बुधवार, 31 अक्टूबर 2018

बतौर मुख्य अतिथि सरदार सेना द्वारा आयोजित सरदार पटेल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते सदर विधायक दयाराम चौधरी

बतौर मुख्य अतिथि सरदार सेना द्वारा आयोजित सरदार पटेल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते सदर विधायक दयाराम चौधरी

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पंचायत के धन में ब्लॉक अधिकारियों की सेंधमारी ,प्रधानों की हो रही किरकिरी

विश्वपति वर्मा

भारत को समग्र विकास के रूप ले जाने का सपना तो गांधी जी ने ही देखा था लेकिन उनके ग्राम स्वराज की अवधारणा आजादी के 71 वर्ष बाद भी पूरी नही हो पाई क्योंकि देश में विकास कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए बनाए गए प्रखंडो में तैनात ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी ,सहायक तकनीकी अधिकारी जैसे जिम्मेदार लोगों ने पंचायत के पैंसों में सेंधमारी करना शुरू कर दिया और इसका परिणाम है कि गांव में विकास कार्यों के लिए जारी की गई धनराशि का 50 फीसदी हिस्सा भी उद्देश्य पर  खर्च नही की जाती ।

गांवों में विकास की जिम्मेदारी प्रधान या सरपंच पर है,उनको यह अधिकार मिला हुआ है कि 14 वें वित्त से ग्राम पंचायत में 27 प्रकार की योजनाओं को लागू कर सकते हैं ।लेकिन उसके बावजूद भी ब्लॉक अधिकारी  सब योजनाओं को लागू करवाने के बजाय खड़ंजा उखाड़वाने  लगवाने एवं तालाब सफाई करवाने में ही माहिर हैं क्योंकि इस तरहं के कार्यों में बिना किसी बिरोध के पैंसों का गोलमाल किया जा सकता है ,जबकि गांव की जनता मूलचूल सुबिधाओं के लिए परेशान रहती है ,अभी भी गांवों में पानी निकासी, स्वच्छ पेय जल, साफ सफाई, उजाला, सड़क इत्यादि समस्या बनी हुई है

इस पूरे भ्रष्टाचार के खेल में प्रधानों की मिलीभगत रहती है ,रहे भी क्यों न देश में सरकारी कर्मचारी सांतवें वेतन आयोग का लाभ उठा रहे हैं अधिकारियों को लाखो रुपया सैलरी मिल रही है उसके बाद भी इन्हें पैंसे की जरूरत है तो मनरेगा की मजदूरी से भी कम 3500 भत्ता पाने वाले प्रधान भ्रष्टाचार में लिप्त नही होंगे तो क्या राष्ट्रभक्ति का गीत गाएंगे ।

इस संबंध में हमारी बस्ती जिले के अलग अलग ब्लाकों के दो दर्जन प्रधानों से बात हुई तो उन सभी लोगों का कहना है प्रधान ऐसा जनप्रतिनिधि है जो 24 घंटे जनता के बीच रहता है लेकिन सरकार द्वारा इन्हें किसी प्रकार की सुविधा मुहैया नही कराई गई । जबकि 3500 रुपया से आने-जाने वाले लोगों के चाय पानी और खुद के पेट्रोल का खर्च नहीं निकलता।  प्रधानों ने माना कि सरकारी निरंकुशता और ब्लॉक पर हो रहे भ्रष्टाचार की वजह से ईमानदारी की संभावना  घटी है ।

सदर ब्लॉक के एक प्रधान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सदन चलाने वाले नेता और लाखों रुपए तनख्वाह लेने वाले जो आईएएस देश का सिस्टम चला रहे हैं, गांवों के लिए दर्जनों तरह की लाखों रुपए की योजनाएं बनाते हैं, क्या उन्हें नहीं पता इतने कम पैसे में प्रधान कैसे काम करता होगा।

गौर ब्लॉक के एक प्रधान ने ब्लॉक की व्यवस्था पर बिगड़ते हुए कहा कि गांव के ही बजट से बीडीओ और पंचायत अधिकारी समेत आधा दर्जन लोग कमीशन लेते हैं ,विरोध करने पर काम नही देते हैं और हर जगह किरकिरी प्रधानों की होती है।

जिले के रुधौली ब्लॉक के एक प्रधान से पंचायत की समस्या और समाधान पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में वें   बताते हैं, “आज जनता के बीच में यह धारणा बन गई है प्रधान पैसा खा गया, प्रधान ने कमीशन लिया, प्रधान ने काम नहीं किया, ऐसे ही ख़बरें मीडिया में भी छापी जाती हैं लेकिन सारे प्रधान बेईमान नहीं हैं। सबका कमीशन तय है, पंचायत के निर्माण कार्यों में ब्लाक का सीधा कमीशन 8 प्रतिशत है, जिसमे 3 प्रतिशत खंड विकास अधिकारी को, ढाई प्रतिशत इंजीनियर और जेई को व ढाई प्रतिशत सहायक विकास अधिकारी पंचायत को जाता है। सात से दस प्रतिशत प्रधान का कमीशन रहता है, जिसमे प्रधान और पंचायत सचिव का आधा-आधा हिस्सा होता है, निर्माण कार्य का लगभग बीस प्रतिशत कमीशन में और फिर ठेकदार को भी बीस से पचीस प्रतिशत की बचत होनी चाहिए इस तरह से निर्माण कार्य का फंड आधा कमिशन में और आधा निर्माण में खर्च होता है।’ वो आगे बताते हैं, “मनरेगा के पक्के कामों में बीडीओ बिना कमीशन लिए काम नहीं करता है, पंचायत सचिव एजेंट की तरह कई जगह काम करता है। कमीशन नहीं दिया तो काम पास ही नहीं होगा, हो गया तो बिल नहीं आएगा, ये काजल की कोठरी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए सरकारी तंत्र ही जिम्मेदार है पंचायत में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ‘प्रधानों को 5 साल तक 25 हजार रुपए का वेतन मिलने की बात भी कही।

जिम्मेदार लोगों द्वारा भ्रष्टाचार बढ़ाने का यह आलम है कि प्रदेश के 59163 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष प्रदेश भर में 100 गांव भी समग्र एवं समेकित विकास की संरचना को पूरा  नही कर पाए हैं।

बता दें कि  देश में कुल 6 लाख 58 हजार 221 गांव हैं, जिनके विकास के लिए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय व पंचायती राज मंत्रालय हैं। इसके साथ ही कई दूसरे विभाग भी यहां काम करते हैं। गांवों में खर्च की जाने ली बड़ी धनराशि केंद्र सरकार देती है, जिसे केंद्रीय अंश बाकी राज्य सरकारें देती हैं ।

इसके अलावा सांसद विधायक के कोटे से काम होता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय की छह योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने देश में 2017-18 में 105477.88 करोड़ रुपए का योगदान किया है। एक औसत जनसंख्या (10 हजार ) वाली ग्राम पंचायत को सलाना हर तरह के मद को मिलाकर 15-20 लाख रुपये का बजट आता है। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद न तो गांव बदल रहे हैं न प्रधान ही खुश हैं क्योंकि इस अनुपात में प्रधान का भत्ता न के बराबर है।

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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

पाँच बड़ी ख़बरें- हिन्दू राजा जब तक रहा, हिन्दू-सिख कश्मीर में सुरक्षित रहे: योगी आदित्यनाथ

पाँच बड़ी ख़बरें- हिन्दू राजा जब तक रहा, हिन्दू-सिख कश्मीर में सुरक्षित रहे: योगी आदित्यनाथ


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कश्मीर में जब तक हिन्दू राजा का शासन रहा तब तक सिख और हिन्दू सुरक्षित रहे. सोमवार को उत्तर प्रदेश बीजेपी यूनिट ने लखनऊ में सिख समागम का आयोजन किया था और इसी को संबोधित करते हुए योगी ने बातें कही हैं.
समागम को संबोधित करते हुए योगी ने कहा, ''जैसे ही हिन्दू राजा का पतन हुआ, हिन्दुओं का भी पतन होना शुरू हो गया. आज वहां की स्थिति क्या है? कोई अपने को सुरक्षित बोल सकता है? नहीं बोल सकता.''
योगी ने कहा, ''हमें इतिहास से इन क्षणों से कुछ सीखना चाहिए...प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए...सच्चाई स्वीकार करना चाहिए, फिर इसके अनुरूप रणनीति बनाकर कार्य करना चाहिए.
आदित्यनाथ ने दावा किया कि कुछ लोग दोनों समुदायों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं. योगी ने कहा, ''जब भी हममें भेद डालने वाले लोग सफल होंगे तो आज हम वैसे ही असुरक्षित होंगे, जैसे अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति है आज. काबुल के भीतर हिन्दू और सिख प्रभावी थे. आज काबुल में महज 100 के आसपास हिन्दू और सिख बचे हैं और उनकी स्थिति भी दीन-हीन है.''
योगी ने कहा, ''अब कोई ऐसी ग़लती न होने दें, जो हमें कश्मीर, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की तरह लगातार परेशान करती रहे.''

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गोवा के मुख्यमंत्री का आवास अस्पताल में बदला कांग्रेस ने जाहिर की उनकी मौत की आशंका

गोवा के मनोहर पर्रिकर के खराब सेहत के बीच उनके आवास को हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया गया है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम 24 घंटे उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए है. पर्रिकर 14 अक्टूबर के बाद से सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखे हैं. इस बीच कांग्रेस ने कहा है मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar)  14 अक्टूबर से दिखाई नहीं दिए हैं, संभवत: वह जीवित नहीं हैं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस की इस टिप्पणी को सिरे से नकार दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता जीतेंद्र देशप्रभु ने कहा, 'जी हां, हम इसे संज्ञान में ले रहे हैं. यह बिल्कुल चरम स्पष्टीकरण है कि आदरणीय मुख्यमंत्री संभवत: वहां नहीं हैं'. आपको बता दें कि मनोहर पर्रिकर की तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था.

14 अक्टूबर को एम्स से उन्हें वापस लाया गया. इसके बाद से वे सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे हैं और अपने निजी निवास में बिस्तर पर हैं. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनके निजी निवास को एक अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ वहां 24 घंटे तैनात हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारियों का एक समूह उनकी अनुपस्थिति में अवैध तरीके से निर्णय ले रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि भाजपा और भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन को गोवा वासियों के समक्ष यह साबित करना चाहिए कि पर्रिकर जिंदा हैं. भाजपा ने कांग्रेस के इस बयान को हताशा का परिणाम बताया है और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राजनीतिक बातचीत के स्तर को गिरा दिया है.

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सोमवार, 29 अक्टूबर 2018

मित्रों ...मेरा यह पोस्ट किसी की भावना को आहत पंहुचाने के लिए नही है ,यह सामाजिक निर्धनता एवं गरीब की गतिविधियों को देखते हुए मेरा अपना विचार है

मित्रों ...मेरा यह पोस्ट किसी की भावना को आहत पंहुचाने के लिए नही है ,यह सामाजिक निर्धनता एवं गरीब की गतिविधियों को देखते हुए मेरा अपना विचार है 


विश्वपति वर्मा(सौरभ)

भारत एक ऐसा देश है जंहा से मोहम्मद गजनबी जैसे आक्रमणकारी हजारों हाथी घोड़े पर सोना चांदी लूट कर ले गए उसके बाद भी जंहा पर खनिज पदार्थों की कोई कमी नही ,जंहा पर कच्चे माल की उपलब्धता बहुतायत है वँहा पर गरीबी क्रेडिट सुइस के अनुसार  विश्वभर के शीर्ष स्थान पर है।

जिस भारत मे गेहूं धान, गन्ना ,कपास, आलू ,प्याज ,अरहर, मटर ,मक्का,जौ की अच्छी पैदावार होने की वजह से वह देश अन्नपूर्णा का देश माना जाता है उस देश मे द फ़ूड पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार 19 करोड़ की आबादी भूखे पेट सोने को मजबूर है।

आप जानते हैं इसका सबसे बड़ा कारण क्या है?आप जानते हैं इस समस्या के लिए जिम्मेदार कौन है ?आप जानते हैं कि देश मे मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए संबिधान में नियम बनाया गया है?शायद हर लोग नही जानते हैं ।

देश को आजाद हुए 71 वर्ष बीत गए हैं और अभी भी देश की 87 फीसदी आबादी सम्पूर्ण भोजन, मूल्य परक शिक्षा,आय के हिसाब से चिकित्सा ,प्रतिभा के अनुसार रोजगार पाने में असमर्थ है लेकिन कोई बड़ा आंदोलन इस विसंगतियों के खिलाफ नही हो पा रहा है ।

इसका सबसे बड़ा कारण है मानसिक गुलामी.... मानसिक गुलामी एक ऐसी व्यवस्था है जिसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए बहुसंख्यक समुदाय में दम नही है क्योंकि मांस और मदिरा के बोतलों पर जयकारा बोलने वाले लोगों की अपनी कोई सोच नही है ।

दूसरे उन्हें जाती और धर्म के नाम पर गुलाम बना दिया गया उन्हें बताया गया कि अल्लाह और राम ही तुम्हारे लिए सर्वोपरि है जबकि सच्चाई यह है कि तुम्हारे किसी भी अच्छे और बुरे दिनों के साथी ये धार्मिक देवता नही हैं।

आज भारत मे स्कूलों से ज्यादा मंदिर बने हुए हैं आज भारत मे यंहा के नागरिक अपने बच्चों को वैज्ञानिक और ज्ञानवर्धक तर्क देने की बजाय उन्हें भगवान और अल्लाह में विश्वास रखने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिसका परिणाम है कि आज विश्व की सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश भारत मानसिक और सामाजिक गुलामी में जकड़ा हुआ है ।

यह तो बेहतर है कि धार्मिक अनुष्ठान के चक्कर मे हिन्दू वर्ग के लोग अपने सामाजिक जीवन मे परिवर्तन लाने के लिए वैज्ञानिक आधार पर काम करने के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन वंही मुस्लिम समुदाय की बहुसंख्यक आबादी धार्मिक महत्व को सर्वोपरि मानते हुए अपने आप को बम जैसे विस्फोटक सामग्री में उड़ने और उड़ाने के लिए तथाकथित लोगों के बहकावे  में आ रहे हैं ।

अतः दोस्तों अपने आप को ,परिवार को, समाज को ,देश को यदि विश्वगुरु बनना देखना चाहते हो तो आज ही धार्मिक भावनाओं से जुड़ी मिथ्या को नकारते हुए विज्ञान द्वारा बनाये गए शिक्षा और सामाजिक जीवन मे अपने आप को समर्पित करने का संकल्प लो अन्यथा आगामी पीढ़ी भी गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कुपोषण ,अज्ञानता झेलने के लिए पीठ झुकाए खड़ी रहेगी।

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सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

मंत्री का गुस्सा देख पुलिस कर्मी ने पैर छू कर माग रहा माफी।मंत्री की गुस्से के आगे नसमस्तक है


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प्रतिमा को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है।

केवड़िया (गुजरात)।​ यहां बन रहे सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। स्टेचू ऑफ यूनिटी के चारों ओर लाइटिंग होगी। इसके लिए दुबई के शारजाह की एक कंपनी को 1.23 करोड़ का ठेका दिया गया है। कंपनी ने स्टेचू ऑफ यूनिटी में लाइट लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को लाइट से रोशन करने के लिए लेजर लाइट का इस्तेमाल होगा। केवड़िया से स्टेचू ऑफ यूनिटी तक जाने वाले रास्ते को भी सजाया जाएगा। 28 अक्टूबर तक लाइटिंग का काम पूरा कर दिया जाएगा। लोकार्पण से पहले भारत भवन और स्टेचू ऑफ यूनिटी व्यू प्वाइंट 1 में केवड़िया कॉलोनी के लगभग 7-8 किमी. एरिया में लाइट लगाई जाएगी। स्टेचू के चारों ओर 3 टावर खड़े किए जाएंगे। जिसमें एक खंभे पर 24 व्हाइट फ्रेजर जबकि दूसरे पर 50 से अधिक लाइटें लगेंगी। एक लाइट 1000 वॉट की होगी। पर्यटक रात में स्टेचू ऑफ यूनिटी को अच्छी तरह से देख सकें इसलिए 182 मीटर तक लेजर लाइट लगाई जाएगी।

स्टेचू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के लिए सी-प्लेन में नहीं आएंगे मोदी
स्टेचू ऑफ यूनिटी का लोकार्पण करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सी-प्लेन से नहीं आएंगे, क्योंकि यहां प्लेन उतारने की जगह नहीं है। यहां के तीन नंबर तालाब में बड़े-बड़े मगरमच्छ होने के कारण इस प्रोग्राम को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले सी-प्लेन के लिए नर्मदा डैम और गरूडेश्वर के बीच 12 किमी के तालाब को पानी भरने की योजना बनाई गई थी, पर डैम अभी भी 12 मीटर तक खाली है। ज्ञातव्य है कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबरमती नदी में सी-प्लेन को उतारा था। हालांकि बाद में इस पर विवाद शुरू हो गया था। केवड़िया में स्टेचू ऑफ यूनिटी के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सी-प्लेन से आने की चर्चा थी किंतु कुछ कारणों से इसे रद्द कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हेलीकॉप्टर से आएंगे।

स्टेचू ऑफ यूनिटी के चारों ओर बने 3 टावर पर लगेंगी 50 से अधिक लाइटें

- 1.23 करोड़ के खर्च से डैम और स्टेचू ऑफ यूनिटी में होगी लाइटिंग
- 182 मीटरमीट की प्रति को रोशन करने के लिए खास लेजर लाइट।
- 24 व्हाइट फ्रेजर लाइन एक खंभे पर लगेगी।
- 1000 वॉट की एक लाइट होगी।
- 100 से अधिक लाइट यहां लगेंगी।
-03 खंभे प्रतिमा के चारों ओर लगाए जाएंगे।

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केंद्र और गुजरात सरकार दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘

केंद्र और गुजरात सरकार दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के अनावरण की तैयारी कर रही है लेकिन प्रतिमा के निकट स्थित गांवों के हजारों ग्रामीण इस परियोजना के विरोध में भारी प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। 182 मीटर ऊंची सरदार पटेल की आदमकद प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे। नर्मदा जिला के केवड़िया में स्थानीय आदिवासी संगठनों ने कहा कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ परियोजना से प्रभावित लगभग 75,000 आदिवासी प्रतिमा के अनावरण और प्रधानमंत्री का विरोध करेंगे। आदिवासी नेता डॉक्टर प्रफुल वसावा ने कहा, “उस दिन हम शोक मनाएंगे और 72 गांवों में किसी घर में खाना नहीं पकाया जाएगा। वह परियोजना हमारे विनाश के लिए है।”

आदिवासी रिवाज के अनुसार, घर में किसी की मृत्यु होने पर शोक के तौर पर घर में खाना नहीं पकाया जाता है। उन्होंने कहा, “आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। हमारा गुजरात के महान सपूत सरदार पटेल से कोई विरोध नहीं है, और उनका सम्मान होना चाहिए। हम इसके खिलाफ नहीं हैं लेकिन सरकार का विकास का विचार एकतरफा और आदिवासियों के खिलाफ है।” आदिवासी शिकायत कर रहे हैं कि उनकी जमीनें ‘सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना’, उसके नजदीक स्थित ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ तथा इसके साथ-साथ क्षेत्र में प्रस्तावित अन्य पर्यटन गतिविधियों के लिए ले ली गई हैं।

वसावा के अनुसार, ‘असहयोग आंदोलन’ को प्रदेश के लगभग 100 छोटे-बड़े आदिवासी संगठन समर्थन दे रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में उत्तरी गुजरात के बनसकांठा से दक्षिणी गुजरात के डांग्स जिले तक लगभग नौ आदिवासी जिले आंदोलन में भाग लेंगे। उन्होंने कहा, “31 अक्टूबर को ‘बंद’ सिर्फ स्कूलों, कार्यालयों या व्यावसायिक संस्थानों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि घरों में भी (खाना ना पकाकर) विरोध किया जाएगा।” नर्मदा नदी के पास साधु बेट द्वीप पर लगातार करीब 3400 मजदूर और 250 इंजीनियर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को अंतिम रूप दे रहे हैं। नर्मदा बांध के निचले इलाके में दुनिया की यह सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसपर करीब 2389 करोड़ रूपये की लागत आ रही है। देशभर से इसके लिए लोहे जमा किए गए हैं।

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पटेल की मूर्ति के उद्घाटन से पहले निकले डिजिटल एकता रथ

रिपोर्ट_मनीष कुमार मिश्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम और पहचान के इतने बड़े कायल हैं कि उन्होंने पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति बनवा दी. जिसका उद्घाटन पीएम मोदी पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर को करेंगे.
पटेल की मूर्ति के उद्घाटन से पहले निकले डिजिटल एकता रथ
देश की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को करेंगे. सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस प्रतिमा का ज्यादा फायदा बीजेपी गुजरात में लेना चाहती है. 31 अक्टूबर से पहले गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा वाले डिजिटल रथ सभी शहरों में दौड़ाए जा रहे हैं. जो सरदार के साथ कांग्रेस द्वारा हुए अन्याय और सरदार के एक भारत, श्रेष्ठ भारत को साकर करते सपने को दिखाएंगे.
गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में शुक्रवार को गुजरात की बीजेपी सरकार ने एकता रथ निकाले. जिस पर सरदार पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को दर्शाती प्रतिमा लगाई गई है. दरअसल, 2019 के चुनाव को लेकर बीजेपी सरदार पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को मुद्दे के तौर पर पेश करना चाहती है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के जरिए बीजेपी अपने वक्त में किए गए कामों को दिखाने की कोशिश कर रही है. जिस काम की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, उस काम को 5 साल में पूरा कर दिया गया है. वहीं बीजेपी सरदार पटेल के साथ कांग्रेस द्वारा किए गए अन्याय को मुद्दा बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ती.

सरदार बल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बन कर भी तैयार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को सरदार जयंती के मौके पर पटेल के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देश को समर्पित करेंगे. इस विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है. इसकी वजह ये है कि गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और उन सबकी नुमाइंदगी इस मूर्ति में दिखाने की कोशिश हुई है. इससे ज्यादा इस प्रतिमा का 2019 को लेकर भी राजनीतिक कयास हैं.

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शनिवार, 20 अक्टूबर 2018

बीजेपी नेता ने कि पुलिस वाले की पिटाई


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अमृतसर ट्रेन हादसा


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शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

महिला सुरक्षा को लेकर आने वाली पचास पिंक बसें दिसंबर तक आ जाएंगी

मनीष कुमार मिश्रा

  महिला सुरक्षा को लेकर आने वाली पचास पिंक बसें दिसंबर तक आ जाएंगी। इनमें सीट पर ही पैनिक बटन, निगरानी के लिए सीसी कैमरा समेत महिला सुरक्षा से जुड़ी तमाम चीजें होंगी। इसके अलावा सौ एसी जनरथ थ्री-बाई-टू सेवाएं भी दिसंबर तक आ जाएंगी। अक्टूबर माह के अंत तक बेड़े में नई बसें शामिल होना शुरू हो जाएंगी। 


हर माह शामिल होंगी सौ से अधिक बसें
मुख्य प्रधान प्रबंधक तकनीकी जयदीप वर्मा के मुताबिक इसी माह यानी अक्टूबर के अंत से बसों की फ्लीट से उम्र पूरी कर चुकीं जर्जर बसें हटना शुरू हो जाएंगी। अक्टूबर में 120 नई बसें आ जाएंगी। नवंबर और दिसंबर महीने में डेढ़-डेढ़ सौ बसें और जनवरी में 230 नई बसों को बेड़े में शामिल किया जाना है। कुल 1,050 बसें नए बेड़े में तीन माह के भीतर आ जाएंगी। इसके अलावा मार्च तक ढाई सौ बसें और रोडवेज बेड़े में जुड़ने वाली हैं।
क्‍या कहते हैं अफसर
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक पी. गुरुप्रसाद का कहना है कि पुरानी बसों को हटाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। नई बसें इसी माह से फ्लीट में जुड़ने लगेंगी। अच्छी बात यह है परिवहन निगम अपनी एसी जनरथ सेवाओं को बढ़ाने जा रहा है। अगले तीन माह में रोडवेज के बेड़े का एक हिस्सा नया हो जाएगा।
100 एसी जनरथ बसों को लाएगा रोडवेज प्रबंधन
अरसे बाद परिवहन निगम प्रशासन ने अपनी एसी सेवाओं में इजाफा करने का मन बनाया है। अभी तक परिवहन निगम ज्यादातर वॉल्वो, स्कैनिया, शताब्दी सरीखी बसों को अनुबंध के आधार पर चला रहा था। रोडवेज अपनी जनरथ सेवाओं के रूप में बहुत कम बसें ही संचालित कर रहा था, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इस बार दिसंबर तक रोडवेज सौ थ्री-बाई-टू एसी जनरथ सेवाएं तैयार कर रहा है। इन्हें दिसंबर तक प्रदेश रोडवेज की फ्लीट में शामिल कर लिया जाएगा।

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लखनऊ -बस्ती के गावों को आईना दिखाता सिसवारी अब ग्रीन ग्राम बनाने की तैयारी

  विश्वपति वर्मा (सौरभ )एवं राकेश पटेल की रिपोर्ट  _


घर -घर शौचालय, पानी निकासी की व्यवस्था ,स्वच्छ पेय जल की उपलब्धता ,स्वास्थ्य सेवाएं, आवागमन की सुविधा ,हर घर में बिजली की पँहुच हो तो किसी भी गांव को आदर्श ग्राम पंचायत के श्रेणी में रखा जा सकता है और यह सब पूरा करने के बाद जिले में परचम लहराने के लिए तैयार है सल्टौआ विकास खण्ड का एक ग्राम पंचायत सिसवारी।



सिसवारी जिला मुख्यालय बस्ती से 14 किलोमीटर बस्ती -बांसी रोड़ के किनारे बसने वाला एक ग्रामीण क्षेत्र है ,जंहा पर 215 परिवारों में लगभग 3000   की आबादी निवास करती है ।

सिसवारी की बात करें तो यंहा का वातारण काफी सुंदर है लेकिन गांव के लोगों में जागरूकता की कमी ,योजनाओं की नपंहुच ,जिम्मेदार लोगों की उदासीनता ने गांव के वातावरण को  काफी दिन तक सम्पन्न नही होने दिया ।

लेकिन पिछले 8 महीने में सिसवारी में जो बदलाव आया है अगर इसकी बात करें तो यह जिले भर के ऐसे गांव को आइना दिखा रहा है जंहा पर आजादी के बाद से बदलाव नही आ पाया ।

 महज एक साल के अंदर सिसवारी गांव में जो बदलाव आया है यह किसी कल्पना से कम नही है   और  इसका पूरा श्रेय ग्राम विकास  अधिकरी जितेंद्र सिंह ,ग्राम प्रधान सफात मोहम्मद ,स्वेच्छागृह राम सहाय ,स्वच्छ भारत मिशन की टीम पंकज चौधरी ,रजनीश उपाध्याय ,एवं महेश महेश चौधरी के साथ सफाई कर्मचारी ओम प्रकाश ,बेचन एवं अनूप को जाता है। ग्रामवासियों ने अपने गांव को स्वच्छ बनाने में काफी योगदान दिया। 

ग्राम प्रधान मोहम्मद सफात ने बताया की जब मिशन की शुरुआत हुई तो यह काम  आसान नहीं था. जिद्दी लोग भी मिले जिन्होंने कहा कि वो तो बाहर ही शौच के लिए  जाएगे घर मे नहीं जाएंगे. पर जब सभी गावं के लोगों ने उन्हें वास्ता दिया और  स्व्च्छ्ता टीम ने समझाया तो बदलाव आना शुरू हो गया. चाहे कितना भी गरीब घर क्यों ना हो. सभी ने शौचालय बनाने शुरु कर दिए. धीरे-धीरे चारों तरफ वातावरण साफ होता चला गया. सिर्फ सात  महीने में गांव के  लोगों ने वो कर दिखाया जो सम्भव ही नहीं था. लेकिन  आज गांव में 161 शौचालय स्वच्छ भारत मिशन से 35  शौचालय पूर्व की योजना से एवं 15 निजी शौचालय के चलते गांव को  खुले शौच से मुक्त कर दिया गया। 

पानी निकासी की व्यवस्था 
गांव में एक बड़ी समस्या थी जलजमाव जिसके चलते बारिस के मौसम में गांव में संक्रमित बिमारियों के फैलने का डर बना रहता था लेकिन आज गांव के पानी को गांव से बाहर निकालने के लिए ह्यूमन पाइप का निर्माण किया गया जिसमे सबसे बड़ी बात यह है कि घर से निकलने वाले पानी को पाइप के जरिये ह्यूमन पाइप से जोड़ दिया गया जिससे एक जगह पर पानी एकत्रित करने की समस्या नहीं बनेगी। 

स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था 
गांव के लोगों को स्वच्छ जल मिले इसके लिए जल निगम द्वारा नीर निर्मल योजना के तहत पानी के टंकी का निर्माण कराया गया जिससे सभी घरों को पाइप लाइन के जरिये साफ पानी पंहुचाया जा रहा है। साथ ही गांव में टीटीएसपी का निर्माण 2014 में हुआ था उससे भी लोगों को पेय जल मिल रहा है। 
 गांव के निवासी रामदेव यादव ,सुभान अली ,हकीकुल्लाह ,एवं रामभवन ने बताया कि गांव के बाहर सड़कों पर गंदगियों को देखकर हम लोग खुद सर्मिन्दा होते थे लेकिन गांव में जिस तरहं से बदलाव आया है उसके बाद से सुबह सुबह गांव के पश्चिमी छोर पर लोगों को हवा में सैर  करते देखा जा सकता है। 

ग्रीन गांव बनाने की तैयारी 

शुक्रवार को गांव में एक चौपाल का आयोजन किया गया जिसमे ग्राम प्रधान ,ग्राम पंचायत अधिकारी के साथ ,दूसरे  गांव के ग्राम विकास अधिकारी रमाकांत वर्मा ,तकनिकी सहायक आनंद त्रिपाठी ,गोपाल जी वर्मा ,एसके सिंह ,एवं विशुनपुर के प्रधान प्रतिनिधि वेदप्रकाश के साथ ग्रामवासियों ने हिस्सा लिया। चौपाल कार्यक्रम में प्रधान मोहम्मद सफात ने इच्छा जाहिर करते हुए बताया की वे गांव को ग्रीन ग्राम बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा  की गांव के बाहर अपशिष्ट पदार्थों को नष्ट करने के लिए एक गड्ढे का निर्माण किया जायेगा ,गांव के अंदर एवं बाहर पेड़ लगाए जायेंगे ,डस्टविन की व्यवस्था की जाएगी ,ज्योग्राफी इन्फर्मेशन सिस्टम (जीआईएस )से गांव के भौगोलिक आकृतियों को प्रस्तुत किया जायेगा एवं पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम  से गांव को सुसज्जित किया जायेगा। 

इस दौरान ग्राम विकास  अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के सभी घरों में शौचालय ,आवास ,एवं पात्र लोगों को सभी योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए हम  समय -समय पर बैठक कर रहे हैं ,गांव के लोगों में जागरूकता आये एवं सरकर की मंशा को पूरा किया जाये यह हमारी प्राथमिकता है। प्रधान द्वारा ग्रीन गांव बनाये जाने की इच्छा पर उन्होंने कहा की यह गौरव का विषय है कि बस्ती का एक गांव राष्ट्रीय  स्तर पर शिक्षा ,चिकित्सा ,स्वच्छता ,जागरूकता  में मिसाल कायम करके परचम लहरायेगा ,इसके लिए सरकार की जो भी योजनाएं हैं उसे क्रियान्वित किया जायेगा एवं ग्रीन गांव बनाने के संबंध में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जायेगा। 
जितेंद्र सिंह ,ग्राम विकास  अधिकारी ,सिसवारी 

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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक नई जिम्मेदारी मिली है


रिपोर्ट_मनीष_कुमार_मिश्रा

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक नई जिम्मेदारी मिली है। रणनीतिक नीति समूह (स्ट्रैटिजिक पॉलिसी ग्रुप) यानी एसपीजी के कैबिनेट सचिव के बदले अब वो इसकी अध्यक्षता करेंगे। इस नई जिम्मेदारी के साथ अब वो और भी शक्तिशाली नौकरशाह बन गए हैं। बता दे कि एसपीजी कुछ नया नहीं है। यह 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के तहत स्थापित किया गया था। पहले इसकी अध्यक्षा कैबिनेट सचिव करते थे। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) संरचना का पहला स्तर माना जाता था। 


सूत्रों के मुताबिक एसपीजी के नए प्रारूप में एनएसए के साथ कैबिनेट सचिव की जगह समूह को प्रधान मंत्री कार्यालय के लिए एक सहायक बना दिया है। एक पूर्व गृह सचिव ने कहा कि कैबिनेट सचिव एक अनुभवी सरकारी कर्मचारी है। कैबिनेट सचिव के विपरीत, एनएसए एक राजनीतिक नियुक्ति है। ऐसे समूह की अध्यक्षता में एनएसए प्रधान मंत्री कार्यालय में सत्ता की एकाग्रता का सुझाव देता है। ऐसा करके एक अनौपचारिक संरचना को औपचारिक रूप दिया गया है।

बता दें कि 1999 में एसपीजी का गठन बाहरी, आंतरिक और आर्थिक सुरक्षा के मामलों में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की मदद के लिए किया गया था। वो एसपीजी की बैठकों का संयोजन करेंगे, जबकि कैबिनेट सचिव फैसलों पर अमल को लेकर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करेंगे।

इससे पहले एसपीजी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव किया करते थे, जो सरकार में सबसे वरिष्ठ नौकरशाह होते हैं, लेकिन अब इसकी अध्यक्षता देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे। मोदी सरकार ने 11 सितंबर को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी और 8 अक्टूबर को गजट प्रकाशित किया था। अधिसूचना के मुताबिक, अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इस समूह का चेयरमैन घोषित किया गया है।

गौरतलब है कि पहले एसपीजी में 16 सदस्य होते थे, जिसे अब बढ़ाकर 18 कर दिया गया है। इसमें कैबिनेट सचिव और नीति आयोग के उपाध्यक्ष को दो नए सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। एसपीजी के अन्य सदस्यों में तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष, आरबीआई गवर्नर, गृह सचिव, वित्त सचिव, रक्षा सचिव, विदेश सचिव और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख शामिल हैं।

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स्वाo विवेक तिवारी के पत्नी कल्पना तिवारी को मिला OSD पद का जॉइनिंग लेटर


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राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी

राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी

रिपोर्ट_मनीष कुमार मिश्रा
 दसॉल्टएविएशन के आंतरिक दस्तावेज के हवाले से एक फ्रांसीसी खोजी पत्रिका और वेबसाइट ने भारत के साथ डील के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को शामिल किया जाना अनिवार्य बताने का दावा किया है। पत्रिका ने सौदे से संबंधित दस्तावेज के तथ्यों से दावा किया है कि इस सौदे में रिलायंस को पक्ष बनाने की अनिवार्य शर्त रखी गई थी।

इस दावे से भारत में पहले से ही जारी विवाद के और तेज होने की संभावना है। साथ ही इस नए खुलासे पर केंद्र की मोदी सरकार को जवाब देना मुश्किल हो सकता है। पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने दसॉल्ट कंपनी के दस्तावेज को देखा है जिसमें कहा गया है कि राफेल डील के लिए रिलायंस के साथ संयुक्त उपक्रम ‘अनिवार्य’ था।

हाल ही में इस पत्रिका ने पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का इंटरव्यू भी लिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि दसॉल्ट के लिए भारत से रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इस मामले में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी और रिलायंस के नाम का प्रस्ताव भारत की ओर से किया गया था।

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गडकरी ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यों जनता से कई वादे किए थे.

रिपोर्ट_मनीष कुमार मिश्रा दिल्ली

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के एक ताजा बयान से पार्टी और केंद्र सरकार की किरकिरी हो सकती है. गडकरी ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यों जनता से कई वादे किए थे.

उनके मुताबिक,  'हम इस बात से पूरी तरह आश्वस्त थे कि हम कभी सत्ता में नहीं आएंगे, इसलिए हमें बड़े-बड़े वादे करने की सलाह दी गई थी. अब जब हम सत्ता में हैं जनता हमें उन वादों के बारे में याद दिलाती है. हालांकि, अब हम इस पर हंस कर आगे बढ़ जाते हैं.' गडकरी ने यह बात एक मराठी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कही है.
कांग्रेस ने बोला हमला
इंटरव्यू के वायरल होते ही कांग्रेस ने भी इस वीडियो की क्लिप ट्विटर पर शेयर कर दी और कहा कि गडकरी ने ये साबित कर दिया है कि बीजेपी जुमले और झूठे वादों के दम पर चुनाव जीत कर सत्ता में आई है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गडकरी के इस वीडियो को ट्वीट किया और कहा, सही फरमाया, जनता भी यही सोचती है कि सरकार ने लोगों के सपनों और उनके भरोसे को अपने लोभ का शिकार बनाया है.
गडकरी के इस बयान से प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को भाजपा को घेरने का मौका मिल सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अपनी चुनावी रैलियों में राफेल डील, नोटबंदी, जीएसटी के अलावा रोजगार और काला धन को लेकर किए वादों पर भी सरकार को घेर रहे हैं.

क्या कहते थे पीएम?
बता दें कि पीएम मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी रैलियों में 'काला धन वापस लाने' और '15 लाख रुपये खाते में आने' की बात कहते थे.  गडकरी के इस बयान के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बैकफुट पर आ सकती है

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बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

नवरात्र के पहले दिन ही क्यो हुआं बड़ा रेल हादसा सामने आया यह साज़िश?


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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ साथ

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  अखिलेश यादव के साथ मध्य प्रदेश के दौरे से लौट कर राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों के सŸाा के खेल से परिचित हो चुकी है। वह बदलाव चाहती है। राजनीति में नए प्रयोग की उसकी ललक अब साफ झलकने लगी है। श्री अखिलेश यादव ने लगातार मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में जाकर जो जनसंवाद स्थापित किया है उससे लोगों में विश्वास जगा है कि अब समाजवादी नीतियों से आशा की जा सकती है। श्री अखिलेश जी के नेतृत्व में जनता को ताजगी के साथ विकास की नई उम्मीद भी लगती है। 

       अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में भोपाल, सतना, रीवां, खजुराहो, पन्ना, सीधी, बालाघाट, शहडोल जाकर जनसभाएं एवं सघन दौरा किया। और उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार के विकास कार्यों की जानकारी दी। उससे लोगों को लगा कि विकास और प्रगति के एजेण्डा पर श्री अखिलेश जी ही प्रभावी कदम उठा सकते हैं और गरीबी, भूख, बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीत सकते हैं।
       मध्य प्रदेश वैसे भी समाजवादियों का गढ़ रहा है। समाजवादी आंदोलन के महानायक डाॅ0 राम मनोहर लोहिया से अभिप्रेरित समाजवादी आंदोलन ने मध्य प्रदेश को नई दिशा दी थी। मामा बालेश्वर दयाल ने यहां रतलाम में आदिवासियों के बीच रहकर उनके जीवन को सुधारने का काम किया था। मध्य प्रदेश की जनता ने तब कई समाजवादियों को जिताकर संसद और विधानसभा में भेजा था। आज फिर वैसे ही तरंग उठ रही है।
       08 और 09 अक्टूर 2018 को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का महत्वूपर्ण प्रवास खजुराहो में हुआ। यहां उन्होंने प्रमुख कार्यकर्ताओं, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति और चुनाव के समीकरणों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश का चुनाव भारतीय राजनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे। इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि समाजवादी पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि कार्यकर्ताओं का नेतृत्व पर भरोसा रहे।
       दरअसल समाजवादी पार्टी अपने काम के बल पर मध्य प्रदेश के चुनावों में प्रभावी दस्तक देने जा रही है। भाजपा सरकार के काले कारनामों की यहां जगह-जगह चर्चा होती है और लोग अब सरकार बदलने के लिए बेकरार हैं।
       खजुराहो में ही दूसरे दिन हजारों का जन सैलाब उमड़ पड़ा था। श्री अखिलेश जी ने यहां स्पष्ट किया कि भाजपा सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय है। आम जनता उससे ऊबी हुई है। समाजवादियों का मुकाबला न कांगे्रस कर सकती है और नहीं भाजपा। भाजपा काम बिगाड़ती है, नफरत फैलाती है जबकि समाजवादी काम करना चाहते हैं। दो इंजन की सरकारों का बुरा हाल है। केन्द्र सरकार आधी अधूरी योजनाएं बनाती है और कामकाज में दोहरा मापदण्ड रखती है। 
इससे पहले 29 सितम्बर 2018 को श्री अखिलेश यादव का विमान उमरिया हवाई पट्टी पर उतरा। यहां से 30 किलोमीटर दूर बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व स्थल है। पाली ब्लाक में नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन है। यहीं तहसील में मां बिरासनी देवी का मंदिर है जो 1500 साल पुराना है।
       जनपद शहडोल, जहां अखिलेश जी की सभा थी, आदिवासी बहुल वन क्षेत्र हैं यहां तेंदू पŸो और शाल का जंगल हैं। यह गोंडवाना संभाग भी कहलाता है। आजादी के 70 वर्ष बाद भी आदिवासियों की जिंदगी पहले जितनी ही बदहाल है। भयंकर गरीबी और बेकारी इनकी नियति बन गई है। सच पूछो तो यहां गांव, गरीब, खेत और जंगल की लड़ाई जारी है। सड़कें इतनी खराब हैं कि 75 किलोमीटर की यात्रा ढाई घंटे में पूरी कर सकें।
       पाली से चलकर अखिलेश जी का दल बिरसिंहपुर पहुंचा जहां बालिकाओं का स्कूल था। ड्राईवर संतोष दाइया ने, जो उमरिया का निवासी है बताया कि यहां चारों तरफ हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला है। यहां गोंड, बैगा, कोल तथा अनुसूचित जाति के लोग है। धुनघुटी के जंगलों के बीच से रास्ता शहडोल जाने का है। शहडोल कलेक्ट्रेट कार्यालय के चैराहे पर युवा यादव सभा के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने अखिलेश जी का स्वागत किया। श्री अखिलेश यादव ने शहडोल में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष श्री हीरा सिंह मरकाम की अध्यक्षता में एक बड़ी जनसभा को सम्बोधित किया। वस्तुतः शहडोल में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और समाजवादी पार्टी की यह एक संयुक्त परिवर्तन रैली थी। परिवर्तन रैली में अपार भीड़ उमड़ी थी।
          30 सितम्बर 2018 को जिला बालाघाट में आयोजित जनसभा में भाग लेने के लिए जब श्री अखिलेश यादव गोंदिया हवाई अड्डा (महाराष्ट्र) पर उतरे तो बड़ी संख्या में लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। उनकी गाड़ी के आगे ढाई हजार मोटर साइकिल सवार नौजवानों का काफिला था। सभा स्थल से पहले 20 स्थानों पर उनका स्वागत हुआ।
         नौजवानों का नारा था ‘मध्य प्रदेश ने बुलाया है, आपका बेटा आया है।‘ हवाई अड्डे से सभा स्थल की दूरी 45 कि.मी. थी पर पूरे रास्ते जगह-जगह उनका स्वागत करने वाली भीड़ मौजूद थी। महिलाएं, बच्चे बूढ़े, नौजवान सभी उसमें शामिल थे।
        अपनी जनसभाओं में श्री अखिलेश यादव ने किसानों और नौजवानों के मर्म को जानने में कोई कसर नहीं रखी। उन्होंने मध्य प्रदेश में किसानों की बदहाली पर राज्य की भाजपा सरकार की आलोचना की तो नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों की भी निंदा की। सच मुच यह दिल दहलाने वाली बात है कि मध्य प्रदेश में 09 वर्षों में 11 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। नौजवान बेरोजगारी के शिकार हैं।
         भाजपाई नैतिकता और ईमान की भावनात्मक बातें खूब करते हैं किन्तु वास्तविकता यह है कि मध्य प्रदेश चार गुना कम आबादी होने के बावजूद मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश से चार गुना ज्यादा पशु वधशालाएं (स्लाटर हाउस) खुले हुए है। मध्य प्रदेश में उचित चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में बीमार लोगों की मौतें थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गयी हैं।
         श्री अखिलेश जी ने आष्वस्त किया कि मध्य प्रदेश के गरीबों, किसानों को उत्तर प्रदेश की तरह योजनाओं में भागीदारी मिलेगी। श्री अखिलेश यादव जब वापसी कर रहे थे तो उनकी निगाह बालाघाट गोंदिया के बीच रजेगांव में मंगोड़े की दुकान पर पड़ी। उन्होंने श्यामलाल नेवारे, जो गुआरी समाज का है, की दुकान पर रूककर मंगोड़े खाए। दुकान मालिक बार-बार अपनी कृतज्ञता जताता रहा क्योंकि इससे पहले कोई वीआईपी उसकी दुकान पर नहीं रूका था। पूर्व सांसद श्री कंकर मुंजारे साथ थे।
         मध्य प्रदेश के मतदाताओं में समाजवादी विचारधारा के प्रति पुनः लगाव दिखने लगा है। डाॅ0 लोहिया ने सामाजिक क्रांति के साथ राजनीति में शुचिता तथा सिद्धांत की जो विचारधारा दी थी उससे प्रेरित नौजवानों की बड़ी टोली समाजवादी आंदोलन से जुड़ी थी। आज फिर वही संदेश लेकर जब अखिलेश जी जनसभाओं में सŸाा के साथ व्यवस्था परिवर्तन का आह्वान करते हैं तो लोगों को पुराने दिन याद आ जाते हैं। समाजवादी विचारधारा समता के लिए प्रतिबद्ध है। डाॅ0 लोहिया ने अमीरी-गरीबी की खाईं को पाटने का, मूल्य नियंत्रण के लिए दाम बांधो का जो मंत्र दिया था वही आज की तमाम समस्याओं का समाधान है। गांव, गरीब के साथ नौजवानों की चिंता समाजवादी करते हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार में ज्यादातर योजनाएं इनके लाभ के लिए ही शुरू की गई थीं।

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