बतौर मुख्य अतिथि सरदार सेना द्वारा आयोजित सरदार पटेल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते सदर विधायक दयाराम चौधरी
बतौर मुख्य अतिथि सरदार सेना द्वारा आयोजित सरदार पटेल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते सदर विधायक दयाराम चौधरी
लेबल: उत्तर प्रदेश
नैतिकता,प्रमाणिकता,निष्पक्षता
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विश्वपति वर्मा
भारत को समग्र विकास के रूप ले जाने का सपना तो गांधी जी ने ही देखा था लेकिन उनके ग्राम स्वराज की अवधारणा आजादी के 71 वर्ष बाद भी पूरी नही हो पाई क्योंकि देश में विकास कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए बनाए गए प्रखंडो में तैनात ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी ,सहायक तकनीकी अधिकारी जैसे जिम्मेदार लोगों ने पंचायत के पैंसों में सेंधमारी करना शुरू कर दिया और इसका परिणाम है कि गांव में विकास कार्यों के लिए जारी की गई धनराशि का 50 फीसदी हिस्सा भी उद्देश्य पर खर्च नही की जाती ।
गांवों में विकास की जिम्मेदारी प्रधान या सरपंच पर है,उनको यह अधिकार मिला हुआ है कि 14 वें वित्त से ग्राम पंचायत में 27 प्रकार की योजनाओं को लागू कर सकते हैं ।लेकिन उसके बावजूद भी ब्लॉक अधिकारी सब योजनाओं को लागू करवाने के बजाय खड़ंजा उखाड़वाने लगवाने एवं तालाब सफाई करवाने में ही माहिर हैं क्योंकि इस तरहं के कार्यों में बिना किसी बिरोध के पैंसों का गोलमाल किया जा सकता है ,जबकि गांव की जनता मूलचूल सुबिधाओं के लिए परेशान रहती है ,अभी भी गांवों में पानी निकासी, स्वच्छ पेय जल, साफ सफाई, उजाला, सड़क इत्यादि समस्या बनी हुई है
इस पूरे भ्रष्टाचार के खेल में प्रधानों की मिलीभगत रहती है ,रहे भी क्यों न देश में सरकारी कर्मचारी सांतवें वेतन आयोग का लाभ उठा रहे हैं अधिकारियों को लाखो रुपया सैलरी मिल रही है उसके बाद भी इन्हें पैंसे की जरूरत है तो मनरेगा की मजदूरी से भी कम 3500 भत्ता पाने वाले प्रधान भ्रष्टाचार में लिप्त नही होंगे तो क्या राष्ट्रभक्ति का गीत गाएंगे ।
इस संबंध में हमारी बस्ती जिले के अलग अलग ब्लाकों के दो दर्जन प्रधानों से बात हुई तो उन सभी लोगों का कहना है प्रधान ऐसा जनप्रतिनिधि है जो 24 घंटे जनता के बीच रहता है लेकिन सरकार द्वारा इन्हें किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नही कराई गई । जबकि 3500 रुपया से आने-जाने वाले लोगों के चाय पानी और खुद के पेट्रोल का खर्च नहीं निकलता। प्रधानों ने माना कि सरकारी निरंकुशता और ब्लॉक पर हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से ईमानदारी की संभावना घटी है ।
सदर ब्लॉक के एक प्रधान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सदन चलाने वाले नेता और लाखों रुपए तनख्वाह लेने वाले जो आईएएस देश का सिस्टम चला रहे हैं, गांवों के लिए दर्जनों तरह की लाखों रुपए की योजनाएं बनाते हैं, क्या उन्हें नहीं पता इतने कम पैसे में प्रधान कैसे काम करता होगा।
गौर ब्लॉक के एक प्रधान ने ब्लॉक की व्यवस्था पर बिगड़ते हुए कहा कि गांव के ही बजट से बीडीओ और पंचायत अधिकारी समेत आधा दर्जन लोग कमीशन लेते हैं ,विरोध करने पर काम नही देते हैं और हर जगह किरकिरी प्रधानों की होती है।
जिले के रुधौली ब्लॉक के एक प्रधान से पंचायत की समस्या और समाधान पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में वें बताते हैं, “आज जनता के बीच में यह धारणा बन गई है प्रधान पैसा खा गया, प्रधान ने कमीशन लिया, प्रधान ने काम नहीं किया, ऐसे ही ख़बरें मीडिया में भी छापी जाती हैं लेकिन सारे प्रधान बेईमान नहीं हैं। सबका कमीशन तय है, पंचायत के निर्माण कार्यों में ब्लाक का सीधा कमीशन 8 प्रतिशत है, जिसमे 3 प्रतिशत खंड विकास अधिकारी को, ढाई प्रतिशत इंजीनियर और जेई को व ढाई प्रतिशत सहायक विकास अधिकारी पंचायत को जाता है। सात से दस प्रतिशत प्रधान का कमीशन रहता है, जिसमे प्रधान और पंचायत सचिव का आधा-आधा हिस्सा होता है, निर्माण कार्य का लगभग बीस प्रतिशत कमीशन में और फिर ठेकदार को भी बीस से पचीस प्रतिशत की बचत होनी चाहिए इस तरह से निर्माण कार्य का फंड आधा कमिशन में और आधा निर्माण में खर्च होता है।’ वो आगे बताते हैं, “मनरेगा के पक्के कामों में बीडीओ बिना कमीशन लिए काम नहीं करता है, पंचायत सचिव एजेंट की तरह कई जगह काम करता है। कमीशन नहीं दिया तो काम पास ही नहीं होगा, हो गया तो बिल नहीं आएगा, ये काजल की कोठरी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए सरकारी तंत्र ही जिम्मेदार है पंचायत में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ‘प्रधानों को 5 साल तक 25 हजार रुपए का वेतन मिलने की बात भी कही।
जिम्मेदार लोगों द्वारा भ्रष्टाचार बढ़ाने का यह आलम है कि प्रदेश के 59163 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष प्रदेश भर में 100 गांव भी समग्र एवं समेकित विकास की संरचना को पूरा नही कर पाए हैं।
बता दें कि देश में कुल 6 लाख 58 हजार 221 गांव हैं, जिनके विकास के लिए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय व पंचायती राज मंत्रालय हैं। इसके साथ ही कई दूसरे विभाग भी यहां काम करते हैं। गांवों में खर्च की जाने ली बड़ी धनराशि केंद्र सरकार देती है, जिसे केंद्रीय अंश बाकी राज्य सरकारें देती हैं ।
इसके अलावा सांसद विधायक के कोटे से काम होता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की छह योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने देश में 2017-18 में 105477.88 करोड़ रुपए का योगदान किया है। एक औसत जनसंख्या (10 हजार ) वाली ग्राम पंचायत को सलाना हर तरह के मद को मिलाकर 15-20 लाख रुपये का बजट आता है। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद न तो गांव बदल रहे हैं न प्रधान ही खुश हैं क्योंकि इस अनुपात में प्रधान का भत्ता न के बराबर है।
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गोवा के मनोहर पर्रिकर के खराब सेहत के बीच उनके आवास को हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया गया है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम 24 घंटे उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए है. पर्रिकर 14 अक्टूबर के बाद से सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखे हैं. इस बीच कांग्रेस ने कहा है मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) 14 अक्टूबर से दिखाई नहीं दिए हैं, संभवत: वह जीवित नहीं हैं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की इस टिप्पणी को सिरे से नकार दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता जीतेंद्र देशप्रभु ने कहा, 'जी हां, हम इसे संज्ञान में ले रहे हैं. यह बिल्कुल चरम स्पष्टीकरण है कि आदरणीय मुख्यमंत्री संभवत: वहां नहीं हैं'. आपको बता दें कि मनोहर पर्रिकर की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था.
14 अक्टूबर को एम्स से उन्हें वापस लाया गया. इसके बाद से वे सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे हैं और अपने निजी निवास में बिस्तर पर हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनके निजी निवास को एक अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ वहां 24 घंटे तैनात हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारियों का एक समूह उनकी अनुपस्थिति में अवैध तरीके से निर्णय ले रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भाजपा और भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन को गोवा वासियों के समक्ष यह साबित करना चाहिए कि पर्रिकर जिंदा हैं. भाजपा ने कांग्रेस के इस बयान को हताशा का परिणाम बताया है और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राजनीतिक बातचीत के स्तर को गिरा दिया है.
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केवड़िया (गुजरात)। यहां बन रहे सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। स्टेचू ऑफ यूनिटी के चारों ओर लाइटिंग होगी। इसके लिए दुबई के शारजाह की एक कंपनी को 1.23 करोड़ का ठेका दिया गया है। कंपनी ने स्टेचू ऑफ यूनिटी में लाइट लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को लाइट से रोशन करने के लिए लेजर लाइट का इस्तेमाल होगा। केवड़िया से स्टेचू ऑफ यूनिटी तक जाने वाले रास्ते को भी सजाया जाएगा। 28 अक्टूबर तक लाइटिंग का काम पूरा कर दिया जाएगा। लोकार्पण से पहले भारत भवन और स्टेचू ऑफ यूनिटी व्यू प्वाइंट 1 में केवड़िया कॉलोनी के लगभग 7-8 किमी. एरिया में लाइट लगाई जाएगी। स्टेचू के चारों ओर 3 टावर खड़े किए जाएंगे। जिसमें एक खंभे पर 24 व्हाइट फ्रेजर जबकि दूसरे पर 50 से अधिक लाइटें लगेंगी। एक लाइट 1000 वॉट की होगी। पर्यटक रात में स्टेचू ऑफ यूनिटी को अच्छी तरह से देख सकें इसलिए 182 मीटर तक लेजर लाइट लगाई जाएगी।
स्टेचू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के लिए सी-प्लेन में नहीं आएंगे मोदी
स्टेचू ऑफ यूनिटी का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सी-प्लेन से नहीं आएंगे, क्योंकि यहां प्लेन उतारने की जगह नहीं है। यहां के तीन नंबर तालाब में बड़े-बड़े मगरमच्छ होने के कारण इस प्रोग्राम को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले सी-प्लेन के लिए नर्मदा डैम और गरूडेश्वर के बीच 12 किमी के तालाब को पानी भरने की योजना बनाई गई थी, पर डैम अभी भी 12 मीटर तक खाली है। ज्ञातव्य है कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती नदी में सी-प्लेन को उतारा था। हालांकि बाद में इस पर विवाद शुरू हो गया था। केवड़िया में स्टेचू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सी-प्लेन से आने की चर्चा थी किंतु कुछ कारणों से इसे रद्द कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेलीकॉप्टर से आएंगे।
स्टेचू ऑफ यूनिटी के चारों ओर बने 3 टावर पर लगेंगी 50 से अधिक लाइटें
- 1.23 करोड़ के खर्च से डैम और स्टेचू ऑफ यूनिटी में होगी लाइटिंग
- 182 मीटरमीट की प्रति को रोशन करने के लिए खास लेजर लाइट।
- 24 व्हाइट फ्रेजर लाइन एक खंभे पर लगेगी।
- 1000 वॉट की एक लाइट होगी।
- 100 से अधिक लाइट यहां लगेंगी।
-03 खंभे प्रतिमा के चारों ओर लगाए जाएंगे।
लेबल: गुजरात
केंद्र और गुजरात सरकार दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण की तैयारी कर रही है लेकिन प्रतिमा के निकट स्थित गांवों के हजारों ग्रामीण इस परियोजना के विरोध में भारी प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। 182 मीटर ऊंची सरदार पटेल की आदमकद प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे। नर्मदा जिला के केवड़िया में स्थानीय आदिवासी संगठनों ने कहा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परियोजना से प्रभावित लगभग 75,000 आदिवासी प्रतिमा के अनावरण और प्रधानमंत्री का विरोध करेंगे। आदिवासी नेता डॉक्टर प्रफुल वसावा ने कहा, “उस दिन हम शोक मनाएंगे और 72 गांवों में किसी घर में खाना नहीं पकाया जाएगा। वह परियोजना हमारे विनाश के लिए है।”
आदिवासी रिवाज के अनुसार, घर में किसी की मृत्यु होने पर शोक के तौर पर घर में खाना नहीं पकाया जाता है। उन्होंने कहा, “आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। हमारा गुजरात के महान सपूत सरदार पटेल से कोई विरोध नहीं है, और उनका सम्मान होना चाहिए। हम इसके खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार का विकास का विचार एकतरफा और आदिवासियों के खिलाफ है।” आदिवासी शिकायत कर रहे हैं कि उनकी जमीनें ‘सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना’, उसके नजदीक स्थित ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ तथा इसके साथ-साथ क्षेत्र में प्रस्तावित अन्य पर्यटन गतिविधियों के लिए ले ली गई हैं।
वसावा के अनुसार, ‘असहयोग आंदोलन’ को प्रदेश के लगभग 100 छोटे-बड़े आदिवासी संगठन समर्थन दे रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में उत्तरी गुजरात के बनसकांठा से दक्षिणी गुजरात के डांग्स जिले तक लगभग नौ आदिवासी जिले आंदोलन में भाग लेंगे। उन्होंने कहा, “31 अक्टूबर को ‘बंद’ सिर्फ स्कूलों, कार्यालयों या व्यावसायिक संस्थानों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि घरों में भी (खाना ना पकाकर) विरोध किया जाएगा।” नर्मदा नदी के पास साधु बेट द्वीप पर लगातार करीब 3400 मजदूर और 250 इंजीनियर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को अंतिम रूप दे रहे हैं। नर्मदा बांध के निचले इलाके में दुनिया की यह सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसपर करीब 2389 करोड़ रूपये की लागत आ रही है। देशभर से इसके लिए लोहे जमा किए गए हैं।
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इस दौरान ग्राम विकास अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के सभी घरों में शौचालय ,आवास ,एवं पात्र लोगों को सभी योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए हम समय -समय पर बैठक कर रहे हैं ,गांव के लोगों में जागरूकता आये एवं सरकर की मंशा को पूरा किया जाये यह हमारी प्राथमिकता है। प्रधान द्वारा ग्रीन गांव बनाये जाने की इच्छा पर उन्होंने कहा की यह गौरव का विषय है कि बस्ती का एक गांव राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा ,चिकित्सा ,स्वच्छता ,जागरूकता में मिसाल कायम करके परचम लहरायेगा ,इसके लिए सरकार की जो भी योजनाएं हैं उसे क्रियान्वित किया जायेगा एवं ग्रीन गांव बनाने के संबंध में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जायेगा।
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