शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

इंटरनेट पर खुद के हमशक्ल की फोटो देख निशब्द हुए करण जौहर

फिल्ममेकर करण जौहर उन बॉलीवुड सेलेब्स में से हैं जो सोशल मीडिया और रियल लाइफ, दोनों जगह काफी एक्टिव रहते हैं. करण एक कामयाब फिल्ममेकर होने के साथ-साथ एक अच्छे मेंटर भी हैं. उन्होंने कई एक्टर्स को लॉन्च किया है जो आज बॉलीवुड में काफी अच्छा काम कर रहे हैं. करण की एक खूबी यह भी है कि वह काफी हाजिर जवाब हैं. जो लोग ट्विटर पर उन्हें फॉलो करते हैं उनमें से ज्यादातर उनकी इस खूबी से वाकिफ हैं.


हाल ही में जब करण जौहर ने आयुष शर्मा के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उनके काम की तारीफ की तो एक यूजर ने रिप्लाई में अपनी तस्वीर पोस्ट कर दी. तस्वीर के कैप्शन में उस्मान खान नाम के इस यूजर ने लिखा, "लोग कहते हैं मैं करण जौहर की तरह दिखता हूं, क्या वाकई?" यूजर के इस कमेंट पर करण जौहर चकरा गए क्योंकि तस्वीर में दिखने वाला वह शख्स वाकई काफी हद तक करण जौहर जैसा ही दिखता है.

इसके बाद करण जौहर ने इस तस्वीर को रीट्वीट किया और साथ में लिखा, "कुछ ट्वीट मुझे नि:शब्द कर देते हैं... ये उन्हीं में से एक है." बता दें कि करण जौहर की आने वाली फिल्म तख्त में उन्होंने कई मेगा स्टार्स को साइन किया है. फिल्म में रणवीर सिंह, करीना कपूर खान, आलिया भट्ट, विकी कौशल, भूमि पेडनेकर, जाह्नवी कपूर और अनिल कपूर अहम किरदार निभाते नजर आएंगे.

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आज पशुपतिनाथ में धर्मशाला का उद्धघाटन करेंगे PM मोदी, मंदिर में करेंगे पूजा-अचर्ना


काठमांडू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नेपाल में पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे। करीब 400 लोगों के ठहरने की व्यवस्था वाली यह धर्मशाला भारत-नेपाल मैत्री का प्रतीक है। पीएम मोदी ने साल 2014 में अपनी पहली नेपाल यात्रा के दौरान इस धर्मशाला के निर्माण में मदद का ऐलान किया था। इस धर्मशाला में पीएम मोदी और  नेपाली प्रधानमंत्री ओली के लिए भी दो कमरे बनाए गए हैं। यदि मोदी यहां कुछ समय के लिए रूकना चाहे तो उनके लिए हर सुविधा यहां दी गई है। वहीं मोदी आज पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी करेंगे। इससे पहले वे मई में मंदिर में आए थे तब भारत में कर्नाटक विधानसभा चुनाव चल रहे थे।

बता दें कि मोदी नेपाल में चल रहे बिम्स्टेक यानी 'बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन' सम्मेलन भाग लेने के लिए गुरुवार को काठमांडू पहुंचे थे। उन्होंने समिट को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि  भारत अपने आसपास के देशों के बीच क्षेत्रीय संपर्क सुविधाओं के विस्तार तथा आतंकवाद और मादक द्रव्यों की तस्करी को रोकने के लिए बिम्सटेक क्षेत्रीय समूह के सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि संपर्क-व्यापार संपर्क, आर्थिक संपर्क, परिवहन संपर्क, डिजिटल संपर्क और लोगों का लोगों से संपर्क में बड़े अवसर निहित हैं।’’

बिम्सटेक भारत, बांग्लादेश, म्यामार, श्रीलंका, थाइलैंड, भूटान और नेपाल जैसे देशों का क्षेत्रीय समूह है। वैश्विक आबादी में इस समूह का हिस्सा 22 प्रतिशत है। समूह का सामूहिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2,800 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय संपर्क को विस्तृत बनाने के लिए बिम्सटेक के सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है। वहीं बैठक से इतर मोदी ने अपनी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना से मुलाकात की और दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का जायजा लिया।



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नज़रियाः आरएसएस और मुस्लिम ब्रदरहुड में कितनी समानता?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ की गई अपनी तुलना सख्त नागवार गुजरी है. इस्लाम या मुसलमान से जुड़ी किसी भी वस्तु या अवधारणा का जिक्र अपने साथ करने का ख्याल भी संघ और उनके समर्थकों के लिए अकल्पनीय है.


इसलिए फौरन संघ और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने राहुल की भर्त्सना कहते हुए कहा कि राहुल चूँकि भारत को नहीं जानते, वो संघ को भी नहीं जान सकते.
राहुल गांधी की जो बात संघ को चुभ गई, वह कुछ यों थी: अरब में जो मुस्लिम ब्रदरहुड है, वही भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है. दोनों में समानता है, यह बताने के लिए राहुल गांधी ने तीन तथ्य रखे. दोनों पिछली सदी के तीसरे दशक में वजूद में आई, दोनों पर अपने देशों के राष्ट्रीय नेताओं की हत्या के बाद प्रतिबन्ध लगा और दोनों में ही औरतों का प्रवेश निषिद्ध है.
तुलना हमेशा सीमित होती है लेकिन वह इसलिए नहीं की जाती कि यह बताया जाए कि एक बिलकुल दूसरे की तरह है. दोनों का रुझान एक है या स्वभाव समान है, यह बताना ही तुलना का मकसद है.
मुस्लिम ब्रदरहुड नाम से ही साफ़ है कि वह मुसलमानों के भाईचारे की बुनियाद पर टिका है और उसे मजबूत करना उसका मकसद है. इसके साथ ही इस्लाम को वह समाज और राज्य के संगठन की बुनियाद मानता है.
यही बात कुछ संघ के बारे में कही जा सकती है. वह हिन्दुओं के बीच बंधुत्व बढ़ाने और उनका संगठन मजबूत करने के उद्देश्य से गठित और परिचालित है. "संगठन में शक्ति है", यह संघ का प्रिय मंत्र है लेकिन इसमें जो अनकहा है, वह यह कि संगठन हिंदुओं का होना है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था कि संघ हिन्दुओं को एकजुट करने का काम करता है. उनके मुताबिक़, "संघ के समक्ष दो काम हैं. एक हिन्दुओं को संगठित करना. एक मजबूत हिंदू समाज का निर्माण, सुगठित और जाति तथा अन्य कृत्रिम विभेदों से परे." क्या जातिविहीन, आत्मसम्मान युक्त समाज के गठन पर किसी को ऐतराज होना चाहिए?
अपना काम संघ अनेक संगठनों के जाल के जरिए करता है जो समाज के अलग-अलग तबकों में शिक्षा और सेवा के नाम पर सक्रिय हैं. यही मुस्लिम ब्रदरहुड भी करता है, शिक्षा, स्वास्थ्य और दूसरे कई क्षेत्रों में वह अनेक रूपों में सक्रिय है. हमास के काम का तरीका भी यही है और पाकिस्तान में जमात उल दावा भी इसी तरह काम करता है.
सारे संगठन जो किसी एक विचारधारा से परिचालित हैं, वे रूसो के इस सिद्धांत को जानते हैं कि ताकत के मुकाबले अधिक कारगर तरीका है लोगों की भावनाओं को अनुकूलित करके वर्चस्व स्थापित करना. ऐसा करके ये संगठन अपना एक व्यापक जनाधार बनाते हैं. वह उनके लिए खड़ा हो जाता है. मसलन हमास के चरमपंथी तरीकों के कारण उस पर जब भी फंदा कसेगा, उसके सामजिक कार्यों से लाभान्वित जनता उसके पक्ष में खड़ी हो जाएगी.
ब्रदरहुड हालाँकि पैदा मिस्र में हुआ लेकिन चूँकि इस्लाम दूसरे देशों में भी है, उसके प्रति आकर्षण तुर्की, ट्यूनीशिया,फिलस्तीन, कुवैत, जॉर्डन, बहरीन जैसे देशों में भी है और उसकी तरह के राजनीतिक दल वहाँ भी हैं.

संघ का दूसरा दायित्व उनके मुताबिक़ मुख्य रूप से अन्य धर्मावलम्बियों को मुख्य धारा में समाहित करना है. यह उन्हें संस्कार देकर किया जाना है.
संघ मुसलमानों और ईसाईयों को कैसे संस्कार देता है, या संस्कारित करता है, यह वे ही जानते हैं. पिछले चार सालों से जिस तरह उनका संस्कार किया जा रहा है, अगर वह जारी रहा तो राहुल गांधी की चेतावनी हकीकत में बदल जाएगी. यानी भारत पूरी तरह बदल जाएगा.

ब्रदरहुड और संघ में समानता का एक आधार पश्चिम में पैदा हुए विचारों से उनकी घृणा है. ब्रदरहुड उसे मुसलमानों को भ्रष्ट करने वाला मानता है. संघ भी शुद्ध भारतीय चिंतन और संस्कृति पर जोर देता है. पश्चिम की टेकनोलॉजी से इन दोनों को कोई परेशानी नहीं क्योंकि वह इन शुद्ध विचारों को प्रसारित करने का माध्यम भर है.

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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

सत्ताधारी का कार्य

विश्वपति वर्मा।

सत्ताधारियों का मुख्य कार्य समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्यधारा में लाना एवं उनके लिए मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना होना चाहिए।लेकिन पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा जो सत्ता का मजा ले रही हैं उन्हें जनता और मतदाता से कोई खास मतलब नहीं रहा है।

वर्ष 2010 के बाद से जब यूपी में मायावती पूर्ण बहुमत में मुख्यमंत्री थी उसके बाद 2012 में अखिलेश यादव यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने में कामयाब रहे इस दौरान केंद्र में कांग्रेस भी परचम लहरा रही थी।

परन्तु जनता के लिए बुनियादी सुविधाओं को समय रहते अंतिम व्यक्ति तक न पंहुचा पाना तीनो दलों को मुह की खानी पड़ी जिसका परिणाम रहा भारतीय जनता पार्टी केंद्र के साथ यूपी होते हुए कई राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही है ।आज चिट भी भाजपा का है और पट भी भाजपा का है लेकिन जनता में न जाने ऐसी कौन सी वायरस पँहुच गई है कि हर व्यक्ति भाजपा को झूठ बोलने वाली सरकार के रूप में देख रहा है।

हमे लगता है कि इसका सबसे ज्यादा कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी प्राथमिकता को तय करते हुए योजनाओं को लाने की बजाय मनमर्जी तरीके से अपने निजी स्वार्थ के खातिर नीतियां तैयार की हुई है जिससे पांच साल बीतने को हैं गरीब जनता को कोई लाभ नही हुआ है।

और अब जनता भी इसका परिणाम पार्टी को देने के लिए तैयार दिखाई देती है।

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सोमवार, 27 अगस्त 2018

मदर टेरेसा भारत से इतना प्रेम क्यों करती थीं

मदर टेरेसा भारत से इतना प्रेम क्यों करती थीं


नोबेल पुरस्कार के लिए मदर टेरेसा के नाम की अनुशंसा करने वालों में सबसे ऊपर थे विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मेक्नामारा.
विश्व बैंक पूरी दुनिया की सरकारों को ग़रीबी उन्मूलन के लिए अरबों डॉलर ऋण दिया करता है, लेकिन उसे ये भी पता है कि अंत में दुनिया की सभी विकास योजनाओं पर मानवीय संबंध और सरोकार कहीं अधिक भारी पड़ते हैं.
मेक्नामारा का कहना था, "मदर टेरेसा नोबेल शांति पुरस्कार की सबसे बड़ी हक़दार हैं, क्योंकि वो मानव मर्यादा को भंग किए बगैर शांति को बढ़ावा दिए जाने में यक़ीन करती हैं."
मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार समारोह के बाद उनके सम्मान में दिए जाने वाले भोज को रद्द करने का अनुरोध किया था, ताकि इस तरह से बचाए गए धन को कोलकाता के ग़रीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
अपने जीवन के अंतिम दिनों तक उन्होंने ग़रीबों के शौचालय अपने हाथों से साफ़ किए और अपनी नीली किनारे वाली साड़ी को ख़ुद अपने हाथों से धोया.

भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने मदर टेरेसा की जीवनी लिखी है. मदर टेरेसा से उनकी पहली मुलाकात 1975 में हुई थी जब वो दिल्ली के उपराज्यपाल किशन चंद के सचिव हुआ करते थे.
मदर ने अपनी एक संस्था का उद्घाटन करने के लिए उपराज्यपाल को आमंत्रित किया था

नवीन चावला ने बीबीसी को बताया, "मैंने एक चीज़ नोट किया कि मदर टेरेसा की साड़ी वैसे तो बहुत साफ़ थी, लेकिन उसको जगह जगह रफ़ू किया गया था ताकि ये न दिख सके कि वो फटी हुई है."
"मैंने किसी सिस्टर से पूछा कि मदर की साड़ी में इतनी जगह रफ़ू क्यों किया गया है? उन्होंने बताया कि हमारा नियम है कि हमारे पास सिर्फ़ तीन साड़ियाँ होती हैं. एक हम पहनते हैं. एक हम रखते हैं धोने के लिए और तीसरी हम रखते हैं ख़ास मौकों के लिए. तो मदर के पास भी सिर्फ़ तीन ही साड़ियाँ हैं. तो ये ग़रीबी अपनी पसंद से ओढ़ी गई थी न कि किसी मजबूरी की वजह से."
मदर टेरेसा को नज़दीक से जानने वाले कहते हैं कि उनके हैंडशेक में इतना आकर्षण हुआ करता था कि लोग उनसे जुड़े बिना नहीं रह पाते थे.

'हाथ मिलाते ही जैसे कुछ हो जाता था'

सुनीता कुमार भारत के पूर्व डेविस कप कप्तान और उद्योगपति नरेश कुमार की पत्नी हैं. वो कोलकाता में रहती हैं.
उनका और मदर टेरेसा का 35 साल का साथ रहा है और उन्होंने मदर टेरेसा की मौत तक मिशनरीज़ ऑफ़ चेरिटीज़ की प्रवक्ता के तौर पर काम किया है.
ये पूछे जाने पर कि वो मदर टेरेसा के संपर्क में पहली बार कब आईं, सुनीता कुमार बताती हैं, "शादी के बाद जब मेरा पहला बच्चा हो गया तो मैंने सोचा कि मैं कुछ और भी करूंगी. मैंने महिलाओं के एक संगठन की सदस्यता ले ली जहां मदर से मेरी पहली मुलाक़ात हुई. मदर हमें कुष्ठ रोगियों की दवा के लिए पेपर पैकेजिंग सिखा रही थीं."
"जब मुझे उनसे मिलवाया गया तो उनके हैंडशेक से ही कुछ ऐसा हुआ कि मैं हमेशा के लिए उनके साथ हो गई. उनका हैंडशेक बहुत मज़बूत था. कई लोगों ने मुझे बताया कि जब वो पहली बार मदर से हाथ मिलाते थे तो उन्हें कुछ हो जाता था."
मदर टेरेसा ने 1947 में ही भारत की नागरिकता ले ली थी. वो फ़र्राटे की बांग्ला बोलती थीं.
सुनीता कुमार बताती हैं, "मदर को चार या पांच घंटे से ज़्यादा नींद की ज़रूरत नहीं पड़ती थी. पता नहीं इतनी ऊर्जा उनमें कहां से आ जाती थी. रात को अगर मैं बारह बजे भी उन्हें फ़ोन करूं तो वो ख़ुद ही उठाती थीं. घर में भी वो साधारण तरीक़े से रहती थीं. न कोई सेक्रेट्री और न ही कोई असिस्टेंट."
सुनीता कहती हैं, "वो सुबह साढ़े पांच बजे से प्रार्थना में लग जाती थीं जो साढ़े सात बजे तक चलती थी. उसके बाद नाश्ता कर वो बाहर निकल जाती थीं."

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वुसअत का ब्लॉग: आपदा आई और पंडित मौलवी बन गए भाई-भाई

अक्टूबर 2005 में उत्तरी पाकिस्तान और कश्मीर के दोनों भागों में ज़बर्दस्त भूकंप आया. सैकड़ों लोग, हज़ारों घर और कई किलोमीटर सड़कें तबाह हो गईं.

मौत के सन्नाटे ने लाशों की बू का कम्बल ओढ़ लिया. किसी के लिए किसी की आंखों में आंसू नहीं थे. जो ज़िंदा थे वो सकते में थे, जो घायल थे उन्हें घाव गिनने से ही फ़ुर्सत न थी.
जो स्वयंसेवी, एनजीओ पाकिस्तान और दुनिया के कोने-कोने से मदद करने पहुंचे, उन्हें न दिन नज़र आता था, न रात दिखाई देती थी और न ही तारीख़ याद थी. उन्हें तो ये भी याद नहीं रहता था कि सुबह नाश्ता किया था या नहीं.
मगर भूकंप के तीन-चार दिन बाद कुछ और लोग भी इन बर्बाद इलाक़ों में गाड़ियों में बैठकर आने लगे. सफ़ेद कपड़े, पगड़ियां भी अलग-अलग रंगों की.
किसी की स्याह दाढ़ी तो किसी की सफ़ेद तो किसी की ख़शख़शी. वो किसी की मदद नहीं कर रहे थे बल्कि अपनी अपनी गाड़ियों पर बैठे तक़रीर कर रहे थे.

'ये भूकंप नहीं, अल्लाह का अज़ाब है. ये हमारे ग़ुनाहों की सज़ा है. हमारी औरतें बेपर्दा हैं. हमारे मर्द क्लीन शेव हैं. हम जुए, शराब और नाजायज़ संभोग में ग़र्क हैं. हमारे हाक़िम बेईमान, घूसख़ोर और अय्याश हैं. हम यहूदियों के दोस्त हैं और इस्लाम का मज़ाक उड़ाते हैं. हम खुलेआम नाचते हैं, मांओं-बहनों को छेड़ते हैं, हम ख़ुदा का हुक़्म हंसी ठट्ठे में उड़ा देते हैं, इसलिए हम पर मुसीबतें तो आनी ही हैं. ये भूकंप तो शुरुआत है, डरो उस वक़्त से जब तुम्हारे गुनाहों की सज़ा के बदले सामने के दोनों पहाड़ों को टकराकर तुम्हें सुरमा कर दिया जाएगा. जब दरिया किनारे तोड़कर तुम्हें बहाकर ले जाएंगे. अब भी वक़्त है, तौबा कर लो. हो सकता है आने वाले अज़ाब टल जाएं.'
फिर ये गाड़ियां आगे बढ़ जातीं. किसी और तबाह होने वाले इलाक़े में खड़ी हो जातीं, जहां लोग अपने अपने प्यारों की लाशें मलबे में ढूंढ रहे होते और उनके कानों में अपने ही गुनाहों की गिनती उड़ेली जा रही होती.
केरल की बाढ़ और तबाही का मंज़र

ईश्वरीय कोप

जब यूरोप में प्लेग फैला तो पादरी लाशों को दफ़नाने की बजाय यही कह रहा था कि इसका कारण गंदगी नहीं बल्कि ये हमारे गुनाहों की सज़ा है.
मुझे बिल्कुल आश्चर्य नहीं. जहां एक तरफ़ चंद्रयान, सैटेलाइट, आसमानों की ख़बर ला रहा है, मगर इन्हीं आसमानों में रहने वाले देवी-देवता केरल के लोगों को बीफ़ खाने और मंदिर में महिलाओं को दाख़िले की इजाज़त देने की सज़ा दे रहे हैं.
मेरा नज़रिया, आपके नज़रिये से अलग सही. मैं और आप भले एक दूसरे के ख़ून के प्यासे सही. पर मौलवी, पंडित, पादरी, रब्बाई - भाई भाई. इन सबको एक ही नज़रिये की डोर ने एक-दूसरे से बांध रखा है.
हंसना हराम है. रोना हलाल है. लोगों को डराओ और बस डराओ. न डरें तो अपने-अपने ख़ुदा को बीच में ले आओ.

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क्या सऊदी अरब का पूरा कुनबा बिखर जाएगा?

सऊदी अरब और अमरीका के बीच इतना प्रेम क्यों है? यह सवाल ऐसा ही है कि एक तानाशाह या राजा और चुने हुए राष्ट्रपति के बीच दोस्ती कैसे हो सकती है?

अमरीका लोकतंत्र, मानवाधिकार और महिलाओं के बुनियादी अधिकारों को लेकर दुनिया भर में मुहिम चलाता है, लेकिन सऊदी अरब तक उसकी यह मुहिम क्यों नहीं पहुंच पाती है.
इराक़ में तो अमरीका ने सद्दाम हुसैन की तानाशाही को लेकर हमला तक कर दिया. सऊदी अरब में भी लोकतंत्र नहीं है, मानवाधिकारों के आधुनिक मूल्य नहीं हैं और महिलाएं आज भी बुनियादी अधिकारों से महरूम हैं, लेकिन अमरीका चुप रहता है. आख़िर क्यों?
ऐसा कौन सा हित है जिसके चलते अमरीका अपने ही आधुनिक मूल्यों की सऊदी में अनदेखी कर रहा है?
जनवरी 2015 में जब सऊदी के किंग अब्दुल्लाह का फेफड़े में इन्फ़ेक्शन से निधन हुआ तो अमरीकी नेताओं ने श्रद्धांजलि की झड़ी लगी दी. तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अब्दुल्लाह की प्रशंसा में कहा था कि मध्य-पूर्व में शांति स्थापित में उनका बड़ा योगदान था.
तब के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि किंग अब्दुल्लाह दूरदर्शी और विवेक संपन्न व्यक्ति थे. उपराष्ट्रपति जो बाइडन ने तो यहां तक घोषणा कर दी कि वो उस अमरीकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे जो किंग अब्दु्ल्लाह की श्रद्धांजलि में शोक जताने सऊदी अरब जाएगा.

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रविवार, 26 अगस्त 2018

खुले मंच पर अफसरों से हुआ संवाद, मुद्दों पर हुई बात

मंगलवार को shatak, जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल और सुभाष गंज व्यापार मंडल के संयुक्त तत्वावधान में ‘सिटी चौपाल’ का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों का व्यापारियों और आम नागरिकों से सीधा संवाद हुआ। इस दौरान व्यापारियों ने बाजारों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। साथ ही चौपाल में पहुंचे आम नागरिकों ने भी शहर के विभिन्न इलाकों में व्याप्त समस्याओं की ओर जिम्मेदार लोगों का ध्यान आकर्षित कराया।
सुभाष गंज के रामलीला मैदान में आयोजित चौपाल में समस्याओं को सिलसिलेवार ढंग से उठाया गया। व्यापारियों ने पहले पुलिस विभाग से जुड़े मुद्दे उठाए। इसके बाद नगर निगम से संबंधित समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कराया गया। इसी तरह से बिजली विभाग, जल संस्थान, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। चौपाल में आने वाली सभी समस्याओं को संबंधित विभागों ने दर्ज किया और अधिकारियों ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि स्मार्ट सिटी बनने जा रहे शहर के सभी बाजार भी स्मार्ट होंगे। चौपाल में आईं सभी समस्याओं को व्यापारियों की सहभागिता से हल किया जाएगा। बाजारों के सुधार की हर योजना का खाका व्यापारियों और ग्राहकों की सहूूलियतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।

चौपाल की अध्यक्षता जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष विजय जैन ने की। चौपाल में महापौर रामतीर्थ सिंघल, एसपी सिटी देवेश कुमार पांडेय, अपर नगर आयुक्त रोहन सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. राकेश बाबू गौतम, नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते के प्रभारी डा. पुष्पराज गौतम, सहायक अभियंता एम एल त्रिपाठी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अभिहित अधिकारी राकेश कुमार द्विवेदी, बिजली विभाग के उप खंड अधिकारी शोभित दीक्षित, जल संस्थान के सहायक अभियंता ए पी मिश्रा व अनिल चौधरी और टैंकर प्रभारी मोहम्मद फरहत खान शामिल हुए। संचालन दिनेश जोशी ने किया। आभार जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ए के सोनी ने जताया।
 
यह उठीं समस्याएं
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- सीपरी बाजार में कलारी से छोटी माता मंदिर तक और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक अतिक्रमण व्याप्त है। अतिक्रमण से रास्ते संकरे हो गए हैं। आवागमन बाधित होता है।
- ए के सोनी, प्रदेश महामंत्री - जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल

- आर्यकन्या चौराहे पर गलत जगह पर प्याऊ का निर्माण कर दिया गया है। इसका प्रयोग भी नहीं हो रहा है। इसकी आड़ में सड़क किनारे पड़ी खाली जगह पर व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है।
- बी के पांडेय, प्रदेश संयोजक - जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल  

- जीवनशाह तिराहे पर सड़क पर गाड़ियां खड़ी रहती हैं। व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण भी पसरा हुआ है। इससे आवागमन बाधित होता है। दिन में कई बार जाम लगता है।
- जगदीश प्रसाद साहू, व्यापारी

- नगर निगम की ओर से शहर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में मजबूरन लोग अपनी गाड़ियां यहां-वहां खड़ी करते हैं, तो पुलिस गाड़ियां उठा ले जाती है। आखिर गाड़ी कहां रखें?
- राघव वर्मा, सराफा कारोबारी  

- शहर में पार्किंग के लिए जगह नहीं है, जबकि पास में ही रामचरित मानस मैदान की जमीन खाली पड़ी हुई है। यहां पार्किंग बनाई जाए और मिनर्वा पर पार्किंग स्थल शुरू किया जाए।
- अतुल जैन, अध्यक्ष - मानिक चौक व्यापार मंडल

- सुभाष गंज में पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है। यहां लगे चारों हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। इसके अलावा कचरे घर की नियमित सफाई नहीं होती, जिससे बुरा हाल है।
 - संजय, व्यापारी  

- सरकारी विभागों में समन्वय नहीं है। एक विभाग रोड डालता है, दूसरा काट देता है। इसके अलावा सरकारी विभाग की अतिक्रमण किए हैं, बिजली के ट्रांसफार्मर भी सड़कों पर रखे हैं।
- अतुल किलपन, जिला महामंत्री - जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल

- सूद कॉलोनी में बने पार्क की ओर नगर निगम ध्यान नहीं दे रहा है। इसके अलावा कालोनी में एपेक्स भी उखड़ रहे हैं। गेट पर शराब का गोदाम होने की वजह से लोगों का जमावड़ा बना रहता है।
- लिली जैन, सूद कालोनी निवासी

- शहर में होने के बाद भी नगरिया कुआं इलाका शहरी सुविधाओं से वंचित है। सड़क नहीं है, कई घरों में बिजली के कनेक्शन तक नहीं है। अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।
- अन्नू चौरसिया, महामंत्री - महिला प्रकोष्ठ जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल

- बड़ाबाजार में वशिष्ठ मार्केट समेत रेडीमेड कपड़ों की पांच मार्केट हैं। बावजूद, पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है। छुट्टा जानवरों की भरमार है। अक्सर शाम छह से रात नौ बजे तक लाइट बंद कर दी जाती है।
- रमेश चंद्र राही, व्यापारी  

- शहर के नालों की अब तक सफाई नहीं हुई है। यहां तक की सबसे बड़ा नटवली नाला भी साफ नहीं किया गया है। समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो बारिश में शहर के कई इलाकों में जल भराव होगा।
- मुकेश अग्रवाल, अध्यक्ष - सराफा बाजार व्यापार कमेटी

- सुभाष गंज में ट्रैफिक बड़ी समस्या बन गई है। यातायात नियंत्रण के प्रभावी उपाय नहीं किए जा रहे हैं। कारोबारी और ग्राहक, दोनों ही परेशान हैं। बावजूद, ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
- पुनीत अग्रवाल, व्यापारी  

यह भी रहे मौजूद
जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल के प्रदेश संगठन मंत्री प्रमोद किलपन, नगर अध्यक्ष संजय शर्मा, महामंत्री नवनीत दीक्षित, जिला युवा जिलाध्यक्ष विकास वर्मा, नगर अध्यक्ष अभिषेक सोनी, सुभाष गंज व्यापार मंडल के संरक्षक अनूप गुप्ता, प्रदेश संगठन मंत्री अनिल सुडेेले, प्रदेश कोषाध्यक्ष सूर्यप्रकाश अग्रवाल, पुरुषोत्तम स्वामी, रामेश्वर राय, अनूप गुप्ता, प्रमोद शिवहरे, श्यामजी राय, ओमप्रकाश साहू, पुनीत दीक्षित, अतुल किलपन, विनोद सब्बरवाल, धर्मेंद्र विसो, विकास, पार्षद नीरज गुप्ता, लखन कुशवाहा, अब्दुल जाबिर व सुनील नैनवानी,  आदर्श गुप्ता, नीतेश सोनी, शैलेष चौरसिया, अजय खुराना आदि समेत तमाम व्यापारी मौजूद रहे।

विभिन्न क्षेत्रों से लोग पहुंचे
चौपाल में केवल व्यापारी ही नहीं, बल्कि शहर के अलग-अलग हिस्सों से लोग पहुंचे और अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताईं। खासतौर पर पानी से जुड़ी समस्याओं की ओर लोगों ने ध्यान आकर्षित कराया। शिकायतें लिखित में भी दी गईं।

दुकानों की मरम्मत भी नहीं करा रहा निगम
साठ साल पहले गंज में नगर पालिका ने दुकानें बनाईं थीं। कारोबार बढ़ने पर अब इन दुकानों में जगह कम पड़ने लगी है। माल दुकान के बाहर रखना पड़ता है, जो अतिक्रमण के दायरे में आता है। दुकानें जीर्णशीर्ण अवस्था में हैं। नगर निगम मरम्मत करा नहीं रहा, दुकानदार काम कराते हैं तो निगम का नोटिस मिलता है। नगर निगम को इन दुकानों के दूसरे माले पर दुकान का निर्माण कर व्यापारियों को देनी चाहिए, जिससे अतिक्रमण की समस्या नहीं रहेगी और निगम का किराया भी बढ़ेगा। निगम चाहे तो व्यापारी दुकान अपने पैसे से भी बना सकते हैं, जिसकी बाद में किराये में कटौती हो जाएगी। इसके अलावा बाजार में नाले - नालियों के ऊपर लगे लोहे के जाल टूटे हुए हैं। सफाई का भी बुरा हाल है।  
- विजय जैन, प्रांतीय अध्यक्ष - जय बुंदेलखंड व्यापार मंडल

शानदार प्रयास से हुई सीधी बात
सिटी चौपाल के आयोजन का अमर उजाला का प्रयास शानदार रहा है। इससे जिम्मेदार लोगों तक जनता की सीधी बात पहुंची है। आगे भी इस तरह के प्रयास होते रहना चाहिए। चौपाल में नगर निगम से संबंधित जो समस्याएं आईं हैं, उन्हें तत्काल हल किया जाएगा। साथ ही बाजारों की व्यवस्था में सुधार के लिए योजना तैयार की जाएगी। इसमें व्यापारियों की सहभागिता भी रखी जाएगी। सफाई के प्रति लोग स्वयं भी जागरूक हों।
- रामतीर्थ सिंघल, महापौर

प्राथमिकता पर हल होंगी समस्याएं
चौपाल आईं समस्याएं प्राथमिकता से निस्तारित की जाएंगी। पुलिसिंग और बेहतर हो, इसके लिए लोगों को भी सहयोग करना होगा। जागरूक होने की जरूरत है। अतिक्रमण हटाने में भी पुलिस नगर निगम का पूरा सहयोग कर रही है। निगम की टीम को थाना पुलिस के साथ-साथ पीएसी तक उपलब्ध कराई जा रही है। लोग अपनी समस्याएं, सीधे पुलिस के पास लेकर आएं।
- देवेश कुमार पांडेय, एसपी सिटी  

शत प्रतिशत होगा निराकरण
अमर उजाला की चौपाल के जरिये एक ही मंच पर एक साथ शहर के विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारी और आम नागरिकों की समस्याएं सामने आईं हैं। समस्याएं वाजिब हैं और इनका शत प्रतिशत हल किया जाएगा। इस तरह के आयोजनों से शहर की जरूरतों के बारे में पता चला है। विकास की योजनाएं इन बातों को ध्यान में रखकर बनाई जाएंगी।
- रोहन सिंह, अपर नगर आयुक्त

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पाकिस्तान ने सरकारी अधिकारियों को फर्स्ट क्लास की विमान यात्रा करने पर लगाई रोक

हाइलाइट्स

  • इमरान खान ने चुनाव जीतने के बाद ही सरकारी खर्चों पर लगाम लगाने का वादा किया था
  • सरकारी अधिकारियों के फर्स्ट क्लास में हवाई सफर पर अब पाक सरकार ने बैन लगा दिया है
  • इमरान ने प्रधानमंत्री आवास के एक छोटे हिस्से का ही प्रयोग करने का भी ऐलान किया है
  • सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा, 'नवाज शरीफ एक साल में 51 अरब रुपये का इस्तेमाल करते थे'
इस्लामाबाद 

पाकिस्तान की नई सरकार ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत अधिकारियों तथा नेताओं के सरकारी निधि को अपने मन से खर्च करने और फर्स्ट क्लास से हवाई यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह उसके अपने खर्चों पर लगाम लगाने के अभियान का हिस्सा है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी के अनुसार, प्रधानमंत्री इमरान खान + की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। 

उन्होंने मीडिया से कहा, ‘यह निर्णय किया गया है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रधान न्यायाधीश, सीनेट चेयरमैन, नेशनल असेंबली के स्पीकर और मुख्यमंत्री क्लब/ बिजनस श्रेणी में यात्रा करेंगे।’ एक सवाल पर चौधरी ने कहा कि सेना प्रमुख को प्रथम श्रेणी से यात्रा करने की अनुमति नहीं है और वह हमेशा बिजनस क्लास में यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तथा अन्य अधिकारियों ने निधि के विवेकाधीन आवंटन पर भी रोक लगा दी है। 
पढ़ें: इमरान सरकार ने लिया फैसला, पाकिस्तान के बाहर नहीं जा सकेंगे नवाज शरीफ और मरियम
चौधरी ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ + एक साल में 51 अरब रुपये की निधि का इस्तेमाल करते थे। प्रधानमंत्री ने विदेशी या घरेलू यात्रा के लिए विशेष विमानों और बिजनस क्लास में यात्रा करने पर भी रोक लगाने का फैसला किया है। आम चुनावों में जीत के बाद खान ने आलीशान प्रधानमंत्री आवास का इस्तेमाल न करने और इसकी बजाय आवास के एक छोटे से हिस्से का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। खान ने केवल दो वाहनों और दो सेवकों की सेवाएं लेने का भी फैसला किया।
 

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रक्षाबंधन: नोएडा के चार भाई-बहनों की 'खास' कहानियां



नोएडा 

'दुनिया की हर खुशी तुझे दिलाऊंगा मैं, अपने भाई होने का फर्ज निभाऊंगा मैं'। अपनी बहन के लिए हर भाई की यही चाहत होती है। बहन भी भाई से ऐसी ही उम्मीद करती है। आज रक्षाबंधन है। बहनें अपने भाई को राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं। भाई भी इस वचन का मान रखते हुए हर मोड़ पर बहन का साथ देते हैं। शहर में कुछ ऐसे भाई हैं, जिन्होंने मुश्किल हालात में बहनों का हाथ नहीं छोड़ा। उन्हें सहारे की जरूरत पड़ी तो ढाल बनकर सामने खड़े हो गए। 

भाई ने दी जिंदगी 

बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधने के साथ वक्त आने पर उनकी रक्षा भी करती हैं। सेक्टर-62 के फोर्टिस अस्पताल में पिछले साल ऐसा ही एक मामला सामने आया था। प्रतापगढ़ के रहने वाले राजेश कुमार की दोनों किडनी फेल हो गई थीं। उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी। ऐसे में राजेश की बहन पूनम श्रीवास्तव ने उन्हें एक किडनी दी। राजेश का कहना है कि इसके लिए मैं हमेशा अपनी बहन का आभारी रहूंगा। हर साल रक्षाबंधन पर मैं बहन से जरूर मिलता हूं। 

सृजन के साथ मायशा का रक्षाबंधन


सेक्टर-61 के सल्तनत खान की 14 साल की बेटी मायशा के दो भाई हैं। अफराज और सृजन त्यागी। अफराज मायशा के सगे भाई हैं और सृजन से उनका राखी का रिश्ता है। यह नाता धर्म के बंधनों से परे है। मायशा अफराज के साथ-साथ हर साल सृजन को भी राखी बांधती हैं। यह सिलसिला स्कूल में राखी बांधने से शुरू हुआ। इसके बाद मायशा के मन में इस त्योहार को मनाने की इच्छा जागी। सृजन मायशा के साथ ही डीपीएस में पढ़ते हैं। 

प्लेटलेट्स का किसी तरह किया इंतजाम 

2006 में सेक्टर-25 में रहने वाली अलका के शरीर में प्लेटलेट्स कम हो गए थे। उनका ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव है। इस वजह से कहीं से प्लेटलेट्स का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। उनकी हालत गंभीर होते देख भाई अरुण ने हर जगह संपर्क करना शुरू किया। वह अपने ऑफिस में काम करने वाले हर व्यक्ति तक पहुंचे और ओ निगेटिव ग्रुप के ब्लड का इंतजाम कराया। अलका कहती हैं कि भाई की वजह से ही उन्हें नया जीवन मिला है।

बहनें भी करती हैं रक्षा 

सेक्टर-11 में रहने वाली अंजना 2014 में दिल्ली के मयूर विहार में रहती थीं। अंजना का कहना है कि बिना नोटिस दिए एमसीडी ने उनका घर तोड़ दिया। परिवार उस समय वहां मौजूद नहीं था। वह लौटीं तो घर टूटा मिला। उनका सब कुछ खत्म-सा हो गया था। मेरे भाई ने पूरी कानूनी प्रक्रिया में साथ दिया और अगले हफ्ते से ही घर दोबारा बनवाना शुरू किया और पूरा मकान तैयार करवाया। मेरे लिए यह रक्षाबंधन बहुत खास और यादगार है। 


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