक समाज की रक्षा के लिये यह जरूरी है. ‘‘भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका'' विषय पर अपने संबोधन में उन्होंने ये बातें कहीं. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि सांप्रदायिक बयानों के प्रति संवेदनशीलता बरतने की आवश्यकता है. उन्होंने फर्जी खबरों को ‘‘आज का सबसे बड़ा खतरा'' बताया और कहा कि इसका इस्तेमाल सामाजिक, राजनीतिक और सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए किया जाता है. आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी (Dr. Pranab Mukherjee) पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तृतीय वर्ष प्रशिक्षण शिविर के नागपुर में आयोजित समापन समारोह में शामिल हुए थे. डॉ. मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने को लेकर सियासी गलियारों में काफी चर्चा भी हुई

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शनिवार, 17 नवंबर 2018

बस्ती-जर्जर हो चुके सड़क को मरम्मत करने की मांग को लेकर दल ने सौंपा ज्ञापन

रिपोर्ट-तहकीकात संवाददाता_

अपना दल ने शनिवार को ग्राम पंचायत माझा मानपुर में बेलवरिया चौराहे से माझा मानपुर तक जर्जर सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया ।धरने का संचालन जिला उपाध्यक्ष रामकुमार पटेल ने किया

 पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य सुभाष चंद चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित एक दिवसीय धरना प्रदर्शन  में मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र राजस्व निरीक्षक रामकुमार लाल श्रीवास्तव को सौंपा।

धरने को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बौद्ध अरबिंन्द सिंह पटेल ने कहा कि गौर ब्लाक के उत्तरी सिरे पर स्थित बिसुही नदी के बेलवरिया घाट पर बने पक्के पुल एप्रोच ऊंचाई कम होने के कारण बरसात के दिनो में जलमग्न हो जाता है जिससे ग्राम पंचायत माझा मानपुर का सड़क संपर्क जनपद के समस्त कार्यालयों स्कूलों,अस्पतालों आदि से टूट जाता है,उन्होंने कहा कि इसके अलावां यह सड़क बस्ती और गोंडा दो जनपद से भी जोड़ती है उसके बाद भी इस सड़क का कोई पुरसाहाल नही है ।

प्रदेश सचिव एंव जिला पंचायत सदस्य गोंडा अभिमन्यू पटेल ने कहा कि हमें अपने समस्याओं के प्रति जागरुक रहते हुए संघर्ष करने की आवश्यकता है क्योंकि बिना जनसहयोग के किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है ।

जिलाध्यक्ष विवेक कुमार चौधरी ने कहा कि यदि हमारी मांगो पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया तो संगठन रणनीति बनाकर व्यापक आंदोलन करने को बाध्य होगा।

 इस अवसर पर प्रदेश सचिव चौधरी झिनकान पटेल ,राम सिंह पटेल रामनाथ पाल ,राजमणि पटेल, साबिर अली, श्रवण पटेल ,माधव पटेल,राम लौट कामरेड,राम बोध ,राम भवन पटेल,सुरेंद्र बाबा,विरेंद्र कुमार, राम हित यादव ,संतराम पटेल, राकेश पटेल ,अनिल पटेल तुलसीराम निषाद, नितेश कुमार,संजय चौधरी,राज कुमार पटेल सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे ।

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बकरा कसाई की जयजयकार कैसे करता है


विश्वपति वर्मा–
बकरा कसाई की जयजयकार कैसे करता है यह देखना हो तो भारतीय राजनीति के निचली इकाई में उतरना होगा।

यही वह वर्ग है जो खुद गरीबी,बेरोजगारी, कुपोषण, पानी निकासी ,चकरोड जैसी समस्याओं को देखते हुए राजनीति के निचली इकाई से प्रतिनिधित्व करने लगता है ,और कसाई की जयजयकार करने लगता है जिसने पिछले दिनों के कार्यकाल में कई निर्दोष बकरों को काट दिया था ।

और अबकी बार छूरे पर धार रखवा कर खुद वह कसाई के पास पंहुचता है और कहता है ,महाराज तुम्ही हमारे अन्नदाता हो लो नया छूरा और काट दो मुझको फिर जनता के कुकुर में पका कर खा लिया जाता है।

आसानी से समझने के लिए हम थोड़ा आपको पीछे की तरफ ले चलते हैं ।वर्ष 2004 के बाद से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही और इन 10 सालों में देश भर के नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने जमकर देश के धन को लूटा जिसका नतीजा रहा कि भ्रष्टाचार के इस दलदल को देख भारत की जनता त्राहि त्राहि करने लगी

इतने बड़े भ्रष्टाचार और और समस्या को देखकर निचली इकाई में भी खलबली मची और केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन बकरों ने संकल्प लिया जो अपने निर्दोष बकरे भाइयों को कटता देख रहे थे ,नतीजा भी निकला जंहा पुराने कसाई के पद को हस्तांतरण करने में बकरे भाई सफल रहे।और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नए प्रतिनिधित्वकर्ता नरेंद्र मोदी को कुर्सी पर बैठा दिया।

इसका नतीजा भी निकला जंहा पर सरदार ने यह माना कि देश मे निर्दोष बकरों को बलि चढ़ाया गया जिसकी वजह से बकरे भाइयों में आक्रोश का माहौल है ,और सरदार ने जंग खा रही सिस्टम को रिपेयरिंग करना शुरू कर दिया।

लेकिन दुर्भाग्य ही रहा कि सरदार द्वारा बकरों के साथ छेड़छाड़ न करने की नीति बनाई गई वही बकरे सरदार से घिन्न करने लगे क्योंकि अब उन्हें मलाईदार भोजन की जगह घास-भूसा ही खाने वाली नौबत दिख रही थी ।

अब सभी बकरे जो मेमनों के सरदार थे ये लोग मेमनों के लिए भरण पोषण के लिए सरदार द्वारा दी जाने वाली कुपोषण मुक्त भोजन में सेंध लगाना शुरू कर दिया ।उसके बाद मेमने तो कुपोषण से मुक्त नही हो पाए अलबत्ता बकरों का एक बड़ा समूह खुद खा पीकर मोटा हो गया।

और इन कुपोषण युक्त मेमनों को स्थानीय प्रशासन के पास ले जाकर सौंप दिया कि लो अब हम और तुम दोनों मिलकर इसको खायेंगे और सरदार को संदेश देंगे कि अब बकरों को कोई समस्या नही है अब सब शान से जिंदगी जी रहे हैं।

उदाहरण स्वरूप अब सरकार द्वारा जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अनेकोंनेक योजनाओं को लाई जा रही हैं लेकिन निचली इकाई खास कर के पंचायती राज और समाज कल्याण के भ्रष्ट अधिकारियों और जनता के जनप्रतिनिधि दोनों मिलकर गांव के गरीब, पिछड़े ,शोषित एवं वंचित वर्ग के अधिकारों को हड़पने के लिए अब जनता को बलि का बकरा बना रहे हैं। और यही दबी कुचली जनता  प्रशासन और शासन के पैरोकार विधायक एवं सांसद की जयजयकार लगाने में मस्त है।

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शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

गाजा’ तूफान को ध्यान में रखते हुए 76,000 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया, चंद घंटों बाद पहुंच सकता है तमिलनाडु


       विश्वपति वर्मा, श्रोत एनडीटीवी 
चेन्नई/दिल्ली : तूफान ‘गाजा' के शुक्रवार को तड़के नागपट्टिनम के दक्षिण में कुड्डालोर और पामबन के बीच तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र को पार करने का अनुमान है. गुरुवार रात में एक मौसम बुलेटिन में कहा गया है तूफान के पहुंचने के दौरान इसकी रफ्तार 90-100 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहने का अनुमान है. इसके बाद इसकी रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है.

राज्य सरकार ने तूफान की चपेट में आ सकने वाले जिलों में अपने तंत्र को पूरी तरह से अलर्ट कर रखा है. सरकार ने बताया कि कुल 76,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और नागपट्टिनम और कुड्डालोर सहित छह जिलों में 331 राहत केन्द्र खोले गए हैं.



इससे पहले भारतीय मौसम विभाग ने रात सात बजकर 50 मिनट पर एक बुलेटिन में कहा था कि तूफान का बाहरी असर पहले ही तट पर पहुंच गया है और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में बारिश शुरू हो गई है.


नागपटि्टनम, तिरूवरूर, कुड्डालोर और रामनाथपुरम सहित सात जिलों में शैक्षाणिक संस्थानों में छुट्टी घोषित कर दी गई है और सरकार ने निजी कंपनियों और प्रतिष्ठानों से अपने कर्मचारियों को जल्द वापस भेजने को कहा ताकि वे शाम चार बजे से पहले घर पहुंच सकें.

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गुरुवार, 15 नवंबर 2018

चुनाव और सत्ता ,लूट के लोकतंत्र का सच है भूख और गरीबी


लेख-अशोक कुमार चौधरी
अगर लोकतंत्र का मतलब चुनाव है तो फिर गरीबी का मतलब चुनावी वादा होगा ही। अगर लोकतंत्र का मतलब सत्ता की लूट है तो फिर नागरिकों के पेट का निवाला छिन कर लोकतंत्र के रईस होने का राग होगा ही। और इसे समझने के लिये 2019 में आजाद होने का इंतजार करने की जरुरत नहीं है। सिर्फ जमीनी सच को समझना होगा, जिसे मोदी सरकार भी जानती है और दुनिया के 195 देश भी जानते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य है। यानी दुनिया भारत को बाजार इसलिये मानती है क्योंकि यहां की सत्ता कमीशन पर देश के खनिज संसाधनों की लूट के लिये तैयार रहती है।

सोशल इंडेक्स में भारत इतना नीचे है कि विकसित देशो का रिजेक्टेड माल भारत में खप जाता है। और भारत का बाजार इतना विकसित है कि दुनिय़ा के विकसित देश जिन दवाइयों तक को जानलेवा मान कर अपने देश में बेचने पर पाबंदी लगा देते है, वह जानलेवा दवाई भी भारत के बाजार में खप जाती है। यानी कमाल का लोकतंत्र है, क्योंकि एक तरफ विकसित देसो की तर्ज पर सत्ता, कारोपरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी काम करने लगती हैं तो दूसरी तरफ नागरिकों के हक में आने वाले खनिज संसाधनों की लूट-उपभोग के बाद जो बचा खुचा गरीबों को बांटा जाता वह कल्याणकारी योजना का प्रतीक बना दिया जाता है।

और इस तरह की व्यवस्था पर किसका हक रहे इसके लिये चुनाव है, जिस पर काबिज होने के लिये लूटतंत्र का रुपया ही लुटाया जाता है। पर लूटतंत्र के इस लोकतंत्र की जमीन के हालात क्या है इसे समझने के लिये देश के उन्हीं तीन राज्यों को ही परख लें, जहां चुनाव में देश के दो राष्ट्रीय राजनीतिक दल आमने सामने है। और सत्ताधारी बीजेपी के तो पौ बारह हैं, क्योंकि तीनो राज्य में उसी की सरकार है। और खासतौर से मोदी-अमित शाह से लेकर संघ परिवार को गर्व है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरीखा राज तो किसी का नहीं है। जो खुद को किसान कहते हैं। तो हिन्दु राग भी अलाप लेते हैं। जो स्वयंसेवकों का भी ख्याल रखते हैं और मध्यप्रदेश के तमाम जिलों में नौकरी दिये हुये हैं। पर इस हकीकत पर कोई नहीं बोलता कि मध्यप्रदेश के चालीस फिसदी लोग बहुआयामी गरीबी इंडेक्स के दायरे में आते हैं। यानी सवाल सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे भर का नहीं है। बल्कि कुपोषित होने, बीमार होने, भूखे रहकर जीने के हालात में चालीस फीसदी मध्यप्रदेश है।

और ये बात यूएनडीपी यानी संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाने वाली संस्था कहती है। और इसी यूएनडीपी की रिपोर्ट के आधार पर भारत को आर्थिक मदद मिल जाती है। लेकिन मदद का रास्ता भी चूंकि दिल्ली से होकर गरीब तक जाता है तो वह गरीबी को रोटी की एवज में सत्ता का चुनावी मैनिफेस्टो दिखाता है। वोट मांगता है। और बावजूद इन सबके गरीबों की हालत में कोई सुधार होता नहीं यानी ये भी सवाल है कि क्या दुनिया भर से गरीब भारत के लिये जो अलग अलग कार्यक्रमों के जरीये मदद दी जाती है वह भी कही राजनीतिक सत्ता तो नहीं हड़प लेती। या सत्ता कई मिजाज में होती है। केन्द्र या राज्य की सत्ता को भी इस धन को हड़पने के लिये कई कल्याणकारी संस्थाओ की जरुरत होती है।

तो गरीबी या गरीबों के लिये काम करने वाली भी विदेशी मदद के रुपयों को हड़पने में सत्ता का साथ देती है या ये कहे कि सत्ता उन्ही संस्थानों को ही मान्यता देती है या धन देती है जो रुपयों को हडपने में राजनीतिक सत्ता के साथ खड़े रहें। तो ऐसे में जिस मध्य प्रदेश में देश की सत्ता पर काबिज होने के लिये अरबों रुपये प्रचार प्रसार में लुटाये जा रहे हैं। चार्टेड और हेलीकाप्टर से आसमान में उडते हुये नेता कुलाचे मार रहे हैं। सही झूठ सबकुछ परोस रहे हैं। उस आसमान से जमीन कितनी और कहा की दिखायी देती होगी, क्योंकि दुनिया के मानचित्र में साउथ अफ्रिका का देश नबीबिया एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा भूख है। और कल्पना कीजिये यूएनडीपी की रिपोर्ट कहती है कि नामीबिया का एमपीआई यानी मल्टीनेशनल पोवर्टी इंडेक्स यानी बहुआयामी गरीबी स्तर 0.181 है। और मध्यप्रदेश का भी लेबल 0.181 है। यानी जिस अवस्था में नामीबिया है उसी अवस्था में मध्यप्रदेश है।

तो भारत की इक्नामी को लेकर उसके विकसित होने को लेकर जो झूठ फरेब नागरिकों को सत्ता ही बताती है उसका सच कितना त्रासदी दायक है ये इससे भी समझा जा सकता है कि 2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी बिहार चुनाव में प्रचार करने पहुचे तो उन्होंने भाषण दिया-मध्य प्रदेश और राजस्थान अब बीमारु राज्य नहीं रहे। और बिहार को बीमारु से उबरने के लिये बीजेपी की जरुरत है। पर सच सिर्फ मध्यप्रदेश का ही त्रासदी दायक नहीं है बल्कि राजस्थान की पहचान दुनिया के दूसरे सबसे बीमार देश ग्वाटेमाला सरीखी है। यूएनडीपी रिपोर्ट के मुताबिक ग्वाटेमाला का एमपीआई 0.143 है और यही इंडेक्स राजस्थान का भी है। और धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ भी कोई विकसित नहीं हो चला है, जैसा दावा दशक से सत्ता में रहे रमन सिंह करते हैं।

गरीबी को लेकर जो रेखा जिम्बाव्वे की है, वही रेखा छत्तीसगढ़ की है। यानी रईस राजनीतिक लोकतंत्र की छांव में अलग अलग प्रांतों में कैसे कैसे देश पनप रहे हैं या दुनिया के सबसे ज्यादा भूखे या गरीब देश सरीखे हालात है लेकिन सत्ता हमेशा रईस होती है। और रईसी का मतलब कैसे नागरिकों को ही गुलाम बनाकर सत्ता पाने के तौर तरीके अपनाये जाते है, ये नागरिको की आर्थिक सामाजिक हालातों से समझा जा सकता है। आक्सफोम की रिपोर्ट कहती है कि भारत की राजनीति यूरोपीय देश को आर्थिक तौर पर टक्कर देती है। यानी जितनी रईसी दुनिया के टाप 10 देशों की सत्ता की होती है उस रईसी को भी मात देने की स्थिति में हमारे देश के नेता और राजनीतिक दल हो जाते हैं। और 2014 के बाद तो सत्ता की रईसी में चार चांद लग चुके हैं, जो अमेरिकी सीनेटरों को भी पीछे छोड़े दे रही हैं।

लेकिन इसी अक्स में हालात क्या है राज्यों की। मसलन देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तरप्रदेश का एमपीआई यानी बहुआयामी गरीबी इंडेक्स 0.180 है। जो कि कांगो के बराबर है। तो क्या कोई कह सकता है कि योगी कांगो के शासक हैं। शिवराज नामीबिया के शासक हैं। वसुंधरा ग्वाटेमाला की शासक हैं। रमन सिंह जिम्बाव्वे के शासक हैं। और जिस बिहार की सत्ता के लिये बीजेपी मचलती रही और नीतीश कुमार बिहार की बयार से खुद को जोडते रहे उस बिहार का सच तो ये है कि ये भारत से सबसे निचले पायदान पर और दुनिया के पांचवे सबसे नीचले पायदान पर आनावाले साउथईस्ट अफ्रिका के मलावई के समकक्ष बैठता है। यानी नीतीश कुमार मलावई देश के शासक है।

जो बीजेपी के समर्थन से चल रही है। यानी देश में क्यों जरुरी है जीरो बजट पर चुनाव लडने के लिये जनता का दवाब बनाना उसकी सबसे बडी वजह यही लूटतंत्र है जिसके आसरे लोकतंत्र का राग गाया जाता है। और हद तो ये है कि जिस केरल में मंदिर में में महिलाओ के प्रवेश को लेकर सियासत अंधी हो चली है और सियासतदान सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सियासत से चूक नहीं रहे उस राज्य को भी राजनीति अपने ही दलदल में घसीटना चाहती है। ऐसा लगता है क्योंकि केरल देश के सबसे विकसित राज्यो में है, जहां सबसे कम गरीबी है। और दुनिया के देशों में केरल की तुलना जार्डन से होती है। यहां का एमपीआई 0.004 है। तो सियासत और सत्ता चुनावी लोकतंत्र के नाम पर देश को ही हड़प लें उससे पहले चेत तो चाइये। और मान तो लीजिये ये हमारा देश है।

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मंगलवार, 13 नवंबर 2018

भारत को विकसित भारत बनाएं ग्राम प्रधान

सूचना

समस्त ग्राम पंचायत के प्रधान गण आप सभी को नमस्कार

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि आप लोग प्रधान होने के पहले अपने ग्राम पंचायत की समस्या एवं उसके समाधान के लिए कुछ नया सोच कर पंचायत चुनाव में आये होंगे।

लेकिन ऐसा क्या हो जाता है कि जब आप जनप्रतिनिधि के तौर पर चुन लिए जाते हैं तब आपका गांव में पक्ष और विपक्ष दो पार्टी बन जाता है।

जंहा तक मेरी समझ में आया है कि आप अपने आपको जनप्रतिनिधि न मान कर सरकार और सिस्टम का आदमी मान लेते हैं ,जंहा आपको ठगा जाता है, आपसे आपके ही गांव में काम करने के लिए जारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए कमीशन(घूस) लिया जाता है,और वँहा आप चुप रह कर उस सिस्टम की बात मानने के लिए तैयार रहते हैं।

जबकि जिले के मजिस्ट्रेट की इतनी क्षमता नही है कि वह  किसी भी जनप्रतिनिधि सदस्य बीडीसी, सदस्य ग्राम पंचायत, सदस्य जिला पंचायत, सदस्य, विधान सभा, सदस्य लोकसभा के साथ शोषण कर सके।

लेकिन वह आपके साथ जमकर शोषण करता है क्योंकि आप अपने आप को नही बल्कि आप अपने सचिव और सिस्टम को सर्वोपरि मानते हैं जो सरकार की योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आपके साथ नौकर के तौर पर काम करता है।

और वही कारण है कि आप चोर, बेईमान, पक्ष -विपक्ष के रूप में अपने कार्यक्षेत्र में देखे जाते हैं ।

आप इन व्यवस्था से बाहर निकालिए और अपने लिए इन समस्या से लड़ाई लड़िये ।

घूस और कमीशन देना बंद करें ,अपने सचिव, एडीओ ,बीडीओ को कमीशन देना बंद करें ।

और भारत को विकसित भारत बनाएं।



आप लड़ाई लड़ें, आपके साथ बहुसंख्यक आबादी है ।आप फिर जनप्रतिनिधि के तौर पर चुने जाएंगे, आप भ्रष्टाचार के खिलाफ साथ आएं।

विश्वपति वर्मा

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सोमवार, 12 नवंबर 2018

सल्टौआ-कई दर्जन पशुओं को पागल कुत्ते ने काटा ,रेबीज की सुई न लग पाने से परेशान हैं पशु मालिक

विश्वपति वर्मा_
सल्टौआ-अमरौली शुमाली और बस्थनवा क्षेत्र के 3 दर्जन से अधिक पशुओं को पागल कुत्ते ने काट लिया जिसकी वजह से किसान परेशान हो रहे हैं।

पागल कुत्ते के काटने का सिलसिला पिछले एक हप्ते से चल रहा था लेकिन बीच मे त्योहारों की छुट्टी के चलते पशु स्वामी चिकित्सा विभाग से संपर्क करने में नाकामयाब रहे।

अब वंही इलाज न होने की दशा में पशु मालिकों को डर सता रहा है कि कंही जानवरों को रेबिज न हो जाये ।कुछ  लोगों ने अपने पशुओं को रेबीज की सुई प्राइवेट स्तर पर लगवा दिया है लेकिन प्राइवेट दवा महंगा होने की वजह से अधिकांश लोग अभी भी सरकारी दवा का इंतजार कर रहे हैं।

क्षेत्र के चन्द्रिका चौधरी ,रामचंद्र ,निहाल ,नौलित ,तिलक राम ,शिवा ,रामसुरेस ,अयोध्या ,टीमल, भारत पाल ,गिरीश चंद्र ,मतिवर ,बाबूलाल पाल सहित 3 दर्जन से अधिक पशुओं को कुत्ते ने काटा है।

दीवाली की रात में ग्राहक के इंतजार में सड़क पर ही सो गया यह परिवार


ये समाज कंहा जा रहा है?कौन किसका फिक्र कर रहा है?कौन गरीब है?कौन असहाय है  यह सब प्रश्न किससे किया जाए कुछ बात समझ मे नही आ रही है।

इंदौर शहर में एक व्यक्ति दो बच्चों को लेकर फुटपाथ पर डलिया बेंचने के लिए ग्राहकों का इंतजार कर रहा था ,साथ ही बच्चों के खेलने वाली साइकिल भी बिक्री के लिए रखा था ।लेकिन शायद किसी एक भी व्यक्ति ने डलिया और खिलौने नही खरीदे ।और एक बेटी और बेटे के साथ यह व्यक्ति सड़क के किनारे ही दीवाली की रात बिता दिया।

विचलित कर देने वाली इस तस्वीर को देखकर मन ही मन जिम्मेदार लोगों पर भड़ास निकल जाता है।कि आखिर  समाज कल्याण की सारी व्यवस्थाएँ कहाँ पर है।

वायरल तस्वीर

रविवार, 11 नवंबर 2018

गोण्डा- युवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किया युवाओं का आह्वान



समाज मे व्याप्त कुरीतियों से निपटने के लिए युवाओं ने कमर कसना शुरू कर दिया है इसके लिए जागरूकता  बैठक कर युवाओं द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है  । इस क्रम में आज राष्ट्रीय युवा एकता शक्ति  के  पदाधिकारियों द्वारा बैठक का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक तिवारी ने क्षेत्र के दर्जनों युवाओं के साथ आर०बी०एल०पी० चिल्ड्रेन एकेडमी मोकलपुर में दर्जनों युवाओं के साथ समाज की विसंगतियों से निपटने
के लिए चर्चा की।

  अन्नू पाठक की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में
  अभिषेक तिवारी  ने कहा कि आज युवा वर्ग अपने दायित्वों ,कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक नही है ,एवं जो जागरूक हैं वें लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं जिसका परिणाम है कि बहुसंख्यक युवा आबादी वाले देश भारत मे युवाओं  की स्थिति हाशिये पर है।

उन्होंने बैठक में युवाओं को आगाह करते हुए बताया कि जिस देश मे सत्ताधारी विधायक और सांसद को देश- प्रदेश की कानून व्यवस्था के लिए अपने ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठना पड़े उस देश मे लोकतंत्र का अस्तित्व क्या है वह इसी से दिखाई पड़ता है।

उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि युवा वर्ग आगे आये और समाज मे व्याप्त भ्रष्टाचार एवं कुरूतियों से लडाई की शुरुआत करें ताकि अंतिम पंक्ति में जीवन यापन कर रहे लोगों को समाज के अग्रिम पंक्ति में आने का मौका मिले।

इस मौके पर बाबू हेमन्त राव, अरविन्द सिंह, जावेद खान, मनोज राजभर, अनीस अहमद, सहदेव गौतम, इरशाद खान,राजन निषाद, सल्टू ख़ान अजय गुप्ता,राम बाबू गुप्ता, आलोक पांडेय, विवेक तिवारी, ने  बैठक में हिस्सा लिया।

मामला सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कनेथू बुजुर्ग का है




विश्वपति वर्मा_
www.tahkikatsamachar.in

गांव के लोगों को उनके घर के आस पास रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा चाहे जितना भी प्रयत्न कर लिया जाए लेकिन पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से कार्ड धारक को काम मिलना छोड़िए ,पंचायत के पैंसे को गबन करने के लिए रोजगार सेवक आंगनबाड़ी पत्नी एवं उनकी बेटियों के साथ पूर्व प्रधान पुत्र एवं कोटेदार के परिवारों  के खाते में मनरेगा का पैंसा डाल दिया गया।

मामला सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कनेथू बुजुर्ग का है जंहा पर शुशीला देवी ने अनसूचित जाति के सीट पर चुनाव जीता। जीत तो शुशीला देवी की हुई लेकिन कार्यभार पूर्व प्रधान प्रताप नारायण मिश्रा देखते हैं ,शुशीला ग्राम पंचायत में महज कठपुतली की तरहं है जिसका परिणाम है कि ग्राम पंचायत के धन को मनमर्जी तरीके से खर्च किया जा रहा है।


ग्राम पंचायत के कई जॉबकार्ड धारक द्वारा काम न मिलने की शिकायत पर जब हम गांव में पँहुचे तो गांव के दर्जनों लोगों ने आरोप लगाया कि हम लोगों को काम मांगने के बाद भी मनरेगा पर काम नही मिलता ,इसकी पड़ताल करने के लिए हम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की वेबसाइट पर गए जंहा से पता चला कि प्रधान और प्रधानप्रतिनिधि के मिलीभगत से विकास कार्य का पैंसा मिट्टी कार्य के नाम पर अपने चहेतों में बांट दिया गया

कमलावती देवी के नाम से बने जॉब कार्ड की जब हमने पड़ताल किया तो पता चला कि वें आंगनबाड़ी हैं ,उनके पति रोजगार सेवक हैं लेकिन कमलावती देवी और उनकी दो बेटियों रीता और अनीता को मनरेगा से 51 बार बिना काम किये लाभ दिया गया ।

प्रताप नारायण जो प्रधान प्रतिनिधि हैं और पूर्व में प्रधान रह चुके हैं इनके बेटे गगन को 19 बार मनरेगा से लाभ दिया गया है ,यंहा एक सवाल यह है कि क्या प्रधान पुत्र मनरेगा में काम करने गया था ,हालांकि वें अब प्रधान नही हैं।

गाँव के एक और निवासी अस्वनी के खाते में मनरेगा का भुगतान किया गया गांव के लोगों ने बताया कि अस्वनी कुमार ने तो कभी किसी प्रकार से मजदूरी नही की ।लेकिन वर्ष 2018 में अस्वनी के खाते में 7000 रुपये का भुगतान किया गया है।

इसी प्रकार जॉब कार्ड धारक हरीशचंद्र के खाते में मनरेगा का पैंसा डाला गया है जिन्होंने कभी मनरेगा में मजदूरी नही की।

ऐसे ही तमाम लोग गांव में हैं जिन्होंने कभी मनरेगा या किसी और के यंहा मजदूरी नही की लेकिन जिम्मेदार लोगों के मिलीभगत से पैंसे का बंदरबांट करने के नियति से बिना काम किये उनके खाते में भुगतान कर दिया गया ।

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शनिवार, 10 नवंबर 2018

जूता बचाने के चक्कर में बुरे फंसे दारोगा जी

 उत्तर प्रदेश पुलिस लाख कोशिश करे लेकिन छवि पर कोई न कोई धब्बा लग ही जाता है। रामपुर से ऐसी तस्वीरें सामने आईं हैं जिनसे पुलिस महकमा फिर से शर्मसार हो गया। मुरादाबाद के दो पुलिसकर्मियों की हरकत ने पूरे महकमें पर सवाल उठा दिए हैं।
यहां नाव से नदीं पार करने के बाद दारोगा नरेश कुमार ने शान में जूते नहीं उतारे और पानी से बचने के लिए पास खड़े एक युवक की पीठ पर सवार हो गए। वंही जांच करने के बाद लौट कर दारोगा ने फिर उसी युवक को बुला कर उसकी पीठ पर लद कर दिया पानी को पार किये।जब से ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं हैं तबसे पुलिस की हर तरफ किरकिरी हो रही है और कोई दरोगा की इस हरकत पर सवाल खड़े कर रहा है।
मामला मुरादाबाद और रामपुर जिले की सीमा से सटे मूंढापांडे थाने के गांव लालटीकर का है। जहां से बैलों के चोरी होने का मामला सामने आया था। जिसकी जांच करने के लिए मुरादाबाद जनपद के दारोगा नरेश कुमार अपने सहयोगी पुलिस के साथ अपनी बाइक से जनपद रामपुर के गांव चकफेरी गए। गांव जाने के रास्ते के बीच में नदी पड़ती है और नदी को पार करने के लिए नाव में बैठना पड़ता है।

बताया जा रहा है कि नदी पार करने के बाद जब दारोगा जी उतरने की कोशिश करने लगे तो पानी को देखकर जूते खराब होने का डर सताने लगा। जूतों को बचाने के लिए पास में खड़े एक युवक को बुलाया और उसकी पीठ पर सवाल होकर पानी से निकले। जिसका वीडियो मौके पर ही किसी ने बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

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गूगल का डूडल दुनिया की पहली महिला इंजीनियर को समर्पित


        आज गूगल ने अपना डूडल 
एलाइसा लेओनिडा  जमफिरेसको को समर्पित किया है। वह दुनिया की पहली महिला इंजिनियरों में से एक थीं। उन्होंने बाधाओं पर विजय हासिल करने की एक मिसाल कायम की। उनका पूरा जीवन एक मिसाल है कि विपरित परिस्थितियों में भी अपनी प्रतिभाओं को कैसे निखारा जाए।जमफिरेसको जनरल असोसिएशन ऑफ रोमानियन इंजिनियर्स (एजीआईआर) की पहली महिला सदस्य थीं और जिअलॉजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ रोमानिया के कई प्रयोगशालाओं का नेतृत्व किया। उनका जन्म 10 नवंबर, 1887 को हुआ था। उन्होंने रोमानिया के प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन किया और पुरुषों के वर्चस्व वाले मैदान में अपना मुकाम बनाया। 

एलाइसा को उच्च शिक्षा हासिल करने और करियर में अपना मुकाम बनाने के लिए काफी बाधाओं को पार करना पड़ा। रोमानिया के गलाटी शहर में पैदा हुईं एलाइसा बुचारेस्ट स्थित सेंट्रल स्कूल ऑफ गर्ल्स से अच्छे नंबरों के साथ हाई स्कूल की परीक्षा पास की थीं। लेकिन जब उन्होंने स्कूल ऑफ हाइवेज ऐंड ब्रिजेज, बुचारेस्ट में हायर स्टडीज के लिए आवेदन किया तो लिंग के आधार पर उनका आवेदन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने किसी और संस्थान में दाखिला लेने का फैसला किया। उन्होंने जर्मनी के रॉयल टेक्निकल अकैडमी में आवेदन किया जिसे 1909 में मंजूर कर लिया गया। वहां भी उनको काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार संस्थान के प्रमुख ने उनसे कहा, 'बेहतर होता कि आप चर्च, बच्चे और रसोई पर फोकस करतीं।' 

...और सल्टौआ के 91 ग्राम पंचायत कागजों में हो गए ओडीएफ

ग्राउंड रिपोर्ट-विश्वपति वर्मा_
अधिकारी किस तरहं से भ्रष्टाचार का बढ़ावा दे रहे हैं शायद आपको नही पता है ।लेकिन आप भी यह बात जानों इसके लिए हम आपको बस्ती जनपद के सल्टौआ ब्लॉक लेकर चल रहे हैं ,ब्लॉक द्वार स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार को जो रिपोर्ट दिए गए हैं के उसमे बताया गया है कि ब्लॉक के कुल 99 ग्राम पंचायत के सापेक्ष 91 ग्राम पंचायत ओडीएफ हो चुके हैं ।

जब हमे इस बात की जानकारी हुई तो हमे लगा कि हुआ भी होगा ,लेकिन हमने सोचा क्यों न धरालत पर जाकर उसकी सच्चाई को जान लिया जाए ।

इस कड़ी में हम सबसे पहले हम ब्लॉक के कनेथू बुजुर्ग ग्राम पंचायत में गए । इस गांव के लिए हमे जो जानकारी मिली थी उसमें बताया गया कि ग्राम पंचायत में कुल 267 परिवार हैं और सभी 267 परिवारों के घर मे शौचालय निर्माण का कार्य पूरा हो गया।यानि कि गांव को खुले से शौच मुक्त कर दिया गया है ।

हमे लगा कि शायद अब इस गांव के लोग डिब्बा लेकर खेत में नही जाते होंगे इसकी पड़ताल करने के लिए हम सुबह सुबह गांव में पंहुच गए जंहा पर देखने को मिला कि कई दर्जन ग्रामवासी डिब्बा लेकर खेत की तरफ जा रहे हैं ।इससे यह स्पष्ट हुआ कि गांव खुले से शौच मुक्त नही हुआ ।

उसके बाद गांव के एक निवासी फूलचन्द्र के घर पंहुच गए वँहा पँहुचने पर यह पता चला कि फूलचन्द्र के घर शौचालय तो बना है लेकिन उसका प्रयोग अभी नही है क्योंकि उसका काम अभी अधूरा है।

तो हमारी पड़ताल में यह बात सामने आई है कि ब्लॉक द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार को गलत रिपोर्ट दी गई है।

शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

ग्राउंड रिपोर्ट-गांव में भ्रष्टाचार रोजगार सेवक पुत्री और प्रधानपुत्र को मनरेगा से भुगतान

विश्वपति वर्मा_
गांव के लोगों को उनके घर के आस पास रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा चाहे जितना भी प्रयत्न कर लिया जाए लेकिन पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से कार्ड धारक को काम मिलना छोड़िए ,पंचायत के पैंसे को गबन करने के लिए रोजगार सेवक आंगनबाड़ी पत्नी एवं उनकी बेटियों के साथ पूर्व प्रधान पुत्र एवं कोटेदार के परिवारों  के खाते में मनरेगा का पैंसा डाल दिया गया।

मामला सल्टौआ ब्लॉक के ग्राम पंचायत कनेथू बुजुर्ग का है जंहा पर शुशीला देवी ने अनसूचित जाति के सीट पर चुनाव जीता। जीत तो शुशीला देवी की हुई लेकिन कार्यभार पूर्व प्रधान प्रताप नारायण मिश्रा देखते हैं ,शुशीला ग्राम पंचायत में महज कठपुतली की तरहं है जिसका परिणाम है कि ग्राम पंचायत के धन को मनमर्जी तरीके से खर्च किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत के कई जॉबकार्ड धारक द्वारा काम न मिलने की शिकायत पर जब हम गांव में पँहुचे तो गांव के दर्जनों लोगों ने आरोप लगाया कि हम लोगों को काम मांगने के बाद भी मनरेगा पर काम नही मिलता ,इसकी पड़ताल करने के लिए हम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की वेबसाइट पर गए जंहा से पता चला कि प्रधान और प्रधानप्रतिनिधि के मिलीभगत से विकास कार्य का पैंसा मिट्टी कार्य के नाम पर अपने चहेतों में बांट दिया गया

कमलावती देवी के नाम से बने जॉब कार्ड की जब हमने पड़ताल किया तो पता चला कि वें आंगनबाड़ी हैं ,उनके पति रोजगार सेवक हैं लेकिन कमलावती देवी और उनकी दो बेटियों रीता और अनीता को मनरेगा से 51 बार बिना काम किये लाभ दिया गया ।

प्रताप नारायण जो प्रधान प्रतिनिधि हैं और पूर्व में प्रधान रह चुके हैं इनके बेटे गगन को 19 बार मनरेगा से लाभ दिया गया है ,यंहा एक सवाल यह है कि क्या प्रधान पुत्र मनरेगा में काम करने गया था ,हालांकि वें अब प्रधान नही हैं।

गाँव के एक और निवासी अस्वनी के खाते में मनरेगा का भुगतान किया गया गांव के लोगों ने बताया कि अस्वनी कुमार ने तो कभी किसी प्रकार से मजदूरी नही की ।लेकिन वर्ष 2018 में अस्वनी के खाते में 7000 रुपये का भुगतान किया गया है।

इसी प्रकार जॉब कार्ड धारक हरीशचंद्र के खाते में मनरेगा का पैंसा डाला गया है जिन्होंने कभी मनरेगा में मजदूरी नही की।

ऐसे ही तमाम लोग गांव में हैं जिन्होंने कभी मनरेगा या किसी और के यंहा मजदूरी नही की लेकिन जिम्मेदार लोगों के मिलीभगत से पैंसे का बंदरबांट करने के नियति से बिना काम किये उनके खाते में भुगतान कर दिया गया ।

विदेश कमाने गए 5 वर्ष में 24 हजार भारतीयों की मौत

विश्वपति वर्मा -श्रोत _NBT
खाड़ी देशों में कमाने गए हिंदुस्तानी वहां से अपनी गाढ़ी कमाई का जो हिस्सा घर भेजते हैं, उसकी चर्चा हमेशा होती है। लेकिन इसकी जो कीमत उन्हें चुकानी पड़ती है, उस पर अमूमन किसी का ध्यान नहीं जाता। हाल ही में आरटीआई के तहत हासिल की गई सूचनाओं के विश्लेषण से जो चित्र सामने आ रहा है, वह दिल दहलाने वाला है। उधर से आने वाले हर एक अरब डॉलर की एवज में औसतन 117 भारतीयों की जान जाती है। कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआई) ने विशेष प्रयत्नों के जरिये बहरीन, ओमान, कतर, कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में पिछले साढ़े छह वर्षों में हुई भारतीयों की मौतों और उनके द्वारा भेजी गई रकम के आंकड़े जुटाए और दोनों को साथ रखकर उनका अध्ययन किया। इन छह देशों की अहमियत इस मायने में है कि यहां से सबसे ज्यादा रकम भारत भेजी जाती है। दुनिया भर में फैले भारतीय मूल के लोगों की संख्या तीन करोड़ से भी ज्यादा है, जिनमें से करीब 90 लाख खाड़ी के देशों में रहते हैं। जहां तक बाहर से भेजी जाने वाली रकम का सवाल है तो सन 2012 से 2017 के बीच पूरी दुनिया से आई राशि का आधे से भी ज्यादा हिस्सा इन्हीं छह देशों से आया है।
         प्रतीकात्मक चित्र


इन पांच वर्षों में पूरी दुनिया से 410.33 अरब डॉलर की रकम भारतीयों ने स्वदेश भेजी, जिसमें से 209.07 अरब डॉलर इन खाड़ी देशों से भेजे गए थे। मगर इसी अवधि में इन छह देशों में 24,570 भारतीय कामगारों की मौत भी हुई। यानी इन देशों में हर दिन औसतन 10 भारतीय दुर्घटनाओं में या औचक बीमारियों से मरते रहे। इनमें से ज्यादातर मौतें स्वाभाविक नहीं हैं।
रोजी-रोटी की तलाश में खाड़ी देशों का रुख करने वाले भारतीय कामगारों को वहां बेहद कठिन और अपमानजनक स्थितियों में काम करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात में 2017 में 339 भारतीय कामगारों की मौत हुई, जिनमें से 65 फीसदी 45 वर्ष से कम उम्र के थे। ज्यादातर मौतें लू लगने या दिल का दौरा पड़ने से हुई थीं। आज के दौर में जब हम पूरी दुनिया में भारत का डंका बजने और भारतीयों की इज्जत बढ़ जाने की बात करते हैं तब अपनी मेहनत से दो देशों के विकास को गति देने वाले भारतीय इस तरह बेमौत मारे जाएं, यह बात किसी भी स्थिति में गले उतरने लायक नहीं है। सच है कि खाड़ी देशों का रुख करने वाले ज्यादातर भारतीय मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग होते हैं। काम-काज का वैसा माहौल उन्हें नहीं मिल सकता, जैसा डॉक्टर-इंजीनियर या स्किल्ड लेबर को मिलता है। लेकिन अंतत: वे भारत के नागरिक हैं और हमारे लिए उनका जीवन भी बेशकीमती है। यह बात पूरी दुनिया को समझाने की पहली जिम्मेदारी हमारी सरकार की है। उसे ही सुनिश्चित करना होगा कि खाड़ी देशों में रह रहे इन भारतीयों का गरिमापूर्ण जीवन बिताने का संवैधानिक अधिकार बेमानी होकर न रह जाए।

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पथभ्रष्ट तो नही हो गए सीएम योगी

विश्वपति वर्मा_
शहरों के नाम  बदलने की फेहरिस्त में ऐसा लगता है कि सीएम योगी के पास जनता के हित मे काम करने के लिए कोई प्राथमिकता नही है ,बस ये भगवा धारी यही चाहते हैं कि जनता को किस तरहं से गुमराह रखने में सफलता प्राप्त हो।

1730 में जब नबाब सादत अली खान ने फैजाबाद शहर को बसाया था तब उन्हें यह नही पता था कि 21 वीं सदी में कोई भगवाधारी आएगा वह आस्था का प्रतीक मानते हुए फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर देगा।

सोचने वाली बात यह है कि सादत अली खान और उनके पोते आसफ उद दौला ने कभी भी ऐतिहासिक नामों के साथ कोई छेड़छाड़ नही किया ,बल्कि फैजाबाद जैसे शहरों को बसाने का काम किया जिसका अर्थ है "सबके कल्याण वाली जगह"

साथ ही अयोध्या में प्राचीन हनुमान मंदिर के देखभाल के लिए नबाब परिवार हर वर्ष खजाना खुला रखते थे, लेकिन आज एक ऐसा वक्त है जिसने सबके कल्याल की एक जगह बनाई अब वह जगह ही नही रहेगी।

इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम को जनता ही नही समझ पा रही है कि उसे जरूरत किस चीज की है तभी तो चोलाधारी मनमर्जी तरीके से जनता के ऊपर राज कर रहे हैं।जबकि प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को शिक्षा ,चिकित्सा ,रोजगार ,महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की खत्म करने जैसे मुद्दे पर काम करने की आवश्यकता है ।

देखा जाए तो ये नाम बदलने वाली सरकार या इसके मुख्यमंत्री पथभ्रष्ट हो गए हैं क्योंकि ये जितना रुपया शहर का नाम बदलने में खर्च कर रहे हैं उतना ही पैंसा खर्च करके एक नए अयोध्या या इलाहाबाद शहर को बसा सकते थे इससे पुराने शहरों का नाम भी बच जाता वंही प्राचीन शहरों को नए जिले के रूप में घोषित कर आधुनिक तरीके से स्थापित कर लिया जाता।

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

एक तरफा प्यार की दर्दनाक कहानी

गुजरात के सोमनाथ जिले में एक सिरफिरे आशिक ने नाबालिग लड़की की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि लड़की ने युवक का प्रस्ताव 35 बार ठुकराया था, इससे नाराज होकर उसने उसके शरीर में 35 बार चाकुओं से वार किए। पुलिस ने आरोपी युवक और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है।
सोमवार को पुलिस ने एक 16 साल की लड़की का शव बरामद किया था। शव की पहचान विनिशा ठक्कर के रूप में हुई। वह अंबुजा स्कूल में पढ़ती थी। पुलिस ने बताया कि आरोपी कश्यप पुरोहित इसी स्कूल में पढ़ता था लेकिन उसने बारहवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उसके पिता एक पुजारी हैं।
                   प्रतीकात्मक तस्वीर

पुलिस ने बताया कि विनिशा के पिता की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि कश्यप को विनिशा से एकतरफा प्यार था। छह महीने पहले उसने विनिशा को प्रपोज किया था लेकिन उसने उसके प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया था। वह बार-बार उसके मोबाइल पर फोन करता और मेसेज करता था। एक दिन विनिशा की मां ने कश्यप का फोन रिसीव कर लिया और उन्होंने उसे जमकर फटकार लगाई।

कोडीनार के इंस्पेक्टर जीएम चावड़ा ने बताया कि 5 नवंबर की शाम 5 बजे कश्यप ने उसकी एक दोस्त धरती की मदद से उसे शिव मंदिर के पास बुलाया। विनिशा जैसे ही वहां पहुंची कश्यप ने एक बार फिर से उसे प्रपोज किया। हर बार की तरह विनिशा ने फिर से उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। प्रस्ताव ठुकराए जाने से नाराज कश्यप ने विनिशा पर वार कर दिया।

देर रात तक जब विनिशा घर नहीं पहुंची तो घरवालों ने उसे ढूंढना शुरू किया। वे लोग कश्यप के घर भी गए लेकिन उसके घरवालों ने विनिशा के वहां न होने की बात कही। संदेह न हो इसलिए उन्होंने विनिशा के परिवार के साथ मिलकर उसे ढूंढना शुरू कर दिया।

पुलिस ने बताया कि विनिशा कि पिता की स्टेशनरी की दुकान है जबकि कश्यप के पिता पेशे से पुरोहित हैं। दोनों परिवार एक दूसरे को अच्छे से जानते थे क्योंकि कश्यप के घर के बगल में विनिशा के चाचा का घर है और कश्यप के पिता विनिशा के घर पूजा-पाठ कराने जाते थे। पुलिस ने युवक, युवती की सहेली धरती और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है।

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धन प्राप्ति के लिए इंसान की मूर्खता तो देखिए


हमारा देश जहां एक ओर आधूनिक युग बन रहा है और न जाने कितने प्रकार के अविष्कार किये जा रहें हैं और देखा जाये तो फिर चाहें वो चिकत्सा से संबधित हो या फिर विज्ञान से संबधित हर ओर बस आधुनिकता का दौर दिखाई दे रहा है ।पर फिर भी हमारे देश में हिदुओं के प्रमुख त्योहार दीपावली में लोग अंधविश्वास को बढावा देते नजर आते हैं और फिर इसे अंधविश्वास ना कहे तो क्या कहे  तंत्र मंत्र के जरिए सिद्धियों को हासिल करने एवं धन प्राप्ति के लिए इंसान क्या क्या नही कर देता है,यंहा तक कि आधुनिक युग में भी बेजुबानो का कत्ल करने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं
जी हां तंत्र मंत्र के जरिए शक्ति हासिल करने के लिए कुछ ढोगीं लोग दीपावली के समय उल्लूओं को अपना निशाना बनाते हैं जिन की बलि चढ़ाकर सिद्धियां हासिल करने का दावा भी करते हैं ऐसे ही अंधविश्वास को ध्यान में रखते हुए दुधवा  नेशनल पार्क मैं इन दिनों हाई अलर्ट जारी किया गया है यहां पर उल्लूओं की संख्या बहुतायत मात्रा में पाई जाती है इसलिए उनके जीवन की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दुधवा पार्क में अलर्ट घोषित किया गया है ।

दीपावली के नजदीक आते ही तमाम तरह की तैयारियां की जा रही है वही लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में उल्लूओं पर दीवाली में आफत देखी जा रही है।उल्लू को तस्करों से जान का खतरा है जिसको लेकर पार्क प्रशासन ने पूरे दुधवा नेशनल पार्क में अलर्ट घोषित कर दिया है। जैसे ही दीपावली करीब आती वैसे ही लखीमपुर खीरी के इंडो-नेपाल बॉडर पर  886 वर्ग किलोमीटर में फैले दुधवा नेशनल पार्क के जंगलो  में गश्त को बढ़ा दिया जाता है कारण है यहाँ उल्लू की पाई जाने वाली 12 प्रजातियां।  उल्लू तस्कर जंगल मे अधिक सक्रिय हो जाते  है और अंधविश्वास के चलते इनकी जान पर खतरा बढ़ जाता है।
लोगो मे मान्यता है कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू के बलि देने से लक्ष्मीजी की कृपा होती हैं और घरों में लक्ष्मी वास करती है यानी धन की वर्षा होती है।इसके अलावा तंत्र मंत्र में भी उल्लू का वध किया जाता है।इसी वजह से बड़े शहरों की बाजार में उल्लू की कीमत पाँच हजार से पचास हजार तक हो जाती है और अंधविश्वास के धंधे में तस्कर इन्हें बाजारों में पहुचाने का काम करते है।फिलहाल इसी खतरे को लेकर दुधवा में अलर्ट घोषित कर दिया गया है ।

3 साल की बच्ची के मुंह में 'सुतली बम' रख कर लगा दी आग, हालत गंभीर



विश्वपति वर्मा-श्रोत एनडीटीवी

दिवाली से एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई एक घटना ने सबको हैरान कर दिया है. मेरठ में 3 साल की बच्ची उस वक्त बुरी तरह से घायल हो गई, जब एक लड़के ने उसके मुंह में पटाखा रख दिया और वह विस्फोट हुआ. यह जानकारी पुलिस ने दी. मुंह में पटाखों के जलने से बुरी तरह घायल बच्ची को तुरंत पास के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है. 
बता दें कि यह घटना मंगलवार को मिलक गांव में हुई थी. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है और उसकी तलाश में जुट गई है.

बताया जा रहा है कि बच्ची के पिता शशि कुमार ने अपनी शिकायत में स्थानीय युवक हरपाल का नाम लिया है. अपने घर के बाहर खेल रही शशि कुमार की बेटी के  पास जाकर हरपाल उसके मुंह में 'सूतली' बम रख दिया और उसमें आग लगा दी. 
जैसे ही हरपाल ने लड़की के मुंह में रखी सूतली बम में माचिस लगाई, बम मुंह में ही ब्लास्ट कर गया, जिसकी वजह से वह बुरी तरह से जख्मी हो गई. सुतली बम का धमाका इतना बड़ा था कि उसे 50 टांके लगे हैं और उसका गले में संक्रमण हो गया है. हालांकि, बच्ची का इलाज चल रहा है. 

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बुधवार, 7 नवंबर 2018

राजनाथ सिंह का सुझाव, बोले- थाने में फरियादियों के लिए हो चाय का प्रबंध

पुलिस स्टेशन भले ही आम नागरिकों की उलझनों, परेशानियों और असुरक्षा की भावना को खत्म करने वाला केंद्र हो, मगर पुलिसिया रवैया और थाने की कार्य-प्रणाली यानी वर्क संस्कृति इस कदर खराब हो चुकी है कि एक आम नागरिक भी पुलिस थाने जाने से पहले कई बार सोचता है. पुलिस महकमा आम लोगों के बीच इस कदर बदनाम हो चुका है कि लोग अपनी समस्या लेकर भी जाने से कतराते हैं. यही वजह है कि समय-समय पर पुलिस सुधार की आवश्यक्ता की बात उठती है. हालांकि, इस मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा बयान दिया है. राजनाथ सिंह ने पुलिस की कार्यप्रणाली और थाने की संस्कृति में बदलाव की वकालत की है और अपनी ओर से बड़ा आश्वासन भी दिया है.

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिसिया कार्य प्रणाली को लेकर पुलिस महकम से तल्खी से सवाल पूछे. थाने में शिकायतकर्ताओं से जिस तरह से पुलिसकर्मी बातें करते हैं उस पर राजनाथ सिंह ने नाराजगी जाहिर की और उन्हें कहा कि कोई अगर पुलिस थाने शिकायत दर्ज कराने आता है तो क्या हम उनसे विनम्रता से बातें नहीं कर सकते? अगर शिकायतकर्ता घंटों इंतजार करते हैं, तो क्या हम उन्हें पानी के लिए भी नहीं पूछ सकते? 

राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि 'मैं पुलिस आयुक्त से कहूंगा कि अगर संभव हो तो पुलिस स्टेशनों पर शिकायतकर्ताओं के लिए चाय स्टालों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और गृह मंत्रालय इसके लिए फंड उपलब्ध कराएगा. साथ ही उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा कि, क्यों पुलिसकर्मी खुद को रोल मॉडल के रूप में पेश नहीं सकते हैं?

बता दें कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसी ही 300 पेट्रोलिंग बाइक को हरी झंडी दिखाई जिन्हें रफ्तार नाम दिया गया है. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक, अभी पूरी दिल्ली के पुलिस थानों में 2028 पेट्रोलिंग बाइक्स हैं, जिसमें हर थाने की एक बाइक जीपीआरएस के जरिये पुलिस मुख्यालय के सेंट्रल कंट्रोल रूम से जुड़ी होती है.